12-04-2025, 11:35 PM
कहानी नंबर :१
काले बूढ़े से प्यार
वक्त एक ऐसा पहिया है जो कभी रुकता नहीं या फिर उसे रोक नहीं जा सकता। वक्त जो अगर ज़ख्म दे तो मलहम भी देता है। कौन कब किसका हमदर्द हो जाए, कौन किसी प्यार करे ये पता नहीं चलता। ये कहानी है दो अंजान लोगों को जिसको एक रात ने दो जिस्म और एक जान बना दिया।
साल 1986
(१) जेनिफर एंथनी :उमर 30 साल। दिल्ली में रहनेवाली विधवा औरत। उसका 4 साल का बेटा है। जेनिफर रेलवे में काम करती। जेनिफर दिखने में बेहद खूबसूरत लगती थी।
(२) उस्मान कुरैशी : उमर 63 साल। दिखने में काला और लंबी सफेद दाढ़ी। उसकी एक छोटी सी दुकान हैं।
तो ये कहानी शुरू होती है पश्चिम बंगाल के रायगंज जिल्ले के बसना गांव से। वहां जेनिफर का ट्रांसफर हुआ था। अलग जगह अलग लोग। वहां बसना गांव में स्टेशन मास्टर का काम मिला था। जेनिफर के रहने का इंतजाम वहां बसना गांव के हुआ। बसना गांव में उस्मान रहता था अकेला। उसका संबंध लोगों के साथ अच्छा था। रेलवे में कई दफा उसने लोगों की मदद की। उस्मान गांव से बाहर दो कमरे के घर में रहता था। एक कमरा ऊपर तो एक कमरा नीचे। जेनिफर का रेलवे ने रहने का इंतजाम उस्मान के घर पर रखा। उस्मान ने ऊपरवाला कमरा वैसे भी किराए पर रखा था।
जेनिफर को बहुत अजीब सा लग रहा था। लेकिन उसके पास कोई उपाय न था। आते ही जेनिफर ने अपने बेटे का दाखिला पास वाले कॉलेज में करवा दिया। ऊपरवाले कमरे में रहती और छत पर एक छोटा सा रसोईघर भी था। नीचे बाथरूम जो सिर्फ एक ही था। उस्मान और जेनिफर समय समय पर इस्तमाल करते। उस्मान वैसे दिल का बहुत अच्छा आदमी था। वो काम से काम रखता था। उसका दुकान घर से 200 मीटर दूर था। जेनिफर घर से एक किलोमीटर दूर बसना स्टेशन पर काम करती। स्टेशन बहुत छोटा था। वहां मॉल गाड़ी आती और सामान वहां से उतरा जाता। सुबह 8 बजे जेनिफर आती और दोपहर 1 बजे वापिस घर चली आती। बाकी पूरे दिन कुछ नहीं करने को रहता।
एक दिन की बात है। उस्मान रोज की तरह सुबह 8 बजे दुकान गया था और शाम 4 बजे वापिस आया। ठंडी का मौसम था इसीलिए दिन जल्दी ढल जाता है। उस्मान घर आया और अपना खाना बनाने के लिए तैयार हुआ कि ऊपर देखा जेनिफर काफी परेशान थी। उस्मान ऊपर चढ़कर पूछा "क्या हुआ ? सब खैरियत ?"
"पता नहीं चाचा। आज सुबह से मेरे बेटे जोसफ को तबियत खराब है। बुखार बहुत ज्यादा है।"
"तुमने कुछ बनाया इसके लिए ?"
"हां बनाया तो है लेकिन सुबह से कुछ खा नहीं रहा।"
"एक काम करो तुम रुको मैं खिचड़ी बनाकर लाता हूं।"
उस्मान तुरंत रसोई में गया और कुछ ही देर में खिचड़ी बनकर लाया और जोसफ को खिलाया। जोसेफ ने खाना खाया और सो गया। उस्मान इतने में न रुका। तुरंत गरम पानी और कपड़े लाया फिर उसके सिर पर लगा रहा था। उस्मान करीब दो घंटे तक जोसफ के साथ रहा और आखिर में उसे सुलाने में कामयाब हो गया। जेनिफर यह सब देख रही थी और उस्मान के लिए अपने दिल में इज्जत को महसूस करने लगी।
रात के 8 बज गए। उस्मान थककर सोने वाला ही था कि जेनिफर खाना लेकर उसके कमरे के बाहर खड़ी थी।
"अरे आपको इतनी तकलीफ लेने की क्या जरूरत थी।"
"आपने मेरे बेटे का इतना ख्याल रखा तो क्या मैं आपका ख्याल नहीं रख सकती ?"
