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मुंबई से गोवा तक मेरी चुदाई होती रही
#1
part 


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मुंबई से गोवा तक मेरी चुदाई होती रही


एक बार मेरी सहेलियों ने गोवा जाने का प्लान बनाया.
हमारा तीन दिन का प्लान था और हम लोग ट्रेन से जाने वाले थे. 


तय किये गए दिन पर मैं घर से अम्मी अब्बू की इजाजत लेकर स्टेशन की तरफ निकली.
लेकिन रास्ते में मेरी टैक्सी खराब हो गई और स्टेशन तक पहुँचते पहुँचते मुझे देर हो गई.


जैसे ही मैं स्टेशन पहुंची, वैसे ही मेरी ट्रेन छूट गई और मैं उदास मन से उधर खड़ी खड़ी जाती हुई ट्रेन को देखती रही और मेरे आंसू निकल आये.

जितना दुःख मुझे ट्रेन छूटने का था उससे ज्यादा दुःख इस बात का था कि मेरी सहेलियां गोवा में मजे करने वाली हैं.

तभी एक हट्टा-कट्टा बांका सजीला नौजवान भी कंधे पर बैग टाँगे दौड़ता हुआ आया और सामने से निकलती ट्रेन को देख कर जोर से हाँफते हुए बोला- बाप रे, ट्रेन तो निकल गई. अब मेरे गोवा ट्रिप का क्या होगा.

मैं समझ गई कि इस बन्दे की ट्रेन भी छूट गई है.
तभी उस लड़के ने मेरी तरफ देखा तो मैंने रोते रोते ही कहा- मेरी ट्रेन भी छूट गई, मैं भी छुट्टियां मनाने गोवा जा रही थी. अब तो घर लौटना पड़ेगा.
वह लड़का बोला- घर क्यों? मैं तो टैक्सी बुक कर रहा हूँ, सुबह तक गोवा पहुँच जाऊंगा और अपने दोस्तों से मिल लूंगा




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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
[Image: 9k6wux.gif]banghead:
मैं बोली- काश मैं भी टेक्सी से जा पाती! लेकिन इतना लम्बा सफर अकेले तय करना मेरे बस में नहीं है.
वह लड़का बोला- अरे आप मेरे साथ चलो, कोई परेशानी नहीं होगी. आपको किराया भी नहीं देना पड़ेगा.

मुफ्त में गोवा जाने की बात पर मेरे मन में लालच आ गया और मैं राजी हो गई.
उस लड़के ने टैक्सी बुक की और जब हम लोग टैक्सी तक पहुंचे तो उसने मुस्कुराते हुए कहा- हेलो, मेरा नाम शेखर है.
मैंने भी मुस्कुराते हुए कहा- लो, मैंने तो आपका नाम भी नहीं पूछा था. मेरा नाम शबनम है.

अब हम दोनों अपना सामान चढ़ा कर टैक्सी में बैठ गए और टैक्सी गोवा की तरफ चल पड़ी.
शेखर बहुत मस्त दिखता था इसलिए मेरी नजर बार बार उसकी तरफ उठ जाती थी.
मैं बार बार सोच रही थी कि काश ये मेरा बॉयफ्रेंड होता.

तभी शेखर बोला- शबनम, तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है क्या?
मैं बोली- नहीं तो.

शेखर बोला- ऐसा कैसे हो सकता है? तुम तो इतनी स्मार्ट और सुन्दर हो, फिर तुम्हारा बॉयफ्रेंड कैसे नहीं है?
मैंने कहा- मैं लड़कियों के कॉलेज में पढ़ती थी और इसी साल कॉलेज में आई हूँ इसलिए कभी लड़कों से घुलने मिलने का समय ही नहीं मिला.

फिर मैंने पूछा- क्या आपकी कोई गर्लफ्रेंड है?
शेखर बोला- आज तक तुम्हारे जैसी खूबसूरत कोई मिली नहीं, इसलिए कोई गर्लफ्रेंड बनी नहीं. 

यह सुन कर शर्म के मारे मेरे गाल लाल हो गए और मैंने अपनी नजरें झुका लीं.
कुछ देर में बात करते करते शेखर का हाथ मेरे हाथ को छूने लगा.
मुझे भी अच्छा लग रहा था तो मैंने कोई आपत्ति नहीं की.
बल्कि मैं भी अपना हाथ शेखर की तरफ बढ़ाने लगी.

कुछ देर में ही मेरा हाथ शेखर के हाथ में था.
शेखर ने पूछा- तुम मुझे बहुत पसंद हो, क्या मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी?
मैंने कहा- हाँ शेखर, तुम भी मुझे बहुत पसंद हो.

यह सुनकर शेखर ने मेरा हाथ चूम लिया और मैं खिसक कर शेखर के करीब आ गई.
मैंने अपना सर शेखर के कंधे पर रख लिया और हसीं सपनों में खो गई.
शेखर भी बड़े प्यार से मेरे बाल सहलाता रहा.

थोड़ी देर में मुझे महसूस हुआ कि शेखर के हाथ मेरे स्तनों तक पहुँच गए हैं; शेखर बड़े ही प्यार से मेरे स्तन सहला रहा था.
यह पहली बार था जब कोई मेरे दूध दबा रहा था तो मुझे बहुत ही अजीब सा मजा आ रहा था.

मैंने भी बड़े प्यार से शेखर के सीने पर हाथ फेरना शुरू कर दिया.
अब शेखर का एक हाथ मेरी जांघ पर आ गया और शेखर मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगा.

जांघों पर हाथ फेरते फेरते शेखर का हाथ मेरी चूत तक आ गया और वो सलवार के ऊपर से ही मेरी चूत सहलाने लगा.
शेखर ने मेरा हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया.
मैंने शेखर का लंड उसके पेंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू कर दिया.

तभी शेखर ने अपने पेंट की ज़िप खोल दी और उसका बड़ा सा लंड मेरी आँखों के सामने नाचने लगा.
मुझे लंड छूने का अनुभव नहीं था फिर भी ऐसे माहौल में लंड पकड़ने पर मुझे कोई परेशानी नहीं हुई. 

मेरे अंदर हवस उठने लगी तो मैंने भी अपनी सलवार खोल दी और शेखर ने अपना हाथ अंदर डाल दिया.
शेखर ने मेरी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी और अंदर बाहर करने लगा.

मेरे अंदर आग भड़कने लगी जिसको शांत करने के लिए मेरी चूत से पानी निकलने लगा.
शेखर मेरी चूत को उंगली से चोद रहा था और मेरे अंदर ऊँची ऊँची लहरें उठ रही थीं.
अचानक मेरा शरीर अकड़ने लगा, मेरी चूत कटी मुर्गी की तरह फड़फड़ाने लगी और अचानक उसने ढेर सारा पानी छोड दिया.
इसी के साथ मैं ठंडी पड़ गई.

मैं चरम सुख का मजा ले चुकी थी किन्तु शेखर अभी भी प्यासा था तो मैं हाथ से उसका लंड हिलाने लगी.
कुछ ही देर में शेखर का शरीर अकड़ने लगा और तभी उसके लंड ने पिचकारियां छोड दी.
सामने वाली सीट पर उसका वीर्य उछल कर फ़ैल गया और शेखर भी ठंडा पड़ गया.

हम लोगों ने खिड़की के बाहर देखा तो अँधेरा हो चुका था और हमारी टेक्सी जंगल के बीच से गुजर रही थी.
अभी हमारी आँख लगी ही थी कि एक झटके से हमारी नींद खुल गई.
हमने देखा कि टेक्सी एक पत्थर से टकरा गई थी और बंद पड़ गई थी.

ड्राइवर ने टेक्सी से उतर कर देखा तो परेशान होकर बोला- लगता है पाइप फट गया है, मैकेनिक को बुलाना पड़ेगा.
हम लोग भी परेशान हो गए तो ड्राइवर बोला- घबराइए नहीं, पीछे एक किलोमीटर पर गाँव में एक मैकेनिक की दूकान थी. मैं आधे घंटे में उसको लेकर आता हूँ तब तक आप लोग टेक्सी के अंदर आराम करिये.
ड्राइवर पैदल चला गया तो मैं और शेखर जंगल में घूमने लगे.
चांदनी रात थी और चारों तरफ चन्द्रमा की दूधिया रोशनी फैली थी.
मैं और शेखर एक दूसरे को साफ़ साफ़ देख पा रहे थे. 

तभी शेखर ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींचा और मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए.
मैं भी शेखर के चौड़े सीने से लिपट गई और उसके होंठ चूसने लगी.

अब मैं कुछ ज्यादा ही गरम होने लगी थी तो मैंने शेखर की शर्ट उतार दी और उसके बदन को चूमने लगी.
शेखर ने भी मेरी कुर्ती उतार दी और मेरे बदन से खेलने लगा.

अब शेखर ने अपनी पैन्ट उतार दी और मेरी सलवार का नाड़ा भी खोल दिया.
अपने हाथ मेरी पीठ पर ले जाकर शेखर ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे स्तनों को कैद से आजाद कर दिया.

मेरी महकती जवानी देखकर शेखर पागल हो उठा और मेरे दूध पीने लगा.
मैं भी साथ देते हुए उसके बदन से खेलती रही.

अब शेखर घुटनों पर आया और उसने मेरी चड्डी उतार दी.
मेरी चड्डी उतार कर वो मेरी पनियाई हुई चूत को चाटने लगा.

मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी.
इस घने जंगल में हमारी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था तो मुझे आवाजें निकालने में कोई डर भी नहीं था.
मेरी चूत की जीभ से सफाई कर के शेखर उठा तो मैं घुटने पर आ गई और शेखर की चड्डी उतारने लगी.
जैसे ही मैंने चड्डी उतारी तो शेखर का बड़ा सा लंड मेरे मुंह से टकरा गया.
शेखर ने मेरा सर पकड़ा और अपना लंड मेरे मुंह में घुसाने लगा.

मैं रोकने का प्रयास कर रही थी फिर भी जैसे तैसे शेखर ने अपना सुपारा मेरे मुंह में पेल दिया.
मुझे कुछ गन्दा सा लग रहा था फिर भी वासना में मैं शेखर के लंड को चूसने लगी.
कुछ देर चूसने पर मुझे मजा आने लगा और मैं जोर जोर से लंड अपने मुंह में अंदर बाहर करने लगी.
लंड चूसते समय मेरी चूत में अजीब सी सिहरन हो रही थी तो मैं शेखर से बोली- मेरी चूत में अजीब सी चूल उठ रही है, प्लीज इसको शांत करो.
यह सुनकर शेखर ने टेक्सी में से एक मोटा कम्बल निकाल कर घास पर बिछाया और मुझे लेटा दिया.
अब शेखर मेरे ऊपर आ गया और उसने अपना लंड मेरी चूत की दरार पर रख दिया.
शेखर ने हौले से धक्का लगाया तो उसका लंड थोड़ा सा मेरे अंदर घुस गया. 

मेरी चीख निकल गई- हाय अम्मी, बाहर निकालो, दुःख रहा है.
लेकिन शेखर ने मेरी बात नहीं सुनी और एक जोर का झटका देकर अपना सारा लंड मेरी चूत में पेल दिया.
दर्द के मारे मेरा बुरा हाल हो गया था और मेरे आंसू निकल आये थे.
शेखर ने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू किया और मेरी चीखें निकाल डालीं.
वो धक्के मार रहा था और मैं चिल्ला रही थी- रुक जाओ प्लीज, मेरी बुर फट रही है. प्लीज थोड़ा धीरे चोद लो.

