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Jane anjane mai
#1
Hello दोस्तो मेरा नाम अंिकत  मैं  से हु। मेरी उम्र 18 साल है। हमारा बहुत बड़ा होलसेल िकराना


दुकान है । मेरे पापा बहुत बड़े व्यापारी है और सारा िबजनेस वही सम्हालते है। उनकी उम्र 45 साल है। पापा अक्सर


काम मे ही busy रहते हैं। पापा का शरीर बहुत भरी भरकम है और मोटी तोंद िनकली है।


मेंरी मॉम का नाम नीता  है। उनकी उम्र लगभग 41 है। आप तो जानते ही है की  औरते िदखने में कै सी


होित है। मॉम भी िबलकु ल वैसी ही है।वो एक परफे क्ट milf हाउसवाइफ है।


मॉम िदखने में बेहद ही खूबसूरत और आकषर्क है। रंग बेहद गोरा है।इस उम्र में बहुत आकषर्क लगती है। हमेशा घर


में साड़ी या सलवार कमीज़ पहनती है। मॉडनर् खयालात की वजह से मॉम हमेशा स्लीवलेस ब्लाउज पहनती है।


िजससे उनकी िचकनी armpits िदखती है।मॉम का िजस्म एकदम भरा हुआ है। नाही ही ज्यादा मोटा और नाही पतला एकदम परफे क्ट िफगर है।


साड़ी में अगर कोई उसे देखले तो उसका िहलाए बगैर मन नही मानता। बड़ी आं खे, नरम गाल , रसभरे गुलाबी होंठ


िजनको कोई भी चूसना चाहेगा, चूतड तक आने वाले घने काले बाल,सुरहीदार गदर्न , उसकी िचकनी बाहें।


उसके तने हुए दोनो बड़े बूब्स काफ़ी सख्त है और मुलायम है िजससे झांकती हुई उसकी क्लीवेज सामनेवाले का


ईमान डगमगा देती है।


िचकना सपाट पेट ना ज्यादा चबीर् न काम। उसके बीच में उसकी गहरी गोल navel िजसे वो हमेशा खुली रखती है।


मॉम हमेशा navel के नीचे साड़ी बांधती है िजससे वो काफी कामुक लगती हैं। मांसल िचकनी बलखाती कमर


उसकी मोटी गद्देदार गांड़ जो बाहर को िनकली हुई है। जब वो चलती है तो उसकी गांड़ की दोनो बड़ीफांके ऊपर


नीचे हो कर आपसे में रगड़ खाती है। मॉम हमेशा कमरबंध (कमर में चैन) पहनती थी। िजसपर लगे घुंगरू मॉम के


चलने के वक्त बजते रहते थे।


मेरी मॉम बहुत ही संस्कारी है। वो घर के बाहर ज्यादा नहीं िनकलती है। कभी कभी पापा के ना होने पर दुकान के


काउं टर पर बैठती हैं। मेरे दादा दादी गांव में ही रहते हैं कभी कबार हमारे पास आते है।


मेरी एक बड़ी बहन है श्वेता जो hostel मे रहती है पढ़ाई के िलए। उसकी उम्र 20साल है िदखने में एकदम मॉम


जैसी है।


हमारा घर बहुत बड़ा है तीन मंिजला। नीचे हमारी दुकान है। ऊपर हम रहते है और सबसे ऊपर वाली मंिजल ऐसी ही


खाली पड़ी है वहा कोई नही रहता। नीचे दुकान है और दुकान को लग कर ही पीछे हमारा बहुत बड़ा गोडाउन।


दुकान और पीछे के गोदाम में थोड़ा gap है जहा से ऊपर घर में जाने के िलए सीिढ़यां है। मतलब हमे ऊपर जाने के


िलए दुकान के पीछे से जाना पड़ता है। गोदाम में सब दुकान का सामान रखा हुआ होता है।


दुकान बड़ा होने की वजह से हम 3-4 काम करने वाले लगते है।


हमारे दुकान में बरसो से रघु और गंगु दादाजी काम कर रहे है उनकी उम्र 60 के आसपास है। वही है जो कई सालो