उस्मान मुस्कुराया और जेनिफर को अंदर बुलाया। बहुत दिन बाद उस्मान को अच्छा खाना मिला। खाना खाते खाते दोनों ने खूब बातें की। एक दूसरे को पहचाना। जाते वक्त जेनिफर ने कहा "अब से रोज आप हमारे साथ खाना खाएंगे।"
उस्मान बोला "लेकिन एक शर्त पर।"
"कैसी शर्त ? रोज जोसफ को कॉलेज लेने छोड़ने मैं ही जाऊंगा। और उसको पढ़ाऊंगा भी मैं।"
"कितने अच्छे है आप चाचा। मेरे बेटे की चिंता करने की जरूरत आज से मुझे नहीं।"
जेनिफर को रहे अब तीन महीने हो गए थे। उसमें से दो महीने हो गए दोनों की एक दूसरे से पहचान को। जेनिफर रोज सुबह 6 बजे उठ जाती। चाय बनती और उस्मान को देती। उस्मान सुबह की नमाज अदा करता। तैयार होकर जोसफ को तैयार करता और कॉलेज ले जाता। उसके बाद वही से दुकान चल जाता। दोपहर को वापिस आकर जेनिफर खाना बनाती और उस्मान को खाना खिलाती। उस्मान अब से रोज दोपहर 2 बजे वापिस आ जाता। बाकी के दिन वो दुकान अपने दोस्त अनवर अली को देकर चला जाता। दोपहर के बाद जेनिफर और उस्मान अक्सर बाते करते। शाम को उस्मान जोसफ को पढ़ता। जेनिफर रात का खाना बनाती और तीनों साथ में खाते। जब छुट्टी का दिन होता तो कभी कभी तीनों घूमने चले जाते या फिर जेनिफर कोई लजीज खाना बनाती। जोसेफ भी मजाक मजाक में उस्मान को पापा कहकर बुलाता और ये सुनकर जेनिफर अक्सर मुस्कुरा देती। वो जेनिफर को मां तो उस्मान को पापा बुलाता। शायद वो भी गलत नहीं। वो रोज अपने दोस्तों को मान बाप के पास देखता होगा। इसीलिए उस्मान को पापा कहता। उस्मान भी उसे अपना बेटा बुलाता और मजाक में जेनिफर को बेगम कहता।
दिसंबर का समय था और रविवार का दिन था। उस्मान ठंड की वजह से सुबह सु आज छत गया सूरज की गर्मी लेने। जैसे आपको पता है कि छत पर जेनिफर का कमरा है और बाहर ही रसोई। उस्मान ऊपर पहुंचा तो देखा कि दरवाजा खुला था। सोचा कि जेनिफर को बुला ले और साथ में उसके बातें करे। लेकिन एक गड़बड़ी हो गई। उस वक्त जेनिफर अपने कपड़े बदल रही थी और दरवाजा बंद करना भूल गई। जोसेफ बाहर खेल रहा था। उस्मान दरवाजे से बाहर देख तो जेनिफर ब्लाउज पेटीकोट में थी और साड़ी अलमारी से निकल रही थी। साड़ी निकलने के बाद वो खुद को आईने में देख रही थी। उसका बदन उस्मान के सामने खुले आम दिख रहा था। उस्मान जैसे स्तब्ध हो गया। इतना खूबसूरत जवान देह को कभी देखा नहीं। जेनिफर जब पीछे मुड़ी तो चौक गई। अपने सीने को हाथ से ढक्कर बोली "उस्मान चाचा यहां क्या कर रहे है आप ? जाइए यहां से।"
उस्मान घबराकर भाग। लेकिन उस्मान के दिल में हलचल होने लगी। जेनिफर साड़ी पहनकर नीचे उतरी। उस्मान नजरें चुराने लगा। जेनिफर बोली "मेरी ही गलती थी चाचा। मैने दरवाजा बंद नहीं किया। आप शर्मिंदा मत होइए।"
उस्मान हल्के से मुस्कुराया। फिर दोनों बातें। करने लगे। जेनिफर उस बात को भूल नहीं पा रही थी और उस्मान चाचा भूलना नहीं चाहते थे। अब वो जेनिफर को अलग नजर से देखने लगे। वो अब जेनिफर को चुप छुपकर देखते। कुछ दिन तक ये सिलसिला चल। जेनिफर भी समझ रही थी उस्मान चाचा उसे ज्यादा देख रहे है। उस्मान ने अब ठान ली कि वो जेनिफर को पाकर रहेगा।
एक दिन की बात है जब जेनिफर उस्मान और जोसफ खाना खाकर उठे। उस्मान ने जेनिफर से मिन्नत की कि वो कुछ वक्त के लिए उसके कमर में आ जाए। जेनिफर ने भी बात मान ली। जोसेफ को कमरे में सुलाकर जेनिफर खुद को ठीक कर रही थी। लाल रंग की साडी और स्लीवलेस काले ब्लाउज में जेनिफर अपने कमरे से बाहर निकली और नीचे उतरकर उस्मान चाचा के कमरे पर दस्तक दी। उस्मान दौड़ते हुए आया और दरवाजा खोला। जेनिफर ने कोई खास कपड़े नहीं पहना फिर भी खूबसूरत लग रही थी। उस्मान से उसे अंदर बुलाया। दोनों कमरे में आ गए। जेनिफर बिस्तर पर बैठी थी और उस्मान बिस्तर के पास पड़े कुर्सी पर बैठा। कमरे में अत्तर की महक आ रही थी। उस्मान ने खास गुलाब के कुछ फूल अपने कमरे के टेबल पर रखा। जेनिफर के दिल को धड़कन बढ़ने लगी। उसे समझ आ गया कि आज उसे अपने कमरे में उस्मान ने इतनी रात अकेले क्यों बुलाया।
जेनिफर से रहा नहीं गया और पूछ लिया "आप मुझे रोज घूरते है और आज तो इतनी रात मुझे अकेले क्यों बुलाया ?"
उस्मान जेनिफर के नरम हाथ को एक बार में पकड़ लिया और बोला "जेनिफर तुम मेरे बारे में सब जानती हो और मैं तुम्हारे बारे में। मैने जोसफ को बेटे जैसा माना।"
"कहना क्या चाहते है आप ?"
"देखो जेनिफर मैं बूढ़ा हूं और मेरा ख्वाब है को बची हुई ज़िंदगी में मै अपने परिवार को देखूं। तुम और जोसफ मेरे इस सपने को पूरा कर सकते हो।"
"हम तो मानते ही है आपको अपना परिवार। इसमें इतना क्यों सोचना।"
"तुम समझ नहीं रही हो जेनिफर।"
"आप समझाइए तो सही।"
"मैं तुमसे निकाह करना चाहता हूं। तुम्हे अपनी बेगम बनाकर जोसफ का अब्बू बनाना चाहता हूं।"
यह सुनकर जेनिफर कुछ न बोली। एक बूढ़ा आदमी जिसकी जिंदगी अलग हो उसके साथ शादी कैसे कर सकती है।
"मैं जनता हूं जेनिफर कि तुम मन करोगी। मैं बूढ़ा और गैर मजहब का। तुम बिल्कुल भी नहीं मानोगी। लेकिन एक बार सोचो। मुझसे निकाह करोगी तो एक परिवार तुम्हे भी मिलेगा। जोसेफ को अब्बू का प्यार मिलेगा। तुम्हारा इस दुनिया में कोई नहीं। सोचो मैं तुम्हे एक शौहर का प्यार दूंगा। जो मेरा है वो जोसेफ का भी होगा।"
"लेकिन दुनिया क्या कहेगी ?"
