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गिगोलो का मोटा लंड: आंटीयों और जवान लड़कियों की गांड मार चुदाई कहानी
#1
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी


आर्यन एक 28 साल का लड़का था, जो दिल्ली की भीड़भाड़ वाली गलियों में रहता था। पढ़ा-लिखा था वो – इंजीनियरिंग की डिग्री थी उसके पास, लेकिन नौकरी मिली थी एक छोटी-सी आईटी कंपनी में, जहां सारा दिन कंप्यूटर के सामने बैठकर कोडिंग करता रहता। दिखने में वो औसत था – न ज्यादा हैंडसम, न ज्यादा बदसूरत। कद 5 फुट 10 इंच, साधारण चेहरा, हल्की-सी दाढ़ी और चश्मा लगाकर चलता। लेकिन उसके पास एक ऐसी चीज़ थी जो उसे बाकियों से अलग करती थी – उसका लंड 10 इंच का था, मोटा और ताकतवर, जो कभी-कभी उसे खुद पर गर्व महसूस कराता, लेकिन ज़्यादातर वक्त वो इसे छुपाकर रखता क्योंकि ज़िंदगी में पैसे कमाने से ज़्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं लगता था।
आर्यन की ज़िंदगी संघर्ष से भरी थी। सुबह 6 बजे उठता, मेट्रो पकड़कर ऑफिस जाता, रात 10 बजे लौटता। महीने के आखिर में सैलरी आती – मुश्किल से 30 हज़ार रुपये। किराया, खाना, बिजली का बिल – सब कुछ मिलाकर कुछ बचता ही नहीं। वो हमेशा सोचता, "कितनी मेहनत करता हूं, लेकिन पैसा कहां है? क्या ज़िंदगी यूं ही कटती रहेगी?" उसके सपने बड़े थे – अपनी मां को गांव से दिल्ली बुलाना, एक अच्छा घर खरीदना, लेकिन हकीकत में वो एक छोटे से कमरे में रहता था, जहां दीवारें फटी हुई थीं और छत से पानी टपकता था।
एक दिन शाम को, ऑफिस से लौटते वक्त उसका दोस्त राहुल मिला। राहुल कॉलेज का दोस्त था, जो अब एक मार्केटिंग जॉब करता था और हमेशा नए-नए आइडियाज़ के साथ घूमता रहता। दोनों एक चाय की दुकान पर बैठे। बातों-बातों में राहुल ने कहा, "यार आर्यन, तू इतनी मेहनत करता है, लेकिन पैसा नहीं कमा पा रहा। मैंने सुना है एक साइट है – 'SecretDesires.com'। वहां लड़कियां गिगोलो हायर करती हैं। मतलब, जो लड़के उनकी सेक्सुअल ज़रूरतें पूरी करें, साथ में जो वो कहें वो करें – डिनर पर ले जाना, बातें करना, सब कुछ। और बदले में अच्छे पैसे देती हैं। कुछ लड़के तो महीने में लाखों कमा लेते हैं!"
आर्यन हंस पड़ा। "क्या बकवास कर रहा है राहुल? मैं ऐसा थोड़ी करूंगा। मैं पढ़ा-लिखा हूं, नौकरी करता हूं। ये सब वैश्यावृत्ति जैसा है।" राहुल ने कंधा झटकाया, "अरे यार, बस मज़ाक में बता रहा हूं। लेकिन सोच, अगर पैसा चाहिए तो ऑप्शन है।" आर्यन ने उस बात को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। वो घर लौटा, थका-हारा सो गया। लेकिन कहीं न कहीं वो शब्द उसके दिमाग में घूमते रहे – 'अच्छे पैसे'।
अगले कुछ दिनों में चीज़ें और खराब हो गईं। कंपनी में बॉस ने कहा कि सैलरी लेट आएगी, क्योंकि क्लाइंट ने पेमेंट नहीं किया। आर्यन के पास किराए के पैसे नहीं थे। उसका मकान मालिक, एक गुस्सैल बूढ़ा आदमी, दरवाज़े पर आ धमका। "आर्यन, इस महीने का किराया कब देगा? पिछले महीने का भी बाकी है। अगर कल तक नहीं दिया तो कमरा खाली करवा दूंगा। बाहर फेंक दूंगा तेरे सामान को!" आर्यन ने गिड़गिड़ाया, "अंकल, बस दो-तीन दिन की मोहलत दे दो। सैलरी आ रही है।" लेकिन मकान मालिक ने सुना नहीं। वो चला गया, लेकिन उसकी धमकी आर्यन के सीने में चुभती रही। रात भर वो सो नहीं पाया। बैंक बैलेंस चेक किया – सिर्फ 500 रुपये बचे थे। खाना भी मुश्किल से खरीद पा रहा था।
सुबह उठा तो दिमाग घूम रहा था। वो ऑफिस गया, लेकिन काम में मन नहीं लगा। लंच ब्रेक में फोन निकाला और सर्च किया – 'SecretDesires.com'। साइट खुली। ये एक प्राइवेट ऐप जैसी वेबसाइट थी, जहां रजिस्ट्रेशन के लिए डिटेल्स मांगी जा रही थीं। "क्या करूं?" वो सोचता रहा। दिल नहीं मान रहा था, लेकिन पैसे की तंगी उसे मजबूर कर रही थी। "बस ट्राई करके देखता हूं। अगर नहीं चला तो छोड़ दूंगा।" उसने रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरा – नाम, उम्र, फोटो, और एक स्पेशल सेक्शन जहां 'स्पेशल क्वालिटी' लिखनी थी। आर्यन ने हिचकिचाते हुए लिखा – "10 इंच का साइज़, स्टैमिना हाई।" सबमिट बटन दबाया। अब इंतज़ार था।
शाम को घर लौटा तो फोन पर एक नोटिफिकेशन आया – "वेलकम टू SecretDesires! आपका प्रोफाइल अप्रूव हो गया है। क्लाइंट्स से रिक्वेस्ट आने लगेंगी।" आर्यन का दिल धड़क रहा था। क्या ये सही फैसला था? या ज़िंदगी का सबसे बड़ा गलत कदम? वो नहीं जानता था, लेकिन खेल शुरू हो चुका था। गिगोलो की दुनिया में उसका पहला कदम पड़ चुका था, और आगे क्या होगा, ये वक्त ही बताएगा।
Fuckuguy 
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#2
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी

आर्यन का दिल अभी भी धड़क रहा था जब उसने फोन पर वो नोटिफिकेशन देखा। "वेलकम टू SecretDesires!" – ये शब्द उसके दिमाग में घूमते रहे। वो सोचता रहा, "क्या मैंने सही किया? क्या ये सब वैसा ही होगा जैसा राहुल ने बताया?" लेकिन अब पीछे हटने का वक्त नहीं था। अगले दिन सुबह उठा तो सबसे पहले फोन चेक किया – कोई मैसेज नहीं। ऑफिस गया, लेकिन मन काम में नहीं लगा। हर घंटे फोन देखता, सोचता कि शायद कोई रिक्वेस्ट आएगी। शाम को घर लौटा, थका-हारा बिस्तर पर गिरा। "शायद ये सब फेक है," उसने खुद से कहा। लेकिन अंदर ही अंदर एक उत्साह था – पैसों का लालच, और वो अज्ञात रोमांच जो उसे खींच रहा था।
दो दिन बीत गए। आर्यन की ज़िंदगी वैसे ही चल रही थी – सुबह मेट्रो, ऑफिस में कोडिंग, लंच में सस्ता खाना, और शाम को घर। लेकिन अब हर नोटिफिकेशन की आवाज़ पर वो चौंक जाता। तीसरे दिन, दोपहर को ऑफिस में लंच ब्रेक के दौरान फोन वाइब्रेट हुआ। वो SecretDesires ऐप का मैसेज था: "नई क्लाइंट रिक्वेस्ट! नाम: रिया। उम्र: 32। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: शाम का डिनर और इंटीमेट टाइम। पेमेंट: 10,000 रुपये पर नाइट।" आर्यन की सांस रुक गई। 10 हज़ार रुपये? एक रात के लिए? वो इतने में अपना महीने का किराया दे सकता था। लेकिन फिर डर लगा – "कौन होगी ये रिया? क्या वो सुरक्षित होगी? मैं क्या करूंगा?"
उसने प्रोफाइल चेक की। रिया की फोटो नहीं थी, बस डिस्क्रिप्शन: "एक बिज़नेसवुमन, जो व्यस्त ज़िंदगी से थक गई है। एक ऐसे साथी की तलाश जो सुन सके, साथ दे सके, और बेड पर तूफान ला सके। स्पेशल रिक्वेस्ट: साइज़ मैटर्स।" आर्यन को याद आया उसने अपनी प्रोफाइल में 10 इंच लिखा था। शायद इसी वजह से चुना गया। उसने हिचकिचाते हुए 'एक्सेप्ट' बटन दबाया। तुरंत एक चैट ओपन हुई: "हाय आर्यन, आज शाम 8 बजे? होटल ताज में मिलते हैं। रूम नंबर बाद में बताऊंगी।" आर्यन ने टाइप किया: "ओके, लेकिन पहले कुछ बातें क्लियर कर लें?" रिया का रिप्लाई आया: "बिल्कुल। मैं सेफ प्ले करती हूं। कंडोम यूज़ होगा, और पेमेंट एडवांस में आधा। बाकी बाद में।" आर्यन ने सहमति दी। अब शाम का इंतज़ार था।
घर लौटकर वो तैयार होने लगा। नहाया, अच्छे से शेव की, अपना सबसे अच्छा शर्ट-पैंट पहना – जो कॉलेज के दिनों का था, लेकिन साफ-सुथरा। आईने में खुद को देखा: "तू ये कर रहा है? एक अनजान औरत के साथ?" लेकिन पैसों की याद आई – मकान मालिक की धमकी, खाली जेब। वो निकल पड़ा। मेट्रो से उतरकर होटल ताज पहुंचा। लॉबी में बैठा इंतज़ार करने लगा। फोन पर मैसेज आया: "रूम 512। आ जाओ।" लिफ्ट में जाते वक्त उसकी हथेलियां पसीने से भीग गईं। दरवाज़ा खटखटाया।
दरवाज़ा खुला तो सामने एक खूबसूरत औरत खड़ी थी – रिया। लंबी, गोरी, काले बाल, और एक टाइट रेड ड्रेस में जो उसके कर्व्स को हाइलाइट कर रही थी। उम्र 32 की लग रही थी, लेकिन चेहरा ऐसा जैसे 25 की हो। "हाय आर्यन, आओ अंदर," उसने मुस्कुराते हुए कहा। कमरा लग्ज़री था – बड़ा बेड, मिनी बार, और शहर का व्यू। दोनों सोफे पर बैठे। रिया ने वाइन ऑफर की। "तो बताओ, तुम क्या करते हो?" उसने पूछा। आर्यन ने अपनी ज़िंदगी के बारे में बताया – इंजीनियरिंग, ऑफिस, संघर्ष। रिया सुनती रही। "मैं एक कॉर्पोरेट जॉब करती हूं। पति बाहर रहता है, बच्चे नहीं हैं। ज़िंदगी बोरिंग हो गई है। मुझे ऐसे साथी चाहिए जो मुझे स्पेशल फील कराए।" बातें चलती रहीं – डिनर ऑर्डर किया गया। रूम सर्विस आई, दोनों ने खाना खाया। रिया हंसती, छेड़ती। आर्यन को लग रहा था जैसे कोई डेट हो। लेकिन अंदर ही अंदर वो जानता था कि ये इससे ज़्यादा है।
खाना खत्म होने के बाद रिया करीब आई। "अब शो टाइम," उसने कान में फुसफुसाया। उसने आर्यन का हाथ पकड़ा और बेड की तरफ ले गई। आर्यन का दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। रिया ने अपनी ड्रेस उतारी – नीचे ब्लैक लेस वाली ब्रा और पैंटी। उसका बदन परफेक्ट था – बड़े ब्रेस्ट, पतली कमर, गोल हिप्स। आर्यन को देखकर बोली, "तुम्हारी प्रोफाइल पढ़ी। 10 इंच? शो मी।" आर्यन ने हिचकिचाते हुए अपनी पैंट उतारी। जैसे ही उसका लंड बाहर आया, रिया की आंखें चमक उठीं। "ओह गॉड, ये रियल है!" वो घुटनों पर बैठ गई, हाथ से सहलाने लगी। आर्यन का लंड और सख्त हो गया – पूरा 10 इंच, मोटा और नसों से भरा। रिया ने मुंह में लिया, चूसने लगी। आर्यन को ऐसा लगा जैसे स्वर्ग में हो। उसने कभी इतनी हॉट औरत नहीं देखी थी। रिया ने कंडोम लगाया और बोली, "अब मुझे चोदो, हार्ड।"
आर्यन ने उसे बेड पर लिटाया, उसके ब्रेस्ट चूसे, निप्पल्स काटे। रिया सिसकारियां भर रही थी। फिर उसने अपना लंड उसकी चूत में डाला – टाइट थी, लेकिन गीली। धक्के लगाने लगा, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। रिया चिल्ला रही थी, "हां, ऐसे ही! बड़ा है तेरा, फाड़ देगा!" वो दोनों पसीने से तर हो गए। आर्यन का स्टैमिना काम आया – 20 मिनट तक चला। आखिर में रिया झड़ गई, और आर्यन भी। दोनों थककर लेट गए। रिया ने कहा, "तुम अमेजिंग हो। अगली बार फिर मिलेंगे?" उसने पेमेंट किया – 10 हज़ार कैश। आर्यन घर लौटा, जेब में पैसे, लेकिन दिमाग में सवाल – "ये सब कितना चलेगा? क्या मैं इसमें फंस जाऊंगा?"
अगले दिन सुबह, मकान मालिक को किराया दिया। पहली बार चैन की नींद सोया। लेकिन ऐप पर नई रिक्वेस्ट्स आने लगीं। 

आर्यन की पहली रात रिया के साथ बीत चुकी थी, और जेब में 10 हज़ार रुपये थे। अगले दिन सुबह उठा तो लगा जैसे कोई बोझ हल्का हो गया हो। मकान मालिक को किराया दे दिया, कुछ पैसे से groceries खरीदे, और पहली बार महीने के बीच में खुद को एक अच्छा लंच अफोर्ड किया। लेकिन दिमाग में वो रात घूम रही थी – रिया की सिसकारियां, उसका बदन, और वो पैसे। "क्या ये आदत बन जाएगी?" वो सोचता रहा। ऑफिस में काम करते वक्त भी ऐप चेक करता रहता। शाम को एक नई रिक्वेस्ट आई: "नाम: प्रिया। उम्र: 35। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: एक शाम का साथी, पार्टी में डेट के रूप में। कोई इंटीमेसी नहीं, सिर्फ कंपनी। पेमेंट: 5,000 रुपये पर इवनिंग।"
आर्यन चौंका। "सिर्फ कंपनी? सेक्स नहीं?" उसने प्रोफाइल पढ़ी। प्रिया की फोटो थी – एक एलीगेंट औरत, लंबे बाल, साड़ी में, लग रही थी जैसे कोई हाई सोसाइटी की लेडी। डिस्क्रिप्शन: "एक अमीर फैमिली से हूं, लेकिन अकेली हूं। कल एक फैमिली पार्टी है, मुझे एक डीसेंट लड़के की ज़रूरत है जो मेरे साथ जाए, बातें करे, और मुझे अकेला फील न होने दे। नो सेक्स, जस्ट कंपेनियनशिप।" आर्यन को राहत मिली। "ये आसान लग रहा है। पैसा भी ठीक है, और रिस्क कम।" उसने एक्सेप्ट किया। चैट ओपन हुई: "हाय आर्यन, कल शाम 7 बजे? मेरा ड्राइवर तुम्हें पिक करेगा। एड्रेस भेज दो।" आर्यन ने अपना एड्रेस शेयर किया। "ओके, लेकिन क्या पहनूं?" उसने पूछा। प्रिया: "फॉर्मल – शर्ट, पैंट, टाई अगर हो तो। पार्टी हाई क्लास है।"
अगले दिन शाम को तैयार हुआ। अपना बेस्ट सूट पहना – जो शादी के लिए खरीदा था, लेकिन कभी यूज़ नहीं हुआ। ड्राइवर आया, एक लग्ज़री कार में। आर्यन बैठा, दिल में घबराहट। "कैसी होगी प्रिया? क्या वो सच में सिर्फ कंपनी चाहती है?" कार एक बड़े बंगले के सामने रुकी – लाइट्स से जगमगाता, गार्डन में फाउंटेन। दरवाज़ा खुला, प्रिया बाहर आई। वो और भी खूबसूरत लग रही थी – सिल्क की साड़ी, ज्वेलरी, मेकअप परफेक्ट। "हाय आर्यन, थैंक यू आने के लिए," उसने हाथ मिलाया। आर्यन मुस्कुराया, "प्लीज़र इज ऑल माइन।"
दोनों कार में बैठे, पार्टी की तरफ निकले। रास्ते में बातें शुरू हुईं। प्रिया ने पूछा, "तुम क्या करते हो? ऐप पर क्यों हो?" आर्यन ने सच बताया – इंजीनियर हूं, पैसों की तंगी है। प्रिया हंसी, "मैं समझ सकती हूं। मैं एक बिज़नेस चलाती हूं – इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट। पति का देहांत हो गया दो साल पहले, अब अकेली हूं। फैमिली वाले हमेशा पूछते रहते हैं कि कब दोबारा शादी करोगी। इसलिए आज तुम्हें साथ लाई, ताकि वो चुप रहें।" आर्यन ने सहानुभूति दिखाई, "माफ कीजिएगा आपके लॉस के लिए। लेकिन आप स्ट्रॉन्ग लगती हैं।" बातें चलती रहीं – प्रिया ने अपनी ज़िंदगी के बारे में बताया, ट्रैवल्स, बिज़नेस ट्रिप्स। आर्यन ने अपने कॉलेज के दिनों की स्टोरी शेयर की। दोनों हंसते रहे, लगा जैसे पुराने दोस्त हों।
पार्टी पहुंचे – एक ग्रैंड हॉल, म्यूज़िक, लोग सूट-बूट में। प्रिया ने आर्यन का इंट्रोडक्शन कराया: "ये मेरा फ्रेंड आर्यन है।" रिलेटिव्स ने सवाल किए, लेकिन प्रिया ने हैंडल किया। दोनों डांस फ्लोर पर गए – स्लो डांस। प्रिया करीब आई, लेकिन सिर्फ बातें। "तुम अच्छे डांसर हो," उसने कहा। आर्यन: "कॉलेज में सीखा था।" पार्टी खत्म हुई, कार में वापस। प्रिया ने पेमेंट किया – 5 हज़ार कैश। "थैंक यू, आर्यन। अच्छा लगा तुम्हारे साथ। अगर ज़रूरत पड़ी तो फिर कॉल करूंगी?" आर्यन ने हां कहा। घर लौटा, सोचता रहा – "ये अलग था। कोई प्रेशर नहीं, सिर्फ बातें। लेकिन प्रिया... वो स्पेशल लगी।"
अगले कुछ दिनों में ऐप पर और रिक्वेस्ट्स आईं, लेकिन आर्यन का मन प्रिया पर अटका था। क्या वो फिर बुलाएगी?

आर्यन की ज़िंदगी अब थोड़ी बदलने लगी थी। प्रिया के साथ वाली शाम के बाद, उसे लगा जैसे ये गिगोलो वाली दुनिया सिर्फ सेक्स के बारे में नहीं है। कुछ क्लाइंट्स को सिर्फ कंपनी चाहिए, एक कान जो उनकी बातें सुने, एक साथी जो उन्हें अकेला महसूस न होने दे। अगले दो-तीन दिनों में ऐप पर कुछ और रिक्वेस्ट्स आईं, लेकिन आर्यन ने उन्हें इग्नोर किया। उसका मन प्रिया पर अटका था – वो एलीगेंट औरत, जो इतनी अमीर होने के बावजूद इतनी अकेली लगती थी। "क्या वो फिर मैसेज करेगी?" वो सोचता रहता। ऑफिस में काम करते वक्त भी फोन चेक करता, लेकिन कुछ नहीं।
चौथे दिन शाम को, जब वो घर लौट रहा था, ऐप पर नोटिफिकेशन आया: "प्रिया से मैसेज: हाय आर्यन, कैसा रहा तुम्हारा वीक? पार्टी के बाद फैमिली वालों ने काफी तारीफ की तुम्हारी। क्या तुम फ्री हो इस वीकेंड? मुझे एक छोटा ट्रिप प्लान करना है – दिल्ली के बाहर, एक रिसॉर्ट में। सिर्फ रिलैक्स करने के लिए, कोई प्रेशर नहीं। कंपनी चाहिए। पेमेंट: 15,000 रुपये पर डे।" आर्यन की आंखें चमक उठीं। 15 हज़ार एक दिन के? लेकिन फिर सोचा – "ट्रिप? ओवरनाइट? क्या ये सुरक्षित होगा?" उसने रिप्लाई किया: "हाय प्रिया, सुनकर अच्छा लगा। मैं फ्री हूं, लेकिन डिटेल्स बताओ? कहां जाना है, कितने दिन?" प्रिया का तुरंत जवाब: "शुक्रवार शाम से रविवार तक। जगह – जिम कॉर्बेट के पास एक रिसॉर्ट। ड्राइवर ले जाएगा। रूम अलग-अलग होंगे, चिंता मत करो। बस बातें, घूमना, और रिलैक्स।"
आर्यन ने हां कर दी। अंदर ही अंदर उत्साह था – पहली बार दिल्ली से बाहर, एक लग्ज़री ट्रिप, और वो भी पैसे कमाते हुए। लेकिन वो जानता था कि ये प्रोफेशनल है, न कि कोई रोमांटिक गेटअवे। शुक्रवार शाम को तैयार हुआ – कैजुअल क्लोथ्स, एक छोटा बैग। ड्राइवर आया, कार स्टार्ट हुई। रास्ते में प्रिया कॉल पर आई: "आर्यन, मैं पहले से रिसॉर्ट पहुंच गई हूं। तुम्हें पिक करने के लिए ड्राइवर है। सफर कैसा चल रहा?" दोनों ने बात की – मौसम, ट्रैफिक, छोटी-मोटी चीज़ें। आर्यन को लगा जैसे कोई दोस्त हो। रिसॉर्ट पहुंचा तो रात हो चुकी थी। प्रिया लॉबी में इंतज़ार कर रही थी – जींस और टॉप में, कैजुअल लुक में भी स्टाइलिश। "वेलकम! थक गए होगे, चलो डिनर करें।"
दोनों रेस्टोरेंट में बैठे। कैंडल लाइट, सॉफ्ट म्यूज़िक। प्रिया ने वाइन ऑर्डर की। "तो बताओ, तुम्हारी ज़िंदगी कैसी है? फैमिली, फ्रेंड्स?" आर्यन ने बताया – गांव में मां है, पिता का देहांत हो चुका, दोस्त कम हैं क्योंकि काम में बिज़ी। प्रिया सुनती रही, आंखों में सहानुभूति। "मैं भी अकेली हूं। पति के जाने के बाद बिज़नेस संभाल रही हूं, लेकिन रातें लंबी लगती हैं। कभी-कभी बस कोई चाहिए जो बिना जज किए सुने।" बातें गहरी होने लगीं – प्रिया ने अपने बचपन के बारे में बताया, कैसे अमीर फैमिली में पली, लेकिन इमोशंस हमेशा दबाए। आर्यन ने अपनी स्ट्रगल शेयर की – इंजीनियरिंग की पढ़ाई, दिल्ली आना, पैसों की तंगी। दोनों हंसते, कभी गंभीर हो जाते। डिनर खत्म हुआ, लेकिन बातें नहीं। बालकनी में जाकर बैठे, स्टार्स देखते हुए चाय पी। प्रिया ने कहा, "तुम अलग हो, आर्यन। ज़्यादातर लड़के सिर्फ बॉडी देखते हैं, लेकिन तुम सुनते हो।" आर्यन मुस्कुराया, लेकिन कुछ नहीं कहा। रात को दोनों अपने-अपने रूम में चले गए। कोई इंटीमेसी नहीं, सिर्फ बातें।
सुबह उठे तो ब्रेकफास्ट साथ किया। प्रिया ने प्लान बताया: "आज जंगल सफारी करेंगे।" दोनों कार में निकले, जिम कॉर्बेट के जंगल में। रास्ते में वाइल्डलाइफ देखी – हिरण, पक्षी। प्रिया एक्साइटेड थी, फोटोज़ क्लिक करती। आर्यन ने भी एन्जॉय किया – पहली बार ऐसी जगह। सफारी के दौरान बातें जारी रहीं – प्रिया ने अपने बिज़नेस के चैलेंजेस बताए, आर्यन ने अपनी जॉब की फ्रस्ट्रेशन। शाम को रिसॉर्ट वापस, स्विमिंग पूल साइड बैठे। प्रिया ने बिकिनी पहनी, लेकिन आर्यन ने नज़रें नहीं घुमाई। "तुम्हें पता है, मैंने ऐप यूज़ किया क्योंकि रियल लाइफ में ट्रस्ट नहीं होता। लेकिन तुम पर ट्रस्ट हो रहा है," प्रिया ने कहा। आर्यन ने पूछा, "क्या कभी दोबारा शादी का सोचा?" प्रिया चुप रही, फिर बोली, "शायद नहीं। लेकिन एक अच्छा साथी... हां।" रात को फिर डिनर, बातें, और गुडनाइट।
रविवार सुबह, वापसी से पहले एक छोटा वॉक। प्रिया ने पेमेंट किया – 30 हज़ार (दो दिनों का)। "थैंक यू, आर्यन। ये वीकेंड स्पेशल था। जल्दी फिर मिलते हैं?" आर्यन ने हां कहा। घर लौटते वक्त सोचता रहा – "ये सिर्फ जॉब है, या कुछ और?" लेकिन ऐप पर नई रिक्वेस्ट्स इंतज़ार कर रही थीं।

आर्यन की ज़िंदगी में अब एक रूटीन सा बनने लगा था। सुबह ऑफिस, शाम को ऐप चेक करना, और बीच-बीच में आने वाली रिक्वेस्ट्स। प्रिया के साथ वाला वीकेंड ट्रिप उसे याद आता रहता – वो बातें, हंसी, और वो अहसास कि कोई उसे सिर्फ बॉडी के लिए नहीं, बल्कि कंपनी के लिए चाहता है। पैसे भी अच्छे आ रहे थे – अब वो किराया समय पर दे पाता, मां को गांव कुछ पैसे भेजता, और खुद के लिए छोटी-मोटी लग्ज़री अफोर्ड कर पाता। लेकिन रातें अभी भी अकेली थीं। "क्या ये सब हमेशा चलेगा?" वो सोचता। ऐप पर नई क्लाइंट्स की रिक्वेस्ट्स आ रही थीं – कोई डिनर डेट चाहती, कोई सिर्फ बातें। लेकिन आर्यन का मन प्रिया पर अटका था। क्या वो फिर मैसेज करेगी?
एक हफ्ता बीत गया। आर्यन ऑफिस से लौट रहा था जब ऐप पर मैसेज आया: "प्रिया: हाय आर्यन, उम्मीद है तुम ठीक हो। पिछले वीकेंड की यादें अभी भी ताज़ा हैं। क्या तुम फ्री हो अगले गुरुवार? मुझे एक बिज़नेस इवेंट में जाना है – कॉर्पोरेट गाला। मुझे एक बॉयफ्रेंड जैसे साथी की ज़रूरत है। सिर्फ कंपनी, बातें, और नेटवर्किंग। कोई इंटीमेसी नहीं। पेमेंट: 8,000 रुपये पर इवनिंग।" आर्यन मुस्कुराया। "फिर से प्रिया।" उसने तुरंत रिप्लाई किया: "हाय प्रिया, हां फ्री हूं। डिटेल्स बताओ?" प्रिया: "गुरुवार शाम 7 बजे। मैं तुम्हें पिक करूंगी। ड्रेस कोड: फॉर्मल सूट। इवेंट में मेरे बीएफ बनकर रहना, हाथ पकड़ना, मुस्कुराना – बस इतना।"
आर्यन उत्साहित था। गुरुवार को तैयार हुआ – सूट, टाई, अच्छे से परफ्यूम लगाया। प्रिया की कार आई, वो खुद ड्राइव कर रही थी। "हाय हैंडसम," उसने कहा, दरवाज़ा खोलते हुए। आर्यन बैठा, दोनों ने बात शुरू की। "इवेंट कैसा है?" आर्यन ने पूछा। प्रिया: "बिज़नेस लीडर्स का गेट-टुगेदर। डील्स होती हैं, नेटवर्किंग। लेकिन मैं अकेली जाती हूं तो लोग अजीब सवाल करते हैं। आज तुम हो, तो आसान होगा।" रास्ते में बातें चलती रहीं – प्रिया ने अपने बिज़नेस के नए प्रोजेक्ट्स बताए, आर्यन ने अपनी जॉब की छोटी-मोटी स्टोरी शेयर की। "तुम्हें पता है, तुम्हारे साथ रहना आसान लगता है। कोई ड्रामा नहीं," प्रिया ने कहा। आर्यन: "तुम भी स्पेशल हो। सुनती हो, समझती हो।"
इवेंट पहुंचे – एक 5-स्टार होटल का बॉलरूम, चमचमाती लाइट्स, लोग सूट-बूट में। प्रिया ने आर्यन का हाथ पकड़ा, इंट्रोडक्शन कराया: "ये मेरा बॉयफ्रेंड आर्यन है। आईटी में है।" लोग मिले, बातें हुईं। आर्यन ने प्रिया की मदद की – बिज़नेस टॉपिक्स पर कमेंट्स दिए, जो उसे पता थे। प्रिया इंप्रेस हुई: "तुम अच्छे हो इसमें।" बीच में ब्रेक हुआ, दोनों बार पर गए। वाइन पीते हुए प्रिया ने कहा, "आर्यन, तुम्हारी ज़िंदगी में कोई स्पेशल है? गर्लफ्रेंड?" आर्यन हंसा, "नहीं। काम में बिज़ी हूं। और ये ऐप... बस पैसों के लिए।" प्रिया चुप रही, फिर बोली, "मैं भी अकेली हूं। लेकिन कभी-कभी सोचती हूं, क्या कोई रियल कनेक्शन मिल सकता है?" उनकी आंखें मिलीं, एक पल के लिए कुछ महसूस हुआ – जैसे भावनाएं उभर रही हों। लेकिन आर्यन ने खुद को रोका: "ये जॉब है, कुछ और नहीं।"
इवेंट खत्म हुआ, कार में वापस। प्रिया ने कहा, "थैंक यू। तुमने शाम परफेक्ट बना दी।" पेमेंट किया – 8 हज़ार। लेकिन जाते वक्त प्रिया ने हाथ पकड़ा: "आर्यन, क्या हम बिना ऐप के मिल सकते हैं? सिर्फ कॉफी?" आर्यन चौंका। "प्रिया, मैं... ये प्रोफेशनल है।" प्रिया मुस्कुराई, "सोच लो। नंबर सेव है।" आर्यन घर लौटा, दिमाग में उथल-पुथल। क्या प्रिया को पसंद करने लगा था? या ये सिर्फ इल्यूजन?
अगले दिन ऐप पर एक नई रिक्वेस्ट आई, लेकिन आर्यन का मन प्रिया पर था। क्या वो कॉल करे?

आर्यन घर लौटा तो रात भर नींद नहीं आई। प्रिया का वो आखिरी सेंटेंस उसके कानों में गूंजता रहा – "क्या हम बिना ऐप के मिल सकते हैं? सिर्फ कॉफी?" वो सोचता रहा, "ये सही होगा? मैं एक गिगोलो हूं, और वो क्लाइंट। लेकिन... वो अलग लगती है। कोई प्रेशर नहीं, सिर्फ बातें। क्या ये प्यार की शुरुआत है, या सिर्फ इल्यूजन?" अगले दिन सुबह उठा, फोन हाथ में लिया। प्रिया का नंबर सेव था। मैसेज टाइप किया: "हाय प्रिया, अगर ऑफर अभी भी वैलिड है, तो कॉफी कब?" भेजने से पहले हिचकिचाया, लेकिन फिर सेंड कर दिया। दिल धड़क रहा था। क्या वो रिप्लाई करेगी?
कुछ घंटों बाद मैसेज आया: "हाय आर्यन! हां, क्यों नहीं। आज शाम 6 बजे? स्टारबक्स, साकेत मॉल में। कोई ऐप नहीं, सिर्फ हम।" आर्यन मुस्कुराया। "ये नॉर्मल डेट जैसा लग रहा है।" ऑफिस से जल्दी निकला, घर जाकर फ्रेश हुआ – कैजुअल शर्ट, जींस, हल्का परफ्यूम। मॉल पहुंचा, स्टारबक्स में इंतज़ार करने लगा। प्रिया आई – सिम्पल ड्रेस में, बाल खुले, कोई हेवी मेकअप नहीं। वो और भी नेचुरल लग रही थी। "हाय! सॉरी, थोड़ी लेट हो गई," उसने कहा, बैठते हुए। आर्यन: "नो प्रॉब्लम। क्या लोगी? मैं लाता हूं।" प्रिया: "कैपुचिनो, शुगर फ्री।"
कॉफी लेकर आए, दोनों बैठे। बातें शुरू हुईं – पहले तो मौसम, ट्रैफिक जैसी साधारण चीज़ें। फिर प्रिया ने पूछा, "तो बताओ, ऐप पर कितने समय से हो? कितनी क्लाइंट्स?" आर्यन हिचकिचाया, लेकिन सच बताया: "बस कुछ हफ्ते। पैसों की वजह से। तुम दूसरी क्लाइंट हो। पहली थी रिया, लेकिन वो सिर्फ एक रात की थी।" प्रिया ने आंखें बड़ी कीं, "ओह, तो नया-नया है। लेकिन तुम अलग हो। ज़्यादातर लड़के सिर्फ... तुम जानते हो। लेकिन तुम सुनते हो।" आर्यन ने पूछा, "तुमने ऐप क्यों यूज़ किया? अमीर हो, ब्यूटीफुल हो, कोई भी मिल सकता है।" प्रिया चुप रही एक पल, फिर बोली, "ट्रस्ट इश्यू। पति के जाने के बाद, लोग सिर्फ पैसों के लिए आते हैं। ऐप पर कम से कम क्लियर होता है – पैसे दो, सर्विस लो। कोई इमोशंस नहीं। लेकिन तुम्हारे साथ... इमोशंस आ रहे हैं।"
बातें गहरी होने लगीं। प्रिया ने अपने पति के बारे में बताया – कैसे शादी अरेंज्ड थी, प्यार नहीं था, लेकिन आदत हो गई थी। देहांत के बाद डिप्रेशन, बिज़नेस संभालना। आर्यन ने अपनी स्टोरी शेयर की – गांव से दिल्ली आना, मां की बीमारी, पैसों की तंगी जो उसे ऐप तक ले आई। "तुम्हारी तरह मैं भी अकेला हूं," आर्यन ने कहा। प्रिया का हाथ उसके हाथ पर आ गया: "शायद हम दोनों एक-दूसरे को कंप्लीट कर सकते हैं।" उनकी आंखें मिलीं, एक साइलेंस छा गया। कॉफी खत्म हो गई, लेकिन दोनों उठना नहीं चाहते थे। बाहर निकले, मॉल में घूमे – विंडो शॉपिंग, आइसक्रीम खाई। प्रिया हंसती, आर्यन छेड़ता। लगा जैसे रियल कपल हों।
शाम ढल गई। प्रिया ने कहा, "आर्यन, ये अच्छा लगा। कोई पेमेंट नहीं आज। अगली बार डिनर?" आर्यन ने हां कहा, लेकिन अंदर डर था – "क्या ये सही दिशा में जा रहा है? अगर वो मेरे बारे में सब जान गई तो?" कार में ड्रॉप करते वक्त प्रिया ने गाल पर किस किया – हल्का सा, फ्रेंडली। "गुडनाइट।" आर्यन घर लौटा, खुश लेकिन कन्फ्यूज्ड। ऐप पर नई रिक्वेस्ट्स थीं, लेकिन उसने इग्नोर किया। क्या प्रिया से प्यार हो रहा था?
अगले कुछ दिनों में दोनों मैसेजेस करते रहे – गुड मॉर्निंग, गुड नाइट, छोटी-मोटी बातें। लेकिन आर्यन जानता था कि ये सब कितना फ्रेजाइल है।

