Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
किराएदार ने पहले पटाया
#1
किराएदार ने पहले पटाया



C
N

मेरा नाम निकिता है। मैं लगभग 39 साल की मस्त बिंदास लेडी हूं। मेरा बदन भरा-भरा सा है। मेरी गौरी-गौरी कलाईयां, उठी हुई गांड, टाइट कसे हुए बोबे, मखमल सा पेट, किसी भी लंड मे आग लगा सकता है।

मेरे बूब्स लगभग 34″ साइज के है। जिनका उभार ब्लाउज में से बहुत ज्यादा नज़र आता है। मेरी कमर लगभग 32″ साइज की और मस्त शानदार गांड लगभग 34″ साइज की है। मेरे चूतड टाइट गोल गोल से है।

हमारे घर में दो रूम खाली थे। तभी एक फैमिली को हमने एक रूम किराया पर दे दिया। हसबैंड जॉब में था, और उसकी वाइफ हाउसवाइफ थी। नवीन लगभग 25 साल का मस्त जवान लड़का था। मेरी लाइफ में सब अच्छा चल रहा था। मैं मेरे पति के लंड की ठुकाई से खुश थी। इसी बीच नवीन की वाइफ प्रेगनेंट हो गई, और फिर नवीन उसे उनके गांव में छोड़ आया।

अब नवीन अकेला ही रूम पर रहता था। मैं कभी-कभी खाना बनाने में नवीन की हेल्प कर देती थी। अब धीरे-धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ रही थी।

नवीन कभी-कभी मेरे साथ हसी-मजाक कर लेता था। मैं सिर्फ मुस्कुरा कर रह जाती थी। अब एक दिन नवीन ने बातों ही बातो में कहा “भाभी जी आप बहुत सुंदर हो।”

तभी मैंने मुस्कुराते हुए कहा “अच्छा!”

“हां भाभी जी।”

“अरे नवीन जी आप तो मेरी झूठी तारीफ कर रहे हो।”

“नहीं भाभी जी। मैं सच कह रहा हूं। आप सच में बहुत सुंदर हो।”

“अच्छा! लेकिन आपके भैया ने तो कभी मेरी तारीफ नहीं की।”

“अब भैया को आपकी तारीफ करने का ही टाइम कहां मिलता है?”

“हां यार।”

अब नवीन रोजाना मेरी ऐसे ही तारीफ करने लगा। मैं उसकी बाते सुन कर बहुत खुश होती थी और मेरी जवानी पर इतराती थी। अब एक दिन नवीन ने कहा, “भाभी जी आपसे एक बात कहूं?”

“हां बोलो ना नवीन जी?”

“भाभी जी। आजकल मैं बहुत अकेला हूं यार। बहुत बोर हो रहा हूं। क्या आप मेरी दोस्त बनोगी?”

“यार मैं आपकी दोस्त कैसे बनू? मैं तो आपसे बड़ी हूं।”

“भाभी जी। दोस्ती में बड़ा-छोटा कुछ मैटर नहीं करता है। बस इच्छा होनी चाहिए।”

“अरे यार लेकिन…।”

“भाभी जी ज्यादा मत सोचो। बन जाओ ना प्लीज़।”

फिर नवीन बार-बार मुझसे कहने लगा तो मैंने हां कर दी। अब हम किरायेदार और मालकिन से दोस्त बन गए थे। अब हमारे बीच कॉल और मैसेज पर गहरी बाते होने लगी। अब वो मुझे भाभी जी के बजाए निकिता ही कहने लगा। मैं भी उसे नवीन जी से नवीन कहने लगी। अब हम धीरे-धीरे खुलने लगे।

“निकिता यार तुम बहुत ही मस्त हो। भैया को तो मजा आ जाता होगा?”

“तेरे भैया तो कुछ नहीं कर पाते है यार।”

“तो फिर तू केसे काम चलाती है यार?”

“बस ऐसे ही चलता है यार।”

नवीन हर बार मेरे जिस्म की तारीफ करता रहता था। अब एक दिन मैं उसके कमरे में झाड़ू लगा रही थी। तभी नवीन आया और उसने मेरी गांड में जोर से चपेड़ मार दी।

“बहुत ही मस्त है निकिता तेरी तो।”

तभी मैं एक-दम से चौंक गई।

“यार लेकिन तेरे भैया देख लेते तो?”

“अरे भैया तो नहाने गए है।”

अब हमारे बीच सब कुछ ऐसे ही चलने लगा। अब एक दिन मैं नहाने के बाद कपड़े पहन रही थी। उस टाइम मैं ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी थी और साड़ी मेरे हाथ में थी। तभी नवीन आ गया। अब मैं नवीन के सामने शर्म के मारे पानी-पानी हो रही थी, लेकिन करती भी क्या?

तभी नवीन मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, और नवीन ने मेरे बूब्स पर हाथ रख दिए।

“तेरे आम तो बहुत ही मस्त है यार। भैया तो निचोड़ देते होंगे इन्हें।”

लेकिन मैं चुप रही। तभी नवीन ने कहा, “निकिता एक बात कहूं?”

