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14-08-2019, 12:33 AM
(This post was last modified: 18-11-2020, 01:59 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
स्मायरा
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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ये बात फरवरी 2018 की है. मैं अपनी कार से अपने घर जा रहा था, अचानक रास्ते में एक कार की दूसरी कार से भिड़न्त हो गयी. मेरी आदत सब की मदद करने की है, जिसके चलते मैंने रुक कर देखा.
जिस कार से एक्सीडेंट हुआ था, उसमें एक महिला थी. उस महिला की उम्र 28 साल के आस पास रही होगी. बाद में मुझे मालूम चला था कि उसका नाम स्मायरा था. उसको लेकर मैं हॉस्पिटल गया. उसके सर से खून निकल रहा था. मैं उसे डॉक्टर को दिखा कर उसको उसके घर छोड़ कर आया. उसने मुझे थैंक्स कहा और मेरा मोबाइल नम्बर ले लिया.
मैं अपने घर आ गया.
दो दिन बाद स्मायरा का फ़ोन आया. मैंने उठाया. मुझे पता नहीं था कि उसका ही फ़ोन है, क्योंकि मैंने उसका नम्बर लिया ही नहीं था.
मैं बोला- हैलो आप कौन?
उसने बताया- मैं स्मायरा बोल रही हूँ, वही, जिसको हॉस्पिटल लेकर गए थे.
मैंने कहा- सॉरी मैडम … मैंने पहचाना नहीं था … इसलिए पूछा.
स्मायरा ने कहा- आपका नम्बर तो मैंने ले लिया था. आपने मुझसे थोड़े ही लिया था.
मैं हंस कर बोला- हां जी, मैंने ध्यान नहीं दिया था.
उसने हंस दिया.
फिर स्मायरा ने पूछा कि उस दिन मैं आपसे पूछना ही भूल गयी थी कि हॉस्पिटल में आपके कितने पैसे लगे थे.
मैंने कहा- अरे वो कोई बात नहीं.
तो स्मायरा ने कहा- नहीं … आप बताओ, मेरे पति ने कहा है कि आपसे पूछ लूं और मेरे पति आपसे मिलना भी चाहते हैं … तो आप टाइम निकाल कर घर आना.
मैंने कहा- ठीक है.
फिर सन्डे को स्मायरा का कॉल आया और उसने कहा- आज फ्री हो तो आप आ शाम को जाओ … साथ में बैठ कर चाय पिएंगे.
मैंने कहा- ठीक है … मगर मेरी एक शर्त है. मैं आऊंगा तो आप उस दिन हॉस्पिटल के खर्चे की बात नहीं करोगी.
स्मायरा ने कहा- ऐसे थोड़ी होता है.
मैंने कहा- ठीक है, तो मैं नहीं आऊंगा.
इस बात पर स्मायरा बोली- ठीक है … नहीं करूंगी … आप आ जाओ.
शाम को मैं उसके घर गया. स्मायरा और उसके पति, जिसका नाम दीपक था. वो मुझे लेने मेरी कार के पास ही आ गए. हम तीनों अन्दर जाकर बैठे और बातें करने लगे.
चाय पीते हुए बातों से मुझे पता चला कि वो लोग मुम्बई के हैं. उसके पति इधर जयपुर में आईसीआईसी बैंक में हैं. उनका ट्रांस्फर मुंबई से जयपुर हो गया था.
वो मुझे पैसे वाले लगे. जबकि मैं एक मिडल क्लास परिवार से हूँ. वैसे मेरा छोटा सा व्यापार है, मगर फिर भी वो मुझसे ज्यादा पैसे वाले थे.
मैं चाय पीकर अपने घर आ गया. फिर स्मायरा और मेरी बातें व्हाट्सअप पर और कॉल पर होने लगीं. हम दोनों एक महीने में एक दूसरे के काफी करीब आ गए.