"यहां कैसी दुनिया है ? यहां कोई रहता भी है ? देखो तुम दुनिया की परवाह न करों। मेरा भाई रज़ाक कुरैशी यहां का मौलवी है और उसका पूरा गांव सम्मान करता है। उसी ने मुझे तुमसे निकाह करने को कहा। पूरा गांव हमारी इज्जत करता है। हमारे पास पैसे नहीं है फिर भी लोग हमे प्यार करते है।"
"देखिए आपको पहले से कह दूं कि मैं अकेली औरत हूं। मेरे बेटे के अलावा और कोई नहीं।"
"तो फिर अगर तुम मुझसे निकाह कर लोगो तो तुम्हारा भी कोई अपना होगा। देखो कल किसने देखा है। कल को खुद न करे मुझे कुछ हो जाए तो जो भी थोड़ा बहुत मेरे पास है वो जोसेफ का हो जाएगा। और अगर कल तुम्हे कुछ हो जाए तो जोसफ की देखभाल मैं करूंगा।"
जेनिफर को अंदर ही अंदर उस्मान की बात सही लग रही थी। लेकिन फिर भी दिल में कई सारे सवाल थे। उस्मान आगे बोला "देखो जेनिफर। तुम्हे दुनिया की सारी खुशी दूंगा और जोसफ को भी बस एक बार हां कह दो।"
"अगर मैं ना कह दूं तो ?"
उस्मान का चेहरा उदासी से भर गया और बोला "मै तुम्हे रोकूंगा नहीं। न कि कोई जबजस्ती करूंगा। लेकिन अगर एक बार तुमने हां कह दिया तो जान लूटा दूंगा तुम पर।"
"मैं तुम्हे न नहीबके रही। लेकिन मेरी भी शर्त है। मुझे कुछ दिन और चाहिए इस बारे में सोचने के लिए।"
"मैं तुम्हे वक्त दूंगा लेकिन हमें एक दूसरे को पहचानने के लिए ज्यादा से ज्यादा वक्त देना होगा। और उसकी शुरुआत अभी से हम करेंगे।"
"कैसे ?"
"तुम अब से कुछ दिन मेरे साथ मेरे कमरे में रहोगी। और घबराओ मत मैं तुम्हारे इजाजत के बिना तुम्हे नहीं छूनेवाला।"
जेनिफर ने बात मान ली। और वो उठकर जाने लगी। उस्मान ने पीछे से रोकते हुए कहा "मैने कहा अभी से। इसका मतलब आज की रात से आनेवाले कई दिनों तक तुम्हे मेरे कमरे में रहना होगा।"
जेनिफर पीछे मुड़कर बोली "मै अपना सामान लेने जा रही हूं। आप बस इंतजार करिए। मैं आती हूं।"
उस्मान का चेहरा खिल उठा। वो बहुत खुश हुआ। जेनिफर अपने कमरे में गई और बेटे को देखकर बोली "पता नहीं अब वक्त क्या चाहता है। अगर उस्मान मेरे जोसफ को दिल से चाहते है तो बिना कुछ सोचे ही उनसे निकाह कर लूंगी।"
जेनिफर समान लेकर उस्मान के कमरे गई। दोनों को एक ही बिस्तर पर सोना था। उस्मान ने दरवाजा बंद कर दिया और बिस्तर पर लेट गया। जेनिफर के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी। उस्मान दूसरी तरफ मुंह करके सो गया। रात घनी थी। आदि रात में जेनिफर को अपने शरीर पर उस्मान का हाथ महसूस हुआ। जब देखा को उस्मान गहरी नींद में था। उसका हाथ जेनिफर के पेट पर था। इतने सालों बाद किसी मर्द के छुअन से जेनिफर कांपने लगी। दोनों एक ही बिस्तर और एक ही रजाई के थे। लेकिन कुछ घंटों के बाद उसे ये छुअन अच्छी लगने लगी।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए। एक ही कमरे में दोनों हंसते बातें करते। जेनिफर देख रही थी कि उस्मान जोसफ को खूब प्यार कर रहा था। जोसेफ जब भी उस्मान को पापा बोलता तो जेनिफर खिलखिला सी जाती और मुस्कुरा देती। अब जेनिफर को उस्मान के मौजूदगी में अच्छा लगने लगा। उस्मान अगर आंखों से ओझल होता तो घबरा जाती। एक दिन उस्मान का बड़ा भाई 70 वर्षीय मौलवी रफीक कुरैशी आया। वो कुछ दिन उनके साथ रहा। जेनिफर अब उस्मान के साथ वक्त ज्यादा गुजरने लगी।
करीब 2 हफ्ते तक रफीक रहा और वो जाने के लिए तैयार हुआ। जाते जाते उसने जेनिफर को अकेले में बुलाया। जेनिफर और रफीक ने बात की।
रफीक बोला "देखो जेनिफर मेरे भाई को दुनिया की सारी खुशी दे दो। उसके साथ निकाह कर लो। मैं जानता हूं कि तुम्हे उसके साथ अच्छा लगता है। अब सच्चाई से भागो मत। और जल्दी से अपना जवाब दो। मुझे तुम्हे हां की ही उम्मीद है। तुम्हे हां कहना होगा। इसे मेरी जबरजस्ती नहीं अपनापन समझे। आज की रात उसे हां कह दो और जल्दी से ये फैसला मुझे सुनाओ। याद रहे आज की रात हो कह दो अपना फैसला।"
जेनिफर अब इतना समझ चुकी थी कि उसे क्या कहना है। उसी रात उस्मान अपने दोस्त के यहां दावत पर गया था। जोसेफ भी उसके साथ था। जेनिफर ने खुद को उस्मान के लिए तैयार किया। पीली साडी और काले स्लीवलेस ब्लाउज में खुद को खूबसूरत बनाया और आइने में खुद से बोली "मेरी हां है। हां उस्मान मै तुम्हे चाहती हूं। अब जल्दी से अपने दिल को बात बताकर सारी जिंदगी की खुशी तुम्हे देनी है मुझे। बस अब जल्दी से आ जाओ और मेरे हो जाओ। बहुत अकेले जी लिया। अब सारी जिंदगी मेरी बाहों में गुजारनी है तुम्हे। अब तो ये जेनिफर तुम्हारी जो चुकी है। अब जल्दी तुम मेरे हो जाओ।"
उस्मान और जोसफ घर वापिस आए। जोसेफ सो रहा था। जोसेफ को ऊपरवाले कमरे में सुलाकर उस्मान जल्दी से अपने कमरे में गया। कमरे में घुसते ही जेनिफर को देखा तो देखते रह गया। जेनिफर खूबसूरत सी खड़ी उस्मान को देख मुस्कुरा दी और बोली "आ गए आप ? जोसेफ के पापा।"
यह सुनकर उस्मान की खुशी का ठिकाना नहीं और पूछा "क्या कहा तुमने ? जोसेफ के अब्बू ? मतलब तुम्हारी हां है ?"