लेकिन इस हवस के मारे आदमी पर कोई असर नहीं हो रहा था; वो बिना रुके मुझे पेले जा रहा था.
कुछ देर में मेरी चूत की नसें ढीली हुईं तो मेरा दर्द कुछ कम हुआ.
अब मैं भी मजे लेने लगी और अपनी गांड उछालने लगी.

शेखर के होंठ मेरे होंठों पर थे, जीभ मेरे मुंह के अंदर थी और हाथ मेरे दोनों स्तनों पर थे.
मेरे हाथ शेखर की पीठ पर थे.

अब शेखर की स्पीड तेज होने लगी और उत्तेजना के मारे मेरे हाथ भी शेखर के चारों तरफ कसने लगे.
जंगल की इस शांति में बस मेरी आहें गूँज रही थी और साथ में शेखर के धक्कों के साथ साथ फट्ट फट्ट की आवाजें गूँज रही थीं.
शेखर गुर्राते हुए पूरी ताकत से धक्के मार रहा था मानो आज मुझे जमीन में ही धंसा देगा.
मैं भी हर तरीके से उसका साथ दे रही थी.



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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
तभी मेरा शरीर अकड़ने लगा और मेरा पानी छूटने लगा. मेरे चरम सुख पर पहुँचते ही मेरी चूत ने झटके खाए और रस की फुहार छोड दी.

इसी समय शेखर का बदन भी अकड़ने लगा.
शेखर ने पूरी ताकत से मेरे दूध मसले और मेरी चूत पर दबाव बनाते हुए फचाक फचाक करके अपने वीर्य की गर्म गर्म पिचकारियां मेरी चूत में मार दीं.

मेरी चूत को अपने वीर्य से भरने के बाद शेखर मेरे ऊपर ही लेट गया.
मुझे इतना सुख मिल रहा था कि मैं दुआ मांग रही थी- या खुदा, ये पल कभी ख़त्म ना हों और हम इसी हालत में हमेशा लेटे रहे.

जंगल सेक्स का मजा लेने के बाद कुछ देर हम ऐसे ही नंगे लेटे रहे और फिर उठ कर जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन लिए.
हम लोग टैक्सी में जाकर बैठे ही थे कि तभी ड्राइवर अब्दुल नाम के मकैनिक और हेल्पर छोटू को लेकर आ गया.

मैकेनिक अब्दुल गाडी चेक करके बोला- नया रेडिएटर पाइप लाना पड़ेगा जो यहां से पांच किलोमीटर दूर की बस्ती में मिलेगा.
ड्राइवर शेखर से बोला- हम लोग बहुत दूर से पैदल आये हैं और बुरी तरह थक चुके हैं. साहब, आप ही चले जाओ इस बार.

मुझे छोड़ कर शेखर जाना नहीं चाहता था लेकिन कोई और रास्ता ना होने के कारण उसको जाना ही पड़ा.

शेखर को निकले पंद्रह मिनट हो गए तो ड्राइवर मेरे पास आकर बोला- मैडम, आपके चिल्लाने की आवाजें दूर दूर तक आ रही थीं. लगता है साहब ने बहुत बुरी तरह से रगड़ा है आपको.
मैं गुस्से में बोली- अपनी औकात में रहो. हमारे आपस के मामले से तुम्हारा कोई लेना देना नहीं है.

ड्राइवर गुस्से में आ गया और बोला- देखो मैडम, ये ताव कहीं और दिखाना. मेरा दिमाग खराब हो गया तो आप लोगों को इसी जंगल में छोड़ कर चला जाऊंगा.
मैं गुस्से में बोली- मेरे अब्बू सिक्युरिटी में हैं, शिकायत कर दूंगी तो तुम लोगों को उल्टा टांग कर कूटेंगे.

अब ड्राइवर ताव में आ गया और बोला- साली रंडी, जंगल में अजनबी के साथ मंगल करती है और इधर ताव दिखाती है. अभी इसकी औकात बताता हूँ.

मैं समझ चुकी थी कि अब इनसे चुद कर मजा लेने में ही भलाई है.

ड्राइवर ने मेरा मुंह पकड़ कर मेरे होठों पर जोरदार चुम्मा दे दिया.
ड्राइवर के मुंह से दारु का भबका मेरी साँसों में समा गया और मुझे ऐसा लगा मानो मुझे उलटी हो जाएगी.

लेकिन मैं सह गयी.

ड्राइवर ने मेरी सलवार खींची तो नाड़ा टूट गया और सलवार नीचे गिर गई, फिर मेरी कुरती दोनों हाथों से फाड़ दी और मुझे ब्रा पेंटी में कर दिया.
अब ड्राइवर ने मेरी ब्रा और पेंटी भी फाड़ कर उतार दी और मुझे मादरजात नंगा कर दिया.

इसी बीच उसने मुझे उठाकर घास पर पटक दिया और मेरे ऊपर आ गया और लेट गया.
उसने मेरे दूध पीने शुरू कर दिए और अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर रगड़ने लगा.

मैं अभी अभी चुदी थी तो मेरी चूत पूरी गीली थी.
इसलिए ड्राइवर का लंड बिना किसी मेहनत के सटाक से पूरा का पूरा अंदर चला गया.

अब ड्राइवर धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा.
वह अपना पूरा लंड बाहर खींचता था और फिर फचाक से पूरा लंड अंदर ठेल देता था.

कुछ देर तक ड्राइवर से चुदने के बाद मेरे बदन में गर्मी आने लगी थी और मैंने सिसकारियां भरनी शुरू कर दिया था.
यह देखकर ड्राइवर को भी मेरी चुदाई में मजा आने लगा और वो और भी प्यार से मुझे चोदने लगा.

यह नजारा देखकर मकैनिक अब्दुल हँसते हुए बोला- भाईजान, ये रंडी तो मूड में आ गई!
ड्राइवर बोला- मेरा लंड ही ऐसा है कि जिसके अंदर जाता है उसको जन्नत दिखा देता है.

मैंने ड्राइवर को अपनी बांहों में कस लिया और नीचे से जोर का धक्का उसके लंड पर मार दिया.

मुझे मजे लेते देख कर अब्दुल और छोटू फटाफट अपने कपड़े उतार कर नंगे हो गए.
छोटू मेरे मुंह के पास आया और अपना लंड मेरे मुंह में उतारने की कोशिश करने लगा.

मुझे उसके लंड से तेज बदबू आई तो घिन के मारे मैंने अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया.

पर उसने मेरे बाल जोर से खींच कर मेरा मुंह खोला और अपना बदबूदार लंड मेरे मुंह में ठूंस दिया.

मुझे मतली आने लगी थी लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकती थी इसलिए मैं उसका गन्दा लंड चूसने लगी.

छोटू मजे लेते हुए मुझे गाली देने लगा- ले रंडी मादरचोद, चूस ले मेरा लंड. आज तो तेरा हलक फाड़ कर रख देगा मेरा लंड.
सच में मुझे ऐसा लग रहा था मानो छोटू का लंड मेरा गाला फाड़ते हुए मेरे पेट तक चला जाएगा.

अब ड्राइवर ने मेरी चूत से लंड निकाला और मेरे स्तनों के बीच में फंसा दिया और मेरे दूध चोदने लगा.
ड्राइवर मेरे दूध चोदते हुए बोला- क्या मस्त मम्मे हैं रंडी के. लगता है दो बच्चों की मां है साली!

अब्दुल बोला- जिस तरीके से हम इसको चोद रहे हैं, लगता है आज ही ये चालीस पचास बच्चों की मां बन जाएगी.
यह बोलकर अब्दुल ने मेरी चूत में अपना लंड पेल दिया और घपाघप धक्के मारने लगा.

अब मेरा मुंह, दूध और चूत एक साथ चुद रहे थे और मैं चुदाई के सागर में लंड की नाव पर बैठ कर गोते मार रही थी.

हवस की आग में जलते हुए मैंने छोटू के लंड को बुरी तरह चूसना शुरू कर दिया, ड्राइवर के लंड पर अपने स्तन जोर से दबा दिए और अब्दुल को अपनी टांगों में जकड लिया ताकि उसका लंड मेरे और अंदर तक समा सके.

इस समय मेरी चुदाई का घमासान खेल चल रहा था और मेरे शरीर का अंग अंग चोदा जा रहा था लेकिन फिर भी कोई हार मानने को तैयार नहीं था.

अब छोटू का शरीर अकड़ने लगा और मैं समझ गई कि उसका पानी निकलने वाला है.
मैं उसका लंड मुंह से निकालने लगी तो छोटू ने मेरे हाथ पकड़ लिए और जोर जोर से मेरा मुंह चोदने लगा.

अचानक ही उसका पानी छूट गया और उसने अपने गरमागरम वीर्य की ना जाने कितनी पिचकारियां मेरे गले के अंदर उतार दीं.
मुझे उसका सारा वीर्य पीना पड़ा.

छोटू के हटते ही ड्राइवर और अब्दुल उठ गए और उन्होंने पोजीशन बदल ली.
ड्राइवर नीचे लेट गया और उसने मुझे अपने लंड पर बैठने को कहा.
मैं ड्राइवर के लंड पर बैठी तो गपाक से मेरी चूत ने ड्राइवर का सारा लंड निगल लिया.

अब मैं ड्राइवर के ऊपर उछलने लगी.
ड्राइवर का लंड मेरी बच्चेदानी से टकरा रहा था और मुझे गजब का मजा आ रहा था.

मैं हवस भरी आवाज में चिल्लाई- मेरी चूत को अपने वीर्य से भर दे सूअर. उतार दे अपना माल मेरे भोसड़े में.

तभी ड्राइवर का सफर भी पूरा होने को आया और उसका शरीर अकड़ने लगा.
उसका लंड फूल गया और मेरी चूत में एकदम गर्म लगने लगा.

मैं उसके गरमागरम लंड का मजा अपनी चूत में ले ही रही थी कि तभी ड्राइवर के लंड ने वीर्य की पिचकारियां मेरी चूत में छोड़ दीं.

मुझे इतना मजा आया कि मैं एक बार फिर चिल्ला उठी- आह, मजा आ गया. तेरे गर्म गर्म वीर्य ने मेरी चूत का बजा बजा कर रख दिया. और डाल साले, मुझे और वीर्य चाहिए अपनी चूत में.

फचाक फचाक करके ना जाने कितनी पिचकारियां उसके लंड से निकलीं और मेरी चूत को उसने वीर्य का तालाब बना दिया.

मैं ड्राइवर के लंड से उठी तो मेरी चूत से बहते हुए उसके वीर्य ने मेरी दोनों जांघों को गीला कर दिया.

मैंने देखा कि मेरी चूत का मुंह तो खुला का खुला रह गया था.
इस हरामजादे ने मेरी चूत का भोसड़ा बना कर रख दिया था.

अब्दुल हँसते हुए बोला- जब चुदाई शुरू की थी तो चूत थी लेकिन अब साली भोसड़ा बन चुकी है.

मैं बोली- सालों रंडी की औलादों, ऐसे भी कोई चोदता है क्या? अब मेरे बॉयफ्रैंड को क्या मुंह दिखाऊँगी?

