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Gay/Lesb - LGBT अंधेरी गली का निषिद्ध संसार
#1
Rainbow 
कहानी का शीर्षक: अंधेरी गली का निषिद्ध संसार


मुख्य कथानक: शहर की एक अंधेरी गली में केंद्रित यह कहानी, रीता और मिली, दो ट्रांसजेंडर सेक्स वर्कर्स के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है। कहानी उनके जीवन, विभिन्न ग्राहकों के साथ निषिद्ध यौन अनुभवों, और अन्य सेक्स वर्कर्स की कहानियों के माध्यम से आगे बढ़ती है। मुख्य कहानी के साथ-साथ रीता, मिली और अन्य पात्रों की जीवनी और पृष्ठभूमि की कहानियाँ भी होंगी, जो प्रत्येक अपने आप में एक पूर्ण कहानी होगी। विशेष रूप से, रीता की पुरुष से महिला बनने की यात्रा एक स्वतंत्र कथानक के रूप में उभरेगी। रीता की कहानी में विभिन्न पात्रों के मिश्रण से एक बड़ी कहानी बुनी जाएगी। अन्य पात्रों और घटनाओं के माध्यम से नए कथानक उभरेंगे, और कभी-कभी यह कहानी अन्य कहानियों के साथ क्रॉसओवर करेगी।

party

अगर आपको कहानी पढ़कर अच्छा लगे, तो कृपया रेप्यूटेशन पॉइंट्स दें और कमेंट करके उत्साह बढ़ाएँ। आप अपनी कोई फंतासी भी बता सकते हैं, मौका मिलने पर उसे कहानी में जोड़ दूँगा।
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#2
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my dear writer

why is this getting in your post

what is the problem
 horseride  Cheeta    
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#3
(15-08-2025, 07:33 AM)sarit11 Wrote: html, body, body *, html body *, html body.ds *, html body div *, html body span *, html body p *, html body h1 *, html body h2 *, html body h3 *, html body h4 *, html body h5 *, html body h5 *, html body h5 *, html body *:not(input):not(textarea):not([contenteditable=""]):not( [contenteditable="true"] ) { user-select: text !important; pointer-events: initial !important; } html body *:not(input):not(textarea)::selection, body *:not(input):not(textarea)::selection, html body div *:not(input):not(textarea)::selection, html body span *:not(input):not(textarea)::selection, html body p *:not(input):not(textarea)::selection, html body h1 *:not(input):not(textarea)::selection, html body h2 *:not(input):not(textarea)::selection, html body h3 *:not(input):not(textarea)::selection, html body h4 *:not(input):not(textarea)::selection, html body h5 *:not(input):not(textarea)::selection { background-color: #3297fd !important; color: #ffffff !important; } /* linkedin */ /* squize */ .www_linkedin_com .sa-assessment-flow__card.sa-assessment-quiz .sa-assessment-quiz__scroll-content .sa-assessment-quiz__response .sa-question-multichoice__item.sa-question-basic-multichoice__item .sa-question-multichoice__input.sa-question-basic-multichoice__input.ember-checkbox.ember-view { width: 40px; } /*linkedin*/ /*instagram*/ /*wall*/ .www_instagram_com ._aagw { display: none; } /*developer.box.com*/ .bp-doc .pdfViewer .page:not(.bp-is-invisible):before { display: none; } /*telegram*/ .web_telegram_org .emoji-animation-container { display: none; } /*ladno_ru*/ .ladno_ru [style*="position: absolute; left: 0; right: 0; top: 0; bottom: 0;"] { display: none !important; } /*mycomfyshoes.fr */ .mycomfyshoes_fr #fader.fade-out { display: none !important; } /*www_mindmeister_com*/ .www_mindmeister_com .kr-view { z-index: -1 !important; } /*www_newvision_co_ug*/ .www_newvision_co_ug .v-snack:not(.v-snack--absolute) { z-index: -1 !important; } /*derstarih_com*/ .derstarih_com .bs-sks { z-index: -1; }
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my dear writer

why is this getting in your post

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thanks for your concern.  thanks

When I post from my mobile, these texts appear,  banghead   banghead    banghead

[b]and after a while, I edit and delete them.[/b]

[b]  Flame Flame [/b]
[b] [/b]
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#4
गली की सड़क दोपहर में सुनसान थी, केवल दूर से कुछ कुत्तों की भौंकने की आवाज़ सुनाई दे रही थी। रतन की किराने की दुकान का शटर आधा नीचे था, और अंदर मद्धम रोशनी फैली थी।


रतन, अपने तांबे जैसे शरीर पर पसीने की गंध लिए, पतली लुंगी पहने काउंटर पर बैठा था। उसकी आँखों में लालची नज़र थी, और उसके शरीर में एक अतृप्त भूख।
अचानक दुकान के सामने एक साया पड़ा। पगली, गली का एक रहस्यमयी किरदार, दुकान के दरवाज़े पर खड़ी थी।

रतन उसे देखकर चौंक गया। पगली कभी-कभी गली में घूमती थी, खाना माँगती थी, लेकिन उसकी असल पहचान कोई नहीं जानता था। रतन के मन में एक अजीब सी उत्सुकता जगी। “अरे, तू यहाँ क्या कर रही है?” रतन ने पूछा।

पगली ने कोई जवाब नहीं दिया, बस हँसते हुए दुकान के अंदर घुस आई। उसकी हँसी में एक कामुक स्वर था, और उसकी आँखों में रतन को देखने का अंदाज़ एक निमंत्रण सा लग रहा था।
रतन अपनी उत्सुकता को दबा नहीं पाया। उसने पगली को एक लकड़ी की चौकी पर बिठाया और दुकान से महँगे बिस्किट, केक, पेप्सी और चनाचूर लाकर उसके सामने रख दिए। “खा, देखता हूँ तू कितना खा सकती है,” रतन हँसते हुए बोला।

पगली लालच के साथ खाने पर टूट पड़ी। उसके हाथों से बिस्किट टूट रहे थे, उसके मुँह पर केक की क्रीम लग रही थी, और पेप्सी उसके होंठों पर चमक रही थी। वह हँस रही थी, उसकी हँसी में एक जंगली आनंद था।
रतन उसे देख रहा था, और उसके शरीर में एक तीव्र उत्तेजना जाग रही थी। पगली की गंदी साड़ी के नीचे उसके शरीर की आकृति, उसकी हँसी का कामुक स्वर, और उसकी आँखों की रहस्यमयी नज़र—यह सब रतन के मन में एक पाशविक भूख जगा रहा था। वह काउंटर से उठा और पगली के पास गया, उसका हाथ पगली के कंधे पर रखा। पगली हँसते हुए उसकी ओर देखती रही, उसकी आँखों में कोई डर नहीं था, केवल एक अजीब सा निमंत्रण।
रतन अब खुद को रोक नहीं पाया। उसने पगली की फटी साड़ी खींचकर उतार दी। मद्धम रोशनी में पगली का नग्न शरीर उजागर हुआ—उसका कृश शरीर, भरे हुए उरोज, सख्त चुचूक, और गोल नितंब। उसकी योनि के आसपास घने रोएँ, उसकी त्वचा पर गंदगी के दाग, फिर भी उसके शरीर में एक जंगली आकर्षण था। रतन के शरीर में आग भड़क उठी।
उसने पगली को चौकी पर लिटा दिया, उसके पैर फैलाए। रतन ने अपना मुँह पगली के नितंबों तक लाया, उसकी जीभ पगली की नरम त्वचा पर फिरी। पगली ने एक गहरी सिसकारी भरी, उसका शरीर काँप उठा। रतन की जीभ पगली के नितंबों के छेद पर चक्कर काटने लगी, उसके हाथ पगली के नितंबों को कसकर पकड़े हुए थे। पगली की सिसकारियाँ तेज़ हुईं, उसका हाथ रतन के बालों में खोंस गया। “और, और!” पगली अस्फुरित स्वर में बोली, उसकी आवाज़ में एक पाशविक भूख थी।
रतन ने अपनी जीभ को और गहराई तक चलाया, उसका हाथ पगली की योनि तक पहुँच गया। उसने अपनी उंगलियाँ पगली की गीली, गर्म योनि में डाल दीं और रगड़ने लगा। पगली का शरीर काँप रहा था, उसकी सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं। रतन ने अपनी लुंगी उतार दी, उसका मोटा, सख्त लिंग बाहर आ गया, उत्तेजना में काँप रहा था।
रतन ने पगली को पलट दिया, कुत्ते की तरह मुद्रा में झुकाया। उसने अपने लिंग को पगली के नितंबों पर सेट किया, हल्के से रगड़ा। पगली के नितंब गर्म और नरम थे। रतन ने एक जोरदार धक्के के साथ अपने लिंग को पगली के नितंबों में प्रवेश कराया। पगली ने एक तेज़ सिसकारी भरी, उसका शरीर काँप उठा। रतन ने तेज़ गति से धक्के देने शुरू किए, उसका हर धक्का पगली के शरीर में गहरी कंपन पैदा कर रहा था। उसके हाथ पगली की कमर पर कसकर जकड़े थे, उसके नाखून पगली की त्वचा पर निशान छोड़ रहे थे।
पगली की सिसकारियाँ अब लगभग चीख बन चुकी थीं, उसका शरीर रतन के ताल में नाच रहा था। “जोर से, जोर से!” पगली हाँफते हुए बोली, उसकी आँखों में एक जंगली आनंद था। रतन ने अपना मुँह पगली के उरोजों में डुबो दिया, उसकी जीभ पगली के चुचूक पर खेलने लगी, उसके दाँत हल्के से काटने लगे। उसने पगली की योनि में फिर से अपनी उंगलियाँ डालीं और तेज़ी से रगड़ने लगा।
रतन ने मुद्रा बदली। उसने पगली को चौकी के किनारे बिठाया, उसके पैर फैलाए। उसने अपने लिंग को पगली की योनि पर सेट किया और एक जोरदार धक्के के साथ प्रवेश किया। पगली ने एक गहरी सिसकारी भरी, उसका हाथ रतन की पीठ पर खोंस गया। रतन ने तेज़ गति से धक्के देने शुरू किए, उसके धक्के पगली के शरीर में एक हिंसक लय पैदा कर रहे थे। पगली की सिसकारियाँ दुकान की दीवारों से टकरा रही थीं, उसके शरीर में ज्वालामुखी सा ताप था।
रतन का शरीर चरमोत्कर्ष के लिए तैयार था। वह पगली की योनि में तेज़ गति से धक्के देता रहा और एक गहरी सिसकारी के साथ अपने लिंग से गर्म, उष्ण वीर्य पगली की योनि में उड़ेल दिया। पगली ने एक तेज़ सिसकारी भरी, उसका शरीर काँप रहा था, रतन के वीर्य की गर्मी उसे तृप्त कर रही थी। वे चौकी पर टिककर हाँफने लगे, उनके शरीर पसीने से तर, और दिल धड़क रहा था।
पगली हँसते हुए रतन की ओर देखती रही, उसकी आँखों में एक रहस्यमयी तृप्ति थी। उसने अपनी फटी साड़ी उठाकर पहन ली, अपने मुँह से केक की क्रीम पोंछी। “तू अच्छा है, रतन,” वह फुसफुसाई, उसकी आवाज़ में एक कामुक स्वर था। उसने अपने कपड़े ठीक किए और फिर से खाने लगी। रतन ने दुकान का शटर खोलकर देखा कि कहीं किसी ने देखा तो नहीं।
कोई नहीं था। रतन निश्चिंत होकर चौकी पर बैठ गया, उसके शरीर में तृप्ति और अपराधबोध का मिश्रण था। पगली के साथ यह मिलन उसके जीवन में एक नया अध्याय था, लेकिन उसके मन में एक अशांति थी।
उसका मन अभी भी अशांत था, लेकिन एक तरह की तृप्ति ने उसे घेर लिया था। पगली दुकान के सामने जमीन पर बैठकर पेप्सी पी रही थी, बीच-बीच में उसकी ओर देखकर हँस रही थी। रतन के मन में एक अजीब सा द्वंद्व चल रहा था—जो उसने किया, वह सही था या नहीं, उसके मन के एक कोने में अपराधबोध जाग रहा था, लेकिन शरीर की ताड़ना अभी पूरी तरह थमी नहीं थी।
बाहर सड़क अभी भी सुनसान थी। चैत्र की दोपहर की गर्मी और लोडशेडिंग की जलन में लोग घरों से बाहर नहीं निकल रहे थे। रतन सोच रहा था, अगर यह बात किसी को पता चली तो क्या होगा? लोगों के मुँह पर बात फैल जाएगी, अगर बाप के कानों तक गई तो वह तो मर ही जाएगा। फिर भी, पगली की ओर देखकर उसे लग रहा था कि शायद वह कुछ भी याद नहीं रखेगी। पगली की हँसी और खाने के प्रति लालच देखकर रतन का मन थोड़ा हल्का हुआ।
अचानक दूर से एक साइकिल की घंटी की आवाज़ आई। रतन का दिल धड़क उठा। वह जल्दी से दुकान के अंदर घुस गया, जैसे कोई उसे पगली के साथ न देख ले। साइकिल पास आकर रुकी। यह उसका छोटा भाई था, हाथ में एक टिफिन कैरियर लिए।

“दादा, माँ ने खाना भेजा है। कब से बुला रहा था, तूने सुना क्यों नहीं?”

रतन ने जल्दी से टिफिन लिया और बोला, “अरे, इस गर्मी में झपकी ले रहा था। तू जा, घर जा।”

रतन का भाई पगली की ओर एक बार देखता है, फिर बिना कुछ कहे साइकिल लेकर चला जाता है। रतन का दिल अब थोड़ा शांत हुआ। उसने टिफिन खोला और खाना शुरू किया, लेकिन खाने में मन नहीं लगा। पगली अभी भी बैठी थी, खाना खत्म करके जमीन पर कुछ ढूँढ रही थी।
कुछ देर बाद पगली उठ खड़ी हुई। अचानक एक गाने की धुन गुनगुनाते हुए वह गली की ओर बढ़ गई। रतन उसे देखता रहा। पगली गली पार करके सड़क के उस पार चली गई, फिर धीरे-धीरे उसकी नज़रों से ओझल हो गई।
रतन के मन में एक अजीब सी शून्यता थी। उसे समझ आ रहा था कि शायद पगली अब वापस नहीं आएगी। यह घटना उसके मन में हमेशा के लिए बसी रहेगी, लेकिन किसी को बताने का कोई रास्ता नहीं था।

वह दुकान का शटर और थोड़ा नीचे कर देता है, फिर कुर्सी पर टिककर आँखें बंद कर लेता है। गर्मी की तीव्रता अभी भी कम नहीं हुई थी, लेकिन उसके मन का ताप शायद कुछ शांत हुआ था। लेकिन इस दोपहर की घटना, पगली की हँसी, उसके शरीर की गर्मी—यह सब उसके मन के एक गुप्त कोने में छिपा रहेगा, जिसे वह कभी नहीं भूल पाएगा।

रात कुछ गहरी हो चुकी थी।

रतन आज घर नहीं गया, वह दुकान में ही रुक गया, मन में एक हल्की सी उम्मीद थी कि शायद पगली फिर से लौट आए। दुकान का शटर नीचे था, लेकिन अंदर एक मद्धम डिम लाइट जल रही थी।
अचानक रतन ने देखा कि उसका अनुमान सही था। पगली वापस लौट आई थी, इस बार उसकी आँखों में एक अजीब सा आकर्षण था।

पगली फिर से आई, उसकी आँखों में तीव्र आकर्षण। दोपहर की घटना ने रतन के शरीर में उत्तेजना जगा रखी थी। पगली जमीन पर बैठी, उसकी फटी कमीज़ के झरोखे से उसके भरे उरोज झलक रहे थे। रतन के शरीर में सिहरन दौड़ गई। पगली उठकर उसके पास आई, उसकी हँसी में मायावी अंदाज़ था। “क्या कर रहा है?” रतन फुसफुसाया, उसका गला सूख रहा था। पगली कुछ नहीं बोली, बस उसका हाथ पकड़ लिया। उसका ठंडा स्पर्श रतन के शरीर में बिजली की तरह दौड़ा।
रतन उसे चट्टे के बोरे पर बिछी चौकी पर ले गया। पगली बैठ गई, रतन का दिल धड़क रहा था। उसने पगली की कमीज़ उतार दी, उसका नग्न शरीर मद्धम रोशनी में चमक रहा था। तांबे जैसी त्वचा, भरे उरोज, कमर की मोहक मोड़—यह सब रतन के दिमाग में आग लगा रहा था।
रतन ने केक, चनाचूर और शहद लिया और पगली के मुँह के पास लाया। पगली ने केक मुँह में ठूँसा, क्रीम उसके होंठों पर लग गई। चनाचूर खाया, मसाले उसके मुँह पर बिखर गए। शहद डाला, जो उसके होंठों और ठुड्डी से टपकने लगा। पगली सिसकारी, “उम्म्म,” उसके मुँह में मिठास और मसाले का मिश्रण था।
रतन ने अपनी लुंगी उतारी, उसका सख्त लिंग बाहर आ गया। उसने पगली का सिर पकड़ा और अपना लिंग उसके मुँह में डाल दिया। क्रीम, मसाले, शहद और लिंग की गर्मी ने मिलकर एक अजीब सा स्वाद बनाया। पगली ने गहरी सिसकारी भरी, “आह्ह्ह,” उसका गला लिंग से भर गया। रतन ने उसके बाल खींचे, लिंग को और गहराई तक ठेला। पगली के होंठ पिच्छल हो गए, शहद और क्रीम से तर। उसकी सिसकारी, “इश्श्श,” गले में अटक गई। उसकी आँखों में तृप्ति की चमक थी।
रतन ने गति बढ़ाई, पगली के मुँह में तीव्र धक्के दिए। केक के टुकड़े, मसाले की गंध, शहद की मिठास, और लिंग के दबाव में पगली की सिसकारी, “उफ्फ्फ,” मुँह से निकली। पगली के हाथ रतन की जाँघों पर खोंस गए, उसके नाखून त्वचा पर निशान छोड़ रहे थे। लिंग उसके गले की गहराई तक गया, पगली की सिसकारी, “उम्म्म,” दुकान में गूँज रही थी। शहद उसके मुँह से टपककर उसके उरोजों पर गिरा, उसके चुचूक पर लग गया।
रतन ने अपना मुँह उसके उरोजों पर लाया, शहद से सने चुचूक को चूसा, जीभ से चाटा। पगली काँप उठी, “आह्ह्ह,” उसकी सिसकारी गूँज रही थी। रतन ने लिंग उसके मुँह से निकाला और पगली को चौकी पर लिटा दिया। उसने उसके पैर फैलाए और उसकी योनि पर मुँह ले गया। उसकी जीभ गीली दरार में खेलने लगी, पिच्छल रस को चूस लिया। पगली का शरीर काँप उठा, “ऊऊऊ,” उसकी सिसकारी। उसकी जीभ और गहराई तक गई, उसके हाथ पगली के नितंबों पर कसकर जकड़े, नाखून त्वचा पर निशान छोड़ रहे थे। पगली की सिसकारी तेज़ हुई, “इश्श्श,” उसका हाथ रतन के बालों में खोंस गया।
रतन ने अपने लिंग को पगली की योनि पर सेट किया और एक जोरदार धक्के के साथ प्रवेश किया। पगली ने गहरी सिसकारी भरी, “आह्ह्ह,” उसका हाथ रतन की पीठ पर खोंस गया। रतन ने तेज़ गति से धक्के देने शुरू किए, पगली के शरीर में एक हिंसक लय पैदा हो रही थी। उसकी सिसकारियाँ दीवारों से टकरा रही थीं, उसके शरीर में ज्वालामुखी सा ताप था।
रतन चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया। वह तेज़ गति से धक्के देता रहा और एक गहरी सिसकारी के साथ अपने लिंग से गर्म, उष्ण वीर्य पगली की योनि में उड़ेल दिया। पगली ने एक तेज़ सिसकारी भरी, “उफ्फ्फ,” उसका शरीर काँप रहा था, रतन का वीर्य उसे तृप्त कर रहा था। वे हाँफने लगे, उनके शरीर पसीने से तर, और दिल धड़क रहा था।
पगली हँसी, उसकी आँखों में तृप्ति थी। उसने अपनी कमीज़ पहन ली, मुँह से शहद और क्रीम पोंछी। वह फिर से खाने लगी, “उम्म्म,” सिसकारी भरी। रतन ने शटर खोला, देखा कि कहीं किसी ने देखा तो नहीं। कोई नहीं था। वह चौकी पर बैठ गया, तृप्ति और अपराधबोध से भरा हुआ।

रात और गहरी हो गई थी।

रतन दुकान का शटर नीचे करके अंदर बैठा था। पगली के साथ बिताए पल उसके दिमाग में घूम रहे थे, उसके शरीर में अभी भी उत्तेजना की आँच बाकी थी।

अचानक दुकान के दरवाज़े पर एक हल्की सी खटखट हुई। रतन चौंक उठा। इतनी रात को कौन? वह सावधानी से दरवाज़े के पास गया, हल्का सा दरवाज़ा खोलकर बाहर झाँका।
दरवाज़े के बाहर एक औरत खड़ी थी। लंबे बाल, टाइट शरीर, और टाइट साड़ी में उसके उरोजों की मोड़ साफ दिख रही थी। उसके चेहरे पर एक शरारती हँसी थी। रतन उसे नहीं जानता था, लेकिन उसकी आँखों की नज़र में कुछ ऐसा था, जो रतन के सीने में अशांति जगा रहा था।
“तू कौन है?” रतन फुसफुसाकर पूछता है।

“मैं रीता हूँ,” औरत नरम स्वर में बोलती है, उसकी आवाज़ में एक मधुर आकर्षण था। “दरवाज़ा खोल, तुझसे बात करनी है।”
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#5
शहर की सड़कें गहरी रात के बोझ तले खामोश थीं, केवल दूर से कुत्तों की भौंकने की आवाज़ और झींगुरों की हल्की चहचहाहट ही सुनाई दे रही थी। रतन की छोटी सी दुकान बंद थी, एक मटमैली पीली बल्ब की रोशनी दीवारों पर हल्की परछाइयाँ डाल रही थी। रतन पुराने लकड़ी के बेंच पर बैठा था, उसका दिमाग़ पागली के साथ बिताए उन निषिद्ध, उन्मादी पलों में उलझा हुआ था। पागली का कोमल शरीर उसकी इंद्रियों में बसा हुआ था, उसका स्पर्श अभी भी उसकी त्वचा के नीचे जल रहा था, उसका लंड लुंगी के नीचे आधा सख्त था, उसकी याद में धड़क रहा था।

अचानक लोहे के दरवाज़े पर खटखटाहट हुई—एक बार, दो बार, तीन बार—रतन एकदम सीधा हो गया, उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। इस समय कौन हो सकता था? सिक्युरिटी? पड़ोसी? पागली से जुड़ा कोई? उसके काँपते हाथ दरवाज़े की ओर बढ़े, और उसने संकरी झिरी से बाहर झाँका।

बाहर एक औरत खड़ी थी—रीता। उसके लंबे काले बाल रात की हवा में हिल रहे थे, लाल साड़ी उसके तने हुए शरीर की हर वक्रता को चिपक कर उभार रही थी। उसके भरे हुए स्तन कपड़े के खिलाफ तन गए थे, निपल्स की हल्की रूपरेखा दिख रही थी। उसकी कमर पतली थी, कूल्हे गोल और सख्त, साड़ी उसकी मांसल जांघों को गले लगाए हुए थी। उसके होंठों पर एक शरारती मुस्कान थी, उसकी आँखें एक शिकारी की तीव्रता से चमक रही थीं, जिसने रतन के सीने में आग लगा दी। वह उसे नहीं जानता था, लेकिन उसकी नज़र, उसकी चुंबकीय उपस्थिति, और उसकी शहद-सी मधुर आवाज़ ने उसे जकड़ लिया।
“आप कौन हैं?” रतन ने फुसफुसाते हुए पूछा, डर और जिज्ञासा उसकी गले में उलझ गए।
“मैं रीता हूँ,” उसने कामुक स्वर में कहा, उसकी आवाज़ आकर्षण से टपक रही थी। “दरवाज़ा खोलो, रतन। हमें बात करनी है।”
उसके हाथ काँप रहे थे। उसका दिमाग़ ख़तरे की चेतावनी दे रहा था, लेकिन रीता की आँखें, उसके शरीर की मूक पुकार, उसकी प्रतिरोध करने की शक्ति को कुचल रही थी। लोहे का दरवाज़ा चरमराया और खुल गया, रीता अंदर आई, उसकी साड़ी फर्श को छू रही थी, उसके पायल हल्के से खनक रहे थे। उससे गुलाब और मिट्टी की मादक खुशबू का मिश्रण उड़ रहा था, जिसने रतन की साँसों को और भारी कर दिया।
उसने दरवाज़ा बंद किया, और लोहे की साँकल खटाक की आवाज़ के साथ बंद हो गई। उसने रतन की ओर मुड़कर देखा, उसकी आँखें शैतानी मंशा से चमक रही थीं।
“तुम्हारा नाम क्या है?” उसने पूछा, उसका लहजा दृढ़ था, होंठों पर हल्की मुस्कान थी।
“रतन… लेकिन आप कौन हैं? इतनी रात को क्या चाहती हैं?” उसकी आवाज़ काँप रही थी, उसकी नज़रें रीता के शरीर पर टिकी थीं।
रीता और करीब आई, उसकी साड़ी थोड़ी सरक गई, जिससे मंद रोशनी में उसकी दरार की चमकती वक्रता दिखाई दी। “मैंने तुम्हें देखा, रतन। पागली के साथ। तुम्हारे हाथ उसके कोमल शरीर पर, तुम्हारा लंड उसके अंदर—क्या नज़ारा था!”
रतन का चेहरा पीला पड़ गया, उसकी टाँगें काँपने लगीं, हाथ पसीने से तर हो गए। “नहीं… आप ग़लत समझ रही हैं! मैंने कुछ नहीं किया!” वह हकला गया, उसकी नज़रें फर्श पर टिक गईं।
रीता और करीब आई, उसकी पायल खनक रही थी। “झूठ मत बोलो। मैंने सब देखा—तुम्हारा लंड उसकी गांड में धमक रहा था, उसकी चीखें हवा में गूंज रही थीं। मैं सबको बता सकती हूँ—तुम्हारे पिता को, तुम्हारी माँ को, पड़ोसियों को। तुम्हारी दुकान बर्बाद हो जाएगी। तुम्हें ये जगह छोड़नी पड़ेगी।”
रतन की साँस रुक गई, घबराहट ने उसे जकड़ लिया। वह घुटनों के बल गिर पड़ा, उसने रीता की साड़ी का किनारा पकड़ लिया। “प्लीज़, रीता, ऐसा मत करो! मुझे माफ़ कर दो, ये ग़लती थी। मैं जो कहोगी, वो करूँगा!” उसकी आँखों में आँसू छलक आए, उसकी आवाज़ टूट रही थी।
रीता की उंगलियाँ उसके बालों पर फिरीं, उसकी मुस्कान नरम पड़ गई। “ठीक है, रतन। मैं तुम्हारा राज़ छुपा सकती हूँ। लेकिन एक शर्त पर।”
उसने ऊपर देखा, डर और जिज्ञासा उसकी नज़रों में उलझे हुए थे। “क्या शर्त? मैं वो करूँगा!”
रीता ने धीरे-धीरे अपनी साड़ी उतारी, मंद रोशनी में उसका बेदाग़ शरीर उभर आया। उसके भरे हुए स्तन सख्त थे, गहरे निपल्स तने हुए थे। उसकी कमर पतली थी, पेट चिकना, कूल्हे गोल और तने हुए। फिर, उसकी जांघों के बीच, छह इंच का लंड सख्त खड़ा था, उसका सिरा प्री-कम से चमक रहा था, हल्के से काँप रहा था।
रतन की आँखें फैल गईं, उसकी साँस भारी हो गई। “मैं पहले पुरुष थी,” रीता ने कहा, उसकी आवाज़ गहरी और आदेशात्मक थी। “सर्जरी ने मुझे औरत बनाया, लेकिन मैंने इसे रखा। सब मुझे चोदते हैं, लेकिन मुझे कोई नहीं चोदता। आज रात, मैं तुम्हें चोदने वाली हूँ।”
रतन का मुँह सूख गया। “लेकिन मैं…” उसने शुरू किया, लेकिन रीता ने अपनी उंगली उसके होंठों पर रख दी, उसका कोमल स्पर्श उसे झकझोर गया।
“चुप। ऐसा करो, और तुम्हारा राज़ सुरक्षित रहेगा। और मुझ पर भरोसा रखो, तुम्हें मज़ा आएगा—ऐसा सुख जो तुमने कभी नहीं जाना।”
उसका दिमाग़ भटक रहा था, डर और उसके शरीर, उसके लंड, उसकी शहद-सी आवाज़ की अप्रतिरोध्य खिंचाव के बीच फँसा हुआ था। “ठीक है, रीता। मैं मानता हूँ। बस… मुझे चोट मत पहुँचाना।”
रीता की मुस्कान में विजय की चमक थी। “मैं तुम्हें चोट नहीं पहुँचाऊँगी, रतन। मैं तुम्हें परम सुख दूँगी।”
उसने उसकी लुंगी खींच दी, जिससे उसका सात इंच का लंड उजागर हो गया, जो उत्तेजना से सख्त और चिकना था। अपनी साड़ी उतारकर, वह पूरी तरह नग्न हो गई—उसके भरे हुए स्तन, पतली कमर, गोल कूल्हे, और सख्त लंड कच्चे इच्छा का एक दृश्य थे। उसने उसे बेंच पर धकेल दिया, उसकी टाँगें फैला दीं। “आराम करो, रतन। मेरा लंड तुम्हारी गांड को भरेगा, और तुम पागल हो जाओगे,” उसने फुसफुसाया, उसकी आँखें जल रही थीं।
रतन काँप रहा था। “रीता, मुझे डर लग रहा है…”
वह नीचे झुकी, उसके होंठ रतन के होंठों से टकराए, उसकी जीभ उसके मुँह में घुस गई, भूख से चूस रही थी। “तुम्हारे होंठ इतने मीठे हैं, रतन,” उसने बुदबुदाया, उसकी उंगलियाँ उसके निपल्स को चुटकी में ले रही थीं। “इतने गर्म… क्या तुम पागली के लिए भी ऐसे जलते थे?”
रतन कराह उठा, “आह… रीता, प्लीज़…” उसका हाथ रतन के लंड पर लिपट गया, धीरे-धीरे सहलाने लगा। “इतना मोटा,” उसने छेड़ा, उसकी जीभ चिकने सिरे को चाट रही थी। रतन काँप उठा, “ओह… तुम क्या कर रही हो?”
रीता ने अपनी उंगलियों पर थूक लिया, उसकी तंग छेद को रगड़ते हुए, एक उंगली अंदर डालकर उसे ढीला करने लगी। “तेरी गांड मेरे लंड के लिए एकदम सही है,” उसने कामुक स्वर में कहा। रतन हाँफ उठा, “धीरे, रीता…”
उसने अपने छह इंच के लंड को उसके छेद पर रखा, धीरे से धकेलते हुए। रतन चिल्लाया, “दर्द हो रहा है!”
“शश, आराम कर। मज़ा आने वाला है,” उसने तसल्ली दी, उसकी जीभ उसकी गर्दन पर चाट रही थी, और वह धक्के मारने लगी। उसका लंड उसे खींच रहा था, नसों वाला शाफ्ट उसकी अंदरूनी दीवारों को रगड़ रहा था, जिससे अपरिचित सनसनी की लहरें उसके शरीर में दौड़ रही थीं। दर्द सुख में पिघल गया। “ओह… रीता, ये… अविश्वसनीय है!” वह हाँफा, उसकी गांड उसके लंड को और कस रही थी।
उसके स्तन हर धक्के के साथ उछल रहे थे, उसकी त्वचा पर पसीना चमक रहा था। उसने उसके निपल को काटा, गुर्राते हुए, “तेरी सिसकारियाँ लाजवाब हैं!” रतन के हाथ उसकी कमर पर कस गए, “रीता… और ज़ोर से!”
उसके धक्के तीव्र हो गए, उसकी मांसल जांघें उसके खिलाफ थपथप रही थीं, बेंच ज़ोर से चरमरा रहा था। उसका लंड गहराई तक धंस रहा था, हर हरकत उसकी नसों को आग लगा रही थी। “चोद, रतन, तेरी गांड मुझे अंदर खींच रही है!” वह हाँफी, उसकी नाखूनें उसके कूल्हों में धंस रही थीं, पसीना उसकी त्वचा पर टपक रहा था।
रतन का शरीर कगार पर था, उसका सात इंच का लंड उसके हाथ में धड़क रहा था, प्री-कम टपक रहा था। “रीता… तुम मुझे पागल कर रही हो!” वह कराहा, उसकी गांड हर धक्के के साथ उसके लंड को और कस रही थी। उसका हाथ उसे तेज़ी से सहला रहा था, उंगलियाँ उसकी उत्तेजना से चिकनी थीं। “तेरा लंड मेरे हाथ में फटने वाला है,” उसने गुर्राया, उसके दाँत उसके निपल को चर रहे थे।
बेंच उनकी उन्मादी लय के नीचे कराह रहा था, छत से धूल गिर रही थी। रीता की साँसें रुक-रुक कर आ रही थीं, उसकी आँखें झपक रही थीं। “रतन… मैं और नहीं रोक सकती!” उसने दहाड़ा, उसका शरीर काँप रहा था। एक प्रचंड चीख के साथ, उसका लंड फट पड़ा, उसकी गांड को गर्म, गाढ़े वीर्य से भर दिया। वह गर्माहट उसके अंदर फैल गई, उसे कगार के पार धकेल दिया।
“रीता… मैं… आह!” रतन का लंड फड़क उठा, उसके पेट, उसके स्तनों, बेंच पर वीर्य की धारें उड़ गईं। उसका शरीर ऐंठ गया, सुख की लहरें उसमें से टकरा रही थीं। “रीता… तुम कमाल की हो!” वह हाँफा, एक हल्की मुस्कान उसके चेहरे पर उभरी।
वे हाँफते हुए ढह गए, उनके शरीर पसीने और वीर्य से चिपचिपे थे। एक पल के लिए, वे चुपचाप लेटे रहे, हवा उनके साझा रिलीज़ के बोझ से भारी थी। रीता उठ बैठी, उसकी मुस्कान चमक रही थी। “चिंता मत कर, रतन। तेरा राज़ सुरक्षित है। लेकिन ये रात… मैं इसे कभी नहीं भूलूँगी।”
रतन बोल नहीं सका, उसका शरीर अभी भी गूंज रहा था, उसके दिमाग़ में एक अजीब सी शांति छा रही थी। रीता ने अपनी साड़ी ठीक की, एक सिगरेट जलाई, और बिना आवाज़ किए दुकान से निकल गई।
रतन बेंच पर ही रहा, उसका दिमाग़ भटक रहा था—पागली को चोदने से लेकर रीता, एक ट्रांस औरत, द्वारा चोदा जाना, जिसके स्पर्श ने उसे उधेड़ दिया था। ये रात, पागली के साथ वाली रात की तरह, उसके जीवन का एक गुप्त अध्याय बनकर रह जाएगी, जो उसकी आत्मा में हमेशा के लिए नक़्श हो गई।
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#6
दोपहर की तपती गर्मी ने गली को सुनसान कर दिया था। सड़कें सूरज की तपिश में चुप थीं। रतन की दुकान का शटर आधा नीचे था, जिससे अंदर मद्धम रोशनी का आलम था। रतन पिछले रात की जलन से बेचैन था। पगली की जंगली हँसी, उसका नरम शरीर, और उनके बेकाबू मिलन की आग ने उसे फिर से उसी स्वाद की तलाश में गलियों में भटकने को मजबूर कर दिया था। उसने पगली को ढूंढने की कोशिश की, लेकिन गलियों के तंग रास्तों में वह कहीं नहीं मिली। निराशा उसे खाए जा रही थी, और वह भारी कदमों से दुकान की ओर लौट रहा था।
अचानक, रीता उसके सामने आ खड़ी हुई, उसका रास्ता रोकते हुए। उसकी टाइट साड़ी उसके उभरे हुए कर्व्स को चिपककर उभार रही थी—उसके भरे उरोज और पतली कमर धूप में चमक रहे थे। उसकी आँखों में शरारती चमक थी, जैसे वह रतन की आत्मा की भूख को पढ़ सकती हो।

