19-10-2019, 10:52 PM
इतना कह करके उसने एक मोमबत्ती जला दीजिए इसके बाद उसने आगे बोलना शुरू किया - मैडम पर बुरा ना माने तो मैं आपका नाम पूछ सकता हूं
रीमा धीरे से बोली - रीमा |
रीमा - तुमारा नाम क्या है |
जितेश - जितेश कहते है इस गुलाम को, वैसे सूर्यदेव आपके पीछे क्यों पड़ा है | क्या दुश्मनी है आपसे उसकी |
रीमा - पता नहीं, बस मेरी ख़राब किस्मत मुझे यहाँ ले आई है और कुछ नहीं, दो दिन पहले तक मै इस शख्स को जानती तक नहीं थी |
इतना कहकर रीमा सिबुकने लगी |
जितेश - अरे मैडम रोइए मत, मुझे बुरा लग रहा है |
रीमा ने मुहँ फेर लिया लेकिन उसकी आँखों की धारा नहीं रुकी | जितेश पास आया रीमा के गाल पर लुढ़क आये आंसू पोछने लगा | आंसू पोछते पोछते कब रीमा के अनिर्वचीय सौन्दर्य में खो गया उसे भी पता नहीं चला | जितेश के पास आने से उसका सहारा लेकर रीमा उठकर बैठ गयी | उसकी चादर उसके बदन पर से खिसक गयी | जितेश की आंखे जो अभी रीमा की आँखों और चेहरे के सौन्दर्य का रस पान कर रही थी |
अब रीमा की गर्दन के नीचे उसके प्राकृतिक गुलाबी गोरे बदन को निहारने लगी | इस हालत में भी रीमा के बदन की चमक और खूबसूरती बरकरार थी | वही चमकता दमकता बदन | वही उठे सुडौल ठोस स्तन और उसकी उन्नत ऊँचाइयों की नुकीली चोटियाँ, चाहे जितना जीभर करके देखो लेकिन जी नहीं भरेगा | सुडौलता सुन्दरता का पैमाना थे रीमा की उन्नत उठे हुए स्तन | कौन स्त्री अपने भरे हुए सीने के हुस्न में खोये हुए मर्द को देखकर अन्दर ही अन्दर आनंदित नहीं होती | रीमा का दुःख और आंसू पीछे रह गए | वो अपने बेमिशाल हुस्न को देखकर चकाचौंध हुई जितेश की जितेश की आँखों को देखने लगी | सच क्या मांसल ठोस तने हुए उरोज थे रीमा के, जितेश का मन किया बस बच्चा बन जाये और सारी दुनिया को भूल अपने ओंठो से रीमा के हुस्न के रस को उसकी उन्नत नुकीली पहाड़ियों की चोटियों से बस पीता रहे पीता रहे | उसका मन था बस रीमा के मांसल उरोजो को हाथ में भरकर उनकी मालिश करने लगे और उसकी चोटियों की किसमिस को अपनी सख्त उंगलियों से मसल डाले | लेकिन न वक्त ऐसा था न माहौल, रीमा का जैसे ही अपने कमर में हलके दर्द का अहसास हुआ उसका बहकता मन हकीकत में लौट आया और उसके रुक गए आंसू ने फिर धार पकड़ ली |
जितेश को लगा रीमा की दुखती रग छेड़ दी | जैसे वो रीमा के हुस्न में खो गया था उसी तरह झटके से बाहर आया | उसको पता चल गया था उसके जांघो के बीच में कुछ हरकत होने लगी थी इससे पहले कुछ भी ऐसा हो जो उसे रीमा के सामने असहज कर दे वो खुद ही रीमा से दूर हो गया | जितेश - मैडम अब आप सेफ है तो रोना धोना छोड़िये | मै खाना ले आया हूँ, बस नहा लू फिर मिलकर खाते है |
इतना कहकर उसने कपड़े उतारे और चड्ढी पहन बाथरूम की तरफ जाने को तौलिया उठाने चला | चड्ढी के उभार पर नजर पड़ते ही सिसकती रीमा के मुहँ से एक ठंडी आह निकल गयी | मन में बस एक ही तस्वीर उभर गयी | ये तो रोहित के लंड की तरह तगड़ा मोटा है | जब मुरझाया लंड इतना मोटा तगड़ा है तो खड़ा होने पर तो चूत के लिए कहर बन जाता होगा | रीमा की नजरे कुछ देर उसकी चड्ढी पर अटकी रही फिर उसने नजर हटा ली | वो अपने आंसू पोंछ खुद को संयमित करने लगी | वो नहीं चाहती थी की जितेश को ये पता चले की वो कहाँ देख रही है और उसको शर्मिंदा होना पड़े | जितेश को भी लगा शायद उसकी चड्ढी उसकी अन्दर उठे उफान की चुगली कर रही तो उसके झट से तौलिया लपेट ली | इतना कहकर वो बाथरूम में घुस गया |
बाथरूम से जितेश - मैडम तो बताइए न अपने बारे में, वो कहते है न बाटने से दुःख बटता है |
रीमा अपनी पलकों की नमी पोछती हुई - अपनी कहानी बताने लगी | कैसे ऑफिस से कुछ लोगो ने उसे किडनैप किया फिर एक जंगल में उसे बांधकर रखा | कैसे जग्गू और उसके चमचो का लंड चूसकर उसने खुद को आजाद कराने की कोशिश की | फिर किसी ने उसे फिर से किडनैप कर लिया और जब आँख खोली तो एक गोदाम में पाया | फिर वहां से गार्ड को कैसे रिझाकर पटाकर, उसका लंड चूसकर, उसका लंड अपनी गांड में लेकर कैसे वहां से भागी |
