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27-03-2019, 12:37 PM
मंटू की माँ का देहांत हुए 1 महीना भी नहीं हुआ था की उसका बाप नवरंग, 19 साल की दुल्हन ढूढ़ने लगा.
एक दिन, मंटू घर में काफ़ी लोगों को देख अपने बाप से पूछता है की क्या बात है… इतने लोग…
उसका बाप, उसे समझाने की कोशिश करता है की दोनों को ज़रूरत है एक औरत की जो, घर संभाल सके.
मंटू की माँ के बाद, उसकी बुआ घर के काम देख रही थी पर वो हमेशा तो रुक नहीं सकती.
मंटू को समझाते समझाते, नवरंग थक गया.
1 घंटे बाद, बुआ आकर अपने तरीके से समझाने लगी.
मंटू की बात सही थी.
वो कैसे किसी और को, अपनी माँ एक्सेप्ट कर पाएगा.
मंटू सब समझ रहा था पर उसका दिल बिल्कुल भी नहीं मान रहा था
थोड़ी देर बाद, नवरंग फिर आया और बुआ को जाने के लिए कहा.
नवरंग, मंटू से बोला की शादी करना ज़रूरी है और वो और उसकी नयी माँ वही करेगी, जो तू कहेगा… कभी कोई प्राब्लम नहीं होगी…
मंटू फिर भी इनकार करने लगा.
आख़िरी में नवरंग ने मंटू से कहा मेरी मजबूरी है… और बर्दाश्त नहीं होता… चाहे जो भी माँग ले पर इनकार मत कर… मैं तेरे हाथ जोड़ता हूँ… और, वहाँ से चल दिया.
“चुड़क्कड़ बाप” तरस रहा था और पीछे नहीं हटने वाला था.
आख़िर, में शादी हो ही गई.
दुल्हन का नाम, महिमा था.. 19 साल की थी और शरीर भरा हुआ था..
देखा जाए तो मंटू, उससे 4 साल ही छोटा था और उसका पति उससे दुगुनी उमर का था.
2-3 दिनों तक, सब घर में ही थे तो “सुहाग रात” तो हुई ही नहीं.
सबके जाने के बाद, महिमा ने घर संभाला.
नवरंग, सुबह खेत पर जाता और 5-6 बजे वापस आ जाता.
मंटू, दोपहर 2 बजे कॉलेज जाता और 6 बजे तक वापस आ जाता.
मंटू के दिल में, नयी माँ के लिए कोई फीलिंग नहीं थी बल्कि गुस्सा था.
पहले दिन से ही, उसने नयी माँ को छोटे छोटे काम के लिए परेशान किया.
पर महिमा ने, उसकी हर ज़रूरत का ख़याल रखा.
मंटू ने नहलाने तक का काम, महिमा से कराया.
महिमा के घर में भी वो सब काम करती थी और उसे इन सबकी आदत थी.
गाँव की लड़कियों को, ये सब की आदत होती है.
महिमा को पहले ही उसके पति ने कह कर रहा था की मंटू को किसी चीज़ की तकलीफ़ नहीं होनी चाहिए… जो वो कहे, वैसा ही करना…
महिमा डरी हुई थी, पर साथ ही खुश भी थी.
नवरंग रोज़ सुबह, जल्दी खेत में काम करने जाता.
पहले दिन से ही, मंटू ने महिमा को परेशान करना शुरू किया.
मंटू नवरंग के जाने के बाद उठा और संडास जा के महिमा के पास गया और महिमा को कहा – मुझे नहाना है… पानी गरम कर के दो…
घर में ही एक कुआ था, महिमा कुए के पास गरम पानी रख कर खड़ी हो गई.
मंटू सामने, अंडरवियर में खड़ा हो गया.
मंटू ऐसे ही खड़ा रहा और महिमा को देख रहा था.
महिमा समझ गई की उसे स्नान भी करवा के देना होगा.