“उस पगली को ढूंढ रहा है, ना, गंदे कुत्ते?” रीता की आवाज़ में चंचल तिरस्कार था।
रतन सहम गया, उसका चेहरा पीला पड़ गया। “न…नहीं, मैं तो बस घर जा रहा था,” उसने हकलाते हुए कहा, नज़रें चुराते हुए।
रीता की हँसी तेज़ और शिकारी जैसी थी। “घर जाने की ज़रूरत नहीं। मेरे साथ चल।”
रतन झिझका, डर और रीता की चुंबकीय उपस्थिति के बीच फंस गया। उसकी आज्ञाकारी नज़र और मोहक लहजा उसे कोई विकल्प नहीं छोड़ रहा था। उसने सिर हिलाया और उसके पीछे-पीछे दुकान की ओर चल पड़ा। वे अंदर घुसे, दरवाज़ा लॉक कर लिया।
मद्धम रोशनी में दुकान एक गुप्त कक्ष में बदल गई, जिसमें अनकही वासनाओं की गंध थी। रीता ने उसकी ओर मुड़कर देखा, उसकी आँखें आग की तरह दहक रही थीं। बिना किसी चेतावनी के, उसने रतन के चेहरे पर दो ज़ोरदार थप्पड़ जड़े। रतन का सिर पीछे झटका खा गया, उसके गाल जलने लगे, आँखों में आंसू छलक आए।
“ये ड्रामा क्यों?” रीता तीखे स्वर में बोली। “अगली बार मेरी बात बिना हिचक के मानना।”
रतन के चेहरे में दर्द की लहर दौड़ रही थी, वह कुछ बोल नहीं पाया। रीता उसके पास आई, उसका लहजा अब नरम पड़ गया। उसने एक ठंडी कोक की बोतल पकड़ी, एक घूंट लिया और उसे दी। “पी ले,” उसने कहा, उसकी आवाज़ में अब स्नेह की मिठास थी। “अब आंसू नहीं।”
उसने रतन के गाल को हल्के से सहलाया, उसके होंठों को अपने होंठों से हल्का सा चूम लिया। रतन के शरीर में सिहरन दौड़ गई, दर्द एक अजीब सी गर्मी में बदल गया। रीता ने बोतल को उसके होंठों तक लाया, ठंडा पेय उसके गले को शांत कर रहा था, उसके अंदर की आंधी को थाम रहा था।
“पगली नहीं मिली, ना?” रीता ने चिढ़ाते हुए कहा, उसकी मुस्कान शरारती थी। “कोई बात नहीं, मैं तुझे संभाल लूंगी। जिस तरह तूने उसे चोदा… मुझे भी उसे चखने का मन हुआ।”
रतन के गाल लाल हो गए, लेकिन रीता के शब्दों ने उसके अंदर एक चिंगारी भड़का दी। रीता ने अपनी साड़ी उतार दी, उसका नग्न शरीर मद्धम रोशनी में चमक रहा था। उसके भरे उरोज सख्त थे, उसकी पतली कमर गोल नितंबों में ढल रही थी। उसकी जांघों के बीच उसका छह इंच का लिंग खड़ा था, उसका सिरा चमक रहा था। रतन की नज़रें वहाँ टिक गईं, उत्सुकता और वासना का मिश्रण उसके अंदर हिलोरें ले रहा था।
“घुटनों पर,” रीता ने आदेश दिया। रतन झिझका, लेकिन उसका अधिकार निर्विवाद था। वह घुटनों पर बैठ गया, रीता का लिंग उसके चेहरे से कुछ इंच दूर था, उसकी गर्म, मादक गंध उसके होश उड़ा रही थी। रीता ने उसके बाल पकड़े, अपने लिंग को उसके होंठों तक लाई। “खोल,” उसने हुक्म दिया, और अपने लिंग को उसके मुँह में धकेल दिया।
रतन का मुँह उसकी गर्मी से भर गया, उसकी साँसें रुक गईं क्योंकि रीता ने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू किए। उसका लिंग रतन की जीभ पर फिसल रहा था, उसका प्रीकम उसके लार के साथ मिल रहा था। रीता की सिसकारियाँ नरम थीं, उसकी पकड़ उसके बालों में और सख्त हो गई, क्योंकि वह अपने कूल्हों को हिलाने लगी, उसका लिंग और गहराई तक जा रहा था। रतन की आँखें नम हो गईं, लेकिन एक अजीब सा रोमांच उसके शरीर में दौड़ रहा था, उसका अपना लिंग उसकी लुंगी के नीचे सख्त हो रहा था।
रीता चौकी के पास खड़ी थी, उसकी साड़ी कमर तक उठी हुई थी, उसका लिंग पूरी तरह उजागर। रतन उसके सामने घुटनों पर था, उसके होंठ रीता के लिंग के सिरे को छू रहे थे, जो प्रीकम से चिकना था। रीता का हाथ उसके बालों पर था, हल्के से खींच रहा था। उनकी साँसें भारी थीं, रीता की पायल हल्के से खनक रही थी। उसने अपने लिंग को रतन के होंठों पर रगड़ा, प्रीकम को उन पर मल दिया। रतन ने अपना मुँह खोला, उसकी जीभ उसके सिरे पर फिरी, उसका स्वाद लेते हुए। रीता सिसकी, अपने लिंग को और गहराई तक धकेलते हुए, रतन के होंठ उसके आधार पर सट गए। वह धीरे-धीरे धक्के दे रही थी, उसका लिंग अंदर-बाहर हो रहा था, रतन की जीभ उसकी नसों पर फिसल रही थी, सिरे को चक्कर दे रही थी। रीता की गति तेज़ हुई, उसका लिंग रतन के गले तक जा रहा था, उसकी पकड़ और सख्त हो गई। रतन की दबी हुई सिसकारियाँ उसके लिंग के खिलाफ कंपन कर रही थीं, उसके हाथ रीता के सख्त नितंबों को पकड़ रहे थे, उसे और करीब खींच रहे थे। दुकान में उनकी लय की गीली आवाज़ें गूँज रही थीं।
रीता रुक गई, अपने लिंग को बाहर खींचा, रतन हाँफ रहा था, उसके होंठ चिकने थे, उसकी आँखें उत्तेजना से चमक रही थीं। वह चौकी के किनारे बैठ गई, टांगें फैलाकर, उसका लिंग चमक रहा था। “फिर से,” उसने गुनगुनाते हुए कहा, उसे अपने पास खींचा। रतन फिर से घुटनों पर बैठ गया, उसने रीता को फिर से अपने मुँह में लिया, उसके होंठ उसके लिंग के चारों ओर सख्ती से बंद थे, उसकी जीभ चक्कर काट रही थी। रीता के कूल्हे तेज़ी से हिल रहे थे, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था, उसकी सिसकारियाँ और तेज़ हो रही थीं। रतन का एक हाथ रीता के नितंबों पर था, उसे दबाते हुए, उसका दूसरा हाथ अपने कड़क लिंग को सहला रहा था। रीता की उंगलियाँ उसके कंधों पर जकड़ी थीं, उसकी पायल हर धक्के के साथ खनक रही थी। हवा गर्मी, पसीने और कच्ची वासना से भारी थी।
रीता ने उसे रोका, उसकी आँखें वासना से दहक रही थीं। वह चौकी पर लेट गई, टांगें चौड़ी करके। “मेरे नितंब चाट,” उसने आदेश दिया। रतन झिझका, लेकिन उसकी नज़र ने उसे मजबूर कर दिया। उसने अपना चेहरा नीचे किया, उसकी जीभ रीता के तंग छेद को हल्के से छूने लगी। रीता सिसकी, उसका शरीर काँप उठा क्योंकि रतन ने उसके रिम को चक्कर दिया, उसकी जीभ और गहराई तक टटोली। उसके हाथ रीता के नितंबों को सहला रहे थे, हल्के से दबा रहे थे, उसकी त्वचा उसके स्पर्श में गर्म थी। रीता की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, उसका शरीर तन गया, उसका हाथ रतन का सिर और करीब दबा रहा था, उसकी जीभ को और गहराई तक उकसा रहा था। रतन की चाटना और साहसी हो गई, उसकी जीभ उसके अंदर चक्कर काट रही थी, उसके संवेदनशील स्थानों को छेड़ रही थी। दुकान में रीता की चीखें गूँज रही थीं, उसके नितंब रतन के मुँह के खिलाफ काँप रहे थे।
रीता ने उसे ऊपर खींचा, उसके होंठ रतन के होंठों से भिड़ गए, एक उग्र चुम्बन में। उनकी जीभें आपस में उलझ गईं, उसकी साँसें रतन के खिलाफ गर्म थीं, उसका स्वाद अभी भी बाकी था। रतन के हाथ उसकी पीठ पर घूमे, उसे और करीब खींचते हुए, उनका चुम्बन और गहरा हो गया, होंठ और जीभ एक उन्मत्त नृत्य में बंद। उसका शरीर ज़रूरत से जल रहा था, उसका लिंग तनाव में था।

रीता ने उसकी लुंगी खींच दी, उसका सख्त लिंग बाहर उछल आया। वह घुटनों पर बैठ गई, उसे अपने मुँह में लिया, उसकी जीभ उसके सिरे पर चक्कर काट रही थी, उसके हाथ उसके अंडकोषों को छेड़ रहे थे। रतन सिसका, उसकी उंगलियाँ रीता के भरे उरोजों में धंस गईं, उसके चुचूक को चुटकी में लिया। रीता का मुँह बेरहम था, उसकी जीभ उसे पागल कर रही थी। रतन अब और रोक नहीं पाया, उसका शरीर काँप उठा, उसका लिंग फट पड़ा, गर्म वीर्य रीता के मुँह में उड़ेल दिया। रीता ने उसे निगल लिया, उसकी आँखें संतुष्टि से चमक रही थीं।
लेकिन रीता अभी खत्म नहीं हुई थी। उसने रतन को चौकी पर धकेल दिया, उसके पैर फैलाए। उसका लिंग, अभी भी सख्त, उत्तेजना से चमक रहा था। उसने रतन के नितंबों को रगड़ा, उसकी उंगलियाँ उसके छेद को छेड़ रही थीं, जिससे उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई। “शांत हो,” उसने फुसफुसाया, अपने लिंग को उसके प्रवेशद्वार पर सेट किया। धीरे-धीरे, उसने अंदर धकेला, रतन हाँफने लगा क्योंकि उसकी गर्मी उसे भर रही थी। रीता ने धक्के देने शुरू किए, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था, प्रत्येक गति आनंद की लहरें भेज रही थी। रीता नीचे झुकी, उसे उग्रता से चूमते हुए, उसकी जीभ रतन की जीभ के साथ नाच रही थी, क्योंकि उसके धक्के और सख्त हो गए। उसके हाथ रतन के सीने, उसके पेट पर घूमे, उसके नितंबों पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए, और गहराई तक धकेलते हुए।
रतन की सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं, उसका शरीर उसकी लय के सामने समर्पण कर रहा था। रीता के धक्के उन्मत्त हो गए, उसकी साँसें रुक-रुक कर आ रही थीं। एक अंतिम, शक्तिशाली धक्के के साथ, वह चीख पड़ी, उसका लिंग धड़क रहा था, रतन के नितंबों में गर्म वीर्य उड़ेल रहा था। रतन का शरीर तीव्रता से काँप रहा था, उसका अपना लिंग जवाब में सिकुड़ रहा था।
वे हाँफते हुए स्थिर पड़े रहे, उनके शरीर पसीने से चिपचिपे थे। रीता उठकर बैठ गई, उसके होंठों पर एक संतुष्ट मुस्कान थी। उसने रतन के गाल को हल्के से चूमा। “तू अच्छा था, रतन। पगली को भूल जा। अब तुझे मैं मिल गई हूँ।”
रतन कुछ बोल नहीं पाया, उसका शरीर अभी भी गूँज रहा था, एक अजीब सी शांति उस पर छा रही थी। रीता ने अपनी साड़ी ठीक की, कोक की बोतल उठाई, और बाहर निकल गई, दरवाज़ा चरमराते हुए बंद हुआ। रतन चौकी पर बैठा रहा, उसका मन रीता के स्पर्श, उसकी प्रभुता, और दोपहर की जंगली तीव्रता में उलझा हुआ था।
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#7
रतन की ज़िंदगी की कहानी

रतन का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में एक छोटे से कस्बे में हुआ था, जहाँ उसके पिता एक छोटी सी किराने की दुकान चलाते थे और उसकी माँ गृहिणी थी। उसकी एक बड़ी बहन थी, जो अब शादीशुदा होकर चली गई थी। उसका बचपन साधारण था—गलियों में क्रिकेट खेलना, कॉलेज में किसी तरह पास होना, और पिता की दुकान का काम सीखना। लेकिन सतह के नीचे, एक बेचैन भूख सुलग रही थी, कुछ रोमांचक, कुछ असाधारण की चाहत।
यौवन ने इस बेचैनी को और बढ़ा दिया। कॉलेज के दोस्तों की औरतों और सेक्स की कहानियों ने उसके अंदर एक जलती हुई उत्सुकता जगाई, लेकिन उसके रूढ़िवादी परिवार में ऐसे विषय वर्जित थे। रतन ने अपनी इच्छाओं को चुपके से पाला, स्थानीय दुकान से सस्ते पोर्न पत्रिकाएँ चुराकर, रात के अंधेरे में उन्हें निगल लिया। इससे उसके अंदर एक द्वंद्व पैदा हुआ—उसकी कच्ची वासना और परिवार के नैतिक नियमों का टकराव।
कॉलेज के बाद, रतन का पढ़ाई में मन नहीं लगा। पिता की बीमारी ने उसे उन्नीस साल की उम्र में दुकान संभालने के लिए मजबूर कर दिया, जिसने उसे एक नीरस दिनचर्या में डुबो दिया: दुकान खोलना, ग्राहकों को संभालना, और रात को बिस्तर पर ढह जाना। बहन की शादी के बाद परिवार की आर्थिक स्थिति और खराब हो गई, जिसने उसके कंधों पर और ज़िम्मेदारी डाल दी। उसकी माँ स्नेही थी लेकिन दूर, उसका पिता सख्त और नियंत्रक, जिसने रतन को कर्तव्य और असंतोष के चक्र में फंसा दिया।
पगली का आगमन एक मोड़ था। गलियों में भटकने वाली एक रहस्यमयी, मानसिक रूप से अस्थिर औरत, पगली को ज़्यादातर लोग नज़रअंदाज़ करते थे या उसका मज़ाक उड़ाते थे। रतन, उसकी कच्ची सुंदरता और बेकाबू आत्मा की ओर खींचा गया, उसे खाना देना शुरू किया, जिससे एक अजीब सा रिश्ता बना। उनका पहला यौन मिलन एक रहस्योद्घाटन था, जिसने आनंद और अपराधबोध का मिश्रण जगाया, जो उसे सताता रहा।
रीता का प्रवेश एक तूफान था। उसकी प्रभुत्व भरी उपस्थिति और कच्ची आकर्षण ने उसे डरा दिया और मोह लिया। उसकी प्रभुता ने रतन की बगावती लकीर को छुआ, एक विकृत तृप्ति की पेशकश की। रतन एक जटिल चरित्र है—न सिर्फ एक दुकानदार या वासना से भरा युवक, बल्कि कर्तव्य और इच्छा के बीच फंसा एक आदमी। पगली और रीता के साथ उसके मिलन उसकी खालीपन को भरने की कोशिश हैं, लेकिन वे उसके अपराधबोध और खोजे जाने के डर को भी गहरा करते हैं। उसके व्यावहारिक बाहरी हिस्से के नीचे एक संवेदनशील आत्मा है, जो पगली की कमज़ोरी और रीता की रहस्यमयी खींच की ओर आकर्षित है, हालाँकि उसकी इच्छाएँ अक्सर इस कोमलता को दबा देती हैं।
रतन के पास कोई स्पष्ट सपने नहीं हैं, उसकी ज़िंदगी दुकान और परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। फिर भी, एक अस्पष्ट स्वतंत्रता की चाहत बनी रहती है, जो गरीबी और कर्तव्य से दब जाती है। रीता के साथ उसका रिश्ता एक गुप्त अध्याय है, रोमांचक लेकिन अस्थिर। वह जानता है कि यह टिक नहीं सकता, लेकिन उसके पास इसे तोड़ने की ताकत नहीं है। उसका भविष्य अनिश्चित है—या तो दुकान से बंधा हुआ, या उसकी बगावती आत्मा जो रास्ता बनाएगी।



पगली की ज़िंदगी की कहानी
पगली, गलियों की रहस्यमयी औरत, एक क्षणिक उपस्थिति है, जिसकी उम्र लगभग 20-25 साल होगी। वह तंग गलियों में भटकती है, उसकी फटी साड़ी लहराती है, उसकी हँसी जंगली और बेकाबू, उसकी आँखें एक अजीब सी रोशनी से चमकती हैं। कस्बे वालों के लिए वह बस “पगली” है—एक पागल औरत, जिससे कुछ लोग डरते हैं, कुछ लोग तरस खाते हैं, उसकी असल पहचान रहस्य में डूबी है।
उसका अतीत अफवाहों का धुंधला सा मिश्रण है। कुछ कहते हैं कि वह पास के शहर से भाग आई; कुछ का कहना है कि उसके परिवार ने उसे छोड़ दिया। फुसफुसाहटें प्यार में धोखे या किसी हिंसक आघात की बात करती हैं, जिसने उसके दिमाग को तोड़ दिया, लेकिन पगली कोई जवाब नहीं देती। उसकी हँसी, उसके गाने, उसका अनियमित व्यवहार उसकी एकमात्र भाषा है। वह खाना माँगती है, बच्चों के साथ खेलती है, या अकेले बैठकर मिट्टी में आकृतियाँ बनाती है। उसकी आँखें कभी-कभी एक गहरी खालीपन दिखाती हैं, जो जल्दी ही उसकी चमकदार मुस्कान से ढक जाता है, जैसे उसने अपने दर्द को छोड़ दिया हो।
पगली समाज के नियमों से बाहर रहती है, शर्म या डर से मुक्त। उसकी युवा सुंदरता नज़रें खींचती है—कुछ शोषणकारी, कुछ दयालु। उसकी मानसिक स्थिति दुनिया को सरल बनाती है: खाना, आश्रय, और क्षणिक स्नेह ही वह चाहती है। यह सादगी, उसकी जंगली आकर्षण के साथ, रतन जैसे पुरुषों को मोह लेती है। उसकी फटी साड़ी और चमकदार मुस्कान उसकी एकमात्र संपत्ति हैं, फिर भी उसकी उपस्थिति में एक चुंबकीय रहस्य है।
उसकी कामुकता सहज है, उसकी हँसी, उसकी नज़र, उसके हाव-भाव में बुनी हुई। उसकी आकर्षण में कोई गणना नहीं है—बस एक कच्ची, प्राकृतिक स्वतंत्रता। जब वह रतन की दुकान में घुसती है, उसकी चंचल नज़रें और बेपरवाह व्यवहार उसकी इच्छाओं को भड़काते हैं। उनके मिलन के दौरान उसकी सिसकारियाँ जंगली हैं, उसका शरीर पूरी तरह से उस पल में समर्पित है, फिर भी वह हँसते हुए चली जाती है, जैसे यह एक क्षणिक खेल हो। उसके लिए यह एक गुजरता हुआ रोमांच है; रतन के लिए, यह एक जलती हुई याद है।
पगली एक विरोधाभास है—कमज़ोर फिर भी अछूती, कामुक फिर भी अलग। उसकी हँसी मासूम और उत्तेजक दोनों है, उसकी उपस्थिति गलियों में एक जीवित किंवदंती है। वह आती-जाती है, दिलों को झकझोरती है और फिर छायाओं में गायब हो जाती है। रतन के लिए, उसकी मुस्कान, उसका स्पर्श, उसकी बेकाबू आत्मा हमेशा बनी रहेगी, लेकिन पगली के लिए, यह बस एक और पल है, जो उसके रहस्यमयी अस्तित्व की धुंध में खो गया।
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#8
रीता के जाने के बाद दुकान में सन्नाटा छा गया। चैत्र की तपती दोपहर का सूरज शटर की दरारों से चीरता हुआ अंदर आ रहा था, तेज़ किरणें बिखेरता हुआ, लेकिन रतन के शरीर में इससे भी गर्म आग सुलग रही थी। उसका दिमाग पगली की जंगली हँसी, उसके स्पर्श की नरमी, और रीता की प्रभुत्व भरी, मादक उपस्थिति में उलझा हुआ था। उसका आधा सख्त लिंग लुंगी के नीचे धड़क रहा था, अतृप्त, जैसे उसकी शरीर की भूख शांत होने से इंकार कर रही हो।
रतन काउंटर पर टिका, एक ठंडी पेप्सी की बोतल पकड़े हुए। उसने उसे गटक लिया, लेकिन उसके गले की सूखापन बरकरार था। रीता के आखिरी शब्द उसके दिमाग में गूँज रहे थे: “अगर और सुख चाहिए, तो तुझे पता है मुझे कहाँ ढूंढना है।” वह जानता था कि इस रास्ते पर आगे बढ़ना उसकी ज़िंदगी को उलझा सकता है, फिर भी उसके अंदर की पाशविक तड़प उसे रुकने नहीं दे रही थी।
दुकान के दरवाज़े पर एक हल्की सी खटखट ने उसे चौंका दिया, उसका दिल धड़कने लगा। इस वक्त कौन हो सकता है? सावधानी से उसने दरार से झाँका। रीता बाहर खड़ी थी, उसकी आँखें शिकारी जैसी, होंठों पर शरारती मुस्कान। उसके बगल में पगली थी, उसकी फटी साड़ी मुश्किल से उसके शरीर पर टिकी थी, उसका चेहरा गंदगी से सना था, लेकिन उसकी आँखें कच्ची, आमंत्रित वासना से चमक रही थीं। रीता का हाथ पगली के कंधे पर था, जैसे वह उसे एक तोहफे की तरह पेश कर रही हो।
“दरवाज़ा खोल, रतन,” रीता ने नरम स्वर में कहा, उसकी आवाज़ में अधिकार की छाया थी। रतन के हाथ काँप रहे थे, डर और उत्तेजना का तूफान उसके अंदर उमड़ रहा था। उसने दरवाज़ा खोल दिया।
रीता और पगली अंदर घुसीं। पगली फर्श पर ढह गई, हँसते हुए, उसकी साड़ी सरककर उसके भरे उरोज और गोल नितंबों की आकृति उजागर कर रही थी। रीता ने दरवाज़ा लॉक किया, धातु की खटक गूँज उठी। उसकी नज़र रतन पर टिकी, उसकी आँखें शैतानी आग से दहक रही थीं।
“तू पगली के लिए तरस रहा था, ना?” रीता ने फुसफुसाते हुए कहा, उसका हाथ रतन के सीने पर फिसल रहा था। “आज तेरा भाग्यशाली दिन है, रतन। मैं उसे तेरे लिए लाई हूँ। हम तीनों एक ऐसा खेल खेलेंगे, जिसका तूने सपने में भी नहीं सोचा।”
रतन की साँसें भारी हो गईं, उसकी नज़रें पगली की ओर गईं। वह हँस रही थी, अपनी साड़ी कंधे से सरका रही थी, मद्धम रोशनी में अपने नंगे उरोज उजागर कर रही थी—सख्त चुचूक, तांबे जैसी त्वचा, और गंदगी के बावजूद एक जंगली आकर्षण। उसकी घनी जघन रेखा उसकी चमकती योनि को घेर रही थी, उसे पुकार रही थी। रतन का लिंग लुंगी के नीचे पूरी तरह सख्त हो गया, उसका शरीर आग की लपटों में था।
रीता करीब आई, उसकी उंगलियाँ रतन की लुंगी खोल रही थीं। उसका सात इंच का लिंग बाहर उछला, सख्त और प्रीकम से चमकता हुआ। रीता घुटनों पर बैठ गई, उसकी जीभ उसके फुले हुए सिरे पर फिरी। “कमबख्त, तेरा लिंग अभी भी इतना गर्म है,” उसने बुदबुदाया, उसकी जीभ उसकी धड़कती नसों पर फिसल रही थी। रतन सिसका, उसके हाथ रीता के बालों में जकड़े, क्योंकि वह उसे अपने मुँह में ले रही थी, उसके होंठ आधार पर सख्ती से बंद थे, उसकी जीभ तीखी सटीकता के साथ चक्कर काट रही थी।
पगली उठी, अपनी साड़ी पूरी तरह उतार फेंकी। उसका नग्न शरीर मद्धम रोशनी में चमक रहा था—पतली कमर, भरे नितंब, और उसकी उत्तेजना की मादक गंध। वह रतन से सट गई, उसकी जीभ उसके चुचूक को छेड़ रही थी। “रतन… तू मुझे चोदेगा, ना?” उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज़ वासना से टपक रही थी। उसकी उंगलियाँ रतन के नितंबों तक फिसलीं, उसके तंग छेद को छेड़ रही थीं। रतन का शरीर काँप उठा, उसकी सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं।
रीता ने उसका लिंग छोड़ा और खड़ी हो गई, अपनी साड़ी उतार फेंकी। उसका निर्दोष शरीर उजागर हुआ—भरे उरोज हिल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसका छह इंच का लिंग सख्त और प्रीकम से चमकता हुआ था। “आज रात, हम सब पागल हो जाएंगे,” उसने कहा, उसकी आवाज़ पाशविक भूख से भरी थी।

उसने पगली को काउंटर पर धकेला, उसके पैर चौड़े किए। पगली की योनि उजागर थी, गीली और गहरे बालों से घिरी। रीता घुटनों पर बैठ गई, उसकी जीभ पगली की सिलवटों में गोता लगाई, लालच से चाट रही थी। पगली चीखी, उसका शरीर काँप उठा क्योंकि रीता की जीभ और गहराई तक टटोल रही थी, उसके हाथ पगली के चुचूक को चुटकी में ले रहे थे। “ओह, रीता… तू मुझे बर्बाद कर रही है!” पगली हाँफते हुए बोली, उसके हाथ रीता के बालों में जकड़े।
रतन, अब और रोक नहीं पाया, पगली के चेहरे के पास गया, अपना लिंग उसके होंठों पर रगड़ा। उसने उत्सुकता से अपना मुँह खोला, उसे गहराई तक चूस लिया, उसकी जीभ संवेदनशील सिरे पर चक्कर काट रही थी। रतन सिसका, उसके हाथ उसके उरोजों को मसल रहे थे, उसके चुचूक को ज़ोर से चुटकी में ले रहे थे। उसका मुँह उसे और गहराई तक ले गया, उसके होंठ आधार पर सख्ती से बंद थे।
रीता खड़ी हुई, अपने लिंग को पगली की योनि पर सेट किया। एक शक्तिशाली धक्के के साथ, उसने प्रवेश किया, जिससे पगली चीख पड़ी, उसका शरीर काँप उठा। रीता ने बेरहम गति से उसे चोदना शुरू किया, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था, प्रत्येक धक्का पगली के शरीर को हिला रहा था। उसके हाथ पगली के नितंबों पर थप्पड़ मार रहे थे, लाल निशान छोड़ रहे थे। “तेरी योनि मेरा लिंग निगल रही है,” रीता गुर्राई।
रतन ने अपना लिंग पगली के मुँह से खींचा, उसका शरीर ज़रूरत से जल रहा था। वह रीता के पीछे गया, उसके हाथ उसके गोल नितंबों को सहलाने लगे। रीता ने पीछे मुड़कर देखा, एक शैतानी मुस्कान के साथ। “क्या, मेरे नितंबों को टटोल रहा है? मुझे चोद, रतन!” उसने आदेश दिया।
बिना झिझक, रतन ने अपने लिंग को उसके तंग छेद पर सेट किया और धीरे-धीरे अंदर धकेला। रीता सिसकी, उसका शरीर काँप उठा क्योंकि वह अंदर गया। उसने धक्के देने शुरू किए, उसका लिंग उसके तंग, गर्म नितंबों में गहराई तक फिसल रहा था। रीता ने पगली को चोदना फिर से शुरू किया, और रतन ने उसकी लय से ताल मिलाया, उनके शरीर एक पाशविक नृत्य में एकजुट हो गए। उनकी सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं, वासना का एक सिम्फनी।
रीता ने पगली के चुचूक को काटा, उसकी जीभ उसके उरोजों पर लपकी। पगली की योनि रीता के लिंग को जकड़ रही थी, उसका शरीर ऐंठ रहा था। “रीता… मैं खत्म हो गई… ओह कमबख्त!” पगली चीखी, उसकी योनि फट पड़ी, रीता के लिंग को भिगोते हुए।
रतन के धक्के तेज़ हो गए, उसका लिंग रीता के नितंबों में गहराई तक धंसा हुआ था। रीता चीखी, “रतन… तेरा लिंग… मेरे नितंबों में… चोद!” उसका लिंग धड़कने लगा, पगली की योनि में गर्म वीर्य उड़ेल दिया। रतन अब और रोक नहीं पाया, उसका लिंग फट पड़ा, रीता के नितंबों में गर्म, चिपचिपा वीर्य भर दिया। उनके शरीर एक साथ काँपे, उनकी चीखें एक पाशविक दहाड़ में मिल गईं।
वे काउंटर पर ढह गए, हाँफते हुए, उनके शरीर पसीने से तर। पगली हँसी, उसकी आँखें संतुष्टि से चमक रही थीं। “तू अच्छा है, रतन,” उसने फुसफुसाया, उसकी उंगलियाँ उसके नरम पड़ते लिंग पर फिसलीं। रीता मुस्कुराई, उसका हाथ पगली के उरोजों को सहलाने लगा। “हम और खेलेंगे, रतन। यह तो बस शुरुआत है।”
दुकान फिर से शांत हो गई क्योंकि रीता और पगली चली गईं, चैत्र का सूरज अभी भी शटर के बीच से तप रहा था। रतन का शरीर बची हुई गर्मी से गूँज रहा था, उसका लिंग नरम लेकिन वीर्य और प्रीकम से चिपचिपा। पगली की मादक गंध, रीता का प्रभुत्व भरा स्पर्श, और उनका पाशविक मिलन उसके दिमाग में बार-बार घूम रहा था। काउंटर पसीने, वीर्य, और पगली के रसों से तर था, दुकान उनकी वासना की गंध से भारी थी।