जितेश - तो अब समझ में आया सूर्यदेव आपके पीछे क्यों पड़ा है |
जितेश रीमा के गुलाबी जिस्म के बारे में सोचते हुए अपने लंड को सहलाते हुए बोला - मानना पड़ेगा बहुत बोल्ड और हिम्मतवाली है मैडम | काफी खुले दिमाग की मालकिन है ..................चलती फिरती सेक्स गॉडेस, किसी भी तरह का सेक्वस आपके लिए वर्जित नहीं वरना कौन ऐसे किसी अनजाने लंड को पिछवाड़ा देना बहुत हिम्मत का काम है |
रीमा - लोग तो आजादी के लिए जान दांव पर लगा देते है, मैंने भी वही किया जो सही लगा | चूत का वादा किया था लेकिन सिर्फ आजादी की कीमत पर ............................क्या करती मै उस समय, प्रोटेक्शन नहीं था, तो चूत का सवाल ही नहीं था इसलिए मैंने कहाँ पीछे कर लो |
अन्दर बाथरूम में जितेश अपना लंड को कसकर मसलता रगड़ता हुआ बोला - पीछे तो काफी तकलीफ होती होगी |
रीमा - एक बार जब हवस की गर्मी चढ़ जाती है बदन पर .................फिर क्या तकलीफ क्या दर्द |
तभी रीमा को अहसास हुआ कहाँ वो अपनी कहानी सुनाते सुनाते लंड चूत की बातो तक पंहुच गयी | उसे लगा कुछ जितेश के बारे में भी जानना चाहिए |
रीमा - मैंने तो अपनी कहानी सुना दी तुम भी बतावो अपने बारे में |
जितेश हकीकत में लौटा और अपने तन रहे लंड पर ठंडा पानी डालता हुआ बोला - क्या जानना चाहती है मेरे बारे |
रीमा - सब कुछ, जैसे मैंने तुम्हे अपने बारे में सब कुछ बता दिया वैसे ही सब कुछ बतावो |
जितेश - सब बताऊंगा मैडम लेकिन अभी मेरे दिमाग में कुछ सवाल है |
रीमा - पुछो |
जितेश - सूर्यदेव आपके पीछे क्यों पड़ा है, कोई तो कारण होगा |
रीमा मायूसी से - सूर्य देव को लगता है कि जग्गू को मैंने मारा है इसलिए वह जग्गू के बाप के विलास के सामने मुझे पेश करके अपनी गर्दन बचाना चाहता है विलास के साथ जग्गू की दुश्मनी तो तुम्हें पता ही होगी|
जितेश - जग्गू विलास का बेटा ही है |
रीमा - था |
जितेश - तो सूर्यदेव को लगता है की तुमने जग्गू को मारा है और जब वो तुम्हे विलास को सौंप देगा तो विलास उसकी जान बक्श देगा |
रीमा चुप रही |
जितेश - फिर तो आप बुरा फंसी है मैडम |
जितेश - विलास ना केवल बड़ा गुंडा रह चूका है बल्कि उसका राजनैतिक रसूख भी बहुत है ऐसे में वो अपने बेटे की मौत का बदला लेने के लिए कोई कोर कसर बाकि नहीं छोड़ेगा | आप तो बड़े बड़े माफिया लोगो के गैंगवार में फंस गयी है |
रीमा बोली - मेरी फूटी किस्मत ही ऐसी है |
जितेश - कोई बात नहीं आप यहाँ पूरी तरह से सुरक्षित हैं आपको चोट लगी है तो आप आराम करो ......दवाइयों खाने के बाद अब आपको दर्द तो नहीं हो रहा |
जितेश बाथरूम से बाहर आ गया था | उसके बदन पर एक पतला तौलिया लपेटा था | पूरा बदन पानी से गीला था | उसने कसकर कमर में तौलिया लपेट रखी थी | उसका लंड अभी ठीक से मुरझाया नहीं था इसलिए उसके लंड का उभार और साइज़ दोनों उस तौलिये से नुमाया हो रहे थे |
रीमा की नजर जितेश के बदन पर पड़ी | क्या मर्दों वाली ठोस बॉडी थी | हट्टा कट्टा गबरू जवान | चौड़ा सीना मजबूत कंधे और सपाट पेट | हाथो के मसल्उस देखकर लगता है जैसे रोज कसरत करता हो | उसकी तौलिये के उठान को देखकर लग रहा था जितेश न केवल बदन से असली मर्द है बल्कि उसकी मर्दानगी नीचे भी उतनी ही है | रीमा ने असल में जितेश का लंड नहीं देखा था लेकिन पहले चड्डी और अब तौलिये से बने उभारो से अंदाजा लगा रही थी | रीमा के दिमाग में रोहित और अनिल के मुसल लंड तैर गए | मन ही मन में उसने सोचा - ये तो रोहित से भी उन्नीस है | मुझे तो लग रहा था जीजा जी के मुसल लंड जैसा लंड और किसी का हो ही नहीं सकता लेकिन ये तो जीजा जी और रोहित दोनों को टक्कर दे रहा है | हाय मै तो मर जाउंगी | अगले ही पल रीमा ये क्या सोच रही है......................