“हां बोलो नवीन।”

“आप कैसे संभालती होगी इन्हे?”

“बस ऐसे ही सम्हाल लेती हूं यार।”
“अगर आप कहो तो मैं सम्हाल लूं आपके।”

जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
ईअब नवीन ने मेरे रसीले होंठो को भींच लिया और मेरे होंठो की लिपस्टिक चूसने लगा। मैं होंठो की लिपस्टिक नहीं चूसने देने का नाटक कर रही थी। वो मेरे होंठों को रगड़ कर चूस रहा था। अब नवीन और मेरे बीच मे भयंकर घमसान हो रहा था। इसी उठा-पटक में मेरे कंगन, हार, और पायल छ्न-छन बज रही थी।

तभी नवीन ने मेरे होंठों को बुरी तरह से रगड़ डाला। अब उसने मेरी साड़ी को  हटाया, और मेरे बोबों को मसलने लगा।

“ओह्ह्ह नवीन जी यार ऐसा मत करो। किसी को पता चल जाएगा।”

“किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। आप तो बस करने दो।”

तभी नवीन ने मेरे बोबों को जोर से मसल दिया। अब मैं बोबों की रगड़ाई से झल्लाने लगी।

“आईई सिसस ओह्ह्ह उन्ह सिसस ओह्ह्ह नवीन जी। मत करो ना यार।”

“ओह्ह्ह भाभी जी। अहहा बहुत मस्त बोबे है आपके। आहाहा दबाने दो। बहुत अच्छा लग रहा है।”

“ओह्ह्ह नवीन जी आप मरवाओगे मुझे। आईई सिसस।”

“अरे कुछ नहीं होगा भाभी जी। आप मस्त रहो।”

तभी नवीन ने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और फिर ब्रा को सरका कर मेरे चिकने टाइट बोबों को बाहर निकाल लिया। बोबे नंगे होते ही मैं शर्म से लाल हो गई। अब नवीन मेरे बोबों पर टूट पड़ा और बुरी तरह से हाथों में भर कर कसने लगा। अब मैं सारी शर्म भूल कर दर्द से तड़पने लगी।

“आईई आईई सिसस उन्ह ओह्ह्ह नवीन जी आराम से दबाओ ना। आहाह बहुत दर्द हो रहा है, आहाह आईई।”

“ओह्ह्ह भाभी जी दबाने दो आहाह बहुत अच्छा लग रहा है आपके टाइट बोबों को दबाने में। बहुत मेहनत करने के बाद आज मौका मिला है।”

नवीन मेरे बोबों को कस कर दबा रहा था। मैं अब दर्द से तड़प रही थी।

“ओह्ह्ह्ह आहा आईईईई सिस्सस्स उन्ह्ह्ह्ह आहा आईईईई आईईईई आराम से। उन्ह्ह्ह्ह धीरे-धीरे आहा सिस्सस्सस।”

अब नवीन ने मेरे बोबों को मसल कर लाल कर दिया। मेरी चूत लंड के लिए मचलने लगी थी। इधर नवीन को भी सब्र नहीं हो रहा था।

तभी नवीन फटाफट से नीचे आया और मेरी चूत लंड डालने की तैयारी करने लगा। अब नवीन ने लंड बाहर निकाल लिया, और मेरी चड्डी खोल फेंकी। अब नवीन ने मेरी टांगों को का कंधो पर रखा और झट से मेरी चूत में लंड लगा दिया। मैं शर्म से लाल-पीली होने लगी। आज पहली बार मेरी चूत को कोई दूसरा मर्द चोदने की कोशिश कर रहा था।

‌ तभी जोर का झटका मार कर नवीन ने मेरी चूत मे लंड गाड़ दिया। मैं दर्द से मचल उठी।

“आईईई मम्मी मर गई। आई, आई ओह्ह्ह नवीन जी मैं मर जाऊंगी यार। आईई बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज़ लंड बाहर निकालो यार।”

“बस थोड़ी देर ही दर्द होगा भाभी जी।”

तभी नवीन ने लंड बाहर खींचा और फिर से मेरी चूत मे लंड पेल दिया। तभी मैं फिर से बुरी तरह से चिल्ला पड़ी।

“आईईईई मम्मी। आईईईई।”

अब नवीन पूरा जोर लगा कर मुझे चोदने लगा। तभी बेडरूम की दीवारें मेरी आंखों के सामने घूमने लगी थी।

“आह्ह ओह्ह्ह नवीन जी आराम से डालो।”

“आराम से ही डाल रहा हूं भाभी जी।”

नवीन मुझे जोर-जोर से चोद रहा था। मैं दर्द से तिलमिला रही थी। नवीन को मुझे चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

“आहा आह अआईईई अआईईई ओह उन्ह ओह मर गई। आहा आह ओह नवीन जी आह आहा आईएईई आईईईई।”

“ओह्ह्ह भाभी जी, बहुत मजा आ रहा है। आह बहुत ही मस्त माल हो आप।”