आर्यन के दिन अब प्रिया के मैसेजेस से शुरू होते थे। गुड मॉर्निंग की एक स्माइल, दिन की छोटी-मोटी अपडेट्स, और शाम को गुड नाइट। कॉफी डेट के बाद दोनों के बीच एक अनकहा बॉन्ड बनने लगा था – जैसे दो अकेले लोग एक-दूसरे में सुकून ढूंढ रहे हों। आर्यन ऑफिस में काम करता, लेकिन मन कहीं और होता। "क्या ये प्यार है? या बस एक क्लाइंट से दोस्ती?" वो खुद से सवाल करता। ऐप पर नई रिक्वेस्ट्स आ रही थीं – एक लड़की डेट पर जाना चाहती थी, दूसरी सिर्फ बातें करने के लिए। लेकिन आर्यन ने उन्हें इग्नोर कर दिया। प्रिया अलग थी। वो रियल लगती थी।
दो दिन बाद प्रिया का मैसेज आया: "आर्यन, क्या आज शाम फ्री हो? डिनर पर चलें? कोई फैंसी जगह नहीं, बस एक क्वाइट रेस्टोरेंट जहां हम बातें कर सकें।" आर्यन का दिल तेज़ धड़का। "हां, बिल्कुल। कहां मिलें?" प्रिया: "मैं पिक करूंगी, 8 बजे।" शाम को तैयार हुआ – सिम्पल शर्ट, जींस, लेकिन अच्छे से। प्रिया आई, अपनी कार में। वो एक ब्लैक ड्रेस में थी – सिंपल लेकिन सेक्सी, जो उसके कर्व्स को हल्का-सा हाइलाइट कर रही थी। "हाय! तैयार हो?" उसने मुस्कुराते हुए कहा। दोनों निकले। रेस्टोरेंट एक छोटा इटालियन प्लेस था – डिम लाइट्स, सॉफ्ट म्यूज़िक, प्राइवेट टेबल।
बैठे, मेन्यू देखा। प्रिया ने वाइन ऑर्डर की, आर्यन ने पास्ता। बातें शुरू हुईं – पहले तो लाइट, जैसे दिन कैसा बीता, वेदर। फिर प्रिया ने गहरा टॉपिक छेड़ा: "आर्यन, तुम्हारी कोई पास्ट रिलेशनशिप? कभी किसी से प्यार हुआ?" आर्यन चुप रहा एक पल, फिर बोला, "कॉलेज में एक लड़की थी। लेकिन ब्रेकअप हो गया। वो अमीर फैमिली से थी, मैं स्ट्रगलर। नहीं चला। उसके बाद... बस काम।" प्रिया ने हाथ पकड़ा: "मैं समझ सकती हूं। मेरा पति... वो अच्छा था, लेकिन प्यार नहीं था। अब लगता है, ज़िंदगी में एक मौका और चाहिए।" उनकी आंखें मिलीं, वाइन का असर होने लगा। डिनर आया, लेकिन खाते वक्त भी बातें चलती रहीं – ड्रीम्स, फ्यूचर प्लान्स। प्रिया ने बताया कैसे वो अपना बिज़नेस बड़ा करना चाहती है, आर्यन ने कहा कैसे वो एक दिन अपनी कंपनी शुरू करेगा।
डिनर खत्म हुआ, लेकिन दोनों उठना नहीं चाहते थे। प्रिया ने कहा, "चलो, बाहर घूमें?" रेस्टोरेंट के पास एक पार्क था, रात का वक्त, लाइट्स जल रही थीं। दोनों वॉक करने लगे, हाथ में हाथ। हवा ठंडी थी, प्रिया करीब आई। "आर्यन, तुम्हें पता है, तुम्हारे साथ रहना अच्छा लगता है। कोई जजमेंट नहीं, सिर्फ कम्फर्ट।" आर्यन ने मुस्कुराया, "तुम भी... तुम स्पेशल हो।" एक बेंच पर बैठे, स्टार्स देखते हुए। प्रिया का सिर उसके कंधे पर आ गया। आर्यन का दिल तेज़ चल रहा था। धीरे से उसने प्रिया का चेहरा अपनी तरफ किया, आंखें बंद हो गईं। पहला किस – सॉफ्ट, लंबा। प्रिया ने रिस्पॉन्ड किया, उसके होंठों पर अपने होंठ दबाए। किस गहरा होता गया, हाथ एक-दूसरे के बदन पर घूमने लगे। प्रिया की सांस तेज़, आर्यन का भी। लेकिन वो रुके, क्योंकि जगह पब्लिक थी।
कार में वापस बैठे। प्रिया ने कहा, "मेरा घर पास है। चलें?" आर्यन ने हां में सिर हिलाया। घर पहुंचे – एक बड़ा अपार्टमेंट, लग्ज़री लेकिन होमली। अंदर गए, लिविंग रूम में बैठे। प्रिया ने म्यूज़िक ऑन किया, लाइट्स डिम। फिर से किस शुरू हुआ। इस बार और पैशनेट। आर्यन के हाथ प्रिया की ड्रेस पर गए, ज़िप खोली। ड्रेस नीचे गिरी – नीचे रेड लेस ब्रा और पैंटी। प्रिया का बदन – परफेक्ट, सॉफ्ट स्किन, बड़े ब्रेस्ट। उसने आर्यन की शर्ट उतारी, चेस्ट पर किस किया। "आर्यन, मैं तुम्हें चाहती हूं," उसने फुसफुसाया। आर्यन ने उसे गोद में उठाया, बेडरूम में ले गया। बेड पर लिटाया, ब्रा उतारी। उसके ब्रेस्ट चूसे, निप्पल्स पर जीभ फेरी। प्रिया सिसकारियां भर रही थी, "ओह आर्यन... हां..." उसके हाथ आर्यन की पैंट पर गए, ज़िप खोली। जैसे ही लंड बाहर आया, प्रिया चौंकी: "ओह माय गॉड... 10 इंच? इतना बड़ा?" उसने हाथ से सहलाया, मुंह में लिया। आर्यन को स्वर्ग लग रहा था। लेकिन वो धीरे करना चाहता था। प्रिया को चूमा, नीचे गया, उसकी पैंटी उतारी। चूत पर जीभ फेरी – गीली, टाइट। प्रिया चिल्लाई, "आर्यन... प्लीज़, अब डालो।"
आर्यन ने कंडोम लगाया, धीरे से अंदर डाला। प्रिया की आंखें बंद, "आह... बड़ा है तेरा... धीरे..." धक्के लगाने लगा, स्पीड बढ़ाई। दोनों पसीने से तर, सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। प्रिया झड़ गई, फिर आर्यन। थककर लेट गए, एक-दूसरे की बाहों में। प्रिया ने कहा, "ये अमेजिंग था। लेकिन ये सिर्फ सेक्स नहीं, कुछ और है।" आर्यन ने किस किया, "हां, कुछ और।"
सुबह उठे, ब्रेकफास्ट साथ किया। लेकिन आर्यन के दिमाग में सवाल – "क्या ये लास्ट होगा? या शुरुआत?" प्रिया ने कहा, "फिर मिलेंगे।" लेकिन ऐप पर एक नई रिक्वेस्ट इंतज़ार कर रही थी – एक नई क्लाइंट।

आर्यन और प्रिया की वो रात एक टर्निंग पॉइंट थी। सुबह उठे तो दोनों के चेहरे पर एक अलग सी चमक थी – जैसे सालों का अकेलापन एक रात में कम हो गया हो। प्रिया ने ब्रेकफास्ट बनाया – ऑमलेट, टोस्ट, कॉफी। टेबल पर बैठे, हाथ में हाथ डाले। "आर्यन, कल रात... वो सिर्फ सेक्स नहीं था। मैं तुम्हें फील कर रही हूं," प्रिया ने कहा, आंखों में एक गहराई। आर्यन ने उसका हाथ चूमा: "मैं भी, प्रिया। लेकिन... मेरा बैकग्राउंड, ये ऐप वाली ज़िंदगी। क्या तुम्हें मंज़ूर है?" प्रिया मुस्कुराई, "पास्ट पास्ट है। फ्यूचर हम बनाएंगे। लेकिन धीरे-धीरे, कोई जल्दबाज़ी नहीं।" दोनों ने प्लान बनाया – अगले हफ्ते एक छोटा ट्रिप, या बस वीकेंड साथ बिताना। आर्यन घर लौटा, लेकिन दिल प्रिया के पास छूट गया। अब मैसेजेस और बढ़ गए – आई मिस यू, क्या कर रही हो, छोटी-छोटी बातें जो कपल्स करते हैं।
अगले कुछ दिनों में दोनों मिलते रहे। एक शाम प्रिया के घर पर मूवी नाइट – पॉपकॉर्न, कडलिंग, और फिर से वो अंतरंग पल। प्रिया का बदन आर्यन को अब जाना-पहचाना लगता। वो उसके ब्रेस्ट को सहलाता, चूत को चाटता, और अपना 10 इंच का लंड धीरे-धीरे अंदर डालता। प्रिया की सिसकारियां – "आर्यन... तुम्हारा इतना बड़ा... मुझे पागल कर देता है।" लेकिन अब सेक्स के साथ इमोशंस थे – आई लव यू कहने की कगार पर। आर्यन की जॉब अभी भी चल रही थी, लेकिन वो ऐप को इग्नोर कर रहा था। "प्रिया के साथ सब सेटल हो जाए, तो ऐप डिलीट कर दूंगा," वो सोचता। प्रिया ने उसे अपने बिज़नेस में हेल्प करने की ऑफर की – "तुम आईटी वाले हो, मेरी कंपनी में जॉइन कर लो। सैलरी अच्छी दूंगी।" आर्यन सोचता रहा, लेकिन अभी हां नहीं कहा।
लेकिन ज़िंदगी इतनी आसान नहीं होती। एक शाम, जब आर्यन ऑफिस से लौट रहा था, ऐप पर एक नोटिफिकेशन आया। उसने इग्नोर करने की कोशिश की, लेकिन जेब में पैसे कम थे – प्रिया के साथ घूमने-फिरने में कुछ खर्च हो गए थे। मैसेज खोला: "नाम: माया। उम्र: 28। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: एक शाम का साथी, लेकिन स्पेशल – डॉमिनेंट टाइप। मैं कंट्रोल में रहूंगी। पेमेंट: 12,000 रुपये पर सेशन।" आर्यन चौंका। प्रोफाइल चेक की – माया की फोटो थी, एक हॉट लड़की, शॉर्ट ड्रेस में, आंखों में एक शरारत। डिस्क्रिप्शन: "मैं एक मॉडल हूं, लेकिन मुझे ऐसे लड़के पसंद जो मेरे कहे मुताबिक चलें। स्लेव जैसे, लेकिन सेक्सी। स्पेशल क्वालिटी देखी तुम्हारी – 10 इंच। यूज़ करूंगी।" आर्यन को लगा ये अलग है – कोई डॉमिनेशन? लेकिन पैसे की ज़रूरत थी, और प्रिया को पता नहीं चलेगा। "बस एक बार, फिर ऐप छोड़ दूंगा," उसने खुद से कहा। एक्सेप्ट किया।
चैट ओपन हुई: "हाय स्लेव, कल शाम 7 बजे मेरे फ्लैट पर। एड्रेस भेज रही हूं। रूल्स: मेरे कहे मुताबिक चलोगे, कोई ना-नुकुर नहीं।" आर्यन ने ओके कहा, लेकिन दिल में घबराहट। अगले दिन शाम को तैयार हुआ, प्रिया को मैसेज किया कि दोस्त से मिलने जा रहा हूं। माया का फ्लैट एक पॉश एरिया में था – मॉडर्न, बड़ा। दरवाज़ा खुला, माया खड़ी थी – लेदर टॉप और शॉर्ट्स में, हाई हील्स, चाबुक हाथ में। "आओ स्लेव, अंदर," उसने आदेश दिया। आर्यन अंदर गया, कमरा डिम लाइट वाला, बेड पर रस्सियां, टॉयज। माया ने कहा, "कपड़े उतारो।" आर्यन ने हिचकिचाते हुए उतारे। जैसे ही लंड बाहर आया, माया हंसी: "वाह, 10 इंच। अब घुटनों पर बैठो।"
आर्यन बैठा। माया उसके करीब आई, चाबुक से हल्का मारा। "तुम मेरे स्लेव हो। जो कहूंगी, करोगे।" उसने अपना टॉप उतारा – बड़े ब्रेस्ट, पियरस्ड निप्पल्स। आर्यन का लंड सख्त हो गया। माया ने उसे रस्सी से बांधा, फिर मुंह में अपना ब्रेस्ट डाला: "चूसो।" आर्यन ने चूसा। फिर माया नीचे बैठी, लंड को सहलाया, लेकिन चाबुक से मारा: "बिना परमिशन झड़ना नहीं।" वो ऊपर चढ़ी, लंड पर बैठी – राइड करने लगी। "आह... बड़ा है तेरा... लेकिन मैं कंट्रोल में हूं।" सेशन चला – माया उसे बीज़्ज़त करती, "तू सिर्फ एक टूल है," कहती, लेकिन सेक्स वाइल्ड था। आखिर में दोनों झड़े। माया ने पेमेंट किया: "गुड स्लेव। अगली बार फिर।"
आर्यन घर लौटा, बॉडी पर निशान, लेकिन जेब में पैसे। लेकिन गिल्ट फील हो रहा था – प्रिया के साथ चीटिंग जैसा। क्या वो जारी रखेगा? या प्रिया को बता देगा? ऐप पर माया का मैसेज आया: "नेक्स्ट सेशन कब?"
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#3
Nice update....concepts acha h stories k....lekin ek sath itni start mat karo bhai...nahi toh galtiyan bahut hongi
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#4
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी

आर्यन की ज़िंदगी अब दो हिस्सों में बंट गई थी। एक तरफ प्रिया – वो औरत जो उसे प्यार का अहसास दे रही थी, बातें जो दिल को छूतीं, और वो रातें जो सुकून से भरी होतीं। दूसरी तरफ ऐप – वो दुनिया जहां पैसा था, लेकिन गिल्ट भी। माया के साथ वाला पहला सेशन उसे याद आता रहता – वो डॉमिनेशन, चाबुक के निशान, और वो सेक्स जो वाइल्ड था लेकिन खाली। "प्रिया को पता चला तो सब खत्म हो जाएगा," वो सोचता। लेकिन पैसे की ज़रूरत थी – ऑफिस की सैलरी कम थी, और प्रिया के साथ डेट्स पर खर्च बढ़ गए थे। प्रिया से मिलते हुए भी उसका मन भटकता। एक शाम प्रिया ने कॉल किया: "आर्यन, आज आओ न? मिस कर रही हूं।" आर्यन गया, दोनों ने साथ डिनर किया, बातें कीं – फ्यूचर के बारे में, शादी के बारे में। प्रिया ने कहा, "आर्यन, मैं तुम्हारे साथ ज़िंदगी बिताना चाहती हूं। ऐप छोड़ दो।" आर्यन ने किस किया, लेकिन दिल में बोझ था। वो रात फिर अंतरंग हुई – प्रिया की बाहों में, लेकिन आर्यन का मन कहीं और।
अगले दिन माया का मैसेज आया: "स्लेव, तैयार हो? आज शाम फिर सेशन। इस बार और इंटेंस। पेमेंट 15,000। मना मत करना।" आर्यन हिचकिचाया, लेकिन हां कर दी। "बस ये आखिरी बार," उसने खुद से कहा। शाम को माया के फ्लैट पहुंचा। दरवाज़ा खुला, माया और भी हॉट लग रही थी – ब्लैक लेदर बॉडीसूट, जो उसके ब्रेस्ट को टाइट पकड़े हुए था, नीचे से शॉर्ट्स जो उसकी गांड को हाइलाइट कर रहे थे। बाल बंधे, आंखों में वो ही शरारत। "आ गया मेरा स्लेव? अंदर आ, और कपड़े उतार," उसने आदेश दिया, दरवाज़ा बंद करते हुए। आर्यन ने उतारे – शर्ट, पैंट, अंडरवियर। उसका लंड पहले से ही हल्का सख्त था, 10 इंच का राज़ जो माया को पता था। माया हंसी: "देखो, ये हरामी लंड पहले से खड़ा है। तुझे मेरी याद आ रही थी न?" उसने गाली दी, जो आर्यन को चौंका गई, लेकिन एक अजीब सा थ्रिल भी दिया।
माया ने उसे कॉलर पहनाया – एक चेन वाला, जैसे कुत्ते का। "अब घुटनों पर चल, मेरे पीछे," उसने चेन खींची। आर्यन घुटनों पर चला, कमरे में। बेड पर टॉयज रखे थे – वाइब्रेटर, डिल्डो, चाबुक। माया बेड पर बैठी, पैर फैलाए। "चाट मेरी चूत, स्लेव। अच्छे से, वरना सज़ा मिलेगी।" आर्यन ने सिर नीचे किया, माया की शॉर्ट्स उतारी। उसकी चूत – शेव्ड, गुलाबी, पहले से गीली। आर्यन ने जीभ फेरी – ऊपर से नीचे, क्लिट पर सर्कल बनाते हुए। माया की सांस तेज़ हुई, "हां, ऐसे ही चाट रे हरामी... तेरी जीभ अच्छी है।" उसने गाली दी, सिर दबाया। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसने लगा। माया की गांड हिल रही थी, "ओह फक... तू कुत्ता है मेरा, चाटता रह।" वो गालियां देती रही – "बहनचोद, तेज़ चाट... मुझे झड़वा दे।" आर्यन का लंड अब पूरा सख्त, 10 इंच का, नसों से फूला हुआ, प्रीकम टपक रहा था। माया झड़ गई, उसके मुंह पर जूस छिड़का। "गुड बॉय, अब तेरी बारी नहीं। पहले मुझे खुश कर।"
उसने आर्यन को बेड पर लिटाया, हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए। चाबुक उठाया, हल्के से मारा – छाती पर, जांघों पर। "दर्द हो रहा है न, रंडी के बच्चे? लेकिन तेरा लंड खड़ा है।" गाली सुनकर आर्यन को अजीब लग रहा था, लेकिन बॉडी रिस्पॉन्ड कर रही थी। माया ऊपर चढ़ी, अपना ब्रेस्ट उसके मुंह में डाला: "चूस रे मदरचोद, मेरे निप्पल्स काट।" आर्यन ने चूसे, काटे – माया के ब्रेस्ट बड़े, सॉफ्ट, निप्पल्स हार्ड। वो सिसकारियां भर रही थी, "आह... ऐसे ही, तू मेरा गुलाम है।" फिर नीचे गई, लंड को हाथ में लिया – मोटा, लंबा, 10 इंच। "ये क्या है रे? इतना बड़ा लौड़ा... आज इसे टॉर्चर करूंगी।" उसने वाइब्रेटर ऑन किया, लंड के टिप पर लगाया। आर्यन तड़प उठा, "आह... माया..." लेकिन माया ने थप्पड़ मारा: "चुप रह हरामी, नाम मत ले। सिर्फ मिस्ट्रेस कह।" वाइब्रेशन से लंड थरथरा रहा था, प्रीकम बह रहा था। माया हंसती, "देख, तेरा लौड़ा रो रहा है। अब मैं इसे चोदूंगी।"
उसने कंडोम लगाया, ऊपर बैठी। धीरे से लंड अंदर लिया – उसकी चूत टाइट, गर्म, गीली। "ओह गॉड... इतना बड़ा... फाड़ देगा मेरी चूत को, बहनचोद।" वो गाली देती हुई नीचे बैठी, पूरा अंदर। फिर राइड करने लगी – ऊपर-नीचे, स्पीड बढ़ाती। उसके ब्रेस्ट उछल रहे थे, गांड थप-थप की आवाज़ कर रही थी। आर्यन बंधा हुआ तड़प रहा था, धक्के लगाने की कोशिश करता। माया चिल्लाती, "हां, ऐसे ही... तेरा लौड़ा मेरी चूत में घुस रहा है... मदरचोद, तेज़ हिल।" वो गालियां बकती रही – "रंडी का बच्चा, मुझे चोद... तेरे जैसे स्लेव की ज़रूरत है मुझे।" सेक्स लंबा चला – माया रुकती, फिर शुरू करती। पोज़िशन बदली – डॉगी स्टाइल में, आर्यन अब खुला था। उसने पीछे से डाला, गांड पकड़ी, धक्के लगाए। माया की चूत चप-चप की आवाज़ कर रही थी, जूस बह रहा था। "आह... फाड़ दे मेरी चूत, हरामी... 10 इंच का लौड़ा... मुझे पागल कर देगा।" आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, उसके ब्रेस्ट पकड़े, निप्पल्स मसले। माया फिर गाली दी, "बहनचोद, झड़ मत अभी... मुझे पहले झड़वा।" आखिर में दोनों झड़े – माया की चूत कांप रही थी, आर्यन का लंड झटके मार रहा था। थककर गिरे। माया ने पेमेंट किया: "गुड सेशन, स्लेव। अगली बार और गंदा होगा।"
आर्यन घर लौटा, बॉडी थकी, लेकिन दिमाग उलझा। प्रिया का मैसेज आया: "कहां थे? मिस यू।" गिल्ट और बढ़ गया। क्या वो ये सब छोड़ पाएगा? या माया की दुनिया में फंस जाएगा?

आर्यन की रातें अब उलझनों से भरी होतीं। माया के साथ वाला दूसरा सेशन उसे थका चुका था – बॉडी पर चाबुक के हल्के निशान, जो अगले दिन तक रह गए, और वो गालियां जो उसके कानों में गूंजती रहीं। "बहनचोद... मदरचोद... रंडी का बच्चा..." माया की आवाज़ याद आती तो एक तरफ थ्रिल होता, दूसरी तरफ गिल्ट। जेब में 15 हज़ार रुपये थे, लेकिन दिल में बोझ। प्रिया को मैसेज किया: "सॉरी लेट हो गया, काम था। मिस यू टू।" लेकिन प्रिया का रिप्लाई थोड़ा सूखा लगा: "ओके, गुड नाइट।" आर्यन सोचता रहा, "क्या उसे शक हो रहा है?" अगले दिन सुबह प्रिया का कॉल आया: "आर्यन, कल शाम कहां थे? दोस्त से मिलने गए थे न? कौन दोस्त?" आर्यन ने झूठ बोला, "हां, राहुल से। पुरानी बातें।" प्रिया चुप रही, फिर बोली, "ठीक है। आज मिलें? मेरा घर।" आर्यन गया, लेकिन अंदर ही अंदर डर था।
प्रिया के घर पहुंचा तो वो नॉर्मल लग रही थी – हग किया, किस किया। लेकिन बातों में कुछ अलग था। "आर्यन, तुम्हारी बॉडी पर ये निशान? क्या हुआ?" उसने शर्ट उठाकर देखा – चाबुक के लाल निशान। आर्यन घबरा गया, "ओह, जिम में गिर गया था। कुछ नहीं।" प्रिया ने आंखें सिकोड़ीं, लेकिन कुछ नहीं कहा। दोनों सोफे पर बैठे, बातें कीं – लेकिन प्रिया का मन कहीं और लग रहा था। "आर्यन, तुम ऐप यूज़ कर रहे हो अभी भी?" उसने अचानक पूछा। आर्यन ने ना कहा, लेकिन आवाज़ कांप गई। प्रिया मुस्कुराई, लेकिन वो मुस्कान नकली लगी। शाम को दोनों बेड पर गए – प्रिया ने इनिशिएट किया। "आओ, मुझे प्यार करो," उसने कहा। आर्यन ने किस किया, ड्रेस उतारी। प्रिया का बदन – वो ही सॉफ्ट स्किन, बड़े ब्रेस्ट, टाइट चूत। लेकिन आज सेक्स में कुछ कमी थी – प्रिया की आंखों में शक। वो झड़ी, लेकिन आर्यन को लगा जैसे ये आखिरी हो। घर लौटते वक्त प्रिया ने कहा, "आर्यन, सच बताना। अगर कुछ है तो।" आर्यन ने हग किया, "कुछ नहीं।"
अगले दिन ऐप पर एक नई रिक्वेस्ट आई: "नाम: नेहा। उम्र: 25। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: एक रात का साथी, लेकिन स्पेशल – रोमांटिक और इंटेंस। मैं एक स्टूडेंट हूं, लेकिन पैसा है। पेमेंट: 20,000 रुपये पर नाइट।" आर्यन को लगा ये अच्छा है – ज्यादा पैसा, और शायद आसान। प्रोफाइल चेक की – नेहा की फोटो थी, एक क्यूट लड़की, लंबे बाल, स्माइलिंग फेस। डिस्क्रिप्शन: "मुझे एक ऐसे लड़के की ज़रूरत है जो मुझे स्पेशल फील कराए। सेक्सी, लेकिन केयरिंग। तुम्हारी स्पेशल क्वालिटी देखी – वाह!" आर्यन ने एक्सेप्ट किया। "बस ये आखिरी, फिर ऐप डिलीट," उसने सोचा। चैट: "हाय आर्यन, कल रात? मेरा फ्लैट। एड्रेस भेज रही हूं।" आर्यन ने ओके कहा।
अगली शाम नेहा के फ्लैट पहुंचा – एक छोटा लेकिन क्यूट अपार्टमेंट, कैंडल्स जल रही थीं, म्यूज़िक सॉफ्ट। नेहा दरवाज़े पर – शॉर्ट ड्रेस में, गोरी स्किन, पतली कमर, गोल ब्रेस्ट। "हाय आर्यन, आओ अंदर।" दोनों सोफे पर बैठे, वाइन पी। नेहा ने बातें शुरू कीं: "मैं एमबीए कर रही हूं, लेकिन बॉयफ्रेंड ब्रेकअप हो गया। मुझे कंपनी चाहिए, और कुछ स्पेशल।" आर्यन ने सुनाया, बातें गहरी हुईं। नेहा करीब आई, किस किया – सॉफ्ट, लंबा। "चलो बेडरूम," उसने कहा। आर्यन ने उसे गोद में उठाया, बेड पर लिटाया। ड्रेस उतारी – नीचे पिंक ब्रा और पैंटी, बदन परफेक्ट – सॉफ्ट ब्रेस्ट, पिंक निप्पल्स, शेव्ड चूत। नेहा ने आर्यन की शर्ट उतारी, पैंट खोली। जैसे ही लंड बाहर आया, नेहा की आंखें फैल गईं: "ओह माय गॉड... 10 इंच? इतना बड़ा? वाह, ये तो कमाल है!" उसने हाथ से पकड़ा, सहलाने लगी – ऊपर-नीचे, टिप पर उंगली फेरी। आर्यन की सांस तेज़, लंड और सख्त हो गया, नसें फूल गईं, प्रीकम टपकने लगा।
नेहा घुटनों पर बैठी, मुंह में लिया – पहले टिप चूसा, फिर धीरे-धीरे आधा अंदर। "मम्म... इतना मोटा... मुंह में मुश्किल से आ रहा है," उसने कहा, चूसते हुए। जीभ से लपेटा, अंडों पर हाथ फेरा। आर्यन के हाथ उसके बालों में, धीरे से दबाया। नेहा ने गला तक लिया, गैग किया लेकिन जारी रखा – स्लurp की आवाज़, लार बह रही थी। "तुम्हारा लंड स्वादिष्ट है... बड़ा हरामी है ये," उसने हंसकर कहा, लेकिन गाली हल्की थी, प्लेफुल। आर्यन ने उसे बेड पर लिटाया, ब्रा उतारी। ब्रेस्ट चूसे – निप्पल्स पर जीभ फेरी, काटा हल्का। नेहा सिसकारी: "आह... ऐसे ही... चूसो मेरे boobs... ओह आर्यन..." उसके हाथ आर्यन की पीठ पर, नाखून गड़ाए। आर्यन नीचे गया, पैंटी उतारी। चूत पर किस किया – गुलाबी, गीली, खुशबूदार। जीभ डाली, क्लिट चूसा। नेहा की कमर उछली, "ओह फक... तेरी जीभ... मुझे पागल कर रही है... चाटो और तेज़..." उसने गाली दी, "बहनचोद, चाट मेरी चूत... झड़वा दे मुझे।" आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, उंगली डाली – एक, फिर दो। नेहा चिल्लाई, जूस बहा, झड़ गई – बॉडी कांप रही थी, सांस फूल रही।
आर्यन ने कंडोम लगाया, नेहा के ऊपर आया। लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ। नेहा तड़पी, "डालो न... प्लीज़... तेरा बड़ा लंड चाहिए।" आर्यन ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा। नेहा की आंखें बंद, "आह... इतना बड़ा... फाड़ रहा है मेरी चूत को... धीरे रे madarchod..." गाली सुनकर आर्यन और एक्साइटेड, पूरा अंदर डाला। नेहा चिल्लाई, "ओह गॉड... पूरा घुस गया... अब चोद मुझे..." आर्यन ने धक्के लगाने शुरू किए – धीरे-धीरे, फिर स्पीड बढ़ाई। नेहा की चूत टाइट, गर्म, हर धक्के पर चप-चप की आवाज़। उसके ब्रेस्ट उछल रहे थे, आर्यन ने पकड़े, मसले। नेहा गालियां बक रही थी, "हां... चोद रे बहनचोद... तेरा 10 इंच का लौड़ा... मेरी चूत फाड़ दे... तेज़... आह..." उसकी गांड हिल रही थी, पैर आर्यन की कमर पर लपेटे। पोज़िशन बदली – नेहा ऊपर आई, राइड करने लगी। लंड पर ऊपर-नीचे, उसके ब्रेस्ट आर्यन के मुंह के पास। "चूस रे... मेरे tits चूस... madarchod, मुझे खुश कर..." सेक्स लंबा चला – 30 मिनट, पसीना बह रहा था, कमरा सिसकारियों से भरा। नेहा दो बार झड़ी, आखिर में आर्यन भी – लंड झटके मारकर खाली हुआ। दोनों थककर लेट गए। नेहा ने कहा, "अमेजिंग था। पेमेंट कर रही हूं। लेकिन... एक बात, मैं प्रिया की दोस्त हूं। वो मुझे पता करने को कह रही थी।"
आर्यन चौंक गया। "क्या? प्रिया ने...?" नेहा हंसी, "हां, शक था उसे। मैंने टेस्ट किया। अब वो सब जान गई।" आर्यन का दिल बैठ गया। फोन पर प्रिया का मैसेज: "धोखेबाज़। खत्म हुआ सब।" नेहा ने पेमेंट किया, लेकिन आर्यन घर लौटा, टूटा हुआ। क्या सब खत्म हो गया? या कोई रास्ता बचा था?

आर्यन का दिल जैसे टूट चुका था। नेहा के फ्लैट से लौटते वक्त उसका फोन साइलेंट था, लेकिन प्रिया का वो मैसेज उसके दिमाग में बार-बार घूम रहा था: "धोखेबाज़। खत्म हुआ सब।" घर पहुंचा तो कमरे की दीवारें जैसे उसे घूर रही थीं। वो बिस्तर पर गिर पड़ा, आंखें बंद कीं, लेकिन नींद नहीं आई। प्रिया की यादें – वो पहली मुलाकात, वो वीकेंड ट्रिप, वो रातें जहां सेक्स नहीं, प्यार था। "कैसे बता दूं उसे कि मैं मजबूरी में कर रहा था? लेकिन अब क्या फायदा?" वो खुद से बड़बड़ाया। फोन उठाया, प्रिया को मैसेज टाइप किया: "प्रिया, प्लीज़ सुनो... ये गलती थी, लेकिन मैं तुमसे प्यार करता हूं।" सेंड किया, लेकिन डिलीवर नहीं हुआ। ब्लॉक कर दिया था। कॉल ट्राई किया – स्विच ऑफ। आर्यन की आंखों से आंसू बहने लगे। पहली बार किसी लड़की से इतना जुड़ाव हुआ था, और सब खत्म। "वो कभी नहीं मिलेगी अब। मैंने सब खो दिया," वो रोता रहा। रात भर जागा, सिगरेट पीता रहा, पुरानी फोटोज़ देखता।
अगले दिन सुबह उठा तो बॉडी थकी हुई, लेकिन मन और भारी। ऑफिस गया, लेकिन काम में मन नहीं लगा। बॉस ने डांटा, "आर्यन, क्या हो गया है? फोकस करो!" लेकिन वो प्रिया की याद में खोया रहता। ऐप ओपन किया – माया की नई रिक्वेस्ट थी, नेहा का थैंक्स मैसेज। लेकिन आर्यन ने ऐप डिलीट कर दिया। "बस बहुत हो गया। ये दुनिया मुझे बर्बाद कर रही है," उसने सोचा। फोन बंद किया, और तय किया कि अब सामान्य ज़िंदगी जिएगा। कोई गिगोलो, कोई क्लाइंट्स नहीं। सिर्फ जॉब, घर, और मां से बातें। शाम को राहुल को कॉल किया: "यार, वो ऐप वाली बात... मैंने छोड़ दिया।" राहुल ने पूछा, "क्यों? पैसा तो अच्छा था।" आर्यन ने सब बता दिया – प्रिया, ब्रेकअप, दर्द। राहुल ने सांत्वना दी, "चल, भूल जा। ज़िंदगी है, चलती रहेगी।"
अगले कुछ दिन आर्यन ने खुद को बिज़ी रखा। सुबह जल्दी उठता, जिम जाता – पहले कभी नहीं जाता था, लेकिन अब दर्द को भुलाने के लिए। ऑफिस में ओवरटाइम करता, घर लौटकर किताबें पढ़ता या टीवी देखता। मां को गांव कॉल करता: "मां, सब ठीक है। पैसे भेज रहा हूं।" लेकिन अंदर से टूटा हुआ था। रातें सबसे मुश्किल – बिस्तर पर लेटता तो प्रिया की याद आती। उसका चेहरा, वो हंसी, वो बदन जो उसके हाथों में पिघल जाता था। "क्यों किया मैंने धोखा? वो मेरी थी, और मैंने खो दिया," वो सोचता और रोता। दोस्तों से मिलना बंद कर दिया, अकेला रहता। बैंक बैलेंस चेक करता – पिछले सेशंस से कुछ पैसे बचे थे, लेकिन धीरे-धीरे खत्म हो रहे थे। किराया, बिल्स, खाना – सब नॉर्मल। लेकिन कोई लग्ज़री नहीं, कोई डेट्स नहीं। "ये ही ज़िंदगी है, संघर्ष वाली," वो खुद को समझाता।
एक हफ्ता बीत गया। आर्यन थोड़ा संभला – ऑफिस में प्रमोशन की बात चली, बॉस ने तारीफ की। शाम को पार्क में वॉक करता, नए लोगों से बातें करता। लेकिन प्रिया की याद जाती नहीं। एक दिन मॉल गया, और दूर से एक लड़की देखी जो प्रिया जैसी लगी। दिल धड़का, लेकिन वो कोई और थी। घर लौटा तो उदास। "कभी नहीं मिलेगी वो। मैंने अपना मौका गंवा दिया," वो सोचता रहा। ऐप डाउनलोड करने का मन हुआ, लेकिन रोक लिया। "नहीं, अब नहीं।"
लेकिन ज़िंदगी का चक्कर ऐसा था कि पैसों की तंगी फिर से महसूस होने लगी। महीने का आखिर आया, सैलरी आई लेकिन कम। मां ने कॉल किया: "बेटा, गांव में दवाई के पैसे चाहिए। तेरे पापा की याद में पूजा करानी है।" आर्यन का दिल बैठ गया। बैंक में सिर्फ 5 हज़ार बचे थे। "कैसे करूं?" वो सोचता रहा। ऑफिस में एक्स्ट्रा काम मांगा, लेकिन नहीं मिला। रात भर जागा, और आखिरकार ऐप फिर डाउनलोड किया। "बस एक बार, पैसों के लिए," उसने खुद से कहा। नई रिक्वेस्ट्स आईं – एक नई क्लाइंट, जो और गहरा जाल बिछाने वाली थी। खेल फिर शुरू होने वाला था, लेकिन इस बार आर्यन का दिल टूटा हुआ था।