रतन ने पेप्सी का घूंट लिया, लेकिन उसकी प्यास बरकरार थी। रीता के शब्द उसे सता रहे थे: “यह गंदा खेल रुकेगा नहीं।” पगली की शरारती मुस्कान और उसकी गीली योनि की छवि उसकी आँखों में बनी रही। वह जानता था कि यह निषिद्ध खेल उसकी आत्मा में गहराई तक समा गया है, फिर भी अपराधबोध की एक चिंगारी उसे कुरेद रही थी—अगर वह इस रास्ते पर और आगे गया तो उसकी ज़िंदगी का क्या होगा?
अचानक एक ज़ोरदार खटखट ने उसे चौंका दिया, उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। अब कौन हो सकता है? पड़ोसी? सिक्युरिटी? या रीता और पगली, फिर से वापस? वह धीरे से दरवाज़े तक गया और झाँका। रीता अकेली खड़ी थी, उसकी टाइट लाल साड़ी उसके कर्व्स से चिपकी थी—भरे उरोज, पतली कमर, गोल नितंब। उसकी शिकारी आँखें और शरारती मुस्कान ने उसके शरीर में सिहरन दौड़ा दी।
“दरवाज़ा खोल, रतन,” उसने कहा, उसकी आवाज़ नरम लेकिन प्रभुत्व भरी। रतन के हाथ काँपते हुए आज्ञा मान गए।
रीता अंदर घुसी, उसकी साड़ी फर्श पर फिसल रही थी, उसकी पायल हल्के से खनक रही थी। गुलाब और पसीने की गंध उससे उठ रही थी। उसने दरवाज़ा लॉक किया, धातु की खटक गूँज उठी। उसकी आँखें शैतानी इरादों से दहक रही थीं।
“पगली कहाँ है?” रतन ने फुसफुसाया, उसका गला सूख रहा था।
रीता हँसी, उसकी मुस्कान शरारती थी। “पगली आराम कर रही है। उसकी योनि और नितंब हमसे थक गए हैं। अब बस तू और मैं। मैं तुझे एक ऐसा गंदा खेल सिखाऊँगी, जो तू कभी नहीं भूलेगा।”
वह करीब आई, उसकी लुंगी खींच दी। उसका सात इंच का लिंग बाहर उछला, पहले से सख्त, प्रीकम से चमकता हुआ। रीता घुटनों पर बैठ गई, उसकी जीभ सिरे को छेड़ रही थी। “तेरा लिंग अभी भी जल रहा है,” उसने बुदबुदाया, धड़कती नसों को चाटते हुए। रतन सिसका, उसके बालों को जकड़ते हुए क्योंकि वह उसे गहराई तक ले रही थी, उसके होंठ सख्ती से बंद थे, उसकी जीभ बेरहम थी। उसकी उंगलियाँ उसके अंडकोषों को छेड़ रही थीं, हल्का दबाव दे रही थीं। “रीता… तू मेरा लिंग बर्बाद कर रही है!” वह हाँफते हुए बोला।
रीता खड़ी हुई, अपनी साड़ी उतार फेंकी। उसका निर्दोष शरीर चमक रहा था—भरे उरोज हिल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसका छह इंच का लिंग सख्त और टपक रहा था। “आज, मैं तुझे अपना गुलाम बनाऊँगी,” उसने कहा, उसकी आवाज़ वासना से टपक रही थी।
उसने रतन को काउंटर पर धकेला, उसके पैर चौड़े किए। उसका नितंब उजागर था, तंग और पसीने से चिकना। रीता ने अपने लिंग को उसके छेद पर रगड़ा, हल्के से छेड़ते हुए। “रीता… धीरे… मुझे डर लग रहा है,” रतन ने फुसफुसाया। उसने उसे गहराई से चूमा, उसकी जीभ उसके मुँह में नाच रही थी। “डर मत, रतन। मेरा लिंग तुझे सुख देगा,” उसने फुसफुसाया।
रीता ने उसके छेद पर थूका, अपनी उंगलियों से उसे ढीला किया, फिर अपने लिंग को सेट किया। उसने धीरे-धीरे प्रवेश किया, और रतन चीखा, “रीता… दर्द हो रहा है!” वह झुकी, उसकी गर्दन चाटते हुए। “शांत हो, रतन। सुख आने वाला है।” उसने धक्के देने शुरू किए, उसका लिंग गहराई तक फिसल रहा था, उसकी नसों वाला शाफ्ट उसकी तंग दीवारों को रगड़ रहा था। दर्द सुख में बदल गया, और रतन की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। “रीता… तेरा लिंग… कमाल का है!”
उसके धक्के तेज़ हो गए, उसकी मांसल जांघें उसके नितंबों से टकरा रही थीं, काउंटर चरमरा रहा था। उसका हाथ रतन के सात इंच के लिंग को जकड़ लिया, ज़ोर से सहलाने लगा। “तेरा लिंग मेरे हाथ में पागल हो रहा है,” वह गुर्राई, उसकी उंगलियाँ उसके प्रीकम से चिकनी थीं। रतन सिसका, “रीता… तू मुझे बर्बाद कर रही है!”
वह उसके चुचूक को काटने लगी, उसकी जीभ उसके सीने पर लपकी। उसके धक्के गहरे हो गए, उसका नितंब उसके लिंग को जकड़ रहा था। “तेरे नितंब मेरे लिंग को चूस रहे हैं, रतन!” वह हाँफते हुए बोली। रतन का शरीर किनारे पर था, उसका लिंग उसके हाथ में धड़क रहा था। “रीता… मैं और नहीं रोक सकता!” वह चीखा।

उसका शरीर झटका खा गया, उसका सिर पीछे झुका। “रतन… मेरा लिंग… फट रहा है!” वह चीखी, उसका छह इंच का लिंग उसके नितंबों में गर्म, चिपचिपा वीर्य उड़ेल रहा था। उसकी गर्मी ने रतन को किनारे पर धकेल दिया, उसका लिंग उसके हाथ में फट पड़ा, वीर्य उसकी पेट और उरोजों पर छलक गया। उनके शरीर काँपे, उनकी सिसकारियाँ एक पाशविक सिम्फनी में मिल गईं।
वे ढह गए, पसीने से तर और हाँफते हुए। रीता का लिंग नरम पड़ गया, अभी भी वीर्य और प्रीकम से चमक रहा था। वह मुस्कुराई, उसके सीने को सहलाते हुए। “तू मेरा है, रतन। यह खेल कभी खत्म नहीं होगा।”
अचानक एक खटखट ने उन्हें चौंका दिया। रीता हँसी। “वो पगली है। वह वापस आ गई। हम फिर खेलेंगे।” उसने दरवाज़ा खोला, और पगली अंदर घुसी, उसकी फटी साड़ी सरककर उसके भरे उरोज और चमकती योनि को उजागर कर रही थी। “रतन, तू मेरी योनि से दूर नहीं रह सकता, ना?” उसने छेड़ा, उसका हाथ उसके लिंग पर फिसला।
रीता ने पगली को काउंटर पर खींचा, उसे नंगा कर दिया। पगली का शरीर चमक रहा था—उसकी योनि गीली, होंठ फुले हुए, गहरे बालों से घिरी; उसके उरोज भरे हुए, चुचूक सख्त। रीता ने उसे कुत्ते की मुद्रा में झुकाया, उसके गोल नितंब उठे हुए। उसने अपने लिंग को पगली के तंग छेद पर रगड़ा, धीरे-धीरे प्रवेश किया। पगली सिसकी, “रीता… तेरा लिंग… मेरे नितंबों को पागल कर रहा है!”
रतन का लिंग फिर से सख्त हो गया। वह पगली के चेहरे के पास गया, अपने लिंग को उसके मुँह में ठेल दिया। वह लालच से चूसने लगी, उसकी जीभ सिरे पर चक्कर काट रही थी। रतन सिसका, उसके हाथ उसके चुचूक को चुटकी में ले रहे थे। रीता ने पगली के नितंबों को तीव्र धक्कों से चोदा, उसकी उंगलियाँ पगली की भगनासा को रगड़ रही थीं। उनके शरीर एक पाशविक लय में तालमेल बिठा रहे थे, उनकी सिसकारियाँ दुकान में गूँज रही थीं।
पगली की योनि फट पड़ी, रीता की उंगलियों को भिगोते हुए। “रीता… रतन… तुम मुझे बर्बाद कर रहे हो!” वह चीखी, उसका शरीर ऐंठ रहा था। रीता का लिंग फट पड़ा, पगली के नितंबों में वीर्य भर दिया। रतन का लिंग उसके मुँह में फट पड़ा, वीर्य उसके होंठों से टपक रहा था। वे ढह गए, थके हुए लेकिन तृप्त।
रीता और पगली ने कपड़े पहने और चली गईं, और वादा किया कि फिर आएँगी। रतन अकेला पड़ा रहा, उसका शरीर थका हुआ, उसका दिमाग वासना और अपराधबोध के तूफान में। वह जानता था कि यह गंदा खेल उसे जकड़ चुका है, और कोई बचाव नहीं था।


घर में निषिद्ध आग
रतन रीता और पगली के साथ घर लौटा, उसका इरादा पक्का था। रीता का नरम, गोल नितंब उसके हाथ से रगड़ रहा था, उसके भरे उरोज उसके सीने से दब रहे थे। पगली की फटी साड़ी उसके गहरे जघन बाल और फुले हुए योनि के होंठों को उजागर कर रही थी। दरवाज़े पर, रतन की माँ, फरीदा, हैरानी से देख रही थी। उसकी परिपक्व सुंदरता अभी भी मोहक थी—भरे उरोज, पतली कमर, और उसकी आँखों में एक कामुक चमक।
“रतन, ये कौन हैं?” फरीदा ने उत्सुकता से पूछा।
गहरी साँस लेते हुए, रतन ने कहा, “माँ, ये रीता और पगली हैं। मैं इन दोनों से शादी करने जा रहा हूँ।”
रीता मुस्कुराई। “माँ, मैं रतन के लिंग की गुलाम हूँ। मैं उसकी पत्नी बनना चाहती हूँ,” उसने नरम स्वर में कहा। पगली हँसी, “मेरी योनि रतन के लिए बनी है। मैं भी उसकी पत्नी बनूँगी।”
फरीदा, पहले तो हैरान, फिर मुस्कुराई। “ठीक है, रतन। तेरी खुशी मेरी खुशी है। मैं सहमति देती हूँ। यह शादी धूमधाम से होगी!”


गाँव के मैदान में शादी का उत्सव
शादी गाँव के मैदान में एक जीवंत उत्सव में हुई। चैत्र का सूरज सुनहरी रोशनी बिखेर रहा था, हवा में फूलों, अगरबत्ती, और उत्सव की गंध थी। लाल, पीले, और हरे रंग के शामियाने लहरा रहे थे, गेंदे, ट्यूबरोज़, और चमेली की मालाओं से सजे हुए। मंच लाल कालीन से ढका था, फूलों की पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं, और रतन, रीता, और पगली के लिए तीन सुनहरे सिंहासन जैसे कुर्सियाँ थीं।
रतन सुनहरे कुर्ते और धोती में देवता जैसा लग रहा था, उसका मांसल शरीर चमक रहा था, उसकी आँखें पाशविक वासना से जल रही थीं। रीता, लाल बनारसी साड़ी में, एक देवी थी—उसके भरे उरोज झलक रहे थे, गहरे चुचूक टाइट ब्लाउज़ के पार दिख रहे थे, उसके गोल नितंब हर कदम पर हिल रहे थे। उसकी सोने की कमरबंद, पायल, और बिंदी ने उसकी कामुक आकर्षण को बढ़ा दिया था। पगली की लाल साड़ी, फटी हुई फिर भी मोहक, उसकी तांबे जैसी त्वचा और घने जघन बालों को उजागर कर रही थी। उसके भरे उरोज उछल रहे थे, उसकी जंगली मुस्कान भीड़ को मोह रही थी।
गाँव वाले इकट्ठा हुए, ढोल बज रहे थे, शंख बज रहे थे, औरतें उलूलु कर रही थीं। अगरबत्ती का धुआँ नाच रहा था, रीता और पगली की शरीर की मादक गंध के साथ मिलकर एक मादक माहौल बना रहा था। पंडित मंत्र पढ़ रहा था, उसकी आवाज़ उनके दिलों में गूँज रही थी।
रतन ने रीता की ओर देखा, उसकी आँखें प्यार और वासना का मिश्रण थीं। “रीता, तू मेरी पत्नी है। तेरी योनि और नितंब मेरे हैं,” उसने फुसफुसाया। रीता मुस्कुराई, “रतन, मेरे पति, मेरा लिंग और योनि तेरे लिए तरस रहे हैं।” पगली ने उसका हाथ पकड़ा, उसके उरोज उसके हाथ से रगड़ रहे थे। “तेरा लिंग मेरी योनि का राजा है, रतन। मैं तेरी जंगली पत्नी हूँ,” वह हँसी।
सिंदूर की रस्म के दौरान, रतन ने रीता की मांग में सिंदूर भरा, उसकी उंगलियाँ उसकी त्वचा पर रुकीं। वह सुख से काँप उठी। फिर उसने पगली की मांग भरी, जिसने उसे चूमा, फुसफुसाते हुए, “मेरी योनि तेरी है।” उन्होंने मालाएँ बदलीं, सात बार चक्कर लगाए, उनके शरीर एक-दूसरे से रगड़ रहे थे, दिल धड़क रहे थे।
भीड़ ने तालियाँ बजाईं, आश्चर्यचकित। भोज शामियाने के नीचे हुआ, टेबल सफेद कपड़े से ढके थे, केले के पत्तों से लदे हुए। हवा में मछली करी, पुलाव, और मिठाइयों की खुशबू थी।
मेन्यू:
  • हिल्सा मछली करी: ताज़ा हिल्सा, तलकर हल्दी, जीरा, और धनिया में पकाया गया, तैलीय शोरबा मादक।
  • मटन काशा: नरम बकरी का मांस, प्याज़, अदरक, और लहसुन के साथ धीरे-धीरे पकाया गया, मसालों से भरा।
  • बासमती पुलाव: इलायची, दालचीनी, और लौंग की खुशबू, किशमिश और काजू से सजा।
  • आलू-पटोल करी: नरम आलू और कोमल पटोल, हल्की मसालेदार ग्रेवी में।
  • मिठाइयाँ: रसगुल्ला, नरम और सिरप से भरा; संदेश, नारियल और इलायची से युक्त; मालपुआ, कुरकुरा और खजूर के सिरप में डूबा।
  • लुची: फूली हुई, गर्म, मटन काशा के साथ परफेक्ट।
  • चटनी और पापड़: तीखी आम की चटनी और कुरकुरा पापड़।
फरीदा ने रतन, रीता, और पगली को अपने हाथों से खिलाया। उसने रतन को मटन के साथ लुची का टुकड़ा खिलाया, मुस्कुराते हुए, “खा, मेरे बेटे। तू मेरा गर्व है।” उसने रीता को रसगुल्ला खिलाया, सिरप उसके होंठों पर टपक रहा था। रीता ने उसे चाट लिया, नरम स्वर में कहा, “माँ, तुम इस मिठास जितनी प्यारी हो।” फरीदा हँसी, पगली को मछली करी में डूबा चावल खिलाया। पगली हँसी, “माँ, ये करी मेरी योनि जितनी गर्म है!” फरीदा ने चंचलता से उसका गाल चुटकी में लिया।
खाते समय, उनके हाथ एक-दूसरे की जांघों को रगड़ रहे थे, रीता की योनि की गंध उसकी साड़ी से उठ रही थी, पगली के उरोज रतन से दब रहे थे। फरीदा देख रही थी, उसका अपना शरीर वासना से हिल रहा था। भोज के बाद, वे दुल्हन के कक्ष में गए, उनकी आँखें रात के जुनून का वादा कर रही थीं।



दुल्हन के कक्ष में जुनून
दुल्हन का कक्ष गुलाबों से सजा था, बिस्तर पर पंखुड़ियाँ बिखरी हुई थीं, अगरबत्ती का धुआँ एक कामुक धुंध बना रहा था। रतन ने दरवाज़ा लॉक किया, उसकी आँखें शिकारी जैसी थीं। रीता और पगली बिस्तर पर बैठी थीं, उनकी साड़ियाँ सरक रही थीं। रीता के भरे उरोज चमक रहे थे, उसके गहरे चुचूक सख्त थे, उसका छह इंच का लिंग उसकी साड़ी के नीचे धड़क रहा था, उसके नितंब चिकने और गर्म। पगली की तांबे जैसी त्वचा पसीने से चमक रही थी, उसकी घनी योनि फुली हुई थी, उसकी भगनासा रतन के लिंग के लिए धड़क रही थी।
रतन ने अपनी धोती उतारी, उसका सात इंच का लिंग सख्त था, नसें धड़क रही थीं, सिरा प्रीकम से चिकना। “तुम मेरी पत्नियाँ हो। मैं तुम दोनों को बेकार कर दूंगा,” वह गुर्राया। पगली ने अपनी साड़ी फेंक दी, उसकी योनि उजागर थी। “रतन, मेरी योनि तेरे लिंग के लिए रो रही है। मुझे चोद!” वह चीखी।
रतन घुटनों पर बैठ गया, उसकी जीभ पगली के फुले हुए होंठों पर लपकी, उसकी भगनासा को छेड़ रही थी। वह चीखी, “रतन… तेरी जीभ मेरी योनि में आग लगा रही है!” उसके हाथ उसके बालों में जकड़े, उसकी योनि को उसके मुँह में दबा रही थी। उसने अपने लिंग को उसमें ठेल दिया, उसकी तंग, गर्म योनि उसे जकड़ रही थी। “तेरा लिंग मेरी योनि को चीर रहा है!” वह सिसकी, उसका शरीर हर धक्के के साथ हिल रहा था। उसके हाथ उसके चुचूक को चुटकी में ले रहे थे, नाखून उसकी त्वचा में धंस रहे थे।
रीता देख रही थी, उसका लिंग धड़क रहा था, प्रीकम टपक रहा था। उसने अपनी साड़ी उतार दी, उसका लिंग चमक रहा था। “रतन, मैं तेरे नितंबों को चोदना चाहती हूँ,” उसने फुसफुसाया, उसके गालों को सहलाते हुए। रतन रुका, उसकी आँखें सख्त थीं। “नहीं, रीता। मैं तेरा पति हूँ। मैं तुझे चोदता हूँ। तेरा लिंग मेरे नितंबों से बाहर रहेगा। तू मेरे लिंग की गुलाम है,” उसने दृढ़ता से कहा। रीता का चेहरा लटक गया, उसका लिंग अतृप्त वासना से काँप रहा था।
रतन ने पगली से बाहर निकाला और रीता की ओर गया, उसे बिस्तर पर धकेल दिया। उसने उसके तंग, पसीने से चिकने नितंबों को चाटा, उसकी जीभ उसके छेद पर चक्कर काट रही थी। “रतन… तेरी जीभ मेरे नितंबों को पागल कर रही है!” रीता सिसकी, उसका लिंग चादर पर टपक रहा था। रतन ने उसके नितंबों में ठेल दिया, उसका तंग छेद उसे जकड़ रहा था। “तेरा लिंग मेरे नितंबों को चीर रहा है!” वह चीखी। वह उसे ज़ोर से चोदने लगा, उसके चुचूक को काटते हुए, नाखून उसकी त्वचा पर खरोंच रहे थे।
पगली ने रीता के लिंग को अपने मुँह में लिया, सिरे को चूस रही थी, उसकी जीभ चक्कर काट रही थी। “पगली… तेरा मुँह मेरे लिंग को बर्बाद कर रहा है!” रीता चीखी। पगली की जीभ आधार को छेड़ रही थी, क्योंकि रतन का लिंग उसके नितंबों को पीट रहा था। रतन का लिंग फट पड़ा, रीता के नितंबों में वीर्य भर दिया, जो उसकी जांघों से टपक रहा था। रीता का लिंग पगली के मुँह में फट पड़ा, वीर्य उसके होंठों पर चिपक गया। पगली ने उसे चाट लिया, हर बूंद का स्वाद लिया।
रतन पगली की ओर लौटा, उसकी योनि में ठेल दिया। “तू मेरी योनि को बर्बाद कर रहा है!” वह चीखी, उसकी योनि फट पड़ी, बिस्तर को भिगोते हुए। उसका लिंग फट पड़ा, उसे वीर्य से भर दिया। वे ढह गए, उनके शरीर चिकने और तृप्त, बिस्तर पसीने, वीर्य, और रसों से तर।
लेकिन रीता का दिल दुख रहा था—उसका लिंग, हालांकि सुख पा चुका था, प्रवेश की चाहत रखता था, एक इच्छा जो रतन के नियम ने नकार दी थी। उसका शरीर अतृप्त ज़रूरत से जल रहा था, एक यातना जो उसकी आत्मा को कुरेद रही थी।


रसोई में निषिद्ध जुनून
अगली सुबह, रीता, भारी मन से, रसोई में फरीदा के पास गई। फरीदा की परिपक्व देह उसकी टाइट साड़ी में आश्चर्यजनक थी—भरे उरोज झलक रहे थे, गहरे चुचूक दिख रहे थे, उसके गोल नितंब हर कदम पर हिल रहे थे। “माँ, मुझे दर्द हो रहा है। मैं संतुष्ट नहीं हूँ,” रीता ने फुसफुसाया, उसकी आँखों में आंसू लेकिन शरीर में वासना।
फरीदा ने भौंहें सिकोड़ीं। “रतन ने तुझे चोदा नहीं?” उसने चिंता से पूछा।
रीता ने सिर हिलाया, अपनी साड़ी उठाकर अपना छह इंच का लिंग दिखाया, सख्त और टपकता हुआ, उसकी फुली हुई, घनी योनि के बगल में। फरीदा हाँफी, उसकी आँखें आश्चर्य और वासना से चौड़ी हो गईं। “ये क्या है, रीता!” उसने फुसफुसाया, उसका हाथ सहज रूप से रीता के लिंग को छूने लगा, चिकने सिरे को सहलाने लगा। “इतना बड़ा और सख्त… और ये योनि… ओह!” फरीदा की आवाज़ वासना से टपक रही थी।
रीता का लिंग धड़क रहा था। “माँ, मेरा लिंग चोदने के लिए तरस रहा है। रतन मुझे नहीं करने देता,” उसने कहा, उसकी आवाज़ टूट रही थी।
फरीदा शरारती ढंग से मुस्कुराई। “तो मैं तेरे लिंग को संतुष्ट करूँगी। मेरी योनि को सालों से लिंग का स्वाद नहीं मिला। और मैं तेरी योनि का स्वाद भी लूँगी,” उसने नरम स्वर में कहा। वह घुटनों पर बैठ गई, उसके होंठ रीता के लिंग को छू रहे थे, प्रीकम को चाट रहे थे। उसने उसे गहराई तक लिया, उसके होंठ सख्ती से बंद, उसकी जीभ चक्कर काट रही थी। “माँ… तेरा मुँह मेरे लिंग को पागल कर रहा है!” रीता सिसकी। फरीदा की उंगलियाँ रीता की योनि को छेड़ रही थीं, उसकी भगनासा को रगड़ रही थीं। रीता का शरीर काँप उठा, उसकी योनि फट पड़ी।
फरीदा ने रीता की योनि को चाटा, उसकी भगनासा को चूसा, फिर उसके लिंग पर लौटी। “तेरा लिंग और योनि मेरे लिए बने हैं,” उसने बुदबुदाया, उसका चेहरा रसों से चिकना था।
रीता, अभिभूत, फरीदा को उठाकर रतन के कमरे में ले गई। वहाँ, रतन पगली की योनि को खा रहा था, उसकी जीभ उसकी गीली सिलवटों में डूबी थी, उसका सात इंच का लिंग सख्त और टपक रहा था। रीता ने फरीदा को बिस्तर पर लिटाया, उसकी साड़ी फाड़ दी। फरीदा का शरीर उजागर हुआ—भरे उरोज उछल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसकी परिपक्व योनि घनी और गीली थी।
रीता ने अपने लिंग को फरीदा की योनि पर रगड़ा, उसकी भगनासा को छेड़ा। “माँ, तेरी योनि मेरा लिंग निगल लेगी,” वह गुर्राई, ज़ोर से प्रवेश किया। फरीदा चीखी, “रीता… तेरा लिंग मेरी योनि को चीर रहा है!” रीता ने उसे बेरहमी से चोदा, उसके चुचूक को काटते हुए, नाखून उसकी त्वचा में धंस रहे थे।

पगली शामिल हुई, फरीदा की भगनासा को चूस रही थी, उसकी जीभ रीता के लिंग को छू रही थी। “पगली… तेरी जीभ मेरी योनि में आग लगा रही है!” फरीदा चीखी। पगली ने रीता के लिंग को चाटा क्योंकि वह फरीदा की योनि में धक्के दे रहा था।
रतन देख रहा था, उसका लिंग धड़क रहा था। वह रीता के पीछे गया, उसके नितंबों को सहलाने लगा। “मेरी माँ को चोद रही है, रीता? मैं तेरे नितंबों को बर्बाद कर दूंगा!” वह गुर्राया, उसके तंग, चिकने छेद में ठेल दिया। रीता चीखी, “रतन… तेरा लिंग मेरे नितंबों को जला रहा है!” उसके धक्के उसकी लय से तालमेल बिठा रहे थे, उसे फरीदा में और गहराई तक धकेल रहे थे।
पगली ने फरीदा के चुचूक को चूसा, उसकी जीभ रीता के लिंग को छेड़ रही थी। फरीदा की योनि जकड़ गई, रस छलक रहे थे। “रीता… पगली… तुम मुझे बर्बाद कर रहे हो!” वह चीखी, उसके नाखून रीता की पीठ पर खरोंच रहे थे।
रीता का लिंग फट पड़ा, फरीदा की योनि में गर्म वीर्य उड़ेल दिया, जो उसकी जांघों से टपक रहा था। रतन का लिंग रीता के नितंबों में फट पड़ा, वीर्य उसे भर रहा था। पगली की जीभ ने फरीदा को चरमोत्कर्ष पर पहुँचाया, उसकी योनि बिस्तर को भिगो रही थी।
रतन घुटनों पर बैठ गया, फरीदा की योनि को चाटने लगा, रीता के वीर्य और उसके रसों का स्वाद ले रहा था। “माँ, तेरी योनि और रीता का वीर्य… स्वर्ग है,” वह गुर्राया, उसकी जीभ गहराई तक टटोल रही थी। फरीदा सिसकी, “रतन… तू मेरी योनि को बर्बाद कर रहा है!” उसकी योनि फट पड़ी, उसका चेहरा भिगो दिया।
पगली ने रतन के लिंग को अपने मुँह में लिया, लालच से चूस रही थी। “तेरा लिंग मेरे मुँह में फटेगा,” उसने नरम स्वर में कहा। रीता, देख रही थी, उसका लिंग फिर से सख्त हो गया। उसने फरीदा के चुचूक को चूसा, उसकी उंगलियाँ रतन की जीभ के साथ उसकी योनि को छेड़ रही थीं। फरीदा चीखी, “रीता… रतन… तुम मुझे तबाह कर रहे हो!”
रतन ने रीता के नितंबों में फिर से ठेल दिया, उसका लिंग बेरहम था। पगली ने फरीदा की योनि को चाटा, उसे एक और चरमोत्कर्ष पर ले गई। रीता का लिंग दुख रहा था, प्रवेश से वंचित। रतन का लिंग उसके नितंबों में फट पड़ा, फरीदा की योनि फट पड़ी, और वे ढह गए, तृप्त लेकिन थके हुए।
फरीदा ने पगली को अपने पास खींचा, उनकी योनि एक-दूसरे से रगड़ रही थीं, भगनासाएँ टकरा रही थीं, रस मिल रहे थे। “पगली, तेरी योनि मेरी योनि के लिए बनी है,” फरीदा सिसकी, उसके चुचूक को काटते हुए। पगली चीखी, “माँ… हमारी योनि एक हैं!” उनके शरीर ऐंठे, बिस्तर को भिगोते हुए।
रतन देख रहा था, उसका लिंग सख्त हो रहा था। “माँ, मैं तेरी योनि को तीन तरह से चोदूंगा,” वह गुर्राया। फरीदा ने अपने पैर चौड़े किए, उसकी योनि चमक रही थी। रतन ने उसमें ठेल दिया, उसे ज़ोर से चोदा, फिर उसके मुँह में गया, उसके होंठ उसके लिंग से उसके अपने रस चूस रहे थे। उसने उसकी योनि को फिर से चोदा, फिर पीछे से, उसके नितंबों पर थप्पड़ मारते हुए। अंत में, फरीदा ने उसे सवार किया, उसकी योनि उसके लिंग को जकड़ रही थी जब तक कि दोनों फट नहीं पड़े, वीर्य और रस बिस्तर को भिगो रहे थे।