“आई आईई अह्ह्ह ओह्ह्ह सिसस ओह्ह्ह मम्मी।”

“आज तो खूब चोदूंगा आपको। आहा। बहुत प्यासा है मेरा लंड।”

नवीन झमाझम मेरी चूत में लंड ठोक रहा था। उसका लंड मेरी चूत के सभी अस्थि पंजर को तोड़ चूका था। नवीन गांड हिला हिला कर मेरी चूत में फूल स्पीड में लंड ठोक रहा था। थोड़ी ही देर मे मेरी हालत खराब होने लगी थी।

“आह आह आह आईईईई अआईईई ओह आईईईई मम्मी मर गई। अआईईई अआईईई बहुत दर्द हो रहा है। आईएईई अआईईई धीरे-धीरे डालो।”

“होने दो दर्द भाभी जी, दर्द में ही तो मज़ा आता है भाभी जी। आहा बहुत मज़ा आ रहा है आपको चोदने में। आह आह।”

मेरी दर्द भरी चीखें बैडरूम में गूंज रही थी। नवीन मेरी चूत में दे दना दन शॉट लगा रहा था। आज मेरी चूत का सामना बहुत मोटे तगड़े लंड से हो रहा था। मैं पसीने में पूरी लथ-पथ हो चुकी थी। नवीन के लंड के झटकों से मेरे बोबे बुरी तरह से हिल रहे थे। ”आह आहा आह आईईईई आह आह आईईईई अआईईई। उन्ह आह आईईईई आईईईई।”

तभी मेरी चीखें रुक गई और नवीन ने मेरा पानी निकाल दिया। अब बेडरूम मे फच-फच की आवाजें गूंजने लगी।

“उन्ह आह आहा आईईईई अआईईई आह ओह उन्ह आह्हा आहह।”

फिर नवीन ने मुझे बहुत देर तक ऐसे ही बजाया। अब नवीन ने मेरे मस्त रसीले बूब्स मुंह में दबा लिए और उन्हे चूसने लगा।

“ओह्ह्ह्ह निकिता बहुत मस्त बूब्स है तेरे। उन्ह्ह्ह।”

अब भला मैं क्या कहती! मैं नवीन जी के बालों को सहलाने लगी। नवीन जी मेरे बूब्स पर एक-दम टूट पड़े थे।

“आहा! बहुत ही टेस्टी बोबे है भाभी जी!”

नवीन जी को मेरा मीठा दूध पीने में बहुत मजा आ रहा था। मैं अच्छी तरह से नवीन जी को दूध पिला रही थी। नवीन बार-बार मेरे बोबे को बाईट भी कर रहा था।

“उन्ह आहा ओह उन्ह बहुत ही मज़ेदार है भाभी।”

“ओह्ह्ह आह्ह्ह सिसस आराम से चूसो नवीन जी आह्हा सिसस।”

नवीन झटके दे देकर मेरे बोबों को चूस रहा था। नवीन को मेरे टाइट बोबों को चूसने मे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं भी अब मस्ती से बोबों का रस पिला रही थी।

“ओह्ह्ह नवीन जी, आह्हा बहुत अच्छा लग रहा है। आह्हा। जम कर चूस लो। मेरे बोबों को आह्ह्ह। बहुत ही रस भरा है इनमे।”

“हां भाभी चूस रहा हूं।”

नवीन जल्दी-जल्दी मेरे बोबों को चूस रहा था। थोड़ी देर में ही मेरे दोनों बोबे लाल हो चुके थे। नवीन उन्हें रगड़-रगड़ कर चूस रहा था। फिर नवीन ने बहुत देर तक मेरे बोबे चूसे।

अब नवीन ने मेरे पेटीकोट और साड़ी को खोल फेंका। अब मैं पूरी नंगी हो चुकी थी। आज मुझे किसी दूसरे मर्द ने नंगी किया था। अब नवीन बेड से नीचे उतर गया और फिर मुझे भी बेड से नीचे उतार लिया। अब नवीन ने मुझे घोड़ी बनने के लिए कहा लेकिन मैं घोड़ी नहीं बनना चाहती थी।

“अरे भाभी जी। अब इतने नखरे मत करो यार। घोड़ी बनो जल्दी।”

“अरे यार आप तो ऐसे ही कर लो ना।”

“नहीं भाभी जी। अब तो मैं आपको घोड़ी बना कर ही बजाऊंगा।”

अब नवीन बार बार मुझे घोड़ी बनाने के लिए पीछे पड़ रहा था। मैं भी कहां तक मना करती! फिर मैं बेड को पकड़ कर घोड़ी बन ही गई।

अब नवीन जी ने मेरी चूत में लंड सेट किया और फिर जोर का झटका देकर मेरी चूत में लंड घुसा दिया। तभी मेरी चीखें निकल गई।

“आईईईई मम्मी सिस्सस्स।”

अब नवीन मेरी कमर पकड़ कर मुझे बुरी तरह से चोदने लगा। मैं नवीन जी के लंड के तूफान में उड़ने लगी।

