11-06-2025, 08:47 AM
आरव की मूर्गा बनने की सजा (MURGA PUNISHMENT)
यह कहानी का उद्देश्य मात्र हास्यास्पद मनोरंजन हैं।
यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक हैं।
मेरा नाम आरव हैं, मैं उन्नीस साल का जनवरी 1990 में हो गया हूं पर मेरा कद थोड़ा हैं और मेरे भोहों से नीचें कोई भी बाल नहीं हैं। मैं पहले चन्दीगढ़ में रहता था लेकिन पापा जी के चले जाने के बाद मम्मी ने बहुत मेहनत कर एक दूर दराज गांव में एक सरकारी नौकरी हासील की जिसके बाद मैं और मम्मी उस गांव में आ कर रहने लगे। इन सब के चलते मेरी पढ़ाई में बाधा आई और अब हाल यह है कि मैं बसरहवी कक्षा फिर से पढ़ रहा हूं मतलब कि में पहले एक बार बारहवी में फेल हो चुका हु।
हम गांव तो आ गए लेकिन कम पैसे होने की वजह से मम्मी ने फैसला लिया कि हम गांव के थोढा बाहर जो पुराना मकान है जिसे कोइ गांव का व्यक्ति नहीं ले रहा, उसे खरीदकर उसमे रहेंगे। गांव के इतने बाहर कोइ और घर था तो वह था एक अध्यापिका का ६ ार। उनका घर हमारे घर से इतना पास था कि हमे बस अपने घर से सीधे-सीधे 10 मिनीट चलनस होता था लेकिन दुर दुर तक हमारे दो घरों के अलावा ओर कोई घर नहीं था। घर तो दूर की बात है घास का एक तीनका भी नहीं था घर के आस पास।
जब मम्मी को पता चला कि वे एस. एस. टी. की अध्यापिका हैं तो मम्मी ने तुरंत उनसे मुझे टयूश्न देने की बात कही जो अध्यापिका ने 50 रुपये प्रति माह के शुल्क पर स्वीकार कर ली। उनका नाम हेमलता पाटिल था, वे चालिस साल की थी, वह अपनी पेतालिस साल की कामवाली खुश्बू के साथ रहती थी उनका कोई पति या संतान हो एसा मैने कभी सुना नहीं और उन्होने कभी बताया नहीं।
मैं फिर रोज उनसे टयूश्न पढ़ने जाने लगा। उनका रूप स्पष्ट रूप से भरा हुआ ओर गोल है, उनकी दूंगी एक वक्र (round ass) है। उनका बस्ट पर्याप्त है (big boobs), जो ब्लाउज को भरता है। उनकी टांगें, एक समान मोटापे का सुझाव देती हैं (thick thighs)। उनका चेहरा गोल और भरा हुआ है। कुल मिलाकर, उसके शरीर में दृढ़ता का एहसास होता है, लेकिन कोमलता का भी।
हेमलता मेम एक अनोखे व्यक्त्त्वि की मालकिन हैं। वह क्लास में एक कठोर अनुशासक की तरह पढ़ाती हैं पर क्लास खतम हो जाने के बाद मुझसे एकदम शरारती हंसी हसते हुए बात करती हैं मानो जैसे किसी ने टी. वी. का चेनल बदला हो। उनके विपरित उनकी कामवाली खुश्बू भूआ सीधी-सादी और कोमल स्वभव की हैं।
पन्द्रह दिन टयूश्न में इतिहास पढ़ाने के बाद हेमलता मेम ने मुझे एक बीस प्रश्नों का टेस्ट दिया लेकिन इतिहास में कमजोर होने के कारण मुझसे सिर्फ एक ही उत्तर सही हो पाया।
हेमलता मेम का गुस्सा उनके चेहरे पर साफ जलक रहा था और उन्होने कहा “ अरे तुम इतने सरल प्रश्न भी नहीं कर पा रहे तो परिक्षा में कैसे पास हीगे, ध्यान कहां रहता है तुम्हारा। “मैने शर्मीदगी से सिर नीचे झुका लीया लेकिन मेम का गुस्सा इन सब से शांत होने वाला नहीं था, वह कठोरता से बोली” दोनो हाथ उपर करके खडे हो जाओ और हिलना मत।“
मैने ठीक वैसा ही किया, मुझे लगा कि थोड़े समय में गुस्सा शांत हो जाएगा लेकिन मैं गलत था, मेम ने तो सजा देना अभी शुरू भी नहीं किया था। हेमलता मेम मेरे पास आई और मेरे शर्ट के बटन खोलने लगी, मैं चौंक गया और एक कदम पीछे हट गया लेकिन गेग ने मुझे कंधों से पकड़ लिया और मुझे आँखें दिखाने लगी। मैं उनका इशारा समझ गया और अपने हाथ उपर करके बिना हीले खड़ा रहा।
मेम ने मेरी शर्ट और बनीयान दोनों उतार दी और कहा “ तुम लड़कें होते ही शरारती हो, तुम्हारे दीमाग में कुछ बात डालनी हो तो तुमहे शर्मीदा ही करना पडता हैं। कल फिर इन प्रश्नो का टेस्ट होगा याद करके आना वरना सजा इससे भी शर्मनाक होगी।“ मैं अपनी मेम के सामने कमर से उपर बिना कपड़े खड़ा हूं यह सोचकर मुझे शर्म आई और मेने कल सारे प्रश्न याद करके आने का फैसला किया।
