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03-02-2025, 12:07 AM
Dear Readers,
I'm writing a story which I have read in this form which i likes but the orignal writer left the story incomplete and it was in english. So i'm trying to write it in Hindi and with some added masala.
please leave your comments will start the story soon....
yours
Kamraj85
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
ಕಾಮರಾಜ
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दुबई के चाचाजी
(चाचाजी का हमारो जींदगी मे आगमन)
मेरा नाम अमित है, मै २८ सालका हु दिखने मे साधारनसा दिखनेवाला ईन्सान हु। मेरि ऊन्चाई करिब ५ फिट ८ इंच है, और मेरा शरिर दुबले पतला है। मेरा लंड साधारन अवस्ता मे २" इंच रहता है, और खडा हेनेपर करिब ४" इंच का हे जाता है। ते हम इसे नुनि हि कहेंगे कारन आपके काहनि मे आगे पता चलेगा। मेरि शादि दो साल पहले नेहा से हुइथि। नेहा तब २४ साल की थी, दिखने मे बेहद खुबसुरत थि उसकि ऊन्चाई करिब ५ फिट ५ इंच है गेरा रंग, मखमलि जिस्म, संतरे जैसे दे बडे बडे स्तन, सपाट पेट, बिना चरबिकि पतलि कमर, भरि हुइ गांड दिखने मे ३६-२४-३६ के बदनकि अप्सरा लगतिथि। शादि के बाद जब सुहागरात मे जब मैने ऊसकि कोमल मुलायम चुत मे अपना ४" इंच का लंड पेला तो ओ पुराका पुरा अराम से ऊसकि चुत मे चला गया, और नेहा के किसि तरहकि तकलिफ भि नहि हुई। नेहा कि चुत बहुत तंग थि और ५ मिनट मेहि मेरा पानि निकल गया। शादि से पहले मैने और नेहाने कभीभि सेक्स नहि कियाथ ते हमे इसमे कुछ भि अजिब नही लगा क्युकि हम देने हि इसमे अनाढी थे। ऐसेहि छे महिने निकल गये और मै नेहाके दिली ले आया जहा मै काम करता था। दिली अनेके बाद जब मै काम पर जाता ते नेहा घर मे अकेलि रहतिथि ते मैने ऊसे मेरा पुराना कम्पुटर देदिया और ईंटरनेट चलाना सिखादिया। और अब मेरे काम पर जानेके बाद नेहा घरका सारा कम निपटाकर कम्पुटर पे ईंटरनेट चलाकर गाना सुनति, पिच्चर देखति, नाइ रेसेपिस पढति और मेरे काम से लेटनेतक टैंम्पास करति थि। ऐसेहि और छे महिने गुजर गये, और इसि बिच मैने नेटिस किया कि नेहा अब सेक्स मे ज्यादा दिल्चस्पि दिखा रहिथि। हमारे शादीके अब एक साल हे गया था और हम देने एक दुसरे के प्रति काफि खुल भी गऎ थे, पर मुझे ऊसका बरताव अजिब लगने लगा था। कारन अब वे मुझे कभी कभि सेक्स के दैरान कहनेलगिथि कि काश तुम्हारा लंड और थेडा बडा हेता, जे मुझे अजिब लगने लगाथा। मै सेच मे पड गया कि नेहा ने ऎसा क्यु कहा? ऊसने मुझसे बडा लंड कहा देखा हेगा, कहि वे मुझसे चिटिंग ते नहि कर रहि किसि और के साथ? बस यहि सब सेचते हुए एक दिन मै घर पर काम करहाथा तब मुझे मेरि आफिस कि कुछ पुरानी फैल्स चाहिएथि ते मैने मेरा कम्पुटर मेसे ऊसे निकाल के मेरे आफिस ईमेल पर भेज दिया। और तभि मुझे ईंटरनेट हिस्टरि फुल दिखि ते मैने ऊसे डिलिट कनेलगा, नेहा इस सबकि जानकारि नहि थी। तभि मैने देखा कि ईंटरनेट हिस्टरि मे नेहा ने सर्च किए हुए बहुत सारे फैल्स थी जिसमे ज्यादतर पिच्चर, गाने, रेसेपिस थी, पर जब मैने देखा ऊसमे नेहा ने बहुत सारे बडे लंड वाले पिच्चर भी देखिथी, जिसमे ज्यादातर काले बडे लंड वाले पिच्चर हि भरे थे। नेहा कुछ सॆक्स क्लिप भी देखिथी जिसमे काले आफ्रिकन अदमि अपने काले बडे लंड से गॆरि लडकिया चेद रहे थॆ। और नेहा ने कुछ सॆक्स स्टेरि भी थि जिसमे ओरते बडे लंड से चुदवाने कि स्टेरि लिखिथि। एसब देख कर मै समझ गया कि नेहा सॆक्स करते वक्त मुझे ऎसे क्युव कह रहिथी। अब ऐ सब देखकर मुझे लगने लगा कि नेहा सॆक्स मे मुझसे संतुस्ट नहि है, मगर वे मुझसे प्यार भि बहुत करति है इसलिए मुझसे खुलकर नहि बता पा रहि है। तब मैने भी मॆरि इस परेशानिका केई ईलाज डुंडने के लिए ईंटरनेट मे सर्च करने लगा। मैने ईंटरनेट मे बहुत सर्च करने के बाद मुझे एक ग्रुप मिला जहा