एक दिन वो मुझसे मिलने अकेले आयी. उसको पहले मैंने इतनी गौर से नहीं देखा था, मगर उस दिन वो जीन्स टी-शर्ट में क्या मस्त लग रही थी. उसे देख कर ऐसा लग ही नहीं रहा था कि उसके 5 साल का बेटा भी है. मैं उसको देखता ही रह गया.
वो आयी उसने मुझे हैलो किया और मुझे गिफ्ट दिया.
मैंने बोला- ये किस लिए?
वो बोली- हमारी पहली मीटिंग है, इसलिए.
मैं बोला- लेकिन मैं तो लेकर ही नहीं आया … मुझे कुछ पता ही नहीं था कि ऐसा भी होता है.
वो हंस कर बोली- आप मेरे बुलाने पर आ गए … वही बहुत है.
हम लोग रेस्टोरेन्ट में बैठ कर बातें करने लगे.
फिर वो बोली- चलो मूवी चलते हैं.
मैं बोला- आपका बेटा कहां है?
वो बोली कि वो आज सुबह दादा दादी के पास जाने के लिए अपने पापा के साथ मुम्बई गया है.
मैं बोला- अरे आप नहीं गईं?
वो बोली- आपसे आज मिलने के लिए वादा कर दिया था ना … इसलिए नहीं गयी.
मैंने बोला- अरे आप भी चली जातीं … मुलाक़ात फिर हो जाती.
स्मायरा बोली- कोई बात नहीं … दीपक को कुछ काम भी था मुंबई … तो उनके साथ मेरा बेटा भी चला गया.
फिर हम लोग मूवी देखने गए … मगर मेरा ध्यान तो सारा स्मायरा की तरफ ही था.
वो बोली- मूवी देख रहे हो या मुझे! जब से आयी हूँ, मुझे ही देखे जा रहे हो. क्या मैं अच्छी नहीं लग रही हूँ?
मैंने कहा- नहीं ऐसी बात नहीं … आप बहुत अच्छी लग रही हो, तब ही तो देख रहा हूँ.
ये सुन कर वो हंसने लग गयी.
मैंने कहा- क्या मैंने कुछ गलत बोल दिया?
स्मायरा- नहीं रे!
उसका यूं ‘नहीं रे …’ कहना मुझे अन्दर तक मस्त कर गया.
फिर हम दोनों ने बाहर ही खाना खाया और उसके बाद मैं उसको उसके घर छोड़ कर आया. जब मैंने उसको उसके घर के बाहर छोड़ा, तो कार में से उतरते टाइम वो मेरे गाल पर किस करके बाय बोल कर चली गयी.
मैं तो पागल सा हो गया. मैं उसको जाते हुए देखता रहा. मेरी कार उसके घर के सामने ही खड़ी थी. अन्दर जाकर उसने मुझे फोन किया और कहा- जनाब क्या अपने घर नहीं जाना है … या बाहर ही खड़े रहोगे?
यह सुन कर जैसे मुझे होश आया. मैं अपने घर आ गया और पूरी रात स्मायरा के बारे में ही सोचता रहा. क्या खूबसूरत बला लग रही थी. उसके 34 साईज के रसीले मम्मे … पतली 28 की कमर … और 36 साईज के हिप्स.
मैंने उस रात उसके ही बारे में सोच कर 3 बार मुठ मारी और सो गया.
सुबह उसका कॉल आया. उसने गुड मॉर्निंग कहा.
मैंने भी गुड मॉर्निंग कहा.
फिर उसने पूछा- कल की डेटिंग कैसी लगी?
मैंने कहा- इसको तो मैं भूल ही नहीं सकता.
वो बोली- क्यों?
मैं- आप मेरे साथ जो थीं. आप इतनी सुन्दर हो कि बस मंत्र मुग्ध सा आपको ही देखता रहा.
वो बोली- आप भी हैंडसम हो यार.
फिर हमारी बातें चलती रहीं.
