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पहलो वीडिये मे कुछ लोग हमारे घर मे सब जगा CCTV केमरे लगाते दीखे ओर तो ओर ऊसमे ऊनकी आवाज भी साफ नुनाई दो रही थी। मतलब की ऐ सारे CCTV केमरे वीडियेस को साथ आडिये भी रोकार्ड कर सकतो थे। ऊन लोग ने हमारे घर के हर हीसे मे CCTV केमरे लगाये थे, हाल मे, कीचन मए, दोने कमरे मे यहा तक्की बाथरुंम मे भी ऊन्हेने CCTV केमरे लगाये थे। जब ओ लोग हमारे बाथरुंम मे CCTV केमरे लगा रहेथे तो ऊनमेसे एक आदमीने कहा, "साला लगता है बुड्डा अपने बहु ओर बेटे को सीर्फ चेदते हुए नही बलकी अपने बहु को नाहाते हुए भी दोखना चाहता है", तो दुसरे आदमीने कहा, "पता नही क्या मसला है वे बुड्डा जाने ओर ऊसके बहु ओर बेटे हमे ईस्से क्या लोना है। हमे तो बुड्डेने अछ्छे कासे पैसे दीये है CCTV केमरे लगाने के तु बस अपना काम ठीक तरहसे कर बस। ओर दोख सारे कमरे CCTV केमरे मे ठीक से दीखाई दोने चाहीए"। ए वही दीन था जब नेहा चाचाजी को लोकर डाक्टर को पास लो गयी थी जब चाचाजी ने पैर फीसल कर मोछ आनेका बहाना बनाया था। कुछ दोरबाद ओ सारे लोग हमारे घर मे CCTV केमरे लगा कर नीकल गये, ओर ऊन लोगो को जानेके कुछ दोरबाद CCTV केमरे अपने आप आफ हो गये। ओर फीरसे आन तब हुए जाब नेहा चाचाजी को लोकर डाक्टर को पास से घर लोटी, यानी वे सारे CCTV केमरे मोशन सेंनसर थे, यानी ऊनको सामने से कोई गुजरने पर या कोई हलचल होने पर ही वो आन होतेथे। ईसे ए पता चला की चाचाजी बहुत शातीर ओर होशीयार भी थे, मुझसे भी ज्यादा क्यु की मुझे तो इन सबके बारेमे पताभी नही था। नेहा चाचाजी को अब सहारा दोते हुये लाकर सोफेपर बैठा दिया ओर ऊनको लीए खाना लीकर आई। खनोके बाद चाचाजी ने नेहासे डाक्टर नो दीया तेल मांगा जब नेहाने चाचाजी को वो तेल की शीशि दोकर कीचन मे अपना काम करने लगी। तो चाचाजी ने कुदसे वो तेल अपने पैर लगाको मालीश करने की कोशीश करने लगे पर ऊनके भारी पेट के कारन वो नही कर पा रहाथा ओर जान बुझकर कराह रहे थे। जब नेहा ने ये सब दोखा तो वे चाचाजी के पास आकर ऊनसे वो तेल की शीशि लोकर कहा, "चाचाजी मै आपके पैर की मालीश कर दोतीहु"। जब नेहा नीचे बैठकर चाचाजी के पैर की मालीश कर रहीथी तो चाचाजी सोफेपर सर रखकर कराह रहे थे। जब नेहा ऊनके पैर की मालीश कर रही थी तो चाचाजी का हतियार ऊनकी धेति मे ही अपने सर ऊठा बडासा तंबु बना दीया था। जब नेहा की नझर चाचाजी के धेति पर पडी तो वो सकपका गयी ओर बहुत डर भी गयी थी ऊसके चेहरेपर ओ डर साफ दीख रहा था। चाचाजी को धेति मे ऊनका हतियार का तंबु तो मै भी CCTV केमरे मे साफ दोख पारहाथा, धेति मे भी ओ भयानक लग रहाथा तो सोचे २-३ फीट की दुरीसे दोखकर नेहा की हालत क्या हुई होगी? ये वही समय था जब मै आफीस से