मेरे जैसे बहुतसारे मर्द थे, ते मैने भी वहा आईडि बनालि और दुसरे मर्दे से चाट करने लगा। तब मुझे वहा एक मेरे जैसाहि देस्त मिला जिसकि कहानि भि मेरि तराहि थि। ऊस देस्त ने बताया कि कैसे ऊसने एक अन्जान अदमिसे ईंटरनेट पे देस्ती कि और ऊससे अपनि बीविको चुदवाया। और जब ऊसकि बीवि प्रॆग्नेंट हुई और ऊनको एक बचा हुवा ते बीवि बचे संग बिझि हो गइ ते ऊसने ऊस अन्जान अदमिसे मिलना भी बंद कर दीया और ऊनका जिवन अब खुश है। ऊस देस्त ने यह भी बताया कि ऊसकि बीवि आज तक्क ऐ नहि जानती कि ऎ सब ऊसिका प्लान था और ऊसने हि ऊस अन्जान अदमिसे अपने बीविकी सेटिंग करायिथि। ऊस देस्त ने मुझेभी ऎसा हि करनेकि सलाह भि देदी, और मुझे ऊस ईंटरनेट ग्रुप का मॆंबर भी बना दिया जहा ऊसने ऊस अन्जान अदमिसे देस्ती कि थी। फिर मैने इसके बारेमे ईंटरनेट पे बहुत सर्च किया, पडा और दुसरे लेगे से इसके बारेमे चाट भी की, और मै हैरान रहगया जब मुझे पता चला की बहुत सारे दुसरे लेगेने भी ऎसा ही किया है। फिर बहुत सेचनेके बाद मैने फैसला किया कि नेहा ते इतनि खुबसुरत है चाहेते वे मुझे धेका देकर किसि ओर के सात भी संबंद बनाकर संतुस्टी पा सकति है। पर वे एसा नहि कर रही है क्यु कि वे मुझसे बहुत प्यार करति है इसलिए, ते पति हेनेके कारण ए मेरा फ्र्झ बनता है कि मै नेहा को हर वे खुशी दि सकु जिसकि वे हकदार है। क्युकी कमि तो मुझ मे हि है ओर इसका हल भी मुझे ही निकालना हेगा। ऎ सेचकर मै ऊस देस्त ने जिस्स ईंटरनेट ग्रुप का मॆंबर बनाया था मैने ऊस मे ज्यान करलिया ओर अपने नेहा के लिए एक अन्जान अदमि डुन्ड्ने लगा। बहुत लेगेसे चाट करने के बाद मुझे एक अदमी मिला, ऊसका नाम मोहन था। वे ५० सालका दिखने मे काला साधारनसा ईन्सान था, ऊसकि ऊन्चाई करिब ५ फिट १० इंच थी और शरिर मोटा था, ऊसका वजन करिब १०० किलो से भी ज्याद का था। वे दुबई मे कीसि कंपनिमे म्यानेजर का काम करता था, वे साल मे एक बार एक महिने के लिए ईंडीया आता था ओर कही होट्ल मे रहकर वापीस दुबई चला जाता था, ऊसका ईंडीया मै कोयीभी नहि था वे अकोला था। मुझे वे अदमी सहि लगा मेरे काम के लियो, वे दुसरे लोगेकी तरहा सेक्स के लिए ऊतावला नहि था, वे बस ईंडीया अने पर अपना अकेला पन दुर करना चाहता था। वे कंपनिमे म्यानेजर हेनोके कारण बातोसे ओर चाल ढाल से भी ठिक था। तो मैने ऊसके सामने मेरा प्रस्ताव रखा ते वे झट्ट से मान गया, ऊसने मुझसे नेहाकि फॆटे तक नहि मांगी। मोहन अगले महीने ईंडीया अनोवाला था। तो हमने तोय किया की वे मेरे घर मेरे दुर के चाचा को तोरपर एक महिने के लिए हमारे साथ रुकोगा, ओर वे इसी एक महिनेके अंदर नेहा को पटाकर ऊसकी अछोसे चुदाई करेगा ओर वापीस दुबई चला जायेगा। एक महीना एसे ही गुजर गया, ओर ईस एक महीने मे मैने लगभग हर रेज ही नेहा की चुदायी करी। ये मेरा ओर मोहन का प्लान था, ताकी मोहन जब ईंडीया आए तब तक नेहा को हर रेज ही चुदायी की अदत पड जाय। ईसके लिए मोहन ने मुझे दुबई से सेक्स पावर बडानेवाली गोलीयोका डीबा भी भेजा था, ताकी मै रेज नेहा की अछेसे चुदायी कर सकु। फीर वे दिन आही गया जीसका मझे बेसब्रीसे इंतज़ार था, ऊस दिन १ दिसंबर था ओर मै मोहन के लाने एरपेर्ट चला गया। मेरे एरपेर्ट पोहचने तक दुबई का प्लोन आ चुकाथा, जैसे ही मै गाडी लोके गोट के पास पोहचा ते देखा एक काला सांड जैसा अदमी गोट के पास ब्याग लोके खडा था। ऊसे देख कर मै पेहचान गया की ऎ मोहन है, वे शरीर मे मुझसे डोड गुण ज्यादा हटा कटा था। मैने ऊसके पास गाडी रुकाके शीशा नीचे कीया ओर पुछा "आप मोहन हेना दुबई से?" तो ऊसने शीशे मेसे मुझे देख कर कहा "हा मै मोहन हु ओर तुम अमित हेना?" मैने हा मे जवाब दीया ओर गाडी से नीचे ऊतर कर डीक्की खोलकर मोहन का सामान गाडी की डीक्की मे रख दीया, ओर हम दोनो घर की ओर नीकल पडे। युते मोहन ने मुझे पहले ही अपनी फोटे भेजीथी पर वे असल मे फोटे सेभी ज्यादा काला था, शायद