आर्यन की ज़िंदगी अब फिर से वही पुरानी पटरी पर लौट आई थी – सुबह ऑफिस, शाम घर, और रातें प्रिया की यादों में। ऐप डाउनलोड करने के बाद उसने कुछ रिक्वेस्ट्स देखीं, लेकिन दिल नहीं माना। "नहीं, अब नहीं फंसूंगा," वो खुद से कहता। लेकिन पैसों की तंगी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही थी। मां का कॉल आया: "बेटा, दवाई के पैसे भेज दे। डॉक्टर ने नई दवाएं लिखी हैं।" आर्यन ने बैंक चेक किया – मुश्किल से 2 हज़ार बचे थे। सैलरी आने में अभी 10 दिन थे। "क्या करूं?" वो परेशान हो गया। राहुल को कॉल किया, लेकिन वो भी मदद नहीं कर सका। आखिरकार, रात को ऐप ओपन किया। एक रिक्वेस्ट चमक रही थी: "नाम: अनन्या। उम्र: 30। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: एक साथी जो मेरे साथ वीकेंड स्पेंड करे, बातें करे, घूमे। कोई जल्दबाज़ी नहीं, धीरे-धीरे। पेमेंट: 8,000 रुपये पर डे।" आर्यन ने प्रोफाइल पढ़ी – अनन्या की फोटो थी, एक प्रोफेशनल लगने वाली औरत, सूट में, कॉन्फिडेंट स्माइल। डिस्क्रिप्शन: "एक इंडिपेंडेंट वुमन, जो व्यस्त ज़िंदगी से ब्रेक चाहती है। मुझे एक ऐसे लड़के की ज़रूरत है जो सुन सके, समझ सके। सेक्स अगर हुआ तो नेचुरल, फोर्स नहीं।"
आर्यन को लगा ये सुरक्षित है – कोई डॉमिनेशन नहीं, कोई गालियां नहीं। "बस पैसों के लिए," उसने एक्सेप्ट किया। चैट ओपन हुई: "हाय आर्यन, कैसा लगा मेरा प्रोफाइल? इस वीकेंड? शनिवार से। मैं पिक करूंगी।" आर्यन ने रिप्लाई किया: "हां, लेकिन पहले कुछ बातें क्लियर कर लें?" अनन्या: "बिल्कुल। मैं एक मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव हूं। शादीशुदा थी, लेकिन डिवोर्स हो गया। अब अकेली हूं। मुझे कंपनी चाहिए, जो ट्रस्ट बिल्ड करे। कोई प्रेशर नहीं।" आर्यन को राहत मिली। शनिवार सुबह तैयार हुआ – कैजुअल क्लोथ्स, बैग पैक किया। अनन्या की कार आई, वो खुद ड्राइव कर रही थी। "हाय! बैठो," उसने कहा। अनन्या खूबसूरत थी – लंबे बाल, गोरी स्किन, फिट बॉडी, लेकिन आंखों में एक उदासी।
कार स्टार्ट हुई, रास्ते में बातें शुरू। "तुम क्या करते हो?" अनन्या ने पूछा। आर्यन ने अपनी जॉब बताई, संघर्ष। अनन्या सुनती रही: "मैं समझ सकती हूं। मेरा डिवोर्स दो साल पहले हुआ। एक्स हसबैंड चीटर था। अब ट्रस्ट इश्यू है। इसलिए ऐप यूज़ किया।" आर्यन ने सहानुभूति दिखाई: "माफ कीजिएगा। लेकिन आप स्ट्रॉन्ग लगती हैं।" बातें चलती रहीं – अनन्या ने अपने करियर के बारे में बताया, ट्रैवल्स, हॉबीज। आर्यन ने अपनी फैमिली शेयर की। दोनों एक कैफे में रुके, कॉफी पी। अनन्या मुस्कुराई: "तुम अच्छे लिस्नर हो। अच्छा लग रहा है।" शाम को अनन्या के घर पहुंचे – एक अच्छा अपार्टमेंट, क्लीन और कोज़ी। "आज बस रिलैक्स। डिनर बनाते हैं साथ," उसने कहा। दोनों किचन में गए, सब्जियां काटी, हंसते-बतियाते। डिनर खाया, टीवी पर मूवी देखी। कोई इंटीमेसी नहीं, सिर्फ बातें। रात को अनन्या ने गेस्ट रूम दिखाया: "गुड नाइट। कल घूमने चलेंगे।" आर्यन सोया, लेकिन सोचता रहा – "ये अलग है। शायद ये मुझे सिखाएगी कि रिलेशनशिप क्या होती है।"
अगले दिन सुबह ब्रेकफास्ट साथ। अनन्या ने प्लान बताया: "चलो, दिल्ली घूमते हैं।" दोनों निकले – इंडिया गेट, लोटस टेम्पल, शॉपिंग। अनन्या हंसती, फोटोज़ क्लिक करती। आर्यन को लगा जैसे कोई दोस्त हो। शाम को घर वापस, अनन्या ने पेमेंट किया – 16 हज़ार (दो दिनों का)। "थैंक यू, आर्यन। अच्छा लगा। अगले वीकेंड फिर?" आर्यन ने हां कहा। घर लौटते वक्त सोचा – "अनन्या मुझे सिखा रही है कि ट्रस्ट कैसे बनता है। शायद ये अच्छा सबक है।" लेकिन आगे क्या होगा, वो नहीं जानता था।

आर्यन की ज़िंदगी में अनन्या का आना एक नई शुरुआत जैसा लग रहा था। प्रिया के ब्रेकअप के बाद वो टूट चुका था, लेकिन अनन्या की वो पहली मुलाकात ने उसे थोड़ा सुकून दिया। पैसे मिल गए थे – मां को दवाई के लिए भेज दिए, और खुद के लिए कुछ बचाए। लेकिन ऐप पर और रिक्वेस्ट्स आने लगीं, आर्यन ने इग्नोर किया। "अनन्या अलग है। शायद वो मुझे सिखाएगी कि रिलेशनशिप में ट्रस्ट कितना ज़रूरी है," वो सोचता। अगले वीकेंड का इंतज़ार था। अनन्या का मैसेज आया: "हाय आर्यन, तैयार हो? इस बार एक छोटा ट्रिप – दिल्ली के बाहर, एक रिसॉर्ट। सिर्फ रिलैक्स, बातें। पेमेंट पहले की तरह।" आर्यन ने हां कहा, लेकिन दिल में सवाल था – "क्या ये फिर वही धोखा बनेगा?"
शनिवार सुबह अनन्या पिक करने आई। कार में बैठे, रास्ता लंबा था – हाईवे पर, गाने बज रहे थे। अनन्या ने बात शुरू की: "पिछली बार अच्छा लगा तुम्हारे साथ। तुम सुनते हो, बिना जज किए। मेरे एक्स हसबैंड ऐसा नहीं था। वो हमेशा कंट्रोल करता था।" आर्यन ने पूछा, "क्या हुआ था?" अनन्या चुप रही एक पल, फिर बोली, "शादी के बाद पता चला वो अफेयर कर रहा था। मैंने ट्रस्ट किया, लेकिन उसने तोड़ा। अब मैं धीरे-धीरे लोगों पर भरोसा करना सीख रही हूं। तुम्हारे साथ शुरू कर रही हूं।" आर्यन को अपनी प्रिया की याद आई, लेकिन उसने शेयर किया: "मेरी भी एक गर्लफ्रेंड थी, लेकिन धोखा हुआ। अब अकेला हूं।" बातें गहरी होने लगीं – ट्रस्ट क्या है, रिलेशनशिप में ईमानदारी क्यों ज़रूरी। अनन्या ने कहा, "आर्यन, ट्रस्ट बिल्ड करने में टाइम लगता है। जल्दबाज़ी मत करना कभी। ये सबक मैंने सीखा है।"
रिसॉर्ट पहुंचे – हरा-भरा, स्विमिंग पूल, स्पा। अनन्या ने रूम बुक किए – अलग-अलग। "कोई प्रेशर नहीं," उसने कहा। दिन भर घूमे – गार्डन में वॉक, पूल साइड बैठे। अनन्या बिकिनी में थी, लेकिन आर्यन ने नज़रें नहीं घुमाई। "तुम रिस्पेक्ट देते हो, अच्छा लगता है," अनन्या ने कहा। शाम को डिनर – कैंडल लाइट, वाइन। बातें जारी – अनन्या ने अपने डिवोर्स के दर्द शेयर किए: "मैं टूट गई थी, लेकिन अब स्ट्रॉन्ग हूं। तुम भी होगे, जो भी पास्ट है।" आर्यन ने प्रिया की स्टोरी बताई, बिना नाम लिए। अनन्या सुनती रही, हाथ पकड़ा: "धोखा देने वाला कभी खुश नहीं रहता। तुम्हें बेहतर मिलेगा।" रात को गुड नाइट कहा, कोई इंटीमेसी नहीं। आर्यन सोया, सोचता रहा – "अनन्या मुझे सिखा रही है कि ट्रस्ट बिना कुछ नहीं। अच्छा सबक है।"
अगले दिन सुबह स्पा गए – मसाज, रिलैक्स। वापसी में अनन्या ने पेमेंट किया। "आर्यन, अगली बार फिर मिलें? ट्रस्ट बिल्ड करते रहें।" आर्यन ने हां कहा। घर लौटकर लगा जैसे कोई दोस्त मिल गई हो। लेकिन क्या ये लंबा चलेगा?

आर्यन के दिन अब थोड़े बेहतर लगने लगे थे। अनन्या के साथ वो दो मुलाकातें उसे एक नया सबक दे रही थीं – कि रिलेशनशिप में ट्रस्ट और धैर्य कितना ज़रूरी है। प्रिया की याद अभी भी आती थी, लेकिन अनन्या की बातें उसे आगे बढ़ने की हिम्मत देतीं। ऐप पर नई रिक्वेस्ट्स आ रही थीं, लेकिन आर्यन ने उन्हें इग्नोर कर दिया। "अनन्या के साथ ये सही लग रहा है। शायद वो मुझे सिखाएगी कि सच्चा कनेक्शन कैसे बनता है," वो सोचता। कुछ दिनों बाद अनन्या का मैसेज आया: "हाय आर्यन, कैसा है? अगले हफ्ते मेरा एक बिज़नेस ट्रिप है – मुंबई। क्या तुम साथ चलोगे? सिर्फ कंपनी के लिए, मीटिंग्स में बीएफ बनकर। पेमेंट: 10,000 रुपये पर डे। तीन दिन का ट्रिप।" आर्यन हिचकिचाया – ट्रिप? लेकिन फिर सोचा, "ये ट्रस्ट बिल्ड करने का मौका है।" उसने हां कर दी।
ट्रिप का दिन आया। एयरपोर्ट पर मिले – अनन्या सूट में, प्रोफेशनल लुक, लेकिन स्माइल वैसी ही। फ्लाइट में बैठे, बातें शुरू। "ये ट्रिप इंपोर्टेंट है। क्लाइंट्स से डील करनी है। तुम्हें साथ ला रही हूं ताकि शामें अकेली न गुजरें," अनन्या ने कहा। आर्यन ने पूछा, "तुम्हारा बिज़नेस क्या है?" अनन्या ने बताया: "मार्केटिंग फर्म चलाती हूं। क्लाइंट्स बड़े-बड़े। लेकिन पर्सनल लाइफ में अकेलापन। तुम्हारे साथ बात करके अच्छा लगता है।" फ्लाइट में बातें गहरी हुईं – अनन्या ने अपने डिवोर्स के बाद के स्ट्रगल शेयर किए: "मैंने सोचा था सब खत्म, लेकिन सीखा कि खुद पर ट्रस्ट करो। दूसरों पर धीरे-धीरे। तुम भी ट्रस्ट सीख रहे हो न?" आर्यन ने सिर हिलाया, अपनी प्रिया वाली स्टोरी का थोड़ा हिस्सा बताया। अनन्या का हाथ उसके हाथ पर आ गया: "पास्ट हमें सिखाता है, आर्यन। आगे देखो।"
मुंबई पहुंचे, होटल चेक-इन – एक ही सुइट, लेकिन अलग बेडरूम। "ट्रस्ट है, इसलिए एक रूम," अनन्या ने कहा। दिन में अनन्या की मीटिंग्स – आर्यन होटल में इंतज़ार करता। शाम को लौटी तो थकी हुई। "चलो, डिनर पर," उसने कहा। एक अच्छे रेस्टोरेंट में गए – सी व्यू, सॉफ्ट म्यूज़िक। वाइन पीते हुए बातें – अनन्या ने कहा, "आर्यन, तुम अलग हो। ज़्यादातर लड़के जल्दी फिजिकल होना चाहते हैं, लेकिन तुम वेट करते हो। ये ट्रस्ट बिल्ड करता है।" आर्यन मुस्कुराया: "तुमने सिखाया है।" बातें इमोशंस की तरफ मुड़ीं – अनन्या की आंखें नम हुईं: "मैं फिर से प्यार करना चाहती हूं, लेकिन डर लगता है।" आर्यन ने हाथ पकड़ा: "मैं भी। लेकिन शायद हम एक-दूसरे को हेल्प कर सकते हैं।" होटल वापस लौटे, बालकनी में बैठे, स्टार्स देखते। अनन्या करीब आई, सिर उसके कंधे पर। एक पल की साइलेंस, फिर हल्का किस – सिर्फ होंठों पर, सॉफ्ट। "गुड नाइट," अनन्या ने कहा, अपने रूम में चली गई। आर्यन का दिल धड़क रहा था – भावनाएं उभर रही थीं।
अगले दो दिन ऐसे ही बीते – मीटिंग्स, शामें साथ, बातें जो और गहरी होती गईं। अनन्या ने पेमेंट किया: "ये सिर्फ फॉर्मेलिटी है। लेकिन ट्रस्ट बढ़ रहा है। अगली बार फिर?" आर्यन ने हां कहा। वापसी की फ्लाइट में सोचता रहा – "अनन्या मुझे सिखा रही है कि सच्चा रिश्ता धीरे बनता है। अच्छा सबक है, लेकिन क्या ये लंबा चलेगा?"
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#5
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी


आर्यन के मन में अनन्या की जगह अब गहरी हो चुकी थी। मुंबई ट्रिप के बाद दोनों मैसेजेस करते रहते – गुड मॉर्निंग, दिन की अपडेट्स, छोटी-छोटी बातें जो दोस्तों से ज़्यादा लगतीं। प्रिया की याद अब कम आती, क्योंकि अनन्या की बातें उसे आगे बढ़ने का सबक दे रही थीं – "ट्रस्ट धीरे बनता है, जल्दबाज़ी से टूट जाता है।" आर्यन ऑफिस में बेहतर परफॉर्म कर रहा था, प्रमोशन की बात चल रही थी। ऐप पर रिक्वेस्ट्स आती रहीं, लेकिन उसने डिलीट कर दिया। "अब बस अनन्या के साथ," वो सोचता। एक शाम अनन्या का मैसेज आया: "आर्यन, इस वीकेंड मिलें? कोई ट्रिप नहीं, बस एक पर्सनल डेट। मेरा घर, डिनर, बातें। पेमेंट की चिंता मत करो, ये अब फ्रेंडशिप जैसा है।" आर्यन का दिल तेज़ धड़का – पर्सनल डेट? क्या भावनाएं और गहरी होंगी? उसने हां कहा।
वीकेंड आया। आर्यन अनन्या के अपार्टमेंट पहुंचा – फूलों का बुके लेकर, क्योंकि उसे लगा ये सही होगा। अनन्या दरवाज़ा खोला – एक सिंपल ब्लू ड्रेस में, बाल खुले, मेकअप हल्का। "वाह, बुके? थैंक यू! आओ अंदर," उसने मुस्कुराते हुए कहा। घर में कैंडल्स जल रही थीं, सॉफ्ट म्यूज़िक, डिनर तैयार। दोनों सोफे पर बैठे, वाइन पी। बातें शुरू हुईं – पहले तो नॉर्मल, जैसे दिन कैसा बीता। फिर अनन्या ने गहरा टॉपिक छेड़ा: "आर्यन, तुम्हारी पास्ट गर्लफ्रेंड... क्या तुम अब भी उसे मिस करते हो?" आर्यन चुप रहा, फिर बोला, "हां, लेकिन तुम्हारी वजह से आगे बढ़ रहा हूं। तुमने सिखाया है कि ट्रस्ट टूटने के बाद भी दोबारा बन सकता है।" अनन्या की आंखें चमकीं: "मैं भी, आर्यन। मेरे एक्स ने ट्रस्ट तोड़ा, लेकिन तुम पर भरोसा हो रहा है। धीरे-धीरे, लेकिन सच्चा।"
डिनर सर्व किया – घर का बना पास्ता, सलाद। खाते वक्त बातें जारी – अनन्या ने अपने ड्रीम्स बताए: "मैं एक दिन अपनी कंपनी शुरू करना चाहती हूं, लेकिन पार्टनर चाहिए जो ट्रस्टवर्थी हो।" आर्यन ने कहा, "मैं हेल्प कर सकता हूं। मेरी आईटी स्किल्स यूज़फुल होंगी।" हंसी-मज़ाक हुआ, लेकिन अंदर भावनाएं उभर रही थीं। डिनर खत्म होने के बाद अनन्या ने म्यूज़िक चेंज किया – स्लो, रोमांटिक। "डांस?" उसने हाथ बढ़ाया। आर्यन ने पकड़ा, दोनों करीब आए। डांस करते वक्त अनन्या की सांस आर्यन के चेहरे पर लग रही थी। "आर्यन, तुम्हें पता है, मैं तुम्हें पसंद करने लगी हूं," उसने फुसफुसाया। आर्यन की आंखें मिलीं: "मैं भी, अनन्या। लेकिन ट्रस्ट..." अनन्या ने चुप कराया, होंठ उसके होंठों पर रख दिए। पहला किस – सॉफ्ट, लंबा, पैशनेट। आर्यन के हाथ उसकी कमर पर गए, अनन्या करीब खिंची।
किस गहरा होता गया, जैसे सालों का अकेलापन एक पल में पिघल रहा हो। अनन्या के होंठ नरम, गर्म, और वो जीभ से आर्यन की जीभ को छू रही थी, एक-दूसरे की सांसें मिल रही थीं। आर्यन के हाथ अनन्या की पीठ पर फिसले, ड्रेस की ज़िप को छुआ। "आर्यन, मैं तैयार हूं... अगर तुम हो," अनन्या ने कान में फुसफुसाया, उसकी आवाज़ में एक कांपन। आर्यन ने उसे गोद में उठाया, बेडरूम की तरफ ले गया। कमरा डिम लाइट्स से भरा, बेड पर सॉफ्ट शीट्स। अनन्या को धीरे से लिटाया, उसके ऊपर झुका। "तुम खूबसूरत हो, अनन्या। मैं ट्रस्ट करता हूं," आर्यन ने कहा, उसकी आंखों में देखते हुए। अनन्या ने आर्यन की शर्ट के बटन खोले, उसके चेस्ट पर हाथ फेरा – "तुम्हारा बदन... इतना मजबूत, लेकिन दिल इतना नरम।" आर्यन ने अनन्या की ड्रेस उतारी, नीचे ब्लैक लेस ब्रा और पैंटी – उसका बदन गोरा, कर्वी, ब्रेस्ट भरे हुए, कमर पतली, हिप्स गोल। आर्यन की सांस रुक गई: "तुम परफेक्ट हो।"
आर्यन ने ब्रा का हुक खोला, ब्रेस्ट आज़ाद – निप्पल्स पिंक, हार्ड। उसने एक ब्रेस्ट पर मुंह रखा, चूसा धीरे से, जीभ से सर्कल बनाते हुए। अनन्या की कमर उछली, सिसकारी भरी: "ओह आर्यन... हां... ऐसे ही... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म..." उसके हाथ आर्यन के बालों में उलझे, दबाया। आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, निप्पल को हल्का काटा, चूसा, सहलाया। अनन्या की सांसें तेज़, "आर्यन... मुझे प्यार करो... ट्रस्ट के साथ... आह..." आर्यन नीचे गया, पैंटी पर किस किया, धीरे से उतारी। अनन्या की चूत – शेव्ड, गुलाबी, गीली। आर्यन ने जीभ फेरी – क्लिट पर, ऊपर-नीचे। अनन्या चिल्लाई: "ओह गॉड... तेरी जीभ... मुझे पागल कर रही है... चाटो और... हां..." आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से सहलाया। अनन्या की बॉडी कांप रही थी, जूस बह रहा था, "आर्यन... मैं... झड़ रही हूं... आह..." वो झड़ गई, बॉडी थरथराई, लेकिन आर्यन नहीं रुका – और चाटता रहा, उसे और पैशनेट बनाते हुए।
अनन्या ने आर्यन को ऊपर खींचा, उसकी पैंट उतारी। लंड बाहर आया – 10 इंच, मोटा, सख्त, नसें फूली हुईं। अनन्या की आंखें फैल गईं: "ओह माय... इतना बड़ा? लेकिन मैं ट्रस्ट करती हूं... तुम्हारा है, मेरा है।" उसने हाथ से पकड़ा, सहलाया – ऊपर-नीचे, टिप पर उंगली फेरी, प्रीकम लगाया। फिर मुंह में लिया – धीरे से टिप चूसा, फिर आधा अंदर, जीभ से लपेटा। आर्यन की सिसकारी: "अनन्या... तुम्हारा मुंह... स्वर्ग है... हां..." अनन्या ने गला तक लिया, चूसा पैशन से, आंखें आर्यन से मिलाकर। "तुम्हारा लंड... इतना ताकतवर... मुझे चाहिए," उसने कहा, चूसते हुए। आर्यन ने उसे रोका, कंडोम लगाया। अनन्या बेड पर लेटी, पैर फैलाए। आर्यन ऊपर आया, लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ। अनन्या तड़पी: "डालो न... प्लीज़... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे पूरा चाहिए।" आर्यन ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा। अनन्या की आंखें बंद: "आह... इतना बड़ा... भर रहा है मुझे... धीरे... लेकिन गहरा..." आर्यन ने पूरा अंदर किया, अनन्या चिल्लाई: "ओह आर्यन... तुम्हारा 10 इंच... मेरी चूत में... परफेक्ट है... चोदो मुझे..."
धक्के शुरू हुए – धीरे-धीरे, लेकिन पैशनेट। हर धक्के में आर्यन गहरा जाता, अनन्या की कमर मिलाती। चूत टाइट, गर्म, गीली – चप-चप की आवाज़, पसीना बह रहा था। अनन्या के ब्रेस्ट उछल रहे थे, आर्यन ने पकड़े, मसले, निप्पल्स चूसे। "हां... चोदो... और तेज़... ट्रस्ट है... प्यार है... आह..." अनन्या सिसकारियां भर रही थी, नाखून आर्यन की पीठ पर गड़ाए। पोज़िशन बदली – अनन्या ऊपर आई, लंड पर बैठी, राइड करने लगी। ऊपर-नीचे, स्पीड बढ़ाती, उसके ब्रेस्ट आर्यन के मुंह के पास। "चूसो... मेरे ब्रेस्ट... आर्यन... तुम्हारा लंड... मुझे भर रहा है... ओह..." आर्यन ने नीचे से धक्के लगाए, हाथ उसकी गांड पर, दबाया। सेक्स लंबा चला – 40 मिनट, पोज़िशन बदलते, डॉगी में, साइड में। अनन्या दो बार झड़ी, बॉडी कांपती, लेकिन जारी रही। आखिर में आर्यन ने कहा, "अनन्या... मैं... आ रहा हूं..." दोनों साथ झड़े – अनन्या की चूत कस रही थी, आर्यन का लंड झटके मार रहा था। थककर लेट गए, पसीने से तर, एक-दूसरे की बाहों में, सांसें मिलाकर। "ये ट्रस्ट की शुरुआत है... और प्यार की," अनन्या ने फुसफुसाया, आर्यन के चेस्ट पर सिर रखकर।
सुबह उठे, ब्रेकफास्ट साथ। अनन्या ने कहा, "आर्यन, ये अमेजिंग था। लेकिन धीरे-धीरे। अगली बार फिर मिलें?" आर्यन ने हां कहा, लेकिन दिल में खुशी थी – "अनन्या मुझे सिखा रही है कि सच्चा प्यार ट्रस्ट से शुरू होता है।" घर लौटकर लगा जैसे ज़िंदगी बदल रही है।

आर्यन की ज़िंदगी अब अनन्या के इर्द-गिर्द घूमने लगी थी। उस रात की अंतरंग पल के बाद दोनों के बीच एक अनकहा बॉन्ड बन गया था – ट्रस्ट का, प्यार का। अनन्या के मैसेजेस अब और पर्सनल हो गए थे: "आर्यन, आज तुम्हारी याद आई काम के बीच," या "रात को सोने से पहले तुम्हारा चेहरा याद आता है।" आर्यन भी रिस्पॉन्ड करता, लेकिन दिल में एक डर था – "क्या ये भी प्रिया जैसा खत्म हो जाएगा?" ऑफिस में प्रमोशन मिल गया, सैलरी बढ़ी, लेकिन अनन्या की वजह से वो ऐप से दूर रहा। "वो मुझे सिखा रही है कि सच्चा रिश्ता ट्रस्ट पर टिका होता है," वो सोचता। कुछ दिनों बाद अनन्या का कॉल आया: "आर्यन, इस वीकेंड मिलें? मेरे पास एक सरप्राइज़ है। मेरा घर, शाम 7 बजे। ड्रेस कैजुअल।" आर्यन उत्सुक हो गया – सरप्राइज़? क्या ट्रस्ट का टेस्ट होगा?
वीकेंड आया। आर्यन अनन्या के अपार्टमेंट पहुंचा, हाथ में चॉकलेट्स। दरवाज़ा खुला तो अनन्या सामने – एक रेड ड्रेस में, जो उसके कर्व्स को हाइलाइट कर रही थी, बाल वेवी, लिपस्टिक ब्राइट। "हाय लव, आओ," उसने हग किया, किस किया। घर में डेकोरेशन – कैंडल्स, फूल, टेबल पर स्पेशल डिनर। "ये सरप्राइज़?" आर्यन ने पूछा। अनन्या हंसी: "अभी नहीं, पहले बैठो।" दोनों सोफे पर, वाइन पीते बातें। अनन्या ने कहा, "आर्यन, हमारा ट्रस्ट अब मजबूत हो गया है। मैं तुम्हें कुछ बताना चाहती हूं – मेरा सरप्राइज़। मैंने अपनी कंपनी में तुम्हारे लिए एक जॉब ऑफर तैयार किया है। पार्टनर जैसे, आईटी हेड। सैलरी अच्छी, और साथ काम करेंगे।" आर्यन चौंका: "अनन्या, ये... बहुत बड़ा है। लेकिन क्या मैं इसके लायक हूं?" अनन्या ने हाथ पकड़ा: "ट्रस्ट करो। तुम स्मार्ट हो, और मैं तुम पर भरोसा करती हूं। ये टेस्ट है – क्या तुम मेरा साथ दोगे?"
आर्यन सोचता रहा – ये बड़ा कदम था। "हां, मैं ट्रस्ट करता हूं। थैंक यू," उसने कहा। अनन्या खुश हो गई, करीब आई। "अब असली सरप्राइज़," उसने फुसफुसाया, और किस शुरू किया। किस पैशनेट – अनन्या के होंठ आर्यन के होंठों पर दबे, जीभ मिलीं। आर्यन के हाथ उसकी ड्रेस पर, ज़िप खोली। ड्रेस गिरी – नीचे रेड लेस ब्रा और पैंटी, बदन चमक रहा था। अनन्या ने आर्यन की शर्ट उतारी, चेस्ट पर किस किया: "तुम्हारा बदन... मुझे पागल करता है।" दोनों बेडरूम में गए। अनन्या बेड पर लेटी, आर्यन ऊपर। ब्रा उतारी, ब्रेस्ट चूसे – निप्पल्स पर जीभ फेरी, काटा हल्का। अनन्या सिसकारी: "ओह आर्यन... हां... ट्रस्ट है... प्यार है..." आर्यन नीचे गया, पैंटी उतारी, चूत पर मुंह रखा – चाटा, चूसा। अनन्या तड़पी: "आह... तेरी जीभ... मुझे झड़वा देगी..." वो झड़ गई, लेकिन आर्यन नहीं रुका।
अनन्या ने आर्यन को लिटाया, पैंट उतारी। लंड 10 इंच का, सख्त। "ये मेरा सरप्राइज़ है... तुम्हारा," उसने सहलाया, मुंह में लिया – गहरा, पैशन से। आर्यन सिसकारियां भर रहा था। फिर अनन्या ऊपर चढ़ी, लंड अंदर लिया: "आह... इतना बड़ा... भर देता है..." राइड की, धक्के लगाए। दोनों थककर लेटे। "ये ट्रस्ट का टेस्ट पास हुआ," अनन्या ने कहा। आर्यन खुश था – "तुमने मुझे सिखाया कि ट्रस्ट से सब मुमकिन है।"

आर्यन का दिल अब पूरी तरह अनन्या के साथ जुड़ चुका था। जॉब ऑफर की बात ने उसे एक नई उम्मीद दी – एक पार्टनरशिप, जहां ट्रस्ट और प्यार साथ चलें। अनन्या के साथ वो रातें अब सिर्फ अंतरंग नहीं, बल्कि भावनाओं से भरी होतीं। आर्यन ने ऑफिस में रिजाइन लेटर तैयार कर लिया, अनन्या की कंपनी जॉइन करने के लिए। "वो मुझे सिखा रही है कि ट्रस्ट से ज़िंदगी बदल सकती है," वो सोचता। एक शाम अनन्या का मैसेज आया: "आर्यन, कल शाम मिलें? मेरा घर। एक और सरप्राइज़, लेकिन इस बार स्पेशल। तैयार रहना।" आर्यन उत्साहित हो गया – क्या प्रपोज़ल? या कुछ और? उसने हां कहा, और तैयार होने लगा।
अगली शाम अनन्या के अपार्टमेंट पहुंचा। दरवाज़ा खुला तो अनन्या सामने – एक ब्लैक ड्रेस में, सेक्सी लेकिन एलीगेंट। "आओ, मेरा लव," उसने हग किया, लेकिन आज उसकी मुस्कान में कुछ अलग था। घर में डिम लाइट्स, टेबल पर डिनर, लेकिन एक एक्स्ट्रा कुर्सी। "सरप्राइज़?" आर्यन ने पूछा। अनन्या हंसी: "हां, लेकिन पहले बैठो।" दोनों बैठे, बातें शुरू। अनन्या ने कहा, "आर्यन, हमारा ट्रस्ट अब परफेक्ट है। मैंने तुम्हें सबक दिया कि ट्रस्ट कैसे बनता है। लेकिन अब रियल टेस्ट।" तभी दरवाज़ा खटखटाया। अनन्या ने खोला – एक आदमी अंदर आया, हैंडसम, सूट में। "ये मेरा एक्स हसबैंड, विक्रम है," अनन्या ने इंट्रोड्यूस किया। आर्यन चौंका: "एक्स? लेकिन तुमने कहा था डिवोर्स..."
अनन्या बैठी, विक्रम भी। "आर्यन, ये सरप्राइज़ है – या कहो, टेस्ट। विक्रम और मैं कभी अलग नहीं हुए। ये सब एक गेम था। मैंने ऐप यूज़ किया ताकि ऐसे लड़के मिलें जो ट्रस्ट बिल्ड करें, और फिर हम दोनों मिलकर एन्जॉय करें। विक्रम को वॉच करना पसंद है। तुम्हारी 10 इंच वाली बात पढ़ी, सोचा ट्राई करें।" आर्यन का दिल बैठ गया: "क्या? ये झूठ था? ट्रस्ट, प्यार... सब?" विक्रम हंसा: "यार, अच्छा खेला तूने। अब अगर चाहे तो जॉइन कर, या निकल।" अनन्या करीब आई: "आर्यन, ये बुरी दुनिया है। ट्रस्ट मत करना इतनी जल्दी। ये सबक है – दर्द भरा, लेकिन ज़रूरी।" आर्यन उठा, आंखों में आंसू: "तुमने मुझे इस्तेमाल किया? मैंने तुम पर भरोसा किया..." वो बाहर निकला, दिल टूटा हुआ। अनन्या का मैसेज आया: "सॉरी, लेकिन ये रियलिटी है। पैसा ट्रांसफर कर रही हूं।"
आर्यन घर लौटा, रोता रहा। ट्रस्ट का सबक मिला, लेकिन दर्द के साथ। ऐप फिर ओपन किया – नई क्लाइंट्स इंतज़ार कर रही थीं। खेल जारी था, लेकिन अब और सतर्क होकर।
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी


आर्यन की ज़िंदगी फिर से एक गहरे गड्ढे में गिर चुकी थी। अनन्या की धोखेबाज़ी ने उसे इतना तोड़ दिया कि वो दिनों तक घर से बाहर नहीं निकला। ट्रस्ट का वो सबक, जो वो सोचता था जीवन बदल देगा, अब एक कड़वा दर्द बन चुका था। "सब झूठ है, ट्रस्ट नाम की कोई चीज़ नहीं," वो खुद से बड़बड़ाता, बिस्तर पर लेटे-लेटे। ऐप फिर से डाउनलोड किया, लेकिन क्लाइंट्स देखकर मन उचाट हो जाता। पैसों की तंगी बढ़ती जा रही थी – प्रमोशन मिला था, लेकिन खर्च ज़्यादा। मां का कॉल आया: "बेटा, गांव आ जाओ थोड़े दिन। चेहरा देखे हुए महीनों हो गए।" लेकिन आर्यन ने बहाना बनाया। रात भर जागता, अनन्या की यादों में जलता। लेकिन ज़िंदगी रुकती नहीं। एक शाम ऐप पर एक रिक्वेस्ट आई: "नाम: काव्या। उम्र: 35। लोकेशन: दिल्ली। रिक्वायरमेंट: एक साथी जो मेरे साथ बिज़नेस इवेंट्स में जाए, कंपनी दे, और जो मैं कहूं वो करे। पावर और पैसा समझने वाला। पेमेंट: 15,000 रुपये पर इवनिंग।" आर्यन ने प्रोफाइल चेक की – काव्या की फोटो थी, एक पावरफुल औरत, सूट में, आंखों में तेज़। डिस्क्रिप्शन: "एक CEO, जो ज़िंदगी में पावर प्ले पसंद करती है। मुझे ऐसे लड़के चाहिए जो सबमिसिव हो, लेकिन स्मार्ट। स्पेशल क्वालिटी देखी – यूज़ करूंगी।"
आर्यन को लगा ये अलग है – पावर? पैसा? शायद ये सबक देगी कि दुनिया कैसे चलती है। "बस पैसों के लिए," उसने एक्सेप्ट किया। चैट ओपन हुई: "हाय आर्यन, कल शाम 6 बजे? मेरा ड्राइवर पिक करेगा। ड्रेस: फॉर्मल।" आर्यन ने ओके कहा। अगले दिन शाम को तैयार हुआ – सूट, टाई। ड्राइवर आया, लग्ज़री कार। कार एक बड़े ऑफिस बिल्डिंग के सामने रुकी। काव्या बाहर इंतज़ार कर रही थी – लंबी, काली साड़ी में, ज्वेलरी, ऑरा ऐसा जैसे कोई क्वीन। "हाय आर्यन, चलो," उसने कहा, हाथ मिलाया। दोनों कार में बैठे। "आज एक बिज़नेस पार्टी है। तुम मेरे असिस्टेंट बनकर रहोगे। जो कहूंगी, करोगे।" आर्यन ने सिर हिलाया। रास्ते में बातें: "तुम क्या करते हो?" काव्या ने पूछा। आर्यन ने बताया। काव्या हंसी: "आईटी? अच्छा, लेकिन रियल पावर पैसों में है। मैं तुम्हें सिखाऊंगी कि कैसे दुनिया कंट्रोल की जाती है।"
पार्टी पहुंचे – ग्रैंड हॉल, अमीर लोग, ड्रिंक्स। काव्या ने इंट्रोडक्शन कराया: "ये मेरा असिस्टेंट आर्यन है।" लोग मिले, बातें हुईं। काव्या डील्स कर रही थी, आर्यन साइलेंट ऑब्ज़र्वर। बीच में काव्या ने कान में फुसफुसाया: "देखो, पावर मतलब कंट्रोल। मैं तुम्हें यूज़ कर रही हूं, लेकिन बदले में पैसा। ये सबक है।" पार्टी खत्म हुई, कार में वापस। काव्या ने कहा, "अच्छा किया। अब घर चलो, रिवार्ड दूंगी।" उसका घर एक विला था – लग्ज़री, पूल, बार। अंदर गए, काव्या ने ड्रिंक ऑफर की। "आर्यन, पावर मतलब सब कुछ कंट्रोल में। सेक्स भी।" वो करीब आई, किस किया – हार्ड, डोमिनेंट। आर्यन के हाथ बांधे, "आज मैं कंट्रोल में हूं।"
काव्या ने अपनी साड़ी उतारी – नीचे ब्लैक लिंगरी, बदन फिट, ब्रेस्ट बड़े। आर्यन की पैंट उतारी, लंड देखकर हंसी: "10 इंच? पावरफुल। लेकिन आज मेरा।" उसने सहलाया, मुंह में लिया – गहरा, तेज़। आर्यन तड़पा। फिर ऊपर चढ़ी, लंड अंदर लिया: "आह... बड़ा है... लेकिन मैं डिसाइड करूंगी कब झड़ना।" राइड की, स्पीड कंट्रोल की। सेक्स लंबा – काव्या गालियां नहीं, लेकिन ऑर्डर देती: "तेज़ धक्के लगाओ... रुको... अब चाटो।" आखिर में दोनों झड़े। काव्या ने पेमेंट किया: "ये पावर का सबक – पैसा कंट्रोल करता है। अगली बार और।"
आर्यन घर लौटा, सोचता रहा 

