Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
NOTE : ये स्टोरी मैंने बहुत साल पहले xossip में पढ़ा था आज इससे रिपोस्ट कर रहा हु सारा क्रेडिट सुथार को जाता है
मेरी बीवी की होली से बात बढ़ी आगे-1
अब उस रात के बाद, या इस होली के बाद मेरा और सोनिया का सोचने का तरीका बदल जायेगा. सुबह सोनिया का मुड अच्छा दिख रहा था. उसने वाही रात वाली स्किर्ट और टॉप पहनी थी और हलके हलके एक गाना गुन गुना रही थी. मैं सोच रहा था यार काश जो रात को हुआ वो मेरे सामने होता! फिर ये भी सोचा की सामने होता तो मैं क्या करता?
इतने में सोनिया चाय लेकर आ गयी.
‘ आप भी न कल शाम से बेहोश हो तो अब उठे हो. लो चाय पियो.’ वो अपनी चाय भी लेके मेरे ही साथ बेड पर बैठ गयी. उसके टॉप में से मम्मों को आधा हिस्सा दिख रहा था. मम्मों पर हलकी सा गुलाबीपन रात की बात बता रहा था. मैंने कल की होली की बात को फिर ताज़ा करना चाहा.
‘कैसी लगी होली.’ मैंने हलके में पूछा.
‘तुमने तो मुझे फंसा दिया. अरे घर में कोई आये तो पहले से बताना चाहिए न ! अचानक तीन लोग आ गए और तुम भी न जब पी लेते हो तो होश नहीं रहता.’ सोनिया के सादगी भरे जवाब से मैं दंग था. जैसे कुछ हुआ ही नहीं ! मैंने थोड़ा और कुरेदने की सोची.
‘क्यों कुछ खास बात हुई क्या? कुछ परेशान तो नहीं किया उन लोगों ने ?’
सोनिया अभी भी स्वाभाविक ही बनी रही. ‘नहीं पर मेजबानी तो मेरा फ़र्ज़ है न. वैसे तो तीनों में बहुत अपनापन था. लगा जैसे घर के ही लोग हों. कभी कभी आने से अच्छा ही लगता है’
मन तो किया की बोलूं की हाँ अपनापन तो है. अपनापन के बिना क्या कोई ऐसी ठुकाई करवाता है जैसी तुमने करवाई. पर बोल नहीं सकता था. अभी सारे काण्ड से मैं अनजान बना हुआ था. हालाँकि मुझे इस खेल में मज़ा आ रहा था पर ये बात मैं न सोनिया पर न ही उन तीनों पर जाहिर कर सकता था. सोनिया को अगर पता लग जाय की मैं सब जानता हूँ तो शायद बात आगे ही न बढे. और वो तीनों ये जान कर की मैं रजामंद हूँ मेरे घर में ही घुसे रहेंगें. तो स्थिति बहुत नाज़ुक थी और मुझे आगे सूत्रधार बनना था. पर सूत्रधार बनना इतना आसान कहाँ है. माध्यम वर्ग में सेक्स पर बातचीत होती ही नहीं. आग सोनिया को भी लगी है और एतराज़ मुझे भी नहीं है. पर पर्दा दोनों के बीच है. ये पर्दा मुझे बहुत धीरे धीरे उठाना है, ऐसे की सोनिया को जब तक पता चले तब तक वो वापस जाने की स्थिति में न हो. और हाँ मेरी भी इज्जत बनी रहे.
‘तुम्हीं कहतीं थीं की हमारे यहाँ कोई आता नहीं. चलो होली के बहाने कुछ सम्बन्ध तो बने.’
‘वो तो है. इतने बड़े शहर में कोई तो हो जो साथ खडा हो सके.’
‘खडा हो सके या खड़ा कर के पेल सके.’ मन में मैंने सोचा पर बोला कुछ नहीं.
‘ये सकर्ट तुम पर बहुत जंच रहा है. लगता है अभी कोलेज से निकली हो.’ मैंने छेड़ा.
‘हाँ तुम्हारी ही मेहेरबानी है. दाल न गिराते तो मुझे ये न पहना पड़ता. वो तो अच्छा था की सुबह सड़ी पहन रखी थी.’
‘क्यों सकर्ट में क्या बुराई है?’ मैं अनजान बनकर बोला.
‘हाँ होली और सकर्ट में! कुछ भी बचाना मुश्किल हो जाए.’
क्यों मुझे तो स्किर्ट और साडी में कोई फर्क नहीं दिखता.
‘हाँ कभी औरत की तरह होली को झेलो तो पता चले. होली के दिन सारे मर्द शेर हो जाते हैं.’ सोनिया ने फिर कहा.
‘क्यों कुछ किया क्या इन तीनों ने.’ मैंने कुरेदना जारी रखा.
नहीं यार पर खुद तो बचना पड़ता ही है. स्किर्ट में तो कहीं भी हाथ रोकना मुश्किल है.
पर साडी में भी तो इन्होने खूब रंगा तुम्हें.
खूब कहाँ वो तो घर छोटा था नहीं तो हाथ भी न लगती.
वैसे अच्छा लगता है तुम्हें स्किर्ट में देख कर. मैंने शोर्ट्स में अकड रहे लंड को संभालते हुए कहा.
हाँ वो तो है. अच्छा है गाज़ियाबाद में हैं. वरना तुम्हारी मम्मी तो साडी के सिवा कुछ पहनने नहीं देतीं.
हम जब से गाज़ियाबाद आये हैं तबसे सोनिया ज्यादातर सलवार सूट पहनती है. घर में कोई आने जाने वाला नहीं सो ज्यादातर पतले कुछ पारदर्शी से कपडे होते हैं उसके.
‘मैंने तो कभी तुम्हें मना नहीं किया. जो मन करे पहनो. दरअसल मोडर्न कपडे औरत का कोंफिडेन्स बढ़ाते ही हैं.’ मैं धीरे धीरे सोनिया को लाइन पर ला रहा था.
‘और मोडर्न कपडे आरामदेह भी होते हैं.’ सोनिया ने कुछ सोच कर बोला. ‘पर ऐसे स्किर्ट में तुम्हारे दोस्तोंं के सामने; अच्छा लगेगा?’
‘अरे क्यों नहीं. अब तो गर्मियाँ शुरू हो रहीं हैं. तुम तो शोर्ट्स भी पहन सकती हो. ये बड़ा शहर है यहाँ किसी को कुछ फर्क नहीं पड़ता.’ मैं उठा और अलमारी से अपनी एक टाईट जींस शोर्ट्स निकाल कर सओनिया की तरफ उछल दी. ‘लो आज इसे ट्राई करो.’
‘पर तुम्हारे दोस्तों के सामने…’ मैं समझ रहा था ये सोनिया का झिझकने का नाटक था. वो चाह रही थी की सब ऐसे हो जैसे मैंने उसे मजबूर किया.
‘अरे अभी ट्राई करो. अच्छा न लगे तो बदल लेना.’
सोनिया उठने लगी. ‘ठीक है. नहा कर इसे ही पहनती हूँ. देखें.’
इतने में मेरा फोन बज गया. सुबह नौ बज रहे थे. सुन्दर का फोन था.
इतने में मेरा फोन बज गया. सुबह नौ बज रहे थे. सुन्दर का फोन था. मैं समझ गया की अब तक फैसल ने कहानी सूना दी होगी. सुन्दर का फोन बात आगे बढ़ाने के लिए है.
‘हैलो’ मैंने फोन उठया
सुन्दर – और भाई गुड मोर्निंग. उठ गए?
में – हाँ भाई अभी कुछ देर पहले उठा. तुम सुनाओ
सुन्दर – अरे मेरा तो थकान के मारे बुरे हाल हैं. पर मज़ा बहुत आया अबकी होली में. भाभी का स्वाभाव बड़ा मिलनसार है. शुक्रिया कहना भाभी से.
में – अरे तुम खुद ही कह दो.
मैंने जान कर छेड़ने के लिए ये शरारत की. फोन सोनिया को देते समय फोन का वोल्यूम भी बढ़ा दिया. ‘लो सुन्दर कुछ कह रहा है.’
सोनिया सामने बैठी थी. सो उसे मेरे सामने ही बात करनी पडी.
सोनिया – हैलो सुन्दर भाईसाहब कैसे हैं?
सुन्दर – अरे भाभी कल की होली के बाद भी तुम मुझे भाई कह रही हो.
मुझे सुन्दर की बात सुनाइ दे रही थी पर मैंने ज़ाहिर नहीं किया. सोनिया को भी लगा की मैं नहीं सुन पा राहा हूँ
सुन्दर की बात जरी थी – मेरा तो अभी भी खड़ा है. कब मिलेगा आपकी सेवा का मौका
सोनिया – कौनसी सेवा
सुन्दर – रात भर फैसल से चुदी है और मुझ से पूछती है कैसी सेवा
सोनिया की हालत खराब थी. सुन्दर उस से खुल कर बोल रहा था. उसे सुनना ही नहीं गोलमोल जवाब भी देना पड़ रहा था.
सोनिया – अरे नहीं वो कल रात ज्यादा हो गयी थी इन लोगों को
सुन्दर – तुम्हें तो लंड मिला न? फैसल को तो पुरे मजे दे दिए. अब कब आओगी मेरे नीचे. बहुत आराम से चोदुंगा मेरी जान.
सोनिया – वो तो ऐसे ही होली थी न. वैसे शुरुआत तो आपने ही की.
सुन्दर – हाँ शुरुआत तो मैंने की पर तुझे पूरा कहाँ चोद पाया. आज पूरा चोदने देगी?
सोनिया का चेहरा देखने वाला था. अब बोले भी क्या. ‘नहीं नहीं कल तो होली थी. थनकान अभी तक नहीं मिटी है. आज तो आराम करने का मूड है.’
सुन्दर – तो शाम को आ जाता हूँ आराम देने. जान मज़ा आएगा.
सोनिया –वैसे तो आपका ही घर है जब चाहे आइये पर आप तीनों को साथ कहाँ टाइम मिलेगा
सुन्दर – नहीं जान मैं ही आउंगा. साला मेरा हिस्सा कल का बकाया है न.
सोनिया –आइये आज शाम होली मिलने. डिनर हमारे साथ ही कीजियेगा. पर होली को खत्म मानियेगा. कहकर सोनिया थोड़ा मुस्कुराने लगी.
सुन्दर – हाँ जान अब तो बिना होली के ठोकुंगा. जब फैसल ने चोदा तो कैसा लगा?
सोनिया – अरे वो तो बस यूँही. पर अच्छा तो लगा. पर आप लोग ने कोई कसर नहीं छोड़ी होली में.
सुन्दर – अरे भाभी वो तो बाथरूम में ही खेल पूरा हो जाता. वो तुम्हारे मिलने वाले नहीं आते तो.
सोनिया – ऐसा नहीं है. वो तो होली थी और आप लोग इनके दोस्त हैं.
‘दोस्त तो अभी भी हैं. तो आज तो इनाम पक्का?’ सुन्दर ढील छोड़ने वाला नहीं था.
‘आइये देखते हैं.’ सोनिया ने आखिर बात किनारे लगा ही दी. ‘मिलते हैं ७ बजे. बाय’ सोनिया ने बाय कहा और फोन काट दिया.
सोनिया ने मुझे बताया की सुन्दर शाम को आने की कह रहा था सो मैंने बुला लिया.
‘ठीक है’ मैंने खास ध्यान दिए बिना कहा. जैसे मैंने कुछ सूना ही नहीं. पर मन में सोच रहा था की क्या देखते हैं? सोनिया का क्या मतलब था?
यहाँ एक बात बता दूं की मेरा काम फिल्ड सेल्स मैनेजर का है. बस कोई ऑफिस तो है नहीं. अलग अलग दुकानों पर आर्डर लेना और पेमेंट कोल्लेक्ट करना होता है. काम अच्छा चल रहां है सो ज्यादा काम फोन पर हो जाता है. चाहूँ तो घर पर काफी समय दे सकता हूँ. अब मुझे यही करना था. सूत्रधार जो हूँ अपनी बीबी की चुदाई का.
‘तो तुम तैयार होकर बाजार से सामान ले आओ.’ सोनिया सहजता से बोले जा रही थी.
मैं उसकी सहजता देख सोच रहा था की कल रात पहली बार किसी और ने सोनिया को ठोका था या मैं पहले भी चूतिया बन चुका हूँ!
Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
मेरी बीबी की सहजता देखकर मैं दंग था. मुझे शक होने लगा था की शायद ये पहली बार नहीं था की किसी ने सोनिया की यूँ चुदाई की है. पर ये तो मैं अभी जान नहीं सकता था. जो नहीं जान सकते उसे छोडो और आगे बढ़ो.
सोनिया कप रख के वापस आई.
‘अरे तुम अभी तक उठे नहीं? चलो मैं तो नहाने चली. तुम्हारी आलस तुम जानो.’ और वो कपडे लेकर बाथरूम में चली गयी. मैं अपने ही ख्यालों में गूम कुछ सोचता सा बैठा रहा. बाथरूम के अंदर से सोनिया के के गुनगुनाने की आवाज़ आ रही थी. आचानक मेरे दिल में एक ख्याल आया. मैंने उठ कर ड्रेसिंग टेबल को जरा सा सेट किया की मैं बैठे बैठे ज्यादातर किचन का हिस्सा देख सकुं. मेंन दरवाजे के बगल वाले खिडकी का पर्दा कुछ सेट किया. अब शाम को मेरे ताकझांक के लिए काफी इंतजाम हो गया था.
तभी सोनिया बहार आई. मैं उसे देखता ही रह गया. लंबी लंबी चिकनी टंगे उपरी जांघों तक बिलकुल खुली थीं. शोर्ट्स में उसके कूल्हे इतने कसे कसे लग रहे थे! ऊपर उसने एक बिना बाजु की टी शर्ट पहनी थी. मैं उठा और सीधा उसे गले से लगा लिया.
वो धीरे से बोली ‘क्या सुबह ही शुरू हो रहे हो?’
पर तब तक मैं शोर्ट्स का बटन और ज़िप खोल चूका था. मेरा हाथ उसकी पैंटी के अंदर चूत का दरवाज़ा ढूढ रहा था. कितनी ही बार हमने चार साल की शादी में सेक्स किया है पर आज यूँ लग रहा था जैसे सालों बाद कोई नया मिला है. मेरा लंड मेरे शोर्ट्स में अकड कर परेशान था. शुक्र है सोनिया का की उसने बेचारे को आज़ाद कर दिया.
मैंने भी जल्दी जल्दी सोनिया नीचे के कपडे उतारे और ऊँगली चूत में डाल दी. सोनिया के मुह से निकली सिसकारी सबसे मधुर संगीत की तरह लगी. उसकी टी शर्ट तो मैं पहले ही ऊपर उठा चुका था. सोनिया ने आज ब्रा पहनने की जहमत भी नहीं उठाई थी. नीचे से वो पूरी चिकनी हो चुकी थी. तो मै उसके ऊपर आ गया.
सोनिया के साथ सेक्स में सबसे ज्यादा मज़ा ये आता है की वो कसी डीलडौल की तो है पर है पांच फूट तीन इंच की. हमेशा अहसास होता है जसे एक कमसिन मिल गयी है.
मैंने तुरंत अपना लंड अंदर डाल दिया. एक और सिसकारी के साथ सोनिया ने पूरा अपनी चूत में समा लिया. अब मैं लंबे लंबे धक्के मारने लगा. हर धक्के के साथ सोनिया की आह ऊंह मेरा जोश बढा रही थी. सोनिया के होंठ मेरे होंठों में घुल रहे थे. उसके कसे मम्मे मेरी नंगी छाती से दबे हुए थे. अचानक मैं पलट गया. अब सोनिया ऊपर थी और मैं नीचे. आम तौर पर हमारा सेक्स सामान्य होता था पर आज सोनिया ऊपर आते साथ ही सक्रिय हो गयी. वो नीचे को धक्के मार रही थी और मैं नीचे से.
आज सोनिया को चोदते हुए ऐसा लग रहा था जैसे अपनी बीबी को नहीं किसी और की बीबी को चोद रहा हूँ. में रोहित सोनिया का पति नहीं सुन्दर, फैसल और विकास का चौथा साथी हूँ जिसे ये नया माल मिला है.
मेरे अरमान कल सुबह से कैद थे सो बाँध जल्दी ही टूट गया और मैं एक तूफ़ान की तरह सोनिया की चुत में आ गया. इसी तरह सोनिया काफी देर मेरे ऊपर लेटी रही और फिर मेरे बगल में लेट गयी. धीरे से बोली ‘ तुम भी सुबह सुबह शुरू हो गए.’
क्यों सुबह कोई पाबंदी है क्या? अच्छा है न रात को पता नहीं मौका मिले न.
‘क्यों?’ सोनिया चौंक गयी
अरे ऐसे ही कल फैसल रुक गया था. आज कहीं सुन्दर रुक गया तो?
सोनिया – यार ये रोज रात किसी का रुकना ठीक नहीं है.
क्यों कल फैसल ने कुछ दिक्कत दी
सोनिया ने हैरानी से मेरी तरफ देखा ‘नहीं तो! पर घर में एक ही कमरा है और एक ही बेड. कोई जमीन पर लेटता अच्छा थोड़े ही लगता है.’
तो क्या हुआ बेड पे भी तीन लोग सो सकते हैं. – मैंने छेड़ना जारी रखा.
‘यार तुम भी कुछ समझते नहीं हो. ऐसे भी कोई एक बेड पर अपनी बीबी और दोस्त के साथ सोता है! किसी को पता लगा तो?’ सोनिया ने कहा.
‘अरे हम अपने घर में कैसे रहते हैं ये हम जिम्मेदार हैं.’ मैं बहुत खुश था की बात आगे बढ़ रही थी.
‘और रात को कहीं तुम्हारा मूड कर गया तो?’ अब सोनिया ने छेढा
तो क्या हुआ रात के अँधेरे में किसी को क्या पता.
‘और कहीं तुम्हारे दोस्त का मूड हो गया?’ पता नहीं सोनिया छेड रही थी या कुछ खास मकसद से बोल रही थी.
‘अरे तुम ऐसा कुछ होने दोगी क्या’ मैंने चालाकी से बात उसके ऊपर डाल दी.
‘नहीं वो तो ठीक है पर कहीं मुझसे अँधेरे में गलत फहमी हो गयी तो?’ सोनिया की बात निश्चित दिशा में जा रही थी.
‘तो क्या गलती से गलती होना कोई गलत काम थोड़े ही है.’
देर हो रही थी सो मैं भी नहाने चला गया. नहा कर निकला तो देखा सोनिया डायरी लिख रही थी. सोनिया ने शादी के तुरंत बाद ही डायरी लिखना शुरू किया था. वो दिन भर की छोटी बड़ी बातें डायरी में लिखती थी. पर मुझे पढ़ने नहीं देती थी. मैंने भी कभी जबरदस्ती नहीं की.
‘चलो मैं कुछ पेमेंट लेके आता हूँ.’ मैंने कपडे बदलते हुए कहा.
सोनिया बोली ‘यार कल लगा की रात में पहनने के लिए मेरा पास कुछ खास नहीं है. एक नाइटी ले आना.’
मैं बाय कह कर बाहर निकल आया. सीधा मेंन मार्केट पहुंच गया. काम निबटाते निबटाते ३ बज गए. फिर वहीँ एक अच्छी दूकान से नाइटी खरीदने की सोची. साफ़ है की मैं नाइटी लूँगा तो बोल्ड ही लूँगा. कई हनीमून स्पेशल नाइटी देखकर जो पसंद की वो २ पीस थी. ऊपर टॉप जैसा जिसमें कन्धों पर सिर्फ डोरी मात्र थी और बस लम्बाई जाँघों तक ही मुश्किल से पहुँचती थी. और नीचे एक निक्कर जैसी थी. नाइटी खरीद कर सीधा रात के लिए वोदका की बोतल खरीदी. वसे तो मै विस्की ज्यादा पसंद करता हूँ पर सोनिया ने तीन चार बार मेरे साथ वोदका पीया है. वैसे आज ऐसा होगा नहीं पर क्या पता.