"हां ।"
उस्मान दौड़ते हुए दरवाजा बंद किया और जेनिफर को बाहों में भरते हुए कहा "पता नहीं कितना इंतजार किया इस लम्हे का। अब तो तुम सिर्फ मेरी जो। आओ जेनिफर आज पहली रात मनाए। क्योंकि उसके बाद तुम्हारे नाम के साथ मेरा नाम जुड़ेगा।"
उस्मान ने हल्के से जेनिफर को धक्का देकर बिस्तर पर गिराया। जेनिफर के बदन से साड़ी हटाकर उसकी खूबसूरती को देखा। ब्लाउज पेटीकोट में लेती जेनिफर उस्मान से बोली "आज मैं तुम्हारे मोहब्बत को कबूल करती हूं।"
उस्मान जेनिफर के पेट को हल्के से चूमते हुए कहा "मीठे शहद सा बदन है तुम्हारा।" कहकर फिर से पेट को चाटने लगा। जेनिफर ने साथ दिया उस्मान के सिर को पेट से दबाकर। उस्मान ने अगले ही पल अपने शरीर से कपड़े उतर दिया। उसका कला और झुर्रियां से भरा बदन जेनिफर को दिख रहा था। उस्मान ने जेनिफर के होठ को चूम लिया। दोनों जैसे प्यार की अघोष में खो गए। उस्मान के अपनी जुबान जेनिफर के मुंह में डालकर उसके रस को चूस रहा था। जेनिफर ने भी अपनी जुबान उसके जुबान से मिलाई। उस्मान ने जेनिफर के बालों को खोल दिया और नंगी पीठ पर हाथ घुमाने लगा। अपने मुलायम पीठ पर कठोर हाथ को महसूस कर रही थी जेनिफर। अचानक से उस्मान ने पीछे से जेनिफर के ब्लाउज और ब्रा का हुक एक साथ खोकर उसके बदन से कपड़े को उतारकर दूर जमीन पर फेक दिया। हल्का सा धक्का देकर उस्मान ने जेनिफर के बदन से कपड़े का नमो निशान मिटा दिया। अपने लिंग को उसकी योनि में डाल दिया।
दर्द से चिल रही जेनिफर जानती थी कि मिलो दूर कोई नहीं उसकी आवाज सुन पाएगा। बिस्तर जोर जोर से हिलने लगा। उस्मान लगातार जेनिफर के होठों को चूमकर धक्का मार रहा था। जेनिफर जैसे आनंद के सागर में डूब गई। पूरे कमरे में बिस्तर के हिलने की आवाजें गूंजने लगी। ठंडी में पसीने से भीगे दोनों के बदन एक दूसरे को प्यार कर रही थे।
"जेनिफर आह आह तुम बहुत खूबसूरत हो।"
"आप भी बहुत अच्छे इंसान है।"
करीब 20 मिनट बाद जेनिफर की योनि में उस्मान झड़ गया। दोनों को आंखे बंद और एक दूसरे को बाहों में भरकर सो गए। लेकिन कुछ देर बाद उस्मान की आँखें खुली और उसका मन अभी भी नहीं भरा। सो रही जेनिफर को चूमने लगा। जिस्म के हर अंग को वो चूम रहा था। पूरी रात 3 बार संभोग किया उस्मान ने। सुबह 6 बजे दोनों नींद की अघोष में थे। देखते देखते 8 बज गए। जेनिफर ने देखा कि दरवाजा खुला था और उस्मान जोसफ को बाहर घुमा रहा था। अपने बदन को चादर से ढक्कर जेनिफर नहाने चली गई। तीनों ने साथ में नाश्ता किया। दोपहर 2 बजे रफीक आया। दोनों ने अपना जवाब दिया। रॉडिक बहुत खुश हुआ। उसने कल ही निकाह करने को कहा।
अगली सुबह पास के मस्जिद में जेनिफर का निकाह उस्मान के साथ हुआ। मौलवी रफीक यानी उस्मान के बड़े भाई ने ये निकाह करवाया। जेनिफर और जोसफ को लेकर उस्मान 100 किलोमीटर दूर अपने गांव चला गया। रफीक ने अपने पहचान से पासवाले गांव में उस्मान का दुकान लगवाया। कुछ महीनों तक जेनिफर ने नौकरी की लेके। प्रेग्नेंट होने के बाद नौकरी छोड़कर घर संभालने को कहा रफीक ने। जेनिफर रोज उस्मान का ख्याल रखती और प्यार भी करती। रफीक भी दोनों के घर रहने लगा।
उस्मान और जेनिफर के निकाह को 1 साल ही हुए कि जेनिफर ने उस्मान के पहले बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के बाद जेनिफर ने हमेशा के लिए नौकरी छोड़ने का फैसला किया। साल 1996 जेनिफर ने उस्मान के पांचवें बच्चे को जन्म दिया। मौलवी रफीक की खूब सेवा की जेनिफर ने। साल 1999 मौलवी रफीक को मृत्यु हुई। जेनिफर ने उस्मान के छठे बच्चे को जन्म दिया। मौलवी रफीक ने अपने पास रहे संपत्ति को सात बच्चों के नाम कर दिया।
उस्मान और जेनिफर का वैवाहिक जीवन 30 साल तक चला। साल 2016 में उस्मान ने अपनी आखिरी सांसें ली। उस्मान ने काफी पैसे जमा कर लिया था। जेनिफर से उस्मान ने 9 बच्चे पैदा किया। जेनिफर आज 10 बच्चों और 5 बहु और 12 पोर पोतियों के साथ खुश है। सभी परिवार उसी गांव ने रहता है।
तो दोस्तो ये कहानी थी जेनिफर और उस्मान के प्रेम कहानी की। मिलते अगली कहानी में।
कहानी नंबर 2: गरीब की पत्नी बनी जवान अमीर औरत।
Coming soon.........