आर्यन की ज़िंदगी अब पावर और पैसों की दुनिया में घुस चुकी थी। काव्या की पहली मुलाकात ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया – "पावर मतलब कंट्रोल, और पैसा सब कुछ खरीद सकता है।" अनन्या की धोखेबाज़ी के दर्द से निकलकर वो अब सतर्क था, लेकिन पैसों की ज़रूरत उसे आगे धकेल रही थी। काव्या का मैसेज आया: "आर्यन, कल शाम फ्री हो? एक बिज़नेस ट्रिप – गोवा। दो दिन का। तुम मेरे साथ चलोगे, कंपनी दोगे। पेमेंट डबल।" आर्यन ने हां कर दी। "शायद ये सबक और गहरा होगा," वो सोचता रहा। अगले दिन एयरपोर्ट पर मिले। काव्या प्राइवेट जेट में थी – अमीरी की झलक। फ्लाइट में बातें: "आर्यन, पावर मतलब नेटवर्क। गोवा में मेरी कुछ फ्रेंड्स मिलेंगी। तुम्हें यूज़ करूंगी, लेकिन फायदा तुम्हारा भी।" आर्यन ने सिर हिलाया, लेकिन मन में सवाल था – फ्रेंड्स?
गोवा पहुंचे, एक लग्ज़री रिसॉर्ट – प्राइवेट बीच, पूल। काव्या का रूम सुइट था। शाम को पार्टी – काव्या की दो फ्रेंड्स आईं: एक थी उसकी बहन, रिया (32 साल), जो काव्या की कंपनी में पार्टनर थी – हॉट, शॉर्ट ड्रेस में, गोरी, कर्वी बॉडी। दूसरी थी फ्रेंड, मीरा (34 साल), एक अमीर बिज़नेसवुमन – लंबी, सेक्सी, ब्लैक गाउन में। "आर्यन, ये मेरी बहन रिया और फ्रेंड मीरा। आज तुम हम तीनों की कंपनी दोगे," काव्या ने कहा, आंख मारकर। पार्टी शुरू हुई – ड्रिंक्स, डांस। काव्या ने आर्यन को करीब रखा, लेकिन रिया और मीरा भी छेड़तीं। रिया ने कान में कहा: "तुम्हारी प्रोफाइल पढ़ी। 10 इंच? ट्राई करना चाहूंगी।" मीरा हंसी: "काव्या शेयर करती है सब। पावर शेयरिंग में है।" आर्यन चौंका, लेकिन काव्या ने कहा: "ये सबक है – पावर नेटवर्क से आती है। आज रात हम सब एन्जॉय करेंगे।"
पार्टी खत्म हुई, रिसॉर्ट के सुइट में। काव्या ने ड्रिंक्स सर्व किए। "आर्यन, अब शो टाइम।" तीनों औरतें करीब आईं, उनकी आंखों में वो ही पावर की चमक – जैसे शिकारी अपनी शिकार को घेर रही हों। काव्या ने आर्यन का किस किया – हार्ड, डोमिनेंट, उसके होंठों को काटते हुए, जीभ से हमला करते हुए। "कपड़े उतारो, स्लेव," उसने आदेश दिया। आर्यन ने उतारे, उसका लंड पहले से सख्त, 10 इंच का राज़ बाहर। तीनों की आंखें चमकीं। रिया घुटनों पर बैठी, लंड को हाथ में लिया – सहलाया, मोटाई महसूस की। "ओह गॉड... इतना मोटा, इतना लंबा... ये तो जानलेवा है," उसने कहा, मुंह में लिया – टिप से शुरू, फिर गला तक, चूसते हुए गैग किया लेकिन रुकी नहीं। स्लर्प की आवाज़, लार बह रही थी। मीरा ने आर्यन के ब्रेस्ट पर हाथ फेरा, निप्पल्स काटे: "तू हमारा टॉय है आज।" काव्या देख रही थी, अपनी ड्रेस उतारी – नीचे ब्लैक लिंगरी, ब्रेस्ट उभरे हुए, गांड गोल। "रिया, शेयर कर," उसने कहा। रिया ने लंड मीरा को दिया। मीरा ने चूसा – तेज़, हाथ से पंप करते हुए, अंडों को मसला। आर्यन तड़प रहा था, "आह... इतना... इंटेंस..." लेकिन तीनों हंस रही थीं, पावर उनके हाथ में।
काव्या ने आर्यन को बेड पर धकेला, उसके ऊपर चढ़ी। "अब मैं," उसने कहा, लंड पर बैठी – धीरे से अंदर लिया, लेकिन स्पीड बढ़ाई। "आह... फाड़ देगा मेरी चूत को... लेकिन मैं कंट्रोल में हूं... चोदो मुझे तेज़!" उसकी चूत टाइट, गर्म, गीली – हर धक्के पर थप-थप की आवाज़, ब्रेस्ट उछल रहे थे। रिया और मीरा साइड में – रिया ने अपनी ड्रेस उतारी, ब्रेस्ट आर्यन के मुंह में डाले: "चूस रे... मेरे निप्पल्स काट... आह..." मीरा नीचे गई, आर्यन के अंडों को चाटा, काव्या की क्लिट को सहलाया। कमरा सिसकारियों से भरा – "ओह फक... बड़ा लौड़ा... चोदो... तेज़... आह..." काव्या झड़ गई, बॉडी कांपती, जूस बहा, लेकिन रुकी नहीं। पोज़िशन बदली – डॉगी में, आर्यन ने काव्या को पीछे से पकड़ा, धक्के लगाए – गांड पकड़ी, बाल खींचे। रिया नीचे लेटी, आर्यन की जीभ मांगी: "चाट मेरी चूत... तेरी जीभ... मुझे पागल कर दे..." मीरा ऊपर से ब्रेस्ट दबाती। सेक्स वाइल्ड हो गया – स्पीड तेज़, पसीना बहता, बॉडीज एक-दूसरे से टकराती। आर्यन ने रिया को चोदा – उसकी चूत में पूरा 10 इंच घुसा, रिया चिल्लाई: "बहनचोद... फाड़ देगा... लेकिन मत रुक... हां!" मीरा ने लंड साफ किया, फिर खुद लिया – रिवर्स काउगर्ल में, गांड उछालती। काव्या निर्देश देती: "तेज़... और गहरा... हमारी पावर देख!" रात भर चला – ऑर्गी जैसा, तीनों औरतें बारी-बारी, कभी दो साथ, कभी तीन। आर्यन का स्टैमिना टेस्ट हुआ – 10 इंच का लंड थका नहीं, लेकिन बॉडी थरथरा रही थी। आखिर में तीनों झड़ीं, आर्यन भी – कमरा जूस और पसीने से तर।
सुबह काव्या ने पेमेंट किया
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#7
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी

आर्यन की ज़िंदगी अब काव्या की पावर वाली दुनिया में पूरी तरह फंस चुकी थी। गोवा ट्रिप के बाद वो थका हुआ लौटा था, लेकिन जेब में पैसा और दिमाग में पावर का सबक। "नेटवर्क से सब मिलता है," काव्या की बातें उसके कानों में गूंजती रहतीं। कुछ दिनों बाद काव्या का कॉल आया: "आर्यन, कल शाम फ्री हो? मेरी मां का बर्थडे है। घर पर छोटी सी पार्टी। तुम्हें सरप्राइज़ के लिए बुला रही हूं। ड्रेस कैजुअल, लेकिन तैयार रहना – पावर प्ले होगा।" आर्यन हिचकिचाया, लेकिन हां कर दी। "मां? क्या सरप्राइज़?" वो सोचता रहा। अगले दिन शाम को काव्या के विला पहुंचा। घर लाइट्स से सजा था, म्यूज़िक बज रहा था। काव्या दरवाज़े पर: "आओ, आर्यन। मां इंतज़ार कर रही हैं।"
अंदर गए तो काव्या की मां, सुनीता (52 साल), सोफे पर बैठी थीं – एक एलीगेंट औरत, गोरी स्किन, अभी भी आकर्षक, बड़े ब्रेस्ट, पतली कमर, लेकिन उम्र के निशान। डिवोर्स्ड थीं, काव्या ने बताया था। "हाय आर्यन, काव्या ने तुम्हारे बारे में बताया। बैठो," सुनीता ने मुस्कुराते हुए कहा। पार्टी शुरू हुई – केक काटा, गिफ्ट्स, ड्रिंक्स। रिया और मीरा भी आईं, हंसती-खेलती। लेकिन काव्या की आंखों में शरारत थी। पार्टी खत्म होने के बाद काव्या ने आर्यन को साइड में ले जाकर कहा: "आर्यन, मां का सरप्राइज़ – एक सुहागरात। वो डिवोर्स्ड हैं, सालों से अकेली। मैं उन्हें दुल्हन की तरह सजाऊंगी, और तुम... दूल्हा बनोगे। पावर शेयरिंग, याद है? मां को खुश करो, पैसा ट्रिपल।" आर्यन चौंका: "क्या? तुम्हारी मां?" काव्या हंसी: "हां, वो सहमत हैं। ट्रस्ट मी, एन्जॉय करोगे।"
काव्या सुनीता को कमरे में ले गई, सजाने लगी – रेड ब्राइडल लहंगा, ज्वेलरी, मेकअप, मेहंदी हल्की। सुनीता शर्मा रही थीं, लेकिन एक्साइटेड लग रही थीं। "बेटी, ये सरप्राइज़... आर्यन अच्छा लड़का है?" सुनीता ने पूछा। काव्या: "हां मां, 10 इंच का सरप्राइज़। एन्जॉय करो।" बाहर आर्यन इंतज़ार कर रहा था। काव्या आई: "जाओ, कमरे में। धीरे-धीरे, लेकिन वाइल्ड बनाओ। मां को कई बार खुश करो, गांड भी ट्राई करो। पावर है न?" आर्यन का दिल धड़क रहा था, लेकिन चला गया। कमरा फूलों से सजा, बेड पर सुनीता दुल्हन की तरह बैठी – लहंगा, घूंघट, हाथों में चूड़ियां। "आर्यन, आओ... काव्या ने कहा तुम स्पेशल हो," सुनीता ने शर्माते हुए कहा। आर्यन करीब बैठा, घूंघट उठाया – सुनीता की आंखें नम, लेकिन चाहत भरी। "आंटी, आप खूबसूरत लग रही हैं," आर्यन ने कहा, हाथ पकड़ा।
धीरे से किस शुरू – होंठों पर, सॉफ्ट, जैसे सालों की उदासी को प्यार से भर रहा हो। सुनीता ने रिस्पॉन्ड किया, उनकी सांसें तेज़ हुईं, आंखें बंद, जैसे एक पुरानी याद जी रही हों। आर्यन के हाथ सुनीता की कमर पर गए, धीरे से सहलाया, लहंगे के ऊपर से। "आर्यन... कितने सालों बाद... तुम्हारा स्पर्श... इतना गर्म, इतना प्यारा," सुनीता ने फुसफुसाया, उनका चेहरा लाल हो गया, दिल की धड़कनें आर्यन को महसूस हो रही थीं। आर्यन ने ब्लाउज के हुक खोले, ब्रेस्ट आज़ाद – बड़े, सॉफ्ट, निप्पल्स पिंक और हार्ड। धीरे से एक ब्रेस्ट पर मुंह रखा, चूसा, जीभ से सर्कल बनाते हुए, हल्का काटा। सुनीता की कमर उछली, सिसकारी भरी: "ओह आर्यन... हां... ऐसे ही... तुम्हारा मुंह... मुझे जीवित महसूस करा रहा है... सालों का अकेलापन... पिघल रहा है..." उनके हाथ आर्यन के बालों में उलझे, दबाया, भावनाएं उमड़ रही थीं – खुशी, डर, चाहत का मिश्रण। आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, सहलाया, सुनीता की सांसें तेज़, "आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे चाहिए... और..."
आर्यन नीचे गया, लहंगा ऊपर किया, पैंटी पर किस किया, धीरे से उतारी – सुनीता की चूत पर हल्के बाल, गुलाबी, गीली, जैसे इंतज़ार कर रही हो। आर्यन ने जीभ फेरी – क्लिट पर, ऊपर-नीचे, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। सुनीता तड़पी, कमर हिलाई: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... इतनी नरम, इतनी गर्म... मुझे स्वर्ग दिखा रही है... हां... चाटो... और गहरा..." उनकी आंखों में आंसू, लेकिन खुशी के – सालों की कुंठा निकल रही थी। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से सहलाया, क्लिट को रगड़ा। सुनीता की बॉडी कांप रही थी, जूस बह रहा था, "ओह... मैं... झड़ रही हूं... आर्यन... तुम्हारा प्यार... आह..." वो झड़ गई, बॉडी थरथराई, सांसें फूल रही थीं, लेकिन आंखों में संतुष्टि – जैसे एक नई ज़िंदगी मिली हो। आर्यन ऊपर आया, उन्हें किस किया, "आंटी... आपकी खुशी... मेरी खुशी है..." सुनीता ने आर्यन को गले लगाया, "आर्यन... तुमने मुझे फिर से औरत महसूस कराया... अब तुम्हारी बारी..."
सुनीता ने आर्यन की शर्ट उतारी, चेस्ट पर किस किया, निप्पल्स चूसे। "तुम्हारा बदन... इतना मजबूत, इतना आकर्षक..." फिर पैंट उतारी, लंड बाहर – 10 इंच, मोटा, सख्त। सुनीता की आंखें फैल गईं: "ओह... इतना बड़ा? लेकिन... मैं ट्रस्ट करती हूं... तुम्हारा है..." उन्होंने हाथ से सहलाया, ऊपर-नीचे, टिप पर जीभ फेरी, मुंह में लिया – धीरे-धीरे, प्यार से, जैसे पूजा कर रही हों। आर्यन की सिसकारी: "आंटी... आपका मुंह... इतना गर्म... इतना प्यारा..." सुनीता ने गला तक लिया, चूसती रहीं, आंखें आर्यन से मिलाकर – भावनाएं उमड़ रही थीं, जैसे एक नया बॉन्ड बन रहा हो। आर्यन ने उन्हें रोका, कंडोम लगाया। सुनीता बेड पर लेटीं, पैर फैलाए। आर्यन ऊपर आया, लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ। सुनीता तड़पी: "डालो न... प्लीज़... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे पूरा चाहिए... सालों बाद..." आर्यन ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा। सुनीता की आंखें बंद: "आह... इतना बड़ा... भर रहा है मुझे... दर्द भी, सुख भी... धीरे... लेकिन गहरा..." आर्यन ने पूरा अंदर किया, सुनीता चिल्लाई: "ओह आर्यन... तुम्हारा 10 इंच... मेरी चूत में... परफेक्ट है... चोदो मुझे..."
धक्के शुरू हुए – धीरे-धीरे, लेकिन रोमांटिक, हर धक्के में प्यार, गहराई। सुनीता की चूत टाइट, गर्म, गीली – चप-चप की आवाज़, ब्रेस्ट उछल रहे थे। आर्यन ने ब्रेस्ट पकड़े, चूसे, सुनीता सिसकारियां भर रही थीं: "हां... चोदो... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे जीवित कर रहा है... आह... और तेज़..." उनकी आंखों में आंसू, लेकिन खुशी के, भावनाएं उमड़ रही थीं – अकेलेपन का अंत, नई शुरुआत। आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, लेकिन केयरिंग तरीके से – हाथ उनके हाथों में, आंखें मिलाकर। सुनीता फिर झड़ी, बॉडी कांपी, "आर्यन... मैं तुम्हारी हूं..." आर्यन भी झड़ा, लेकिन रात लंबी थी। ब्रेक लिया, एक-दूसरे को गले लगाया, बातें कीं – सुनीता ने अपना पास्ट शेयर किया, आर्यन ने सुना। फिर शुरू – डॉगी में, सुनीता की गांड ऊपर, आर्यन ने धीरे से लंड रगड़ा। "गांड?" सुनीता ने शर्माते हुए हां की। लुब्रिकेंट लगाया, धीरे अंदर – सुनीता दर्द से चिल्लाई: "ओह... दर्द हो रहा... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी..." आर्यन ने स्पीड बढ़ाई, गांड मारी – गहरा, लेकिन रोमांटिक, हाथ ब्रेस्ट पर। सुनीता सिसकारी: "आह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... हां..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख का मिश्रण। रात भर चला – कई बार, अलग पोज़िशन, हर मोमेंट में भावनाएं, प्यार का आदान-प्रदान।
लेकिन अभी रात खत्म नहीं हुई थी...

आर्यन और सुनीता की वो रात अब और गहरी होने लगी थी। पहला दौर खत्म होने के बाद दोनों एक-दूसरे की बाहों में लेटे थे, पसीने से तर, लेकिन दिलों में एक अनोखा सुकून। सुनीता की सांसें अभी भी तेज़ थीं, उनकी आंखें आर्यन के चेहरे पर टिकीं – जैसे सालों की उदासी एक रात में मिट रही हो। "आर्यन... तुमने मुझे फिर से औरत महसूस कराया... तुम्हारा प्यार... इतना गहरा, इतना सच्चा," सुनीता ने फुसफुसाया, अपना सिर आर्यन के सीने पर रखकर। आर्यन ने उनके बालों में उंगलियां फेरते हुए कहा, "आंटी... आपकी खुशी मेरी ज़िंदगी है... आपकी आंखों में वो चमक... मुझे और प्यार करने को मजबूर कर रही है।" कमरा फूलों की महक से भरा था, कैंडल्स की रोशनी में उनके बदन चमक रहे थे – सुनीता का दुल्हन वाला लुक अभी भी आधा बिखरा, चूड़ियों की खनक हर हलचल में गूंज रही थी।
आर्यन ने सुनीता को धीरे से अपनी तरफ खींचा, फिर से किस शुरू किया – इस बार और गहरा, और रोमांटिक। होंठ मिले, जीभें उलझीं, जैसे दोनों एक-दूसरे की आत्मा को छू रहे हों। सुनीता की उंगलियां आर्यन की पीठ पर फिसलीं, नाखून हल्के से गड़े – दर्द और प्यार का मिश्रण। "आर्यन... मुझे फिर से चाहिए... तुम्हारा स्पर्श... तुम्हारा प्यार... सालों का सूखा... तुम्हारी बरसात से भर दो," सुनीता ने कान में फुसफुसाया, उनकी आवाज़ में कांपन, चाहत की तीव्रता। आर्यन ने उन्हें बेड पर लिटाया, उनके ब्रेस्ट पर हाथ फेरा – निप्पल्स फिर से हार्ड, जैसे इंतज़ार कर रहे हों। धीरे से चूसा, जीभ से लपेटा, हल्का काटा। सुनीता की कमर उछली, सिसकारी भरी: "ओह आर्यन... हां... तुम्हारा मुंह... मेरे ब्रेस्ट पर... इतना गर्म, इतना प्यारा... मुझे पागल कर रहा है... आह... और..." उनकी आंखें बंद, चेहरा लाल, भावनाएं उमड़ रही थीं – खुशी के आंसू, प्यार की लहरें। आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, मसला, जैसे पूजा कर रहा हो। सुनीता के हाथ आर्यन के लंड पर गए, सहलाने लगीं – "ये... इतना बड़ा, इतना ताकतवर... मेरा है अब..."
आर्यन नीचे सरका, सुनीता की जांघों के बीच – चूत अभी भी गीली, जूस से चमक रही। जीभ फेरी – क्लिट पर सर्कल बनाते हुए, धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाई। सुनीता तड़पी, पैर फैलाए: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... सालों की प्यास... बुझा दो... हां... और..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही थी, जैसे हर चाट में एक नई दुनिया मिल रही हो। आर्यन ने उंगली डाली – एक, फिर दो, चूसते हुए रगड़ा। सुनीता की सांसें फूल रही थीं, "ओह... मैं... फिर झड़ रही हूं... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, लेकिन आंखों में संतुष्टि – जैसे एक सपना सच हो रहा हो। आर्यन ऊपर आया, उन्हें गले लगाया, "आंटी... आपकी सिसकारियां... मुझे और प्यार करने को उकसा रही हैं..."
फिर से शुरू – आर्यन ने कंडोम बदला, सुनीता को अपनी गोद में बिठाया, लंड चूत पर रगड़ा। सुनीता ने खुद से अंदर लिया – धीरे से, लेकिन गहराई महसूस करते हुए। "आह... आर्यन... तुम्हारा 10 इंच... मुझे भर रहा है... दर्द भी मीठा... प्यार भी गहरा..." धक्के लगे – स्लो, रोमांटिक, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर। सुनीता ऊपर-नीचे हिल रही थी, ब्रेस्ट उछल रहे थे, चूड़ियां खनक रही थीं। "हां... चोदो मुझे... आर्यन... तुम्हारा लंड... मेरी चूत में... स्वर्ग है... आह... और तेज़..." भावनाएं पीक पर – सुनीता की आंखों में आंसू, प्यार के, आर्यन के दिल में एक नई जिम्मेदारी। स्पीड बढ़ी, लेकिन प्यार से – सुनीता झड़ी, आर्यन भी, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं।
ब्रेक लिया – पानी पिया, एक-दूसरे को किस किया, बातें कीं। "आर्यन... तुमने मुझे नई ज़िंदगी दी... तुम्हारा प्यार... अमूल्य है," सुनीता ने कहा, आंसू पोछते हुए। आर्यन ने उन्हें फिर से लिटाया, "आंटी... अभी रात बाकी है... आपकी हर इच्छा पूरी करूंगा..." अब गांड की बारी – लुब्रिकेंट लगाया, सुनीता को घुटनों पर किया। "धीरे... लेकिन प्यार से," सुनीता ने कहा, डर और चाहत में। आर्यन ने लंड रगड़ा, धीरे अंदर डाला – सुनीता चिल्लाई: "ओह... दर्द... लेकिन तुम्हारा स्पर्श... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, लेकिन रोमांटिक, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें। सुनीता सिसकारी: "आह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... आर्यन... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... हां... और..." वो फिर झड़ी, गांड कस रही थी, आर्यन भी झड़ा। रात भर चला – कई बार, मिशनरी, साइड, स्पूनिंग में – हर मोमेंट में भावनाएं, प्यार की गहराई, सिसकारियां, आंसू, हंसी। सुनीता की आंखों में नई चमक, आर्यन के दिल में एक नई जिम्मेदारी।
रात खत्म हुई, लेकिन प्यार की शुरुआत हो चुकी थी...

आर्यन और सुनीता की वो रात अब धीरे-धीरे सुबह की नरम रोशनी में बदल रही थी। कमरे की खिड़की से सूरज की पहली किरणें अंदर घुस रही थीं, जो फूलों की पंखुड़ियों पर गिरकर एक सुनहरी चमक बिखेर रही थीं। रात भर की थकान अभी भी उनके बदनों में बसी हुई थी, लेकिन वो थकान मीठी थी – प्यार की, भावनाओं की। सुनीता आर्यन की बाहों में लेटी थीं, उनकी सांसें अब शांत हो चुकी थीं, लेकिन दिल की धड़कनें अभी भी एक लय में चल रही थीं, जैसे दो दिल एक हो गए हों। सुनीता की उंगलियां आर्यन के सीने पर धीरे-धीरे घूम रही थीं, जैसे वो हर स्पर्श में रात की यादों को फिर से जी रही हों। "आर्यन... ये रात... मेरे जीवन की सबसे अनमोल रात थी... तुमने न सिर्फ मेरे बदन को छुआ, बल्कि मेरी आत्मा को छुआ... सालों का अकेलापन... तुम्हारे प्यार ने मिटा दिया," सुनीता ने धीमी, कांपती आवाज़ में कहा, उनकी आंखें आर्यन के चेहरे पर टिकी हुई थीं, जहां प्यार और कृतज्ञता की चमक थी। आर्यन ने उन्हें और करीब खींचा, उनके माथे पर एक नरम किस किया, "आंटी... आपकी हर सांस, हर सिसकारी... मुझे बताती है कि ये प्यार सच्चा है... आपकी खुशी मेरी ज़िंदगी का मकसद बन गई है... ये सुबह... हमारी नई शुरुआत है।"
कमरा अभी भी रात की महक से भरा था – फूलों की, पसीने की, प्यार की। सुनीता का दुल्हन वाला लहंगा बिखरा पड़ा था, चूड़ियां हल्की-हल्की खनक रही थीं, जैसे हर हलचल में प्यार की धुन बज रही हो। बाहर पक्षियों की चहचहाहट सुनाई दे रही थी, लेकिन दोनों अभी भी बेड पर लेटे थे, एक-दूसरे की आंखों में खोए। आर्यन ने सुनीता के बालों में उंगलियां फेरीं, धीरे से उनके कान के पास फुसफुसाया, "आंटी... सुबह की ये रोशनी... आपके चेहरे पर कितनी खूबसूरत लग रही है... जैसे आप कोई परी हों।" सुनीता शर्मा गईं, लेकिन उनकी आंखों में एक नई चाहत जाग रही थी, "आर्यन... रात खत्म हुई, लेकिन मेरा मन अभी भी तुम्हारे साथ है... तुम्हारा स्पर्श... मुझे फिर से चाहिए... धीरे-धीरे, प्यार से... एक बार और..." उनकी आवाज़ में शर्म, लेकिन प्यार की तीव्रता थी, जैसे सालों की दबी इच्छाएं फिर से उभर रही हों। आर्यन मुस्कुराया, उनके चेहरे को अपने हाथों में लिया, "जैसी आपकी इच्छा... मैं आपका हूं, हमेशा..."
आर्यन ने सुनीता को अपनी तरफ मोड़ा, उनकी आंखें मिलीं – वो पल इतना गहरा था कि समय जैसे रुक गया हो। धीरे से किस शुरू किया – पहले होंठों पर, नरम, जैसे फूल की पंखुड़ी को छू रहा हो। सुनीता ने रिस्पॉन्ड किया, उनके होंठ आर्यन के होंठों से मिले, जीभें उलझीं, सांसें एक हो गईं। वो किस लंबा था, रोमांटिक, हर सेकंड में प्यार की गहराई बढ़ती जा रही थी। आर्यन के हाथ सुनीता की गर्दन पर फिसले, धीरे से सहलाते हुए नीचे आए – ब्रेस्ट पर। निप्पल्स फिर से हार्ड हो चुके थे, जैसे इंतज़ार कर रहे हों। आर्यन ने एक ब्रेस्ट को हाथ में लिया, धीरे से मसला, जीभ से निप्पल पर सर्कल बनाया। सुनीता की सिसकारी निकली: "ओह आर्यन... हां... तुम्हारा स्पर्श... इतना नरम, इतना गर्म... मेरे ब्रेस्ट... तुम्हारे लिए हैं... चूसो... प्यार से..." उनकी आंखें बंद हो गईं, चेहरा लाल, भावनाएं उमड़ रही थीं – खुशी के आंसू आंखों के कोनों में जमा हो गए। आर्यन ने चूसा – धीरे-धीरे, जीभ से लपेटते हुए, हल्का काटा, जैसे हर मोमेंट को जी रहा हो। सुनीता की कमर उछली, "आह... आर्यन... तुम्हारा मुंह... मुझे स्वर्ग दिखा रहा है... सालों बाद... इतना सुख... और..."
आर्यन धीरे-धीरे नीचे सरका, सुनीता की जांघों के बीच पहुंचा – उनकी चूत अभी भी गीली थी, रात की यादों से चमक रही। आर्यन ने जांघों पर किस किया, धीरे से सहलाया, जैसे हर इंच को प्यार दे रहा हो। सुनीता की सांसें तेज़ हुईं, "आर्यन... वहां... प्लीज़... तुम्हारी जीभ... मुझे चाहिए..." आर्यन ने जीभ फेरी – क्लिट पर, ऊपर-नीचे, धीरे-धीरे सर्कल बनाते हुए। सुनीता तड़पी, पैर फैलाए: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... सालों की प्यास... बुझा दो... हां... और..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही, जैसे हर चाट में एक नई लहर उठ रही हो – प्यार की, सुख की। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से क्लिट रगड़ा – धीरे-धीरे, लेकिन इंटेंस। सुनीता की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, "ओह... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पागल कर रहा है... मैं... झड़ रही हूं... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, आंखें नम – खुशी के आंसू बहने लगे, "आर्यन... तुमने मुझे पूरा कर दिया..."
आर्यन ऊपर आया, सुनीता को गले लगाया, उनके आंसू पोछे, "आंटी... आपके आंसू... मुझे दर्द देते हैं... लेकिन आपकी खुशी... सब कुछ है।" सुनीता ने आर्यन को किस किया, "अब तुम... मुझे तुम्हारा महसूस करना है... तुम्हारा प्यार..." उन्होंने आर्यन के लंड को सहलाया – 10 इंच, मोटा, गर्म, जैसे उनके लिए बना हो। धीरे से मुंह में लिया – टिप चूसा, जीभ से लपेटा, गला तक। आर्यन की सिसकारी: "आंटी... आपका मुंह... इतना गर्म, इतना प्यारा... मुझे स्वर्ग लग रहा है... हां..." सुनीता ने चूसा – धीरे-धीरे, प्यार से, आंखें मिलाकर, जैसे हर मोमेंट में भावनाएं डाल रही हों। आर्यन के हाथ उनके बालों में, "आंटी... आपका प्यार... मुझे जीवित कर रहा है..." सुनीता ने रुककर कहा, "आर्यन... अब अंदर... मुझे तुम्हारा पूरा चाहिए..."
आर्यन ने कंडोम लगाया, सुनीता नीचे लेटीं, पैर फैलाए। आर्यन अंदर गया – धीरे, गहरा, हर इंच में प्यार। सुनीता चिल्लाई: "आह... आर्यन... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे भर रहा है... दर्द मीठा... प्यार गहरा... हां..." धक्के लगे – स्लो, इंटेंस, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर, सांसें मिलाकर। सुनीता की सिसकारियां: "ओह... चोदो मुझे... आर्यन... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... आह... और तेज़..." ब्रेस्ट उछल रहे, चूड़ियां खनक रही, भावनाएं पीक पर – प्यार के आंसू, सुख की लहरें। स्पीड बढ़ी, लेकिन रोमांटिक – सुनीता झड़ी, "आर्यन... मैं तुम्हारी हूं... हमेशा..." आर्यन भी झड़ा, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं, जैसे आत्माएं एक हो गई हों।
फिर गांड की बारी – सुनीता शर्मा रही थीं, लेकिन प्यार से हां की। लुब्रिकेंट लगाया, आर्यन ने धीरे अंदर डाला। सुनीता: "आह... दर्द... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, इंटेंस, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें: "आंटी... आप मेरी हो... हर दर्द मैं मिटा दूंगा..." सुनीता: "ओह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... आर्यन... तुम्हारा लंड... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख। रात भर चला – कई बार, हर मोमेंट में रोमांस, इंटेंसनेस, भावनाएं। सुबह काव्या आई, मुस्कुराई: "मां खुश?" सुनीता ने हां कहा, लेकिन आर्यन का दिल उलझा – पावर का सबक, लेकिन प्यार की गहराई। काव्या ने पेमेंट किया: "ये पावर का नया सबक – प्यार भी कंट्रोल में होता है। अगली बार और।"
आर्यन घर लौटा, सोचता रहा – "काव्या की दुनिया... पावर की, लेकिन सुनीता का प्यार... सच्चा। क्या चुनूं?"
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी


आर्यन घर लौटते वक्त कार में बैठा था, लेकिन उसका मन अभी भी सुनीता की बाहों में अटका हुआ था। बाहर दिल्ली की व्यस्त सड़कें थीं, ट्रैफिक की हॉर्न्स गूंज रही थीं, लेकिन आर्यन के कानों में सुनीता की सिसकारियां, उनकी वो रोमांटिक फुसफुसाहटें – "आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पूरा कर रहा है..." – बार-बार गूंज रही थीं। जेब में काव्या का दिया पैसा था – मोटी रकम, जो उसकी आर्थिक तंगी को दूर कर सकती थी, लेकिन दिल में एक उलझन थी। "काव्या की दुनिया पावर और पैसों की है, लेकिन सुनीता का प्यार... वो सच्चा लगा। क्या मैं इस गिगोलो वाली ज़िंदगी से निकल सकता हूं?" वो सोचता रहा, कार की खिड़की से बाहर देखते हुए। घर पहुंचा तो कमरा वैसा ही था – छोटा, दीवारें फटी हुईं, लेकिन आज वो कमरा और छोटा लग रहा था, जैसे उसकी ज़िंदगी की सच्चाई उसे चुभ रही हो। फोन पर काव्या का मैसेज आया: "आर्यन, मां खुश हैं। अच्छा किया। अगला प्लान जल्दी। पावर इज एवरीथिंग।" आर्यन ने मैसेज पढ़ा, लेकिन रिप्लाई नहीं किया। वो बिस्तर पर लेट गया, आंखें बंद कीं, और सुनीता की यादों में खो गया – उनकी वो नरम सिसकारियां, वो आंसू भरी आंखें, वो प्यार भरा स्पर्श। "क्या ये सब पैसों के लिए था? या कुछ और?" वो खुद से सवाल करता रहा।
अगले कुछ दिन आर्यन ने खुद को बिज़ी रखा। ऑफिस गया, काम में डूबा, लेकिन मन नहीं लगा। बॉस ने कहा, "आर्यन, क्या बात है? काम में गलतियां हो रही हैं।" आर्यन ने बहाना बनाया, "थकान है, सर।" शाम को घर लौटकर फोन चेक किया – ऐप पर नई रिक्वेस्ट्स थीं, लेकिन उसने इग्नोर किया। राहुल को कॉल किया: "यार, वो ऐप वाली ज़िंदगी... मैं छोड़ना चाहता हूं। एक औरत मिली, सुनीता... वो अलग है।" राहुल हंसा, "अरे, गिगोलो हो, भावनाएं मत लगाओ। पैसा कमाओ।" लेकिन आर्यन का दिल नहीं माना। रात को नींद नहीं आई, सुनीता का चेहरा याद आता रहा – उनकी वो दुल्हन वाली मुस्कान, वो प्यार भरी आंखें। "क्या वो भी मुझे याद कर रही होंगी?" वो सोचता रहा। अगले दिन सुबह उठा, चाय बनाई, बालकनी में बैठा। शहर की हलचल देखी, लेकिन मन शांत नहीं था। फोन पर सुनीता का नंबर सेव था – काव्या ने दिया था। हिचकिचाते हुए मैसेज टाइप किया: "आंटी, कैसी हैं? वो रात... मेरे लिए स्पेशल थी।" सेंड किया, और इंतज़ार करने लगा। दिल धड़क रहा था, जैसे कोई कॉलेज बॉय हो। कुछ मिनट बाद रिप्लाई आया: "आर्यन... मैं ठीक हूं। तुम्हारी याद आती है। वो रात... मेरी ज़िंदगी बदल दी। मिलोगे?"
आर्यन की आंखें चमक उठीं। "हां, कब?" उसने रिप्लाई किया। सुनीता: "आज शाम? मेरे घर। काव्या बाहर है।" आर्यन तैयार होने लगा – सिम्पल शर्ट, जींस, लेकिन दिल में उत्साह। शाम को सुनीता के घर पहुंचा – एक छोटा लेकिन सुंदर अपार्टमेंट, जहां रात की यादें अभी भी ताज़ा थीं। दरवाज़ा खुला, सुनीता सामने – साड़ी में, बाल खुले, चेहरा मुस्कुराता। "आओ आर्यन... इंतज़ार था," उसने कहा, हग किया। दोनों सोफे पर बैठे, चाय पी। बातें शुरू हुईं – पहले तो नॉर्मल, जैसे दिन कैसा बीता। फिर सुनीता ने हाथ पकड़ा: "आर्यन, वो रात... मैं भूल नहीं पा रही। तुम्हारा प्यार... सालों बाद मिला। लेकिन काव्या... वो पावर की बात करती है। क्या तुम उसके साथ हो?" आर्यन चुप रहा, फिर बोला, "आंटी, काव्या ने मुझे बुलाया था, लेकिन तुम्हारे साथ... वो प्यार था, पैसा नहीं। मैं ये ज़िंदगी छोड़ना चाहता हूं।" सुनीता की आंखें नम हुईं: "आर्यन... मैं भी तुम्हें पसंद करती हूं। लेकिन उम्र का फर्क... समाज..."
बातें गहरी होने लगीं – सुनीता ने अपना डिवोर्स बताया, अकेलेपन के दिन। आर्यन ने अपनी स्ट्रगल शेयर की। समय बीतता रहा, शाम ढल गई। सुनीता करीब आई: "आर्यन... क्या तुम फिर से... प्यार करोगे?" आर्यन ने हां में सिर हिलाया। दोनों बेडरूम में गए। सुनीता की साड़ी उतारी – बदन अभी भी आकर्षक, ब्रेस्ट बड़े, कमर पतली। आर्यन ने किस किया – गर्दन पर, ब्रेस्ट पर। सुनीता सिसकारी: "ओह आर्यन... हां..." आर्यन ने चूत चाटी – धीरे, प्यार से। सुनीता झड़ी। फिर लंड अंदर – धक्के लगे, रोमांटिक। "आह... आर्यन... तुम्हारा प्यार..." रात फिर प्यार से भरी। लेकिन सुबह काव्या का कॉल आया: "आर्यन, नया प्लान। मिलो।" आर्यन का फैसला मुश्किल हो गया।गिगोलो की गुप्त दुनिया: 10 इंच का रहस्य

