23-06-2025, 10:29 AM
(This post was last modified: 24-06-2025, 10:45 AM by Sonu Punjabi. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
नमस्कार दोस्तो मैं आपका अपना होस्ट और दोस्त सोनू पंजाबी लेकर हाज़िर हूं अपनी पहली हिंदी कहानी। उमीद है आप सबको मेरी ये कोशिश पसंद आएगी।
अपडेट - 1
लुधियाना के डीएमसी कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई पूरे जोर-शोर से चल रही थी। सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी कक्षाओं में अपने-अपने प्रोफेसरों के लेक्चर सुन रहे थे।
एमबीबीएस दूसरे साल का लेक्चर प्रोफेसर वर्मा लगा रहे थे। वह विद्यार्थियों को मानव शरीर के कुछ जटिल वैज्ञानिक तथ्य समझा रहे थे और सभी विद्यार्थी जल्दी-जल्दी उनके शब्दों को अपनी-अपनी कॉपी में लिख रहे थे।
इन विद्यार्थियों में लड़कियों वाली लाइन में सबसे आखिर में लाल रंग का सलवार सूट पहने कोई 20-22 साल की सुंदर युवती बड़े ही ध्यान से प्रोफेसर वर्मा का लेक्चर सुन रही थी। उसके हाथ प्रोफेसर के शब्दों को अपनी कॉपी पर उतारने में व्यस्त थे।
अभी वह लिख ही रही थी कि अचानक उसकी झोली में पड़े सैमसंग कंपनी के एंड्रॉयड मोबाइल की वाइब्रेशन महसूस हुई। जब उसने हल्की सी आंख बचाकर अपने मोबाइल की ओर देखा तो उसे अपने मोबाइल की स्क्रीन पर व्हाट्सएप पर आए मैसेज की नोटिफिकेशन दिखाई दी। यह मैसेज किसी हाकम भाई जी की ओर से आया था।
हाकम भाई जी नाम को देखकर एक बार तो उस युवती का दिल बैठ गया। उसका चेहरा पीला पड़ गया था और डर और घबराहट उसकी आंखों में साफ दिखने लगी थी। पर इससे पहले कि कोई उसे इस हालत में देखे, उसने अपने आप को संभाला और चोरी-छिपे, बिना किसी को पता लगने दिए, धीरे से उसने अपने मोबाइल का लॉक खोला और हाकम भाई जी का मैसेज पढ़ने लगी।
मैसेज में लिखा था,
"ग्राहक - कश्मीर सिंह, उम्र - 35 साल, पता - रेलवे स्टेशन के पास, पूरी रात की बुकिंग, सर्विस - प्लैटिनम, पेमेंट - 1500 रुपये कैश सर्विस पूरी होने के बाद। कमीशन - 20%, पहुंचने का समय - आज रात 9 बजे।"
युवती ने मैसेज पढ़ा और बिना कोई प्रतिक्रिया दिखाए मोबाइल का लॉक बंद करके दोबारा प्रोफेसर वर्मा का लेक्चर सुनने लगी।
छुट्टी होने के बाद जब वह युवती कॉलेज की पार्किंग में खड़ी अपनी स्कूटी के पास पहुंची तो उसे पीछे से उसका नाम पुकारती एक महिला की आवाज सुनाई दी।
"जस्सी! ओ जसप्रीत कौर, रुक जा, मुझे भी ले चल।"
यानी इस युवती का नाम जसप्रीत कौर उर्फ जस्सी था और यह आवाज उसकी बचपन की सहेली और उसकी सहपाठी रणजोत कौर उर्फ राणो की थी।
अपनी बचपन की सहेली और सहपाठी रणजोत कौर उर्फ राणो की आवाज सुनकर जस्सी पीछे मुड़ी और राणो की ओर देखती हुई बोली,
"आजा आजा अल्सियों की मलिका, जल्दी आया कर, कछुए से भी धीरे चलती है तू।"
राणो जस्सी के पास पहुंची और उसने धीमी आवाज में कहा,
"हाकम भाई जी का मैसेज आया था!"