काले बूढ़े से प्यार
वक्त एक ऐसा पहिया है जो कभी रुकता नहीं या फिर उसे रोक नहीं जा सकता। वक्त जो अगर ज़ख्म दे तो मलहम भी देता है। कौन कब किसका हमदर्द हो जाए, कौन किसी प्यार करे ये पता नहीं चलता। ये कहानी है दो अंजान लोगों को जिसको एक रात ने दो जिस्म और एक जान बना दिया।
साल 1986
(१) जेनिफर एंथनी :उमर 30 साल। दिल्ली में रहनेवाली विधवा औरत। उसका 4 साल का बेटा है। जेनिफर रेलवे में काम करती। जेनिफर दिखने में बेहद खूबसूरत लगती थी।
(२) उस्मान कुरैशी : उमर 63 साल। दिखने में काला और लंबी सफेद दाढ़ी। उसकी एक छोटी सी दुकान हैं।
तो ये कहानी शुरू होती है पश्चिम बंगाल के रायगंज जिल्ले के बसना गांव से। वहां जेनिफर का ट्रांसफर हुआ था। अलग जगह अलग लोग। वहां बसना गांव में स्टेशन मास्टर का काम मिला था। जेनिफर के रहने का इंतजाम वहां बसना गांव के हुआ। बसना गांव में उस्मान रहता था अकेला। उसका संबंध लोगों के साथ अच्छा था। रेलवे में कई दफा उसने लोगों की मदद की। उस्मान गांव से बाहर दो कमरे के घर में रहता था। एक कमरा ऊपर तो एक कमरा नीचे। जेनिफर का रेलवे ने रहने का इंतजाम उस्मान के घर पर रखा। उस्मान ने ऊपरवाला कमरा वैसे भी किराए पर रखा था।
जेनिफर को बहुत अजीब सा लग रहा था। लेकिन उसके पास कोई उपाय न था। आते ही जेनिफर ने अपने बेटे का दाखिला पास वाले कॉलेज में करवा दिया। ऊपरवाले कमरे में रहती और छत पर एक छोटा सा रसोईघर भी था। नीचे बाथरूम जो सिर्फ एक ही था। उस्मान और जेनिफर समय समय पर इस्तमाल करते। उस्मान वैसे दिल का बहुत अच्छा आदमी था। वो काम से काम रखता था। उसका दुकान घर से 200 मीटर दूर था। जेनिफर घर से एक किलोमीटर दूर बसना स्टेशन पर काम करती। स्टेशन बहुत छोटा था। वहां मॉल गाड़ी आती और सामान वहां से उतरा जाता। सुबह 8 बजे जेनिफर आती और दोपहर 1 बजे वापिस घर चली आती। बाकी पूरे दिन कुछ नहीं करने को रहता।
एक दिन की बात है। उस्मान रोज की तरह सुबह 8 बजे दुकान गया था और शाम 4 बजे वापिस आया। ठंडी का मौसम था इसीलिए दिन जल्दी ढल जाता है। उस्मान घर आया और अपना खाना बनाने के लिए तैयार हुआ कि ऊपर देखा जेनिफर काफी परेशान थी। उस्मान ऊपर चढ़कर पूछा "क्या हुआ ? सब खैरियत ?"
"पता नहीं चाचा। आज सुबह से मेरे बेटे जोसफ को तबियत खराब है। बुखार बहुत ज्यादा है।"
"तुमने कुछ बनाया इसके लिए ?"
"हां बनाया तो है लेकिन सुबह से कुछ खा नहीं रहा।"
"एक काम करो तुम रुको मैं खिचड़ी बनाकर लाता हूं।"
उस्मान तुरंत रसोई में गया और कुछ ही देर में खिचड़ी बनकर लाया और जोसफ को खिलाया। जोसेफ ने खाना खाया और सो गया। उस्मान इतने में न रुका। तुरंत गरम पानी और कपड़े लाया फिर उसके सिर पर लगा रहा था। उस्मान करीब दो घंटे तक जोसफ के साथ रहा और आखिर में उसे सुलाने में कामयाब हो गया। जेनिफर यह सब देख रही थी और उस्मान के लिए अपने दिल में इज्जत को महसूस करने लगी।
रात के 8 बज गए। उस्मान थककर सोने वाला ही था कि जेनिफर खाना लेकर उसके कमरे के बाहर खड़ी थी।
"अरे आपको इतनी तकलीफ लेने की क्या जरूरत थी।"
"आपने मेरे बेटे का इतना ख्याल रखा तो क्या मैं आपका ख्याल नहीं रख सकती ?"