“आह्ह आह ओह सिससस्स आहा सिससस्स ओह आहा सिसस्स। आहा आईईईई उन्ह्ह्ह्ह सिसाससस आआह।”

“ओह्ह्ह भाभी जी बहुत मस्त लगती हो आप घोड़ी बनकर।”

“आह्हा सिसस आह्हा आह्हा बजा लो आप तो आपकी घोड़ी को। आहा आईईईई उन्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मम्मी। आहा आईईईई।”

“हां मेरी घोड़ी खूब बजाऊंगा तुझे तो।”

नवीन जी को आज मजा ही आ गया था। आज वो उनकी प्यास को ब१झा रहे रहे। इधर नवीन जी के मोटे तगड़े लंड से चुदने में मुझे भी बहुत मजा आ रहा था। मैं दर्द से कराह रही थी लेकिन मैं चुदवाना चाह रही थी।

“ओह उन्ह ओह सिससस्स आह्ह आह्ह आह्ह ओह सिससस्स आहाः आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है ओह्ह्ह नवीन जी।”

“हां मेरी निकिता।”

“आहा आईईईई उन्ह्ह्ह सिस्सस्स आहा आईईईई ओह्ह्ह्ह। बहुत अच्छा लग रहा है मेरे सैया। बहुत ही मस्त लंड है तेरा आहा उन्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह मम्मी।”

“ओह्ह्ह्ह मेरी रानी।”

नवीन मुझे घोड़ी बना कर मेरी जम कर बजा रहा था। मुझे भी उनके मोटे तगड़े लंड से चुदाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। अब मैं शर्म को उतार कर खुद की आग बुझाने लग रही थी।

“आह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह सिसस अह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मेरे राजा।”

“ओह्ह्ह मेरी रानी बहुत मज़ा आ रहा है। आह्हा।”

“आह्ह्ह आह्ह्ह ओह्ह मेरे सैंया बहुत अच्छा लग रहा है। आह्ह्ह पेले जाओ। आह्हा।”

“हां मेरी रानी।”

तभी जोरदार ठुकाई से मैं पिघल गई और मेरी चूत से रस बहने लगा। नवीन अभी भी मेरी चूत जम कर ले रहा था।

“आहा आईईईई उन्ह्ह्ह आहा आईईईई आहा उह्ह्ह्ह्ह मम्मी। आहा आईईईई।”

अब धीरे-धीरे नवीन का पानी निकलने वाला था। तभी नवीन ने कहा, “बोल निकिता, कहां भरूं मेरा पानी?”

“मेरी चूत में ही भर दे नवीन।”

तभी नवीन ने जोर-जोर झटके मारे, और मेरी चूत में पानी निकाल दिया। अब वो मुझे घोड़ी बना कर ऐसे ही खड़ा रहा।

“ओह्ह्ह भाभी जी। बहुत मजा आया। आज मेरे लंड की आग शांत हो गई।”

“हां नवीन जी। आपने ने मेरी चूत को मजा से दिया।”

“मैं बहुत दिनो से आपकी चूत पेलना चाहता था लेकिन आज जाकर मौका मिला है।”

“हां नवीन जी। मैं जानती हूं।”



[Image: 9kbygb.gif]


[Image: 9kbygb.gif]








[Image: 9kbylm.gif]





[Image: 9kbylm.gif]


G


[Image: 9kbyom.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#3
अब नवीन जी खड़े हो गए और फिर मुझे खड़ी कर मेरी क़मर पकड़ी। अब नवीन मेरे रसीले होंठो पर बची हुई लिपस्टिक को चूसने लगा। अब मैं भी उनके होंठों को खा रही थी। माहौल अब फिर से गर्म होने लगा था।

नवीन मेरी गांड को सहलाता हुआ मेरे होठों को चूस रहा था। वो मेरे सेक्सी चूतड़ों को कस रहा था। तभी नवीन मुझे किस करता हुआ दीवार के सहारे ले गया। अब नवीन ने मेरे चूचों को मुंह में भर लिया, और मेरे रसीले टाइट आमों को चूसने लगा। अब मैं नवीन को बाहों में कस कर उसकी पीठ को सहला रही थी।

“ओह्ह्ह नवीन जी बहुत रस भरा है मेरे चूचों में। अच्छे से रगड़ कर चूसो। आह।”

“उन्ह्ह्ह आहा आह।”

ऐसा लग रहा था जैसे नवीन जी कई महीनों से प्यासे थे। तभी नवीन जी मेरे चूचों को चूसता हुआ बाइट करने लगे। अब मैं दर्द से तिलमिलाने लगी।

“ओह आईईईई सिससस्स आह्ह उन्ह ओह सिससस्स आह्ह मर्रर्रर्र गाईईई। धीरेरेरे धीरेरेरेरे आराम से नवीन जी।”

मैं बुरी तरह से मचल रही थी। नवीन जी मेरे खजाने का जम कर मज़ा लूट रहे थे।

“ओह मम्मी आह्ह उन्ह सिसस आह्ह।”

