26-04-2019, 12:14 AM
प्यारी बहन की चूत में मोटा लंड
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest प्यारी बहन की चूत में मोटा लंड
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26-04-2019, 12:14 AM
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 12:50 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:10 AM
किरन की कहानी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:11 AM
मेरा नाम किरन अहमद है और मैं ये कहानी अक्टूबर २००२ में लिख रही हूँ। मेरी उम्र सत्ताईस साल की है। गोरा चिट्टा रंग और पाँच फुट - तीन इंच की नॉर्मल हाईट। छरहरा जिस्म, चौंतीस डी- तीस - छत्तीस का मेरा फिगर है। लोग और मेरी सहेलियाँ कहती हैं कि मैं खूबसूरत हूँ। मेरी शादी को तकरीबन आठ महीने हुए हैं। शौहर के साथ सुहाग रात और बाकी की सैक्स लाईफ कैसे गुज़र रही है वो तो मैं आप को बताऊँगी ही लेकिन मैं आपको उस से पहले की कुछ और वाक़ये सुनाने जा रही हूँ।
मैं उस वक्त इंटर के दूसरे साल (बारहवीं) के इग्ज़ैम दे रही थी। उम्र होगी कोई सत्रह-अठारह साल के करीब। मेरे फायनल इग्ज़ैम से पहले प्रिप्रेटरी इग्ज़ैम होने वाले थे। जनवरी का महीना था बे-इंतहा सर्दी पड़ रही थी। मैं दो-दो रज़ाई ओढ़ के पढ़ रही थी। उन दिनों, मेरे एक कज़न सुहैल जिनकी उम्र होगी कोई चौबीस-पच्चीस साल की, उन्होंने अपने शहर में कोई नया नया बिज़नेस शुरू किया हुआ था, तो वो कुछ खरिदारी के लिये यहाँ आये हुए थे और हमारे घर में ही ठहरे थे। हमारा घर एक डबल स्टोरी घर है, ऊपर सिर्फ़ एक मेरा रूम और दूसरा स्टोर रूम है जिस में हमारे घर के स्पेयर बेड, ब्लैंकेट्स, बेड-शीट्स वगैरह रखे रहते हैं। जब उनकी ज़रूरत होती है तो निकाले जाते हैं मौसम के हिसाब से। और एक दूसरा रूम जिस में मैं अकेली रहती हूँ और अपनी पढ़ाई किया करती हूँ। मेरा रूम बहुत बड़ा भी नहीं और बिल्कुल छोटा भी नहीं, बस मीडियम साईज़ का रूम था जिस में मेरा एक बेड पड़ा हुआ था। वो डबल बेड भी नहीं और सिंगल बेड भी नहीं बल्कि डबल से थोड़ा छोटा और सिंगल से थोड़ा बड़ा बेड था। इतना बड़ा तो था ही कि जब कभी-कभी मेरी फ्रैंड रात में मेरे साथ पढ़ने के लिये आती और रात में रुक जाती तो हम दोनों इतमिनान से सो सकते थे। और रूम में एक पढ़ाई की टेबल और चेयर रखी थी। एक मेरी कपबोर्ड और एक मीडियम साईज़ का अटैच्ड बाथरूम था जिस में वाशिंग मशीन भी रखी हुई थी। घर में नीचे तीन कमरे थे। एक मम्मी और डैडी का बड़ा सा बेडरूम, दूसरा एक बड़ा हाल जैसा ड्राईंग रूम जिसके एक कॉर्नर में डायनिंग टेबल भी पड़ी हुई थी। ये ड्राईंग कम डायनिंग रूम था और एक स्पेयर रूम किसी भी गेस्ट वगैरह के लिये था जिस में सुहैल को ठहराया गया था। हाँ तो, मैं पढ़ाई में बिज़ी थी। सर्दी जम के पड़ रही थी। मैं अपना लिहाफ ओढ़े बेड पे बैठे पढ़ रही थी। बॉयलोजी का सब्जेक्ट था और मैं एक ज़ूलोजी की बुक पढ़ रही थी। इत्तेफाक से मैं रीप्रोडक्टिव सिस्टम ही पढ़ रही थी जिस में मेल और फीमेल ऑर्गन्स की डीटेल्स के साथ ट्रांसवर्स सेक्शन की फिगर बनी हुई थी। रात काफी हो चुकी थी और मैं अपनी पढ़ाई को फायनल टचेज़ दे रही थी। नोट्स के लिये कुछ फिगर्स देख के बनाये हुए थे और उस में ही कलरिंग कर रही थी और साथ में लेबलिंग कर रही थी। रात के शायद ग्यारह बजे होंगे पर सर्दी होने की वजह से सब जल्दी ही सो गये थे जिससे लगाता था कि पता नहीं कितनी रात बीत चुकी हो। घर में मेरी मम्मी और डैडी नीचे ही रहते थे और डिनर के बाद अपनी दवाइयाँ खा के अपने रूम में जा के सो चुके थे। अचानक सुहैल मेरे कमरे में अंदर आ गये। मैं देख के हैरान रह गयी और पूछा कि, “क्या बात है?” तो उसने बताया कि “नींद नहीं आ रही थी और तुम्हारे रूम की लाईट्स जलती देखी तो ऐसे ही चला आया कि देखूँ तो सही कि तुम सच में अपनी पढ़ाई कर रही हो (एक आँख बंद कर के) या कुछ और।“ मैंने कहा कि “देख लो! अपने कोर्स का ही पढ़ रही हूँ, मेरे एक्ज़ाम्स हैं और मैं कोई खेल तमाशा नहीं कर रही हूँ।“ उसने कहा कि “लाओ देखूँ तो सही के तुम क्या पड़ रही हो”, और मेरे नोट्स और रिकोर्ड बुक अपने हाथ में लेकर देखने लगा। सर्दी के मारे उसका भी बुरा हाल हो गया तो वो भी मेरे साथ ही लिहाफ के अंदर घुस आया और मेरे बगल में बैठ गया। रिकॉर्ड बुक के शुरू में तो मायक्रोस्कोप की फिगर थी और फिर सेल का डायग्राम था। उसके बाद ऐसे हो छोटे मोटे डायग्राम और फिर फायनली उसने वो पेज खोल लिया जिस में मैंने मेल और फीमेल के रीप्रोडक्टिव सिस्टम का डायग्राम बनाया हुआ था। उसने मेरी तरफ़ मुस्कुरा के देखा और बोला कि, “क्या ये भी तुम्हारे कोर्स में है?” मैंने कहा, “हाँ!” तो उसने कहा कि, “अच्छा! मुझे भी तो समझाओ कि ये सिस्टम कैसे वर्क करता है।“ मैं शरम से पानी-पानी हुई जा रही थी। मैंने कहा कि, “मुझे नहीं पता, तुम खुद भी तो सायंस के स्टूडेंट थे, अपने आप ही पढ़ लो और समझ लो।“ उसने फिर से पूछा कि, “तुम्हारी समझ में नहीं आया क्या ये सिस्टम?” तो मैंने कहा कि, “नहीं!” उसने फिर पूछा कि “मैं समझा दूँ?” तो मेरे मुँह से अंजाने में "हूँ" निकल गया। उसने कहा, “ठीक है, मैं समझाता हूँ”, और मेरी बुक और मेरी रिकोर्ड बुक को खोल के पकड़ लिया। हम दोनों बगल बगल में बैठे थे। मैं घुटने मोड़ के बैठी थी और वो पालती मार के बैठा था। अब उसने मुझे समझाना शुरू किया कि, “ये है फीमेल का रीप्रोडक्टिव ऑर्गन, इसे ईंगलिश में वैजायना, पूसी या कंट कहते हैं और हिंदी में चूत कहते हैं।“ मैं शरम के मारे एक दम से लाल हो गयी पर कुछ कहा नहीं। फिर उसने डिटेल में बताना शुरू किया कि, “ये है लेबिया मजोरा जिसे पूसी के लिप्स कहते हैं और ये उसके अंदर लेबिया मायनोरा.... ये डार्क पिंक कलर का या लाल कलर का होता है और ये उसके ऊपर जो छोटा सा बटन जैसा बना हुआ है वो क्लिटोरिस या हिंदी में घुंडी या चूत का दाना भी कहते हैं और जब इसको धीरे-धीरे से रगड़ा जाता है या मसाज किया जाता है तो ये जो चूत का सुराख नज़र आ रहा है, इस में से पानी निकलना शुरू हो जाता है। या फिर अगर लड़की बहुत ही एक्साईटेड हो जाती है तो ये निकलने वाले जूस से चूत गीली हो जाती है जो कि रिप्रोडक्शन के इनिश्यल काम को आसान बना देती है।“ इतना सुनना था कि मेरी चूत में से समंदर जितना जूस निकलने लगा और चूत भर गयी। अब ये देखो दूसरी फिगर, “ये मेल रीप्रोडक्टिव ऑर्गन है। इसे ईंगलिश में पेनिस या कॉक कहते हैं और हिंदी में लंड या लौड़ा कहते हैं। ये नॉर्मल हालत में ऐसे ही ढीला पड़ा रहता है जैसे कि पहली पिक्चर में है। और जब ये बेहद एक्साईटेड हो जाता है तो ये दूसरी फिगर की तरह खड़ा हो जाता है। ये पेनिस के अंदर जो ब्लड वैसल्स हैं, इन में लहू का बहाव बढ़ जाता है और उसकी वजह से मसल अकड़ के लंड लंबा मोटा और सख्त हो जाता है”, और उसने मेरा हाथ पकड़ के अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और कहा, “ऐसे!” जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:12 AM
