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14-04-2025, 12:51 PM
दुबई के चाचाजी का ईमोल - १
( नुनि ओर मुहसल मे अंतर )
मेरा नाम अमित है, कहानी को पीछलो भाग मे आपने पढा होगा की कोसे मैने ईंटरनेट ग्रुप का मॆंबर बन को एक अन्जान अदमि जो दुबई मे काम करता था जीसे मै मोहन चाचा कहने लगा ऊसे देस्ती की ओर ऊसे ईंडीया बुलाके ऊससे अपनी बीवी नेहा की सेटिंग कराको ऊससे अपनि बीविको चुदवाया। और जब नेहा प्रॆग्नेंट हुई ओर मैने ये बात चाचाजी को बताई तो वे बहुत खुश हुए ओर मुझे मुबारक बात दी। ओर कहा की ए खुशखबरी दोने के लीए ओ मुझे एक गीफ्ट दोंगे मगर वो गीफ्ट सीर्फ मेरे लीएही होगी, ओर ईस पात का पता नेहाको क्या कीसी ओर को भी नही लगना चाहीये। तो मैने भी चाचाजी से वादा कीया की ये बात मै कीसीसे नही शेर करुंगा। तब चाचाजी ने कहा की वे मुझे हर हफ्ते शुक्रवार को ईमोलस भेजोंगे ओर ऊन्होने मुझे वो ईमोलस अकोलोमे पढ्नोकोलीए कहा, तो मैने भी हाः कर दी। ओर मै चाचाजी को ईमोलस का ईंतजार करनो लगा। ईस भाग मे चाचाजी को ईमोल को बारोमे बतऊंगा की ऊसमे क्या था.....।
आज शुक्रवार था तो मै आफीस से आनो के बाद नेहा से काम का बहाना बनाके खाना खा कर मेरा ल्यापटाप लोके दुसरे कमरेमे चला गया, ओर नेहा हमारे कमरेमे सोने चली गयी। शुक्रवार क दीन हम दोने के लीए सही था, क्युकी शुक्रवार को चाचाजी को दुबई मे छुटी होति है ओर शनीवार, रवीवार को मुझे छुटी होति है तो चाचाजी भी आराम से ईमोलस भोज सकतोथे ओर मै भी आराम से ऊन ईमोलस को रात को पढ सकताथा। मै ल्यापटाप लोके दुसरे कमरेमे आया ओर ऊसे ईंटरनेट ओर बडे एक्सटर्नल स्क्रीन से जोड कर चाचाजी का ईमोल खोल कर पढने लगा। ऊसमे पहलो तो चाचाजी नो ऊसे हमारे घर मे एक महीना रुकने दीया इसका आभार जतायाथा, ओर मुझे बाप बन्नो को बघ्घायि दी थी। ओर आहे मुझसे माफी भी मागीथी, क्यू की ऊन्होने मुझे ऊनके ओर नेहाके बीच हुई चुदाई देखने नही दी थी। हालाकी मै चाचाजी ओर नेहाके बीच हुई चुदाई देखनी थी, ओर ए बात मैने चाचाजीसे भी कही थी, पर ऊन्होने तब मना कर दीया था। ताकी मै ऊन्हे नेहाके साथ सेक्स करते दोख कर बाद मे ऊनके सामने गील्टी फील ना करु ओर ओ भी घर मे रहते हुए असहज महसुस ना कर सके, ओर मुझे ऊनकी यह बात सहीभी लगीथी। मगर अब स्थीतिया अलग थी चाचाजी वापससे दुबई जा चुको थे ओर मै भी ऊनके ओर नेहाके बीच हुई सेक्स को अपना चुका था। तो ईमोल मै इन सब को बाद आखीर मे लीखा था, "अमित बेटा अब मै जो तुम्हे दीखाने जा रहा हु वे दोखनेके बाद तुम मुझसे वादा करे की तुम बहुसे वैसेही ओर ऊतना ही प्यार करोगे जैसे मेरे तुम्हासे घर आनेसे पहले ओर अबभी करते हो। ए सब मै तुम्हे इस लीए दीखा रहाहु की तुमने मुझसे मेरे ओर नेहाके बीच हुई चुदाई देखने की जीद्द की थी, ओर ऐ सब दोखनेके बाद तुम मुझसे या बहुसे घ्रीणा या द्वोश नही करेगे, क्यु की ऊस एक महीने तुम्हारे घर मे रुकने बाद मै तुम्हे ओर बहुको अपना परीवार माननो लगा हू। ऎ सब सीर्फ तुम्हारी वझेसेही मुंमकीन हो पाया है तो ये मेरा फर्जं बनता है की मै तुम्हारी ईछा पुरी करु। तुम्हारा एक महीने का अन्जाना मोहन चाचा..."। ओर ईमोल को नीचे आखीर मे नोट लीखाथा, "ऎंजाय दी शो...." ओर चाचाजी ने एक लींक भैजा था। जब मैने ऊसपर क्लीक कीया तो वे मुझे चाचाजी को पर्सनल क्लैड ड्रैव पर लो गया जहा मुझे बहुत से वीडियेस अपलोडेड दीखे, ओ सारे HD व्कालीटिके वीडियेस थे, तो मै ऊन वीडियेस को फ्ले करको देखने लगा।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
ಕಾಮರಾಜ
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पहलो वीडिये मे कुछ लोग हमारे घर मे सब जगा CCTV केमरे लगाते दीखे ओर तो ओर ऊसमे ऊनकी आवाज भी साफ नुनाई दो रही थी। मतलब की ऐ सारे CCTV केमरे वीडियेस को साथ आडिये भी रोकार्ड कर सकतो थे। ऊन लोग ने हमारे घर के हर हीसे मे CCTV केमरे लगाये थे, हाल मे, कीचन मए, दोने कमरे मे यहा तक्की बाथरुंम मे भी ऊन्हेने CCTV केमरे लगाये थे। जब ओ लोग हमारे बाथरुंम मे CCTV केमरे लगा रहेथे तो ऊनमेसे एक आदमीने कहा, "साला लगता है बुड्डा अपने बहु ओर बेटे को सीर्फ चेदते हुए नही बलकी अपने बहु को नाहाते हुए भी दोखना चाहता है", तो दुसरे आदमीने कहा, "पता नही क्या मसला है वे बुड्डा जाने ओर ऊसके बहु ओर बेटे हमे ईस्से क्या लोना है। हमे तो बुड्डेने अछ्छे कासे पैसे दीये है CCTV केमरे लगाने के तु बस अपना काम ठीक तरहसे कर बस। ओर दोख सारे कमरे CCTV केमरे मे ठीक से दीखाई दोने चाहीए"। ए वही दीन था जब नेहा चाचाजी को लोकर डाक्टर को पास लो गयी थी जब चाचाजी ने पैर फीसल कर मोछ आनेका बहाना बनाया था। कुछ दोरबाद ओ सारे लोग हमारे घर मे CCTV केमरे लगा कर नीकल गये, ओर ऊन लोगो को जानेके कुछ दोरबाद CCTV केमरे अपने आप आफ हो गये। ओर फीरसे आन तब हुए जाब नेहा चाचाजी को लोकर डाक्टर को पास से घर लोटी, यानी वे सारे CCTV केमरे मोशन सेंनसर थे, यानी ऊनको सामने से कोई गुजरने पर या कोई हलचल होने पर ही वो आन होतेथे। ईसे ए पता चला की चाचाजी बहुत शातीर ओर होशीयार भी थे, मुझसे भी ज्यादा क्यु की मुझे तो इन सबके बारेमे पताभी नही था। नेहा चाचाजी को अब सहारा दोते हुये लाकर सोफेपर बैठा दिया ओर ऊनको लीए खाना लीकर आई। खनोके बाद चाचाजी ने नेहासे डाक्टर नो दीया तेल मांगा जब नेहाने चाचाजी को वो तेल की शीशि दोकर कीचन मे अपना काम करने लगी। तो चाचाजी ने कुदसे वो तेल अपने पैर लगाको मालीश करने की कोशीश करने लगे पर ऊनके भारी पेट के कारन वो नही कर पा रहाथा ओर जान बुझकर कराह रहे थे। जब नेहा ने ये सब दोखा तो वे चाचाजी के पास आकर ऊनसे वो तेल की शीशि लोकर कहा, "चाचाजी मै आपके पैर की मालीश कर दोतीहु"। जब नेहा नीचे बैठकर चाचाजी के पैर की मालीश कर रहीथी तो चाचाजी सोफेपर सर रखकर कराह रहे थे। जब नेहा ऊनके पैर की मालीश कर रही थी तो चाचाजी का हतियार ऊनकी धेति मे ही अपने सर ऊठा बडासा तंबु बना दीया था। जब नेहा की नझर चाचाजी के धेति पर पडी तो वो सकपका गयी ओर बहुत डर भी गयी थी ऊसके चेहरेपर ओ डर साफ दीख रहा था। चाचाजी को धेति मे ऊनका हतियार का तंबु तो मै भी CCTV केमरे मे साफ दोख पारहाथा, धेति मे भी ओ भयानक लग रहाथा तो सोचे २-३ फीट की दुरीसे दोखकर नेहा की हालत क्या हुई होगी? ये वही समय था जब मै आफीस से घर आया ओर नेहा को कहाता की चाचाजी को पैर की अछेसे मालीश करदे, ओर मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। तब चाचाजी ने जानबुझकर नेहा से पुछा, "क्या हुवा बहु तुम घबराईहुइ लग रहीहो", तो नेहाने कहा कुछ, "नही चाचाजी मै आपको दोने के लीए खान लगा दोती हू", ओर खन लगाने कीचन मे चली गयी। अब मुझे पता चला की नेहा ऊस दीन चाचाजी से ज्याद बात नही कर रही थी ओर क्यु ऊनसे आंख चुरा रही थी? क्यु की नेहाने शायद चाचाजी का हतियार दोखलीया था ओर ओ ऊसे दोखकर डर गयी थी। फीर अगले दीन सुबह मै तैयार होके कामपर जानेसे पहले नेहा से चाचाजी का अछेसे खयाल रखनेको कहकर जब अपने कामपर नीकल गया। नेहाने घर के सारे काम नीपटाकर जब दोखा की चाचाजी आज भी कुदसे वो तेल अपने पैर लगाको मालीश करने की कोशीश कर रहेथे, तो नेहाने