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राहुल का कामुक सफर - गरीबी की छाया से शहर की चमक तक भाग 1
मुख्य पात्रों का विस्तृत परिचय
इस कहानी को हम एक बड़े उपन्यास की तरह विकसित करेंगे, जहाँ हर पात्र की गहराई, उनकी भावनाएँ, अतीत, और आंतरिक संघर्ष को धीरे-धीरे खोला जाएगा। जल्दबाजी नहीं, हर सीन को विस्तार से जीवंत बनाएंगे, जैसे कि पाठक खुद वहाँ मौजूद हो। कहानी कामुक है, लेकिन इसमें महत्वाकांक्षा, गरीबी, प्यार, विश्वासघात और विकास की परतें होंगी।
राहुल: कहानी का केंद्र। उम्र 18 साल, लेकिन उसके चेहरे पर गरीबी की थकान और सपनों की चमक दोनों दिखती हैं। वो रामपुर गाँव का रहने वाला है, जहाँ उसके पिता की मौत एक दुर्घटना में हो गई थी जब वो मात्र 10 साल का था। पिता एक मजदूर थे, और उनकी मौत के बाद घर की जिम्मेदारी माँ पर आ गई। राहुल पढ़ाकू है, लेकिन गरीबी ने उसे जल्दी बड़ा बना दिया। वो कॉलेज में टॉप करता है, लेकिन अंदर से असुरक्षित महसूस करता है – क्या वो कभी इस गरीबी से निकल पाएगा? उसका शरीर पतला लेकिन मजबूत है, काले बाल, गहरी आँखें जो हमेशा सोच में डूबी रहती हैं। सेक्स उसके लिए शुरुआत में अनजाना है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी बढ़ेगी, ये उसकी कमजोरी और ताकत दोनों बनेगा। वो अपनी माँ से बहुत जुड़ा है, लेकिन उनके राज उसे परेशान करेंगे।
सुमन (राहुल की माँ): उम्र 35 साल, लेकिन गरीबी और मेहनत ने उसे समय से पहले बूढ़ा कर दिया है। वो विधवा है, पति की मौत के बाद ठाकुर के हवेली में नौकरानी का काम करती है। उसका अतीत: युवावस्था में वो गाँव की सबसे सुंदर लड़की थी, लेकिन गरीब परिवार से होने के कारण ठाकुर ने उसे फंसाया। अब वो ठाकुर से गुप्त संबंध रखती है, जो पैसे के लिए मजबूरी है लेकिन अंदर से उसे घुटन देता है। उसके बड़े-बड़े स्तन, काली साड़ी में लिपटा शरीर, और थकी हुई मुस्कान। वो राहुल से बेइंतहा प्यार करती है, उसके सपनों के लिए कुछ भी कर सकती है, लेकिन अपने राज छिपाती है। उसकी लेयरिंग: वो मजबूत दिखती है, लेकिन रातों को रोती है, सोचती है कि क्या वो अच्छी माँ है?
ठाकुर साहब (पूर्ण नाम: ठाकुर रघुवीर सिंह): उम्र 50 साल, गाँव का जमींदार। अमीर, क्रूर, और औरतों का शौकीन। उसका अतीत: युवा दिनों में वो शहर से पढ़कर लौटा था, लेकिन गाँव की सत्ता ने उसे भ्रष्ट बना दिया। उसके दो बेटे हैं, लेकिन पत्नी की मौत हो चुकी है। सुमन से उसका संबंध सिर्फ शारीरिक नहीं, वो उसे अपनी संपत्ति समझता है। उसका शरीर मोटा, दाढ़ी वाली चेहरा, और आँखों में लालच। वो दयालु बनने की कोशिश करता है, लेकिन अंदर से स्वार्थी है। कहानी में वो राहुल के जीवन में बाधा बनेगा।
सरला काकी (पड़ोस वाली): उम्र 40 साल, विधवा। उसके पति की मौत शराब की लत से हुई थी, और अब वो अकेली रहती है। उसका शरीर कामुक – बड़े स्तन, पतली कमर, और हल्की मुस्कान जो रहस्य छिपाती है। अतीत: वो सुमन की दोस्त थी, लेकिन ठाकुर से उसका भी पुराना संबंध रहा है, जो अब टूट चुका है। वो राहुल को बचपन से देखती आई है, उसे बेटे जैसा मानती है लेकिन अंदर से आकर्षण महसूस करती है। उसकी लेयरिंग: वो अकेलेपन से जूझती है, रातों को सपने देखती है, और सेक्स को अपनी भावनाओं का सहारा बनाती है।