घर पहुँचते पहुँचते साडे पांच बज गए. सोनिया ने अभी भी सुबह वाले कपडे पहने थे. हाँ लगा की अभी कुछ देर पहले नहाई है.
‘देखो यार सिंपल सा बना लिया है. सब्जी दाल और चावल बन गए हैं.’
सच ऐसे सिंपल बातें करती है तो लगता है की कल रात कोई और थी जिसने फैसल के नीचे पूरी रात गुजारी थी.
तभी मम्मी का फोन आ गया. उनसे बात करते करते आधा घंटा हो गया. हाँ मम्मी से बात करने में सोनिया ने होली का कोई ज़िक्र भी नहीं किया. मैं अपना शोर्ट्स और टी शर्ट लेकर बाथरूम में हाथ मुंह धोने चला गया.
कपडे बदलकर बाहर निकला तो सुन्दर सिंगल सोफे पर बैठा हुआ था. सामने सोनिया बेड पर बैठी थी.
सुन्दर के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी और सोनिया जैसे झेंप रही थी. शोर्ट्स और टी शर्ट में पहली बार किसी के सामने यूँ बैठी थी शायद इसलिए. सुन्दर की आँखों में जो चमक थी वो साफ़ कह रही थी की उसे उम्मीद से ज्यादा मिला है.
मेरे आते साथ ही सुन्दर तपाक से उठा और मुझसे गले मिलकर होली मिलन की औपचरिकता पूरी की.
‘और भाई कैसा रहा दिन.’ मैंने यूँ ही पूछा.
‘बस यार कल तो मज़ा आ गया.’ सुन्दर ने सोनिया की ओर हलके से देख कर बोला
‘हाँ यार मुझे तो पुरे दिन चढ़ी रही.’ मैंने बात आगे बढ़ाई.
इतने में सोनिया उठते हुए बोली ‘मैं चाय बनाती हूँ.’
सुन्दर – नहीं भाभी हम कहाँ चाय पीते हैं.
‘तुम बैठो’ और मैं उठकर वोदका और दो गिलास ले आया.
‘क्यों भाभी आप नहीं लेतीं’ सुन्दर बोला
सोनिया – नहीं बस टेस्ट किया है एक दो बार.
सुन्दर – तो आज भी टेस्ट कीजिये न
थोड़े न नुकर के बाद सोनिया उठी और किचेन से एक और गिलास ले आई. साथ में एक प्लेट में नमकीन भी ले आई.
मैंने गिलास में वोदका डाला तो सोनिया ने अपने गिलास में खुद ही थोडा सा डाल लिया. सोनिया ने बहुत कम बार पी थी सो मै जानता था की उसके लिए थोडा भी बहुत था.
शराब के दौर के साथ ऐसे ही बातें होती रहीं. मैंने और सुन्दर ने कई बार गिलास फिर भरे पर सोनिया ने सिर्फ एक बार और छोटा सा पेग बनाया. फिर भी सोनिया का खुलापन बढ़ता जा रहा था. निश्चित ही उसे इतना नशा हो चूका था की बहदुरी आ जाये. नशा तो हम दोनों को भी हो गया था. और मैं तो जान के कुछ ज्यादा नशे की एक्टिंग भी कर रहा था. शायद मुझे नशे में देख सुन्दर की हिम्मत बढ़ी.
सुन्दर – भाभी कल मजा आया था?
सोनिया ने चौंक कर मुझे देखा – आप लोग तो होली का फायदा उठाने की पूरी कोशिश की.
मैं भी शामिल हो गया – क्यों क्या किया भाई सुन्दर तुम लोगों ने?
सुन्दर – अरे नहीं रोहित भाई बस देवर लोगों का कुछ तो अधिकार होता है. क्यों भाभी?
सोनिया – कुछ अधिकार! आपका तो बस चलता तो देवर से कुछ और ही बन जाते
रोहित – क्यों भाई क्या बन जाते
सोनिया की ज़बान नशे में थोडा नियंत्रण से बहार थी – अरे ये आप की जगह लेना चाहते थे.
रोहित – क्यों सुन्दर ऐसा क्या किया भाई तुम लोगों ने?
सुन्दर – अरे कुछ नहीं
‘कुछ नहीं और वो जो बाथरूम में पकड़ने की कोशिश की?’ सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा
‘वो तो आप जैसी खूबसूरत भाभी होगी तो कौन देवर छोढेगा’ सुन्दर की भी कुछ हिम्मत बढ़ गयी थी.
रोहित – यार होली में तो पकड़ धकड़ चलती है.
सोनिया – नहीं आप नहीं जानते. अगर आपके दोस्त न आते तो ये तीनों बाथरूम में मेरे कपडे ही उतार देते.
सुन्दर को खुलता माहौल शायद अच्छा लग रहा था. उसने बात और आगे बढ़ाई – कपडे उतारे तो नहीं न भाभी.
सोनिया ने अपने गिलास में थोड़ी सी और डाली और बोली – हाँ और हाथ कहाँ थे आपके?
‘और आपके हाथ कहाँ थे’ सुन्दर ने तपाक से बोला.
सोनिया चुप हो गयी. उसे याद आ गया कैसे उसने सुन्दर का लंड कल बाथरूम में न सिर्फ सहलाया था बल्कि चूसा भी था.
‘मैं खाना लगाती हूँ’ उसने अपनी झेंप मिटाने के लिए वाहाँ से हटने में ही भलाई समझी. मैं भी जान कर जहाँ था वहीँ लेट सा गया
‘मैं भाभी की मदद करता हूँ’ सुन्दर ने कहा और तुरंत किचन में बढ़ गया.
मैं जहां लेटा था वहाँ से ड्रेसिंग टेबल के आइने से किचन साफ़ दिख रहा था.
सुन्दर की आहट सुनते साथ ही सोनिया पलटी
सुन्दर ने तुरंत उसे पकड़ लिया और अपने से चिपका लिया. सोनिया अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और सुन्दर उसे और चिपकाए जा रहा था. सुन्दर के हाथ सोनिया के शोर्ट्स पर थे. वो पीछे से दबाव दे रहा था और सोनिया का चुत का भाग पूरी तरह से सुन्दर के लंड से चिपका था. सुन्दर के हाथ पीछे टी शर्ट में घुसने की कोशिश कर रहे थे. इस पूरी धक्का मुक्की में दोनों कोई खास आवाज़ नहीं कर रहे थे. सोनिया लगभाग छे फिट के सुन्दर के सामने काफी छोटी थी. फिर अचानक सुन्दर ने सोनिया को जाँघों से उठा लिया और होंठों पर किस करने लगा.
सोनिया को देखकर साफ़ लग रहा था की उसे सुरूर चढ़ रहा है. पर न नुकर जारी थी और जारी था सुन्दर का किस. सोनिया शायद लटके लटके थक गयी और उसने अपने पैर सुन्दर के कमर में बांध लिए. अब सोनिया सुन्दर से एक बेल की तरह चिपकी थी. सुन्दर के हाथ भी पीछे से टी शर्ट के अंदर सोनिया की पीठ सहला रहे थे. फिर मुझे सुन्दर का हाथ टी शर्ट से बहार आता दिखा और शोर्ट्स में घुसने की कोशिश करने लगा. सोनिया को कुछ ज्यादा होता लगा और वो तुरुन्त कोशिश करके सुन्दर से अलग हो गयी. दोनों में फुसफुसाहट हो रही थी पर मेरा ध्यान तो पूरा वहीँ था.
सोनिया – क्या करते हो मरवाओगे. छोडो.
‘जान ऐसे कैसे छोड़ दें.’ सुन्दर ने सोनिया का हाथ पकड़ा हुआ था. उसने तुरंत दुसरे हाथ से अपने पैंट की
ज़िप खोली और सोनिया का हाथ उसमें डालने लगा. सोनिया हाथ छुडाने की कोशिश तो कर रही थी पर उसका हाथ पैंट में घुसता ही जा रहा था. फिर सोनिया ने कोशिश छोड़ डी. शायद सोनिया का हाथ अब सुन्दर के लंड पर था. वो बड़ी अजीब नज़रों से सुन्दर को देख रही थी जैसे शायद एक बकरी शेर को देखती है. अब सोनिया के हाथ की हलकी हलकी हरकत मुझे दिख रही थी. अंदर शायद सोनिया ने सुन्दर का लंड पकड़ा हुआ था. सोनिया की चूडियों की हलकी हलकी खनखनाहट की आवाज़ आ रही थी.
फिर सोनिया जैसे नींद से उठी और तुरंत अलग हो गयी. जल्दी से उसने दो डोंगे उठाये और बहार आ गयी. मुझे लेटा सा देख संतोष तो हुआ होगा पर मुझे उठाने लगी. सुन्दर भी क्या करता. अपना पैंट दुरुस्त कर बाकी खाने का सामन ले कर बाहर आ गया.
इस गरमा गरम छेड छाड़ के बाद खाने में किसी का भी मन नहीं था. खाने के समय एक सन्नाटा सा रहा. खाने के बाद ११ बज चुके थे और सोनिया बर्तन किचेन में रख रही थी.
सुन्दर – भाई रिहित मज़ा आ गया. अब चलना चाहिए.
रोहित – अरे कहाँ जाओगे यही रुक जाओ.
अरे नहीं भाभी को तकलीफ होगी यार.
रोहित – देखो सुन्दर बोल रहा है कि वो यहाँ रुकेगा तो तुम्हें तकलीफ होगी.
अब सोनिया बोलिती भी क्या ‘अरे तकलीफ कैसी. आप ही का घर है.’
सुन्दर ने धीरे से कहा ‘यार समझा करो, हम तो ठहरे छड़े घर में खुला सोने कि आदत है. यहाँ अंडरवियर में कैसे सो जाऊं.’ सुन्दर के चेहरे पे कुटिल सी मुस्कराहट थी. या ये मेरी गलतफेहमी थी! तब तक सोनिया भी बाहर आ गयी.
रोहित – अरे यार तुम तो घर वालों कि तरह हो जैसे चाहो सो. और अँधेरे में किसे दिखता है. क्यों सोनिया?
सोनिया ने शायद सब सुन लिया था. ‘जैसा आप कहें’. उसकी नज़र मुझे बड़े असमंजस में देख रही थी जैसे पूँछ रही हो ये मामला जा कहाँ रहा है.
मैंने अपनी टी शर्ट उतार दी. उससे थोडा सहजता का माहौल आ गया. मैंने अगला पासा फेंका ‘यार सो जाया जाये.’
‘मै अभी आया’ सुन्दर उठा और बाथरूम चला गया.
सुन्दर के जाते ही सोनिया भयभीत सी मुझसे बोली ‘यार कहाँ सुलाएगें. ऐसा होता है कहीं. तुम तो समझते नहीं.’
रोहित – तुम चिंता मत करो. एक तरफ बेड पर तुम सो जाने और सुन्दर मेरे बगल में सो जाएगा. तुम बस लाईट बंद कर दो नहीं तो झेंप जाएगा.
सोनिया के चेहरे से लग रहा था कि उसे कुछ समझ नहीं आ रहा. ‘अच्छा छोडो ये बताओ नाइटी लाए थे?’
मैंने लिफाफा से नाइटी निकाली और सोनिया कि ओर बढ़ा दी. सोनिया ने नाइटी देखी और फटी आखों से मेरी ओर देखा ‘तूम पागल हो गए हो. ये नाइटी मुझे पहनाओगे सुन्दर के सामने’
इसी लिए तो कह रहा हूँ लाईट बंद कर दो. फिर क्या फर्क पड़ता है. मुझे क्या पता था सुन्दर आज रुक जाएगा.
‘देखो कुछ उंच नीच नहीं होनी चाहिए’ सोनिया अजीब नज़रों से मुझे देखती रही और उसने लाईट बंद कर दी.
कूलर चल रहा था और ठंडक कुछ ज्यादा हो गयी थी. सोनिया ने बेड पर ओढने के लिए दो लिहाफ रख दिए.
बाथरूम का दरवाज़ा खुला और सुन्दर मात्र अंडरवियर में बहार आ गया. बाथरूम की और बाहर स्ट्रीट लाईट की ज़रा सी रोशनियो में भी उसका शारीर चमक रहा था. सोनिया ने सर नीचे कर रखा था. वो जल्दी से उठी और नाइटी लेकर बाथरूम में चली गयी.
‘तुम लेट जाओ’ मैंने सुन्दर को बेड के दीवार वाले छोर की ओर इशारा करते हुए कहा. सुन्दर तुरंत बेड पर लेट गया और लिहाफ पैरों पर डाल लिया. बाथरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ हुई और सोनिया बहार आ गयी.
आप वहाँ लेटो सोनिया ने बेड के बीच की ओर इशारा किया और खुद दुसरे किनारे लिहाफ ओढ़ कर लेट गयी.
पर सुन्दर की हिम्मत काफी बढ़ चुकी थी. बोला ‘क्या भाभी देवरों पर भरोसा नहीं है लगता जो किनारे भाग गयीं. आइये बीच में आपको लेटना चाहिए.
सोनिया ने फिर अजीब सी नज़रों से मेरी तरफ देखा. मैंने तुरंत उसे हल्का सा धकेल कर बीच में कर दिया और खुद किनारे बैठ गया. अब सबसे किनारे सुन्दर लेटा था और सुन्दर से मात्र आधा फिट दूर सोनिया लेटी थी. मै उठा और बाथरूम चला गया.
मुझे शक था की अब कुछ होगा. मैंने बाथरूम के कीहोल से देखने की कोशिश की पर दिखा कुछ नहीं. कोई आवाज़ भी नहीं आ रही थी. फिर ध्यान से सुना तो लगा की कपडे के सरसराने की और सोनिया की चूडियों की हलकी हलकी आवाज़ आ रही थी. मुझे अपना जवाब मिल गया. आज कुछ न कुछ होगा बशर्ते मैं अनजान बना रहूँ!
मैंने दरवाजा खोला तो दोनों को जैसे छोड के गया था वैसे ही थे. पर ध्यान से देखा तो जिस लिहाफ को सोनिया ने ओढा था वो सुन्दर के लिहाफ के उपर था, हल्का सा उभार से लग रहा था की शायद सोनिया का हाथ सुन्दर की तरफ है. मैं अनजान बनकर अपनी जगह लेट गया.
तीनों चुप चाप लेटे थे. ऐसे ही करीब दस मिनट बीते होंगे. अबतक मेरी आँखे अँधेरे में काफी अभ्यस्त हो चुकी थीं. अचानक सोनिया की तेज तेज सांसे चलने लगीं. ये पहली निशानी है की सोनिया गर्म हो रही है. मैंने देखने की कोशिश की. लिहाफ जरुर ओढा था हम तीनों ने पर हरकत से काफी कुछ पता लग गया मुझे. सुन्दर का हाथ सोनिया की नाइटी के अंदर था. दुसरे ओर सोनिया का हाथ सुन्दर के लंड पर था. सोनिया अपने को छुडाने की कोशिश कर रही थी पर शायद बहुत आवाज़ करते डर रही थी. मैं अपना हाथ सोनिया की ओर बढ़ाया. मेरा हाथ सोनिया की नंगी पीठ पर पहुँच गया. इसका मतलब सोनिया की नाइटी का उपरी भाग हट चुका था! सुन्दर काफी तेज चल रहा था.
सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मम्मों तक नहीं जाने दिया. मुझे समझ आ गया की सोनिया के मम्मे किसी और की सेवा में बिजी हैं. मेरा लंड खड़ा था. मैंने सोनिया का हाथ धीरे से अपनी ओर खिंचा और अपने लंड पर रख दिया. सोनिया तुरंत मेरे लंड को कस कस कर मलने लगी. मैं समझ गया की वो बहुत गर्म हो चुकी है.
अब उसकी सांसों की आवाज़ और तेज हो गयी. बीच बीच में उह आह की हलकी आवाज़ भी आ रही थी. अब सोनिया ने अपने को हालत के हवाले छोड दिया. सोनिया तो जानती थी की मै जाग रहा हूँ. मैंने सुन्दर के लिए सोने का नाटक करना ही बेहतर समझा. सोनिया के एक हाथ में मेरा लंड था और दूसरा हाथ सुन्दर के लंड की सेवा कर रहा था. सुन्दर का हाथ सोनिया के मम्मों पर टूटे पड़े थे. ये सब लिहाफ, अँधेरे और नींद की आड में हो रहा था.
इतने में सोनिया का हाथ मेरे लंड से दूर फिसलने लगा; अरे हाथ ही नहीं सोनिया को सुन्दर ने धीरे से अपने लिहाफ में खींच लिया. अब सोनिया को सुन्दर ने अपने से चपका रखा था. हलकी सी रौशनी में उसकी नंगी पीठ दिख रही थी. फिर वोह भी लिहाफ के अंदर चली गयी. जैसे सोनिया फिसल गयी मुझसे दूर.
सुन्दर ने लिहाफ मुह तक ओढ़ लिया और सोनिया उसीमें छुप गयी. हलकी आवाजों से पता लग रहा था की जबरदस्त फ्रेच किस चल रहा है. फिर कुछ ज्यादा हलचल हुई और सरकने जैसी आवाज़ आई. सुन्दर के मुह से लिहाफ हट गया पर सोनिया का चेहरा नहीं दिखा. लिहाफ सुन्दर के सीने तक पहुँच गया पर सोनिया नहीं दिखी. अचानक सुन्दर के कमर के नीचे कुछ ज्यादा हलचल लगी और पच्च पच्च की धीमी आवाजों से पता लगा की सोनिया जी सुन्दर का लंड चूस रहीं है लिहाफ के अंदर. सुन्दर का एक हाथ सोनिया के सर पर था. अब ये सोनिया से सुन्दर जबरदस्ती करवा रहा था या वो खुद कर रही थी पता नहीं.
अचानक सुन्दर ने सोनिया को ऊपर खींच लिया. कुछ सेकेण्ड को सोनिया को उपरी भाग पूरा नंगा दिखा. फिर तुरंत सोनिया ने लिहाफ ऊपर तक खींच लिया. अब फिर फ्रेंच किस शुरू हो गया. सुन्दर का हाथ सोनिया की गांड सहला रहा था. बीच बीच में नज़र आ जाता था. ऐसा लगा जैसे सुन्दर कुछ खींच रहा है और सोनिया रोक रही है. हलके से संघर्ष के बाद ख़ामोशी हुई और मैंने सुन्दर के हाथ में सोनिया की निक्कर की झलक देखी.
मतलब सोनिया अब नीचे से भी नंगी थी. सुन्दर से वो चिपकी हुई थी. आहट फिर हुई और सुन्दर का हाथ ऊपर आया. उसके हाथ में उसका अंडरवियर था. सोनिया की पीठ मेरे तरफ थी और सुन्दर सोनिया के आड में था. सोनिया के मुंह से हलकी सी उंह निकली. सुन्दर के हाथों सोनिया का उदघाटन हो गया था. ऐसे ही दो चार और धक्के लगे. फिर सुन्दर ने सोनिया को अपने नीचे ले लिया. अब सुन्दर सोनिया पर छाया हुआ था. धीर धीरे धक्के लगा रहा था. सोनिया के मुह से हलकी हलकी उंह आह निकल रही थीं. मेरी बीबी मुझसे एक फिट पर चुद रही थी और मैं सोने की एक्टिंग कर रहा था. सुन्दर तो नहीं पर सोनिया जानती थी की मैं सो नहीं रहा हूँ. पर ये सब कौन सोचे.