आर्यन का मन सुनीता की यादों में इतना डूब चुका था कि काव्या का मैसेज देखकर भी उसका दिल नहीं माना। वो घर में अकेला बैठा था, कमरे की दीवारों को घूर रहा था, जहां पिछले दिनों की यादें जैसे छपी हुई थीं – सुनीता की वो मुस्कान, वो प्यार भरी आंखें, वो रातें जो भावनाओं से भरी थीं। बाहर शाम ढल रही थी, दिल्ली की गलियों से ट्रैफिक की आवाज़ें आ रही थीं, लेकिन आर्यन के कानों में सुनीता की सिसकारियां गूंज रही थीं – "आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पूरा कर रहा है..."। वो फोन उठाता, सुनीता का नंबर देखता, लेकिन कॉल नहीं करता। "क्या करूं? काव्या से मिलकर साफ मना कर दूं," वो खुद से बड़बड़ाया। रात हो गई, लेकिन नींद नहीं आई। बिस्तर पर करवटें बदलता रहा, सोचता रहा – काव्या की पावर वाली दुनिया में पैसा है, नेटवर्क है, लेकिन सुनीता... वो सुकून है, वो प्यार है जो सालों बाद मिला। सुबह उठा, चाय बनाई, बालकनी में बैठा। शहर की हलचल देखी – लोग काम पर जा रहे थे, बच्चे कॉलेज, लेकिन आर्यन का मन कहीं और था। ऑफिस जाने का मन नहीं हुआ, छुट्टी ले ली। दिन भर घर में घूमता रहा, पुरानी फोटोज़ देखता, सुनीता की यादों में खोया रहा। शाम को फैसला किया – काव्या से मिलना ही पड़ेगा। तैयार हुआ – सिम्पल शर्ट और जींस पहनी, आईने में खुद को देखा, "आर्यन, मजबूत बनो। सुनीता तेरी है।" मेट्रो पकड़ी, काव्या के विला की तरफ निकला। रास्ते में सोचता रहा – "क्या कहूंगी काव्या? क्या वो मानेगी? या कोई नया जाल बिछाएगी?"
विला पहुंचा तो गेट खुला था, काव्या लिविंग रूम में बैठी थी – एक टाइट ड्रेस में, वाइन का ग्लास हाथ में, आंखों में वो ही पावर वाली चमक। कमरा लग्ज़री से भरा – बड़े सोफे, क्रिस्टल चैंडेलियर, दीवारों पर महंगी पेंटिंग्स। "आओ आर्यन, बैठो। ड्रिंक लोगे?" उसने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन वो मुस्कान में कुछ छुपा था। आर्यन बैठा, लेकिन सीधा मुद्दे पर आया: "काव्या, मैं ये काम छोड़ना चाहता हूं। सुनीता... आंटी से मुझे प्यार हो गया है। वो सच्ची हैं। मैं उनके साथ रहना चाहता हूं।" काव्या ने ग्लास रखा, और जोर से हंस पड़ी – वो हंसी इतनी कड़वी और लंबी थी कि आर्यन का दिल सिहर गया, कमरे में गूंजती रही। "प्यार? मां से? आर्यन, तुम कितने नादान हो। मां किसी से प्यार नहीं करती। वो तो बस... लंड की भूखी औरत है। सालों से अकेली है, लेकिन उसकी भूख कभी नहीं मिटती। अभी भी किसी न किसी से चुद रही होगी। उसे बार-बार लंड चाहिए होता है, नया-नया। पावर उसके लिए बस बहाना है, असल में वो सेक्स की दीवानी है।" आर्यन की आंखें फैल गईं, दिल में दर्द का तीर लगा – "क्या बकवास कर रही हो? सुनीता ऐसी नहीं हैं। वो प्यार करती हैं मुझसे। वो वो रातें... वो भावनाएं... सब सच्ची थीं।" काव्या ने कंधा झटकाया, धीरे से मुस्कुराई, "विश्वास नहीं होता? ठीक है। एक काम करो – मां से कहो कि तुम दो दिन के लिए बाहर जा रहे हो, ऑफिस के काम से। फिर मैं तुम्हें उसकी सच्चाई दिखाती हूं। अगर मैं गलत हूं, तो तुम फ्री हो। लेकिन अगर सही, तो मेरे साथ रहो। सोच लो, आर्यन। पावर चुनो, या इल्यूजन।"
आर्यन चुप रहा, मन में तूफान मचा था। सुनीता की याद आई – उनकी वो नरम आवाज़, वो प्यार भरी आंखें। "नहीं, काव्या। तुम झूठ बोल रही हो।" लेकिन काव्या की आंखों में वो आत्मविश्वास था जो उसे हिला रहा था। "ट्राई करके देख लो। क्या खोना है?" काव्या ने कहा। आर्यन घर लौटा, दिल भारी था। रास्ते में मेट्रो में बैठा, लोगों को देखता रहा – सब अपनी ज़िंदगी में बिज़ी, लेकिन उसकी ज़िंदगी उलझी हुई। घर पहुंचा, फोन उठाया, सुनीता को कॉल किया। रिंग जाती रही, फिर सुनीता की आवाज़ आई – "आर्यन, मेरे प्यारे... कैसा है?" वो आवाज़ इतनी मीठी थी कि आर्यन का दिल पिघलने लगा। "आंटी, ठीक हूं। लेकिन... एक बात है। ऑफिस का काम है। दो दिन के लिए बाहर जाना है। कल सुबह निकल रहा हूं।" सुनीता चुप रही एक पल, फिर बोली: "ओह... ठीक है, बेटा। ध्यान रखना। जल्दी लौटना। आई मिस यू। आई लव यू।" उसकी आवाज़ में दुख था, लेकिन प्यार भी। कॉल कट गया, आर्यन का दिल दुख रहा था। "क्या मैं गलत कर रहा हूं? क्या काव्या सही है?" वो रात भर सो नहीं पाया, बिस्तर पर करवटें बदलता रहा, सुनीता की यादों में खोया रहा।

आर्यन का मन सुनीता की यादों में इतना डूब चुका था कि काव्या का मैसेज देखकर भी उसका दिल नहीं माना। वो घर में अकेला बैठा था, कमरे की दीवारों को घूर रहा था, जहां पिछले दिनों की यादें जैसे छपी हुई थीं – सुनीता की वो मुस्कान, वो प्यार भरी आंखें, वो रातें जो भावनाओं से भरी थीं। बाहर शाम ढल रही थी, दिल्ली की गलियों से ट्रैफिक की आवाज़ें आ रही थीं, लेकिन आर्यन के कानों में सुनीता की सिसकारियां गूंज रही थीं – "आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पूरा कर रहा है..."। वो फोन उठाता, सुनीता का नंबर देखता, लेकिन कॉल नहीं करता। "क्या करूं? काव्या से मिलकर साफ मना कर दूं," वो खुद से बड़बड़ाया। रात हो गई, लेकिन नींद नहीं आई। बिस्तर पर करवटें बदलता रहा, सोचता रहा – काव्या की पावर वाली दुनिया में पैसा है, नेटवर्क है, लेकिन सुनीता... वो सुकून है, वो प्यार है जो सालों बाद मिला। सुबह उठा, चाय बनाई, बालकनी में बैठा। शहर की हलचल देखी – लोग काम पर जा रहे थे, बच्चे कॉलेज, लेकिन आर्यन का मन कहीं और था। ऑफिस जाने का मन नहीं हुआ, छुट्टी ले ली। दिन भर घर में घूमता रहा, पुरानी फोटोज़ देखता, सुनीता की यादों में खोया रहा। शाम को फैसला किया – काव्या से मिलना ही पड़ेगा। तैयार हुआ – सिम्पल शर्ट और जींस पहनी, आईने में खुद को देखा, "आर्यन, मजबूत बनो। सुनीता तेरी है।" मेट्रो पकड़ी, काव्या के विला की तरफ निकला। रास्ते में सोचता रहा – "क्या कहूंगी काव्या? क्या वो मानेगी? या कोई नया जाल बिछाएगी?"
विला पहुंचा तो गेट खुला था, काव्या लिविंग रूम में बैठी थी – एक टाइट ड्रेस में, वाइन का ग्लास हाथ में, आंखों में वो ही पावर वाली चमक। कमरा लग्ज़री से भरा – बड़े सोफे, क्रिस्टल चैंडेलियर, दीवारों पर महंगी पेंटिंग्स। "आओ आर्यन, बैठो। ड्रिंक लोगे?" उसने मुस्कुराते हुए कहा, लेकिन वो मुस्कान में कुछ छुपा था। आर्यन बैठा, लेकिन सीधा मुद्दे पर आया: "काव्या, मैं ये काम छोड़ना चाहता हूं। सुनीता... आंटी से मुझे प्यार हो गया है। वो सच्ची हैं। मैं उनके साथ रहना चाहता हूं।" काव्या ने ग्लास रखा, और जोर से हंस पड़ी – वो हंसी इतनी कड़वी और लंबी थी कि आर्यन का दिल सिहर गया, कमरे में गूंजती रही। "प्यार? मां से? आर्यन, तुम कितने नादान हो। मां किसी से प्यार नहीं करती। वो तो बस... लंड की भूखी औरत है। सालों से अकेली है, लेकिन उसकी भूख कभी नहीं मिटती। अभी भी किसी न किसी से चुद रही होगी। उसे बार-बार लंड चाहिए होता है, नया-नया। पावर उसके लिए बस बहाना है, असल में वो सेक्स की दीवानी है।" आर्यन की आंखें फैल गईं, दिल में दर्द का तीर लगा – "क्या बकवास कर रही हो? सुनीता ऐसी नहीं हैं। वो प्यार करती हैं मुझसे। वो वो रातें... वो भावनाएं... सब सच्ची थीं।" काव्या ने कंधा झटकाया, धीरे से मुस्कुराई, "विश्वास नहीं होता? ठीक है। एक काम करो – मां से कहो कि तुम दो दिन के लिए बाहर जा रहे हो, ऑफिस के काम से। फिर मैं तुम्हें उसकी सच्चाई दिखाती हूं। अगर मैं गलत हूं, तो तुम फ्री हो। लेकिन अगर सही, तो मेरे साथ रहो। सोच लो, आर्यन। पावर चुनो, या इल्यूजन।"
आर्यन चुप रहा, मन में तूफान मचा था। सुनीता की याद आई – उनकी वो नरम आवाज़, वो प्यार भरी आंखें। "नहीं, काव्या। तुम झूठ बोल रही हो।" लेकिन काव्या की आंखों में वो आत्मविश्वास था जो उसे हिला रहा था। "ट्राई करके देख लो। क्या खोना है?" काव्या ने कहा। आर्यन घर लौटा, दिल भारी था। रास्ते में मेट्रो में बैठा, लोगों को देखता रहा – सब अपनी ज़िंदगी में बिज़ी, लेकिन उसकी ज़िंदगी उलझी हुई। घर पहुंचा, फोन उठाया, सुनीता को कॉल किया। रिंग जाती रही, फिर सुनीता की आवाज़ आई – "आर्यन, मेरे प्यारे... कैसा है?" वो आवाज़ इतनी मीठी थी कि आर्यन का दिल पिघलने लगा। "आंटी, ठीक हूं। लेकिन... एक बात है। ऑफिस का काम है। दो दिन के लिए बाहर जाना है। कल सुबह निकल रहा हूं।" सुनीता चुप रही एक पल, फिर बोली: "ओह... ठीक है, बेटा। ध्यान रखना। जल्दी लौटना। आई मिस यू। आई लव यू।" उसकी आवाज़ में दुख था, लेकिन प्यार भी। कॉल कट गया, आर्यन का दिल दुख रहा था। "क्या मैं गलत कर रहा हूं? क्या काव्या सही है?" वो रात भर सो नहीं पाया, बिस्तर पर करवटें बदलता रहा, सुनीता की यादों में खोया रहा आर्यन की रातें अब उलझनों से भरी होतीं। सुबह उठा तो आंखें लाल थीं, नींद नहीं आई थी। चाय बनाई, लेकिन स्वाद नहीं लगा। बालकनी में बैठा, शहर को देखता रहा – सूरज चढ़ रहा था, लोग अपनी रूटीन में लगे थे, लेकिन आर्यन का मन काव्या की बातों में अटका था। "क्या सुनीता ऐसी हैं? या काव्या मुझे फंसा रही है?" वो खुद से सवाल करता रहा। ऑफिस जाने का मन नहीं हुआ, लेकिन निकल पड़ा – मेट्रो में बैठा, लोगों की भीड़ देखी, लेकिन मन अकेला लगा। ऑफिस में काम किया, लेकिन गलतियां हुईं। बॉस ने डांटा: "आर्यन, क्या हो गया है? फोकस करो।" आर्यन ने सॉरी कहा, लेकिन दिमाग कहीं और था। लंच ब्रेक में बाहर निकला, पार्क में बैठा, सैंडविच खाया, लेकिन कुछ स्वाद नहीं आया। फोन चेक किया – सुनीता का मैसेज: "आर्यन, सफर कैसा है? ध्यान रखना।" दिल दुखा, लेकिन रिप्लाई किया: "ठीक हूं, आंटी। मिस यू।" दिन बीतता गया, शाम हुई, घर लौटा। कुछ नहीं हुआ। "काव्या झूठ बोल रही है," आर्यन ने सोचा। मन किया सुनीता को कॉल करे, उनकी आवाज़ सुनकर शांत हो जाए। फोन उठाया, नंबर डायल करने ही वाला था कि काव्या का कॉल आ गया: "आर्यन, अब आ जाओ। मां की सच्चाई देखो। पीछे वाले रास्ते से।" आर्यन का दिल धड़क उठा। "क्या? इतनी जल्दी?" वो घबरा गया, लेकिन उत्सुकता भी थी। जaldi तैयार हुआ – डार्क कपड़े पहने, ताकि किसी को शक न हो। मेट्रो पकड़ी, रास्ते में सोचता रहा – "क्या देखूंगा? क्या सुनीता... नहीं, वो ऐसी नहीं हैं।" विला पहुंचा, पीछे वाला गेट खुला था, काव्या इंतज़ार कर रही थी – चुपचाप, मुस्कुराती हुई। "जाओ, उस कमरे में झांककर देखो," उसने फुसफुसाया, जैसे कोई राज़ खोल रही हो। आर्यन धीरे से गया, दिल जोरों से धड़क रहा था, सांसें रुक सी गईं। कमरे की खिड़की से झांका – और उसकी दुनिया हिल गई।
सुनीता बेड पर थीं, एक हट्टा-कट्टा काला बॉडीबिल्डर लड़का उनके 
आर्यन की आंखें खिड़की से चिपकी हुई थीं, लेकिन उसका दिल जैसे रुक सा गया था। कमरे में जो दृश्य चल रहा था, वो उसके लिए एक भयानक सपना जैसा था – सुनीता बेड पर लेटी थीं, उनकी आंखें बंद, चेहरा लाल, सांसें तेज़, और वो हट्टा-कट्टा काला बॉडीबिल्डर लड़का, राजा, उनके ऊपर। दोनों के बदन पसीने से चमक रहे थे, कमरा उनकी सिसकारियों से भरा हुआ था। आर्यन की सांसें रुक सी गईं, हाथ कांप रहे थे, लेकिन वो हिल नहीं पा रहा था – जैसे कोई पत्थर बन गया हो। "ये... नहीं हो सकता... सुनीता... मेरा प्यार..." वो मन ही मन बड़बड़ाया, लेकिन आंखें हट नहीं रही थीं। राजा सुनीता के ब्रेस्ट चूस रहा था – धीरे-धीरे, प्यार से, जीभ से निप्पल्स पर सर्कल बनाते हुए, हल्का काटते हुए। सुनीता की कमर उछल रही थी, सिसकारी भरी: "ओह राजा... हां... ऐसे ही चूसो... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म, इतना प्यारा... आह... सालों बाद इतना सुख..." उनकी आंखें बंद, चेहरा भावनाओं से भरा – प्यार के आंसू आंखों के कोनों में, जैसे वो हर स्पर्श में खोई हुई हों। राजा नीचे सरका, जांघों पर किस किया, धीरे से सहलाया, फिर चूत पर मुंह रखा – जीभ फेरी, क्लिट पर सर्कल, गहरा चूसा। सुनीता तड़पी, पैर फैलाए: "आह... राजा... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... मुझे स्वर्ग दिखा रही है... हां... और... चाटो... प्यार से..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही, जैसे हर चाट में एक नई लहर उठ रही हो – प्यार की, सुख की, भावनाओं की। राजा ने उंगली डाली – एक, फिर दो, चूसते हुए रगड़ा, स्पीड बढ़ाई लेकिन प्यार से। सुनीता की सांसें फूल रही थीं, "ओह... राजा... तुम्हारा प्यार... मुझे पागल कर रहा है... मैं... झड़ रही हूं... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, आंखें नम – खुशी के आंसू बहने लगे, "राजा... तुमने मुझे पूरा कर दिया..."
राजा ऊपर आया, सुनीता को गले लगाया, उनके आंसू पोछे, "सुनीता... तुम्हारी खुशी... मेरी ज़िंदगी है..." सुनीता ने राजा को किस किया, "अब तुम... मुझे तुम्हारा महसूस करना है..." उन्होंने राजा के लंड को सहलाया – मोटा, सख्त, गर्म। मुंह में लिया – धीरे से, प्यार से, जीभ से लपेटा, गला तक। राजा की सिसकारी: "सुनीता... तुम्हारा मुंह... स्वर्ग है... इतना नरम, इतना गहरा..." सुनीता ने चूसा – धीरे-धीरे, आंखें मिलाकर, जैसे हर मोमेंट में भावनाएं डाल रही हों। राजा के हाथ उनके बालों में, "सुनीता... तुम्हारा प्यार... मुझे जीवित कर रहा है..." सुनीता ने रुककर कहा, "राजा... अब अंदर... मुझे तुम्हारा पूरा चाहिए..." राजा ने कंडोम लगाया, सुनीता नीचे लेटीं, पैर फैलाए। राजा अंदर गया – धीरे, गहरा, हर इंच में प्यार। सुनीता चिल्लाई: "आह... राजा... तुम्हारा लंड... मुझे भर रहा है... दर्द मीठा... प्यार गहरा... हां..." धक्के लगे – स्लो, इंटेंस, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर, सांसें मिलाकर। सुनीता की सिसकारियां: "ओह... चोदो मुझे... राजा... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... आह... और तेज़..." ब्रेस्ट उछल रहे, भावनाएं पीक पर – प्यार के आंसू, सुख की लहरें। स्पीड बढ़ी, लेकिन रोमांटिक – सुनीता झड़ी, "राजा... मैं तुम्हारी हूं... हमेशा..." राजा भी झड़ा, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं, जैसे आत्माएं एक हो गई हों। फिर गांड की बारी – सुनीता शर्मा रही थीं, लेकिन प्यार से हां की। लुब्रिकेंट लगाया, राजा ने धीरे अंदर डाला। सुनीता: "आह... दर्द... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, इंटेंस, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें: "सुनीता... तुम मेरी हो... हर दर्द मैं मिटा दूंगा..." सुनीता: "ओह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... राजा... तुम्हारा लंड... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख। दृश्य लंबा चला – कई बार, हर मोमेंट में रोमांस, इंटेंसनेस, भावनाएं। आर्यन का दिल टूट गया, आंखें नम हो गईं। वो पीछे हटा, काव्या की तरफ देखा – "ये... कैसे?" काव्या मुस्कुराई: "देखा? अब विश्वास हुआ? पावर चुनो, आर्यन।"
आर्यन घर लौटा, रोता रहा। "सुनीता... क्यों?" लेकिन काव्या का प्लान चल रहा था।
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#9
Fucking awesome
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#10
(13-09-2025, 05:27 PM)Yash121 Wrote: Fucking awesome
Thank you brother
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#11
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मेरे गिगोलो बनने की कहानी


आर्यन 2.0 का जन्म हो चुका था, और अब वो पुराना आर्यन नहीं रहा था – वो लड़का जो प्यार में डूबता था, धोखे में रोता था। अब उसके दिल में ठंडक थी, आंखों में चालाकी, और मन में सिर्फ पावर का खेल। काव्या उसके साथ थी – मैनेजर, पार्टनर, और फ्रीयूज सेक्स पार्टनर। "आर्यन, नीरा को फंसाओ। धीरे-धीरे, प्यार का जाल बिछाओ। वो अमीर है, पैसा निकालो," काव्या ने कहा, विला में बैठे-बैठे। आर्यन मुस्कुराया – वो मुस्कान अब क्रूर थी। "हां, काव्या। अब खेल शुरू।" पहली मुलाकात फिक्स हुई – एक कैफे में, शाम के समय। आर्यन तैयार हुआ – सफेद शर्ट, ब्लू जींस, हल्का परफ्यूम, चेहरे पर वो आकर्षक मुस्कान जो लड़कियों को मोहित करती थी। कैफे पहुंचा, नीरा इंतज़ार कर रही थी – 40 साल की, लेकिन लगती 30 की – लंबे बाल, गोरी स्किन, टाइट ड्रेस जो उसके कर्व्स को हाइलाइट कर रही थी, आंखों में उदासी लेकिन चाहत। "हाय नीरा, मैं आर्यन," आर्यन ने मुस्कुराते हुए कहा, कुर्सी खींचकर बैठा। नीरा मुस्कुराई: "हाय, तुम्हारी प्रोफाइल देखी। लगे अच्छे। कॉफी?"
बातें शुरू हुईं – पहले तो नॉर्मल, जैसे दिन कैसा बीता, मौसम। आर्यन ने धीरे से गहराई बढ़ाई: "नीरा, तुम्हारी आंखों में एक उदासी है। क्या बात है?" नीरा चुप रही, फिर बोली: "हसबैंड का देहांत हो गया दो साल पहले। बिज़नेस संभाल रही हूं, लेकिन अकेलापन... कंपनी चाहिए।" आर्यन ने हाथ पकड़ा – धीरे से, प्यार से: "मैं समझता हूं। मैं भी अकेला हूं। लेकिन अब मैं हूं न। बताओ, क्या कर सकता हूं?" नीरा की आंखें मिलीं, एक स्पार्क: "तुम अच्छे लगते हो, आर्यन। बात करके अच्छा लगा।" शाम अच्छी बीती – हंसी-मज़ाक, छोटी-छोटी बातें। आर्यन ने नीरा को घर ड्रॉप किया, गाड़ी में हाथ पकड़ा: "नीरा, तुम स्पेशल हो। कल मिलें?" नीरा मुस्कुराई: "हां।" आर्यन घर लौटा, काव्या को कॉल किया: "जाल बिछ गया। अब अगला स्टेप।" काव्या: "गुड। अब प्यार का ड्रामा बढ़ाओ।"
अगले दिन मिले – एक पार्क में, शाम की धूप में। आर्यन फूल लेकर आया: "नीरा, ये तुम्हारे लिए।" नीरा खुश: "थैंक यू, आर्यन।" बातें गहरी हुईं – नीरा ने अपना पास्ट शेयर किया: "हसबैंड अच्छा था, लेकिन अब अकेली हूं।" आर्यन ने सहानुभूति दिखाई: "नीरा, मैं तुम्हारे साथ हूं। तुम्हारी खुशी मेरी खुशी।" हाथ पकड़ा, आंखें मिलीं – एक साइलेंस, फिर हल्का किस। नीरा शर्मा गई, लेकिन खुश।

आर्यन 2.0 अब पूरी तरह तैयार था – उसका दिल ठंडा, मन चालाक, और आंखें शिकारी की तरह। पहली मुलाकात के बाद नीरा का मैसेज आया: "आर्यन, कल की शाम अच्छी लगी। फिर मिलें?" आर्यन मुस्कुराया – वो मुस्कान अब प्यार की नहीं, जाल की थी। काव्या को कॉल किया: "नीरा फंस रही है। अगली डेट फिक्स।" काव्या हंसी: "गुड। अब फ्लर्ट करो, प्यार का ड्रामा बढ़ाओ। उसे स्पेशल फील कराओ, लेकिन याद रखो – पैसा निकालो।" आर्यन ने नीरा को रिप्लाई किया: "नीरा, तुम्हारी याद आ रही है। कल शाम पार्क में? फूल लेकर आऊंगा, जैसे तुम्हारी मुस्कान।" नीरा का तुरंत जवाब: "ओह आर्यन, कितने स्वीट हो। हां, मिलते हैं।" आर्यन ने फूल खरीदे – लाल गुलाब, जो प्यार का प्रतीक थे, लेकिन उसके लिए बस एक हथियार। शाम को तैयार हुआ – कैजुअल शर्ट, जींस, परफ्यूम जो लड़कियों को आकर्षित करता था। पार्क पहुंचा, नीरा इंतज़ार कर रही थी – एक सफेद ड्रेस में, बाल खुले, होंठों पर हल्की लिपस्टिक, आंखों में एक चमक। "आर्यन, तुम आ गए," उसने मुस्कुराते हुए कहा। आर्यन ने फूल दिए: "ये तुम्हारे लिए, नीरा। तुम्हारी खूबसूरती के आगे फीके लग रहे हैं, लेकिन मेरी तरफ से।" नीरा शर्मा गई, फूल सूंघे: "ओह, कितने प्यारे। थैंक यू, आर्यन। तुम्हारी ये बातें... दिल छू लेती हैं।"
दोनों पार्क में घूमने लगे – शाम की धूप हल्की थी, पेड़ों की छांव में हवा चल रही थी, पक्षी चहचहा रहे थे। आर्यन ने हाथ पकड़ा – धीरे से, जैसे प्यार से: "नीरा, तुम्हारी आंखें... इतनी गहरी हैं, जैसे समंदर। क्या छुपा है इनमें?" नीरा रुक गई, आंखें मिलाईं: "आर्यन, तुम्हारी बातें... फ्लर्टी हैं, लेकिन अच्छी लगती हैं। मेरे हसबैंड के जाने के बाद... कोई ऐसा नहीं मिला जो सुनता हो।" आर्यन ने करीब आकर फुसफुसाया: "मैं हूं न, नीरा। तुम्हारी हर बात सुनूंगा, हर दर्द मिटाऊंगा। तुम स्पेशल हो मेरे लिए।" नीरा की सांस तेज़ हुई, "आर्यन... तुम्हारी आवाज़... इतनी सेक्सी है। चलो, बेंच पर बैठें।" दोनों बैठे, हाथ में हाथ। आर्यन ने धीरे से उसकी जांघ पर हाथ फेरा – हल्का, फ्लर्टी: "नीरा, तुम्हारी स्किन... इतनी सॉफ्ट, जैसे रेशम। क्या मैं... छू सकता हूं?" नीरा शर्मा गई, लेकिन रुकी नहीं: "आर्यन... हां... लेकिन धीरे।" आर्यन ने गर्दन पर किस किया – नरम, गर्म, जैसे प्यार से। नीरा की सिसकारी: "ओह... आर्यन... ये... अच्छा लग रहा है।" बातें गहरी हुईं – नीरा ने अपना बिज़नेस बताया, अकेलापन शेयर किया। आर्यन सुनता रहा, बीच-बीच में फ्लर्ट: "नीरा, तुम्हारी मुस्कान... मुझे पागल कर देती है। क्या मैं तुम्हें घर ड्रॉप करूं?" नीरा हां कहा। कार में बैठे, रास्ते में आर्यन ने हाथ उसकी जांघ पर रखा, धीरे सहलाया: "नीरा, तुम्हारी खुशबू... मुझे खींच रही है।" नीरा की सांस तेज़: "आर्यन... तुम्हारी उंगलियां... इतनी जादुई। घर पहुंचकर... कॉफी पियोगे?" आर्यन मुस्कुराया: "हां, अगर तुम कहो।"
नीरा के घर पहुंचे – एक बड़ा अपार्टमेंट, लग्ज़री से भरा। कॉफी बनाई, सोफे पर बैठे। नीरा करीब आई: "आर्यन, तुम अलग हो।" आर्यन ने किस किया – गहरा, प्यार से, हाथ ड्रेस पर फिसलाए। नीरा की सिसकारी: "ओह... आर्यन..." आर्यन का मन ठंडा: "जाल और गहरा।

आर्यन अब पूरी तरह से अपने नए रूप में ढल चुका था – उसका हर कदम सोचा-समझा, हर मुस्कान एक हथियार, और हर शब्द एक जाल का हिस्सा। दूसरी डेट के बाद नीरा का मैसेज आया: "आर्यन, कल की शाम याद आ रही है। तुम्हारी बातें... इतनी फ्लर्टी, इतनी रोमांटिक। फिर मिलें?" आर्यन ने फोन देखकर ठंडी मुस्कान बिखेरी – "फंस रही है। अब जाल और मजबूत करूं।" काव्या को कॉल किया: "नीरा तैयार है। अगली डेट फिक्स – एक रेस्टोरेंट में, शाम को। फ्लर्ट बढ़ाऊंगा, उसे स्पेशल फील कराऊंगा।" काव्या ने हंसते हुए कहा: "परफेक्ट, आर्यन। उसे प्यार का भ्रम दो। उसके बिज़नेस के बारे में पूछो, पैसा निकालने का प्लान बनाओ। और रात को... इंटेंस बनाओ।" आर्यन ने रिप्लाई किया: "नीरा, तुम्हारी मुस्कान मेरे सपनों में आ रही है। कल शाम एक रेस्टोरेंट में? कैंडल लाइट डिनर, सिर्फ हम। मैं तुम्हें स्पेशल फील कराऊंगा।" नीरा का जवाब तुरंत: "ओह आर्यन, तुम कितने रोमांटिक हो। हां, मिलते हैं। एक्साइटेड हूं।"
आर्यन ने तैयारी की – बेस्ट सूट पहना, काला ब्लेज़र, सफेद शर्ट, टाई, परफ्यूम जो औरतों को मोहित करता था। बाल सेट किए, आईने में खुद को देखा: "आर्यन, अब तुम शिकारी हो। नीरा शिकार।" रेस्टोरेंट पहुंचा – एक 5-स्टार प्लेस, डिम लाइट्स, सॉफ्ट म्यूज़िक, टेबल पर कैंडल्स। नीरा आई – एक रेड ड्रेस में, जो उसके कर्व्स को हाइलाइट कर रही थी, बाल वेवी, लिपस्टिक ब्राइट, आंखों में एक चमक जो आर्यन की वजह से थी। "आर्यन, तुम कितने हैंडसम लग रहे हो," उसने कहा, हग किया। आर्यन ने उसे कुर्सी खींचकर बिठाया, "नीरा, तुम्हारी खूबसूरती... आज रात की रौनक है। ये कैंडल्स तुम्हारी आंखों के आगे फीकी लग रही हैं।" नीरा शर्मा गई, "ओह, तुम्हारी ये फ्लर्टी लाइन्स... दिल छू लेती हैं। ऑर्डर करो?" आर्यन ने वाइन ऑर्डर की, ग्लास मिलाया: "नीरा, तुम्हारे लिए टोस्ट – तुम्हारी मुस्कान के लिए, जो मेरी रातें रोशन कर रही है।" नीरा ने ग्लास छुआ, आंखें मिलाईं: "आर्यन, तुम्हारी बातें... इतनी सेक्सी, इतनी रोमांटिक। बताओ, तुम्हारी ज़िंदगी कैसी है?"
बातें शुरू हुईं – आर्यन ने अपना पास्ट शेयर किया, लेकिन झूठ मिलाकर: "नीरा, मैं भी अकेला हूं। लेकिन तुमसे मिलकर लगता है... जीवन में कुछ मिसिंग था। तुम्हारा स्पर्श... वो पहली मुलाकात में हाथ पकड़ना... अभी भी महसूस होता है।" नीरा की सांस तेज़ हुई, "आर्यन, तुम्हारी उंगलियां... मेरी जांघ पर... कल रात सपने में आईं। तुम फ्लर्ट करते हो, लेकिन लगता है सच्चा है। मेरे हसबैंड के बाद... कोई ऐसा नहीं मिला।" आर्यन ने हाथ पकड़ा, उंगलियां इंटरलॉक की: "नीरा, मैं सच्चा हूं। तुम्हें खुश देखना चाहता हूं। तुम्हारा बिज़नेस? बताओ, हेल्प करूं?" नीरा ने बताया – उसकी कंपनी, लाखों का टर्नओवर, लेकिन अकेलापन। आर्यन सुनता रहा, बीच-बीच में फ्लर्ट: "नीरा, तुम्हारी आवाज़... इतनी मधुर, जैसे गाना। क्या मैं तुम्हें घर छोड़ूं, या... रात और लंबी करें?" नीरा शर्मा गई, "आर्यन... घर चलो, लेकिन... कॉफी पियोगे?" आर्यन मुस्कुराया: "हां, अगर तुम्हारे साथ हो।"
डिनर खत्म हुआ, कार में बैठे। रास्ते में आर्यन ने हाथ नीरा की जांघ पर रखा, धीरे सहलाया

आर्यन की आंखों में अब वो ठंडक थी जो किसी को भी मोहित कर सकती थी, लेकिन उसके दिल में सिर्फ जाल बिछाने की योजना। तीसरी डेट के बाद नीरा का मैसेज आया: "आर्यन, कल की रात सपनों में आई। तुम्हारी बातें, तुम्हारा स्पर्श... मुझे और चाहिए। मिलें?" आर्यन ने फोन देखकर एक ठंडी मुस्कान बिखेरी – "फंस चुकी है। अब क्लाइमैक्स।" काव्या को कॉल किया: "नीरा तैयार है। अगली डेट फिक्स – उसके घर, डिनर। फ्लर्ट को पीक पर ले जाऊंगा, सेक्स इंटेंस बनाऊंगा। पैसा निकालने का प्लान शुरू।" काव्या ने हंसते हुए कहा: "परफेक्ट, आर्यन। उसे प्यार का ऐसा भ्रम दो कि वो सब कुछ दे दे। उसके बिज़नेस के बारे में और पूछो, इमोशंस यूज़ करो। रात रोमांटिक रखो, लेकिन इंटेंस – उसे लगे सच्चा प्यार है।" आर्यन ने रिप्लाई किया: "नीरा, तुम्हारी यादें मुझे सोने नहीं दे रही हैं। कल शाम तुम्हारे घर? डिनर बनाऊंगा, कैंडल्स जलाऊंगा, और... तुम्हें स्पेशल फील कराऊंगा।" नीरा का जवाब तुरंत: "ओह आर्यन, तुम कितने रोमांटिक हो। हां, आओ। एक्साइटेड हूं, तुम्हारी आर्म्स में आने को।"
आर्यन ने तैयारी की – groceries खरीदे, इटालियन डिनर का सामान – पास्ता, वाइन, चॉकलेट्स। कपड़े चुने – ब्लैक शर्ट, जो उसके बॉडी को हाइलाइट करे, जींस, परफ्यूम जो औरतों को मदहोश कर दे। आईने में खुद को देखा: "आर्यन, अब तुम शिकारी हो। नीरा शिकार। जाल पूरा करो।" शाम को नीरा के अपार्टमेंट पहुंचा – दरवाज़ा खुला, नीरा सामने – एक ब्लैक ड्रेस में, जो उसके कर्व्स को पूरी तरह हाइलाइट कर रही थी, बाल खुले, लिपस्टिक डार्क रेड, आंखों में चाहत की चमक। "आर्यन, आ गए मेरे राजा," उसने कहा, हग किया, उसके सीने से लगकर। आर्यन ने उसे गोद में उठाया, धीरे से घुमाया: "नीरा, तुम्हारी खुशबू... मुझे पागल कर देती है। आज रात सिर्फ हम, कोई रुकावट नहीं।" नीरा शर्मा गई, "ओह... आर्यन, तुम्हारी आर्म्स... इतनी मजबूत। आओ, किचन में हेल्प करो।" दोनों किचन में गए – आर्यन ने पास्ता बनाना शुरू किया, नीरा सब्जियां काट रही थी। आर्यन करीब आया, पीछे से कमर पकड़ी: "नीरा, तुम्हारी कमर... इतनी पतली, लेकिन इतनी सेक्सी। क्या मैं सहला सकता हूं?" नीरा की सांस तेज़: "हां... आर्यन... तुम्हारी उंगलियां... गर्मी बढ़ा रही हैं।" आर्यन ने गर्दन पर किस किया, धीरे से कान में फुसफुसाया: "नीरा, तुम मेरी हो। तुम्हारी हर सांस मेरी है।" नीरा मुड़ी, किस किया – गहरा, जीभ मिलाकर। "आर्यन... तुम्हारी बातें... फ्लर्टी हैं, लेकिन दिल छू लेती हैं। डिनर बाद में, पहले... मुझे प्यार करो।"
आर्यन ने उसे गोद में उठाया, बेडरूम की तरफ ले गया – कमरा डिम लाइट्स से भरा, बेड पर सॉफ्ट शीट्स, हवा में परफ्यूम की महक। नीरा को बेड पर लिटाया, धीरे से ड्रेस उतारी – नीरा का बदन – गोरा, कर्वी, ब्रेस्ट बड़े और सॉफ्ट, निप्पल्स पिंक और हार्ड, कमर पतली, हिप्स गोल, चूत शेव्ड और हल्की गीली। आर्यन ने देखा, फुसफुसाया: "नीरा... तुम्हारा बदन... जैसे कोई स्कल्प्चर हो। इतना परफेक्ट, इतना आकर्षक। मैं तुम्हें पूजना चाहता हूं।" नीरा की आंखें बंद: "आर्यन... तुम्हारी आंखें... मुझे गर्म कर रही हैं। छुओ मुझे... प्यार से..." आर्यन ने शुरू किया – पहले होंठों पर किस, धीरे-धीरे गहरा, जीभ मिलाकर, सांसें एक। नीरा की सिसकारी: "ओह... आर्यन... तुम्हारे होंठ... इतने नरम, इतने गर्म... और..." आर्यन गर्दन पर सरका, किस किया, चाटा, हल्का काटा। नीरा की कमर उछली: "आह... वहां... हां... तुम्हारा मुंह... मुझे पागल कर रहा है..." आर्यन ब्रेस्ट पर आया – एक ब्रेस्ट हाथ में लिया, मसला, निप्पल पर जीभ फेरी, सर्कल बनाया, चूसा धीरे-धीरे। नीरा की सांस तेज़: "ओह... आर्यन... चूसो... मेरे निप्पल्स... इतने हार्ड हो गए... तुम्हारे लिए... आह..." आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, काटा हल्का, हाथ से मसला – नीरा की बॉडी कांप रही थी, "आर्यन... तुम्हारा स्पर्श... इतना रोमांटिक, इतना इंटेंस... मुझे लगता है... तुम्हारा प्यार सच्चा है..." आर्यन का मन ठंडा: "हां, नीरा... मेरा प्यार सिर्फ तुम्हारे लिए," लेकिन अंदर जाल बिछ रहा था।
आर्यन नीचे सरका, जांघों पर किस किया – अंदर की तरफ, धीरे सहलाया, नीरा की सांसें फूल रही थीं: "आर्यन... वहां... प्लीज़... तुम्हारी जीभ..." आर्यन ने चूत पर मुंह रखा – पहले रगड़ा, फिर जीभ फेरी – क्लिट पर सर्कल, ऊपर-नीचे, धीरे स्पीड बढ़ाई। नीरा तड़पी, पैर फैलाए: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... सालों की प्यास... बुझा दो... हां... और... चाटो... प्यार से..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही, जूस बहने लगा, जैसे हर चाट में एक नई लहर उठ रही हो – प्यार की, सुख की, भावनाओं की। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से क्लिट रगड़ा – धीरे-धीरे, लेकिन इंटेंस। नीरा की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं: "ओह... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पागल कर रहा है... मैं... झड़ रही हूं... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, आंखें नम – खुशी के आंसू बहने लगे: "आर्यन... तुमने मुझे स्वर्ग दिखा दिया... तुम्हारा स्पर्श... इतना गहरा..." आर्यन ऊपर आया, उन्हें गले लगाया, आंसू पोछे: "नीरा... तुम्हारी खुशी... मेरी खुशी है... मैं तुम्हारा हूं, हमेशा..."
नीरा ने आर्यन को लिटाया, उसकी शर्ट उतारी, चेस्ट पर किस किया – निप्पल्स चूसे, धीरे सहलाया: "आर्यन... तुम्हारा बदन... इतना मजबूत, इतना आकर्षक... मुझे छुओ..." नीरा ने पैंट उतारी, लंड बाहर – 10 इंच, मोटा, सख्त, नसें फूली हुईं। नीरा की आंखें चमकीं: "ओह... इतना बड़ा? लेकिन... मैं ट्रस्ट करती हूं... तुम्हारा है..." उन्होंने हाथ से पकड़ा, सहलाया – ऊपर-नीचे, टिप पर जीभ फेरी, मुंह में लिया – धीरे से, प्यार से, गला तक। आर्यन की सिसकारी: "नीरा... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म, इतना नरम... मुझे स्वर्ग लग रहा है... हां..." नीरा ने चूसा – धीरे-धीरे, आंखें मिलाकर, जैसे हर मोमेंट में प्यार डाल रही हों: "आर्यन... तुम्हारा लंड... इतना ताकतवर... मुझे चाहिए..." आर्यन ने उन्हें रोका, कंडोम लगाया। नीरा बेड पर लेटी, पैर फैलाए। आर्यन ऊपर आया, लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ, धीरे सहलाया। नीरा तड़पी: "डालो न... आर्यन... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे पूरा चाहिए... प्यार से..." आर्यन ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा, नीरा की आंखें बंद: "आह... इतना बड़ा... भर रहा है मुझे... दर्द भी, सुख भी... धीरे... लेकिन गहरा..." आर्यन ने पूरा अंदर किया, नीरा चिल्लाई: "ओह आर्यन... तुम्हारा 10 इंच... मेरी चूत में... परफेक्ट है... चोदो मुझे..."
धक्के शुरू हुए – धीरे-धीरे, लेकिन रोमांटिक, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर, सांसें मिलाकर। नीरा की सिसकारियां: "हां... चोदो... आर्यन... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... आह... और तेज़..." ब्रेस्ट उछल रहे, भावनाएं पीक पर – प्यार के आंसू, सुख की लहरें। स्पीड बढ़ी, लेकिन प्यार से – नीरा झड़ी, "आर्यन... मैं तुम्हारी हूं... हमेशा..." आर्यन भी झड़ा, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं, जैसे आत्माएं एक हो गई हों। फिर गांड की बारी – नीरा शर्मा रही थी, लेकिन प्यार से हां की। लुब्रिकेंट लगाया, आर्यन ने धीरे अंदर डाला। नीरा: "आह... दर्द... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, इंटेंस, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें: "नीरा... तुम मेरी हो... हर दर्द मैं मिटा दूंगा..." नीरा: "ओह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... आर्यन... तुम्हारा लंड... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख। रात लंबी हुई – कई बार, हर मोमेंट में रोमांस, इंटेंसनेस, भावनाएं