फिर थोड़ी देर में ही नवीन जी ने मेरे बूब्स को चूस लिया। अब नवीन मेरी चूत में उंगलियां पेलने लगा। मेरी चूत भट्टी की तरह जल रही थी। तभी मैं कसमसाने लगी।

“उन्ह ओह सिसस्ससस्स ओह



[Image: 9kbz8v.gif]






V





[Image: 9kbzeb.gif]

[Image: 9kbzeb.gif]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#4
“ओह आईईईई सिससस्स आह्ह उन्ह ओह सिससस्स आह्ह मर्रर्रर्र गाईईई। धीरेरेरे धीरेरेरेरे आराम से नवीन जी।”

मैं बुरी तरह से मचल रही थी। नवीन जी मेरे खजाने का जम कर मज़ा लूट रहे थे।

“ओह मम्मी आह्ह उन्ह सिसस आह्ह।”

फिर थोड़ी देर में ही नवीन जी ने मेरे बूब्स को चूस लिया। अब नवीन मेरी चूत में उंगलियां पेलने लगा। मेरी चूत भट्टी की तरह जल रही थी। तभी मैं कसमसाने लगी।

“उन्ह ओह सिसस्ससस्स ओह आहाहाह सिसस्ससस्स ऊंह ओह्ह नवीन जी। ऐसे मत करो।”

“ओह्ह्ह भाभी जी करने दो। अहहा बहुत आग लगी है आपकी चूत में तो।”

“अब आप और मत भड़काओ मेरी आग को आह्हा सिसस।”

“मैं तो भड़काउंगा भाभी जी।”

नवीन ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत में उंगलियां पेल रहा था। मैं बिन पानी की मछली की तरह तड़प रही थी। अब मैं पसीने में भीगने लगी थी।

“उन्ह ओह सिसस्ससस्स आह्ह ओह उन्ह धीरे-धीरे नवीन जी।”

“ओह भाभी जी आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है। आहा।”

तभी मैं खुद को नहीं रोक पाई और मेरा पानी निकल गया।

“ओह नवीन जी। मरर्रर्र गैईईईई।”

अब नवीन ने मुझे उठा कर बेड पर पटक दिया और मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया। अब नवीन मेरी चूत चाटने लगा। तभी मैं शर्म के मारे पानी-पानी होने लगी।

“ओह्ह्ह सिसस आहह उन्ह सिसस।”

“ओह्ह्ह नवीन जी आराम से चाटो। ओह्ह्ह आईई।”

नवीन मेरी चूत को कस कर चाट रहा था। मैं बुरी तरह से कसमसा रही थी। वो मेरी चूत का जम कर मज़ा ले रहा था। मुझे भी नवीन से चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था। लंबे समय से मेरी चूत चटवाने की इच्छा थी जो आज पूरी हो रही थी।

“उह सिसस आह्हा आहह ओह्ह्ह मम्मी। आहह सिसस।”

“अच्छे से चाटो नवीन जी। उन्ह्ह्ह ओहह सिस्सस्सस।”

नवीन मेरी जांघे पकड़ कर मेरी चूत के रस को पी रहा था। तभी नवीन मेरी चूत के दाने को खुजाने लगा। अब मैं तड़प उठी।

“ओह्ह्ह मम्मी मर गईई आह्हा सिसस उन्ह आह्हा सिसस।”

अब नवीन चूत को बुरी तरह से चाट रहा था। अब मैं दर्द के मारे बिस्तर को मुट्ठी में समेटने लगी थी। नवीन मेरी चूत में जीभ से तगड़ा हमला कर रहा था। अब मैं नवीन के मुंह को मेरी चूत पर से हटाने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैं नवीन मेरी चूत पर कब्जा कर चुका था।

“आहह आह सिसस आईई ओह्ह्ह नवीन जी। रुक जाओ ना। मेरा पानी निकल जाएगा।”

लेकिन नवीन मेरी नहीं सुन रहा था। तभी मैंने नवीन के सिर को पकड़ कर जोर से मेरी चूत पर दबा दिया, और फिर क्या था। मेरी चूत से फव्वारा फुट पड़ा। मैं बहुत बुरी तरह से पानी-पानी हो चुकी थी।

“ओह्ह्ह रोहित जी मर गई मैं तो।”

अब नवीन मेरी चूत के गरमा-गरम माल को चाटने लगा। मैं पसीने में लथपथ होकर नवीन के बालों को सहला रही थी। नवीन मजे से मेरी चूत का पानी पी रहा था।

“सिसस्ससस्स उन्ह्ह्ह्ह। पी लो मेरा पानी। आहा सिस्सस्सस।”

फिर नवीन ने मेरी चूत चाट कर साफ़ कर दी। अब नवीन ने फिर से मेरी चूत में लंड रखा और मुझे बाहों में कस लिया। अब नवीन दे दना दन मेरी चूत में लंड पेलने लगा। तभी मेरे बेडरूम में लंड ठोकने की आवाजे गूंजने लगी।

“आहा आहा आईईईई सिस्सस्स उन्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह आहा आईईईई आईईईई।”

“ओह्ह्ह मेरी जान आहा बहुत रसभरी माल है तू। आज तो तेरी चूत की खैर नहीं।”