अब मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगी थी और जिस्म में इतनी गर्मी आ गयी थी कि मुझे लग रहा था मानो मेरा जिस्म किसी आग में जल रहा हो। “और ये देखो!” उसने मेरा हाथ लंड के नीचे किया और कहा, “इसके नीचे जो ये दो बॉल्स दिखायी दे रहे हैं, इन्हें ईंगलिश में टेस्टीकल्स या स्कोरटम और हिंदी में आँडे भी कहते हैं। ये असल में स्पर्म बनने की फ़ैक्ट्री है जहाँ स्पर्म बनते हैं। ये स्पर्म जब मेल के ऑर्गन से ट्राँसफर हो के फीमेल के ऑर्गन में जाता है तो बच्चा पैदा होता है।“
मेरा तो मानो बुरा हाल हो गया था। कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ और सुहैल था के बस एक प्रोफेसर की तरह से लेक्चर दिये जा रहा था। मैं अंजाने में उसका तना हुआ लंड अपने हाथ में पकड़े बैठी थी। मुझे इतना होश भी नहीं था कि मैं अपना हाथ उसके लंड पे से हटा लूँ। “जब मेल का ये इरेक्ट लंड फीमेल की चूत के अंदर जाता है और चुदाई करते-करते जब एक्साइटमेंट और मज़ा बढ़ जाता है तो अपना स्पर्म चूत के अंदर ये जो बच्चे दानी दिख रही है, उसके मुँह पे छोड़ देता है जिससे स्पर्म बच्चे दानी के खुले मुँह के अंदर चला जाता है और बच्चा पैदा होता है।“ मुझे पता ही नहीं चला के उसका एक हाथ तो मेरी चूत पे है जिसका वो मसाज कर रहा है और मेरा हाथ उसके लंड को पकड़े हुए था और मैं अंजाने में उसके मोटे लंड को दबा रही थी। ये पहला मौका था कि मैंने किसी के लंड को अपने हाथों में पकड़ा हो। उसने फिर कहा कि “देखो कैसी गीली हो गयी है तुम्हारी चूत, ऐसे ही हो जाती है एक्साइटमेंट के टाईम पे।“ तब मुझे एहसास हुआ कि ये मैं क्या कर रही हूँ और एक दम से अपना हाथ उसके लंड पे से खींच लिया। लेकिन उसने अपने हाथ मेरी चूत पे से नहीं हटाया। मेरी नाइटी में हाथ डाले हुए ही था और मेरी चूत का मसाज करता ही जा रहा था जिससे मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी। सुहैल हंसने लगा और बोला के “डरती क्यों हो, मैं तो तुम्हें थियोरी के साथ प्रैक्टीकल भी बता रहा था ताकि तुम अच्छी तरह से समझ सको।“ बस इतना कहा उसने और बिजली चली गयी और बल्ब बुझ गया और कमरे में अंधेरा छा गया। मैं तो बेतहाशा गरम और गीली हो चुकी थी। साँसें तेज़ी से चल रही थी, दिमाग और जिस्म में सनसनाहट दौड़ रही थी। ब्लड सरक्यूलेशन सौ गुना बढ़ चुका था, चेहरा लाल हो गया था और मैं गहरी-गहरी साँस ले रही थी। उसने मुझे धीरे से पुश किया और मैं बेड पे सीधे लेट गयी। वो मेरी साईड में था और उसका हाथ अभी भी मेरी चूत पे था। मुझे इतना होश भी नहीं था के मैं उसका हाथ पकड़ के हटा दूँ। बस ऐसे ही चित्त लेटी रही और अंजाने में मेरी टाँगें भी खुल गयी थी और वो मेरी चूत का अच्छी तरह से मसाज कर रहा था। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। अब उसने फिर मेरा हाथ पकड़ के अपने अकड़े हुए लंड पे रख दिया और मेरे हाथ को अपने हाथों से ऐसे दबाया जैसे मैं उसका लंड दबा रही हूँ। बहुत मोटा, सख्त और गरम था उसका लंड। उसने इलास्टिक वाला जॉगिंग पैंट पहना था जिसको उसने अपने घुटनों तक खिसका दिया था और मेरे हाथ में अपना लंड थमा दिया था और मैंने हमेशा की तरह बिना पैंटी और बिना ब्रेज़ियर के नाइटी पहनी थी। मुझे क्या मालूम था कि ऐसे होने वाला है। मैं तो रोज़ रात को सोने के टाईम पे अपनी पैंटी और ब्रेज़ियर निकाल के ही सोती थी। उसका हाथ मेरे सर के नीचे था। उसने दूसरे हाथ से मुझे अपनी तरफ़ करवट दिला दी। अब हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ मुँह करके करवट से लेटे थे। उसने मुझे किस करना शुरू किया तो मेरा मुँह अपने आप खुल गया और जल्द ही उसकी ज़ुबान मेरे मुँह के अंदर घुस चुकी थी और मैं उसकी ज़ुबान को ऐसे एक्सपर्ट की तरह चूस रही थी जैसे मैं फ्रेंच किसिंग में कोई एक्सपर्ट हूँ। हालांकि ये मेरी ज़िंदगी का पहला टंग सकिंग फ्रेंच किस था। मेरे जिस्म में तो जैसे हल्के-हल्के इलेक्ट्रिक शॉक्स जैसे लग रहे थे। मैं सुहैल के राइट साईड पे थी और वो मेरे लेफ़्ट साईड पे। अब उसने अपने पैरों को चलाते हुए अपनी जॉगिंग पैंट भी निकाल दी और अपनी टी-शर्ट भी। वो पूरा का पूरा नंगा हो गया था। उसके सीने के बाल मेरी नाइटी के ऊपर से ही मेरे बूब्स पे लग रहे थे और मेरे निप्पल खड़े हो गये थे। सुहैल ने मेरी राइट लेग को उठा के अपने लेफ़्ट जाँघ पे रख लिया। ऐसा करने से मेरी नाइटी थोड़ी सी ऊपर उठ गयी तो उसने मेरी जाँघों पे हाथ फेरते-फेरते नाइटी को ऊपर उठाना शुरू किया और मेरी मदद से पूरी नाइटी निकाल दी। मैं एक दम से अपने होश-ओ-हवास खो चुकी थी और वो जैसे कर रहा था, करने दे रही थी और पूरा मज़ा ले रही थी। हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ करवट लिये लेटे थे और मेरी एक टाँग उसकी जाँघ पे थी और अब उसने मेरे बूब्स को मसलना शुरू कर दिया और फिर उन्हें मुँह मे लेकर चूसने लगा। बूब्स को मुँह में लेते ही मेरे जिस्म में इलेक्ट्रिक करंट दौड़ गया तो मैंने उसका लंड छोड़ के उसका सर पकड़ के अपने सीने में घुसा दिया। वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूचियों को चूस रहा था और उसका लंड जोश में हिल रहा था। लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के लिप्स को छू रहा था। लंड के सुराख में से प्री-कम भी निकल रहा था। उसने मेरा हाथ अपने सर से हटाया और फिर से अपने लंड पे रख दिया और मैं खुद-ब-खुद ही उसको दबाने लगी और वो मेरी चूत का ऊपर से नीचे मसाज करने लगा। कभी