 हर मुस्कान एक चाल, हर स्पर्श एक हथियार, और हर शब्द नीरा के दिल में और गहरा घुसने का माध्यम। चौथी डेट के बाद नीरा पूरी तरह फंस चुकी थी – उसके मैसेजेस अब दिन-रात आते: "आर्यन, तुम्हारी याद में सो नहीं पाती। तुम्हारा स्पर्श... मुझे गर्म कर देता है। मिलें?" आर्यन ने फोन देखकर काव्या को कॉल किया: "नीरा तैयार है। अगली डेट उसके घर, रात भर। वीडियो बनाऊंगा – सेक्स का। फिर ब्लैकमेल। तुम हैंडल करोगी, उसे पता नहीं चलेगा कि मैं हूं।" काव्या हंसी: "परफेक्ट। वीडियो हिडन कैमरा से लो, क्लियर हो। पैसा निकालने का प्लान रेडी। लेकिन पहले एक-दो दिन नॉर्मल रखो, उसे और प्यार का भ्रम दो।" आर्यन ने नीरा को रिप्लाई किया: "नीरा, तुम्हारी आवाज़ मेरे सपनों में गूंजती है। कल शाम तुम्हारे घर? मैं डिनर लाऊंगा, कैंडल्स जलाऊंगा, और... तुम्हें रात भर प्यार करूंगा।" नीरा का जवाब: "ओह आर्यन, तुम कितने रोमांटिक हो। हां, आओ। इंतज़ार नहीं होता।"
आर्यन ने अगले दिन नीरा को मैसेज किया – छोटे-छोटे फ्लर्टी मैसेज: "नीरा, तुम्हारी मुस्कान याद आ रही है। क्या मैं तुम्हें किस कर सकता हूं... सपनों में?" नीरा: "आर्यन, तुम्हारी बातें... मुझे गीला कर देती हैं। शाम जल्दी आओ।" दिन बीता, आर्यन ने काव्या से मिलकर प्लान फाइनल किया – हिडन कैमरा, जो सेक्स रिकॉर्ड करेगा। शाम को तैयार हुआ – ब्लैक शर्ट, जो उसके बॉडी को हाइलाइट करे, जींस, परफ्यूम, और बैग में कैमरा। डिनर का सामान लिया – इटालियन पास्ता, वाइन, चॉकलेट्स, कैंडल्स। नीरा के अपार्टमेंट पहुंचा – दरवाज़ा खुला, नीरा सामने – एक सिल्क नाइटगाउन में, जो उसके बदन को हल्का पारदर्शी बनाए हुए था, बाल खुले, लिपस्टिक रेड, आंखों में चाहत की आग। "आर्यन, आ गए मेरे राजा," उसने कहा, हग किया, उसके सीने से लगकर, उसकी खुशबू सूंघकर। आर्यन ने उसे गोद में उठाया, धीरे से घुमाया: "नीरा, तुम्हारी खुशबू... मुझे मदहोश कर देती है। आज रात सिर्फ हम, कोई रुकावट नहीं। मैं तुम्हें प्यार का ऐसा तोहफा दूंगा... जो कभी नहीं भूलोगी।" नीरा शर्मा गई, "ओह... आर्यन, तुम्हारी आर्म्स... इतनी मजबूत। आओ, किचन में डिनर सेट करें।"
दोनों किचन में गए – आर्यन ने पास्ता बनाना शुरू किया, नीरा ने वाइन सर्व की। आर्यन करीब आया, पीछे से कमर पकड़ी: "नीरा, तुम्हारी कमर... इतनी पतली, लेकिन इतनी सेक्सी। क्या मैं सहला सकता हूं?" नीरा की सांस तेज़: "हां... आर्यन... तुम्हारी उंगलियां... गर्मी बढ़ा रही हैं।" आर्यन ने गर्दन पर किस किया, धीरे से कान में फुसफुसाया: "नीरा, तुम मेरी हो। तुम्हारी हर सांस मेरी है। क्या मैं तुम्हें यहां किस कर सकता हूं?" नीरा मुड़ी, किस किया – गहरा, जीभ मिलाकर: "आर्यन... तुम्हारी बातें... मुझे गीला कर देती हैं। डिनर बाद में, पहले... मुझे प्यार करो।" आर्यन ने उसे गोद में उठाया, बेडरूम की तरफ ले गया – कमरा डिम लाइट्स से भरा, बेड पर सॉफ्ट शीट्स, हवा में परफ्यूम की महक। पहले धीरे से कैमरा सेट किया – हिडन, बेड के पास, ताकि सब रिकॉर्ड हो। नीरा को बेड पर लिटाया, धीरे से नाइटगाउन उतारा – नीरा का बदन – गोरा, कर्वी, ब्रेस्ट बड़े और सॉफ्ट, निप्पल्स पिंक और हार्ड, कमर पतली, हिप्स गोल, चूत शेव्ड और गीली। आर्यन ने देखा, फुसफुसाया: "नीरा... तुम्हारा बदन... जैसे कोई सपना हो। इतना परफेक्ट, इतना आकर्षक। मैं तुम्हें पूजना चाहता हूं, हर इंच को प्यार करना चाहता हूं।" नीरा की आंखें बंद: "आर्यन... तुम्हारी आंखें... मुझे गर्म कर रही हैं। छुओ मुझे... प्यार से, धीरे-धीरे..."
आर्यन ने शुरू किया – पहले होंठों पर किस, नरम, धीरे-धीरे गहरा, जीभ मिलाकर, सांसें एक। नीरा की सिसकारी: "ओह... आर्यन... तुम्हारे होंठ... इतने नरम, इतने गर्म... जैसे प्यार की आग..." आर्यन गर्दन पर सरका, किस किया, चाटा, हल्का काटा – नीरा की कमर उछली: "आह... वहां... हां... तुम्हारा मुंह... मुझे पागल कर रहा है... सालों बाद इतना सुख..." भावनाएं उमड़ रही थीं – नीरा के आंसू आंखों के कोनों में, खुशी के। आर्यन ब्रेस्ट पर आया – एक ब्रेस्ट हाथ में लिया, मसला, निप्पल पर जीभ फेरी, सर्कल बनाया, चूसा धीरे-धीरे। नीरा की सांस तेज़: "ओह... आर्यन... चूसो... मेरे निप्पल्स... इतने हार्ड हो गए... तुम्हारे लिए... आह... और..." आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, काटा हल्का, हाथ से मसला – नीरा की बॉडी कांप रही थी, "आर्यन... तुम्हारा स्पर्श... इतना रोमांटिक, इतना इंटेंस... मुझे लगता है... तुम्हारा प्यार सच्चा है..." आर्यन ने फुसफुसाया: "हां, नीरा... मेरा प्यार सिर्फ तुम्हारे लिए है। तुम्हारी हर सांस, हर सिसकारी... मुझे और प्यार करने को उकसा रही है।" नीरा की आंखें नम: "आर्यन... तुम्हारे शब्द... दिल छू लेते हैं। नीचे जाओ... मुझे और प्यार दो..."
आर्यन नीचे सरका, जांघों पर किस किया – अंदर की तरफ, धीरे सहलाया, नीरा की सांसें फूल रही थीं: "आर्यन... वहां... प्लीज़... तुम्हारी जीभ... मुझे चाहिए..." आर्यन ने चूत पर मुंह रखा – पहले रगड़ा, फिर जीभ फेरी – क्लिट पर सर्कल, ऊपर-नीचे, धीरे स्पीड बढ़ाई। नीरा तड़पी, पैर फैलाए: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... सालों की प्यास... बुझा दो... हां... और... चाटो... प्यार से..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही, जूस बहने लगा, जैसे हर चाट में एक नई लहर उठ रही हो – प्यार की, सुख की, भावनाओं की। आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से क्लिट रगड़ा – धीरे-धीरे, लेकिन इंटेंस। नीरा की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं: "ओह... आर्यन... तुम्हारा प्यार... मुझे पागल कर रहा है... मैं... झड़ रही हूं... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, आंखें नम – खुशी के आंसू बहने लगे: "आर्यन... तुमने मुझे स्वर्ग दिखा दिया... तुम्हारा स्पर्श... इतना गहरा..." आर्यन ऊपर आया, उन्हें गले लगाया, आंसू पोछे: "नीरा... तुम्हारी खुशी... मेरी खुशी है... मैं तुम्हारा हूं, हमेशा..."
नीरा ने आर्यन को लिटाया, उसकी शर्ट उतारी, चेस्ट पर किस किया – निप्पल्स चूसे, धीरे सहलाया: "आर्यन... तुम्हारा बदन... इतना मजबूत, इतना आकर्षक... मुझे छुओ..." नीरा ने पैंट उतारी, लंड बाहर – 10 इंच, मोटा, सख्त, नसें फूली हुईं। नीरा की आंखें चमकीं: "ओह... इतना बड़ा? लेकिन... मैं ट्रस्ट करती हूं... तुम्हारा है..." उन्होंने हाथ से पकड़ा, सहलाया – ऊपर-नीचे, टिप पर जीभ फेरी, मुंह में लिया – धीरे से, प्यार से, गला तक। आर्यन की सिसकारी: "नीरा... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म, इतना नरम... मुझे स्वर्ग लग रहा है... हां..." नीरा ने चूसा – धीरे-धीरे, आंखें मिलाकर, जैसे हर मोमेंट में प्यार डाल रही हों: "आर्यन... तुम्हारा लंड... इतना ताकतवर... मुझे चाहिए..." आर्यन ने उन्हें रोका, कंडोम लगाया। नीरा बेड पर लेटी, पैर फैलाए। आर्यन ऊपर आया, लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ, धीरे सहलाया। नीरा तड़पी: "डालो न... आर्यन... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे पूरा चाहिए... प्यार से..." आर्यन ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा, नीरा की आंखें बंद: "आह... इतना बड़ा... भर रहा है मुझे... दर्द भी, सुख भी... धीरे... लेकिन गहरा..." आर्यन ने पूरा अंदर किया, नीरा चिल्लाई: "ओह आर्यन... तुम्हारा 10 इंच... मेरी चूत में... परफेक्ट है... चोदो मुझे..."
धक्के शुरू हुए – धीरे-धीरे, लेकिन रोमांटिक, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर, सांसें मिलाकर। नीरा की सिसकारियां: "हां... चोदो... आर्यन... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... आह... और तेज़..." ब्रेस्ट उछल रहे, भावनाएं पीक पर – प्यार के आंसू, सुख की लहरें। स्पीड बढ़ी, लेकिन प्यार से – नीरा झड़ी, "आर्यन... मैं तुम्हारी हूं... हमेशा..." आर्यन भी झड़ा, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं, जैसे आत्माएं एक हो गई हों। फिर गांड की बारी – नीरा शर्मा रही थी, लेकिन प्यार से हां की। लुब्रिकेंट लगाया, आर्यन ने धीरे अंदर डाला। नीरा: "आह... दर्द... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, इंटेंस, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें: "नीरा... तुम मेरी हो... हर दर्द मैं मिटा दूंगा..." नीरा: "ओह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... आर्यन... तुम्हारा लंड... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख। रात लंबी हुई – कई बार, हर मोमेंट में रोमांस, इंटेंसनेस, भावनाएं। कैमरा सब रिकॉर्ड कर रहा था। सुबह नीरा खुश: "आर्यन, तुम मेरे हो।" आर्यन मुस्कुराया: "हां, नीरा।"

आर्यन अब अपने प्लान में पूरी तरह डूब चुका था – नीरा फंस चुकी थी, उसका प्यार का भ्रम पीक पर था, और अब समय था जाल को बंद करने का। काव्या के साथ मिलकर फैसला किया – आर्यन जानबूझकर खुद को एक दूसरी लड़की के साथ पकड़वाएगा, ताकि नीरा का दिल टूटे और रिश्ता खत्म हो। "नीरा को गुस्सा आएगा, लेकिन पैसा हमारा," काव्या ने कहा। आर्यन ने एक फेक लड़की – एक क्लाइंट जैसी, नाम रिया – को कॉल किया, जिसे काव्या ने अरेंज किया था। "रिया, आज शाम नीरा के घर। हार्डकोर सेक्स, लेकिन नीरा आएगी, पकड़ लेगी।" रिया हंसी: "ओके, बॉस। मजा आएगा।" आर्यन नीरा को मैसेज किया: "नीरा, आज शाम मिलें? तुम्हारे घर, सरप्राइज़।" नीरा: "हां, आर्यन। इंतज़ार है।" लेकिन आर्यन ने जानबूझकर अपना फोन नीरा के घर छोड़ दिया, एक फेक मैसेज ओपन – "रिया, आज शाम मिलते हैं, हार्ड सेक्स।" नीरा ने देखा, गुस्सा किया, लेकिन चुप रही। आर्यन रिया के साथ नीरा के घर पहुंचा – नीरा बाहर गई थी, लेकिन जल्दी लौटने वाली थी।
कमरा सेट किया – कैंडल्स, म्यूज़िक, लेकिन ये प्यार नहीं, खेल था। रिया – 28 साल की, हॉट, शॉर्ट ड्रेस, बड़े ब्रेस्ट, गोल हिप्स – करीब आई: "आर्यन, शुरू करें?" आर्यन ने किस किया – हार्ड, डोमिनेंट, ड्रेस फाड़ी। रिया की सिसकारी: "ओह... आर्यन... इतना रफ... हां..." आर्यन ने ब्रा उतारी, ब्रेस्ट चूसे – काटा, मसला। रिया: "आह... काटो... हार्ड... मुझे पसंद है..." आर्यन नीचे गया, पैंटी फाड़ी, चूत चाटी – तेज़, उंगली डाली। रिया तड़पी: "ओह फक... तेरी जीभ... फाड़ दे... हां..." आर्यन ने लंड बाहर किया, रिया मुंह में ली – गला तक, चूसा। "बड़ा है... चोदो मुझे..." आर्यन ने बेड पर पटका, अंदर डाला – हार्ड धक्के। रिया चिल्लाई: "बहनचोद... फाड़ दे मेरी चूत... तेज़..." कमरा सिसकारियों से भरा – थप-थप की आवाज़, पसीना, हार्ड सेक्स। तभी दरवाज़ा खुला – नीरा अंदर, आंखें फैलीं: "आर्यन... ये क्या?"
नीरा का चेहरा गुस्से से लाल, आंसू बहने लगे। "धोखेबाज़... हरामी... तुमने मुझे इस्तेमाल किया? वो प्यार, वो बातें... सब झूठ?" वो चिल्लाई, आर्यन की तरफ बढ़ी, थप्पड़ मारा – जोर का, गाल लाल। "बहनचोद, निकल बाहर। मैंने तुम पर भरोसा किया, और तुम... इस रंडी के साथ?" रिया हंस पड़ी, लेकिन नीरा ने उसे भी गाली दी: "चुप रह हरामी, तू भी निकल।" आर्यन चुप रहा, निकल गया। नीरा रोती रही, चैप्टर खत्म। काव्या ने वीडियो से ब्लैकमेल किया, पैसा निकाला। नीरा का अंत, आर्यन अगले शिकार की तरफ।
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#12
(13-09-2025, 05:27 PM)Yash121 Wrote: Fucking awesome
Bhai upar Jake story ko rating de diya kr please push milta hai thoda story ko
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#13
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गिगोलो का मोटा लंड: आंटीयों और जवान लड़कियों की गांड मार चुदाई कहानी
“नया नाम”

आर्यन 2.0 की पहली जीत – नीरा से लाखों का पैसा – अब उसके बैंक में था, लेकिन उसके दिल में कोई खुशी नहीं, सिर्फ एक ठंडी संतुष्टि। काव्या ने कॉल किया: "आर्यन, हमारी पहली जीत। जश्न मनाएं। आज शाम क्लब में। मैंने तुम्हारे लिए स्पेशल अरेंजमेंट किया – 4 लड़कियां, बहोत हॉट, बहोत वाइल्ड। रात भर एन्जॉय करो। पावर का मजा लो।" आर्यन मुस्कुराया – वो मुस्कान अब क्रूर थी: "हां, काव्या। आज रात जानवर बनूंगा।" शाम को तैयार हुआ – ब्लैक शर्ट, जींस, परफ्यूम, जैसे कोई किंग। काव्या पिक करने आई – एक लग्ज़री कार में, खुद ड्राइव कर रही थी, टाइट ड्रेस में, आंखों में शरारत। "आर्यन, तैयार हो? वो लड़कियां... तुम्हें पागल कर देंगी।" क्लब पहुंचे – दिल्ली का टॉप क्लब, लाइट्स चमचमाती, म्यूज़िक तेज़, लोग डांस कर रहे। काव्या ने VIP रूम बुक किया – प्राइवेट, बार, सोफे, और वो 4 लड़कियां इंतज़ार कर रही थीं। पहली – सोनिया, 25 साल, गोरी, बड़े ब्रेस्ट, शॉर्ट स्कर्ट। दूसरी – प्रिया, 24 साल, डस्की, गोल हिप्स, टाइट टॉप। तीसरी – मीरा, 26 साल, लंबी, सेक्सी लेग्स, रेड ड्रेस। चौथी – रिया, 23 साल, कर्वी, ब्लैक लिंगरी जैसी ड्रेस। सब हॉट, जैसे मॉडल्स। "आर्यन, ये तुम्हारी हैं। रात भर," काव्या ने कहा, शराब सर्व की। आर्यन ने ग्लास उठाया: "चीयर्स, लड़कियों। आज रात... वाइल्ड होगी।"
शराब शुरू हुई – वोडका, व्हिस्की, शॉट्स। आर्यन ने पीना शुरू किया, लड़कियां करीब आईं। सोनिया ने लैप पर बैठी: "आर्यन, तुम्हारा बदन... इतना हॉट। क्या छू सकती हूं?" आर्यन ने हां कहा, सोनिया ने शर्ट के बटन खोले, चेस्ट सहलाया। प्रिया कान में फुसफुसाई: "तेरा लंड... सुना है 10 इंच का। दिखा ना।" मीरा और रिया हंसती हुई करीब – मीरा ने किस किया, रिया ने जांघ सहलाई। शराब का असर होने लगा – आर्यन ने ज्यादा पी, लड़कियां भी। "चलो, शुरू करें," आर्यन ने कहा, सोफे पर लेटा। लड़कियां ऊपर – सोनिया लंड पर बैठी, पैंट खोली, लंड बाहर – 10 इंच, मोटा। "ओह... बहनचोद... इतना बड़ा," सोनिया चिल्लाई, मुंह में लिया – चूसा तेज़, गला तक। प्रिया ब्रेस्ट चूस रही थी, मीरा अंडे चाट रही, रिया किस कर रही। आर्यन ने शराब का ग्लास पीया, "हां... चूसो रंडियों... मेरा लंड... तुम्हारा है..." सेक्स शुरू – सोनिया ऊपर चढ़ी, लंड चूत में लिया: "आह... फाड़ देगा... मदरचोद... लेकिन मजा आ रहा..." धक्के लगे – तेज़, हार्ड। प्रिया मुंह में डाली, मीरा गांड चाटी, रिया ब्रेस्ट मसली। आर्यन ने शराब पी, स्पीड बढ़ाई – सोनिया झड़ी: "बहनचोद... मैं गई..." फिर प्रिया की बारी – डॉगी में, आर्यन ने पीछे से डाला: "तेरी चूत... टाइट है रंडी... चोदूंगा..." प्रिया चिल्लाई: "हां... चोद... मदरचोद... तेज़..." मीरा और रिया साइड से सहला रही। आर्यन ने शराब का शॉट लिया, गांड में डाला – प्रिया: "ओह... फाड़ दे... लेकिन मत रुक..." रात लंबी – बारी-बारी, हर होल – चूत, मुंह, गांड। शराब बह रही, सिसकारियां गूंज रही – "बहनचोद... चोद... रंडी... तेज़..." लड़कियां थक रही थीं, लेकिन आर्यन नहीं रुका।
लेकिन रात अभी आधी थी...
आर्यन की रात अब पूरी तरह वाइल्ड हो चुकी थी – शराब का असर उसके बदन में आग की तरह फैल रहा था, और वो 4 हॉट लड़कियां उसके चारों तरफ घूम रही थीं, जैसे शिकार घेर रही हों। VIP रूम में म्यूज़िक तेज़ हो गया था – बीट्स जो दिल की धड़कन को और तेज़ कर दे, लाइट्स डिम, शराब की बोतलें खुली हुई, और हवा में सेक्स की महक। आर्यन ने एक और शॉट लिया, गला जल रहा था, लेकिन वो रुका नहीं – "लड़कियों, अब असली खेल शुरू। मेरे लंड को पूजो, रंडियों," वो गरजा, सोफे पर लेटा। सोनिया, प्रिया, मीरा, रिया – सब नंगी, उनके बदन पसीने से चमक रहे थे, ब्रेस्ट उछल रहे, चूत गीली, गांड गोल। सोनिया ऊपर चढ़ी, लंड पर बैठी – "बहनचोद... तेरा लंड... मेरी चूत फाड़ रहा... आह..." वो ऊपर-नीचे कूदने लगी, स्पीड तेज़, थप-थप की आवाज़। प्रिया आर्यन के मुंह पर बैठी, चूत दबाई: "चाट रे madarchod... मेरी चूत... तेरी जीभ डाल..." आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा तेज़, उंगली से क्लिट रगड़ा। मीरा अंडे चाट रही थी, रिया ब्रेस्ट मसल रही – "तेरा बदन... इतना हॉट... चोद हमें..." शराब का दौर चलता रहा – आर्यन ने बोतल से सीधा पिया, लड़कियों को पिलाया। "पीओ रंडियों... आज रात थकना नहीं," वो बोला, प्रिया को उठाया, दीवार से सटाया, लंड चूत में घुसेड़ा – "आह... फाड़ दे madarchod... तेरी चूत... इतनी टाइट..." प्रिया चिल्लाई: "हां... चोद... बहनचोद... तेज़... मेरी चूत तेरी है..." धक्के लगे – हार्ड, तेज़, प्रिया की गांड थप-थप से गूंज रही, वो झड़ गई, जूस बहा। आर्यन नहीं रुका, गांड में डाला – "तेरी गांड... टाइट है रंडी... फाड़ूंगा..." प्रिया: "ओह... दर्द... लेकिन मजा... madarchod... और गहरा..."
मीरा की बारी – आर्यन ने उसे बेड पर पटका, पैर कंधों पर रखे, लंड अंदर: "तेरी चूत... गीली है... चोदूंगा..." मीरा: "हां... चोद... madarchod... तेरा 10 इंच... फाड़ दे... आह..." धक्के लगे – तेज़, गहरा, मीरा की ब्रेस्ट उछल रहे, वो सिसकारियां भर रही: "बहनचोद... और तेज़... मुझे रंडी बना दे..." आर्यन ने शराब का शॉट लिया, स्पीड बढ़ाई, गांड में स्विच – मीरा चिल्लाई: "ओह... फाड़ रही... लेकिन मत रुक... madarchod..." वो झड़ी कई बार, बॉडी कांप रही। रिया और सोनिया साइड से – रिया मुंह में ले रही, सोनिया अंडे चाट रही। आर्यन ने सबको घुमाया – गैंगबैंग पीक पर – एक चूत में, एक मुंह में, एक गांड में, हाथ से चौथी को। "रंडियों... मेरे लंड को पूजो... चूसो... चोदो..." शराब बह रही, पसीना बह रहा, सिसकारियां गूंज रही – "बहनचोद... madarchod... चोद... फाड़ दे..." रात लंबी – आर्यन ने हर होल चोदा, कई बार, लड़कियां थककर गिर रही थीं, लेकिन वो नहीं रुका। सुबह लड़कियां उठ नहीं पाईं, आर्यन मुस्कुराया: "पावर मेरा है।"
अगले शिकार की शुरुआत हो चुकी थी – काव्या ने नई टारगेट दी।
(अगला भाग: नई शिकार – एक अमीर लड़की का जाल – भाग 1।)### गिगोलो की गुप्त दुनिया: 10 इंच का रहस्य
भाग 34: गैंगबैंग की रात और वाइल्ड क्लाइमैक्स (सेक्स भाग 2)
आर्यन की रात अब पूरी तरह से वाइल्ड और आश्लील हो चुकी थी – शराब का असर उसके बदन में आग की तरह फैल रहा था, दिमाग ठंडा लेकिन बॉडी गर्म, और वो 4 हॉट लड़कियां उसके चारों तरफ घूम रही थीं, उनके बदन पसीने से तर, ब्रेस्ट उछलते हुए, चूत गीली और गांड लाल। VIP रूम में म्यूज़िक और तेज़ हो गया था – बीट्स जो दिल की धड़कन को और तेज़ कर दे, लाइट्स डिम लेकिन चमचमाती, शराब की बोतलें खाली हो रही थीं, और हवा में सेक्स की महक इतनी तेज़ कि सांस लेना मुश्किल। आर्यन ने एक और शॉट लिया, गला जल रहा था, लेकिन वो रुका नहीं – "लड़कियों, अब असली खेल शुरू। मेरे लंड को पूजो, रंडियों, चूसो, चोदो, गांड दो," वो गरजा, सोफे पर लेटा, लंड 10 इंच का बाहर, मोटा, नसें फूली हुईं, प्रीकम टपकता हुआ। सोनिया, प्रिया, मीरा, रिया – सब नंगी, उनकी चूत से जूस बह रहा था, ब्रेस्ट लाल, निप्पल्स हार्ड। सोनिया ऊपर चढ़ी, लंड पर बैठी – "बहनचोद... तेरा लंड... मेरी चूत फाड़ रहा... आह... इतना मोटा, इतना लंबा... madarchod... मजा आ रहा..." वो ऊपर-नीचे कूदने लगी, स्पीड तेज़, थप-थप की आवाज़ कमरे में गूंज रही, उसके ब्रेस्ट उछल रहे थे, गांड थपक रही थी। प्रिया आर्यन के मुंह पर बैठी, चूत दबाई: "चाट रे madarchod... मेरी चूत... तेरी जीभ डाल... और गहरा... बहनचोद... चूस..." आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा तेज़, उंगली से क्लिट रगड़ा, प्रिया की चूत से जूस उसके मुंह पर गिर रहा था। मीरा अंडे चाट रही थी, जीभ से लपेट रही, "तेरे अंडे... इतने बड़े... चूसूंगी... madarchod..." रिया ब्रेस्ट मसल रही, निप्पल्स काट रही: "तेरा बदन... इतना हॉट... चोद हमें... रंडी बना दे..."
शराब का दौर चलता रहा – आर्यन ने बोतल से सीधा पिया, लड़कियों को पिलाया, उनके मुंह में डाला: "पीओ रंडियों... आज रात थकना नहीं, मेरे लंड से चुदना है..." सोनिया झड़ गई, चूत कस रही थी, "ओह... madarchod... मैं गई... तेरा लंड... कमाल है..." लेकिन आर्यन नहीं रुका, उसे उठाया, दीवार से सटाया, पीछे से लंड चूत में घुसेड़ा: "तेरी चूत... अभी भी टाइट है... चोदूंगा..." सोनिया चिल्लाई: "हां... चोद... बहनचोद... तेज़... मेरी चूत तेरी है..." धक्के लगे – हार्ड, तेज़, सोनिया की गांड थप-थप से गूंज रही, वो फिर झड़ी, जूस बहा। आर्यन ने गांड में स्विच किया – लुब्रिकेंट लगाया, धीरे डाला लेकिन स्पीड बढ़ाई: "तेरी गांड... टाइट है रंडी... फाड़ूंगा..." सोनिया: "ओह... दर्द... madarchod... लेकिन मत रुक... और गहरा... फाड़ दे..." आर्यन ने शराब का शॉट लिया, स्पीड बढ़ाई, गांड मारी – गहरा, हार्ड, सोनिया की सिसकारियां: "बहनचोद... गांड फट रही... लेकिन मजा... आह..."
प्रिया की बारी – आर्यन ने उसे बेड पर पटका, पैर कंधों पर रखे, लंड चूत में डाला: "तेरी चूत... गीली है... चोदूंगा... madarchod..." प्रिया: "हां... चोद... बहनचोद... तेरा 10 इंच... फाड़ दे... आह... और तेज़..." धक्के लगे – तेज़, गहरा, प्रिया की ब्रेस्ट उछल रहे, वो सिसकारियां भर रही: "madarchod... और तेज़... मुझे रंडी बना दे... मेरी चूत तेरी है..." आर्यन ने शराब पी, स्पीड बढ़ाई, गांड में स्विच – प्रिया चिल्लाई: "ओह... फाड़ दे... madarchod... लेकिन अच्छा... हां..." वो झड़ी कई बार, बॉडी कांप रही, जूस बह रहा। मीरा और रिया साइड से – मीरा मुंह में ले रही, गला तक: "तेरा लंड... स्वादिष्ट... चूसूंगी... madarchod..." रिया अंडे मसल रही, चाट रही: "तेरे अंडे... भरे हुए... खाली करूंगी..." आर्यन ने सबको घुमाया – गैंगबैंग पीक पर – एक चूत में, एक मुंह में, एक गांड में, हाथ से चौथी की चूत रगड़ रहा। "रंडियों... मेरे लंड को पूजो... चूसो... चोदो... गांड दो... madarchod... आज रात तुम्हारी चूत फाड़ दूंगा..." शराब बह रही, पसीना बह रहा, सिसकारियां गूंज रही – "बहनचोद... madarchod... चोद... फाड़ दे... तेज़... आह..." लड़कियां थक रही थीं, बॉडी लाल, चूत सूजी, लेकिन आर्यन नहीं रुका – बोतल खत्म की, और चोदा, हर होल – चूत, मुंह, गांड, कई बार, रोटेशन में। सोनिया थककर गिर गई: "madarchod... मैं थक गई... लेकिन तेरा लंड... कमाल..." लेकिन आर्यन ने उसे फिर उठाया, मुंह में डाला: "चूस रंडी... अभी रात बाकी है..." प्रिया, मीरा, रिया – सब थकी, लेकिन आर्यन शराब पीकर और वाइल्ड – "तुम्हारी चूत... गांड... सब मेरी... चोदूंगा..." सुबह लड़कियां उठ नहीं पाईं, बॉडी दर्द से भरी, चूत सूजी, गांड लाल, आर्यन मुस्कुराया: "पावर मेरा है। अब अगली शिकार।"
अगले शिकार की शुरुआत हो चुकी थी – काव्या ने नई टारगेट दी।
(अगला भाग: नई शिकार – एक अमीर लड़की का जाल – भाग 1।)### गिगोलो की गुप्त दुनिया: 10 इंच का रहस्य
भाग 34: गैंगबैंग की रात और वाइल्ड क्लाइमैक्स (सेक्स भाग 2)
आर्यन की रात अब पूरी तरह से वाइल्ड और आश्लील हो चुकी थी – शराब का असर उसके बदन में आग की तरह फैल रहा था, दिमाग ठंडा लेकिन बॉडी गर्म, और वो 4 हॉट लड़कियां उसके चारों तरफ घूम रही थीं, उनके बदन पसीने से तर, ब्रेस्ट उछलते हुए, चूत गीली और गांड लाल। VIP रूम में म्यूज़िक और तेज़ हो गया था – बीट्स जो दिल की धड़कन को और तेज़ कर दे, लाइट्स डिम लेकिन चमचमाती, शराब की बोतलें खाली हो रही थीं, और हवा में सेक्स की महक इतनी तेज़ कि सांस लेना मुश्किल। आर्यन ने एक और शॉट लिया, गला जल रहा था, लेकिन वो रुका नहीं – "लड़कियों, अब असली खेल शुरू। मेरे लंड को पूजो, रंडियों, चूसो, चोदो, गांड दो," वो गरजा, सोफे पर लेटा, लंड 10 इंच का बाहर, मोटा, नसें फूली हुईं, प्रीकम टपकता हुआ। सोनिया, प्रिया, मीरा, रिया – सब नंगी, उनकी चूत से जूस बह रहा था, ब्रेस्ट लाल, निप्पल्स हार्ड। सोनिया ऊपर चढ़ी, लंड पर बैठी – "बहनचोद... तेरा लंड... मेरी चूत फाड़ रहा... आह... इतना मोटा, इतना लंबा... madarchod... मजा आ रहा..." वो ऊपर-नीचे कूदने लगी, स्पीड तेज़, थप-थप की आवाज़ कमरे में गूंज रही, उसके ब्रेस्ट उछल रहे थे, गांड थपक रही थी। प्रिया आर्यन के मुंह पर बैठी, चूत दबाई: "चाट रे madarchod... मेरी चूत... तेरी जीभ डाल... और गहरा... बहनचोद... चूस..." आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा तेज़, उंगली से क्लिट रगड़ा, प्रिया की चूत से जूस उसके मुंह पर गिर रहा था। मीरा अंडे चाट रही थी, जीभ से लपेट रही, "तेरे अंडे... इतने बड़े... चूसूंगी... madarchod..." रिया ब्रेस्ट मसल रही, निप्पल्स काट रही: "तेरा बदन... इतना हॉट... चोद हमें... रंडी बना दे..."
शराब का दौर चलता रहा – आर्यन ने बोतल से सीधा पिया, लड़कियों को पिलाया, उनके मुंह में डाला: "पीओ रंडियों... आज रात थकना नहीं, मेरे लंड से चुदना है..." सोनिया झड़ गई, चूत कस रही थी, "ओह... madarchod... मैं गई... तेरा लंड... कमाल है..." लेकिन आर्यन नहीं रुका, उसे उठाया, दीवार से सटाया, पीछे से लंड चूत में घुसेड़ा: "तेरी चूत... अभी भी टाइट है... चोदूंगा..." सोनिया चिल्लाई: "हां... चोद... बहनचोद... तेज़... मेरी चूत तेरी है..." धक्के लगे – हार्ड, तेज़, सोनिया की गांड थप-थप से गूंज रही, वो फिर झड़ी, जूस बहा। आर्यन ने गांड में स्विच किया – लुब्रिकेंट लगाया, धीरे डाला लेकिन स्पीड बढ़ाई: "तेरी गांड... टाइट है रंडी... फाड़ूंगा..." सोनिया: "ओह... दर्द... madarchod... लेकिन मत रुक... और गहरा... फाड़ दे..." आर्यन ने शराब का शॉट लिया, स्पीड बढ़ाई, गांड मारी – गहरा, हार्ड, सोनिया की सिसकारियां: "बहनचोद... गांड फट रही... लेकिन मजा... आह... कम इनसाइड..." आर्यन ने कम झाड़ा, सोनिया थककर गिर गई, बॉडी कांप रही, चूत और गांड से कम बह रहा।
प्रिया की बारी – आर्यन ने उसे बेड पर पटका, पैर कंधों पर रखे, लंड चूत में डाला: "तेरी चूत... गीली है... चोदूंगा... madarchod..." प्रिया: "हां... चोद... बहनचोद... तेरा 10 इंच... फाड़ दे... आह... और तेज़..." धक्के लगे – तेज़, गहरा, प्रिया की ब्रेस्ट उछल रहे, वो सिसकारियां भर रही: "madarchod... और तेज़... मुझे रंडी बना दे... मेरी चूत तेरी है..." आर्यन ने शराब पी, स्पीड बढ़ाई, गांड में स्विच – प्रिया चिल्लाई: "ओह... फाड़ दे... madarchod... लेकिन अच्छा... हां..." वो झड़ी कई बार, बॉडी कांप रही, जूस बह रहा। मीरा और रिया साइड से – मीरा मुंह में ले रही, गला तक: "तेरा लंड... स्वादिष्ट... चूसूंगी... madarchod..." रिया अंडे मसल रही, चाट रही: "तेरे अंडे... भरे हुए... खाली करूंगी..." आर्यन ने मीरा को उठाया, बेड पर लिटाया, लंड मुंह में डाला: "चूस रंडी... गला तक... madarchod..." मीरा गैग की, लेकिन चूसती रही, लार बह रही। फिर चूत में डाला – हार्ड, तेज़: "तेरी चूत... टाइट है... फाड़ूंगा..." मीरा: "हां... फाड़... बहनचोद... मजा आ रहा... आह..." आर्यन ने शराब का ग्लास पीया, गांड में स्विच – मीरा: "ओह... madarchod... गांड फट रही... लेकिन मत रुक... कम इनसाइड..." वो झड़ी, बॉडी थरथरा रही, कम बह रहा। रिया की बारी – आर्यन ने उसे सोफे पर झुकाया, पीछे से लंड गांड में डाला: "तेरी गांड... गोल है... फाड़ूंगा... madarchod..." रिया: "हां... फाड़... बहनचोद... तेज़... मेरी गांड तेरी है..." धक्के लगे – हार्ड, गहरा, रिया की चूत से जूस टपक रहा। आर्यन ने चूत में स्विच, मुंह में डाला – रिया: "चूसूंगी... madarchod... तेरा कम..." वो झड़ी कई बार, थककर गिर गई।
आर्यन नहीं रुका – शराब पीता रहा, लड़कियों को उठाया, रोटेशन में चोदा – चूत, मुंह, गांड, ब्रेस्ट पर कम झाड़ा। "रंडियों... मेरे लंड से चुदो... madarchod... आज तुम्हारी हर होल फाड़ दूंगा..." सिसकारियां गूंज रही – "बहनचोद... चोद... फाड़ दे... तेज़... madarchod... कम दे..." लड़कियां थककर गिर रही थीं, बॉडी लाल, चूत सूजी, गांड से कम बह रहा, मुंह से लार। आर्यन ने आखिरी राउंड – सबको लाइन में, बारी-बारी चोदा, शराब डाली उनके मुंह में। सुबह लड़कियां उठ नहीं पाईं, बॉडी दर्द से भरी, चूत और गांड सूजी, कम से सनी। आर्यन मुस्कुराया: "पावर मेरा है। अब अगली शिकार।"
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#14
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गिगोलो का मोटा लंड: आंटीयों और जवान लड़कियों की गांड मार चुदाई कहानी

