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Adultery पति पत्नी एवं पत्नी के भाइयों के कामुक संबंधित कथा।
#1
my hindi story is about the sexual relations between husband ,wife and brothers of wife.
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#2
अमित वासना
भाग1
मैं ऊषा देश के उत्तरपूर्व राज्य के एक छोटे से जिले की रहनेवाली अभी उमर 42वर्ष ,चूंचियां 36इंच और मेरी गांड़ फूले तरबूज़ के आकार का,साइज 40इंच। हालांकि मेरी चूंचियां अब पहले जैसी नहीं रही,पर अभी भी ठरकी मर्दों और जवानी में कदम रखते लौंडे, अपने अपने लौड़े सहलाने लगते थे।
यह बात तब की है जब मैं 24साल की हो रही थीं,मेरे कॉलेज की पढ़ाई समाप्त होने वाली थी। स्वभाव से मै ज्यादा उग्र और उच्छृंखल थी।कई सहेलियों और लड़के भी मेरे दोस्त बन गए थे,लेकिन लड़कों से दोस्ती में भी बाते अश्लील चुटकुले,और कभी चूचमर्दन जैसी हरकतों से बात आगे नहीं बढ़ी । लेकिन बकरे की मां कब तक खैर  मनाती,एक दिन वो हो ही गया ,जिसे खोलने का अधिकार मेरे होने वाले पति का था,उसे उन दोस्तों में से एक ने पहल की,और फिर सबने एक एक करके अपनी जुताई की।क्यों और कैसे वोह मै अगले भाग में बताऊंगी।इधर मै रोज नई नई केलों का आनंद लेने मे जुटी थी, इधर किसी दिलजले ने यह शिकायत मेरे घरवालों से कर दी।फिर क्या था,मेरे पिताजी ने मेरी शादी अपने एक मित्र के बेटे रमेश नाम के लड़के के साथ तय कर दी।मैने सुना कि वो किसी सरकारी विभाग में सहायक के पद पर काम कर रहे है।फिर आनन फानन में मेरी शादी कर दी गई।
आज मेरी तथाकथित सुहागरात थी ।मै जानती थी कि आज मेरे साथ क्या होगा,पर भीतर ही भीतर डर भी रही थी कि क्या होगा जब उन्हें पता चलेगा कि उनकी पत्नी ने उनके लिए जो वास्तविक उपहार था ओह मै पहले ही गवा चुकी हूं।उजा घर मे मै बैठी थी,वहां से थोड़ी देर के बाद ही मुझे इनकी भाभियों और कुछ नौजवान लड़कियां आई और मुझे वहां से ले जाकर एक सजे सजाए रूम में ले आई।एक पलंग जो फूलों , मालाओं से सजी हुई थी पर ले  आई।बहुत सी बातें भी बोल रही थी,पर मै अपने ही विचारों में खोई हुई थी, इसलिए सिर्फ़ मै घुघट की ओट से मुस्कुराती हुई शुक्रिया कहकर पलंग पर बैठ गई।मुझे अधिक न बोलते देख एक उनमें से बोली,बहुरानी बहुत थकी लग रही है, और न जाने कितनी मेहनत करनी पड़ेगी आज रात। थोड़ी देर आराम करि।इतना कह के ओ सब चली गई।थोड़ी देर बाद उनमे से एक दो ग्लास दूध ले कर आई, और धीरे से बोली,भैया दूध के बड़े शौखिन है।ए वाला दूध जरूर पिला दीजिएगा,तो बाद वाला ओ खुद मटकी में मुंह लगा कर पि लेंगे।मुझे जबतक उसकी बात समझ आती वो वहां से हंसती हुई भाग गईं।
मैं थोड़ी ही देर लेटी होऊंगी की किवाड़ खुलने की आवाज आई,मै सिहरते हुए सीधी होकर बैठ गई।धीरे धीरे ओ आकर पलंग पर मेरे बगल में बैठे और धीरे से मैरी घूंघट उठाकर मुस्कुराती नजरों से मेरी ओर देख कर एक सोने का खूबसूरत स चैन मेरे गले में पहना दिया और बोले,तुम तो थक गई होगी,चलो आज की रात हमलोग एक दूसरे के बारे में बात करते हैं,दरअसल यह शादी इतनी जल्दबाजी में हुई कि न मैतुम्हारे बारे में न शायद तुम भी हमारे बारे में या मेरे परिवार के विषय में कुछ जानती होगी। मेरे सीने की धुकधुकी कम हो गई थी।और फ़िर मुस्कुराती हुई बोली हा सो बात तो है ,मुझे तो सिर्फ इतनों बात मालूम है कि आपके पिताजी और मेरे पिताजी में पुरानी दोस्ती थी।इस बहाने ओ दोस्ती को संबंध बना देने का बहाना बन गया।थोड़ी देर इधर उधर की बातों का सिलसिला जो मेरे पढ़ाई से लेकर मेरी सहेलियों के विषय में पूछते रहे,मै बताती जा रही थी।फिर मै ने  उनसे उनके परिवार के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया की वो एकमात्र संतान है अपने माता पिता के।उनकचाचा के लड़के लड़कियां है,जो कुछ आई है,कुछ नहीं आ पाई।
इस समय तक गप्प करते करते कब मै उनकी बाहों में लिपट कर उनके सीने में अपने शिर को छुपा लिया ,पता ही न चला।वो मेरे गालों और होंठों का चुम्बन ले रहे थे और एक हाथ से मेरी गांड़ कि गोलाईओ को सहला भी रहे थे।
अचानक ओ बोल पड़े ,अच्छा ये तो बताओ तुमको सेक्स में क्या पसंद है,अब मैं सोच में पर गई,अगर कुछ बोलती हूं तो मै खुद फंस जाऊंगी।अतः मै धीमे स्वर में बोली जी जो आपको पसंद होगी ओहि मेरी भी होगी।इसपर ओ हंस कर बोले चलो मै तुमको दिखलाहूं ,कह कर ओ पलंग से उतरे और हमलोंगो के ठीक सामने एक टीवी और वो सी आर टेबल पर रखी हुई थी।उन्होंने एक कैसेट निकल कर  वीसीआर में डाला और टीवी ऑन कर बेड पर आकर मुझे बाहों में लेकर लेट गए।हंसों की नजरें टीवी पर ही लगीं थी।जानती हो यह  ब्ल्यूफिलम आज कल तहलका मचा रखा है।देखो कैसे इस लड़की की चढ़ाई होती है।मै चुड़ैल सुनते ही सचमुच में शर्मा गई आतंके कुर्ते में ही मुख छुपा ली।एक नवयुवक उस लड़की के पैरों को अपने कंधे पर रख कर अपनी बार सा लैंड  उसके छुटके ऊपर रखकर उसे अपने लौड़े ही से सहलाए जा रहा था।उसके अगल बगल चार पांच आदमी खरे थे जिसमें एक लगभग साठ वर्ष का होगा ओ भी कुछ बोलता जा रहा था।