मीना: उम्र 18 साल, राहुल की कॉलेज सहपाठी। गाँव की मासूम लेकिन बोल्ड लड़की। उसका परिवार किसान है, लेकिन वो पढ़ाई में अच्छी है। लंबे काले बाल, गोरी चमड़ी, और शर्मीली मुस्कान। अतीत: बचपन में वो राहुल से खेलती थी, लेकिन अब बड़ा होकर उसे पसंद करने लगी है। उसकी लेयरिंग: वो कुंवारी है, सेक्स के बारे में उत्सुक लेकिन डरती है। वो सपने देखती है शहर जाने के, राहुल के साथ।
मोना: उम्र 18 साल, मीना की दोस्त और राहुल की क्लासमेट। थोड़ी शरारती, गोल-मटोल लेकिन आकर्षक फिगर। लाल होंठ, छोटे बाल। अतीत: उसके पिता गाँव के दुकानदार हैं, वो अमीर घर से है लेकिन बोर होती है। उसकी लेयरिंग: वो बोल्ड है, सेक्स के बारे में जानती है (किताबों से), और राहुल को चिढ़ाती है। लेकिन अंदर से असुरक्षित, क्या कोई उसे सीरियस लेगा?
अन्य पात्र कहानी बढ़ने के साथ जुड़ेंगे, जैसे शहर की लड़कियाँ, लेकिन हर एक को गहराई से पेश किया जाएगा। अब कहानी शुरू करते हैं, धीरे-धीरे।
भाग 1: गाँव की सुबहें और छिपे राज़ (परिचय और शुरुआती दिन)
रामपुर गाँव सुबह की धुंध में लिपटा रहता था, जहाँ खेतों की हरी सरसों लहराती थी और दूर से ठाकुर की हवेली की ऊँची दीवारें दिखती थीं। हवा में मिट्टी की महक थी, और मुर्गों की बांग से दिन की शुरुआत होती। राहुल का छोटा सा कच्चा घर गाँव के किनारे पर था – दो कमरे, एक रसोई, और बाहर एक छोटा सा आँगन जहाँ सुमन सब्जियाँ उगाती थी। घर की दीवारें फटी हुई थीं, छत से बारिश में पानी टपकता था, लेकिन राहुल के लिए ये दुनिया थी।
सुबह के पाँच बजे, सुमन उठती। उसकी आँखें अभी भी नींद से भरी होतीं, लेकिन चेहरे पर एक मजबूत इरादा। वो लाल साड़ी पहनती, जो सालों पुरानी थी लेकिन उसकी कमर को खूबसूरती से लपेटती। उसके बाल खुले होते, काले और घने, जो उसके कंधों पर गिरते। वो रसोई में जाती, चूल्हा जलाती, और राहुल के लिए चाय बनाती। "बेटा, उठ जा। कॉलेज का समय हो रहा है," वो पुकारती, उसकी आवाज में ममता लेकिन थकान भी। सुमन का दिन ठाकुर की हवेली से शुरू होता। वो वहाँ झाड़ू-पोछा करती, खाना बनाती, और शाम तक लौटती। लेकिन असली राज रात का था, जो राहुल अभी नहीं जानता था।
राहुल बिस्तर से उठता, उसकी आँखें छोटी-छोटी, बाल बिखरे। वो 18 साल का था, लेकिन गरीबी ने उसे जिम्मेदार बना दिया था। उसके पिता की मौत की याद उसे सताती – वो दुर्घटना में ट्रैक्टर के नीचे दब गए थे। राहुल सोचता, "अगर पापा होते तो माँ को इतनी मेहनत न करनी पड़ती।" वो कॉलेज की किताबें उठाता, एक पुरानी साइकिल पर सवार होता, और गाँव की पगडंडी से कॉलेज जाता। रास्ते में वो सपने देखता – बड़े शहर, दिल्ली या मुंबई, जहाँ वो इंजीनियर बनेगा, अमीर होगा, और माँ को राजरानी की तरह रखेगा। लेकिन अभी तो किताबें ही उसकी दोस्त थीं।