जैसे ही वे एक साथ लेटे, फरीदा ने फुसफुसाया, “रतन, तेरा लिंग मेरी योनि का राजा है।” रतन ने जवाब दिया, “माँ, तेरी योनि मेरे लिए बनी है। यह खेल कभी खत्म नहीं होगा।”
लेकिन अचानक, रीता उठी, उसकी आँखें निराशा से दहक रही थीं। उसने रतन को ज़ोर से थप्पड़ मारा, उसकी आवाज़ काँप रही थी। “तू मेरे लिंग को नकारता है, रतन! तुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी!” कमरा शांत हो गया, हवा में तनाव भारी था, क्योंकि उनका निषिद्ध खेल एक खतरनाक मोड़ ले रहा था।
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#9
अचानक, रीता, जिसका छह इंच का लिंग अभी भी चिकने वीर्य से चमक रहा था, बिस्तर से उठी, उसकी आँखें आग से दहक रही थीं, उसका शरीर शादी की रात की अपमान की चुभन से काँप रहा था। उसके भरे उरोज हिल रहे थे, गहरे चुचूक सख्त थे, उसके गोल नितंब पसीने से चिकने थे। वह रतन की ओर बढ़ी, उसके हाथ झूलते हुए, उसके चेहरे पर तेज़, चुभने वाले थप्पड़ जड़ते हुए। प्रत्येक थप्पड़ ने उसके गालों पर लाल निशान छोड़े, आवाज़ गर्म हवा में गूँज रही थी। “तूने मेरे लिंग को नकारने की हिम्मत की, रतन! अब तू मेरी ताकत महसूस करेगा!” रीता चीखी, उसकी आवाज़ क्रोध और वासना का कच्चा मिश्रण थी।
रतन, हैरान, उसकी आँखें आश्चर्य और गुस्से से चमक रही थीं, उसने जवाब में हाथ उठाया, लेकिन रीता तेज़ थी। उसने उसकी कलाई पकड़ ली, उसे ज़ोर से मोड़ा, उसकी ताकत ने उसे चौंका दिया। फिर, एक तेज़ टांग उठाकर, उसने उसके पेट में एक शक्तिशाली लात मारी। रतन चीखा, “आह!” पीछे की ओर लड़खड़ाता हुआ, बिस्तर के किनारे से टकराया। उसका शरीर काँप रहा था, लेकिन उसकी आँखें अभी भी विद्रोह से जल रही थीं।
फरीदा और पगली, यह दृश्य देखकर, हँसते हुए खड़ी हो गईं। फरीदा की योनि अभी भी रतन के वीर्य से गीली थी, उसके भरे उरोज हिल रहे थे। पगली की तांबे जैसी त्वचा पसीने से चमक रही थी, उसकी फुली हुई योनि उत्तेजना से धड़क रही थी। “रीता, तू हमारी रानी है! रतन को सजा दे!” फरीदा चीखी, उसकी आँखें शरारती खुशी से चमक रही थीं। पगली हँसी, उसकी आवाज़ शरारत से टपक रही थी, “रतन, अब तेरे नितंबों का काम तमाम है!”
फरीदा और पगली ने मिलकर रतन को पकड़ लिया, उसे बिस्तर पर औंधे मुँह पिन कर दिया। वह छटपटाया, उसकी मांसपेशियाँ तनीं, लेकिन उनके मजबूत हाथों ने उसकी कलाइयों को जकड़ लिया, उसे नीचे दबाए रखा। रीता बिस्तर पर चढ़ी, उसका छह इंच का लिंग सख्त था, नसें उभरी हुई थीं, गुलाबी सिरा प्रीकम से चिकना, कच्ची ज़रूरत से धड़क रहा था।
रीता ने रतन के पैर चौड़े किए, उसके गोल नितंबों को ऊँचा उठाया। उसका तंग छेद पसीने से चमक रहा था, जैसे रीता के वीर्य की भीख माँग रहा हो। “तूने कहा था मेरा लिंग तेरे नितंबों में कभी नहीं जाएगा, रतन। अब देख, ये तुझे चीर देगा!” रीता गुर्राई, अपने लिंग को उसके छेद पर रगड़ते हुए। उसने सिरे को धीरे-धीरे अंदर धकेला, उसका तंग, गर्म छेद उसे ज़ोर से जकड़ रहा था। रतन ने एक तेज़ सिसकारी भरी, “आह… रीता… तू मेरे नितंबों में आग लगा रही है!”
एक शक्तिशाली धक्के के साथ, रीता ने अपना पूरा लिंग उसके अंदर दफन कर दिया, उसकी गति तीव्र और बेरहम थी। प्रत्येक धक्का रतन के शरीर को हिला रहा था, उसके नितंब उसकी पाशविक लय के साथ काँप रहे थे। फरीदा और पगली ने उसे दबाए रखा, उनके हाथ चादर से उसके शरीर पर कोड़े मार रहे थे, उसके नितंबों और पीठ पर थप्पड़ जड़ रहे थे। “रतन, अब तू हमारा गुलाम है!” फरीदा चीखी, उसका हाथ उसके गाल पर एक तेज़ थप्पड़ मार रहा था। पगली, जंगली ढंग से हँसते हुए, उसके सीने पर चढ़ गई, अपनी गीली योनि को उसके चेहरे पर रगड़ने लगी। “चूस, रतन! मेरी योनि चूस!” उसने माँग की, अपने फुले हुए होंठों को उसके मुँह पर दबा दिया। रतन की जीभ उसके टपकते सिलवटों पर लपकी, उसके रस पी रही थी, उसकी सिसकारियाँ दबी हुई थीं।
रीता, फरीदा, और पगली एक स्वर में नारा लगाने लगीं, “रतन! रतन! रतन!” उनकी आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं, एक पाशविक, राक्षसी मेलोडी। रीता के धक्के और तीव्र हो गए, उसका लिंग रतन के नितंबों में गहराई तक जा रहा था, उसकी नसों वाला शाफ्ट उसकी तंग दीवारों को रगड़ रहा था। रतन का शरीर काँप रहा था, उसका सात इंच का लिंग सख्त और प्रीकम से टपक रहा था। “रीता… तू मेरे नितंबों को बर्बाद कर रही है!” रतन चीखा, उसकी आवाज़ दर्द और उन्माद का मिश्रण थी।
रीता के धक्के उन्मत्त गति तक पहुँच गए, उसका लिंग रतन के नितंबों में फट पड़ा, गर्म, चिपचिपा वीर्य उड़ेलते हुए जो उसकी जांघों से टपक रहा था। उसका विस्फोट अंतहीन था, जैसे उसका सारा क्रोध और वासना इस बाढ़ में उड़ेल दी गई हो, बिस्तर को भिगोते हुए, नीचे बिखरी गुलाब की पंखुड़ियों पर टपकते हुए। कमरा उसके वीर्य में डूब गया—बिस्तर, दीवारें, फर्श, सब उसके गर्म, नमकीन सार से चिकने। फरीदा और पगली, हँसते हुए, रीता के वीर्य को उछाला, उसे एक-दूसरे के शरीर पर मल लिया, उनकी योनि और उरोज चमक रहे थे। “रीता, तूने रतन को खत्म कर दिया! देख उसे, रतन, रतन, रतन!” फरीदा चीखी, उसके हाथ रतन और रीता के लिंगों को सहलाने लगे।

रतन बिस्तर पर पड़ा था, थका हुआ, उसके नितंब रीता के वीर्य से तर। उनकी नारों की आवाज़—रतन… रतन… रतन…—उसके कानों में धीमी पड़ रही थी। अचानक, “रतन! रतन! रतन!” की एक तेज़ चीख ने उसे झकझोर दिया। उसकी आँखें खुलीं, और चिपचिपा बिस्तर, गुलाब की पंखुड़ियाँ, अगरबत्ती का धुआँ, और पसीने, वीर्य, और रसों की मादक गंध गायब हो गई। केवल उसका लिंग बचा था, गीले सपने के चिपचिपे अवशेष से तर, उसकी लुंगी उसकी त्वचा से चिपकी हुई थी।
कमरे के बाहर से उसकी माँ फरीदा की आवाज़ आई, “रतन! रतन! रतन!”
“आ रहा हूँ, माँ!” रतन ने जवाब दिया, उसकी आवाज़ नींद से भारी थी।
फरीदा का लहजा चिढ़ से तीखा था। “कब से बुला रही हूँ! क्या मर गया है सोते हुए? कल रात भोज में ज़्यादा खा लिया क्या? उठ, दुकान खोलनी है!” उसकी पदचाप धीमी पड़ गई क्योंकि रतन उठकर बैठ गया, उसका शरीर पसीने से तर, उसका दिमाग अपराधबोध और वासना से बेचैन। उसने अपने वीर्य से सने लिंग को छुआ, उसके विचार उस ज्वलंत, गंदे सपने में डूब गए। उसने ऐसा सपना क्यों देखा?

यादें उमड़ पड़ीं:
कुछ दिन पहले, रतन ने एक पागल औरत, पगली, को अपनी दुकान में ले जाकर चोदा था, अपनी वासना को शांत करने का मौका लपक लिया था, यह सोचकर कि कोई नहीं जान पाएगा इस निषिद्ध, रसीले मिलन को। लेकिन रीता, एक ट्रांसजेंडर औरत, ने सब देख लिया था। इस घटना ने रतन में एक गुप्त अपराधबोध और डर जगा दिया था, जो उसके सपने में पगली की जंगली, वासना भरी छवि के रूप में प्रकट हुआ। उसकी योनि, उसकी चीखें, और फरीदा के साथ मिलन उसके अवचेतन की इच्छाओं का प्रकटीकरण था, निषिद्ध के रोमांच में डूबा हुआ।
लेकिन रीता, रतन और पगली के मिलन को जानकर, उसे ब्लैकमेल कर रही थी। उसने अपने छह इंच के लिंग से उसके नितंबों को चोदा था, बदला लेते हुए और उसकी प्रभुता को चुनौती देते हुए। इससे रतन में गहरी अपमान और शर्मिंदगी की भावना पैदा हुई, जो सपने में रीता के थप्पड़ों, लातों, और उसके नितंबों के तीव्र चोदन के रूप में झलकी। उसके शब्द, “मेरा लिंग तेरे नितंबों का राजा है,” उसके अवचेतन के हार के डर को गूँजते हैं। उसके वीर्य का “कमरे को डुबो देना” उसकी अपराधबोध और रीता की प्रभुता का अतिशयोक्तिपूर्ण प्रकटीकरण था।
सपने में, फरीदा उसकी प्यारी माँ और यौन साथी दोनों के रूप में प्रकट होती है, जो रतन के आंतरिक द्वंद्व को दर्शाती है—माँ के लिए प्यार और निषिद्ध आकर्षण का मिश्रण। वास्तव में, फरीदा देखभाल करने वाली है, उसे दुकान खोलने के लिए प्रेरित करती है, लेकिन सपने में, रीता और पगली के साथ उसका तीव्र मिलन उसके परित्याग और वर्जित इच्छाओं के डर को उजागर करता है। पिछली रात का भोज, उसकी गुलाब की पंखुड़ियों, अगरबत्ती, और उत्सव के साथ, उसकी अवचेतन वासना के साथ मिल गया, जिसने सपने के ज्वलंत दृश्यों को आकार दिया। भोजन और पेय की अधिकता ने उसके शरीर और दिमाग को उत्तेजित किया, जिसका परिणाम गीला सपना था।
रतन की पगली के लिए भूख और रीता के अपमान की चुभन बरकरार थी। यह नहीं जानना कि पगली या रीता कहाँ हैं, उसकी बेचैनी को बढ़ा रहा था। वह फिर से पगली को चोदना चाहता था, अपनी प्रभुता को पुनः प्राप्त करना चाहता था, लेकिन रीता का ब्लैकमेल और उसके नितंबों में उसके लिंग की स्मृति ने उसका आत्मविश्वास चकनाचूर कर दिया था, जो सपने में उसकी समर्पण के रूप में प्रकट हुआ। अंधेरी, गंदी गली, वासना की सांझ में डूबी हुई, कच्ची वासना की गंध से धड़क रही थी।
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#10
गली का अंधेरा कोना


गली के एक छायादार कोने में, रीता ग्राहकों की प्रतीक्षा में खड़ी थी, उसके साथ उसकी दोस्तें मिली और मितु थीं।
रीता ने टाइट लाल साड़ी पहनी थी, उसका हर कर्व उभर रहा था। नीचे, एक काला ब्लाउज़ उसकी त्वचा से चिपका हुआ था, उसके गहरे चुचूक झलक रहे थे। उसकी कमर नंगी थी, उसकी नाभि के नीचे गहरे बालों की एक रेखा थी। उसका छह इंच का लिंग सख्त था, साड़ी के नीचे उभर रहा था, नसें धड़क रही थीं, सिरा प्रीकम से चिकना। उसके भारी अंडकोष नीचे लटक रहे थे, वीर्य से भरे हुए, पसीने से चमक रहे थे। उसके गोल, मांसल नितंब हिल रहे थे, छेद पसीने और वीर्य से चिकना। उसके भरे उरोज ब्लाउज़ के खिलाफ तन रहे थे, गहरे चुचूक सख्त, चूसने के निशान से चिह्नित। उसकी शहद जैसी त्वचा पसीने से चमक रही थी, उसके लंबे काले बाल बिखरे हुए थे, उसके होंठ लिपस्टिक से लाल, उसकी आँखें वासना से चमक रही थीं।
मिली का शरीर गोल-मटोल था, उसकी गहरी त्वचा पसीने से चमक रही थी। उसने टाइट हरा सलवार कमीज पहना था, जो उसके हर कर्व को गले लगा रहा था। उसका पाँच इंच का मोटा लिंग, जब सख्त होता था, नसें उभरती थीं, गुलाबी सिरा प्रीकम से टपक रहा था। उसके विशाल अंडकोष, वीर्य से भारी, नीचे लटक रहे थे, पसीने से चिकने, जैसे किसी के मुँह या नितंबों के लिए बने हों। उसके भारी उरोज कमीज के खिलाफ तन रहे थे, लंबे काले चुचूक बाहर झलक रहे थे। उसका नरम पेट चमक रहा था, उसकी गहरी नाभि आमंत्रित थी। उसके विशाल, मांसल नितंब हर कदम पर काँप रहे थे, छेद पसीने और वीर्य से चिकना। उसके छोटे, घुंघराले बाल गीले थे, उसके होंठ भद्दी मुस्कान में मुड़े हुए थे, उसकी आँखें वासना से जल रही थीं।
मितु पतली थी, उसकी गोरी त्वचा पसीने से चिकनी थी। उसने पतली नीली साड़ी पहनी थी, जो उसके पतले ढांचे से चिपकी थी, नीचे काला ब्लाउज़, चुचूक दिख रहे थे। उसके हाथ में सिगरेट लटक रही थी, उसके होंठों से धुआँ निकल रहा था। उसकी तंग योनि के गुलाबी होंठ थे, रसों से गीली, उसकी भगनासा सख्त और धड़क रही थी। उसका छोटा, तंग नितंब चमक रहा था, छेद चिकना। उसके छोटे, सख्त उरोजों के गहरे, सख्त चुचूक थे। उसकी कमर पतली थी, उसका सपाट पेट छोटी नाभि से सजा था। उसके लंबे काले बाल चोटी में थे, उसके होंठ हल्के रंगे हुए थे, उसकी आँखें शरारत से चमक रही थीं।
तीनों बातचीत में खोई थीं, उनके शब्द गंदी वासना से टपक रहे थे। गली की हवा उनके पसीने, सस्ते इत्र, और कच्ची कामुकता से भारी थी।

रीता: (हँसते हुए, अपनी साड़ी ठीक करते हुए) “मिली, ये ग्राहक हमारे नितंबों को मज़े के लिए चोदते हैं, लेकिन कितनों ने मेरे छह इंच के लिंग का स्वाद लिया है? एक अधेड़ उम्र का आदमी था, मोटा नितंब, भीख माँग रहा था, ‘रीता, मेरे नितंबों को चीर दे।’ मैंने उसे बिस्तर पर कुत्ते की तरह झुकाया, मेरा लिंग उसके नितंबों में ठेल दिया। हर धक्के से उसका नितंब हिल रहा था, वह चीखा, ‘रीता, और गहरा, मुझे चीर दे!’ मेरा लिंग इतनी ज़ोर से पीट रहा था, उसके अंडकोष मेरे पेट से टकरा रहे थे। आखिर में, मैंने उसके नितंबों में अपने गाढ़े वीर्य की बाढ़ ला दी, और उसने मेरा लिंग चाटकर साफ किया, मुझे धन्यवाद दिया।”
मिली: (काँपते हुए, आवाज़ निराशा से भारी) “ओह, रीता, तू कितनी भाग्यशाली है! मेरा पाँच इंच का मोटा लिंग, कोई इसे ले नहीं पाता। जब ये सख्त होता है, नसें उभर आती हैं, सिरा प्रीकम से टपकता है। एक ग्राहक ने कोशिश की, लेकिन जैसे ही मैंने सिरा अंदर धकेला, वह चीखा, ‘ये बहुत मोटा है, मेरे नितंबों को चीर देगा!’ फिर उसने मुझे पलट दिया, मेरे नितंबों को चोदा। मेरे नितंबों ने इतने लिंग लिए हैं, जैसे ही कोई अंदर फिसलता है, वो खुल जाते हैं। मैं चाहती हूँ कोई मेरा मोटा लिंग ले, मेरे वीर्य में डूब जाए, मेरे धक्कों के नीचे चीखे।”
मितु: (सिगरेट का कश लेते हुए, हँसते हुए) “तुम दोनों पागल हो, रीता, मिली! मेरी योनि तंग है, लेकिन ग्राहक मेरे नितंब चाहते हैं। पिछले हफ्ते, एक आदमी आया, मेरे नितंबों में ज़ोर से अपना लिंग ठेल दिया, ज़ोर से पीट रहा था। मैं चीखी, ‘धीरे कर, तू मेरे नितंबों को चीर देगा!’ लेकिन उसने मेरे उरोजों को दबाया, मेरी योनि को उंगलियों से छेड़ा, मुझे पागल कर दिया। उसका लिंग मेरे नितंबों में फट पड़ा, गर्म वीर्य टपक रहा था। मेरी योनि भिगो गई थी, मैं और के लिए भीख माँग रही थी। फिर एक और आदमी मुझे अपनी बाइक पर ले गया, मेरी नीली साड़ी उठाई, और मेरी योनि में अपना लिंग ठेल दिया। मेरा पतला शरीर उसके सीने से रगड़ रहा था, मैं चीखी, ‘और ज़ोर से, मेरी योनि को चीर दे!’ उसने मेरे नितंबों को उंगलियों से छेड़ा, मुझे कँपकँपाया। उसका वीर्य मेरी योनि में बाढ़ ला दिया, और मैंने उसका लिंग चाटकर साफ किया।”
रीता: (मिली की ओर देखते हुए, वासना भरी मुस्कान) “चिंता मत कर, मिली। मैं तेरी दोस्त हूँ। मैं तेरा दर्द कम करूँगी। एक दिन मेरे घर आ। मैं तेरा मोटा लिंग अपने नितंबों में लूँगी, उसे मेरे नितंबों को कँपकँपाने दे। तू मेरा लिंग चूसेगी, और हम एक-दूसरे के वीर्य में डूब जाएँगे।”
मिली: (आँखें चमकते हुए) “रीता, तू मेरा सपनों की दोस्त है! मैं अपने मोटे लिंग से तेरे नितंबों को चोदूँगी, तुझे चीखने पर मजबूर करूँगी। मैं तेरा लिंग चूसूँगी, तेरा वीर्य अपने मुँह में लूँगी। हम एक-दूसरे को पागल कर देंगे।”
मितु, उसकी नीली साड़ी पसीने से गीली, सिगरेट हाथ में, मिली के पाँच इंच के मोटे लिंग को सहलाने लगी। उसकी पतली उंगलियाँ उभरी नसों पर फिसलीं, गुलाबी सिरे से प्रीकम टपक रहा था। वह हँसी, “मिली, तेरा लिंग इतना मोटा है!” उसने अपने होंठ सिरे पर दबाए, उसे अपने मुँह में लेने की कोशिश की, लेकिन यह उसके छोटे मुँह के लिए बहुत मोटा था। “ये मेरे मुँह में फिट नहीं होगा, लेकिन मेरी तंग योनि में, ये मुझे पागल कर देगा!”
मितु: (मिली के लिंग के सिरे को चाटते हुए, प्रीकम का स्वाद लेते हुए, आवाज़ वासना से टपक रही थी) “ओह, मिली, तेरे मोटे लिंग का प्रीकम नशीला है! ये मेरे मुँह के लिए बहुत बड़ा है, लेकिन मेरी तंग योनि में, ये मुझे चीखने पर मजबूर कर देगा। अपने मोटे लिंग से मेरी योनि को चोद, मैं चीखूँगी, ‘मिली, मेरी योनि को चीर दे, अपने गाढ़े वीर्य से भर दे!’ और रीता, अपने छह इंच के लिंग से मेरे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘रीता, मेरे नितंबों को चीर दे, तेरा वीर्य टपकने दे!’ मैं तुम्हारे लिंगों को चूसूँगी, तुम्हारा वीर्य अपने मुँह में लूँगी।”

मिली: (मितु की जीभ पर सिसकते हुए, काँपते हुए) “आह, मितु, तेरी जीभ मेरे लिंग में आग लगा रही है! मेरा प्रीकम चाट, मेरा वीर्य पी! मैं अपने मोटे लिंग से तेरी तंग योनि को चोदूँगी, तुझे चीखने पर मजबूर करूँगी, ‘मिली, मेरी योनि को चीर दे, अपने वीर्य से भर दे!’ रीता, अपने छह इंच के लिंग से मेरे मोटे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘रीता, मेरे नितंबों को चीर दे, तेरा वीर्य टपकने दे!’ मैं तेरा लिंग चूसूँगी, तेरा वीर्य अपने मुँह में लूँगी, तेरे उरोजों को दबाऊँगी, तुझे पागल कर दूँगी।”
रीता: (अपनी साड़ी उठाते हुए, अपने लिंग को रगड़ते हुए, शरारती ढंग से मुस्कुराते हुए) “मिली, मितु, तुम गंदी रंडियाँ! मिली, अपने मोटे लिंग से मेरे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘मिली, मेरे नितंबों को चीर दे, अपने गर्म वीर्य से भर दे!’ मैं तेरा मोटा लिंग चूसूँगी, तेरा वीर्य पीऊँगी। मितु, मैं अपने छह इंच के लिंग से तेरी तंग योनि को चोदूँगी, तुझे चीखने पर मजबूर करूँगी, ‘रीता, मेरी योनि को चीर दे, अपने वीर्य से भर दे!’ मैं तेरे नितंबों को उंगलियों से छेड़ूँगी, तेरी योनि को फटने दूँगी। पिछले हफ्ते, एक ग्राहक ने मेरे नितंबों को इतनी ज़ोर से चोदा, मैं चीखी, ‘और ज़ोर से, मेरे नितंबों को चीर दे!’ उसका वीर्य मेरे नितंबों से टपक रहा था, मैंने उसका लिंग चाटकर साफ किया। मिली, मितु, हम एक साथ चोदेंगे, हमारा वीर्य और रस गली की हवा में मिल जाएँगे!”
मितु: (मिली के लिंग के सिरे को चाटते हुए, प्रीकम निगलते हुए, चीखते हुए) “तुम दोनों मेरी योनि और नितंबों में आग लगा रही हो! मिली, अपने मोटे लिंग से मेरी योनि को चोद, मैं चीखूँगी, ‘मिली, मेरी योनि को चीर दे, अपने गाढ़े वीर्य से भर दे!’ रीता, अपने छह इंच के लिंग से मेरे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘रीता, मेरे नितंबों को चीर दे, तेरा वीर्य टपकने दे!’ मैं तुम्हारे लिंगों को चूसूँगी, तुम्हारा वीर्य अपने मुँह में लूँगी, तुम्हारे उरोजों को दबाऊँगी, तुम्हें पागल कर दूँगी। पिछले महीने, एक आदमी ने मेरी योनि को इतनी ज़ोर से चोदा, मैं चीखी, ‘और गहरा, मेरी योनि को चीर दे!’ उसका वीर्य मेरी योनि में बाढ़ ला दिया, मैंने उसका लिंग चाटकर साफ किया। मिली, रीता, हम एक साथ चोदेंगे, हमारी चीखें गली की आकाश को चीर देंगी!”
मिली: (मितु की जीभ पर चीखते हुए) “आह, मितु, तेरी जीभ मेरे मोटे लिंग को पागल कर रही है! मेरा प्रीकम चाट, मेरा वीर्य पी! मैं अपने मोटे लिंग से तेरी तंग योनि को चोदूँगी, तुझे चीखने पर मजबूर करूँगी, ‘मिली, मेरी योनि को चीर दे, अपने वीर्य से भर दे!’ रीता, अपने छह इंच के लिंग से मेरे मोटे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘रीता, मेरे नितंबों को चीर दे, तेरा वीर्य टपकने दे!’ मैं तेरा लिंग चूसूँगी, तेरा वीर्य अपने मुँह में लूँगी। पिछले हफ्ते, एक ग्राहक ने मेरे नितंबों को इतनी ज़ोर से चोदा, मैं चीखी, ‘और ज़ोर से, मेरे नितंबों को चीर दे!’ उसका वीर्य टपक रहा था, मेरे नितंब चौड़े हो गए। रीता, मितु, हम एक साथ चोदेंगे, इस गली को हमारी चीखों से गर्म कर देंगे!”
रीता: (अपनी साड़ी फेंकते हुए, अपने लिंग को रगड़ते हुए, चीखते हुए) “मिली, मितु, तुम मेरी वासना की लपटें हो! मिली, अपने मोटे लिंग से मेरे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘मिली, मेरे नितंबों को चीर दे, अपने गर्म वीर्य से भर दे!’ मैं तेरा मोटा लिंग चूसूँगी, तेरा वीर्य पीऊँगी, तेरे उरोजों को दबाऊँगी, तुझे पागल कर दूँगी। मितु, मैं अपने छह इंच के लिंग से तेरी तंग योनि को चोदूँगी, तुझे चीखने पर मजबूर करूँगी, ‘रीता, मेरी योनि को चीर दे, अपने वीर्य से भर दे!’ मैं तेरे नितंबों को उंगलियों से छेड़ूँगी, तेरी योनि को फटने दूँगी। पिछले महीने, एक ग्राहक ने मेरे नितंबों को इतनी ज़ोर से चोदा, मैं चीखी, ‘और गहरा, मेरे नितंबों को चीर दे!’ उसका वीर्य टपक रहा था, मैंने उसका लिंग चाटकर साफ किया। मिली, मितु, हम एक साथ चोदेंगे, इस गली की सड़कों को हमारे वीर्य और रसों से भिगो देंगे!”
मितु: (मिली के लिंग को चाटते हुए, प्रीकम निगलते हुए, चीखते हुए) “तुम दोनों मेरी योनि और नितंबों को जला रही हो! मिली, अपने मोटे लिंग से मेरी योनि को चोद, मैं चीखूँगी, ‘मिली, मेरी योनि को चीर दे, अपने गर्म वीर्य से भर दे!’ रीता, अपने छह इंच के लिंग से मेरे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘रीता, मेरे नितंबों को चीर दे, तेरा वीर्य टपकने दे!’ मैं तुम्हारे लिंगों को चूसूँगी, तुम्हारा वीर्य अपने मुँह में लूँगी, तुम्हारे उरोजों को दबाऊँगी, तुम्हें पागल कर दूँगी। पिछले हफ्ते, एक आदमी ने मेरी योनि को इतनी ज़ोर से चोदा, मैं चीखी, ‘और ज़ोर से, मेरी योनि को चीर दे!’ उसका वीर्य मेरी योनि में बाढ़ ला दिया, मैंने उसका लिंग चाटकर साफ किया। मिली, रीता, हम एक साथ चोदेंगे, गली की हवा को आग लगा देंगे!”

मिली: (मितु की जीभ पर चीखते हुए) “आह, मितु, तेरी जीभ मेरे मोटे लिंग को पागल कर रही है! मेरा प्रीकम चाट, मेरा वीर्य पी! मैं अपने मोटे लिंग से तेरी तंग योनि को चोदूँगी, तुझे चीखने पर मजबूर करूँगी, ‘मिली, मेरी योनि को चीर दे, अपने वीर्य से भर दे!’ रीता, अपने छह इंच के लिंग से मेरे मोटे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘रीता, मेरे नितंबों को चीर दे, तेरा वीर्य टपकने दे!’ मैं तेरा लिंग चूसूँगी, तेरा वीर्य अपने मुँह में लूँगी। हम एक साथ चोदेंगे, इस गली की सड़कों को भिगो देंगे, हमारी चीखें आकाश को चीर देंगी!”
रीता: (अपने लिंग को रगड़ते हुए, चीखते हुए) “मिली, मितु, हम इस गली की गंदी रानियाँ हैं! मिली, अपने मोटे लिंग से मेरे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगी, ‘मिली, मेरे नितंबों को चीर दे, अपने गर्म वीर्य से भर दे!’ मितु, मेरा लिंग चूस, मेरा वीर्य पी, मैं अपने छह इंच के लिंग से तेरी तंग योनि को चोदूँगी, तुझे चीखने पर मजबूर करूँगी, ‘रीता, मेरी योनि को चीर दे, अपने वीर्य से भर दे!’ हम एक-दूसरे को बेकार चोदेंगे, हमारा वीर्य और रस मिलकर, इस गली को हिला देंगे!”
उनका कच्चा, गंदा, वासना भरा संवाद गली में एक पाशविक सिसकारी की तरह गूँज रहा था। मितु ने अपनी जीभ मिली के लिंग के सिरे पर चक्कर काटी, प्रीकम चूस रही थी। रीता ने अपने लिंग को रगड़ा, उसकी साड़ी ज़मीन पर ढेर हो गई। उनकी चीखें, हँसी, और वासना की कहानियाँ गली में गूँज रही थीं, हवा पसीने, वीर्य, और रसों की गंध से भारी थी, रात को पागल कर रही थी।


अचानक, एक चमकदार काली मर्सिडीज़ गली के प्रवेशद्वार पर रुकी। राहुल, 38 साल का एक आकर्षक पुरुष, महंगे काले सूट में, लालच से चमकती आँखों के साथ बाहर निकला। उसके बगल में उसकी पत्नी, नीला, 35 साल की एक आश्चर्यजनक महिला, टाइट लाल ड्रेस में, उसके कर्व्स उभरे हुए, होंठों पर शरारती मुस्कान।
राहुल मितु के पास आया, उसकी आवाज़ वासना से टपक रही थी। “मैं राहुल हूँ, और ये मेरी पत्नी नीला है। हम तुम्हारे साथ एक खास रात चाहते हैं। हमारे घर चलो।” मितु हँसी, “राहुल, नीला, तुम दोनों? मैं तैयार हूँ, लेकिन तुम्हें मुझे पागल करना होगा!” नीला मुस्कुराई, “मितु, मैं तुझे ऐसी रात दूँगी कि तू इस गली को भूल जाएगी!” उन्होंने मितु को कार में बिठाया, अपने आलीशान घर की ओर चल पड़े।
रीता और मिली ने एक-दूसरे की ओर देखा, उनकी आँखें वासना से जल रही थीं, हँसते हुए, क्योंकि गली का अंधेरा नब्ज़ धड़क रही थी।
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#11
अंधेरी गली का निषिद्ध संसार

अंधेरी गली, मितु, शिउली, रीता, और मिली जैसे पात्रों का घर, वासना, संघर्ष, और निषिद्ध सुख का एक जटिल, कच्चा, और कामुक ताना-बाना है। यह सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि एक जीवित, साँस लेता हुआ संसार है जहाँ समाज के बहिष्कृत लोग जीवित रहने के लिए लड़ते हैं, अपने शरीर बेचते हैं, और अपनी गुप्त कल्पनाओं को पूरा करते हैं।
एक विशाल शहर के किनारे पर बसी, गली वहाँ है जहाँ ऊँची इमारतें, हलचल भरी सड़कें, और नीयन रोशनी धीमी पड़ जाती हैं। यह तंग रास्तों का एक भूलभुलैया है, इतना संकरा कि गुजरते समय शरीर एक-दूसरे से रगड़ते हैं। दीवारें पुरानी हैं, प्लास्टर उखड़ रहा है, रंगीन पोस्टर, पान के दाग, और भित्तिचित्रों से ढकी हुई। हवा पसीने, तारकोल, सिगरेट के धुएँ, और सस्ते इत्र से भारी है। ज़मीन चिकनी है, बारिश के पानी, छलके शराब, और कभी-कभी वीर्य के निशानों से गीली। दिन में, गली शांत है, लगभग सुनसान। लेकिन रात में, यह जीवित हो उठती है। लाल, नीली, और गुलाबी नीयन रोशनी टिमटिमाती हैं, छोटी दुकानों के सामने पर्दे हटते हैं, और वेश्याएँ मोहक मुस्कान के साथ खड़ी होती हैं।
हर कोने में छोटे कमरे छिपे हैं, उनके दरवाज़े पतले पर्दों से ढके हुए, जिनमें घिसे हुए बिस्तर, मद्धम शीशे, और टिमटिमाते बल्ब हैं। ये कमरे गुप्त मिलनों के साक्षी हैं, जहाँ सिसकारियाँ, पसीना, और वीर्य एक गंदी सिम्फनी बनाते हैं। गली के अंत में एक पुराना बार है, जो सस्ती शराब, संगीत, और ग्राहकों की हँसी से जीवित है।
गली सिर्फ वेश्याओं का केंद्र नहीं है; यह एक समुदाय है। मितु, शिउली, रीता, और मिली जैसी वेश्याएँ, ट्रांसजेंडर महिलाएँ, दलाल, ग्राहक, और छोटे दुकानदार यहाँ सह-अस्तित्व में हैं। वेश्याओं के बीच एक अनकहा बंधन है, वे एक-दूसरे के रहस्य जानती हैं, खतरे से एक-दूसरे की रक्षा करती हैं, और रात के अंत में सिगरेट साझा करती हैं। उनकी बातचीत हँसी, गालियों, और गंदी कल्पनाओं का मिश्रण है।
ग्राहक हर वर्ग से आते हैं—ट्रक ड्राइवर, मज़दूर, व्यापारी, यहाँ तक कि शादीशुदा पुरुष चुपके से आते हैं। वे अपनी इच्छाएँ शांत करने आते हैं, अपने लिंग चुसवाने, नितंबों को चोदने, या अपने वीर्य को उड़ेलने। कुछ कोमल होते हैं, कुछ क्रूर, कच्ची भूख से प्रेरित। दलाल छायाओं में लुके रहते हैं, ग्राहकों को लाते हैं, कीमतों पर सौदेबाज़ी करते हैं। लेकिन असली ताकत वेश्याओं के पास है—वे अपनी कीमतें तय करती हैं, अपने नियमों से खेलती हैं।
गली की संस्कृति गंदी लेकिन जीवंत है। यहाँ कोई निर्णय नहीं, कोई शर्म नहीं। वेश्याएँ, अपने भरे उरोजों, तंग योनियों, और सख्त नितंबों के साथ, ग्राहकों को पागल कर देती हैं। वे जानती हैं कि लिंग कैसे चूसना है, अपनी योनियों या नितंबों में धक्के कैसे लेना है, और दिल जीतने के लिए कैसे सिसकना है। उनके शब्द गालियों, हँसी, और वासना का मिश्रण हैं। एक कहती है, “तेरा मोटा लिंग मेरी योनि की आग है! मेरे नितंबों को चोद जब तक वो फट न जाए!” दूसरी हँसती है, “मेरे नितंबों में अपना वीर्य उड़ेल, लेकिन पहले पैसे दे!” ये कच्चे शब्द, ये मोहक मुस्कानें, गली की नब्ज़ हैं।
गली उतनी ही क्रूर है जितनी कामुक। खतरा मंडराता रहता है—दलाल शोषण करते हैं, ग्राहक हिंसक हो जाते हैं, सिक्युरिटी छापे मारती है और परेशान करती है। फिर भी गली के लोग लड़ते हैं, एक-दूसरे की रक्षा करते हैं, अपनी कमाई छिपाते हैं, अपनी कीमतें बढ़ाते हैं। गली उनका घर है, उनका युद्धक्षेत्र, उनका स्वर्ग।