घर आया ओर नेहा को कहाता की चाचाजी को पैर की अछेसे मालीश करदे, ओर मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। तब चाचाजी ने जानबुझकर नेहा से पुछा, "क्या हुवा बहु तुम घबराईहुइ लग रहीहो", तो नेहाने कहा कुछ, "नही चाचाजी मै आपको दोने के लीए खान लगा दोती हू", ओर खन लगाने कीचन मे चली गयी। अब मुझे पता चला की नेहा ऊस दीन चाचाजी से ज्याद बात नही कर रही थी ओर क्यु ऊनसे आंख चुरा रही थी? क्यु की नेहाने शायद चाचाजी का हतियार दोखलीया था ओर ओ ऊसे दोखकर डर गयी थी। फीर अगले दीन सुबह मै तैयार होके कामपर जानेसे पहले नेहा से चाचाजी का अछेसे खयाल रखनेको कहकर जब अपने कामपर नीकल गया। नेहाने घर के सारे काम नीपटाकर जब दोखा की चाचाजी आज भी कुदसे वो तेल अपने पैर लगाको मालीश करने की कोशीश कर रहेथे, तो नेहाने सामनेसे खुद चाचाजी के ऊनके पैर की मालीश करने का पुछा तो चाचाजी के खुशीका ठिकान नही था ओर ऊन्हेने हा कहदी। फीर नेहाने डाक्टर की दी हुयी वो तेल की शीशि लोकर ऊनके पैर की मालीश करने लगी, तो चाचाजी सोफेपर सर टीकाकर बैठ गये ओर आज भी जान बुझकर कराह रहे थे, पर आज ऊनके कराहने मे अलग दर्द था। आज फीरसे चाचाजी का हतियार ऊनकी धेति मे सर ऊठा बडा तंबु बना दीया, पर आज नेहा ऊसे देखकर डरी नही बलकी नीचे बैठकर ऊसे देखते हूए चाचाजी के पैर की मालीश कर रहीथी। कुछ दोरबाद नेहा चाचाजी की मालीश खतम कर के ऊनसे कहा, "चलीए चाचाजी मै खान लगा दोती हु आप खान खा कर आप आराम कर लीजीये" ये बेलकर नेहा कीचन मै खान लगाने चली गयी। फीर चाचाजी ऊठकर पहलो अपने हतियार को सहलाके ऊसे शांत कीया ओर खान खा कर अपने कमरेमे आराम करने चलो गये। शाम को नेहा जब चाचाजी को ऊठाने गयी तो चाचाजी अपने कमरेमे आराम करते हुए अपने धेति पर सेही अपने हतियार को सहला कर शांत कर रहेथे। जब नेहाने ये देखा तो वे चाचाजी बुलाने की बजाय वही छुपकर ऊनकी हरकतोको देखने लगी कुछ दोरबाद ये सब देखने के बाद नेहा वापीस कीचन मै आगयी ओर चाचाजी को आवाज लगा के चाय पे बुलाया। जब चाचाजी लंगडा कर चलते हुए आए तो नेहा ने कहा, "चाचाजी चलमे तकलीफ हो रहीथी तो मुझे बुला लेतो मै आजाती सहारा दोने", तो चाचाजी ने कहा, "रहनो दो बहु तुम आज तो मुझे सहारा दोने आजाती मगर जब मै दुबई वापस चला जाऊंहा तो बहा कोन आयेगा? मुझो तो ईस सबकी आदत हो गयी है अकोलो ही खुदको सहारा दोने की ओर अपने हातसे अपनी सोवा करने की"। चाचाजी की इस डबल मीनींग बात सुनकर नेहा ने भी ऊनके नेहलोपर दोहला मारा ओर कहा, "जैसे आप अभी कमरेमे अपने हातसे अपनी सोवा कर रहेतो वैसे ही?", ए बात सुनकर चाचाजी पहलोतो थोडा झीझक गए पर अपने आप को संभालकर कहा, "हा बहु अब तुम्हारी चाची तो रही नही तो पीछलो १० सालोसे मै खुदही