सामनेसे खुद चाचाजी के ऊनके पैर की मालीश करने का पुछा तो चाचाजी के खुशीका ठिकान नही था ओर ऊन्हेने हा कहदी। फीर नेहाने डाक्टर की दी हुयी वो तेल की शीशि लोकर ऊनके पैर की मालीश करने लगी, तो चाचाजी सोफेपर सर टीकाकर बैठ गये ओर आज भी जान बुझकर कराह रहे थे, पर आज ऊनके कराहने मे अलग दर्द था। आज फीरसे चाचाजी का हतियार ऊनकी धेति मे सर ऊठा बडा तंबु बना दीया, पर आज नेहा ऊसे देखकर डरी नही बलकी नीचे बैठकर ऊसे देखते हूए चाचाजी के पैर की मालीश कर रहीथी। कुछ दोरबाद नेहा चाचाजी की मालीश खतम कर के ऊनसे कहा, "चलीए चाचाजी मै खान लगा दोती हु आप खान खा कर आप आराम कर लीजीये" ये बेलकर नेहा कीचन मै खान लगाने चली गयी। फीर चाचाजी ऊठकर पहलो अपने हतियार को सहलाके ऊसे शांत कीया ओर खान खा कर अपने कमरेमे आराम करने चलो गये। शाम को नेहा जब चाचाजी को ऊठाने गयी तो चाचाजी अपने कमरेमे आराम करते हुए अपने धेति पर सेही अपने हतियार को सहला कर शांत कर रहेथे। जब नेहाने ये देखा तो वे चाचाजी बुलाने की बजाय वही छुपकर ऊनकी हरकतोको देखने लगी कुछ दोरबाद ये सब देखने के बाद नेहा वापीस कीचन मै आगयी ओर चाचाजी को आवाज लगा के चाय पे बुलाया। जब चाचाजी लंगडा कर चलते हुए आए तो नेहा ने कहा, "चाचाजी चलमे तकलीफ हो रहीथी तो मुझे बुला लेतो मै आजाती सहारा दोने", तो चाचाजी ने कहा, "रहनो दो बहु तुम आज तो मुझे सहारा दोने आजाती मगर जब मै दुबई वापस चला जाऊंहा तो बहा कोन आयेगा? मुझो तो ईस सबकी आदत हो गयी है अकोलो ही खुदको सहारा दोने की ओर अपने हातसे अपनी सोवा करने की"। चाचाजी की इस डबल मीनींग बात सुनकर नेहा ने भी ऊनके नेहलोपर दोहला मारा ओर कहा, "जैसे आप अभी कमरेमे अपने हातसे अपनी सोवा कर रहेतो वैसे ही?", ए बात सुनकर चाचाजी पहलोतो थोडा झीझक गए पर अपने आप को संभालकर कहा, "हा बहु अब तुम्हारी चाची तो रही नही तो पीछलो १० सालोसे मै खुदही अपने हातसे अपनी सोवा कर लोता हू"। इस बात पर दोने हसने लगे ओर चाय पीकर आपस मे गप्पे लडाने लगे, दोने डबल मीनींग बात करते हुए एक दुसरेकी टांग खीच रहेतो। फीर नेहाने चाचाजी से कहा, "चलीए चाचाजी मै आपके पैर की मालीश कर दोती हु, दोखीए तो दो बारकी मालीश मे ही आप लंगडा कर ही सही चलनेते लगे"। ए सुनकर चाचाजी ने कहा, "ए बाततो तुम्हारी सही है बहु तुम्हारे हातोमेतो जादु है जो बरसोसे लंगडा रही चीज को भी खडा करदे"। फीर चाचाजी सोफेपर पीट टीकाकर बैठ गये ओर नेहा नीचे बैठकर ऊनके पैर की मालीश करने लगी। कुछ दोरबाद नेहा ने चाचाजी से कहा, "चलीए चाचाजी मै आपके को जांघेः की मालीश भी कर दोती हु जांघेः की नशे खुल जायेंगी तो आपको भी आराम मीलोगा", ये बेलकर नेहा ने चाचाजी की धेति खुदही कमर तक्क सरका दी। चाचाजी का हतियार पहलो ही ऊनकी धेति मे तंबु बनाये बैठा था, ओर अब नेहा की ईस हरकत से वो ओर भी फन फनाने लगा। ऊसे दोख कर नेहा बोली, "चाचाजी पता नही चाची आपको कैसे झेलतीथी आपको वजनसे तो ऊनकी चिखो नकल जाति हेंगी"। तो चाचाजी ने नेहासे कहा, "हा पहलीबारतो तुम्हारी चाची दर्दसे चिखीथी, पर बाद में खुशी ओर सुख से भी चिखती थी" क्यु तुम नही चिखति क्या? तब नेहा बोली, "चाचाजी दर्द की चिख छोडीये आपको बेटेनेतो आज तक्क मेरी खुशी ओर सुख की चिखभी नही नीकाली"। ए सुनकर चाचाजी बोलो, "बहु अगर तुम हा कहोतो मै ईस ऊर्म मे भी तुम्हारी चिखे नीकाल सकता हु", ऊनके ए कहतो ही नेहा चाचाजी के दोख कर मुस्कुराने लगी। तभी मै अंदर आया तो चाचाजी ने मुझो देखकर कहा, "अरे अमित बेटा आगये तुम आज तो बडी देर करदी आनो मे" ओर ऊन्हेने अपनी धेति नीचे करली। तब नेहा भी अपना हात चाचाजी को जांघेः से हटा कर वापस ऊनके पैर की मालीश करने लगी। तब मै नारमल बरताव करते हुए कहा, "हा चाचाजी आज काम कुछ ज्यादा था बहुत थक गया आज तो" ओर नेहा को जल्दी खान लगाने को कहा। नेहा के चेहरे पे अभीबी खुश दीख रहीथी, तो मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। तब नेहा कीचन मै खान लगाने चली गयी। जब सबने खाना खाया ओर मै अपने रुम सेने चले गये। तो नेहा ओर चाचाजी साथ बैटकर टीवी देखतो बातो कर रहेथे, तब मै रुम मे अकर सोगया ओर मुझे नींद आगयी। फीर कुछ दोरबाद बाद जब नेहा ऊठकर हमारे कमरेमे आ गयी ओर मेरे बगल मे सो गयी।
फीर अगलो दीन नाश्ता करने को बाद मैने नेहा से कहा था की, "नेहा आज आफीस मे काम ज्यादा है तो मुझे आनो मे देर हो जायेगा", ओर ऎसा बेलकर जब मै कामपर नीकल गया। तो नेहाने कीचन सो ही चाचाजी को आवाज लगा के नाश्ते के लीए बुलाया। आज चाचाजी आरम से चलते हुए आए तो नेहा ने कहा, "वाह! चाचाजी आपका पैर तो अज ठीक लग रहा है?" तो चाचाजी ने कहा, "ए सब तुम्हारा ही कमाल है बहु तुम्हारे हातो मेंतो जादु है जो दो दीन मेही मेरा पैर ठीक करके मुझे खडा कर दिया", ओर फीर दोनेनो नाश्ता खतम कीया। नाश्ते के बाद नेहाने चाचाजीसे कहा, "चाचाजी आज ए दोरीसे घर आएंगे, कहा है आज आफीस मे काम ज्यादा है"। तब चाचाजी ने कहा, "बहु ये अमित ते मुझे यहा बुलाकर खुद काम मे बीझी हो गया है, एओर तुमने भी तो कहा था की अमित की गैर हाजरिमे तुम मुझो घुमाने लोके जावोगी ऊसका क्या हुआ?"। नेहाने कहा, "चाचाजी आपने भी तो कहा था की जाने दो अमित को कामपे हम दोने मिल्के दीनभर मस्ती करेंगे! ऊसका क्या हुआ?, चाचाजी मैने तो आपका ओर भी कुछ खडा कीया था! ऊसका क्या हाल है?"। तो चाचाजी ने नेहासे कहा, "बहु जीसे तुमने खडा कियाथाना वो तो मुझे दीनभर चैन से रहने दोता है, ना ओर ना रातको सोने दोता है, ऊसकातो बहुत बुरा हाल है आजकल"। तो नेहाने भी फठ से कहा, "तो चाचाजी अब वो खडा हो को ईतना ही तकलीफ दो रहा है तो आप ऊसे कीसी अछ्छी जगहा गुमाके लाईये क्यापता वो नई जगहा दोखो शांत हो जाय"। तो चाचाजी ने भी कहा, "तुमने ठीक कहा बहु, अब्बतो वो नई जगहा दोखको वंहा मस्ती करने को बाद ही मानेग लगता है, अब्ब तुही ऊसे कोई अछ्छी नई जगहा दीखा दो ओर ऊसे थेडी मस्ती करादोतो तुम्हारा बडा अहसान होगा ऊसपर"। तो नेहाने कहा, "चाचाजी मै ऊसे नई जगहा दीखा तो दुंगी पर वो जगह ऊसे पसंद आएगी की नही मै कह नही सकती, ओर वहा मस्ती करतो वक्त वो मुझे तकलीफ तो नही दोगाना?", तो चाचाजी ने भी कहा, "नही बहु वो बडा समझदार ओर सुलझा हुवा है, वो कभी किसीको तकलीफ नही दोता। ओर जो नई जगह तुम दीखा वोगी मुझे यकीन है वोभी तुम्हारो जैसीही सुंदर ही होगी, ओर ऊसे जरुर पसंद आएगी। तो बहु क्या तुम हमो नई जगहा दीखा वोगी?, आज तो दीन भी बडा अछ्छा है ओर तो आज अमित भी दोरीसे घर आएंगे तो ऊसके आने तक्क हम आरम सो नई जगहा दोख पायोंगे"। तो नेहा थोडा हीचकीचातो हुए पुछा, "चाचाजी नई जगहा काफी छोटी ओर तंग , आप बहा घुमोंगेतो बहुत तकलीफ होगी"। तो चाचाजी ने ऊस्को दीलासा देते हुए कहा, "देखो बहु बहली बार तो तुम्हे थोडी तकलीफ होगी, मगर बाद मे तुम्हे ऊतना ही मजा भी आयेगा। मै पुरी कोशीश करुंगा की तुम्हे कम से कम तकलीफ हो, ये मेरा वादा है तुमसे"। चाचाजी की ए बात सुनकर अब नोहा मे भी थोडी हीम्मत आती दीख रही थी। ए दोख कर चाचाजी ने आखीर मे नेहा से कहा, "देखो बहु अगर आज भी तुम फोसला नही कर पायी तो तुम जींदगी भर यह सोचती रहॊगी की हात आया मैका तुम्हने गवा