सोनिया की चुदाई का दौर चल रहा था. अब लिहाफ दोनों के सीना तक सरक गया था. सोनिया की गोलाईयां सुन्दर की छाती में दबी हुई थीं. नाइटी का ऊपर का भाग केवल गले में पड़ा था. बाल जो कुछ देर तक पोनी में थे खुल चुके थे. सुन्दर की चुदाई जारी थी. करीब बीस मिनट तक ये सब मैं सोने की एक्टिंग करते देखता रहा. फिर सुन्दर ने अपना माल सोनिया में डाल दिया. दो मिनट के लिए सब खामोश हो गया. फिर सोनिया लिहाफ के अंदर घुस कर कुछ निकाला. निक्कर पहन कर वो धीरे से मेरे लिहाफ में घुस गयी
•
Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
सुन्दर की चुदाई जारी थी. करीब बीस मिनट तक ये सब मैं सोने की एक्टिंग करते देखता रहा. फिर सुन्दर ने अपना माल सोनिया में डाल दिया. दो मिनट के लिए सब खामोश हो गया. फिर सोनिया लिहाफ के अंदर घुस कर कुछ निकाला. निक्कर पहन कर वो धीरे से मेरे लिहाफ में घुस गयी.
मेरी तो हालत खराब थी. सोनिया की साँस अभी भी तेज थी. मेरी उसे छूने की हिम्मत नहीं हो रही थी. कुछ तो पर्दादारी थी. करीब आधा घंटा ऐसे ही बीत गया. अचानक मुझे लगा सोनिया की तरफ फिर हलचल का आभास हुआ. मै चुपके से अधी आंख खोले देख रहा था. सोनिया ने तुरंत मेरी ओर देखा. पर शायद वो आश्वस्त थी की मैं सच में सो गया हूँ. वो फिर सुन्दर की ओर करवट लेकर लेट गयी. में दम साधे था की क्या खेल अभी बाकी है!
मुझे सोनिया की पीठ और सीनिया की आड से सुन्दर का आँखों तक का हिस्सा दिख रहा था. दोनों में आंखों आँखों में कुछ बातें हो रही थी. शायद सुन्दर कुछ रिक्वेस्ट कर रहा था जो सोनिया मान नहीं रही थी. फिर जैसे बात खत्म करते हुए सोनिया सीधा लेट गयी.
कुछ मिनट बाद मैं जैसे नींद से उठा और बाथरूम चला गया. वापस आया तो सोनिया सुन्दर के दूसरी ओर करवट लेकर लेटी थी. उसकी ऑंखें खुली थीं और उसकी आँखों में एक खालीपन सा था. कंधे तक लिहाफ था. अब उसकी सुन्दर से दूरी पहेले से कुछ ज्यादा थी. में भी लिहाफ में घुस गया. कुछ देर सोचा की आगे क्या किया जाय. सोनिया की ठुकाई देखकर मेरा लंड अभी भी पूरा ताना था.
मैंने सोनिया का हाथ फिर खीच कर अपने लंड पर रख दिया. किसी यंत्र की तरह सोनिया ने मेरा लंड सहलाना शुरू कर दिया. ऑंखें उसकी खुलीं थीं और थकान उनमें साफ़ दिख रही थी. एक शांति सी थी. सिर्फ बहुत हलके हलके कभी कभी सोनिया की चूडियों की आवाज़ आ रही थी. मेरे लंड की सेवा जारी थी. मैंने ऑंखें बंद कर लीं और आनंद लेने लगा.
थोड़ी देर में सोनिया के हाथों में जोश आने लगा. मैंने धीरे से हाथ बढ़ा कर सोनिया के मम्मों पर रख दिए. अजीब ठंडक है सोनिया के मम्मों में. आज भी एक कोलेज की लड़की की तरह शेप में और कड़क! मेरा हाथ नीचे को जाने लगा. कुछ देर नाभि पे ठहरा. नाभि को अपना प्यार देकर हाथ आगे बढ़ा कमर तक और नीचे फिसलने लगा. अरे सोनिया की निक्कार नहीं मिली कहीं! तभी सोनिया ने मेरा हाथ पकड़ कर वापस मम्मों पर रख दिया. मेरे दिमाग में जैसे हथोडा लगा; सुन्दर का हाथ सोनिया की चुत पर! अब मुझे समझ आया सोनिया का जोश क्यों बढ़ रहा था. अभी थोड़ी देर पहले जिसके लंड ने सोनिया का काम तमाम किया था वोही अब उँगलियों से उसे चोद रहा था, नंगी कर के.
खिलाड़ी सुन्दर भी पहुंचा हुआ था. सब इतनी ख़ामोशी से कर रहा था! सोनिया की सांसे ही बस सब बता रहीं थीं वरना किसी अनजान को लगे की एक बेड पर तीन लोग ‘सो’ रहे हैं. मैंने मम्मों पर थोडा ध्यान दिया फिर धीरे से हाथ ऊपर की ओर बढाने लगा. साथ ही ले गाया सोनिया का ऊपर का कपड़ा भी. अब सोनिया के नीचे न निक्कर थी न ऊपर नाइटी का अप्पर. मैंने अपनी ऊँगली सोनिया के होठों पर फेरी. सोनिया ने तुरंत ऊँगली चूसना शुरू कर दिया. सोनिया का मुह भट्टी की तरह था. जिस तरह से वो ऊँगली चूस रही थी उससे पता लग रहा था किस लगन से उसने कुछ देर पहले सुन्दर का लंड चूसा था. अब सोनिया के नीचे के भाग में कुछ ज्यादा हलचल हो रही थी. मुझे लगा जल्दी ही सोनिया फिर खींच ली जायेगी सुन्दर के नीचे. पर अब मेरी बारी थी.
मैंने धीरे से सोनिया को सीधा लिटाया. शायद ये आभास कर सुन्दर ने हाथ खींच लिए. में सोनिया के ऊपर आ गया.
‘क्या करते हो’ सोनिया ने बिलकुल मेरे कान में कहा
तब तक में अपनी शोर्ट्स उतार चूका था और अंडरवियर नीचे कर रहा था. सुन्दर एक फिट की दूरी पर ‘सो’ रहा था. मेरा लंड सोनिया की चिकनी चूत से रगढ रहा था. मैंने सोनिया को कुछ और बोलने का मौका नहीं दिया और उसके होंठ अपने होंठ में ले लिए. अब मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो लिहाफ ठीक कर रही थी ताकी मैं और वो लिहाफ की पूरी तरह ओट में हो जाएँ.
मैंने लंड को सोनिया की चूत के मुहाने रखा तो लगा जैसे चुत ने खुद ही लंड निगल लिया. सोनिया की चुत इतनी चिकनी मैंने पहली बार देखी. अब मैंने धक्के लगाने शुरू किये. तीन चार धक्कों के साथ ही सोनिया के हाथ मेरी पीठ पर आ गए और कुछ ही सेकेंड में उसके नाखून मेरी पीठ पर गड़े थे. इतना जल्दी सोनिया का काम पहले कभी तमाम नहीं हुआ.
मेरे धक्के लंबे लंबे थे. कूलर की आवाज़ के साथ सोनिया की उंह-आह और चूडियाँ एक संगीत पैदा कर रही थीं जिसे सोनिया खुद रोक नहीं पा रही थी. मेरे दोनों हाथ में सोनिया के दोनों मम्में थे. उसकी चिकनी जाँघों पर मेरी जांघें यांत्रिक रूप से फिसल रही थीं. लंड और चूत का मिलन फच्च फच्च की आवाजों के साथ हो रहा था. सोनिया मेरे नीचे निढाल सी थी. और फिर मेरा बाँध टूट गया. मैं उस हालत में जितना रफ़्तार बढ़ा सकता था उतनी रफ़्तार बढ़ा दी और बस … दो मिनट तक मैं सोनिया पर पड़ा रहा फिर सोनिया ने मुझे हल्का सा लुढ़का दिया. कुछ कपड़ों की सरसराहट हुई. लहाफ के अंदर ही सोनिया ने कपडे ठीक किये और उठ कर बाथरूम चली गयी.
जब सोनिया वापस आई तो उसने मुझे बेड के बीच में धकेल कर खुद किनारे लेट गयी. में समझ गया की सोनिया के लिए इससे ज्यादा कुछ संभव नहीं है.
अब एक ख़ामोशी थी. कितना कुछ हो गया कितनी जल्दी. कल सुबह तक सोनिया मेरी शायद किसी को हाथ भी न धरने देती. और आज देख रहा हूँ की कैसे वो खिलौने की तरह खेली गयी. अब ये रात कोई सुबह तो ले कर आएगी. वैसे हर रात एक नयी सुबह लाती है जिसे हम आम सुबह बना देते हैं. मैं बदलूँगा इस सुबह को.
थकान के कारण मेरी ऑंखें बार बार बंद हो रहीं थीं. जब करीब एक घंटे तक कुछ नहीं हुआ तो मै भी सो गया. सुबह सोनिया ने जब उठाया तो आंख खुली. सुन्दर अभी भी वैसे ही लेटा था. लिहाफ करीब सीने तक था. सोनिया ने वही रात वाली नाइटी पहनी थी.
‘सुनो यार दूध फ्रिज में रखना भूल गई थी फट गया है. जल्दी से पकड़ लाओ तो चाय बनाउ’ सोनिया ने सहजता से बोला. हमारी बात से शायद सुन्दर भी जाग गया.
‘और भाई नींद तो आई रात को’ मैंने पूंछा
‘नींद तो बहुत अच्छी आई’ सुन्दर ने चोरी से एक बार सोनिया की तरफ नजर करी. सोनिया तो जैसे चोरी करते पकडी गयी हो. उसकी नज़रे तुरंत इधर उधर भागने लगीं.
‘रुको यार मैं दूध लेकर आता हूँ’ मैंने तुरंत टी शर्ट डाली और बाहर निकल गया. सीढियां कुछ ज्यादा ही आवाज़ कर के उतरा. नीचे पहुँच कर अपना मोबाईल साईलेंट पर लगाया और दबे पाँव फिर ऊपर आ गया. बहार की खिडकी से अंदर झाँकने का इन्तजाम मैंने पहले ही कर रखा था. मैं बिलकुल खामोश अंदर झाँकने लगा. सोनिया बिस्तर की चादर ठीक कर रही थी और सुन्दर कहीं दिख नहीं रहा था. फिर सुन्दर बाथरूम से निकला.
सोनिया बेड पर झुकी चादर की सिलवटें ठीक कर रही थी. सुन्दर ने वही वी आई पी फ्रेंची अंडरवियर पहना था. उसने सोनिया के कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से चिपका लिया.
सोनिया पीछे कोहनी से धक्का देकर अपने को छुड़ाने की कोशिश करने लगी. ‘क्या करते हो ये ठीक नहीं है.’ तब तक सुन्दर सोनिया को धक्का देकर बेड पर गिरा चूका था और खुद ऊपर लेटा था. सोनिया पेट के पल बेड पर थी और एक बार फिर सुन्दर उस पर सवार था.
‘क्या करते हो ये आ जायेंगें’ सोनिया के चेहरे पर सचमुच डर था. ‘दरवाजा भी बंद नहीं है.’
सुन्दर फुर्ती से उठा और मुझे सिटकिनी लगाने की आवाज़ सुने दी. फिर कुछ सोचकर सुन्दर ने अपना मोबाइल पर नुम्बर डायल किया. वो कॉल मुझे कर रहा था. शुकर है मेरा मोबाइल वाइब्रेटर पर था. मैं तुरंत दबे पाँव नीचे उतरा और फोन उठाया
‘हाँ भाई सुन्दर’
सुन्दर – अरे यार बहार गए ही हो तो ट्रांसफोरमर वाली गली से ताज़े समोसे भी ले आना.
‘यार ट्रांस्फोर्मेर वाली गली में मैं कन्फ्यूज हो जाता हूँ.’ मेरा दीमाग दौड़ रहा था. ट्रांस्फोर्मेर वाली गली तक पैदल जाने और आने में कम से कम आधा घंटा लगेगा. पूरा खिलाडी था सुन्दर.
‘चलो अच्छा छोडो’ सुन्दर ने अनमने से कहा.
‘नहीं नहीं यार मैं जाकर देखता हूँ’ और मैंने फोन काट दिया.
मैं फिर दबे पांव सीडियां चड़ने लगा.
अब सोनिया खड़ी थी और सुन्दर ने उसे पीछे से पकड़ रखा था. सोनिया अपने को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी. फिर सुन्दर ने सोनिया को वैसे ही उठा लिया और बेड पर पटक सा दिया. सोनिया सुन्दर के हाथों में फूल की तरह से हल्की सी थी जिसे सुन्दर जैसे चाहे उठा रहा था.
सोनिया अब पीठ के बल बेड पर पड़ी थी. उसकी आँखों में डर जैसा कुछ था. पर सुन्दर ने बिना समय गवाए सोनिया को अपने नीचे दबा लिया. अब सुन्दर ने अपने हाथ सोनिया के अपर में डालने की कोशिश कारने लगा. सोनिया सुबह सुबह इस सब के लिए तैयार नहीं थी. वो रोकने की कोशिश कर रही थी. पर सुन्दर का हाथ गोलाइयों तक पहुंच ही गया. सोनिया का भी विरोध कुछ कम सा हुआ. सुन्दर ने अपना दूसरा हाथ तुरंत सोनिया के निक्कर में डाल दिया. जब तक सोनिया समझती तब तक सुन्दर दोनों किलों पर कब्ज़ा कर चूका था. फिर भी सोनिया छुड़ाने की कोशिश कर रही थी.
‘छोड दोना प्लीज़. ये आ गए तो मुसीबत हो जायेगी’ सोनिया की आवाज़ में डर और नशा दोनों था.
‘अभी रोहित को आने में आधा घंटा लगेगा. तुम्ही समय लगा रही हो.’ सुन्दर बात करते हुए सोनिया की निक्कर उतार रहा था. सोनिया ने आखरी कोशिश के रूप में अपनी निक्कर कसकर पकड़ रखी थी. पर आखिर सुन्दर ने सोनिया की निक्कर उतार ही दी. निक्कर उतरते साथ ही जैसे कमरे में अचानक रौशनी हो गयी!
अब सोनिया की गोरी काया पेट से लेकर पैर तक चमक रही थी. फिर कल से लेके अभी तक जो मै नहीं देख पाया था वो देखा. सुन्दर ने अपनी ऊँगली सोनिया की चुत में डाल दी. सोनिया ने ऑंखें बंद कर लीं और अपना विरोध जहां था वहीँ छोड दिया.
सुन्दर ने मौके का फायदा उठा सोनिया का अपर भी गले तक चढा दिया. अब सोनिया के गले में सिकुड़े पड़े अपर को छोड़ बिलकुल नंगी थी. सुन्दर ने तुरंत एक हाथ से अपना अंडरवियर नीचे खेंचा और सोनिया के ऊपर अपने को स्थापित करने लगा. सोनिया की गोरी जांघों के सामने सुन्दर का कला पूरा ताना लंड देख मेरा लंड पूरी हरकत में था. सुन्दर का लंड मेरे से थोडा सा बड़ा और मोटा था. सुन्दर का लंड मै कुछ सेकेण्ड से ज्यादा मै देख नहीं पाया क्योंकि सुन्दर सोनिया पर चढ गया और नीचे लंड सेट कर पहला धक्का मारा. सोनिया के मुंह से हल्की सी आह निकली. सुन्दर ने छोटे छोटे दो और धक्के मारे. अब सुन्दर का लंड फिर सोनिया की चुत में था. पर दिन की रौशनी में और मेरी अनुपस्तिथि में सुन्दर सोनिया को पूरी तरह अपनाना चाहता था. उसने सोनिया के दोनों पैर एक झटके से अपने कन्धों पर रख लिए. अब सोनिया निश्चित ही गहराई तक चोट महसूस कर रही होगी. उसकी ऑंखें कसकर बंद थी, दर्द से या मज़े में! तीन चार धक्कों के बाद सुन्दर ने और दबाव दिया और सोनिया के पैर दबा दिए. अब सोनिया धनुष बनी हुई थी और सुन्दर कस कस कर ढोल बजा रहा था. सुन्दर वक्त की नजाकत समझ रहा था और तेज तेज धक्के मार रहा था. सोनिया के होंठ तक सुन्दर के होंठ पहुँच चुके थे और फ्रेंच किस भी चल रहा था. तभी सोनिया जैसे सुन्दर के बाल खेंचने लगी. सुन्दर ने भी रफ़्तार और बढ़ा दी. अब दोनों एक साथ निपट गए.
सोनिया तुरंत एक झटके से उठी और अपने कपडे ठीक करने लगी. मुझे भी ख्याल आया और में तुरंत नीचे को उतर गया. गली के मोड से दूध के पैकेट लिए और पांच मिनट में लौट आया. दरवाज़ा को धक्का मारा तो वो खुला था. सुन्दर बेड पर अंडरवियर पहने बैठा था. सोनिया शायद बाथरूम में थी.
‘कहा था न मुझे ट्रांसफोर्मर वाली गली मिली ही नहीं.’ मैंने ऐसे ही बोला. तभी सोनिया बहार आ गयी.
‘बहुत टाइम लगा दिया?’ सोनिया ने वही कल वाले शोर्ट और टी शर्ट पहन ली थी. और दूध के पैकेट उठा वो किचेन में चली गयी. सुन्दर भी बाथरूम गया और कपडे पहेनकर बाहर निकला. सोनिया चाय ले आई और मैं .. मैं कमरे में सेक्स की महक सूंघ रहा था.
चाय पीकर सुन्दर जा चूका था. साला इतनी बार सोनिया के साथ सेक्स किया पर पहली बार जाना की चुदाई क्या होती है; सेक्स की महेक क्या होती है!
मै भी उठा और तैयार होने बाथरूम चला गया. नहा कर बाहार निकला तब तक सोनिया ने चादर बदल दी थी और घर की भी कुछ सफाई कर दी थी. अगरबत्ती जल रही थी. शायद सोनिया को भी सेक्स की महक महसूस हो रही होगी. खैर मै अनजान सा बना रहा.
आज कुछ आर्डर लेने थे सो मैं फटाफट तैयार हो गया. सोनिया भी नाश्ता ले आई. मैं नाश्ता करने लगा. सोनिया ज्यादा बात करने के मूड में नहीं लगी. पूरे समय वो किचेन में कुछ करती रही. नाश्ता करके मैं निकल गया. नीचे उतरा तो कर्नल साहेब से मुलाकात हो गयी. मैंने हलके से सिर झुका कर नमस्ते किया.
कर्नल साहेब हमरे मकान मालिक हैं. नीचे की मंजिल में वो खुद अकेले रहते हैं और ऊपर का हिस्सा हमें किराये पर दे रखा है. कर्नल साहेब को रिटायर हुए दो साल हुए हैं. उनके दोनों लड़के इंजिनियर हैं और बंगलौर में रहते है. कर्नल साहेब की बीबी का स्वर्गवास किसी गंभीर बिमारी से कई बरस पहेले हो गया है. कुल मिलाकर कर उनको मैंने ज्यादातर अकेले ही देखा है. घर के काम के लिए एक कामवाली दिन में दो बार आती है. कर्नल साहेब मुझे और सोनिया को बहुत मानते हैं. काफी अपनेपन और सलीके से पेश आते हैं.
‘और रोहित कैसे हो; होली पर घर नहीं गए?’ कर्नल साहेब ने पूंछा
‘अरे कहाँ काम से फुर्सत ही नहीं मिलती. सीज़न चल रहा है न.’ मैंने औपचारिक सा जवाब दिया और आगे बढ़ गया.
पूरे दिन काम में लगा रहा और घर लौटते शाम पांच बज गए. घर पर सोनिया ने शोर्ट्स और मेरी एक टी शर्ट पहेने थी. उसका देखते साथ ही कल और परसों की रात की याद ताज़ा हो गयी. कितनी तेज़ी से बदल रही थी सोनिया. कहाँ वो सूट ही पहना करती थी और कहाँ शोर्ट और टी शर्ट में आराम से रह रही है. मेरी टी शर्ट सोनिया को कुछ ढीली थी. गले के बटन खुले थे सो मम्मों का उपरी भाग काफी हद तक दिख रहा था. हाथ उठती थी तो बगल से अंदर तक दिखता था. ब्रा उसने पहेनी नहीं थी. मैं सोफे पर धम्म से बैठ गया. सोनिया ने पानी दिया और चाय बनाने लगी.