अगले दिन जब मैं वह 20 सवाल कंठस्थ याद करके आया और सही-सही उत्तर लिखे तो अध्यापिका खुश हुई और मुझे माथे पर चुम्मा दिया।मुझे लगा कि चलो इस बार बच गए, अगली बार अगर थोड़ा बहुत भी पढ़ लिए तो ऐसी शर्मनाक सजा अध्यापिकामुझे दोबारानहीं देंगी।
लेकिन अक्सर हम जो सोचते हैं होता उसका ठीक उल्टाहोताहैं।मेरे साथ भी यही हुआं।अगले दिन अध्यापिकाने 25 प्रश्न ,जो पिछले प्रश्नों से भी कठिन थे, मुझे हल करने को कहा लेकिन मैं बस थोड़ा-बहुत ही पढ़ा था इतना नहीं पढ़ा था कि यह कठिन 25 प्रश्न मुझसे हाल हो पातेसो मैं उन 25 प्रश्नों में से सिर्फ दो काही उत्तर दे पायाaaa
अब अध्यापिका मुझसे और भी ज्यादा गुस्सा हो गई और मुझे वही बात दोहराई “तुम लड़कों को अगर कोई सबक सिखाना हो तो तुम्हें शर्मिंदा करके ही सिखाया जा सकता है।“
अध्यापिका ने इस बार मुझे फिर से हाथ ऊपर करके खड़ा होने को कहा और सख्त हिदायत दी की बिल्कुल भी मत हिलना।
इस बार मुझे पता था कि अध्यापिका क्या करेंगे इसलिए मैंने विरोध नहीं किया। इस बार अध्यापिका ने न सिर्फ मेरी शर्ट और बनियान उतारी पर उनका हाथ मेरी पेंट की तरफ बढ़ा और उन्होंने मेरी पेंट का बटन खोल मेरी ज़िपकी चेन नीचे की, फिर आंखों में आंखें डालकर मुझसे पूछा “क्या कल यह सारे प्रश्न याद करके आओगे कि मुझे तुम्हारी पेंटभी उतारनी पड़ेगी?”
मैंने पूरे जोश में बोला कि मैं यह सारे सवाल याद करके आऊंगा और ठीक वैसा ही किया।इस बार मन लगाकर पढ़ाई की और इतिहासका पहला अध्याय मैंने कंठस्थ कर लिया।जब अध्यापिकाने अगले दिन मेरा टेस्ट लिया तो मैंने सारे प्रश्न सही-सही किए तो अध्यापिका ने फिर से मेरा माथा चूमा और कहा कि “बस ऐसे ही पढ़ाई करते रहो तुम्हें सजा नहीं दूंगी”।
ऐसे करते-करते 5 दिन बीत गए और इतिहास विषय का पहला अध्याय समाप्त हो गया। मैंने इन पांच दिनों में अध्यापिकाने जितने प्रश्न पूछे उन सब का सही-सही उत्तर दिया और उस शर्मनाक सजा से बच गया लेकिन फिर छठे दिन इतिहास का दूसरा अध्याय आरंभ हुआ लेकिन मेरा मन इस विषय में बिल्कुल नहीं लगता था।इसलिए जबअध्यापिका ने दूसरे अध्याय से प्रश्न पूछे तो मैं बहुत कम प्रश्नों का ही उत्तर दे पाया।अध्यापिका फिर गुस्सा हो गई और उन्होंने मुझे फिर से हाथ ऊपर करके खड़ा हो जाने को कहा।इस बार अध्यापिका ने मेरे शर्ट और बनियान उतार दिए और फिर उनका हाथ मेरी पेंट की तरफ जाने लगा। मुझे लगा कि वोबस डरा रही है पेट थोड़ी ना उतरेंगी 19 साल के लड़के की लेकिन मैं फिर से गलत था। मेम ने मेरी पेंट की तरफ हाथ बढ़ाया और मेरी पेंट का बटन खोल दिया उसके बादमेरी ज़िपभीनीचे कर दी, अब मुझे डर लगने लगा था कहीं अध्यापिका सही में मेरी पेट तो नहीं उतरेंगी लेकिन मैं बोल पाता इससे पहले ही अध्यापिकाने आंखें दिखा कर मुझे चुप कर दिया। फिर जिसका डर था वही हुआ अध्यापिका ने मेरे पेंटके दोनों तरफ अपना हाथ रखा और एक झटके में उसे नीचे कर दिया अब पेंटमेरे घुटनों तक थी और मेरी वी-कट वाली चड्डीअध्यापिका को साफ-साफ दिख रही थी। मुझे बहुत ज्यादा शर्म आने लगी मेरा कद छोटा है और मेरे शरीर के भोंहो से नीचे कोई बाल भी नहीं है, मेरी छाती पर कोई बोल नहीं ना मेरी टांगों पर है।मेरी चमड़ी भी बहुत गोरी है।मुझे वैसे ही अपनी छाती और टांगे दिखने में शर्म आती है लेकिन इस तरीके से सजा पाते हुए वह शर्म दुगनी हो गई।
अध्यापिका ने मुझे अब बारी-बारी से अपनी टांगे उठाने को कहा और इस तरह उन्होंने मेरी पेंट पूरी तरह से उतर कर एक कोने में रख दी।
तभी खुशबू भुआ कमरे के अंदर आती है और मुझे अर्धनग्नअवस्था में देखकर हंस पड़ती है और बोलती है कि “इतना बड़ा लड़का चड्डी में क्यों खड़ा है, हेमलता क्या तूंइसे नहलानेले जा रही?”
