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मेरी चचेरी विधवा बहन की कामुकता
#1
मेरी चचेरी विधवा बहन की कामुकता


[Image: 9coxe8.gif]



















 xx



 xxx
10 साल पहले अंजलि दीदी 24 साल की खूबसूरत नैन नक्श और शरीर वाली, स्वाभाव से थोड़ा मुंहफट और कामुक लड़की हुआ करती थी. खूबसूरत थी और गुस्सैल भी; 5 फुट 5 इंच लम्बाई, इकहरी काया, गोरा गुलाबी रंग, काली आँखें, गुलाबी होंठ, 34″बी कप साइज़ के स्तन; 28″ कमर. 36″ नितम्ब!

2 साल बाद 26 वर्ष की उम्र की अंजलि दीदी की शादी हो गयी. पति के साथ अंजलि दुनिया की सैर कर रही थी और अपने मदमस्त यौवन को जम कर लुटा रही थी. पति पैसे वाला और सीधा था. जवान अंजलि अपने ग़ुस्सैल रवैये से अपने पति पर हावी रहती थी और मनचाहा काम लेती थी. रात में किसी बिगड़ैल जंगली घोड़ी की तरह पति से लगातार घण्टों सेक्स करती थी.
मेहनती और काबिल पति की वजह से जल्दी ही अंजलि के पास लाखों का बैंक बैलेंस भी हो गया था. खूब खुश थी अंजलि.


पर अचानक…
जैसे अंजलि दीदी की खुशियों को किसी की नजर लग गई, शादी के 3 साल बाद भरे यौवन में 29 साल की जवान और हसीन औरत अंजलि विधवा हो गयी.


इसके 6 महीने बाद एक फैमिली फंक्शन में मैंने अंजलि दीदी को देखा. वो चुपचाप एक कोने में खड़ी थी. उसे सफ़ेद साड़ी में देख कर मुझे बुरा लगा. अंजलि दीदी की पीठ मेरी तरफ थी. पहले के मुकाबले वो काफी गदराई लग रही थी. झीनी जॉर्जेट की सफ़ेद साड़ी में अंजलि की बॉडी का पूरा शेप समझना आसान था.
मैंने गौर किया कि अंजलि दीदी के चूतड़ चौड़े और भारी हो गए थे. 29 साल की इस जवान औरत अंजलि के करीब 40 इंच के टाइट, चौड़े, गदराए, चर्बी चढ़े भारी नितंबों को उसकी छोटी सी पैंटी संभाल पाने में असफल हो रही होगी. ऊपर चिकनी पीठ और उस पर सफेद ब्लाउज, उसके अंदर दिखती अंजलि की ब्रा. शायद कोई इम्पोर्टेड ब्रांडेड ब्रा थी.


विधवा होने पर भी इतनी डिज़ाइनर और ब्रांडेड ब्रा? मैं सोच में डूब गया.
बाद में दीदी के हुई बातचीत में अंजलि ने बताया कि वो पड़ोस के शहर में एक प्राइवेट कॉलेज में इंग्लिश टीचर है और वहां टू रूम फ्लैट में अकेली रहती है.


3 महीने बाद मुझे उस शहर में जाना पड़ा, मैंने अंजलि दीदी को फ़ोन किया तो वो 10 बजे सुबह मुझे लेने बस स्टॉप आई. हम दोनों उसकी कार से उसक फ्लैट पहुंचे. हम दोनों रूम में आ गए. अंजलि बोली- तुम आराम करो, मुझे कॉलेज जाना है अर्जेंट काम से; मैं 2 घंटे बाद आ जाऊंगी.
अंजलि चली गयी.


जून का महीना था, दोपहर होने वाली थी, 11 बज रहे थे. हर जगह सन्नाटा था.
मैं बाथरूम गया, बाथरूम उस विधवा के मेकअप के सामान से भरा पड़ा था. हैंगर में एक जॉकी की पैंटी टंगी थी. जिसका साइज 90 सेंटीमीटर था. बाथरूम में ब्रांडेड क्रीम, हेयर रेमूवर्स, मसाज क्रीम और कई तरह के परफ्यूम थे.
अंजलि दीदी जवान खूबसूरत शौक़ीन औरत थी.


1 बजे के करीब अंजलि आ गयी और मुझे देखकर मुस्कुराई बोली- बहुत गर्मी है… नहा कर आती हूँ, फिर कुछ खाएंगे… तब तक तुम दूध पीना चाहो तो पी लो… फ्रिज में रखा है.
मैंने कहा- पहले तुम नहा लो, फिर आराम से दूध पिलाना.
अंजलि मुस्कुरा कर बोली- मारूँगी शैतान बच्चे!
और बाथरूम में चली गयी.



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बाथरूम में पानी गिरने की आवाज़े आने लगी. मैं बेड पर लेटा उन आवाज़ों को सुन कर ख्यालों में डूब गया. एक गोरी जवान और गदराई विधवा बिल्कुल नंगी इस कमरे के अटैच्ड बाथरूम में नहा रही है और यहाँ मेरे अलावा और कोई नहीं है.
फ़िर मैं बैठ गया, मैंने देखा कि बाथरूम के दरवाजे में छेद था। मैंने जब उस छेद से अन्दर देखा तो मेरे होश उड़ गये। जवान विधवा अंजलि अपने हाथ से अपनी चूत को सहला रही थी। यह देख कर मैं पागल हो गया, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।


फ़िर मैंने देखा कि दीदी अपने हाथों से अपनी चूचियाँ सहला रही थी, उसके चेहरे के भाव देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया, मैं भी अब अपने लंड को सहला रहा था।
मैं फ़िर से अंदर देखने लगा। मुझे यकीन नहीं हो रहा था विधवा दीदी ऐसे भी कर सकती है। तन मैंने सोचा कि हर लड़की के नादर कामुकता तो होती ही है, उसे सेक्स की चाहत होती है।
फ़िर उसने अपने चूतड़ों को सहलाया। फ़िर दीदी शावर चला कर नहाने लगी।


मैं बाहर जाकर बैठ गया, वो ब्लाऊज पेटीकोट पहन कर जैसे ही बाहर आई, मैंने अपने लंड को सहलाया, उसने मेरे लंड के तरफ़ देखा और दीदी बाहर की ओर जाने लगी, मैं भी दीदी के पीछे पीछे गया, फ़िर मैं हिम्मत करके दीदी के कंधे पर हाथ लगाने लगा, दीदी तौलिये से बाल सुखाने लगी थी।
मैंने कहा- दीदी, लाओ मैं पीछे से बाल सुखा देता हूँ।


फ़िर मैं तौलिये से दीदी के बाल सुखाने लगा। मैं बीच बीच में दीदी की नंगी गोरी पीठ पर हाथ फिराने लगा. फिर दीदी की बगल से हाथ फिराते फिराते मैं उनकी चुची पर ले गया। वो समझ गई कि मैं क्या चाहता हूं. दीदी ने मुझे नहीं रोका तो फ़िर मैं दीदी की चुची को दबाने लगा। दीदी दिखावे के लिए मेरे हाथ हटाने लगी लेकिन मैंने दीदी को पकड़ा और उसके स्तनों को दबाने लगा।
वो मदहोश होने लगी। मैं दीदी के नंगे पेट पर भी हाथ फिराने लगा।


दीदी की कामुकता जागृत होने लगी. मैंने अपनी एक उंगली दीदी की नाभि में घुसा दी. और अपना एक हाथ दीदी के पेटीकोट के नाड़े के अंदर घुसाने लगा. नाड़ा ज्यादा कसा नहीं था तो मेरा हाथ पेटीकोट के अंदर चला गया. दीदी ने पेंटी पहनी हुई थी लेकिन बहुत छोटी सी, दीदी की चूत का छोटा सा हिस्सा ही पेंटी से ढका हुआ महसूस हो रहा था.