अचानक उस नौजवान ने एक झटके से अपना पूरा लौरा उसकी boor में घुसा दिया।वह लड़की बारे जोर से चीखी तो ओह बुजुर्ग उसे चुप कराने लगे तो उसमें से एक अन्य आदमी बोलने लगा ,अरे चीखने दे मजा आएगा।ओह जवान उसी तरह से उस लड़की की चीख निकलवाता रहा।उसी में एक दूसरी सीन आई,उसी लड़की की choot में अब लौड़े की जगह एक बियर की बॉटल का सिरा घुसा कर ओह लड़की खुद choot के बाहर भीतर कर रही थी अपना सिर उस बुजुर्ग आदमी के गोद में रख कर,और वो बुजुर्ग उसके सिर को सहलाए जा रहा था। अब दुसरी फिल्म चली जो अंग्रेजी में थी।इसमें एक लड़की पांच छः लोगों के बीच एक दम नंगी खरी थी वैसे ही वो सभी नंगे ही थे। मेरी तो आंखे फटी की फटी रह गई जब देखी कि एक आदमी काट पर लेट गया,उसका लौरा जो करीब नौ से दस इंच का होगा एकदम आकार के सीधा खरा था,उस लौड़े पर ओ लड़की अपनी choot में घुमाकर बैठ जाती है,दूसरे और तीसरे एक एक कर अपने लौड़े को उसकी गांड़ के छेद में लेती है ,चौथा अपने लौड़े को उसकी मुंह में ठेलकर चुसवा रहा था,गांड़  में पेलने वाले  कभी कभी उसकी गांड़ पर जोर की चपत भी लगाए जा रहे थे।ये सब देख कर मेरी चoot भी भींग आई थी,और मुझे उनके लौड़े का कड़ापन अपने पेट के नीचे महसूस कर रही थी।
बंद कर दीजिए,मै धीरे से बोली।फिर ओ उठकर गई और उसे ऑफ कर बेड पर आ गए ,और फिर मुझे अपने गोद में खींचते हुए कसकर अपने से चिपकाते हुए बोले कैसा लगा मेरी रानी।धत कहकर मै उनके सीने में अपने मुंह को छिपा लिया।अब उनके हाथ ने मेरी चूंचियों का जायजा लेना शुरू कर दिया था।ओ हल्के स्वर में मुझसे पूछने लगे,तुम तो ग्रेजुएशन कर रही हो, तुम्हारी कोई सेक्स फेंटेसी है तो बताओ।नहीजी मेरी कोइ फंतासी नहीं है।ओ मुस्कुरा के बोले अगर मै छुड़ाई के बीच अगर तुम्हे गंदी गालियों से बात करूं  तो कैसा लगेगा,वो कैसे और कैसी गलियानदेखो मै बताता हूं,कहकर ओ मेरी चूचियों को कसकर मसलते हुए बोले,साली, बुरचोडी अपनी चुचकसनी खोल के अपनी चूंची चूसा रण्डी। मै तो अवाक रह गई ऐसी भाषा सुनकर,लेकिन भीतर एक कामुक आग की लहर उठ रही थी,लेकिन मै वैसे ही मुंह छिपाए लेती रही,फिर ओह बोले ऐसे कैसे चलेगा मेरी रानी,तुमको भी ऐसी भाषा में बात करनी होगी।अगर पसन्द हो तो आगे भी करेंगे  वरना बंद कर देते है।नहीं जी ऐसी कोई भी बात नहीं है,बस ऐसी गंदी गालियों पर मैने कभी ध्यान नहीं दी ज्यादा जानती नहीं हूं,अब सीख लूंगी।जो जितना जानती हो उसी में से कुछ याद कर मेरी बातों का जवाब दो तो सुने।मै अक्सर कॉलेज में एक दूसरे को ओ बहन के लौड़े कहते हुए सुनी थी,बस मै भी बोल पड़ी,ओ बहन के लौड़े खोल ले अपनी बुरचोडी रण्डी बीबी की चूंचकसनी,बुरझप्पा,मै तो आपकी मॉल हूं, पर्सनल रण्डी।इतना सुनते ही उन्होंने मुझे कसकर चिपका लिया।और कस कद के चुम्बन लेने लगे।अब उनके हाथों की अंगुलियों मेरी बूर के होंठों को सहला रही थी। ए क्या है मेरी रण्डी बीबी ऊषा।मैं तो पहले से ही शर्म से आंखों को बंद किए हुई थी।अचानक उन्होंने अपनी हाथ वहां से हटा ली,boorchodi थोड़ा सहलाने और बाते करने में ही पानी छोड़ने लगी। पूरी खेली खाई है।है न ऊषा रण्डी। बात तो सही ही थी,पर यह बात सुनके मेरे ऊपर एक उदेशी सी छा गई,जो इनसे छिपी ना रह सकी,फिर ओ मेरे गालों पर हल्का सा चुम्बन लेकर बोले,अरे तुम उदास क्यों होती हो,अब तो हमारी शादी हो चुकी है और एक दूसरे से कोई बात छुपानी नही चाहिए।जैसे तुम कई लौड़े ले चुकी हो  मै भी कई चूten फार चुका हूं। कईओ की तो गांड़ का भी सत्यानाश कर चुका हूं।अब मेरी धड़कन स्थिर हो चुकी थी।मै ने भी होंठों पे हंसी लाते हुए बोली चल झूठे।बात बनाना तो आप खूब जानते है, वैसे कौन है वो लौंडिया जिसने मेरे  चोदूं भतार के लौड़े का रस पी चुकी है।एक का भी नाम बताइए।
मै तो बताऊंगा भी और मिलाऊंगा भी, पहले तुम बताओ मेरी प्यारी बीबी ऊषा रण्डी की तुम्हारी इस हसीन चूt ka  उदघाटन समारोह किसके द्वारा हुआ था। मै फिर फंस गई,अब क्या करूं ,बस इनके छाती में मुंह छिपाए लेटी रही,जब बहुत देर तक में नहीं बोली तो वो स्वयं ही बोले,देखो तुमको पहिए पहल परम madarchod ने ठुकाई की थी,बोलो हां या ना।अरे इन्हें कैसे मालूम,मै इनकी गोद में और सिमटते हुए बोली,हा यह बात तो सही है,पर आपको।कैसे मालूम।अरे इसकी भाभी,और बहन दोनों की मै भरपूर ठुकाई करता हूं।और यह बात परम भी जनता है।उसी ने एक दिन अपनी भाभी से मिलने आया था,उस दिन इतवार होने के कारण छुट्टी मैं भी वहां मौजूद था,आज उसकी भाभी और बहन दोनों को पेलने का सोचकर गया था।पर उसकी मोजूदगी के कारण देरी हो रही थी।
उसकी भाभी ने उससे मजाक करते हुए कहा कि देवरजी,जल्दी से परीक्षा पास कीजिए ,नौकरी ढूंढिए,और फिर छोकरी।अरे भाभी ,उसने जवाब देते हुए कहा,अरे भाभी नौकरी गई तेल लेने,कुछ ही दिन पहले मिलाप हुआ है,ऊषा नाम है उसका।मस्त छोकरी है।अरे वाह तो,बस वैसे ही जान पहचान है या चोंच मार चुके हैं उसकी भाभी ने पूछा।ओह सीना फुलाते हुए  अपनी भाभी कोआँख मारता।हुआ बोला ओ तो छक्का मार चुका है।बस मालूम पर गया।मै पूरी बात सुनकर सुन्न हो गई।