यह सुनकर हेमलता अध्यापिका भी हंस पड़ी और बोली कि “ मैं इसे सजा दे रही हूं, इसे नहलाने नहीं ले जा रही अगर यह कल भी इसी तरह से नहीं पढ़ा तो मैं इसे और भी कठोर सजा दूंगी”।
यह सुनकर खुशबू हुआ हैरान होते हुए पुछतीहै “अरे!अब क्या 19 साल के लड़के को पूरा नंगा करोगी?
हेमलता अध्यापिका बस मुसकुराती है लेकिन कोई उत्तर नहीं देती। में उस रात घर बैठे-बैठे यही सोच रहा था कि क्या सही में अध्यापिका मुझे पूरा नंगा करेगी। क्या हेमलता अध्यापिका मेरी चड्डी भी उतारेगी और क्या खुशबू बुआ भीयह सब देखेगी। यह सब सोचकर उस रात नींद ही नहीं आई एक तरफ तो मैं डरा हुआ था लेकिन दूसरी तरफ दिल में कहीं रोमांच और जिज्ञासा भी थी कि क्या हेमलता अध्यापिका मुझे सही में पूरा नंगा करेगी। इस कारण में उसे रात कुछ पढ़ ही नहीं पाया और अगले दिन जब हेमलता अध्यापिका ने वही प्रश्न मुझे दोबारा पूछे तो मैं उनका उत्तर फिर से नहीं दे पाया। इस कारण हेमलता अध्यापिका बहुत गुस्से में थी और बोली”अब बसहुआ।तुम लड़कों को सही में कुछ भी समझ नहीं आता जब तक तुम्हारे सारे कपड़े ना उतार दिए जाए”। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा मुझे आभास हो गया था कि आज में हेमलता अध्यापिका और खुशबू बुआ के सामने पूरा नंगा हो जाऊंगा।सो जब हेमलता अध्यापिका ने मुझे हाथ ऊपर करके खड़ा होने को कहा तो मैं झट से खड़ा हो गया और बिल्कुल भी नहीं हिला।
हेमलता अध्यापिका ने मेरा शर्ट अल्पविराम मेरी बनियान और मेरी पेंट उतार के कमरे के कोने में रख दी। उसके बाद उन्होंने अपनी दोनों उंगलियों मेरी चड्डी के कमरबंद(waistband )में डाली और मेरी आंखों में आंखें डाल कर अपनी उंगलियां धीरे-धीरे नीचे सरकाने लगी।
अध्यापिका ने मेरी चड्डी उतारी और मेरे बाकी के कपड़ों के साथ उसे भी वहीं कोने में रख दिया। और फिर सख्त लहजे में बोला कि अपने हाथों को ऊपर ही रखो वह बिल्कुल भी नीचे नहीं आने चाहिए। इसके बाद वह एक कुर्सी पर बैठ गई और मैं वही अपने हाथों को अपने सिर पर रखकर पूरा नंगा उनके सामने खड़ा रहा। तभी खुशबू हुआ अंदर आती है और मुझे देखते ही बोलती है “ऊफ ! कल तुम्हें चड्डी में देखा था आज तो पूरा नंगा देख रही हूं। यह क्या, तुम्हारा नून्नूतो बहुत छोटा है इतना प्यारा नून्नू तो बच्चों का भी नहीं होता।
मैंने उनकी बात को सुना और मेरा दिल जो पहले से ही बहुत जोर-जोर से धड़क रहा था अब तो मानो छाती में उछलने लगा अल्पविराममुझे लगा कि इससे ज्यादा शर्मनाक मेरी जिंदगी में आज तक कुछ नहीं हुआ और शायद आगे भी इससे ज्यादा शर्माना और कुछ हो भी ना। हेमलता अध्यापिका ने मुझे 10 मिनट बाद मेरे सारे कपड़े लूटा है और कहा कि कल अच्छे से पढ़ाई करके आना यह प्रश्न पूछूंगी और अगर नहीं पढ़ाई की तो इससे भी कठोर सजा दूंगी।आज की रात तो मैं बस जो क्लास में हुआ वही सोच रहा था मैं तो ठीक से बैठ भी नहीं पा रहा था सोने की तो दूर की बात है लेकिन फिर भी मैं थोड़ी पढ़ाई की और बस इतना पढ़ा कि जो प्रश्न अध्यापिका पूछे उनका मैं उत्तर दे सकूं।