एसा दुबई की गरमी की वजैसे था। तभि मोहन बोला, "अमित गाडी जरा कीसी अछे माल के पास रुकना मुझे अपनी बहुके लीए कुछ लोना है"। मैने कहा, "मोहन ईसकी केई जरुरत नही है"। तब मोहन ने कहा, "अमित, मै तुम्हारे घर पर कीसलीए आ रहाहु ए तुम्हे ओर मुझे पता है, मगर तुम्हारी बीवीकोते यही लग्ता हैना की तुम्हारा दुर का चाचा सालो बाद आ रहा है। तो चाचा अपनी बहुको मु दीखायी नही देगा क्या?" मोहन के मुह्से यह बात सुनकर मुझे बहुत अछा लगा की ए यहा दुबई से ईतनी दुर मेरे घर सीर्फ नेहा को चोदने नही आया है, बल्की जैसे हमने तेय कीयाथा टीक ऊसीतरहा वो चाचा बनकर रीस्ता भी नीभाना चहता है। तो मैने भी गाडी अछे माल के पास लो गया, जब हम अंदर माल मे गये तो मोहन ने मुझसे कहा, "अरे अमित जरा मुझे अपनी बहु की कोइ फोटे तो दिखाना ताकी मै ऊसको लीए कोयी अछा तेफा ले सकु"। ए पहली बार था जब मोहन ने मुझसे नेहा की फोटे मांगीथी, वरना हम दोने पीछले दो महीनैसे चाट कर रहेथे पर ऊसने कभी मुझसे नेहा की फोटे नही मांगीथी। मैने झट्से अपना फोन नीकाला ओर नेहा की कुछ फोटेस ऊसे दिखाने लगा। फोटेस दोखकर मोहन ने कहा, "वाह! अमित बहु तो बहुत सुंदर है, ऊसकी सुंदरता को लायक यहा कुछ मीलेग की नही देखता हु तुम यही रुकना"। यह बोल को मोहन माल के अंदर चला गया मै वही नीचो काफी शाप मे मोहन का इंतजार करने लगा। कुछ एक घंटे होनेके पहलो मोहन मेरे पास आया ओर कहा, "सेरी अमित तैडी देर होगयी क्या करु बहु को सुंदरता पे जच सके एसा कुछ मील ही नही रहाता तो डूंन्ड्नेमे देर होगयी, अब चलो जल्दी घर चल्ते है ओर बहु से मीलते है"। अब हम दोने गाडी मे बैटकर घर की ओर नीकल पडे।
हम घर पेहुचकर गाडी से मोहन का सामान ऊतार कर घर की डेर बेल्ल बजायी। नेहा ने दरवाजा खोला ओर मोहन को देखते ही ऊसने मोहन के पाव छुए ओर कहा, "आईए चाचाजी अंदर आईए मै आप के लीए लस्सी लातीहु" ओर वे अंदर कीचन मै चली गयी। मै ओर मोहन सेफेपर बैट गये, मोहन अपने शोल्डर ब्याग से एक गीफ्ट नीकाला, तभी नेहा कीचन से लस्सी लोके आयी। तब मोहन ने वे गीफ्ट नेहा की तरफ कीया तो नेहा बोली, "चाचाजी आप हमारे मेहमान है मै ए सब नही लुंगी"। तब मोहन ने कहा, "अरे बहु ए तुम्हारी मु दीखाई है, मैतो तुम्हारी शादी मे आ नही सका इस लीए अब दे रहाहु"। मगर नेहा वे गीफ्ट लोही नही रहीती तब मोहन ने मुझे कहा, "अमित बेटा चलो तुम मुझे कीसी अछ्छे होट्ल मे छोड दे, जहा लोग मुझे अपना नही मानते वहा मै नही रह सकता"। मोहन के मुहसे ये बात सुंनतेही नेहा ने वे गीफ्ट मोहन के हात से लो लीय ओर केहने लगी, "अरे चाचाजी आप ते बुरा मान गये लीजिए लोलीया मैने आपका गीफ्ट। ओर हा आप कही नही जाएंगे ओर अगले एक महिनेकेलिए आप हमारे साथ यही हमारे घरपर ही रुकोगे। चलीए अब गुस्सा छोडिये ओर जल्दीसे लस्सी पीलीजीए नहीतो लस्सी ठंडी हे जाएगी"। ए सुनतेही हमसब हस पडे ओर लस्सी पीनेलगे, तभी मोहन ने कहा, "अरे बहु गीफ्ट खेलकेतो देखे तुम्हे पसंद आयेगाकि नही? एतो मैने अपने पसंदसे दुबई मै लोलीया था, अगर तुम्हे पसंद नही आयातो ईसे बेचकर यहा दुसरा ले लेंगे"। नेहाने वे गीफ्ट खेला तो देखा ऊसमे एक सोनेका नेकलेस सेट था, ओर नेहा का चेहरा देख कर लग रहाथा की वे सेट ऊसे बहुत पसंद आयाथा। तब मैने मोहन से कहा, "अरे चाचाजी इतना मेहंगा गीफ्ट की क्या जरुरत थी?" तो मोहन ने कहा, "अरे अमित बेटा ए तुम्हारे लीए नही बहु को लीए है, तुम्हेभी चाहीएतो मै अगले साल लो अवुंगा" ओर ए सुनकर हमसब फीर हस पडे। इसे पता चल रहा था की मोहन कीतना मजाकीया ओर खुश मीजाज अदमी है, ओर ऊसनेतो पहली मुलाकत मेही नेहापे अपना जादु चलाने लग था, ओर ऊसका असर नेहापे दीख भी रहाथा भला कोयीभी भारतीय नारी सोने को मना करसकती है? ऊसके बाद हम सबने नाश्ता कीया ओर मै कामपर नीकल गया, ओर मोहन भी लंबे सफरसे थक गया था तो वे भी सोने चला गया। जब मै शाम को कामसे वापीस आया