“आह आह्हा उन्ह आह ओह आहा अआईईई अआईईई ओह मम्मी। फाड़ दो आज मेरी चूत को उन्ह्ह्ह्ह आहा सिसासस।”

“हां भाभी जी। आज तो बुरा हाल कर दूंगा आपकी चूत का।”

नवीन मुझे बाहों में कस कर जम कर चोद रहा था। मेरी टांगे हवा में लहरा रही थी। मैं नवीन की पीठ को नाखूनों से खोद रही थी।

“आह आहा उन्ह ओह नवीन जी। बहुत मस्त तरीके से चोदते हो आप तो आह्ह्ह अब बहुत अच्छा लग रहा है।”

“मुझे भी आपको चोदने में बहुत मस्त मज़ा आ रहा है भाभी जी।”

“उन्ह आह आहा अआईईई अआईईई मर गई आहा आह अआईईई। बस पेले जाओ आप तो।”

नवीन के खतरनाक झटके मेरी चूत को तहस-नहस कर रहे थे। मैं बहुत बुरी तरह से चुद रही थी। तभी मैं पसीने में लथपथ हो गई और मेरा पानी निकल गया।

“आह्हा सिसस आह्ह उन्ह आह्ह्ह आह्हा सिसस।”

“ओह्ह्ह भाभी जी आह्ह्ह बहुत रसीली चूत है आपकी अहहा।”

“बजा लो नवीन जी। आहह। आपका लंड बहुत मज़ा दे रहा है। आह्हा।”

नवीन मेरी चूत की बखिया उधेड़ रहा था। उसका लंड मेरी चूत में भयंकर घमासान मचा रहा था। आज मुझे नए लंड से चुदने में बहुत मजा आ रहा था।

“ओह्ह्ह नवीन जी, ऊंह आह्हा।”

फिर नवीन ने मुझे बहुत देर तक ऐसे ही बजाया। अब नवीन भी बुरी तरह से हांफ गया था। अब मैंने नवीन को बेड पर पटक दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गई। अब मैं उसके होठों को चूसने लगी। अब मेरी चूत की प्यास बढ़ने लगी थी।

तभी मैं उसकी चेस्ट पर किस करती हुई उसके लंड पर पहुंच गई। अब मैं उसके भारी भरकम लंड को मुट्ठी में कसने लगी।

“ओह्ह्ह्ह नवीन जी बहुत ही मस्त लंड है आपका तो।”

“हां भाभी जी लेकिन ये बहुत प्यासा है।”

“कोई बात नहीं। आज मैं इसकी पूरी प्यास बुझा दूंगी।”

तभी मैं घोड़ी बन गई और नवीन के लंड को छपाक से मुंह में ले लिया। अब मैं नवीन के मोटे तगड़े लंड को आइसक्रीम की तरह चूसने लगी। नवीन के लंड को चूसने में मुझे बहुत मजा आ रहा था। मेरे पति के लंड को चूसने में मुझे इतना मजा नहीं आया था।

“आह्ह भाभी जी बहुत अच्छा लग रहा है। आह्ह ऐसे ही चूसो। ओह सिससस्स।”

मैं नवीन के लंड को लबालब चूस रही थी। आज मुझे समझ में आ रहा था कि मुझे ऐसे ही मोटे तगड़े लंड की सख्त ज़रूरत थी।

“ओह भाभी जी आप तो बहुत तगड़ी खिलाडी निकली। आह्ह बससस्स ऐसे ही चूसती रहो, आह्ह।”

फिर मैंने नवीन जी के लंड को चूस कर निचोड़ डाला। अब नवीन जी मुझसे उनके लंड की सवारी करने के लिए कहने लगे लेकिन मुझे शर्म आ रही थी। आज मैं पहले बार किसी गैर मर्द से चुद रही थी, तो अभी मैं इतना नहीं खुली थी। लेकिन नवीन जी मान नहीं रहे थे।

“अरे भाभी जी, शरमाओ मत और चढ़ जाओ।”

“अरे यार नवीन जी रहने दो आप तो।”

तभी मैं बगल में लेट गई लेकिन नवीन जी ने मुझे फिर से उनके ऊपर चढ़ा लिया। अब भला मैं क्या करती? तभी मैं मुस्कुराते हुए नवीन जी के लंड पर बैठ गई और फिर चूत में लंड सेट कर लिया। अब मैं झटके दे देकर चुदने लगी।

“आह आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह सिस्सस्स आहा उन्ह्ह।”

“हां ऐसे ही चुदो भाभी जी।”

“आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आह ओह नवीन जी उन्ह्ह्ह आहा सिस्सस्स।”

“मिटा लो भाभी जी आपकी चूत की आग। आप भी तो बहुत प्यासी हो।”

“हां नवीन जी आज तो खूब चुदूंगी मैं। आह बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा है आपसे चुदाने में। आहा आह्ह।”

“हां भाभी जी जम कर चुदो। जितनी मर्ज़ी हो उतनी। मुझे कोई दिक्कत नहीं।”

तभी मैं जोश में आकर जोर-जोर से झटके मारनी।

“आहा आईईईई ऊंह उन्ह्ह्ह्ह आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह मम्मी बहुत मजा आ रहा है। आहा आह आह उन्ह्ह्ह्ह।”

“उह्ह्ह्ह्ह भाभी जी।”

मेरे हर झटके से मेरे मोटे-मोटे बोबे बुरी तरह से हिल रहे थे। अब धीरे-धीरे मैं पसीने में भीगने लगी थी।

“आह्ह आहा सिससस्स आह्ह ओह नवीन जी। उन्ह सिससस्स आह्ह आह्ह ओह।”

“बससस्स लेती रहो लंड भाभी जी।”.