महिमा ने साड़ी ऊपर की और बैठ गई.
सामने मंटू को बिठाया और उस पर पानी डाल कर, साबुन लगाने लगी.
पूरे बदन पर साबुन लगा लिया पर अंडरवियर बाकी था.
मंटू के अंडरवियर में भी, उसे हाथ डालना पड़ा.
मंटू ये सब, “एंजाय” कर रहा था.
महिमा के मुलायम हाथों का स्पर्श, अपने “लंड और ग़ुल्लों” पर पा कर मन में ही उछल रहा था.
साबुन घोते समय, महिमा को महसूस हुआ की मंटू का लंड खड़ा हो गया था.
महिमा, कुछ नहीं बोली.
स्नान होने के बाद, मंटू को टॉवेल से पोंछ दिया.
मंटू का लंड तब भी खड़ा हुआ.
अंडरवियर निकाल कर टॉवेल लपेट कर, मंटू ने महिमा को कहा की उसे भूख लगी है और सीधा रसोई में चला गया..
महिमा की नज़र उसके लंड पर थी, जो टॉवेल में “टेंट” बन रहा था.
मंटू, रसोई में गया और बैठ गया.
महिमा आ कर, मंटू को खाना परोस कर सामने बैठ गई.
एक दो नीवाला मुंह में डालने के बाद, मंटू रुक गया.
महिमा ने पूछा – क्या बात है… खाना ठीक नहीं बना क्या… ??
मंटू कुछ नहीं बोला और खाना खाने लगा.
कुछ देर बाद, मंटू बोला की उसे नुन्नी में दर्द हो रहा है… उसका लंड, अब भी खड़ा था…
महिमा ने कहा के टॉवेल ढीला कर दे, बाद में तेल लगा दूँगी.
मंटू बोला – अभी, तेल ले आओ…
महिमा ने कहा की खाना ख़तम कर लो, उसके बाद…
पर मंटू ज़िद करने लगा.
महिमा ने कहा – ठीक है… और वो तेल की शीशी ले आई.
मंटू वैसे ही, बैठा रहा.
महिमा ने तेल थोड़ा हाथ में ले कर टॉवेल के अंदर हाथ डाल दिया और लंड को पकड़ कर रगड़ने लगी.
10 मिनिट के बाद, मंटू का खाना हो गया पर मालिश चल ही रही थी.
मंटू टॉवेल को हटा कर बोला की टॉवेल चुभ रहा है.
महिमा के सामने, मंटू पूरा “नंगा” बैठा था.
मंटू अब बस झड़ने वाला था.
महिमा हाथ में लंड लेकर खुद भी हैरान थी और सोच रही थी की ये सब क्या हो रहा है.
मंटू, मज़े ले रहा था.
खाना ख़तम होने के 2 मिनिट बाद, मंटू बोला – अभी, बस हो गया… आ आ आहा हा…
मंटू के लंड से पिचकारी, सीधे सामने निकली.
महिमा हैरान हो गई, ये सब देख कर..
पिचकारी, सीधे थाली में जा गिरी.
मंटू बोला – अब अच्छा लग रहा है…
महिमा की उंगली, मंटू के वीर्य से सनी हुए थी.
// सुनील पंडित //
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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महिमा ने साड़ी के पल्लू से अपना हाथ और मंटू का लंड पोंछ कर, साफ किया.
अब ये, रोज़ की बात हो गई थी.
मंटू नहाते वक़्त, नंगा हो जाता.
महिमा को भी ये ही लगता था क्यूंकि मंटू खुश था.
मंटू को अपनी सोच पर, बहुत अफ़सोस होने लगा.
वो सोचता था की महिमा को परेशान करेगा, पर पहले दिन से ही महिमा उसकी सब बात मानती थी.
मंटू ने सोच लिया की वो महिमा को बहुत प्यार देगा पर एक दोस्त की तरह, वो कभी “माँ” का दर्जा नहीं दे पाएगा.