अगले दिन मैंने मेरा टेस्ट लिया और मैं सभी प्रश्नों का उत्तर ठीक ठीक दिया इससे मैं खुश हुई और बोला कि चलो बस ऐसे ही पढ़ाई करो और सजा आगे नहीं मिलेगी। लेकिन दो दिन बाद में फिर से इतिहास विषय से बोर होने लगा। मुझे उसमें रुचि बिल्कुल नहीं थी लेकिन क्या करें इस गांव में 12वीं कक्षा के लिए यही एक संकाय उपलब्ध था, इसलिए मजबूरन इसमें दाखिला लेना पड़ा। दो दिन बाद में फिर से पढ़ाई करके नहीं गया इसका कारण यह था कि मेरी विषय में रुचि फिर से कम हो गई लेकिन उससे भी बड़ा कारण था कि दिल में एक जिज्ञासा और रोमांचकि हेमलता अध्यापिका इससे भी कठोर सजा देंगी तो क्या देंगी।
अगले दिन अध्यापिका ने जो प्रश्न पूछे मैं उसका उत्तर नहीं दे पाया और जिसकी अपेक्षा थी वही हुआ अध्यापिका ने मुझे अपने दोनों हाथ ऊपर करके खड़ा हो जाने वह कहा और मैं तुरंत खड़ा हो गया। इस बार अध्यापिका ने देर नहीं की और मेरे शर्ट, बनियान, पेंट और चड्डी सब उतार दिया और मुझे फिर से उनके सामने पूरा नंगा खड़ा होना पड़ा।लेकिन अभी उनकी सजा खत्म नहीं हुई थी उन्होंने कहा “तुम आजकल बहुत लापरवाह होते जा रहे हो कुछ पढ़ते ही नहीं हो तुम्हें और सख्त सजा की जरूरत है चलो अब मुर्गा बन जाओ और अपना सर दीवार की तरफ रखना”। यह कह कर अध्यापिका पास में पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गई और मैंतुरंत ही मुर्गा बन गया। अब क्योंकि मेरा सिर दिवार की तरफ है तो मेरा पीछवाडादरवाजे की तरफ था जिससे खुशबू बुआ किसी भी मिनट आ सकती थी और मेरी इस अवस्था को देख सकती थी। यह सोचकर मुझे शर्म तो आई लेकिन दिल में जो रोमांच जगा इसका एहसास मुझे उस दिन पहली बार हुआ था।
मैं 5 मिनट के लिए अपनी अध्यापिका के सामने पूरा नंगा होकर मुर्गा बना रहा लेकिन खुशबू Hkwvk उस दिन कमरे में नहीं आई। शायद उन्हें पता था कि मुझे सजा दी जा रही हैं या कोई और कारण भी हो सकता हैं। 5 मिनट बाद हेमलता अध्यापिका ने मुझे जाने दिया और कहा कि पढ़कर आना वरना कलफिर से मुर्गा बनाऊंगी।
मैं अगले दिन ठीक-ठाक पढ़ाई करके किया और हेमलता अधिक अध्यापिका के प्रश्नों का उत्तर दिया लेकिन इस बार हेमलता अध्यापिका ने इतिहास के बहुत कठिन प्रश्न पूछे थे जिनकेसारे उत्तर मुझे नहीं याद थे। मेरे उत्तरों को देखकर हेमलता अध्यापिका के चेहरे पर थोड़ी संतुष्टि आई लेकिन फिर मुसकुरा कर कहा कि चलो ठीक है तुमने थोड़ी पढ़ाई तो की है लेकिन अगली बार से सारे प्रश्न के उत्तर याद करके आना वरना मैं तुम्हें मुर्गा बनाऊंगी अगर एक भी प्रश्न गलत हुआ तो। मेरे बार-बार ना पढ़ कर आने पर और फिर उनके सजा देने के बाद पूर्ण अंक प्राप्त करने पर अध्यापिका को लगने लगा कि मुझे शर्मिंदा करके सजा देने का तरीका ही सही है। इस कारण से मैं उस दिन के बाद हेमलता अध्यापिका ने मुझे मात्र एक प्रश्न गलत होने पर या कोई चीज भूल जाने पर भी मुर्गा सजा देने चालू करदिया।
यह कहानी का उद्देश्य मात्र हास्यास्पद मनोरंजन हैं।
यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक हैं।
मेरा नाम आरव हैं, मैं उन्नीस साल का जनवरी 1990 में हो गया हूं पर मेरा कद थोड़ा हैं और मेरे भोहों से नीचें कोई भी बाल नहीं हैं। मैं पहले चन्दीगढ़ में रहता था लेकिन पापा जी के चले जाने के बाद मम्मी ने बहुत मेहनत कर एक दूर दराज गांव में एक सरकारी नौकरी हासील की जिसके बाद मैं और मम्मी उस गांव में आ कर रहने लगे। इन सब के चलते मेरी पढ़ाई में बाधा आई और अब हाल यह है कि मैं बसरहवी कक्षा फिर से पढ़ रहा हूं मतलब कि में पहले एक बार बारहवी में फेल हो चुका हु।