अपने हातसे अपनी सोवा कर लोता हू"। इस बात पर दोने हसने लगे ओर चाय पीकर आपस मे गप्पे लडाने लगे, दोने डबल मीनींग बात करते हुए एक दुसरेकी टांग खीच रहेतो। फीर नेहाने चाचाजी से कहा, "चलीए चाचाजी मै आपके पैर की मालीश कर दोती हु, दोखीए तो दो बारकी मालीश मे ही आप लंगडा कर ही सही चलनेते लगे"। ए सुनकर चाचाजी ने कहा, "ए बाततो तुम्हारी सही है बहु तुम्हारे हातोमेतो जादु है जो बरसोसे लंगडा रही चीज को भी खडा करदे"। फीर चाचाजी सोफेपर पीट टीकाकर बैठ गये ओर नेहा नीचे बैठकर ऊनके पैर की मालीश करने लगी। कुछ दोरबाद नेहा ने चाचाजी से कहा, "चलीए चाचाजी मै आपके को जांघेः की मालीश भी कर दोती हु जांघेः की नशे खुल जायेंगी तो आपको भी आराम मीलोगा", ये बेलकर नेहा ने चाचाजी की धेति खुदही कमर तक्क सरका दी। चाचाजी का हतियार पहलो ही ऊनकी धेति मे तंबु बनाये बैठा था, ओर अब नेहा की ईस हरकत से वो ओर भी फन फनाने लगा। ऊसे दोख कर नेहा बोली, "चाचाजी पता नही चाची आपको कैसे झेलतीथी आपको वजनसे तो ऊनकी चिखो नकल जाति हेंगी"। तो चाचाजी ने नेहासे कहा, "हा पहलीबारतो तुम्हारी चाची दर्दसे चिखीथी, पर बाद में खुशी ओर सुख से भी चिखती थी" क्यु तुम नही चिखति क्या? तब नेहा बोली, "चाचाजी दर्द की चिख छोडीये आपको बेटेनेतो आज तक्क मेरी खुशी ओर सुख की चिखभी नही नीकाली"। ए सुनकर चाचाजी बोलो, "बहु अगर तुम हा कहोतो मै ईस ऊर्म मे भी तुम्हारी चिखे नीकाल सकता हु", ऊनके ए कहतो ही नेहा चाचाजी के दोख कर मुस्कुराने लगी। तभी मै अंदर आया तो चाचाजी ने मुझो देखकर कहा, "अरे अमित बेटा आगये तुम आज तो बडी देर करदी आनो मे" ओर ऊन्हेने अपनी धेति नीचे करली। तब नेहा भी अपना हात चाचाजी को जांघेः से हटा कर वापस ऊनके पैर की मालीश करने लगी। तब मै नारमल बरताव करते हुए कहा, "हा चाचाजी आज काम कुछ ज्यादा था बहुत थक गया आज तो" ओर नेहा को जल्दी खान लगाने को कहा। नेहा के चेहरे पे अभीबी खुश दीख रहीथी, तो मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। तब नेहा कीचन मै खान लगाने चली गयी। जब सबने खाना खाया ओर मै अपने रुम सेने चले गये। तो नेहा ओर चाचाजी साथ बैटकर टीवी देखतो बातो कर रहेथे, तब मै रुम मे अकर सोगया ओर मुझे नींद आगयी। फीर कुछ दोरबाद बाद जब नेहा ऊठकर हमारे कमरेमे आ गयी ओर मेरे बगल मे सो गयी।
फीर अगलो दीन नाश्ता करने को बाद मैने नेहा से कहा था की, "नेहा आज आफीस मे काम ज्यादा है तो मुझे आनो मे देर हो जायेगा", ओर ऎसा बेलकर जब मै कामपर नीकल गया। तो नेहाने कीचन सो ही चाचाजी को आवाज लगा के नाश्ते के लीए बुलाया। आज चाचाजी आरम से चलते हुए आए तो नेहा ने कहा, "वाह! चाचाजी आपका पैर तो अज ठीक लग रहा है?" तो चाचाजी ने कहा, "ए सब तुम्हारा ही कमाल