चूत के सुराख में धीरे से उंगली डाल देता और कभी चूत के लिप्स के अंदर ही ऊपर से नीचे और जब कभी मेरी क्लीटोरिस को मसल देता तो मैं जोश में पागल हो जाती। मेरी एक टाँग उसकी जाँघों पे रखे रहने की वजह से मेरी चूत थोड़ी सी खुल गयी थी और लंड का सुपाड़ा चूत से छू रहा था तो मैंने उसके लंड को पकड़े-पकड़े अपनी चूत के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया। मैं मस्ती से पागल हुई जा रही थी। मुझे लग रहा था जैसे मेरे अंदर कोई लावा उबल रहा है जो बाहर आने को बेचैन है। इसी तरह से मैं उसके लंड को अपनी चूत में रगड़ती रही और लंड में से निक्ल हुआ प्री-कम और मेरी चूत का बहता हुआ जूस मिल के चूत को और ज़्यादा स्लिपरी बना रहे थे और मेरा मस्ती के मारे बुरा हाल हो चुका था। अब मैं चाह रही थी के ये लंड मेरी चूत के अंदर घुस जाये और मुझे चोद डाले। सुहैल ने मुझे फिर से चित्त लिटा दिया और मेरी टाँगों को खोल के बीच में आ गया और मेरी बे-इंतहा गीली चूत को किस किया तो मैंने अपने चूतड़ उठा के उसके मुँह में अपनी चूत को घुसेड़ना शुरू कर दिया। मेरी आँखें बंद हो गयी थी और मज़े का आलम तो बस ना पूछो। इतना मज़ा आ रहा था जिसको लिखना मुश्किल है। उसका मुँह मेरी चूत पे लगते ही मेरी टाँगें खुद-ब-खुद ऊपर उठ गयी और उसकी गर्दन पे कैंची की तरह लिपट गयी और मैं उसके सर को अपनी टाँगों से अपनी चूत के अंदर घुसेड़ रही थी और मुझे ऐसे लग रहा था जैसे मेरे अंदर उबलता हुआ लावा अब बाहर निकलने को बेचैन है। मेरी आँखें बंद हो गयी और उसकी ज़ुबान मेरी क्लीटोरिस को लगते ही मेरे जिस्म में सनसनी सी फैल गयी और मेरे मुँह से एक ज़ोर की सिसकरी निकली, “आआआआहहहह सससस”, और मेरी चूत में से गरम-गरम लावा निकलने लगा और पता नहीं कितनी देर तक निकलता रहा। जब मेरा दिमाग ठिकाने पे आया तब देखा कि सुहैल अभी भी मेरी चूत में अपनी ज़ुबान घुसेड़ के चाट रहा है और पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर दाँतों से काट रहा है और मेरी चूत में फिर से आग लगने लगी। मैं सोच रही थी के बस अब सुहैल मेरी चुदाई कर दे लेकिन उस से बोलने में शरम भी आ रही थी। बस इंतज़ार ही करती रही कि कब ये मुझे चोदेगा। सुहैल के हाथ मेरी गाँड के नीचे थे और वो मेरे चूतड़ों को उठा के चूत को चूस रहा था। मैं अपने चूतड़ों को उछाल-उछाल के अपनी चूत सुहैल के मुँह से रगड़ रही थी। चूत में फिर से गुदगुदी शुरू हो गयी थी। चूत बे इंतहा गीली हो चुकी थी और मस्ती में मेरी आँखें बंद थी और मैं सुहैल का सर पकड़े हुए अपनी चूत में घुसेड़ रही थी। अब शायद सुहैल से भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो वो अपनी जगह से उठा और मेरी टाँगों के बीच में बैठ गया और अपने लौड़े को अपने हाथ से पकड़ के उसके सुपाड़े को मेरी गीली और गरम जलती हुई चूत के अंदर, ऊपर से नीचे कर रहा था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी। मुझसे भी अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने अपना हाथ बढ़ा के सुहैल का लोहे जैसा सख्त और मोटा तगड़ा लंड अपने हाथों से पकड़ के अपनी ही चूत में घिसना शुरू कर दिया। उसके लंड में से निकलते हुए प्री-कम से उसका लंड चूत के अंदर स्लिप हो रहा था और जब उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख पे लगाता तो मेरे मुँह से मज़े की एक सिसकरी निकल जाती। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:12 AM
सुहैल अब मेरे ऊपर मुड़ गया और मेरे मुँह में अपनी ज़ुबान को घुसेड़ के फ्रेंच किस कर रहा था और मैं उसके लंड को अपनी चूत में घिस्स रही थी। मेरी टाँगें सुहैल की कमर पे लपटी हुई थी और सुहैल का लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में सैंडविच बना हुआ था। उसने अपने लंड को चूत के लिप्स के बीच में से ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया। चूत बहुत ही स्लिपरी हो गयी थी और ऐसे ही ऊपर नीचे करते-करते उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मेरी छोटी सी चूत के सुराख में अटक गया और मेरा मुँह एक्साइटमेंट में खुला रह गया। उसने अपना लंड थोड़ा सा और पुश किया तो उसके लंड का सुपाड़ा पूरा चूत के अंदर घुस गया और मुझे लगा जैसे मेरी अंदर की साँस अंदर और बाहर की साँस बाहर रह गयी हो। मेरे मुँह से हल्की सी चींख, “ऊऊऊईईई” निकल गयी और मैंने अपने दाँत ज़ोर से बंद कर लिये।
उसने सुपाड़े को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया तो मेरी चूत में एक अजीब सा मज़ा महसूस होने लगा और मैंने अपने दोनों हाथ बढ़ा कर सुहैल को अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया। सुहैल ने लंड को थोड़ा और अंदर घुसेड़ा तो मेरी चूत का सुराख जैसे बड़ा होने लगा और मुझे तकलीफ होने लगी। मैंने कहा कि सुहैल, “दर्द हो रहा है अब और अंदर मत डालो प्लीज़”, तो उसने कहा “अरे पगली... अभी तो थोड़ा सा भी अंदर नहीं गया” और कहा कि “अभी तुमको मज़ा आयेगा, थोड़ा वेट करो”, और फिर वो मेरी चूचियों को चूसने लगा तो मेरे जिस्म में फिर से सनसनी सी फैलनी शुरू हो गयी और मैं उसकी कमर पे अपने हाथ फिराने लगी। सुहैल अपने लंड के सुपाड़े को मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर बाहर करने लगा। मेरी चूत में से जूस निकलने की वजह से उसके लंड का टोपा अब अंदर-बाहर स्लिप हो रहा था। ऐसे ही करते-करते उसने अपने लंड को बाहर निकाला और एक झटका मारा तो उसका लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत के अंदर आधा घुस गया और मेरे मुँह से चींख निकल गयी, “उउउउउउहहहह ईईईईईईई।