Yesterday, 12:44 AM
रात का समय था मै माँ पापा और दो छोटे भाई बहन के साथ पटना से कोलकाता जा रहा था हमारा घर बिहार के एक गाँव मे है हम यहाँ पूजा के अवसर पर आये थे मेरी माँ बहुत धार्मिक है वह हर साल का व्रत करती है हमलोग पूजा खत्म होने के एक दिन बाद ही कोलकाता वापस जा रहे थे क्योकि मेरे पापा कोलकता मे जॉब करते है इसलिए उनको छुट्टी बहुत कम मिला था मेरा नाम अमीत है मै उस समय का था ट्रेन मे बहुत भीड़ चल रही थी एक भी सीट खाली नही थी तो हम बस से जाने का सोचे बस स्टैंड मे भी बहुत भीड़ थी बस का टिकट भी बहुत मुश्किल से मिल रहा था पापा ने बहुत कोशिश किया लाइन मे लगे तब जाकर एक चेयर सीट और दो स्लीपर सीट मिला मेरी माँ को स्लीपर मे सोना पर उल्टी जैसा आता है इसलिए उन्होने पापा से अपने लिए चेयर सीट बुक करवाई थी पापा ने टिकट सुबह मे ही ले लिया था
हम शाम मे बस स्टैंड पहुंचे हमारे बस खुलने से दो घंटे पहले क्योकि हमारे गाँव मे अंधेरा होने के बाद ऑटो नही मिलती है इसलिए हम पहले ही घर से निकल गये थे जब हम बस स्टैंड पहुंचे तो देखे वहाँ काफी भीड़ थी पापा ने हमे एक जगह खड़ा करके खुद बस के बारे मे पता करने चले गये की बस सही समय पर है की नही उस समय मै बड़ा तो नही हुआ था पर छोटा भी नही था की मुझे लोगो की नजरो का पता नही था मर्दो की नजरो को मै भी जानता और समझता था मै माँ के साथ खड़ा था मेरी माँ वैसे तो बहुत धार्मिक और संस्कारी है गाँव की आम महिला के जैसे ही थी पर थोड़ी मॉर्डन भी थी उस समय नया नया ही स्लीवलेस ब्लाउज का फैशन चला था पर माँ ने उस दिन बैकलेस और हल्का डीप नेक ब्लाउज पहन रखी थी जिसमे वह काफी सेक्सी लग रही थी माँ 40 की थी पर काफी जवानी लग रही थी उनके बदन से जवानी फूट रही थी
हम जहा खड़े थे वहाँ से कोई भी गुजरता उसकी नजर जब माँ पर पड़ती तब वह बिना अपनी आँख सेके नही जाता था यहाँ तक की उम्रदराज बुढ़े तक माँ के जवानी जिस्म को हसरत भरी निगाह से देखते हुए निकलते थे वैसे माँ उस दिन कुछ ज्यादा ही खूबसूरत लग रही थी माँ उस दिन काफी आकर्षक लग रही थी उन्होने लाल साड़ी काली बैकलेस डीप नेक ब्लाउज पहन रखी थी जिसमे उनका गदराया बदन कामूक लग रहा था उपर से उन्होने खूब श्रृंगार किया था असल मे हमारे गाँव घर मे जब बेटी या बहू बिदा होती है तब उसको अच्छे से सजा के बिदा किया जाता है माँ भी अपने ससुराल से ही बिदा हो रही थी तो खूब सजी हुई थी दोनो हाथ चूड़ी कान मे बाली मांग मे सिंदूर माथे पर बिंदी गले मे मंगलसूत्र जो उनकी 36 की छाति पर टिकी हुई थी पैर मे पायल यह सब पहन के किसी दुल्हन जैसी ही लग रही थी
इसलिए जो भी उनको एक बार देखता वो पलट कर बार बार देखता सब की नजर माँ के 36 30 38 के बदन पर था पापा आये तब हम लोग वेटिंग रूम मे चले गये क्योकि बस खुलने मे अभी समय था वेटिग रूम मे गये तो देखे वहाँ बहुत से लोग पहले से ही बैठे हुए थे कोई तो जमीन पर लेटा हुआ था हम भी जगह देख के बैठे गये वहाँ भी लोग माँ को घूर रहे थे हमे अभी कुछ देर हुआ था बैठे हुए तभी वहाँ एक लड़का आया देखने मे हैंडसम था बॉडी भी अच्छी थी उसको मै बाहर जहाँ हम खड़े थे वही से देख रहा था वो माँ को देख रहा था जिसका पता माँ को भी था क्योकि अनजान बनते हुए वो भी लड़के को देख रही थी जब हम वेटिंग रूम मे गये वहाँ भी वो दूर से माँ को देख रहा था दोनो सब से नजरे बचा के एक दुसरे को देख रहे थे मुझे यह देखकर अश्चर्य हुआ की माँ आखिर उस लड़के को देख क्यो रही है वह देखते हुए कभी कभी मुस्का भी देती थी कुछ देर तक दोनो मे ऐसे ही नैने लड़ते रहे ।