मैं पेंटी के ऊपर से चूत सहलाने लगा तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पेंटी के अन्दर डाल दिया, मैं दीदी की चूत को सहलाने लगा, दीदी गर्म हो चुकी थी। यह सब मैं दीदी के पीछे खडा होअक्र ही कर रहा था. फ़िर मैं दीदी की गर्दन को चूमने लगा, दीदी पीछे चेहरा घुमा कर मुझे चूमने लगी। मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया। दीदी घूम कर मेरे सामने आ गई और मेरे लंड को जम कर दबाने लगी.
और फ़िर वो नीचे बैठ गई, मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरा छह इंच लंबा लंड बाहर निकाल लिया.


दीदी तो मेरा मोटा लंड को देख कर जैसे पागल सी हो गई, वो बोली- भाई यह मोटा लंड अगर मेरी चूत में घुस गया तो मैं तो मर जांऊगी।
मैंने कहा- मेरी प्यारी दीदी, पहले इसे मुँह में तो ले कर चूसो!
दीदी बड़े प्यार से मेरे लंड को अपनी जीभ से चाटने लगी। मेरे मुँह से आवाज़ आने लगी- सिसकारियां निकलने लगी- ओह दीदी, अच्छा लग रहा है… पूरा लंड मुंह में ले लो ना!


तभी दीदी की आवाज आई- क्या सोच रहे हो?
मैं चौंक कर अपने ख्यालों से बाहर आया- कुछ नहीं दीदी… कुछ नहीं बस ऐसे ही.
मुझे अपने ऊपर बह्बुत शर्म आई कि मैं ये सब क्या सोच रहा था. ख्यालों में ही दीदी की चुत सहला दी और दीदी को लंड चुसवा दिया.


दीदी के आने से पूरे कमरे में परफ्यूम की भीनी भीनी खुश्बू फ़ैल गयी थी. दीदी मेरे सामने खड़ी थी. चटक लाल रंग का रीबॉक का लोअर जिसमें से उनकी पैंटी की इलास्टिक दिख रही थी. ऊपर आसमानी रंग का टीशर्ट. भीगे बाल, हल्के गुलाबी होंठ, मादक आँखें!
“मैं खाना लगा रही हूँ.” कह कर मुस्कुराते हुए अंजलि दीदी किचन में चली गयी.


दीदी ने खाना लगाया, हम दोनों ने खाया, खाना खाते खाते मैं दीदी के सेक्सी बदन को, उनकी चूचियों को ही घूरे जा रहा था, दीदी भी मेरी इस हरकत को नोटिस कर रही थी.

तभी दीदी का फोन बज उठा, दीदी ने फोन उत्जा कर देखा और उनकी त्यौरियाँ चढ़ा गई, वो फोन लेकर अंदर चली गई, अब किसी से फ़ोन पर गुस्से में बात कर रही थी, चिल्ला कर बोल रही थी, बिलकुल बिगड़ैल जंगली घोड़ी लग रही थी. गुस्से में फ़ोन बिस्तर पर पटक कर दीदी बाहर आई और बोली- मेरी सास ने बुलाया है… यहीं शहर में… बोली हैं कि सफ़ेद साड़ी पहन कर आओ.

कुछ देर बाद अंजलि दीदी बगल वाले रूम में तैयार होने चली गयी. गुस्से में अंजलि कुछ बड़बड़ाती जा रही थी और इसी वजह से कमरे की कुण्डी भी नहीं लगाईं थी. मैं बस अब अंजलि के जवान बदन को बिल्कुल नंगा देखना चाहता था.
मेरे पास ज्यादा समय नहीं था अब… मैं बंद दरवाज़े से सट कर खड़ा हो गया और अंजलि के पूरी नंगी होने के सही टाइम का अंदाज़ा लगाने लगा.


1. लोअर उतारा होगा.
2. टीशर्ट उतर गयी होगी… अब अंजलि सिर्फ ब्रा और पैंटी में होगी.
3. पैंटी भी उतार दी होगी.
4. ब्रा खोल रही होगी.
अब एक गदराई जवान खूबसूरत विधवा नंगी हो चुकी होगी.
यही वक़्त है. 1… 2… 3…
मैंने झटके से दरवाज़ा खोल दिया. 


मेरे होश उड़ गए…. अंजलि बेड पर अपनी जाँघें फैलाए पड़ी थी, उसने टॉप पहना हुआ था मगर लोअर उतारा हुआ था, पंत्य्य नीचे सरकी हुई थी और अपनी चूत में एक डिल्डो अंदर बाहर कर रही थी.

मुझे देखते ही दीदी चिल्लाई- ये क्या बदतमीज़ी है? नॉक करना नहीं आता तुम्हें?
अपनी पैंटी ऊपर करते हुए बोली अंजलि दीदी.
“सॉरी… वेरी सॉरी…” मैं सकपका गया- दीदी, मैं तो ये कहने आया था कि अगर आपने जाना है तो मैं भी चला जाता हूँ.


अंजलि थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- मैं नहीं जा रही कहीं…
अंजलि दीदी को मुस्कुराती देख मेरी जान में जान आई मैं कुछ बोल पाता कि वो फिर बोल पड़ी- देखो… घबराओ मत, मुझे भी आज किसी की जरूरत है… कितने समय से बस इस डिल्डो से मास्टरबेट कर रही हूँ. आज तुम यहाँ हो तो… समझ गए ना? पर किसी से कुछ कहना नहीं… समझे.
मैंने हाँ में सिर हिलाया.


अंजलि ने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी बड़ी गांड को मटकाते हुए मुझे बगल वाले कमरे में ले चली. बिस्तर पर नर्म गद्दा था, बिस्तर पे ए सी का रिमोट पड़ा था, अंजलि ने रिमोट से ए सी चालू किया और मुझे बिस्तर के ऊपर धक्का दिया. मैं गिरा और पूरी नंगी अंजलि मेरे ऊपर आकर चढ़ गई और मेरे होंठों को चूमने लगी.

कुछ देर बाद हम दोनों 69 पोजीशन में आ गए, मैंने पहले अंजलि की चूत पर पैंटी के ऊपर से ही किस किया, उसमें से हल्की सी खुशबू आ रही थी जो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी थी.
मैंने अपनी उँगलियों से पैन्त्य्य एक तरफ सरका के अपनी जीभ जैसे ही चूत पर लगाई, अंजलि कराह उठी. उसने मेरी पैन्ट खोल कर मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे मुख में लेकर कुल्फी की तरह होंठों से चूसने लगी.


इधर मैंने दीदी की चूत में जीच से चाटा और उधर अंजलि दीदी ने मेरा आधा लंड अपने मुख में भर लिया. मैंने दीदी की पैंटी पूरी उतार दी और अपनी एक उंगली अंजलि की गांड के छेद पर रख दी और उसे दबाते हुए चूत को चाटने लगा.
अंजलि ने मेरे आधे लंड को हाथ से पकड़ा हुआ था और बाक़ी का आधा लंड अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूस रही थी.


आनन्द के मारे मेरे तो होश उड़ चुके थे, अंजलि दीदी को चोदने का जो सपना मैं कुछ देर पहले ख्यालों में देख रहा था, वो अब साकार जो होने को था!

अंजलि मेरे लंड के चुस्से लगाती रही और मैंने दीदी की गोरी चूत को चाट कर लाल कर दिया था. मैंने अंजलि दीदी की गांड में उंगली कर कर के उसे ज्यादा उत्तेजित कर दिया था, अब हम दोनों भाई बहन रियल सेक्स के लिए एकदम तैयार थे.

अंजलि दीदी ने मेरे लंड को मुख से निकाला और बोली- चल भाई, अब दे ड़े अपनी दीदी को असली चुदाई के स्वर्ग का आनन्द!
मैं उठा अपने पूरे कपडे उतारे, इतनी देर में दीदी ने अपने सारे कपडे उतार दिए थे, दीदी ने बिस्तर पर लेट कर अपनी दोनों टाँगें खोली और चूत का फाटक मेरे सामने खोल के रख दिया.


अंजलि दीदी की की चूत मेरी नज़रों के सामने थी जिसको मैं अभी कुछ पला पहले चाट चाट कर गर्म कर चुका था, मेरे चाटने से पूरा चूत लाल हुई पड़ी थी.
अंजलि दीदी ने अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर सेट किया.