“ लंड अब आधा अंदर घुस चुका था और मेरी चूत के अंदर जलन शुरू हो गयी। मैं उस से ज़ोर से लिपट गयी। सारा जिस्म अकड़ गया तो सुहैल ने धक्के मारना बंद कर दिया और मेरी चूचियों को चूसने लगा। थोड़ी देर में ही फिर से मुझे अच्छा लगने लगा और मेरी ग्रिप सुहैल पे थोड़ी ढीली हो गयी। उसने अपना लंड मेरी चूत के अंदर ऐसे हो छोड़ दिया और चूचियों को चूसने लगा। मुझे फिर से मज़ा आने लगा और उसका आधा घुसा हुआ लंड अच्छा लगने लगा। जब उसने देखा के मेरी चूत ने उसके मोटे लंड को अपनी छोटे से सुराख में एडजस्ट कर लिया है तो उसने अपना लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया जिससे मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मेरी चूत में से जूस लगातार निकलने लगा जिससे मेरी चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी। अब सुहैल ने अपने हाथ मेरी बगल से निकाल के मेरे कंधों को पकड़ लिया और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। पोज़िशन ऐसी थी कि दोनों के जिस्म के बीच में मेरे बूब्स चिपक गये थे। सुहैल मुझ पे झुका हुआ था और उसका लंड मेरी चूत में आधा घुसा हुआ था। सुहैल ने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर कर के मेरी चुदाई शुरू की और मैं मज़े से पागल होने लगी। मेरी चूत में उसका मोटा लंड फँसा हुआ था और अंदर-बाहर हो रहा था। मुझे फिर से लगने लगा के मेरी चूत के काफी अंदर कोई लावा जैसा उबल रहा है और बाहर निकलने को बेचैन है। उतने में ही सुहैल ने अपने लंड को मेरी चूत से पूरा बाहर निकाल लिया तो मुझे अपनी चूत खाली-खाली लगने लगी और फिर देखते ही देखते उसने इतनी ज़ोर का झटका मारा और मेरे मुँह से चींख निकल पड़ी, “ऊऊऊऊईईईईईई अल्लाह...आआआआआ ऊऊऊफफफ निकाल लो बाहर!! मार डाला..... ऊऊऊईईईई”, और मुझे लगा जैसे मेरे जिस्म को चीरता हुआ कोई मोटा सा लोहे का सख्त डंडा मेरी चूत के रासते मेरी टाँगों के बीच में घुस गया हो और मैं सुहैल से लिपट गयी उसको ज़ोर से पकड़ लिया और फिर एक दम से टोटल ब्लैक ऑऊट! शायद मैं एक लम्हे के लिये बे-होश हो गयी। कमरे में तो पहले से ही अंधेरा था। मुझे कुछ नज़र ही नहीं आ रहा था और फिर अचानक ऐसे चूत फाड़ झटके से तो मैं एक दम से बेहोश हो गयी। मुझे लगा जैसे सारा कमरा मेरे आगे घूम रहा हो। मुँह खुला का खुला रह गया था और आँखें बाहर निकल आयी थी और आँखों में से पानी निकल रहा था। मेरा मुँह तकलीफ के मारे खुल गया था। लगाता था जिस्म में खून ही नहीं हो और दिमाग काम नहीं कर रहा था। पता नहीं मैं कितनी देर उसको ज़ोर से चिपकी रही और कितनी देर तक बेहोश रही। जब होश आया तो देखा कि वो अपने लंड से मेरी फटी चूत को चोद रहा है उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा है और मेरी चूत में जलन से जैसे आग लगी हुई हो। मेरी मुँह से “ऊऊऊऊईईईईई आआआआहहहह औंऔंऔंऔं आआआईईईई” जैसी आवाज़ें निकल रही थी लेकिन सुहैल था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। लगाता था जैसे पागल हो गया हो। ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था और मेरी फटी चूत में दर्द हो रहा था। मेरा जो लावा निकलने को बेताब था पता नहीं वो कहाँ चला गया था और मुझे बे-इंतहा दर्द हो रहा था। लगाता था जैसे कोई छूरी से मेरी चूत को काट रहा हो। चूत के अंदर बे-इंतहा जलन और दर्द हो रहा था। सुहैल मुझे चोदे ही जा रहा था। अंधेरे में उसे पता भी तो नहीं चल रहा था कि मैं कितनी तकलीफ में हूँ। मैं उसके जिस्म से चिपकी हुई थी और उसके झटकों से मेरे बूब्स आगे पीछे हो रहे थे। थोड़ी ही देर में जब मेरी चूत उसके मोटे लंड को अपने छोटे से सुराख में एडजस्ट कर चुकी तो मुझे भी मज़ा आने लगा और मेरी ग्रिप उस पे से ढीली पड़ गयी और वो अब दनादन चोद रहा था। उसका लंड अंदर-बाहर हो रहा था और मुझे बेहद मज़ा आ रहा था, ऐसा मज़ा जो कभी सारी ज़िंदगी नहीं आया था। उसके हाथ अभी भी मेरे कंधों को पकड़े हुए थे और वो अपनी गाँड उठा-उठा के लंड को पूरा सिरे तक बाहर निकलता और जोर के झटके से चूत के अंदर घुसेड़ देता। उसके चोदने की स्पीड बढ़ गयी थी और अब मेरा लावा जो पता नहीं कब से निकलने को बेताब था, मुझे लगा कि अब वो फिर से बाहर आने वाला है और मुझे अपनी चूत के अंदर ही अंदर उसका लंड फूलता हुआ महसूस हुआ। उसने बहुत ज़ोर ज़ोर से चोदना शुरू किया और फायनली लंड को पूरा चूत से बाहर निकाला और एक इतनी ज़ोर से झटका मारा कि मेरा सारा जिस्म हिल गया और मेरे जिस्म में जैसे बिजली कि झटके लगने लगे और सारा जिस्म काँपने लगा। मैंने फिर से सुहैल को ज़ोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया। उसके साथ ही उसके लोहे जैसे सख्त लंड में से गरम- गरम मलाई के फुव्वारे निकलने लगे और मेरी चूत को भरने लगा। बस उसी टाईम पे मेरा लावा जो चूत के बहुत अंदर उबल रहा था, ऐसे बाहर निकलने लगा जैसे बाँध तोड़ के दरिया का पानी बाहर निकल जाता है। मुझे लगा जैसे सारे जहाँ में अंधेरा छा गया हो। जिस्म में झटके लग रहे थे और दिमाग में सनसनाहट हो रही थी और बहुत ही मज़ा आ रहा था। सुहैल अभी भी धीरे-धीरे चुदाई कर रहा था। जितनी देर तक उसकी मलाई निकलती रही, उसके धक्के चलते रहे और फिर वो अचानक मेरे जिस्म पे गिर गया जिससे मेरे बूब्स हम दोनों के जिस्म के बीच में सैंडविच बन गये। हम दोनों गहरी गहरी साँसें ले रहे थे। मैं उसके बालों में हाथ फिरा रही थी और मेरी ग्रिप बिल्कुल ढीली पड़ गयी थी। टाँगें खुली पड़ी थी और मैं चित्त लेटी रही। सुहैल का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था पर अब वो धीरे-धीरे नरम होने लगा था और फिर एक प्लॉप की आवाज़ के साथ उसका लंड मेरी चूत के सुराख से बाहर निकल गया और मुझे लगा कि उसकी और मेरी मलाई जो चूत के अंदर जमा हो चुकी थी, वो बाहर निकल रही है और मेरी गाँड के क्रैक पे से होती हुई नीचे बेडशीट पे गिरने लगी। सुहैल थोड़ी देर तक मेरे ऊपर ऐसे ही पड़ा रहा। जब दोनों को होश आया तो उसने मुझे एक फ्रेंच किस किया और बोला कि “कल रात फिर तुम्हें रीप्रोडक्टिव सिस्टम का अगला हिस्सा पढ़ाने आऊँगा।“ मैंने मुस्कुराते हुए कहा कि “शैतान चलो भागो यहाँ से, तुम ने ये क्या कर डाला। अगर कुछ हो गया तो क्या होगा।“ उसने कहा कि “नहीं ऐसे नहीं होगा, तुम फ़िक्र ना करो।“ और वो अपने कपड़े पहन के नीचे सोने चला गया। मैं सुबह देर तक सोती रही। नीचे से मम्मी आवाज़ें देती रही लेकिन मैं तो गहरी नींद सो रही थी तो मम्मी ने सुहैल से कहा कि जा “बेटा ज़रा देख तो सही कि ये किरन की बच्ची अभी तक सोयी पड़ी है। कॉलेज भी जाना है उसने।