क्या पूरी की पूरी रंडी बनकर ही दम लेगी | हर जगह तुझे बस लंड ही नजर आते है | दिमाग और अपनी हवस की लालसा को काबू में रख | रीमा जब फैक्ट्री से भागी थी तो वो अतृप्त थी और उसके अन्दर वही आग लगी हुई थी | वोखुद को कोस रही थी, कैसा मुया बदन है , सर फूटने से बचा है हड्डियाँ टूटने से बची है और इसको है बस चुदास चढ़ी हुई है | हाय मै क्या करू जितेश को देखकर मेरी चूत पनिया गयी है तो इसमें मेरी क्या गलती | सारी गलती तेरी ही है , तुझे उसकी इंसानियत नहीं दिखती मुई | बस उसका लंड नजर आ रहा है | वो सीधा शरीफ इंसान है यहाँ कुछ मत करना रीमा | मेरा मन मेरे काबू में नहीं है | उस गार्ड से गांड फड़वा की जी नहीं भरा अभी जो रंडापा करना बाकि है | रीमा के अन्दर तूफ़ान मच गया | रीमा बस उसके भीगे और बलिष्ट बदन को एकटक देखते हुए विचारो में खोयी थी |
जितेश रीमा की तन्द्रा तोड़ता हुआ - मैंने पुछा आपका दर्द कैसा है |
ऐसा लगा जैसे किसी ने खुली आँखों से सोते रीमा को जगाया हो |
रीमा अपनी दिमाग के भावो को सोचकर झेंप गयी | कही जितेश ने उसकी वासना का अंदाजा भी लगा लिया तो कितनी शर्म आएगी उसे | रीमा ने खुद को संभाला |
रीमा - अब पहले से बहुत बेहतर है दर्द काफी हद तक कम हो गया है और कमर भी अब नहीं दुख रही है तुमने मेरी जान बचाई इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया |
जितेश - मैडम इसमें शुक्रिया की कौन सी बात है यह दुनिया में एक हाथ से ले दूसरे हाथ से दे, मैंने आपकी जान बचाई है आप मेरे लिए कुछ ना कुछ बदले में कर देना हिसाब बराबर हो जाएगा |
रीमा ने उसे शंका की नजर से देखा वह समझ नहीं पाई कि उसका क्या कहने का क्या मतलब है थे इसलिए वह उसके बातों को समझने की नहीं मैंने कोशिश करने लगी | हालाँकि उसका दिमाग बस चुदाई तक ही सोच पाया | उसे लगा जितेश उसकी जान बचाने के बदले उसको चोदने का ख्वाइस मंद है |
जितेश - मैडम ग्यारह बज गए है खाना खाया जाये |
रीमा - मुझे फ्रेश होना है | बहुत धुल मिट्टी लगी है बदन पर |
जितेश - तब भी तो बिलकुल हुस्न परी लग रही हो |
रीमा - तुम सब मर्द एक जैसे होते हो, चिकनी चुपड़ी बाते करवा लो, .............. बाते न बनावो, मुझे बाथरूम जाना है |
जितेश मुस्कुराता हुआ - रीमा को उठाने आ गया | उसने रीमा को एक शर्ट पहनाई | औरत का नंगा बदन देख कर अन्दर की हवस कब उसके दिलो दिमाग को कब्जे में ले ले | कुछ पता नहीं इसलिए उसने रीमा को अपनी एक शर्ट से ढक दिया | हालाँकि कमर के नीचे वो पूरी तरह नंगी थी | शर्ट की लम्बाई रीमा के चुताड़ो को ढके ले रही थी | रीमा जितेश की आँखों में देखती रही फिर मुहँ फेर लिया | जितेश भी रीमा की आँखों में छिपी गहराई में गोते लगाकर कुछ खोजने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे कुछ मिला नहीं | इस हालत में रीमा से कुछ अपेक्षा करना भी मानवता के हिसाब से गलत था | औरत का बदन भी तो हांड मांस का | उसे भी दर्द होता है तकलीफ होती है बीमारी होती है | औरत का दिल जीतना हो तो उसका ख्याल रखो ये बात तो वो अरसे पहले सीख गया था | उसे खुद को काबू करना आता था | रीमा ने उसके बदन में औरत की लालसा जगा दी नहीं तो वो तो इन सब के बारे में भूल ही गया था |
रीमा काफी हद तक ठीक थी, इसलिए उसने जितेश का सहारा नहीं लिया | शायद अन्दर एक ग्लानी थी कही वो कुछ गलत न समझ ले | हालाँकि उसके मन में सब कुछ उल्टा पुल्टा ही चल रहा था | वो बिना किसी सहारे के अपने पैरो पर चलकर बाथरूम तक गयी |
जितेश खुद के गीले बालो को पोछने लगा |
बाथरूम के अन्दर से कुछ देर बाद रीमा बोली - तुमने अपने बारे में कुछ नहीं बताया जितेश | तुम इस बस्ती के लगते तो नहीं हो |
जितेश - हां मैं यहां का नहीं हूं |
रीमा - फिर कहां के हो और तुम्हारी सूर्यदेव से क्या अनबन है
जितेश - मैं एक रिटायर्ड फौजी हूं |