मैं नीचे झुका और अंजलि दीदी के होंठों पर अपने होंठ लगा दिये, अंजलि के होंठ चूसते हुए मैंने अपने कूल्हों से एक झटका दिया तो मेरा लंड बिना किसी मुश्किल के दीदी की चूत के अन्दर आधा घुस गया.
अंजलि दीदी चुदाई के मामले में पूरी अनुभवी थी, चूत में लंड घुसते ही वो मुझे और भी सेक्सी तरीके से चूमने लगी. हम दोनों की जीभ एक दूसरे से लड़ने लगी थी.


तभी मैंने एक और झटका मारा और इस दूसरे झटके में मेरा लंड पूरा मेरी दीदी अंजलि की चूत में था.
मैंने एक मिनट तक लंड को चूत के अंदर ऐसे ही रहने दिया, ऐसा करने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था, दीदी की गर्म चूत मेरे लंड को दबा रही थी.
अब मैं धीरे धीरे लंड को दीदी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. अंजलि दीदी की गीली चूत में लंड हिलाना बड़ा मजेदार था.


अंजलि दीदी सिसकारियाँ भर रही थी, कराह रही थी- चोद मेरे भाई… जोर जोर से मेरी प्यासी चूत को चोद! उम्म्ह… अहह… हय… याह… जोर जोर से! बहुत मजा आ रहा है.
“ये लो… ये लो… पूरा मजा लो दीदी, ये ले लो अपने भाई का लंड अन्दर तक!” मैं भी कस कस के अपना लंड दीदी की चूत में ठोक रहा था. भी बहन की जांघों के आपस में टकराने से कमरे में फच फच पट पट की आवाजें अंजलि दीदी और मेरी चुदासी आवाजों से मिक्स हो रही थी.
“अह्ह्ह ऊऊऊह अह्ह्ह ह्ह…’ दीदी की चुदास, कामुकता बढ़ रही थी.


मैंने अंजलि दीदी के मांसल कंधों को अपने दोनों हाथों से जकड़ लिया और दीदी को जोर से चोदने लगा. अंजलि दीदी की साँसें उखड़ चुकी थी. और दीदी ने तभी मेरे लंड पर चूत के होंठों का दबाव बना दिया.
दीदी झड़ने को थी, एक लम्बी सांस के साथ मैंने भी अपना पानी दीदी की झड़ रही चूत में निकाल दिया. अंजलि दीदी की चूत ने मेरे लंड पर जकड़ बनाये रखी और वो भी मेरे साथ झड़ गई!
मेरे वीर्य की एक एक बूंद की दीदी की गर्म चूत में निकल गयी और तब दीदी ने मेरे लंड को अपनी चूत की गिरफ्त से आजाद किया. मैंने लंड बाहर निकाला और दीदी के चेहरे को देखा, उनकी आँखों में संतुष्टि के भाव थे और मैं तो खुश था ही अपनी दीदी को चोद कर!

कुछ देर ऐसे ही बिस्तर पर लेटे रहने के बाद अंजलि बोली- यार, बहुत दिन बाद चुदाई की आज… मजा आ गया… तुझे भी मजा आया ना?
मैंने हाँ में सर हिला कर दीदी की बात का जवाब दिया और वहीं नंगी दीदी के बगल में लेट गया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
Achievements of your life and your family
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#3
बीवी की शादीशुदा बड़ी बहन की चुदाई








Sleepy
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#4
बीवी की शादीशुदा बड़ी बहन की चुदाई




[Image: bhai-bahan-xxx-pic.jpg]
बड़ी बहन ने छोटे भाई को साथ सुलाई छोटे ने दीदी को ही चोद दिया


जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
कुछ महीने पहले की बात है, मेरी वाइफ की बड़ी बहन ममता छुट्टियों में हमारे साथ रहने के लिए मेरे घर लखनऊ आई थीं.
दीदी मेरी पत्नी कविता से 4 साल बड़ी हैं.

ममता दीदी के बारे में मैंने कभी ग़लत नहीं सोचा था.
हमारा रिश्ता भाई बहन की तरह था और मैं उन्हें दीदी ही बोलता था, अब भी उन्हें दीदी ही कहता हूँ.



[Image: bahan-ko-laga-chuai-ka-chaska]
बस हमारे बीच बस थोड़ा बहुत हंसी मज़ाक हो जाता था, पर अब तो सब कुछ खुल्लम खुल्ला होने लगा है.
ममता दीदी का फिगर भी मेरी वाइफ के जैसा ही है लेकिन दीदी के बूब्स बिल्कुल गोल और कड़क हैं. उनकी गांड भी मेरी वाइफ से थोड़ी बड़ी है.
उस दिन मैं रात 9 बजे क्लिनिक से काम खत्म करके घर आया तो नौकरानी ने दरवाजा खोला.
मैंने उससे पूछा- मैडम कहां हैं?
उसने जवाब दिया- सर, वे ऊपर नहा रही हैं.

मैं सीधा ऊपर आया, कपड़े चेंज किए और उसके बाथरूम से निकलने का इंतजार करने लगा.
बाथरूम से पानी टपकने की आवाज़ आ रही थी.

करीब 10 मिनट बाद आवाज़ बंद हुई, तो मैंने सोचा कि वाइफ को सर्प्राइज़ देता हूँ.
मैं बाथरूम के दरवाजे के बाजू में छुपकर खड़ा हो गया.

जैसे ही वह बाथरूम से तौलिया लपेटे हुई निकली, मैंने पीछे से उसे दबा लिया और अपने दोनों हाथ सीधे उसके मम्मों पर ले गया.
मैंने उसकी तौलिया खोल दी और अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख कर बूब्स दबाने लगा.

यह सब इतना जल्दी हुआ कि वह कुछ समझ ही नहीं पाई.
उसके मुँह से बस चीख निकली- अरे … क्या कर रहे हो?
आवाज सुनकर मैं भी एकदम सन्न रह गया कि अरे ये तो कविता (वाइफ) नहीं है. ये तो ममता दीदी हैं … ये कब आईं?
मैं शर्मा कर झेंपता हुआ बोला- सॉरी दीदी … आप … व…वह मैं समझा कि कविता है!
उन्होंने कुछ नहीं बोला.
मैं अपने रूम में चला गया.

मैं सोच रहा था कि वे मेरे बारे में क्या सोचेंगी? कहीं उन्होंने कविता को बता दिया, तो वह पता नहीं क्या समझेगी कि कहीं मैंने जानबूझकर तो नहीं किया?
वहीं दूसरी तरफ मेरी आंखों में ममता दीदी का नंगा जिस्म नाच रहा था और अभी भी हाथों में उनके कठोर बूब्स का अहसास हो रहा था.
खैर … रात को सबने साथ खाना खाया.
मैं उनसे नज़रें नहीं मिला पा रहा था.
फिर भी हम तीनों बातें कर रहे थे.

दो दिन ऐसे ही बीत गए.
तीसरे दिन रात को 11-12 बजे मैं और बीवी दोनों चुदाई कर रहे थे लेकिन मेरे दिमाग़ में ममता दीदी का जिस्म घूम रहा था.
हम दोनों चुदाई करते वक्त कामुक बातें करते हैं … और मेरी वाइफ सीत्कार भी बहुत करती है.
मैंने कहा- थोड़ा धीरे आवाज़ करो, बाहर हॉल में दीदी सो रही हैं!
वह बोली- तुम इतना अच्छा चोदते हो कि तेज आवाज़ ही निकलती है.

मैंने कहा- अरे यार … उन्हें सुनाई पड़ रहा होगा?
वह बोली- तो क्या हुआ, वे नहीं चुदवाती होंगी क्या? … और दीदी तो मुझसे भी ज़्यादा आवाजें करती है. पूरी पूरी रात चुदवाती हैं.

यह सुनकर मेरा जोश और बढ़ गया, लंड भी और ज्यादा टाइट हो गया.
मैं और तेज़ी से उसकी चुदाई करने लगा.

मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा लंड ममता दीदी की चूत में ही घुसा है.
करीब दस मिनट बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया और हम दोनों थक कर सो गए.
अगले दिन से मुझे दीदी को चोदने का ख्याल दिमाग़ में रह रह कर आने लगा.
शाम को हम सब शॉपिंग करने गए तो मैं उन्हें टच करने का मौका ढूँढने लगा.
मैंने एक शर्ट पसंद की और इन दोनों से कहा- देखो आकर!
वाइफ बोली- कुछ ख़ास नहीं लग रही है!
तभी ममता दी बोल पड़ीं- अरे यह तो कुछ भी पकड़ लेते हैं, इन्हें सब अच्छा लग जाता है.

मैं आश्चर्य से दीदी की तरफ देखने लगा.
उनके चेहरे पर शरारत भरी मुस्कान थी.
उनकी वह मुस्कान सीधी मेरे दिल पर आ लगी.

वापस आने लगे तो रास्ते में दीदी बोलीं- कुछ बियर शियर नहीं पिलाओगे?
मैंने कहा- क्यों नहीं?

मैं और वाइफ कभी कभी बियर पी लेते हैं, लेकिन दीदी के साथ कभी नहीं पी थी.
मैंने 6 बियर ले लीं और घर आ गए.
हम तीनों साथ बैठ कर पी रहे थे और हँसी मज़ाक चल रहा था..
वाइफ बिना ब्रा के टॉप और और शॉर्ट्स पहने मेरे बगल में बैठी थी और ममता दीदी उसके सामने.
उन्होंने नाइटी पहनी हुई थी, जिसके कपड़े के ऊपर से ही उनके बूब्स का उभार पूरा पूरा नजर आ रहा था.
दो दो जवान मस्त लड़कियां मेरे पास बैठी थीं.

एक बियर के हल्के शुरूर में ममता दीदी का देह दर्शन करना बहुत ही आनन्द दे रहा था.
तभी वाइफ खाने के लिए कुछ लेने गई, तो दीदी बोलीं- सिगरेट नहीं है क्या?

मैंने कहा- है तो, लेकिन यहां कविता पीने नहीं देगी … ऊपर चलो.
ममता दीदी ने कविता को आवाज़ लगाकर कहा- हम लोग अभी आए दस मिनट में … ऊपर जा रहे हैं.

ऊपर आकर दोनों ने सिगरेट सुलगाई और सामान्य बातें करने लगे.
अब तक मेरी शर्म और झेंप खत्म हो चुकी थी तो हम दोनों सहज होकर बातें कर रहे थे.

उन्होंने पूछा- एक बात बताओ, उस दिन जो हुआ वह एक्सिडेंट ही था ना? आपका कोई प्री-प्लान तो नहीं था?
मैंने कहा- अरे दीदी आप भी? मुझे कैसे पता लगता कि आप आई हो … वह तो बस ऐसे ही हो गया था.

उन्होंने हम्म करते हुए सिर हिलाया.
कुछ सेकेंड का पॉज़ लिया, फिर बोलीं- तो क्या रोज ऐसे करते हो कविता के साथ?

मैं थोड़ा शर्माया, फिर हंस कर बोला- अरे नहीं … रोज नहीं, लेकिन अक्सर उसको छेड़ता रहता हूँ.
वह बोली- अच्छी बात है, ऐसे होना भी चाहिए. तुम दोनों को देख कर बहुत अच्छा लगता है.
तभी वाइफ भी ऊपर स्नॅक्स लेकर आ गई.
‘अच्छा तो सुट्टा लगाया जा रहा है तुम लोगों का?
मैंने कहा- तुम पीती नहीं हो, तो पार्ट्नर तो ढूँढना पड़ेगा ना!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
हम तीनों हंसने लगे.

दूसरी बियर भी खत्म होने वाली थी.
हम तीनों ही मस्त हो गए थे.

रात भी काफ़ी हो गई थी.
अभी तक छत पर ही खुले आसमान के नीचे बैठे थे.

तभी वाइफ बोली- चलो दी, खाना खा खाकर सोते हैं.
ममता दीदी बोलीं- खाना यहीं ले आ … देख कितना अच्छा लग रहा है यहां … और वैसे भी आज मुझे ऊपर ही सोना है!

मैंने कहा- यहां आप अकेली सोओगी?
वे बोलीं- तुम लोग यार बहुत शोर करते हो … सोने ही नहीं देते हो. कल मैं 3 बजे सो पाई थी!

वाइफ बोली- अच्छा, हम लोग ज़्यादा हल्ला करते हैं … और आप? आप दोनों लोग जब घर आए थे, तो पूरा घर उठ जाता था इतना शोर करती थीं … आं … ऊं … और पता नहीं क्या क्या! वैसे आज हम लोग करेंगे भी नहीं.

मैंने कहा- दीदी यह सच है क्या?
तो वे बोलीं- इसे ज़्यादा पता होगा … सुनती होगी न कान लगाकर. उसी से तो सीखा होगा!

हम दोनों हंसने लगे.

दीदी बोलीं- वैसे कविता तेरी सिसकारियां कुछ ज़्यादा ही तेज थीं.
बीवी बोली- दीदी ये निकाल ही देते हैं चीख … मैं क्या करूँ!

उसकी मासूमियत पर हम सब हंसने लगे.
मेरी नज़र दीदी के बूब्स और घुटनों तक आने वाली उनकी नाइटी के नीचे नंगी गोरी गोरी टांगों पर टिकी थी.

मैं बातों बातों में मज़ाक का बहाना करके उनकी जाँघ पर हाथ मार दे रहा था.
वे कुछ नहीं बोल रही थीं.

वाइफ बोली- तुम लोगों का खाना लाकर रख देती हूँ और मैं सोने जा रही हूँ.
थोड़ी देर में उसने खाना लाकर रख दिया और चली गई.

हम दोनों बातें करते रहे.
मैंने एक सिगरेट सुलगाई और दो कश लेने के बाद सिगरेट उनकी ओर बढ़ा दी.

उन्होंने भी दो कश लिए और मुझे वापस दे दी.
मैंने अपने मुँह से सिगरेट लगाकर मज़ाक में कहा- इसका टेस्ट अब और अच्छा हो गया!

वे बोलीं- कैसे?
मैंने कहा- आपके होंठों का टेस्ट जो मिल गया इसमें.

दीदी ने शरारत से मेरी जांघ पर एक चिकोटी काटी, पर बोलीं कुछ नहीं.

तभी उन्होंने फोन उठाया और मुझसे बोलीं- आओ कुछ सिखाती हूँ तुम्हें!
मैंने अपनी चेयर उनसे सटा ली और फोन में देखने लगा.

वे अपने कॉलेज के दिनों की फोटो दिखा रही थीं … और बता रही थीं कि कैसे लड़के मुझ पर और कविता पर लाइन मारते थे.
मैंने कहा- वैसे आप शुरू से ही पटाखा थीं. किसी से कुछ आगे हुआ भी था या केवल लाइन ही मरवाती रहीं?

वे बोलीं- असली पटाखा तो तुम ले गए … कविता तो शुरू से बहुत सेक्सी है.
मैंने कहा- अच्छा?

वे बोलीं- तुम्हें अभी तक पता नहीं चला?
मैंने कहा- पता चल गया … रोज लेकर सोती है. आज पता नहीं कैसे नींद आएगी उसे!

उन्होंने फिर से चिकोटी काटी और बोलीं- तुम भी ना!
मैं जानबूझकर दीदी से सटने की कोशिश कर रहा था. अपना हाथ उनके हाथ से टच करा रहा था.

वे भी शांत आसमान में देखती हुई सिगरेट के कश मार रही थीं.
मैंने अपना एक हाथ उनके बूब्स से टच किया.
वे कुछ नहीं बोलीं, बस हल्के से मेरी ओर देखकर मुस्कुराईं.

इस मुस्कान से मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया था.
मैंने अपनी पूरी हथेली उनके एक दूध पर रख दी और नाइटी के ऊपर से दबाने लगा.