मै सोच भी नहीं सकती थी कि ऐसे लोग भी होते है।फिर अपने पति की ओर देख कर सोच रही थी,कितनीभाग्यशाली हूँ मै।अगर किसी दकियानूसी परिवार,या वैसी सोच वाले पति मुझे मिलते तो या तो मुझे आत्महत्या करनी पड़ती या किसी कोठे की रण्डी। घरवाले तो ऐसी बात जानकर मेरी छाया भी अपने घर पर न पड़ने देते।मै अपने पति को अगाध श्रद्धा से निहारती रही,और फिर उनके पैरों पर सिर रख कर मै नसुबकने  लगी।थोड़ी देर तक वो मेरी बालों को सहलाते रहे,और फिर मेरे कमर में गुदगुदी करते हुए अपनी बाहों मैं उठा कर।अपनी गोद में बैठा लिया।फिर ओ बोले,परम से तो तुम्हारी कोई रिश्तेदारी नहीं है,मै तो अपनी सगे बुआ की लड़की की choot  ठोक चुका हूं,यही नहि उसके साथ सुहागरात भी मनाई।मस्ती से रात भर उसकी ठुकाई भी की ,और गांड़ भी मारी।वाह, आप तो पक्के बहानचोद निकले मै खिले मन से उनसे बोली।वाह,मेरी chdakkar बीबी के मुख से फूल झरने लगे,और वो मुझे दबोच कर मेरे हर अंग की चुम्मी लेने लगे।फिर बोले अरे ऊषा रण्डी तू ओ किस्सा बता की परम तुम्हारी गुफा कब कहा।और।कैसे खोली।देखिए जी,आज तक ऐसी गंदी पर मनभावन बाते न किसी से सुनि और न किसी ने सुनाई।बस बहन के लौड़े,maadarchod,भांचोद,जैसी गालियों ही आमतौर पर सुनाईदेती है।और मै उनके पैजामे की गांठ खोलने लगी,तो ओ हड़बड़ा के बोले तो आज तुम गई साली,मै तो सोचता था कि आज आराम करेंगे और फिर कल्ह जब मां पिताजी पूजा के लिए गांव चले जायेगे तो दिन भर ठुकाई ठुकाई और ठुकाई होगी।कभी रूम में कभी आंगन में।मै भी अब मौज में  आ चुकी थी,हर दर, भय समाप्त हो चुकी थी।मै अपने पति के लिए कुछ भी कर सकती थीं।उनकी बाते सुनकर उनसे बोली,जब आप सब जानते ही है तो आपसे क्या छुपाना ,बस एक बात कहनी है कि मुझे कहानी कहने की विद्या नहीं आती,आज आप अपनी फुफेरी बहनजी साथ जो सुहागरात मनाए थे ओ घटना अच्छी तरह से सुनाइए,बस उसी प्रकार मै भी कल्ह सुनाऊंगी,और आज भी मै मुफ्त में नहीं सुनूंगी,जब तक आप सुनते रहेंगे मै अपनी बूर के मालिक इस लौड़े को चुस्ती रहूंगी,बोलिए ए निकल गए मेरे राजा जानी,मै उनके लौड़े को पाजामे से बाहर  निकल कर उसे हाथों से सहलाते हुए बोली।अब आप कहानी शुरू करें लेकर बहन का नाम।अरे तू तो वाकई मेरी गुरु निकली।इतनी ही देर में जबान इतनी तेज हो गई।अब मै भावुक हो गई और रुंधे स्वर पर होंठों पर एक स्वाभाविक मुस्कान के साथ बोली,मेरे स्वामी,मेरे मालिक,मेरे तन मन के मालिक हो आप,आप की अब मै पत्नी या बीबी नहीं आपकी गुलाम बन गई हूं।मै अब तक सहमी हुई थी,अपने गुनाहों के डर से,पर आपकी बातें सुनकर वह डर जाता रहा।अब तो यह हाल है कि आप जहां चाहे जैसे चाहें मेरे इस तन का भोग कर सकते हैं। चाहे ओ किसी नदी का सुनसान इलाका हो या हजारों की भीड़।कभी आजमा के देखिएगा, कितनी बड़ी आज्ञाकारी है ये आपकी ये रण्डी बीबी ऊषा ,क्या नाम दिया था अपने  Boormarani Usha..बस हो गया,अब न बोलूंगी,सिर्फ नाम बता के शुरू किजिए बताना कि कैसे....... जी क्या बताया अपने सीमा,नहीं रे बूर chodi मीरा नाम है उसका। चलिए शुरू कीजिए ,अपनी फुफेरी बहन मीरा की chudai दास्तान।ए लीजिए ये गया आपके सात इंची का लॉलीपॉप मेरें मुंह में।और ओ अपनी जीभ एक साधे हुए रण्डी की तरह सुपारा  पर चलाने लगी।अभी तक कई भाभियों ने बहन मीरा ने इस लुंड को चूस चुकी थी पर इतनी श्रद्धा,इतने प्रेम से वो।चूस रही थी कि उसके मुंह।अपने आप खुल गए
बोलने लगा...तो सुन मेरी कुत्ति ऊषा बू र चो दी
कैसे चोद चोद कर हमने फारी मीरा बहन की भोंसड़ी।
यह बात तब की है जबकि मेरी नौकरी नई नई लगीं थी , कोइ छ सात महीने हुए थे,की मुझे बुआ का एक पत्र मिला जिसमें उन्होंने अनुरोध किया था कि उनकी बेटी मीरा के ससुराल में कोईसमारोह है उसमें जाने के लिए।क्योंकि वहां कोई उपलब्ध नहीं था जाने के लिए,और यह पत्र ओ किसी जानने वाले के हाथ भेज रही है साथ में वह पांच सौ रूपये भी भेजी थी।मीरा के ससुराल का पता भी साथ में संलग्न था।मीरा की याद आते ही मेरे लुंड में एक सुगबुगाहट सी होने लगी।क्या मदमस्त चलती थी,उसकी बलखाती कमर उसके हिलते हुए चूतड़,सीने के छोटे छोटे बेर।सब पर सिर्फ हाथ ही लगा के रह गया,कभी मौका ही ना मिला कि उसके नगीने जैसे बदन का लुत्फ उठा सकूं,अब तो उसकी शादी के दस वर्ष हो गए हैं,करीब बारह वर्ष गुजर गए उसे देखे हुए।अगर जाऊंगा तो वो कहीं पहचानने से इनकार कर दी तो।फिर दिमाग में आया कि अगर न पहचानी तो ए चिठ्ठी किस दिन काम आएगी।बस फिर क्या था,अपना बैग संभाला और एक छुट्टी के लिए आवेदन ले कर साहेब के पास पहुंचा, पहले तो उन्होंने टालमटोल की पर जब मैने बुआ की वोह चिठ्ठी दिखाई तो वह मान गए और छुट्टी मंजूर कर ली। सोचा कल्ह सबेरे निकलूंगा तो दो घंटे में उनके घर पहुंच जाऊंगा।सबसे पहले मिठाई एक  k g ले कर गिफ्टपैक बनवाया और कुछ ले लूं,फिर कुछ देर सोच कर तय किया कि अपने तरफ से एक सारी मीरा के लिए ले लेता हूं।कपड़े की दुकान में कई तरह की साड़ियां मौजूद थी, उनमें से एक मस्त डिजाइन पर नजर पड़ी।थी तो वह झक्कास,पर इतनी पतली थी की,उसके दो तह करने के बाद भी उसके पीछे की चीजों का साफ नजारा देखा जा रहा था।