रीमा हैरानी से - एक फौजी अपराध की दुनिया की इस बस्ती में क्या कर रहा है |
जितेश बोला - एक कहानी बहुत लंबी है कभी मैं भी सूर्यदेव के लिए काम करता था फिर एक बार एक काम को लेकर के झगड़ा हो गया और तब से हमारी राहें अलग हैं |
रीमा - रीमा तुम क्या काम करते थे सूर्यदेव जैसे गुंडे के लिए |
जितेश - मै एक कॉन्ट्रैक्ट किलर हूं मैडम मैं कांटेक्ट पर सूर्यदेव के लिए लोगों को मारता था फिर एक बार उसने एक 12 साल की लड़की का मारने का ठेका दिया मैंने मना कर दिया, हालाँकि मैंने उसके पैसे भी नहीं लौटाए | तभी से सूर्यदेव और हमारे बीच में 36 का आंकड़ा चल रहा है मैं बच्चों को नहीं मार सकता ना ही मैं औरतों को मार सकता हूं | इसी बात को लेकर के सूर्यदेव भड़क गया था उसके लिए वह बिजनेस में कुछ इंपॉर्टेंट होगा लेकिन मैं किसी 12 साल की बच्ची का खून कैसे कर सकता हूं |
रीमाँ - तुम अभी भी ये काम करते हो |
जितेश - उसके बाद से मैं इस शहर के सिक्युरिटी वालों और दूसरे बड़े धन्ना सेठों के लिए खतरा बने लोगो को निपटाता हूँ |
रीमा यह सुनकर हैरान थी - तो तुम क्या अभी भी यही काम करते हो |
जितेश - हां काम तो अभी भी मैं यही कहता हूं लेकिन असल में यह मेरा काम नहीं था ना ही मैं यहां का हूं |
जितेश एक लम्बी ठंडी साँस लेकर - मै एक रिटायर्ड फौजी हूं या यूं कहिए कि जो एक ऐसा फौजी जिसे फ़ौज से निकाल दिया गया हो | रीमा - तो तुम्हें फ़ौज से क्यों निकाल दिया गया था
जितेश - लंबी कहानी है मैडम सुनाता हूं ....................मैं बहुत अच्छा फौजी था आर्मी में मै पैरा कमांडो था और बतौर स्नाइपर मेरी पोस्टिंग बॉर्डर पर हुई | वहां हम बॉर्डर पार की खबर के लिए लोकल लोगो से जासूसी करवाते थे |
हमारी बटालियन बदलती रहती है लेकिन लोकल वही के वही बने रहते है | अपने कामो से वो दोनों तरफ आते जाते रहते है | इसी का फायदा उठाकर हम उन्हें उधर की खबर लाने को कहते है बदले में उन्हें पैसा भी देते है और सुरक्षा का वादा भी |
जिस चौकी पर मेरी पोस्टिंग थी वही पास में एक गाँव था | वहां एक फिज़ा नाम की औरत रहती थी | उसके तीन बच्चे थे उसका पति उसे छोड़कर दुबई चला गया था | उसने वहाँ किसी और से शादी कर ली | फिजा के पास रोजी रोटी की समस्या आ खड़ी हुई तो उसने अपने आप को बेचना शुरू कर दिया | उसके चाल चलन को देख उसे गाँव से बाहर निकाल दिया गया | जब उसे गाँव से निकाला गया था उस समय बॉर्डर पर जो चौकी इंचार्ज थे उन्होंने उसे अपने छावनी के पास रहने के लिए एक छोटी सी जगह दे दी | बदले में फिजा ने अपना मस्त गदराया बदन उस इंचार्ज को सौप दिया | उसके बाद उसे बॉर्डर पार से खबरे लाने की ट्रेनिंग भी दी गयी | जाहिर सी बात है जो खबर एक आदमी जासूसी की दुनिया में बड़ी मुश्किल से निकाल पाता है वो एक औरत बस अपना ब्लाउज उतार कर निकाल लाती है | फिजा को तो चुदवाने में कोई हर्ज नहीं था | जल्द ही उसके गदराये बदन के हुस्न के कद्रदान उधर भी हो गए | उसके बाद फिजा ने एक से एक दुश्मन की खबरे हम तक पंहुचायी | फिजा के जलवे हो गए | फ़ौज से सीधा सोर्स होने से उसकी गाँव में भी धाक जम गयी | हालाँकि गाँव में सबको पता था ये एक नबर की रंडी है लेकिन अब फिजा के पास न केवल पॉवर थी बल्कि पैसा भी था | उसके बाद सैनिक बदलते रहे चौकी इन चार्ज भी बदलते रहे लेकिन फिजा का जलवा बरकारर रहा | उसकी चूत के दीवाने इंचार्ज से लेकर सैनिक तक सभी बने रहे और उसकी चूत सबके लिए उपलब्ध भी थी |
जब मेरी पोस्टिंग वहां हुई तो मेरा चौकी इंचार्ज संस्कारी ईमानदार और नियम का पक्का था | उसने फिजा के साथ फौजियों का उठना बैठाना बंद कर दिया | साथ ही फिजा को हिदायत दी अगर उसने किसी फौजी के सामने अपना जिस्म परोसा तो उसे मौत के घाट उतार दिया जायेगा | उसे सिर्फ खबरे लानी है और पैसे लेने है और घर लौट जाना है | फिजा को पैसे तभी मिलते जब्वो कोई मतलब की खबर लाती | फिजा अपने खर्चे बढ़ा चुकी थी | अब सैनिको से मिलने वाला चुदाई का पैसा बंद हो गया था | फिजा परेशान थी |