हम गांव तो आ गए लेकिन कम पैसे होने की वजह से मम्मी ने फैसला लिया कि हम गांव के थोढा बाहर जो पुराना मकान है जिसे कोइ गांव का व्यक्ति नहीं ले रहा, उसे खरीदकर उसमे रहेंगे। गांव के इतने बाहर कोइ और घर था तो वह था एक अध्यापिका का ६ ार। उनका घर हमारे घर से इतना पास था कि हमे बस अपने घर से सीधे-सीधे 10 मिनीट चलनस होता था लेकिन दुर दुर तक हमारे दो घरों के अलावा ओर कोई घर नहीं था। घर तो दूर की बात है घास का एक तीनका भी नहीं था घर के आस पास।
जब मम्मी को पता चला कि वे एस. एस. टी. की अध्यापिका हैं तो मम्मी ने तुरंत उनसे मुझे टयूश्न देने की बात कही जो अध्यापिका ने 50 रुपये प्रति माह के शुल्क पर स्वीकार कर ली। उनका नाम हेमलता पाटिल था, वे चालिस साल की थी, वह अपनी पेतालिस साल की कामवाली खुश्बू के साथ रहती थी उनका कोई पति या संतान हो एसा मैने कभी सुना नहीं और उन्होने कभी बताया नहीं।
मैं फिर रोज उनसे टयूश्न पढ़ने जाने लगा। उनका रूप स्पष्ट रूप से भरा हुआ ओर गोल है, उनकी दूंगी एक वक्र (round ass) है। उनका बस्ट पर्याप्त है (big boobs), जो ब्लाउज को भरता है। उनकी टांगें, एक समान मोटापे का सुझाव देती हैं (thick thighs)। उनका चेहरा गोल और भरा हुआ है। कुल मिलाकर, उसके शरीर में दृढ़ता का एहसास होता है, लेकिन कोमलता का भी।
हेमलता मेम एक अनोखे व्यक्त्त्वि की मालकिन हैं। वह क्लास में एक कठोर अनुशासक की तरह पढ़ाती हैं पर क्लास खतम हो जाने के बाद मुझसे एकदम शरारती हंसी हसते हुए बात करती हैं मानो जैसे किसी ने टी. वी. का चेनल बदला हो। उनके विपरित उनकी कामवाली खुश्बू भूआ सीधी-सादी और कोमल स्वभव की हैं।
पन्द्रह दिन टयूश्न में इतिहास पढ़ाने के बाद हेमलता मेम ने मुझे एक बीस प्रश्नों का टेस्ट दिया लेकिन इतिहास में कमजोर होने के कारण मुझसे सिर्फ एक ही उत्तर सही हो पाया।
हेमलता मेम का गुस्सा उनके चेहरे पर साफ जलक रहा था और उन्होने कहा “ अरे तुम इतने सरल प्रश्न भी नहीं कर पा रहे तो परिक्षा में कैसे पास हीगे, ध्यान कहां रहता है तुम्हारा। “मैने शर्मीदगी से सिर नीचे झुका लीया लेकिन मेम का गुस्सा इन सब से शांत होने वाला नहीं था, वह कठोरता से बोली” दोनो हाथ उपर करके खडे हो जाओ और हिलना मत।“
मैने ठीक वैसा ही किया, मुझे लगा कि थोड़े समय में गुस्सा शांत हो जाएगा लेकिन मैं गलत था, मेम ने तो सजा देना अभी शुरू भी नहीं किया था। हेमलता मेम मेरे पास आई और मेरे शर्ट के बटन खोलने लगी, मैं चौंक गया और एक कदम पीछे हट गया लेकिन गेग ने मुझे कंधों से पकड़ लिया और मुझे आँखें दिखाने लगी। मैं उनका इशारा समझ गया और अपने हाथ उपर करके बिना हीले खड़ा रहा।
मेम ने मेरी शर्ट और बनीयान दोनों उतार दी और कहा “ तुम लड़कें होते ही शरारती हो, तुम्हारे दीमाग में कुछ बात डालनी हो तो तुमहे शर्मीदा ही करना पडता हैं। कल फिर इन प्रश्नो का टेस्ट होगा याद करके आना वरना सजा इससे भी शर्मनाक होगी।“ मैं अपनी मेम के सामने कमर से उपर बिना कपड़े खड़ा हूं यह सोचकर मुझे शर्म आई और मेने कल सारे प्रश्न याद करके आने का फैसला किया।
अगले दिन जब मैं वह 20 सवाल कंठस्थ याद करके आया और सही-सही उत्तर लिखे तो अध्यापिका खुश हुई और मुझे माथे पर चुम्मा दिया।मुझे लगा कि चलो इस बार बच गए, अगली बार अगर थोड़ा बहुत भी पढ़ लिए तो ऐसी शर्मनाक सजा अध्यापिकामुझे दोबारानहीं देंगी।