यह अंधेरी गली, कच्ची कामुकता से धड़कती हुई,

निषिद्ध इच्छाओं का एक निषिद्ध संसार है।

इसके दिल में आपका स्वागत है।
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#12
रीता की जंगली भूख
मितु के जाने के कुछ समय बाद, गली के किनारे एक और ग्राहक आता है। राजू, 28 साल का एक रिक्शा चालक, लंबा और मजबूत कद-काठी वाला, सड़कों पर रिक्शा खींचने की मेहनत से उसका देह मांसपेशियों से भरा हुआ। उसकी गहरी त्वचा चैत्र की धूप में पसीने से चमक रही थी, उसकी कच्ची, पाशविक मर्दानगी को और बढ़ाते हुए। उसकी आँखों में सादगी की झलक थी, लेकिन उसके भीतर एक जंगली, गंदी भूख जल रही थी। एक फटी हुई नीली लुंगी और घिसी हुई सफेद कमीज में लिपटा, उसका सात इंच का लिंग कपड़े के नीचे धड़क रहा था, नसें उभरी हुई थीं, सिरा प्रीकम से चिकना। उसका सीना घने, पसीने से भरे बालों से ढका था, उसकी बाहें मांसपेशियों से तनी थीं, और उसकी जांघें ताकत से लबरेज थीं। उसकी खुरदरी दाढ़ी और पान चबाने से लाल रंगे होंठ उसकी रूखी आकर्षण को बढ़ा रहे थे, जबकि उसका शरीर पसीने और मिट्टी की मादक गंध छोड़ रहा था। उसकी मासूम मुस्कान के पीछे एक जंगली, विकृत वासना छिपी थी, जो रीता के साड़ी में लिपटे कर्व्स को देखकर भड़क उठी थी।
राजू करीब आया, कुछ कुचली हुई नोटों को पकड़े हुए। “कितना?” वह गुर्राया, उसकी आवाज़ रूखी थी, उसकी आँखें रीता के हिलते उरोजों पर टिकी थीं। रीता ने सिगरेट का धुआँ छोड़ा, उसके होंठ मोहक मुस्कान में मुड़े। “तेरे जैसे जानवर के लिए सस्ता है। आ, मेरे नितंब तेरे लिंग के लिए रो रहे हैं।”
राजू ने उसका हाथ पकड़ा, उसे गली की गहराई में एक जर्जर कमरे की ओर ले गया, जो एक परित्यक्त दुकान के पीछे था। गंदी ज़मीन मलबे से भरी थी, टूटी दीवारें पसीने और तारकोल की बदबू से सनी थीं, और हवा पाशविक तनाव से भारी थी। राजू ने रीता की साड़ी उसकी कमर तक उठाई, उसे पूरी तरह उतारने की जहमत नहीं उठाई। उसके गोरे, गोल नितंब नंगे हो गए, तंग छेद पसीने से चमक रहा था, गहरे बालों से घिरा हुआ। उसका छह इंच का लिंग, आधा सख्त, साड़ी के नीचे छिपा रहा। उसका ब्लाउज़ तंग था, गहरे चुचूक कपड़े के खिलाफ तन रहे थे, उसकी त्वचा पसीने से चमक रही थी।
राजू ने रीता को गंदी ज़मीन पर घुटनों के बल बिठाया, उसके नितंब ऊँचे उठे। उसने अपने हाथों को गंदगी में टेका, उसकी साड़ी कमर पर इकट्ठी थी, उसका नितंब खुला और असुरक्षित। राजू ने अपनी लुंगी उठाई, अपना सात इंच का लिंग प्रकट किया, जो पत्थर की तरह सख्त था, नसें धड़क रही थीं, सिरा प्रीकम से चमक रहा था। उसने इसे रीता के तंग छेद पर रगड़ा, उनके पसीने और प्रीकम एक चिकनी, गंदी चिकनाई में मिल गए। “तेरे नितंब मेरे लिंग के लिए बने हैं, रीता। इसे ले!” वह गुर्राया, और बेरहमी से धक्का मारा, उसका लिंग उसके तंग, पसीने से भरे छेद में गहराई तक उतर गया।
रीता चीखी, “ओह, राजू… तू मेरे नितंबों को चीर रहा है!” राजू ने बेरहमी से धक्के मारे, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था, नसों वाला शाफ्ट उसकी भीतरी दीवारों को रगड़ रहा था। उसका शरीर हर धक्के के साथ काँप रहा था, उसके नितंब उसकी कमर से टकरा रहे थे। राजू ने उसके नितंबों पर ज़ोर से थप्पड़ मारा, लाल निशान छोड़ते हुए, गुर्राते हुए, “रीता, तेरा नितंब मेरा लिंग निगल रहा है! चुप रह, मेरी गंदी रंडी!” रीता की सिसकारियाँ गली में गूँज रही थीं, “ओह, राजू… मेरे नितंब जल रहे हैं!”
उसने उसके बाल पकड़े, उसका सिर पीछे खींचा, और स्थिति बदली, उसे टूटी दीवार के खिलाफ दबा दिया। उसका लिंग और गहराई तक गया, उसका पसीने से भरा सीना उसके पीठ पर रगड़ रहा था। उसके हाथों ने उसके उरोजों को पकड़ा, ब्लाउज़ के ज़रिए उसके चुचूकों को चुटकी में लिया, उन्हें मोड़ते हुए जब तक वे सख्त और फूल नहीं गए। रीता की सिसकारियाँ जंगली हो गईं, उसका शरीर दर्द और सुख से काँप रहा था। राजू का लिंग अंदर-बाहर फिसल रहा था, पसीने और प्रीकम से चिकना, उसका छेद उसे ज़ोर से जकड़ रहा था।
राजू ने लिंग बाहर खींचा, रीता को फिर से घुटनों पर बिठाया। उसके होंठ, लिपस्टिक और पसीने से लाल, खुले, और उसने अपना लिंग उसके मुँह में ठेल दिया। नसों वाला शाफ्ट उसकी जीभ पर रगड़ा, उसके प्रीकम और उसके नितंबों का मादक स्वाद उसके होश उड़ा रहा था। “चूस, रीता! मेरे लिंग का रस पी!” राजू गरजा, उसके हाथ उसके बालों को ज़ोर से पकड़े हुए। रीता ने भूखेपन से चूसा, उसकी जीभ फुले हुए सिरे पर चक्कर काट रही थी, प्रीकम और उसके अपने गंध का नमकीन मिश्रण चखते हुए। वह उसके मुँह में धक्के मार रहा था, उसका लिंग उसके गले के पीछे टकरा रहा था, जिससे वह उबकने लगी, उसकी आँखें पानी से भरी थीं, लेकिन उसने चूसना जारी रखा, उसके होंठ चिकने और तंग।
राजू का शरीर तन गया, और वह फट पड़ा, उसका गर्म, नमकीन वीर्य रीता के मुँह में बाढ़ ला रहा था, उसके होंठों से टपक रहा था, उसकी ठुड्डी पर बह रहा था। वह लालच से निगली, उसका चेहरा चिपचिपा, उसकी लिपस्टिक धब्बेदार। “तेरा मुँह मेरे वीर्य के लिए बना है,” राजू हँसा, उसकी आवाज़ संतुष्टि से भारी।
उसने रीता की साड़ी और ऊँची उठाई, उसके छह इंच के लिंग को उजागर किया, जो सख्त और धड़क रहा था, नसें उभरी हुई थीं, सिरा प्रीकम से चमक रहा था। राजू के रूखे, कठोर हाथ ने इसे थोड़ा सहलाया, उसकी उंगलियाँ चिकने सिरे को छेड़ रही थीं, लेकिन वह रुक गया। रीता का लिंग काँप रहा था, उसका शरीर रिहाई के लिए तरस रहा था, लेकिन उसने उसे नकार दिया। “मुझे तेरे वीर्य की ज़रूरत नहीं, रीता। तेरा नितंब और मुँह मेरे लिंग के लिए काफी हैं,” उसने तंज कसा, उसकी मुस्कान क्रूर थी। उसने अपनी लुंगी ठीक की, कुछ कुचली हुई नोटें रीता की साड़ी में ठूँसीं, और गली में बाहर निकल गया।
रीता गंदी ज़मीन पर घुटनों के बल रही, उसकी साड़ी कमर पर इकट्ठी थी, उसके नितंब राजू के वीर्य से चिपचिपे थे, उसका मुँह उसके नमकीन रिहाई का स्वाद लिए हुए था। उसका लिंग, अभी भी सख्त और टपकता हुआ, अधूरी वासना से धड़क रहा था। उसने अपनी साड़ी ठीक की, एक सिगरेट जलाई, और धुआँ छोड़ा, उसकी आँखें थकान और अतृप्त भूख का मिश्रण थीं। गली का अंधेरा उसकी सिसकारियों को निगल गया, लेकिन उसके भीतर की आग जलती रही।



मितु की आग भरी रात
शाम की गली में मद्धम रोशनी में, हवा वासना की गंध से भारी थी। मितु अकेली खड़ी थी, उसकी नीली साड़ी उसके पसीने से भरे शरीर से चिपकी हुई थी, हर कर्व पतले कपड़े से उभर रहा था। उसकी गोरी त्वचा मोमबत्ती की रोशनी में चमक रही थी, पसीने की बूँदें उसके माथे से उसकी गर्दन की नसों तक लुढ़क रही थीं, उसके शरीर का हर इंच वासना से चीख रहा था। उसकी तंग योनि उत्तेजना से टपक रही थी, रस उसकी जांघों से नीचे बह रहा था, साड़ी को दागदार कर रहा था। उसके छोटे उरोज सख्त थे, गहरे चुचूक कपड़े के खिलाफ तन रहे थे, रिहाई की भीख माँग रहे थे। उसका तंग नितंब, पसीने से चिकना, साड़ी की सिलवटों से झलक रहा था, उसका गोल आकार निर्विवाद था। उसके लंबे काले बाल उसकी गर्दन से चिपके थे, पसीने से गीले, हर तार उसकी त्वचा से चिपका हुआ था। उसकी आँखें शरारती मुस्कान से चमक रही थीं, उसके होंठ हल्के लाल लिपस्टिक से रंगे थे, एक शिकारी अपनी शिकार की प्रतीक्षा में।
गली के मुँह पर एक चमकदार काली मर्सिडीज़ रुकी। राहुल बाहर निकला, उसकी शहद जैसी त्वचा पसीने से चमक रही थी, उसका मांसल ढांचा महंगे काले सूट में लिपटा हुआ था। उसका लिंग, सख्त और नसों से भरा, उसकी पतलून के खिलाफ दब रहा था, गुलाबी सिरा प्रीकम से चिकना। उसके भारी अंडकोष नीचे लटक रहे थे, वीर्य से भरे हुए, पसीने से लथपथ। उसका तंग नितंब चमक रहा था, उसका सीना सूट के नीचे मांसपेशियों से तन रहा था, काले चुचूक उत्तेजना से फुले हुए थे। उसका सपाट पेट एक गहरी नाभि से सजा था, छोटे काले बालों से घिरा हुआ, पसीने से गीला। उसकी आँखें लालची वासना से जल रही थीं, उसके होंठ कामुक मुस्कान में मुड़े हुए थे, जैसे वह जानता हो कि रात का खेल उसकी मुट्ठी में है।
उसके बगल में नीला निकली, उसकी गोरी त्वचा पसीने से चमक रही थी, उसका पतला लेकिन कर्वी शरीर टाइट लाल ड्रेस में कैद था। उसकी तंग योनि टपक रही थी, उसकी फुली हुई भगनासा चमक रही थी, वासना से जल रही थी। उसका गोल नितंब सख्त था, छेद पसीने से चिकना। उसके मध्यम उरोज तनावग्रस्त थे, गहरे चुचूक ड्रेस के खिलाफ तन रहे थे। उसका सपाट पेट एक छोटी नाभि से सजा था, उसके लंबे काले बाल गीले और उसकी पीठ पर बिखरे हुए थे। उसकी आँखें शरारत से चमक रही थीं, उसके होंठ कामुकता बिखेर रहे थे, रात के ऐयाशी में अपनी हिस्सेदारी लेने को तैयार।
राहुल मितु के पास आया, उसकी आवाज़ वासना से टपक रही थी। “मितु, तू रात की आग है। मैं और नीला तुझसे जलना चाहते हैं। हमारे घर चल—ये रात अविस्मरणीय होगी।” मितु ने अपनी जीभ अपने होंठों पर फेरी, उसकी मुस्कान शरारती थी। “राहुल, नीला, तुम दोनों मुझे पागल करना चाहते हो? मैं तैयार हूँ, लेकिन तुम्हें मेरे शरीर के हर छेद को भरना होगा।” नीला ने अपने बाल पीछे उछाले, शैतानी ढंग से मुस्कुराई। “चिंता मत कर, मितु। मैं तुझे हर इंच चाटूँगी, और राहुल तेरी योनि और नितंबों को चोदेगा जब तक तू बर्बाद न हो जाए।” उन्होंने मितु को कार में बिठाया, अपने आलीशान घर की ओर तेज़ी से चल पड़े।

राहुल और नीला के आलीशान बेडरूम में
मोमबत्ती की रोशनी दीवारों पर नाच रही थी, मुलायम जैज़ संगीत हवा में तैर रहा था, पसीने, वीर्य, और वासना की भारी गंध के साथ मिल रहा था। लाल साटन की चादरों से ढका एक विशाल बिस्तर खून की तरह चमक रहा था। कोने में बंधन के सामान—चमड़े की रस्सियाँ, हथकड़ियाँ, कोड़े, और फेमडम खिलौने—रात के विकृत खेलों की चुपके से प्रतीक्षा कर रहे थे। मितु अंदर आई, अपनी साड़ी उतारते हुए, उसका नंगा शरीर मोमबत्ती की रोशनी में चमक रहा था। वह हँसी, “राहुल, नीला, ये कमरा वासना का मंदिर है। तुम मुझे कैसे पागल करोगे?”
नीला ने अपनी लाल ड्रेस उतारी, उसकी गोरी त्वचा पसीने से चमक रही थी। “मितु, आज रात तू मेरी गुलाम है। मैं तुझे बाँधूँगी, सजा दूँगी, और तेरी योनि को अपनी जीभ पर पिघलने दूँगी।” राहुल ने अपना सूट उतारा, उसका लिंग सख्त खड़ा था, प्रीकम से टपक रहा था। वह मुस्कुराया, “मितु, मैं तेरे नितंबों और योनि को चोदूँगा जब तक तू स्वर्ग में न पहुँच जाए।” उन्होंने एक गंदा खेल शुरू किया: “फेमडम फायर,” जहाँ नीला मितु को बंधन और फेमडम रणनीतियों से दबाएगी, जबकि राहुल उनके मिलन में जंगली तीव्रता जोड़ेगा।
नीला ने मितु को बिस्तर पर लिटाया, उसकी कलाइयों को चमड़े की रस्सियों से बिस्तर के खंभों से बाँध दिया। मितु की तंग योनि टपक रही थी, उसके छोटे उरोज फुले हुए थे, गहरे चुचूक नीला के स्पर्श के लिए सख्त और काँप रहे थे। नीला ने अपना चेहरा मितु की योनि पर झुकाया, उसकी जीभ फुले हुए भगनासे को छू रही थी, धीरे-धीरे चूस रही थी। मितु के रसों ने नीला की जीभ को लपेट लिया, नमकीन-मीठा स्वाद उसके मुँह में भर गया। नीला ने अपनी जीभ अंदर डाली, मितु की योनि की दीवारों को चाटते हुए, उसके रसों को पीते हुए। मितु सिसकी, “नीला, मेरी योनि खा! तेरी जीभ मेरे शरीर में आग लगा रही है!” नीला ने मितु के नितंबों को चौड़ा किया, उसकी जीभ उसके तंग छेद में गहराई तक गई। मितु के पसीने और गंदगी की मादक गंध ने नीला की नाक भरी क्योंकि वह चूसी, उसकी जीभ किनारे पर चक्कर काट रही थी, अंदर की तलाश कर रही थी। मितु चीखी, “नीला, मेरे नितंब चूस! तू मुझे पागल कर रही है!”
राहुल नीला के पीछे घुटनों पर बैठा, उसकी जीभ नीला की तंग योनि को चाट रही थी, उसके फुले हुए भगनासे पर चक्कर काट रही थी। उसके रस उसके मुँह को लपेट रहे थे क्योंकि वह लालच से चूस रहा था। नीला सिसकी, “राहुल, मेरी योनि खा! तेरी जीभ मुझमें तूफान ला रही है!” राहुल मितु के चेहरे की ओर बढ़ा, अपना लिंग उसके होंठों पर रगड़ते हुए। मितु की जीभ गुलाबी सिरे पर चक्कर काटी, उसके नमकीन प्रीकम को चूसते हुए। वह नसों वाले शाफ्ट को चाटी, हर इंच को निगल रही थी। “राहुल, अपना लिंग मेरे मुँह में ठेल! मैं तेरा रस पीना चाहती हूँ!” वह चीखी। राहुल ने गहराई तक धक्का मारा, उसका लिंग उसके गले से टकरा रहा था, उसकी लार और उसका प्रीकम मिलकर, उसकी ठुड्डी से टपक रहा था। कमरा सिसकारियों और चूसने की गीली आवाज़ों से भर गया, मोमबत्ती की रोशनी उनके पसीने से भरे शरीरों पर नाच रही थी।
नीला, मितु की कलाइयों को अभी भी बाँधे हुए, उसने उसके पैर चौड़े किए और एक चमड़े का कोड़ा पकड़ा। उसने मितु के तंग नितंबों पर हल्के से प्रहार किया, लाल निशान छोड़ते हुए, मांस हर प्रहार के साथ काँप रहा था। मितु सिसकी, “नीला, मुझे सजा दे! मेरे नितंबों को लाल कर!” नीला ने एक मोटा डिल्डो बाँधा, इसके ठंडे सतह को मितु की योनि पर रगड़ा। उसने इसे धीरे-धीरे अंदर डाला, मितु की तंग योनि इसे निगल रही थी, शाफ्ट उसकी दीवारों पर रगड़ रहा था। नीला ने ज़ोर से धक्का मारा, डिल्डो गहराई तक गया, मितु के रस साटन की चादरों को भिगो रहे थे। मितु चीखी, “नीला, मेरी योनि को चीर दे! तेरा डिल्डो मुझे चीर रहा है!” नीला ने मितु के उरोजों को पकड़ा, उसके चुचूकों को चुटकी में लिया, मितु का शरीर काँप रहा था क्योंकि उसकी योनि फट रही थी।
नीला ने डिल्डो को मितु के नितंबों में डाला, तंग छेद इसे लेने के लिए खिंच रहा था। हर इंच उसकी दीवारों पर रगड़ रहा था, उसका छेद दबाव में काँप रहा था। मितु दर्द और सुख में चीखी, “नीला, मेरे नितंबों को चीर दे! तेरा डिल्डो मुझे पागल कर रहा है!” नीला ने अपनी योनि को मितु के मुँह पर रगड़ा, उसकी फुली हुई भगनासा उसके होंठों पर रगड़ रही थी। मितु ने नीला के रसों को चूसा, उसकी जीभ अंदर डाली। नीला सिसकी, “मितु, मेरी योनि खा! मेरी गुलाम बन, मेरा रस पी!”
नीला बिस्तर पर लेट गई, मितु उस पर सवार होकर, स्ट्रैप-ऑन डिल्डो को अपनी योनि में डाल रही थी। उसने इसे ज़ोर से रगड़ा, डिल्डो गहराई तक जा रहा था, उसकी दीवारों पर रगड़ रहा था। नीला ने मितु के उरोजों को चूसा, उसके दाँत उसके चुचूकों को चर रहे थे, जो फूल रहे थे और काँप रहे थे। मितु चीखी, “नीला, मेरी योनि तेरा डिल्डो निगल रही है! मेरे उरोज चूस!” राहुल ने अपना लिंग मितु के नितंबों में डाला, उसका तंग छेद उसे जकड़ रहा था। “राहुल, मेरे नितंबों को चीर दे! तेरा लिंग मुझे चीर रहा है!” वह चीखी। राहुल और नीला एक साथ धक्के मार रहे थे, मितु की योनि और नितंब उन्हें निगल रहे थे, उसका शरीर पसीने से चिकना काँप रहा था।
राहुल बिस्तर पर लेट गया, मितु उस पर सवार होकर, उसका लिंग उसकी योनि में फिसल रहा था। हर इंच उसकी तंग दीवारों पर रगड़ रहा था, उसके रस उसे लपेट रहे थे। नीला ने अपने स्ट्रैप-ऑन को मितु के नितंबों में डाला, गहराई तक धकेलते हुए। वे एक साथ धक्के मार रहे थे, मितु के छेद उनकी सीमा तक खिंच गए। वह चीखी, “राहुल, नीला, मेरी योनि और नितंबों को चीर दो! मैं इसे सहन नहीं कर सकती!” नीला ने मितु के चुचूकों को चुटकी में लिया, राहुल ने उसकी नाभि को चाटा, उसकी पसीने से भरी त्वचा को चूस रहा था। मितु की सिसकारियाँ कमरे में भर गईं, उसका शरीर पसीने, वीर्य, और रसों से तर।
नीला ने मितु को फिर से बाँधा, उसके हाथ और पैर बिस्तर के कोनों से बाँध दिए, उसकी योनि और नितंब उजागर। उसने मितु के नितंबों और उरोजों पर कोड़ा मारा, लाल निशानों को छोड़ते हुए, मितु का शरीर हर प्रहार के साथ काँप रहा था। नीला ने अपनी योनि को मितु के मुँह पर रगड़ा, उसकी भगनासा उसके होंठों पर रगड़ रही थी। मितु ने नीला के रसों को चूसा, सिसकते हुए, “नीला, मैं तेरी गुलाम हूँ! मेरी योनि खा!” नीला ने एक वाइब्रेटर मितु की भगनासा पर दबाया, इसकी तीव्र धड़कनें उसके शरीर में झटके भेज रही थीं, उसकी योनि फट रही थी, चादरों को भिगो रही थी। मितु की चीखें दीवारों से टकरा रही थीं।
नीला ने स्ट्रैप-ऑन को मितु के नितंबों में ठेला, ज़ोर से धक्के मारते हुए, डिल्डो गहराई तक जा रहा था। मितु चीखी, “नीला, मुझे खत्म कर! तेरा डिल्डो मेरे नितंबों को चीर रहा है!” राहुल ने अपना लिंग नीला की योनि में डाला, बेरहमी से धक्के मारते हुए। नीला की योनि ने उसे निगल लिया, उसके रस उसके लिंग को लपेट रहे थे। वह सिसकी, “राहुल, मेरी योनि को चीर दे! मैं इसे सहन नहीं कर सकती!” उनके शरीर आपस में उलझे, काँप रहे थे, पसीने, वीर्य, और रसों से तर।

“फेमडम फायर” खेल अपने चरम पर पहुँचा। राहुल ने मितु की योनि में धक्के मारे, उसका गाढ़ा वीर्य उसमें बाढ़ ला रहा था, उसकी जांघों से टपक रहा था। नीला ने मितु के नितंबों को स्ट्रैप-ऑन से पीटा, मितु उन्माद में काँप रही थी, उसकी योनि फट रही थी, चादरों को भिगो रही थी। नीला ने अपनी भगनासा रगड़ी, चीखते हुए क्योंकि उसके रस मितु के शरीर पर छिड़क रहे थे, उसके पसीने और वीर्य के साथ मिल रहे थे।
वे बिस्तर पर ढह गए, उनके शरीर पसीने, वीर्य, और रसों से चिकने। मितु हाँफी, “राहुल, नीला, तुमने मुझे पागल कर दिया!” नीला हँसी, “मितु, तू एकदम सही गुलाम थी। तेरा शरीर मेरी जीभ का खिलौना है!” राहुल मुस्कुराया, “मितु, वापस आ। हम तुझे और सजा देंगे।” उनकी हँसी और सिसकारियाँ कमरे में भर गईं।

मितु का मांस का भोज
मोमबत्ती की रोशनी वाले बेडरूम में, हवा पसीने, वीर्य, और रसों की गंध से भारी थी। लाल साटन की चादरें भीगी हुई थीं, चमड़े की रस्सियाँ और कोड़े कोने में बिखरे हुए थे। मितु बिस्तर पर घुटनों के बल बैठी, उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी, उसकी तंग योनि टपक रही थी, उसके छोटे उरोज फुले हुए थे। राहुल और नीला उसके सामने खड़े थे, नंगे और पसीने से तर, राहुल का लिंग आधा सख्त और टपकता हुआ, नीला की योनि चमक रही थी। मितु मुस्कुराई, “राहुल, नीला, मैं तुम्हें हर इंच चाटूँगी, चूसूँगी, और निगल जाऊँगी! मैं तुम्हें अपनी जीभ का गुलाम बनाऊँगी!” नीला हँसी, “मितु, तू हमारी गुलाम थी, अब हमारी रानी बन!” राहुल फुसफुसाया, “मितु, मेरे लिंग से शुरू कर। मैं तेरी जीभ पर पिघलना चाहता हूँ।”
वे एक नया, गंदा खेल शुरू करते हैं: “मांस का भोज,” जहाँ मितु उनके शरीर के हर हिस्से को कामुक सटीकता के साथ चाटेगी, चूसेगी, और निगलेगी।
मितु राहुल के सामने घुटनों पर बैठी, उसके हाथ उसके लिंग को पकड़े हुए। उसकी जीभ गुलाबी सिरे पर चक्कर काटी, उसके नमकीन प्रीकम को चूसते हुए। वह नसों वाले शाफ्ट को चाटी, हर इंच का स्वाद लेते हुए। “राहुल, तेरे लिंग का स्वाद मेरी जीभ में आग लगा रहा है!” वह बुदबुदाई। वह उसके आधार तक गई, उसकी पसीने से भरी त्वचा को चाटते हुए, नमकीन मादकता पीते हुए। उसने उसके भारी अंडकोष अपने मुँह में लिए, उसकी जीभ उनकी पसीने से भरी सतह पर चक्कर काट रही थी, उसके वीर्य की गंध उसे चक्कर दे रही थी। राहुल सिसका, “मितु, मेरे अंडकोष चूस! मैं तेरा वीर्य तेरे मुँह में उड़ेल दूँगा!”
मितु ने राहुल को बिस्तर पर लिटाया, उसके सख्त नितंबों को चौड़ा किया। उसकी जीभ उसके तंग छेद में गहराई तक गई, पसीने और गंदगी की मादकता चूसते हुए। वह किनारे पर चक्कर काटी, अंदर की तलाश कर रही थी, स्वाद उसके मुँह में भर गया। राहुल चीखा, “मितु, मेरे नितंब खा! तू मुझे पागल कर रही है!” उसने उसके नितंबों के गाल चूसे, हल्के से काटते हुए, लाल निशान छोड़ते हुए।
मितु ने राहुल की मांसल बाहों को पकड़ा, उसकी पसीने से भरी त्वचा को चाटते हुए, उसकी उंगलियों को एक-एक करके चूसते हुए, उसकी जीभ उनके बीच बुन रही थी, नमकीन स्वाद पीते हुए। “राहुल, तेरी उंगलियाँ मेरे मुँह में लिंग जैसी लग रही हैं!” वह फुसफुसाई। राहुल सिसका, “मितु, मेरी उंगलियाँ चूस! मैं तेरी जीभ पर पिघल रहा हूँ!”
वह उसके पैरों पर गई, उसकी जीभ उसके टखनों से उसकी मांसल टांगों तक फिसली, उसकी पसीने से भरी त्वचा को चाटते हुए। उसने उसके पैर की उंगलियों को चूसा, उसकी जीभ उनके बीच बुन रही थी, मादक गंध पीते हुए। राहुल सिसका, “मितु, मेरे पैर खा! तू मेरी रानी है!”
मितु ने उसकी बाहें उठाईं, उसकी जीभ उसकी पसीने से भरी काँखों में गई, घने बालों को चाटते हुए, मादक गंध चूसते हुए। “राहुल, तेरी काँखें मुझे पागल कर रही हैं!” वह बुदबुदाई। राहुल चीखा, “मितु, मेरी काँखें चूस! मैं तेरी जीभ का गुलाम हूँ!”
वह उसकी गर्दन पर चाटी, उसकी पसीने से भरी त्वचा को चूसते हुए, उसकी नसों को हल्के से काटते हुए। वह उसके मांसल सीने पर गई, उसकी जीभ उसके काले चुचूकों पर चक्कर काट रही थी, उन्हें ज़ोर से चूसते हुए। राहुल सिसका, “मितु, मेरा सीना चूस! मेरा शरीर पिघल रहा है!” उसने उसके सपाट पेट को चाटा, उसकी जीभ उसकी गहरी नाभि में डूबी, पसीने से भरी त्वचा को चूसते हुए। राहुल चीखा, “मितु, मेरी नाभि खा! तू मुझे खत्म कर रही है!”
मितु ने नीला को बिस्तर पर लिटाया, उसके पैर चौड़े किए। उसकी जीभ नीला की तंग योनि को छू रही थी, उसकी फुली हुई भगनासा को चूसते हुए, उसके रसों को पीते हुए। उसने अपनी जीभ अंदर डाली, दीवारों को चाटते हुए, मादक स्वाद को निगलते हुए। “नीला, तेरी योनि का रस मेरी जीभ पर शहद है!” वह बुदबुदाई। नीला सिसकी, “मितु, मेरी योनि खा! मैं पिघल रही हूँ!”
मितु ने नीला के गोल नितंबों को चौड़ा किया, उसकी जीभ उसके तंग छेद में गहराई तक गई, पसीने की मादकता चूसते हुए। वह किनारे पर चक्कर काटी, अंदर की तलाश कर रही थी। नीला चीखी, “मितु, मेरे नितंब चूस! तू मेरी रानी है!” मितु ने उसके नितंबों के गाल चूसे, हल्के से काटते हुए, लाल निशान छोड़ते हुए।
मितु ने नीला के मध्यम उरोजों को चाटा, उसकी जीभ उसके गहरे चुचूकों पर चक्कर काट रही थी, उन्हें ज़ोर से चूसते हुए। उसने नीला के उरोजों को पकड़ा, उसके चुचूकों को काटते हुए, उन्हें फुलाते हुए। नीला सिसकी, “मितु, मेरे उरोज खा! मैं पागल हो रही हूँ!” मितु ने नीला की पसीने से भरी त्वचा को चाटा, उसकी मादकता पीते हुए।

वह नीला की बाहों पर गई, उसकी गोरी त्वचा को चाटते हुए, उसकी उंगलियों को चूसते हुए, उसकी जीभ उनके बीच बुन रही थी। “नीला, तेरी उंगलियाँ मेरे मुँह में फूलों की तरह हैं!” वह बुदबुदाई। नीला सिसकी, “मितु, मेरी उंगलियाँ चूस! मैं पिघल रही हूँ!” मितु ने नीला की टांगों को चाटा, उसके पैर की उंगलियों को चूसते हुए, मादक गंध पीते हुए। नीला चीखी, “मितु, मेरे पैर खा! तू मेरा स्वर्ग है!”
मितु ने नीला की बाहें उठाईं, उसकी पसीने से भरी काँखों को चाटते हुए, नरम त्वचा को चूसते हुए। “नीला, तेरी काँखें मुझे पागल कर रही हैं!” वह बुदबुदाई। नीला चीखी, “मितु, मेरी काँखें चूस! मैं तेरी गुलाम हूँ!” मितु ने नीला की गर्दन को चाटा, उसकी नसों को काटते हुए, फिर उसके सपाट पेट को, उसकी जीभ उसकी छोटी नाभि में डूबी। नीला सिसकी, “मितु, मेरी नाभि खा! तू मुझे खत्म कर रही है!”
मितु ने राहुल और नीला को बगल-बगल लिटाया, उसकी जीभ उनके शरीरों पर भटक रही थी। उसने राहुल का लिंग चूसा, फिर नीला की योनि को चाटा, उनके रसों को अपने मुँह में मिलाया। उसने राहुल के नितंबों को चाटा, फिर नीला के, उनकी मादक गंध को निगलते हुए। उसने उनकी काँखों को चाटा, उनकी उंगलियों और पैर की उंगलियों को चूसा, उसकी जीभ हर इंच पर दावा कर रही थी। राहुल और नीला सिसके, “मितु, तू हमारी देवी है! हमें निगलते रह!”
मितु की जीभ ने उन्हें पागल कर दिया। उसने राहुल के लिंग को चूसा जब तक उसका गाढ़ा वीर्य उसके मुँह में बाढ़ नहीं ला दिया, लालच से निगलते हुए। उसने नीला की योनि को चाटा जब तक वह काँप नहीं उठी, उसके रस मितु के चेहरे पर छिड़क गए। मितु ने उनके नितंबों, काँखों, गर्दन, और नाभियों को निगला, उनके शरीर पसीने, वीर्य, और रसों से तर।
वे ढह गए, काँपते हुए, उनके चेहरे लार और पसीने से चिकने। मितु हाँफी, “राहुल, नीला, तुम्हारे शरीर मेरी जीभ का स्वर्ग हैं!” नीला हँसी, “मितु, तू हमारी रानी है! तेरी जीभ ने हमें गुलाम बना लिया!” राहुल फुसफुसाया, “मितु, वापस आ। हम फिर पिघलना चाहते हैं!” उनकी सिसकारियाँ और हँसी कमरे में भर गईं।