से हमारे यहां काम कर रहे हैं क्योंिक पापा का स्वभाव बहुत िचढ़ िचड़ासा होने की वजह से कई लोग आए और चले


गए। लेिकन वो अके ले इतने िदनो से हमारे वफादार है।


अब कहानी पर आते है।


मॉम और मैं ऊपर के घर में सोफे पर बैठे हुए थे। दोपहर का वक्त था पापा दुकान से ऊपर आए। वो अक्सर दोपहर


में खाना खाने आ जाते है।


उनके चेहरे पर काफी गुस्सा िदख रहा था। पापा आकर सोफे पर बैठ गए।


क्या हुआ हुआ पापा आप गुस्से में लग रहे है मैने पूछा।


क्या बताऊं बेटा ये सब मजद ू र काम चोर होते है harami साले। ठीक से काम nhi karte। Isliye उन नए आए


दो आदिमयों को िनकल िदया काम से। एक अके ले रघु और गंगु चाचा ही है जो बरसो से हमारे साथ ईमानदारी


सेकाम कर रहे हैं।


क्या पापा आपने िफर से आदिमयों को िनकल िदया। तो अब नए आदमी कब आयेंगे।


बेटा कल अखबार में िवज्ञापन दे रहा हूं कोई न कोई तो जरूर िमल जायेगा। ऐसा कहकर un लोगो को गािलयां देनेलगे।


मॉम बैठकर हमारी बाते सुन रही थी।


मॉम - छोिड़ए अब गुस्सा और खाना खा लीिजए। ये कोई नई बात नही है। आप इतना गुस्सा क्यों करते हैं मजद ू रों


पर। इसिलए सब छोड़कर चले जाते है।


िफर हमने साथ खाना खाया और पापा िफर दुकान में चले गए।


िफर मैं भी टीवी देखने में लग गया ।


रात को दुकान बंद पापा ऊपर आए। दोनो दादाजी भी अपने अपने घर चले जाते थे दुकान बंद करके ।


पापा आपने अखबार में न्यूज दे दी क्या काम करने के िलए अदमोयो की।


Ha beta दे दी।


िफर हमने खाना खाया। और so गए
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#2
आगे,


ऐसे ही दो िदन िनकल गए। मजद ू र न होने की वजह से काम का बहुत लोड आ रहा था। इसिलए पापा बहुत िचढ़


िचढ़ कर रहे थे। मॉम और मैं उनसे बहुत परेशान हो गए।


तीसरे िदन दुकान में पापा और मैं दुकान में बैठे थे तभी 2 लोग आए और पापा से बात करने लगे।


उसमे से एक की उम्र 65 के आसपास थी और द ू सरा मेरी उम्र लड़का लग रहा था।


सलाम साब मैने पढ़ा की आपको मजद ू रों की जरूरत है। इसिलए आया हु।


पापा - हा चािहए। क्या नाम है तुम्हारा


मेरा नाम सुलेमान है मािलक


पापा - क्या तुम बोिरयां उठाने का काम कर लोगे। तुम्हारी उम्र देखकर तो नहीं लगता िक तुमसे वजनदार काम हो


पाएगा


अरे मािलक उम्र में क्या रखा है। यही काम तो करते आ रहे हैं। और ये मेरा पोता है फारूक इसको मैं छोट ू बुलाता हूं


प्यार से। ये भी काम कर लेगा।


पापा - ये तुम्हारा पोता है। ये बच्चा क्या काम करेगा। इससे नही होगा।


कोई टेंशन मत लो मािलक छोटा मोटा काम तो कर ही लेगा। बाकी का इसके िहस्से का काम भी मैं ही कर लूंगा।


आपका घर इतना बड़ा है तो झाड़ ू पोछा भी कर लेगा। और दुकान का भी काम देख लेगा। ये मेरा सगा पोता नही है।


ये मुझे छोटा था तब रास्ते पर िमला था। मैंने इसे पाल पोस के बड़ा िकया है।पापा ने बहुत सोचा उनको भी मजद ू रों की जरूरत थी इसिलए िफर दोनो को हा कह िदया। िफर पैसे की बात हुई