अब मेरे मन में उसके लिए कामुक ख्याल आने लग गए. मैं यही सोचता रहता कि क्या मैं इसके साथ कभी चुदाई कर पाऊंगा. शायद ऊपर वाले को भी कुछ ऐसा ही मंजूर था. उसने मेरी सुन ली.
एक फिर सुबह उसके पति का फ़ोन आया. उसको मुम्बई जाना जरूरी था और स्मायरा की मम्मी की अचानक तबियत खराब हो गयी थी. जिस वजह से स्मायरा को जोधपुर जाना था.
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उसने बोला- कोई भरोसे का ड्राइवर हो तो भेज दो.
मैंने कारण जानना चाहा, तो उसने मुझे सारी बात बतायी.
मैंने कहा- ड्राइवर की कोई जरूरत नहीं है, मैं खुद अपने काम से जोधपुर जा रहा हूँ.
यह सुन कर दीपक बोला- अरे यार, आपने तो सारी टेंशन ही दूर कर दी. आप आ जाओ, मैं स्मायरा को बोल देता हूं. वो तब तक तैयार हो जाएगी.
मैं रेडी होकर स्मायरा के घर गया. वहां से स्मायरा को लेकर मैं जोधपुर निकल गया. मेरी कार में स्मायरा, उसका बेटा हम 3 लोग ही थे.
मैंने मजाक में स्मायरा से कहा- आपको मेरे साथ डर तो नहीं लग रहा?
वो बोली- मुझे आप मत बोला करो. या तो मेरे नाम से बोलो, या फिर जो नाम आपको पसंद हो, वो बोलो … मगर आप नहीं.
मैं बोला- ठीक है. आज से मैं आपको ऐंजल बोलूँगा.
वो बोली- क्यों?
मैं बोला- आप परी जैसी ही तो हो.
ये सुन कर वो हंसने लगी.
फिर मैंने स्मायरा से कहा- मुझे आपकी एक चीज वापस करनी है.
वो बोली- क्या?
मैंने पहले पीछे उसके बेटे को देखा. वो आराम से गाड़ी में सो रहा था.
वो फिर से बोली- बोलो ना क्या?
मैं बोला- आप नाराज तो नहीं हो जाओगी?
वो बोली- नहीं होऊंगी … बताओ क्या वापस करना है?
मैंने गाड़ी साईड में रोकी और स्मायरा से कहा- आंखें बंद करो.
उसने अपनी आंखें बन्द कर लीं और मैंने उसके होंठों पर किस कर दिया.
उसने एकदम से आंखें खोल दीं और मेरी तरफ घूर कर देखने लगी. मेरी हालत खराब हो गयी. मैं अपना सर झुका कर गाड़ी चलाने में लग गया.
वो चुपचाप बैठी रही. मैं भी चुपचाप गाड़ी चलता रहा.
एक घंटे बाद वो बोली- कहीं किसी होटल पर गाड़ी रोकना, मुझसे वॉशरूम जाना है.
मैंने थोड़ा आगे जाकर एक होटल पर गाड़ी रोकी. वो वॉशरूम के लिए चली गयी.
जब वापस आयी, तो बोली- चाय पी लेते हैं, कुछ खा भी लेते हैं.
मैं बोला- ठीक है.
फिर मैंने धीरे से बोला- सॉरी!
वो बोली- किस लिए सॉरी?
मैंने कहा- मेरी हरकत के लिए.
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तो उसने हंसते हुए कहा- पागल कहीं के.
मैं बोला- मतलब?
उसने मुझसे कहा- ये देने में इतना टाइम लगा दिया.
ये सुनकर मेरे अन्दर एक जोश आ गया. तभी स्मायरा फिर से बोली- मैंने तो गाल पर किस किया था.
मैं बोला- मेरी ऐंजल ने वो जो किया था, उसका ब्याज मिला कर वापस कर दिया है.
इस बात पर हम दोनों जोर जोर से हंसने लगे.