“ सुहैल ऊपर आया और मुझे जगाया। मैं जब जागी और अपने बेड से उठी तो देखा कि वो तो ब्लड से भरी पड़ी है। मैं तो एक दम से डर ही गयी पर सुहैल ने कहा कि “डरने की कोई बात नहीं है, ये तुम्हारी हायमन थी जिसे झिल्ली भी कहते हैं, वो फट गयी और तुम्हारी चूत कि सील टूट गयी है। ये झिल्ली तो हर कुंवारी लड़की को होती है और पहली चुदाई में टूट जाती है और ये नॉर्मल है”, तो मैंने इतमिनान की साँस ली और बेडशीट को लपेट के वाशिंग मसीन में धोने के लिये डाल दिया और मैं जब नहा धो के नीचे उतर रही थी तो मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था। मम्मी ने पूछा कि क्या हुआ, “ऐसे क्यों चल रही है, तेरी तबियत तो ठीक है ना?” तो मैंने कहा “पता नहीं मम्मी! क्या हुआ!” सुहैल ने शरारत से मुस्कुराते हुए बीच में कहा कि “शायद कोई चीज़ चुभ गयी होगी” तो मैंने उसकी तरफ़ बनावटी गुस्से से देखा और मैंने मम्मी से कहा, “हाँ मम्मी, हो सकता है कोई चीज़ चुभ गयी हो, कल रात बिजली भी तो चली गयी थी न और अंधेरा हो गया था तो हो सकता है कोई चीज़ सच में चुभ गयी हो” तो मम्मी ने इतमिनान की साँस ली और कहा “ठीक है, अगर दवाई लगानी हो तो लगा लो।“ तो सुहैल ने मुस्कुराते हुए कहा कि “आप फिक्र ना करें खाला, मैं इसे आज दर्द कम होने का इंजेक्शन लगा दुँगा जिससे इसका दर्द हमेशा के लिये खतम हो जायेगा!” मम्मी ने कहा कि “हाँ ये ठीक है”, पर उन्हें क्या पता कि सुहैल कौन से इंजेक्शन की बात कर रहा है और ये इंजेक्शन वो मुझे कहाँ लगायेगा। ये तो बस मैं जानती थी या वो। मैंने नाश्ता किया और कॉलेज चली गयी। कॉलेज तो चली गयी पर कहीं दिल ही नहीं लग रहा था। चूत में मीठी-मीठी खुजली हो रही थी। बार-बार मेरा हाथ मेरी चूत पे ही चला जाता था और सारे जिस्म में मीठा-मीठा सा दर्द हो रहा था। बार-बार अंगड़ाई लेने का मन कर रहा था। पता नहीं क्यों, आज कॉलेज कुछ अजीब सा लग रहा था । खैर कॉलेज का टाईम खतम हुआ और मैं घर आ गयी और लंच के बाद अपने रूम में जा के सो गयी। बहुत देर तक सोती रही और उठने का मन ही नहीं कर रहा था। सारे जिस्म में एक अजीब सी मिठास लग रही थी। शाम को देर से उठी और फ़्रेश हो के नीचे आ गयी और हम सब ने डिनर साथ किया। वहीं डिनर टेबल पे बैठ के हम सब बातें करने लगे मगर मेरा मन तो कहीं और ही था। मैं बातें सुन तो रही थी पर समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था। थोड़ी देर के बद मैंने कहा कि अब मैं जाती हूँ, मुझे पढ़ाई करनी है और मैं ऊपर अपने कमरे में चली गयी। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:14 AM
रात के करीब साढ़े दस हो गये थे और मुझे अभी भी नीचे से मम्मी डैडी और सुहैल की बातों की आवाज़ें आ रही थी। मैं आते ही अपने बेड पे लेट गयी और मेरा हाथ खुद-ब-खुद मेरी सलवार के अंदर चूत पे चला गया और मैं अपनी चूत को सहलाने लगी और चूत से खेलने लगी। मैंने देखा कि मेरी चूत पे थोड़ी-थोड़ी झांटें उग आयी हैं। वैसे तो मैं हर हफते अपनी झांटें साफ़ करती हूँ और अभी तीन ही दिन हुए थे मुझे झांटें साफ़ किये हुए और अब हल्की-हल्की सी महसूस हो रही थी। मैं बाथरूम में गयी और क्रीम लगा के बची खुची झांटों को साफ़ कर दिया। अब मेरी चूत मक्खन जैसी चिकनी हो गयी थी। मैं वापस बेड पे आके लेट गयी और कमरे की बिजली बंद कर दी और अंधेरे में ही एक बार फिर से अपनी चूत को सहलाने लगी। अब चूत एक दम से मक्खन की तरह चिकनी हो चुकी थी। ठंड बढ़ चुकी थी और मैं ब्लैंकेट तान कर लेट गयी और अब अंधेरे में मुझे मसाज करने में बहुत मज़ा आ रहा था। लड़कियाँ, खासकर कॉलेज जाने वाली लड़कियाँ जानती हैं कि सर्दी की रात हो और चूत मक्खन जैसी चिकनी हो तो चूत से खेलने में और मसाज करने में कितना मज़ा आता है और मैं भी अपनी चूत का मसाज करने लगी और मसाज करते-करते मेरी उंगली तेज़ी से चलने लगी। कभी उंगली चूत के सुराख में अंदर डाल के और कभी मैं क्लीटोरिस का मसाज कर रही थी और फिर अचानक मेरा हाथ तेज़ी से चलने लगा और जिस्म काँपने लगा और फिर मेरा लावा फिर से उबलने लगा और चूत में से जूस निकलने लगा। मेरी आँखें बंद हो गयी और दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था और दिमाग में सांय-सांय सी होने लगी और मस्ती में ना जाने मैं कब सो गयी।
मुझे अपनी चूत पे किसी का हाथ महसूस हुआ तो मेरी आँख खुल गयी। पता नहीं कितनी रात हो गयी थी। मेरी आँख खुली और मुझे होश आया तो समझ में आया कि वो सुहैल है। मैं उस से लिपट गयी और हम दोनों फ्रेंच किस करने लगे। हम एक दूसरे की ज़ुबान को चूस रहे थे। उसका एक हाथ मेरी चूत पे आ गया और वो मेरी चूत का मसाज मेरी सलवार के ऊपर से ही करने लगा। मुझे चूत में गर्मी महसूस होने लगी और गीली भी होने लगी। मैंने हाथ बढ़ा के उसके लंड को पकड़ा तो पता चला कि वो तो पूरा का पूरा नंगा लेटा है। मैं उसका नंगापन महसूस करके मुस्कुरा दी और उसके लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ के दबाने लगी। हम दोनों चित्त लेटे थे। उसका हाथ अब मेरी सलवार के अंदर घुस चुका था उसने सलवार का स्ट्रिंग खोल दिया था और चूत को मसाज कर रहा था। मेरी चिकनी चूत पे उसका हाथ बहुत अच्छा लग रहा था। वो अपनी जगह से उठा और मेरी कमीज़ को मेरा हाथ ऊपर कर के निकाल दिया और मेरी टाँगों को खोल के टाँगों के बीच में आ के बैठ गया और मेरी सलवार को नीचे खींच के उतारने लगा तो मैंने अपनी चूतड़ उठा दिये और सलवार निकालाने में मदद की। अब हम दोनों नंगे थे और कमरे में अंधेरा था। घर के सारे लोग सो चुके थे। मैंने पूछा कि “क्या टाईम हुआ है” तो उसने बताया कि “रात का एक बज रहा है और सर्दी के मारे मेरे मम्मी डैडी ब्लैंकेट तान के अपने कमरे में कब के सो चुके हैं।