लेकिन अक्सर हम जो सोचते हैं होता उसका ठीक उल्टाहोताहैं।मेरे साथ भी यही हुआं।अगले दिन अध्यापिकाने 25 प्रश्न ,जो पिछले प्रश्नों से भी कठिन थे, मुझे हल करने को कहा लेकिन मैं बस थोड़ा-बहुत ही पढ़ा था इतना नहीं पढ़ा था कि यह कठिन 25 प्रश्न मुझसे हाल हो पातेसो मैं उन 25 प्रश्नों में से सिर्फ दो काही उत्तर दे पायाaaa
अब अध्यापिका मुझसे और भी ज्यादा गुस्सा हो गई और मुझे वही बात दोहराई “तुम लड़कों को अगर कोई सबक सिखाना हो तो तुम्हें शर्मिंदा करके ही सिखाया जा सकता है।“
अध्यापिका ने इस बार मुझे फिर से हाथ ऊपर करके खड़ा होने को कहा और सख्त हिदायत दी की बिल्कुल भी मत हिलना।
इस बार मुझे पता था कि अध्यापिका क्या करेंगे इसलिए मैंने विरोध नहीं किया। इस बार अध्यापिका ने न सिर्फ मेरी शर्ट और बनियान उतारी पर उनका हाथ मेरी पेंट की तरफ बढ़ा और उन्होंने मेरी पेंट का बटन खोल मेरी ज़िपकी चेन नीचे की, फिर आंखों में आंखें डालकर मुझसे पूछा “क्या कल यह सारे प्रश्न याद करके आओगे कि मुझे तुम्हारी पेंटभी उतारनी पड़ेगी?”
मैंने पूरे जोश में बोला कि मैं यह सारे सवाल याद करके आऊंगा और ठीक वैसा ही किया।इस बार मन लगाकर पढ़ाई की और इतिहासका पहला अध्याय मैंने कंठस्थ कर लिया।जब अध्यापिकाने अगले दिन मेरा टेस्ट लिया तो मैंने सारे प्रश्न सही-सही किए तो अध्यापिका ने फिर से मेरा माथा चूमा और कहा कि “बस ऐसे ही पढ़ाई करते रहो तुम्हें सजा नहीं दूंगी”।
ऐसे करते-करते 5 दिन बीत गए और इतिहास विषय का पहला अध्याय समाप्त हो गया। मैंने इन पांच दिनों में अध्यापिकाने जितने प्रश्न पूछे उन सब का सही-सही उत्तर दिया और उस शर्मनाक सजा से बच गया लेकिन फिर छठे दिन इतिहास का दूसरा अध्याय आरंभ हुआ लेकिन मेरा मन इस विषय में बिल्कुल नहीं लगता था।इसलिए जबअध्यापिका ने दूसरे अध्याय से प्रश्न पूछे तो मैं बहुत कम प्रश्नों का ही उत्तर दे पाया।अध्यापिका फिर गुस्सा हो गई और उन्होंने मुझे फिर से हाथ ऊपर करके खड़ा हो जाने को कहा।इस बार अध्यापिका ने मेरे शर्ट और बनियान उतार दिए और फिर उनका हाथ मेरी पेंट की तरफ जाने लगा। मुझे लगा कि वोबस डरा रही है पेट थोड़ी ना उतरेंगी 19 साल के लड़के की लेकिन मैं फिर से गलत था। मेम ने मेरी पेंट की तरफ हाथ बढ़ाया और मेरी पेंट का बटन खोल दिया उसके बादमेरी ज़िपभीनीचे कर दी, अब मुझे डर लगने लगा था कहीं अध्यापिका सही में मेरी पेट तो नहीं उतरेंगी लेकिन मैं बोल पाता इससे पहले ही अध्यापिकाने आंखें दिखा कर मुझे चुप कर दिया। फिर जिसका डर था वही हुआ अध्यापिका ने मेरे पेंटके दोनों तरफ अपना हाथ रखा और एक झटके में उसे नीचे कर दिया अब पेंटमेरे घुटनों तक थी और मेरी वी-कट वाली चड्डीअध्यापिका को साफ-साफ दिख रही थी। मुझे बहुत ज्यादा शर्म आने लगी मेरा कद छोटा है और मेरे शरीर के भोंहो से नीचे कोई बाल भी नहीं है, मेरी छाती पर कोई बोल नहीं ना मेरी टांगों पर है।मेरी चमड़ी भी बहुत गोरी है।मुझे वैसे ही अपनी छाती और टांगे दिखने में शर्म आती है लेकिन इस तरीके से सजा पाते हुए वह शर्म दुगनी हो गई।
अध्यापिका ने मुझे अब बारी-बारी से अपनी टांगे उठाने को कहा और इस तरह उन्होंने मेरी पेंट पूरी तरह से उतर कर एक कोने में रख दी।
तभी खुशबू भुआ कमरे के अंदर आती है और मुझे अर्धनग्नअवस्था में देखकर हंस पड़ती है और बोलती है कि “इतना बड़ा लड़का चड्डी में क्यों खड़ा है, हेमलता क्या तूंइसे नहलानेले जा रही?”