स्मायरा बोली- एक बात सच सच बताना … आज से पहले कितनों को किस किया है?
मैं बोला- मेरी बीवी के अलावा सिर्फ आप को.
वो बोली- झूठ नहीं … सच बताओ.
मैं बोला- कसम से … मेरा यकीन करो.
वो बोली- ओके यकीन है … आपकी जगह कोई और होता, तो अब तक सब कुछ कर चुका होता.
मैंने पूछा- आपने कितनों को किस किया?
स्मायरा बोली- शादी से पहले मेरा एक ब्वॉयफ्रेंड था, उसको किया था. मगर उसने मुझे धोखा दे दिया था.
ये बोलते हुए उसकी आंखों में आंसू आ गए. मैंने उसको अपने सीने से लगा लिया. फिर हम दोनों की पूरे रास्ते बातें होती रहीं.
अब हम दोनों खुल कर बातें कर रहे थे. उसने बताया कि दीपक भी आपकी बीवी के जैसा है, एकदम ठण्डा. महीने में 2-3 बार ही सेक्स करता है और जल्दी झड़ कर पलट कर सो जाता है.
उसकी इस बात से साफ़ हो गया था कि स्मायरा भी मेरी तरह तड़पती रहती है.
हम लोग रात को 8 बजे स्मायरा के पापा के घर जोधपुर पहुंचे. फिर मैंने भी स्मायरा की मम्मी से हॉस्पिटल में जाकर मिला. इसके बाद स्मायरा और उसके पापा को उनके घर छोड़ा.
मैंने स्मायरा से कहा- मेरा जोधपुर में दो दिन का ही काम है, मैं परसों जयपुर निकलूंगा, मैं परसों कॉल कर लूँगा और आपको लेने आ जाऊंगा.
स्मायरा बोली- वो तो ठीक है … पर आप अभी कहां जा रहे हो?
मैंने कहा- होटल.
ये सुनकर स्मायरा के पापा बोले- होटल क्यों? ये घर आपका नहीं है क्या?
मैंने बोला- अंकल, मैंने पहले से ही होटल की बुकिंग करवाई हुई थी.
स्मायरा के पापा बोले- कोई बात नहीं … आप कहीं नहीं जाओगे, यहीं रहोगे.
स्मायरा के पापा को दीपक ने मेरे बारे में बता दिया था कि स्मायरा मेरे साथ जोधपुर आ रही है.
मुझे स्मायरा ने इशारे में कहा- प्लीज यहीं रुक जाओ.
मैं उनके घर ही रुक गया.
मैं उनके घर में सबसे मिला और खाना खाया. उसके घर में स्मायरा के भाई और भाभी भी थे.
स्मायरा के पापा ने बोला- आप लम्बा सफर करके आ रहे हो, आराम करो.
उन्होंने ऊपर एक कमरे में मेरे सोने का इंतजाम कर दिया था. मैं कपड़े बदल करके बिस्तर पर लेट गया. थकान के कारण मुझे लेटते ही नींद आ गयी.
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कहानी का प्लाट सुपरहिट है
किन्तु interfaith तरीके से लिखना
चाहिए ।
ब्लॉक् बस्टर साबित होगी ।
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रात को एक बजे मुझे अपने मुँह पर गीला गीला सा कुछ अजीब सा लगा. मैंने आंख खोल कर देखा, तो स्मायरा मेरे बिस्तर पर बगल में लेटी हुई मुझे किस कर रही थी.
मैंने फुसफुसाते हुए कहा- इस टाइम कोई देख लेगा.
वो बोली- सब सो रहे हैं और पापा भैया हॉस्पिटल गए हैं, वे सुबह ही आएंगे.
मैंने बोला- फिर भी यार भाभी या कोई और आ गया तो?
स्मायरा बोली- डर मुझे लगना चाहिये और डर आप रहे हो?