तभी माँ के पास से एक महिला उठ के बाहर चली गयी तब लड़का माँ के पास पहुचा और बोला क्या मै यहाँ बैठ सकता हूँ तब मै पहले पापा की तरफ फिर मेरी तरफ देखी पापा एक तरफ बैठे छपकी ले रहे थे तो मै बाहर आते जाते लोगो को देख रहा था तब माँ कुछ बोली नही बस थोड़ा सा जगह दे दी लड़के को बैठने के लिए लड़का माँ के बदन से सट के बैठ गया और धीरे धीरे दोनो मे बात शुरू हो गयी उसने माँ से पूछा आप कहाँ जा रही हो तब माँ ने बता दिया वह कोलकता जा रही है तब लड़का भी हँसते हुए बोला वह भी वही जा रहा है फिर वह माँ से हमारे घर का पूरा लोकेशन पूछ लिया इसलिए तरह से दोनो मे बात बढ़ती गई बात करते हुए दोनो की नजरे मिल रही थी माँ तो कभी नजरे चुरा लेती तो कभी शर्मा जाती पर वह लड़का माँ के आँखे मे देखता रहता उसकी नजर माँ की चूची पर भी थी वो बात करते हुए माँ की चूची को घूरने लगता यह माँ भी देखती एक दो बार तो अपनी साड़ी से अपने चूची के क्लीवेज को ढ़क भी दी पर लड़के ने माँ की साड़ी हल्का खींच के क्लीवेज को बाहर कर देता
माँ उसे रोकती पर वह नही रूकता माँ ने बैकलेस ब्लाउज पहन रखा था तो अंदर उन्होने ब्रा नही पहने थे फिर भी चूची तनी हुई थी और उस ब्लाउज मे काफी कामूक लग रही थी तभी लड़के की नजर उनकी चूची से हट ही नही रहा था माँ यह देखकर शर्मा रही थी मै दूर से यह सब देख रहा था मै हैरान था माँ पापा और हम सब के होते हुए भी अपने से आधे उम्र के लड़के के साथ इश्क लड़ा रही थी लड़का माँ की खूबसूरती की खूब तारीफ कर रहा था जिससे माँ को भी खूब मजा आ रहा था लड़के ने देखा की माँ उसे कुछ नही कह रही तब उसने अपना एक हाथ माँ के पीठ के पीछे रख दिया माँ ने कुछ नही बोला बस मुस्का दी फिर लड़का धीरे धीरे माँ की नंगी पीठ पर हाथ फेड़ने लगा लड़के के छूते ही माँ की आँख बंद हो गयी लड़का इधर उधर देख रहा था किसी की नजर उसके तरफ तो नही है वह बहुत ध्यान से माँ के साथ खेल रहा था
उसने कुछ देर माँ की नंगी पीठ को सहलाया फिर अपना बाया हाथ माँ के दाए बाह पर रख दिया और धीरे से सहलाने लगा माँ कुछ नही बोल रही थी बस उसके साथ इधर उधर की बात कर रही थी लड़का बाह सहलाते हुए उनके ब्लाउज के बाजू मे उगली करने लगा माँ इसपर मुस्का दी लड़का भी हँस दिया फिर दोनो सीधे होकर बैठ गये तब लड़का अपने बैग को गोद मे लेकर बैठ गया फिर उसने अपना एक बाया हाथ दाए बाह पर रख दिया वो सोच रहा था की उसको कोई नही देख रहा है पर मेरी नजर माँ और उसके उपर ही थी वह फिर माँ के बाह पर हाथ रखा इस बार उसने माँ के चूची को भी एक दो बार स्पर्श किया माँ उसके इरादे भाप गयी और लड़के को मना करने लगी पर लड़का नही और उसने अपना हाथ माँ की साड़ी के अंदर मे डाल दिया और उनकी बड़ी रसीली चूची को पकड़ लिया ।