‘अंकल आये थे पुताई के लिए ठेकेदार को घर दिखाने. मैंने उन्हें शाम को चाय पर बुला लिया है.’ सोनिया कर्नल साहेब को अंकल बोलती है.
तभी दरवाज़े पे दस्तक हुई. सोनिया ने दरवाज़ा खोला. कर्नल साहेब खड़े थे.
‘आइये अंकल.’ मैंने उठ कर उनका स्वागत किया.
कर्नल साहब ने मुस्कुरा कर मुझे सरसरी नज़र से देखा और फिर गहरी नज़र से सोनिया को देखने लगे. मुझे कुछ अजीब लगा. फिर ध्यान आया की ऐसी मेनका सामने हो तो कौन न विश्वामित्र बनना चाहेगा!
कर्नल साहेब सोफे पर बैठ गए. मै भी बेड पर बैठा सोनिया पानी लेकर आ गई.
‘और कर्नल साहब क्या चल रहा है?’ मैंने कुछ बात करने की नीयत से कहा.
‘अरे बस ऐसे ही हम अकेले प्राणी का क्या. बस आज कल वर्ल्ड कप में ही टाइम पास हो जाता है.’ कर्नल साहब क्रिकेट के शौकीन थे. मुझे भी क्रिकेट पसंद था.
‘अरे सोनिया टी वी तो ओन करो इंडिया और श्रीलंका का मैच आ रहा होगा.’ कर्नल साहेब बोले.
सोनिया ने टी वी चालू कर दिया और खुद चाय बनाने चली गयी.
मैच में सौरव गांगोली पुरे फॉर्म में बटिंग कर रहा था. कर्नल साहेब भी ध्यान से देखने लगे. हम बीच में बातें भी कर रहे थे. तभी सोनिया चाय ले आई. चाय दे कर वो मेरे पीछे की तरफ बेड पर आधी लेट गई. मै और कर्नल साहेब चाय के साथ साथ मैच का मज़ा ले रहे थे. मैच बहुत मजेदार चल रहा था. लगता था की इंडिया बहुत बड़ा स्कोर बनाएगी.
पर मुझे कर्नल के हाव भाव आज कुछ अलग लग रहे थे. आज मैंने उसको सोनिया को कुछ ज्यादा ही घूरते पाया. जो ड्रेस सोनिया ने पहनी थी उसमें वो तो सामान्य थी पर सामने वालों का हाल बुरा हो जाता है. सोनिया की लंबी लंबी टाँगें जांघ तक शोर्ट्स के बहार थीं. जिस तरह से वो लेटी थी उससे मम्मों का बड़ा हिस्से की नुमाइश हो रही थी.
पर मैं हैरान ये था की ये कोनसा नया चैप्टर है! कर्नल तो मेरे नाटक में कोई पात्र था ही नहीं! शायद मेरे ऊपर सेक्स सवार था जो हर इंसान ऐसा लगता था जैसे सोनिया को चोद ही डालेगा. फिर तुरंत ही मुझे अपनि सोच पर अपराधबोध होने लगा. अब हमारी चाय खत्म हो चुकी थी. पर कर्नल साहब तल्लीनता से मैच देख रहे थे. सब सामान्य होते हुए भी मुझे अजीब सा लग रहा था. आज कर्नल साहेब कुछ ज्यादा ही खामोश थे.
सोनिया मेरे पीछे लेटी हुई थी. कर्नल साहेब ने हल्का सा बेड पर हाथ टेक दिया. ये मेरे पीछे हो रहा था. मैं अचानक उठा और पीछे हडबडाहट सी हुई. मेरा माथा ठनका. कुछ तो है जो मैं नहीं समझ रहा हूँ.
•
Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
मुझे जो भी कुछ हो रहा था वो सामान्य से अलग लग रहा था. कर्नल साहेब हमेशा से बहुत ही शालीन रहे हैं. पर आज मुझे लग रहा था की कुछ अलग हो रहा है. मै पानी पीने के बहाने उठा. किचेन से आइने के रास्ते सोनिया और कर्नल दिख रहे थे.
सोनिया की गोरी जांघें और पिंडलियाँ चमक रही हैं. कर्नल का हाथ सोनिया की पिंडलियों के बहुत करीब था. फिर कर्नल का हाथ सोनिया की पिंडलियों पर था. सोनिया थोडा कसमसाई. तुरंत एक नज़र किचेन की तरफ देखा फिर कर्नल की तरफ देखने लगी. उसकी नज़रों में जैसे एक बिनती थी!
मेरा दिमाग खराब हो गया. ये साला कौन नया खिलाड़ी आ गया? कल तक जो इतना शालीनता से पेश आ रहा था वो आज सोनिया पर हाथ फेर रहा है. और सोनिया, कल तक जो शराफत की मूर्ति थी वो आज खिलौना बन चुकी थी जिसे जो भी आया खेल गया.
कर्नल पर सोनिया की बिनती का फर्क नहीं पड़ रहा था. उसके हाथ अब सोनिया के घुटनों से ऊपर थे. जांघ के निचले भाग पर वो गोल गोल हलके हलके चल रहे थे. धीरे धीरे हाथ ऊपर की ओर जा रहे थे.
मैंने कुछ आवाज़ करते हुए गिलास किचेन के प्लेटफ़ोर्म पर रखा और कुछ पल रूककर बहार आ गया. कर्नल का हाथ अब सोनिया के पैर से हट गया था पर अभी भी बेड पर रखा था. हल्की मुस्कराहट के साथ वो मुझे देख रहा था. सोनिया बड़े ध्यान से टी वी देख रही थी. मैंने हल्का सा कर्नल की ओर देखकर मुस्कुराया और लेटकर टी वी देखने लगा. में ऐसे लेटा था कि पीछे कि गतिविधियाँ विभिन्न जरियों से दिख सके.
मेरे ध्यान जैसे ही मैच कि ओर गया वैसे ही कर्नल का ध्यान फिर सोनिया के जांघों पर चला गया. उसका हाथ सीधा सोनिया के जांघों के अंदर के भाग पर पहुँच गया बिलकुल जहाँ से शोर्ट शुरू होती है. सोनिया चुपके से मुझे देख लेती और फिर कर्नल को आँखों आँखों में कुछ कहने कि कोशिश करती. पर कर्नल था बहुत हिम्मतवाला. उसे सोनिया की घबराहट का कोई फर्क नही पड़ रहा था. अब उसकी उंगलियां नीचे से सोनिया के शोर्ट्स में जा चुकी थीं. सोनिया ने उठने की कोशिश की तो कर्नल ने उसकी जांघ दबा दी. सोनिया भी ज्यादा विरोध करके सब जाहिर करने की स्थिति में नही थी. कर्नल इस बात का पूरा फायदा उठा रहा था.
सुन्दर और फैसल तक तो ठीक था पर कर्नल तो मेरे पिता जी और सोनिया के ससुर की उम्र का था! ये सोनिया को हो क्या गया था. तभी सोनिया के मुंह से हल्की सि उंह की आवाज़ आई. अब लगभग कर्नल की पूरी हथेली सोनिया की शोर्ट्स में थी और उंगलियां निश्चित ही पैंटी के साइड से चुत की ओर बढ़ रही थीं. सोनिया जांघों को एक के ऊपर एक रखके दबा रही थी और दबाव से कर्नल का हाथ रोकने की कोशिश कर रही थी. अचानक उसने अपनी जांघें खोल दीं. अब कर्नल का हाथ कलाई तक ही नज़र आ रहा था. बाकी सोनिया की शोर्ट्स में था. कर्नल का सफर अबतक सोनिया की चुत तक पहुँच चूका होगा. ऊँगली जरुर अंदर होगी क्योंकि सोनिया की नज़रों में नशा सा दिखने लगा था. मैं सोच रहा था की दिन के उजाले में इससे आगे क्या हो सकता है?
टी वी पर एड आ रहा था. तभी कर्नल ने बोला ‘रोहित कभी सोचा है अपनी सोनिया भी मोडलिंग कर सकती है.’
मैं उसकी हिम्मत से आवाक रह गया. मेरे कुछ बोलने से पहले सोनिया बोल पड़ी ‘अंकल आप भी; ऐसा कहीं होता है. मैं तो अपने घर में ही खुश हूँ.’
नहीं बेटा वो तो ठीक है पर शौकिया ही सही. चलो मैं तुम्हारे कुछ फोटोग्राफ्स लेता हूँ.
अरे नहीं अंकल
पर तब तक कर्नल उठ कर जा चूका था. कुछ ही देर में वो एक केमरा लेकर आ गया. केमरा आधुनिक था. लग रहा था की कर्नल को फोटोग्राफी आती है. उसने मुझे उठाया और सोनिया की वैसे ही लेटे लेटे तस्वीरें लेने लगा. कुछ तस्वीरें लेकर उसने सोनिया को सोनिया को पेट के बल लिटा दिया और कुछ और तस्वीरें लीं. ये सब वो मेरे सामने कर रहा था. तभी उसने हाथ बढ़ा कर सोनिया का टी शर्ट का बटन खोलने लगा. सोनिया ने उसका हाथ पकड़ लिया. कुछ भी हो सोनिया इतनी तैयार नहीं थी. मैं टी वी देखने का नाटक कर रहा था.
मुझे अंदर ही अंदर बहुत गुस्सा आ रहा था. सुन्दर की बात अलग थी कर्नल तो मेरे पिता की उम्र का था. और सुन्दर या फैसल की बारी भले ही सोनिया चुदी पर पूरा कंट्रोल मेरे हाथों में था. यहाँ कर्नल ऐसे पेश आ रहा था जैसे उसे मेरी चिंता ही नहीं. पर मेरा लंड की अकड मेरे दिमाग की अकड पर भरी पड़ी. देखा जाएगा जो होगा.
दोस्तों इंसान की फितरत होती है सब कुछ नियंत्रण में रखने की और कुदरत की आदत है कुछ अनदेखा अनजाना करने की. मेरे साथ भी ऐसा ही हो रहा था. कर्नल पूरे मन से मेरी सोनिया के मज़े ले रहा था. मेरे दिमाग में कुछ आ ही नहीं रहा था की इस स्थिति से कैसे निपटूं.
सोनिया और कर्नल के बीच एक छोटा संघर्ष चल रहा था टी शर्ट के बटन खोलने को लेकर. आखिर कर्नल ने बटन खोल ही दिया. अब सोनिया के मम्मे काफी हद तक दिख रहे थे. कर्नल ने लालची बच्चे कि तरह फोटो खींचनी शुरू कर दीं. फिर सोनिया ने कहा ‘बस अंकल अब मूड नहीं है’.
अब कर्नल रुक गया, शायद नयी रणनीति बना रहा था. वो फिर सोफे पर बैठ गया. सोनिया पानी पीने किचेन में गयी और फिर वापस आ कर लगभग उसी जगह लेट गयी. पर हाँ अब उसकी कर्नल से थोड़ी ज्यादा दूरी थी.
फिर एक अंगडाई लेकर कर्नल उठ गया. सोनिया के पैर खिसकते हुए बोला ‘बेटा ज़रा खिसको थोडा थक गया हूँ.’
बेचारी सोनिया क्या बोलती, हल्का सा मेरी ओर खिसक गयी. और कर्नल ने सोनिया के पीछे मोर्चा संभाल लिया. अब कर्नल का ध्यान सोनिया कि पिछली गोलियों पर था. वो शोर्ट्स के ऊपर से सोनिया कि गांड सहला रहा था. सोनिया ने फिर उठने कि कोशिश की. कर्नल ने एक बार फिर सोनिया को उठने नहीं दिया.
सब कुछ इतना तेज हो रहा था कि बस मेरे पास दर्शक बने रहने के सिवा चारा भी क्या था. जब आपकी बीबी खुद कोई विरोध न कर रही हो तो आप कर भी क्या सकते हैं. मर्दानगी इसीमें है कि मज़े लो. पर मैं तो मज़े भी नहीं ले सकता. पूरे उजाले में कोई सोनिया के साथ खेलेगा तो मैं कब तक अनजान बनने का नाटक कर सकता हूँ. मेरे पास सीन से हटने के सिवा कोई चारा नहीं था.
मैंने अचानक अपने सर पर हाथ मारा ‘ओ यार मैं तो भूल ही गया, आज तो आर्डर फॉर्म भरने थे. मैं अभी कैफे से काम निपटा कर आता हूँ.’ ऐसा नहीं था कि काम अभी शाम को जरुर करना था और न ही ये कोई बहुत विश्वसनीय बहाना था. पर उस समय मुझे इससे अच्छा कुछ नहीं सुझा.
‘अरे आप कल भर देना आर्डर’ सोनिया ने जैसे बिनती कि.
नहीं यार कल किया तो आर्डर लेट करने का बहाना हो जाएगा. फिर कमीशन पर भी फर्क पड़ेगा.
‘चलो तुम फॉर्म भरो और हम तुम्हारे हिस्से का मैच देखते हैं.’ एक हल्की हंसी के साथ कर्नल ने उम्मीद के अनुसार कहा.
मैंने बिना कुछ और सोचे जल्दी से कपडे पहने और धीरे से बाय कह कर निकल गया. न जाने क्यों जाते हुए में सोनिया या कर्नल से मैं आँख नहीं मिला पाया.
बाहर आते साथ ही मैंने अपनी वाही जगह संभल ली जहां से सुबह सोनिया और सुन्दर की चुदाई देखी थी.
कर्नल ने मेरे जाते ही सोनिया सोनिया को कमर से पकड़ा और अपने आप से चिपका लिया.
‘अरे अंकल क्या करते हो’, और सोनिया उठ कर किचेन में चली गयी. कर्नल एक मिनट वैसे ही लेटा रहा. फिर उसने उठ कर अपना पैजामे में हाथ डालकर कुछ करने लगा. अब उसका लंड का उभार साफ़ दिख रहा था. साला पूरा खिलाड़ी था बुड्ढा! उसने तुरंत दरवाज़े कि सिटकिनी चढा दी और किचेन में चला गया. मैंने भी अपना एंगल बदला और आईने से किचेन देखने लगा.
सोनिया किचेन के प्लेटफार्म से टिकी पानी पी रही थी. कर्नल ने उसे फिर पीछे से दबोच लिया. सोनिया ने उसके हाथ झटक दिए.
आज क्या हो गया है अंकल आपको. रोहित आपकी कितनी इज्ज़त करते हैं और आप..
सोनिया सचमुच नाराज़ लगी.
‘अरे बेटा ऐसा क्या हुआ.’ कर्नल ने फिर से सोनिया की कमर को हाथों से घेर लिया.
आप ये क्या कर रहे हैं? रोहित के सामने मैं सीन नहीं बनाना चाहती थी. पर आप. मैं आपकी बेटी कि तरह हूँ.
तो मैंने ऐसा क्या किया? कर्नल ने अपनी कमर आगे बढाकर अपने लंड के भाग को सोनिया कि गांड से चिपका दिया.
सोनिया पहले से ही प्लेटफार्म से चिपकी थी अब कर्नल के दबाव से दबी जा रही थी. सोनिया को समझ कहीं आ रहा था क्या करे. बेशर्मी करनाल का एक हथियार था.
कर्नल ने सोनिया के गले में हाथ डाला और बोला ‘चलो मैच देखें.’
नहीं पहले आप बोलिए कि आप ये सब नहीं करेंगे
‘क्या सब बेटा?’ कर्नल ने सोनिया को आँखों में झांकते हुए कहा.
‘कुछ नहीं’ सोनिया बुदबुदाई.
कर्नल सोनिया को खींचते हुए बेड पर ले आया. हल्के से धक्के के साथ सोनोया बेड पर थी. कर्नल बिना समय गवाए सोनिया के पीछे से चिपक कर लेट गया.
कर्नल का हाथ सोनिया के पेट पर था और नाभि तलाश रहा था. सोनिया थोडा सा कसमसा रही थी.
ये क्या कर रहे हैं अंकल!
‘क्या बेटा टी वी देख रहा हूँ.’ और तब तक उसकी ऊँगली सोनिया कि नाभि कि गहराई नापने लगी. सोनिया कि गर्दन के पीछे के भाग पर उसने हल्का सा चुम्बन जड़ दिया. सोनिया ने चेहरा ऊपर को उठा लिया. अब कर्नल का हाथ सोनिया के टी शर्ट के अंदर था. सोनिया ने टी शर्ट के ऊपर से उसका हाथ पकड़ा हुआ था. सीमा पर लड़ाई जारी थी. पर जीत कर्नल कि हुई उसका हाथ लगभग कोहनी तक टी शर्ट के अंदर था. सोनिया के मम्मों पर कर्नल कि हथेली का कब्ज़ा था. सोनिया अभी भी कर्नल का हाथ हटाने कि कोशिश कर रही थी.
क्या अंकल छोडिये भी.
क्यों बेटा तुमने मोडलिंग के बारे में क्यों नही सोचा कभी
अंकल आप क्या कर रहे हैं!
कर्नल ने फिर अपने होंठ से सोनिया के गर्दन के पीछे चूम लिया. चुम्बन इस बार कुछ लंबा और गीला था.
सोनिया कर्नल से बचने के नीयत से पेट के बल लेट गयी. पर कर्नल का काम और आसान हो गया. वो तुरंत सोनिया के उपर लेट गया. हाथ उसका अभी भी सोनिया के मम्मों पर था.
‘अंकल ये सब मत करिये न प्लीज़.’ सोनिया के आवाज़ में हाफना और कंम्पना एक साथ था.
‘क्या बेटी सुन्दर को तो तुमने ऐसा नही कहा था.’
सोनिया एक दम से उठ बैठी. ‘आप क्या बोल रहे हैं अंकल.’
‘बेटा सुन्दर मेरे भतीजे की तरह है और चाचा भतीजे कि पटती भी बहुत है.’ कर्नल ने आँख मारते हुए कहा.
‘तो क्या हुआ. मुझे नहीं पता सुन्दर ने आपको क्या कहा. किसी से अच्छे से बोलना भी गुनाह है.’ मैं सोनिया के आवाज़ सुनकर हैरान था. क्या कोंफिडेंस था.
वही तो मुझसे भी ‘अच्छे’ से बात करने में तुम्हारा क्या हर्ज है.
पर अंकल आप तो नाजायज़ फायदा उठा रहे हो.
नहीं बेटा ऐसा कुछ नहीं है. तुम इतनी समझदार पढ़ी लिखी लड़की हो. और सोच इतनी पिछड़ी हुई. आज का समय तो दोस्ती का है. दोस्ती कोई गुनाह है.
बात गोल गोल घूम रही थी. सोनिया अपने आप से तर्क कर रही थी उस बेहेस में जो वो पहेले ही हार चुकी थी.
कर्नल ने बात बदल दी ‘गंगोली आज कपिल का रिकॉर्ड तो तोड़ ही देगा’
तभी गंगोली ने फिर एक और चक्का लगा दिया.
‘हम्म अंकल मैच तो हम पक्का जीतेंगे.’
‘हाँ बेटा मैच तो जीतना ही पड़ेगा’. कर्नल अब भी सोनिया से चिपका था. कर्नल का दाहिना हाथ सोनिया कि नाभि के इर्द गिर्द घूम रहा था. उसने अपना दाहिना पैर सोनिया के पैरों पर रख दिया. सोनिया हल्का सा ही हिली जैसे विरोध की रस्म अदा कर रही है.
‘वैसे अंकल सचिन आउट हो जाता है तो इंटरेस्ट कम हो जाता है.’ कर्नल का हाथ फिर से टी शर्ट में जाने लगा. सोनिया ने इस बार हाथ को रोका नही.