अभी मैं उठ ही रही थी कि अब्दुल ने मुझे गर्दन पकड़ कर दबा दिया और घोड़ी बना दिया.
वो अपना लंड मेरी गांड पर फेरने लगा तो मैं घबरा उठी. मैंने उससे कहा- प्लीज चूत जितनी मारनी हो मार लो लेकिन गांड को बक्श दो.
लेकिन वो नहीं माना- शबनम जान, चूत तो भोसड़ा बन चुकी है. अब तो तेरी गांड मारकर ही मजा लेना पड़ेगा.

उसने अपनी एक उंगली थूक से गीली की और मेरी गांड में घुसा दी.
फिर उसने मेरी गांड में ढेर सारा थूका और अपनी दो उँगलियाँ अंदर घुसा दीं.

मुझे तेज दर्द हुआ पर अब्दुल ने अपनी उँगलियाँ मेरी गांड से निकाल कर उधर अपना लंड फंसा दिया.
अब धीरे धीरे उसने दबाव बनाया और घच्च से अपने लंड मेरी गांड में पेल दिया.

दर्द के मारे मेरी रुलाई छूट गई लेकिन उस हरामजादे पर कोई असर नहीं पड़ा. मेरे आंसुओं को नजरअंदाज करके वो मेरी गांड में अपना लंड हिलाता रहा.

कुछ देर उसने अपना लंड आगे पीछे किया तो मेरी गांड का छेद ढीला होने लगा और मेरा दर्द कुछ कम होने लगा.
अब उसने मेरी गांड चोदना शुरू किया और जोर जोर से धक्के मारने लगा.

अब मैं भी उसका साथ देने लगी थी.
वो धक्के मारता तो मैं भी अपनी गांड आगे पीछे करके जंगल सेक्स के मजे ले रही थी.

कुछ देर मुझे कुतिया की तरह चोदने के बाद उसने अपने धक्के तेज कर दिए.
मैं समझ गई कि इसका पानी छूटने वाला है.

मैकेनिक ने अपने धक्के तेज किये और जोरदार ताकत के साथ मेरी गांड में अपने गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी छोड़ दी.
जैसे ही उसने अपना लंड बाहर निकाला तो मेरी गांड से वीर्य के साथ साथ खून का फव्वारा छूट गया.
इस रंडी के बच्चे ने सच में मेरी गांड फाड़ कर रख दी थी.

अब्दुल हँसते हुए बोला- अरे बाप रे, इसकी गांड में तो कुआं खुद गया है.

मैं रोते हुए उसको कोसने लगी- साले रंडी के बच्चे, तेरी अम्मी को सूअर चोदे, तेरी बहन को सारा बम्बई चोदे.

ड्राइवर हँसते हुए बोला- अरे शबनम जान, इसकी अम्मी और बहन तो कमाठीपुरा की टॉप की रंडियां हैं. चालीस पचास लोग रोज चोदते हैं उन दोनों को.

मेरी जबरदस्त चुदाई के बाद मैं बुरी तरह पस्त हो चुकी थी और मुझमें उठकर कपड़े पहनने की हिम्मत भी नहीं बची थी.

उन लोगों ने ही मुझे उठाया, साफ़ किया और कपड़े पहना कर टेक्सी की पिछली सीट पर बैठा दिया.

मेरी गांड दुःख रही थी लेकिन इस घमासान चुदाई में बहुत जबरदस्त मजा भी आया था और मेरे हर छेद में वीर्य के दरिये बह चुके थे जिसके बारे में सोच सोच कर मुझे बहुत मजा आ रहा था.

मैं मुस्कुराते हुए ड्राइवर से बोली- सोच रही हूँ लौटते समय भी ट्रैन की जगह टेक्सी ही कर लूँ. सफर का मजा तो टेक्सी में ही है.

अब उजाला होने लगा था और सूरज निकल आया था.
मुझे अहसास हुआ कि आज तो मैं सारी रात ही चुदती रही हूँ.

अब्दुल और छोटू लौटने लगे तो मैंने ड्राइवर से कहा- टेक्सी का क्या होगा?
ड्राइवर ने चाबी लगा कर घुमाई और टेक्सी स्टार्ट हो गई.

वह हँसते हुए बोला- शबनम जान, ये तो सब तुमको चोदने का बहाना था. चलो गोवा चलते हैं.
मैंने कहा- शेखर को तो आने दो.
ड्राइवर बोला- उसको भाड़ में जाने दो.

फिर हम लोग शेखर का इन्तजार किये बगैर ही गोवा की तरफ चल दिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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Good story
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प्लान के मुताबिक हमारा टूर 5 दिन का था, जिसमें हम सभी गोवा जाने वाले थे. जाने वालों में हम 8 लोग थे.

मैं और मेरा बॉयफ्रेंड राहुल.
अल्पना और उसका बॉयफ्रेंड विवेक
सोना और उसका बॉयफ्रेंड सनी और
मेरी एक क्लासमेट है रुचि. वो और उसका दोस्त वरुण.

हमें दो दिन में निकलना था, उसके पहले तैयार करनी थी. मैं अपनी तैयारी कर चुकी थी. ब्यूटीपार्लर से लेकर अंडर आर्म्स की सफाई. मतलब चूत और साइड के बाल साफ करना और कुछ शॉपिंग. यही बाकी सब फ्रेंड्स का हाल था. अरे गोवा सेक्स की नगरी है तो इतनी तैयारी तो बनती है ना!

गोवा जाने की बड़ी चुल्ल थी. अब सब्र नहीं हो रहा था कि हम कब निकलें. हमें अपना सफर रेलवे से तय करना था. जिसमें हमें करीब 20 घंटे की यात्रा तय करनी थी.

लेकिन अचानक मेरे बॉयफ्रेंड राहुल का फोन आया कि उसके घर बहुत जरूरी काम है, जिससे वो नहीं जा सकता. मैंने जरूरी काम की डिटेल पूछी, तो पता चला उसके दादा जी की तबीयत खराब हो जाने के कारण उसके घर वालों ने उसे मना कर दिया है.

जैसे ही ग्रुप में पता चला कि राहुल नहीं जा सकता. जबकि रिजर्वेशन हो चुके थे और अभी हमारे पास पूरे दो दिन थे. जाने से पहले ऐसी स्थिति में ये तय किया गया कि टूर कैंसल तो नहीं किया जा सकता, राहुल को छोड़ कर बाकी सभी चलेंगे.

लेकिन बिना राहुल के मेरा जाने का मन नहीं हो रहा था. क्योंकि जब आप गोवा जैसी जगह जा रहे हों और आपका बॉयफ्रेंड साथ न हो तो गोवा सेक्स, मस्ती अधूरी रह जाएगी.

जब मैंने अपने ग्रुप में ये बात कही कि मेरा भी अब जाने का मन नहीं हो रहा है. तो ग्रुप के सभी मेम्बर फ़ोर्स करने लगे. खासकर विवेक और सनी, जिनसे में पहले भी कई बार चुद चुकी थी. लेकिन ये बात उनकी गर्लफ्रेंड मतलब मेरी सहेलियां नहीं जानती थीं. उनके लिए इस वक्त मैं एक आइटम हो सकती थी.

फिर मैंने उन्हें बोला- तुम लोग गोवा में कपल की तरह रहोगे. मैं अकेली क्या करूंगी यार!
तो उन्होंने बोला- हम सब साथ में एन्जॉय करेंगे.

लेकिन मेरे लिए उस एन्जॉय को करना मुश्किल लग रहा था. जिसमें गोवा में चुदाई हो, खुलकर सेक्स हो. वाइन बियर और कैसीनो में बॉयफ्रेंड के साथ विट लगाना हो. ये सब नामुमकिन लग रहा था. मुझे लगा मैं अकेले क्या एन्जॉय कर पाऊंगी.

पर मेरी सहेलियों और बाकी सभी ने तय किया कि राहुल की जगह किसी और क्लासमेट को तैयार कर लेते हैं. जिससे रिज़र्वेशन भी खराब नहीं जाएगा और ग्रुप भी पूरा हो जाएगा.

इस तरह हमारा एक क्लासमेट राज जो विवेक और सनी का भी दोस्त है और साथ ही रुचि का कजिन था. उसे चलने के लिए तैयार किया गया.
इसके लिए रुचि को बोला गया और रुचि ने राज को भी तैयार कर लिया. अब सारे कपल बन चुके थे.

अल्पना और विवेक.
सोना और सनी.
रुचि और वरुण.
मैं और राज.

मैं और रुचि, जिनके बॉयफ्रेंड नहीं थे. बस ऐसे दोस्त साथ में थे, जिन्हें काफी टाइम से जानते थे.

मेरी तीनों सहेलियां अल्पना, सोना और रुचि कमाल की शारीरिक फ़िगर वाली थीं. इन तीनों में सबसे बड़े बूब्स और गांड रुचि की थी. रुचि का फ़िगर 34-32-36 का था. जबकि अल्पना का 30-28-32 का और सोना का 32-30-34 का फिगर था.

रुचि का बॉयफ्रेंड नहीं था, लेकिन रुचि और वरुण की काफी अच्छी अंडरस्टैंडिंग थी. साथ ही रुचि भी काफी चुदक्कड़ लड़की थी. उसके पहले भी दो बॉयफ्रेंड रह चुके थे … जिनसे उनका ब्रेकअप हो चुका था.

अब बस मैं ही ऐसी थी, जिसका न बॉयफ्रेंड था. न ही कोई खास दोस्त था. बस अच्छी बात ये थी कि राज एक स्मार्ट लौंडा था. वो करीब 6 फ़ीट हाईट वाला कसरती जिस्म का मालिक था. राज मेरा क्लासमेट था, इस कारण से मैं उसको अच्छे से जानती थी. लेकिन मैं उसकी नजर में क्या थी, ये मैं भी नहीं जानती थी.

फिर किसी तरह हमारा ग्रुप निकलने के लिए तैयार था. हमारे रिज़र्वेशन एसी कोच में थे, जिनमें हम लोगों के केबिन थे.

एक केबिन में अल्पना और विवेक एक साथ और सोना और सनी. लेकिन मैं और रुचि एक साथ हो गए. एक में राज औऱ वरुण थे.

मुझे अपने बॉयफ्रेंड राहुल की कमी महसूस तो हो रही थी. लेकिन मैं कर भी क्या सकती थी. अभी मेरे मन में राज के लिए कोई विचार नहीं आया था … लेकिन हां मैं ये जरूर सोच रही थी कि अगर मौका मिला, तो विवेक या सनी के साथ चुदाई का खेल हो सकता है.

यही सोचते सोचते मैं और रुचि बातें करने लगे. बातों बातों में बात हुई कि अल्पना और सोना तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ मजे कर रही होंगी.
तो मैं बोली- हां यार … मेरी तो किस्मत खराब थी कि मेरा बॉयफ्रेंड नहीं आ पाया.
इस पर रुचि बोली- कोई चिंता की बता नहीं यार. तू टूर इन्जॉय कर. ज्यादा मत सोच.

जैसे मैंने बताया कि रुचि के बूब्स 34 इंच के हैं, जिससे उसके बूब्स टी-शर्ट के बाहर निकलने को होते हैं.

उसके तने हुए मम्मे देखकर मैंने एक को मसल कर पूछ लिया कि तेरे ये इतने बड़े कैसे हो गए? इन पर किसने मेहनत की है?