तो देखा मोहन हाल मे बैटकर टीवी देख रहाथा ओर नेहा कीचन मै कामकर रहीथी, ओर सब नारमल लग रहा था। मै जाकर फ्रेश होकर आया ओर हम सबने साथ खाना खाया ओर सब बैटकर टीवी देखने लगे, ओर साथ ही मोहन ने दुबई मे अपने काम ओर अकेलो जींन्दगी के बारेमे बतया की केसे वे फ्यामीली लैफ मीस्स करता है। कुछ देरबाद मोहन ने कहा, "चलो बच्चे तुम मेरी कहानी सुनते रहोगेतो सुबह हो जायेगी मगर मेरी कहानी खत्म नही होगी, जाके अपने रुम मे सो जाव"। इतना केहकर हम सब अपने अपने रुम सेने चले गये। मोहन ने जानबुझकर वे फ्यामीली लैफ के बारेमे जोर देकर बता रहाथा ताकी वे नेहा की दील मै अपने लीए सींपथी जगा सको।
अब मै भी यहासे मोहन को चाचाजी कहकरही संबोधीत करुंगा। दुसरे दीन मै सुबह जल्दी ऊटकर नाहा दोकर तयार होके नाश्ता कीया ओर मैने नेहा से पहलेही कहा था की ईयरऐंड की वजहसे मुझे इस महीने कामपर जलदी जाना पडेगा ओर मै रात को भी देरसे रात ८ बजे को, यानी रात के खाने तक वापीस अऊंगा। ओर ऊसेही दीनभर चाचाजी का खयाल रखना होगा ओर ऊने कंपनिभी देनी होगी ताकि चाचाजी बेरना हू, एसब बतकर मै कामपर नीकल गया। चाचाजी अभीतक सो रहेते, मैने नेहा से पहलेही कहा था की चाचाजी दुबई मे नाईट मानेजर है ओर दिन मे देरसे ऊटते है। ए सब भी हमारा प्लान था ताकी चाचाजी नेहा को साथ ईस एक महिनेकेलिए ज्यादसे ज्यादा समय बीतासके, ताकी ऊनकि नेहाके पटानेका पुरा मोका मीलसके। मै शाम को कामसे देरिसे वापीस आया तो देखा चाचाजी ओर नेहा दोने हाल मे बैटकर टीवी देख रहेथे, सब नारमल लग रहा था। मेरे आतेही चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा आज तो तुजो बडी देर होगई आनेमे?" मेने कहा, "कुछ नही चाचाजी ईयरऐंड की वजहसे काम थेडा ज्याद है ईसलीए देर होगई, अब्तो पुरा महीना एसेही चलेहा"। चाचाजी ने फीर कहा, "अरे बेटा मैतो यहा तुम लोगोंके साथ चुटी मनाने आयाथा मगर तुमतो काम बीझी होगये?" फीर मेने कहा, "चींता मत कीजीये चाचाजी नेहा हैना आपको कंपनी देनोके लीए, ओर हम लोग घोमने जायेंगेना वीकेंन्ड्को सब मील्के, वीकेंन्ड्को तो मेरी छुटी होती है"। ए बात केहकर मेने चाचाजी को बता दीया की वीकेंन्ड्को मै घरपर ही रहुंगा। तभी नेहा कीचन से खाना लाकर परोसने लगी ओर मै जाकर फ्रेश होकर आया। जब हम खाना खा तहेथे तब नेहा कहा, "अरे चाचाजी मै हुना मै आपको आस पास घुमाने लो जावुंगी, ओर वीकेंन्ड्को हम सब मील्के घोमने जायेंगेना ठीक है ना?" चाचाजी ने कहा, "हा बहु ए ठीक है जाने दो अमित को कामपे, हम दोने मील्के दीनभर मस्ती करेंगे", एसा कहते हुए चाचाजी ने मुझे आख मारी। मै ऊनका ईशारा समझगया ओर चुप चाप खाना खाया ओर खानेके बाद मैने सुबह जल्दी ऊटकर कामपर जलदी जानोका बहाना बनकर सेने चला गया। नेहा ओर चाचाजी साथ बैटकर टीवी देखने लगे ओर गप्पे हाकने लगे, मै अपने रुम अकर सोगया ओर मुझे नींद आगयी। जब मै सुबह ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै सो रहीथी, पता नही वे रातको कब आकर मेरे बगल मै सेई मुझे पता भी नही चला। मै जल्दी नाहा दोकर बाहर आया ते नेहा ऊटकर कमरे से जाचुकी थी, मै तयार होके हाल मे आया ते देखा नेहा कीचन मे मेरे लीए नाश्ता बनारहीथी। फीर मेने नाश्ता कीया ओर कामपर नीकल गया। अगले दो तीन दीन यही चलता रहा, मै रेज सुबह जल्दी ऊटकर नाहा दोकर तयार होके नाश्ता करके अपने कामपर नीकल जाताथा ओर रात को देरसे रात के खाने तक वापीस आजाता था। दीनभर नेहा ओर चाचाजी घरपर अकेले रहतेथे, तो अब दोने मे अछी दोस्ती भी होने लगीथी। अब जब मै शाम को कामसे घर वापीस आता था तो देखता था की चाचाजी ओर नेहा दोने हाल मे बैटकर टीवी देखते हुये गपे लडाते हुये हसी मजाक करते हुये हसते रहेथे, ओर सब कुछ र्नामल नजर आता था। जैसे मैने सेचाथा बात आगे बडती दीख नही रहीथी, चाचाजी के आनेसे पहले मैने लगभग हररेज ही नेहा की जम्मकर चुदायी करीथी। मैने हररेज