‘सचिन के शोट में जो जोर होता है कि कब बाउंडरी पार कर जाती है पता ही नहीं चलता.’ सोनिया ने आगे कहा. कर्नल का हाथ सोनिया के मम्मों पर घूम रहा था. सोनिया कि नाभि जैसे अकेली रह गयी थी. कर्नल ने अपना पैर तो पहले ही सोनिया के पैरों पर रख दिया था; अब वो अपने पैर से सोनिया के नंगे पैरों को रगड़ने लगा.
‘बेटा तुम्हें सचिन बहुत पसंद है?’ कर्नल ने अपना और थोडा बोझ सोनिया पर डाल दिया. अब कर्नल पूरी तरह से सोनिया से पीछे से चिपका था.
‘उंह अंकल मैं दब रही हूँ.
कर्नल ने हल्का सा अपना दबाव कम किया और हाथ जींस शोर्ट्स के बटन पर ले गया. सोनिया ने तुरंत कर्नल का हाथ पकड़ लिया. अब कर्नल सोनिया से अपना हाथ छुडाने कि कोशिश कर रहा था.
‘मैं तो अंकल मैंच देखती ही सचिन के लिए हूँ.’ सोनिया से कर्नल का हाथ छूट चूका था. उसने बिना देर किये शोर्ट्स का बटन खोल दिया. शोर्ट्स के बटन खुलते साथ ही सोनिया कि लाल पैंटी झाँकने लगी. कर्नल ने हाथ अंदर डालना चाहा तो सोनिया ने फिर हाथ पकड़ लिया.
‘मुझे तो बचपन से क्रिकेट पसंद है. जब टी वी नहीं था तो रेडियो पर कोमेंट्री सुनता था.’ कर्नल की कुछ उंगलिया ही शोर्ट्स के अंदर थीं और सोनिया ने उसका हाथ कसकर पकड़ा हुआ था.
‘रोहित भी क्रिकेट बहुत देखते हैं. बस कोई भी मैच हो मेरे पूरे सीरियल गए.’ सोनिया ने कहा. वहीँ सोनिया और कर्नल के हाथों का द्वन्द जारी था. आखिर सोनिया ने कर्नल का हाथ खींच ही लिया और अपने पेट पर छोड दिया. इस बार कर्नल ने सोनिया का हाथ पकड़ लिया. फिर धीरे हाथ को पीछे अपनी ओर ले आया. सोनिया ने हाथ तब हल्का सा झटका जब उसका हाथ पैजामे के ऊपर कर्नल के लंड पर था. पर कर्नल ने उसे हाथ हटाने नहीं दिया. आगे को झुककर सोनिया के बालों में फूंक दिया.
‘अरे अंकल गर्मी लगती है’ सोनिया ने सर आगे को खिसकते हुए कहा.
‘तो टी शर्ट उतार दो न बेटा’
‘अच्छा जी!’ सोनिया ने पीछे मुड़कर आंखे शरारत में तरेरी.
‘क्यों ऐसा क्या हुआ?’ कर्नल ने असमंजस में पुछा.
‘अंकल आप न! और रोहित जब आयेंगे तब?’
‘अरे वो कोई दरवाज़ा थोड़े ही तोड़ देगा. जब बेल बजायेगा तो पहेन लेना.’ कहते हुए कर्नल टीशर्ट ऊपर उठाने लगा. जब तक सोनिया ने कर्नल का हाथ पकड़ा तब तक उसकी टीशर्ट उसकी गोलाइयों को ऊपर थी. ब्रा तो उसने पहना नही था. कर्नल का हाथ अब उन गोलियों पर था. सोनिया ने फिर से कर्नल का हाथ पकड़ लिया. कर्नल ने सोनिया के हाथ को लेकर अपने पैजामे के अंदर घुसा दिया. सोनिया ने थोड़ी कोशिश जरुर कि हाथ निकलने कि पर कर्नल ने निकालने नहीं दिया. अपने लंड पर रख दिया. अब थोड़ी देर बाद सोनिया ने भी कोशिश बंद कर दी. कर्नल ने अपना पैर सोनिया के दोनों पैरों के बीच डाल दिया. सोनिया ने अपनी दोनों जांघों से कर्नल कि जांघ दबोच ली.
तभी गंगोली ने एक और छक्का लगाया. ‘वाट ए शोट’ कर्नल उत्साह से बोला ‘क्या कमाल है यार’
‘आप से कम है अंकल’ सोनिया ने शरारत में कहा.
क्यों मैंने ऐसा क्या किया?
अच्छा जी और ये क्या हो रहा है?
‘अरे तुम तो मेरी दोस्त हो.’ कह कर कर्नल ने सोनिया के मम्मे दबाने लगा.
दोस्त कि बेटी?
‘दोनों. अभी दोस्त हो फिर बेटी हो जाओगी.’ कर्नल ने अपना लंड सोनिया कि गांड से चिपका दिया. सोनिया का हाथ जो पैजामे के अंदर था दब सा गया.
हटो अंकल आप भी मेरा हाथ दबा दिया.
‘लाओ दिखाओ.’ कर्नल सोनिया का हाथ धीरे धीरे सहलाने लगा. फिर उसने सोनिया कि ऊँगली मुंह मे ले ली. फिर वो बारी बारी हाथ कि उंगलिया चूसने लगा. अब सोनिया कि साँसे सुनाई दे रहीं थीं.
सोनिया का किला जर्जर तो पहले से था अब ढहने लगा. कर्नल ने दुसरे हाथ से सोनिया कि टीशर्ट उतार दी.
अंकल ये आ गए तो?
वैसे सोनिया जानती थी कि आर्डर भरने में मुझे आम तौर पर दो से तीन घंटे लगते हैं.
‘तुम बेकार सोचती हो. कुछ नही होगा.’ कर्नल ने कहा और सोनिया गे गाल पर अपने होंठ रख दिए.
अंकल आप ऐसे होगे मैंने सोचा भी नहीं था.
अरे बेटा हम दोस्त हैं न!
‘दोस्त कि तरह रहिये न फिर.’ सोनिया ने हल्के से मुस्कुरा कर कहा. कर्नल ने सोनिया को पीछे से भींच लिया. दोनों हाथों में उसके दोनों मम्मे थे. फिर उसने सोनिया को घुमा दिया.
उधर गंगोली कि सेंचुरी हो गयी थी. इधर कर्नल कि बैटिंग जारी थी. उसने सोनिया को खिंचा और अपनी तरफ घुमा लिया. पैर को सोनिया के पैरों पर चढाकर अपनी ओर खींच लिया. फिर सोनिया को नीचे किया और खुद ऊपर चढ गया.
तीन दिन में तीसरी बार सोनिया किसी गैर मर्द के नीचे आई थी. सोनिया के ऊपर तो कोई कपडा बचा नही था. बस गले में मंगलसूत्र था. नीचे शोर्ट्स का बटन खुल चूका था. पैन्टी नज़र आ रही थी. कर्नल ने एक झटके से अपना कुर्ता उतारा और वो भी ऊपर से वस्त्रहीन हो गया. सोनिया सच में हल्का सा घबरा गयी.
‘क्या करते हैं अंकल? ये आ गए तो?’
‘अरे बेटी बेकार चिंता कर रही हो.’ और उसने फिर से सोनिया को अपने नीचे दबा लिया.
सोनिया ने सरसरी नज़र घडी कि ओर डाली. शायद हिसाब लगा रही थी कि अभी मुझे आने में कितना समय लगेगा. मुझे बाहर आये अभी पौना घंटा हुआ था. सोनिया के अंदाजे से अभी कम से कम डेढ़ घंटा और लगता मुझे आने में. उसे क्या पता कि मैं तो बाहर ही था. और तभी आऊंगा जब खेल हो जायेगा.
अब सोनिया कि काया पर सिर्फ एक छोटा शोर्ट दिख रहा था. उसका गोरा बदन कर्नल के नीचे दबा था. गोरे बदन पर मंगलसूत्र और हाथों में चूडियाँ बता रहीं थी कि कैसे किसी कि पत्नी लूटने को तैयार हो जाती है. कर्नल को भी समझ आ गया था कि अब खेल पूरा ही होगा. वो सोनिया के ऊपर झुक गया और पहली बार सोनिया के होंठ चूम लिया.
क्या अंकल बहुत परेशान कर रहे हो
दोस्त को तो परेशान करने का हक होता है. अब कर्नल अपना पैजामा खोल रहा था. सोनिया के होंठ उसके होंठों में कैद थे. ऑंखें मुंद गयी थीं. पैजामा उतारने के बाद कर्नल का ध्यान सोनिया के शोर्ट्स की ओर गया और एक पल में शोर्ट्स सोनिया के घुटनों तक पहुँच गया. जिस लाल पैन्टी कि पहले कर्नल झलक देख चूका था वो अब सोनिया के शरीर पर कसी हुई पूरी नज़र आ रही थी.
कर्नल का लंड दिखने लगा. अब कर्नल ने ज्यादा देर करना उचित नही समझा. एक झटके से पैन्टी भी हटाई और लंड चुत के दरवाज़े पर दस्तक दे रहा था.
क्या करते हो अंकल. रोहित आ जायेंगे.
पर अब कर्नल पूरे कंट्रोल में था. उसने एक धक्के के साथ अपना लंड सोनिया कि चुत में डाल दिया. दो तिन धक्कों में पूरा लंड सोनिया के अंदर था. सोनिया कि चुत भी एक होटल का कमरा बन गयी थी जिसमें तीन दिन में तीन गेस्ट लंड चेक इन कर चुके थे.
कर्नल धक्कों पे धक्के मारे जा रहा था और सोनिया उसके नीचे दबी थी. फिर धीरे से सोनिया के हाथ कर्नल कि पीठ सहलाने लगे. पर इतने में कर्नल का पानी छूट गया शायद. वो ढीला सा पड़ गया. सोनिया का चेहरा हल्का सा उदास लगा.
‘हटिये अंकल.’ और सोनिया उठी और कपडे ठीक करने लगी. मैंने भी पांच मिनट का समय देकर बेल बजा दी.
Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
मेरे बेल बजाते साथ ही दरवाजा खुल गया. दरवाज़ा सोनिया ने खोला.
उसके कपडे थोड़े से अस्तव्यस्त थे. टीशर्ट थोडा ऊपर चढ़ी थी. नीचे से पेट लगभग नाभि तक दिख रहा था. टीशर्ट का बटन खुला था सो मम्मों का काफी भाग झांक रहा था. शॉर्ट्स के ऊपर से लाल पैंटी हल्का सा नज़र आ रही थी. सोनिया को भी शायद आदत पड़ चुकी थी अब तक चुदाई के बाद अस्त-व्यस्त रहने की. या जब रेल बनी हुई है तो कब तक अपने को ठीक रखे!
कर्नल सोफे पे बैठा था. उसके कपडे बिलकुल ठीक थे जैसे मेरे जाने से पहले थे.
मैं अन्दर आया और धम्म से बेड पर बैठ गया. मैच के आखरी चार पांच ओवर बचे थे. श्रीलंका की वैसे ही धुनाई चल रही थी जैसे कुछ देर पहले सोनिया की हुई थी.
‘बेटा काफी काम रहता है तुम्हें भी. बड़ी देर लगा दी.’ कर्नल ने मुझसे कहा
‘हाँ कर्नल साहब सीज़न में तो होता ही है.’ मैंने जवाब दिया.
‘हाँ कुछ लोग बहुत देर लगाते हैं और कुछ बहुत जल्दी आ जाते हैं.’ सोनिया ने कर्नल को देखकर कहा.
उसका साफ कटाक्ष कर्नल पर था जिसने उसे प्यासा छोड़ दिया. मैं अनजान बनते हुए झूंठे ही हंस दिया. कर्नल भी खिसियाई हंसी हंसा. सोनिया की हिम्मत कितनी बढ़ गयी है!
मैच में दोनों इनिंग्स के बीच ब्रेक चल रहा था.
‘मैं और चाय बनती हूँ’ सोनिया बोल कर उठी और किचेन में चली गयी. जाते हुए मुझे लगा की कुछ ज्यादा कमर लचका रही है. शॉर्ट्स और टीशर्ट के बीचसे पेट और पीठ का काफी हिस्सा दिख रहा था.
‘और रोहित तुम तो घूमते रहते हो कभी सोनिया को भी घुमाया करो.’ कर्नल ने ऐसे ही बोला.
‘हाँ सो तो है पर काम से समय ही कहाँ मिलता है.’
हम फिर टीवी देखने लगे. सोनिया चाय लेकर आ गयी.
‘बेटी मैं रोहित से बोल रहा था कि तुम्हें घुमाने कहीं ले जाया करे. ‘
‘क्या अंकल इनको कहाँ फुर्सत.’ सोनिया ने थोडा शिकायती लहजे में कहा.
‘हाँ ये तो है. देखो मै भी खाली तुम भी खली; चलो हम ही घूम आया करेंगें.’
‘नहीं अंकल मैं जानती हूँ आप कैसा घुमायेंगें.’
मेरा माथा ठनका. ये सोनिया बोल क्या रही है! इतना खुला! फिर मुझे ध्यान आया की सोनिया की चुदाई मैंने तो देखी है पर सोनिया को ये बात पता नहीं है. तो सोनिया सोच रही होगी की मैं उसकी ये छुपी बातें नहीं समझ पाऊंगा.
‘अरे बेटी अभी घुमाया कहाँ है मैंने.’
‘नहीं अंकल मुझे तो बक्श ही दें.’
मैंने सोचा कुछ छुपी बातें हो रहीं हैं. चालो इन्हें कुछ समय दिया जाए. और मैं बाथरूम चला गया. पर हाँ बाथरूम से भी मेरा पूरा ध्यान उन्ही पर था, की-होल जिंदाबाद!
मेरे बाथरूम जाते साथ ही कर्नल ने सोनिया को कमर से पकड़ अपने ऊपर बैठा लिया. सोनिया अपने को छुड़ाने की कोशिश करती रही. कर्नल के हाथों का घेरा सोनिया की कमर के गिर्द कस गया.
‘क्यों, नाराज़ लग रही हो बेटी?’
‘अंकल ऐसे मत कीजिये. मुझे अच्छा नहीं लगता. कहीं इन्हें पता लगा तो मेरी मुसीबत हो जाएगी.’
‘अभी तो अच्छा लग रहा था.’
‘छोडिये भी अंकल मैं आप की कितनी इज्ज़त करती हूँ.’
‘मैं भी तो तुम्हारी इज्ज़त करता हूँ.’
‘इज्ज़त करते हैं तो ये क्या है?’ सोनिया खुश नहीं थी.
‘ये तो दोस्ती है.’ कर्नल ने हल्के से सोनिया का गाल चूम लिया.
‘मुझे नहीं करनी आपसे दोस्ती.’
कर्नल ने सोनिया को अपने से और चिपका लिया. ‘झूठ मत बोलो. अभी थोड़ी देर पहले तो पूरी दोस्ती थी.’
‘नहीं अंकल न तब दोस्ती थी न अब है.’
अब कर्नल के चेहरे के भाव कुछ कठोर हो रहे थे. उसने सोनिया पर अपनी पकड़ ढीली कर दी. अब सोनिया को शायद मजबूरन कर्नल के ऊपर से उठाना पड़ा. पर वो बगल में ही बेड पर बैठ गयी.
‘क्यों क्या कमी है मेरी दोस्ती में?’ कर्नल ने जब ये कहा तो मै कुछ सहम गया. लेकिन सोनिया पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.
‘आप इतना बड़े हो मेरे से. हम में दोस्ती से कैसे हो सकती है.’
‘तुम झूठ बोल रही हो.’
बहस जारी थी.
अचानक कर्नल ने कहा ‘ठीक है मै कल तीन बजे दोपहर में आऊंगा. अगर तुम्हारे घर का दरवाज़ा बंद होगा तो मैं समझ लूँगा की तुम्हें मेरी दोस्ती मंज़ूर नहीं. और अगर तुम ये दोस्ती आगे बढ़ाना चाहती हो तो दरवाज़ा खुला रखना.’
कर्नल भाषण सा दे उठकर चला गया. सोनिया कुछ सोचती सी बैठी रही. मै भी अब असमंजस में था. ये साला कर्नल तो अजीब आदमी है.
पर जो भी हो मुझे जानना है पूरी कहानी. पर जानू कैसे अगर मै घर पर रहा तो कुछ होगा ही नहीं. यही सोचते मैं बहार आ गया.
‘अरे कर्नल साहब कहाँ गये’ चौकने का नाटक करते हुए मैंने पूंछा.
‘उन्हें शायद कुछ ज़रूरी काम याद आ गया. बस उठकर चले गए.’
‘चलो ठीक है मैं भी थक गया हूँ.’ मैं बेड पर लेट गया. सोनिया भी मेरे बगल पेट के बल लेट गयी और मेरे बालों में उंगलियाँ चलाने लगी.
‘एक बात बोलूँ?’ सोनिया कुछ कहना चाहती थी
‘हाँ’
‘यार घर में ये शॉर्ट्स वगैरह पहनना ठीक है क्या?’
‘क्यों क्या हुआ? तुम्हें अजीब लगता है?’
‘नहीं अजीब की बात नहीं पर कोई आता है तो वो क्या सोचता होगा.’
‘क्यों किसीने कुछ कहा?’
मैं जानना चाहता था की सोनिया कहाँ तक खुलेगी. छोटे कपड़ों से सोनिया का एतराज़ तो मुझे समझ आ रहा था. जो आता है वो ठोंक देता है. मैंने सोचा की सोनिया जी वो तो अब तुम्हें बुर्के में भी चोद देंगें.
‘नहीं ऐसे ही देखो न अंकल या सुन्दर अजीब नज़रों से देखते हैं.’ सोनिया मुझे टटोलने की कोशिश कर रही थी.
‘अरे मुझे तो ऐसा कुछ नहीं लगा.’
‘यार वो सब देखने के लिए तुम्हें औरत की तरह जीना होगा.’ सोनिया ने हल्के से मेरे गलों पर होंठ रख दिए.
सोनिया का आमन्तरण मुझे समझ आ रहा था पर मुझे सोनिया के मन में क्या चल रहा है ये भी जानना था.
‘क्यों देखो न कर्नल साहब कैसे तुम्हारी फोटो खींच रहे थे.’
‘हाँ उन्होंने तुम्हारे सामने टीशर्ट का बटन खोल दिया और तुम कुछ बोले भी नहीं.’ सोनिया का हाथ मेरे बालों और सीने से होता हुआ नीचे जा रहा था.
‘तुम भी क्या दकियानुसी बात करती हो. अरे ऐसे फोटो खिचवाने से क्या होता है? मॉडल नहीं देखे तुमने.’ मेरे शारीर में सिरहन तो पहले ही शुरू हो चुकी थी. जब तक सोनिया का हाथ लंड तक पहुंचा तब तक वो पूरा खड़ा हो चूका था. अब सोनिया ने शोर्ट्स के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ना और दबाना शुरू कर दिया.
‘तुम्हें अच्छा लगेगा कोई मेरी मॉडल की तरह तस्वीरें खींचे?’ सोनिया ने मेरी ज़िप खोल दी थी और अब उसका हाथ मेरे अंडरवियर के अंदर सरकने लगा.
क्यों इसमें हर्ज ही क्या है? सुन्दर चेहरा तो लोग खूब दिखाते हैं तो सुन्दर शरीर क्यों छुपाते हैं! अगर सुन्दर शरीर सभी दिखाने लगें तो देखना ये जो लोग भूखी नज़रों से देखते है न वो सब काफी खत्म हो जायेगा.
‘तुम भी न..’ सोनिया के ठन्डे हाथ मेरे गर्म लंड को आनंद दे रहे थे. वो धीरे से अपना कमर के ऊपर मेरे ऊपर ले आई थी. उसके मम्मे मेरी छाती पर थे. मैंने हाथ उसकी पीठ ले गया और उसके होंठों को चूसने लगा. फिर मेरा हाथ उसकी टीशर्ट के अंदर था.