नीला की शरारत
थोड़े आराम के बाद, नीला उठकर बैठी, उसके लंबे काले बाल गीले और उसके कंधों से चिपके हुए। उसकी गोरी त्वचा मोमबत्ती की रोशनी में चमक रही थी, उसके गोल नितंब बिस्तर पर रगड़ रहे थे। उसने मितु की ओर देखकर मुस्कुराई, “तूने जिन दो रंडियों का ज़िक्र किया, रीता और मिली—वो कौन हैं? उन्हें किसी दिन ला। हम उन्हें बेकार चोदेंगे।” उसकी आवाज़ शरारत से टपक रही थी, उसकी आँखें लालच से चमक रही थीं।
मितु हँसी, उसकी नीली साड़ी फर्श पर पड़ी थी। वह बिस्तर पर पीछे झुकी, उसकी गोरी त्वचा चमक रही थी, उसकी आवाज़ कामुक थी। “रीता और मिली? वो मेरी गली की बहनें हैं, लेकिन उनके शरीर तुम्हारी तरह जलते हैं। उनके लिंग सख्त हैं, रस से टपकते हैं, उनके नितंब तंग हैं। उन्हें यहाँ लाओ, और ये बेडरूम ढह जाएगा।” उसने अपने बाल पीछे उछाले, उसकी आँखें चमक रही थीं। राहुल से उसने कहा, “रीता का लिंग गुलाबी है, नसें उभरी हुई हैं, और मिली का मोटा है, सिरा टपक रहा है। उनके साथ खेलो, और तुम दोनों पागल हो जाओगे।”
राहुल चौंका, उसका मांसल सीना चमक रहा था। “सच में? उनके पास लिंग हैं? मुझे देखना होगा!” उसका आधा सख्त लिंग चादर पर गीला धब्बा छोड़ रहा था। वह मुस्कुराया, “मैं उनके नितंबों को चोदूँगा, और नीला उनके लिंगों को चूसेगी।” उसकी आवाज़ उत्साह से काँप रही थी, उसका लिंग फिर से सख्त हो रहा था।
मितु हँसी, “तू सही कह रहा है, राहुल। मैंने मिली के लिंग को सहलाया—वो इतना मोटा था कि मेरा मुँह इसे ले नहीं सका। मैंने गुलाबी सिरे को चाटा, रस से टपकता हुआ। रीता का लिंग? सख्त, नसों से भरा, मैं इसे चूसते हुए पागल हो गई।” उसने अपनी जीभ अपने होंठों पर फेरी, उनकी ओर आँख मारते हुए।
नीला ने अपना वाइन ग्लास नीचे रखा, उसकी गोरी त्वचा पसीने से चमक रही थी। “तो हमें उन्हें यहाँ लाना होगा। मैं रीता के लिंग को अपनी योनि में लूँगी, मिली के लिंग को चूसूँगी। राहुल, तू उनके नितंबों को चोदेगा। हम चारों इस कमरे में आग लगा देंगे।” उसकी योनि बोलते समय टपक रही थी, उसके नितंब बिस्तर पर रगड़ रहे थे।
राहुल हँसा, अपने लिंग को सहलाते हुए। “बिलकुल! अगर उनके लिंग इतने अच्छे हैं, मैं उनके नितंबों को पीटूँगा, और नीला उन्हें चूसकर सुखा देगी। हम इस बेडरूम को बर्बाद कर देंगे।” उसका लिंग पूरी तरह खड़ा था, प्रीकम से टपक रहा था।
मितु ने कपड़े पहनना शुरू किया, उसका पतला शरीर साड़ी में लिपटा, उसकी गोरी त्वचा और तंग नितंब झलक रहे थे। उसने अपने बालों में चोटी बनाई, अपने पसीने से भरे माथे को पोंछा। “ठीक है, राहुल, नीला। मैं रीता और मिली को लाऊँगी। तैयार रहो—उनके लिंग और नितंब तुम्हें पागल कर देंगे।” उसने लिपस्टिक लगाई, शीशे में मुस्कुराते हुए।
राहुल ने एक चमड़े का बटुआ निकाला, मितु को नोटों का मोटा बंडल दिया। “ये तेरे लिए, मितु। तूने हमारी रात को पागल कर दिया।” मितु ने पैसे जेब में डाले, मुस्कुराते हुए, “शुक्रिया, राहुल। अगली बार और भी जंगली होगी।” नीला हँसी, “मितु, तू हमारी रानी है। जल्दी वापस आ।”
मितु ने अपनी साड़ी ठीक की, अपनी हील्स पहनीं, और चली गई। राहुल और नीला बिस्तर पर लेटे, उनके शरीर पसीने और रसों से चिकने। मितु अंधेरी गली में कदम रखी, जेब में पैसे, होंठों पर कामुक मुस्कान। चलते हुए, वह रीता और मिली के साथ अगले खेल के बारे में सोच रही थी, जो पहले से भी ज्यादा गंदा होगा। रात की हवा उसकी गंध ले गई, अंधेरा उसे निगल गया।

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#13
मिली का गंदा मुलाक़ात

शाम की गली छायाओं में डूबी थी, वासना की गंध से भारी। रीता के जाने के बाद, मिली अकेली एक कोने में खड़ी थी, उसकी टाइट हरी सलवार कमीज उसके मोटे कर्व्स को गले लगा रही थी। उसका पाँच इंच का लिंग, मोटा और फूला हुआ, कपड़े के खिलाफ तन रहा था, उसके गोल नितंब हिल रहे थे।
एक और ग्राहक आया। आरिफ, 45 साल का एक शिक्षक, गली में दाखिल हुआ, उसके भूरे बाल और पतला ढांचा उसकी आँखों में अपराधबोध और वासना का मिश्रण दर्शा रहा था। वह मितु की तलाश में था लेकिन चुपके से मिली और रीता की चाहत रखता था, आज रात उसका निशाना मिली का मोटा लिंग और नरम नितंब थे। उसने शर्मीली मुस्कान दी, “मिली, मैंने तेरे बारे में बहुत सुना है। मैं आज रात तुझसे मिलना चाहता हूँ।” मिली के मोटे होंठ कामुक मुस्कान में मुड़े, “आरिफ, तू मेरे मोटे लिंग का स्वाद लेगा, लेकिन तैयार रह—मैं तुझे पागल कर दूँगी!”
वे पास के एक छोटे, गंदे होटल में दाखिल हुए। मद्धम रोशनी वाले कमरे में, फीकी चादरें छायाएँ डाल रही थीं, हवा पसीने, वीर्य, रसों, और कच्चे सेक्स की गंध से भारी थी। मिली ने अपनी कमीज उतारी, उसका पाँच इंच का लिंग सख्त खड़ा था, प्रीकम से टपक रहा था, उसके नरम, मोटे नितंब काँप रहे थे, उसके उरोज हिल रहे थे, चुचूक सख्त और फुले हुए थे। आरिफ ने अपनी कमीज और पतलून उतारी, उसका छह इंच का लिंग खड़ा था, अंडकोष नीचे लटक रहे थे, उसकी आँखें अपराधबोध और जंगली वासना का मिश्रण थीं। उनकी सिसकारियाँ और गंदे शब्द दीवारों से टकरा रहे थे।
मिली बिस्तर पर बैठी, उसका मोटा लिंग आरिफ की ओर इशारा कर रहा था। वह घुटनों पर बैठा, उसके पतले हाथ उसकी फुली हुई नसों को सहलाते हुए, उसकी आँखें वासना से जल रही थीं। “मिली, मुझे पता है ये गलत है, लेकिन तेरा मोटा लिंग और नरम नितंब मुझे पागल कर रहे हैं। मैं तेरा लिंग चूसना चाहता हूँ, तेरे नितंबों को चोदना चाहता हूँ, और खो जाना चाहता हूँ!” वह फुसफुसाया, उसकी आवाज़ काँप रही थी।
मिली मुस्कुराई, अपनी उंगलियों को उसके बालों में फिराते हुए। “आरिफ, मैं तेरे अपराधबोध को अपने मोटे लिंग से चोदकर भगा दूँगी! इसे चूस, मेरा रस पी, और अपना लिंग मेरे नरम नितंबों में ठेल। मैं तुझे पागल कर दूँगी!”
आरिफ की जीभ मिली के मोटे लिंग के सिरे को छू रही थी, उसके प्रीकम को चूसते हुए। “मिली, तेरा लिंग इतना मोटा है, मेरे मुँह में फिट नहीं होगा, लेकिन मैं तेरे स्वाद का दीवाना हूँ!” वह बुदबुदाया। मिली हँसी, “आरिफ, इसे चाट, चूस! मेरा लिंग तेरे मुँह के लिए फूल रहा है!” आरिफ की जीभ सिरे पर चक्कर काट रही थी, नसों को दबा रही थी, उसके रसों को पी रही थी। उसने उसके विशाल अंडकोष अपने मुँह में लिए, उसकी जीभ उनकी पसीने से भरी त्वचा पर चक्कर काट रही थी, उसके वीर्य की गंध उसे चक्कर दे रही थी। मिली सिसकी, “आरिफ, मेरे अंडकोष चूस! मेरा वीर्य तेरे मुँह के लिए है!”
मिली ने आरिफ को बिस्तर पर लिटाया, उसका छह इंच का लिंग अपने मुँह में लिया। उसके मोटे होंठ सिरे पर मुहर लगाए हुए थे, उसकी जीभ नसों पर रगड़ रही थी, उसके प्रीकम को चूसते हुए। उसने उसके छोटे अंडकोष चूसे, उसकी जीभ उनकी नरम त्वचा पर चक्कर काट रही थी। आरिफ सिसका, “मिली, मेरा लिंग चूस! मैं पागल हो रहा हूँ!”
आरिफ, मिली के लिंग के सिरे को चाटते हुए, फुसफुसाया, “ओह, मिली, तेरा मोटा लिंग इतना सख्त है, इतना विशाल! नसें फूली हुई हैं, सिरा रस से चिकना! मैं इसे अपने मुँह में चाहता हूँ, लेकिन ये इतना मोटा है कि मुझे चीर देगा! तेरा नमकीन रस मेरी जीभ में आग लगा रहा है! मैं तेरा लिंग चूसूँगा, तेरा वीर्य पीऊँगा, और तू मेरे नितंबों को अपने मोटे लिंग से चोदेगी! मैं चीखूँगा, ‘मिली, मेरे नितंबों को चीर दे, अपने गाढ़े वीर्य से मुझे भर दे!’ मैं तेरे नरम नितंबों को चोदना चाहता हूँ, और तू चीखेगी, ‘आरिफ, मेरे नितंबों को चीर दे!’ पिछले महीने, मैंने एक लड़की के नितंबों को चोदा, लेकिन तेरा मोटा लिंग और नरम नितंब मेरे लिंग को फटने पर मजबूर कर रहे हैं!”
मिली, आरिफ की जीभ के नीचे काँपते हुए, सिसकी, “ओह, आरिफ, तू मेरे मोटे लिंग का गुलाम है! इसे चूस, मेरा रस पी! मेरे लिंग को तेरे मुँह में चीखने पर मजबूर करेगा, ‘मिली, तेरा लिंग मेरा मुँह चीर रहा है!’ मैं तेरे तंग नितंबों को अपने मोटे लिंग से चोदूँगी, और तू चीखेगा, ‘मिली, मेरे नितंबों को चीर दे, अपने गर्म वीर्य से भर दे!’ तू मेरे नरम नितंबों को चोदना चाहता है? मैं तेरा लिंग लूँगी और चीखूँगी, ‘आरिफ, मेरे नरम नितंबों को चीर दे, तेरा वीर्य टपकने दे!’ पिछले हफ्ते, एक ग्राहक मेरे मोटे लिंग से डरकर भाग गया। आरिफ, इसे चूस, मेरा वीर्य पी, और मैं तेरे नितंबों को चोदूँगी जब तक तू पागल न हो जाए!”
आरिफ की जीभ मिली के मोटे लिंग के सिरे पर चक्कर काट रही थी, नसों को दबा रही थी, उसके रसों को पी रही थी। उसने उसके विशाल अंडकोष चूसे, उसकी जीभ उनकी पसीने से भरी त्वचा पर चक्कर काट रही थी, उसके वीर्य की गंध उसे अभिभूत कर रही थी। “मिली, तेरे अंडकोष इतने बड़े हैं, इतने नमकीन! मैं इन्हें चूसूँगा जब तक तेरा वीर्य न उड़ेल दे! तेरा मोटा लिंग मेरे मुँह में फिट नहीं होगा, लेकिन मैं तेरे रस का दीवाना हूँ! अपने मोटे लिंग से मेरे नितंबों को चोद, मैं चीखूँगा, ‘मिली, मेरे नितंबों को चीर दे!’ मैं तेरे नरम नितंबों को चोदूँगा, और तू चीखेगी, ‘आरिफ, मेरे नितंबों को चीर दे!’ तेरे मोटे नितंबों की गंध मुझे पागल कर देगी, मैं इसे चाटकर साफ कर दूँगा!”

मिली, अपने लिंग को आरिफ के मुँह में रगड़ते हुए, सिसकी, “ओह, आरिफ, तू मेरे लिंग को अपने चूसने से चीर रहा है! इसे चूस, मेरा वीर्य पी! मैं तेरे तंग नितंबों को अपने मोटे लिंग से चोदूँगी, और तू चीखेगा, ‘मिली, मेरे नितंबों को चीर दे, अपने गाढ़े वीर्य से भर दे!’ तू मेरे नरम नितंबों को चाटना चाहता है? मैं तेरी जीभ लूँगी और चीखूँगी, ‘आरिफ, मेरे नितंब खा, मेरा छेद चूस!’ मेरे नितंबों को चोद, और मैं चीखूँगी, ‘आरिफ, मेरे नितंबों को चीर दे!’ पिछले महीने, एक ग्राहक ने मेरे नितंबों को चाटा, लेकिन तू इसे चोदेगा जब तक मैं पागल न हो जाऊँ!”
मिली ने आरिफ को बिस्तर पर लिटाया, उसके पतले नितंबों को चौड़ा किया। उसकी जीभ उसके तंग छेद में गहराई तक गई, पसीने और गंदगी की मादकता चूसते हुए। आरिफ चीखा, “मिली, मेरे नितंब खा! तू मुझे खत्म कर रही है!” मिली ने आरिफ को घुटनों पर बिठाया, उसका पतला नितंब ऊँचा उठा। उसने अपने पाँच इंच के लिंग को उसके छेद पर रगड़ा, मोटा सिरा उसके तंग किनारे पर दबा। उसने धीरे-धीरे अंदर डाला, आरिफ का नितंब उसे लेने के लिए खिंच रहा था। वह चीखा, “मिली, तेरा लिंग बहुत मोटा है, ये मेरे नितंबों को चीर रहा है!” मिली ने धीरे से धक्का मारा, उसका लिंग आधा दफन हुआ, लेकिन दो धक्कों के बाद, आरिफ दर्द में सिकुड़ गया, चीखते हुए, “मिली, बाहर निकाल, ये बहुत मोटा है!” मिली हँसी, बाहर खींचते हुए, उसका छेद खुला और काँप रहा था। “आरिफ, तू मेरा लिंग लेगा। फिर से कोशिश कर!”
मिली ने उसके छेद को चाटा, उसे गीला किया, और फिर से अंदर डाला। आरिफ सिसका, “मिली, इसे ठेल, मुझे तेरा लिंग चाहिए!” उसने ज़ोर से धक्का मारा, उसके अंडकोष उसके नितंबों से टकरा रहे थे, लेकिन तीन धक्कों के बाद, आरिफ चीखा, “मिली, बाहर निकाल, मैं नहीं ले सकता!” मिली ने बाहर खींचा, उसका छेद लाल और फूला हुआ था। उसने उसके नितंबों पर थप्पड़ मारा, हँसते हुए, “आरिफ, तेरा नितंब मेरे लिंग के लिए बना है। एक और बार कोशिश कर!”
मिली ने आरिफ को उसकी पीठ पर लिटाया, उसके पैर उठाए। उसने अपने मोटे लिंग को धीरे-धीरे अंदर डाला, गहराई तक जा रहा था। आरिफ सिसका, “मिली, अब मैं इसे ले सकता हूँ, मुझे चोद!” उसने ज़ोर से धक्का मारा, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था, उनका पसीना मिल रहा था। आरिफ ने मिली के मोटे उरोजों को पकड़ा, उसके फुले हुए चुचूकों को चूसते हुए। पाँच धक्कों के बाद, आरिफ चीखा, “मिली, बाहर निकाल, तेरा लिंग मेरे नितंबों को चीर रहा है!” मिली ने बाहर खींचा, उसका छेद खुला हुआ था। वह हँसी, “आरिफ, तू मेरे लिंग का दीवाना है, लेकिन तेरा नितंब मुझसे लड़ रहा है!”
आरिफ के नितंबों के दर्द के साथ, मिली मौखिक सुख की ओर बढ़ी। आरिफ ने उसके मोटे लिंग को अपने मुँह में लेने की कोशिश की, उसकी जीभ सिरे पर चक्कर काट रही थी, नसों को रगड़ रही थी। उसने उसके विशाल अंडकोष चूसे, उनकी मादक गंध पीते हुए। “मिली, मैं तेरा लिंग अपने नितंबों में नहीं ले सकता, लेकिन मैं तेरा रस चूसूँगा!” वह बुदबुदाया। मिली सिसकी, “आरिफ, मेरा लिंग चूस, मेरा वीर्य पी!” आरिफ ने मिली के मोटे नितंबों को चौड़ा किया, उसकी जीभ उसके तंग छेद में गहराई तक गई, मादक गंदगी चूसते हुए। मिली चीखी, “आरिफ, मेरे नितंब खा!”
मिली ने आरिफ के छह इंच के लिंग को चूसा, उसकी जीभ सिरे पर चक्कर काट रही थी, उसके प्रीकम को पीते हुए। उसने उसके तंग नितंबों को चाटा, उसकी जीभ उसके छेद पर चक्कर काट रही थी। आरिफ सिसका, “मिली, मेरे नितंब चाट! तेरी जीभ मेरे दर्द को शांत कर रही है!” मिली ने एक उंगली उसके छेद में डाली, उसके नितंब इसे जकड़ रहे थे। आरिफ काँपा, “मिली, मेरे नितंबों को तैयार कर, मुझे तेरा लिंग फिर से चाहिए!”
मिली ने आरिफ को उसकी करवट पर लिटाया, एक पैर उठाया। उसने अपने मोटे लिंग को अंदर डाला, पहले उसके छेद को गीला किया। आरिफ सिसका, “मिली, मैं इसे ले सकता हूँ, मुझे चोद!” उसने ज़ोर से धक्का मारा, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था, उनका पसीना मिल रहा था। उसने आरिफ के लिंग को सहलाया, उसके रस उसकी हथेली को लपेट रहे थे। आरिफ ने उसके चुचूकों को चूसा, हल्के से काटते हुए। कुछ धक्कों के बाद, आरिफ चीखा, “मिली, बाहर निकाल, मैं नहीं ले सकता!” मिली ने बाहर खींचा, उसका छेद काँप रहा था। वह हँसी, “आरिफ, तेरा नितंब मेरे लिंग को प्यार करता है लेकिन उससे लड़ता है!”
मिली ने आरिफ के छेद को चाटा, उसे शांत किया, मादक गंदगी चूसते हुए। आरिफ ने उसके मोटे नितंबों को चाटा, उसकी जीभ गहराई तक गई, उसकी गंध पीते हुए। उन्होंने एक-दूसरे के लिंगों को सहलाया, उनके रस मिल रहे थे। मिली ने दो उंगलियाँ आरिफ के नितंबों में डालीं, उसे खींचते हुए। आरिफ सिसका, “मिली, मेरे नितंबों को तैयार कर, मुझे तेरा लिंग चाहिए!”
मिली ने आरिफ को फिर से घुटनों पर बिठाया, अपने मोटे लिंग को अंदर डाला। आरिफ, दर्द के बावजूद, इसे चाहता था। उसने ज़ोर से धक्का मारा, उसका लिंग गहराई तक जा रहा था। आरिफ चीखा, “मिली, मेरे नितंबों को चीर दे! मुझे तेरा लिंग चाहिए!” मिली सिसकी, उसका मोटा, गर्म वीर्य आरिफ के नितंबों में बाढ़ ला रहा था, चादरों पर टपक रहा था। आरिफ ने अपने लिंग को सहलाया, उसका वीर्य मिली के उरोजों पर छिड़क गया। मिली ने उसके नितंबों को चाटा, अपना वीर्य पीते हुए। आरिफ ने उसके लिंग को चूसा, उसका वीर्य चाटते हुए। वे ढह गए, उनके शरीर पसीने, वीर्य, और रसों से चिकने।
आरिफ हाँफा, “मिली, तेरे मोटे लिंग ने मेरे नितंबों को चीर दिया, लेकिन मैं कोशिश करता रहूँगा!” मिली हँसी, “आरिफ, तेरा तंग नितंब मेरे लिंग का स्वर्ग है। वापस आ, मैं तुझे इसे लेना सिखाऊँगी!” उनकी सिसकारियाँ और हँसी कमरे में भर गईं, हवा उनकी गंदी वासना से भारी थी।
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मितु: डार्क एली की रानी


मितु का बचपन और परिवार

मितु, एक 22 साल की खूबसूरत लड़की, जो एक साधारण बंगाली परिवार में जन्मी थी। उसके पिता फखरुल, एक कपड़ा व्यापारी थे, जिनका छोटा-सा दुकान शहर के एक धूल भरे कोने में था। मितु की माँ, एक समर्पित पत्नी, ने परिवार को प्यार और देखभाल से बांध रखा था। मितु उनकी इकलौती संतान थी, उनके छोटे-से संसार की चमकती हीरा। उसकी गोरी त्वचा निखरे हुए हाथी दांत की तरह चमकती थी, उसकी बड़ी, हिरनी जैसी आँखें मासूमियत से भरी थीं, और उसकी नर्म, शर्मीली मुस्कान कठोर से कठोर दिल को भी पिघला सकती थी। उसके रेशमी काले बाल, चमकदार लहरों में लहराते, उसकी माँ का गर्व थे, जो अक्सर रात को कहानियाँ सुनाते हुए उन्हें चोटी में बाँधती थी। फखरुल, अपने रूखे हाथों और चौड़े कंधों के साथ, मितु को बहुत लाड़-प्यार करते थे, उसके लिए चॉकलेट, रंग-बिरंगे फ्रॉक, और छोटे-छोटे खिलौने लाते, जिनसे मितु की हंसी गूंज उठती थी। उनका घर, प्यार का एक छोटा-सा आशियाना, अगरबत्ती, बुने हुए कपास, और फखरुल की दुकान की हल्की मिट्टी की खुशबू से महकता था, जहाँ मितु की हंसी गूंजती थी।

लेकिन जब मितु सिर्फ दस साल की थी, तब त्रासदी ने इस सुंदर संसार को चकनाचूर कर दिया। उसकी माँ की एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई, उनका शरीर कठोर डामर पर टूट गया। इस नुकसान ने फखरुल को तोड़ दिया, उनकी जीवंत आत्मा दुख से मुरझा गई। दुकान डगमगाने लगी, उनका ध्यान सिर्फ दुख में डूब गया, लेकिन मितु उनकी जिंदगी का एकमात्र सहारा बन गई। उन्होंने दोबारा शादी नहीं की, अपनी सारी मोहब्बत अपनी बेटी पर उड़ेल दी, उसकी हर छोटी-बड़ी इच्छा को पूरा किया—उसकी पढ़ाई, उसके खेल, उसकी छोटी-छोटी ख्वाहिशें। फिर भी, माँ के खोने का दर्द मितु के दिल में गहरी चोट बनकर रह गया। रात को, अपने छोटे-से बिस्तर पर लेटकर, उसका तकिया आँसुओं से भीग जाता, माँ की सांत्वना भरी आवाज और कोमल स्पर्श की यादें उसे सताती थीं। फखरुल उसे अपनी मजबूत बाहों में लेते, उसका दर्द दूर करने की कोशिश करते, और फुसफुसाते, “मेरी मितु, मेरी राजकुमारी, मैं तुम्हारे लिए हूँ।”

फखरुल की रातें और मितु की जिज्ञासा

फखरुल, मितु के प्रति अपनी भक्ति के बावजूद, एक पुरुष थे जिनमें प्राकृतिक वासना थी, एक कच्ची भूख जो रिहाई मांगती थी। देर रात, जब शहर सो रहा होता और मितु अपने कमरे में लेटी होती, वह वैश्याओं को घर लाता, उनकी सस्ती इत्र की गंध और कर्कश हंसी घर को भर देती। पतली, घिसी हुई दीवारें उनकी कराहों, बिस्तर की चरमराहट, और मांस की गीली चटखने की आवाज को मितु के कानों तक पहुँचाती, जो उसे नींद से जगा देती। शुरू में, वह उलझन में थी, उसका युवा दिमाग इन अजीब आवाजों को समझने की कोशिश करता, लेकिन जिज्ञासा, एक निषिद्ध चिंगारी की तरह, उसे फखरुल के बेडरूम के दरवाजे की दरार तक खींच ले गई।

एक उमस भरी रात, जब मितु मुश्किल से बारह साल की थी, हवा में बारिश और पसीने की गंध थी। वह चुपके से दरवाजे तक गई, उसका दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। टिमटिमाती ट्यूबलाइट की रोशनी में, उसने अपने पिता को देखा, उनका पेशीय शरीर पसीने से चमक रहा था, जो रीना नाम की एक मोटी, सांवली वैश्या के ऊपर मंडरा रहा था, जिसकी फटी हुई लाल साड़ी उसकी मोटी कमर के चारों ओर लिपटी थी। रीना के गोरे स्तन, पसीने से चमकते हुए, हिल रहे थे, जब फखरुल के रूखे हाथ उन्हें निचोड़ रहे थे, उसके काले निप्पल सख्त और सूजे हुए थे। फखरुल का छह इंच का लंड, नसों से भरा और धड़कता हुआ, रीना की टाइट, गीली चूत में एक बेरहम ताल में धक्के मार रहा था, गीली आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। रीना कराह रही थी, उसकी आवाज कच्ची और बेताब, “ओह, फखरुल… तेरा लंड मेरी चूत को चीर रहा है! और जोर से चोद!” फखरुल गुर्राया, उसके दांत रीना के निप्पलों को चर रहे थे, “तेरी चूत इतनी टाइट है, रीना… ये मेरे लंड को पूरा निगल रही है!”

मितु की आँखें फैल गईं, उसकी सांसें रुक गईं, जब उसने देखा कि फखरुल ने रीना की मोटी गांड को उठाया, उसकी उंगलियाँ पसीने से भरी त्वचा में धंस रही थीं। उसने अपने लंड को रीना की टाइट, सिकुड़ी हुई गांड के छेद पर रगड़ा, जो उनके मिश्रित रसों से गीला था, और जोर से धक्का मारा, उसकी गांड को बर्बर बल से फैलाते हुए। रीना चीखी, “ओह, फखरुल… मेरी गांड को फाड़ दे! अपने माल से भर दे!” उसका शरीर हिल रहा था, उसके भारी स्तन उछल रहे थे, जब फखरुल उसे चोद रहा था, उसकी गेंदें उसकी गांड पर चटख रही थीं, गंदी ताल कमरे को एक प्राकृतिक संगीत से भर रही थी। “रीना, मेरा माल आ रहा है!” फखरुल ने दहाड़ा, उसका गर्म, गाढ़ा वीर्य रीना की गांड में भर गया, चिपचिपी चादरों पर सफेद, चमकदार धारियों में टपकता हुआ। रीना हंसी, उसकी आवाज कर्कश, “तेरा माल मेरी गांड को जला रहा है, फखरुल… मैं तुझ पर पागल हूँ!”