सोनेसे पहले ओर सुबह ऊटकर नाहानेसे पहले नेहा की चुदायी करता था। मगर चाचाजी के आनेके बाद कामको बहानेसे अब मै कामपर जलदी जानोका बहाना बनकर जल्दी सेने चला, ओर सुबह जल्दी ऊटकर नाहा दोकर तयार होके नाश्ता करके कामपर नीकल जाता। तो अब नेहा हमारी रेज की चुदायी वंचीत होगयीथी, ओर ऊसकी ये तडप मै ऊसके चेहरेपर साफ देख सकता था। मगर नेहाने मुझसे कुछ नही कहा, ओर नाही मुझे रातको सेक्स के लीए जगाया। वे समझतिथी की मै कामसे थक हारकर सो गया हु इसलीए ऊसने मुझे सेक्स के लीए जगाया नही। अगलो दीन जब मै ऊटा ते नेहाभी मेरे साथ ही ऊट गयी, ओ आज काफी खुश दीख रहीथी। ओ मेरे आफीस जानेतक मेरे आगे पीछे ही घुमरहीथी, मगर मै रेज की तरहा तयार होके नाश्ता करके कामपर नीकल गया। ऊसदीन नेहा बहुत दीनेबाद मुझे काल करके मेरे खानेपीने के बारेमे पुछा, तो मैने कहा मैने खाना खा लीया है ओर फेन काट दीया। ऊसके बाद चाचाजी ने मुझे काल करके आज शामको जलदी आनेको कहा ते मैने हा कहदी। फीर जब मै शामको घर आया ते देखा नेहा ओर चाचाजी सेफेपर बैटकर गप्पे हाक रहेथे, जब नेहाने मुझे देखा ते ऊसने मुह फुला लीया। तब चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा आगये तुम, चलो जलदीसे फ्रेश हेके तयार हो जाव आज हम बाहर खाना खाने जाएंगे, ओर बहु तुंभि जलदीसे फ्रेश हेके तयार होजाव जलदी चलोंगे"। ईतना केहते ही नेहा उटकर हमारे कमरेमे चली गयी तयार होने, ओर मै भी ऊसके पीछे पीछे कमरेमे चला गया। मै पहले तयार होके बाहर आया तो देखा चाचाजी भी तयार होके बैठेते, मै चुप चाप ऊनके बगल मे जाकर बैठ गया। कुछ समय बाद नेहा तयार होके कमरेसे बाहर आई, मै ते ऊसे देखता ही रह गया। नेहाने एक डिझैनर साडी पेहना था जीसमे वो बहुत खुबसुरत दीख रही थी। तब चाचाजी ने कहा, "अरे बहु तुमपर ते ए साडी ओर भी सुंदर दीख रही है", अब चलो वरना आने मे देर हो जाऎगी। फीर चाचाजी ने हमे एक अछ्छे फेवस्टार होट्ल मे लोके गये, ऊन्होने वहा पहलोसे ही एक तेबल बुक करवा रखाथा। हमारे वहा जातेही होट्ल वालोने एक बरर्थडे कोक लीके आये, ओर चाचाजी ने नेहा को कहा, "ह्यापी बरर्थडे बहु"। तब मुझे याद आया की आज नेहा का बरर्थडे है, तब मैने भी ऊसे ह्यापी बरर्थडे वीश कीया। मगर वे मुझसे अबभी नाराज लग रही थी, तब चाचाजी ने बीच बचाप करते हुए नेहा से कहा, "अरे बहु तुम अमीत से नाराज क्यं होति हो, मैने ही ऊसे तुम्हे आज वीश करनेसे मना कीयाथ, ताकी हम दोने तुम्हे ए स्रप्राईझ दे सको"। ऎ सुनकर नेहा की नाराजगी थेडी कम हुई ओर हमने पार्टि ऎंन्जाय कीया। जब हम घरपर लोटकर आए तब रात बहुत हो गयीथी ओर हम सब सोनेके लीए जाने लगे तब कुछ एसा हुआ जीसकी मैने ओर चाचाजी ने कल्पना भी नही की थी। नेहाने हमारे कमरेमे जानेसे पहलो चाचाजी को गलोसे लगाया ओर स्रप्राईझ बरर्थडे पार्टि को लीए थ्यांक्स कहा। जब नेहाने चाचाजी को गलोसे लगाया था तब चाचाजी मुझे दोखकर मुस्कुरादीए ओर नेहा को थेडा जोर से दबेचा। ओर फीर हम अपने अपने कमरेमे सोने चलो गये। मै ओर नेहा हमारे कमरेमे आतेही नेहाने मुझसे कहा, "दोखे ओर कुछ सीखे अपने चाचाजी से की अपनोका खयाल कैसे रखते है, ओर एक तुम हो जीसे अपनी बीवी का बरर्थडे तक्क याद नही। चाचाजी ने आज हमारे लीए इतने अछ्छे फेवस्टार होट्ल मे पार्टि दी ओर इतनी मेहंगी डिझैनर साडी भी गीफ्ट की, ओर तुमने तो एक फुल भी नही दिया आज"। तो मैने नेहा से माफि मांगी पर वो जाकर सो गई, मै भी जाकर ऊसकी बगल मै लोट गया। मगर नेहा यो नही जानतीथी की ए सब मेरा ओर चाचाजी का प्लान था ओर मैने जानबुझ्कर आज नेहाको सुबह वीश नही कीया था। ताकी चाचाजी नेहाको आज वीश करे ओर ए स्रप्राईझ बरर्थडे पार्टि दे सको। ओर जीस दीन चाचाजी दुबई आए थे ऊसी ऊन्हेने नेहा को लीए माल से वे मेहंगी डिझैनर साडी गीफ्ट लीथी, ताकी वे आज नेहा को आज ईंप्रेस कर सको। आज हुवा भी कुछ एसाही ओर जब नेहाने चाचाजी को गलोसे लगाया तब चाचाजी ओर मुझे हमारा प्लान कामकरता दीखा। आज मै बहुत खुश हुवा जब नेहाने चाचाजी को गलोसे लगाया, अब मुझे ईंतजार ऊस दीनका था की कब नेहा चाचाजी से चुदेगी? ओर ऊस दीनको लीए मुझे ज्याद दीन ईंतजार नही करना पडा।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