एक दिन रात में, मंटू को नींद नहीं आ रही थी.
मंटू, उसका बाप और महिमा साथ ही एक ही कमरे में सोते हे.
मंटू ने देखा की चादर की अंदर, नवरंग महिमा के ऊपर सोया हुआ है और ज़ोर ज़ोर से हिल रहा है.
कमरे की खिड़की से स्ट्रीट लाइट की रोशनी, सीधे उन पर आ रही थी.
मंटू, ध्यान से देखने लगा.
थोड़ी देर में चादर साइड में हो गई और दोनों का “नंगा बदन” सामने आ गया.
नवरंग, चोदने में लगा हुआ था.
महिमा, धीरे धीरे चिल्ला रही थी.
महिमा की नज़र, मंटू पर पड़ी.
पर वो, कुछ ना बोली.
मंटू, चुप चाप देख रहा था.
थोड़ी देर बाद, नवरंग ने महिमा को “डॉगी स्टाइल” में चोदना चालू किया.
नवरंग ने जब मंटू को जागते हुए देखा तो ज़ोर से मंटू पर चिल्लाया – ओय, सोया नहीं अभी तक… चल, मुंह उधर कर के सो… नहीं तो टाँगे तोड़ दूँगा…
मंटू डर गया और डर के मारे, सो गया.
अगले दिन, मंटू ने नहाते वक़्त महिमा से पूछा की रात मैं क्या चल रहा था…
महिमा, कुछ नहीं बोली.
मंटू के बार बार पूछने पर महिमा ने कहा की ये सब बड़े लोगों का खेल है… तुम नहीं समझोगे…
मंटू ने कहा की उसे भी ये “खेल” खेलना है…
महिमा डाँट कर बोली की ऐसा, ये सब नहीं बोलना चाहिए वरना वो शिकायत करेगी, नवरंग से…
मंटू चुप हो गया पर उसके दिमाग़ में कुछ चल रहा था.
मंटू, रोज़ खाना खाते खाते मूठ मरवाता.
इस कहानी को कैसे आगे बढ़ाऊं कुछ समझ नहीं आ रहा है.
अब, बाप बेटा दोनों खुश थे.
महिमा, बेटे और पति को खुश रखने की कोशिश में जुटी थी.
नवरंग ने कहा था की मंटू को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए और जो कहे, जो माँगे, दे देना.
अपने पति की आग्या का पालन कर रही थी और मंटू की कभी शिकायत नहीं की.
नवरंग रात को आता और खाना खा कर सो जाता.
मंटू दिन भर खेलता कूदता और बाप के आते ही, किताब ले कर बैठ जाता.
महिमा, सुबह मंटू को संभालती और शाम को नवरंग को.
3-4 महीनो बाद नवरंग की रिश्तेदार, मंटू की चाची आई.
सब की खबर, लेने के लिए.
पम्मी की शादी नहीं हुए थी और उमर बढ़ने के कारण, वो “वर्जिन एंड अनमॅरीड” ही रह गई.
पम्मी (चाची) को लग रहा था की सब कुशल मंगल है, सब खुश लग रहे थे.
वो कुछ दिनों के लिए, आई थी.
अगले दिन, सुबह उठ कर वो पहले संडास करने के लिए खेतो में गई.
उसके बाद वापस आ कर, घर के कामो में महिमा का हाथ बटाने लगी.
महिमा ने फिर कुछ देर बाद, मंटू को उठाया.
मंटू का लंड, सुबह की ठंडी में कड़क हो गया था.
पम्मी ने देखा की उसकी पतलून में उभार है, और समझ गई की लड़का अब जवान हो गया है.
मंटू, संडास करके आया और कुए (वेल) के पास जाकर कपड़े निकालने लगा.
तब तक महिमा, गरम पानी बाल्टी में लेकर आई.
पम्मी, दोनों को देख रही थी.
पम्मी को होश तब आया जब महिमा, मंटू के सिर पर पानी डाल कर साबुन लगाने लगी.
