29-03-2025, 03:08 PM
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रात का अंधेरा और बहन की जवानी
वि
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उसकी चूत टाइट और गीली थी। मैंने उसकी चूचियाँ मसलीं, उसके निप्पल चूसे, और उसकी चूत को चोदा। “भैया… आह्ह… चोदो…” वो तड़पते हुए बोली। मैंने उसे रात भर चोदा। कभी उसकी चूत में लंड डाला, कभी उसकी गाँड में, और कभी उसके मुँह में। “चूस साली, मेरे लंड का रस पी,” मैंने कहा। वो मेरे लंड को चूसने लगी, और उसकी जीभ मेरे लंड की टोपी पर फिसल रही थी। सुबह तक उसकी चूत और गाँड सूज गई थीं, और मेरा माल उसकी चूत में भर गया था। “भैया, फिर मत करना,” वो बोली। मैंने उसकी गाँड पर हल्की सी चपत मारी और कहा, “देखते हैं, तेरी चूत क्या कहती है।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