सोनिया ने लगभग खींचते हुए मेरी टीशर्ट उतार दी और पूरी तरह मेरे ऊपर आ गयी. मैंने अपनी बाँहों से सोनिया की पीठ घेर ली. मेरे लंड को अब सोनिया की निक्कर चुभ रही थी. सो मैंने भी बिना समय गंवाए सोनिया को निक्कर और टीशर्ट की कैद से आज़ाद कर दिया.
सोनिया को हल्का सा धक्का नीचे की ओर दिया. सोनिया तुरंत इशारा समझ गयी पर लंड चूसने के लिए नीचे जाने के बजाए वो घूम गयी. अब सोनिया का मुंह मेरे लंड पर था और मेरे मुंह पर सोनिया की पैंटी रगड रही थी. मुझे सोनिया का नया अग्रेशन भला लग रहा था. मैंने उसकी पैंटी को एक ओर कर उसकी चिकनी चुत में अपनी जीभ डाल दी.
सोनिया का शरीर थोडा सा अकड गया और दुसरे ही क्षण मेरा लंड सोनिया के गरम मुंह मे था. आज सोनिया पूरे जान से लंड चूस रही थी. उसके होंठ लंड की जड़ तक पहुंच रहे थे. ये आपसी चुसाई ज्यादा देर नही चल पाई. मुझे लगा की अगर ये रुका नहीं तो मेरा पानी छुट जाएगा.
मैंने सोनिया को फिर से पलट दिया और नीचे से ही अपना लंड सोनिया की चुत में डालने लगा. सोनिया ने हाथ से लंड पकड़ मेरा निशाने बिलकुल सटीक बैठा दिया. फिर एक धक्के के साथ मेरा लंड सोनिया के अंदर था. मैं सोनिया को नीचे ले आया और उसकी टाँगें उठा कर चुत की गहराई नापने लगा. कुछ देर में सोनिया की चुत से आवाज़ आने लगी. अब मैं बैठ गया और सोनिया को अपने ऊपर बिठा लिया. चुत उसकी अभी भी भरी थी.
मैंने सोनिया के होंठ अपने होंठो में लिए और सोनिया को अपनी जांघों पर उछालने लगा. सोनिया का हाल खराब था. वो पागलों की तरह अपनी जीभ मेरे मुंह में डाले जा रही थी. हम दोनों के शरीर पसीने से तरबतर थे.
सोनिया अचानक मेरे बाल खींचने लगी. मै भी मंजिल के करीब था. अब मैंने सोनिया को फिर नीचे लिटा दिया और पूरे जोश में धक्के लगाने लगा. सोनिया के बाल बिखरे हुए थे और उसके शरीर आनंद से तड़प रहा था. इसी सब के बीच मैंने अपना पानी छोड दिया. सोनिया ने मुझे कसकर पकड़ा हुआ था और मेरे दिमाग में था की कैसी थी मेरी परफोर्मेंस! अब भाई कम्पीटीशन जो बहुत हो गया था.
मैंने सोनिया को कस के चोदा. उसकी आज की प्यास शायद पहली बार बुझी थी. वो थोडा निढाल सी मेरे से हटकर लेट गयी. फिर उठकर उसने नाइटी पेहेन ली. मैंने सिर्फ शोर्ट्स ही पहने थे. टीवी पर श्रीलंका की बैटिंग शुरू हो चुकी थी. मै फिर मैच देखने लगा. सोनिया ने खाना दे दिया.
ऊपर से मैं शांत था पर मेरा दिमाग तेज़ी से चल रहा था. कल कर्नल ने तीन बजे आने को कहा है. मुझे जानना है की क्या होता है; या क्या नहीं होता है. अगर मैं घर में रुक जाता हूँ तो कुछ होगा ही नहीं. छिप कर देखना खतरनाक है.
मुझे याद आया कि करोलबाग वाले ओबेरॉय गारमेंट्स वाले ओबरॉय जी के लड़के ने एल्क्ट्रोनिक्स का काम शुरू किया है. ये एक रास्ता था कि मै घर में कैमरे लगा दूं और आराम से सोनिया कि लीला को देखूं. खाना खत्म कर मैं तुरंत छत पर आ गया और ओबरॉय को फोन किया. कई फोन के बाद पूरा इंतज़ाम हो गया. कल ग्यारह बजे मेरे पास दो अच्छे कैमरे आ जायेंगे. ये कैमरे घर में जो कुछ हो रहा है वो रिकॉर्ड भी करेंगे और मै चाहूँ तो जो भी हो रहा है उसे अपने खास इन्टरनेट अकाउंट से लाइव भी देख सकता हूँ. हाँ इसमें मेरी हैसियत के हिसाब से काफी पैसे लग जायंगे. पर वो इतना जरूरी नहीं है!
सारा इंतज़ाम कर मैं तस्सली से नीचे आ गया. मैच इकतरफ़ा था और मै काफी थका भी था. सोनिया का भी शायद यही हाल था. हमने कूलर चलाया और सो गए. सुबह सात बजे सोनिया ने चाय के साथ उठाया.
‘रात बड़ी जल्दी सो गए थे?’ सोनिया ने चाय मेरी ओर बढ़ाई.
‘हाँ थक सा गया था. तुम सुनाओ.’
‘बस और आज का क्या प्रोग्राम है?’
अब समझा सोनिया कर्नल के तीन बजे आने के बारे में सोच रही थी.
‘अभी कुछ देर को पेमेंट लेने जाऊँगा फिर दो बजे आर्डर लेने जाना है. शाम छे बजे तक आ जाऊँगा.’
पेमेंट लेना तो बहाना था असल में कैमरे की डिलीवरी लेनी थी. फिर सुबह कुछ खास नहीं हुआ. मै ग्यारह बजे तक कैमरे ले आया और दोनों कैमरे और माइक छुपा दिए. छुपाना मुश्किल नहीं था क्योंकि एक कैमरा दीवार घडी में छुपा था और एक पैन स्टैंड में. दोनों को सेट कर मैं कैफे पर चला गया और अपने खास अकाउंट में लाग ओन किया. मरे दोनों कैमरे और माइक बिलकुल भली तरह काम कर रहे थे.
सोनिया कुछ गुनगुना रही थी. उसने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और नाइटी उतार दी अब वो बस एक लाल प्रिटेड पैंटी में थी. उसकी गोलाईयां तनी हुई थीं. शायद नहाने की तैयारी कर रही थी.
उसने अलमारी खोली और पहले एक डिब्बा निकाला. ये वेक्सिंग का सामान था. फिर काफी देर ढूढ कर एक सेक्सी सी ब्रा और पैंटी निकाली. में उत्सुक था की और क्या पहनेगी आज मेरी सोनिया. पर वो ये सब लेकर बाथरूम में चली गयी.
अब मुझे खाली कमरा और किचेन दिख रहा था. बाथरूम से बस कुछ आवाजें आ रहीं थीं. मैं और बीस मिनट तक सब देखता रहा. फिर सोनिया को बाथरूम से आते देखा. उसने सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनी थी जोकि काली और जालीदार थीं. ब्रा कन्धों पर बिना स्ट्रेप वाली थी. उसका सेक्सी रूप देख मुझे कुछ कुछ होने लगा पर इस सब का अभी समय नहीं था. सोनिया तो कर्नल के लिए तैयार हो रही थी.
मैं तुरंत उठा और पांच मिनट में घर की बेल बजा रहा था. सोनिया ने दरवाज़ा खोला तो मैं उसे देखता रह गया. उसने छोटी सी स्किर्ट पहनी थी जिसमें उसकी चिकनी टांगें लगभग पूरी नज़र आ रही थीं. ऊपर उसने एक टी शर्ट पहनी थी जिसका गला इतना बड़ा था कि पूरे नंगे कंधे नज़र आ रहे थे. उसके मम्मे भी लगभग आधे से ज्यादा नंगे नज़र आ रहे थे.
‘कैसी लग रही हूँ?’ सोनिया ने पूंछा
‘बहुत अच्छी. ये ड्रेस कब खरीदी?’ मैंने पूंछा
‘अरे बस ऐसे ही. बुरा तो नहीं लग रहा? कुछ ज्यादा ही छोटी हो गयी है स्किर्ट लगता है.’
नहीं ऐसा कुछ नहीं है. तुम तो बेकार सोचती रहती हो. हर लड़की को कुछ सेक्सी लगना चाहिए.
छोडिये भी. आप का बस चले तो मुझे कुछ पहनने ही न दो!
हाँ ये तो सही है. तुम बिना कपडे तो बहुत ही सुन्दर लगती हो. आज किसे क़त्ल करने का इरादा है?
अरे जाइए आप तो बस क्या क्या बोलते रहते हो. वैसे भी होली के दिन से आप कुछ बदले बदले लग रहे हो.
नहीं तो ऐसा क्या है.
क्यों कल जब कर्नल अंकल मेरी फोटो खींच रहे थे तो तुमने कोई एतराज़ नहीं किया.
अरे इसमें एतराज़ वाली क्या बात है? सुन्दर औरत कि सेक्सी तस्वीरें देखने में मज़ा आता है. तुम्हें अच्छा नहीं लगता क्या.
‘नहीं अच्छा तो लगता है पर कहीं बदनामी न हो इससे डरती हूँ.
अरे बदनामी कि सवाल ही क्या. हम अपने घर में कैसे भी रहें किसी को क्या?
अपने घर में कैसे भी रहें तुम्हे एतराज़ नहीं है?
‘नहीं बिलकुल नहीं.’ मैंने जवाब दिया.
सोच लो अभी कहीं बाद में सोचना पड़े. और मुझे न बोलना फिर कभी. मैं तो तुम्हारी मर्ज़ी से चल रही हूँ. फिर कभी शिकायत करो.
सोनिया अब कुछ खुला खेल रही थी. बात जो होली से शुरू हुई वो अब काफी आगे निकल रही थी. ‘नहीं मै कोई शिकायत नही करूँगा.’
‘और कभी मुझसे कुछ पूंछोगे भी नहीं.’ सोनिया बोली
क्यों मैडम इरादा क्या है?’ मैंने सोनिया को छेड़ा
‘नहीं वैसे ही. अब तुम कहते रहते हो कि खुल कर रहो तो सोचा कि हर्ज ही क्या है.’
‘चलो तुम खाना खा लो तुम्हें निकलना भी होगा.’
एक बज गया था. खाना खाते खाते दो बज गए. फिर मैं तैयार होकर लिकल पड़ा. कैफे पहुंचकर अपने घर के कैमरे देखने शुरू किया तब तक ढाई बज गया था. घर का दरवाज़ा अभी अंदर से लोक था. सोनिया ने अलमारी खोली हुई थी. फिर उसने चूडियों का डिब्बा निकला और लाल चटक रंग कि चूडियाँ पहनने लगी. अब कर्नल के बताये समय में सिर्फ १५ मिनट बाकी थे. तभी सोनिया किसी को फोन करने लगी. फोन मेरा ही बज उठा.
‘हाँ बोलो’
सोनिया – कब तक आओगे
मैं – क्यों
सोनिया – अरे सोचा जरा सब्जी वगैरह ले आऊं. जल्दी आओगे तो घर पर ताला मिलेगा.
में – चिंता मत करो मुझे कम से कम तीन चार घंटे लगेंगे. फिर भी आने से पहले मैं फोन कर लूँगा.
ओके बाय कह कर सोनिया ने फोन काट दिया.
मेरी भावों पर हल्का सा पसीना आ गया. मुझे मालुम था कि सोनिया को कहीं जाना नहीं था. बस ये उसकी एक चाल थी कि कहीं मैं बीच खेल में न आ जाऊं. अब मुझे सोनिया कि चाल ढाल अजीब लग रही थी. मैं उसे चला रहा था या वो मुझे!
फिर उसने सेंट उठाई और हल्की सी लगा ली. अब दरवाज़े का लोक खोल दिया. खुद वो बेड पर पैर फैला कर बैठ गयी.
क्या सीन था. सोनिया बेड के सिराहने टेक लगाकर बैठी थी. टाँगें जो उसने सामने कि ओर फैला रखी थी चमक रहीं थीं. टीशर्ट से कंधे और दो तिहाई मम्मे बाहर थे. गले में मंगलसूत्र था जो टीशर्ट के अंदर लटक रहा था. टीशर्ट थोड़ी लुज़ थी सो हल्का सा झुकने से ही उसका कला ब्रा नज़र आ रहा था. मैंने घडी देखी. ठीक तीन बजे थे. फिर दरवाज़ा धीरे से खुला और कर्नल शोर्ट्स और टीशर्ट में नज़र आया.
‘अरे अंकल आप’ सोनिया ने हल्के से उठने कि कोशिश कि पर कर्नल ने उसे जांघों से पकड़ लिया.
‘बैठो बेटी’
‘कैसे आना हुआ’ सोनिया ने पैर मोड लिए थे.
कहा था न तीन बजे आऊंगा. तुम तो अनजान बन रही हो. दरवाज़ा क्यों खुला छोड़ा
अरे वो तो अंकल ऐसे ही
कर्नल ने उठकर दरवाज़ा कि सिटकिनी लगा दी.
‘अरे क्या कर रहे हैं अंकल’ सोनिया उठते हुए बोली
‘छोडो सोनिया ये खेल मत खेलो. टाइम खराब मत करो.’ कर्नल ने अपनी टीशर्ट उतार कर सोफे पर फ़ेंक दी. अब उसका बालों से भरा सीना और ऊपर का भाग बिना कपड़ों के था. उसने तुरंत सोनिया को गले से लगा लिया और उठा कर गुडिया कि तरह बेड पर फिर से बिठा दिया.
अरे अंकल रुको ये क्या कर रहे हो? पानी तो पी लो.
मुझे तो कोई और प्यास लगी है सोनिया.
‘कैसी प्यास’ सोनिया ने ऑंखें नचाकर कहा
कर्नल सोनिया के बगल में बैठ गया और सोनिया के बाल पीछे से पकड़कर उसके होंठ अपने होंठों तक ले आया. अब सोनिया के होंठ कर्नल के होंठों में कैद थे, सोनिया कि हल्की सी गुं गुं कि आवाज़ ही आ रही थी. कर्नल का दायाँ हाथ सोनिया कि जांघों पर फिसल रहा था. जल्दी ही वो स्किर्ट के अंदर पहुँच गया था. सोनिया ने किसी तरह अपने होंठों को छुडाया.
‘क्या अंकल आप बहुत परेशान करते हो. मेरे पास ऐसी प्यास का कोई इलाज नहीं हैं. चाय पीनी हो तो कहिये.’ सोनिया ने मुस्कुराते हुए कहा.
‘चलो चाय ही पीला दो’
सोनिया उठकर चाय बनाने लगी. कर्नल ने अपना शोर्ट्स भी उतार कर सोफे पर रख दिया. अब उसने सिर्फ फ्रेंची पहनी थी.
वो उठा और किचेन कि ओर बढ़ गया. सोनिया चाय में चीनी डाल रही थी. कर्नल ने सोनिया को पीछे से पकड़ लिया. उसके होंठ सोनिया के कंधे को चूमने लगे.
क्या कर रहे हैं अंकल
‘रोहित कहाँ गया है सोनिया’ कर्नल ने सोनिया को अपने से चपका लिया.
सोनिया को तुरंत कुछ महसूस हुआ और मुड़कर देखा. ‘अरे आपने शोर्ट्स क्यों उतार दिए?’
बस ऐसे ही गर्मी लग रही थी.
‘कल तो ये गर्मी कहीं चली गयो थी शायद.’ सोनिया ने छेड़ा.
‘वो तो आज देखेंगे.’ कर्नल ने सोनिया को कसकर भींच लिया.
अरे अंकल आप सांस तो लेने दो.
‘रोहित कब आएगा बोलोना.’
‘पता नहीं.’ सोनिया ने छोटा सा ऊत्तर दिया.
‘ठीक है मै फोन करके पता करता हूँ.’ और कर्नल अपना मोबाइल लेने चला गया.
‘अरे सात बजे तक आयेंगे’ सोनिया ने जल्दी से कहा
‘हूँ. पहले बोलना था तुम भी बहुत शैतान हो गयी हो.’ अब कर्नल फिर बेड पर आराम से पसर गया. सोनिया थोड़ी देर में दो कप में चाय ले आई. एक कप कर्नल को पकड़ा कर खुद सोफे पर बैठ गई. कर्नल के कपडे शायद उसे चुभे.
‘आप भी न …’ भुनभुनाते हुए उसने कपडे उठाए और सामने कुर्सी पर रख दिए.
दोनों चाय कि चुस्की ले रहे थे.
‘बुझी कुछ प्यास अंकल?’ सोनिया कि मुस्कराहट अजीब सी थी.
अरे बेटा चाय कि प्यास तो ठीक है पर मुझे कुछ और ही प्यास लगी है. तुम्हें भी पता है कि वो प्यास तो तूम ही बुझाओगी.
मुझे नहीं पता किस प्यास कि बात कर रहे हैं आप.
बता दूँ
हां कहिये
मुझे तेरी चुत कि प्यास है.
ऐसा खुला सुनके मुझे और सोनिया को झटका लगा.
क्या बोल रहे हैं अंकल.
अरे क्यों तू नहीं चुदना चाहती?
अंकल ऐसे मत बोलो प्लीज़. ऐसा कुछ नहीं है.
कर्नल उठा अपना और सोनिया का कप केचेन में रख कर आ गया. वो सोनिया के सामने खड़ा हो गया. उसका खड़ा लंड फ्रेंची के उंदर से साफ दिख रहा था. सोनिया कि नज़र एक बार उसके लंड पर टिकी फिर उसने ऊपर कर्नल कि आँखों मे देखा.
कर्नल ने सोनिया की टीशर्ट को पकड़ा और उतारने लगा. सोनिया ने थोड़े न नुकर के बाद टीशर्ट उतरने दिया. अब उसकी गोरी काया पर कला ब्रा चमक रहा था. मंगलसूत्र जो अभी तक टीशर्ट के अंदर तक लटक रहा था अब पूरा नज़र आ रहा था. कर्नल ने सोनिया को बगलों से उठाया और अपने से चिपका लिया. सोनिया भी अपने पैरों को कर्नल के कमर के गिर्द बाँध कर कर्नल से चिपक गयी. कर्नल फिर से सोनिया के होंठ पीने लगा. सोनिया किसी बेल की तरह कर्नल से चिपकी थी. कर्नल का लंड सोनिया की पैंटी के ऊपर से उसकी चुत को सलामी दे रहा था. कुछ देर ऐसे ही सोनिया के होंठ चूसने के बाद कर्नल ने सोनिया को बेड पर लिटा दिया और खुद ऊपर लेट गया. सोनिया की उंगलियां कर्नल के बालों में धंसी थीं. हर हरकत के साथ उसकी चूडियाँ खिल खिला रहीं थीं.
कर्नल ने हाथ नीचे ले जाकर सोनिया की स्किर्ट का बकल खोल दिया.
क्या करते हो अंकल
तुझे चोदने जा रहा हूँ.
‘नहीं अंकल ऐसा मत करो.’ सोनिया की आवाज़ की कंपन साफ़ थी.
‘तुझे भी तो चुदने का मन है मेरी जान.’ कर्नल खुलता जा रहा था.
नहीं ऐसा कुछ नहीं है. आप जबरदस्ती कर रहे हो.
‘तो ठीक है जब तक तू खुद नहीं कहेगी की मुझे चोदो तब तक मै तुझे नहीं चोदूंगा.’ आज कर्नल सोनिया से खेल रहा था. मेरा बुरा हाल था. कैफे के काबिन में मैंने शर्ट बाहर निकाल ली और ज़िप खोल कर लंड पर हाथ फेरने लगा.