दीया, ओर जींदगी भर ईस खुशिसे महरुम रह जावोगी। अगर तुमके जींदगी भर खुश रहना है ओर मेरे यहा से जानोतक मस्ती करनी है तो मेरे कमरेमे आ जाना, मै वादा करता हु मै तुम्हे वो सारी खुशी दुंगा जीसका तुम्हे इंतजार है जो अमित ने तुम्हे आजतक कभी नही दीया। आज मै तुम्हारि चिखे नीकालवादुंगा ओर मेरे यहा सो जानेतक तुम्हे वो दर्द ओर सुख दुंगा जीससे तुम आजतक महरुम हो। मैं अपने कमरे में तुम्हारा ईंतजार करुंगा मुझो यकीन है तुम सोच कर तुन्हारे लीए जो सही है तुम्ह वही फैसला लोगी"। एसा बोलकर चाचाजी अपने कमरेमे चलो गये ओर जातो जातो ये सब बोलकर ऊन्होने नेहा को ईमोशनली ऊकसा कर चलो गये। मैने चाचाजी को पहलो ही बतायाथा की नेहा बहुत ईमोशनल है ओर वो ईमोशन मे बहकर हर वो चीज कर बैटती है जो ऊसे नही करनी चाहीये। ओर चाचाजीने नेहा ईसी कमजोरीका फायदा ऊटानोकी कोशीश कर रहे थे। मैने दोखा की चाचाजी अपने कमरेमे बेड पर लोटकर आराम करते हुए अपने धेति पर से ही अपने हतियार को सहलातो हुये मुस्कुरा रहे थे ओर नेहा के आनेका ईंतजार कर रहेथे, जैसे ऊनको यकीन था की नेहा ऊनके पास जरुर आयेगी। ईघर नेहा अपने कमरेमे बेड पर बैटकर हमारो शादी की फोटो हातमे लीए सोच रही थी की वो चाचाजी को पास जाए की नही। कुछ दोरबाद नेहा ऊठकर बाथरुम मे चली गयी। फिर बाथरुम मे आकर ऊसने अपने सारे कपडे ऊतर दीए ओर पुरी नंगी हो गयी, ओर खुद को आईने मे दोखने लगी। ऊसका खूबसूरत चेहरा , सुन्दर नाक नक्श , गोरा उजला रंग , बड़ी बड़ी गोल चूचियां , पतली कमर और उसके नीचे कसे हुए सुडौल नितम्ब , बीना बालोवाली ऊसकी मखमली गुलाबी चुत, कोले के पोड के तने जैसी ऊसकी लंबी सुडोल टांगे, किसी भी देखने वाले को , बार बार मुड़कर देखने को मजबूर कर देते थे। नेहा कुछ्छ दोर खुद को आईने मे दोखने को बाद फ्रैश होकर बाथरुम सो वैसे ही पुरी नंगी बाहर आई ओर अलमारीसे ऊसने एक पारदर्शी ब्रा प्यांटी नीकाल कर पहन ली ओर एक पतलीसी नायटी पहन ली। वो फीर सो हमारो बेड की तरफ आयी ओर हमारो शादी की फोटो हातमे लीए कुछ दोर तक ऊसे दोखा ओर कहनो लगी, "अमित मुझो माफ कर दोना मै तुम सो बहुत प्यार करती हु ओर ए सब मै हमारो भवीश्य को लीए ही करने जारही हु, क्यु की मै तुम्हारे घरवालो कि अब ओर तानो नही सुन सकती की मैं बांज हु ओर बच्चो नही पैदा कर सकती", यो कहकर नेहाने हमारी शादी की फोटो वापस टोबल पर ऊल्टी कर के रखदी ओर कमरेमे सो बाहर चली गयी। मैने दोखा अब नेहा अपने कमरे से नीकल कर चाचाजी को कमरे की तरफ चल दी। जब वो चाचाजी को कमरे के पास आई तो वो दरवाजो के पास रुक गयी ओर कुछ सोचने लगी। कुच्छ दोर वंहा रुक कर सोचने को बाद ऊसने अपने आप को होसला दिया की वो कुच्छ गलत नही करने जारही है, ओर वो जो कुच्छ कर रही है ऊसके ओर अमीत को भलाई को लीऐ ही कर रही है। फीर ऊसने दो, तीन बार गहरी सांसो भरी ओर चाचाजी को कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर चली गई।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
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अंदर कमरे मे चाचाजी बेडपर आरामसे लोटकर अपने हतियार को सहला रहेथे, तभी ऊन्होने दोखा की नेहा मुस्कुराते हुए दरवाजा खोल कर अंदर आ रही है। तो ऊन्होने नेहा को दोख कर कहा, "अरो बहु, तुमने तो आनोमे बडी दोर लगादी, मै कब सो तुम्हारो आनेका ईंतजार कर रहा था"। तो नेहा ने कहा, "तो चाचाजी आप को यकीन था की मै आजाऊंगी"। तो चाचाजी ने नेहा से कहा, "बहु मैतो ऊसी दीन समझ गया था जीस दीन मै यहा आया था की तुम कीसी बात सो दुखी हो। पर जब मैने यहा कुच्छ दीन बिताया तो पत चला की तुम सिर्फ दुखी नही बलकी भुकी भी हो कीसी को प्यार के लीऐ, जो अमीत तुम्हो पुरी तरहा नही दो पा रहा है"। चाचाजी की ऐ बात सुनकर नेहा दंग रह गयी ओर कहा, "हां चाचाजी मै प्यार के लीऐ भुकी तो हु, मगर बच्चो के प्यार के लीऐ। अमीत तो मुझसे बहुत प्यार करता है। मगर चाचाजी आप को यो सब कैसे पता चला"। तो चाचाजी ने कहा, "बहु मैने दुनिया देखी है ओर तुम्हारी जैसी खुबसुरत जवान ओरत क्या चाहती है मै एक नजर मे जान सकता हु। सच बताना बहु तुम्हो बच्चो के प्यार की भुक ज्यादा है या सोक्स की?" तो नेहा अपनी आंख झुकाते हुए चाचाजी से कहा, "जी दोने"। नेहा के मुह से ऐ बात सुनकर चाचाजी बहुत खुश हो गये ओर ऊसके करिब जाकर कहा, "तुमने सही फेसला कीया है बहु मै तुम्हे ढेड सार प्यार भी दुंगा ओर तुम्हारी बरसो की सोक्स की भुक भी मीटाऊंगा ओर यंहा से जाने से पहले पहले तुम्हारी सुनी गोद भी भर दुंगा"। चाचाजी की ऐसी बाते सुनकर नेहा भाऊक हो गयी ओर ओ चाचाजी से लीपट गई ओर कहने लगी, "लेकीन चाचाजी मै अमीत से बहुत प्यार करती हु ओर ऊसे धोका नही दोना चाहती"। तो चाचाजी ने भी नेहा को कसकर गले लगा लीया ओर नेहा से कहाने लगे, "बहु तुम चींता मत करो मै तुम्हारे ओर अमीत के प्यार के बीच कभी नही आऊंगा, हम दोने का रीश्ता सिर्फ दोस्ती का होगा। ओर तो ओर मै तो कुछ हफ्तो बाद यहां से वापीस दुबई चला जाऊंगा। फीर कभी हमारी मुलाकात हो न हो। तो जब तक मै यहा हु, तब तक्क क्युना हम दोने ईस मैकोका फायदा ऊठाकर थोडो दिने तक्क मजा कर्ले?" चाचाजी की ऐ बात सुनकर नेहा मुस्कुरायी। तब चाचाजी नो अपने कालो मोटे होंठ नेहा का गुलाबी होठों पे रख कर ऊसे कीस करने लगो। चाचाजी नेहा के रसीले गुलाबी होठों को अपने कालो मोटे होठों मे दबाकर उन्हे चूसने लगे, तो नेहा भी उनका पुरा साथ दो रही थी। अब दोनो एक दूसरे के बदन पर हाथ फिराते हुए होठों का चुंबन लेने ल्गो। नेहा चाचाजी के किस्स करने से इतनी ज़्यादा सेक्सुअली एग्ज़ाइटेड हो गई की ऊसके बंद मुह से आहह….....ऊऊहह …......उन्न्ञंगंह की आवाज आ रही थी। मै हैरानी से देखता रहा था, चाचाजी अब नेहा के होठों को अपने मुँह के अंदर पकडकर किस्स करने लगे। तब नेहा अपना मुँह पीछे हटाने की कोशिश कर रही थी, पर चाचाजी ने उसके चेहरे को कस कर पकड़ा हुआ था, और ऊसे जोर सो किस्स कर रहे थे। अब चाचाजी ने नेहा के रसीले होठों को अपने दाँतों से काटने लगो, नेहा सिसकने लगी। फिर चाचाजी ने नेहा की बडी बड़ी चूचियों को ऊसके नायटी के बाहर से ही पकडकर मसलने लगो। चाचाजी चूचियों को दबाते हुए नेहा के होठों को भी चूसतो रहे, अब नेहा गरम होने लगी थी। चाचाजी के ज़ोर से चूचियों को मसलने से वो सिसकारियाँ लेने लगी……ओह्ह……ऊऊहह ……आआअहह…… उनन्ं…… आआआहह……। फिर मैने देखा कि अब चाचाजी नेहा के मुँह में अपनी जीभ घुसानेकी को कोशिश कर रहे थे, तब मैने दोखा की नेहा अब अपने को छुड़ाने की कोशिश नही कर रही है, ओर चाचाजी की जीभ के लिए उसने अपने होंठ खोल दिए है। अब चाचाजी ने नेहा के मुँह में अपनी जीभ घुसा दी, चाचाजी अब नेहा कि चूचियों को छोड़ दिया और अपनी जीभ ऊसके मुँह में घुमाते हुऐ ऊसका चुंबन लेने लगे। अब चाचाजी ने नेहा का चुंबन लोते हुए ही एक हाथ से उसकी गर्दन सहला रहा थे और दूसरे हाथ से उसके बाल पकड कर ऊसो अपनी ओर खींच रहे है। तभी अचानक चाचाजी ने नेहा को छोड़ दिया और पीछे हो गये। अब नेहा अस्त व्यस्त हालत में थी, उसकी साँसें उखड़ी हुई थी, उसका मुँह खुला हुआ था, होंठ चाचाजी की लार से गीले हो रखे थे। उसकी