रुचि- ओह्ह … जैसे तुझे पता ही न हो कि मेरा भी एक बॉयफ्रेंड था, जिससे मेरा ब्रेकअप हो गया है. ये उसी की मेहनत तो है.
मैं- ओ हां … मैंने सुना था कि तेरा बॉयफ्रेंड था, जिससे तेरा ब्रेकअप हो चुका है … और ये जो वरुण है, उसके साथ तेरा कुछ है क्या?
रुचि- अरे यार मेरा उसके साथ कुछ नहीं है … वो बस मेरा दोस्त है.

ऐसे ही बातें करते करते हम कब सो गए, पता ही नहीं चला.



सफर पूरा होने वाला था … हम करीब सुबह 07 बजे गोवा पहुँच गए. हमने वहां पहले से ही एक रिजॉर्ट बुक किया था. हम सब उसमें पहुंच गए. रिजॉर्ट में स्वीमिंग पूल और भी बहुत नेचुरल वातावरण था. हम सभी ने पहले वहां जाकर आराम किया. फिर करीब 2 घंटे बाद हमने स्वीमिंग पूल में नहाने का तय किया.

हम चार लोग ही स्वीमिंग पूल में पहुंचे … बाकी अभी भी सो रहे थे, जिससे साफ था कि उन्होंने रात में ट्रेन में ही चुदाई की होगी, जिससे वे लोग थकान महसूस कर रहे थे.

हम 4 लोगों में मैं, रुचि, वरुण और राज स्वीमिंग करने लगे. स्वीमिंग करते समय हम स्वीमिंग कॉस्ट्यूम पहने हुए थे … जिनमें मेरे और खासकर रुचि के चूचे बहुत बड़े दिख रहे थे. जिसका असर वरुण और राज पर पड़ना स्वाभाविक था.

चूंकि राज और रुचि कजिन थे, तो राज रुचि के मम्मों को ज्यादा नहीं देख सकता था. लेकिन उसने मेरे बूब्स देखने का मौका बिल्कुल भी नहीं छोड़ा. कभी कभी हमारी नजरें भी मिलतीं, तो मैं मुस्करा देती. जिससे उसे लग रहा था कि मेरे साथ उसे कोई प्रॉब्लम आने वाली नहीं है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
हम दोनों एक रूम में थे, तो बातें तो करनी ही पड़ रही थीं. ऐसे ही पहले तो हमारे बीच नॉर्मल बातें होती रहीं.

फिर अचानक से राज मजे लेता हुआ बोला- अल्पना और सोना तो अभी से इतनी थक गई हैं कि सुबह स्वीमिंग पर नहीं आई हैं.
तभी मेरे मुँह से निकल गया- उनके बॉयफ्रेंड ने उन्हें परेशान किया होगा, जिससे बेचारी थक गई होंगी.
इस पर राज हंस पड़ा.

फिर राज बोला- विवेक और सनी को इतना भी सब्र नहीं था कि थोड़ा रुक जाए … साले ट्रेन में ही चालू हो गए.
जिस पर मैंने मासूम बनते हुए पूछ लिया- क्या चालू हो गए?
राज आंखें मटकाते हुए बोला- अरे मेरा कहने का मतलब ये था कि हम 5 दिन के लिए आए हैं तो प्यार भी आराम से भी किया जा सकता था … मगर वे लोग तो ..

मैं- क्या वे लोग तो?
राज- वे लोग तो ट्रेन में ही चालू हो गए थे … उन्हें तो डर भी नहीं लगा.
मै- तुम्हें कैसे पता?
राज- मुझे उनकी आवाज़ें आ रही थी … तो मैं समझ गया कि क्या चल रहा था.

अब मैंने राज को थोड़ा और ओपन करने की सोचा … क्योंकि मैं भी एन्जॉय करना चाहती थी … कब तक ऐसे ही सूखी सूखी रहती.

मैंने पूछ लिया- कैसी आवाजें. … और क्या हो रहा था?
राज- इतनी भोली मत बनो … तुम सब जानती हो … उन लोगों में सेक्स हो रहा था … वही आवाजें आ रही थीं.

अब मैंने चुप रहना ही ठीक समझा और बस इतना बोल दिया- अच्छा तो ये बात है … क्या करें बेचारों को सब्र नहीं हो रहा होगा.
राज- इसीलिए तो वे लोग नहीं आए.
मैं- कोई बात नहीं यार … एन्जॉय करने ही तो आए हैं और वैसे भी वे गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड हैं … तो ये सब तो चलता ही है.

राज- वैसे रुचि ने मुझे बताया था कि तुम्हारा बॉयफ्रेंड भी आने वाला था!
मैं- हां यार, लेकिन वो आ नहीं पाया … मेरी किस्मत खराब थी.
राज- अगर तुम्हार बॉयफ्रेंड भी आता … तो तुम भी अभी उन लोगों जैसी सो रही होतीं.
मैं- ऐसा क्यों?
राज- तुम भी तो अपने बॉयफ्रेंड के साथ ट्रेन में सेक्स करतीं … तो फिर कैसे!

मैं- अरे छोड़ो यार … अब साथ आया ही नहीं … तो क्या कर सकते हैं.
राज- अच्छा सुनो … अपन लोग कहीं बाहर घूमने चलें … कुछ बियर शियर हो जाएगी.
मैं- ठीक है … चलते हैं … क्या उन लोगों को भी बुला लें?
राज- उन लोगों को क्यों … वो हमारे साथ क्या करेंगे … वो तो अभी भी सो रहे हो गए होंगे.
मैं- ओके चलो.

मैं और राज वहीं पास वाले बीच की ओर निकल गए. मैं इस समय स्लीवलैस टी-शर्ट और हाफ पैंट पहने थी, जिसमें से मेरी पूरी जांघें दिख रही थीं. राज भी चड्डी और बनियान टाइप ड्रेस में था. मेरी बगलों से मेरे चूचे भी दिख रहे थे … क्योंकि मैं अन्दर ब्रा नहीं पहने थी.

राज बड़े ही गौर से मेरे चूचे और जांघों को देख रहा था.

हमने रास्ते में बियर की कैन ले लीं और बीच की ओर निकल गए. रास्ते में हमें बहुत से जोड़े मिले, जो कुछ नवविवाहित थे … कुछ गर्लफ्रेंड बॉयफ्रेंड … कुछ विदेशी भी थे. कुछ लोग रास्ते में ही किस कर रहे थे, जिसे देखकर हम लोग एक दूसरे से नजरें मिला कर आंखों को झुका लेते थे.

इस तरह हम दोनों बीच तक पहुंच गए. वहां हम दोनों ने बियर पीते पीते मस्ती करने लगे. उसने मुझ पर दरिया का पानी डाल दिया. ऐसे ही मैंने भी उसको भिगो दिया. इसी तरह हमारी आपस में गुत्थम गुत्थी हो गई … जिससे बहुत बार उसका हाथ मेरे मम्मों को टच कर गया.

अब हम गीले हो चुके थे, जिससे मेरे चूचे पूरी तरह से दिख रहे थे … शायद मेरे मम्मों को देखकर उसका लंड भी खड़ा हो गया था, जो उसके चड्डा में से अलग ही दिखने लगा था.

मुझे राज से चुदने का मन बनने लगा था, मगर इतनी जल्दी मैं खुलना नहीं चाहती थी. राज को लगता कि ये तो खुली चुदक्कड़ है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
ऐसे ही वहां अनेक कपल मस्ती कर रहे थे.

तभी हमारी नजर एक जोड़े पर पड़ी, जिसने सारी हदें पार कर दी थीं. वो दोनों वहीं बीच के पास ही चुदाई कर रहे थे. उसमें लड़का लेटा हुआ था और लड़की उसके ऊपर चढ़ी थी. लड़की बिकनी में थी, लेकिन लड़का बिकुल न्यूड था और लड़की उसके लंड पर कूद रही थी.

मैंने ये सब देखकर नजरअंदाज करने की कोशिश की, लेकिन राज ने मुझे फिर से दिखा दिया- देखो बीच के एन्जॉय हो रहे हैं.

फिर मैंने चुटकी लेते हुए कहा- हां, मैं तुम्हारी भी मस्ती देख रही हूँ … तुम्हें कितना मज़ा आ रहा है … वो सब देखकर! अपना भी तो देखो … कैसे खड़ा हो गया है. वैसे भी यह लोग गोवा में क्या ध्यान लगाने आएंगे … यही सब करने तो यहां आते हैं … अपनी सहेलियों को ही देख लो … यहां आकर कैसे मजे कर रही हैं.

राज हंस कर बोला- अरे सॉरी … मेरे तो उन्हें देखकर टाईट हो गया. ऐसे सेक्सी मस्ती देखने से तो किसी को गर्मी चढ़ जाएगी.
ऐसा बोलकर राज बेशर्मों की तरह अपना लंड एडजस्ट करने लगा, लेकिन उसकी कोशिश नाकाम रही. उसका लंड ऊपर से देखने में बड़ा लग रहा था, जो कि उसके छोटे से बॉक्सर में ठीक से एडजस्ट नहीं हो रहा था.

इस पर मुझे हंसी आ गई और मैंने उसे बोल दिया- क्यों परेशान हो रहे हो, उसे ऐसे ही रहने दो … रूम में जाकर ठीक कर लेना.

पर राज बोला- तुम सही कह रही हो, हमें यहां से चलना चाहिए … क्योंकि यहां सभी जगह यही चल रहा है, जिसे देखकर मुझे परेशानी होगी.
मैं- अच्छा मैंने सुना है … यहां परेशानी का इलाज भी होता है. यहां स्पा मसाज होती है … और यहां कॉलगर्ल वाली भी सुविधा रहती है.
राज- तुम्हें तो सब कुछ पता है लेकिन यार डर लगता है कि कहीं कुछ प्रॉब्लम न हो, वरना मैं तो इस टाइम एक शॉट मारने को तैयार हूं.
मैं- हां मुझे यहां के बारे में बहुत कुछ पता है. तुम तो ऐसे डर रहे हो, जैसे तुम्हें यहां सब जानते हों. यहां सभी मजे के लिए आते हैं … और ये सब यहां आम बात है.
राज- तुम सही कह रही हो.

मैं- तुम चाहो, तो मैं तुम्हारी हेल्प कर सकती हूं … क्योंकि एक तुम ही हो, जो इस टूर पर मेरा साथ देने वाले हो. बाकी सब तो आपस में बिजी हैं … और मैं तुम्हें इस हालत में नहीं देख सकती.

मैंने उसके खड़े लंड की तरफ इशारा करके बोल दिया. फिर मैंने उससे एक बीयर के लिए और बोला कि बीयर पीकर रूम में चलते हैं.

अभी तक मेरे मन में राज को लेकर फीलिंग्स पक्की नहीं हुई थीं, मैं बस यहां एन्जॉय करने आई थी. अब जब मेरे साथ मेरा बीएफ नहीं था, तो मेरे लिए राज ही एक मेरा साथ टाइम स्पेंड करने वाला था. मेरे मन में भी राज के खड़े लंड को देखकर मेरे मन में विचार आने लगे थे कि क्यों न राज के साथ ही मजे ले लिए जाएं.

फिर मैंने फैसला लिया कि मैं पहले से पहल नहीं करूंगी, लेकिन मेरे मन में ये तो था कि अगर मौका मिलता है … तो विवेक या सनी के साथ चुदाई के मजे जरूर ले लूंगी.