ये बोल कर वो हंसने लगी. मैंने उसे पकड़ कर उसके होंठों को अपने होंठों के बीच लेकर किस करने लगा.
वो बोली- रुको एक मिनट.
वो खुद के रूम में जाकर आयी.
मैं बोला- क्या लेने गई थी?
वो बोली- ये.
उसके हाथ में कंडोम देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैं समझ गया कि ये पूरी तैयारी में आई है.
मैंने पूछा- ये कहां से लाईं?
वो बोली- हॉस्पिटल से आते टाइम हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर से ले लिया था. मुझे पता था मेरे भोलू राम तो लेंगे नहीं.
ये बोल कर स्मायरा हंसने में लग गयी.
उसके मुँह से ये सब सुन कर मेरे अन्दर जोश आ गया. एक तो वो वैसे ही सेक्सी थी, ऊपर से उसने बरमूडा और टी-शर्ट पहन रखी थी, जिसमें से उसकी चिकनी जांघें दिख रही थीं.
मैं तो जैसे पागल ही हो गया. उसको किस करता हुआ उसके 34 साईज के बोबों को टी-शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगा और जोर जोर से दबाने लगा.
उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकलने लगीं. मैंने उसकी गर्दन पर किस करते हुए, उसकी टी-शर्ट को उतार दिया. सामने पिंक कलर की ब्रा में उसके सफ़ेद टाइट मम्मे इतने सुंदर लग रहे थे कि मेरे मुँह से आह निकल गई.
उसके तने हुए मम्मे मानो मुझसे कह रहे थे कि हमको आजाद कर दो … मगर मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही अपने दांतों से उनको काट रहा था.
स्मायरा का चेहरा वासना से एकदम लाल हो गया था. एक तो वो दूध के जैसी गोरी पहले से ही थी. इस पर उसके चेहरे की लालिमा उसे और भी मादक और खूबसूरत बना रही थी. मैं उसके जिस्म को चूमता हुआ उसकी पीठ के पीछे किस करने लगा.
वो चुदास से ऐसे तड़प रही थी, जैसे जल बिन मछली हो. मैं पीठ को चूमता हुआ ब्रा की पट्टी पर आया और अपने दांतों से उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. मैंने उसके बोबों को आजाद कर दिया. इस बीच उसने भी मेरी टी-शर्ट उतार दी थी.
उसके मम्मे आजाद होते ही खुली हवा में मचलने लगे. मम्मों के ऊपर गुलाबी निप्पल मुझे ललचा रहे थे. मैंने एक को जैसे ही अपने मुँह में लिया, उसने मुझे अपने सीने से चिपका लिया. उसकी इस हरकत से मुझे और जोश आ गया. मैंने उसके निप्पल के साथ पूरे चूचे को मुँह में भर लिया. वो मुझे इस तरह अपने अन्दर समा रही थी कि कभी छोड़ेगी ही नहीं.
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उसके निप्पल को चूसते हुए मैंने उसके बरमूडे में हाथ डाल दिया. फिर उसकी पैन्टी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा, जिससे वो और भी गर्म होने लगी थी. अब तक उसकी चुत गीली हो चुकी थी और उसने मेरा बरमूडा भी उतार कर साइड में कर दिया था.
वो मेरे लंड को हाथ में ले कर सहलाते हुए मेरे कानों में कह रही थी- अब और मत तड़पाओ.
वो वासना से भरी मादक सिसकारियां ले रही थी. मैंने भी उसका बरमूडा उतार कर अलग कर दिया और अपने होंठ उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चुत पर रख दिए.
मेरे ऐसा करते ही वो पागल हो गयी. उसने मेरे मुँह को अपने हाथों से पीछे किया और खुद ही अपनी पिंक पेंटी उतार कर अलग कर दी. उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया. मैं उसकी चुत की खुशबू से एकदम मस्त हो गया और चुत को चाटने लगा. कभी उसकी चुत के होंठों को अपने होंठों से पकड़ कर खींचता, कभी उसकी चूत के छेद में जीभ डाल देता, कभी अपनी उंगली डाल देता.