कॉलेज एक छोटी सी इमारत थी, जहाँ 50-60 बच्चे पढ़ते। राहुल की क्लास में मीना और मोना थीं। मीना हमेशा आगे की बेंच पर बैठती, उसके बाल पोनीटेल में बंधे, और नोट्स साफ-सुथरे। वो गाँव के किसान की बेटी थी, लेकिन उसकी आँखों में चमक थी। बचपन में वो और राहुल नदी किनारे खेलते थे, पत्थर फेंकते, हँसते। अब बड़ा होकर मीना राहुल को देखकर शर्मा जाती। "राहुल, तू हमेशा पढ़ाई में खोया रहता है। कभी बात तो कर," वो सोचती, लेकिन कहती नहीं। उसका दिल धड़कता जब राहुल मुस्कुराता। मीना कुंवारी थी, सेक्स के बारे में सिर्फ सुनी-सुनाई बातें जानती, लेकिन रातों को सपने देखती – किसी के साथ होना, छूना, लेकिन डरती भी।
मोना पीछे की बेंच पर बैठती, थोड़ी शरारती। उसके होंठ हमेशा मुस्कुराते, और वो क्लास में चुपके से नोट्स पास करती। उसके पिता की दुकान थी, तो वो थोड़ी अमीर थी – नई ड्रेस, चमकदार जूते। मोना राहुल को चिढ़ाती, "अरे गांव के राजकुमार, आज क्या सोच रहा?" लेकिन अंदर से वो उसे पसंद करती। उसकी लेयरिंग: मोना बाहर से बोल्ड, लेकिन घर पर पिता की सख्ती से दबी। वो किताबों में छिपकर रोमांटिक कहानियाँ पढ़ती, सेक्स के बारे में कल्पना करती, लेकिन असल में अनुभवहीन।
एक दिन, लंच ब्रेक में तीनों एक पेड़ के नीचे बैठे। हवा ठंडी थी, पत्ते सरसराते। मीना ने अपना टिफिन खोला – रोटी और सब्जी। "राहुल, तू ले," वो बोली, उसकी आवाज में शर्म। राहुल ने लिया, उनकी उँगलियाँ छुईं, और मीना का चेहरा लाल हो गया। मोना हँसी, "अरे मीना, तू तो शर्मा गई। राहुल, तुझे लड़कियाँ पसंद हैं न?" राहुल मुस्कुराया, लेकिन अंदर से उत्तेजना महसूस की। वो पहली बार लड़कियों को ऐसे देख रहा था – मीना की स्कर्ट हवा में उड़ी, उसकी गोरी जांघें दिखीं। मोना की शर्ट टाइट थी, उसके छोटे-छोटे स्तन उभरे हुए। राहुल का मन भटका, लेकिन वो पढ़ाई पर फोकस करने की कोशिश करता।
शाम को राहुल घर लौटा। सुमन अभी हवेली से नहीं लौटी थी। वो किताबें खोलकर बैठा, लेकिन मन नहीं लगा। पड़ोस से सरला काकी की आवाज आई, "राहुल बेटा, इधर आ। चाय पी ले।" सरला का घर राहुल के बगल में था – एक छोटा सा मकान, लेकिन साफ-सुथरा। सरला विधवा थी, उसके पति की मौत 5 साल पहले हो गई थी। वो अकेली रहती, सिलाई करके गुजारा करती। उसका चेहरा सुंदर था – बड़ी आँखें, भरे हुए होंठ। शरीर कामुक, साड़ी में उसके कूल्हे हिलते जब वो चलती। सरला राहुल को बचपन से जानती थी, उसे दूध पिलाती, कहानियाँ सुनाती। लेकिन अब राहुल बड़ा हो गया था, और सरला के मन में कुछ और भावनाएँ जाग रही थीं। अकेलापन उसे सताता, रातों को वो बिस्तर पर करवटें बदलती, सोचती – कोई तो हो जो उसे छुए, प्यार करे।
राहुल सरला के घर गया। अंदर खुशबू थी – अगरबत्ती की। सरला ने चाय दी, और बैठकर बात की। "बेटा, तेरी माँ देर से आती है। ठाकुर साहब कितना काम करवाते हैं। तू अकेला रहता है, कभी जरूरत हो तो बता।" उसकी आँखों में कुछ था – देखभाल लेकिन आकर्षण भी। राहुल ने चाय पी, और सरला का हाथ छुआ। सरला की उँगलियाँ नरम थीं, और वो मुस्कुराई। राहुल को अजीब लगा, उसका शरीर में हलचल हुई। वो घर लौटा, लेकिन वो स्पर्श भूल नहीं पाया।