पम्मी यूही देखती रही और सोचने लग गई की ये तो “जवान लड़का” है, थोड़ी तो शरम आनी चाहिए.
महिमा ने सारे बदन पर साबुन लगा दिया और एक पत्थर से, बदन घिसने लगी.
मंटू महिमा से बोला – चाची को यहाँ से हटाओ… मुझे शरम आती है…
महिमा हँसते हुए पम्मी से बोली – आप ज़रा रसोई में जाइए… मेरे मुन्ना को, शरम आ रही है…
चाची बोली – काहे की शरम… मैं तो तेरी माँ जैसी हूँ ना…
मंटू ज़िद करने लगा.
महिमा के फिर से कहने पर चाची अंदर गई और हँसते हुए बोली – कितना शरमाता है… शादी के बाद, क्या होगा तेरा…
मंटू महिमा से कहता है – नुन्नि को भी सॉफ कर दो…
महिमा कहती है – तू अब बड़ा हो गया है… ये सब, खुद से करना चाहिए… चाची देखेगी तो क्या बोलेगी…
मंटू बोला – चाची तो एक दो दिनों के लिए है…
महिमा ने फिर एक हाथ से एलास्टिक खींचा और दूसरे हाथ को अंदर डाल कर नुन्नि को मुट्ठी में पकड़ लिया.
मंटू बोला – अच्छे से सॉफ करो… इसमें से, बदबू आती है…
महिमा, मंटू के लंड पर साबुन लगा कर हिलाने लगी.
मंटू भी मज़े ले रहा था.
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पम्मी थोड़ी देर के बाद आई और फिर ये सब देख कर सोच में पड़ गई.
मंटू की नुन्नि, असल में एक लंड के आकर की हो गई थी.
महिमा को भी पता था पर वो मंटू को बच्चा ही समझ रही थी.
पम्मी, मंटू के हाव भाव देख कर समझ गई की दाल में कुछ काला है.
स्नान होने के बाद, मंटू कमरे में कपड़े पहनने गया.
महिमा ने उसके सर पर चमेली का तेल लगाया.
मंटू बोला की थोडा तेल नुन्नि को भी लगाओ…
महिमा ने पूछा – क्यू… ??
तो मंटू बोला – ऐसा करने से, मैं जल्दी जवान हो जाऊंगा… ऐसा, मेरे दोस्तो ने कहा है…
महिमा बोली – चल हट, बदमाश… जा कर खुद लगा… मुझे बहुत काम है…
मंटू बोला – बाद मैं मालिश कराऊंगा… मुझे नहीं आता…
महिमा, रूम से बाहर चली गई.
मंटू ने फिर खुद ही तेल लगा लिया.
खाना खाते हुए, मंटू बोला की दर्द हो रहा है.
महिमा बोली – नहीं अभी चाची है… उनको अच्छा नहीं लगेगा…
मंटू, कुछ नहीं बोला.
महिमा बोली की बाद में, तुझे मालिश करवाती हूँ…
खाना खाने के बाद, सब सो गये पर मंटू तो मालिश करवाने के लिए उत्तेजित था.
पम्मी, रूम में सोई थी.
मंटू महिमा को लेकर रसोई में गया और कपड़े उतार कर, अंडरवियर में लेट गया.
महिमा तेल की शीशी लेकर, उसकी मालिश करने लगी.
फिर हाथ पैर की मालिश कर दी..
उतने में मंटू का लंड, टाइट हो गया था.
मंटू ने कहा – जिसके लिए आया था… वो तो छोड़ दिया…
महिमा ने पूछा – क्या… ??
तो मंटू ने झट से जवाब दिया – मेरी नुन्नि…
महिमा ने मुस्कुराते हुए हथेली में काफ़ी तेल लिया और दोनों हाथ से लंड पकड़ कर हिलाने लगी.