मै उसे ले कर  काउंटर पर आया तो वहां बैठी महिला ने कहा सर,क्या इसका मैचिंग ब्लाउज नहीं लेंगे,तो ओ बोली सर यह सारी अभी अभी लॉन्च हुआ है। सो हमारी कंपनी ने इसके साथ कितने साईज की और कुछ फ्री साइज की ब्लाउज भी भेजी है।फ्री साइज की लेने पर अगर ओ पहनी नहीं जाएगी तो एक बार आपको चेंज करने का मौका दिया जाएगा।ठीक है तो फिर पैक कर दीजिए।पैक। लेकरब मैने भुगतान किया और अपनी हीरो होंडा चलाता हुआ वापस अपने रूम पे आ।  गया ।थोड़ी देर तक एक कामुक पत्रिका जिसमे चू दा ई के किस्से भरे परे थे,पड़ता रहा और फिर सो गया।इतना बोल कर मै रुका और ऊषा के तरफ देखा तो उसकी नज़र मेरे चेहरे पर थी, लेकिन वोह मेरे लौड़े को उसी तन्मयता से चूसे चाटते जा रही थी,मुझे न बोलते देख वह आंखे लाल करती हुई मुझे आंखों दे इशारा कर अपनी होंठों के बदले lund पर दांत हौले से दबाई मानो मै ने बोलना शुरू नहीं किया तो वह मेरे लैंड को कट देगी।मैने फिर किस्सा आगे बढ़ाया,दो घंटे लगे मुझे मीरा के घर पहुंचने में।मै अभी मीरा।के दरवाजे तक पहुंचा भी नहीं था कि एक  आवाज आई रमेश भैया इधर कैसे।मै अक्छक कर उसे देखते हुए बोला का र छोटू तू यहां कैसे,तो उसने जवाब दिया कनिया चाची बोली कि शायद रमेश के चिट्ठी नहीं मिला,ए छोटू तू ही
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#3
चले जाओ,फुर्सत थी तो मै ही चल आया।कोई बात ,चलो चलते हैं। कह कर जैसे ही दो कदम बढ़े होंगे कि मीरा किसी काम से बाहर आई, वोही,बड़ी बड़ी चूंचिय,बड़ी तरबूज़ जैसी निकली हुईं गांड़,देख कर तो मेरे पैंट के भीतर वैसी ही हलचल होने लगीं, जैसे कि पहले होने लगती थी।मीरा किसी बुजुर्ग महिला से बात कर रही थी।बात करते करते उसकी नजर हम पर परी,तो वोह कुछ देर तक मुझे देखती रही,फिर लगभग दौड़ते हुए आकर मुझसे चिपट सी गई,बोली ओह रमेश भाई, कैसे याद आई बहन की,इस बीच बाइक की आवाज सुन के एक व्यक्ति बाहर आए,जो मीरा से बोले कौन है ये,और ये कह कर वो भी पास चले आए,और उत्सुकता से मेरी ओर देखने लगे।मीरा बोली अरे यह मेरी मामी का लड़का रमेश।है,और यह छोटू है, वैसे इसे तो पहचानते ही होंगे।अरे इन्हें तो मै कई बार देख चुका हूं।
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#4
और ये हैं तुम्हारे जीजा,कहते हुए मरने मेरा हाथ पकड़ कर जीजाजी के हाथों पर रखते हुए कहा,इन्हें भीतर लाकर बैठाइए,मै चाय नाश्ते का इंतजाम करती हूं।जीजा जी ने हम दोनों को एक सजे सजाए कमरे में सोफे पर बैठा दिया।थोड़ी देर के बाद मीरा एक ट्रे में चाय और नाश्ते लेकर आई और सामने वाली सोफे पर बैठ गई।फिर हमने वोह मिठाई का पैकेट और छोटू द्वारा लाए गए सामान को उसकी हाथों में  देते हुए कहा,यह बुआ भेजी हैं,और यह मै सिर्फ तुम्हारे लिए लाया हु,इसे बाद में खोल कर देखना। वो सब लेकर चली गईं।
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#5
मीरा के जाने के कुछ देर बाद जीजा आए और आलमीरा से एक किताब निकाल कर मुझे दी,और कहा, भाई रमेश जी यह भीड़ थोड़ी ही देर में अर्थात शाम के पांच छः बजे तक ही है। उसके बाद हमलोग बाते करेंगे, देखिए अगर आज ही जाने की सोच रहे हैं तो,उस विचार को त्याग दिजिए,और आप छोटूजी,आप भी बाद में ही जाएंगे,फिर छोटू से पूछा कि आपको भी किसी चीज की जरूरत हो तो कह दीजिए।भाई साहब,अगर कोई फोटो वाली किताब हो तो वही दे दीजिए,।इस आलमारी के निचले।खाने में बहुत है,आप स्वयं चुन लीजिए।आपका ही घर है,कोई संकोच न करें, और कह कर ओ वहां से चले गए।
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#6
उनके जाने के बाद मैने किताब पर नजर डाली ,किताब किसी इंग्लिश राइटर की लिखी हुई थी, उपन्यास थी ओ,नाम था stag party studio.जब मैने कुछ पन्ने पढ़े तो समझ में आ गया कि यह  कामुक उपन्यास है।एक वान में कुछ नौजवान बैठे है,उन्हें रास्ते में एक पति पत्नी का जोड़ा मिलता है और उसकी कार खराब हो गई थी,को लिफ्ट देते हैं,फिर जबरन उस महिला को कई तरीके से ठुकाई करते है,एक तो उस किताब की याद  और मेरी नवेली बीबी के मुंह में घुसा लन्ड  मुझे असीम आनंद का बोध करा रही थी।मै बोलना नंद कर उसकी तरफ देखा,उसकी बालों के लट  उसकी गालों  पर बिखरे हुए थे कजरारी आंखे मुझे गुर रही थी,उसका चेहरा लाल हो चुका था,पर वोह तन्मयता से मेरे लण्ङ को चूसे जा रही थी,एक तो उस कथानक की  याद और फिर ऊषा मेरी नई नवेली बीबी का यह कारनामा,मै अपने आपको रोक न सका और एक गहरे सांस के साथ मेरे लिंग ने वीर्य उसके मुंह में उगल दिया, जिसे वह मुंख खोले बिंस ही निगल गई,और अपनी जीभ को मेरे लिंग के गोलाई पर घुमाने लगी,मानो वोह कोई बिल्ली हो और मलाई के भगौना चाट रही हो,फिर उसे आराम देने के खयाल से अपने लण्ङ को उसके मुंह से निकालने की कोशिश की तो ओह  झट से मेरे अंडकोषों को पकड़ कर ऐसा इशारा करी  कि ओह अभी। पुरी कहानी सुने बिना ओ मेरे  लण्ङ को नहीं छोड़ेगी l पहले तो मुझे गुस्सा आया फिर उसके इस समर्पण के भाव पर बहुत प्यार आया , और मै एक छोटा सा चुम्बन उसकी तरफ उछाल दी ।वोह पूर्ववत मेरे लौड़े को  चूसे  जा रही थी।मै भी अब जल्द से अपनी को  सुनाना आरम्भ कर दिया।