और उनकी पूछ ताछ करके पापा ने उन्हें कल से आने को बोल िदया।


और नही मािलक उनको हम आज से ही काम शुरू करेंगे। हमारा तो आज कमाएं गे तो आज खायेंगे ऐसी हालत है।


पापा बहुत खुश हो गए क्योंिक उनको भी ऐसे ही जरूरत मंद लोग चािहए थे िजनसे वो ज्यादा काम िनकल सके ।


आिखर वो गुजराती व्यापारी ही थे।


मजद ू रों का पिरचय


पहलेवाले वाले का नाम सुलेमान लगभग 65 साल का। उसके चेहरे पर झुिरया आ गई थी।उम्र होने बावजूद हटा


कट्टा शरीर था, ऊं ची कद काठी, काले दांत, चेहरा पूरा काला। कपड़े भी पूरे मैले थे। उसने बड़ा सा कु तार् और धोती


पहन रखी थी।


द ू सरे का नाम फारूक (छोट ू ) । मेरी ही उम्र का था। लेिकन चेहरा िकसी शैतान की तरह था। ये बहुत ही पतला था।


उसकी हाइट मेरे िजतनी थी।दोनो ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे


इसिलए पापा ने उनको सब काम समझा िदया। िजस िहसाब से सुबह के 9 बजे से 11 तक छोट ू ऊपर के घर को


झाड़ ू द ू पोछा करेगा और वहा का जो भी छोटा मोटा काम करेगा। और बाद में पूरा िदन दुकान का काम संभालेगा।


और सुलेमान पूरा िदन दुकान का ही काम देखेगा।


िफर दोनो काम पर लग गए।रघु और गंगू को वो दोनो ज्यादा पसंद नही आए ऐसा उनका चेहरा देख कर लग रहा था।


िफर मैं ऊपर घर में चला गया िदन ऐसे ही िनकल गया शाम को सात बजे मैं दुकान मैं आया। दुकान में पापा और


दोनो दादाजी थे। वो नए आए दोनो मुझे कही िदख नही रहे थे। इसिलए मैं पीछे गोडाउन की तरफ गया । वो दोनो


एक जगह पर बैठे थे। उनकी पीठ मेरी तरफ थी। मेरे आने की उनको खबर नहीं हुई। वो कु छ बात कर रहे थे इसिलए


मैं वही ruk गया।


छोट ू - दाद ू ये मािलक तो बहुत harami है। साले ने िकतना काम करवाया हमसे। साले ये गुज्जू बड़े नीच होते है।


मेरा तो मन नही लग रहा यहां। Madarchod पहले ही िदन िकतना िचल्लाता है बेवजह। साला पूरा बदन दुख रहा


है मेरा काम करके ।


सुलेमान - छोड़ ना छोट ू साली अपनी िकस्मत ही खराब है। लेिकन देखना अपनी िकस्मत जरूर बदलेगी। साले इस


मािलक की अकड़ िनकलेंगे अपुन। अब हमे काम की जरूरत है इसिलए हम छोड़ nhi सकते। साला बहुत भड़वा


मािलक है। चल दुकान में चलते हैं अंधेरा हो रहा है नही तो िचल्लाएगा साला।


उनके उठने से पहले मैं वहा से दुकान मे ऊपर घर में आकर सोफे पर बैठ गया।


हे भगवान ये दोनो तो पापा को गािलयां दे रहे थे। मुझे उन दोनो पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मन तो कर रहा था िक


अभी जाकर पापा को सब बाते बोल द ू । लेिकन तभी खयाल आया की अगर पापा ने इनको िनकल िदया तो िफर


उनको आदमी ढ ू ंढने पड़ेंगे । इसिलए मैं रुक गया।


लेिकन उनके प्रित मेरे मन मे नफरत पैदा हो चुकी थी। ना जाने क्यों उनकी बाते सुन कर मुझे ऐसा लगने लगा था िक


इन पर हमेशा नजर रखनी चािहए। दोनो ही शकल से बदमाश लग रहे थे और गंदे भी। दोनो बहुत गाली देते थे।रात हो गई और पापा दुकान बंद करके ऊपर आ गए। वो काफी खुश नजर आ रहे थे।


