Thread Rating:
  • 4 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Incest मेरी प्यारी दीदी मुझसे चुद गई
#1
मेरी प्यारी दीदी मुझसे चुद गई









:welcome: :heart: :welcome:






[Image: 0241_640.webp]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
थोड़े दिनों पहले मुझे किसी काम से सूरत जाना हुआ. अपना काम खत्म करके मैं वापस आ रहा था कि घर से फोन आया कि अपने चाचा की लड़की को भी साथ में लेते आना.

मेरे चाचा की लड़की, जिसका नाम निशा है.. वह सूरत में अपने पति के साथ रहती है. उसके पति यानी मेरे जीजू को कंपनी के काम से एक महीने के लिए दूसरे शहर जाना पड़ा था, तो वह अकेली रह रही थी. शायद इसी वजह से उसका मेरे साथ आने का मन करने लगा था.

निशा की तीन साल पहले शादी हुई थी. वह अठ्ठाइस साल की बहुत ही सुंदर माल जैसी दिखती है. उसका मादक फिगर 34-28-34 का है. ऊंचाई पांच फीट दो इंच है. उसकी गांड अब ज्यादा बाहर निकल गई है. मुझे वो बहुत ही सेक्सी लगती थी लेकिन चूंकि वो मेरी बहन थी इसलिए मुझे उसके साथ ये सब करने की हिम्मत नहीं होती थी और मौका भी नहीं मिल सका था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
मैंने उसको फोन किया तो वह स्टेशन पर आ गई. उसने पीले कलर का टी-शर्ट और सफेद लंबा स्कर्ट पहना था. वो बहुत ही मस्त दिख रही थी. उसके पास एक बैग था, जो मैंने ले लिया.

हम दोनों भाई बहन बात करते हुए ट्रेन का इन्तजार करने लगे. रात को नौ बजे की ट्रेन थी, पर वह ज्यादा बारिश की वजह से रद्द हो गई थी. दूसरी कोई और ट्रेन भी अब आने वाली नहीं थी. काफी देर तक इन्तजार के बाद हम दोनों ने ये तय किया कि सड़क के रास्ते चला जाए.

सूरत से अहमदाबाद के लिए स्टेशन से बाहर कई साधन मिल जाते थे, तो मैं निशा के साथ बाहर आ गया.

हम लोग स्टेशन से बाहर निकले तो वहाँ भी ऐसी कोई कार वगैरह नहीं थी, जो अहमदाबाद जा रही हो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
मैं पूछताछ करने लगा तो एक भाई ने बोला कि वह अहमदाबाद जा रहा है. उसकी गाड़ी में बस एक ही सीट खाली बची थी और वहां भी मैं ही बैठ सकता था, क्योंकि नेहा की गांड बहुत बड़ी थी.

आमने सामने की सीट लगी हुई थीं, जिसमें लोग बैठे हुए थे. मैं सीट में बैठ गया और निशा, उस गाड़ी में एक चालीस साल की औरत थी, उसकी गोद में बैठ गई.

पर थोड़ी देर में औरत के पैर दुखने लगे तो निशा खिसक कर थोड़ा बाजू हट गई. अब वह, एक पचास साल का आदमी बैठा था, उसकी जांघों पर बैठ गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
मुझे ताज्जुब हो रहा था कि निशा किसी आदमी की गोद में कैसे बैठ सकती थी. हालांकि मैं भी उसको अपनी गोद में बिठा सकता था परन्तु मैंने संकोच के चलते ऐसा नहीं कहा. फिर जब वो उस आदमी की गोद में बैठी, तब भी मुझे लगा कि ये भी उम्रदराज आदमी है, कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन मेरे दिमाग में ये भी सवाल आया कि इस आदमी के पैर दुखने लगेंगे तो ये इसके बाद मेरी गोद में आसानी से बैठ जाएगी.. तब इसकी गांड का मजा मिल जाएगा. मतलब अब भी मैंने उसको चोद पाने का नहीं सोच पाया था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#6
खैर.. गाड़ी अपनी रफ्तार पर जा रही थी और लोग सोने लगे थे. निशा ने भी थोड़ा पीछे हटकर मेरी गोद में सर रख दिया और सोने लगी.