ऐसे ही मेरे मन में विचार चल रहे थे, इसी बीच राज दो बीयर की केन ले आया. हम दोनों बीयर पीते पीते अपने रिजॉर्ट की ओर चल दिए, जहां हमें अपने पूरे ग्रुप के दोस्त मिल गए. मुझे हल्का हल्का सा नशा हो चुका था, तो मैंने सोचा कि मैं अपने रूम में चली जाऊं … लेकिन सभी लोगों ने मुझे वहीं रोक लिया.

अब सभी लोग आगे का प्लान तैयार करने में लगे थे कि आगे क्या करना है. मैं बस सुन रही थी. सब लोग अपने अपने सुझाव दे रहे थे.

इस बीच मैंने दूसरी बीयर भी पी ली थी. ये बीयर कुछ ज्यादा हार्ड नशे वाली थी. मुझे इतना नशा हो गया था कि मैं वहीं चित हो गई. जब मुझे होश आया तो मैं रूम में थी.

अभी करीब 3 बजे का टाइम हुआ था … मेरे रूम में मेरे साथ राज के अलावा रुचि और वरुण भी थे.

वरुण और राज साथ में दारू पी रहे थे और रुचि मेरे बगल में लेटी थी, शायद वो भी थोड़े नशे में थी.

फिर मैं उठकर बैठ गई … और मैंने राज से पूछा- मैं यहां कैसे आई?

तब उसने बताया- तुम्हें मैं उठा कर लाया हूं … जिसने मेरी हेल्प वरुण ने भी की थी. इसलिए जब से ही हम इसी रूम में आए हैं, तुम्हें इतना नशा था कि तुम वहीं सो गई थी.

मैंने उन दोनों को थैंक्स बोला … फिर सोचा कि मैं अल्पना के रूम में चली जाऊं … लेकिन फिर सोचा कि रुचि अकेली है … और दोनों नशे में इसके साथ कहीं कुछ गलत न कर दें.

फिर मैं ये सोचकर रह गई कि रुचि और राज कजिन हैं और वरुण भी उसका अच्छा दोस्त ही है. और अगर कुछ होता भी है, तो हम सब भी मजे के लिए तो आए हैं.

वरुण और राज ने मेरे लिए बीयर ऑफर की, लेकिन मैंने यह कहकर मना कर दिया कि आज बहुत हो गई … अब नहीं.

फिर मैंने उन्हें बोला कि मैं अल्पना के पास उसके रूम में जा रही हूं.
इस पर वो दोनों बोल पड़े- उन्हें क्यों डिस्टर्ब कर रही हो, वे तो वहीं अपने मजे कर रहे होंगे.

मैंने उनकी बात तो इग्नोर करते हुए बोल दिया कि मैं तो जा रही हूँ.

उनसे इतना कह कर मैं बाथरूम में चली गई … लेकिन जैसे ही मैंने बाथरूम में जाकर अपनी पैंटी निकाली … क्योंकि मुझे सुसु लगी थी. जैसे ही मैंने पैंटी नीचे कर दी. मैं एकदम शॉक्ड थी … क्योंकि मेरी चूत एकदम गीली थी और थोड़ी खुली सी लग रही थी. मुझे यकीन हो गया था कि किसी ने तो मेरे साथ कुछ न कुछ छेड़छाड़ की है. अब या तो ये राज हो सकता था … या वरुण भी. क्योंकि उन्होंने बोला था कि वे दोनों ही रूम में थे. तब भी मुझे पूरा शक राज पर ही था.

फिर मैं बाथरूम से निकलकर अल्पना के रूम पहुंच कर उसके डोर को नॉक किया. कुछ पल बाद विवेक ने रूम खोला. विवेक ने मुझे देखकर अपना अंडरवीयर पहनते हुए आया था. जिससे मुझे हंसी आ गई … उसने मुझे बैठने को बोला.

फिर मैंने अन्दर देखा कि अल्पना घोड़े बेचकर सो रही थी … उसके ऊपर चादर ओढ़ा दी गई थी.

ये देख कर मैंने विवेक से पूछा कि कबसे सो रही है?
उसने बताया कि अभी कुछ 30 मिनट ही हुए होंगे … आज उसने तुम्हारे जैसे थोड़ी ज्यादा ले ली थी.
मैंने पूछा- इसका मतलब क्या है कि मेरे जैसी!

इस पर विवेक बोला कि मेरा कहने का मतलब था कि तुम नशे में बेहोश हो गई थीं न … तो ऐसे ही उसने भी नशा कर लिया होगा.

अब मैंने सोचा कि मैं भी अपनी सहेली अल्पना के साथ लेट जाऊं. मैंने बेड पर जाकर चादर को उठाया और जैसे ही चादर ओढ़ने को हुई तो देखा कि अल्पना पूरी नंगी पड़ी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
मैं समझ गई कि अभी दोनों चुदाई करके ही सो रहे थे. ये समझते ही मैं विवेक की ओर देखकर मुस्कुरा दी.

मैंने बोला कि आज ज्यादा ही मस्ती नहीं हो गई?
तो विवेक ने बोला- आज कुछ बीयर ज्यादा हो गई और ऐसे मौके भी नहीं मिल पाते … कभी जगह नहीं मिल पाती … तो कभी कुछ नहीं मिल पाता. अब आज दोनों चीजें सामने हैं … तो मस्ती तो बनती ही है.

अब मैं अल्पना के बगल में लेट गई. मैं कुछ ऐसी लेटी थी, जिसमें मैं आधी लेटी और आधी बैठी हुई थी. मैंने अपना एक हाथ अल्पना के मम्मों पर रख लिया और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी चूत पर लगा दिया.

उसकी चुत पर हाथ लगाते ही मेरा हाथ वीर्य से चिपचिपा हो गया. उसकी चूत पर विवेक का बहुत सारा माल लगा था, जिससे मुझे हल्का सा गुस्सा आ गया कि मेरा हाथ खराब हो गया.

मैं गुस्से में विवेक से बोली कि कम से कम साफ तो कर देते, देखो मेरा पूरा हाथ खराब हो गया.
तो उसने बोला- तुमने अपना हाथ ऐसी जगह रखा ही क्यों?
इस पर मैंने इतना ही बोला कि मुझे क्या पता था कि वहां ये सब गंदा होगा.

अल्पना अभी भी सो ही रही थी और शायद वो कुछ टाइम तक उठने वाली भी नहीं थी.

मेरी बात को बदलते हुए विवेक बोला कि उसे सोने दो … बहुत थक गई है बेचारी … अब कहीं और हाथ मत लगा देना … वरना फिर से गंदा हो जाएगा.

मैं उसका मतलब समझ गई थी कि ये अपने लंड पर हाथ लगाने के लिए मना कर रहा है.

मैं अपने हाथ पर लगे वीर्य को धोना चाहती थी … क्योंकि मुझे ये पसंद नहीं था. इसलिए मैं उठकर बाथरूम की तरफ चल दी. मैंने अन्दर जाकर डोर लॉक नहीं किया … क्योंकि मुझे हाथ तो सिर्फ धोने थे … लेकिन मुझे क्या पता था कि विवेक अन्दर आ जाएगा.

मेरे घुसने के कुछ बाद ही जैसे ही विवेक अन्दर आया … उसने गेट लगाकर लॉक कर दिया. पहले तो मैं डर गई लेकिन फिर नॉर्मल हो गई … क्योंकि मैं खुद यही चाहती थी कि कोई तो हो, जो टूर पर मुझे प्यार करे.

मैं पहले भी विवेक के साथ चुदाई कर चुकी थी. हालांकि उसके साथ सेक्स करने के लिए मेरी और उसकी यह डील रही थी कि हम इस बात को किसी भी स्थिति में ओपन नहीं होने देंगे और हमेशा दूसरों के सामने सिर्फ एक दोस्त जैसा ही रिएक्ट करेंगे.

विवेक ने मुझे पीछे से पकड़ा और मुझे गर्दन पर किस करने लगा. मैं उसे रोकने का भरसक प्रयास कर रही थी लेकिन उस पर मेरी एक ना चली. अब वो मेरे मम्मों को दबाने लगा.

फिर मैंने थोड़ी देर और प्रयास किया और उसकी पकड़ से छूट गई. चूंकि मैं वहां चिल्ला नहीं सकती थी, इसलिए मैं गेट की तरफ आई और लॉक खोल लिया.

फिर मैंने विवेक को इशारे में बोला- रूम में अल्पना है … इसलिए मैं यहां कुछ नहीं करने दूंगी.

मैं बाथरूम से बाहर निकलने को ही थी कि फिर से पकड़ ली गई. लेकिन इस बार में बाथरूम के बाहर ही थी, जिससे मैं अल्पना को देख सकती थी.

फिर मैंने धीरे से विवेक को बोला कि मान जा यार … अल्पना है, अगर वो जग गई, तो हम दोनों को प्रॉब्लम हो जाएगी.
इस पर उसने मुझसे कान में बोला- वो नहीं जागेगी … उसे बहुत थकान है. उसने मुझे दूसरी बार भी नहीं करने दिया था … प्लीज मान जाओ.

फिर मैंने भी अपने मन को काबू में नहीं रख पाई और उसे मौन स्वकृति दे दी. लेकिन मैंने बोला- वहीं पास में चलो, जिससे हम उस पर नजर रख सकें.

हम दोनों बेड के पास आ गए. मेरे बगल में अल्पना सो रही थी और उसके बिल्कुल पास में ही हम दोनों अपनी रास लीला शुरू करने वाले थे.

फिर उसने मुझे पकड़ कर किस चालू कर दिया. अब मैं उसका साथ दे रही थी, बस मुझे थोड़ा डर लग रहा था कि कहीं अल्पना न जाग जाए.

किस करते करते उसने मेरे कपड़े उतारने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे रोक दिया और इशारे में बोल दिया कि जो करना है, ऐसे ही कर लो.

उसने एक हाथ पेट से ऊपर ले जाकर मेरे मम्मों को पकड़ा और दबाने लगा. कुछ ही टाइम में ही उसने अपना हाथ मेरी पैंटी में डाल कर मेरी चूत पर उंगली चलाने लगा. चूंकि मुझे डर लग रहा था … इसलिए मैंने जल्दी करना ही ठीक समझा और अपने पैंटी को नीचे खिसका कर सीधे उससे लंड चूत में डालने को बोल दिया.

उसने भी अपना बड़ा लंड निकाल कर मेरी चूत पर लगा दिया और एक धक्के में ही अन्दर कर दिया. मेरी चीख निकलते निकलते रह गई.

अब वह पूरा लंड पेल कर पीछे से आराम से धक्के लगा रहा था और मैं मजे ले रही थी. करीब 10-12 मिनट तक चली इस चुदाई में अजीब सा मज़ा था … और मजे के साथ डर भी लग रहा था कि कहीं अल्पना जाग न जाए.

चुदाई खत्म हुई और मैंने अपने पैंटी को ऊपर कर लिया. हम दोनों बाथरूम में चले गए. वहां उसने फिर से मुझे पकड़ लिया.

मैंने उससे बोला कि अब क्यों पकड़ रहे हो?

तो उसने कुछ नहीं बोला और मेरी पैंटी उतार कर मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया. मैं एकदम से गनगना उठी. वो करीब 5 मिनट तक मेरी चूत चाटता रहा. मैं फिर से गरम हुई और कुछ ही समय में मेरा फिर से पानी निकल गया.