रात हुई। सुमन देर से लौटी, उसके चेहरे पर थकान। वो भीगी हुई थी – बाहर हल्की बारिश हो रही थी। साड़ी गीली, उसके शरीर की आउटलाइन दिख रही। राहुल ने देखा – माँ के स्तन बड़े, निप्पल उभरे हुए। सुमन ने कपड़े बदले, लेकिन राहुल की नजरें टिकी रहीं। "माँ, आज इतनी देर क्यों?" राहुल ने पूछा। सुमन ने झूठ बोला, "काम ज्यादा था बेटा।" लेकिन असल में ठाकुर ने उसे रोका था। ठाकुर की हवेली में, शाम को वो अकेले थे। ठाकुर ने सुमन को अपनी गोद में बिठाया, उसके स्तनों को दबाया। "सुमन, आज रुक जा," ठाकुर बोला, उसकी साँसें तेज। सुमन ने मना किया, लेकिन पैसे की जरूरत ने उसे झुका दिया। ठाकुर ने उसकी साड़ी उतारी, उसके नंगे शरीर को चूमा। सुमन की चूत गीली हो गई, वो कराही, "साहब, धीरे..." ठाकुर का लंड बड़ा था, वो सुमन को बिस्तर पर लिटाकर चोदा। धक्के तेज, सुमन की आँखों में आँसू लेकिन मजा भी। चुदाई के बाद ठाकुर ने पैसे दिए, और सुमन घर लौटी।
राहुल सो गया, लेकिन रात को जागा। उसे कमरे से आवाजें सुनाई दीं। वो चुपके से उठा, दरार से देखा – ठाकुर आया था! माँ के कमरे में। ठाकुर सुमन को फिर चोद रहा था। सुमन नंगी थी, उसके स्तन हिल रहे। "आह साहब... जोर से..." सुमन बोली। राहुल स्तब्ध था, उसका लंड खड़ा हो गया। वो बाहर जाकर मुठ मारी, लेकिन मन में सवाल थे – माँ क्यों? वो रोया, लेकिन फैसला किया – पढ़ाई करके शहर जाऊंगा, सब बदल दूंगा।
कहानी जारी रहेगी।
मुख्य पात्रों का विस्तृत परिचय
इस कहानी को हम एक बड़े उपन्यास की तरह विकसित करेंगे, जहाँ हर पात्र की गहराई, उनकी भावनाएँ, अतीत, और आंतरिक संघर्ष को धीरे-धीरे खोला जाएगा। जल्दबाजी नहीं, हर सीन को विस्तार से जीवंत बनाएंगे, जैसे कि पाठक खुद वहाँ मौजूद हो। कहानी कामुक है, लेकिन इसमें महत्वाकांक्षा, गरीबी, प्यार, विश्वासघात और विकास की परतें होंगी।
राहुल: कहानी का केंद्र। उम्र 18 साल, लेकिन उसके चेहरे पर गरीबी की थकान और सपनों की चमक दोनों दिखती हैं। वो रामपुर गाँव का रहने वाला है, जहाँ उसके पिता की मौत एक दुर्घटना में हो गई थी जब वो मात्र 10 साल का था। पिता एक मजदूर थे, और उनकी मौत के बाद घर की जिम्मेदारी माँ पर आ गई। राहुल पढ़ाकू है, लेकिन गरीबी ने उसे जल्दी बड़ा बना दिया। वो कॉलेज में टॉप करता है, लेकिन अंदर से असुरक्षित महसूस करता है – क्या वो कभी इस गरीबी से निकल पाएगा? उसका शरीर पतला लेकिन मजबूत है, काले बाल, गहरी आँखें जो हमेशा सोच में डूबी रहती हैं। सेक्स उसके लिए शुरुआत में अनजाना है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी बढ़ेगी, ये उसकी कमजोरी और ताकत दोनों बनेगा। वो अपनी माँ से बहुत जुड़ा है, लेकिन उनके राज उसे परेशान करेंगे।
सुमन (राहुल की माँ): उम्र 35 साल, लेकिन गरीबी और मेहनत ने उसे समय से पहले बूढ़ा कर दिया है। वो विधवा है, पति की मौत के बाद ठाकुर के हवेली में नौकरानी का काम करती है। उसका अतीत: युवावस्था में वो गाँव की सबसे सुंदर लड़की थी, लेकिन गरीब परिवार से होने के कारण ठाकुर ने उसे फंसाया। अब वो ठाकुर से गुप्त संबंध रखती है, जो पैसे के लिए मजबूरी है लेकिन अंदर से उसे घुटन देता है। उसके बड़े-बड़े स्तन, काली साड़ी में लिपटा शरीर, और थकी हुई मुस्कान। वो राहुल से बेइंतहा प्यार करती है, उसके सपनों के लिए कुछ भी कर सकती है, लेकिन अपने राज छिपाती है। उसकी लेयरिंग: वो मजबूत दिखती है, लेकिन रातों को रोती है, सोचती है कि क्या वो अच्छी माँ है?