मैं झमा-झम चुद रही थी। आज तो मैं रुकने का नाम नहीं ले रही थी। मैं ज़ोर-ज़ोर से नवीन जी के लंड के ऊपर कूद रही थी। तभी मेरा पानी निकल गया और मैं थक हार कर नवीन जी लिपट गई।

“ओह्ह्ह्ह नवीन जी उन्न्ह्ह्ह।”

अब नवीन जी मुझे वापस बिस्तर पर पटका और मेरी चूत में लंड गाड़ दिया। अब नवीन जी मुझे फिर से बजाने लगे।

“उह्ह्ह्ह निकिता। आहा बहुत ही गजब की माल है तू उन्न्ह्ह।”

“आह आहा आईईईई सिसासस्स उन्ह्ह्ह। खूब चोदो इस माल को नवीन जी।”

“आह आहा आईईईई ऊंह हां निकिता।”

“आहा आहा आईईईई बहुत मजा आ रहा है आपके मोटे तगड़े लंड से चुदने में। आहा आईईईई उन्ह्ह्ह मैं तो मस्त हो गई आहा।”

“हां मेरी रानी।”

नवीन जी मुझे जम कर चोद रहे थे। उनका भारी भरकम लंड मेरी चूत को चोद चोद कर लाल कर चुका था। मैं भी उनके लंड को जम कर चूत में ठुकवा रही थी।

“ओह्ह्ह्ह नवीन जी ठोके जाओ मेरी चूत में लंड उन्ह्ह्ह्ह आहहा।”

“हां निकिता।”

तभी नवीन जी ने चोद-चोद कर एकबार फिर से मेरा पानी निकाल दिया। अब नवीन जी बेड से नीचे उतर गए। अब नवीन जी ने मेरी टांगें पकड़ कर मुझे पलंग के किनारे खींच लिया। अब उन्होंने मेरी चूत में लंड सेट किया और फिर मेरी टांगो को पकड़ कर दे देना बजाने लगे। तभी मेरी चीखें फिर से निकलने लगी।

“आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह आहा आईईईई आईईईई ओह्ह्ह्ह मम्मी।”

“आहा भाभी जी।”

“आह्ह सिसस आहाहा आराम से चोदो नवीन जी आह्ह्ह आहा उन्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है आह्ह्ह।”

“ओह्ह्ह निकिता मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा है, आह्हा।”

“उन्ह्ह्ह आहा सिस्सस्स आहा आईईईई।”

नवीन मेरी चूत में दे दना दन लंड पेले जा रहा था। उनके लंड के झटको से मेरे बोबे बुरी तरह से उछल रहे थे। मैं आधी पलंग पर टिकी हुई थी और आधी नीचे लटकी हुई थी। नवीन का लंड मेरी चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। मेरी चूत का हाल फिर से बेहाल होने लगा था।

“आईई आईई ओह्ह्ह आह्हह आहा आईई ओह्ह नवीन जी आहा आईईईई आईईईई।”

“उह्ह भाभी जी। बहुत मजा आ रहा है। आहा।”

नवीन के लंड के ज़ोरदार झटको से पलंग भी चुड़-चुड़ करने लगा था। नवीन कस कर मेरी चूत में जम कर लंड पेल रहा था। अब तो मेरी चूत का गुलाबी हिस्सा बाहर दिखने लगा था। आज मैं मस्त होकर लंड ठुकवाये जा रही थी। तभी मेरा पानी निकल गया।

“आह्ह आहाहा ओह सिसस आहह। गई मैं तो।”

अब नवीन जी का लंड मेरी पानी से भरी हुई चूत में गोते लगा रहा था। मैं फिर से पसीने के भीग गई थी। नवीन जी मुझे बजाए जा रहा था। नवीन जी के लंड के तूफान से मेरी चूत का पानी नीचे टपक रहा था।

“आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह सिस्सस्स।”

फिर मैंने बहुत देर तक नवीन जी ने मुझे ऐसे ही बजाया। आज तो मेरी चूत की हालत खराब हो गई थी। ऐसी ठुकाई मेरी पहले कभी नहीं हुई थी। अब नवीन जी ने मुझे बेड से नीचे खींच लिया और फिर उन्होंने मुझे दीवार से उलटा चिपका दिया।