माँ अब इधर उधर देखने लगी की कोई उनको देख तो नही रहा है जब उन्हे लगा उनको कोई नही देख रहा है तब अपनी साड़ी को सही करने लगी ताकि किसी को पता ना चले की उनके बगल वाला लड़का उनकी चूची को मसल रहा है लड़का माँ की चूची मसलते हुए बात करने लगा माँ भी उसका साथ दे रही थी मुझे विश्वास नही हो रहा था गाँव की सीधी सादी महिला जो अभी एक दिन पहले इतना बड़ा करके आयी है वो एक कम उम्र के अनजान लड़के के साथ वो सब कर रही है लड़का मजे से माँ की चूची मसल रहा था माँ हर कुछ सेकेंड बाद पहले पापा और फिर मुझे देखती फिर इधर उधर बैठे लोगो को देखती यह जानने के लिए की कोई उनको देख तो नही रहा है जब वह आश्वस्त हो जाती है तब लड़के को देखती लड़के को समझ आ गया था माँ को भी वह सब अच्छा लग रहा है तब उसने माँ का हाथ अपने पैट के उपर से ही लण्ड के उभार पर रख दिया जिससे माँ की तो आँखे निकल गयी वह अपना हाथ खींचने लगी पर लड़के ने नही छोड़ा उसने उस पर अपना बैग रख दिया जिससे किसी को यह ना दिखा की माँ का हाथ कहाँ है ।
बैग से हाथ छुप जाने पर माँ भी हाथ खींचना बंद कर दी इस तरह से माँ के हाथ अब उस लड़के के लण्ड पर थे लड़के ने माँ से पूछा कैसा लगा तब माँ कुछ नही बोली बस मुस्का दी दोनो एक दुसरे के अंगो से खेल रहे थे दोनो की नजरे मिल रही थी यह सब कुछ देर तक चला पापा अब उठ गये थे वो माँ की तरफ देखे माँ डर गयी पर लड़का धीरे से शांत रहने को बोला माँ ने वैसा ही किया पापा माँ से बोले अब समय हो गया है मै देखकर आता हूँ अब और कितना देर लगेगा माँ बोली हाँ ठीक है माँ पापा से बात कर रही थी और उधर वह लड़का उनकी चूची मसल रहा था और माँ खुद लड़के के लण्ड को अपने मुट्ठी मे लेने की कोशिश कर रही थी पापा को पता भी नही चला की उनकी प्यारी पत्नी बगल के लौडे के साथ कौन खेला खेल रही है पापा उठकर बाहर चले गये पर मै उनकी बेशर्मी देख रहा था माँ मुझे देखती और अपनी नजर हटा लेती पापा के जाते ही लड़के ने चूची खूब कस के मसलना शुरू कर दिया क्योक माँ के चेहरे पर दर्द दिख रहा था साथ ही अब साड़ी मे कुछ हलचल भी पता चल रहा था
लेकिन माँ ने जल्द ही उसको वैसा करने से रोक दी फिर लड़के ने अपना हाथ माँ के चूची पर से हटा लिया लड़का खड़ा हुआ और बाहर निकल गया मै माँ के बगल मे जाकर बैठ गया यह सोचकर की वह फिर ना आकर उनके बगल मे बैठ जाए पर वह नही आया थोड़े देर मे पापा आए बोले चलो बस मे सब बैठ रहे है तब माँ ने मेरी बहन को उठायी जो उनकी गोद मे सर रखकर सो रही थी मेरा भाई बाहर आते जाते लोगो की देख रहा था उसको बोला चलो अब चलना है हमने अपने समान उठाए और बस मे चढ़ गये माँ चेयर वाले सीट पर बैठ गयी पापा और छोटा भाई एक स्लीपर मे चले गये मै और मेरी बहन एक स्लीपर मे सोने वाले थे वह दोनो बच्चे थे तो आराम से दो लोग सो सकते थे स्लीपर बड़ा था कुछ देर मै बस खुल गयी जब बस हाइवे पर चलने लगी तब मै भी माँ से एक बार पूछा की वह स्लीपर मे नही सकेगी तब वह बोली नही तो मै अपने स्लीपर मे जाकर लेट गया मेरी बहन खिड़की के बाहर देख रही थे मै भी दुसरे तरफ लेट के बाहर देखते हुए कब सोया पता ही नही चला