उधर कर्नल सोनिया के बगल में लेट गया और सोनिया के हाथ अपनी फ्रेंची मे डाल दिया. सोनिया का हाथ मशीन की तरह कर्नल के लंड को सहलाने लगा. कर्नल ने सोनिया की पीठ पर हाथ लेजा सोनिया की ब्रा खोल दी. ब्रा हटाने में सोनिया ने कर्नल का सहयोग किया. होंठ तो उसके फिर से कर्नल के होंठों में कैद थे. सोनिया की स्किर्ट तो पहले से खुल चुकी थी. कर्नल ने उसे भी अपने पैरों से नीचे सरका दिया. अब सोनिया सिर्फ पैंटी मे थी और कर्नल के हाथ सोनिया के मामों को गूंध रहे थे. सोनिया का हाथ अभी भी कर्नल के लंड पर था पर शायद फ्रेंची के अंदर सोनिया को लंड सहलाने में दिक्कत हो रही थी. उसने कर्नल का लंड फ्रेंची से बहार निकाल लिया. अब वो पूरी तन्मयता से लंड की सेवा करने लगी. नीचे गोलियों के पास से हाथ सहलाते हुए पूरी लंड की लम्बाई नापते हुए ऊपर तक जाती फिर चमड़ी पीछे कर टोपे को सहलाती. छिद्र पे हाथ फेरती और फिर नीचे का सफर शुरू कर देती.
कर्नल को कितना आनंद आ रहा है ये मैं महसूस कर सकता था. फिर कर्नल ने सोनिया के सर को नीचे धकेलना शुरु कर दिया. सोनिया ने तुरंत इशारा समझ लिया. उसने अपनी जीभ निकली और कर्नल का टोपा आइसक्रीम की तरह चाटने लगी. कर्नल ने अपनी ऊँगली सोनिया की पैन्टी के बगल से अंदर डाली और चुत में घुसा दी. सोनिया ने एक लंबी सी सांस अंदर ली. सोनिया का जोश बढ़ता जा रहा था. उसने अपना मुंह खोल सीधा कर्नल के लंड पर धंसा दिया. अब सोनिया के होंठ से कर्नल के लंड के आस पास के बाल टकरा रहे थे. लगभग सात इंच का पूरा लंड सोनिया के मुंह मे था. कर्नल की ऊँगली तेज़ी से चुत में चल रही थी और मजबूरन सोनिया भी कर्नल के लंड को तेज़ी से अपने मुंह के अंदर बहार कर रही थी.
कर्नल ने सोनिया की पैंटी लगभग फाड़ते हुए उतर दी. और अपनी फ्रेंची भी जल्दी से अलग हटा दी. अब बेड पर दो पूरे निवस्त्र जिस्म थे.
कर्नल ने सोनिया को कमर से अपनी ओर खिंचा और अपनी जीभ सोनिया की गीली चुत में घुसा दी. अब तो सोनिया की हालत खराब हो गयी. कर्नल की जीभ सोनिया की चुत में घुसी थी और हाथ सोनिया के मम्मों को दबा रहे थे. सोनिया पूरी तरह से कर्नल से चिपकी थी. उसका मुंह कर्नल के लंड पर ऊपर नीचे फिसल रहा था. कमरे में चप् चप् की आवाजें आ रही तथी. कर्नल ने सोनिया की पोनी खोल दी. अब उसके बाल बिखर चुके थे. चेहरे के पसीने में उसके कुछ बाल उसके चेहरे से चिपक गए थे. उसका मंगलसूत्र बार बार कर्नल के लंड से उलझ जा रहा था.
कर्नल ने अपना मुंह सोनिया की चुत में और धंसा दिया. अब सोनिया के लिए सहना मुश्किल था. उसने अचानक अपना मुंह लंड से हटा लिया. जैसे सांस ले रही हो.
ओह करो न अंकल
क्या बेटा
उंह अंकल परेशान मत करो
बोलो तो बेटा
आप भी मुझे पूरा बेशर्म बना दोगे…. चोदो न अंकल.
कर्नल की चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी. पर वो सोनिया को और तरसना चाहता था. ‘क्या चाहिए बेटा.’
सोनिया लंबी लंबी सांसे ले रही थी.
‘बोलो न’
‘लंड चाहिए आपका’
कर्नल ने लेटे ही लेटे सोनिया को गुडिया की तरह उठाया और उसकी चुत को अपनी लंड पर उतरने लगा. सोनिया की तसल्ली भरी आह निकली. कर्नल ने सोनिया की कमर को कस के नीचे दबाया और नीचे से एक जबरदस्त झटका दिया. एक आह के साथ सोनिया की चुत में पूरा लंड उतर गया.
कर्नल ने अब सोनिया को करवट से लिटा दिया और उसकी एक जांघ पर बैठ गया. सोनिया का दूसरा पैर हवा में उठाकर धक्के लगाने शुरू कर दिए. हर धक्के के साथ सोनिया के मुंह से आह निकल रही थी और चूडियाँ खनखना रहीं थीं. सोनिया के मम्में उछल उछल कर चुदाई की तेज़ी बयान कर रहे थे.
फिर कर्नल ने सोनिया को घोड़ी बना दिया और पीछे से लंड पेल दिया. सोनिया की एक और आनंद भरी चीख निकली और फिर आह आह की रिदम कायम हो गयी. थोड़ी देर ऐसे ही चला फिर शायद सोनिया थक गयी. पेट के बल बेड पर लेट गयी. कर्नल ने लंड को बहार नहीं निकलने दिया. अब भी उसके धक्के जोरों पर थे. सोनिया की ऑंखें आनंद से बंद थीं. फिर एक जोर की चीख के साथ सोनिया ने बेड की चादर को मुठ्ठियों में भींच लिया. करनल ने धक्के और तेज कर दिए. दोनों ही एक साथ आये. सोनिया निढाल हो गयी. करनल हल्के हल्के धक्के मारता रहा. मेरा हाथ मेरे लंड पर तेज तेज चल रहा था.
मज़ा आ गया आज के खेल में. पर सोनिया कितना बदल गई थी कुछ ही दिनों में!
•
Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
कर्नल ने धीरे धीरे अपने धक्के रोक दिए. अभी भी सोनिया के ऊपर कर्नल चढ़ा हुआ था. शायद उसका लंड अभी भी सोनिया के अन्दर था. सोनिया हल्का हल्का हांफ रही थी. उसके हाथ अभी भी चादर को पकडे हुए थे. पूरी कामलीला को ढाई घंटे हो चुके थे.
फिर कर्नल सोनिया के ऊपर से उठा और बगल में लेट गया. ‘मेरी जान जरा पानी लाओ.’
सोनिया उठी और अपनी पैन्टी ढूंढने लगी.
अरे मेरी जान ऐसे ही जाओ न.
‘क्या अंकल आप भी बहुत परेशान करते हैं.’ और सोनिया बिना एक भी कपडे के किचेन गयी और पानी लेकर आ गयी.
क्या सीन था. सोनिया के खड़े निप्पल और सुडौल मम्मे उसकी चलने के साथ साथ उछल रहे थे. कर्नल ने गिलास हाथ में लिया और सोनिया को कलाई से पकड़ अपने ऊपर खींच लिया.
छोडिये भी अंकल बहुत हो गया.
कहाँ मेरी जान अभी तो शुरू हुआ है.
नहीं अंकल ये ठीक नहीं है. रोहित को पता लगा तो मुसीबत हो जाएगी.
‘तुम चिंता बहुत करती हो. रोहित की फ़िक्र मेरे ऊपर छोड़ दो. और तुम मज़े लो.’ कहकर कर्नल सोनिया की गांड पर हाथ फेरने लगा.
सोनिया छिटक कर कर्नल से दूर हो गयी ‘आप बहुत आगे बढ़ रहे हो.’
‘आगे तो बढ़ चुके हैं. अब तो रोज़ चोदुंगा तुझे.’
‘अंकल ऐसे न बोलो प्लीज़.’
‘क्यों मज़ा नहीं आया था?’
जाओ अंकल मै नहीं बोलती. आपको तो बस बेईज्ज़ती करने को कहदो!’
‘क्यों इसमें बेईज्ज़ती की क्या बात है. तुम्हें मेरा लंड अच्छा नहीं लगा तो बोलो.’
‘नहीं अच्छा लगा आपका लंड; बस.’
‘तो किसका अच्छा लगा था? सुंदर से भी खूब चुदी थी तू.’
‘पता नहीं आप क्या बोल रहे हैं ऐसा कुछ भी नहीं था.’
‘अच्छा पूछवाऊँ सुंदर से’
‘हाँ पूछवा देना’
‘देर कैसी अभी लो’ कर्नल ने मोबाइल निकला और फ़ोन करने लगा.
‘हाँ भाई सुन्दर कहाँ हो’
‘….’
‘अरे तेरा माल चोद कर हटा हूँ तो सोचा तुझे बता दूँ. ले बात कर.’ और कर्नल ने स्पीकर ओन कर फ़ोन सामने बेड पर रख दिया.
सुन्दर – और जान क्या चल रहा है
सोनिया चुप रही. कर्नल उसके गले में हाथ डाल कर उसके मम्मे सहलाने लगा.
कर्नल – बोल न जान तेरा जानू कुछ पूंछ रहा है. सुन्दर पता बड़े मज़े आये साली को चोदने में.
सोनिया ने सर नीचे झुका लिया था.
सुन्दर – क्यों भाभी बोलो तो कुछ
कर्नल ने जोर से सोनिया के निप्पल ऐठ दिए. सोनिया के मुंह से हलकी सी आह निकली.
सुन्दर – क्या अंकल पेल दिया क्या
सोनिया- सुन्दर क्या बोल रहे हैं आप.
कर्नल ने सोनिया के मम्मे को फिर जोर से दबा दिया.
सोनिया – आह .. अंकल क्या है.
कर्नल – बड़ी मस्त है ये साली. मज़ा आ गया.
सुंदर – क्यों भाभी क्या बोल रहे हैं अंकल?
सोनिया – आप लोग मुझे परेशान क्यों कर रहे हैं!
सोनिया पूरी नंगी कर्नल के बगल में लेटी थी. कर्नल ने उसे आगोश में ले रखा था.
सुन्दर – क्यों मज़ा नहीं आया अंकल से चुदवाने में.
सोनिया – आप को भी बस ऐसी ही बातें आती हैं.
सुंदर – साली सिर्फ बातें करता हूँ? कहे तो आ जाऊं चोदने
कर्नल – वैसे आजा तो मज़ा आ जाये. साली को खूब चोदेंगे चाचा भतीजे. मस्त नंगी पड़ी है.
सोनिया (हडबडा कर) – अरे रोहित के आने का टाइम हो रहा है
सुन्दर – (हंसी से के साथ) और जो अंकल के साथ लेटी है. तेरे बेड पर ही चोदा न तुझे
सोनिया चुप रही
करनल ने फिर मम्मा दबाया. ‘बोल बेटी”
सोनिया – अहं… हाँ
सुन्दर – बता न अंकल क्या कर रहे हैं
कर्नल ने मम्मों को सहलाना जारी रखा.
सोनिया – कुछ नहीं बस परेशान कर रहे हैं.
कर्नल – बेटी परेशान कहाँ कर रहा हूँ! बता न अच्छे से क्या हो रहा है.
कर्नल ने सोनिया की तरफ करवट लेकर अपना एक पैर सोनिया के पैरों पर चढ़ा दिया. उसका लंड फिर मजबूत हो रहा था और सोनिया की चिकनी जांघ से घिस रहा था.
सोनिया – क्या करेंगे; अकेला देख आ गए हैं.
सुन्दर – क्या अंकल अकेले देख चोद दिया! रोहित के सामने चोदना था न जैसे मैंने चोदा.
सोनिया – सुन्दर आप क्या कह रहे हो. कुछ तो ख़याल करो मेरी इज्ज़त का!
कर्नल का हाथ अब सोनिया की जांघ के अन्दर की तरफ फिसल रहे थे.
सोनिया – ऐसा करोगे तो मैं आप दोनों से बात नहीं करुँगी.
कर्नल का हाथ सोनिया की चूत तक पहुँच गया. हल्का सा सहला कर कर्नल ने एक ऊँगली सनिया की चूत में डाल दी. सोनिया के मुंह से आह नकली.
सुन्दर – बोल न साली क्या हो रहा है? नहीं तो अभी आता हूँ और रोहित के सामने ही चोदुंगा तुझे.
सोनिया – आह अंकल फिर शुरू हो गए हैं.
सोनिया कर्नल का हाथ पकड़ने की कोशिश कर रही थी पर कर्नल कर्नल ने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया.
कर्नल – अभी कहाँ जान. लंड तो बहार है झूठ मत बोल.
सुंदर – बोल न जान क्या हुआ.
सोनिया की आँखों में फिर से सुरूर सा छाने लगा.
सोनिया – अंकल ने ऊँगली डाल दी है
कर्नल – कहाँ डाली है बता न
सोनिया – चूत में आह..
सोनिया ने अब अपने आप कर्नल का लंड सहलाना शुरू कर दिया था.
सुन्दर – मज़ा आ रहा है?
सोनिया – हम्म
सुंदर – मुझे भी तो बता क्या चल रहा है
सोनिया ने शर्म से ऑंखें बंद कर लीं, जैसे सुंदर सामने खड़ा हो. कर्नल ऊँगली को जोर जोर से सोनिया की चूत में चलाने लगा.
कर्नल – बोल न बेटी सुंदर क्या पूंछ रहा है
सोनिया – आह.. अंकल धीरे करो
सुंदर – तुझे तो जोर से चुदने में मज़े आते हैं न साली.
सोनिया – नहीं वो तो आप लोग सुनते कहाँ हो मेरी.
कर्नल – बेटी मेरा लंड चूस न
सोनिया – क्या अंकल
सुंदर – चुसना. तू चुसती बहुत मज़ेदार है. अंकल इसने उस दिन क्या चूसा था. मज़ा आ गया.
सोनिया – आप लोग पहले जबरदस्ती करवाते हो फिर मेरा मज़ाक बनाते हो.
कर्नल – मज़ाक कहाँ बना रहे हैं. अब मै भी तुझे चोद चूका हूँ और सुंदर का लंड पिलवा चुकी है. तो अब तो शर्म छोड़ मेरी जान.
सोनिया – शर्म आप लोग रहने भी दे रहे हो. अभी भी देखो नंगी लिटा रखा है. रोहित के आने का टाइम हो रहा है और अंकल मुझे छोड़ ही नहीं रहे हैं.
सुंदर – अरे रोहित की चिंता छोड़. याद है रोहित के सामने चोदा था तुझे.
अब कर्नल नीचे झुक गया और सोनिया की चिकनी चूत से अपना मुंह लगा दिया. सोनिया को जैसे करंट सा लगा.
सोनिया – आह मर गयी. आप लोग तो अपनी ही सोचते हो. रोहित को पता चला तो मेरा क्या होगा?
सुंदर – क्यों अंकल ने पेल दिया?
सोनिया – नहीं.. पर जीभ से चोद रहे है. आआह
साफ़ पता लग रहा था की सोनिया कितनी गर्म हो चुकी थी.
सुन्दर – रोहित के सामने ही तो चोदा था पहली बार तुझे. तब रात थी अब दिन में चोदूंगा
सोनिया – आह .. सुदर ऐसा मत बोलो मेरा घर बर्बाद हो जायेगा.
कर्नल अब उठा और सोनिया पर चढ़ गया. एक झटके में उसने अपना लंड सोनिया की चूत में डाल दिया.
सोनिया – आह क्या अंकल जी नहीं भरा अभी आपका.
कर्नल – सुंदर क्या चिकनी है साली एक बार में पूरा लंड ले लिया.
सोनिया – लूँ न तो क्या करूँ. बस डाल देते हो आप भी. आह
कर्नल रिदम के साथ धक्के लगाने लगा. सोनिया के मुह से सिसकारियां निकल रहीं थीं.
सुन्दर – चोदो साली को. सन्डे को दोनों मिलकर चोदेंगे.
सोनिया – अह अह दोनों नहीं. मै ऐसा नहीं कर सकती. क्या बना रहे हो मुझे.
कर्नल – रंडी मेरी जान. रंडी है तू हमारी.
कर्नल ने धक्के और तेज़ कर दिए. सोनिया ने अपने दोनों पैर कर्नल की कमर पर बांध लिये.
सुंदर – अब तो दोनों चोदेंगे और रोहित देखेगा. दो कम हैं तो फैसल और विकास को भी बुला लूँ?
सोनिया- नहीं सुंदर मुझे कोई भी नहीं चाहिए.
सुंदर – रंडी बोल दो चाहिये या चार?
सोनिया – आप दोनों तो मनोगे नहीं.
कर्नल भी बहुत गर्म हो चूका था और सोनिया भी. फिर कुछ देर एक तूफ़ान सा आता रहा. कर्नल के लम्बे लम्बे धक्के जारी थे. सोनिया की सिस्कारियों में अब बात नहीं हो पा रही थी. फिर कर्नल ने एक और बार सोनिया की चूत को नहला दिया. फ़ोन अभी भी चालू था.
सुंदर – क्यों भाभी निपट गयीं?
सोनिया – मर गयी मै आह.
सुंदर – अभी कहाँ अभी तो तुझे रंडी बनाना है
सोनिया – क्या कसर छोड़ी है उसमें
कर्नल – अभी तो तेरे पति के सामने ठोकेंगे तुझे
सोनिया कर्नल के नीचे दबी हुई थी और कर्नल धीरे धीरे उसके मम्मों पर हाथ फेर रहा था.
सोनिया – नहीं अंकल ये मुझे जान से मार देंगे. प्लीज़ ऐसा मत करना.
सुंदर – डार्लिंग डरती क्यों है. हम हैं न. कुछ नहीं होगा. तू देखती जा और मज़े ले.
कर्नल अब बगल में लुडक गया था.
सोनिया – नहीं मुझे डर लग रहा है.
कर्नल – सुंदर तू आ ही जा आज ही रात बताते हैं इसे गैंग बैंग क्या होता है.
सोनिया – नहीं-नहीं आज नहीं.
सुंदर – तो सन्डे को?
सोनिया – पर कुछ उल्टा सीधा हुआ तो?
कर्नल – तू घबरा मत जैसा मैं बोलता हूँ करती जा मेरी रंडी.
कर्नल ने झुककर सोनिया के होंठ चूस लिए.
कर्नल – चल सुंदर तू रख और सन्डे की तैयारी कर.
सुंदर – ठीक है अंकल. ओये भाभी देवर को एक किस तो दे दो.
सोनिया के चेहरे पर शर्म फिर छा गयी
कर्नल – क्या बोल रहा है तेरा यार. चल दे दे किस
कर्नल ने फ़ोन उठा कर सोनिया के मुंह के पास ले आया.
सोनिया – पुच्च
सुंदर – आय हाय रंडी बाय. तो अंकल मिलते हैं सन्डे को.
कर्नल – फ़ोन करना. बाय.
कर्नल ने फ़ोन काट दिया. मेरी आंखे मॉनिटर को देख देख दर्द होने लगीं थीं. समझ नहीं आ रहा था जो मैंने देखा वो वाकई हुआ था!
सोनिया उठकर बाथरूम चली गयी. कर्नल उठा और कपडे पहनें लगा. बिस्तर खली दिख रहा था. चादर बुरी तरह सिकुड़ी हुई थी.
सोनिया बाहर निकली और अलमारी में कुछ ढूंढने लगी.
‘क्या कर रही हो जान’ कर्नल बोला
‘क्या अंकल कुछ पहनूंगी या ऐसे ही रहूँ.’
‘ऐसे ही रह. क्या चिकनी है.’
‘अंकल मज़ाक मत कीजिये.’ सोनिया ने फ्रेश पैंटी निकाली और पहन ली.
टाइम लगभग साडे सात बज चुके थे. मैंने सोचा अब आज के लिए काफी हुआ. मैंने सोनिया का फ़ोन मिलाया. सोनिया के फ़ोन की घंटी मुझे हेड फ़ोन में भी सुने दे रही थी.
‘अरे अंकल चुप रहिएगा इनका फ़ोन है’ सोनिया थोडा हडबडा गयी. साला कर्नल वैसे ही मुस्कुराता रहा.