आर्यन की वो वाइल्ड रात क्लब में खत्म हो चुकी थी – सुबह की पहली किरण रूम में घुस रही थी, लेकिन लड़कियां अभी भी थकी हुई लेटी थीं, उनकी बॉडी दर्द से भरी, चूत और गांड सूजी हुई, कम से सनी, सांसें फूली हुई। आर्यन उठा, उसके बदन में थकान थी, लेकिन मन में एक नई ऊर्जा – "पावर मेरा है। अब अगली," वो आईने में खुद को देखकर मुस्कुराया। शावर लिया, कपड़े पहने, और क्लब से निकला। घर लौटा, बिस्तर पर गिरा, लेकिन नींद नहीं आई। रात की यादें – शराब, सिसकारियां, लड़कियों की थकी बॉडी – उसके दिमाग में घूम रही थीं। "ये जीवन... अब मेरा है," वो सोचता रहा। अगले दिन सुबह उठा, जैसे ही आंखें खोलीं, फोन बज रहा था। स्क्रीन पर नाम – "मां"। आर्यन का दिल धड़का – गांव की यादें, मां की आवाज़। कॉल उठाया: "हां, मां, कैसी हो?" मां की आवाज़ कांप रही थी: "बेटा, मैं ठीक हूं। लेकिन तुम्हारी याद आ रही है। कितने दिनों से नहीं आए। गांव आ जाओ, कुछ दिन रहो। यहां सब ठीक है, लेकिन तुम बिना... घर सूना लगता है।" आर्यन चुप रहा, मन में भावनाएं उमड़ीं – गांव की वो सादगी, मां का प्यार, जो इस पावर वाली दुनिया से अलग था। "मां, मैं आऊंगा। लेकिन कुछ दिन लगेंगे," वो बोला। मां: "जल्दी आना, बेटा। तुम्हारी याद बहुत आ रही है।" कॉल कट गया, आर्यन सोच में डूब गया – "मां... शायद कुछ समय गांव में गुजारूं। ये दुनिया... थकाती है।"
काव्या को कॉल किया: "काव्या, मुझे कुछ समय के लिए गांव जाना है। मां बुला रही हैं। उनकी याद आ रही है। वहां से आकर जारी रखूंगा।" काव्या चुप रही, फिर बोली: "आर्यन, पावर इंतज़ार नहीं करती। लेकिन ठीक है, जाओ। लेकिन जल्दी आना। अगली शिकार इंतज़ार कर रही है।" आर्यन ने हां कहा, बैग पैक किया, ट्रेन की टिकट बुक की। शाम को निकला, दिल्ली की भीड़ से निकलकर गांव की तरफ। रास्ते में सोचता रहा – "मां, तुम्हारी सादगी... शायद मुझे बदल दे।
आर्यन की वो वाइल्ड रात क्लब में खत्म हो चुकी थी, और सुबह की रोशनी में वो घर लौटा था, लेकिन मन में एक अजीब सी शांति – पावर की, लेकिन साथ ही एक खालीपन। अगले दिन सुबह उठा तो फोन पर मां का कॉल आया था, और वो फैसला कर चुका था – गांव जाना है। लेकिन मां को सरप्राइज़ देने के लिए, 10 तारीख की बजाय 8 तारीख को ही निकल पड़ा। "मां को सरप्राइज़ दूंगा, वो खुश होंगी," वो सोचता हुआ ट्रेन में बैठा, दिल्ली की भीड़भाड़ से निकलकर गांव की तरफ। ट्रेन के सफर में वो खिड़की से बाहर देखता रहा – शहर की इमारतें पीछे छूटती गईं, खेत, नदियां, गांव की सादगी नजर आने लगी। मन में पुरानी यादें उभर आईं – बचपन के दिन, मां का प्यार, गांव की हवा। लेकिन अब वो आर्यन 2.0 था – दिल ठंडा, लेकिन मां के लिए एक कोमल कोना बाकी था। "कुछ दिन गांव में गुजारूं, शायद ये पावर वाली दुनिया से ब्रेक मिले," वो सोचता रहा। ट्रेन से उतरा, बस पकड़ी, गांव पहुंचा – शाम हो चुकी थी, सूरज ढल रहा था, गांव की गलियां शांत, हवा में मिट्टी की महक। घर की तरफ चला, दिल धड़क रहा था – "मां देखकर खुश होंगी।" घर पहुंचा, दरवाज़ा खुला था – गांव की आदत, ताला नहीं लगता। "मां, मैं आ गया," वो अंदर घुसा, लेकिन कोई जवाब नहीं। घर सूना लगा, लेकिन बेडरूम से कुछ आवाजें आ रही थीं – सिसकारियां, जानी-पहचानी, लेकिन अजीब। "मां?" वो धीरे से बेडरूम की तरफ गया, दरवाज़ा हल्का खुला था। जांका – और उसकी दुनिया हिल गई।
बेडरूम में मां, सुनीता, बेड पर लेटी थीं – एक 50 साल के आदमी के नीचे, दोनों नंगे, प्यार से एक-दूसरे को छू रहे थे। आदमी – गांव का सर्पंच, हट्टा-कट्टा, काला लेकिन मजबूत – सुनीता के ब्रेस्ट चूस रहा था, धीरे-धीरे, जैसे पूजा कर रहा हो, जीभ से निप्पल्स पर सर्कल बनाते हुए, हल्का काटते हुए, सहलाते हुए। सुनीता की कमर उछल रही थी, सिसकारी भरी: "ओह सर्पंच जी... हां... ऐसे ही चूसो... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म, इतना प्यारा... आह... सालों का अकेलापन... तुम्हारा स्पर्श मिटा रहा है..." उनकी आंखें बंद, चेहरा लाल, भावनाएं उमड़ रही थीं – प्यार के आंसू आंखों के कोनों में, जैसे वो हर स्पर्श में खोई हुई हों, कमर हिल रही, हाथ सर्पंच के बालों में उलझे, दबा रही। सर्पंच नीचे सरका, जांघों पर किस किया – अंदर की तरफ, धीरे सहलाया, सुनीता की सांसें फूल रही थीं: "सर्पंच जी... वहां... प्लीज़... तुम्हारी जीभ... मुझे चाहिए..." सर्पंच ने चूत पर मुंह रखा – पहले रगड़ा, फिर जीभ फेरी – क्लिट पर सर्कल, ऊपर-नीचे, धीरे स्पीड बढ़ाई। सुनीता तड़पी, पैर फैलाए: "आह... सर्पंच जी... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम, इतनी गहरी... सालों की प्यास... बुझा दो... हां... और... चाटो... प्यार से..." उनकी बॉडी कांप रही थी, कमर हिल रही, जूस बहने लगा, जैसे हर चाट में एक नई लहर उठ रही हो – प्यार की, सुख की, भावनाओं की। सर्पंच ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से क्लिट रगड़ा – धीरे-धीरे, लेकिन इंटेंस। सुनीता की सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं: "ओह... सर्पंच जी... तुम्हारा प्यार... मुझे पागल कर रहा है... मैं... झड़ रही हूं... आह..." वो झड़ गई, जूस बहा, बॉडी थरथराई, आंखें नम – खुशी के आंसू बहने लगे: "सर्पंच जी... तुमने मुझे स्वर्ग दिखा दिया... तुम्हारा स्पर्श... इतना गहरा..."
सर्पंच ऊपर आया, सुनीता को गले लगाया, उनके आंसू पोछे: "सुनीता... तुम्हारी खुशी... मेरी खुशी है... मैं तुम्हारा हूं, हमेशा..." सुनीता ने सर्पंच को किस किया, "अब तुम... मुझे तुम्हारा महसूस करना है..." उन्होंने सर्पंच के लंड को सहलाया – मोटा, सख्त, गर्म। मुंह में लिया – धीरे से, प्यार से, जीभ से लपेटा, गला तक। सर्पंच की सिसकारी: "सुनीता... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म, इतना नरम... मुझे स्वर्ग लग रहा है... हां..." सुनीता ने चूसा – धीरे-धीरे, आंखें मिलाकर, जैसे हर मोमेंट में प्यार डाल रही हों: "सर्पंच जी... तुम्हारा लंड... इतना ताकतवर... मुझे चाहिए..." सर्पंच ने उन्हें रोका, कंडोम लगाया। सुनीता नीचे लेटीं, पैर फैलाए। सर्पंच ऊपर आया, लंड चूत पर रगड़ा – टिप से क्लिट को छुआ, धीरे सहलाया। सुनीता तड़पी: "डालो न... सर्पंच जी... तुम्हारा बड़ा लंड... मुझे पूरा चाहिए... प्यार से..." सर्पंच ने धीरे से अंदर डाला – पहले टिप, फिर आधा, सुनीता की आंखें बंद: "आह... इतना बड़ा... भर रहा है मुझे... दर्द भी, सुख भी... धीरे... लेकिन गहरा..." सर्पंच ने पूरा अंदर किया, सुनीता चिल्लाई: "ओह सर्पंच जी... तुम्हारा लंड... मेरी चूत में... परफेक्ट है... चोदो मुझे..."
धक्के शुरू हुए – धीरे-धीरे, लेकिन रोमांटिक, हर धक्के में आंखें मिलाकर, हाथ पकड़कर, सांसें मिलाकर। सुनीता की सिसकारियां: "हां... चोदो... सर्पंच जी... तुम्हारा प्यार... हर दर्द मिटा रहा है... आह... और तेज़..." ब्रेस्ट उछल रहे, भावनाएं पीक पर – प्यार के आंसू, सुख की लहरें। स्पीड बढ़ी, लेकिन प्यार से – सुनीता झड़ी, "सर्पंच जी... मैं तुम्हारी हूं... हमेशा..." सर्पंच भी झड़ा, दोनों साथ, बॉडी मिलकर कांपीं, जैसे आत्माएं एक हो गई हों। फिर गांड की बारी – सुनीता शर्मा रही थीं, लेकिन प्यार से हां की। लुब्रिकेंट लगाया, सर्पंच ने धीरे अंदर डाला। सुनीता: "आह... दर्द... लेकिन तुम्हारा प्यार... सह लूंगी... हां..." स्पीड बढ़ी – गहरा, इंटेंस, हाथ ब्रेस्ट पर, कान में प्यार भरी बातें: "सुनीता... तुम मेरी हो... हर दर्द मैं मिटा दूंगा..." सुनीता: "ओह... फाड़ देगा... लेकिन अच्छा लग रहा... सर्पंच जी... तुम्हारा लंड... मुझे पूरा कर रहा है... आह..." वो फिर झड़ी, भावनाएं पीक पर – प्यार, दर्द, सुख। रात लंबी हुई – कई बार, हर मोमेंट में रोमांस, इंटेंसनेस, भावनाएं। सर्पंच बोला: "सुनीता, 20 साल से तुम्हें चोद रहा हूं... तुम्हारी चूत... अभी भी टाइट है..." सुनीता: "हां... सर्पंच जी... तुम्हारा लंड... मुझे जीवित रखता है... चोदो... और..." आर्यन ने पूरा देखा, दिल टूटा, लेकिन बाहर निकला। "मां भी... ऐसी?" वो सोचता रहा, गांव से लौटने का फैसला किया।
आर्यन घर के बहार आया, उसके कदम डगमगा रहे थे, दिल में एक तूफान मचा हुआ था। "ये... ये क्या देख लिया मैंने?" वो खुद से बड़बड़ाया, सड़क पर चलते हुए, गांव की शांत गलियां अब उसे चुभ रही थीं। शाम का अंधेरा घिर रहा था, हवा में ठंडक थी, लेकिन उसके बदन में एक आग जल रही थी – धोखे की, गुस्से की। "मां... सर्पंच के साथ... 20 साल से? पिताजी के रहते हुए भी? ये कैसे?" वो स्टेशन की तरफ बढ़ा, मन में विचार घूम रहे थे – "वापस शहर चला जाऊं। काव्या के पास, पावर की दुनिया में। ये गांव... ये परिवार... सब झूठ।" स्टेशन पहुंचा, प्लेटफॉर्म पर बैठा, ट्रेन का इंतज़ार करने लगा। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, उसके मन में विचार बदलने लगे। "रुक, ध्याह से सोच। मां की क्या गलती है? वो भी तो औरत है, उसकी भी ख्वाहिशें होंगी। 20 साल से चोद रहा है सर्पंच, मतलब पिताजी के जीते जी से। लेकिन अब क्या फर्क पड़ता है? पिताजी नहीं रहे। मां अकेली है, उसकी ज़िंदगी... उसकी मर्जी। मैं कौन होता हूं जज करने वाला? मैं खुद क्या हूं? क्या दूध का धुला हूं? गिगोलो हूं, औरतों को फंसाता हूं, पैसा निकालता हूं। मां की खुशी... क्यों छीनूं?"
ये विचार उसके मन में घूमते रहे, स्टेशन की घड़ी टिक-टिक कर रही थी, ट्रेन आने वाली थी, लेकिन आर्यन उठा – "नहीं, वापस जाऊंगा घर। मां को सरप्राइज़ दूंगा, जैसे प्लान था।" वो स्टेशन से बाहर निकला, गांव की तरफ चला। रास्ते में अंधेरा हो चुका था, तारे चमक रहे थे, हवा में रात की ठंडक। घर पहुंचा, दरवाज़ा अभी भी खुला। अंदर गया, बेडरूम से अब शांति थी। थोड़ी देर बाद, मां, सुनीता, बाहर आईं – चेहरा थका लेकिन खुश, कपड़े पहने हुए, लेकिन बाल बिखरे। आर्यन को देखकर चौंक गईं: "आर्यन? बेटा, तुम? 10 तारीख को आने वाले थे न?" आर्यन मुस्कुराया, आंसू दबाकर: "मां, सरप्राइज़ देने आ गया। दो दिन पहले। कैसी हो?" सुनीता ने गले लगाया, आंखें नम: "बेटा, कितनी खुशी हुई। आ, बैठ। खाना खाया?" आर्यन ने हां कहा, लेकिन मां ने जोर दिया – रोटी, सब्जी, दाल बनाई, दोनों ने साथ खाना खाया। बातें हुईं – गांव की, मां की सेहत की, लेकिन आर्यन का मन उस दृश्य में अटका था। "मां, खुश हो न?" वो पूछा। सुनीता मुस्कुराई: "हां, बेटा। अब तुम आ गए, और खुश।" आर्यन ने मन ही मन सोचा: "मां, तुम्हारी ख्वाहिशें... मैं समझता हूं।" खाना खत्म हुआ, आर्यन सो गया – लेकिन नींद नहीं आई, विचार घूमते रहे।
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#15
nice update
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#16
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गिगोलो का मोटा लंड: आंटीयों और जवान लड़कियों की गांड मार चुदाई कहानी

आर्यन की रातें अब गांव की शांति में बीत रही थीं, लेकिन उसका मन अभी भी उथल-पुथल में था। सुबह उठा तो मां चाय बना रही थीं, "बेटा, आज क्या प्लान है?" आर्यन मुस्कुराया: "मां, गांव घूमूंगा, लोगों से मिलूंगा।" मां खुश हुईं: "हां, जाओ। सर्पंच जी से भी मिल लेना, वो पूछ रहे थे।" आर्यन का मन चुभा, लेकिन चुप रहा। निकल पड़ा – गांव की गलियां, खेतों की हरीतिमा, लोग काम पर जा रहे। पहले पुराने दोस्तों से मिला – कॉलेज के साथी, हंसी-मजाक, पुरानी यादें। "आर्यन, शहर में क्या कर रहा है?" वो पूछते, आर्यन हंसकर टाल देता। फिर सर्पंच के घर गया – सर्पंच बाहर बैठे थे, चाय पीते। "आर्यन बेटा, आ गया? बैठो," सर्पंच ने कहा, लेकिन आर्यन की आंखों में गुस्सा था, लेकिन छुपाया। बातें हुईं – गांव की समस्याएं, विकास। "सर्पंच जी, मां का ख्याल रखते हो?" आर्यन ने पूछा, डबल मीनिंग में। सर्पंच मुस्कुराए: "हां, बेटा। सुनीता का हमेशा ध्यान रखता हूं।" आर्यन का दिल जल रहा था, लेकिन चुप रहा। शाम को घर लौटा – घर में मां के साथ एक lady बैठी थी – नाम नर्मिला, सर्पंच की बीवी, 34-32-36 का फिगर, गोरी, लंबे बाल, साड़ी में, लेकिन लग रही थी Aunty कम, bhabhi ज्यादा – चेहरा जवान, आंखें शरारती, ब्रेस्ट भरे हुए, कमर पतली, हिप्स गोल। "आर्यन, ये नर्मिला हैं, सर्पंच की बीवी," मां ने इंट्रोड्यूस किया। नर्मिला मुस्कुराई: "हाय, आर्यन। सुनीता आंटी ने तुम्हारे बारे में बताया। शहर से आए हो?" आर्यन ने हाथ मिलाया, लेकिन मन में विचार आया – "सर्पंच ने मां को 20 साल चोदा है, क्यों न मैं उसकी बीवी को पटा के चोद लूं? शायद मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हो।" वो मुस्कुराया: "हां, नर्मिला जी। गांव की हवा अच्छी लग रही है। आप कैसी हैं?" बातें हुईं – नर्मिला ने गांव की गॉसिप बताई, हंसती रही, आर्यन फ्लर्ट शुरू किया – "नर्मिला जी, आप लगती तो Aunty हैं, लेकिन bhabhi ज्यादा लग रही हैं। इतनी जवान कैसे?" नर्मिला शर्मा गई, लेकिन हंसी: "आर्यन, तुम्हारी बातें... शहर वाली हैं।" मां हंसी, लेकिन आर्यन का मन प्लान बना रहा था – "ये मेरी अगली शिकार।"

आर्यन की सुबह गांव की हवा में बीती – वो उठा, मां के साथ चाय पी, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती आंखें, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "सर्पंच की बीवी... आज मिलूंगा," वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज फिर गांव घूमूंगा। सर्पंच जी से मिलकर आऊंगा।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। नर्मिला भी पूछ रही थी तुम्हारे बारे में।" आर्यन का दिल धड़का, लेकिन चुप रहा। गांव की गलियां पार की, सर्पंच के घर पहुंचा – सर्पंच बाहर नहीं थे, लेकिन नर्मिला दरवाज़े पर खड़ी थी – साड़ी में, लाल रंग की, जो उसके गोरे बदन पर और चमक रही थी, बाल बंधे, लेकिन कुछ लटें चेहरे पर, आंखों में मुस्कान। "आर्यन, तुम? अंदर आओ," उसने कहा, घर के अंदर ले गई। कमरा सादा लेकिन साफ, दीवारों पर तस्वीरें, हवा में मसालों की महक। "सर्पंच जी घर पर नहीं हैं?" आर्यन ने पूछा, सोफे पर बैठते हुए। नर्मिला मुस्कुराई, चाय बनाती हुई: "नहीं, गांव के काम से गए हैं। लेकिन तुम आ गए, अच्छा लगा। शहर की बातें बताओ।" आर्यन ने फ्लर्ट शुरू किया: "नर्मिला जी, शहर की बातें तो बोरिंग हैं। लेकिन तुम्हारी मुस्कान... शहर की लड़कियों से ज्यादा खूबसूरत है। क्या राज़ है?" नर्मिला शर्मा गई, चाय सर्व करते हुए: "आर्यन, तुम्हारी बातें... इतनी मीठी। गांव में कोई ऐसा नहीं बोलता।" आर्यन ने हाथ पकड़ा – धीरे से: "नर्मिला जी, तुम्हारी उंगलियां... इतनी नरम। क्या मैं पकड़ सकता हूं?" नर्मिला की सांस तेज़: "आर्यन... हां... लेकिन मां देख लेंगी तो..." आर्यन मुस्कुराया: "कोई नहीं, वो बाहर हैं। कल मिलें? अकेले, कहीं?" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन हां कहा। जाल बिछ गया।
आर्यन की सुबह गांव की हलचल से शुरू हुई – वो उठा, मां के साथ नाश्ता किया, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती मुस्कान, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "आज मिलना है, लेकिन कैसे?" वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज सर्पंच जी के घर जाऊंगा, कुछ काम है।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। नर्मिला से भी मिल लेना, वो अच्छी है।" आर्यन का दिल धड़का, लेकिन चुप रहा। गांव की गलियां पार की, सर्पंच के घर पहुंचा – सर्पंच बाहर नहीं थे, लेकिन नर्मिला बगीचे में फूल तोड़ रही थी – नीली साड़ी में, बाल खुले, पसीने से चमकता चेहरा, ब्रेस्ट की हल्की उभार, कमर की मटक। "नर्मिला जी, नमस्ते," आर्यन ने कहा, करीब जाकर। नर्मिला चौंकी, फिर मुस्कुराई: "आर्यन, तुम? आओ, अंदर आओ। सर्पंच जी बाजार गए हैं।" आर्यन अंदर गया, कमरे में बैठा – नर्मिला चाय लेकर आई, झुककर सर्व की, उसकी साड़ी का पल्लू हल्का सरका, ब्रेस्ट की झलक दिखी। आर्यन की आंखें चमकीं, लेकिन छुपाया: "नर्मिला जी, तुम्हारा घर कितना सुंदर है। जैसे तुम।" नर्मिला शर्मा गई, लेकिन आंखें मिलाईं: "आर्यन, तुम्हारी बातें... इतनी मीठी। शहर में सब लड़के ऐसे होते हैं?" आर्यन करीब आया, हाथ छुआ: "नहीं, नर्मिला जी। लेकिन तुम्हारे लिए... खास हैं। क्या मैं कह सकता हूं, तुम्हारी मुस्कान... मुझे खींच रही है।" नर्मिला की सांस तेज़: "आर्यन... ये... गलत है। सर्पंच जी..." लेकिन वो रुकी नहीं, हाथ पकड़े रही। आर्यन ने फुसफुसाया: "नर्मिला जी, जीवन में खुशी मिलनी चाहिए। क्या मिलती है तुम्हें?" नर्मिला की आंखें नम: "नहीं... सर्पंच जी अच्छे हैं, लेकिन..." आर्यन ने हाथ चूमा – धीरे: "मैं हूं न। कल मिलें? अकेले, नदी के किनारे।" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन हां कहा। जाल और गहरा हो गया।

आर्यन की सुबह गांव की धूप में बीती – वो उठा, मां के साथ नाश्ता किया, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती मुस्कान, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "आज मिलना है, लेकिन कैसे?" वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज नदी के किनारे घूमकर आऊंगा। शाम को लौटूंगा।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। ध्यान से जाना, पानी तेज़ है।" आर्यन निकला – गांव की पगडंडियां पार की, खेतों से गुजरा, नदी के किनारे पहुंचा – शाम हो रही थी, सूरज ढल रहा था, पानी की कलकल, हवा में ठंडक, पेड़ों की छांव। नर्मिला इंतज़ार कर रही थी – नीली साड़ी में, बाल खुले, चेहरा थोड़ा उदास, लेकिन आर्यन को देखकर मुस्कुराई। "आर्यन, आ गए?" उसने कहा, करीब आते हुए। आर्यन मुस्कुराया, उसके पास बैठा – नदी का पानी उनके पैर छू रहा था, शाम की रोशनी नर्मिला के चेहरे पर пад रही थी, उसकी आंखें चमक रही थीं। "नर्मिला जी, तुम्हारी आंखें... नदी से ज्यादा गहरी लग रही हैं। क्या बात है?" वो धीरे से पूछा, हाथ छुआ। नर्मिला चुप रही, फिर आंखें नम हो गईं: "आर्यन, सर्पंच जी... अब मुझे प्यार नहीं करते। ध्यान नहीं देते।" आर्यन ने हाथ पकड़ा: "क्यों? बताओ न।"
नर्मिला ने सिसकी ली, आंसू बहने लगे: "आर्यन, सर्पंच जी गांव की लगभग सारी लड़कियां और औरतें चोदते हैं। रोज एक नई। मुझे इससे कोई समस्या नहीं, लेकिन वो मुझे ध्यान ही नहीं देते। जैसे मैं कोई पुरानी चीज़ हो गई हूं।" उसकी आवाज़ कांप रही थी, आंखें नीचे, हाथ कसकर पकड़े। आर्यन का दिल धड़का, लेकिन वो चुप रहा, धीरे से उसके आंसू पोछे: "नर्मिला जी, रोओ मत। तुम इतनी खूबसूरत हो, कोई कैसे ध्यान न दे?" नर्मिला ने सिर उठाया, आंखें मिलाईं: "आर्यन, तुम्हारी बातें... दिल को छूती हैं।" आर्यन ने धीरे से गाल पर हाथ रखा, सहलाया: "नर्मिला जी, तुम्हें खुशी मिलनी चाहिए। मैं हूं न।" नर्मिला की सांस तेज़ हुई, वो चुप रही, लेकिन आंसू बहते रहे। आर्यन ने उसे चुप कराने के लिए गले लगा लिया – उसके ब्रेस्ट उसके सीने से लगे, गर्माहट महसूस हुई, नर्मिला की सांसें उसके कान के पास। "आर्यन... ये... " वो फुसफुसाई, लेकिन रुकी नहीं। आर्यन ने धीरे से गर्दन पर किस किया – नरम, गर्म, जैसे सांत्वना दे रहा हो। नर्मिला की कमर उछली, सिसकारी भरी: "ओह... आर्यन..." आर्यन ने गाल पर किस किया, फिर होंठों पर – लंबा, पैशनेट किस, जीभ मिलाकर, सांसें एक। नर्मिला ने रिस्पॉन्ड किया, उसके हाथ आर्यन की पीठ पर, कसकर पकड़े। किस खत्म हुआ, नर्मिला की आंखें बंद: "आर्यन... ये... गलत है, लेकिन अच्छा लगा।" आर्यन ने कान में फुसफुसाया: "नर्मिला जी, जीवन में खुशी मिलनी चाहिए। कल मिलें? अकेले, यहां।" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन हां कहा। जाल और गहरा हो गया।
आर्यन की सुबह गांव की रौशनी में बीती – वो उठा, मां के साथ चाय पी, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती मुस्कान, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "आज मिलना है, लेकिन कैसे?" वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज घर पर हूं। अगर कोई आए तो बताना।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। आराम कर।" आर्यन कमरे में बैठा, किताब पढ़ने का नाटक किया, लेकिन मन में प्लान – "नर्मिला आएगी, आज घर पर।" दोपहर हुई, मां बाहर गईं – किसी पड़ोसी से मिलने। तभी दरवाज़ा खटखटाया, आर्यन खोला – नर्मिला सामने – हल्की गुलाबी साड़ी में, बाल खुले, चेहरा शर्म से लाल, हाथ में एक टिफिन। "आर्यन, आंटी घर पर नहीं हैं?" उसने पूछा, आंखें नीचे। आर्यन मुस्कुराया: "नहीं, नर्मिला जी। बाहर गई हैं। आओ, अंदर आओ।" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन अंदर आई, टिफिन रखा: "ये मिठाई है, तुम्हारे लिए बनाई।" आर्यन ने हाथ पकड़ा: "नर्मिला जी, तुम्हारी मिठाई... तुम्हारी तरह मीठी होगी। बैठो।" दोनों सोफे पर बैठे, नर्मिला की सांस तेज़, आंखें मिलाईं: "आर्यन, कल की बात... नदी के किनारे... अच्छी लगी। लेकिन गलत है।" आर्यन करीब आया, गाल छुआ: "नर्मिला जी, गलत क्यों? जीवन में खुशी मिलनी चाहिए। तुम्हारी आंखें... उदास लग रही हैं। बताओ न।" नर्मिला की आंखें नम: "आर्यन, सर्पंच जी... मुझे ध्यान नहीं देते। लेकिन तुम... तुम्हारी बातें... दिल को छूती हैं।" आर्यन ने धीरे से गले लगा लिया – नर्मिला के ब्रेस्ट उसके सीने से लगे, गर्माहट महसूस हुई, नर्मिला की सांसें उसके कान के पास। "नर्मिला जी, रोओ मत। मैं हूं न," वो फुसफुसाया। नर्मिला ने सिर उठाया, आंखें मिलाईं, और धीरे से होंठ करीब आए – एक नरम किस, जैसे बिचड़े हुए प्रेमी मिले हों।
किस गहरा होता गया – आर्यन के होंठ नर्मिला के होंठों पर दबे, जीभ मिलीं, सांसें एक हो गईं, जैसे सालों का इंतज़ार खत्म हो रहा हो। नर्मिला की सांस तेज़, हाथ आर्यन की पीठ पर, कसकर पकड़े। "आर्यन... ये... इतना अच्छा... लेकिन..." वो फुसफुसाई, लेकिन रुकी नहीं। आर्यन ने धीरे से साड़ी का पल्लू सरकाया, गर्दन पर किस किया – नरम, गर्म, चाटा धीरे। नर्मिला की कमर उछली, सिसकारी: "ओह... आर्यन... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म... हां..." आर्यन ने ब्लाउज के हुक खोले, ब्रेस्ट आज़ाद – बड़े, सॉफ्ट, निप्पल्स ब्राउन और हार्ड। धीरे से एक ब्रेस्ट पर मुंह रखा, चूसा, जीभ से सर्कल बनाते हुए। नर्मिला की सिसकारी: "आह... आर्यन... चूसो... मेरे निप्पल्स... इतने हार्ड... तुम्हारे लिए... हां..." उनकी आंखें बंद, चेहरा लाल, भावनाएं उमड़ रही थीं – प्यार के आंसू आंखों के कोनों में। आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, काटा हल्का, हाथ से मसला – नर्मिला की बॉडी कांप रही थी, "आर्यन... तुम्हारा स्पर्श... इतना रोमांटिक, इतना गहरा... मुझे लगता है... तुम मेरे बिचड़े हुए प्रेमी हो... और चूसो..." आर्यन नीचे सरका, साड़ी ऊपर की, पैंटी उतारी – चूत पर बाल, गुलाबी, गीली। जीभ फेरी – क्लिट पर, धीरे सर्कल। नर्मिला तड़पी: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम... हां... चाटो..." आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से रगड़ा – नर्मिला झड़ी, बॉडी कांपी।
निर्मला की चूत को चूसते हुए आर्यन उसके स्तनों को धीरे-धीरे दबा रहा था, जैसे कि वह उसकी हर सांस को महसूस कर रहा हो। उसके दिमाग में अभी भी वह पुराना दृश्य घूम रहा था—जब सरपंच उसकी माँ को बेरहमी से चोद रहा था, उसे रंडी की तरह इस्तेमाल करते हुए। लेकिन अब, निर्मला के साथ, वह सब कुछ अलग करना चाहता था। वह चाहता था कि यह पल प्यार से भरा हो, न कि सिर्फ वासना से। निर्मला की आहें कमरे में गूंज रही थीं, और आर्यन ने महसूस किया कि उसका पानी निकलने वाला है। जैसे ही वह झड़ी, आर्यन ने उसका सारा रस पी लिया, मानो वह उसकी आत्मा का हिस्सा बनना चाहता हो। उसका स्वाद मीठा था, जैसे कोई अमृत।
फिर आर्यन उसके ऊपर आया। निर्मला की आंखों में आंसू थे—शायद दर्द के, या शायद खुशी के। आर्यन ने उन आंसुओं को चाट लिया, जैसे वे उसके लिए कोई कीमती मोती हों। फिर उसने उसके माथे पर एक कोमल चुंबन किया, और होंठों पर एक गहरा, प्यार भरा चुम्बन। वह जानता था कि निर्मला अब तैयार है, लेकिन वह जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। वह चाहता था कि यह पल हमेशा के लिए याद रहे। आर्यन ने अपना लंड निकाला और उसके सामने रख दिया। वह 10 इंच का था, मोटा और मजबूत, जैसे कोई राजसी हथियार। निर्मला की आंखें चौड़ी हो गईं। वह भूखी शेरनी की तरह उस पर झपट पड़ी और बोली, "ओह, इतना बड़ा! इतना तो सरपंच का भी नहीं है। यह तो जैसे मेरे लिए बना है।" आर्यन मुस्कुराया और बोला, "हां मेरी जान, अब यह तुम्हारा है। इसे प्यार से सहलाओ, जैसे मैं तुम्हें सहलाता हूं।"
निर्मला ने उसे हाथ में लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगी, उसकी नसों को महसूस करते हुए। फिर उसने उसे मुंह में डाला और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, जीभ से घुमाते हुए, जैसे वह हर इंच को चखना चाहती हो। आर्यन की सांसें तेज हो गईं, लेकिन वह रुकना नहीं चाहता था। दस मिनट तक यह चलता रहा, और फिर आर्यन ने कहा, "बस अब, मेरी रानी। अब शुरू करते हैं असली खेल—प्यार का खेल।" निर्मला ने उसकी आंखों में देखा और बोली, "मैं अब पूरी तरह तुम्हारी हूं, राजा। जो चाहो करो मेरे साथ, लेकिन प्यार से।"
आर्यन ने उसे बिस्तर पर लिटाया। कमरे की मद्धिम रोशनी में उसका शरीर चमक रहा था, जैसे कोई देवी। वह अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा, धीरे-धीरे, उसे तड़पाते हुए। निर्मला की सांसें उखड़ने लगीं, वह तड़प रही थी, "प्लीज, आर्यन... अंदर डालो ना।" आर्यन से रहा नहीं गया। उसने एक धीमा लेकिन मजबूत धक्का लगाया, और आधा लंड अंदर घुस गया। निर्मला चीख उठी, लेकिन आर्यन ने अपने होंठों से उसके मुंह को बंद कर दिया, उसे गहरा चुम्बन देते हुए। फिर एक और जोरदार धक्का, और पूरा लंड अंदर। निर्मला रोने लगी, दर्द से, लेकिन आर्यन ने उसे संभाला। वह रुका, उसे प्यार से सहलाया, उसके स्तनों को चूसा, निप्पलों को जीभ से छेड़ा। धीरे-धीरे निर्मला शांत हुई, और उसकी सिसकारियां शुरू हो गईं।
अब आर्यन ने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, हर धक्के में प्यार डालते हुए। निर्मला की आंखें बंद थीं, वह सिसकारियां ले रही थी, "ओह... आर्यन... कितना अच्छा लग रहा है।" आर्यन ने चुम्बन तोड़ा और गति बढ़ा दी। कमरा उनकी सांसों और आहों से भर गया। निर्मला बड़बड़ाने लगी, "हां, और तेज चोदो मुझे राजा... आआआह... फाड़ दो मेरी चूत... मैं तुम्हारी हूं।" दस मिनट तक यह चलता रहा, पसीने से भीगे शरीर एक-दूसरे से चिपके हुए। फिर आर्यन ने उसे डॉगी स्टाइल सिखाया—उसे घुटनों पर लिटाया, पीछे से पकड़ा। निर्मला पागल हो गई, "हां, कुतिया बना दो मुझे... चोदो जोर से।" आर्यन ने वैसा ही किया, उसके कूल्हों को पकड़कर धक्के लगाए, हर धक्के में उसकी गहराई को छूते हुए।
फिर उसने उसे उठाया और दीवार के सहारे लगा लिया। निर्मला की टांगें उसके कमर के चारों ओर लिपट गईं। आर्यन ने उसे ऐसे चोदा, जैसे वह उसे दुनिया से अलग कर रहा हो। इस बीच निर्मला छह बार झड़ी, हर बार और ज्यादा जोर से, जैसे उसका शरीर आनंद की लहरों में डूब रहा हो। आखिरकार, आर्यन उसकी चूत में ही झड़ गया, अपना सारा बीज अंदर डालते हुए। दोनों थककर बिस्तर पर गिर पड़े, एक-दूसरे की बाहों में। लेकिन वे भूल गए कि आर्यन की माँ घर आने वाली है। वह सब अगले भाग में...
Fuckuguy 
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#17
(15-09-2025, 05:34 AM)Pentagon Wrote: nice update