नाइटी के ऊपर का हीसा खुल गया था ओर नाइटी के बीच मैसे ऊसकि चूची के बीच की दरार ऊसके तंग ब्रा से बाहर दिख रही थी। नेहा की आँखें मदहोश हो रखी थी, ओर वो हल्की हल्की सिसकारियाँ लो रही थी। जब चाचाजी ऊसे छोड़ पीछे हो गये तब नेहा ने अपनी आंखो खोल दिए ओर जोर जोर से साँसें लेते हुए सीधे चाचाजी की तरफ देख लगी। ओर मानो उनसे पुच्छ रही हो की रुक क्यो गये? जब चाचाजी की ओर से कोई हरकत नही हुयि तो नेहा खुद से आगे बढकर चाचाजी को वापीस किस्स करने की कोशिश करने लगी। तब चाचाजी ने नेहा को रोकते हुऐ कहा, "अरे बहु थोडा सब्र करो इतनी भी क्या जल्दी है, अभी ते हमारे पास पुरा दीन है मजो करनेके लीए"। तो नेहा ने कहा, "चाचाजी मै पिछले दो साल से ईस पल के इंतजार मे तडप रही हु अब मुझसे ओर सब्र नही होता"। ते चाचाजी ने नेहा से कहने लगे, "बहु मै जानता हु की अमीत ने तुम्हे असली सुखसे वंचीत रखकर तुम्हे बहुत तडपाय है। मगर बहु जल्दबाजि का काम शैतान का होता है, ओर सोक्स मे तो जल्दबाजि बीलकुल अच्छी नही होती जीससे सोक्स करने वाले लोगोंको सहीसे पुरी संतुश्टी नही मिल पाती है। ईस लीए जभी सोक्स करे तो अराम से इतमीनान्से करना चाहीये तभी तुम सोक्स का आनंद लोपावेगी ओर तुम्हे पुरी संतुश्टी मिलोगी, समझी बहु"। नेहा ने कहा, "ठीक है चाचाजी मै समझ गई अब आप जैसे कहोंगे मै वैसाही करुंगी"। चाचाजी को मुंह से ऐ बातो सुनकर मुझो यकीन हो गया की मैने नेहा के लीऐ सही मर्द चुना है, जो अच्छी तरसो जानता है कि एक औरत को कैसे खुश करके अच्छी तरह से ऊसे चोदकर ऊसे पुरी संतुश्टी दे सके। अब चाचाजी निहा की बात सुनकर ओर भी खुश हो गये ओर उन्होने नेहासे कहा, "बहुत बडीया बहु अगर तुम मेरी कही सारी बात मानेगी तो दोखना मै तुम्हे कैसे मै तुम्हे पुरी तरहा खुश करदुंगा। चलो अब पेहले तुम चाचाजी को अपने चूची दीखावे, मै जबसे यंहा आयाहु तुम्हारे चूचीयेंको देखनेके लीऐ तडप रहाहुं"। तब नेहा शरमागयी ओर चाचाजी से कहा, "मै जानतीहु चाचाजी की मैने आप को हमेशा मुझे घुरते हुवे कयी बार देखा है, ओर जब मै आपके पैर की मालीश कर रही थी तब मैने देखाता की कैसे मेरे चूचीयेंको देखकर आपके बंबुने आपके धेति मे ही तंबु बना लीया था। तो चाचाजी ने कहा, "बहु वोतो आज वैसेभी पहलेसेही मेरे धेति मे तंबु बनाकर बैठा है", ये कहते हुऐ चाचाजी ने अपने ऊभारपर हात फीराने लगे, तो ऐ देखकर नेहा ओर ज्यादा शरमागयी। तब चाचाजी ने नेहा से कहा, "बहु तुम अब शरमाना छोडदो सेक्स का पहला ऊसुल है की बेडरुम मे आनेसे पहले ईनसान को अपनी लाज, शरमा, भय, चींता सबकुछ बाहर छोडकर आना चाहीऐ, ओर सेक्स के दोरान दोने लोगोंको मुखर होके एक दुसरेसे बात करनी चाहीऐ ताकी दुसरा ईंन्सान सहीसे समझ सके की ऊसके पाटर्नको क्या चाहीये ओर वे क्या करना चाहते है। तभी वे दोने एक दुसरेसे पुरी संतुश्टी पासकतो है"। तब नेहा ने कहा, "ठीक है चाचाजी फीर दोख लो अपने बहु की चूचीयेंको जी भरकर", ऐसा बोलते हुऐ नेहा ने अपनी नाइटी को खोल दिया, अब नेहा सीर्फ एक पारदर्शी ब्रा प्यांटी वाली लांन्जरी मे चाचाजी को सामने खडी थी। ऊसे पारदर्शी लांन्जरी मे दोखकर चाचाजी का मुंह खुला का खुला ही रह गया। चाचाजी अपने तंबु बने ऊभारपर हात फीराते हुऐ नेहा को दोखने लगे, उस पतले पारदर्शी ब्रा से नेहा की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी। फीर चाचाजी ने अपना एक हात नेहा को चूचीयें पर रखकर ऊसे सहलाते हुऐ बोले, "व्हा बहु तुम्हरे चूचीया तो बहुत खुबसुरत है एक दम रसीले आंम की तरहा, मै कबसे इन्हे टेस्ट करना चाहता हूँ"। ये बोलकर चाचाजी ने ब्रा के बाहर से ही ऊसके निपल को मुँह में भर लिया और चूसने लगो, फिर ऐसे ही उन्होने दूसरे निपल को भी चूसा. चाचाजी के मुँह की लार से वो पतला ब्रा पारदर्शी हो गया और ब्रा के बाहर से ही चूचियि को निपल साफ दिखने लगी। फिर चाचाजी ने नेहा की गुलाबी रंग की लेसी ब्रा से एक चूची बाहर निकालकर उसके बड़े से निप्पल को मुँह में भर लिया ओर चूसने लगो। बिना ब्रा उतारे बड़ी चूची बाहर निकालने से नेहा की ब्रा कस गयी थी तो उसने चाचाजी को एक तरफ हटा दिया और अपनी ब्रा उतार दी। अब नेहा की दूध जैसी गोरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अब नग्न खुली हवा में लटकने लगी। नेहा की कामुकता देखकर चाचाजी अब और बर्दाश्त ना कर सको ओर चाचाजी उन पर टूट पडो और उन्हे अपने हाथ और मुँह में भरने लगो। अपनी चूचियों की चूसाईसे अब नेहा को उत्तेजना आने लगी, उसकी चूचियों के निपल तन के खड़े हो गये और उसको अपनी चूत में रस निकलता महसूस हुआ। और इससे नेहा की हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी, नेहा सिसक रही थी, “ आहह……आहह…. ….उईईईईईई….”। तब चाचाजी ऊसके निप्पल को चूसना छोडकर नेहा से पूछा, अच्छा लग रह है तुमको ?”। तो नेहा ने ज़ोर से सिसकारियाँ भरते हुए जवाब दिया, “आ…हाँ….बहुत अच्छा लग रहा है चाचाजी…..उन्न्ञन्नाआहह…”। तब चाचाजी ने नेहा की चूची को अपने हाथ से पकड़कर निपल के चारो और अपना अंगूठा घुमाने लगे, नेहा के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। चाचाजी के चूचियों को ज़ोर से मसलने से नेहा के मुँह से एक चीख निकली, उसका रिएक्शन देखकर चाचाजी हंसे और बोला,” बहु दर्द हुआ क्या ? लगता है अमीत ने ज्यादा मसला नही है इन्हे..”। ऐसे कहते हुए चाचाजी ने फिर नेहा की चूचियों को अपने हाथ से ऐसे पकड़ा जैसे वे उनका वजन तौल रहे हो, और फिर से उसके निपल्स को मुँह में भरकर चूसने लगे। चाचाजी उसकी चूचियों और निपल को चूसते और मसलते रहे और नेहा के मुँह से आह निकलती रही। चाचाजी ने ऐसे ही नेहा की निपल्स को मुँह में भरकर खुब चूसा तब तबतक जबतक ऊनका जी नही भर। चाचाजी ने नेहा की दूध जैसी गोरी बड़ी बड़ी चूचियों को चूस कर और मसलकर पुरा लाल कर दीया था। अब चाचाजी ने नेहा को उठाया और बेड पर पटक दिया। नेहा चाचाजी की ताक़त देखकर हैरान रह गयी, चाचाजी नेहा को एक बच्चे के जैसे उठा लिया और बेड पर फेंक दिया। नेहा की हाइट ५’५” थी और वेट ६० किलो था, पर चाचाजी ने बिना किसी परेशानी के उसे उठा के नरम बिस्तर पर पटक दिया था। नेहा ऐ सब देखकर चाचाजी से इंप्रेस होकर उनसे चोदने का इंतज़ार करने लगी। नेहा को बेड पर पड़े हुए अपना इंतज़ार करते देखकर चाचाजी मुस्कुराया और बोले, “बहु तुम्हारा दुध तो बडीया था, मै अब तुम्हारी खीर चखुंगा दोखतो है ऊसका स्वाद कैसा है?"