फिर हम दोनों बाथरूम से कमरे में आए. अब मैंने जाना ठीक नहीं समझा और वहीं अल्पना के पास जाकर लेट गई.

आज चुदाई होने से मुझे अपनी चुत में कुछ शान्ति सी महसूस हो रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#9
मुझे चोदने के बाद विवेक अल्पना की दूसरी साइड जाकर बैठ गया.

फिर कुछ टाइम बाद मैंने अल्पना को जगा दिया. उसने मुझे देखा, तो वो चौंक गई.

मैंने उसके देखते हुए बोला- ऐसे क्या देख रही है … उठ जा यहां क्या सोने आई है?
उसने मुझसे पूछा- तू कमरे में कब आई?
मैंने उससे बोला- मैं तो बस अभी ही आई हुई हूँ … और ये क्या हालत बना रखी है.

उसने मेरी तरफ देखा, तो मैंने उसके मम्मों को दबाकर बोला- जा कपड़े पहन ले.
इस पर अल्पना शर्मा गई और बोली- क्या करूं … मैं तो विवेक से परेशान हूँ.
[Image: 9k27d3.gif]
अल्पना बाथरूम की ओर जाना चाहती थी … वो भी चादर उठाकर. लेकिन मैंने उससे चुटकी लेते हुए बोल दिया कि किससे शर्मा रही है … मुझसे या विवेक से … जिसने तुझे ऐसा किया. हम दोनों ने ही तुझे ऐसे देखा है … कपड़े यहीं पहन ले न.

फिर जैसे ही मुझे याद आया कि उसकी चूत पर विवेक का पानी लगा है. तो फिर मैं उससे बोली- ओह्ह … फुद्दी साफ करनी होगी मैडम को … जाओ जाओ बाथरूम तो जाना ही पड़ेगा.
बेचारी बिना कुछ बोले अपने कपड़े लेकर बाथरूम चली गई.

अब हम दोनों ही रूम में थे और बेड पर! उसका रिएक्शन ये हुआ कि विवेक ने मुझे ये बोलकर फिर से पकड़ लिया- मेरी जान को क्यों परेशान कर रही हो.
विवेक ने मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक कर लिया दो मिनट तक उसने मुझे यूं ही जकड़े रखा.

फिर अल्पना कपड़े पहन कर आ गई. हम तीनों बातें करने लगे.

फिर मैं और अल्पना सोना के रूम में जाने लगी. हमने वहां जाकर गेट नॉक किया. … तो यहां भी उसके बीएफ ने ही गेट खोला. सोना भी सो रही थी. उसे हमने ही जाकर उठाया.

रूम में मेरी नजर सनी पर पड़ी. उसे देखकर लग रहा था, जैसे उसकी नींद पूरी नहीं हुई.

मैंने सनी से पूछ लिया- क्यों सोये नहीं हो क्या? जब से आए हो, रूम में ही हो. फिर भी ऐसा लग रहा है जैसे सोये नहीं हो.
सनी- ऐसा नहीं है पीहू बस सफर की थकान थी … तो सो गई.


[Image: 9k27hd.gif]






अल्पना- सफर की थकान थी या फिर किसी और चीज की थकान हो गई है?
मैं- हां अल्पना तू ठीक कह रही है … ये थकान सफर वाली नहीं है. जैसे विवेक की थकान थी … लगता है वैसे ही सनी को थकान लग रही है.

सनी- ऐसा नहीं है जैसा तुम लोग बोल रही हो. सोना बताओ न इन दोनों को.
अल्पना- सोना क्या बताएगी … इतना तो हम लोग समझते हैं. वो तो पीहू का बीएफ नहीं आया … वरना ये थकान उसे और उसके बीएफ को भी होती.

मैंने अपनी खिंचाई होते देखी तो बात बदलने की कोशिश करने लगी- अच्छा सुनो … अब शाम हो गई. सब लोग घूमने चलते हैं. फिर रात में कैसीनो चलेंगे. मैं वैसे भी अकेली उस खड़ूस राज के साथ बोर हो चुकी हूँ. अब सब लोग साथ में बटरफ्लाई बीच पर चलते है … मैंने सुना है वहां बहुत मज़ा आता है.

सबने हामी भर दी.

[Image: 9k27lm.gif]

फिर हम सब तैयार होकर अपने रिजॉर्ट से निकलकर बीच की ओर निकल आए. हमने वहां पहुंच कर समुद्र किनारे बहुत मस्ती की. हम आपस में एक दूसरे के साथ फोटो, बियर और बाकी बातें शेयर कर रहे थे.

इस दौरान मुझे लग रहा था कि मेरा इस टूर पर विवेक के बाद सनी के साथ चुदाई का नंबर लग सकता है.




मैं सनी को प्यार करती थी, ये बात वो और उसकी जीएफ सोना भी बहुत अच्छे से जानती थी. लेकिन जो भी हुआ, वो मेरा नहीं हो पाया था. फिर भी मेरे और उसके शारीरिक संबंध अब तक पांच बार बन चुके थे. उसे जिस तरह का सेक्स पसंद था, उसे उस तरह की चुदाई देने की मुझे पूरी महारत हासिल थी.

बीच पर हम दोनों में कुछ ऐसे घटनाएं हुईं, जिसमें हम दोनों में आंखों ही आंखों में इशारे हो गए कि चुदाई के लिए दोनों तैयार हैं.

अब सब लोग बोले- अब हम लोगों को चलना चाहिए … क्योंकि अब 2 घंटे बाद कैसीनो जाना है.
लेकिन मैंने बोल दिया कि मैं कुछ समय यहां रूकना चाहती हूँ और एक बियर पीने की इच्छा है … अगर कोई मेरे साथ रूकना चाहे, तो रुक सकता है.

[Image: 9k27qk.gif]

इस पर सनी तुरंत बोला- हां यार मुझे भी यहां रुकने की इच्छा हो रही है. और मुझे भी यहां एक बियर इन सागर की लहरों के साथ पीने का मन है. पीहू, मैं रुकूँगा तुम्हारे साथ.
बाकी सब लोग बोले- ठीक है … तुम्हारे लिए पार्टी मिल गई. हम लोग चलते हैं … रिजॉर्ट में मिलेंगे.

बाकी 6 लोग जिनमें अब एक कपल रह जोड़ी जीएफ बीएफ की थी, बाकी आपस में दोस्त ही बचे थे.

फिर उन लोगों के जाने के बाद हम दोनों ने समुद्र किनारे बैठकर एक बियर मंगवाई. उधर अब तक थोड़ा अंधेरा हो चुका था और बीच पर कम ही लोग रह गए थे … जिनमें से ज्यादातर न्यू मैरिड कपल ही थे, जो आपस में चूमा चाटी कर रहे थे और मजे ले रहे थे.

उन पर मेरी और सनी की नजर पड़ी, तो हम लोग एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे.

मैं सनी के साथ आए इस मौके को छोड़ना नहीं चाहती थी क्योंकि मैं सनी को आज भी प्यार करती थी. भले ही वो किसी ओर का हो गया था. मेरे मन में फिलहाल यही चल रहा था कि अच्छा मौका है … मुझे ही पहल करनी पड़ेगी.

सनी- अब हमें भी चलना पड़ेगा अंधेरा होने को है … और अलॉर्म बजने को होगा.
मैं- हां जल्दी से बियर खत्म करते हैं. जब अलार्म बजेगा तो निकल लेंगे. वैसे अभी देखो कितने लोग हैं.
ऐसे ही एक कपल की तरफ इशारा करते हुए मैंने सनी को बताया.

वो कपल एक दूसरे को किस करते हुए लिपटे थे. लड़का केवल अंडरवियर में था और लड़की बिकनी में थी. उन दोनों का मौसम बन चुका था … बस कुछ टाइम में अंधेरे का फायदा लेकर खुले में चुदाई के प्रोग्राम की वजह से ही वे रुके थे.

सनी- वे रिलेशनशिप में होंगे और वैसे भी लोग अंधेरे में यहां इसलिए रुकते हैं कि वे खुले में मजे ले सकें.
मैं- हम्म … तुम्हें बहुत कुछ पता है. अब यहां रुके हैं, तो रिलेशनशिप में तो होंगे ही … ऐसे ही थोड़ी कोई आपस में …
इतना बोलकर मैं रुकी ही थी कि उसकी आंखें चमक उठीं.

सनी- हां, वही तो मैं बोल रहा हूं. और यहां सिंगल लोगों को भी सुविधा उपलब्ध होती है. लड़की को लड़का और लड़के को लड़का मिल जाता है.
मैं- मुझे पता है लेकिन ये लोग वो नहीं हैं … और तुम कहना क्या चाहते हो? मुझे किसी की जरूरत नहीं है … समझे!
सनी- अरे मेरे कहने का मतलब वो नहीं था यार … पीहू तुम्हारे लिए लड़कों की कोई कमी है क्या?

मैं- हां मैं देख रही हूँ … तुम जब से आए हो … सोना के साथ रूम में ही हो. मेरे लिए तुम्हारे पास टाइम ही कितना है!
सनी- ऐसा नहीं है बहुत टाइम बाद ऐसे मिलना हुआ … तो उसने मौका जाने नहीं दिया. इसलिए ज्यादा बिजी हो गया था.

मैं- अच्छा और मेरा क्या एक तो मेरा बीएफ नहीं आया … ऊपर से तुम्हारे पास मेरे लिए टाइम नहीं है.
सनी- तुम्हारे लिए ही तो रूका था मैं मेरी जान!
मैं- हां दिख रहा है … कितनी जान हूँ तुम्हारी कि अभी तक दूर बैठे हो.
सनी- अरे ऐसा नहीं है … सच में मैं यहां तुम्हारे लिए ही रूका था.

ऐसा बोलते ही उसने मेरे पास आते ही मुझे पकड़ कर किस करना चालू कर दी मैं टी-शर्ट में थी. उसने टी-शर्ट के ऊपर से ही मेरे बूब्स दबाने चालू कर दिए उसने टी-शर्ट उतारने की कोशिश की … लेकिन मैंने मना कर दिया और बोल दिया- यहां मत उतारो.

उसने बोला- कोई नहीं देख रहा. यहां अपने अलावा 2 ही कपल दिख रहे हैं. वे भी बिजी हैं.

फिर मैंने उससे कहा कि ऊपर ही ऊपर करो, जो करना है … और जल्दी करो, फिर हमें यहां से चलना भी है.



फिर उसने मेरी टी-शर्ट में हाथ डालकर मेरे मम्मों को दबाते हुए कहा- आज बहुत दिन बाद हाथ में आए हैं … थोड़ा ऊपर कर लो टी-शर्ट … मुझे मम्मे पीने हैं.

मैंने भी उसकी जिद मान ली क्योंकि मेरा भी मन हो रहा था कि सनी मेरे मम्मों को जोर जोर से चूसे.

उसने मेरी पैंटी को जांघ के बगल से हाथ लगाकर एक तरफ कर दिया, जिससे मेरी चूत दिखने लगी. सनी ने अपने हाथ से मेरी चुत को सहलाना चालू कर दिया.

मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी … सो मैंने भी उसके बॉक्सर के ऊपर से लंड पड़कर कर बोल दिया- जल्दी करो … निकालो इसे.