उस्मान मुस्कुराया और जेनिफर को अंदर बुलाया। बहुत दिन बाद उस्मान को अच्छा खाना मिला। खाना खाते खाते दोनों ने खूब बातें की। एक दूसरे को पहचाना। जाते वक्त जेनिफर ने कहा "अब से रोज आप हमारे साथ खाना खाएंगे।"
उस्मान बोला "लेकिन एक शर्त पर।"
"कैसी शर्त ? रोज जोसफ को कॉलेज लेने छोड़ने मैं ही जाऊंगा। और उसको पढ़ाऊंगा भी मैं।"
"कितने अच्छे है आप चाचा। मेरे बेटे की चिंता करने की जरूरत आज से मुझे नहीं।"
जेनिफर को रहे अब तीन महीने हो गए थे। उसमें से दो महीने हो गए दोनों की एक दूसरे से पहचान को। जेनिफर रोज सुबह 6 बजे उठ जाती। चाय बनती और उस्मान को देती। उस्मान सुबह की नमाज अदा करता। तैयार होकर जोसफ को तैयार करता और कॉलेज ले जाता। उसके बाद वही से दुकान चल जाता। दोपहर को वापिस आकर जेनिफर खाना बनाती और उस्मान को खाना खिलाती। उस्मान अब से रोज दोपहर 2 बजे वापिस आ जाता। बाकी के दिन वो दुकान अपने दोस्त अनवर अली को देकर चला जाता। दोपहर के बाद जेनिफर और उस्मान अक्सर बाते करते। शाम को उस्मान जोसफ को पढ़ता। जेनिफर रात का खाना बनाती और तीनों साथ में खाते। जब छुट्टी का दिन होता तो कभी कभी तीनों घूमने चले जाते या फिर जेनिफर कोई लजीज खाना बनाती। जोसेफ भी मजाक मजाक में उस्मान को पापा कहकर बुलाता और ये सुनकर जेनिफर अक्सर मुस्कुरा देती। वो जेनिफर को मां तो उस्मान को पापा बुलाता। शायद वो भी गलत नहीं। वो रोज अपने दोस्तों को मान बाप के पास देखता होगा। इसीलिए उस्मान को पापा कहता। उस्मान भी उसे अपना बेटा बुलाता और मजाक में जेनिफर को बेगम कहता।
दिसंबर का समय था और रविवार का दिन था। उस्मान ठंड की वजह से सुबह सु आज छत गया सूरज की गर्मी लेने। जैसे आपको पता है कि छत पर जेनिफर का कमरा है और बाहर ही रसोई। उस्मान ऊपर पहुंचा तो देखा कि दरवाजा खुला था। सोचा कि जेनिफर को बुला ले और साथ में उसके बातें करे। लेकिन एक गड़बड़ी हो गई। उस वक्त जेनिफर अपने कपड़े बदल रही थी और दरवाजा बंद करना भूल गई। जोसेफ बाहर खेल रहा था। उस्मान दरवाजे से बाहर देख तो जेनिफर ब्लाउज पेटीकोट में थी और साड़ी अलमारी से निकल रही थी। साड़ी निकलने के बाद वो खुद को आईने में देख रही थी। उसका बदन उस्मान के सामने खुले आम दिख रहा था। उस्मान जैसे स्तब्ध हो गया। इतना खूबसूरत जवान देह को कभी देखा नहीं। जेनिफर जब पीछे मुड़ी तो चौक गई। अपने सीने को हाथ से ढक्कर बोली "उस्मान चाचा यहां क्या कर रहे है आप ? जाइए यहां से।"
उस्मान घबराकर भाग। लेकिन उस्मान के दिल में हलचल होने लगी। जेनिफर साड़ी पहनकर नीचे उतरी। उस्मान नजरें चुराने लगा। जेनिफर बोली "मेरी ही गलती थी चाचा। मैने दरवाजा बंद नहीं किया। आप शर्मिंदा मत होइए।"
उस्मान हल्के से मुस्कुराया। फिर दोनों बातें। करने लगे। जेनिफर उस बात को भूल नहीं पा रही थी और उस्मान चाचा भूलना नहीं चाहते थे। अब वो जेनिफर को अलग नजर से देखने लगे। वो अब जेनिफर को चुप छुपकर देखते। कुछ दिन तक ये सिलसिला चल। जेनिफर भी समझ रही थी उस्मान चाचा उसे ज्यादा देख रहे है। उस्मान ने अब ठान ली कि वो जेनिफर को पाकर रहेगा।
एक दिन की बात है जब जेनिफर उस्मान और जोसफ खाना खाकर उठे। उस्मान ने जेनिफर से मिन्नत की कि वो कुछ वक्त के लिए उसके कमर में आ जाए। जेनिफर ने भी बात मान ली। जोसेफ को कमरे में सुलाकर जेनिफर खुद को ठीक कर रही थी। लाल रंग की साडी और स्लीवलेस काले ब्लाउज में जेनिफर अपने कमरे से बाहर निकली और नीचे उतरकर उस्मान चाचा के कमरे पर दस्तक दी। उस्मान दौड़ते हुए आया और दरवाजा खोला। जेनिफर ने कोई खास कपड़े नहीं पहना फिर भी खूबसूरत लग रही थी। उस्मान से उसे अंदर बुलाया। दोनों कमरे में आ गए। जेनिफर बिस्तर पर बैठी थी और उस्मान बिस्तर के पास पड़े कुर्सी पर बैठा। कमरे में अत्तर की महक आ रही थी। उस्मान ने खास गुलाब के कुछ फूल अपने कमरे के टेबल पर रखा। जेनिफर के दिल को धड़कन बढ़ने लगी। उसे समझ आ गया कि आज उसे अपने कमरे में उस्मान ने इतनी रात अकेले क्यों बुलाया।
जेनिफर से रहा नहीं गया और पूछ लिया "आप मुझे रोज घूरते है और आज तो इतनी रात मुझे अकेले क्यों बुलाया ?"
उस्मान जेनिफर के नरम हाथ को एक बार में पकड़ लिया और बोला "जेनिफर तुम मेरे बारे में सब जानती हो और मैं तुम्हारे बारे में। मैने जोसफ को बेटे जैसा माना।"
"कहना क्या चाहते है आप ?"
"देखो जेनिफर मैं बूढ़ा हूं और मेरा ख्वाब है को बची हुई ज़िंदगी में मै अपने परिवार को देखूं। तुम और जोसफ मेरे इस सपने को पूरा कर सकते हो।"
"हम तो मानते ही है आपको अपना परिवार। इसमें इतना क्यों सोचना।"
"तुम समझ नहीं रही हो जेनिफर।"
"आप समझाइए तो सही।"
"मैं तुमसे निकाह करना चाहता हूं। तुम्हे अपनी बेगम बनाकर जोसफ का अब्बू बनाना चाहता हूं।"
यह सुनकर जेनिफर कुछ न बोली। एक बूढ़ा आदमी जिसकी जिंदगी अलग हो उसके साथ शादी कैसे कर सकती है।
"मैं जनता हूं जेनिफर कि तुम मन करोगी। मैं बूढ़ा और गैर मजहब का। तुम बिल्कुल भी नहीं मानोगी। लेकिन एक बार सोचो। मुझसे निकाह करोगी तो एक परिवार तुम्हे भी मिलेगा। जोसेफ को अब्बू का प्यार मिलेगा। तुम्हारा इस दुनिया में कोई नहीं। सोचो मैं तुम्हे एक शौहर का प्यार दूंगा। जो मेरा है वो जोसेफ का भी होगा।"
"लेकिन दुनिया क्या कहेगी ?"