मॉम - क्या हुआ काफी खुश लग रहे हो।


पापा - हा दो बकरे िमले है काम के िलए। काफी जरूरत मंद लगते है। अपना काम हो गया। अब सब काम करुं गा


उनसे। काफी कम पैसों में भी िमल गए हैं। और वो बच्चा कल से झाड़ ू पोछा भी कर जायेगा घर मैं कल से ।


मॉम - लेिकन मुझे नहीं है इसकी। वैसे भी ज्यादा काम नही रहता घर में।


पापा - तो क्या हुआ रहने दो अच्छा है तुम्हे और आराम िमलेगा।


Us िदन मुझे सच में लगा की पापा बड़े ही चालू आदमी है। और बहुत काम करवाते हैं लोगो से। पर िजस तरह से


उन दोनो ने पापा को गािलयां दी थी मुझे वो िबलकु ल पसंद नहीं थे।


िफर खाना खाकर हम सो गए।
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#3
आगे,


ऐसे ही दो िदन िनकल गए। मजद ू र न होने की वजह से काम का बहुत लोड आ रहा था। इसिलए पापा बहुत िचढ़


िचढ़ कर रहे थे। मॉम और मैं उनसे बहुत परेशान हो गए।


तीसरे िदन दुकान में पापा और मैं दुकान में बैठे थे तभी 2 लोग आए और पापा से बात करने लगे।


उसमे से एक की उम्र 65 के आसपास थी और द ू सरा मेरी उम्र लड़का लग रहा था।


सलाम साब मैने पढ़ा की आपको मजद ू रों की जरूरत है। इसिलए आया हु।


पापा - हा चािहए। क्या नाम है तुम्हारा


मेरा नाम सुलेमान है मािलक


पापा - क्या तुम बोिरयां उठाने का काम कर लोगे। तुम्हारी उम्र देखकर तो नहीं लगता िक तुमसे वजनदार काम हो


पाएगा


अरे मािलक उम्र में क्या रखा है। यही काम तो करते आ रहे हैं। और ये मेरा पोता है फारूक इसको मैं छोट ू बुलाता हूं


प्यार से। ये भी काम कर लेगा।


पापा - ये तुम्हारा पोता है। ये बच्चा क्या काम करेगा। इससे नही होगा।


कोई टेंशन मत लो मािलक छोटा मोटा काम तो कर ही लेगा। बाकी का इसके िहस्से का काम भी मैं ही कर लूंगा।


आपका घर इतना बड़ा है तो झाड़ ू पोछा भी कर लेगा। और दुकान का भी काम देख लेगा। ये मेरा सगा पोता नही है।


ये मुझे छोटा था तब रास्ते पर िमला था। मैंने इसे पाल पोस के बड़ा िकया है।पापा ने बहुत सोचा उनको भी मजद ू रों की जरूरत थी इसिलए िफर दोनो को हा कह िदया। िफर पैसे की बात हुई


और उनकी पूछ ताछ करके पापा ने उन्हें कल से आने को बोल िदया।


और नही मािलक उनको हम आज से ही काम शुरू करेंगे। हमारा तो आज कमाएं गे तो आज खायेंगे ऐसी हालत है।


पापा बहुत खुश हो गए क्योंिक उनको भी ऐसे ही जरूरत मंद लोग चािहए थे िजनसे वो ज्यादा काम िनकल सके ।


आिखर वो गुजराती व्यापारी ही थे।


मजद ू रों का पिरचय


पहलेवाले वाले का नाम सुलेमान लगभग 65 साल का। उसके चेहरे पर झुिरया आ गई थी।उम्र होने बावजूद हटा


कट्टा शरीर था, ऊं ची कद काठी, काले दांत, चेहरा पूरा काला। कपड़े भी पूरे मैले थे। उसने बड़ा सा कु तार् और धोती


पहन रखी थी।


द ू सरे का नाम फारूक (छोट ू ) । मेरी ही उम्र का था। लेिकन चेहरा िकसी शैतान की तरह था। ये बहुत ही पतला था।