ಕಾಮರಾಜ
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मेरि वाईफ नोहा
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अमित
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अगलो दीन मै रेज की तरहा सुबह जल्दी ऊटकर नाहा दोकर तयार होके नाश्ता को लीए आया तो मैने दोखा नेहा मुझसे अब भी नाराज लग रही थी, मैने चुप चाप नाश्ता करके अपने कामपर नीकल गया। जब मै शामको घर आया ते देखा चाचाजी सेफेपर बैटकर कराह रहे थो ओर नेहा ऊनके पैर की मालीश कर रही थी। मैने चाचाजी से पुछा, "अरे चाचाजी क्या हुवा?" तब चाचाजी ने कहा, "अरे कुछ नही अमित बेटा वो बाथरुंम मै मेरा पैर फीसल गया ओर मोछ आ गयी"। मैने कहा, "चलीए चाचाजी हम डाक्टर को पास चलते है", तब चाचाजी ने कहा, "अरे बेटा बहुने मुझे डाक्टर को पास लो गयी थी। डाक्टर नो ए तेल दीया है ओर कहा है सीर्फ मोछ है, ओर कहा है दो दीन ऎ तेल लगाको मालीश करनेको कहा है, ओर कहा है ठीक हो जायेगा। मै खुद सो तेल लगाको अछेसे मालीश नही कर पा रहाथा तो बहु ने कहा वे कर देगी ओर मेरे पैर की मालीश कर रही थी। बहुत ही सुसील ओर गुणी बहु है मेरी। दोख तो कोसे अपने चाचाजी की सेवा कर रही है", ऎसा कहतो हुए चाचाजी ने मेरी तरफ दोख के मुझे आंख मारदी। तो मैने नेहा को कहा चाचाजी को पैर की अछेसे मालीश करदे, ओर मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। जब मै फ्रेश हेके आया तो नेहा चाचाजी की मालीश खतम कर कीचन मै खान लगा रहीथी। हम सबने साथ खाना खाया ओर हम सब अपने अपने रुम सेने चले गये। आज मैने नोटीस कीया की नेहा आज चाचाजी से ज्याद बात नही कर रही थी ओर ऊनसे आंख भी चुरा रही थी, मुझे लगा कही जल्दबाजी मे चाचाजी ने कुछ गडबड तो नही कर दी? बस यही सब सोचते हुये मेरी आंख लग गयी। फीर मै सुबह मै तैयार होके कामपर जानेसे पहले नेहा से चाचाजी का अछेसे खयाल रखनेको कहकर अपने कामपर नीकल गया। आफीस मे मै दीनभर फीर कल रात की बात ही सेचने लगा की चाचाजी ने क्या गडबड की होगी की नेहा ऊनसे आंख चुरा रही थी। मैने आफीस से घर पे काल कीया तो नेहा ने फेन उटाया, मैने नेहासे चाचाजी के तबीयत को बारेमे पुछा तो ऊसने बताया की, "अब ऊनके पैर काफी हदतक ठीक है, पर ऊनको चलने मे थोडी दीक्कत हो रही है सहार लोके चलना पड रहा है"। तभी चाचाजी ने नेहा को आवाज दी तो नेहा ने कहा, "सुने चाचाजी मुझे बुला रहे है मै फेन रखती हु", यह कहकर नेहा ने फेन रख दीया। नेहा की बात सुनकर मुझे लगा अब सब नारमल है तो मै फीरसे अपने काम मे लग गया। जब मै शाम को घर वापीस आया तो देखा की चाचाजी ओर नेहा दोने हाल मे बैटकर टीवी देखते हुये गपे लडाते हुये हसी मजाक कर रहेथे, ओर नेहा ऊनके पैर की मालीश कर रही थी। आज मैने देखा की नेहा चाचाजी से आंख भी नही चुरा रही थी, ओर आरम से ऊनके पैर की मालीश कर रही थी। पैर क्या आज तो वो चाचाजी को जांघेः की मालीश कर रही थी ओर चाचाजी ने ऊनकी धेति अपने कमर तक्क ऊठा रखी थी। जब मै अंदर आया तो चाचाजी ने मुझो देखकर कहा, "अरे अमित बेटा आगये तुम आज तो बडी देर करदी आनो मे" ओर ऊन्हेने अपनी धेति नीचे करली। तब नेहा भी अपना हात चाचाजी को जांघेः से हटा कर वापीस ऊनके पैर की मालीश करने लगी। मैने नारमल बरताव करते हुए ऊन दोने को ऎसे दीखाया की मैने ऊनको नही दोखा ओर कहा, "हा चाचाजी आज काम ज्यादा था बहुत थक गया आजते" ओर नेहा को जल्दी खान लगाने कहा। आज नेहा काफी खुश दीख रहीथी, मै फ्रेश होने अपने रुंम मे चला गया। जब मै फ्रेश हेके आया तो नेहा कीचन मै खान लगा रहीथी। हम सबने साथ खाना खाया खाने को बाद नेहा ओर चाचाजी साथ बैटकर टीवी देखने लगे ओर गप्पे हाकने लगे। ओर मै अपने रुम सेने चले गये, मै रुम मे अकर सोगया ओर मुझे नींद आगयी।