है बहु तुम्हारे हातो मेंतो जादु है जो दो दीन मेही मेरा पैर ठीक करके मुझे खडा कर दिया", ओर फीर दोनेनो नाश्ता खतम कीया। नाश्ते के बाद नेहाने चाचाजीसे कहा, "चाचाजी आज ए दोरीसे घर आएंगे, कहा है आज आफीस मे काम ज्यादा है"। तब चाचाजी ने कहा, "बहु ये अमित ते मुझे यहा बुलाकर खुद काम मे बीझी हो गया है, एओर तुमने भी तो कहा था की अमित की गैर हाजरिमे तुम मुझो घुमाने लोके जावोगी ऊसका क्या हुआ?"। नेहाने कहा, "चाचाजी आपने भी तो कहा था की जाने दो अमित को कामपे हम दोने मिल्के दीनभर मस्ती करेंगे! ऊसका क्या हुआ?, चाचाजी मैने तो आपका ओर भी कुछ खडा कीया था! ऊसका क्या हाल है?"। तो चाचाजी ने नेहासे कहा, "बहु जीसे तुमने खडा कियाथाना वो तो मुझे दीनभर चैन से रहने दोता है, ना ओर ना रातको सोने दोता है, ऊसकातो बहुत बुरा हाल है आजकल"। तो नेहाने भी फठ से कहा, "तो चाचाजी अब वो खडा हो को ईतना ही तकलीफ दो रहा है तो आप ऊसे कीसी अछ्छी जगहा गुमाके लाईये क्यापता वो नई जगहा दोखो शांत हो जाय"। तो चाचाजी ने भी कहा, "तुमने ठीक कहा बहु, अब्बतो वो नई जगहा दोखको वंहा मस्ती करने को बाद ही मानेग लगता है, अब्ब तुही ऊसे कोई अछ्छी नई जगहा दीखा दो ओर ऊसे थेडी मस्ती करादोतो तुम्हारा बडा अहसान होगा ऊसपर"। तो नेहाने कहा, "चाचाजी मै ऊसे नई जगहा दीखा तो दुंगी पर वो जगह ऊसे पसंद आएगी की नही मै कह नही सकती, ओर वहा मस्ती करतो वक्त वो मुझे तकलीफ तो नही दोगाना?", तो चाचाजी ने भी कहा, "नही बहु वो बडा समझदार ओर सुलझा हुवा है, वो कभी किसीको तकलीफ नही दोता। ओर जो नई जगह तुम दीखा वोगी मुझे यकीन है वोभी तुम्हारो जैसीही सुंदर ही होगी, ओर ऊसे जरुर पसंद आएगी। तो बहु क्या तुम हमो नई जगहा दीखा वोगी?, आज तो दीन भी बडा अछ्छा है ओर तो आज अमित भी दोरीसे घर आएंगे तो ऊसके आने तक्क हम आरम सो नई जगहा दोख पायोंगे"। तो नेहा थोडा हीचकीचातो हुए पुछा, "चाचाजी नई जगहा काफी छोटी ओर तंग , आप बहा घुमोंगेतो बहुत तकलीफ होगी"। तो चाचाजी ने ऊस्को दीलासा देते हुए कहा, "देखो बहु बहली बार तो तुम्हे थोडी तकलीफ होगी, मगर बाद मे तुम्हे ऊतना ही मजा भी आयेगा। मै पुरी कोशीश करुंगा की तुम्हे कम से कम तकलीफ हो, ये मेरा वादा है तुमसे"। चाचाजी की ए बात सुनकर अब नोहा मे भी थोडी हीम्मत आती दीख रही थी। ए दोख कर चाचाजी ने आखीर मे नेहा से कहा, "देखो बहु अगर आज भी तुम फोसला नही कर पायी तो तुम जींदगी भर यह सोचती रहॊगी की हात आया मैका तुम्हने गवा दीया, ओर जींदगी भर ईस खुशिसे महरुम रह जावोगी। अगर तुमके जींदगी भर खुश रहना है ओर मेरे यहा से जानोतक मस्ती करनी है तो मेरे कमरेमे आ जाना, मै वादा करता हु मै तुम्हे वो सारी खुशी दुंगा जीसका तुम्हे इंतजार है जो अमित ने