रीमा धीरे से बोली - रीमा |
रीमा - तुमारा नाम क्या है |
जितेश - जितेश कहते है इस गुलाम को, वैसे सूर्यदेव आपके पीछे क्यों पड़ा है | क्या दुश्मनी है आपसे उसकी |
रीमा - पता नहीं, बस मेरी ख़राब किस्मत मुझे यहाँ ले आई है और कुछ नहीं, दो दिन पहले तक मै इस शख्स को जानती तक नहीं थी |
इतना कहकर रीमा सिबुकने लगी |
जितेश - अरे मैडम रोइए मत, मुझे बुरा लग रहा है |
रीमा ने मुहँ फेर लिया लेकिन उसकी आँखों की धारा नहीं रुकी | जितेश पास आया रीमा के गाल पर लुढ़क आये आंसू पोछने लगा | आंसू पोछते पोछते कब रीमा के अनिर्वचीय सौन्दर्य में खो गया उसे भी पता नहीं चला | जितेश के पास आने से उसका सहारा लेकर रीमा उठकर बैठ गयी | उसकी चादर उसके बदन पर से खिसक गयी | जितेश की आंखे जो अभी रीमा की आँखों और चेहरे के सौन्दर्य का रस पान कर रही थी |
अब रीमा की गर्दन के नीचे उसके प्राकृतिक गुलाबी गोरे बदन को निहारने लगी | इस हालत में भी रीमा के बदन की चमक और खूबसूरती बरकरार थी | वही चमकता दमकता बदन | वही उठे सुडौल ठोस स्तन और उसकी उन्नत ऊँचाइयों की नुकीली चोटियाँ, चाहे जितना जीभर करके देखो लेकिन जी नहीं भरेगा | सुडौलता सुन्दरता का पैमाना थे रीमा की उन्नत उठे हुए स्तन | कौन स्त्री अपने भरे हुए सीने के हुस्न में खोये हुए मर्द को देखकर अन्दर ही अन्दर आनंदित नहीं होती | रीमा का दुःख और आंसू पीछे रह गए | वो अपने बेमिशाल हुस्न को देखकर चकाचौंध हुई जितेश की जितेश की आँखों को देखने लगी | सच क्या मांसल ठोस तने हुए उरोज थे रीमा के, जितेश का मन किया बस बच्चा बन जाये और सारी दुनिया को भूल अपने ओंठो से रीमा के हुस्न के रस को उसकी उन्नत नुकीली पहाड़ियों की चोटियों से बस पीता रहे पीता रहे | उसका मन था बस रीमा के मांसल उरोजो को हाथ में भरकर उनकी मालिश करने लगे और उसकी चोटियों की किसमिस को अपनी सख्त उंगलियों से मसल डाले | लेकिन न वक्त ऐसा था न माहौल, रीमा का जैसे ही अपने कमर में हलके दर्द का अहसास हुआ उसका बहकता मन हकीकत में लौट आया और उसके रुक गए आंसू ने फिर धार पकड़ ली |
जितेश को लगा रीमा की दुखती रग छेड़ दी | जैसे वो रीमा के हुस्न में खो गया था उसी तरह झटके से बाहर आया | उसको पता चल गया था उसके जांघो के बीच में कुछ हरकत होने लगी थी इससे पहले कुछ भी ऐसा हो जो उसे रीमा के सामने असहज कर दे वो खुद ही रीमा से दूर हो गया | जितेश - मैडम अब आप सेफ है तो रोना धोना छोड़िये | मै खाना ले आया हूँ, बस नहा लू फिर मिलकर खाते है |
इतना कहकर उसने कपड़े उतारे और चड्ढी पहन बाथरूम की तरफ जाने को तौलिया उठाने चला | चड्ढी के उभार पर नजर पड़ते ही सिसकती रीमा के मुहँ से एक ठंडी आह निकल गयी | मन में बस एक ही तस्वीर उभर गयी | ये तो रोहित के लंड की तरह तगड़ा मोटा है | जब मुरझाया लंड इतना मोटा तगड़ा है तो खड़ा होने पर तो चूत के लिए कहर बन जाता होगा | रीमा की नजरे कुछ देर उसकी चड्ढी पर अटकी रही फिर उसने नजर हटा ली | वो अपने आंसू पोंछ खुद को संयमित करने लगी | वो नहीं चाहती थी की जितेश को ये पता चले की वो कहाँ देख रही है और उसको शर्मिंदा होना पड़े | जितेश को भी लगा शायद उसकी चड्ढी उसकी अन्दर उठे उफान की चुगली कर रही तो उसके झट से तौलिया लपेट ली | इतना कहकर वो बाथरूम में घुस गया |
बाथरूम से जितेश - मैडम तो बताइए न अपने बारे में, वो कहते है न बाटने से दुःख बटता है |
रीमा अपनी पलकों की नमी पोछती हुई - अपनी कहानी बताने लगी | कैसे ऑफिस से कुछ लोगो ने उसे किडनैप किया फिर एक जंगल में उसे बांधकर रखा | कैसे जग्गू और उसके चमचो का लंड चूसकर उसने खुद को आजाद कराने की कोशिश की | फिर किसी ने उसे फिर से किडनैप कर लिया और जब आँख खोली तो एक गोदाम में पाया | फिर वहां से गार्ड को कैसे रिझाकर पटाकर, उसका लंड चूसकर, उसका लंड अपनी गांड में लेकर कैसे वहां से भागी |