दुसरे दीन मैं सुबह जल्दी ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै नही थी, मै जल्दी नाहा दोकर बाहर आया ते दोखा नेहा जल्दी ऊटकर कीचन मे मेरे लीए नाश्ता बनारही थी। फीर मेने नाश्ता कीया ओर मैने नेहा से कहा, "नेहा आज आफीस मे काम ज्यादा है तो मुझे आनो मे देर हो जायेगा", ऎसा बेलकर मै कामपर नीकल गया। जब मै शामको घर आया ते देखा चाचाजी हाल मे सेफेपर बैटकर टीवी देख रहे थे, पर नेहा कही नही दीख रही थी। जब मै अंदर आया तो चाचाजी मुझो देखकर मुस्कुरादीए ओर मुझे थंम्बसप का ईशारा कर दीया। मै कुछ समझ नही पाया ओर चाचाजी से पुछा की, "चाचाजी नेहा कहा है, दीखाई नही पडरही?"। तो चाचाजी ने कहा, "कुछ नही अमित बेटा वो दुपहर को बहु की तबीयत अचानक बीगड गयी ओर ऊसे तेज बुखार आगया, तो मै ऊसे डाक्टर को पास लो गया। डाक्टर नो दवई ओर ईंन्जक्शन दीया है ओर दो दीन आराम करनेको कहा है, वो अंदर अपने कमरेमे सो रही है"। जब मै कमरे मे जाकर देखा तो नेहा सो रही थी, जब मैंने उसके पासा जाको चेक्क कीया तो ऊसका बदन बुखार से तप रहा था। तब नेहा जाग गयी ओर मुझे दोख कर कहा, "अमित अब मै थोडा ठीक महसुस कर रही हु तुम चींता मत करो, तुम ओर चाचाजी बाहर से खान मंगाकर खालो"। मैने ऊसे ठीक है कहकर जब मै फ्रेश हेके बाहर आया तो चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा मैंने हमारे लीए बाहर से खान मंगा लीया है चले खान खा लो, ओर फिर बहु को सुप पीला दोना मैंने उसके लीए सुप मंगाया है"। फीर हम दोने नो साथ खाना खाया ओर खाने को बाद मै नेहाके लीए सुप लोके अपने कमरेमे मे आगया, चाचाजी भी अपने कमरेमे मे सेने चले गये। मैने नेहा को ऊठाकर ऊसे सुप पीला नो लगा, जब मै ऊसे सुप पीला रहा था तो मैने ऊसकि आंखोमे पानी दोखा। जब मैने उससे पुछा की वो रूक्यु रही है तो ऊसने कहा की तेज बुखार की वझेसे ऊसकी आंखोसे पानी आ रहा है। तब मै समझ गया की चाचाजीने नेहा का काम तमाम कर दीया है, ओर ईसीलीए ऊसे तेज बुखार आया है। ओर नेहाने मुझे धोका दीया है ए सोचकर ऊस गील्ट मे वो रो क्यु रही थी। नेहाकी हालत देखकर एक ओर मुझे ऊसपर तरस आ रहा था, मगर दुसरी तरफ मै अंदर ही अंदर बहुत खुश भी हो रहा था की आखीरकार नेहा चाचाजी से चुद ही गयी। मै तो हैरान था की कैसे चाचाजीने एक ही हफ्तो मे नेहा को पटाकर चोद भी दीया? यही सब सोचतो सोचतो मै सोगया ओर मुझे कब नींद आगयी मुझे पता भी नही लगा। अगलो दीन शनीवार था मेरी छुटी थी तो मै थोडा देरीसे ऊटकर देखा ते नेहा मेरे बगल मै सो रही थी। मै ऊटकर कीचन मे गया ओर सब को लीए चाय नाश्टा बनाया। तब तक चाचाजी भी ऊठकर बाहर आ गये ओर मुझसे पुछा, "अमित बेटा वो बहु की तबीयत कैसी है अब?", मैने कहा, "वे अभी सो रही है ऊठने के बाद पता चलोगा"। ऊसको बाद मै घरका काम करने लगा तो चाचाजी नो भी मेरी मदत करी सारे काम करने मे। फीर हमने बाहर से खान मंगा लीया ओर नेहाके लीए सुप मंगाया। जब नेहा ऊठी तो वे ठीक से चल भी नही पारही थी, तो मैने ऊसे सहारा देकर बाथरूम लो गया। ओर जब वे फ्रेश हेके बाहर आयी तो मैने ऊसे सुप पीला कर डाक्टर की दवई खीला वापस ऊसे सुला दीया। फीर मै ओर चाचाजी दोने नो साथ खाना खाया ओर खाने को बाद मैने चाचाजी से पुछा, "चाचाजी आपने ये नेहा के साथ क्या कीया की ऊसकी हालत ईतनी खरब हो गयी?", तो चाचाजी ने कहा, "अरे अमित बेटा कुछ नही मेरे साथ ओरतोका पहली बार मे ऐसी हालत हो जाती है, तुम फीक्र मत करे बहु एक दो दीन मे बीलकुल ठीक हो जायेगी। ओर तुम चींता मत करे सही समय आनोपर मै तुम्हो सब बत्तादुंगा"। इतना कहकर चाचाजी चुप हो गये, मैने भी फीर ऊन्से ईस बारेमे ओर ज्यादा सवाल नही पुछा। अगलो दीन रवीवार की छुटी थी तो आज भी