मितु अपने कमरे में भाग गई, उसका छोटा-सा शरीर कांप रहा था, उसका दिल डर और एक अनजान गर्मी के मिश्रण से धड़क रहा था। उसकी नाइटी उसकी त्वचा से चिपक गई थी, पसीने से गीली, उसके छोटे निप्पल कपड़े के खिलाफ सख्त हो गए थे। उसकी आँखों में छवियाँ जल रही थीं—उसके पिता का चमकता लंड, रीना का तड़पता शरीर, कच्ची, पशुवत वासना—जो उसके युवा आत्मा में एक निषिद्ध आग जला रही थी। उसने अपनी जांघों को एक साथ दबाया, उनके बीच एक अजीब, सिहरन भरी गर्मी फैल रही थी, उसकी अछूती चूत एक ऐसी जरूरत से धड़क रही थी जिसका नाम वह नहीं जानती थी। उस रात, जब वह अंधेरे में लेटी थी, उसकी उंगलियाँ उसकी पैंटी को छू गईं, नरम, संवेदनशील मांस को सहलाते हुए, और एक सिहरन भरी खुशी उसके शरीर में दौड़ गई, जिसने एक गहरी, अतृप्त भूख के बीज बो दिए।

मितु की जवान होती जवानी

फखरुल की रातों की मुलाकातें मितु के लिए एक गुप्त रस्म बन गईं, उसकी जिज्ञासा एक जुनून में बदल गई। वह छायाओं में इंतजार करती, उसका दिल धड़कता हुआ, जब अलग-अलग औरतें—रीना, मालती, काली—घर को अपनी कराहों से भर देती थीं। मालती, एक पतली, गोरी सुंदरता, की मीठी, कस्तूरी जैसी चूत फखरुल को पागल कर देती थी। वह अपने चेहरे को उसकी जांघों के बीच दबा देता, उसकी भगनासा को चूसता, उसके रस को पीता, जबकि वह चीखती, “फखरुल, मेरी चूत खा! ये तेरी है!” काली, अपनी सांवली त्वचा और भारी, लहराते स्तनों के साथ, उसे नियंत्रण खोने पर मजबूर करती थी, उसके काले निप्पल उसके दांतों के नीचे सख्त हो जाते थे, जब वह उसकी टाइट गांड को चोदता था, उसकी कराहें गूंजती थीं, “फखरुल, तेरा लंड मुझे चीर रहा है! मेरी गांड में माल डाल!” मितु देखती थी, उसका शरीर जल रहा था, उसकी चूत टपक रही थी, क्योंकि वह हर धक्के, हर कराह, और हर पसीने की बूंद को याद रखती थी, जो उनके शरीरों पर चमकती थी।

जब मितु नौवीं कक्षा में पहुंची, उसकी खूबसूरती एक निर्विवाद सत्य बन चुकी थी। उसकी गोरी त्वचा चांदनी की तरह चमकती थी, नरम और बेदाग, एक नाजुक आकर्षण का कैनवास जो हर नजर को अपनी ओर खींच लेता था। उसके रेशमी काले बाल, उसकी पीठ पर चमकदार लहरों में लहराते, सूरज की रोशनी में चमकते, उसके दिल के आकार के चेहरे को एक अलौकिक अनुग्रह के साथ घेरते थे। उसकी पतली कमर, नीले कॉलेज ड्रेस में ढकी, मोहक ढंग से गोल कूल्हों में घूमती थी, जो उसके चलने पर एक सम्मोहक ताल में हिलते थे। उसकी बड़ी, हिरनी जैसी आँखें, लंबी पलकों से घिरी, एक शांत तीव्रता रखती थीं, और उसकी शर्मीली मुस्कान में एक सूक्ष्म, मोहक आकर्षण था जो रहस्यों का वादा करता था, जिन्हें वह अभी तक नाम देना नहीं सीख पाई थी। सोलह साल की उम्र में, मितु मासूमियत और एक अनकही कामुकता का मिश्रण थी, जो दिलों को धड़काने और कॉलेज के भीड़ भरे गलियारों में फुसफुसाहट पैदा करने वाली थी।

राकेश का आकर्षण और विश्वासघात

इन कई लोगों में राकेश था, एक सहपाठी जिसका लड़कपन भरा आकर्षण और चालाक आत्मविश्वास उसे अलग करता था। लंबा और पतला, तेज नाक-नक्श और उसकी गहरी आँखों में एक शरारती चमक के साथ, राकेश की मीठी बातों से सबसे सतर्क दिलों को भी खोल देने की ख्याति थी। उसने मितु को हफ्तों तक देखा, उसकी मुस्कान के घुमाव, उसके ड्रेस के नीचे उसके नरम स्तनों की दृढ़ता की ओर आकर्षित होकर। वह कक्षा में उसके पास रहता, तारीफें करता जो उसके गालों को लाल कर देती थीं—उसकी आँखों को “रात के आकाश से चुराए गए तारे” कहता या उसकी हंसी को “एक ऐसी धुन जो वह भूल नहीं सकता”। मितु, नादान और संरक्षित, उसके ध्यान से उसके सीने में एक सिहरन महसूस करती थी। उसकी बातें उसके दिल में रास्ता बना रही थीं, भावनाओं को उकसाती थीं जो वह पूरी तरह समझ नहीं पाई थी, जिज्ञासा और एक उभरती गर्मी का मिश्रण जो उसकी नब्ज को तेज कर देता था।

एक उमस भरी दोपहर, कॉलेज असामान्य रूप से शांत था, सामान्य छात्रों की भीड़ जल्दी खत्म होने वाली कक्षाओं के साथ फीकी पड़ गई थी। मितु एक खाली कक्षा में रुकी थी, अपनी किताबें व्यवस्थित कर रही थी, उसका दिमाग राकेश की ताजा तारीफ पर भटक रहा था। हवा में चॉक की धूल और दिन की गर्मी से पसीने की हल्की गंध थी। उसने राकेश को कमरे में चुपके से आते नहीं देखा, उसकी नरम चाल, उसकी आँखें एक भूख से चमक रही थीं जो उसके दिल को धड़कने पर मजबूर कर देती थी जब उसने आखिरकार ऊपर देखा। “मितु,” उसने कहा, उसकी आवाज नरम और चिकनी, “तू आज बहुत खूबसूरत लग रही है।” उसकी शर्मीली मुस्कान खिल उठी, लेकिन उसमें एक घबराहट थी, उसकी उंगलियाँ उसकी किताबों पर सख्त हो गईं।

राकेश और करीब आया, उसकी मौजूदगी छोटे, उमस भरे कमरे में भारी पड़ रही थी। इससे पहले कि वह कुछ कर पाती, उसने उसे अपनी बाहों में खींच लिया, उसके हाथ मजबूत और आग्रही। उसके होंठ उसके होंठों से टकराए, गर्म और मांग करने वाले, उसकी सांसें चुराते हुए। मितु जम गई, उसका शरीर डर और एक अजीब, अनजान सिहरन के बीच फंस गया। उसका चुंबन रूखा था, उसकी जीभ उसके मुँह में जबरदस्ती घुस रही थी, पुदीने और कुछ गहरे, प्राकृतिक स्वाद के साथ। उसका दिमाग उसे धक्का देने के लिए चीख रहा था, लेकिन उसका शरीर उसे धोखा दे रहा था, उसके शरीर के केंद्र में एक सिहरन भरी गर्मी फैल रही थी। उसके हाथ उसके शरीर पर घूमे, उसके ड्रेस के माध्यम से उसके नरम स्तनों की वक्रता को छूते हुए, उन्हें एक स्वामित्व भरी भूख के साथ निचोड़ते हुए। उसके निप्पल उसके स्पर्श के नीचे सख्त हो गए, पतले कपड़े के खिलाफ तन गए, जिससे सनसनी की लहरें उसके शरीर में दौड़ गईं।

मितु की सांसें रुक गईं, उसका दिल धड़क रहा था जब राकेश के हाथ और साहसी हो गए। उसने उसकी स्कर्ट उठाई, ठंडी हवा उसकी जांघों को चूम रही थी, उसकी सफेद सूती पैंटी को उजागर करते हुए, जो पहले से ही डर और उत्तेजना के मिश्रण से गीली थी, जिसे वह समझ नहीं पा रही थी। उसकी उंगलियाँ कपड़े के माध्यम से उसकी टाइट, अछूती चूत को छू गईं, धीमे, जानबूझकर दबाव के साथ रगड़ते हुए जिसने उसे हांफने पर मजबूर कर दिया। “राकेश, नहीं…” उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज कांप रही थी, लेकिन उसने उसकी अनदेखी की, उसकी आँखें वासना से गहरी हो गईं। वह और करीब आया, उसका सख्त लंड उसकी ट्राउजर के खिलाफ तन गया, उभार उसकी जांघ पर रगड़ रहा था। उसने अपनी जिपर के साथ छेड़छाड़ की, अपने लंड को आजाद किया—पांच इंच, नसों से भरा, और धड़कता हुआ, उसका सिरा प्री-कम से चमक रहा था।

उसने उसे डेस्क के खिलाफ धकेल दिया, उसकी किताबें फर्श पर बिखर गईं। मितु की टांगें कांप रही थीं जब उसने उसकी पैंटी को नीचे खींचा, कपड़ा उसकी जांघों पर अटक गया, उसकी बालों वाली, कुंवारी चूत को उजागर करते हुए, जो डर के बावजूद उसके रसों से गीली थी। राकेश ने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा, गर्म, गीला संपर्क उसे सिहरन दे रहा था। “तू बहुत टाइट है, मितु,” वह कराहा, उसकी आवाज इच्छा से गहरी। उसने अंदर घुसने की कोशिश की, लेकिन उसकी चूत असंभव रूप से टाइट थी, उसके घुसपैठ का विरोध कर रही थी। उसके लंड का सिरा उसे भेद गया, उसे दर्दनाक ढंग से फैलाते हुए, और मितु चीख पड़ी, एक तेज, भेदने वाली चीख जो खाली कमरे में गूंज उठी। खून उसकी जांघ पर टपक रहा था, उसकी गोरी त्वचा के खिलाफ एक कड़ा लाल रंग, दर्द उसे एक ब्लेड की तरह चीर रहा था। राकेश रुक गया, उसकी वासना डर में बदल गई। “ओह, शिट,” वह बुदबुदाया, पीछे हटते हुए, उसका लंड अभी भी सख्त लेकिन उसका चेहरा पीला पड़ गया। बिना एक और शब्द कहे, वह भाग गया, मितु को अकेला छोड़ गया, कांपते हुए, उसकी स्कर्ट उसकी कमर के चारों ओर लिपटी हुई, उसकी पैंटी उसके घुटनों पर उलझी हुई।

मितु ने अपनी पैंटी ऊपर खींची, उसके हाथ कांप रहे थे, उसका शरीर दर्द, शर्म, और उलझन का एक तूफान था। आँसुओं ने उसके चेहरे को भिगो दिया जब उसने अपनी किताबें इकट्ठा कीं, उसका दिमाग उस घटना के वजन से भारी था। उसकी टांगों के बीच की धड़कन दर्दनाक और अजीब तरह से नशीली थी, राकेश के स्पर्श की स्मृति एक निषिद्ध फुसफुसाहट की तरह बनी रही। वह भीड़ भरी सड़कों से होकर घर की ओर लडख़ड़ाई, शहर का शोर एक धुंधलापन था, उसका दिल उस घटना के बोझ से भारी था। घर की परिचित गंध—अगरबत्ती, पुराना लकड़ा, और उसके पिता की दुकान की हल्की मिट्टी की गंध—ने उसका स्वागत किया, लेकिन यह थोड़ा सांत्वना दे पाया।

फखरुल का गुस्सा और मितु का दर्द

फखरुल लिविंग रूम में था, उसका पेशीय शरीर एक बहीखाते पर झुका हुआ, उसका चेहरा उस आदमी की थकान से भरा हुआ जो अपनी बेटी के लिए दुनिया ढोता था। जब उसने मितु का आँसुओं से भरा चेहरा देखा, उसकी आँखें लाल और सूजी हुई थीं, वह तुरंत खड़ा हो गया, उसका दिल डर से सिकुड़ गया। “मितु, मेरी राजकुमारी, क्या हुआ?” उसने पूछा, उसकी आवाज चिंता से भारी। वह उसकी बाहों में ढह गई, उसका नाजुक शरीर उसके चौड़े सीने के खिलाफ कांप रहा था, उसकी सिसकियाँ उसके शरीर को हिला रही थीं। “बाबा,” उसने रुंधे गले से कहा, उसकी आवाज उसकी शर्ट में दब गई, “कुछ भयानक हुआ।”

फखरुल ने उसे पुराने सोफे पर ले गया, उसकी मजबूत बाहें उसे लपेट रही थीं, उसके रूखे हाथ उसके रेशमी बालों को सहला रहे थे। “बता, मितु,” उसने आग्रह किया, उसकी आवाज नरम लेकिन बढ़ते गुस्से से भरी। टूटी-फूटी सिसकियों के बीच, मितु ने सब कुछ बयान किया—राकेश की मीठी बातें जिन्होंने उसे लुभाया, खाली कक्षा में चुराया गया चुंबन, उसके हाथ जो उसके स्तनों को टटोल रहे थे, उसकी उंगलियाँ उसकी पैंटी में घुस रही थीं, और वह क्रूर क्षण जब उसने अपने लंड को उसके अंदर जबरदस्ती घुसाने की कोशिश की। उसने तेज दर्द, खून, और डर को बताया जो उसे तबाह कर गया जब राकेश भाग गया। “इसने बहुत दर्द दिया, बाबा,” उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज टूट रही थी। “मैं बहुत डर गई थी।”

फखरुल का चेहरा गहरा पड़ गया, उसका जबड़ा सख्त हो गया, उसकी आँखें एक ऐसे गुस्से से जल रही थीं जो उसे भस्म करने की धमकी दे रहा था। उसने उसे कसकर पकड़ा, उसकी बाहें उसके कांपते शरीर के चारों ओर एक किला बन गईं, फुसफुसाते हुए, “मितु, तू मेरी राजकुमारी है। कोई तुझे फिर कभी चोट नहीं पहुंचाएगा। मैं कसम खाता हूँ।” उसकी आवाज एक सांत्वना भरी मरहम थी, लेकिन उसके सुरक्षात्मक शब्दों के नीचे, एक गहरी, अधिक प्राकृतिक भावना उभर रही थी—एक प्रतिशोधी वासना, कच्ची और अतृप्त, जो बदला मांग रही थी। उसका दिमाग राकेश की छवियों से भरा हुआ था, उस लड़के ने जो उसकी बेटी को छूने की हिम्मत की थी, और एक क्रूर, कामुक इच्छा ने जड़ें जमा लीं। वह राकेश को सिर्फ मुक्कों या धमकियों से नहीं सजा देगा; वह उसे तोड़ेगा, उस पर हावी होगा, उसे वही असहायता महसूस करवाएगा जो मितु ने सहा था। इस विचार ने फखरुल के शरीर में एक विकृत सिहरन भेजी, उसका लंड उसके लुंगी के नीचे हल्के से हिल रहा था, एक गहरी भूख उसके पितृसत्तात्मक गुस्से के साथ मिल रही थी।

फखरुल ने मितु के माथे पर चुंबन लिया, उसके होंठ उसकी नरम त्वचा पर रुके, उसकी जैस्मिन इत्र की गंध उसके आँसुओं के नमक के साथ मिल रही थी। “अब आराम कर, मेरी प्यारी लड़की,” वह बुदबुदाया, उसकी आवाज भावनाओं से भारी। “मैं सब कुछ संभाल लूंगा।” जब मितु ने सहमति में सिर हिलाया, उसकी आँखें थकान से भारी, वह उससे लिपट गई, उसकी उंगलियाँ उसकी बाहों में धंस रही थीं, उस सुरक्षा की तलाश में जो केवल वह प्रदान कर सकता था। लेकिन जब वह अपने कमरे में लौटी, उसका शरीर अभी भी कांप रहा था, फखरुल का दिमाग पहले से ही योजना बना रहा था—एक ऐसी योजना जो न केवल उसकी बेटी की रक्षा करेगी, बल्कि एक ऐसी प्रतिशोध को भी उजागर करेगी जो उसके भीतर जल रही निषिद्ध इच्छाओं को संतुष्ट करेगी।

फखरुल का बदला

फखरुल ने एक योजना बनाई, उसका दिमाग पितृसत्तात्मक गुस्से और कामुक भूख का एक विकृत मिश्रण था। उसने राकेश को संदेश भेजा, उसे इस बहाने घर बुलाया कि मितु उसे फिर से देखना चाहती है। राकेश, नादान और अपनी वासना से प्रेरित, एक मुस्कराहट के साथ पहुंचा, यह उम्मीद करते हुए कि उसे मितु को फिर से पाने का मौका मिलेगा। घर शांत था, हवा अगरबत्ती और प्रत्याशा की गंध से भारी थी। मितु, अपने दिल में डर और जिज्ञासा का मिश्रण लिए, अपने कमरे में छिपी थी जैसा कि फखरुल ने निर्देश दिया था, लेकिन उसकी अतृप्त जिज्ञासा ने उसे फिर से दरवाजे की दरार तक खींच लिया।

फखरुल ने लिविंग रूम में राकेश का स्वागत किया, उसकी आवाज गहरी और खतरनाक, उसकी आँखें एक शिकारी चमक के साथ चमक रही थीं। “तूने मेरी छोटी बच्ची को चोट पहुंचाई, राकेश,” उसने कहा, उसके शब्द जहर से टपक रहे थे। “तुझे लगा कि तू मेरी मितु को छू सकता है और चला जाएगा? आज रात तुझे इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।” राकेश की मुस्कराहट डगमगा गई, उसका चेहरा पीला पड़ गया जब उसे खतरे का अहसास हुआ। वह हकबकाया, “सर, मैं—मैंने उसे चोट पहुंचाने का इरादा नहीं किया। प्लीज, मुझे समझाने दें!” लेकिन फखरुल की मुस्कान क्रूर थी, उसका पेशीय शरीर कांपते लड़के पर मंडरा रहा था। “सफाई तुझे नहीं बचाएगी,” वह गुर्राया, और करीब आया, उसकी मौजूदगी दमघोंटू थी।

बिना चेतावनी के, फखरुल ने राकेश को कॉलर से पकड़ा, उसे कमरे के बीच में खींच लिया। एकमात्र बल्ब की मंद रोशनी ने कठोर छायाएँ डालीं, जो फखरुल की पसीने से चमकती त्वचा और उसके चेहरे की सख्त रेखाओं को उजागर कर रही थी। राकेश की आँखें डर से फैल गईं जब फखरुल ने उसकी पैंट नीचे खींच दी, उसके नरम, पांच इंच के लंड को उजागर करते हुए, जो डर से सिकुड़ गया था। फखरुल ने तिरस्कार किया, उस नरम मांस को अपने रूखे हाथ में पकड़ लिया। “इसी से तूने मेरी मितु को चोट पहुंचाई?” वह फुसफुसाया, उसकी आवाज घृणा और गहरी इच्छा से भरी। “ये दयनीय चीज? अब मैं तुझे दिखाऊंगा कि असली दर्द कैसा होता है।”

राकेश ने गिड़गिड़ाया, उसकी आवाज टूट रही थी, “नहीं, प्लीज, सर! मुझे माफ कर दो!” लेकिन फखरुल की आँखें एक सैडिस्टिक भूख से जल रही थीं। उसने राकेश को घुटनों पर धकेल दिया, उसकी गांड को हवा में उठा दिया। राकेश का शरीर कांप रहा था, उसकी पसीने से चमकती त्वचा मंद रोशनी में चमक रही थी, उसका टाइट छेद डर से कांप रहा था। फखरुल ने अपनी लुंगी खोल दी, उसे फर्श पर गिरने दिया, अपने छह इंच के लंड को उजागर करते हुए—सख्त, नसों से भरा, गुलाबी सिरा प्री-कम से चमक रहा था, गुस्से और वासना के मिश्रण से धड़क रहा था। उसने अपने हाथ पर थूका, अपने लंड को धीमे, जानबूझकर स्ट्रोक के साथ चिकना किया, उसकी आँखें राकेश के कमजोर रूप पर टिकी थीं।

मितु, दरवाजे के पीछे छिपी हुई, सांस रोके देख रही थी। उसका शरीर कांप रहा था, न केवल डर से बल्कि एक विकृत उत्तेजना से जो वह नाम नहीं दे सकती थी। अपने पिता की प्रभुता, उनकी कच्ची शक्ति का दृश्य, उसके शरीर के केंद्र में गर्मी की एक लहर भेज रहा था। उसकी चूत, अभी भी राकेश के हमले से नाजुक, धड़कने लगी, उसके जांघों के बीच एक गीली गर्मी फैल रही थी। उसने अपनी टांगें एक साथ दबाईं, उसकी सांसें रुक गईं जब उसने देखा कि फखरुल अपने लंड को राकेश के कांपते छेद पर रगड़ रहा है, उनका पसीना और प्री-कम एक गंदी, फिसलन भरी चिकनाई में मिल रहा है।

एक गहरी गुर्राहट के साथ, फखरुल ने आगे धक्का मारा, अपने लंड को राकेश की टाइट गांड में एक क्रूर गति में गहराई तक दबा दिया। राकेश चीखा, उसकी आवाज कच्ची और बेताब, “ओह, भगवान, मेरी गांड फट रही है! प्लीज, रुक जाओ!” लेकिन फखरुल बेरहम था, उसके कूल्हे आगे बढ़ रहे थे, उसका लंड राकेश के कांपते छेद में और गहराई तक धंस रहा था। कमरे में मांस के खिलाफ मांस की गीली, लयबद्ध चटखन की आवाज गूंज रही थी, फखरुल की गेंदें राकेश की पसीने से भरी गांड पर हर बर्बर धक्के के साथ चटख रही थीं। “तूने मेरी मितु को चोट पहुंचाई,” फखरुल ने दहाड़ा, राकेश के बालों को पकड़कर, उसका सिर पीछे खींचते हुए। “अब मैं तेरी गांड को चीर दूंगा!”

राकेश सिसक रहा था, उसका शरीर कांप रहा था, उसकी गिड़गिड़ाहट बेरहम चुदाई में डूब गई थी। “प्लीज, सर, मैं फिर कभी उसे नहीं छूऊंगा!” वह रोया, लेकिन फखरुल के धक्के और तेज हो गए, उसका लंड राकेश की टाइट गांड को फैलाते हुए, घर्षण तीव्रता से जल रहा था। मितु की आँखें फैली हुई थीं, उसकी सांसें उथली, उसकी चूत टपक रही थी जब उसने अपने पिता के पेशीय शरीर को उस लड़के पर हावी होते देखा जिसने उसे चोट पहुंचाई थी। उसकी उंगलियाँ सिहर उठीं, खुद को छूने की इच्छा से, लेकिन वह रुकी, गंदे तमाशे से मंत्रमुग्ध। हवा पसीने, प्री-कम, और कच्ची वासना की कस्तूरी गंध से भारी थी, कमरा निषिद्ध इच्छा का एक कड़ाह था।

फखरुल का हाथ राकेश की गांड पर चटखा, उसकी कांपती त्वचा पर लाल निशान छोड़ते हुए। “तुझे लगा कि तू मेरी बेटी को इस दयनीय लंड से चोद सकता है?” वह तिरस्कार के साथ बोला। वह राकेश के नरम लंड को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा, उसे तब तक निचोड़ता रहा जब तक राकेश दर्द से कराह नहीं उठा। “तू कुछ भी नहीं है। मैं तुझे तब तक चोदूंगा जब तक तू टूट नहीं जाता।” राकेश की सिसकियाँ टूटी-फूटी कराहों में बदल गईं, उसका शरीर उसे धोखा दे रहा था क्योंकि उसका लंड फखरुल के रूखे पकड़ के नीचे हिल गया, उसकी पीड़ा के साथ एक अपमानजनक उत्तेजना का मिश्रण।

मितु का शरीर जल रहा था, उसकी चूत रसों से गीली, उसके निप्पल उसकी पतली नाइटी के खिलाफ सख्त हो रहे थे। वह अपनी आँखें अपने पिता के मोटे लंड से नहीं हटा पा रही थी, जो प्री-कम और पसीने से चमक रहा था, राकेश की गांड में बेरहम बल से धंस रहा था। फखरुल की प्रभुता, उसकी कच्ची, पशुवत शक्ति का दृश्य, उसके शरीर में गर्मी की लहरें भेज रहा था, उसकी भगनासा जरूरत से धड़क रही थी। उसने अपने होंठ काटे, एक कराह को दबाते हुए, उसकी उंगलियाँ उसकी नाइटी के नीचे सरक गईं, उसकी गीली चूत को छूते हुए, स्पर्श से उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई।

फखरुल के धक्के तेज हो गए, उसकी सांसें रुकी हुई, उसके पेशियों में तनाव बढ़ रहा था क्योंकि वह अपने चरम के करीब था। “राकेश, तू कमीना,” वह गुर्राया, उसकी आवाज वासना और गुस्से से गहरी। “मेरे माल को महसूस कर, हरामी!” एक प्राकृतिक दहाड़ के साथ, उसने अपने लंड को गहराई तक दबाया, उसका गर्म, गाढ़ा वीर्य राकेश की गांड में भर गया, फर्श पर चिपचिपी, सफेद धारियों में टपकता हुआ। राकेश ढह गया, सिसकते हुए, उसका शरीर कांप रहा था, उसकी गांड कच्ची और फखरुल के माल से टपक रही थी। फखरुल ने बाहर खींचा, उसका लंड अभी भी सख्त, वीर्य और पसीने से चमक रहा था, और उसने राकेश के चेहरे पर चटखाया। “ये तेरी सजा है,” उसने थूका। “बाहर निकल, और अगर तू फिर कभी मेरी मितु के पास आया, तो मैं तुझे तब तक चोदूंगा जब तक तू चल न सके।”

राकेश अपने पैरों पर लडख़ड़ाया, अपनी पैंट ऊपर खींचते हुए, उसका चेहरा आँसुओं से भरा हुआ था। वह घर से बाहर लडख़ड़ाया, टूटा हुआ और अपमानित, फखरुल के शब्दों की गूंज उसके कानों में थी। फखरुल लंबा खड़ा था, उसका सीना उभर रहा था, उसका लंड अभी भी धड़क रहा था, कमरा उसकी प्रभुता की गंध से भारी था। वह दरवाजे की ओर मुड़ा, मितु की मौजूदगी को महसूस करते हुए, और धीरे से पुकारा, “मितु, इधर आ, मेरी राजकुमारी।”

मितु की निषिद्ध इच्छाएँ

मितु अपने कमरे में लौटी, उसका दिमाग डर, शर्म, और गहरी इच्छा का एक तूफान था। फखरुल ने उसे अपने पास बुलाया, कहते हुए, “मितु, अब तू सुरक्षित है।” वह उससे लिपट गई, फुसफुसाते हुए, “बाबा, तू मेरा सब कुछ है।” लेकिन राकेश की सजा, फखरुल के लंड, और वैश्याओं की कराहों की छवियाँ उसके आत्मा में एक निषिद्ध लालसा में मिल गई थीं।

एक गर्म सर्दी की रात, हवा में जैस्मिन और पसीने की गंध भारी थी, मितु अपने बिस्तर पर लेटी थी, उसकी पतली सूती नाइटी उसकी वक्रता से चिपक रही थी। घर शांत था, लेकिन फखरुल के बिस्तर की परिचित चरमराहट ने उसे जगा दिया। वह चुपके से दरवाजे तक गई, उसके नंगे पैर ठंडे फर्श पर बिना आवाज के, और दरार से झाँका। फखरुल दो औरतों के साथ उलझा हुआ था—रीना, उसका मोटा शरीर चमक रहा था, उसकी फटी साड़ी उसकी कमर के चारों ओर एक लाल पोखर की तरह, और काली, उसका पतला शरीर कांप रहा था, उसके लंबे बाल पसीने से चिपके हुए थे। रीना के गोरे स्तन हिल रहे थे जब फखरुल उसके सूजे हुए निप्पलों को चूस रहा था, उसका छह इंच का लंड उसकी टपकती चूत में धंस रहा था। “ओह, फखरुल… तेरा लंड मुझे चीर रहा है!” रीना कराह रही थी, उसकी आवाज वासना से गहरी। काली, उनके बगल में लेटी हुई, अपनी बालों वाली चूत में उंगलियाँ डाल रही थी, उसके काले निप्पल सख्त हो गए थे जब वह फुसफुसाई, “फखरुल, मेरी चूत तुझ पर जल रही है!”

फखरुल ने रीना से बाहर खींचा, उसका लंड उसके रसों से चमक रहा था, और उसे काली के उत्सुक मुँह में दिया। उसने इसे लालच से चूसा, उसकी जीभ सिरे पर घूम रही थी, रीना के स्वाद को चखते हुए। मितु का शरीर कांप रहा था, उसकी चूत उसकी पैंटी को भिगो रही थी जब उसने देखा कि फखरुल ने अपनी जीभ काली की चूत में दबा दी, उसकी भगनासा को चूसते हुए, उसके कस्तूरी रस को पीते हुए। काली चीखी, “मेरी चूत खा, फखरुल! मुझे सुखा दे!” रीना ने उसकी गेंदों को चाटा, उसकी जीभ उसकी पसीने से भरी त्वचा पर फिसल रही थी, उसकी उंगलियाँ उसकी टाइट गांड को छेड़ रही थीं। फखरुल ने दहाड़ा, “रीना, काली, मेरा माल आ रहा है!” उसने रीना के चेहरे पर अपना गर्म वीर्य छिड़क दिया, गाढ़ी धारियाँ उसके ठुड्डी से टपक रही थीं, और काली के उभरते स्तनों पर। रीना हंसी, अपने होंठों पर वीर्य को मलते हुए, “तेरा माल तो जन्नत है, फखरुल!” काली ने कराहते हुए इसे अपनी त्वचा में मला, “तू हमारा रजा है!”

मितु अपने कमरे में भाग गई, उसका शरीर आग की तरह जल रहा था, उसकी चूत एक बेताब जरूरत से धड़क रही थी। उसने अपनी नाइटी फाड़ दी, उसकी गोरी त्वचा चांदनी में चमक रही थी, उसके निप्पल सख्त और दर्द कर रहे थे। उसकी उंगलियाँ उसकी जांघों के बीच सरक गईं, उसकी गीली भगनासा को रगड़ते हुए, उसके रस उसके हाथ को भिगो रहे थे जब वह धीरे से कराह रही थी, “बाबा… ओह, बाबा…” उसका पहला ऑर्गेज्म उसके शरीर में दौड़ गया, उसका शरीर कांप रहा था, उसकी चूत उमड़ रही थी, लेकिन राहत क्षणिक थी, भूख और मजबूत हो रही थी।

मितु और फखरुल की निषिद्ध नजदीकी

उलझन और अपनी इच्छाओं से ग्रस्त, मितु ने फखरुल में सांत्वना खोजी। एक शाम, जब शहर बाहर गुनगुना रहा था, वह उसकी गोद में सिमट गई, उसका सिर उसके चौड़े सीने पर टिका, उसकी त्वचा की कस्तूरी गंध उसे नशे में डुबो रही थी। “बाबा,” उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज कांप रही थी, “जब मैं तुझ के साथ होती हूँ, मेरा शरीर इतना गर्म हो जाता है। मेरे साथ क्या हो रहा है?” फखरुल, अपनी राजकुमारी के साथ हमेशा खुला, उसके बालों को सहलाया, उसकी आवाज गहरी और गर्म। “मितु, ये तेरे शरीर की इच्छा है, एक प्राकृतिक आग। पुरुष और औरतों में ये होता है—स्पर्श की भूख, चूत में लंड की, रिहाई की।” वह रुका, उसकी आँखें गहरी हो गईं। “मैं अपनी भूख वैश्याओं से शांत करता हूँ, लेकिन तू, मेरी प्यारी लड़की, मेरा सब कुछ है।”

मितु की आँखें मासूमियत और वासना के मिश्रण से चमक उठीं। “बाबा, उन्हें घर मत ला। मुझे तुझ से प्यार करने दे… मुझे तेरा सब कुछ बनने दे।” उसके शब्दों ने फखरुल के संयम को तोड़ दिया, एक बांध उसके भीतर फट गया। उसने उसके गालों, उसके माथे, फिर उसके होंठों पर चुंबन लिया, उसकी जीभ उसके मुँह में सरक गई, उसकी मिठास को चखते हुए। मितु कराह उठी, उसका शरीर प्रज्वलित हो गया, उसकी चूत टपक रही थी जब उसके हाथ उसके ड्रेस पर सरक गए, उसके दृढ़ स्तनों को पकड़ते हुए, उसके निप्पल उसके अंगूठों के नीचे सख्त हो गए। “ओह, बाबा…” उसने हांफते हुए कहा, उसकी आवाज जरूरत से भारी।

फखरुल ने उसकी ड्रेस उठाई, उसके कांपते गोरे शरीर को उजागर करते हुए, उसकी पैंटी उसके रसों से गीली थी। उसने उसके पेट पर चुंबन लिया, उसकी जीभ नमकीन पसीने को चाट रही थी, फिर उसकी पैंटी नीचे खींच दी, उसकी बालों वाली, टपकती चूत को उजागर करते हुए। उसकी जीभ उसमें धंसी, उसकी भगनासा को चूसते हुए, उसके मीठे, कस्तूरी रस को पीते हुए। मितु चीखी, “बाबा, मेरी चूत फट रही है! और चूस!” उसका शरीर कांप रहा था, उसके रस उसके मुँह में उमड़ रहे थे जब उसका पहला ऑर्गेज्म उसके साथ हिल गया, उसकी कराहें कमरे में गूंज रही थीं।

मितु उठ बैठी, उसकी आँखें वासना से चमक रही थीं। उसने फखरुल की लुंगी खींच दी, उसके सख्त, नसों से भरे लंड को उजागर करते हुए, उसका गुलाबी सिरा प्री-कम से चमक रहा था। उसने इसे छुआ, उसकी जीभ सिरे पर फड़फड़ाई, उसके नमकीन स्वाद को चखते हुए। फखरुल कराहा, “मितु, मेरा लंड चूस… मेरा माल पी!” उसने उसे अपने मुँह में लिया, उसकी जीभ नसों पर घूम रही थी, लालच से चूसते हुए। उसने उसकी गेंदों को चाटा, उनके कस्तूरी गंध का स्वाद लेते हुए। फखरुल ने उसके बालों को पकड़ा, धीरे से धक्का मारा, उसका लंड उसके गले को छू रहा था। मितु उबकाई, लेकिन चूसती रही, उसके होंठ लार और प्री-कम से चिकने। फखरुल ने दहाड़ा, “मितु, मेरा माल!” उसका गर्म वीर्य उसके मुँह में उमड़ गया, उसके होंठों पर बह गया। उसने लालच से निगला, उसके होंठ चमक रहे थे।

वे ढह गए, उनके पसीने से भरे शरीर उलझ गए। मितु ने अपना चेहरा उसके सीने में दबाया, फुसफुसाते हुए, “बाबा, तू मेरा सब कुछ है।” फखरुल ने उसके बालों को सहलाया, बुदबुदाते हुए, “मितु, तू मेरी जिंदगी की खुशी है।”
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#15
मितु और फखरुल की गहरी नजदीकी

उनकी निषिद्ध नजदीकी गहरी हो गई। महीनों तक, फखरुल ने मितु की टाइट चूत को खाया, उसके निप्पलों को काटा, और उसकी गांड को चाटा, उसे परमानंद तक ले गया। मितु ने उसके लंड को चूसा, उसकी गेंदों को चाटा, और उसके शरीर को चूमा, उनकी कराहें घर को भर रही थीं, उनका पसीना और रस चादरों को भिगो रहे थे। मितु फुसफुसाई, “बाबा, तेरा लंड मेरे मुँह का जन्नत है! मेरी चूत तेरी जीभ के लिए बनी है!” फखरुल गुर्राया, “मितु, तेरी चूत का रस मेरी लत है! मैं तेरे शरीर को तब तक चोदूंगा जब तक मैं पागल न हो जाऊँ!”

एक उमस भरी गर्मी की रात, खिड़कियाँ खुली थीं, और दूर से कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी, कमरा गर्मी और वासना से भारी था। मितु एक पतली सफेद कॉलेज ड्रेस में लेटी थी, पसीने से भीगी, जो उसकी वक्रता से चिपक रही थी। उसके सख्त निप्पल और पतली कमर दिखाई दे रहे थे, उसका शरीर इच्छा से चमक रहा था। फखरुल अंदर आया, उसका पेशीय शरीर चमक रहा था, उसकी आँखें भूख से जल रही थीं। वह उसके बगल में बैठ गया, उसका हाथ उसकी पसीने से भरी जांघ पर ट्रेस कर रहा था, उसकी उंगलियाँ उसकी त्वचा में बिजली पैदा कर रही थीं। “मितु, तू मेरा सब कुछ है। मैं तेरे बिना जी नहीं सकता,” उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज वासना से भारी।

मितु उठ बैठी, उसकी ड्रेस के बटन खुले, उसके गोरे स्तन चमक रहे थे। उसने फुसफुसाया, “बाबा, जब तू पास होता है, मेरा शरीर जल उठता है।” फखरुल की उंगलियाँ उसके निप्पलों को छू गईं, जिससे उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई। वह कराह उठी, “ओह, बाबा… तेरे हाथ मुझे आग लगा रहे हैं!” उसने उसकी ड्रेस के बटन खोले, उसके गोरे शरीर को उजागर करते हुए, उसके स्तन दृढ़, उसके निप्पल सूजे हुए। उसके होंठ उसकी गर्दन पर घूमे, उसकी पसीने से भरी त्वचा को चूसते हुए, फिर उसके स्तनों पर, उसके निप्पलों को धीरे से काटते हुए। मितु कांप उठी, “बाबा, मेरे चूचे चूस… मेरा शरीर तुझ पर पागल है!” उसकी जीभ उसकी नाभि के चारों ओर घूमी, उसके नमकीन पसीने का स्वाद लेते हुए, जब वह गिड़गिड़ाई, “मेरे पेट को चाट… मैं जल रही हूँ!”