सोनिया (फ़ोन में) – जी
रोहित – हाँ यार बस में हूँ पंद्रह मिनट में घर पहुँचुंगा. तुम घर पर ही हो न.
सोनिया – हाँ आओ
सोनिया ने फ़ोन काट दिया. मुझे तो घर पहुँचने में मात्र पांच मिनट लगते. पर मै सोनिया की आगे की गतिविधयां देखना चाहता था.
‘अरे अंकल आपने मरवा दिया न. ये आ रहे हैं पंद्रह मिनट में और आपका मज़ाक चल रहा है.’
‘मज़ाक नहीं कर रहा हूँ. अब जैसा कहता हूँ वैसा कर.’ कर्नल बोला. ‘तेरे पास कोई पारदर्शी साडी है?’
‘क्यों’
‘पहन उसे’
पर अंकल ..
जितना बोल रहा हूँ कर. देख कैसे सन्डे तक रोहित को लाइन पर लता हूँ.
‘अंकल आप मरवाओगे.’ सोनिया ने अलमारी से एक आसमानी साड़ी निकली ‘ये है.’
ठीक है पहेन इसे.
पर अंकल इसका पेटीकोट पता नहीं कहाँ रखा है
अरे जान खाली साड़ी पहेन. न पेटीकोट न ब्लाउज़.
क्या अंकल रोहित क्या बोलेंगे !
चिंता मत कर मै हूँ न
सोनिया हैरान हो गयी ‘आप! अरे आप जाओ मरवा दोगे आप.’
चुप रंडी तू देखती जा.
अब मै उठा और कंप्यूटर ऑफ़ कर दिया. पेमेंट के लिए दो तीन फ़ोन किये और घर की और चल दिया. जैसा कहा था लगभग पंद्रह मिनट बाद मै घर की बेल बजा रहा था.
•
Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
दरवाज़ा सोनिया ने खोला. कुछ उम्मीद तो थी की सोनिया कैसी दिख रही होगी पर जो देखा उसके लिए मै कतई तैयार नहीं था.
सोनिया ने पूरी पारदर्शी आसमानी साडी पहेन रखी थी. उसके कंधे सिवाए ब्रा के स्ट्रेप के नंगे थे. नीचे साडी के अंदर से उसकी पैटी पूरी तरह दिख रही थी. चेहरे पर हल्की सी घबराहट के साथ मुस्कान थी.
अभी मै उसे बड़ी बड़ी आँखों से देख ही रहा था की कर्नल ने आवाज़ दी ‘आओ भाई रोहित’
‘अरे कर्नल साहेब आप’ मैंने चौकने का नाटक किया ‘आप कब आये?’
‘अरे मै भी बोर हो रहा था सोचा सोनिया बेटी से बातें किया जाये.’ कर्नल शोर्ट्स और टीशर्ट पहने चौड़ा होकर बैठा था.
सोनिया अजीब सा कुछ सोचते खड़ी थी. बेड पूरी तरह से अस्तव्यस्त था. किसी मुर्ख को भी ये पता लग जाये की अभी किस तरह की घमासान चुदाई हो चुकी है. पर मुझे तो अनजान बने रहना था, और चारा भी क्या था मेरे पास! मुझे लग रहा था मै अपने ही खेल में फंसता जा रहा हूँ. या अब खेल के खिलाडी बदल गए थे और मै दर्शक बनने पर मजबूर था. सोनिया का भी हाल मेरी ही तरह था. खिलाडी तो वो कभी भी नहीं थी, अब उसकी हालत पूरी तरह खिलौने जैसी हो गयी थी. अभी भी वो ऐसे खड़ी थी की उसे पता ही नहीं था की आगे क्या करे!
‘आओ रोहित, बेटी रोहित थक के आया है और तुमने चाय तक नहीं पूंछी.’ कर्नल ने बड़ी सी मुस्कान के साथ कहा.
‘अरे आप बैठो मैं चाय लाती हूँ.’ सोनिया को जैसे वहाँ से हटने का बहाना मिल गया.
‘और भाई रोहित काफी थके दिख रहे हो’
‘हां कर्नल साहब बस. आप सुनाओ.’
‘अरे हमारा क्या है. अकेले रहना बस बोर हुए तो निकल लिए कहीं. तुम्हारी थकावट का कुछ किया जाये. चाय पी लो फिर चलो नीचे तुम्हें बढ़िया माल पिलाया जाये.’
‘अरे नहीं कर्नल साहेब. सोनिया अकेली रह जायेगी.’
‘अरे सोनिया को भी चलेंगें.’ कर्नल जैसे यही चाहता था.
इतनी देर में सोनिया तीन कप में चाय ले आ गई. उसने साडी के पल्लू से अपने कंधे छिपा लिए थे. फिर भी उसकी पारदर्शी साडी में उसका पूरा ब्रा और ब्रा के बहार झांकते बड़े बड़े मम्मे नज़र आ रहे थे. नीचे साडी में उसकी पैंटी के साथ साथ केले के तने जैसे चिकनी और गोरी जांघें दिख रही थीं. सोनिया अपने में झेंप सी रही थी.
कप टेबल पर रख सोनिया बेड पर बैठ गयी.
‘चलो बेटी चाय पी ली जाये फिर नीचे बैठका लगाया जाय.’ कर्नल की आंखे चमक रहीं थीं
सोनिया ने घबरा कर मेरी तरफ देखा ‘अरे नहीं अंकल मै तो यहाँ ही ठीक हूँ.’
‘अरे ऐसे कैसे मैं भी तो तुम्हारे घर वालों की तरह ही हूँ. शर्माना छोड़ो.’ कर्नल ने कुटिल मुस्कान के साथ कहा. और फिर मुझसे मुखातिब हो गया.
‘और रोहित बड़ी मेहनत हो रही है. कभी रिलैक्स भी करा करो.’ उसने चाय की प्याली उठा ली.
‘नहीं कर्नल साहेब ऐसा क्या. कभी कम मेहनत होती है तो कभी ज्यादा.’
कर्नल ने हल्का सा ठहाका लगाया
‘अरे हमसे तो अब कोई मेहनत कराता ही नहीं. किस्मत से ही मेहनत करने मिलति है. क्यों बेटी?’ साला पूरी तरह से सोनिया से मुखातिब होकर बोला.
सोनिया का चेहरा बिलकुल सफ़ेद हो गया. ‘पता नहीं’ बस बोल वो यही पाई.
‘अरे रोहित तुम तो सोनिया बेटी का ख्याल नहीं रखते हो. बेचारी बोर हो जाती होगी.’
‘अरे नहीं अंकल आप ऐसा क्यों बोल रहे हो!’ सोनिया ने जल्दी से कहा.
‘नहीं कर्नल साहेब पर हाँ काम में बिजी हो जाता हूँ तो …’
‘चलो हम रखेंगे सोनिया बेटी का ख़याल.क्यों बेटी?’ कर्नल ने मेरी बात पूरी नही होने दी. मैंने देखा की साले ने हलके से सोनिया को देखते आंख मारी.
सोनिया ने कुछ नहीं बोला. हडबडा के उठी और कप किचेन में रखने चली गयी.
‘चलो यार रोहित दौर ए जाम हो जाये.’ कर्नल उठ गया.
‘अरे अंकल सोनिया अकेली रह जायेगी….’
‘तुमसे कहा न सोनिया की चिंता छोड़ो. वो भी चलेगी.’ कर्नल ने फिर मुझे बात पूरी नहीं करने दी.
इतनी देर में सोनिया भी आ गयी. उसने सर झुका रखा था. चेहरे की हवाइयां अभी भी उडी हुयीं थीं. एक अनजान सा डर उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था.
जैसे बात बढ़ रही थी उससे परेशान मै भी था पर बहुत कोशिश करके सामान्य बना हुआ था. कर्नल का खेल मुझे समझ तो आ रहा था पर विश्वास नहीं हो रहा था. साला बड़ा खिलाडी था. वो जानता था की मेरे पास धारा में बहते रहने की सिवा कोई चारा नहीं था.
‘चलो सोनिया नीचे चलते हैं.’
‘अरे अंकल अभी खाना नहीं बना है.’
‘छड़ो खाना मै बहार से माँगा लूँगा. आज तुम सब भूल के रिलैक्स करो.’ कर्नल ने आगे बढ़कर सोनिया की कमर में हाथ डाल दिया और हल्का सा धक्का देकर उसे अपने साथ ले जाने लगा. पता नहीं मुझे लगा जैसे सोनिया कांप सी गयी. पर विरोध उसने कोई नहीं किया.
कर्नल ने पीछे मुड़कर मेरी तरफ देखा ‘तुम भी कपडे बदल लो और रिलैक्स होकर आओ. तब तक हम तैयारी करते हैं.’
और कर्नल लगभग घसीटता हुआ सोनिया को ले गया. मै ठगा सा खड़ा रह गया. बस जाते हुए कर्नल का हाथ सोनिया की नंगी कमर के गिर्द देखा. मेरा दिमाग फटा जा रहा था. ये हो क्या रहा है! पर लंड मेरी पेंट भी फाड़ रहा था. मुझे समझ नहीं आ रहा था की मै विरोध क्यों नहीं कर पा रहा था! शायद इसलिए की सोनिया ने विरोध नहीं किया. ये अजीब सा दर्द भरा मज़ा था. पर सोनिया ने विरोध क्यों नहीं किया?
जब सीढियों उतरने की आवाज़ आनी बंद हुई तब मै उठा और आगे सोचने लगा. साला कर्नल सोनिया को ले गया है तो कोई बात जरुर है. हाँ इतना जल्दी चोद तो नहीं सकता. पर चलो मुझे भी जल्दी से जल्दी नीचे जाना चाहिए.
मैंने जल्दी जल्दी हाथ मुंह धोया और शॉर्ट्स और टीशर्ट पेहेन ली. फिर बिना आवाज़ किये सीढियाँ उतरने लगा. इस सब में मुझे तीन चार मिनट ही लगे होंगे.
करनल के घर का एक दरवाज़ा बाहर रोड की तरफ खुलता है और एक दरवाज़ा सीढियों की तरफ अन्दर की ओर खुलता है. हम लोग कर्नल के घर ज्यादातर अन्दर के दरवाज़े से जाते हैं. दरवाज़े के बगल में एक बड़ी खिड़की है जिसमें डिज़ाइनर शीशा लगा है. थोडा कोशिश करो तो शीशे के अन्दर कुछ कुछ दिख जाता है.
लगभग आठ बज चुके थे और बाहर अँधेरा पूरा हो चूका था. अन्दर ट्यूब लाइट जल रही थी. दरवाज़ा अन्दर से बंद था.
स्वाभाविक है मैंने दरवाज़ा खटखटाने के बजाय खिड़की से अन्दर देखने की कोशिश की. सोनिया और कर्नल शायद खिड़की से लगे दीवान पर बैठे थे. दो सर और सोनिया की आसमानी साड़ी का आभास हो रहा था. मै खिडकी से लगभग चिपक कर खड़ा हो गया. बहार अँधेरा था और अंदर लाइट जल रही थी. अंदर से बाहर का आभास कम ही हो रहा होगा.
सोनिया और कर्नल में फुसफुसाहट चल रही थी जो मै समझ नहीं पा रहा था. कर्नल ने सोनिया को अपने से चिपका रखा था. सोनिया शायद अपने को छुडाने की कोशिश कर रही थी. सोनिया की चूडियों की आवाज़ मद्धम मद्धम आ रही थी. बहार परछाईयां देख कर लगा कि शायद कर्नल अब सोनिया के होंठ चूस रहा था. सोनिया की छुडाने की कोशिश दिख रही थी. फिर दोनों परछाई नीचे को लेट गयीं. कर्नल ने सोनिया को नीचे लिटा दिया था और खुद ऊपर चढ चूका था. सोनिया की चूडियों की आवाज़ उसकी घबराहट और संघर्ष की कहानी बाहर तक सुना रही थी. कर्नल पूरी तरह से सोनिया को रगड रहा था.
मुझे मालूम था की आगे क्या होना है. अगर कर्नल ने चुदाई शुरू कर दी तो मेरे लिए अंदर जाना उचित नहीं होगा. और फिर इतनी देर क्यों लगी इसका क्या जवाब दूँगा! यही सोचते हुए मैंने दरवाज़ा खटखटा दिया.
दरवाज़ा कर्नल ने तुरंत खोला ‘आओ रोहित. देखो सोनिया भी परायों की तरह बैठी है.’
मेरी निगाह सोनिया की तरफ गयी.
सोनिया की सांस तेज चल रही थी. बाल बिखरे हुए थे. साडी का पल्लू कंधे पर सिमटा था. साडी तो पहले ही कुछ नहीं छुपा पा रही थी अब तो उसका लगभग पूरे ब्रा और कमर पर साडी नहीं थी. ब्रा भी अस्तव्यस्त था जैसे कर्नल ने ब्रा में हाथ डाला था. सोनिया की नज़र जैसे दीवान की चादर पर कुछ देख रही थी.
‘चलो भाई कहाँ बैठोगे’ कर्नल के चेहरे पर कुटिल मुस्कान चिपक सी गयी थी.
कर्नल का घर में पांच कमरे थे. पर वो इस्तेमाल दो ही कमरे करता था. एक जिस कमरे में हम थे वो बैठक थी. उसी के साथ लगी किचेन थी. किचेन के बगल मे बेड रूम का बड़ा सा दरवाज़ा था. दरवाज़ा खुले होने पर लगभग आधा बेड बैठक से साफ़ नज़र आता था. बैठक में एक चार लोगों की गोल डाइनिंग टेबल थी जो काले शीशे की थी. और बैठने के लिए दीवार से लगे दीवान और सोफा थे.
चलो डाइनिंग टेबल पर बैठते हैं. क्या लोगे; विस्की वोदका या रम?
‘अरे कर्नल साहेब … चलो वोदका हो जाये.’ मैंने सोचा कम से कम वोदका तो सोनिया भी ले लेगी.
कर्नल ने एक सुन्दर से बार केबिनेट से एक विदेशी वोदका की बोतल निकली और मेज पर रख दिया.
‘बेटी ज़रा किचेन से गिलास तो लाना.’
सोनिया जैसे नींद से जागी और मशीन की तरह किचेन की ओर चल दी.
‘अरे लिम्का के साथ लोगे न?’ मेरे जवाब देने से पहले ही कर्नल किचेन की ओर बढ़ गया.
मै वहीँ सोफे पर बैठ गया. वहाँ से मुझे किचेन का आधा हिस्सा दिख रहा था. मै जानता था साला बाज़ नहीं आएगा; करेगा जरुर कुछ किचेन में. सोनिया मुझे नहीं दिख रही थी क्योंकि शायद बर्तन वाली अलमारी अंदर की तरफ थी.
कर्नल ने फ्रिज से लिम्का निकला तभी मुझे सोनिया की हल्की सी झलक मिली जैसे वो बहार आ रही हो पर कर्नल बोल पड़ा ‘बेटी तीन गिलास लो न.’
कर्नल ने सोनिया को प्यार से अंदर की तरफ धकेल दिया.
अब मुझे दोनों ही नज़र नहीं आ रहे थे. मै सोफे के दुसरे किनारे खिसक गए अब मुझे वो दोनों काफी हद तक दिख रहे थे. मै सीधा न देख कनखियों से देख रहा था.
सोनिया को कर्नल ने अपनी बाँहों में घेर रखा था और उसके नंगे कन्धों को चूम रहा था. सोनिया के दोनों हाथों मे दो गिलास थे. उसका चेहरा तमतमा रहा था और सर पीछे की ओर उठा हुआ था. ऑंखें बंद थीं.
कर्नल को जैसे मेरी कोई चिंता ही नहीं थी. उसे शायद पूरा विश्वास था की मै कुछ कहूँगा नहीं!
कर्नल अब अपने दोनों हाथों को सोनिया की पीठ से हटा नीचे गांड पर ले गया. सोनिया को कमर से जोर से भींच लिया जिससे सोनिया का अगला भाग पूरी तरह से कर्नल के लंड से चिपक गया. फिर पीछे हाथ उठा कर सोनिया की लगभग नंगी पीठ पर घुमाने लगा. फिर उसके हाथ सोनिया के ब्रा के स्ट्रेप से खेलने लगे. सोनिया को जैसे होश आया. उसने कर्नल को धक्का सा दिया और दोनों गिलास लेके बहार आ गयी. जब सोनिया गिलास मेज पर रख रही थी तो मुझे उसकी लगभग पूरी नंगी पीठ दिखी. ब्रा पीछे के दो में से एक हुक निकल चूका था. शायद कर्नल हुक खोल रहा था जब सोनिया ने उसे धकेला. कर्नल लिम्का और एक और गिलास लेके बड़ी सी मुस्कान के साथ बहार आ गया.
‘क्या सोनिया बेटी तुम संकोच बहुत कर रही हो. रोहित बोलो न सोनिया से की फ्री होकर रहे. अरे तुम्ही लोगों का घर है भाई.’ कर्नल ने गिलासों में वोदका डालते हुए कहा.
सोनिया गुम सी खड़ी थी. मै भी समझ नहीं रहा था क्या करूँ.
‘अरे आओ भाई रोहित.’ मै उठ कर डाइनिंग टेबल पर आ गया. कर्नल मेरे सामने बैठ गया. ‘आओ बेटी.’
‘नहीं अंकल आप लोग लो मै नहीं लेती.’
‘अरे बेटी ये वोदका है बहुत लाइट होता है.’ कर्नल उठा और सोनिया की कमर में हाथ डाल कर उसे मेज पर ले आया. सोनिया अजीब सी नज़रों से मुझे घूर रही थी.मै उससे नज़र नहीं मिला पाया.
कर्नल ने तीन गिलासों में पेग बनाये. सोनिया गहरी सोच में डूबी थी.
‘अरे उठाओ भाई गिलास.’
कर्नल ने और मैंने अपना गिलास उठा लिया. सोनिया अभी भी कुछ सोच रही थी. कर्नल ने सोनिया का गिलास उठाकर उसकी ओर बढ़ा दिया.
सोनिया के चेहरे पर कुछ कठोर से भाव आये और उसने गिलास पकड़ लिया. देख वो मुझे रही थी.
‘चीयर्स’ कर्नल जैसे दहाडा
मुझे लगा जैसे कोई नया अध्याय शुरू हुआ.
Posts: 462
Threads: 6
Likes Received: 148 in 122 posts
Likes Given: 53
Joined: Dec 2018
Reputation:
10
अब अंत। पहले की कहानी को इस बिंदु पर हमेशा के लिए छोड़ दिया गया था।
•
Posts: 20
Threads: 3
Likes Received: 7 in 4 posts
Likes Given: 0
Joined: Mar 2019
Reputation:
0
koi agar iss kahani ko aage badhana chahe to aap yaha kr skte hai
•
Posts: 1
Threads: 0
Likes Received: 1 in 1 posts
Likes Given: 0
Joined: May 2019
Reputation:
0
Plus is kahani ko age bdhao
Posts: 1,075
Threads: 0
Likes Received: 164 in 150 posts
Likes Given: 1
Joined: Feb 2019
Reputation:
8
hhhhhhhhhhhhhoooooooooooootttttttttttttttttttttttt
•
Posts: 340
Threads: 0
Likes Received: 33 in 33 posts
Likes Given: 3
Joined: Sep 2019
Reputation:
0
Ye stories ko aage badha do koi
•
Posts: 340
Threads: 0
Likes Received: 33 in 33 posts
Likes Given: 3
Joined: Sep 2019
Reputation:
0
Purani Kuch stories bahot accha he lakin bech me band kar di
Koi ye stories aage badha do
•
Posts: 98
Threads: 0
Likes Received: 83 in 56 posts
Likes Given: 3
Joined: Feb 2021
Reputation:
0
Bahut zabardast story hai....koi hai jo isko aage badaye
Plzzz
•