“ सुहैल मेरे ऊपर ऐसे ही लेट गया। उसका अकड़ा हुआ लंड जिस में से प्री-कम निकल रहा था, मेरी चूत के ऊपर था। हम दोनों के जिस्म के बीच में उसका लंड और मेरी चूचियाँ दोनों सैंडविच बन गयी थी। हम दोनों किसिंग में बिज़ी हो गये। मेरी चूत के ऊपर उसका लंड लगने से चूत में खुजली शुरू हो चुकी थी और गीली भी हो चुकी थी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और किसिंग कर रहा था। उसका लंड मेरी चूत के लिप्स के बीच में "हॉट डॉग" के सैंडविच की तरह से फँसा हुआ था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा मेरी चूत को खोल के लिप्स के बीच में था। लंड के डंडे का निचला हिस्सा क्लीटोरिस से टच कर रहा था तो और मज़ा आ रहा था। अब उसने मेरी चूचियों को चूसना शुरू कर दिया जिससे मेरे जिस्म में बिजली दौड़नी शुरू हो गयी और मुझे लग रहा था कि सारे जिस्म से बिजली दौड़ती हुई चूत में आ रही है ऐसे जैसे कि मेरी चूत बिजली का न्यूकलियस हो या सैंट्रल पोइंट हो। सुहैल अपने लंड के डंडे को चूत के लिप्स के बीच में ही ऊपर नीचे करने लगा। उसके लंड में से प्री-कम भी निकल रहा था जिससे उसके लंड का निचला हिस्सा जो मेरी चूत के लबों के बीच में था, स्लिपरी हो गया था और फिसल रहा था। मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे क्रॉस रखी थी और मैं उसको अपनी तरफ़ खींच रही थी। मेरी चूत बे-इंतहा गीली हो चुकी थी। वो भी मस्ती में था। ऐसे ही लंड को चूत के अंदर ऊपर नीचे करते-करते उसका लंड मेरी चूत के सुराख में फंस गया और एक ही झटके में मेरी गीली चूत के अंदर आधा घुस गया तो मेरे मुँह से “आआआहहहहह” और “ईईईईईई” की सिसकरी निकल गयी और मेरी आँखें फटी रह गयी। उसने अब अपना लंड आधा ही अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उसका लंड अपनी चूत के अंदर लेने की कोशिश करने लगी। सुहैल ने अब अपना पूरा लंड सुपाड़े तक चूत से बाहर निकाल के एक ज़ोरदार झटका मारा तो मेरे मुँह से “आआआआईईईईईईईई” की आवाज़ निकली और मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी। मेरा अंदर का दम अंदर और बाहर का बाहर रह गया। चूत पूरी स्ट्रैच हो चुकी थी मेरी चूत में एक दफ़ा फिर से जलन होने लगी। सुहैल थोड़ी देर तक तो ऐसे ही लंड को चूत के अंदर घुसाये हुए लेटा रहा और मुझे फ्रेंच किस करने लगा। दोनों एक दूसरे की ज़ुबान चूस रहे थे। थोड़ी ही देर में चूत के अंदर की जलन खतम हो गयी और मुझे उसका लोहे जैसा सख्त लंड अपनी चूत के अंदर बेहद अच्छा लगने लगा। सुहैल ने चुदाई शुरू कर दी। वो पूरा लंड बाहर तक निकाल-निकाल के चोद रहा था। उसके पैर पीछे को थे और बेड की लकड़ी की पट्टी से टिके हुए थे और मेरी टाँगें उसके चूतड़ पे कैंची की तरह से जकड़ी हुई थी। वो लकड़ी की बैक का सहारा लेकर अपने लंड को पूरा चूत में से बाहर निकाल-निकाल के ज़ोर-ज़ोर से चुदाई कर रहा था। जैसे ही उसका लंड चूत से बाहर निकलता तो मुझे लगाता जैसे मेरी चूत एक दम से खाली हो गयी हो और फिर जब लंड चूत के अंदर घुस जाता तो लगाता जैसे चूत पूरी तरह से भर गयी है और वो मुझे चोदता ही चला गया। वो ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था और उसकी दोनों कोहनियाँ मेरे जिस्म के दोनों तरफ़ थीं। उसके पैर पीछे और मेरे पैर उसकी गाँड पे क्रॉस थे। मुझे अब बहुत ही मज़ा आने लगा था उसकी चुदाई से। उसके हर धक्के से मेरी चूचियाँ आगे पीछे होने लगी तो उसने अपने मुँह से उनको चूसना शुरू कर दिया। मस्ती से मैं पागल हो गयी थी। मेरी छोटी सी टाइट चूत के अंदर उसका इतना बड़ा लोहे का डंडा बहुत मज़ा दे रहा था। चुदाई में बहुत ही मज़ा आ रहा था। मेरी चूत में से जूस लगातार निकल रहा था और फच-फच की आवाज़ें कमरे में गूँजने लगी। मुझे ये चुदाई का म्युज़िक बहुत मस्त लग रहा था। मैं अपनी गाँड उठा-उठा के उस से चुदवा रही थी जैसे म्युज़िक की ताल से ताल मिला रही होऊँ। सुहैल के धक्के तेज़ हो चुके थे और मुझे भी लग रहा था कि मेरी चूत के अंदर कोई तूफान उठ रहा हो। मैं उससे लिपट गयी। सुहैल इतनी ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था कि मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे उसका लंबा मोटा लोहे जैसा सख्त लंड मेरी चूत को फाड़ के मेरे पेट तक घुस चुका है। वो दीवानों की तरह से चोद रहा था। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी और दोनों की साँसें तेज़ी से चल रही थी। मुझे लगा कि मेरी चूत में जो तूफान मचा हुआ था वो अब बाहर निकलने को मचल रहा हो और ठीक उसी वक्त सुहैल के लंड में से मलाई के फुव्वारे छूटने लगे - एक दो तीन चार पाँच - उफफफफ मुझे तो मस्ती में पता ही नहीं चला के कितनी मलाई निकल रही है जबकि उसकी पहली मलाई के फुव्वारे ही से मेरी चूत में से तूफानी लावा निकलने लगा। मैं उससे ज़ोर से लिपट गयी थी। उसके धक्के अब धीमे होने लगे और वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर ही छोड़ के मेरे ऊपर गिर गया। मेरी चुदी हुई चूत हम दोनों की मलाई से भर चुकी थी पर अभी तक बाहर नहीं निकली थी क्योंकि चूत के सुराख पे उसके लंड का टाइट ढक्कन लगा हुआ था। दोनों ऐसे हे गहरी-गहरी साँसें लेते रहे और मेरी ग्रिप भी अब लूज़ हो गयी थी। उसका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था। ऐसे लग रहा था जैसे चूत के अंदर ही फूल के और मोटा हो रहा हो। अंधेरे कमरे में हमारी तेज़ी से चलती हुई साँसें सुनायी दे रही थी। मेरी आँखें बंद थी और सारे जिस्म में एक अजीब सी सनसनाहट हो रही थी। मेरे दिल और दिमाग का टोटल ब्लैक-आऊट हो गया था। शायद एक दो या तीन मिनट के लिये मैं सो गयी थी या पता नहीं मस्ती में बेहोश हो गयी थी। मुझे थोड़ा सा होश आया तो महसूस हुआ कि सुहैल मेरे ऊपर पलट के आ चुका है और उसके लंड में से टपकती हुई हम दोनों की मिक्स मलाई के ड्रॉप्स मेरे लिप्स पे गिर रहे हैं। शायद वो अपना लंड चूत में से बाहर निकालते ही पलट के सिक्स्टी-नाईन पोज़िशन में आ गया था। मेरी टाँगें मुड़ी हुई थी और सुहैल मेरी चूत को चाटना शुरू कर चुका था। मेरे बंद लिप्स पे जब मलाई गिरी तो खुद-ब-खुद मेरी ज़ुबान बाहर निकली और मैंने मलाई को टेस्ट किया और फिर जैसे खुद-ब-खुद ही मेरा मुँह खुल गया और मैं सुहैल के आधे अकड़े हुए लंड को चूसने लगी। दोनों की मिक्स मलाई उसके लंड पे लगी हुई थी और मैं चाट रही थी और वो मलाई को मेरी चूत में से चाट रहा था। इस तरह से मैंने उसके लंड को साफ़ किया और उसने मेरी चूत को साफ़ किया। अब फिर से सुहैल मेरे बगल में आ के लेट गया। वो मेरी पीठ के पीछे था और मेरी पीठ से उसका सीना लग रहा था। मैं ऐसे करवट से लेटी थी और वो मेरे पीछे मुझसे लिपटा हुआ करवट से लेटा था। मेरे चूतड़ पे उसका लंड महसूस हो रहा था। पर अभी तक मेरा दिमाग ठिकाने नहीं आया था और अभी तक कमरा मेरे आँखों के सामने घूम रहा था और मैं पूरी तरह से संतुष्ट हो चुकी थी। उसका लंड मेरे चूतड़ से लग रहा था और उसने मेरे बगल से हाथ डाल के मेरी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया। मेरे