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Misc. Erotica मुश्किल हालातों में उलझी एक कहानी - रातरानी
#1
नमस्कार दोस्तो मैं आपका अपना होस्ट और दोस्त सोनू पंजाबी लेकर हाज़िर हूं अपनी पहली हिंदी कहानी। उमीद है आप सबको मेरी ये कोशिश पसंद आएगी।

अपडेट - 1

लुधियाना के डीएमसी कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई पूरे जोर-शोर से चल रही थी। सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी कक्षाओं में अपने-अपने प्रोफेसरों के लेक्चर सुन रहे थे।

एमबीबीएस दूसरे साल का लेक्चर प्रोफेसर वर्मा लगा रहे थे। वह विद्यार्थियों को मानव शरीर के कुछ जटिल वैज्ञानिक तथ्य समझा रहे थे और सभी विद्यार्थी जल्दी-जल्दी उनके शब्दों को अपनी-अपनी कॉपी में लिख रहे थे।

इन विद्यार्थियों में लड़कियों वाली लाइन में सबसे आखिर में लाल रंग का सलवार सूट पहने कोई 20-22 साल की सुंदर युवती बड़े ही ध्यान से प्रोफेसर वर्मा का लेक्चर सुन रही थी। उसके हाथ प्रोफेसर के शब्दों को अपनी कॉपी पर उतारने में व्यस्त थे।

अभी वह लिख ही रही थी कि अचानक उसकी झोली में पड़े सैमसंग कंपनी के एंड्रॉयड मोबाइल की वाइब्रेशन महसूस हुई। जब उसने हल्की सी आंख बचाकर अपने मोबाइल की ओर देखा तो उसे अपने मोबाइल की स्क्रीन पर व्हाट्सएप पर आए मैसेज की नोटिफिकेशन दिखाई दी। यह मैसेज किसी हाकम भाई जी की ओर से आया था।

हाकम भाई जी नाम को देखकर एक बार तो उस युवती का दिल बैठ गया। उसका चेहरा पीला पड़ गया था और डर और घबराहट उसकी आंखों में साफ दिखने लगी थी। पर इससे पहले कि कोई उसे इस हालत में देखे, उसने अपने आप को संभाला और चोरी-छिपे, बिना किसी को पता लगने दिए, धीरे से उसने अपने मोबाइल का लॉक खोला और हाकम भाई जी का मैसेज पढ़ने लगी।

मैसेज में लिखा था,

"ग्राहक - कश्मीर सिंह, उम्र - 35 साल, पता - रेलवे स्टेशन के पास, पूरी रात की बुकिंग, सर्विस - प्लैटिनम, पेमेंट - 1500 रुपये कैश सर्विस पूरी होने के बाद। कमीशन - 20%, पहुंचने का समय - आज रात 9 बजे।"

युवती ने मैसेज पढ़ा और बिना कोई प्रतिक्रिया दिखाए मोबाइल का लॉक बंद करके दोबारा प्रोफेसर वर्मा का लेक्चर सुनने लगी।

छुट्टी होने के बाद जब वह युवती कॉलेज की पार्किंग में खड़ी अपनी स्कूटी के पास पहुंची तो उसे पीछे से उसका नाम पुकारती एक महिला की आवाज सुनाई दी।

"जस्सी! ओ जसप्रीत कौर, रुक जा, मुझे भी ले चल।"

यानी इस युवती का नाम जसप्रीत कौर उर्फ जस्सी था और यह आवाज उसकी बचपन की सहेली और उसकी सहपाठी रणजोत कौर उर्फ राणो की थी।
अपनी बचपन की सहेली और सहपाठी रणजोत कौर उर्फ राणो की आवाज सुनकर जस्सी पीछे मुड़ी और राणो की ओर देखती हुई बोली,

"आजा आजा अल्सियों की मलिका, जल्दी आया कर, कछुए से भी धीरे चलती है तू।"

राणो जस्सी के पास पहुंची और उसने धीमी आवाज में कहा,

"हाकम भाई जी का मैसेज आया था!"