जितेश - तो अब समझ में आया सूर्यदेव आपके पीछे क्यों पड़ा है |
जितेश रीमा के गुलाबी जिस्म के बारे में सोचते हुए अपने लंड को सहलाते हुए बोला - मानना पड़ेगा बहुत बोल्ड और हिम्मतवाली है मैडम | काफी खुले दिमाग की मालकिन है ..................चलती फिरती सेक्स गॉडेस, किसी भी तरह का सेक्वस आपके लिए वर्जित नहीं वरना कौन ऐसे किसी अनजाने लंड को पिछवाड़ा देना बहुत हिम्मत का काम है |
रीमा - लोग तो आजादी के लिए जान दांव पर लगा देते है, मैंने भी वही किया जो सही लगा | चूत का वादा किया था लेकिन सिर्फ आजादी की कीमत पर ............................क्या करती मै उस समय, प्रोटेक्शन नहीं था, तो चूत का सवाल ही नहीं था इसलिए मैंने कहाँ पीछे कर लो |
अन्दर बाथरूम में जितेश अपना लंड को कसकर मसलता रगड़ता हुआ बोला - पीछे तो काफी तकलीफ होती होगी |
रीमा - एक बार जब हवस की गर्मी चढ़ जाती है बदन पर .................फिर क्या तकलीफ क्या दर्द |
तभी रीमा को अहसास हुआ कहाँ वो अपनी कहानी सुनाते सुनाते लंड चूत की बातो तक पंहुच गयी | उसे लगा कुछ जितेश के बारे में भी जानना चाहिए |
रीमा - मैंने तो अपनी कहानी सुना दी तुम भी बतावो अपने बारे में |
जितेश हकीकत में लौटा और अपने तन रहे लंड पर ठंडा पानी डालता हुआ बोला - क्या जानना चाहती है मेरे बारे |
रीमा - सब कुछ, जैसे मैंने तुम्हे अपने बारे में सब कुछ बता दिया वैसे ही सब कुछ बतावो |
जितेश - सब बताऊंगा मैडम लेकिन अभी मेरे दिमाग में कुछ सवाल है |
रीमा - पुछो |
जितेश - सूर्यदेव आपके पीछे क्यों पड़ा है, कोई तो कारण होगा |
रीमा मायूसी से - सूर्य देव को लगता है कि जग्गू को मैंने मारा है इसलिए वह जग्गू के बाप के विलास के सामने मुझे पेश करके अपनी गर्दन बचाना चाहता है विलास के साथ जग्गू की दुश्मनी तो तुम्हें पता ही होगी|
जितेश - जग्गू विलास का बेटा ही है |
रीमा - था |
जितेश - तो सूर्यदेव को लगता है की तुमने जग्गू को मारा है और जब वो तुम्हे विलास को सौंप देगा तो विलास उसकी जान बक्श देगा |
रीमा चुप रही |
जितेश - फिर तो आप बुरा फंसी है मैडम |
जितेश - विलास ना केवल बड़ा गुंडा रह चूका है बल्कि उसका राजनैतिक रसूख भी बहुत है ऐसे में वो अपने बेटे की मौत का बदला लेने के लिए कोई कोर कसर बाकि नहीं छोड़ेगा | आप तो बड़े बड़े माफिया लोगो के गैंगवार में फंस गयी है |
रीमा बोली - मेरी फूटी किस्मत ही ऐसी है |
जितेश - कोई बात नहीं आप यहाँ पूरी तरह से सुरक्षित हैं आपको चोट लगी है तो आप आराम करो ......दवाइयों खाने के बाद अब आपको दर्द तो नहीं हो रहा |
जितेश बाथरूम से बाहर आ गया था | उसके बदन पर एक पतला तौलिया लपेटा था | पूरा बदन पानी से गीला था | उसने कसकर कमर में तौलिया लपेट रखी थी | उसका लंड अभी ठीक से मुरझाया नहीं था इसलिए उसके लंड का उभार और साइज़ दोनों उस तौलिये से नुमाया हो रहे थे |
रीमा की नजर जितेश के बदन पर पड़ी | क्या मर्दों वाली ठोस बॉडी थी | हट्टा कट्टा गबरू जवान | चौड़ा सीना मजबूत कंधे और सपाट पेट | हाथो के मसल्उस देखकर लगता है जैसे रोज कसरत करता हो | उसकी तौलिये के उठान को देखकर लग रहा था जितेश न केवल बदन से असली मर्द है बल्कि उसकी मर्दानगी नीचे भी उतनी ही है | रीमा ने असल में जितेश का लंड नहीं देखा था लेकिन पहले चड्डी और अब तौलिये से बने उभारो से अंदाजा लगा रही थी | रीमा के दिमाग में रोहित और अनिल के मुसल लंड तैर गए | मन ही मन में उसने सोचा - ये तो रोहित से भी उन्नीस है | मुझे तो लग रहा था जीजा जी के मुसल लंड जैसा लंड और किसी का हो ही नहीं सकता लेकिन ये तो जीजा जी और रोहित दोनों को टक्कर दे रहा है | हाय मै तो मर जाउंगी | अगले ही पल रीमा ये क्या सोच रही है......................