पर उसके पीछे खिसकने से अब वह पूरी तरह उस आदमी के लंड पर बैठ गई थी. मैं देख रहा था कि उस आदमी का लंड भी खड़ा हो गया था. वो बार बार अपने पायजामे में अपने लंड को सही कर रहा था.

निशा अब सो चुकी थी, पर वह आदमी मेरी ही ओर देख रहा था. मैंने भी थोड़ी देर के लिए अपनी आंख बंद कर लीं. मैं भी जानना चाहता था कि इस आदमी की सोच किधर तक जाती है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#7
थोड़ी देर बाद मैंने आंख खोली तो वह आदमी निशा की कमर पकड़ कर धीरे धीरे हिल रहा था. मैंने ध्यान से देखा तो वो तो शायद मेरी बहन निशा की चुदाई जैसा कुछ कर रहा था. हालांकि अँधेरे के कारण कुछ भी साफ़ नजर नहीं आ रहा था तब भी मेरी झांटें सुलग गईं.

मुझे बहुत गुस्सा आया तो मैंने निशा को बोला- दीदी, उस भाई के पैर अकड़ जाएंगे. आप मेरे पैरों पे बैठ जाओ.
पर निशा ने नींद में बोलते हुए मना कर दिया- अरे चार-पांच घंटे की बात है. कुछ नहीं होगा.

मैंने उसको खींचते हुए दोबारा बोला, तो वह मान गई. अब वो मेरी गोद में बैठ गई और बैठते ही सो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#8
मैंने देखा कि उस आदमी ने अपना लंड बाहर निकाला हुआ था और उसका लंड बाहर से आती हुई रोशनी में थोड़ा चमक रहा था. पर मेरे देखते ही उसने अपना लंड पायजामे में कर लिया. इसी के साथ उसने मुझे कुछ हाथ में पकड़ा दिया.. और वो आंख बंद करके सो गया.

मैंने देखा तो वह पेंटी थी, वह भी पूरी गीली. मुझे विचार आया कि साला बूढा सच में निशा की चुत में लंड घुसा कर चोद रहा था.. तो उसने विरोध क्यों नहीं किया. इसका मतलब ये हुआ कि निशा उसके लंड को अपनी चुत में लेकर लंड की सवारी गाँठ रही थी. उसको इस बुड्डे के लंड से चुदने में मजा आ रहा था. मुझे हैरानी इस बात की भी थी कि उसने मेरी बहन की पैंटी कैसे उतार दी!

अब मैंने ये सोचा, तो मुझे भी कुछ होने लगा. इधर निशा के गोद में बैठने से अब मेरा लंड खड़ा होके झटके मार रहा था. उसके चूतड़ बहुत ही मुलायम थे, जो मेरी जांघों पे टच कर रहे थे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#9
मुझे लगा कि अब सब लोग सो गए हैं. मैंने धीरे से निशा की स्कर्ट उठानी शुरू की. पर उसके बैठने की वजह से गांड के नीचे दबी होने से पूरी नहीं उठ पाई. मैंने थोड़ा जोर लगा कर खींचा, तो निशा थोड़ा ऊपर हुई और स्कर्ट पूरी उठ गई.

मैंने निशा को फिर थोड़ा उठा के अपना लंड पेंट से बाहर निकाल लिया. उसके बैठते ही उसकी गर्म चुत का अहसास लंड पे हुआ. चूत पानी से पूरी भीगी गई थी.. पर उसके बैठने की वजह से लंड फिर से दब गया.