राणो की बात सुनकर जस्सी ने आसपास देखा और राणो की बांह पर एक हल्की सी थपकी मारते हुए धीमी आवाज में कहा,
"तुझे कितनी बार कहा कि आसपास देखकर बात किया कर! चल अब बैठ, बा
की बातें कमरे में जाकर करेंगी।”
अपडेट - 1
लुधियाना के डीएमसी कॉलेज में मेडिकल की पढ़ाई पूरे जोर-शोर से चल रही थी। सभी विद्यार्थी अपनी-अपनी कक्षाओं में अपने-अपने प्रोफेसरों के लेक्चर सुन रहे थे।
एमबीबीएस दूसरे साल का लेक्चर प्रोफेसर वर्मा लगा रहे थे। वह विद्यार्थियों को मानव शरीर के कुछ जटिल वैज्ञानिक तथ्य समझा रहे थे और सभी विद्यार्थी जल्दी-जल्दी उनके शब्दों को अपनी-अपनी कॉपी में लिख रहे थे।
इन विद्यार्थियों में लड़कियों वाली लाइन में सबसे आखिर में लाल रंग का सलवार सूट पहने कोई 20-22 साल की सुंदर युवती बड़े ही ध्यान से प्रोफेसर वर्मा का लेक्चर सुन रही थी। उसके हाथ प्रोफेसर के शब्दों को अपनी कॉपी पर उतारने में व्यस्त थे।
अभी वह लिख ही रही थी कि अचानक उसकी झोली में पड़े सैमसंग कंपनी के एंड्रॉयड मोबाइल की वाइब्रेशन महसूस हुई। जब उसने हल्की सी आंख बचाकर अपने मोबाइल की ओर देखा तो उसे अपने मोबाइल की स्क्रीन पर व्हाट्सएप पर आए मैसेज की नोटिफिकेशन दिखाई दी। यह मैसेज किसी हाकम भाई जी की ओर से आया था।
हाकम भाई जी नाम को देखकर एक बार तो उस युवती का दिल बैठ गया। उसका चेहरा पीला पड़ गया था और डर और घबराहट उसकी आंखों में साफ दिखने लगी थी। पर इससे पहले कि कोई उसे इस हालत में देखे, उसने अपने आप को संभाला और चोरी-छिपे, बिना किसी को पता लगने दिए, धीरे से उसने अपने मोबाइल का लॉक खोला और हाकम भाई जी का मैसेज पढ़ने लगी।
मैसेज में लिखा था,
"ग्राहक - कश्मीर सिंह, उम्र - 35 साल, पता - रेलवे स्टेशन के पास, पूरी रात की बुकिंग, सर्विस - प्लैटिनम, पेमेंट - 1500 रुपये कैश सर्विस पूरी होने के बाद। कमीशन - 20%, पहुंचने का समय - आज रात 9 बजे।"
युवती ने मैसेज पढ़ा और बिना कोई प्रतिक्रिया दिखाए मोबाइल का लॉक बंद करके दोबारा प्रोफेसर वर्मा का लेक्चर सुनने लगी।
छुट्टी होने के बाद जब वह युवती कॉलेज की पार्किंग में खड़ी अपनी स्कूटी के पास पहुंची तो उसे पीछे से उसका नाम पुकारती एक महिला की आवाज सुनाई दी।
"जस्सी! ओ जसप्रीत कौर, रुक जा, मुझे भी ले चल।"
यानी इस युवती का नाम जसप्रीत कौर उर्फ जस्सी था और यह आवाज उसकी बचपन की सहेली और उसकी सहपाठी रणजोत कौर उर्फ राणो की थी।
अपनी बचपन की सहेली और सहपाठी रणजोत कौर उर्फ राणो की आवाज सुनकर जस्सी पीछे मुड़ी और राणो की ओर देखती हुई बोली,
"आजा आजा अल्सियों की मलिका, जल्दी आया कर, कछुए से भी धीरे चलती है तू।"
राणो जस्सी के पास पहुंची और उसने धीमी आवाज में कहा,
"हाकम भाई जी का मैसेज आया था!"
राणो की बात सुनकर जस्सी ने आसपास देखा और राणो की बांह पर एक हल्की सी थपकी मारते हुए धीमी आवाज में कहा,
"तुझे कितनी बार कहा कि आसपास देखकर बात किया कर! चल अब बैठ, बा
की बातें कमरे में जाकर करेंगी।”