कल की तरहा मैने ओर चाचाजी नो घरका सारा काम कीया, ओर बाहर से ही खान भी मंगा लीया। मै पुरे दो दीन नेहा की अछ्छेसे देखभाल की ओर ऊसकी तबीयत ठीक हो गई। अगलो दीन सो मुझे वापीस कामपर जान था तो मैने नेहा से कहा, "नेहा आज मै आफीस से छुटी लो लोता हु मुझे अभी तुम्हारी तबीयत ठीक नही लग रही है?", तो नेहा ने कहा, "नही मै अब ठीक हु, ओर कुछ चाहीये होगा तो चाचाजी हैना मेरा खयाल रखने के लीए"। तो चाचाजी ने भी कहा, "अमित बेटा मै हुना तुम चींता मतकरे मै बहु का खयाल अछ्छेसे रखुंगा, ओर ईस बार ऊसे जराभी तकलीफ नही होने दुंगा"। ऊन दोनेकी बाते सुनकर मुझे एसा लगा की दोने मुझसे कह रहेहो की तुम जाव काम पे, तो मै भी तयार होके अपने कामपर नीकल गया। जब मै शाम को घर आया तो देखा की चाचाजी ओर नेहा हाल मे बैटकर गपे लडाते हुये हसी मजाक कर रहेथे, ओर नेहा आज बहुत खुश भी लग रही थी। मेरे आते ही नेहा खाना परोसने कीचन चली गयी, ओर मै कमरे मे जाकर फ्रेश होकर आया। नेहा कीचन से खाना लाकर सबको परोसने लगी जब हम खाना खा रहे थे तब मैने नेहा से कहा की अभि भी ऊसकी तबीयत ठीक नही लग रही है ओर वे अभी लंगडाकर चल रही है? तो नेहा ने कहा, "एसा कुछ नही है वे बुखार की वझसे थेडी कमजेरी है बस"। मैने खाना खाया ओर अपने कमरे मे अकर सोगया। चाचाजी ओर नेहा खाने को बाद साथ बैटकर टीवी देखने लगे ओर गप्पे हाकने लगे। अगले तीन दीन यही चलता रहा, मै रेज अपने कामपर नीकल जाताथा ओर रात को देर से वापीस आता था। दीनभर नेहा ओर चाचाजी घरपर अकेले रहतेथे, अब दोने मे दोस्ती ओर भी अच्छी हो गयी थी। अब जब मै घरपर था तो देखता था की चाचाजी ओर नेहा दोने हाल मे बैटकर टीवी देखते गपे लडाते हुये हसी मजाक करते हुये एक दुसरेको छुने भी लगे थे, पर मैरे सामने नारमल बीहेव करते थे। फीर शुक्रवार के दीन चाचाजी मुझे दुपहर को फेन करके आज शाम को मेरे घरके पास वालो काफी शाप मे आनेको कहा ते मैंने हा कहदी। जब मै शामको काफी शाप मे गया तो चाचाजी वहा कार्नर टेबलपर मेरा पहलोसे वहा ईंतजार कर रहे थे। मेरे जाते ही चाचाजी ने मुझसे कहा, "अमित बेटा तुम तो देखी रहे हो की बहु अब कीतनी खुश रेहने लगीहै"। तो मैने कहा, "हा चाचाजी ए सब आपकी ही बझेसे होपाया, ओर मै नेहा को हमेशा एसे ही खुश दोखना चाहता हुः"। तब चाचाजी ने मुझसे कहा, "अगर तुम ऊसे हमेशा एसे ही खुश दोखना चाहते हो तो तुम्हे एक ओर काम करना होगा"। तो मैने कहा, "हा बेलीयेना चाचाजी मैं नेहा को एसे खुश दोखने के लीए कुछ भी करुंगा"। तो चाचाजी ने कहा, "अमित बेटा तो तुम्हे एक हफ्ते के लीए हम दोनेको अकोले छेडना होगा, क्यु की तुम्हारे घरपर रेहनेकी वझेसे बहु मेरे साथ ज्यादा खुल नही पारही। अगर तुम एक हफ्ते के लीए घरपर नही रहोगे तो वे मेरे साथ ज्यादा खुल जायेगी"। चाचाजी की बात मुझे भी सही लगी ओर मैने एक हफ्ते के लीए आफीस टुर का बहाना बनाको घरसे दुर रहनेका प्लान बनाया। फीर मै जब घर आया तो नेहाने पुछा की आज मै जल्दी कैसे आ गया? तो मैने नेहा से कहा, "नेहा कल मुझे आफीस के काम से एक हफ्ते के लीए बाहर जाना है तो ऊसीके पाकिंग करने मुझे आज घर जल्दी आना पडा"। ऎसा बेलकर मैं कमरे मे चला गया ओर अपने कपडे पाकिंग करने लगा नेहाने भी पाकिंग मे मेरी मदत की। फीर थेडी देर बाद जब चाचाजी जब घर आया, तो हम सबने खाना खाया। खानेके बाद सब साथ बैटकर टीवी देखने लगे तब मैंने नारमल बरताव करते हुए चाचाजीसे कहा, "चाचाजी कल मुझे आफीस के काम से एक हफ्ते के लीए बाहर जाना है तो आप प्लीझ नेहा का खयाल रखीयेगा"। तो चाचाजी ने कहा, "अमित बेटा तुम चींता मत करो मै हुना मै बहु का अछ्छेसे खयाल रखुंगा, ओर ऊसे तुम्हारी कमी बील्कुल नही होने दुंगा"। चाचाजी की ए बात सुनकर नेहा काफी खुश हुई, मै सुबह जल्दी जानेका बहाना बनकर सोने चला गया।
ಇ೦ತಿ ನಿಮ್ಮ,
ಕಾಮರಾಜ
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