10 मिनिट के बाद मंटू बोला – रूको मत, ज़ोर ज़ोर से करो…
महिमा बोली – तेरा रस निकल जाएगा… ऐसा मत कर…
मंटू बोला – रस निकलने के बाद ही चैन मिलता है… आप जल्दी करो…
महिमा फिर हिलाने लगी और थोड़ी देर के बाद, गरम वीर्य लंड से निकल आया.
महिमा ने फिर अपने पल्लू से लंड और हाथ सॉफ किया.
महिमा, ने मंटू को कपड़े पहनकर सोने के लिए कहा और खुद भी सो गई.
शाम को नवरंग आया, हंसी मज़ाक का माहोल बना हुआ था.
चाची अपने गाँव के किस्से सुना रही थी और नवरंग भी घर की गाँव की बात करता.
रात में खाना खाते वक़्त, महिमा मंटू से बोली की चाची, तुम्हारे साथ सोएगी…
मंटू ने ज़िद की, की अकेले सोना है.
पम्मी ने कहा की तुम्हारे साथ ही सोउंगी…
महिमा ने कुछ कहा नहीं पर सोच में पड़ गई.
खाना खाने के बाद, महिमा ने पम्मी से कहा की रात में आप, जाग जाओगी…
पम्मी समझ गई और हंस कर बोली – चिंता मत कर… मैं एक बार सो गई तो आसानी से नहीं उठती… तुम दोनों चाहे, जितना आवाज़ करो… मुझे पता नहीं चलेगा और पता भी चला तो क्या हुआ… ?? मैं तो घर की ही, हूँ ना…
महिमा मुस्कुर कर बोली – क्या आप भी… कुछ भी कहती हो…
रात में, सब सो गये.
पम्मी, महिमा के बगल में थी और दूसरी साइड में नवरंग.
मंटू, दूसरे कोने में सोता था.
नवरंग को चुदाई बिना, नींद नहीं आती थी.
पम्मी और मंटू को सोता हुआ देख, नवरंग महिमा के कपड़े उतारने लगा.
महिमा को शरम आ रही थी, मना भी किया पर नवरंग के सिर पर सेक्स चढ़ा हुआ था.
महिमा को नंगा कर खुद भी नंगा हो गया और आधी रात तक सेक्स होता रहा.
नवरंग, महिमा पर रोज़ भारी पड़ता था.
महिमा, नवरंग के लंड को कुछ देर बर्दाश्त करने के बाद टूट जाती थी और किसी तरहा फिर से ताक़त जुटा कर, दूसरी बार झड़ जाती.
उस रात भी, कुछ ऐसा ही हुआ.
महिमा ने कोशिश की, की आवाज़ ना निकले पर चीख तो निकल ही जाती थी.
सुबह उठने के बाद, सब अपने अपने काम पर लग गये.
पम्मी ने महिमा की तरफ़ देखा.
महिमा नॉर्मल बिहेव कर रही थी, जैसे कल आधी रात तक रात सेक्स किया ही ना हो.
संडास करने, दोनों साथ में गये.
संडास करते करते, पम्मी ने महिमा से कहा – क्या बात है… ?? रात में इतनी देर जागने के बाद भी तुम काफ़ी फ्रेश लग रही हो…
महिमा बोली – आप को कैसे पता… ?? आप तो सोई थी… ??
पम्मी बोली – रात में तुम्हे बहुत दर्द हो रहा था… अंजाने में, तुमने मेरा हाथ पकड़ लिया था… मैंने आँखें खोली तो देखा की नवरंग तुम्हारी जम कर चुदाई कर रहा है…
चुदाई नाम सुन कर, महिमा शर्माकर बोली – क्या आप भी… मुझे शरम आ रही है… आप किसी को मत कहना, प्लीज़…
पम्मी बोली – बोली भी दिया तो क्या… सब को पता है की तुम्हारी चुदाई तो रोज़ होती होगी…
दोनों हँसते हुए, गांड धो कर घर आ गई.