फखरुल ने उसकी टांगें फैलाईं, उसकी बालों वाली चूत पसीने और रसों से टपक रही थी। उसकी जीभ उसमें धंसी, उसकी भगनासा को चूसते हुए, उसके स्वाद को पीते हुए। मितु चीखी, “ओह, बाबा… मेरी चूत फट रही है! और चूस!” उसका शरीर कांप रहा था, उसके रस चादरों को भिगो रहे थे। फखरुल ने उसकी टाइट गांड को चाटा, उसकी कस्तूरी गंध उसे पागल कर रही थी। मितु चीखी, “बाबा, मेरी गांड खा… तू मुझे मार रहा है!”

मितु ने उसकी लुंगी फाड़ दी, उसका लंड सख्त और चमक रहा था। उसने सिरे को चाटा, उसके प्री-कम का स्वाद लेते हुए, फिर उसे गहरे तक लिया, उसकी जीभ नसों पर घूम रही थी। फखरुल कराहा, “मितु, तू मेरे लंड की रानी है!” उसने उसकी गेंदों को चूसा, उसकी जीभ उनकी पसीने से भरी त्वचा पर फिसल रही थी। वह उसके मुँह में धक्का मार रहा था, उसके होंठ लार और प्री-कम से चिकने। फखरुल ने दहाड़ा, “मितु, मेरा माल!” उसका वीर्य उसके मुँह में उमड़ गया, उसकी ठुड्डी से टपक रहा था। उसने कराहते हुए निगला, “बाबा, तेरा माल इतना गर्म है!”

फखरुल ने उसे लिटाया, अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा, उनके रस मिल रहे थे। मितु ने फुसफुसाया, “बाबा, मेरी चूत चोद… मैं तैयार हूँ!” राकेश के दर्द को याद करते हुए डर के बावजूद, उसने फखरुल पर भरोसा किया। वह धीरे से अंदर गया, उसकी टाइट चूत उसे जकड़ रही थी। वह कराह उठी, “ओह, बाबा… तेरा लंड जन्नत है!” उसने और जोर से धक्का मारा, उसकी गेंदें उसकी गांड पर चटख रही थीं, उसकी चूत उसे निगल रही थी। उसने उसके निप्पलों को चुटकी में लिया, उसकी त्वचा पर हल्के निशान छोड़ते हुए। मितु चीखी, “बाबा, मेरी चूत को फाड़ दे!” उसने अपने लंड को उसकी गांड पर रगड़ा, उसके छेद को चाटकर उसे आसान बनाया। “मितु, मैं तुझे अच्छा महसूस करवाऊंगा,” उसने फुसफुसाया, उसकी टाइट गांड में सरकते हुए। वह चीखी, “ओह, बाबा… मेरी गांड फट रही है, लेकिन इतना अच्छा लग रहा है!” उसने उसे चोदा, उसका माल उसकी गांड में भर गया, चादरों पर टपक रहा था। मितु कराह उठी, “बाबा, मेरी गांड में तेरा माल… मैं पागल हो रही हूँ!”

वे ढह गए, उनके पसीने से भरे शरीर उलझ गए। मितु ने फुसफुसाया, “बाबा, तू मेरा सब कुछ है।” फखरुल ने उसके बालों को सहलाया, “मितु, तू मेरी जिंदगी की खुशी है।”

मितु की गहरी भूख और डार्क एली

मितु की जिंदगी, जो कभी फखरुल के प्यार से बुनी हुई मासूमियत की चादर थी, अब निषिद्ध इच्छा की एक गहरी, धड़कती जाल में उलझ गई थी। बाईस साल की उम्र में, उसकी गोरी त्वचा शांत नदी पर चांदनी की तरह चमकती थी, उसके रेशमी काले बाल चमकदार लहरों में लहराते थे, और उसकी पतली कमर गोल कूल्हों में घूमती थी जो एक सम्मोहक आकर्षण के साथ हिलते थे। उसकी बड़ी, हिरनी जैसी आँखें, जो कभी मासूम थीं, अब एक सुलगती भूख से जल रही थीं, उसकी शर्मीली मुस्कान एक मोहक वादा थी जिसे उसने अपने पिता के बेडरूम की छायाओं में सीखा था। फखरुल, एक रूखा कपड़ा व्यापारी जिसके पेशीय शरीर और रूखे हाथ थे, अब सिर्फ उसका रक्षक नहीं था—वह उसका प्रेमी था, उसका जुनून, उसकी आत्मा और शरीर को भस्म करने वाली प्राकृतिक आग का स्रोत।

उनकी रातें पाप का एक संगीत थीं, छोटा-सा घर पसीने, वीर्य, और जैस्मिन की कस्तूरी गंध से भरा था, उनकी कराहों से हवा भारी थी। फखरुल का छह इंच का लंड, नसों से भरा और धड़कता हुआ, मितु का जन्नत था, इसकी गर्मी और मोटाई उसे परमानंद तक ले जाती थी। वह अपने होंठों से इसकी पूजा करती, उसकी जीभ चमकते सिरे पर घूमती, नमकीन प्री-कम का स्वाद लेती, जब वह उसे गहरे तक चूसती, उसका गला उसे लेने के लिए फैलता। “बाबा, तेरा लंड मेरा जन्नत है,” वह कराहती, उसकी चूत टपकती जब वह उसकी पसीने से भरी गेंदों को चाटती, उनकी कस्तूरी गंध उसे नशे में डुबो देती। फखरुल, उसमें खोया हुआ, उसकी टाइट, बालों वाली चूत को खा जाता, उसकी जीभ उसके गीले गहराइयों में धंसती, उसके मीठे, कस्तूरी रस को पीता जब तक वह चीखती, “बाबा, मेरी चूत खा! मुझे झड़ने दे!” उसके ऑर्गेज्म उसके मुँह में उमड़ते, उसका शरीर कांपता जब वह उसकी टाइट गांड को चाटता, निषिद्ध सुख उसे पागलपन की कगार पर ले जाता।

लेकिन जैसे-जैसे मितु का शरीर परिपक्व हुआ, उसकी इच्छाएँ और जंगली हो गईं, एक भूखा जानवर जिसे अकेले फखरुल अब संतुष्ट नहीं कर सकता था। उसकी चूत एक निरंतर जरूरत से धड़क रही थी, उसका दिमाग अन्य पुरुषों की कल्पनाओं से ग्रस्त था—उनके सख्त लंड, उनके पसीने से भरे शरीर, उनके रूखे हाथ उसे दावा करते हुए। एक उमस भरी शाम, जब शहर बाहर गुनगुना रहा था और हवा में मॉनसून की बारिश की गंध थी, मितु फखरुल की गोद में सिमट गई, उसका सिर उसके चौड़े सीने पर टिका, उसकी कस्तूरी गंध उसे लपेट रही थी। उसकी पतली नाइटी उसकी वक्रता से चिपक रही थी, उसके सख्त निप्पल कपड़े के खिलाफ दब रहे थे, उसकी चूत पहले से ही प्रत्याशा से गीली थी। “बाबा,” उसने फुसफुसाया, उसकी आवाज वासना से कांप रही थी, “मैं तुझ से सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ, लेकिन मेरा शरीर पागल हो गया है। मेरी चूत नए लंडों, नए धक्कों, नए स्वादों के लिए चीख रही है। मैं दूसरों के लंड चूसना चाहती हूँ, उनके माल को अपने मुँह में महसूस करना चाहती हूँ, उनके हाथ मुझे चीरते हुए। मेरा शरीर जल रहा है, बाबा, और मैं इसे रोक नहीं सकती!”

फखरुल का दिल सिकुड़ गया, प्यार और एक स्वामित्व भरी ईर्ष्या के बीच फंस गया जिसने उसके लंड को हिलने पर मजबूर कर दिया। मितु उसकी राजकुमारी थी, उसका सब कुछ, लेकिन उसकी आँखें—कच्ची, बेलगाम वासना से चमकती हुई—ने उसे बताया कि उसकी भूख उसके नियंत्रण से परे थी। उसने उसके चेहरे को पकड़ा, उसकी रूखी उंगलियाँ उसके नरम गालों को ट्रेस करती हुईं, और उसके माथे पर चुंबन लिया, उसके होंठ उसकी गर्म त्वचा पर रुके। “मितु, मेरी प्यारी लड़की,” उसने बुदबुदाया, उसकी आवाज भावनाओं और इच्छा से भारी, “वही कर जो तेरा शरीर चाहता है। मैं इसे होने दूंगा, लेकिन तू सावधान रहेगी, ना?” मितु ने सहमति में सिर हिलाया, उसके होंठ एक मोहक मुस्कान में खुले, उसका शरीर और करीब आया, उसके स्तन उसके सीने को छू रहे थे, एक चिंगारी पैदा करते हुए जिसने उसके लंड को उसकी लुंगी के नीचे सख्त कर दिया।
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#16
शिउली का मार्गदर्शन और मितु की नई शुरुआत

फखरुल जानता था कि मितु की इच्छाओं को एक मार्गदर्शक की जरूरत थी, कोई ऐसा जो सुख की अंधेरी गलियों को नेविगेट कर सके और उसे प्रलोभन की कला सिखा सके। उसने शिउली को चुना, एक अनुभवी वैश्या जिसकी शहर के अंधेरे हिस्सों में ख्याति थी। शिउली कच्ची कामुकता की एक मूर्ति थी—उसकी सांवली त्वचा पसीने से चमकती थी, उसके भारी स्तन हर कदम के साथ हिलते थे, और उसकी टाइट, गोल गांड पुरुषों को पागल कर देती थी। उसकी कोहल से सजी आँखें एक शरारती वादे से चमकती थीं, उसके पूरे होंठ एक ऐसी मुस्कान में मुड़े थे जो सबसे मजबूत इच्छाओं को भी खोल सकती थी। फखरुल खुद उसे चाहता था, उसका लंड उसकी टाइट चूत के लिए तरस रहा था, लेकिन उसने उसे मितु के लिए सही गुरु के रूप में देखा—एक ऐसी औरत जो उसकी बेटी को उसकी इच्छाओं को नियंत्रित करना और उन पुरुषों को जीतना सिखा सकती थी जो उसके पैरों में गिर पड़ेंगे।

एक उमस भरी रात, हवा अगरबत्ती और वासना की गंध से भारी थी, फखरुल ने एक दृश्य की रचना की जो मितु के पतन को चिह्नित करेगा। उनके छोटे, मंद रोशनी वाले घर में, उसने मितु को एक लकड़ी की कुर्सी से बांध दिया, मोटी रस्सियाँ उसकी नरम कलाइयों और टखनों में काट रही थीं, उसका गोरा शरीर प्रत्याशा से कांप रहा था। उसकी पतली सफेद ड्रेस, पसीने से भीगी, उसकी वक्रता से चिपक रही थी, उसके दृढ़ स्तन उभर रहे थे, उसके सख्त निप्पल कपड़े के खिलाफ तन रहे थे, उसकी बालों वाली चूत उसकी पैंटी के माध्यम से टपक रही थी, कुर्सी पर एक गीला दाग छोड़ रही थी। उसकी आँखें, चौड़ी और जलती हुई, फखरुल का पीछा कर रही थीं जब वह बिस्तर की ओर बढ़ा, जहाँ शिउली लेटी थी, गंदी प्रलोभन की एक मूर्ति।

शिउली का काला ब्लाउज खुला हुआ था, उसके भारी स्तन बाहर निकल रहे थे, उसके काले निप्पल सख्त और पसीने से चमक रहे थे। उसकी फटी साड़ी उसकी कमर के चारों ओर लिपटी थी, उसकी मोटी जांघें चौड़ी फैली थीं, उसकी बालों वाली चूत रसों से गीली थी, उसकी कस्तूरी गंध कमरे को भर रही थी। फखरुल की आँखें वासना से गहरी हो गईं जब वह उसके पास पहुंचा, उसकी लुंगी फर्श पर गिर गई, उसके छह इंच के लंड को उजागर करते हुए, नसों से भरा और धड़कता हुआ, सिरा प्री-कम से चमक रहा था। वह शिउली की जांघों के बीच घुटनों पर बैठ गया, उसके हाथ उसकी जांघों को पकड़ रहे थे, उसकी उंगलियाँ उसकी पसीने से भरी त्वचा में धंस रही थीं। “शिउली, तेरी चूत मेरे लिए चीख रही है,” वह गुर्राया, अपने लंड को उसकी गीली चूत पर रगड़ते हुए, उनके रस एक फिसलन भरे, गंदे नृत्य में मिल रहे थे।

शिउली कराह उठी, उसकी आवाज गहरी और बेताब, “फखरुल, मेरी चूत तेरे लंड के लिए पागल है! मुझे गहराई तक चोद!” एक बर्बर धक्के के साथ, फखरुल ने अपने लंड को उसकी टाइट चूत में दबा दिया, उनके शरीरों की गीली चटखन कमरे में गूंज रही थी। शिउली के भारी स्तन उछल रहे थे, उसके निप्पल सख्त हो गए जब वह उसे चोद रहा था, उसकी गेंदें उसकी गांड पर हर क्रूर धक्के के साथ चटख रही थीं। “ओह, फखरुल… तू मेरी चूत को चीर रहा है!” वह चीखी, उसकी उंगलियाँ चादरों को नोच रही थीं, उसका शरीर सुख से कांप रहा था। फखरुल ने उसके कूल्हों को पकड़ा, उसके धक्के बेरहम थे, उसका लंड गहराई तक धंस रहा था, उसकी चूत उसे एक वाइस की तरह जकड़ रही थी। “तेरी चूत मुझे निगल रही है, शिउली!” उसने दहाड़ा, उसका पसीना उसके उभरते स्तनों पर टपक रहा था।

मितु, कुर्सी से बंधी हुई, इस गंदे तमाशे को देख रही थी, उसका शरीर इच्छा का एक भट्ठा था। उसकी चूत धड़क रही थी, उसके रस उसकी पैंटी को भिगो रहे थे, उसकी जांघों से नीचे टपक रहे थे। उसकी गोरी त्वचा गुलाबी हो गई थी, उसके निप्पल दर्द कर रहे थे, उसकी सांसें रुकी हुई थीं जब वह रस्सियों के खिलाफ तड़प रही थी। “बाबा, तू शिउली को ऐसे चोद रहा है!” वह चीखी, उसकी आवाज वासना और बेताबी से भारी। “मेरी चूत जल रही है! मुझे चोद, बाबा, या किसी और को ला जो मुझे चीरे!” उसके शब्दों ने फखरुल के शरीर में एक झटका भेजा, उसका लंड शिउली के अंदर हिल गया, उसकी उत्तेजना उसकी बेटी की कच्ची जरूरत से और बढ़ गई।

फखरुल ने शिउली से बाहर खींचा, उसका लंड उसके रसों से चमक रहा था, और मितु की ओर बढ़ा, उसकी आँखें जल रही थीं। वह उसके सामने घुटनों पर बैठ गया, उसके होंठ उसके होंठों से टकराए, उसकी जीभ उसके मुँह में धंस गई, उसकी मीठी सांस को चखते हुए। मितु कराह उठी, उसकी जीभ उसकी जीभ से कुश्ती कर रही थी, उसका शरीर रस्सियों के खिलाफ तन रहा था। उसके हाथ उसके शरीर पर घूमे, उसके ड्रेस के माध्यम से उसके दृढ़ स्तनों को निचोड़ते हुए, उसके सख्त निप्पलों को चुटकी में लेते हुए जब तक वह हांफ नहीं उठी, “ओह, बाबा… मेरे चूचे चूस! मेरी चूत खा!” उसने उसकी ड्रेस फाड़ दी, उसके गोरे स्तन बाहर निकल आए, मंद रोशनी में चमक रहे थे, उसके निप्पल सूजे हुए और उसके मुँह की भीख मांग रहे थे। उसने उन्हें जोर से चूसा, उसके दांत संवेदनशील कली को चर रहे थे, जिससे उसके शरीर में सिहरन दौड़ गई। मितु की कराहें कमरे को भर रही थीं, उसकी चूत उमड़ रही थी, उसका शरीर जरूरत से कांप रहा था।

लेकिन फखरुल शिउली के पास लौट गया, उसका लंड अभी भी सख्त, उसके रसों से चिकना। उसने उसे पेट के बल पलटा, उसकी टाइट गांड ऊपर उठी, उसका सिकुड़ा हुआ छेद पसीने और प्री-कम से चमक रहा था। उसने अपनी उंगलियों पर थूका, उसकी गांड को रगड़ा, फिर अपने लंड को गहराई तक धकेल दिया, उसे क्रूर बल से फैलाते हुए। शिउली चीखी, “फखरुल, मेरी गांड को फाड़ दे! मुझे कच्चा चोद!” उसका शरीर कांप रहा था, उसके भारी स्तन बिस्तर में दबे हुए थे, उसकी कराहें गूंज रही थीं जब फखरुल उसे चोद रहा था, उसकी गेंदें उसकी गांड पर चटख रही थीं, गंदी ताल मितु को पागल कर रही थी। “बाबा, तू उसकी गांड चोद रहा है!” मितु चीखी, उसकी चूत टपक रही थी, उसका शरीर तड़प रहा था। “मेरी चूत आग पर है! मुझे तुझ की जरूरत है!”

फखरुल के धक्के उन्मत्त हो गए, उसकी सांसें रुकी हुई, उसका लंड धड़क रहा था क्योंकि वह अपने चरम के करीब था। “शिउली, मेरा माल आ रहा है!” उसने दहाड़ा, बाहर खींचकर और उसकी गांड और पीठ पर अपना गर्म, गाढ़ा वीर्य छिड़क दिया, सफेद धारियाँ उसकी सांवली त्वचा पर चमक रही थीं। शिउली कराह उठी, वीर्य को अपनी त्वचा में मलते हुए, “फखरुल, तेरा माल तो जन्नत है!” फखरुल मितु की ओर मुड़ा, उसका लंड अभी भी सख्त, वीर्य और पसीने से टपक रहा था। उसने उसकी रस्सियाँ खोल दीं, उसका शरीर कांप रहा था जब वह उसकी बाहों में कूद पड़ी, उसके होंठ उसके होंठों से टकराए, उसकी जीभ उसके मुँह में धंस गई। उसने उसकी लुंगी फाड़ दी, उसके लंड को पकड़ा, वीर्य से भरे सिरे को चाटा, शिउली के रसों और उसके स्वाद को चखते हुए। “बाबा, तेरा माल मेरा नशा है!” वह कराह उठी, उसे गहरे तक चूसते हुए, उसके होंठ लार और वीर्य से चिकने।

शिउली, जो अभी भी फखरुल के हमले से कांप रही थी, ने मितु को बिस्तर पर खींच लिया, उसकी कोहल से सजी आँखें शरारती इरादे से चमक रही थीं। “मितु, तू एक कमाल की देवी है,” उसने गुनगुनाया, उसके हाथ मितु के गोरे शरीर पर घूम रहे थे, उसके दृढ़ स्तनों को निचोड़ते हुए, उसके सूजे हुए निप्पलों को चुटकी में लेते हुए। मितु कराह उठी, “शिउली, मेरे चूचे चूस… मुझे झड़ने दे!” शिउली के होंठ मितु के निप्पल के चारों ओर बंद हो गए, उसकी जीभ घूम रही थी, उसके दांत चर रहे थे, जिससे मितु के शरीर में सुख की झटके दौड़ गए। उसके हाथ नीचे सरक गए, मितु की गांड को पकड़ते हुए, उसकी उंगलियाँ उसके टाइट, सिकुड़े हुए छेद को छेड़ रही थीं, जो पसीने और रसों से गीला था।

शिउली ने मितु की टांगें फैलाईं, उसकी बालों वाली चूत चमक रही थी, उसकी कस्तूरी गंध नशीली थी। उसने अपना चेहरा मितु की जांघों के बीच दबा दिया, उसकी जीभ उसकी गीली चूत में धंस गई, उसकी भगनासा को चूसते हुए, उसके मीठे, नमकीन रसों को पीते हुए। मितु चीखी, “शिउली, मेरी चूत खा! अपनी जीभ से मुझे चोद!” शिउली की उंगलियाँ मितु की चूत में सरक गईं, फिर उसकी गांड में, उसे धीमे, जानबूझकर ताल में चोदते हुए, उसकी जीभ मितु की भगनासा के चारों ओर घूम रही थी। मितु का शरीर कांप रहा था, उसका ऑर्गेज्म उसके शरीर में दौड़ गया, उसके रस शिउली के मुँह में उमड़ रहे थे, उसकी ठुड्डी से टपक रहे थे। “ओह, शिउली… मेरी चूत तेरी है!” मितु चीखी, उसका शरीर कांप रहा था, उसकी गोरी त्वचा सुख से गुलाबी हो गई थी।

मितु, वासना से ग्रस्त, ने शिउली को करीब खींच लिया, उसके होंठ उसके होंठों से टकराए, शिउली की जीभ पर अपने रसों का स्वाद लेते हुए। उसके हाथ शिउली के शरीर पर घूमे, उसके भारी स्तनों को निचोड़ते हुए, उसके सख्त निप्पलों को चुटकी में लेते हुए। वह नीचे सरक गई, उसकी जीभ शिउली के पसीने से भरे पेट को ट्रेस कर रही थी, फिर उसकी बालों वाली चूत में धंस गई, जो फखरुल के वीर्य और उसके अपने रसों से गीली थी। मितु ने लालच से चूसा, उसकी जीभ शिउली की भगनासा पर घूम रही थी, कस्तूरी स्वाद को पीते हुए। शिउली कराह उठी, “मितु, मेरी चूत खा! मुझे झड़ने दे!” मितु की उंगलियाँ शिउली की गांड में सरक गईं, उसे चोदते हुए जब वह चूस रही थी, उसकी जीभ गहरे तक धंस रही थी। शिउली का शरीर कांप रहा था, उसका ऑर्गेज्म मितु के मुँह में उमड़ रहा था, उसके रस मितु की गोरी ठुड्डी से टपक रहे थे।

फखरुल, जो अभी भी कुर्सी से बंधा हुआ था, दहाड़ा, “मितु, शिउली, मेरा लंड जल रहा है!” उसका लंड पत्थर की तरह सख्त था, प्री-कम फर्श पर टपक रहा था, उसकी आँखें वासना से जंगली थीं। मितु ने उसे खोल दिया, उसकी मुस्कान शरारती थी, उसका शरीर अभी भी इच्छा से कांप रहा था। फखरुल ने शिउली पर झपट्टा मारा, उसे पीठ के बल पलट दिया, उसकी टांगें चौड़ी फैली हुई थीं। उसने अपने लंड को उसकी चूत में दबा दिया, जोर से धक्का मारते हुए, उसकी गेंदें उसकी गांड पर चटख रही थीं। शिउली कराह उठी, “फखरुल, मेरी चूत को कच्चा चोद!” मितु उनके बगल में घुटनों पर बैठ गई, उसकी जीभ शिउली की भगनासा पर फड़फड़ाई, फखरुल के लंड का स्वाद लेते हुए जो अंदर-बाहर धंस रहा था। मितु की उंगलियाँ शिउली की गांड को छेड़ रही थीं, फिर उसकी अपनी चूत में सरक गईं, खुद को चोदते हुए जब वह देख रही थी।

कमरा कराहों की एक कोलाहल था, हवा पसीने, वीर्य, और चूत की गंध से भारी थी। मितु का ऑर्गेज्म पहले आया, उसके रस उसके हाथ पर उमड़ रहे थे, उसकी चीखें गूंज रही थीं, “बाबा, शिउली, मैं झड़ रही हूँ!” शिउली की चूत फखरुल के लंड के चारों ओर सिकुड़ गई, उसका ऑर्गेज्म उसके लंड को भिगो रहा था, उसकी कराहें कच्ची और बेताब थीं। फखरुल ने दहाड़ा, “शिउली, मेरा माल!” उसका गर्म वीर्य उसकी चूत में भर गया, बिस्तर पर टपक रहा था, उसके रसों के साथ मिल रहा था। मितु झुकी, शिउली की चूत से वीर्य चाट रही थी, उसकी जीभ फखरुल के लंड पर घूम रही थी, गंदे मिश्रण का स्वाद लेते हुए।

हांफते और पसीने से तरबतर, फखरुल शिउली और मितु के बगल में ढह गया, उनके शरीर वासना का एक उलझा हुआ ढेर थे। उसने शिउली की ओर देखा, उसकी आवाज कर्कश थी, “शिउली, आज रात मितु को गली में ले जा। उसकी जलती चूत को ठंडा कर। उसे रानी की तरह चोदना सिखा।” शिउली मुस्कराई, उसके होंठ अभी भी मितु के रसों से चमक रहे थे, उसके भारी स्तन उभर रहे थे। “मितु, तू मेरे साथ आ रही है,” उसने गुनगुनाया, अपना ब्लाउज पहनते हुए, उसके निप्पल अभी भी सख्त थे, उसका शरीर गर्मी बिखेर रहा था। “मैं तुझे सिखाऊंगी कि लंड कैसे चूसते हैं, धक्के कैसे लेते हैं, और पुरुषों को अपनी चूत के लिए गिड़गिड़ाने कैसे मजबूर करते हैं।”

मितु की गली की रानी बनने की यात्रा

मितु का शरीर प्रत्याशा से कांप रहा था, उसकी चूत अभी भी धड़क रही थी, उसकी गोरी त्वचा इच्छा से गुलाबी थी। वह शिउली के पीछे अंधेरी गली में गई, शहर का अंधेरा हिस्सा निषिद्ध सुख की गुनगुनाहट से जीवंत था। हवा सस्ते इत्र, पसीने, और कच्ची वासना की गंध से भारी थी, संकरी गलियाँ टिमटिमाते नीयन साइन से रोशन थीं। मितु का गोरा शरीर मंद रोशनी में चमक रहा था, उसके दृढ़ स्तन ऊँचे, उसके कूल्हे हिल रहे थे, उसकी चूत टाइट और प्रत्याशा से टपक रही थी। शिउली ने उसे प्रलोभन की कला सिखाई—कैसे एक पुरुष की आँखों में आँखें डालकर, अपनी नजर को वादे से सुलगाना; कैसे अपने कूल्हों को हिलाना, उसकी ड्रेस को उसकी वक्रता से चिपकाना; कैसे अपने होंठों को इतना खोलना कि पुरुषों को उनके लंड के चारों ओर लिपटे होने की कल्पना करने पर मजबूर कर दे।

मितु ने शिउली के पीछे अंधेरी गली में कदम रखा, उसका गोरा शरीर चमक रहा था, उसके स्तन ऊँचे, उसकी चूत प्रत्याशा से टाइट और टपक रही थी। शिउली ने उसे लुभाने की कला सिखाई—कैसे एक नजर, एक मुस्कान, कूल्हों के हिलने से इच्छा को प्रज्वलित करना। मितु ने जल्दी सीख लिया, उसकी मोहक मुस्कान और नरम वक्रता पुरुषों को नियंत्रण खोने पर मजबूर कर रही थी।

मितु की मुलाकात राहुल से हुई, एक पेशीय पुरुष जिसकी गहरी आँखें और सात इंच का लंड था, नसों से भरा और धड़कता हुआ, सिरा प्री-कम से चमक रहा था। उसने मुस्कराया, उसकी आवाज एक कामुक गुनगुनाहट थी, “राहुल, तेरा लंड मेरी चूत को गीला कर रहा है।” वह उसके सामने घुटनों पर बैठ गई, उसके गोरे हाथ उसके शाफ्ट को पकड़ रहे थे, उसकी जीभ सिरे पर फड़फड़ाई, उसके नमकीन प्री-कम का स्वाद लेते हुए। उसने उसे गहरे तक चूसा, उसके होंठ फैल रहे थे, उसकी जीभ नसों पर घूम रही थी, उसका हाथ उसकी पसीने से भरी गेंदों को छेड़ रहा था। राहुल कराह उठा, “मितु, तेरा मुँह तो जन्नत है! मुझे सुखा दे!” उसने उसे और गहरे लिया, उसका गला उबक रहा था, उसके होंठ लार और प्री-कम से चिकने। राहुल ने दहाड़ा, “मितु, मेरा माल पी!” उसका गर्म, गाढ़ा वीर्य उसके मुँह में उमड़ गया, उसके होंठों पर बह गया, उसकी ठुड्डी से टपक रहा था। उसने लालच से निगला, कराहते हुए, “राहुल, तेरा माल इतना गर्म है!”

राहुल ने उसे बिस्तर पर धकेल दिया, उसकी टांगें चौड़ी फैली हुई थीं, उसकी चूत टपक रही थी। उसने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा, फिर गहराई तक धकेल दिया, उसकी टाइट चूत को फैलाते हुए। मितु चीखी, “राहुल, तू मेरी चूत को चीर रहा है!” उसने उसे चोदा, उसकी गेंदें उसकी गांड पर चटख रही थीं, उसकी उंगलियाँ उसके सूजे हुए निप्पलों को चुटकी में ले रही थीं। “मेरी चूत को कच्चा चोद!” मितु कराह उठी, उसका शरीर कांप रहा था, उसके रस बिस्तर को भिगो रहे थे। राहुल ने उसे पलट दिया, उसका लंड उसकी टाइट गांड पर रगड़ा, फिर गहराई तक धंस गया। “ओह, राहुल… मेरी गांड फाड़!” वह चीखी, उसका शरीर कांप रहा था जब वह उसे चोद रहा था, उसका वीर्य उसकी गांड में भर गया, चादरों पर टपक रहा था। “तेरा माल मेरी गांड में… मैं पागल हो रही हूँ!” मितु हांफते हुए बोली, उसका शरीर परमानंद से कांप रहा था।

मितु: रात की रानी

मितु गली के अंधेरे आलिंगन में फली-फूली, उसका शरीर वासना का एक मंदिर था, उसकी खूबसूरती एक हथियार थी जो पुरुषों को उनके घुटनों पर ले आती थी। वह दिनों तक गायब रहती, उसकी चूत और गांड अनगिनत लंडों द्वारा दावेदार होती, उसका मुँह उनके वीर्य से भर जाता, उसका शरीर एक के बाद एक ऑर्गेज्म से कांपता। लेकिन वह हमेशा फखरुल के पास लौटती, उसका असली घर, उसके होंठ उसके लंड के चारों ओर लपेटते, उसकी चूत उसकी जीभ के खिलाफ रगड़ती, उसके परिचित स्पर्श में शांति पाती। “बाबा, तेरा लंड मेरा अभयारण्य है,” वह फुसफुसाती, उसका शरीर उसके खिलाफ दबा हुआ, उनका पसीना मिल रहा था। फखरुल उसके बालों को सहलाता, उसकी आवाज प्यार और वासना से गहरी, “मितु, तू मेरा सब कुछ है।”

रीता और मिली, गली की अन्य वैश्याएँ, मितु के अतीत के बारे में कुछ नहीं जानती थीं, केवल एक रहस्यमयी प्रलोभिका को देखती थीं जो अपनी खूबसूरती और भूख से रात को आग लगा देती थी। मितु ने अपने रहस्यों को बंद रखा, उसका दिल गली के गंदे सुखों और फखरुल के साथ साझा किए गए निषिद्ध प्यार के बीच फटा हुआ था। वह रात की रानी थी, उसका शरीर इच्छा का एक कैनवास, उसकी जिंदगी वासना का एक उत्सव, हमेशा के लिए उस पुरुष से बंधी हुई जिसने उसे जगाया और उस अंधेरे संसार से जो अब उसे दावा करता था।
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#17
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सिर्फ़ एक स्टार! क्या कहानी सचमुच इतनी खराब हो गई है?


क्या यह कहानी आप लोगों के दिल को छू नहीं रही?

न कोई टिप्पणी, न ही प्रतिष्ठा अंक देखकर मन उदास हो रहा है!

अगर किसी को यह कहानी पसंद नहीं, तो इसे आगे बढ़ाने का क्या फ़ायदा?

क्या मुझे यह थ्रेड बंद कर देना चाहिए?

आपके विचारों के लिए धन्यवाद!
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