। जवाब में नेहा सिर्फ़ सिसकारियाँ लेती रही, अब चाचाजी ने नेहा की पैंटी पर अपना हात फीराया तो उन्हे नेहा की पैंटी गीली महसुस हुई। तो चाचाजी ने नेहा से कहा, "अरे बहु मैने अभी सुरुभी नही किया ओर तुम्हारि मुनी तो अभी से रोने लगी है"। ओर यह कहतो हुये उन्हेने नेहा की गीली लेस वाली पैंटी को साईडसे पकडकर ऊसे खींचकर उतारने लगे, तो नेहा ने भी अपनी कमर उपर ऊठाकर उसे उतारने मे मदत की। चाचाजी ने नेहा की पैंटी उतारकर फेंक दिया, उसकी बिना बालों की चिकनी चूत देखकर चाचाजी के मुँह में पानी आ गया। चाचाजी ने देखा की नेहा को चूत के होंठ उत्तेजना से फूल गये हैं और क्लाइटॉरिस बिल्कुल तन चुका है। नेहा की चूत के उपर बालेंका नमो नीशान नही था, शायद उसने आज ही अपनी चूत के बाल साफ़ किए होंगे। तब मुझो याद आया की उस दीन नेहा जल्दी उठगयी थी, शायद उसने मेरे रेज़र से अपने चूत के सारे बाल साफ किए होंगे। क्युकी जाब मैने शेव करने के लीए उस दीन अपना रेज़र लीयाथा तब मुझो उसमे कुछ काले घने बाल मीले थे, मगर मैने उसपर उतना ध्यान नही दीया था। नेहा की गोरी गोरी मक्खन जैसी जांघें और फूली हुई चूत के गुलाबी होंठ देखकर चाचाजी उत्तेजना से पागल हो गयो ओर नेहा की चूत पर टूट पडो। नेहा की गुलाबी चूत के फूले होठों को देखकर चाचाजी कामवसना से पागल हो उठे, और ऊन्हेने नेहा की चूत में जीभ लगाकर चाटने लगे वो उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ने लगे। “....उनन्नज्ग्घह... …...आअहह.......आअहह…...आअहह.....” चाचाजी की जीभ अपनी चूत पर रगड़ने से नेहा सिसकारियाँ लेने लगी। नेहा को अपनी चूत चटवाना बहुत पसंद था, चाचाजी के चूत चाटने से नेहा बहुत उत्तेजित हो गयी ओर उसकी चूत से रस निकलने लगा। नेहा उत्तेजना से भरकर अपने नितंबों को चाचाजी के मुँह पर उछालने लगी। चाचाजी नेहा की ईस कामुकता से हैरान रह गया और सोचने लगा ये तो बहुत ही मज़े ले रही है, उन्हेने अपनी जीभ लगाकर नेहा की चूत से बहते रस को चाटने लगो। फिर चाचाजी ने नेहा की दोने टाँगें खींचकर अलग कर दी और फिर उसकी फड़कती चूत में मुँह लगाकर चूत के अंदर जीभ डाल दी और उसे अंदर घुमाने लगे और अपने जीभ से चाटने लगे। नेहा लेटे हुए सिसकारियाँ लेने लगी और बडबडाने लगी “उहह….चाचाजी…. उन्न्नह…उननग्ज्ग……एसस्स्सस्स….ज़ोर से चाचाजी और ज़ोर से….” ऐसे बोलते हुऐ उसने अपने बड़े नितंबों को उछालकर चाचाजी के मुँह में झटका देने लगी। तब चाचाजी ने उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ा और गीली चूत में अपनी एक उंगली घुसाकर अंदर बाहर करने लगे। नेहा इतनी ज़्यादा सेक्सुअली एग्ज़ाइटेड हो रखी थी की ऊसे जबरदस्त ओर्गास्म आ गया और वो "आहह….....ऊऊहह…......... उन्न्ञंफफ..... ऊऊहह....फ़फ़गगगघह....." करती हुई चाचाजी के मुँह में चूतरस बहाते हुए झड़ गयी। नेहा ने चाचाजी को सीर को अपने टाँगें के बीच आलिंगन में जकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी। चाचाजी भी अपना मुँह नेहा की चुत मे दबाये हुऐ उसकी बहाते हुऐ सारा चूतरस पीगये। फिर चाचाजी उठकर बैठगये और उन्हेने नेहा को भी गुड़िया के जैसे उठाया और अपनी गोद में बैठा लिया। फिर वो नेहा के खूबसूरत चेहरे को चूमने, चाटने लहे और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को मसलते हुए चाचाजी बोले, “बहु तुम्हारा चूतरस तो तुम्हारे आमरसेभी मीठा है, मेरा तुम्हारी बोरको चाटना तुम्हे अच्छा लगा ?”। तब नेहा ने सर झुकाकर जवाब दिया, “जी चाचाजी बहुत अच्छा लगा, मै शादी के बाद पहली बार झडी हु"। तब चाचाजी ने फिरसे अपनी एक उंगली उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगे, जब नेहा कुछ नही बोली तो चाचाजी ने कुछ देर बाद उसके चूत में दो उंगली डाल दी और नेहा को अपनी गोद में मनमर्ज़ी से उंगलीयोसे चोद रहे थे, और नेहा सिसकारियाँ ले रही थी। चाचाजी ने पुछा, “बहु मज़ा आ रहा है ना तुमको”। तो सिसकारियाँ लेते हुए नेहा बोली, "चाचाजी मै अमीतसे यही माँग रही थी"। चाचाजी द्वारा डॉमिनेट किए जाने से उसको बहुत कामतृप्ति मिलरही थी। फिर चाचाजी अपनी उंगलियाँ नेहा की चूत से बाहर निकाली और उसके मुँह में डाल दीया और कहा, “बहु चाटो मेरी उंगलियाँ और दोखो तुम्हारा चूतरस कीतना मीठा है", और नेहासे अपनी उंगलियाँ चटवाकर साफ़ करवाई। फिर गोद में बिठाये हुए ही उसकी चूचियां अपने मुँह में डालते हुऐ बोलो,”तू यही चाहरही थिना बहु ?", और फीर उसकी चूचियों को मुँह में भर लिया और चूसने लगो। फिर थेडी दिर बाद नेहा की चूचियों को चूस कर चाचाजी ने नेहा से पुछा, "बहु तुमको लंड चुसना पसंद है?", तो नेहाने मुस्कुराते हुए हा मे अपना सर हीलाया।
तब चाचाजी उठकर खडे हो गये और अपने कपड़े उतारने लगे। चाचाजी कद काठी में कोई खास नही थे, जैसे की मैने पहलेही पताया था उनकी ऊन्चाई करिब ५ फिट १० इंच थी और शरिर मोटा था, उनका वजन करिब १०० किलो से भी ज्याद का था और वे थेडे मोटे थे। नेहा को उनका शरीर देखकर थोड़ी निराशा हुई थी, लेकिन जब उन्हेने अपना पैंट और अंडरवियर उतारा तो उनका बड़े और मोटे तने हुए लंड को देखकर नेहा का मुँह खुला का खुला रह गया, उसकी आँखे चाचाजी के लंड पर ही जम गयी। चाचाजी का लंड बहुत लंबा और मोटा था, बो करिब १२ इंच लंबा और ४ इंच मोटा था। जीसके सामने मेरा ४ इंच लंबा और २ इंच मोटा लंड तो नुनी लगता था। उनका लंड मानो चाचाजी को भगवान का दिया हुवा वरदान हो, ताकी वो नेहा की तरहा दुनीयाकी सभी दुखीयारि औरतेंको खुशकर सके। उनका मोटा लंड अब खुली हवा में कीसी पोड के मोटे तनेकी तरहा नेहा के आंखोके सामने हुवा मे झटके खा रहा था। चाचाजी ने नेहा के चेहरे के भाव देखे उन्हे पहलेसेही इसकी आदत थी, जो भी औरत पहलीबार उनके लंड को देखती थी ऐसा ही रिएक्शन देती थी। चाचाजी बहुत अनुभवी चोदू था, कुछ औरतें उनके बड़े लंड को देखकर घबरा जाती थी और घबराहट से उनकी चूत बिल्कुल सूख जाती थी। तब चाचाजी उनको धैर्य से बहला फुसलाकर धीरे धीरे चोदतो थे, और जब औरत की चूत से रस निकलना शुरू हो जाता था तब वो उनको अच्छी तरह से चोदता थे। नेहा को देखकर चाचाजी समझ गयो की इसकी हालत भी वैसी ही हो रही है, उन्हेने आगे बढ़कर नेहा का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। अपने हाथ से बड़े लंड को दोखकर और महसूस करके नेहा डर गयी, ”नही नही….चाचाजी….मैं मर जाऊंगी, आपकाते इतना बड़ा है…”। पर चाचाजी भी कोयी कच्चा कीलाडी नही था वो बहुत अनुभवी और शातीर चोदू था। नेहा के कुछ और कहने से पहले ही चाचाजी ने अपने लंड के सुपाड़े को उसके होठों के बीच रख दिया, और धीमे धीमे नेहा के गाल और बाल सहलाते हुए बोले, ”घबराओ नही बहु मै तुम्हारे मज्री के बीना तुम्हासे साथ कुछ नही करुंगा। अभी तुम बस इसे थेडा चूसो.... सिर्फ़ चूसो कर दोखो और कुछ मत सोचो”। तब नेहा भी थेडी शांत हुई और चाचाजी को सुपाड़े को चूसने लगी, और चाचाजी भी धीरे धीरे करके कुछी दोर मे अपना आधो से ज़्यादा लंड उसके मुँह में घुसाने मे दिया। कुछ पल बाद चाचाजी को लगा की नेहा का दम घुट रहा है तो उसने लंड नेहा के मुँह से बाहर निकाल लिया और लार से सने हुए लंड को नेहा के चेहरे पर रगड़ने लगा। कुछ देर ऐसा करने के बाद उसने फिर से लंड नेहा के मुँह में घुसा दिया, धीरे धीरे नेहा को चाचाजी को मोटे लंड की आदत हो जाने के बाद नेहा मज़े से चाचाजी का लंड चूसने लगी। कुछ देर बाद नेहा को भी अब मज़ा आ रहा था वो मन लगाकर लंड चूसने लगी, उसने तो चाचाजी की गोलियों को भी चूसने लगी, तब चाचाजी को लगा की मछली जाल मे फस रही है। चाचाजी को भी अब नेहा से अपना लंड चूसाकर मजा आनेलगा था, नेहा ने इतनी अच्छी तरह से मज़े ले लेके उनका लंड चूसा की उन्हे लगा की वो अब झड़ जाएगे। तब चाचाजी ने नेहा को रोक दिया और उससे पूछा की उसे लंड चूसने में मज़ा आ रहा है ? तो नेहा मुँह में लंड होने की वजह से कुछ नही बोल