महिमा और पम्मी, दोनों एक दूसरे के सामने थोड़ा खुल गई थी.
मंटू उठने के बाद, हॅगने गया और वापस आ कर नहाने कुए के पास आया.
रोज़ की तरह महिमा से स्नान करवाया और लंड मालिश भी करवाई.
दोपहर में तेल मालिश करवाने रसोई में दोनों गये और हमेशा की तरहा, लंड मालिश हो रही थी की अचानक पम्मी आ गई और उसने देख लिया.
पम्मी को देख कर, दोनों डर गये.
पम्मी का खून खौलने लगा पर वो कुछ ना बोली.
शाम को नवरंग को, पम्मी ने सब कुछ बता दिया.
नवरंग को याद था की उसके बेटे ने शर्त रखी थी की नयी माँ के साथ, वो किसी भी तरहा रह सकता है.
नवरंग ने लंबी साँस ली और पम्मी को सब कुछ बता दिया.
महिमा, दरवाजे के बाहर खड़ी सब सुन रही थी और मंटू बाहर खेलने गया था.
पम्मी, फिर बोली की ये सब ग़लत है.
नवरंग बोला – जाने दो… घर की ही बात है, आपस में देख लेंगे…
पम्मी का दिमाग़ घूम गया था और बहुत कुछ बोल देती पर चुप रही.
रात में खाना खाने के बाद, सब सो गये पर असल में सिर्फ़ मंटू सोया था बाकी सब सोने का नाटक आर रहे थे.
कुछ देर बाद, नवरंग मूतने के लिए बाहर गया और रूम के अंदर आते ही, कपड़े निकाल कर नंगा हो गया.
नवरंग को देख, महिमा ने भी खुद के कपड़े नीकाल लिए.
नवरंग, महिमा की टाँग फैला कर उसके ऊपर आ गया और चूमने लगा.
“सेक्स का प्रोग्राम” स्टार्ट हो गया.
पम्मी, इसका आनंद लेने के लिए आँखें खोल कर देख रही थी.
नवरंग का ध्यान, सिर्फ़ महिमा पर था.
1 घंटे के बाद, दोनों सो गये.
पम्मी का मन, बहुत करता सेक्स करने के लिए पर, कुछ नहीं कर पा रही थी.
अगले दिन, पम्मी और महिमा दोनों संडास करते करते बाते कर रही थी..
पम्मी ने कहा – तुम बहुत नसीब वाली हो… जो इतना प्यार करने वाला पति और बेटा मिला है…
ये कह कर पम्मी की आँखें नम हो गई थी..
महिमा ने देखा और पूछा – क्या बात है… आप को कोई दुख है क्या… ??
पम्मी बोली – कुछ नहीं, चलो…
एक दो बार पूछने पर भी, पम्मी कुछ नहीं बोली.
रात में जब नवरंग चोद रहा था तो महिमा ने देखा की पम्मी, उन दोनों को देख रही है और बदन को सिकोड कर सोई है.
महिमा को पहले ही शक हो गया था और अब यकीन हो गया की पम्मी की चुत में “आग” लगी है.
अगले दिन, महिमा ने नवरंग को सब बता दिया..
नवरंग गुस्से में बोला – बहन चोद को एक करेला दे, कुछ दिन के लिए… अगर, सिर पर चढ़ गई तो मुसीबत होगी…
महिमा बोली – आप की बात सही है पर एक बार तो उसको वो सुख दे ही सकते है ना…
नवरंग, कुछ ना बोल कर निकल गया.
महिमा फिर दोपहर में खाते समय पम्मी से पूछा – आपको कैसे लगते है… ??
पम्मी ने पूछा – क्या… ??
महिमा बोली – मंटू के बापू… ??
पम्मी, खाना खाते खाते बोली – अच्छा तो है… काम भी बहुत करता है… कमाता भी अच्छा है और क्या चाहिए…
महिमा बोली – रात में, कैसे लगते है…
पम्मी बोली – मैं समझी नहीं… ??