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इस सबसे स्मायरा पागल हो गई. उसकी चुदास अपने चरम पर थी. मेरी चूत चुसाई के दौरान ही वो मेरे मुँह में दो बार झड़ चुकी थी.
उसने मुझे बताया- पहली बार किसी ने मेरी चुत को चाटा है.
फिर हम 69 के पोज में आ गए. वो मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी. मैं भी अब होने वाला था, तो मैंने स्मायरा को बोला- मेरा निकलने वाला है.
वो इशारे से बोली कि मेरे मुँह में ही छोड़ दो.
कुछ देर बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया. वो मेरा सारा वीर्य पी गयी और चाट चाट कर पूरे लंड को साफ कर दिया. आज मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं बता नहीं सकता … क्योंकि पहली बार मेरा वीर्य इस तरह से पिया गया था और लंड को चूस चूस कर बचा हुआ रस भी निकाल लिया था.
मैंने मेरी पत्नी को कई बार बोला था, मगर वो नहीं करती थी.
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कुछ पल बाद स्मायरा वापस मेरे लंड को चूसने में लग गयी. मैं भी उसकी चुत को चाटने लगा. कुछ ही देर में मैं तैयार हो गया और वो भी गरमा गई.
फिर मैंने उसको सीधा करके उसकी मखमली चिकनी चुत पर अपना 7 इंच का लंड रख दिया. मैं चुत को लंड से रगड़ने लगा.
वो तड़पने लगी और बोली- प्लीज अन्दर डाल भी दो यार … अब मत तड़पाओ.
मैंने चुत के छेद पर लंड का सुपारा रखा और झटका दे मारा. मेरा आधा लंड उसकी चुत में चला गया.
एक तो उसकी चुत भी बिल्कुल गीली थी और मैंने झटका भी जोर का दिया था. वो तिलमिला उठी. उसकी आंखों में आंसू आ गए. मैं ऐसे ही लेट कर रुक गया. मैंने उसके होंठों को पहले से ही अपने होंठों में दबा रखा था.
वो बिना आवाज निकाले ‘हूऊ … उन्ह..’ करे जा रही थी. मैं उसके मम्मों को भी हल्के हल्के से दबा रहा था.
मेरी समझ में आ गया था कि दीपक का लंड पतला है. थोड़ी देर में वो नार्मल हुई, तो मैंने मुँह हटाते हुए उससे कहा कि अब पूरा डाल दूं?
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उसने मेरी तरफ देखते हुए एक लम्बी सांस ली और कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मार ही दिया यार … पूरा डाल दूं से क्या मतलब है … क्या अभी बाकी है?
मैंने कहा- हां जानेमन, अभी आधा ही अन्दर गया है.
वो बोली- प्लीज़ अब मत डालना … अब मैं चीख को रोक नहीं पाऊंगी. मेरी आवाज को सुन कर कोई भी आ सकता है.
मैं अपने उतने ही लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. वो भी नार्मल होने लगी. उसके मुँह से फिर से ‘ऊउन्ह … आआहह … उई … करो ना थोड़ा तेज..’ निकलने लगी.
उसकी मदमस्त आहें सुनकर मैंने फिर से एक जोर का झटका लगा दिया. इस बार के तगड़े झटके में मैंने पूरा ही लंड स्मायरा की चूत में डाल दिया था. मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड किसी चीज में फंस गया हो. मुझे भी बहुत मजा आ रहा था.
उसकी आह निकलने को हुई, लेकिन मैं पहले ही सजग था. मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबा रखा था.