अब नवीन जी मेरे मखमली जिस्म को। पीछे से किस कर रहे थे। उनका मोटा तगड़ा लंड मेरी गांड में चुभ रहा था। मैं उनके किस करने से सिहर रही थी।

“ओह्ह्ह्ह सिसससस उन्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह।”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply
#5
नवीन जी मेरी गांड में लंड डालने की बहुत कोशिश कर रहे थे, लेकिन मैं उन्हे गांड में लंड नहीं घुसाने दे रही थी। फिर नवीन जी ने कहा “यार भाभी जी गांड में नहीं तो कोई बात नहीं। लेकिन घोड़ी तो बनो।”

“हां आप घोड़ी बना कर ही बजा लो।”

तभी मैं घोड़ी बन गई। अब नवीन जी ने मेरी चूत में लंड टिकाया, और फिर मेरे बालो को चोटी बना कर मुझे पेलने लग गई।

“आहा आहा आईईईई ऊंह आहा आईईईई सिसससस आहा आहा।”

“ओह्ह्ह मेरी जान आहा बहुत मजा आ रहा है उन्ह्ह्ह।”

“ओह्ह्ह्ह आहा आहा आईईईई उन्ह्ह्ह ओह्ह्ह मेरे सैया।”

“आह आहा ओह्ह्ह्ह मेरी रानी।”

“आह आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह।”

नवीन जी मेरी चोटी को पकड़ कर मुझे दे दना-दन चोद रहे थे। मैं ऊपर की तरफ़ मुंह करके चुद रही थी। नवीन जी के लंड को तगड़ी ठुकाई से मुझे छत का पंखा नज़र आ रहा था।

“आहा आहा आईईईई उन्ह्ह्ह्ह आहा सिस्सस्स उन्ह्ह्ह्ह।”

“ओह्ह्ह मेरी रानी। आहा आहा।”

“चोद ले मेरे सैया। आहा आहा। खूब चोद तेरी रानी को। आह आह।”

“हां मेरी रानी।”

अब नवीन जी मेरी चोटी छोड़ दी और हाथ नीचे ले जाकर मेरे बूब्स पकड़ लिए। अब नवीन जी मेरे बूब्स को दबा कर मुझे घोड़ी बना कर पेल रहे थे।

“आहा मेरी रानी। क्या माल है तू।”

“आह आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह्ह पेले जाओ इस रानी‌ को।”

“हां मेरी रानी। आहा ओह्ह्ह्ह।”

नवीन जी मेरी चूत को ताबड़तोड़ तरीके से चोद रहे थे। नवीन जी के धक्के मुझे बेड से चिपका चुके थे। तभी नवीन जी के लंड ने मेरा पानी निकाल दिया।

“ओह्ह्ह नवीन जी, उन्ह्ह्ह।”

फिर नवीन जी ने मुझे बजा कर बेड पर पटक दिया और मेरे बूब्स को फिर से चूसने लगे।

“ओह्ह्ह नवीन जी। उन्ह्ह्ह।”

वो जल्दी-जल्दी मेरे बूब्स को निचोड़ रहे थे। आज तो नवीन जी ने मेरे बूब्स का नजारा ही बदल दिया था। उनका तो मेरे बूब्स चूसने से मन ही नहीं भर रहा था।

“उन्ह्ह्ह सिस्सस्सस।”

फिर नवीन जी ने फटाफट से मेरे बूब्स को चूसा और झट से मेरे भोसड़े में लंड सेट कर दिया। आज पहली बार की ठुकाई में नवीन जी मेरी चूत का भोसड़ा बना चुके थे। अब वो मेरी फिर से लेने लगे।

“आहा आह सिस आहा आईईईई ऊंह उह्ह्ह्ह सिसस्सस।”

“ओह्ह्ह्ह भाभी जी। मजा आ गया आज तो, आहा।”

“हां नवीन जी। मैं तो आपके लंड की दीवानी हो गई। आह आहा आईईईई।”

“मैं भी आपके बदन का गुलाम हो गया भाभी जी।”

“अहाह आईईईई सिस्सस्स।”

तभी नवीन जी अकड़ने लगे और उनका लंड पानी-पानी हो गया। अब नवीन जी ने मेरे भोसड़े में उनके लंड का पानी भर दिया और मेरे नंगे जिस्म से लिपट गए।

“ओह्ह्ह भाभी जी।”

अब मैंने नवीन जी को मेरी बाहों में कस लिया। अब हम दोनों जिस्म मेरे बेडरूम में नंगे पड़े थे। आज मैं पहली बार किसी गैर मर्द से चुदी थी। लेकिन चुदने में मेरे जिस्म का पुर्जा-पुर्जा ढीला हो गया था। अब तो मेरे उठने की भी बस की बात नहीं थी। नवीन जी ने आज मुझे खूब बजाया था। मैं नवीन जी का लंड लेकर बहुत खुश थी। फिर बहुत देर बाद हम दोनों उठे और हमने कपड़े पहन लिए। अब नवीन जी उनके कमरे में चले गए और मैं थक हार कर मेरे बेड पर पड़ गई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)