महिमा बोली – मैंने देखा है आपको, रात में आँखें खुली थी..
पम्मी, कुछ नहीं बोली.
महिमा बोली – शरमाती क्यू हो… ?? आपने ही तो कहा था की चुदाई सब करते है… आज रात मे, मैं नहीं करूंगी… मेरा व्रत है ना… पर नवरंग को नहीं पता… एक मुसीबत है…
पम्मी पूछती है – क्या… ??
महिमा बोली – नवरंग, रात में सुनते ही नहीं… सीधा, हल जोतना चालू कर देते है… एक काम करते है आप मेरी जगह पर सो जाना और मैं आपकी… नवरंग, मुझे दूसरी तरफ़ देख कर कुछ नहीं करेंगे क्यूंकी उस तरफ दीवार है…
पम्मी कुछ ना बोली और सोचने लगी.
पम्मी को अजीब लगा पर उसे कोई दिक्कत भी नहीं थी.
महिमा बोली – चलो, सो जाते है…
पम्मी और महिमा, दोनों सो गये.
रात में सोने से पहले, नवरंग को महिमा ने समझा दिया की वो आज रात में चुदाई नहीं करेगी, आप चाहो तो पम्मी को चोद लेना, वो कुछ नहीं बोलेगी.. उसकी चुत में भयंकर आग लगी है..
नवरंग बोला – कैसी बाते कर रही हो… ?? मैं तुम्हारे साथ ही सोऊंगा… ??
पर महिमा, मान ही नहीं रही थी.
रात में महिमा, पम्मी की दूसरी तरफ सोई थी और उस तरफ थोड़ी दूर नवरंग सोया था.
रात में, सब सो गये.
नवरंग ने चुदाई किए बगैर ही, रात निकाल ली.
अगले दिन भी ऐसा ही होना था.
महिमा ने पम्मी से कहा की रात में ध्यान से सोना, नवरंग रात को नींद मैं भी चुदाई कर सकता है, कोई भरोसा नहीं.
पम्मी मन ही मन सोचने लगी की चुदाई के लिए, अगर लंड आ रहा है तो वो रोकेगी नहीं.
अगली रात, सब सो गये.
रात में, महिमा ने पम्मी की साड़ी को ऊपर उठा दिया.
कुछ देर बाद, नवरंग को होश आया.
सामने चूत का द्वार देख उससे रहा नहीं गया और वो पम्मी के करीब जाकर, पैर सहलाने लगा.
पम्मी, आधी नींद में थी.
दोनों घुटने ऊपर करके, वो पीठ के बल आ गया.
नवरंग ने पम्मी की साड़ी उतार दी और चिपक कर सो गया.
पम्मी तुरंत जाग गई और देखा की नवरंग का एक हाथ चड्डी के अंदर था और एक से पीठ पकड़ी थी.
पम्मी की गर्मी कम नहीं हुई थी और फिर “हवस की ज्वाला” भड़क उठी.
आधी रात तक, दोनों “प्रेम लीला” में मग्न थे.
मंटू भी आवाज़ सुन कर जाग उठा पर दोनों एक दूसरे में इतने खो गये थे की उनका ध्यान ही नहीं गया.
सुबह, दोनों लेट उठे.
दोनों के चेहरे पर गिल्टी की फीलिंग सॉफ दिख रही थी और साथ ही साथ, एक दूसरे को प्यार करने की चाहत भी.
उस दिन भी रात में नवरंग से, रहा नहीं गया.
पम्मी भी सोई नहीं थी.
नवरंग पम्मी के पास गया और बिना कुछ कहे, पम्मी से लिपट गया.
आप सोच रहे होंगे की “महिमा और मंटू” का क्यू हुआ.
अब तक महिमा ने अपने पति और पम्मी को एंगेज करा लिया था तो अब वो फ्री हो गई थी, मंटू को आज़माने के लिए.
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