ठाकुर साहब (पूर्ण नाम: ठाकुर रघुवीर सिंह): उम्र 50 साल, गाँव का जमींदार। अमीर, क्रूर, और औरतों का शौकीन। उसका अतीत: युवा दिनों में वो शहर से पढ़कर लौटा था, लेकिन गाँव की सत्ता ने उसे भ्रष्ट बना दिया। उसके दो बेटे हैं, लेकिन पत्नी की मौत हो चुकी है। सुमन से उसका संबंध सिर्फ शारीरिक नहीं, वो उसे अपनी संपत्ति समझता है। उसका शरीर मोटा, दाढ़ी वाली चेहरा, और आँखों में लालच। वो दयालु बनने की कोशिश करता है, लेकिन अंदर से स्वार्थी है। कहानी में वो राहुल के जीवन में बाधा बनेगा।
सरला काकी (पड़ोस वाली): उम्र 40 साल, विधवा। उसके पति की मौत शराब की लत से हुई थी, और अब वो अकेली रहती है। उसका शरीर कामुक – बड़े स्तन, पतली कमर, और हल्की मुस्कान जो रहस्य छिपाती है। अतीत: वो सुमन की दोस्त थी, लेकिन ठाकुर से उसका भी पुराना संबंध रहा है, जो अब टूट चुका है। वो राहुल को बचपन से देखती आई है, उसे बेटे जैसा मानती है लेकिन अंदर से आकर्षण महसूस करती है। उसकी लेयरिंग: वो अकेलेपन से जूझती है, रातों को सपने देखती है, और सेक्स को अपनी भावनाओं का सहारा बनाती है।
मीना: उम्र 18 साल, राहुल की कॉलेज सहपाठी। गाँव की मासूम लेकिन बोल्ड लड़की। उसका परिवार किसान है, लेकिन वो पढ़ाई में अच्छी है। लंबे काले बाल, गोरी चमड़ी, और शर्मीली मुस्कान। अतीत: बचपन में वो राहुल से खेलती थी, लेकिन अब बड़ा होकर उसे पसंद करने लगी है। उसकी लेयरिंग: वो कुंवारी है, सेक्स के बारे में उत्सुक लेकिन डरती है। वो सपने देखती है शहर जाने के, राहुल के साथ।
मोना: उम्र 18 साल, मीना की दोस्त और राहुल की क्लासमेट। थोड़ी शरारती, गोल-मटोल लेकिन आकर्षक फिगर। लाल होंठ, छोटे बाल। अतीत: उसके पिता गाँव के दुकानदार हैं, वो अमीर घर से है लेकिन बोर होती है। उसकी लेयरिंग: वो बोल्ड है, सेक्स के बारे में जानती है (किताबों से), और राहुल को चिढ़ाती है। लेकिन अंदर से असुरक्षित, क्या कोई उसे सीरियस लेगा?