पाई, बस हाँ में सर हिला दिया। अपनी नयी शीकार नेहा को कोई विरोध ना करते देख चाचाजी बहुत खुश थे। फिर चाचाजी ने नेहा के सर को दोनो हाथ से पकड़कर उसका मुँह चोदना शुरू कर दिया, पहले तो धीरे धीरे फिर तेज तेज स्ट्रोक्स लगाए। कुछ देर बाद उसने नेहा का मुँह वीर्य से भर दिया, उसका दम ना घुट जाए इसलिए चाचाजी ने अपना लंड मुँह से बाहर निकाल लिया। इससे नेहा के चेहरे, बाल, कंधे, चूचियां सब जगह वीर्य की बूंदे गिर गयी। चाचाजी ने बहुतसारा वीर्य नेहा के मुँह में भरदीया था, तकरीबन ३० एम एल जितना वीर्य, नेहा जीतना निगल सकती थी उतना उसने निगल लिया फिर भी कुछ उसके होठों से बाहर बहने लगा। तब चाचाजी ने नेहा का मुँह, चेहरा चूसने लगे, उन्हेने नेहा के चेहरे और मुँह से अपना ही वीर्य चाट लिया। नेहा को पहली बार वीर्य का स्वाद चखने को मिला था, और उसे चाचाजी के वीर्य की हर एक बूँद बहुत अच्छी लगी थी। नेहा की चुत अब चूतरस से पूरी गीली हो चुकी थी, थोड़ा रस जांघों को भी गीला कर चुका था। जब चाचाजी उसको किस करने लगे तो उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी, और नेहा ने हात बडाकर चाचाजी के बडे लंड को पकडकर उसे सहलाने लगी। नेहा ने जब चाचाजी के लंड को पकडा तब उसे हैरानी हुई की अभि अभि इतना वीर्य निकालने के बादभि उनका लंड अभिबी लोहे जैसे तनाहुआ है। ऐ दोखकर वो खुश हो गयी की उसे असली मर्द मीला है, क्युकी उसके पती अमीत का लंड तो वीर्य निकालने के बाद वापीस खडा भि नही होता था। नेहा की कामुकता देखकर चाचाजी अब और देर बर्दाश्त ना कर सके, वो समझ गये थे की नेहा अभी चुदाने को बिल्कुल रेडी है। चाचाजी ने नेहा को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी दोने टाँगें खींचकर अलग कर दी, उसकी गोरी गोरी मक्खन जैसी जांघें और फूली हुई चूत के गुलाबी होंठ देखकर चाचाजी फिर उसकी फड़कती चूत में मुँह लगाकर चूत के अंदर जीभ लगाकर चाटने लगे। अब नेहा उत्तेजना से तड़प रही थी और वो चुदाई के लिए तरस रही थी उसने कहा, “ मुझे चोदो….हाँ मुझे चोदो चाचाजी…..प्लीज़….चोदोमुझे....”। तब चाचाजी ने कमरे में लगे CCTV कैमरा की तरफ दिखते हुऐ मुस्कुराने लगे, मुझे पताथा लगा की ये वो मुझे दीखनेके लीए कर रहे थे की दोखो कैसे तुम्हारी पतनी नेहा मुझसे चुदनेके लीए तडप रही है। लेकिन नेहा को ईस बात का पता नही था की कमरे में CCTV कैमरा लगे हुए है ओर से ये सब रेकॉर्ड हो रहा है। फिर की चाचाजी ने नेहा की टांगों को उठा कर अपने कंधों पों रख लिया और नेहा की टाइट चूत के छेद पर अपने स्खंत लंड का सूपाड़ा रगडने लगे। नेहा बेड पर पड़े हुए चाचाजी को अपने अंदर लंड धुसानेका इंतज़ार करते देखकर चाचाजी मुस्कुराया और बोला, “बहु तुम्हारा पति तुम्हें बच्चा नही दे सकता, कोई बात नही……….मैं तुम्हें बच्चा दूँगा जीसे तुम्हारी बंजर गोद हरीभरी हो जायेगी और तुम्हासे सुनसान खमोंश जींदगी मे बच्चो की कीलकारी सुनाई दोगी”, तब जवाब में नेहा सिर्फ़ सिसकारियाँ लेती रही। चाचाजी ने अपना स्खंत लंड नेहा की प्यासी परंतु गीली चूत पर लगाया और उत्तेजना से फूले हुए चूत के होठों के भीतर डालकर एक झटके में सुपाड़ा अंदर घुसा दिया। चाचाजी को लंड का सुपाड़ा नेहा की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही अंदर घुसा, नेहा के मुँह से चीख निकल गयी। नेहा दर्द से चिल्लाई , “ओइईई…. माआआ…. प्लीज़ चाचाजी बाहर निकालो.... मैं इतना मोटा नही ले सकती”। उसके माथे पर पसीना आकर उसके चेहरे पर बहने लगा, नेहा बहुत घबरा गयी वो चिल्लाई , “आआआअहह..…ओइईईईईईईईईईईईईई…..म्म्म्माआआआआआआ….. तुम मेरी फाड़ दोगे चाचाजी …….उईईईईई……..माआआअ..….”। वैसे तो नेहा की शादी को दो साल हो गये थे लेकिन उसकी चूत इतना स्ट्रेच कभी नही हुई थी, क्युकी नेहा की चुत को अबतक सीर्फ अमीत के ४ इंच की नुनी से चुदईकी आदत थी, और अब्ब अचानक वो चाचाजी का १२ इंच का मुहसल झोल नही पारही थी। वो चाचाजी से हाथ जोड़ने लगी प्लीज़ मुझे छोड़ दो, पर चाचाजी को ऐसा लग रहा था जैसी वो किसी कुँवारी लड़की की टाइट चूत को चोद रहा है, इससे उसकी उत्तेजना और भी बढ़ गयी और उनका जोश दुगना हो गया। पर अब घबराहट से नेहा की गीली चूत भी सूख चुकी थी और चाचाजी को डर था की बिना ल्यूब्रिकेशन के सूखी चूत में मोटे लंड से चुदईमें दर्द और भी बढ़ जाएगा। तो चाचाजी ने अपने लंड का सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और नेहा से कहने लगे, "बहु बस थेडीदोरके लीए ऐ दर्द सहलो अपने हिनेवाले बच्चोके लीए ऐ दर्द सहलो, फिर तुम्हे कभी कीसी चीजसे दर्द नही हिगा", ऐसे बोलकर चाचाजी ने नेहा को ईमोंशनल ब्लाकमेंल करनेलगे। फिर जब नेहाका दर्द कुछ कम हुआ तो उसने खुदसे चाचाजी को फिरसे उसे चोदनेके कहा। तब चाचाजी ने अपने लंडके सुपाडोपर थोड़ा थूक लगाया और फिर से नेहा की चूत में डाल दिया, थोड़ी देर तक वो ऐसा ही करते रहे। वो सिर्फ़ सुपाड़ा घुसातो फिर निकाल लेतो और फिर उसपर थोड़ा थूक लगाते और फिर सुपाड़ा घुसा दोते। थोड़ी देर बाद नेहा को सुपाड़ा घुसाने से दर्द होना बंद हो गया, अब चाचाजी ने धीरे धीरे लंड को और अंदर डालना शुरू किया। चाचाजी बड़ी मुश्किल से नेहा की चूत में आधा लंड ही घुसा पायो थे, अब आगे को लंड घुस ही नही पा रहा था। पर वो धीरे धीरे और ज़्यादा लंड अंदर घुसाने की कोशिश करतो रहे, जब चाचाजी का आधा लंड अंदर घुस गया तो फिर उतने को ही वो धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगो। कुछ पल बाद नेहा भी उत्तेजना से अपने नितंबों को ऊपर को उछालने लगी, अब फिर से उस की चुत अपना चूतरस निकलने लगी थी। जब चाचाजी को अपने लंड पे नेहा की चुत का गीलापन महसुस हुवा तो वो उत्तेजना से फूले हुए चूत के भीतर अपने बाकीका लंड एक झटके में अंदर घुसा दिया। नेहा की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही लंड अंदर घुसा, नेहा के मुँह से चीख निकल गयी, “आह…उन्न्ञन्…..ओइईईईईईईई…..माआआ….चाचाजी मैं मर गई आपने मेरी फाड़ दी...."। ऐसा करके चाचाजी ने अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गये थे, नेहा ने दर्द के मारे चाचाजी की पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे और उसकी आंख सफेद होगई वो तेज तेज सिसकारियाँ ले रही थी। अब चाचाजी नेहा से कहने लगे, "बस होगया बहु, यो आखरी दर्द सहलो अब ईसके बाद दर्द नही होगा, देखो तुंम्हारी मुनीने मेरा पुरा लंड जड़ तक खालीया है"। जब चाचाजी ने यो बात कही तो नेहा को यकीन नही हुवा तो उसने अपना एक हात ऊन दोनेके बीच धुसाकर अपने चुत और चाचाजी के लंड को टटोलकर दोखा। सचमें चाचाजी का लंड पुरा जड़ तक उसकी चुतमें धुसा गया था और नेहा को हात सीर्फ चाचाजी को गोटीया लग रही थी। जब चाचाजी ने नेहा से पुछा, “नेहा, तुम्हें अब कैसा लग रहा है ? ” तो नेहा सिसकारियों के बीच बोली, “ ऊ...आअहह….इट फील्स सो गुड….”। फिर चाचाजी ने अपने पूरे लंड को नेहा की चूत में गहराई तक घुसाकर लम्बे लेकिन धीमे स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए, चाचाजी के ताकतवर धक्कों से नेहा का जिस्म हिल गया उत्तेजना में अब वो भी अपनी गांड ऊपर को उछालकर चाचाजी के धक्कों का जवाब देने लगी। “आआहाआंन्न…..