यह सुनकर हेमलता अध्यापिका भी हंस पड़ी और बोली कि “ मैं इसे सजा दे रही हूं, इसे नहलाने नहीं ले जा रही अगर यह कल भी इसी तरह से नहीं पढ़ा तो मैं इसे और भी कठोर सजा दूंगी”।
यह सुनकर खुशबू हुआ हैरान होते हुए पुछतीहै “अरे!अब क्या 19 साल के लड़के को पूरा नंगा करोगी?
हेमलता अध्यापिका बस मुसकुराती है लेकिन कोई उत्तर नहीं देती। में उस रात घर बैठे-बैठे यही सोच रहा था कि क्या सही में अध्यापिका मुझे पूरा नंगा करेगी। क्या हेमलता अध्यापिका मेरी चड्डी भी उतारेगी और क्या खुशबू बुआ भीयह सब देखेगी। यह सब सोचकर उस रात नींद ही नहीं आई एक तरफ तो मैं डरा हुआ था लेकिन दूसरी तरफ दिल में कहीं रोमांच और जिज्ञासा भी थी कि क्या हेमलता अध्यापिका मुझे सही में पूरा नंगा करेगी। इस कारण में उसे रात कुछ पढ़ ही नहीं पाया और अगले दिन जब हेमलता अध्यापिका ने वही प्रश्न मुझे दोबारा पूछे तो मैं उनका उत्तर फिर से नहीं दे पाया। इस कारण हेमलता अध्यापिका बहुत गुस्से में थी और बोली”अब बसहुआ।तुम लड़कों को सही में कुछ भी समझ नहीं आता जब तक तुम्हारे सारे कपड़े ना उतार दिए जाए”। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा मुझे आभास हो गया था कि आज में हेमलता अध्यापिका और खुशबू बुआ के सामने पूरा नंगा हो जाऊंगा।सो जब हेमलता अध्यापिका ने मुझे हाथ ऊपर करके खड़ा होने को कहा तो मैं झट से खड़ा हो गया और बिल्कुल भी नहीं हिला।
हेमलता अध्यापिका ने मेरा शर्ट अल्पविराम मेरी बनियान और मेरी पेंट उतार के कमरे के कोने में रख दी। उसके बाद उन्होंने अपनी दोनों उंगलियों मेरी चड्डी के कमरबंद(waistband )में डाली और मेरी आंखों में आंखें डाल कर अपनी उंगलियां धीरे-धीरे नीचे सरकाने लगी।
अध्यापिका ने मेरी चड्डी उतारी और मेरे बाकी के कपड़ों के साथ उसे भी वहीं कोने में रख दिया। और फिर सख्त लहजे में बोला कि अपने हाथों को ऊपर ही रखो वह बिल्कुल भी नीचे नहीं आने चाहिए। इसके बाद वह एक कुर्सी पर बैठ गई और मैं वही अपने हाथों को अपने सिर पर रखकर पूरा नंगा उनके सामने खड़ा रहा। तभी खुशबू हुआ अंदर आती है और मुझे देखते ही बोलती है “ऊफ ! कल तुम्हें चड्डी में देखा था आज तो पूरा नंगा देख रही हूं। यह क्या, तुम्हारा नून्नूतो बहुत छोटा है इतना प्यारा नून्नू तो बच्चों का भी नहीं होता।
मैंने उनकी बात को सुना और मेरा दिल जो पहले से ही बहुत जोर-जोर से धड़क रहा था अब तो मानो छाती में उछलने लगा अल्पविराममुझे लगा कि इससे ज्यादा शर्मनाक मेरी जिंदगी में आज तक कुछ नहीं हुआ और शायद आगे भी इससे ज्यादा शर्माना और कुछ हो भी ना। हेमलता अध्यापिका ने मुझे 10 मिनट बाद मेरे सारे कपड़े लूटा है और कहा कि कल अच्छे से पढ़ाई करके आना यह प्रश्न पूछूंगी और अगर नहीं पढ़ाई की तो इससे भी कठोर सजा दूंगी।आज की रात तो मैं बस जो क्लास में हुआ वही सोच रहा था मैं तो ठीक से बैठ भी नहीं पा रहा था सोने की तो दूर की बात है लेकिन फिर भी मैं थोड़ी पढ़ाई की और बस इतना पढ़ा कि जो प्रश्न अध्यापिका पूछे उनका मैं उत्तर दे सकूं।