अन्य पात्र कहानी बढ़ने के साथ जुड़ेंगे, जैसे शहर की लड़कियाँ, लेकिन हर एक को गहराई से पेश किया जाएगा। अब कहानी शुरू करते हैं, धीरे-धीरे।
भाग 1: गाँव की सुबहें और छिपे राज़ (परिचय और शुरुआती दिन)
रामपुर गाँव सुबह की धुंध में लिपटा रहता था, जहाँ खेतों की हरी सरसों लहराती थी और दूर से ठाकुर की हवेली की ऊँची दीवारें दिखती थीं। हवा में मिट्टी की महक थी, और मुर्गों की बांग से दिन की शुरुआत होती। राहुल का छोटा सा कच्चा घर गाँव के किनारे पर था – दो कमरे, एक रसोई, और बाहर एक छोटा सा आँगन जहाँ सुमन सब्जियाँ उगाती थी। घर की दीवारें फटी हुई थीं, छत से बारिश में पानी टपकता था, लेकिन राहुल के लिए ये दुनिया थी।
सुबह के पाँच बजे, सुमन उठती। उसकी आँखें अभी भी नींद से भरी होतीं, लेकिन चेहरे पर एक मजबूत इरादा। वो लाल साड़ी पहनती, जो सालों पुरानी थी लेकिन उसकी कमर को खूबसूरती से लपेटती। उसके बाल खुले होते, काले और घने, जो उसके कंधों पर गिरते। वो रसोई में जाती, चूल्हा जलाती, और राहुल के लिए चाय बनाती। "बेटा, उठ जा। कॉलेज का समय हो रहा है," वो पुकारती, उसकी आवाज में ममता लेकिन थकान भी। सुमन का दिन ठाकुर की हवेली से शुरू होता। वो वहाँ झाड़ू-पोछा करती, खाना बनाती, और शाम तक लौटती। लेकिन असली राज रात का था, जो राहुल अभी नहीं जानता था।
राहुल बिस्तर से उठता, उसकी आँखें छोटी-छोटी, बाल बिखरे। वो 18 साल का था, लेकिन गरीबी ने उसे जिम्मेदार बना दिया था। उसके पिता की मौत की याद उसे सताती – वो दुर्घटना में ट्रैक्टर के नीचे दब गए थे। राहुल सोचता, "अगर पापा होते तो माँ को इतनी मेहनत न करनी पड़ती।" वो कॉलेज की किताबें उठाता, एक पुरानी साइकिल पर सवार होता, और गाँव की पगडंडी से कॉलेज जाता। रास्ते में वो सपने देखता – बड़े शहर, दिल्ली या मुंबई, जहाँ वो इंजीनियर बनेगा, अमीर होगा, और माँ को राजरानी की तरह रखेगा। लेकिन अभी तो किताबें ही उसकी दोस्त थीं।
कॉलेज एक छोटी सी इमारत थी, जहाँ 50-60 बच्चे पढ़ते। राहुल की क्लास में मीना और मोना थीं। मीना हमेशा आगे की बेंच पर बैठती, उसके बाल पोनीटेल में बंधे, और नोट्स साफ-सुथरे। वो गाँव के किसान की बेटी थी, लेकिन उसकी आँखों में चमक थी। बचपन में वो और राहुल नदी किनारे खेलते थे, पत्थर फेंकते, हँसते। अब बड़ा होकर मीना राहुल को देखकर शर्मा जाती। "राहुल, तू हमेशा पढ़ाई में खोया रहता है। कभी बात तो कर," वो सोचती, लेकिन कहती नहीं। उसका दिल धड़कता जब राहुल मुस्कुराता। मीना कुंवारी थी, सेक्स के बारे में सिर्फ सुनी-सुनाई बातें जानती, लेकिन रातों को सपने देखती – किसी के साथ होना, छूना, लेकिन डरती भी।
मोना पीछे की बेंच पर बैठती, थोड़ी शरारती। उसके होंठ हमेशा मुस्कुराते, और वो क्लास में चुपके से नोट्स पास करती। उसके पिता की दुकान थी, तो वो थोड़ी अमीर थी – नई ड्रेस, चमकदार जूते। मोना राहुल को चिढ़ाती, "अरे गांव के राजकुमार, आज क्या सोच रहा?" लेकिन अंदर से वो उसे पसंद करती। उसकी लेयरिंग: मोना बाहर से बोल्ड, लेकिन घर पर पिता की सख्ती से दबी। वो किताबों में छिपकर रोमांटिक कहानियाँ पढ़ती, सेक्स के बारे में कल्पना करती, लेकिन असल में अनुभवहीन।