वे बोलीं- पहले और अब में कुछ अंतर लगा?
मैंने कहा- पहले सीधे कॉंटॅक्ट में था, अभी कपड़े के ऊपर से है.

वे बोलीं- तो कोई बाहर से आएगा आपके लिए कपड़ा हटाने के लिए?

मैं समझ गया कि आज गर्मी अन्दर भरी पड़ी है.
मैंने अपना हाथ नाइटी के गले से अन्दर डाल कर सीधा उनके एक दूध को पकड़ा और दबाने लगा.

वे चुपचाप आंखें बंद करके चेयर की टेक लगाकर बैठी रहीं.

मैंने उनके सामने खड़े होकर नाइटी पैरों को ओर से उठाकर पूरी निकाल दी.
अब वे सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में मेरे सामने बैठी थीं.

मैंने अपने होंठ उनके होंठों पर रखकर एक जोरदार स्मूच किया और हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोल दिया.
उनके दोनों बड़े बड़े दूध मेरे सामने नंगे लटक रहे थे.
मैं उन्हें हाथ में भरकर सहला रहा था.

वे आंख से कुछ इशारा करके बोलीं.
तो मैं समझ गया और अपना मुँह लगा कर एक निप्पल को चूसने लगा.
वे मादक सिसकारी भरने लगीं.

फिर एक हाथ नीचे पैंटी में ले जाकर चूत के ऊपर से सहलाने लगा.
उनकी चूत गीली हो चुकी थी.

मैंने अपनी एक उंगली धीरे से चूत के छेद में घुसा दी.
वे कराह कर बोलीं- आआह … सीईई … सब यहीं कर लोगे क्या?

मैंने कहा- खुले में यहीं करने दो.
यह कहते हुए मैंने उनकी पैंटी भी निकाल दी.

वे अपना हाथ मेरे शॉर्ट के अन्दर ले गईं और मेरा लंड पकड़ कर बाहर निकाल लिया.
लंड की साइज़ देख कर दीदी बोलीं- ओह माय गॉड … कितना मस्त है … कविता बहुत लकी है, जो रोज इसे लेती है.

एक पल उन्होंने लंड को अपनी मुट्ठी से भींचा और अगले ही पल दीदी ने झुक कर लंड को अपने मुँह में भर लिया.
वे लंड को आइसक्रीम की तरह चूसने लगीं.

मैंने अपना शॉर्ट नीचे सरका दिया और पूरा नंगा हो गया.
नंगे होकर लंड चुसवाने में बेहद मजा आ रहा था.

कुछ देर तक लंड को लपर लपर ककर चूसने के बाद Xxx साली बोलीं- अब डाल दो!
मैंने कहा- कहाँ?
वे बोलीं- जहां कविता की में डालते हो.

मैंने नंगी साली को तुरंत घोड़ी बनाया और अपना लंड पीछे से उनकी चूत के छेद पर सैट कर दिया.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#7
जैसे ही मेरे लंड को चूत के छेद की गर्मी का अहसास हुआ, मैंने हल्का सा धक्का दे मारा.
चिकनी चूत में मेरा पूरा लंड अन्दर घुसता चला गया.

उनकी चूत कविता की चूत से थोड़ी ढीली थी, लेकिन नई चूत का आनन्द ही अलग था.

कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद मैं चेयर पर बैठ गया और उन्हें अपनी गोद में बैठा कर लंड को छेद में डाल कर उन्हें उछालने लगा.

वह मस्ती से लंड को चूत से चबाती हुई बड़बड़ा रही थीं- अयाया … कितना मस्त चुदाई करते हो तुम … पूरा लंड अन्दर तक पेलो न … आआह … और कसके चोदो … फाड़ दो मेरी चूत को … जिस दिन कविता की चुदाई की आवाज़ें सुनी हैं, उसी दिन समझ गई थी कि तुम मस्त चोदते हो … बस तभी से तुम्हारे लौड़े से चुदवाने को तड़प रही थी … ऊऊहह … आआहह!

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.

हम दोनों चिपके हुए चेयर पर बैठे रहे.

उस रात हम दोनों ने 3 बार चुदाई की.
सुबह 5 बजे के आसपास मैं जाकर बीवी के पास लेट गया.

मैंने ममता दीदी और अपनी बीवी के साथ थ्रीसम सेक्स किया और फिर उनकी बड़ी बहन अनुपमा दीदी को भी चुदाई में शामिल करके ग्रुप सेक्स किया.
अनुपमा दीदी तो इन दोनों से भी बड़ी चुदक्कड़ निकली थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
जैसे ही मेरे लंड को चूत के छेद की गर्मी का अहसास हुआ, मैंने हल्का सा धक्का दे मारा.
चिकनी चूत में मेरा पूरा लंड अन्दर घुसता चला गया.

उनकी चूत कविता की चूत से थोड़ी ढीली थी, लेकिन नई चूत का आनन्द ही अलग था.

कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद मैं चेयर पर बैठ गया और उन्हें अपनी गोद में बैठा कर लंड को छेद में डाल कर उन्हें उछालने लगा.

वह मस्ती से लंड को चूत से चबाती हुई बड़बड़ा रही थीं- अयाया … कितना मस्त चुदाई करते हो तुम … पूरा लंड अन्दर तक पेलो न … आआह … और कसके चोदो … फाड़ दो मेरी चूत को … जिस दिन कविता की चुदाई की आवाज़ें सुनी हैं, उसी दिन समझ गई थी कि तुम मस्त चोदते हो … बस तभी से तुम्हारे लौड़े से चुदवाने को तड़प रही थी … ऊऊहह … आआहह!

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मेरे लंड ने पानी छोड़ दिया.

हम दोनों चिपके हुए चेयर पर बैठे रहे.

उस रात हम दोनों ने 3 बार चुदाई की.
सुबह 5 बजे के आसपास मैं जाकर बीवी के पास लेट गया.

मैंने ममता दीदी और अपनी बीवी के साथ थ्रीसम सेक्स किया और फिर उनकी बड़ी बहन अनुपमा दीदी को भी चुदाई में शामिल करके ग्रुप सेक्स किया.
अनुपमा दीदी तो इन दोनों से भी बड़ी चुदक्कड़ निकली थीं.
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#9
बीवी की बड़ी बहन से













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[img][Image: IMG-4997.jpg][/img]





मेरी पत्नी का नाम शिवानी है. मेरी उम्र अभी वर्तमान में 33 साल है और मेरी पत्नी की उम्र में 31 साल है. हम लोगों की शादी बहुत पहले हो गई थी. आज मेरे शादी को कोई 11 साल हो गए हैं. हम लोग जब अपनी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे थे तो उसी उम्र में मेरी शादी हो गई. हमने अपनी जवानी का एक पल भी बर्बाद नहीं किया और हम पति पत्नी ने भरपूर चुदाई का मजा लिए.

मैं देखने में भी अच्छा खासा हेंडसम और स्मार्ट हूँ. मेरी पत्नी भी चुदाई में हर वक्त मेरा साथ देती है और भरपूर चुदाई का मजा लेती है. यह कहानी मेरी और मेरी पत्नी की नहीं, मेरी पत्नी की एक बड़ी बहन प्रिया की है. उसकी उम्र 35 साल है, तो वो मेरी पत्नी से बड़ी है. कहते हैं कि छोटी साली हो तो मजाक करने में बहुत मजा आता है. लेकिन मेरी पत्नी की बहन प्रिया मुझे कभी अहसास नहीं होने दिया कि मेरी कोई छोटी साली नहीं है.

वह भी मुझे छोटी साली की तरह ही मजाक करती और कभी-कभी तो उससे ज्यादा! आगे बढ़कर मजाक करती … वह मुझे टच करके मजाक करती. और मैं भी कभी-कभी मजाक में जब उसकी नशीली आंखों को देखकर उत्तेजित हो जाता तो उसे भी टच करता. लेकिन आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं हुई क्योंकि कहीं ना कहीं मेरे मन में यह बात थी कि मेरी पत्नी की बड़ी बहन है; अगर मैं कुछ करूंगा तो बात कहीं बनने की जगह बिगड़ ना जाए. और जो यह नयनसुख और हल्की छेड़छाड़ होती है वह भी ना बंद हो जाए.