मैंने उसको थोड़ा झुकाया तो निशा उस आदमी की गोद में सर रखके सो गई.. जिससे उसकी गांड थोड़ी ऊपर उठ गई और चुत मेरे सामने आ गई. मैंने चुत पे हाथ लगाया तो वह खुली हुई थी और फड़क रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#10
[Image: 9011206.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 2 users Like neerathemall's post
Like Reply
#11
मैंने लंड के टोपे पे थूक लगाया और चुत के छेद पर रख दिया. एक हाथ से लंड पकड़े रखा और दूसरे से निशा की कमर को थोड़ा पीछे खींचा. चुत पे दबाव बनाया तो छेद फैलने लगा और टोपा अन्दर घुस गया. उधर शायद निशा ने भी अपनी चुत को लंड पर अडजस्ट सा किया था.




[Image: 18187738.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#12
[Image: ftop.ru_134283.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#13
अब मैंने दोनों हाथों से कमर को पकड़ लिया और निशा को जोर से लंड पे खींचा तो चिकनाई की वजह से पूरा लंड चुत में उतर गया. उसको शायद चुत में दर्द हुआ तो वह पूरा लंड घुसते ही बैठके खड़ी सी हो गई.. और फिर लंड को चूत में लेकर सो गई.


[Image: 19437736.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#14
मैंने आधा लंड बाहर निकाल कर फिर अन्दर पेल दिया. अब मुझको बहुत मज़ा आ रहा था तो मैं उसकी चुत को गपागप चोदने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#15
कुछ देर बाद मैंने झटके तेज कर दिए तो कोहनी लगने से बाजू में बैठा हुआ एक आदमी जग गया. पर मेरा अभी पानी निकलने वाला था तो मैंने चोदना चालू रखा.

थोड़ी देर बाद निशा की चुत ने पानी छोड़ दिया, जिसने मेरे लंड को भिगो दिया. बाजू वाला आदमी मेरी और देखके मुस्कुराया और अपना लंड मसलते हुए निशा की गांड पे हाथ फेरने लगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#16
दस-पंद्रह धक्के मारके मैंने भी अपना पानी चुत में छोड़ दिया. मैंने उसका स्कर्ट सही किया और अपना लंड पैन्ट में अन्दर कर लिया और अपनी बहन निशा को फिर सही से गोद में बिठा लिया.

थोड़ी देर बाद अहमदाबाद आ गया और हम उतर गए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#17
निशा ने एक अंगड़ाई ली और बोली- बड़े शरारती हो, ठीक से सोने भी नहीं देते.
“अब घर चल कर ठीक से सुला दूँगा.”
निशा ने मेरे लंड को पकड़ कर हिलाया और कहा- अब तो ठीक से लूँगी इसको अपने अन्दर.. दोगे न?

मैंने सुनसान देख कर उसको अपनी बांहों में भर लिया और पूछा- उस आदमी से मजा नहीं आया था क्या?
“अरे उसने तो पेला ही था कि तुमने अपने लंड पर बिठा लिया था.”
मैं हंस पड़ा.

उसके बाद मैंने उसको कई बार चोदा है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#18
[Image: 13563734.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#19
[Image: malavika-mohanan%2B%252812%2529.jpg]


[Image: malavika-mohanan%2B%25285%2529.jpg]



[Image: malavika-mohanan-%252810%2529.jpg]



[Image: malavika-mohanan%2B%25281%2529.jpg]



[Image: malavika-mohanan%2B%25282%2529.jpg]



[Image: malavika-mohanan%2B%25283%2529.jpg]



[Image: malavika-mohanan%2B%25285%2529.jpg]



[Image: malavika-mohanan%2B%25284%2529.jpg]


[Image: malavika-mohanan%2B%25287%2529.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply
#20
(12-04-2019, 12:50 AM)neerathemall Wrote: [Image: ftop.ru_134283.jpg]

Heart Heart
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
[+] 1 user Likes neerathemall's post
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)