बहुत मज़ा आ रहा है…..चोदो…चोदो…उईईई माआ....और चोदो.…” उत्तेजना में अपने नितंबों को ऊपर उछालती हुई नेहा बोली। अब चाचाजी ने तेज़ी से स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए उसकी गोटींयाँ नेहा की उठी हुई गांड से टकराने लगी और ठप... ठप... ठप... की आवाज़ पूरे बेडरूम में गूंजने लगी। दोनो के बदन पसीने से लथपथ हो गये, नेहा की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंजने लगी। नेहा चाचाजी के जबरदस्त स्ट्रोक्स से रोमांचित हो गयी और अपनी जिंदगी में पहली बार उसको चुदाई का भरपूर आनंद मिल रहा था। चाचाजी के बडे लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से नेहा की चीखें अब सिसकारियों में बदल गयी थी। चाचाजी नेहा की चूत की टाइटनेस से बड़ा खुश हुये की इस शादीशुदा औरत की चूत तो कुँवारी लड़की जैसी टाइट है। ज़रूर इसके पति का लंड पतला होगा जिससे चूत फैल ना पाने से यो टाइट ही रह गयी है। चाचाजी ने नेहा से पुछा, “मज़ा आ रहा है ना बहु ? तेरी चूत तो बहुत टाइट और मस्त है”, नेहा की टाइट चूत के मज़े लेते हुए चाचाजी बोलो। मादक नेहा को अपने से चुदते हुए और सिसकारियाँ लेते हुए देखकर बुड्ढा अपने पहलवान लंड की तरह खुदको भी जवान महसूस कर रहा था। “उंगग्घह….अहह……और ज़ोर से चोदो ……अहह”, नेहा ने चाचाजी से आग्रह किया और अपनी गांड ऊपर उछालने लगी। नेहा को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर चाचाजी भी जोश में आ गया और उसने नेहा की चूत में ताबड़तोड़ स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए। उसकी बडी मजबुत जांधें तेज़ी से नेहा की गांड से टकराने से पठ...पठ...पठ...पठ की आवाज़ पूरे कमरे में गूंजने लगी। चाचाजी ने नेहा के आग्रह करने पर फटाफट तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए, तेज तेज धक्कों से नेहा की बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ धक्कों के साथ ही तेज़ी से हिलने लगी। इस मादक दृश्य को देखकर चाचाजी कामाआनंद से पागल हो उठे और उन्हेने अपने दोनो हाथ नेहा की बड़ी बड़ी चूचियों पर रख दिए और उन्हे बेरहमीसे मसलते हुये तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। चाचाजी तेज तेज धक्के लगाए जा रहा था और नेहा को ओर्गास्म आने ही वाला था, ये देखकर चाचाजी ने उसे तड़पाने के लिए अचानक धक्के लगाना बंद कर दिया। नेहा चिल्लाई , “यू बास्टर्ड... धक्के बंद क्यों कर दिए, प्लीज़ धक्के लगाओ ना चाचाजी, आई ऍम कमिंगम्मींगगगग….. फक मी…….चोदो मुझे...…कमीने बुड्ढो..... तुम शुरू से मुझे चोदना चाहते थे ना...… पहलो दीन से तुम्हारी मेरे ऊपर बुरी नजर थी मै जानती हु, अब रुक क्यूँ गये बुड्ढो……. चोदो मुझे..... ओइईईईई.....आह……ओइइ….. माआअ…..” कहते हुऐ वो खुद ही अपनी कमर ऊछालने लगी। नेहा को मुहसे ऐसी गंदी गालीया सुनकर मैतो हैरान होगया, पर चाचाजी ने मुस्कुराते हुए फिर जोरदार धक्के लगाने चालू किए, जैसे उनके पहलोसिही पता हो नेहा के इस रुप को बारेमें। नेहा ने मदहोशी में देखा, बुड्ढा चाचाजी पसीने से भीगा हुआ धक्के पर धक्के लगाए जा रहा है, चाचाजी नेहा की बड़ी बड़ी दूध जैसी गोरी गोरी चूचियों को दोनो हाथ से बुरी तरह से मसलते हुए धक्के लगाते रहे। कुछ पलों बाद नेहा को ओर्गास्म आ गया और वो झड़ने लगी….. ” ओइइ….माआआ…अहह….ओह…. माआआ….”। पर चाचाजी ने धक्कों की रफ़्तार कम नही की उसके साथ ही नेहा की सिसकारियाँ भी बढ़ती चली गयी "……..ह…………अन्णन्न्……….…उगगगगगगग….." कुछ देर बाद उसको एक और जबरदस्त ओर्गास्म आया और पूरा कमरा उसकी चीखों से गूंजने लगा "आई ऍम कमिंगम्मींगगगग..…." और वो फिरसे झड़ने लगी……। इस मादक दृश्य को देखकर चाचाजी भी ज़्यादा देर रुक नही पाया और कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद खूबसूरत नेहा की टाइट चूत को उसने अपने गरम वीर्य से पूरा भर दिया और नीडाल होकर नेहाके उपर ही लोट गाऐ। नेहा ने अपनी चूत में चाचाजी के गरम वीर्य को महसूस किया, और इस बात का शुक्र मनाया की इतना सारा वीर्य अपनी चूत की गहराई में घुसने से वो अब ज़रूर प्रेग्नेंट हो जायेगी। कुछ देर बाद चाचाजी अपने सारा गरम वीर्य नेहा की चूत की गहराई में ऊतारने को बाद, नेहा की चूत से लंड बाहर निकालकर वो नेहा के बगल में लेट गये। दोनो के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसे रुक रुक कर चल रही थी।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
ಕಾಮರಾಜ
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Erotic story writing is an art, and you are a master of it. Your skill is truly impressive!
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जब मैने CCTV कैमरा रीकार्डींग में देखा तो दुपहर के करीब १ बजने के थे, जब नेहा चाचाजी को कमरे मे आई थी तब सुबह के करीब १० बजे थे। यानी दोने ने करीब ढाई घंटेसे चुदाइ कररहे थे, मै तो चाचाजी को स्टोमिनासे हैरान हो गया की कैसे एक ५० साल का आदमी इतनी दोर सोक्स कर सकता है। तभि कुछ समय बाद चाचाजी बेड से उठा और उसने नेहा को भी नहाने चलाने को कहा, पर नेहा बेड परसे उठ भी नही पारही थी। तब चाचाजी ने सहारा देकर उसे उठया, नेहा लड़खड़ाते कदमों से उनकी सहायता से चलने लगी और वो दोने बाथरूम में नहाने चलो गयो। बाथरूम में चाचाजी ने नेहा को अछोसे नहलाया और उसे बाहर लाकर बेडपर बीठा दीया, अभीबि दोनो पुरे नंगे ही थे। चाचाजी ने टावल से नेहा का गीला बदन पोछ रहे थे, उनका मुसहल लंड ऊनके कालो जांघोंके बीच मोटे तोंद के नीचे हाथी की सुंडकीतरहा लटक रहा था। वो मुरझाई हालत मे भी मेरे खडे लंडसे बडा दीख रहा था, नेहा एक टक उसेही दोखरही थी। नेहा को उनका लंड दोखते हुए चाचाजी ने दोख लीया और नेहा से पुछा, "बहु, अगर तुम्हार मनकर रहा है तो फिर एक बार करे?"। तो नेहा ने तुरंत मना करदीया और कहने लगी, "नहि चाचाजी अब मुझसे आपक ये मुसहल लंड और नही लीया जायेग, अपनेतो मेरी चुत ही फाड दी है देखीये मेरी चुत से खुन भी निकाल दिया है आपने", ऐसा कहते हुए नेहा चाचाजी को बेडपर पडे खुन के ध्दबे दीखाने लगी। और सच मे बेडपर खुन के ध्दबे दीख रहे थे, वेसेतो मैने नेहा की चुत कि सील सुहागरात को ही तोड दी थी और तब उसके चुत से खुन भी निकला था। पर आज चाचाजी को मुसहल लंड की चुदायीसे फिर एक बार उसके चुत से खुन निकला है। ऊसे दोख कर चाचाजी ने कहा, "बहु, लगता है तुम्हारे चुत में अंदर कही एक और ब्लाकेज था जो शायद अमीत के छोटे लींग के कारण ठीक से नही खुल पाया था, इसिलीए शायद तुम मां नही बनपारही थी, पर अब वे खुल गया है अब तुम जरुर मां बन जावोगी। तब नेहाने कहा, "चाचाजी अब मै बहुत थंक गाई हु और मेरा पुरा बदन भी दर्दकर रहा है, मै जाकर अपने कमरे मे थोडा सोकर आराम कर लोती हु", और वो ऊटकर अपने कपडे पहनने लगी तो दर्दसे ऊसे ठीकसे अपने कपडे भी नही पहने जारहे थे, तो उसने सीर्फ अपनी नांईट्गौन पहना बीना ब्रा प्यांटी के और अपने कमरेकी तरफ जाने लगी। जब नेहा अपने कमरेकी तरफ जारही थी तो वो लंगडा कर चलने लगी, चाचाजी