"यहां कैसी दुनिया है ? यहां कोई रहता भी है ? देखो तुम दुनिया की परवाह न करों। मेरा भाई रज़ाक कुरैशी यहां का मौलवी है और उसका पूरा गांव सम्मान करता है। उसी ने मुझे तुमसे निकाह करने को कहा। पूरा गांव हमारी इज्जत करता है। हमारे पास पैसे नहीं है फिर भी लोग हमे प्यार करते है।"
"देखिए आपको पहले से कह दूं कि मैं अकेली औरत हूं। मेरे बेटे के अलावा और कोई नहीं।"
"तो फिर अगर तुम मुझसे निकाह कर लोगो तो तुम्हारा भी कोई अपना होगा। देखो कल किसने देखा है। कल को खुद न करे मुझे कुछ हो जाए तो जो भी थोड़ा बहुत मेरे पास है वो जोसेफ का हो जाएगा। और अगर कल तुम्हे कुछ हो जाए तो जोसफ की देखभाल मैं करूंगा।"
जेनिफर को अंदर ही अंदर उस्मान की बात सही लग रही थी। लेकिन फिर भी दिल में कई सारे सवाल थे। उस्मान आगे बोला "देखो जेनिफर। तुम्हे दुनिया की सारी खुशी दूंगा और जोसफ को भी बस एक बार हां कह दो।"
"अगर मैं ना कह दूं तो ?"
उस्मान का चेहरा उदासी से भर गया और बोला "मै तुम्हे रोकूंगा नहीं। न कि कोई जबजस्ती करूंगा। लेकिन अगर एक बार तुमने हां कह दिया तो जान लूटा दूंगा तुम पर।"
"मैं तुम्हे न नहीबके रही। लेकिन मेरी भी शर्त है। मुझे कुछ दिन और चाहिए इस बारे में सोचने के लिए।"
"मैं तुम्हे वक्त दूंगा लेकिन हमें एक दूसरे को पहचानने के लिए ज्यादा से ज्यादा वक्त देना होगा। और उसकी शुरुआत अभी से हम करेंगे।"
"कैसे ?"
"तुम अब से कुछ दिन मेरे साथ मेरे कमरे में रहोगी। और घबराओ मत मैं तुम्हारे इजाजत के बिना तुम्हे नहीं छूनेवाला।"
जेनिफर ने बात मान ली। और वो उठकर जाने लगी। उस्मान ने पीछे से रोकते हुए कहा "मैने कहा अभी से। इसका मतलब आज की रात से आनेवाले कई दिनों तक तुम्हे मेरे कमरे में रहना होगा।"
जेनिफर पीछे मुड़कर बोली "मै अपना सामान लेने जा रही हूं। आप बस इंतजार करिए। मैं आती हूं।"
उस्मान का चेहरा खिल उठा। वो बहुत खुश हुआ। जेनिफर अपने कमरे में गई और बेटे को देखकर बोली "पता नहीं अब वक्त क्या चाहता है। अगर उस्मान मेरे जोसफ को दिल से चाहते है तो बिना कुछ सोचे ही उनसे निकाह कर लूंगी।"
जेनिफर समान लेकर उस्मान के कमरे गई। दोनों को एक ही बिस्तर पर सोना था। उस्मान ने दरवाजा बंद कर दिया और बिस्तर पर लेट गया। जेनिफर के दिल की धड़कन बढ़ चुकी थी। उस्मान दूसरी तरफ मुंह करके सो गया। रात घनी थी। आदि रात में जेनिफर को अपने शरीर पर उस्मान का हाथ महसूस हुआ। जब देखा को उस्मान गहरी नींद में था। उसका हाथ जेनिफर के पेट पर था। इतने सालों बाद किसी मर्द के छुअन से जेनिफर कांपने लगी। दोनों एक ही बिस्तर और एक ही रजाई के थे। लेकिन कुछ घंटों के बाद उसे ये छुअन अच्छी लगने लगी।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए। एक ही कमरे में दोनों हंसते बातें करते। जेनिफर देख रही थी कि उस्मान जोसफ को खूब प्यार कर रहा था। जोसेफ जब भी उस्मान को पापा बोलता तो जेनिफर खिलखिला सी जाती और मुस्कुरा देती। अब जेनिफर को उस्मान के मौजूदगी में अच्छा लगने लगा। उस्मान अगर आंखों से ओझल होता तो घबरा जाती। एक दिन उस्मान का बड़ा भाई 70 वर्षीय मौलवी रफीक कुरैशी आया। वो कुछ दिन उनके साथ रहा। जेनिफर अब उस्मान के साथ वक्त ज्यादा गुजरने लगी।
करीब 2 हफ्ते तक रफीक रहा और वो जाने के लिए तैयार हुआ। जाते जाते उसने जेनिफर को अकेले में बुलाया। जेनिफर और रफीक ने बात की।
रफीक बोला "देखो जेनिफर मेरे भाई को दुनिया की सारी खुशी दे दो। उसके साथ निकाह कर लो। मैं जानता हूं कि तुम्हे उसके साथ अच्छा लगता है। अब सच्चाई से भागो मत। और जल्दी से अपना जवाब दो। मुझे तुम्हे हां की ही उम्मीद है। तुम्हे हां कहना होगा। इसे मेरी जबरजस्ती नहीं अपनापन समझे। आज की रात उसे हां कह दो और जल्दी से ये फैसला मुझे सुनाओ। याद रहे आज की रात हो कह दो अपना फैसला।"
जेनिफर अब इतना समझ चुकी थी कि उसे क्या कहना है। उसी रात उस्मान अपने दोस्त के यहां दावत पर गया था। जोसेफ भी उसके साथ था। जेनिफर ने खुद को उस्मान के लिए तैयार किया। पीली साडी और काले स्लीवलेस ब्लाउज में खुद को खूबसूरत बनाया और आइने में खुद से बोली "मेरी हां है। हां उस्मान मै तुम्हे चाहती हूं। अब जल्दी से अपने दिल को बात बताकर सारी जिंदगी की खुशी तुम्हे देनी है मुझे। बस अब जल्दी से आ जाओ और मेरे हो जाओ। बहुत अकेले जी लिया। अब सारी जिंदगी मेरी बाहों में गुजारनी है तुम्हे। अब तो ये जेनिफर तुम्हारी जो चुकी है। अब जल्दी तुम मेरे हो जाओ।"
उस्मान और जोसफ घर वापिस आए। जोसेफ सो रहा था। जोसेफ को ऊपरवाले कमरे में सुलाकर उस्मान जल्दी से अपने कमरे में गया। कमरे में घुसते ही जेनिफर को देखा तो देखते रह गया। जेनिफर खूबसूरत सी खड़ी उस्मान को देख मुस्कुरा दी और बोली "आ गए आप ? जोसेफ के पापा।"
यह सुनकर उस्मान की खुशी का ठिकाना नहीं और पूछा "क्या कहा तुमने ? जोसेफ के अब्बू ? मतलब तुम्हारी हां है ?"