मै उपन्यास में व्यस्त था की,,मीरा आई और हम दोनों को खाने के लिय बाहर चलने को कह रही थी,मैने भी किताब को अपने पैंट के जेब में रख छोटू के साथ आकर पंगत मे बैठ गया।खाने के बाद मैं ने सोचा कि अब आराम से कहीं लेट कर उपन्यास को पढ़ी जाए। जब यह बात  जीजाजी से कही तो ओ अपने कमरे में ले जाकर  पलंग की तरफ इशारा कर बोले,आप यहां लेट कर आराम करो,मै अभी कुछ लोगों को विदा करके आता हूं।मै उपन्यास पढ़ता जा रहा था, और मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,मेरे लण्ङ का तनाव से दर्द का अनुभव  कर रहा था, मेरे ध्यान मैं मीरा की ओ बड़ी  बड़ी चूंचियां और चौड़ी तरबूज़ के आकार की गांड़ ही आ रही थी।दिल कह रहा था कि जैसे उस उपन्यास की महिला पात्र जबर्दस्त तरीके से chodi जा रही है वैसे ही मीरा की ठुकाई करूं  कि वोह चिल्लाने लगे।कुछ देर बाद जीजू आए और आहिस्ते से मेरे बगल में बैठ कर  मुझ से हाल चाल  पूछा।फिर थोड़ी देर इधर उधर की बातें होती रही। फिर उन्होंने पूछा
 , रमेश जी आपकी शादी हो गई है।अरे ऐसे कैसे कहा आपने,मेरी शादी के आप मुख्य अतिथि होगे,मै ने जवाब दिया।पर एक बात है जीजाजी।क्या बात हैं
, बताइए, जीजाजी ने पूछा।मै थोड़े हिचकिचाहट के साथ बोला, जीजाजी,मेरी कोई महिला मित्र नहीं है,और डरता हूं कि जिससे मेरी विवाह हो ओ। मुझे अपरिपक्व समझे।इसी लिए मै टालमटोल कर रहा हूं। धत्तेरी की बस इतनी सी बात,अरे आपको तो आपकी बहन  मीरा ही एक रात में  पूर्ण पुरुष बना देगी।आप मजाक कर रहे हैं और इधर मेरी धड़कन ही बढ़ जाती है शादी के नाम से। इसपर जीजू  बड़ी गंभीरता से मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोले,मै मजाक तो कभी करता ही  नहीं हूं।मै जो कह रहा हूं ओ संभव है अगर आप चाहे तो।मै तो चाहता हूं पर ये क्योंकर संभव है,अगर मीरा बुरा मान गई तो मैने कहा।फिर जीजू हंसने लगे और कहने लगे,अरे कुछ नहीं होता है,बस आप दिल से हां कहिए और फिर अब मुझ पर छोड़ दीजिए।हां मै ओह तरकीब आपको समझाता हूं।फिर धीमी आवाज में सुनता  रहा  और फिर वैसे ही करने का वादा किया।जाने से पहले उन्होंने मेरे हाथ में एक कंडोम का पैकेट दिया,और मुस्काए चेहरे से कहा,मुझे उम्मीद है जाने से पहले यह सब समाप्त हो जाएगा वरना फाइन देनी होगी।
इतनी। कहानी बोल के मैने ,मेरे लण्ङ को अपने मुंह में भरे और चाटती रण्डी बीबी ऊषा की ओर देखा।मुझे अपनी ओर देखते हुए उसने अपनी एक हाथ की दो उंगलियों को गोल।बना कर दूसरे हाथ की बीच की उंगली से उस गोले में बाहर भीतर करने लगी।मै समझ गाया कि ओ क्या पूछ रही थी।मै ऊंची आवाज में उस से कहा,बस घबराओ मत अब जल्द ही कहानी के उस हिस्से पर पहुंच रहा हूं जब मैं अपनी बहन मीरा की बु र और गांड़ कि चू दा ई करूंगा। कहानी मेरी बहन मीरा की होगी,और मलाई फेंकेगी तुम ऊषा बू र चो दी मेरी छीनाल बीबी।वो मेरे लन्ड को और जोर से चूसने लगी।
अब मै ने कहानी आगे बढ़ाना चालू  किया।
फिर  मै जीजाजी का बिस्तर छोड़ छत से नीचे आया।सम्पूर्ण घर खाली हो गया था कुछ छिटपुट लोग इधर उधर टहल रहे थे।देखा कि छोटू एक कमरे में सो रहा था। जीजाजी किसी से बाते कर रहे थे।मुझे देखकर उन्होंने इशारे से मुझे बुलाया और पास बैठने का इशारा किया।मै भी वहां बैठ कर उनकी बाते सुनने लगा।
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#7
ओ लोग किसी ईट के भट्ठे  के विषय में बाते  कर रहे थे उनके दोस्तने पहले मुझे देखा और पूछा सिन्हा इनका परिचय तो करवाएं।जीजा जी मेरी तरफ देख कर वो बोले, इनकी क्या तारीफ करूं जिसने ससुराल बनाया, बीबी दी,शाली दी,और  शालों की महफ़िल दी।उस दोस्त ने उन्हें एक मीठी झिड़की दी,सिन्हा क्यों शायरी का भट्ठा बैठा रहे हो,सीधे बोलो न कि मीरा भाभो के भाई है। अच्छा वो इंतजार कर रही होगी मै।चलता हूं।ठीक है जाइए आपकी तो ब हा र है कस  के डुबकी  लगाई जाएगी आपकी तरफ से।ओ हंसते हुए चले गए।मैने जीजू से पूछा ए डुबकी लगाने वाली क्या। बात हो गई।तो वोह मुस्कुराते  हुए कहा,वे सी ही जो मै नेआपके लिए योजना बनाई है।फिर उन्होंने चाय के लिये पूछा तो मै ने हां कर दी।छोटू  भी वहां आ गया,उसके हाथों में भी चाय का प्याला था,जिसे वह चुस्की ले कर पीए जा रहा था,अब जीजाजी उसको देख कर बोले,सुना है छोटूजी की मुहल्ले की सभी तितलियों का रस चख चुके हैं। लेकिन वोह छोटू था जिससे कोई मुंह नहीं लगाता था,उसने कहा क्या बताए जीजाजी,मेरे मुहल्ले में एक तितली थी जिसे आप ले आए।अब तो कोई नहीं है।अच्छा तो आप को इस तितली का रस चूसने को नहीं मिला।कमाल करते हैं भाई साहब उस समय तो मै मा की लोरी सुनके सोता था। फिर जीजाजी ने धीरे से पूछा,अबअगर चूसने को मिले तो  चुस्की लगाएंगे। बेचारा छोटू शर्मा केदार उधर झांकने लगा।आज मिले हैं शेर को सबा शेर।फिर अंधेरा  छाने लगा,पर मुझे एक ही कामना थी,कि किसी भी तरह जीजाजी का प्लान सफल  हो जाए तो मेरी पुरानी फंतासी पूरी हो जाय।मै।  