लेकिन पता नहीं क्यों मुझ से बात करने का हर बहाना ढूंढती रहती; कोई भी मौका जाने नहीं देती; चाहे वह फोन पर हो चाहे आमने सामने!

उसे जब भी मौका मिलता कोई न कोई बहाना करके मेरे यहां आ जाती. वह इतनी खुली हुई थी कि शिवानी के सामने ही कभी-कभी मुझे मजाक करती … मेरा चेहरा शर्म से पानी पानी हो जाता. बाद में मैं अगर शिवानी से शिकायत करता तो शिवानी बोलती- देखिए प्रिया दीदी आप की साली है और आप जीजा साली के बीच में मुझे नहीं पड़ना! मेरी कोई छोटी बहन नहीं है तो समझना प्रिया मेरी बड़ी बहन भी है और छोटी बहन भी! तो थोड़ा मजाक करती है मजाक कर लेने दीजिए और मजा लीजिए.

फिर मेरी पत्नी बोली- आपको प्रिया दीदी अच्छी नहीं लगती?

मैंने कहा- ऐसी बात नहीं है … फिर भी!

धीरे धीरे मुझे भी उसकी मौजूदगी अच्छी लगती और मेरे मन में भी कहीं ना कहीं यह बात उफान मरने लगी कि कुछ ना कुछ तो बात है. अगर थोड़ा सा भी आगे बढ़ा जाए तो इसकी चूत की चुदाई करने को भी मिल सकती है. जब मन में यह बात आने लगी तो मैं भी अब कोई ना कोई जुगाड़ करता किसी तरह उससे बात करूं अकेले में … और घुमा फिरा कर पूछूं कि क्या मुझसे चुदाई करेगी या नहीं. मैं उसे कुछ ज्यादा टच करने लगा. इसका जवाब भी हो बहुत ही नशीली अंदाज में देती.

इसी तरह वक्त बीतता गया और हम दोनों के मन में दूसरे से शारीरिक सुख पाने की लालसा बहुत ज्यादा होने लगी थी. लेकिन पहल हम दोनों में से कोई भी करने से डरता था. इसी तरह वक्त बीतते हुए जब मेरा बेटा 4 साल का हुआ तो उसका जन्मदिन आया. इस बार भी वो अकेली ही आई.

जन्मदिन से 1 दिन पहले तो मैं उसे बस स्टैंड पर लेने के लिए गया. इस बार मैं थोड़ा ज्यादा बन ठन कर गया था. मुझे देखते ही प्रिया बोली- क्या बात है … बहुत ज्यादा स्मार्ट लग रहे हैं आप! कहीं बिजली गिराने का इरादा तो नहीं?

तो मैं भी बोला- आप तो मेरी पत्नी की बड़ी बहन हैं … छोटी साली होती तो बिजली की जगह बहुत कुछ गिरा देता!

उसने मेरी कही बात को समझ लिया और बोली- अच्छा जी! बड़ी हूँ तो क्या हुआ … हूँ तो आपकी साली ही ना! तो फिर आइए कोशिश कीजिए गिराने का बिजली के अलावा भी! वो आगे बोली- जो भी गिराइएगा, मैं भी उसे बड़े प्यार से लूंगी और आपको गिराने में भरपूर मजा दूंगी.

रास्ते में आते वक्त वो मुझसे मस्ती और ज्यादा चिपकने लगी. मुझे भी अच्छा लगा, मैं भी मजाक में बोला- लगता है इस बार आप बहुत कुछ करवा ही लोगी.
उन्होंने शर्माते हुए कहा- चल हट!


उसके बाद हम घर आए. शाम का टाइम था तो मैं, मेरी पत्नी और प्रिया तीनों छत पर टहल रहे थे. हम तीनों का चाय पीने का मन करने लगा तो प्रिया ने कहा- तुम दोनों ऊपर पर ही रहो, मैं चाय बना कर लाती हूं.

इस पर मेरी पत्नी बोली- आप भी जाइये, दीदी को मदद कर दीजिए.

मैं तो इसी मौका की तलाश में ही था पर मैंने उससे बनते हुए कहा- तुम तुम जानती हो कि वे कितना मजाक करती हैं. अकेले में और ज्यादा मजाक करती हैं तो मुझे शर्म आती है. तो प्रिया ने कहा- अरे साली है आपकी … वह मजाक नहीं करेगी तो कौन करेगी? और उस पर आपका भी तो हक है हक लीजिए और मजा कीजिए.

मैं भी उसके पीछे पीछे चल दिया. वह अपनी गांड मटकाती हुई नीचे आ गई. उसके चलने के अन्दाज़ से लगता था कि मुझे चुदाई का ऑफर दे रही है. वह चाय बनाने के लिए लगी. हम दोनों बात करने लगे. बातों बातों में उसकी सेक्स लाइफ के बारे में बात में बात चली तो वो थोड़ा मायूस हो गई. मैंने पूछा- क्या हुआ?

तो उन्होंने कहा- मेरे हस्बैंड कुछ करते तो है नहीं … ऊपर से शराब पीते हैं और रात को चुदाई करते वक्त भी तुरंत झर जाते हैं. मै प्यासी ही रह जाती हूँ तो उनके साथ सोने का मन भी नहीं करता!

उसके चेहरे पर उदासी आ गई पर आंखों में एक चमक थी. मैंने उनके चेहरे पर हंसी लाने के लिए बोला- तू मेरी साली है, आखिर मैं किस काम आऊंगा. वह अपने उनके चेहरे पर कामुकता वाली शर्मा गई और आपने चेहरा को झुकाते हुए मुझे बोली- चल हट … ऐसा कैसे हो सकता है? शिवानी को मालूम चलेगा तो वह क्या सोचेगी?

मैं तुरंत ही बात को पकड़ते हुए कहा- मतलब आपको दिक्कत नहीं है ना?

तो उसने झट से कहा- तुम बात को बहुत ज्यादा पकड़ते हो!

फिर भी दबे शब्दों में कहा- शिवानी?

एक बार फिर मैं आप लोगों को बता देना चाहता हूं मेरी पत्नी बहुत ही खुले विचारों वाली है. गांव में रहकर भी उसकी सोच चुदाई के मामले में शहर की लड़कियों से बहुत ज्यादा खुला और आगे की है. उसके लिए पति पत्नी के रिश्ते का मतलब होता है की चुदाई में मैं उसे संतुष्ट करूं और वो मुझे! शिवानी मुझे कभी रोकती नहीं है कुछ करने के लिए … पर मैंने इसका कभी भी गलत फायदा नहीं उठाया. लेकिन आज लगता है उठा लेता … अब उठा लूंगा.

मैंने उसे कहा- शिवानी को कुछ पता ही नहीं चलने देंगे. और आपके चेहरे पर भी खुशी ला देंगे, आपकी प्यास भी बुझा देंगे.

इतना बोलते करते मैं उसके पास चला गया. वो अपने आप मेरे होठों से लग गई, उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया. उधर गैस पर चाय उबल रही थी, इधर हम एक दूसरे में समा आने को बेताब थे, हमारे जज्बातों का सैलाब उफान पर था. मैं तो उसी समय चुदाई करने के मूड में था. लेकिन उसी ने मुझे रोकते हुए बोला- शिवानी को शक हो जाएगा. मौक़ा मिलते ही करेंगे.

मैंने उसकी चूची को ऊपर से दबाया, उसकी चूत को साड़ी के ऊपर से सहलाते हुए बोला- इसकी प्यास मैं बुझा कर रहूंगा.

उसने भी मेरा मजा लेते हुए कहा- अच्छा जी, देखते हैं बुझा पाओगे कि नहीं.

मैंने सोचा था कि उसी रात में हमारे बीच कुछ ना कुछ हो जाएगा.