निप्पल बहुत सेंसटिव हो चुके थे और उसका हाथ लगने से कड़क हो गये थे। मैं अपनी टाँगों को मोड़ कर के ऐसे लेटी थी कि मेरे घुटने मेरी चूचियों के करीब थे और सुहैल मेरे पीछे से लंड को चूत पे टच कर रहा था और आहिस्ता-आहिस्ता से धक्के मार मार के पीछे से ही लेटे लेटे लंड के सिर को चूत के सुराख में घुसाने की कोशिश कर रहा था। उसके लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सुराख में लगते ही चूत में जैसे फिर से जान आने लगी और वो गीली होना शुरू हो गयी। वो मेरी चूचियों को मसल रहा था और धक्के मार मार के लंड के सुपाड़े को पीछे से ही चूत के अंदर घुसा रहा था। थोड़ी ही कोशिश के बाद मेरी चूत में उसका लंड आधा और फिर पूरा अंदर घुसने लगा। उसका लंड पूरी तरह से अकड़ गया था और फिर से एक दम से लोहे जैसा सख्त हो गया था। मुझे फिर से मज़ा आने लगा था वो जोश में लंड को फिर से सुपाड़े तक निकाल-निकाल के पीछे से ही मुझे चोद रहा था। मेरा पूरा जिस्म रिलैक्स हो गया था। चूत में से जूस भी निकलने लगा था और चूत अंदर से स्लिपरी हो गयी थी। उसका लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था और मैं फिर से मज़े लेने लगी थी। अचानक जब उसने अपना लंड पूरा बाहर खींच के अंदर घुसाने की कोशिश की तो वो चूत में से बाहर जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:16 AM
फिर थोड़ी देर के बाद एक और टाईम उसने मुझे चोदा और चूत में फिर से मज़ा आ गया और पता नहीं ऐसी चुदाई के बाद मैं कब सो गयी।
सुबह उठी तो देर हो चुकी थी। आज कॉलेज नहीं जाना था। नाश्ता कर के थोड़ी देर नीचे ही हम सब बातें करते रहे और बस ऐसे ही सारा दिन गुज़र गया। मैं और सुहैल अगले एक हफते तक खूब चुदाई करते रहे रोज़ रात को वो मम्मी डैडी के सो जाने के बाद ऊपर आ जाता और हम जम कर चुदाई करते। एक हफते के बाद वो चला गया और जाने से पहले मैं उससे लिपट के खूब रोयी। मुझे लगा जैसे कोई मेरा लवर मुझे छोड़ के जा रहा है। वो मेरे सारे जिस्म पे हाथ फेरता रहा और प्यार करता रहा और कहा, “सुनो किरन, अगर तुम्हारे पीरियड्स में कोई गडबड़ हो जाये तो मुझे फ़ौरन फोन कर देना, मैं कुछ इंतज़ाम कर दुँगा!” पर अगले ही महीने में मेरे पीरियड्स टाईम से कुछ पहले ही शुरू हो गये तो मैंने इतमिनान की साँस ली और सुहैल को फोन कर के बता दिया। फिर जब कभी सुहैल आता तो हम खूब चुदाई करते। मैंने अपनी ग्रेजुयेशन पूरी कर ली और एक दिन मुझे पता चला के मेरा निकाह किसी अशफाक नाम के आदमी से फिक्स हो गया है। उसके घर वाले हमारे घर आये थे और मुझे पसंद भी कर गये और फिर निकाह की डेट फिक्स कर के मेरा निकाह कर दिया गया। मैं अभी निकाह की डीटेल्स में नहीं जाना चाहती और डायरेक्ट अपनी सुहाग रात के बारे में बता देती हूँ। निकाह हो गया और मैं अपने ससुराल आ गयी। सारा घर अच्छी तरह से सजा हुआ था। घर बहुत बड़ा भी नहीं और बिल्कुल छोटा भी नहीं था, बस ठीक ठाक ही था। उसके घर को पहुँचते-पहुँचते रात हो चुकी थी। डिनर तो कर ही चुके थे मैरिज हॉल में। अशफाक का कमरा भी ठीक ठाक ही था। बेड पे चमेली के फूल बिखरे पड़े थे। पिंक कलर का नरम बेड बहुत अच्छा लग रहा था। सारे कमरे में चमेली के फूलों कि भीनी भीनी खुशबू आ रही थी। बेहद अच्छा लग रहा था। एक दम से ऐसे ही रोमैंटिक था जिसकी हर लड़की ख्वाहिश करती है। अशफाक कि छोटी बहन, रुखसाना ने मुझे बेड पे बिठा के मुस्कुराते हुए कहा कि “भाई जान अभी आ जायेंगे, आप थोड़ा रेस्ट ले लें” और कमरे से चली गयी। मुझे अपनी सहेलियों के किस्से याद आने लगे जिनकी शादी हो चुकी थी। किसी ने कहा कि मेरी तो रात भर चुदाई हुई और सुबह मुझसे चला भी नहीं जा रहा था। किसी ने कहा था कि बस ऐसे ही रहा, कोई खास मज़ा नहीं आया था। किसी ने कहा कि अपने लौड़े को चूत के अंदर डालने से पहले ही चूत के ऊपर अपनी मलाई निकाल के सो गया था। मैं काफी एक्साईटेड थी कि पता नहीं मेरा क्या हशर होगा क्योंकि सुहैल से चुदवाये हुए भी तकरीबन एक साल से ज़्यादा ही हो चुका था। चूत के मसल फिर से टाइट हो गये थे। थोड़ी ही देर में वो कमरे में आ गया। अशफाक बहुत स्मार्ट लग रहा था। गोरा रंग, मीडियम हाईट और मीडियम बिल्ट। सब मिलाकर एक अच्छा स्मार्ट आदमी लग रहा था। मुझे अपनी फ्रैंड्स की बातें याद आ रही थी जिनकी शादी हो चुकी थी, जैसे कि सुहाग रात को क्या होता है और कैसे हसबैंड अपनी वाइफ को अपनी बातों से पता के चोद डालता है और लड़की को कितना मज़ा आता है। और साथ में ही मुझे सुहैल भी याद आ गया और सुहैल के साथ हुई मेरी पहली चुदाई भी मुझे याद आ गयी तो मस्ती से मेरा जिस्म टूटने लगा और एक लंबे मोटे लंड का सपना लिये बैठी रही, जो मेरी चूत में घुस के मुझे चोदेगा, मेरी प्यासी चूत की प्यास को बुझायेगा और मज़ा देगा। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:16 AM
शफाक कमरे के अंदर आ गया और बेड पे बैठ गया। पहले तो मेरी खूबसूरती को निहारता रहा, मेरे गालों पे हाथ फेरता रहा और फिर गाल पे किस किया तो मेरे जिस्म में बिजली दौड़ने लगी और जिस्म जलने लगा। थोड़ी देर में वो उठा और अपने कपड़े चेंज कर के बेड पे आ गया और बहुत धीमी रोशनी वाला लाइट पिंक कलर का नाइट लैंप जला दिया। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। सारे जिस्म से पसीना छूटने लगा और मुँह से गरम-गरम साँसें निकलने लगी। अब अशफाक चेंज कर के आ गया और हम दोनों लेट गये। पहले तो मेरी खूबसुरती को निहारता रहा और धीरे-धीरे उसके हाथ मेरी चूचियों पे आ गये और वो उनको दबाने लगा तो जिस्म में सनसनी सी फैल गयी। ऐसे ही बातें करते-करते वो मेरे कपड़े उतारता चला गया। सारे कपड़े निकाल के मुझे नंगा कर दिया। मेरे मुँह से एक बात भी नहीं निकल रही थी। नये घर में नये लोगों के साथ रहने से एक नयापन ही लग रहा था। सुहैल तो फिर भी कज़न था, उतना नयापन नहीं महसूस हुआ था लेकिन यहाँ तो हर कोई अजनबी था। शरम भी आ रही थी और एक्साइटमेंट भी थी। मैं बेड पे नंगी लेटी रही। शरम से बुरा हाल था पर क्या करती, ज़माने के रिवाज यही थे कि पहली रात को हसबैंड अपनी वाइफ को चोद देता है और सारी उम्र के लिये वो सिर्फ़ अपने हसबैंड की ही होके रह जाती है। वो थोड़ी देर तक मेरे नंगे जिस्म को देखता रहा और अपने हाथ मेरे सारे जिस्म पे फेरता रहा। मेरे सारे जिस्म में जैसे चिंटियाँ घूमने लगी हों। चूत में भी अब खुजली शुरू हो गयी थी।