बड़ी उठ कंठ से उस घड़ी का इंतजार  कर रहा था।करीब रात के आठ बजे अंतिम मेहमान ने बिदा ली।तब जीजाजी ने कहा पहले रमेशजी और छोटू जी को खिला दो मै इनको सपने का प्रबन्ध नीचे रूम।में किया है,बीच वाले में छोटूजी और।किनारे वाले में रमेशजी।मीरा अपने पति को बारे प्यार से निहारती हुई बोली,आप और गलत ए तो हो ही नहीं सकता।फिर मै मीरा से बोला,हां मीरा भूख भी तेज लगी है और नींद से बुरा हाल है।झट से मीरा दो थाल सजा के ले आई। चिकन ,आलू मटर की सब्जी और पूरी ,खाना खत्म करके जब मुझे ले कर मेरे कमरों में आए और यह कह के कि छोटू जी को रूम में सुलाने जा रहा हूं।जब वो चले गए तो मै आज होने वाली खुराफात के बारे में सोचने लगा।पर थोड़ी देर में आकर ओह।मुझ से बोले,मै मीरा का ध्यान बांटते हैंटम।जाकर। पूर्णनिर्धारित जगह पर छिप जाना। भी तरह से छिपाए रखना।मै ऐसी परिस्थितियों पैदा करने की।कोशिश करूंगा कि ओह धीरे या जोर से तुम्हे  बुलाए,लेकिन कोई आवाज नहीं।फिर कुछ देर इंतजार करना,और फिर मै जो कहूं  वो करना बे झिझक। अगर झिझके तो फिर जिंदगी भर
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#8
अपनी मीरा बहन के नाम का मूठ मारते रहना। फिर उन्होंने कहा तुम झट से उपर चले जाना,मै तुम्हारी बहन को यहां से हटाता हूं।मै ने सहमति में सिर हिला दिया।वो बाहर जाके मीरा से बोले,अरे पिछवाड़े  का दरवाजा बंद है या नहीं। हाय राम मैं तो उधर देखना ही भूल गई।ए जी।आप भी चलिए न साथ।
फिर जीजाजी भी साथ निकल गए।मौका देख कर मै भी निर्धारित जगह अर्थात बाथरूम में जा कर बैठ गया।थोड़ी देर के बाद जीजा जी।कमरे। मै। आय,उनके।हाथों मे शीशे की तीन ग्लास थी।जिसमें से एक उन्होंने एक किताबों के ढ़ेर के पीछे छुपा दिया। और कपबोर्ड से एक व्हिस्की।का  बॉटल निकल कर दोनों ग्लास में भर कर पेज बनाया,और फिर मीरा आवाज  दिया,अरे आती हूं बाबा,कहते हुए रूम में आती है।तो खाना शुरू करें,फिर ग्लास के तरफ देखती हुई बोली,आज मै नहीं पीपीऊंगी।आप उस दिन पिलाकर मेरी गांड़ फारी थी,दो दिन तक चल पाई थी ठीक से।न बाबा मै नहि पिऊंगी,पर जीजूजी भी ने उन्हेकसमें  देकर।कहा,मै तुम्हारी दर की कसम खा कर कहता हूं कि आज मै  तुम्हारी  गांड़ नहीं मारूंगा बस। फिर बोले तुम जानती हो की बिना तुम्हारे खाना भी नहीं खाता,और हर नए बॉटल खोलने के बाद,पहली घूंट  तुम लगाती हो
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#9
हां जानेमन, तुम्हारे चुस्की के बाद ही मेरे लण्ङ में तनाव आता है,बस बस रहने। दीजिए यह नौटंकी,और मीरा ने ग्लास उठाई और चीयर्स बोल के एक लंबी घुंट लगाई और चिकन का टुकड़ा मुंह में डाल लिया।फिर ओ जीजू के ग्लास को वैसे ही रखा देख मीरा बोली मेरे चोदूं राजा क्या अपनी बॉटल क्या उस दिन की तरह मेरी बु र में डालने के लिए रखा है,मीरा के इस कथन से स्पष्ट हो गया कि मीरा अब पहले वाली मीरा नहीं थीं।मुझे अब जीजू के बातों पर कुछ कुछ विश्वास होने लगा था,अब जीजू ने भी अपना ग्लास उठाया और मीरा के होंठों से लगा कर कहने लगे जरा इसे जूठा तो कर दो मेरी रानी,ओ एक घूंट लगा कर ग्लास उन्हें वापस करती हुई बोली बस अब खाना खाया जाय।तभी उनकी नजर उस गिफ्ट पैक पर परी,जो मै लाया था।खाना छोड़कर वो उस पैक को खोलने लगी फिर मुस्काते हुए बोली,ये मेरे रमेश भैया ने लाई है मेरे लिए,पैक खोलते ही जब उसकी नजर उस सारी पर परी,तो ओह खुशी से चहकते हुए बोली, इसी सारी के बारे में आपको कह रही थी,उसके चेहरे पर एक अनोखी चमक थी।उधर जीजा जी उसे लगातार पिलाए जा रहे थे।मेरे लिंग में काफी तनाव आ गया था,बस एक ही बात का डर था कि इतने पीने के बाद जब मूत्र त्याग की बारी आएगी तो मै कैसे देखे बिना बच सकूंगा।खैर ओह बात मै ने जीजाजी के भरोसे छोड़ दी थीं।अब जीजा जी ने कहा जरा पहन कर तो देखो,कई सी लगती हो इस सारी में,फिर ओह बोली, ठहरिए  खाने के बाद बाथरूम जाऊंगी,उसके बाद मै इसे पहन कर आपके लौड़े की सवारी।करूंगी,देखूं कितना दम है,बार बार हमको दूसरे लण्ङ की लालच देकर मुझे उत्तेजित करते हुए  मेरी बू र का भीसरा बनाए जा रहे है। कुछ दिनो के बाद कोई लण्ङ ही नहीं मिलेगा।अरे शाली तू इतनी बड़ी छिनार है कि साठ के उमर मै भी तुम्हे चो द ने के लिए लंबी कतर लगेंगी।और मै तुम्हे चू द ते हुए अपने लण्ङ पर हाथ फेरता रहूं गा।धत ऐसी बाते कर के आप मुझे रूला देते हैं।मै इसीलिए कह रहा हूं कि जब तक जबानी हर तरह के मौज कर लिया जाए।यह कहकर वो मीरा को अपने गोद में खींच लिया और पूरी का एक टुकड़ा चिकन के रस्से में भीगा कर  मीरा के मुंह में डाल दिया।फिर जल्दी जल्दी खाना खत्म कर झूठे बर्तन को बाहर रख आई।अच्छा ये तो बताओ खुले में मूतने में तुम्हे ज्यादा मजा आता है या बाथ रूम में।मीरा जिसे अब पूरा नशा चढ़ गया था,बोली,अरे खुले में मूतने में ज्यादा मजा आता है,अगर कोई देखनेवाला हो तो सबसे ज्यादा।अरे  बु र चो दी तुम तो हमारी भी गुरु निकली।चल आज टेरेस पर मु ते  तो मै जानू कितनी बड़ी रण्डी है,चल शाली ,इतना सुनते ही मीरा उठी और पहने हुए सब कपड़े उतार कर नंगी हो गईं,फिर जीजू के लण्ङ को लूंगी के ऊपर से ही पकड़ कर बाहर ले गई।जब ओ वापस आए तो जीजू के लूंगी नदारद थे।मीरा की योनि एक दुआमाअअअअअआअ