एक दिन, लंच ब्रेक में तीनों एक पेड़ के नीचे बैठे। हवा ठंडी थी, पत्ते सरसराते। मीना ने अपना टिफिन खोला – रोटी और सब्जी। "राहुल, तू ले," वो बोली, उसकी आवाज में शर्म। राहुल ने लिया, उनकी उँगलियाँ छुईं, और मीना का चेहरा लाल हो गया। मोना हँसी, "अरे मीना, तू तो शर्मा गई। राहुल, तुझे लड़कियाँ पसंद हैं न?" राहुल मुस्कुराया, लेकिन अंदर से उत्तेजना महसूस की। वो पहली बार लड़कियों को ऐसे देख रहा था – मीना की स्कर्ट हवा में उड़ी, उसकी गोरी जांघें दिखीं। मोना की शर्ट टाइट थी, उसके छोटे-छोटे स्तन उभरे हुए। राहुल का मन भटका, लेकिन वो पढ़ाई पर फोकस करने की कोशिश करता।
शाम को राहुल घर लौटा। सुमन अभी हवेली से नहीं लौटी थी। वो किताबें खोलकर बैठा, लेकिन मन नहीं लगा। पड़ोस से सरला काकी की आवाज आई, "राहुल बेटा, इधर आ। चाय पी ले।" सरला का घर राहुल के बगल में था – एक छोटा सा मकान, लेकिन साफ-सुथरा। सरला विधवा थी, उसके पति की मौत 5 साल पहले हो गई थी। वो अकेली रहती, सिलाई करके गुजारा करती। उसका चेहरा सुंदर था – बड़ी आँखें, भरे हुए होंठ। शरीर कामुक, साड़ी में उसके कूल्हे हिलते जब वो चलती। सरला राहुल को बचपन से जानती थी, उसे दूध पिलाती, कहानियाँ सुनाती। लेकिन अब राहुल बड़ा हो गया था, और सरला के मन में कुछ और भावनाएँ जाग रही थीं। अकेलापन उसे सताता, रातों को वो बिस्तर पर करवटें बदलती, सोचती – कोई तो हो जो उसे छुए, प्यार करे।
राहुल सरला के घर गया। अंदर खुशबू थी – अगरबत्ती की। सरला ने चाय दी, और बैठकर बात की। "बेटा, तेरी माँ देर से आती है। ठाकुर साहब कितना काम करवाते हैं। तू अकेला रहता है, कभी जरूरत हो तो बता।" उसकी आँखों में कुछ था – देखभाल लेकिन आकर्षण भी। राहुल ने चाय पी, और सरला का हाथ छुआ। सरला की उँगलियाँ नरम थीं, और वो मुस्कुराई। राहुल को अजीब लगा, उसका शरीर में हलचल हुई। वो घर लौटा, लेकिन वो स्पर्श भूल नहीं पाया।
रात हुई। सुमन देर से लौटी, उसके चेहरे पर थकान। वो भीगी हुई थी – बाहर हल्की बारिश हो रही थी। साड़ी गीली, उसके शरीर की आउटलाइन दिख रही। राहुल ने देखा – माँ के स्तन बड़े, निप्पल उभरे हुए। सुमन ने कपड़े बदले, लेकिन राहुल की नजरें टिकी रहीं। "माँ, आज इतनी देर क्यों?" राहुल ने पूछा। सुमन ने झूठ बोला, "काम ज्यादा था बेटा।" लेकिन असल में ठाकुर ने उसे रोका था। ठाकुर की हवेली में, शाम को वो अकेले थे। ठाकुर ने सुमन को अपनी गोद में बिठाया, उसके स्तनों को दबाया। "सुमन, आज रुक जा," ठाकुर बोला, उसकी साँसें तेज। सुमन ने मना किया, लेकिन पैसे की जरूरत ने उसे झुका दिया। ठाकुर ने उसकी साड़ी उतारी, उसके नंगे शरीर को चूमा। सुमन की चूत गीली हो गई, वो कराही, "साहब, धीरे..." ठाकुर का लंड बड़ा था, वो सुमन को बिस्तर पर लिटाकर चोदा। धक्के तेज, सुमन की आँखों में आँसू लेकिन मजा भी। चुदाई के बाद ठाकुर ने पैसे दिए, और सुमन घर लौटी।
राहुल सो गया, लेकिन रात को जागा। उसे कमरे से आवाजें सुनाई दीं। वो चुपके से उठा, दरार से देखा – ठाकुर आया था! माँ के कमरे में। ठाकुर सुमन को फिर चोद रहा था। सुमन नंगी थी, उसके स्तन हिल रहे। "आह साहब... जोर से..." सुमन बोली। राहुल स्तब्ध था, उसका लंड खड़ा हो गया। वो बाहर जाकर मुठ मारी, लेकिन मन में सवाल थे – माँ क्यों? वो रोया, लेकिन फैसला किया – पढ़ाई करके शहर जाऊंगा, सब बदल दूंगा।
कहानी जारी रहेगी।