वो मेरे नंगे जिस्म पे हाथ फेर रहा था। वो मेरी चूचियों को दबा रहा था और कभी-कभी चूचियों को चूस लेता। धीरे-धीरे उसका हाथ मेरी चूत पे आ गया और वो मेरी उसी दिन की शेव की हुई मक्खन जैसी चिकनी चूत पे आ गया और वो चूत का मसाज करने लगा। मेरे जिस्म में बिजली दौड़ रही थी और मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने दिल में सोचा कि ये तो खिलाड़ी लग रहा है, शायद चुदाई का एक्सपीरियंस होगा और उसका हाथ मेरी चूत पे लगते ही जैसे मेरी चूत में फ्लड आ गया और वो बे-इंतहा गीली हो गयी और रस से भर के अब रसीली चूत हो गयी। अशफाक ने अपने कपड़े भी निकाल दिये और नंगा हो गया। मैंने एक तिरछी नज़र उसके लंड पे डाली तो दिल धक से रह गया। उसका लंड बस ऐसे ही था, कोई खास नहीं था, टोटल इरेक्ट होने के बाद शायद चार इंच या पाँच इंच का ही होगा। मैंने सोचा कि शायद थोड़ी देर के बाद वो और अकड़ के बड़ा हो जायेगा। खैर अब वो मेरी चूचियों को चूस रहा था और हाथ से मेरी चूत का मसाज कर रहा था। कभी-कभी चूत के अंदर अपनी उंगली डाल देता तो मैं “ससससीसीसी ईईईईई” कर के सिसकरी ले लेटी। अब उसने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर अपने लंड पे रख दिया। मैं कुछ देर तक ऐसे ही अपना हाथ उसके लंड पे रखी रही तो उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ के दबाया तो मैं समझ गयी कि शायद वो चाहता है कि मैं उसका लंड अपनी मुट्ठी में लेकर दबाऊँ। मैंने उसके लंड को एक या दो बार ही दबाया था कि उसने मेरा हाथ हटा दिया और सीधा मेरे ऊपर चढ़ आया और मेरी टाँगों को फैला के मेरे ऊपर लेट गया। लंड को मेरी चूत के लिप्स के अंदर सुराख पे सटाया और झुक के मुझे किस करने लगा और एक ही झटके में उसका लंड मेरी समंदर जैसे गीली चूत के अंदर घुस चुका था और वो अचानक ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा और बस चार या पाँच ही धक्के लगाया था कि उसके मुँह से “ऊऊऊऊहहहह” की आवाज़ निकली और उसकी मलाई मेरी चूत में गिर गयी। मुझे तो उसका लंड अपनी चूत के अंदर सही तरीके से महसूस भी नहीं हुआ और उसकी चुदाई पूरी हो चुकी थी। मेरी कुछ फ्रैंड्स ने बताया था कि कभी-कभी एक्साइटमेंट की वजह से और कभी चूत की गरमी से लंड से मलाई जल्दी ही निकल जाती है पर कुछ दिनों में जब चुदाई डेली करते रहते हैं तो फिर ठीक हो जाता है और अच्छी तरह से चोदने लगाता है और ये कि ऐसा अगर कभी हो तो कोई फिक्र की बात नहीं है। यही सोच के मैं खामोश हो गयी कि हो सकता है कि एक्साइटमेंट या चूत की गर्मी से वो जल्दी ही झड़ गया हो पर बाद में अच्छी तरह से चोद डालेगा। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
26-04-2019, 01:17 AM
मैंने भी सोचा कि शायद एक्साइटमेंट में उसकी क्रीम जल्दी निकल गयी होगी और ये कोई नयी बात नहीं होगी। वो गहरी-गहरी साँसें लेता हुआ मेरे जिस्म पे पड़ा रहा और मेरी चूत में पहले से ज़्यादा तूफ़ान उठ रहा था और मेरा मन कर रहा था कि किसी तरह से सुहैल आ जाये और मुझे इतना चोदे कि मेरी चूत फट जाये पर ऐसा हो नहीं सकता था ना। मैं कुछ नहीं कर सकती थी। इंतज़ार किया कि शायद अशफाक के लंड में फिर से जान पड़ेगी और वो कुछ सही ढंग से चुदाई करेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और वो मेरे बगल में लेट के गहरी नींद सो गया और एक ही मिनट में उसके खर्राटे गूँजने लगे।
सुबह हुई तो उसकी बहन रुखसाना कमरे में आयी और मुस्कुराते हुए एक आँख बंद कर के पूछा, “क्यों भाभी जान! रात सोयी या भाई जान ने सारी रात जगाया?” मैं उस पगली को क्या बताती कि उसका भाई मेरी चूत में आग लगा के सो गया और मैं सारी रात जागती रही और इंतज़ार करती रही कि हो सकता है कि उसका लंड फिर से जाग जाये पर ऐसा कुछ हुआ नहीं और रुखसाना से कैसे बताती कि उसके भाई को आग लगाना तो आता है पर उस आग को बुझाना नहीं आता। मैंने बनावटी शर्म से नज़र नीचे कर ली और मुस्कुरा दी और दिल में सोचा कि पता नहीं इसे कैसा शौहर मिलेगा, पहली रात को चोद-चोद के चूत का भोंसड़ा बना देगा या मेरी तरह चूत में आग लगा के सो जायेगा। तब मैं पूछूँगी उससे कि रात कैसी गुजरी, रात भर चुदाई होती रही या खुद मलाई निकाल के सो गया और तुम्हारी चूत में आग लगा के तुम्हें सोने नहीं दिया। लेकिन अभी इस सवाल को पूछने के लिये तो टाईम है। इसी तरह से एक हफ्ता हो गया और मुझे कोई खास मज़ा नहीं आया। बस वो अपने हिसाब से चोदता रहा और हर बार चोद के मुझसे पूछता कि "मज़ा आया किरन?" तो मैं मुँह नीचे कर के चुप हो जाती और वो समझता कि शायद मैं उसकी चुदाई को इंजॉय कर रही हूँ। पता नहीं क्या प्रॉबलम था उसको कि चुदाई से पहले उसका लंड अकड़ता तो था लेकिन चूत की गर्मी से उसकी मलाई दूध बन के निकल जाती थी। ऐसा लगाता था कि लंड चूत के अंदर सिर्फ़ मलाई छोड़ने के लिये ही जाता है। मुश्किल से दो या तीन ही धक्कों में उसका काम तमाम हो जाता था। शुरू-शुरू में तो मैं समझी कि शायद एक्साइटमेंट की वजह से होगा और वक्त के साथ ठीक हो जायेगा पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। शादी के बाद पूरे दो हफ्ता उसके घर रह कर हम शहर में चले आये जहाँ उसका बिज़नेस था। अशफाक के घर वाले शहर के आऊटर में रहते हैं और अशफाक एक बिज़नेसमैन है। उसका रेडीमेड गार्मेंट्स का बिज़नेस है जो काफी अच्छा चलता है। वो अपने बिज़नेस के लिये डेली आऊटर से शहर में नहीं आ सकता था और इसी लिये उसने एक शानदार फ्लैट शहर में ले रखा था जिस में हम दोनों ही रहते हैं। घर में किसी चीज़ की कमी नहीं थी। कभी-कभी उसके मम्मी और डैडी आ जाते या कभी उसकी बहन रुखसाना आ जाती तो एक या दो दिन रह के चले जाते। घर में मैं अकेली ही रहती हूँ। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-11-2019, 02:08 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
29-03-2022, 09:58 PM
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भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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