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#10
दम सफाचट, देखने में मनमोहक और कसी हुई  पच्चीस बीस साल के औरत की तरह दिख रही थी।भीतर आ कर ओ मेरी लाई हुई सारी पहनने लगी तो बोली जरा पेटीकोट देंगे,दूर साली इस सारी के लिए  तुम्हारे भाई को कहना पड़ेगा। ऊंह कह के मीरा सारी को ऐसे ही।लपेट लेती है।सारी पहनने के बाद वो ब्लाउज को पहले नापती है,फिर कुछ सोच के ओह ब्लाउज किसी तरह  खींच खांच के पहन लेती है।उसके चूंचियां कसी हुई, ब्लाउज फार के निकलने के लिये।तरफरा रही थी।मीरा अब पूर्ण नशे में थी,मीरा जीजू को वहां बिछे एक बेंच पर धकेल देती हैं और कहती हैचल साले,पहले अपनी रण्डी बीबी के बु र को।चाट।जीजू।अब मीरा को ऐसी जगह खरा करते है।की सरस नजारा मै भी देख सकूं।थोड़ी देर चाटने के बाद मीरा जोश में आई, चाट भोंसड़ी  के,अरे चाट न,कोई दस
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#11
मिनट तक अपनी बु र चटवाने के बाद मीरा जीजू के बालों को पकड़ती हुई उठने का इशारा करने लगीं।जीजू अब उसकी बू र चाटना छोड़ खरे हुए।उनके खरे हो जाने के बाद मीरा उठी और नीचे बैठ कर जीजू के लौड़े को पकड़ कर कुछ देर ऊपर नीचे की और फिर गप्प से अपनी मुंह में डाल कर पहले अपनी जीभ इधर उधर घुमाया,चाटा और पूरी तनमयता से चूसने लगी।बीच बीच में वह लण्ङ मुंह से निकाल देती और बोलती जल्दी से तैयार हो जा मेरे घोड़े,आज तेरी सवारी जम कर करूंगी, कभी ओ अपनी हाथ बढ़ाकर।जीजू के चूतड़ों पर ले जाती और अपनी उंगलियों को जीजू के गांड़ के दरारों में डाल भीतर बाहर करती।जीजू कभी आह ओह करने लगते,कभी कमर को इधर उधर करते जैसे कि गुदगुदी लग रही हो। कुछ देर चूसने चाटने के बाद ओ  लण्ङ को मुंह से निकाल कर ओ उसे अपने हाथों में लेकर देखने लगी।मानो उसे तौल रही हों।लो जी अब मेरी सवारी तैयार है,फिर ओ  जीजू को उसी बेंच पर बिछाए गए चादर पर लेटने का इशारा कर उन्हें बेंच पर लिटा देती हैं, जीजू चित्त लेट कर मीरा के कमर को  पकड़ कर अपनी तरफ खींचते हैं।जीजू का करीब छह इंच का लौरा अपनी पूरी तनाव के साथ खरा था। मीरा धीरे से उनके लौड़े को पकड़ कर
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#12
अपनी बूर के छेद पर रख कर  धीरे धीरे लण्ङ अपनी बूर में लेती हुई बोली साले मेरे घोड़े उस दिन तो मेरी गांड़ में सरपट दौर रहा था, चल बहन के लौड़े,आज देखती हूं कितना दम है और कह के कमर ऊपर नीचे करने लगी।उनके बूर में लौड़े का घुसना,निकलना जारी रहा बीच बीच में मीरा बोलते जा रही थी,ले साले मेरे बूर के चोदूं ,ले मेरे बूर को ,मजे से ले।जीजू अचानक अपने एक हाथ को सिरहाने में ले जाकर तकिए के नीचे से एक आठ नौ इंच लंबा लौड़े के साइज का डंडा निकाला जिस पर एक कंडोम चढ़ी हुई थी।जीजू उसे मीरा के मुंह में डालते हुए बोले,chut मरानी मीरा इसे ले कर गीला कर दे,गांड़ में आसानी से चली जाएगी। और यह कहकर जीजू मीरा के गांड़ पर से सारी खिसका कर उसकी नंगी गांड़ सहलाने लगे।अब मै भी मीरा के नंगी गांड़ देख रहा था और एक हाथ से अपने लौड़े को भी सहलाए जा रहा था,मन ही मन जैसे उसे दिलासा दे रहा हूं,घबरा मत अभी तुझे मीरा की गांड़ का सैर करवाता हूं।मीरा उस नकली  लौड़े को चाटती हुई जीजा जी से बोली,इससे तो अच्छी तो  असली लौड़े में ही मजा मिलती।तब जीजू बोले अरे तेरे भाई तो आए हैं उनको बुलाऊं क्या।मीरा एक मुक्का धीरे  से जीजू के सीने पर मारती हुई बोली,धत् गंदे,कोई भाई के साथ ऐसे करवाती होगी क्या।जीजा जी बोले,ये तो भाई,बहन के संबंधों पर निर्भर करता है।मीरा  शायद उत्तेजना से अपनी कमर तेजी से जीजू के ।लौड़े पर घिसते हुए बोली आप भी ना। जीजू बोले कोइ बात नहीं जिसे अपने मुंह से चाट रही हो उसी को भाई समझ कर आवाज दो।कुछ देर मीरा मुंह  नीचे किए बोली आ जा मेरे प्यारे रमेश भैया,ले ले बहन के गांड़ का मजा।जीजू ने ओह नकली लण्ङ मीरा के हाथों से लेकर मीरा के गांड़ कि दरारों पे रगड़ना चालू कर दिया,और धीरे धीरे अपनी दोनों हाथों से मीरा की  गांड को दोनो हाथों से फैलाने लगे।मीरा की सिकुड़ती,फैलती गांड़ कि छेद अब  ठीक मेरे आंखों के सामने आमंत्रित करती हुई लगने से लगी।अचानक मीरा अपनी कमर को उछालती हुई बोली अरे कहा हो मेरे बहन के लौड़े रमेश भाई,जल्दी से आकर मेरी गांड़ में अपना लण्ङ डाल दे,और ऐसा कहकर वो जीजू से उस नकली लण्ङ को अपनी गांड़ में घुसाने के लिए इशारा करने लगी।पर जीजू ने
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#13
मीरा के सिर को पकड़ कर उसके होंठों को अपने होंठों से चूसते हुए कभी अपनी जीभ उसकी जीभ से मिलाते हुए प्यार करते हुए बोले,मेरी  लण्ङ की रानी,मेरी बूर मरानी अब लेगी अपने गांड़ में अपने भाई का लौरा तो जल्दी बुला अपने भाई को,मीरा भी झट से बोल पड़ी,आ जा मेरे रमेश भाई जल्दी से अपनी मीरा बहन के गांड़ में अपनी ताजा लौड़े को डाल दे बहानचीद।ये मेरे लिए इशारा था जो जीजू के द्वारा बताया गया था,बस मै अपने छुपने के स्थान से निकल कर उनके  बेंच के पास आ गया और मीरा की चौड़ी ,चिकनी गांड़ पर आंखे  गर दी।जीजू 