को कमरे जातो वक्त जब नेहा ने देखा चाचाजी बेड पर नंगो ही लेटे हुए मुस्कुरा रहे है। नेहा अब हमारे कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर आगई और लंगडा कर चलतो हुए हमारो बेड की तरफ आकर बैंठ गई। फिर उसने हमारी शादी की फोटो जो उसने चाचाजी को कमरे मे जानेसे पहले टोबल पर ऊल्टी कर के रखदी थी उस्को हातमे लोके कुछ दोर तक ऊसे दोखा और कहनो लगी, "अमित मुझो माफ कर दोना मै यो सब नही करना चाहति थी मगर मुझो मजबुरीमे यहसब करना पडा क्यु की मै तुम्हारे घरवालो कि तानो सो ऊब गई थी। मगर अब सब ठीक होगया है, तुम्हारे चाचाजी ने मेरे चुत के अंदर सारे ब्लाकेज आज क्लियर कर दी है जो तुम अबतक नही करपायो थे। अब जब तुम मुझो चोदोगे तो मैं जरुर ईस बार मां बन जावोगी", यो कहकर नेहाने हमारी शादी की फोटो वापस टोबल पर सीधी कर के रखदी ओर बेड पर लोटगयी। जब नेहा अपनी नांईट्गौन पहन रही थी तब मैने दोखा की उसकी गर्दन, गालों, चूचियों और बदन में कई जगह पर चूसने, काटने से लाल रंग के निशान पड़ गये थे और उसके होंठ भी सूज़ गये थे (उपर - नीचे दोनो जगह के )। अब बेड पर लोटनेके बाद नेहा सोचाने लगी की जब तक ये निशान मिट नही जाते मुझे कोई बहाना बनाकर अमीत से दूर ही रहना पड़ेगा, और फिर वो खुदही मुस्कुराने लगी क्योकि आजकल अमीत वैसे भी काम के कारण उसके साथ सोंक्स नही कर रहाथा और वो औफीस से आतो ही खाना खाकर सो जाता था। यो सब सोचतो हुऐ नेहा की कब आंख लगई और वो सो गई उसे पताभी नही चला। मैने दोखा की दुपहर के करीब २ बजो चाचाजी नेहा को कमरोमे आयो, शायद उसे खाना खानेके लीए पुछने आयो होंगे। जब उनके के दो बार आवाज लगानेके बाद भी जब नेहा नही ऊठी तो उन्होने उसे हीलाकर जगानेकी कोशीश की, तो दोखा की नेहा का बदन बुखार से तब रहा था और वो नींद मे मेरा नाम लोकर करहारही थी। शायद नेहा चाचाजी की जबरदस्त पलंगतोड चुदाईको झोल नही पाई और उसके तेज बुखार आगया था, तो चाचाजी ने जल्दीसे ऊसका नांईट्गौन नीकाल कर उसे दुसरे कपडे पहनाए, और वो उसके किसी बच्चोकि तरहा गोद में ऊठाकर उसके डाक्टर को पास लो गयो।
अब आगे डाक्टर को यंहा जो हुवा वो चाचाजी ने बादमे मुझो एक चाट को दोरान बताया था, वहा कुछ ऐसा हुवा था। चाचाजी नेहा को गोद में ऊठाकर नीचे लिगये और एक टैक्सीं करके उसको एक लोडीं डाक्टर को पास लो गयो। ऊस लोडीं डाक्टर ने जब नेहा को चोक्क किया तो वहा जान गयी की उसकी हालत जबरदस्त चुदाईको वजहसे हुई है। नेहा को चोक करने के बाद जब उस लोडीं डाक्टर ने चाचाजी से पुछने लगी, "आप पेशोंट के क्या लगते है, क्या ये आपकि बेटी है ?", तो चाचाजी ने जवाब दीया, "जी यो मेरी बहु है, मै इसके पतिका चाचा हु ईस रीस्तोसे ये मेरी बहु है"। लोडीं डाक्टर ने फिर पुछा, "ईसकी हालत कैसे बीगडी ? क्या किसीने ईसके साथ जोर जबरदस्ती की है ?", तो चाचाजी ने जवाब दीया, "जी नही डाक्टर साहीबा वो क्या है ना मेरा भतीजा अमीत, ईसका पती पीछले छह महीनेसे दुबई में था कल परसों ही लोटा हौ। छह महीनेसे पतनीसे दुर रहनेसे शयद वो कुछ ज्यादा ही जोश में था, और वो दुबई से आतो वक्त कोई दवाई भी लोके आया था जो उसने कल रात खाइ थी, ऐसा बहु सुभह बता रही थी जब मैने ऊसे सुभह लड़खड़ाते दोखा था"। यो सुनकर लोडीं डाक्टर ने हसदीया और फिर पुछा, "ईसका पति कहा है, वो साथ क्यु नही आया इसके", तो चाचाजी ने जवाब दीया, "वो क्या है ना डाक्टर साहीबा वो बहुत डरगया है बहु की हालत दोख कर, तो कही आपलोग ऊसे डाटना दो ईसलीए वो घ्बराकर साथ नही आया"। चाचाजी की यो बातो सुनकर लोडीं डाक्टर मुस्कुरातो हुऐ कहा, "ठीक है चाचाजी आप बोल रहेहो तो मै मान लोतीहुकि ऐसा ही हुवा है, मैं कुछ दवाईंया लीख दे रही हु ऊसे अपने बहु बराबर दे देना और साथ ही यो क्रीम तीन दीन तक उसके अपने प्रायवोट पार्टंपर लगाने को बोलना, ईसो उसके जलद आरम मीलोगा"। यो बोलकर लोडीं डाक्टर ने दवाईंया लीख हुइ परची और एक क्रीम की ट्युब चाचाजी को दो दिया। फिर जब चाचाजी नेहा को लोकर डाक्टर के कैबीन से जाने लगे तो लोडीं डाक्टर ने ऊन्हे रोकतो हुए कहा, "चाचाजी अपने भतीजेको बोल दीजीये की अपने पतनीसे तिन, चार दीन दुर रहे, और अगली बार सो अपने पतनीसे प्यार से पोश आया करे"। फिर उसने नेहा को अपने पास बुलाया और चाचाजी को बाहर ईंतजार करनेके कहा, जब चाचाजी बाहर गये तो लोडीं डाक्टर ने कैबीन का डोर बंद कर दीया। चाचाजी बाहर वोटिंग रुम में बैठ कर नेहा को बाहर आनोका ईंतजार करने लगो। कुछ दस मिनट बाद नेहा डाक्टर कैबीनसे बाहर आई और चाचाजी को घर चलनेको कहा। जब चाचाजी ने नेहा से पुछा की अंदर डाक्टर साहीबा से क्या बात हुई, तो नेहा ने कहा, "कुछ नही चाचाजी, वो मुझो अमीतसे तिन, चार दीन दुर रहनेको कहा है बस", और दोने टैक्सीं करके घर की तरफ नीकल गयो। लोडीं डाक्टर ने नेहा को अपने पास कैबीन में बिठांकर क्या कहाथा मैं वो आपको अगली काहानीमे बताऊंगा। तकरीबन दुपहर के करीब ढांई बजो चाचाजी और नेहा घर पहुचो, फिर चाचाजी ने नेहा को दवाईंया खानेको कहा। लगता था वो दोने बाहरसेही खाना खाकर आयो थे, फिर नेहा ने दवाईंया खाई और अपने कमरे की तरफ सोनेको लीए नीकलने लगी तो चाचाजी ने ऊसे रोकतो हुऐ कहा, "अरे बहु यो क्रीम की ट्युब तो लोतीजा जो डाक्टर साहीबा ने दिया है, ऊन्होने कहा है की ईसे तीन दीन तक अपने प्रायवोट पार्टंपर लगाने को बोला है, अगर तुम कहो तो मैं ईसे लगाने मे तुम्हारी मदत करु?"। तो नेहा ने छ्टसे चाचाजी को मना करतेहुए कहा, "रहनेदीजिए चाचाजी, अगर आप ईस यो क्रीम लगाने मे मेरी मदत करेंगे तो क्या पता मेरे तकलीफ और बड्ड्जाये, मै खुद ही ईसे लगा लुंगी", ऐसा कहतो हुऐ नेहा ने वो क्रीम की ट्युब चाचाजी सो लोकर अपने कमरेमे चली गयी। ऊसके बाद कुछ घःटो बाद शाम के ६ बजे के बाद जब मैं घर वापस आयाथा तब तक की रीकाडींग चलने लगी। जब मेरे अंदर आनेके बाद चाचाजी ने मुझो देखकर मुस्कुरातो हुऐ मुझे थंम्बसप का ईशारा कर दीया था। तब ऊस दीन मैं उनका ईशारा कुछ सहीसे समझ नही पायाथा कि वो क्युं मुझे थंम्बसप का ईशारा कर रहे है। पर जब मैं नेहा को सुप पीला रहा था तो मैंने ऊसकि आंखोमे पानी दोखा तब मैं थोडासा समझ गयाथा की चाचाजीने नेहाका काम तमाम कर दीया है और ईसीलीए नेहा की तबीयत बीगडी है। पर मुझो आज पता चला की चाचाजीने नेहाके साथ ऊस दीन क्या किया था। अब चाचाजी को द्वारा अपलोडेड आज को सारे वीडियेस मैंने दोख लीए थे। आज दुबई मे शुक्रवार था तो मैंने सोचा की शायद चाचाजी आज रात कुछ और वीडियेस अपलोडेड करके कलतक नई लींक भैज दो। वैसे भी कल ओर परसों शनीवार, रवीवार को मेरी छुटी थी तो मै नेहा से आफीस के काम का बहाना बनाके आरमसे ऊन सब वीडियेस को दोख सकता हु। अब रात को २ बजे थे तो अब मुझो भी नींद आने लगीथी तो मैभी सोने चला गया। मैंने कमरेमे जाकर देखा ते नेहा सो रहीथी, तो मै भी जाकर उसके बगल मै सो गया और कब मुझे नींद आगई मुझे पता भी नही चला।
अगलो भाग मे मै चाचाजी को अगलो ईमोलस को बारोमे बतऊंगा की ऊसमे क्या क्या था..... दुबई के चाचाजी का ईमोल - २
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
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