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बुआ की चूत मारी
#1
बुआ की चूत मारी




वि




जेड

यह बात तब की है जब मैं बारहवीं में था।
मेरे फूफा जी बाहर काम करते थे इसलिए बुआ घर पर अकेली रहती थी और मैं भी उसी शहर में रहता था तो मैं अपनी बुआ के घर सोने जाता था।


मैं उन्हें शुरू से ही गंदी नजरों से देखता था।
अब क्या करूँ, उनका आकार ही इतना टॉप का था और ऊपर से उनका गोरा रंग, मेरा क्या किसी का भी लंड खड़ा हो जाए।


जब भी वे कभी बाहर जाती तो उनकी हिलती हुई गांड गजब दिखती थी।
सभी की नजरें उन्हीं पर टिकी रहती थी और सारे मर्दों के लौड़ेखड़े हो जाते थे।


जब मैं उनके घर सोने जाता था तो रात को सोते समय मैं कभी–कभी उनकी गांड को छू लेता था।
कभी–कभी तो उनकी चूत में उंगली डाल देता था।


उन्हें शायद पता भी था कि मैं उनके साथ यह सब करता हूँ।
लेकिन वे मुझे कुछ नहीं कहती थी और वे ऐसे दिखाती थी जैसे उन्हें कुछ पता ही नहीं है।


एक दिन जब मैं उनकी चूत को छू रहा था तो हवस के मारे मैं उनकी चूत में उंगली पूरी अंदर तक घुसा दी।
वे एकदम से चिल्लाती हुई उठी और बोलीं– यह क्या कर रहा है, मैं तेरी बुआ हूँ?


मैं बुआ को चिल्लाते देख डर गया।
मैंने उनसे माफी मांगी लेकिन वे मान ही नहीं रही थी।


तब मैंने कहा– बुआ, जो आप बोलोगी वह करूंगा बस माँ को मत बताना!
तो उन्होंने कहा– तुम्हारे लिए एक काम है!


मैंने कहा– बुआ, जल्दी बताइए।
फ़िर उन्होंने कहा– रहने दो, तुम नहीं कर पाओगे!


मैंने कहा– बुआ, बताइए तो आप पहले।
उन्होंने कहा– तुम मुझे खुश कर दो, वैसे भी तुम्हारे फूफा घर में रहते नहीं है। मेरा भी तो मन करता है अपनी चूत की गर्मी शांत करने की, अपनी चूत में लौड़ा लेने की!


मैंने इतना सुनते ही उनको दबोच लिया और उनको चूमने लगा।
वे भी मेरा साथ देने लगी।


फ़िर मैंने उनके चुचियों को जोर से दबा दिया।
उनकी उफ्फ निकल गई।
वे कहने लगी– क्या कर रहा है, आराम से दबा मैं तेरी ही हूँ!


मैंने उनका ब्लाउज उतारा और ब्रा के ऊपर से ही उनके मम्में मसलने लगा।
बुआ को भी मजा आ रहा था।


वे ‘आह … आह’ करके आवाज निकाल रही थी।

मैंने उनकी साड़ी उतार दी।
वे सिर्फ ब्रा और पैंटी आ गई।
वे बहुत सेक्सी लग रही थी।


मेरा लंड पैंट के ऊपर से ही बुआ को सलामी दे रहा था।
उन्होंने यह देख लिया और मेरे लंड पकड़ कर बाहर निकाली।


फ़िर वे उसे मुंह में लेकर चूसने लगी।
मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं जन्नत में हूँ।


मुझे बहुत मजा आ रहा था।
बुआ लंड को गले तक लेकर चूस रही थी।


करीब दस मिनट के बाद मेरा 7 इंच के लौड़े ने वीर्य की पिचकारी मारी और बुआ मेरा सारा माल गटक गई।
तभी मैंने उनके मुंह से लौड़ा निकाला और उनकी ब्रा से चूचे आजाद कर के उनके मम्में को बारी–बारी से चूसने लगा।


कुछ देर बाद फ़िर से मेरा 7 इंच का लौड़ा खड़ा हो गया।
मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी चूत को चूसने और चाटने लगा।
वे पागल हुए जा रही थी और कह रही थी– सुनील, और तेज चाट … अच्छे से चाट!




उन्होंने 5 मिनट बाद मेरे मुंह में अपना सारा पानी छोड़ दिया और लेट गई।
फ़िर मैंने अपने लौड़े को उनकी चूत पर सेट किया और एक झटके में ही पूरा अन्दर डाल दिया।
बुआ एकदम से चिल्ला उठी– आह … आह!


पर मैं लगातार धक्के मारता रहा।
कुछ समय बाद उनको भी Xxx सैक्स का मजा आने लगा।


वे सिसकारियां लेने लगी– आह … उह … मह … उफ्फ, मर गई … आह सुनील और तेज चोदो और तेज!
मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और जोर से चोदने लगा।

उनकी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी– आह … ओह … मह सुनील, और तेज!
ऐसे ही हमारी आधे घंटे की चुदाई के बाद मैं उनकी चूत में ही रस छोड़ दिया।



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फ़िर बॉथरूम में जा कर साफ कर के दोनों एक साथ चिपक कर नंगे ही सो गए।
सुबह हमारी आँख खुली तब हम अलग हुए।


सुबह मेरा लौड़ा फ़िर से खड़ा हो गया।


फ़िर वे उठी और अपनी चूत के छेद पर लौड़े को सेट करके अंदर डाल ली और मेरे ऊपर आकर गांड उछाल–उछाल के चुदाने लगी।
वे ‘आह … ओह’ आवाजें भी निकाल रही थी।


20 मिनट के बाद मैं झड़ गया उनकी चूत में ही।
हमने एक कपड़े से एक–दूसरे को साफ़ किया।


फ़िर मैं अपने घर आ गया।
अब जब भी मौका मिलता हम सेक्स करते।

अब उन्होंने ब्रा और पैंटी पहनना ही छोड़ दिया।
क्योंकि फूफा रहते नहीं है और हम दोनों रोज सेक्स करते है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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