क्या पूरी की पूरी रंडी बनकर ही दम लेगी | हर जगह तुझे बस लंड ही नजर आते है | दिमाग और अपनी हवस की लालसा को काबू में रख | रीमा जब फैक्ट्री से भागी थी तो वो अतृप्त थी और उसके अन्दर वही आग लगी हुई थी | वोखुद को कोस रही थी, कैसा मुया बदन है , सर फूटने से बचा है हड्डियाँ टूटने से बची है और इसको है बस चुदास चढ़ी हुई है | हाय मै क्या करू जितेश को देखकर मेरी चूत पनिया गयी है तो इसमें मेरी क्या गलती | सारी गलती तेरी ही है , तुझे उसकी इंसानियत नहीं दिखती मुई | बस उसका लंड नजर आ रहा है | वो सीधा शरीफ इंसान है यहाँ कुछ मत करना रीमा | मेरा मन मेरे काबू में नहीं है | उस गार्ड से गांड फड़वा की जी नहीं भरा अभी जो रंडापा करना बाकि है | रीमा के अन्दर तूफ़ान मच गया | रीमा बस उसके भीगे और बलिष्ट बदन को एकटक देखते हुए विचारो में खोयी थी |
जितेश रीमा की तन्द्रा तोड़ता हुआ - मैंने पुछा आपका दर्द कैसा है |
ऐसा लगा जैसे किसी ने खुली आँखों से सोते रीमा को जगाया हो |
रीमा अपनी दिमाग के भावो को सोचकर झेंप गयी | कही जितेश ने उसकी वासना का अंदाजा भी लगा लिया तो कितनी शर्म आएगी उसे | रीमा ने खुद को संभाला |
रीमा - अब पहले से बहुत बेहतर है दर्द काफी हद तक कम हो गया है और कमर भी अब नहीं दुख रही है तुमने मेरी जान बचाई इसके लिए बहुत-बहुत शुक्रिया |
जितेश - मैडम इसमें शुक्रिया की कौन सी बात है यह दुनिया में एक हाथ से ले दूसरे हाथ से दे, मैंने आपकी जान बचाई है आप मेरे लिए कुछ ना कुछ बदले में कर देना हिसाब बराबर हो जाएगा |
रीमा ने उसे शंका की नजर से देखा वह समझ नहीं पाई कि उसका क्या कहने का क्या मतलब है थे इसलिए वह उसके बातों को समझने की नहीं मैंने कोशिश करने लगी | हालाँकि उसका दिमाग बस चुदाई तक ही सोच पाया | उसे लगा जितेश उसकी जान बचाने के बदले उसको चोदने का ख्वाइस मंद है |
जितेश - मैडम ग्यारह बज गए है खाना खाया जाये |
रीमा - मुझे फ्रेश होना है | बहुत धुल मिट्टी लगी है बदन पर |
जितेश - तब भी तो बिलकुल हुस्न परी लग रही हो |
रीमा - तुम सब मर्द एक जैसे होते हो, चिकनी चुपड़ी बाते करवा लो, .............. बाते न बनावो, मुझे बाथरूम जाना है |
जितेश मुस्कुराता हुआ - रीमा को उठाने आ गया | उसने रीमा को एक शर्ट पहनाई | औरत का नंगा बदन देख कर अन्दर की हवस कब उसके दिलो दिमाग को कब्जे में ले ले | कुछ पता नहीं इसलिए उसने रीमा को अपनी एक शर्ट से ढक दिया | हालाँकि कमर के नीचे वो पूरी तरह नंगी थी | शर्ट की लम्बाई रीमा के चुताड़ो को ढके ले रही थी | रीमा जितेश की आँखों में देखती रही फिर मुहँ फेर लिया | जितेश भी रीमा की आँखों में छिपी गहराई में गोते लगाकर कुछ खोजने की कोशिश कर रहा था लेकिन उसे कुछ मिला नहीं | इस हालत में रीमा से कुछ अपेक्षा करना भी मानवता के हिसाब से गलत था | औरत का बदन भी तो हांड मांस का | उसे भी दर्द होता है तकलीफ होती है बीमारी होती है | औरत का दिल जीतना हो तो उसका ख्याल रखो ये बात तो वो अरसे पहले सीख गया था | उसे खुद को काबू करना आता था | रीमा ने उसके बदन में औरत की लालसा जगा दी नहीं तो वो तो इन सब के बारे में भूल ही गया था |
रीमा काफी हद तक ठीक थी, इसलिए उसने जितेश का सहारा नहीं लिया | शायद अन्दर एक ग्लानी थी कही वो कुछ गलत न समझ ले | हालाँकि उसके मन में सब कुछ उल्टा पुल्टा ही चल रहा था | वो बिना किसी सहारे के अपने पैरो पर चलकर बाथरूम तक गयी |
जितेश खुद के गीले बालो को पोछने लगा |
बाथरूम के अन्दर से कुछ देर बाद रीमा बोली - तुमने अपने बारे में कुछ नहीं बताया जितेश | तुम इस बस्ती के लगते तो नहीं हो |
जितेश - हां मैं यहां का नहीं हूं |
रीमा - फिर कहां के हो और तुम्हारी सूर्यदेव से क्या अनबन है
जितेश - मैं एक रिटायर्ड फौजी हूं |
रीमा हैरानी से - एक फौजी अपराध की दुनिया की इस बस्ती में क्या कर रहा है |