फिर सनी ने बॉक्सर की चैन से अपना लंड निकाल दिया, जो कि पूरी तरह तैयार था.

अब उसने ऊपर आने का इशारा किया … लेकिन मैंने उससे बोला कि इधर से थोड़ा आगे चलो, जिससे हमें कोई देखेगा नहीं.
उसने वही किया. हम उठकर कुछ दूर चले गए.

उधर सुनसान था … सनी नीचे लेट गया और मैं उसके ऊपर चढ़ गई.

लंड चुत का मिलन हुआ और धकापेल चुदाई शुरू हो गई.

हम दोनों की ताबड़तोड़ वाली चुदाई करीब दस मिनट चली. सनी अभी लगा हुआ था.

मैंने बोला कि मैं थक गई हूँ … अब रुक जाओ.
उसमें बोला- तुम अपने पैंटी को थोड़ा नीचे कर लो … और घोड़ी बन जाओ.

मैंने ऐसा ही किया, जिससे मैं अपने पैंटी को थोड़ा नीचे करके घोड़ी बन गई और सनी पीछे से लंड पेल कर मेरी चुदाई करने लगा.

हमारी चुदाई करीब 7 मिनट और चली होगी कि हम दोनों ही एक साथ डिस्चार्ज हो गए.

इस तरह की चुदाई का एक अजीब ही मज़ा था, जो चुदाई करने वाले को अपना बना लेता है … जो अपना न होकर भी अपना बन जाए … इसका अलग ही अनुभव था. खुले में समुद्र किनारे चुदाई करने में बड़ा मज़ा आया. इतनी जल्दी में सब हुआ कि पता नहीं चला.

हम दोनों किस करते करते अपने रूम की ओर चल दिए.

वहां से हम सब मिलकर कैसीनो के लिए तैयार होने लगे. सभी लड़कियों ने अल्ट्रा मॉर्डन ड्रेस पहनी थी, जो कि सिर्फ उनके प्राइवेट पार्ट छिपा सकती थी. … बल्कि यूं कहें कि ऐसे कपड़े पहने हुए थे … जिनमें से केवल चूत पूरी तरह से छुप सकती थी और थोड़े बहुत बूब्स … बाकी पूरी तरह खुली किताब थी.

इसी तरह लड़कों के ड्रेस कोड थे, जिसमें सब टी-शर्ट और जीन्स पहने थे. सभी ने मोबाइल रूम में रखना ठीक समझे … क्योंकि वहां अन्दर मोबाइल ले जाने की परमिशन नहीं थी.

अब हम लोग कैसीनो के लिए निकल गए थे. कैसीनो जाने के लिए बोट से जाना होता है. हम सब वोट के जरिए कैसीनो तक पहुंच गए. वहां जाकर हमने एंट्री फीस पे की … और अन्दर चले गए.

ये एकदम मस्त जगह थी, वहां वाइन सिगरेट और जुआ खेलने के लिए एंट्री फ्री में से 2000 रुपए तक का जुआ खेल सकते थे. वहां बहुत सारे गेम्स हो रहे थे. चूंकि हम लोगों में से 4 लोग जुआ खेल पाते थे, इससे हम लोगों ने फैसला किया कि हम चार चार लोगों के ग्रुप में हो जाएं, जिससे एन्जॉय किया जा सके. इस हिसाब से हमने तय किया था कि जीएफ बीएफ यहां साथ नहीं होंगे.

अब हमारे एक ग्रुप में मैं पीहू, अल्पना और सनी और वरुण साथ थे और दूसरे ग्रुप में सोना, रुचि, वरुण और राज थे.

हम सब आपस में बहुत अच्छे दोस्त थे, तो कोई परेशानी होने वाली नहीं थी.

मेरे ग्रुप में मैं और सनी बहुत अच्छा खेल सकते थे … और उनके ग्रुप में राज और रुचि.

फिर हम लोगों ने वाइन से लेकर सिगरेट और खाने पीने के अलावा हमने डांस बार में भी डांस किया, जिसमें मेरे ग्रुप में मैंने और सनी ने … और अल्पना और वरुण ने साथ में डांस किया.

अब बारी जुआ खेलने की थी.

पहले हमने अपने एंट्री कार्ड जो 2000 का था, उससे खेलना चालू किया. हमारे ग्रुप में सनी ने खेलना चालू किया और खेलते खेलते वो तीन लोगों के 6000 रुपए हार गया.

इस पर मैंने सनी से बोला कि अब मुझे किस्मत आजमाने दो.
उसने हामी भर दी.

मैंने खेलना चालू किया, जिससे में खेलते खेलते दो हजार से बीस हजार तक पहुंच गई. हमे खेलते हुए काफी समय हो गया था और मुझे वाइन का नशा भी हो गया था.
तो सनी बोला- बहुत हो गया अब हम लोगों को चलना चाहिए.

हम और सनी ऐसे रियेक्ट कर रहे थे कि जैसे हम लोग आपस में जीएफ बीएफ हों.

जीत की खुशी में मैंने उसे किस करते हुए बोल दिया- डार्लिंग, थोड़ा और खेलने दो ना!

मुझे डर इसलिए नहीं लग रहा था कि मैं सनी को हमेशा से प्यार करती थी और अभी मैं नशे में भी थी, जिससे कोई शक नहीं कर सकता था कि इनके बीच कुछ चल रहा है.
मेरी बात पर सनी बोला कि पूरे रुपए एक साथ लगा दो.

क्योंकि वो चाहता था कि गेम बंद हो जाए. लेकिन मैंने भी सनी को बोला दिया कि तुम सही बोल रहे हो डार्लिंग.

इतना बोलकर मैंने क्वीन पर पूरे बीस हजार लगा दिए मेरी किस्मत आज मेहरबान थी और मैं अब चालीस हजार रुपये जीत चुकी थी. कुछ टाइम तक मैं और सनी खेलते रहे. इस तरह मैं एक लाख बीस हजार रुपए जीत चुकी थी.

अब हम निकलने के लिए तैयार थे. सब लोग नशे में थे, लेकिन मैं रुपए जीतने की खुशी में थी.

फिर हम कुछ बियर लेकर रिजॉर्ट में जाने लगे, जहां हम आज रात ही रुकने वाले थे. कल हम लोगों को यहां से निकलना था
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#10
कुछ ही देर में हम सब लोग रिजॉर्ट पहुंच गए. उधर कुछ टाइम तक हम लोग जुआ में खेलने का अनुभव शेयर करते रहे. मेरे अलावा कोई रूपए नहीं जीत सका था.

हम सब खुश थे कि हम रुपए जीत गए. जिससे ज्यादा एन्जॉय किया जा सकता था.

फिलहाल रात के करीब 12 बज चुके थे. इसलिए ये तय हुआ कि सब अपने रूम में जाएं. मुझे राज के साथ रूम में जाना था. बाकी सब लोग अपने रूम में चले गए.

रूम में जाते ही:

राज- अच्छा हुआ कि तुम रुपए जीत गईं. अब हम थोड़ा और एन्जॉय कर लेंगे.
मैं- हां यार राज … अब तो मन हो रहा है कि एक दिन और रुक जाएं.
राज- ठीक तो है रुक सकते हैं. अब रुपए भी हैं और अच्छे से घूम भी लेंगे. वैसे तुम्हारी किस्मत बहुत अच्छी है.

मैंने निराश होकर कहा- कहां अच्छी किस्मत है. देखो मेरा बीएफ साथ नहीं आ पाया … रुपए जीतने से क्या होता है. वैसे अब मैं जीत गई हूं. तो कल मैं टैटू बनवाने जाऊंगी और साथ में स्पा ट्रीटमेंट भी लूंगी.
राज- अच्छा … मतलब सारे रुपए अपने आप पर ही ख़र्च करोगी?
मैं- अरे नहीं … तू भी चलना साथ … वैसे भी तू ही तो मेरा यहां एक सहारा है.

राज- हां पता है … कितना मानती है तू मुझे! मुझे छोड़ छोड़कर अपनी फ़्रेंड्स के पास भाग जाती है और यहां मैं अकेला रह जाता हूं. वैसे तू टैटू कहां बनवाएगी?
मैं- कहां बनवा लूं तू ही बता दे … वहीं बनवा लूंगी.

इतना बोलकर मैंने उससे बोला- चल पहले तू बाथरूम में जाकर चेंज कर ले … मैं यहां कर लेती हूं.

वो बाथरूम में घुस गया और चेंज करने लगा. मैंने अपनी नेट वाली नाईटी पहन ली, जिसने अन्दर मेरे ब्रा पैंटी दिख रहे थे.

कुछ देर बाद राज आ कमरे में आ गया.

मुझे देख कर उसका पहला रिएक्शन था- नाइस सेक्सी नाईटी!
मैं- थैंक्स यार … हां तू अब बता … कहां बनवा लूं मैं टैटू … और तू भी मेरे साथ बनवा लेना. मैं कल पूरा तेरा पेमेंट करूंगी.
राज- थैंक्स पीहू … लेकिन मैं जहां बोलूंगा … तू उधर बनवाएगी नहीं.

मैं उसका हरामीपन समझते हुए हंस दी.

मैंने उसे बिस्तर में लेटने का इशारा किया.

अब हम दोनों बिस्तर पर अपनी अपनी जगह ले चुके थे और लेटे हुए बातें कर रहे थे.

मैं- बोल तो सही यार … तू जहां बोलेगा वहीं बनवा लूंगी.
राज- बुरा तो नहीं मानोगी न प्रॉमिस करो.
मैं- अच्छा बाबा … प्रॉमिस. वैसे भी मैं आज बहुत खुश हूं.
राज- तुम अपनी गांड पर लिप बाईट बनवाओ … तुम्हारी गोरी गांड पर बहुत शानदार लगेगा.

मैं राज के ऐसे बोलने पर शॉक्ड थी, लेकिन क्या कर सकती थी, प्रॉमिस जो किया था. हालांकि मैं मन ही मन खुश भी थी कि धीरे धीरे राज मेरे साथ ओपन हो रहा है.

मैंने बोला- मैं वहां पर किसी को दिखा नहीं पाऊंगी यार … और तुम्हें कैसे पता कि मेरी वो जगह गोरी है.
राज- तुम इतनी गोरी हो तो तुम्हारी गांड भी गोरी होगी … और वहां टैटू देखकर तुम्हारा बीएफ खुश हो जाएगा. वैसे भी तुम्हें किसे बताना है. मुझे तो तुम केवल फ़ोटो में दिखा देना.
मैं- ऐसा नहीं होता यार … दिखाने के लिए तो टैटू बनवा लूं … लेकिन तुम बोल तो सही रही हो कि बीएफ खुश हो जाएगा. चलो कल देखते हैं कि कहां बनवाना है.

फिर मैंने थोड़ा और खुलने की कोशिश की और राज को बोला कि मैं स्पा जाऊंगी … तुम चलना पसन्द करोगे या फिर तुम्हें कोई सर्विस गर्ल मंगवा दूं क्योंकि तुम्हें इसकी ज्यादा जरूर है.
और इतना कहकर मैं हंसने लगी.

राज- मुझे तो ऐसे कामों में यार डर लगता है … मगर तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मुझे लड़की की जरूरत है?
मैं- मैं बीच पर देख रही थी कि कैसे तुम्हारा उठ रहा था. और इसमें डर कैसा … यहां सब लीगल है.
राज- अच्छा, तुम अभी तक वो बात याद रखे हो … अच्छा तुम बोलती हो तो कल देख लेंगे.