तुम्हे आजतक कभी नही दीया। आज मै तुम्हारि चिखे नीकालवादुंगा ओर मेरे यहा सो जानेतक तुम्हे वो दर्द ओर सुख दुंगा जीससे तुम आजतक महरुम हो। मैं अपने कमरे में तुम्हारा ईंतजार करुंगा मुझो यकीन है तुम सोच कर तुन्हारे लीए जो सही है तुम्ह वही फैसला लोगी"। एसा बोलकर चाचाजी अपने कमरेमे चलो गये ओर जातो जातो ये सब बोलकर ऊन्होने नेहा को ईमोशनली ऊकसा कर चलो गये। मैने चाचाजी को पहलो ही बतायाथा की नेहा बहुत ईमोशनल है ओर वो ईमोशन मे बहकर हर वो चीज कर बैटती है जो ऊसे नही करनी चाहीये। ओर चाचाजीने नेहा ईसी कमजोरीका फायदा ऊटानोकी कोशीश कर रहे थे। मैने दोखा की चाचाजी अपने कमरेमे बेड पर लोटकर आराम करते हुए अपने धेति पर से ही अपने हतियार को सहलातो हुये मुस्कुरा रहे थे ओर नेहा के आनेका ईंतजार कर रहेथे, जैसे ऊनको यकीन था की नेहा ऊनके पास जरुर आयेगी। ईघर नेहा अपने कमरेमे बेड पर बैटकर हमारो शादी की फोटो हातमे लीए सोच रही थी की वो चाचाजी को पास जाए की नही। कुछ दोरबाद नेहा ऊठकर बाथरुम मे चली गयी। फिर बाथरुम मे आकर ऊसने अपने सारे कपडे ऊतर दीए ओर पुरी नंगी हो गयी, ओर खुद को आईने मे दोखने लगी। ऊसका खूबसूरत चेहरा , सुन्दर नाक नक्श , गोरा उजला रंग , बड़ी बड़ी गोल चूचियां , पतली कमर और उसके नीचे कसे हुए सुडौल नितम्ब , बीना बालोवाली ऊसकी मखमली गुलाबी चुत, कोले के पोड के तने जैसी ऊसकी लंबी सुडोल टांगे, किसी भी देखने वाले को , बार बार मुड़कर देखने को मजबूर कर देते थे। नेहा कुछ्छ दोर खुद को आईने मे दोखने को बाद फ्रैश होकर बाथरुम सो वैसे ही पुरी नंगी बाहर आई ओर अलमारीसे ऊसने एक पारदर्शी ब्रा प्यांटी नीकाल कर पहन ली ओर एक पतलीसी नायटी पहन ली। वो फीर सो हमारो बेड की तरफ आयी ओर हमारो शादी की फोटो हातमे लीए कुछ दोर तक ऊसे दोखा ओर कहनो लगी, "अमित मुझो माफ कर दोना मै तुम सो बहुत प्यार करती हु ओर ए सब मै हमारो भवीश्य को लीए ही करने जारही हु, क्यु की मै तुम्हारे घरवालो कि अब ओर तानो नही सुन सकती की मैं बांज हु ओर बच्चो नही पैदा कर सकती", यो कहकर नेहाने हमारी शादी की फोटो वापस टोबल पर ऊल्टी कर के रखदी ओर कमरेमे सो बाहर चली गयी। मैने दोखा अब नेहा अपने कमरे से नीकल कर चाचाजी को कमरे की तरफ चल दी। जब वो चाचाजी को कमरे के पास आई तो वो दरवाजो के पास रुक गयी ओर कुछ सोचने लगी। कुच्छ दोर वंहा रुक कर सोचने को बाद ऊसने अपने आप को होसला दिया की वो कुच्छ गलत नही करने जारही है, ओर वो जो कुच्छ कर रही है ऊसके ओर अमीत को भलाई को लीऐ ही कर रही है। फीर ऊसने दो, तीन बार गहरी सांसो भरी ओर चाचाजी को कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर चली गई।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
ಕಾಮರಾಜ