Thankyou brother it means a lot
Fuckuguy 
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#18
(15-09-2025, 11:11 AM)Fuckuguy Wrote:
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गिगोलो का मोटा लंड: आंटीयों और जवान लड़कियों की गांड मार चुदाई कहानी

आर्यन की रातें अब गांव की शांति में बीत रही थीं, लेकिन उसका मन अभी भी उथल-पुथल में था। सुबह उठा तो मां चाय बना रही थीं, "बेटा, आज क्या प्लान है?" आर्यन मुस्कुराया: "मां, गांव घूमूंगा, लोगों से मिलूंगा।" मां खुश हुईं: "हां, जाओ। सर्पंच जी से भी मिल लेना, वो पूछ रहे थे।" आर्यन का मन चुभा, लेकिन चुप रहा। निकल पड़ा – गांव की गलियां, खेतों की हरीतिमा, लोग काम पर जा रहे। पहले पुराने दोस्तों से मिला – कॉलेज के साथी, हंसी-मजाक, पुरानी यादें। "आर्यन, शहर में क्या कर रहा है?" वो पूछते, आर्यन हंसकर टाल देता। फिर सर्पंच के घर गया – सर्पंच बाहर बैठे थे, चाय पीते। "आर्यन बेटा, आ गया? बैठो," सर्पंच ने कहा, लेकिन आर्यन की आंखों में गुस्सा था, लेकिन छुपाया। बातें हुईं – गांव की समस्याएं, विकास। "सर्पंच जी, मां का ख्याल रखते हो?" आर्यन ने पूछा, डबल मीनिंग में। सर्पंच मुस्कुराए: "हां, बेटा। सुनीता का हमेशा ध्यान रखता हूं।" आर्यन का दिल जल रहा था, लेकिन चुप रहा। शाम को घर लौटा – घर में मां के साथ एक lady बैठी थी – नाम नर्मिला, सर्पंच की बीवी, 34-32-36 का फिगर, गोरी, लंबे बाल, साड़ी में, लेकिन लग रही थी Aunty कम, bhabhi ज्यादा – चेहरा जवान, आंखें शरारती, ब्रेस्ट भरे हुए, कमर पतली, हिप्स गोल। "आर्यन, ये नर्मिला हैं, सर्पंच की बीवी," मां ने इंट्रोड्यूस किया। नर्मिला मुस्कुराई: "हाय, आर्यन। सुनीता आंटी ने तुम्हारे बारे में बताया। शहर से आए हो?" आर्यन ने हाथ मिलाया, लेकिन मन में विचार आया – "सर्पंच ने मां को 20 साल चोदा है, क्यों न मैं उसकी बीवी को पटा के चोद लूं? शायद मुझे थोड़ा अच्छा महसूस हो।" वो मुस्कुराया: "हां, नर्मिला जी। गांव की हवा अच्छी लग रही है। आप कैसी हैं?" बातें हुईं – नर्मिला ने गांव की गॉसिप बताई, हंसती रही, आर्यन फ्लर्ट शुरू किया – "नर्मिला जी, आप लगती तो Aunty हैं, लेकिन bhabhi ज्यादा लग रही हैं। इतनी जवान कैसे?" नर्मिला शर्मा गई, लेकिन हंसी: "आर्यन, तुम्हारी बातें... शहर वाली हैं।" मां हंसी, लेकिन आर्यन का मन प्लान बना रहा था – "ये मेरी अगली शिकार।"

आर्यन की सुबह गांव की हवा में बीती – वो उठा, मां के साथ चाय पी, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती आंखें, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "सर्पंच की बीवी... आज मिलूंगा," वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज फिर गांव घूमूंगा। सर्पंच जी से मिलकर आऊंगा।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। नर्मिला भी पूछ रही थी तुम्हारे बारे में।" आर्यन का दिल धड़का, लेकिन चुप रहा। गांव की गलियां पार की, सर्पंच के घर पहुंचा – सर्पंच बाहर नहीं थे, लेकिन नर्मिला दरवाज़े पर खड़ी थी – साड़ी में, लाल रंग की, जो उसके गोरे बदन पर और चमक रही थी, बाल बंधे, लेकिन कुछ लटें चेहरे पर, आंखों में मुस्कान। "आर्यन, तुम? अंदर आओ," उसने कहा, घर के अंदर ले गई। कमरा सादा लेकिन साफ, दीवारों पर तस्वीरें, हवा में मसालों की महक। "सर्पंच जी घर पर नहीं हैं?" आर्यन ने पूछा, सोफे पर बैठते हुए। नर्मिला मुस्कुराई, चाय बनाती हुई: "नहीं, गांव के काम से गए हैं। लेकिन तुम आ गए, अच्छा लगा। शहर की बातें बताओ।" आर्यन ने फ्लर्ट शुरू किया: "नर्मिला जी, शहर की बातें तो बोरिंग हैं। लेकिन तुम्हारी मुस्कान... शहर की लड़कियों से ज्यादा खूबसूरत है। क्या राज़ है?" नर्मिला शर्मा गई, चाय सर्व करते हुए: "आर्यन, तुम्हारी बातें... इतनी मीठी। गांव में कोई ऐसा नहीं बोलता।" आर्यन ने हाथ पकड़ा – धीरे से: "नर्मिला जी, तुम्हारी उंगलियां... इतनी नरम। क्या मैं पकड़ सकता हूं?" नर्मिला की सांस तेज़: "आर्यन... हां... लेकिन मां देख लेंगी तो..." आर्यन मुस्कुराया: "कोई नहीं, वो बाहर हैं। कल मिलें? अकेले, कहीं?" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन हां कहा। जाल बिछ गया।
आर्यन की सुबह गांव की हलचल से शुरू हुई – वो उठा, मां के साथ नाश्ता किया, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती मुस्कान, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "आज मिलना है, लेकिन कैसे?" वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज सर्पंच जी के घर जाऊंगा, कुछ काम है।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। नर्मिला से भी मिल लेना, वो अच्छी है।" आर्यन का दिल धड़का, लेकिन चुप रहा। गांव की गलियां पार की, सर्पंच के घर पहुंचा – सर्पंच बाहर नहीं थे, लेकिन नर्मिला बगीचे में फूल तोड़ रही थी – नीली साड़ी में, बाल खुले, पसीने से चमकता चेहरा, ब्रेस्ट की हल्की उभार, कमर की मटक। "नर्मिला जी, नमस्ते," आर्यन ने कहा, करीब जाकर। नर्मिला चौंकी, फिर मुस्कुराई: "आर्यन, तुम? आओ, अंदर आओ। सर्पंच जी बाजार गए हैं।" आर्यन अंदर गया, कमरे में बैठा – नर्मिला चाय लेकर आई, झुककर सर्व की, उसकी साड़ी का पल्लू हल्का सरका, ब्रेस्ट की झलक दिखी। आर्यन की आंखें चमकीं, लेकिन छुपाया: "नर्मिला जी, तुम्हारा घर कितना सुंदर है। जैसे तुम।" नर्मिला शर्मा गई, लेकिन आंखें मिलाईं: "आर्यन, तुम्हारी बातें... इतनी मीठी। शहर में सब लड़के ऐसे होते हैं?" आर्यन करीब आया, हाथ छुआ: "नहीं, नर्मिला जी। लेकिन तुम्हारे लिए... खास हैं। क्या मैं कह सकता हूं, तुम्हारी मुस्कान... मुझे खींच रही है।" नर्मिला की सांस तेज़: "आर्यन... ये... गलत है। सर्पंच जी..." लेकिन वो रुकी नहीं, हाथ पकड़े रही। आर्यन ने फुसफुसाया: "नर्मिला जी, जीवन में खुशी मिलनी चाहिए। क्या मिलती है तुम्हें?" नर्मिला की आंखें नम: "नहीं... सर्पंच जी अच्छे हैं, लेकिन..." आर्यन ने हाथ चूमा – धीरे: "मैं हूं न। कल मिलें? अकेले, नदी के किनारे।" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन हां कहा। जाल और गहरा हो गया।

आर्यन की सुबह गांव की धूप में बीती – वो उठा, मां के साथ नाश्ता किया, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती मुस्कान, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "आज मिलना है, लेकिन कैसे?" वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज नदी के किनारे घूमकर आऊंगा। शाम को लौटूंगा।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। ध्यान से जाना, पानी तेज़ है।" आर्यन निकला – गांव की पगडंडियां पार की, खेतों से गुजरा, नदी के किनारे पहुंचा – शाम हो रही थी, सूरज ढल रहा था, पानी की कलकल, हवा में ठंडक, पेड़ों की छांव। नर्मिला इंतज़ार कर रही थी – नीली साड़ी में, बाल खुले, चेहरा थोड़ा उदास, लेकिन आर्यन को देखकर मुस्कुराई। "आर्यन, आ गए?" उसने कहा, करीब आते हुए। आर्यन मुस्कुराया, उसके पास बैठा – नदी का पानी उनके पैर छू रहा था, शाम की रोशनी नर्मिला के चेहरे पर пад रही थी, उसकी आंखें चमक रही थीं। "नर्मिला जी, तुम्हारी आंखें... नदी से ज्यादा गहरी लग रही हैं। क्या बात है?" वो धीरे से पूछा, हाथ छुआ। नर्मिला चुप रही, फिर आंखें नम हो गईं: "आर्यन, सर्पंच जी... अब मुझे प्यार नहीं करते। ध्यान नहीं देते।" आर्यन ने हाथ पकड़ा: "क्यों? बताओ न।"
नर्मिला ने सिसकी ली, आंसू बहने लगे: "आर्यन, सर्पंच जी गांव की लगभग सारी लड़कियां और औरतें चोदते हैं। रोज एक नई। मुझे इससे कोई समस्या नहीं, लेकिन वो मुझे ध्यान ही नहीं देते। जैसे मैं कोई पुरानी चीज़ हो गई हूं।" उसकी आवाज़ कांप रही थी, आंखें नीचे, हाथ कसकर पकड़े। आर्यन का दिल धड़का, लेकिन वो चुप रहा, धीरे से उसके आंसू पोछे: "नर्मिला जी, रोओ मत। तुम इतनी खूबसूरत हो, कोई कैसे ध्यान न दे?" नर्मिला ने सिर उठाया, आंखें मिलाईं: "आर्यन, तुम्हारी बातें... दिल को छूती हैं।" आर्यन ने धीरे से गाल पर हाथ रखा, सहलाया: "नर्मिला जी, तुम्हें खुशी मिलनी चाहिए। मैं हूं न।" नर्मिला की सांस तेज़ हुई, वो चुप रही, लेकिन आंसू बहते रहे। आर्यन ने उसे चुप कराने के लिए गले लगा लिया – उसके ब्रेस्ट उसके सीने से लगे, गर्माहट महसूस हुई, नर्मिला की सांसें उसके कान के पास। "आर्यन... ये... " वो फुसफुसाई, लेकिन रुकी नहीं। आर्यन ने धीरे से गर्दन पर किस किया – नरम, गर्म, जैसे सांत्वना दे रहा हो। नर्मिला की कमर उछली, सिसकारी भरी: "ओह... आर्यन..." आर्यन ने गाल पर किस किया, फिर होंठों पर – लंबा, पैशनेट किस, जीभ मिलाकर, सांसें एक। नर्मिला ने रिस्पॉन्ड किया, उसके हाथ आर्यन की पीठ पर, कसकर पकड़े। किस खत्म हुआ, नर्मिला की आंखें बंद: "आर्यन... ये... गलत है, लेकिन अच्छा लगा।" आर्यन ने कान में फुसफुसाया: "नर्मिला जी, जीवन में खुशी मिलनी चाहिए। कल मिलें? अकेले, यहां।" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन हां कहा। जाल और गहरा हो गया।
आर्यन की सुबह गांव की रौशनी में बीती – वो उठा, मां के साथ चाय पी, लेकिन मन में नर्मिला की तस्वीर घूम रही थी – उसकी वो शरारती मुस्कान, वो भरा हुआ बदन, वो bhabhi जैसी अदा। "आज मिलना है, लेकिन कैसे?" वो सोचता हुआ निकला। मां से कहा: "मां, आज घर पर हूं। अगर कोई आए तो बताना।" मां मुस्कुराई: "हां, बेटा। आराम कर।" आर्यन कमरे में बैठा, किताब पढ़ने का नाटक किया, लेकिन मन में प्लान – "नर्मिला आएगी, आज घर पर।" दोपहर हुई, मां बाहर गईं – किसी पड़ोसी से मिलने। तभी दरवाज़ा खटखटाया, आर्यन खोला – नर्मिला सामने – हल्की गुलाबी साड़ी में, बाल खुले, चेहरा शर्म से लाल, हाथ में एक टिफिन। "आर्यन, आंटी घर पर नहीं हैं?" उसने पूछा, आंखें नीचे। आर्यन मुस्कुराया: "नहीं, नर्मिला जी। बाहर गई हैं। आओ, अंदर आओ।" नर्मिला हिचकिचाई, लेकिन अंदर आई, टिफिन रखा: "ये मिठाई है, तुम्हारे लिए बनाई।" आर्यन ने हाथ पकड़ा: "नर्मिला जी, तुम्हारी मिठाई... तुम्हारी तरह मीठी होगी। बैठो।" दोनों सोफे पर बैठे, नर्मिला की सांस तेज़, आंखें मिलाईं: "आर्यन, कल की बात... नदी के किनारे... अच्छी लगी। लेकिन गलत है।" आर्यन करीब आया, गाल छुआ: "नर्मिला जी, गलत क्यों? जीवन में खुशी मिलनी चाहिए। तुम्हारी आंखें... उदास लग रही हैं। बताओ न।" नर्मिला की आंखें नम: "आर्यन, सर्पंच जी... मुझे ध्यान नहीं देते। लेकिन तुम... तुम्हारी बातें... दिल को छूती हैं।" आर्यन ने धीरे से गले लगा लिया – नर्मिला के ब्रेस्ट उसके सीने से लगे, गर्माहट महसूस हुई, नर्मिला की सांसें उसके कान के पास। "नर्मिला जी, रोओ मत। मैं हूं न," वो फुसफुसाया। नर्मिला ने सिर उठाया, आंखें मिलाईं, और धीरे से होंठ करीब आए – एक नरम किस, जैसे बिचड़े हुए प्रेमी मिले हों।
किस गहरा होता गया – आर्यन के होंठ नर्मिला के होंठों पर दबे, जीभ मिलीं, सांसें एक हो गईं, जैसे सालों का इंतज़ार खत्म हो रहा हो। नर्मिला की सांस तेज़, हाथ आर्यन की पीठ पर, कसकर पकड़े। "आर्यन... ये... इतना अच्छा... लेकिन..." वो फुसफुसाई, लेकिन रुकी नहीं। आर्यन ने धीरे से साड़ी का पल्लू सरकाया, गर्दन पर किस किया – नरम, गर्म, चाटा धीरे। नर्मिला की कमर उछली, सिसकारी: "ओह... आर्यन... तुम्हारा मुंह... इतना गर्म... हां..." आर्यन ने ब्लाउज के हुक खोले, ब्रेस्ट आज़ाद – बड़े, सॉफ्ट, निप्पल्स ब्राउन और हार्ड। धीरे से एक ब्रेस्ट पर मुंह रखा, चूसा, जीभ से सर्कल बनाते हुए। नर्मिला की सिसकारी: "आह... आर्यन... चूसो... मेरे निप्पल्स... इतने हार्ड... तुम्हारे लिए... हां..." उनकी आंखें बंद, चेहरा लाल, भावनाएं उमड़ रही थीं – प्यार के आंसू आंखों के कोनों में। आर्यन ने दूसरे ब्रेस्ट पर स्विच किया, चूसा, काटा हल्का, हाथ से मसला – नर्मिला की बॉडी कांप रही थी, "आर्यन... तुम्हारा स्पर्श... इतना रोमांटिक, इतना गहरा... मुझे लगता है... तुम मेरे बिचड़े हुए प्रेमी हो... और चूसो..." आर्यन नीचे सरका, साड़ी ऊपर की, पैंटी उतारी – चूत पर बाल, गुलाबी, गीली। जीभ फेरी – क्लिट पर, धीरे सर्कल। नर्मिला तड़पी: "आह... आर्यन... तेरी जीभ... मेरी चूत में... इतनी नरम... हां... चाटो..." आर्यन ने जीभ अंदर डाली, चूसा, उंगली से रगड़ा – नर्मिला झड़ी, बॉडी कांपी।
निर्मला की चूत को चूसते हुए आर्यन उसके स्तनों को धीरे-धीरे दबा रहा था, जैसे कि वह उसकी हर सांस को महसूस कर रहा हो। उसके दिमाग में अभी भी वह पुराना दृश्य घूम रहा था—जब सरपंच उसकी माँ को बेरहमी से चोद रहा था, उसे रंडी की तरह इस्तेमाल करते हुए। लेकिन अब, निर्मला के साथ, वह सब कुछ अलग करना चाहता था। वह चाहता था कि यह पल प्यार से भरा हो, न कि सिर्फ वासना से। निर्मला की आहें कमरे में गूंज रही थीं, और आर्यन ने महसूस किया कि उसका पानी निकलने वाला है। जैसे ही वह झड़ी, आर्यन ने उसका सारा रस पी लिया, मानो वह उसकी आत्मा का हिस्सा बनना चाहता हो। उसका स्वाद मीठा था, जैसे कोई अमृत।
फिर आर्यन उसके ऊपर आया। निर्मला की आंखों में आंसू थे—शायद दर्द के, या शायद खुशी के। आर्यन ने उन आंसुओं को चाट लिया, जैसे वे उसके लिए कोई कीमती मोती हों। फिर उसने उसके माथे पर एक कोमल चुंबन किया, और होंठों पर एक गहरा, प्यार भरा चुम्बन। वह जानता था कि निर्मला अब तैयार है, लेकिन वह जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। वह चाहता था कि यह पल हमेशा के लिए याद रहे। आर्यन ने अपना लंड निकाला और उसके सामने रख दिया। वह 10 इंच का था, मोटा और मजबूत, जैसे कोई राजसी हथियार। निर्मला की आंखें चौड़ी हो गईं। वह भूखी शेरनी की तरह उस पर झपट पड़ी और बोली, "ओह, इतना बड़ा! इतना तो सरपंच का भी नहीं है। यह तो जैसे मेरे लिए बना है।" आर्यन मुस्कुराया और बोला, "हां मेरी जान, अब यह तुम्हारा है। इसे प्यार से सहलाओ, जैसे मैं तुम्हें सहलाता हूं।"
निर्मला ने उसे हाथ में लिया और धीरे-धीरे हिलाने लगी, उसकी नसों को महसूस करते हुए। फिर उसने उसे मुंह में डाला और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, जीभ से घुमाते हुए, जैसे वह हर इंच को चखना चाहती हो। आर्यन की सांसें तेज हो गईं, लेकिन वह रुकना नहीं चाहता था। दस मिनट तक यह चलता रहा, और फिर आर्यन ने कहा, "बस अब, मेरी रानी। अब शुरू करते हैं असली खेल—प्यार का खेल।" निर्मला ने उसकी आंखों में देखा और बोली, "मैं अब पूरी तरह तुम्हारी हूं, राजा। जो चाहो करो मेरे साथ, लेकिन प्यार से।"
आर्यन ने उसे बिस्तर पर लिटाया। कमरे की मद्धिम रोशनी में उसका शरीर चमक रहा था, जैसे कोई देवी। वह अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा, धीरे-धीरे, उसे तड़पाते हुए। निर्मला की सांसें उखड़ने लगीं, वह तड़प रही थी, "प्लीज, आर्यन... अंदर डालो ना।" आर्यन से रहा नहीं गया। उसने एक धीमा लेकिन मजबूत धक्का लगाया, और आधा लंड अंदर घुस गया। निर्मला चीख उठी, लेकिन आर्यन ने अपने होंठों से उसके मुंह को बंद कर दिया, उसे गहरा चुम्बन देते हुए। फिर एक और जोरदार धक्का, और पूरा लंड अंदर। निर्मला रोने लगी, दर्द से, लेकिन आर्यन ने उसे संभाला। वह रुका, उसे प्यार से सहलाया, उसके स्तनों को चूसा, निप्पलों को जीभ से छेड़ा। धीरे-धीरे निर्मला शांत हुई, और उसकी सिसकारियां शुरू हो गईं।
अब आर्यन ने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया, हर धक्के में प्यार डालते हुए। निर्मला की आंखें बंद थीं, वह सिसकारियां ले रही थी, "ओह... आर्यन... कितना अच्छा लग रहा है।" आर्यन ने चुम्बन तोड़ा और गति बढ़ा दी। कमरा उनकी सांसों और आहों से भर गया। निर्मला बड़बड़ाने लगी, "हां, और तेज चोदो मुझे राजा... आआआह... फाड़ दो मेरी चूत... मैं तुम्हारी हूं।" दस मिनट तक यह चलता रहा, पसीने से भीगे शरीर एक-दूसरे से चिपके हुए। फिर आर्यन ने उसे डॉगी स्टाइल सिखाया—उसे घुटनों पर लिटाया, पीछे से पकड़ा। निर्मला पागल हो गई, "हां, कुतिया बना दो मुझे... चोदो जोर से।" आर्यन ने वैसा ही किया, उसके कूल्हों को पकड़कर धक्के लगाए, हर धक्के में उसकी गहराई को छूते हुए।
फिर उसने उसे उठाया और दीवार के सहारे लगा लिया। निर्मला की टांगें उसके कमर के चारों ओर लिपट गईं। आर्यन ने उसे ऐसे चोदा, जैसे वह उसे दुनिया से अलग कर रहा हो। इस बीच निर्मला छह बार झड़ी, हर बार और ज्यादा जोर से, जैसे उसका शरीर आनंद की लहरों में डूब रहा हो। आखिरकार, आर्यन उसकी चूत में ही झड़ गया, अपना सारा बीज अंदर डालते हुए। दोनों थककर बिस्तर पर गिर पड़े, एक-दूसरे की बाहों में। लेकिन वे भूल गए कि आर्यन की माँ घर आने वाली है। वह सब अगले भाग में...

mast update hai bhai.....yahan to use bina App ke hi naya shikar mil gaya
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#19
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गिगोलो का मोटा लंड: आंटीयों और जवान लड़कियों की गांड मार चुदाई कहानी

अगले दिन आर्यन ने प्लान बनाया – "नर्मिला को अपने घर बुलाऊंगा, मां बाहर जाएंगी, और चोदूंगा। लेकिन अगर मां देख लेगी तो... मजा आएगा।" वो मां से बोला: "मां, आज पड़ोसी के घर जाना है न? मैं घर पर हूं।" मां हंसी: "हां, बेटा। शाम को लौटूंगी।" आर्यन ने नर्मिला को मैसेज किया – गांव में फोन कम थे, लेकिन सर्पंच की बीवी होने से नर्मिला के पास था: "भाभी, आज शाम मेरे घर आओ। मां बाहर हैं। इंतजार है।" नर्मिला का जवाब: "आर्यन... ठीक है, आऊंगी। लेकिन सावधानी से।"
शाम हुई, मां बाहर गईं, और नर्मिला चुपके से घर आई – हल्की नीली साड़ी में, बाल खुले, चेहरा शर्म से लाल, लेकिन आंखों में भूख। आर्यन ने दरवाजा बंद किया, उसे बाहों में भर लिया: "भाभी, तुम्हारी महक... मुझे पागल कर देती है। आज तुम्हें चोद-चोद कर थका दूंगा।" नर्मिला शर्मा गई, लेकिन करीब आई: "आर्यन... हां... कल की याद में रात भर सो नहीं पाई। मेरी चूत गीली हो गई थी। चोदो मुझे।" आर्यन ने साड़ी खींची, ब्लाउज फाड़ा – नर्मिला के बड़े चूचे बाहर, निप्पल्स हार्ड। वो चूसने लगा – तेज, काटते हुए: "आह... आर्यन... चूस... मेरे चूचे... madarchod... काट... दर्द दे..." नर्मिला तड़पी, उसके लंड को सहलाने लगी। आर्यन ने पैंटी उतारी, चूत में उंगली डाली – गीली, गर्म: "तेरी चूत... रसीली है भाभी... चोदूंगा।" नर्मिला: "हां... चोद... बहनचोद... तेरा लंड... मुझे चाहिए।"
आर्यन ने उसे बेड पर पटका, लंड निकाला – 10 इंच, मोटा, सख्त। नर्मिला की आंखें फैली: "ओह... इतना बड़ा... कल से बड़ा लग रहा... मुंह में दो।" वो मुंह में ली, चूसने लगी – गला तक, लार बहाकर। आर्यन: "चूस रंडी... गला तक... madarchod..." नर्मिला चूसती रही, फिर आर्यन ने चूत में घुसेड़ा – तेज धक्का: "आह... फाड़ दे... आर्यन... तेरी चूत..." नर्मिला चिल्लाई: "हां... चोद... madarchod... मेरी चूत फाड़... तेज..." धक्के लगे – हार्ड, गहरा, बेड हिल रहा था, नर्मिला की गांड थप-थप कर रही थी, चूचे उछल रहे। "बहनचोद... और तेज... मुझे रंडी बना दे..." नर्मिला झड़ी, लेकिन आर्यन नहीं रुका – गांड में डाला: "तेरी गांड... टाइट है... फाड़ूंगा..." नर्मिला: "ओह... madarchod... गांड फट रही... लेकिन चोद... कम इनसाइड..." सेक्स वाइल्ड – कमरे में सिसकारियां गूंज रही, पसीना बह रहा, लेकिन तभी खिड़की से एक जोड़ी आंखें झांक रही थीं – आर्यन की मां, सुनीता।
सुनीता बाहर से लौट रही थी, लेकिन घर के पास आकर रुकी – अंदर से आवाजें आ रही थीं, सिसकारियां, थप-थप की। वो चुपके से खिड़की के पास गई, झांकी – और उसकी सांस रुक गई। बेटा आर्यन नर्मिला को चोद रहा था – उसका 10 इंच का लंड, मोटा, सख्त, नर्मिला की गांड में घुसा हुआ, धक्के लगाते हुए। "ओह... आर्यन का लंड... इतना बड़ा? मेरा बेटा... इतना ताकतवर?" सुनीता की आंखें फैल गईं, मुंह में पानी आ गया, जैसे भूख लगी हो। उसकी चूत गीली होने लगी, पैंटी में महसूस हो रही थी – "ये... मेरा बेटा है, लेकिन... इतना बड़ा लंड... कितना मोटा... नर्मिला को चोद रहा है... madarchod... मेरी चूत भी गीली हो रही..." वो खड़ी रही, देखती रही – आर्यन के धक्के, नर्मिला की सिसकारियां: "चोद... madarchod... फाड़ दे..." सुनीता का हाथ अपनी चूत पर चला गया, लेकिन रुकी – "नहीं, वो मेरा बेटा है। ये गलत है।" वो आंसू पोछती हुई घर से बाहर चली गई, चुपचाप, जैसे कुछ नहीं देखा। लेकिन मन में तूफान – "आर्यन... मेरा बेटा... अब उसे देखने का नजरिया बदल गया। वो अब सिर्फ बेटा नहीं, एक मर्द है।" वो गांव की गलियों में घूमती रही, लेकिन कुछ नहीं बताया किसी को।
आर्यन ने नर्मिला को चोदा – कम झाड़ा, नर्मिला थककर लेट गई: "आर्यन... तू कमाल है... रोज चोदना।" आर्यन मुस्कुराया: "हां, भाभी। लेकिन सर्पंच जी को पता न चले।" वो निकला, लेकिन मन में संतोष – रिवेंज पूरा। लेकिन मां की वो झांकती आंखें... वो नहीं जानता था। रात को मां घर लौटी, चुपचाप, लेकिन आर्यन को देखकर उसकी आंखें अलग थीं – प्यार से, लेकिन एक नई भूख से। "बेटा, कैसा है?" वो बोली, लेकिन चूत अभी भी गीली महसूस हो रही थी। आर्यन: "ठीक हूं, मां।" लेकिन अब रिश्ता बदल चुका था, अनजाने में।

आर्यन की रात गांव के घर में बीती – वो बिस्तर पर लेटा था, नर्मिला की चूत और गांड की याद में मुस्कुरा रहा था, लेकिन मां का चेहरा बार-बार आ रहा था। "मां... वो सर्पंच के साथ... लेकिन अब क्या? वो मेरी मां है," वो सोचता रहा, लेकिन लंड खड़ा हो गया – मां की वो जवान बॉडी, वो बड़े चूचे, वो गोल गांड। "नहीं, ये गलत है," वो खुद को डांटा, लेकिन नींद नहीं आई। सुबह उठा, मां रसोई में काम कर रही थी – साड़ी में, पसीने से भीगी, चूचे उभरे हुए, कमर की मटक। "बेटा, चाय?" वो बोली, लेकिन आंखें आर्यन के बदन पर रुकीं – कल की याद में उसकी चूत फिर गीली हो गई। "हां, मां," आर्यन बोला, लेकिन नजर मां की गांड पर। मां चाय लेकर आई, झुककर सर्व की – साड़ी का पल्लू सरका, चूचों की झलक। आर्यन का लंड खड़ा हो गया, लेकिन छुपाया। मां की नजर उसकी पैंट पर पड़ी, आंखें फैलीं – "ये... इतना उभरा हुआ?" लेकिन वो चुप रही, मन में आग लग गई। "बेटा, आज क्या करेगा?" वो पूछी, लेकिन आवाज कांप रही थी। आर्यन: "मां, घर पर हूं। तुम्हारे साथ समय बिताऊंगा।" मां मुस्कुराई, लेकिन चूत गीली हो रही थी – "मेरा बेटा... इतना बड़ा लंड... कल नर्मिला को चोद रहा था... madarchod... मुझे भी चाहिए?" वो खुद से लड़ी, लेकिन कुछ नहीं कहा।
दिन बीता, शाम हुई – मां नहाने गई, बाथरूम का दरवाजा हल्का खुला। आर्यन बाहर से गुजरा, झांका – मां नंगी, पानी से भीगी, चूचे बड़े, निप्पल्स हार्ड, चूत पर बाल, गांड गोल। मां साबुन लगा रही थी, चूत पर हाथ फेर रही, सिसकारी भरी: "ओह... आर्यन का लंड... इतना बड़ा... मेरी चूत में... आह..." वो उंगली डाल रही थी, मांबेटे की याद में। आर्यन देखता रहा, लंड खड़ा हो गया – "मां... मुझे भी चाहती है?" लेकिन वो चला गया, कुछ नहीं कहा। रात हुई, दोनों एक कमरे में सोए – गांव की आदत, एक बेड। मां की सांस तेज, आर्यन की भी। मां करवट बदली, उसकी गांड आर्यन के लंड से छू गई – लंड खड़ा, मां की साड़ी में दबा। मां की सिसकारी निकली: "ओह... बेटा..." लेकिन वो चुप रही, लेकिन चूत गीली। आर्यन ने धीरे से हाथ रखा मां की कमर पर: "मां, नींद नहीं आ रही?" मां की आवाज कांपती: "नहीं, बेटा। तुम्हारी याद..." आर्यन करीब आया, लंड मां की गांड पर दबा: "मां, मैं हूं न।" मां तड़पी, लेकिन कुछ नहीं कहा – "ये मेरा बेटा है, लेकिन... उसका लंड... इतना बड़ा..." वो चुप रही, लेकिन नजरिया बदल चुका था। आर्यन भी चुप रहा, लेकिन खेल शुरू हो चुका था।

आर्यन की रातें अब गांव की शांत रातों में बीत रही थीं, लेकिन उसका मन पूरी तरह बदल चुका था। कल की वो झलक – मां का हाथ अपनी चूत पर, वो सिसकारियां – उसके दिमाग में बार-बार घूम रही थीं। "मां भी एक औरत है, उसकी भूख है। सर्पंच जैसे हरामी ने उसे चोद-चोद कर उसकी चूत का भोसड़ा बना दिया है, लेकिन अब मैं... मैं अपनी मां की भूख मिटाऊंगा। उसके 'इलाज' के लिए मेरा 10 इंच का लंड ही काफी है," वो सोचता रहा, बिस्तर पर लेटे-लेटे, लंड खड़ा होकर तंबू बना रहा था। सुबह उठा, मां रसोई में काम कर रही थी – साड़ी में, पसीने से भीगी, चूचे उभरे हुए, गांड मटकती हुई। "बेटा, चाय?" वो बोली, लेकिन आंखें आर्यन के पैंट पर रुकीं – जहां लंड का उभार साफ दिख रहा था। आर्यन मुस्कुराया: "हां, मां। लेकिन पहले... तुम्हारी तबीयत कैसी है? रात को नींद आई?" मां की सांस तेज हुई, चूत फिर गीली होने लगी: "बेटा... नींद नहीं आई। मन बेचैन था।" आर्यन करीब आया, मां की कमर पकड़ी: "मां, मैं हूं न। तुम्हारी हर तकलीफ मिटा दूंगा।" मां की आंखें नीचे, लेकिन बॉडी कांप रही थी – "बेटा... ये... क्या कर रहा है?" लेकिन वो हटी नहीं, बल्कि और करीब आ गई, उसके चूचे आर्यन के सीने से छू रहे थे।
आर्यन ने धीरे से मां की साड़ी का पल्लू सरकाया, गर्दन पर किस किया – नरम, गर्म: "मां, तुम्हारी तबीयत ठीक करने का तरीका मुझे पता है। तुम्हारी ये भूख... मैं मिटाऊंगा।" मां की सिसकारी निकली: "ओह... बेटा... ये गलत है... लेकिन... तुम्हारा स्पर्श... इतना गर्म..." आर्यन ने ब्लाउज खोला, मां के बड़े चूचे बाहर – निप्पल्स हार्ड, जैसे लंड की भूखी। वो चूसने लगा – तेज, काटते हुए: "आह... आर्यन... चूस... अपनी मां के चूचे... madarchod... काट... दर्द दे..." मां तड़पी, उसके लंड को सहलाने लगी। आर्यन ने साड़ी उतारी, चूत में उंगली डाली – गीली, गर्म: "मां, तेरी चूत... रसीली है... सर्पंच ने चोदा है, लेकिन मेरा लंड... तुझे ठीक करेगा।" मां की सांस तेज: "हां... बेटा... चोद... अपनी मां की चूत... madarchod... तेरी मां रंडी है... चोद..." आर्यन ने लंड निकाला, मां के मुंह में ठूंस दिया: "चूस... मां... तेरे बेटे का लंड... 10 इंच... गला तक..." मां चूसने लगी – लार बहाकर, जैसे भूखी शेरनी। "ओह... बेटा... इतना बड़ा... तेरे पापा का आधा था..." वो चूसती रही, फिर आर्यन ने बेड पर पटका, चूत में घुसेड़ा – तेज धक्का: "आह... मां... तेरी चूत... टाइट है..." मां चिल्लाई: "हां... चोद... madarchod... तेरी मां की चूत फाड़... तेज..." धक्के लगे – हार्ड, गहरा, मां की गांड थप-थप कर रही थी, चूचे उछल रहे। "बहनचोद... और तेज... मुझे रंडी बना दे..." मां झड़ी, लेकिन आर्यन नहीं रुका – गांड में डाला: "मां, तेरी गांड... फाड़ूंगा..." मां: "ओह... madarchod... गांड फट रही... लेकिन चोद... कम इनसाइड..." आर्यन ने कम झाड़ा, मां थककर लेट गई: "बेटा... तू कमाल है... रोज चोदना।" आर्यन मुस्कुराया: "हां, मां। तेरी भूख मिटा दूंगा।"
आर्यन ने फैसला किया – गांव में रहूंगा, और गांव की हर औरत को चोदूंगा जो सर्पंच चोदता है। "वो हरामी ने मेरी मां को चोदा, अब मैं उसकी हर रंडी को चोद-चोद कर अपनी बना लूंगा, ताकि वो सर्पंच को छोड़ दें।" 
Fuckuguy 
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