लेकिन उस रात कुछ नहीं हुआ.
अगले दिन मेरे बेटे का जन्मदिन था. हमने बेटे का जन्मदिन भी मनाया और दिनभर एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहे. मुझे लग गया कि आज इसकी चुदाई करने का पूरा मौका मिलेगा रात में!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
केक काटने के बाद बच्चे अपने कमरे में सोने के लिए चले गए. मैं प्रिया और मेरी पत्नी शिवानी गेस्ट रूम में बैठकर ही बातें करने लगे. बातें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. मेरी पत्नी बोली- लगता है आप दोनों की बातें खत्म नहीं होगी. मैं जा रही हूं सोने! आपकी बातें जब खत्म हो जायें तो आ जाना सोने के लिए! मुझे नींद बहुत आ रही है. मैं दिनभर की थकी हुई हूँ.

इतना बोल कर वह चली गई. हम दोनों के चेहरे पर हवस की मुस्कान आ गई. थोड़ी देर बाद मैं पेशाब करने के बहाने उठा और आश्वस्त हो गया कि मेरी पत्नी सो चुकी है या नहीं! उसके बाद मैं प्रिया के रूम में आया. वह तो जैसे इंतजार में ही बैठी थी.

जैसे ही उसके रूम का दरवाजा लगाया, वो मुझसे चिपक गई और मुझे किस करने लगी, कहने लगी- मेरी जीजा राजा … मेरी प्यास बुझा दो. मैं तो कब से इस इंतजार में थी. तुम ही नहीं बात को आगे बढ़ा रहे थे. मेरे बार बार तुम्हारे यहां आने का मकसद यही था कि मैं तुमसे चुदूं!

प्रिया मुझसे पूरा चिपक रही थी. हम दोनों एक दूसरे में समा जाना चाहते थे. मुझे भी आज एक नई चूत मिल रही थी चोदने के लिए! मैं किस करते हुए उसके होंठों को जोर से चूसने लगा. मैं जीजा साली की सेक्सी हरकतों का पूरा मजा लेना चाहता था. वह कहती जा रही थी- मैं अब सिर्फ तुम्हारी हूं, मुझे चोद दो. मेरी प्यास बुझा दो, मुझे और ज्यादा प्यासी नहीं रहना है.

मैं भी धीरे करके मैं उसे नंगी करने लगा, उसकी चूची को जोर जोर से सहलाने लगा. वह भी मुझे पूरा मजा लेने दे ले रही थी. अब मैं अपने आप को भी नंगा कर चुका था, उसकी चूत को अपने हाथ से सहला रहा था. किस करते हुए मैंने उसे ले जाकर बिस्तर पर लेटा दिया.

अब मैंने नीचे आकर उसकी चूची को मुंह में भर लिया और जोर से चूसने लगा. एक चूची को मैं जोर जोर से दबाने लगा. वह भी अब और ज्यादा तड़पने लगी.
वो कहने लगी- चोदो … मुझे चोदो! तड़पकर प्रिया बोली- मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं. यह सब बाद में भी करना. बहुत दिनों से मेरी चूत की प्यास नहीं बुझी है. अब तुम मुझे जब चाहो जहां चाहो जैसे चाहो भरपूर चोद सकते हो. लेकिन अभी के लिए मेरी चुदाई जल्दी कर दो. बाद में ही तुम्हें जो करना होगा जैसे करना होगा करना.
[Image: IMG-4994.jpg]

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मैं भी वक्त की नजाकत को समझते हुए साली की चूत पर लंड रगड़ने लगा. जैसे ही लंड उसके चूत पर रगड़ने लगा, वह तो मानो पागल हो गई और मुझसे चुदाई की भीख मांगने लगी. मुझे जोर से बांहों में भरने लगी, मेरे होठों पर फिर से अपने होंठ रखकर किस करने लगी, बोलने लगी- जल्दी करो ना!

मैंने अब अपने लंड को उसकी चूत की फांकों पर फंसाया, उसकी कमर को पकड़ा और उसके होठों पर होंठ रखकर एक जोर का धक्का दिया. मेरा लंड उसके चूत में समा गया. वह तो जोर से चीखने वाली थी लेकिन मैंने उसकी चीख दबा दी. नहीं तो शिवानी जाग जाती.

उसके चेहरे पर एक मदहोशी और एकाएक धक्के से उत्पन्न दर्द उसकी आंखों में साफ देखा जा सकता था.

लेकिन फिर भी वह मुझे अपनी ओर खींच रही थी, अपनी कमर हिला रही थी और दर्द के बावजूद मुझे अपनी चुदाई करने के लिए आमंत्रण कर रही थी. अब मैं उसकी चूत में लंड रखे हुए ही थोड़ा सीधा हुआ तो उसने मेरा हाथ अपनी चूची पर रख दिया, बोली- इसे भी चुदाई करते हुए दबाओ. मैंने भी उसके आज्ञा का पालन करते हुए उसकी चुदाई अब चालू कर दी और उसकी चूची को दबाने लगा.

वह चुदाई का आनंद लेने लगी भरपूर … कहने लगी- मुझे भरपूर मजा आ रहा है. उसकी चुदाई करते हुए मुश्किल से 4 से 5 मिनट हुए होंगे वह झर गई. लेकिन मैंने धक्के देने चालू रखें. थोड़ी देर बाद वह भी फिर से मजे लेने लगी और मेरा साथ देने लगी. मैं भी उसे किस करने लगा जोर-जोर से! साथ में उसकी चुदाई करने लगा.

इस तरह चुदाई करते करते करीब हम दोनों को 20 मिनट गुजर गए. मेरा भी पानी छोड़ने की कगार पर था, मैंने कहा- मेरा पानी निकलने वाला है मेरी जान! वह बोली- अंदर ही निकाल लो. मैं इसे महसूस करना चाहती हूं. मैं बाद जोर जोर से धक्के मारने लगा, ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी चूत को फाड़ दूंगा. वह भी मुझे अपने में समा लेना चाह रही थी.

चूत मारते मारते मैं उसकी चूत में झरने लगा और साथ में वह भी एक अजीब अकड़न के साथ झरने लगी. हम दोनों एक साथ झड़ गए. उसके बाद मैंने उसके चेहरे पर संतुष्टि का भाव देखा था. वह अपनी आँखें बंद किए हुए थी.

मैं उसके ऊपर झुका और उसके गाल पर किस करते हुए कहा- कैसा लगा?

वह अपनी आंखें बहुत ही प्यार से खोलते हुए मुझे उम्मीद की नजरों से देखते हुए बोली- मैं बहुत खुश हूँ.

मैं उसके बालों को सहलाने लगा और आंखों में देखने लगा और होठों पर एक प्यारी सी किस करते हुए पूछा- प्रिया, अब कैसे फील कर रही हो?

तो उसने कहा- मेरे चेहरे से तुम्हें मेरी खुशी नहीं झलक रही है क्या?

साली ने मेरे होठों पर एक किस किया और मुझे कहा- बहुत बहुत धन्यवाद तुम्हारा अमन! तुमने आज मुझे पूरा खुश कर दिया अब से मैं तुम्हारी हूं. और तुम अभी समझना कि तुम्हारी एक नहीं दो-दो बीवियां हैं.

मैं भी मजे में उसकी चूची दबाते हुए कहा- अच्छा जी?

उसने कहा- हां.

वो बोली- मेरी चूत की चुदाई अब तुम्हें ही करनी है.

मैंने उसके हाथ को पकड़ा और उसकी आंखों में देखते हुए बोला- ठीक है. हमें जब भी मौका मिलेगा, मैं तुम्हारी चुदाई अवश्य करूंगा. अभी मैं जाता हूं. तुम भी सो जाओ … नहीं तो कहीं शिवानी उठ गई तो तुम जानती हो क्या होगा!

वह बोली- ठीक है.

मैं उठ कर चलने लगा तो मैंने उसे एक बार मुड़ कर देखा तो प्रिया कपड़े पहनने लगी थी. उसके बाद वो अपने रूम का दरवाजा लगा कर सो गई. मैं भी शिवानी के बगल में लेट गया शिवानी को पकड़कर! शिवानी तो जैसे से नींद में बेसुध पड़ी थी. मैंने उसे डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा और सो गया.