राणो की बात सुनकर जस्सी ने आसपास देखा और राणो की बांह पर एक हल्की सी थपकी मारते हुए धीमी आवाज में कहा,

"तुझे कितनी बार कहा कि आसपास देखकर बात किया कर! चल अब बैठ, बा
की बातें कमरे में जाकर करेंगी।”
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#2
अपडेट - 2. 
जस्सी और राणो कॉलेज से निकलकर अपनी स्कूटी पर सवार हुईं। जस्सी स्कूटी चला रही थी और राणो पीछे बैठी थी। रास्ते भर दोनों चुप रहीं, मानो किसी गहरे विचार में डूबी हों।

जब वे अपने किराए के कमरे पर पहुंचीं, तो जस्सी ने स्कूटी खड़ी की और दोनों अंदर चली गईं। कमरा छोटा था, जिसमें दो पलंग, एक मेज और कुछ कुर्सियां थीं। दीवारों पर कुछ पोस्टर लगे हुए थे।

कमरे में पहुंचकर राणो ने जस्सी से पूछा, "हां तो अब बता, हाकम भाई जी का मैसेज क्या था? आज रात कहां जाना है?"

जस्सी ने एक गहरी सांस ली और कहा, "कोई कश्मीर सिंह है, रेलवे स्टेशन के पास रहता है, पूरी रात की बुकिंग है प्लैटिनम सर्विस की, 1500 रुपये मिलेंगे, जिसमें से 20% कमीशन हाकम भाई जी का होगा।"

राणो ने जस्सी की बात सुनकर कहा, "कश्मीर सिंह! रेलवे स्टेशन के पास रहता है! एक बात बता, क्या वो कोई कॉलेज मास्टर है! और क्या वो 35 साल का है!"

जस्सी राणो की बात सुनकर बहुत हैरान हुई और उसने हैरानी से पूछा,

“एक मिनट, तुझे कैसे पता कि वो कितने साल का है और वो क्या करता है!”

इस पर राणे ने मुस्कुराते हुए कहा, 

“क्योंकि मैं उसे जानती हूं, असल में वो मेरा ग्राहक रह चुका है, पूरे 3 महीने तक। वो मुझे हर शनिवार अपने घर बुलाता था, अच्छा आदमी है, तलाकशुदा है और अकेला रहता है। मज़ाकिया और बातुनी स्वभाव का है और पैसे भी अच्छे देता है। सबसे अच्छी बात, बिस्तर के खेल का मंजा हुआ खिलाड़ी है। वो तो वो आज से 3 महीने पहले कैनेडा चला गया था इसलिए हमारी मुलाकातें बंद हो गई। मैं गैरंटी से कह सकती हूं कि वापिस आकर उसने हाकम भाई जी से पहले मेरे बारे में ही पूछा होगा, पर क्योंकि मैं पहले से ही बुक्ड थी तो हाकम भाई जी ने उसे तुम्हारे बारे में बताया होगा। मतलब तुझे ये ग्राहक मेरी वजह से मिला है या फिर ऐसे भी कह सकते हैं कि तुझे असल में मेरा ग्राहक मिला है और अब ये तेरी ज़िम्मेदारी है कि तू उसे खुश करदे। और अगर तूने ये कर दिया तो वो तुझे पक्का ज़्यादा पैसे देगा और उन पैसों में से तू मुझे पार्टी देगी।”

राणो की बात सुनकर जस्सी ने हस्ते हुए कहा,

“तू ना बिल्कुल पागल है। अच्छा ठीक है अगर मुझे ज़्यादा पैसे मिले तो तेरी पार्टी पक्की।”

इस पर राणो ने हस्ते हुए कहा,

“पार्टी तक तो ठीक है, पर ध्यान रखना, ज़्यादा खुश भी मत कर देना! देखना कहीं मेरा ग्राहक मत चुरा लेना।”

इस पर जस्सी ने हस्ते हुए कहा,

“तू फिकर ना कर, नहीं चुराऊंगी तेरा ग्राहक। पर अगर वो ख़ुद ही मेरा ग्राहक बन गया तो मुझे दोष मत देना।”

जस्सी की इस बात पर दोनों खूब हसीं और फिर वो दोनो रसोई में खुद के लिए खाना बनाने लगीं।

शाम को सूरज ढलने के बाद जब अंधेरा छाने लगा तो जस्सी अपने कमरे और बाहर निकली। उसने लाल रंग का बहुत ही खूबसूरत सलवार सूट पहना था जिसमें वह बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक लग रही थी। जस्सी ने सड़क पर एक ऑटो रोका और उसमें
 बैठ कर वहां से रवाना हो गई।
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