फिर मैंने अपने धक्कों की स्पीड धीरे धीरे तेज कर दी. स्मायरा भी मेरा साथ देने लगी. वो अपने चूतड़ों को नीचे से उछाल रही थी और ‘आआह … ऊऊऊ..’ किए जा रही थी. वो साथ में ये भी बोल रही थी कि सच में आज मुझे सेक्स का सही आनन्द मिला है. ना उस साले कुत्ते ब्वॉयफ्रेंड ने कभी मजा दिया, ना दीपक ने दिया.
ये बोलते हुए स्मायरा अपने चूतड़ों को लंड के झटके की लय से लय मिलाते हुए उछाल रही थी. मैं ऊपर से शॉट पर शॉट मारे जा रहा था और साथ ही उसके एक निप्पल को अपने एक हाथ की दो उंगलियों से मसल रहा था.
वो ‘उई … मांम्म्म … जोर से करो … आह … बहुत मजा आ रहा है … आआहह … उईई..’ किए जा रही थी.
फिर मैंने पोज बदला. अब मैं नीचे और उसको अपने ऊपर ले लिया. स्मायरा मेरे लंड के ऊपर आकर उछाल मारते हुए चुद रही थी. उसके मदमस्त मम्मे मुझे उत्तेजना के शिखर पर ले जा रहे थे.
तभी वो मुझे अपना एक दूध चुसाने लगी. दूध चूसने से और चूत में लंड लेने से वो खुद को रोक नहीं पाई और फिर से झड़ने के करीब हो गई. इस बीच में वो दो बार झड़ चुकी थी. अब मैं भी झड़ने वाला हो गया था.
मैंने स्मायरा को बोला- जान, मैं झड़ने वाला हूँ … और कंडोम लगाना तो भूल ही गए.
वो बोली- कोई बात नहीं, मेरा फिर से होने वाला है … साथ साथ ही होंगे. आप अन्दर ही छोड़ दो.
ये बोलते हुए वो मेरे लंड की सवारी कर रही थी. कोई 45 मिनट तक हमारा प्रोग्राम चला था. इसके बाद हम दोनों साथ साथ झड़ गए थे. वो मेरे ऊपर बेसुध होकर गिर गयी.
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उसके बाद हम दोनों नंगे ही एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे. हमें कब नींद आयी, पता ही नहीं चला.
सुबह जब उसकी भाभी आवाजें लगा रही थी ‘स्मायरा स्मायरा …’
तब उनकी आवाज सुनकर मेरी एकदम से आंख खुली.
मैंने स्मायरा को उठाया और बोला- यार मर गए.
अपनी भाभी की आवाज सुन कर स्मायरा के चेहरे का भी रंग उड़ गया.
फिर मैं उठ कर बाहर गया, तो भाभी नीचे से मेरी तरफ शक की निगाहों से देख रही थीं.
मैंने भाभी को गुड मॉर्निंग किया. उन्होंने भी जवाब दिया.
मैंने पूछा- भैया और अंकल हॉस्पिटल से आ गए क्या?
भाभी बोली- नहीं अभी तक नहीं आए.
मैंने पूछा- स्मायरा जी उठ गईं क्या?
भाभी बोली- उसको ही तो देख रही हूँ … पता नहीं कहां गई है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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ये बोल कर वो हवेली की दूसरी साइड देखने चली गईं. मैंने स्मायरा को हाथ का इशारा किया और रूम से निकल कर जाने को बोला. वो चुपचाप दबे पांव निकल कर अपने रूम में जाकर अपने बेटे के पास सो गयी.
इस तरह जब तक हम दोनों जोधपुर रुके, तब तक रोज रात को यही होता रहा. तीन दिन बाद हम दोनों जयपुर आ गए. उसके बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था, हम सेक्स कर लेते थे.
स्मायरा के साथ ये सिलसिला दो साल चला. उसके बाद वो बेंगलौर चली गयी. कुछ टाइम तो हमारी फ़ोन से बातें होती रहीं, फिर अचानक उसका फोन आना ही बन्द हो गया. अब तो उसका नम्बर भी ऑफ आता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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