जितेश बोला - एक कहानी बहुत लंबी है कभी मैं भी सूर्यदेव के लिए काम करता था फिर एक बार एक काम को लेकर के झगड़ा हो गया और तब से हमारी राहें अलग हैं |
रीमा - रीमा तुम क्या काम करते थे सूर्यदेव जैसे गुंडे के लिए |
जितेश - मै एक कॉन्ट्रैक्ट किलर हूं मैडम मैं कांटेक्ट पर सूर्यदेव के लिए लोगों को मारता था फिर एक बार उसने एक 12 साल की लड़की का मारने का ठेका दिया मैंने मना कर दिया, हालाँकि मैंने उसके पैसे भी नहीं लौटाए | तभी से सूर्यदेव और हमारे बीच में 36 का आंकड़ा चल रहा है मैं बच्चों को नहीं मार सकता ना ही मैं औरतों को मार सकता हूं | इसी बात को लेकर के सूर्यदेव भड़क गया था उसके लिए वह बिजनेस में कुछ इंपॉर्टेंट होगा लेकिन मैं किसी 12 साल की बच्ची का खून कैसे कर सकता हूं |
रीमाँ - तुम अभी भी ये काम करते हो |
जितेश - उसके बाद से मैं इस शहर के सिक्युरिटी वालों और दूसरे बड़े धन्ना सेठों के लिए खतरा बने लोगो को निपटाता हूँ |
रीमा यह सुनकर हैरान थी - तो तुम क्या अभी भी यही काम करते हो |
जितेश - हां काम तो अभी भी मैं यही कहता हूं लेकिन असल में यह मेरा काम नहीं था ना ही मैं यहां का हूं |
जितेश एक लम्बी ठंडी साँस लेकर - मै एक रिटायर्ड फौजी हूं या यूं कहिए कि जो एक ऐसा फौजी जिसे फ़ौज से निकाल दिया गया हो | रीमा - तो तुम्हें फ़ौज से क्यों निकाल दिया गया था
जितेश - लंबी कहानी है मैडम सुनाता हूं ....................मैं बहुत अच्छा फौजी था आर्मी में मै पैरा कमांडो था और बतौर स्नाइपर मेरी पोस्टिंग बॉर्डर पर हुई | वहां हम बॉर्डर पार की खबर के लिए लोकल लोगो से जासूसी करवाते थे |
हमारी बटालियन बदलती रहती है लेकिन लोकल वही के वही बने रहते है | अपने कामो से वो दोनों तरफ आते जाते रहते है | इसी का फायदा उठाकर हम उन्हें उधर की खबर लाने को कहते है बदले में उन्हें पैसा भी देते है और सुरक्षा का वादा भी |
जिस चौकी पर मेरी पोस्टिंग थी वही पास में एक गाँव था | वहां एक फिज़ा नाम की औरत रहती थी | उसके तीन बच्चे थे उसका पति उसे छोड़कर दुबई चला गया था | उसने वहाँ किसी और से शादी कर ली | फिजा के पास रोजी रोटी की समस्या आ खड़ी हुई तो उसने अपने आप को बेचना शुरू कर दिया | उसके चाल चलन को देख उसे गाँव से बाहर निकाल दिया गया | जब उसे गाँव से निकाला गया था उस समय बॉर्डर पर जो चौकी इंचार्ज थे उन्होंने उसे अपने छावनी के पास रहने के लिए एक छोटी सी जगह दे दी | बदले में फिजा ने अपना मस्त गदराया बदन उस इंचार्ज को सौप दिया | उसके बाद उसे बॉर्डर पार से खबरे लाने की ट्रेनिंग भी दी गयी | जाहिर सी बात है जो खबर एक आदमी जासूसी की दुनिया में बड़ी मुश्किल से निकाल पाता है वो एक औरत बस अपना ब्लाउज उतार कर निकाल लाती है | फिजा को तो चुदवाने में कोई हर्ज नहीं था | जल्द ही उसके गदराये बदन के हुस्न के कद्रदान उधर भी हो गए | उसके बाद फिजा ने एक से एक दुश्मन की खबरे हम तक पंहुचायी | फिजा के जलवे हो गए | फ़ौज से सीधा सोर्स होने से उसकी गाँव में भी धाक जम गयी | हालाँकि गाँव में सबको पता था ये एक नबर की रंडी है लेकिन अब फिजा के पास न केवल पॉवर थी बल्कि पैसा भी था | उसके बाद सैनिक बदलते रहे चौकी इन चार्ज भी बदलते रहे लेकिन फिजा का जलवा बरकारर रहा | उसकी चूत के दीवाने इंचार्ज से लेकर सैनिक तक सभी बने रहे और उसकी चूत सबके लिए उपलब्ध भी थी |
जब मेरी पोस्टिंग वहां हुई तो मेरा चौकी इंचार्ज संस्कारी ईमानदार और नियम का पक्का था | उसने फिजा के साथ फौजियों का उठना बैठाना बंद कर दिया | साथ ही फिजा को हिदायत दी अगर उसने किसी फौजी के सामने अपना जिस्म परोसा तो उसे मौत के घाट उतार दिया जायेगा | उसे सिर्फ खबरे लानी है और पैसे लेने है और घर लौट जाना है | फिजा को पैसे तभी मिलते जब्वो कोई मतलब की खबर लाती | फिजा अपने खर्चे बढ़ा चुकी थी | अब सैनिको से मिलने वाला चुदाई का पैसा बंद हो गया था | फिजा परेशान थी |