उसकी हाइट मेरे िजतनी थी।दोनो ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे


इसिलए पापा ने उनको सब काम समझा िदया। िजस िहसाब से सुबह के 9 बजे से 11 तक छोट ू ऊपर के घर को


झाड़ ू द ू पोछा करेगा और वहा का जो भी छोटा मोटा काम करेगा। और बाद में पूरा िदन दुकान का काम संभालेगा।


और सुलेमान पूरा िदन दुकान का ही काम देखेगा।


िफर दोनो काम पर लग गए।रघु और गंगू को वो दोनो ज्यादा पसंद नही आए ऐसा उनका चेहरा देख कर लग रहा था।


िफर मैं ऊपर घर में चला गया िदन ऐसे ही िनकल गया शाम को सात बजे मैं दुकान मैं आया। दुकान में पापा और


दोनो दादाजी थे। वो नए आए दोनो मुझे कही िदख नही रहे थे। इसिलए मैं पीछे गोडाउन की तरफ गया । वो दोनो


एक जगह पर बैठे थे। उनकी पीठ मेरी तरफ थी। मेरे आने की उनको खबर नहीं हुई। वो कु छ बात कर रहे थे इसिलए


मैं वही ruk गया।


छोट ू - दाद ू ये मािलक तो बहुत harami है। साले ने िकतना काम करवाया हमसे। साले ये गुज्जू बड़े नीच होते है।


मेरा तो मन नही लग रहा यहां। Madarchod पहले ही िदन िकतना िचल्लाता है बेवजह। साला पूरा बदन दुख रहा


है मेरा काम करके ।


सुलेमान - छोड़ ना छोट ू साली अपनी िकस्मत ही खराब है। लेिकन देखना अपनी िकस्मत जरूर बदलेगी। साले इस


मािलक की अकड़ िनकलेंगे अपुन। अब हमे काम की जरूरत है इसिलए हम छोड़ nhi सकते। साला बहुत भड़वा


मािलक है। चल दुकान में चलते हैं अंधेरा हो रहा है नही तो िचल्लाएगा साला।


उनके उठने से पहले मैं वहा से दुकान मे ऊपर घर में आकर सोफे पर बैठ गया।


हे भगवान ये दोनो तो पापा को गािलयां दे रहे थे। मुझे उन दोनो पर बहुत गुस्सा आ रहा था। मन तो कर रहा था िक


अभी जाकर पापा को सब बाते बोल द ू । लेिकन तभी खयाल आया की अगर पापा ने इनको िनकल िदया तो िफर


उनको आदमी ढ ू ंढने पड़ेंगे । इसिलए मैं रुक गया।


लेिकन उनके प्रित मेरे मन मे नफरत पैदा हो चुकी थी। ना जाने क्यों उनकी बाते सुन कर मुझे ऐसा लगने लगा था िक


इन पर हमेशा नजर रखनी चािहए। दोनो ही शकल से बदमाश लग रहे थे और गंदे भी। दोनो बहुत गाली देते थे।रात हो गई और पापा दुकान बंद करके ऊपर आ गए। वो काफी खुश नजर आ रहे थे।


मॉम - क्या हुआ काफी खुश लग रहे हो।


पापा - हा दो बकरे िमले है काम के िलए। काफी जरूरत मंद लगते है। अपना काम हो गया। अब सब काम करुं गा


उनसे। काफी कम पैसों में भी िमल गए हैं। और वो बच्चा कल से झाड़ ू पोछा भी कर जायेगा घर मैं कल से ।


मॉम - लेिकन मुझे नहीं है इसकी। वैसे भी ज्यादा काम नही रहता घर में।


पापा - तो क्या हुआ रहने दो अच्छा है तुम्हे और आराम िमलेगा।


Us िदन मुझे सच में लगा की पापा बड़े ही चालू आदमी है। और बहुत काम करवाते हैं लोगो से। पर िजस तरह से


उन दोनो ने पापा को गािलयां दी थी मुझे वो िबलकु ल पसंद नहीं थे।


िफर खाना खाकर हम सो गए।
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