अगले दिन मैंने मेरा टेस्ट लिया और मैं सभी प्रश्नों का उत्तर ठीक ठीक दिया इससे मैं खुश हुई और बोला कि चलो बस ऐसे ही पढ़ाई करो और सजा आगे नहीं मिलेगी। लेकिन दो दिन बाद में फिर से इतिहास विषय से बोर होने लगा। मुझे उसमें रुचि बिल्कुल नहीं थी लेकिन क्या करें इस गांव में 12वीं कक्षा के लिए यही एक संकाय उपलब्ध था, इसलिए मजबूरन इसमें दाखिला लेना पड़ा। दो दिन बाद में फिर से पढ़ाई करके नहीं गया इसका कारण यह था कि मेरी विषय में रुचि फिर से कम हो गई लेकिन उससे भी बड़ा कारण था कि दिल में एक जिज्ञासा और रोमांचकि हेमलता अध्यापिका इससे भी कठोर सजा देंगी तो क्या देंगी।
अगले दिन अध्यापिका ने जो प्रश्न पूछे मैं उसका उत्तर नहीं दे पाया और जिसकी अपेक्षा थी वही हुआ अध्यापिका ने मुझे अपने दोनों हाथ ऊपर करके खड़ा हो जाने वह कहा और मैं तुरंत खड़ा हो गया। इस बार अध्यापिका ने देर नहीं की और मेरे शर्ट, बनियान, पेंट और चड्डी सब उतार दिया और मुझे फिर से उनके सामने पूरा नंगा खड़ा होना पड़ा।लेकिन अभी उनकी सजा खत्म नहीं हुई थी उन्होंने कहा “तुम आजकल बहुत लापरवाह होते जा रहे हो कुछ पढ़ते ही नहीं हो तुम्हें और सख्त सजा की जरूरत है चलो अब मुर्गा बन जाओ और अपना सर दीवार की तरफ रखना”। यह कह कर अध्यापिका पास में पड़ी एक कुर्सी पर बैठ गई और मैंतुरंत ही मुर्गा बन गया। अब क्योंकि मेरा सिर दिवार की तरफ है तो मेरा पीछवाडादरवाजे की तरफ था जिससे खुशबू बुआ किसी भी मिनट आ सकती थी और मेरी इस अवस्था को देख सकती थी। यह सोचकर मुझे शर्म तो आई लेकिन दिल में जो रोमांच जगा इसका एहसास मुझे उस दिन पहली बार हुआ था।
मैं 5 मिनट के लिए अपनी अध्यापिका के सामने पूरा नंगा होकर मुर्गा बना रहा लेकिन खुशबू Hkwvk उस दिन कमरे में नहीं आई। शायद उन्हें पता था कि मुझे सजा दी जा रही हैं या कोई और कारण भी हो सकता हैं। 5 मिनट बाद हेमलता अध्यापिका ने मुझे जाने दिया और कहा कि पढ़कर आना वरना कलफिर से मुर्गा बनाऊंगी।
मैं अगले दिन ठीक-ठाक पढ़ाई करके किया और हेमलता अधिक अध्यापिका के प्रश्नों का उत्तर दिया लेकिन इस बार हेमलता अध्यापिका ने इतिहास के बहुत कठिन प्रश्न पूछे थे जिनकेसारे उत्तर मुझे नहीं याद थे। मेरे उत्तरों को देखकर हेमलता अध्यापिका के चेहरे पर थोड़ी संतुष्टि आई लेकिन फिर मुसकुरा कर कहा कि चलो ठीक है तुमने थोड़ी पढ़ाई तो की है लेकिन अगली बार से सारे प्रश्न के उत्तर याद करके आना वरना मैं तुम्हें मुर्गा बनाऊंगी अगर एक भी प्रश्न गलत हुआ तो। मेरे बार-बार ना पढ़ कर आने पर और फिर उनके सजा देने के बाद पूर्ण अंक प्राप्त करने पर अध्यापिका को लगने लगा कि मुझे शर्मिंदा करके सजा देने का तरीका ही सही है। इस कारण से मैं उस दिन के बाद हेमलता अध्यापिका ने मुझे मात्र एक प्रश्न गलत होने पर या कोई चीज भूल जाने पर भी मुर्गा सजा देने चालू करदिया।