 लगातार मीरा के माथे को पकड़े हुए,उसके होंठों और गालों के चुम्बन लिए जा रहे थे,फिर माथे को उसी तरह
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#14
जकड़े हुए मीरा के सिर को उठाया और फिर बोले अरे मेरी बूर मरानी जब आयेगा तो मै उससे कहूंगा बात को बीच में ही  काटती मीरा बोली,क्या कहेंगे उसे मेरे चोदूं सैंया।कुछ नहीं जीजू बोले बस इतना की behanchod रमेश साले मुंह क्या देख रहा है,चल घुसा दे अपना लण्ङ अपनी   बहन मीरा की गांड में, ले यह फैलता हूं इसकी गांड़,मै समझ गया कि यही मौका है फिर मै ने एक झटके में अपने लण्ङ को मीरा की गांड में पेल दिया,,वोह  चमकती हुई पीछे की ओर देखने की कोशिश करने लगी पर जीजू के बाएं हाथ की पकड़ के कारण मीरा अपने  माथे को पीछे मोर नहीं पाई।जीजू के दाहिने हाथ में वही नकली लण्ङ था जिसे जीजू अपने हाथ में पकड़े हुए हाथ को मीरा की चुतर पर ठीक उसी जगह के बगल में रखे हुए थे, मानो ओह  उस नकली लण्ङ को ही मीरा के गांड़ मैभीतर बाहर कर रहे हो।मीरा भी आश्वस्त हो कर मेरे ठुकाई का आनन्द ले रही थी,हां मे रमेश भाई ऐसे ही पेल मेरी गांड़,पेल बहिन के भतार, बहन के चोदूं,अचानक मेरे मुंह से बोल फुट परी,ले मीरा बूर चोदी मीरा अभी तेरी गांड़ फाड़ता हूं,मेरे मुंह से ये बोल तो फूट पड़े,अब तो मीरा की समझ में आ गया था कि उसके गांड़ में ओह नकली लण्ङ नहीं ,बल्कि उसके भाई रमेश का असली  लौड़ा  घुसा हुआ है।
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#15
पहले तो वो यह समझ ही  आ सकी कि उसके साथ ये क्या हो गया,पहले ओह मेरी तरफ देखी और फिर जीजू को गुस्से से देखती हुई बोली ये कैसे हुआ,अरे मै क्या जानु,ये पानी पीने के लिए आया था,उसी समय तुम इसे बुलाई और बोली रमेश भाई मेरी गांड़ में अपना लण्ङ दो,इसके पहले की मै कुछ समझता इसने अपने लौड़े को तुम्हारी गांड़ में घुसेड़ दिया।मुझे भी मजा आने लगा ,और भी मजा आया जब तुम गांड़ उछाल उछाल के अपने भाई के लौड़े को अपने गांड़ में ले रही थी। विश्वाश न हो तो सुनो,कह के जीजू ने टेपरिकॉर्डर   चला दिया जिसमे उनकी साफ आवाज सुनाई दे रही थी,हा  रमेश भाई,मेरे भइया और जोर से पेलो,फार डालो मेरी गांड़,फिर रिकॉर्डर बंद कर बोले अब कह दो यह भी झूठी है।मीरा कुछ बोल नहीं पाई,वह शर्मा के अपनी मुंह को जीजाजी के छाती पर रख सुबकने लगी,अरे ये कैसी पाप हो गई मुझ से। जीजा जी ने मीरा की पीठ सहलाते हुए बोले,कैसी पागल हो,अरे पाप पुण्य कुछ नहीं होता,कभी धार्मिक किताब कहानी पढ़ो तो जानोगी।अभी हमलोगो के मौज मस्ती के दिन है,सब भूल के रमेश जी के लौड़े का मजा लो,खुद भी मस्त हो कर अपनी गांड़ उछाल के रमेशजी को मजा दो और खुद भी लो और मुझे  भी तुम्हारे बूर में अपना रस डालना है,कहते हुए जीजू ने मीरा की कहीं गुदगुदी की  तो ओह हल्के से अपनी गांड़ उछाली,मानो यह संकेत दे रही हो कि मै फिर से अपने काम को चालू करु।लेकिन मै ने भी थोड़ी बदमाशी की,एक झटके से अपने लौड़े को उसकी गांड़ से  निकाल कर पास रखे तौलिए से पोछा और फिर उसी तौलिए से उसकी गांड़  कि छेद में डाल उसे साफ किया,इस बीच मीरा अपनी चुतर  कई बार मटका चुकी थी हालांकि अब ओ कुछ बोल नहीं रही थी,पर उसके  व्यबहार से पता चल रहा था कि अब वो हालात से समझौता कर ली थी ,और मजे से मजा लेने के लिये तैयार  थी,।फिर मै ने अपने  लण्ङ के सुपारी को मीरा के गांड़ के मुहाने पर रख एक जोरदार झटके से अपने पूरे लण्ङ को मीरा के गांड़ में ठूंस दिया,ओह माई रे कह कर आह उई उफ्फ करने लगी साथ ही गांड़ उछालना भी चालू था।
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#16
मै समझ गया कि मीरा झेंप।मिटाने के लिए ये कर रही थी,वरना इतने ही देर में ही अपनी गांड़ उछाल के ऊपर से मेरा लण्ङ और नीचे से अपनी बूर में जीजाजी का लौरा  कैसे लेती।मै भी अब हमछ हुमाच के अपने लन्ड को तेजी से मीरा के कमर को पकड़ कर बोलता  जा रहा था ये ले मेरी रसभरी छीनाल रण्डी मीरा बहन ,पी अपने भाई के रस को अपने गांड़ में।ओ कुछ न बोल के बस आहें भर रही थी,तभी जीजाजी बोले रमेश अब मै  अपना मॉल तेरी बहन मीरा के बूर में डालने जा रहा हूं,,आप भी डालो ,अब हमलोग दूसरे राउंड की तैयारी करूंगा।ठीक है जीजू,कह के मै ने अपनी स्पीड बढ़ाई और आठ दस धक्के देने के बाद मै भी अपने वीर्य को मीरा की गांड में छोड़कर मीरा के पीठ पर से उठ कर खरा हो गया।मीरा भी जीजू के ऊपर से उठी और नजरें  झुकाए हुए ही जाकर पलंग पर लेट गई।जीजू मुस्कराए ओर खुद पलंग पर मीरा के बगल में जाकर लेट गए और मुझे मीरा के बगल में दूसरी ओर से लेटने का इशारा किया।बिछावन पर अब ऐसी स्थिति थी कि मीरा की गांड अब जीजू के तरफ और मुंह मेरी तरफ।मीरा  एक बात आंखे खोल कर मेरे तरफ देखी,पर बिना कुछ बोले अपने बदन को पीछे कर अपनी गांड़ जीजू से सता ली।
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