इतना बोलकर उसे अपना लंड अपने कच्छे में मसलना चालू कर दिया, जिस पर मेरा रिएक्शन आ गया था.

मैं- ये तो कल की सुनकर अभी से तैयार है.
राज- हां यार … जब से आया हूं, तब से ही ये परेशान कर रहा है.
मैं- जाओ बाथरूम, हाथ से कर आओ.
राज- नहीं अभी मुझे हाथ से नहीं करना … कल उसी की चूत में रस निकालूंगा.

मैं राज के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर गर्म होने लगी थी- ओह्ह … मतलब कल तो पक्के में किसी को बुलाना पड़ेगा.

राज- हां प्रॉमिस करो.
मैं- ओके प्रॉमिस.

इतने में मेरा फ़ोन आ गया. मैंने देखा कि मेरे बीएफ का कॉल था.

ये देख कर मैंने राज से चुप रहने को बोला और कॉल रिसीव की. हम दोनों अभी भी पलंग पर लेटे हुए थे. फिर मैंने राज को इशारा करते हुए बोला कि लाइट ऑफ कर दो.
राज ने ऐसा ही किया.

फिर मैं और मेरा बीएफ राहुल फोन पर बातें करने लगे. अभी भी मैं और राज बेड पर लेटे थे.

राहुल- कैसी हो?
मैं- बढ़िया हूँ … तुम बताओ.
राहुल- मैं भी ठीक हूं … तुम्हारी याद आ रही थी. तुम तो वहां जाकर मुझे भूल ही गई.
मैं- अच्छा … कितनी याद आ रही है और तुमने ही मुझे धोखा दिया … साथ नहीं आए. मैं यहां अकेली रह गई.

राहुल- वहां तुम्हारे साथ में इतने दोस्त तो हैं … और डार्लिंग मेरी मजबूरी थी … वरना मैं जरूर वहां तुम्हारे साथ होता. मुझे आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है.
मैं- अच्छा ऐसा है जानू … कोई बात नहीं मैंने तुम्हें माफ किया, लेकिन तुम आज दो दिन में मुझे कॉल कर रहे हो … पता है न!
राहुल- मैं तुम्हें डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था यार … आई लव यू.
मैं- आई लव यू टू जानू मैं भी तुमको बहुत मिस कर रही हूँ.

राहुल- अच्छा … तुम तो मुझे मिस भी कर रही हो … अच्छा ये बताओ तुम अभी क्या कर रही थी … और एन्जॉय किया कि नहीं! अभी तुम्हारे साथ में और कौन है!
मैं- हां … तुम नहीं आए वरना बहुत एन्जॉय करती. मैं अभी भी कर रही हूं … पर उतना नहीं जितना तुम्हारे साथ कर सकती थी. अभी तो बस लेटी हूँ यार … कोई नहीं है … मैं अभी अकेली हूँ. बस साथ में रुचि है. अब तो वो भी सो गई है. डियर मैं तुम्हें एक बात बताना भूल गई. आज जब मैं कैसीनो गई थी, तब वहां मैंने एक लाख बीस हजार रुपए जीते थे.



मैंने राहुल को झूठ बोल दिया वरना उसे बुरा लग सकता था कि मैं राज के साथ बेडरूम शेयर कर रही हूं और अगर सच बोल देती, तो शायद वो मुझसे बात भी नहीं करता.

राहुल- वाऊ … अब आगे का क्या प्लान है?
मैं- कुछ नहीं यार … जैसा सब बोलेंगे, वैसे ही होगा … और इधर सब आपस में ही बिजी हो जाते हैं … और मैं अकेली रह जाती हूं … अभी सब बिस्तर में मजे कर रहे होंगे.
राहुल- सॉरी बाबा … मेरी वजह से तुम्हारा एन्जॉय अधूरा रह गया … अच्छा चलो मुझे किस्सी दो.
मैं- उम्माह.
राहुल- मु … उम्माह … मिस यू जान … तुम्हारी किस्सी ने तो मेरा लंड खड़ा कर दिया है.

हम दोनों की बातें राज बड़े गौर से सुन रहा था. उसने मुझसे लाउडस्पीकर पर करने के लिए इशारा भी किया था. लेकिन मैंने मना कर दिया था.

मैं- अच्छा अभी खड़ा मत करो. उसे बोलो कि अभी उसे कुछ नहीं मिलने वाला है.
राहुल- क्यों नहीं मिलने वाला … वो तो अपनी जानू से किस मांग रहा है. वैसे मेरे लंड को क्या नहीं मिलेगा?
मैं- अच्छा अभी तो किस्सी दी थी … और कुछ नहीं मिलेगा … अभी उससे बोल दो कि तुम्हारी जानू दूर है.
राहुल- अरे इमेजिन करो न जान … बोलो क्या नहीं मिलेगा!
मैं- क्या इमेजिन करूं जान!
राहुल- यही कि तुम और मैं साथ में हैं और तुम मेरा लंड चूस रही हो … मैं तुम्हारी चूत.

इतना सुनते ही मेरे शरीर में अजीब सी झुरझुरी सी उठ गई.

मैं- अभी नहीं जानू वरना फिर कौन संभालेगा मुझे … तुम तो मुझे गर्म करके छोड़ दोगे.
राहुल- प्लीज़ करो न … देखो मैं तुम्हारी चुत चाट रहा हूँ … अपनी ठीक से खोलो न!
मैं- ओह्ह जान खुली पड़ी है और जोर से करो न..

इतना बोलते ही मैंने अपने पैर फैला लिए. मेरा एक पैर राज के ऊपर आ गया और एक हाथ मेरा अपनी पैंटी के अन्दर चला गया. यह सब राज देख रहा था और सुन भी रहा था. वो भी मुझे देखकर अपना लंड चड्डी में मसल रहा था.

ऐसे ही मैं और राहुल फ़ोन पर सेक्स करते रहे. तभी अचानक राज ने मेरी पैंटी निकाल दी और मेरा हाथ हटाकर अपने हाथ से मेरी चुत को सहलाने लगा. उसने अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ में पकड़ा दिया.

मैं फ़ोन सेक्स कर रही थी, तो मैं राज से कुछ नहीं बोल सकती थी … वरना राहुल सुन लेता.

मुझे भी लंड की जरूरत थी, तो मैंने भी राज के लंड को अपने हाथ से हिलाना चालू कर दिया. अब मैं फ़ोन पर राहुल को बोल रही थी- जानू प्लीज़ मेरी चुत चाटो न!
वहां राहुल बोल रहा था- हां जानू अपनी चूत खोलो.
और यहां राज मेरी चूत चाटने में लगा हुआ था.

मेरे मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- ओह्ह जान … और जोर से चाटो न …

ये बड़ी मस्त बात थी कि मैं फ़ोन पर जो राहुल को करने को बोलती, वो यहां मेरे साथ राज कर रहा था. मैं उसे रोक भी नहीं सकती थी.

फ़ोन पर में राहुल का लंड चूस रही थी और यहां मुझे राज के लंड को प्यार करना पड़ रहा था.

अब मैंने राहुल को बोला- जानू, अब लंड डाल दो.

ये कह कर मैंने यहां अपनी टांगें चौड़ी करके राज को ऊपर आने का इशारा कर दिया.

राज ने अपना लंड मेरी चूत पर लगाकर अन्दर कर दिया और मेरी चुदाई करने लगा.

मैं फ़ोन पर राहुल से सेक्स कर रही थी और रूम में रियल में राज से चुद रही थी. जिससे मेरी सही में चुदाई के मजे लेते वक्त जैसी आवाजें निकल रही थीं- आंह और जोर से चोदो मेरी जाना.

कुछ देर बाद राज ने मुझे घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आकर मुझे चोदने लगा. अब मैं फोन की जगह खुल कर लंड से चुत चुदाई के मजे लेने चाहती थी. तो मैंने राहुल से फ़ोन कट करने का बोल दिया. क्योंकि राहुल के लंड का भी हिलाते हिलाते पानी निकल चुका था.

फोन कटा, तो मैं पूरी मस्ती से अच्छी तरह से चुदाई की ओर ध्यान देने लगी. लेकिन कुछ ही टाइम में राज के लंड का पानी निकल गया और हम दोनों लेट गए. मेरी ये पहली चुदाई थी, जिसमें मैंने कोई किस नहीं किए और न ही मुझे चोदने वाले ने मेरे बूब्स दबाए थे.

झड़ने के बाद राज ने मुझे सॉरी बोला.

मैं- कोई बात नहीं … गलती मेरी है … मुझे बात करने कहीं और जाना था.
राज- मैं तुम्हें तड़पते हुए नहीं देख पाया और तुम्हारी बातें सुनकर मेरा भी खड़ा हो गया था.
मैं- कोई बात नहीं … लेकिन तुम प्रॉमिस करो कि ये बात हम लोगों के बीच ही रहेगी.
राज- प्रॉमिस … मैं किसी को नहीं बताऊंगा … वैसे ये चुदाई तुम्हें कैसी लगी?

अब मैं भी बेशर्म बन गई और बोल दिया- चुदाई तो अच्छी ही लगती है … वैसे क्या तुमने आज पहली बार चुदाई की है?
राज- नहीं मैं कई बार चुदाई कर चुका हूं. … क्या हुआ … पसन्द नहीं आई क्या!

मैं- तुमने न तो किस की … न बूब्स को छुआ … डायरेक्ट चुत में लंड अन्दर कर दिया … तुम इस खेल के नए खिलाड़ी लगे.
राज- ओह्ह सॉरी … वो मैं जल्दी जल्दी में भूल गया … औऱ तुम्हारे फ़ोन के कारण हम किस तो कर ही नहीं सकते थे न!
मैं- ओह हां ये तो मैं भूल ही गई … कोई बात नहीं.

हम दोनों अभी उसी हालत में लेटे थे, जैसे पहले थे. बस अंतर इतना था कि उसकी और मेरी चड्डी उतर गई थी. फिर उसने बातों बातों में फिर से मेरी चूत को अपने हाथ से सहलाना चालू किया.

उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
लेकिन मैंने उसका हाथ हटा दिया और दुबारा चुदने से मना कर दिया क्योंकि मैं चुदाई इसलिए नहीं करना चाहती थी क़ि उसे ये ना लगे कि मैं यही तो चाहती थी.
उसे बस ये लगना चाहिए था कि सब कुछ अचानक एक हादसे में हो गया.

पर वो भी कहां मानने वाला था. उसने बहुत मिन्नतें की … लेकिन मैंने उसकी न सुनी और सोने के लिए बोल दिया. मैंने अपनी पैंटी पहन ली. तब भी उसने मुझसे एक बात मनवा ली कि वो मुझे किस करेगा और मेरे मम्मों को दबा कर मजा लेगा. मैंने उसे इसकी परमिशन दे दी.

कुछ 10-15 मिनट में मैं राज के किस और उससे मम्मों को दबवाने का मज़ा लेती रही. बस फिर हम बातें करते करते सो गए.

सुबह उठ कर हम सभी ने वापस जाने की तैयारी की और एक लम्बे सफ़र के बाद हम सभी वापस आ गए.

The end


V

[Image: 9k277p.gif]




B












B


[Image: 9k277p.gif]

N
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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