"हां ।"
उस्मान दौड़ते हुए दरवाजा बंद किया और जेनिफर को बाहों में भरते हुए कहा "पता नहीं कितना इंतजार किया इस लम्हे का। अब तो तुम सिर्फ मेरी जो। आओ जेनिफर आज पहली रात मनाए। क्योंकि उसके बाद तुम्हारे नाम के साथ मेरा नाम जुड़ेगा।"
उस्मान ने हल्के से जेनिफर को धक्का देकर बिस्तर पर गिराया। जेनिफर के बदन से साड़ी हटाकर उसकी खूबसूरती को देखा। ब्लाउज पेटीकोट में लेती जेनिफर उस्मान से बोली "आज मैं तुम्हारे मोहब्बत को कबूल करती हूं।"
उस्मान जेनिफर के पेट को हल्के से चूमते हुए कहा "मीठे शहद सा बदन है तुम्हारा।" कहकर फिर से पेट को चाटने लगा। जेनिफर ने साथ दिया उस्मान के सिर को पेट से दबाकर। उस्मान ने अगले ही पल अपने शरीर से कपड़े उतर दिया। उसका कला और झुर्रियां से भरा बदन जेनिफर को दिख रहा था। उस्मान ने जेनिफर के होठ को चूम लिया। दोनों जैसे प्यार की अघोष में खो गए। उस्मान के अपनी जुबान जेनिफर के मुंह में डालकर उसके रस को चूस रहा था। जेनिफर ने भी अपनी जुबान उसके जुबान से मिलाई। उस्मान ने जेनिफर के बालों को खोल दिया और नंगी पीठ पर हाथ घुमाने लगा। अपने मुलायम पीठ पर कठोर हाथ को महसूस कर रही थी जेनिफर। अचानक से उस्मान ने पीछे से जेनिफर के ब्लाउज और ब्रा का हुक एक साथ खोकर उसके बदन से कपड़े को उतारकर दूर जमीन पर फेक दिया। हल्का सा धक्का देकर उस्मान ने जेनिफर के बदन से कपड़े का नमो निशान मिटा दिया। अपने लिंग को उसकी योनि में डाल दिया।
दर्द से चिल रही जेनिफर जानती थी कि मिलो दूर कोई नहीं उसकी आवाज सुन पाएगा। बिस्तर जोर जोर से हिलने लगा। उस्मान लगातार जेनिफर के होठों को चूमकर धक्का मार रहा था। जेनिफर जैसे आनंद के सागर में डूब गई। पूरे कमरे में बिस्तर के हिलने की आवाजें गूंजने लगी। ठंडी में पसीने से भीगे दोनों के बदन एक दूसरे को प्यार कर रही थे।
"जेनिफर आह आह तुम बहुत खूबसूरत हो।"
"आप भी बहुत अच्छे इंसान है।"
करीब 20 मिनट बाद जेनिफर की योनि में उस्मान झड़ गया। दोनों को आंखे बंद और एक दूसरे को बाहों में भरकर सो गए। लेकिन कुछ देर बाद उस्मान की आँखें खुली और उसका मन अभी भी नहीं भरा। सो रही जेनिफर को चूमने लगा। जिस्म के हर अंग को वो चूम रहा था। पूरी रात 3 बार संभोग किया उस्मान ने। सुबह 6 बजे दोनों नींद की अघोष में थे। देखते देखते 8 बज गए। जेनिफर ने देखा कि दरवाजा खुला था और उस्मान जोसफ को बाहर घुमा रहा था। अपने बदन को चादर से ढक्कर जेनिफर नहाने चली गई। तीनों ने साथ में नाश्ता किया। दोपहर 2 बजे रफीक आया। दोनों ने अपना जवाब दिया। रॉडिक बहुत खुश हुआ। उसने कल ही निकाह करने को कहा।
अगली सुबह पास के मस्जिद में जेनिफर का निकाह उस्मान के साथ हुआ। मौलवी रफीक यानी उस्मान के बड़े भाई ने ये निकाह करवाया। जेनिफर और जोसफ को लेकर उस्मान 100 किलोमीटर दूर अपने गांव चला गया। रफीक ने अपने पहचान से पासवाले गांव में उस्मान का दुकान लगवाया। कुछ महीनों तक जेनिफर ने नौकरी की लेके। प्रेग्नेंट होने के बाद नौकरी छोड़कर घर संभालने को कहा रफीक ने। जेनिफर रोज उस्मान का ख्याल रखती और प्यार भी करती। रफीक भी दोनों के घर रहने लगा।
उस्मान और जेनिफर के निकाह को 1 साल ही हुए कि जेनिफर ने उस्मान के पहले बच्चे को जन्म दिया। बच्चे के बाद जेनिफर ने हमेशा के लिए नौकरी छोड़ने का फैसला किया। साल 1996 जेनिफर ने उस्मान के पांचवें बच्चे को जन्म दिया। मौलवी रफीक की खूब सेवा की जेनिफर ने। साल 1999 मौलवी रफीक को मृत्यु हुई। जेनिफर ने उस्मान के छठे बच्चे को जन्म दिया। मौलवी रफीक ने अपने पास रहे संपत्ति को सात बच्चों के नाम कर दिया।
उस्मान और जेनिफर का वैवाहिक जीवन 30 साल तक चला। साल 2016 में उस्मान ने अपनी आखिरी सांसें ली। उस्मान ने काफी पैसे जमा कर लिया था। जेनिफर से उस्मान ने 9 बच्चे पैदा किया। जेनिफर आज 10 बच्चों और 5 बहु और 12 पोर पोतियों के साथ खुश है। सभी परिवार उसी गांव ने रहता है।
तो दोस्तो ये कहानी थी जेनिफर और उस्मान के प्रेम कहानी की। मिलते अगली कहानी में।
कहानी नंबर 2: गरीब की पत्नी बनी जवान अमीर औरत।
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