इस तरह मेरी पत्नी की बड़ी बहन के साथ मैंने पहली चुदाई की. वह मुझसे संपूर्ण संतुष्ट हो गई थी और थक भी गई थी. मुझे भी उस रात उसकी जुदाई करके भरपूर मजा आया. उसकी बड़ी बड़ी चूची को चूस कर मैंने भरपूर मजा लिया. उसके चेहरे पर संतुष्टि की भाव स्पष्ट दिख रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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मैंने उसकी चूची को ऊपर से दबाया, उसकी चूत को साड़ी के ऊपर से सहलाते हुए बोला- इसकी प्यास मैं बुझा कर रहूंगा.
उसने भी मेरा मजा लेते हुए कहा- अच्छा जी, देखते हैं बुझा पाओगे कि नहीं.
मैंने सोचा था कि उसी रात में हमारे बीच कुछ ना कुछ हो जाएगा.
लेकिन उस रात कुछ नहीं हुआ.
अगले दिन मेरे बेटे का जन्मदिन था. हमने बेटे का जन्मदिन भी मनाया और दिनभर एक दूसरे को देख कर मुस्कुराते रहे. मुझे लग गया कि आज इसकी चुदाई करने का पूरा मौका मिलेगा रात में!
केक काटने के बाद बच्चे अपने कमरे में सोने के लिए चले गए. मैं प्रिया और मेरी पत्नी शिवानी गेस्ट रूम में बैठकर ही बातें करने लगे. बातें खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी. मेरी पत्नी बोली- लगता है आप दोनों की बातें खत्म नहीं होगी. मैं जा रही हूं सोने! आपकी बातें जब खत्म हो जायें तो आ जाना सोने के लिए! मुझे नींद बहुत आ रही है. मैं दिनभर की थकी हुई हूँ.
इतना बोल कर वह चली गई. हम दोनों के चेहरे पर हवस की मुस्कान आ गई. थोड़ी देर बाद मैं पेशाब करने के बहाने उठा और आश्वस्त हो गया कि मेरी पत्नी सो चुकी है या नहीं! उसके बाद मैं प्रिया के रूम में आया. वह तो जैसे इंतजार में ही बैठी थी.
जैसे ही उसके रूम का दरवाजा लगाया, वो मुझसे चिपक गई और मुझे किस करने लगी, कहने लगी- मेरी जीजा राजा … मेरी प्यास बुझा दो. मैं तो कब से इस इंतजार में थी. तुम ही नहीं बात को आगे बढ़ा रहे थे. मेरे बार बार तुम्हारे यहां आने का मकसद यही था कि मैं तुमसे चुदूं!
प्रिया मुझसे पूरा चिपक रही थी. हम दोनों एक दूसरे में समा जाना चाहते थे. मुझे भी आज एक नई चूत मिल रही थी चोदने के लिए! मैं किस करते हुए उसके होंठों को जोर से चूसने लगा. मैं जीजा साली की सेक्सी हरकतों का पूरा मजा लेना चाहता था. वह कहती जा रही थी- मैं अब सिर्फ तुम्हारी हूं, मुझे चोद दो. मेरी प्यास बुझा दो, मुझे और ज्यादा प्यासी नहीं रहना है.
मैं भी धीरे करके मैं उसे नंगी करने लगा, उसकी चूची को जोर जोर से सहलाने लगा. वह भी मुझे पूरा मजा लेने दे ले रही थी. अब मैं अपने आप को भी नंगा कर चुका था, उसकी चूत को अपने हाथ से सहला रहा था. किस करते हुए मैंने उसे ले जाकर बिस्तर पर लेटा दिया.
अब मैंने नीचे आकर उसकी चूची को मुंह में भर लिया और जोर से चूसने लगा. एक चूची को मैं जोर जोर से दबाने लगा. वह भी अब और ज्यादा तड़पने लगी.
वो कहने लगी- चोदो … मुझे चोदो! तड़पकर प्रिया बोली- मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूं. यह सब बाद में भी करना. बहुत दिनों से मेरी चूत की प्यास नहीं बुझी है. अब तुम मुझे जब चाहो जहां चाहो जैसे चाहो भरपूर चोद सकते हो. लेकिन अभी के लिए मेरी चुदाई जल्दी कर दो. बाद में ही तुम्हें जो करना होगा जैसे करना होगा करना.

मैं भी वक्त की नजाकत को समझते हुए साली की चूत पर लंड रगड़ने लगा. जैसे ही लंड उसके चूत पर रगड़ने लगा, वह तो मानो पागल हो गई और मुझसे चुदाई की भीख मांगने लगी. मुझे जोर से बांहों में भरने लगी, मेरे होठों पर फिर से अपने होंठ रखकर किस करने लगी, बोलने लगी- जल्दी करो ना!
मैंने अब अपने लंड को उसकी चूत की फांकों पर फंसाया, उसकी कमर को पकड़ा और उसके होठों पर होंठ रखकर एक जोर का धक्का दिया. मेरा लंड उसके चूत में समा गया. वह तो जोर से चीखने वाली थी लेकिन मैंने उसकी चीख दबा दी. नहीं तो शिवानी जाग जाती.
उसके चेहरे पर एक मदहोशी और एकाएक धक्के से उत्पन्न दर्द उसकी आंखों में साफ देखा जा सकता था.
लेकिन फिर भी वह मुझे अपनी ओर खींच रही थी, अपनी कमर हिला रही थी और दर्द के बावजूद मुझे अपनी चुदाई करने के लिए आमंत्रण कर रही थी. अब मैं उसकी चूत में लंड रखे हुए ही थोड़ा सीधा हुआ तो उसने मेरा हाथ अपनी चूची पर रख दिया, बोली- इसे भी चुदाई करते हुए दबाओ. मैंने भी उसके आज्ञा का पालन करते हुए उसकी चुदाई अब चालू कर दी और उसकी चूची को दबाने लगा.
वह चुदाई का आनंद लेने लगी भरपूर … कहने लगी- मुझे भरपूर मजा आ रहा है. उसकी चुदाई करते हुए मुश्किल से 4 से 5 मिनट हुए होंगे वह झर गई. लेकिन मैंने धक्के देने चालू रखें. थोड़ी देर बाद वह भी फिर से मजे लेने लगी और मेरा साथ देने लगी. मैं भी उसे किस करने लगा जोर-जोर से! साथ में उसकी चुदाई करने लगा.
इस तरह चुदाई करते करते करीब हम दोनों को 20 मिनट गुजर गए. मेरा भी पानी छोड़ने की कगार पर था, मैंने कहा- मेरा पानी निकलने वाला है मेरी जान! वह बोली- अंदर ही निकाल लो. मैं इसे महसूस करना चाहती हूं. मैं बाद जोर जोर से धक्के मारने लगा, ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी चूत को फाड़ दूंगा. वह भी मुझे अपने में समा लेना चाह रही थी.
चूत मारते मारते मैं उसकी चूत में झरने लगा और साथ में वह भी एक अजीब अकड़न के साथ झरने लगी. हम दोनों एक साथ झड़ गए. उसके बाद मैंने उसके चेहरे पर संतुष्टि का भाव देखा था. वह अपनी आँखें बंद किए हुए थी.
मैं उसके ऊपर झुका और उसके गाल पर किस करते हुए कहा- कैसा लगा?
वह अपनी आंखें बहुत ही प्यार से खोलते हुए मुझे उम्मीद की नजरों से देखते हुए बोली- मैं बहुत खुश हूँ.
मैं उसके बालों को सहलाने लगा और आंखों में देखने लगा और होठों पर एक प्यारी सी किस करते हुए पूछा- प्रिया, अब कैसे फील कर रही हो?
तो उसने कहा- मेरे चेहरे से तुम्हें मेरी खुशी नहीं झलक रही है क्या?
साली ने मेरे होठों पर एक किस किया और मुझे कहा- बहुत बहुत धन्यवाद तुम्हारा अमन! तुमने आज मुझे पूरा खुश कर दिया अब से मैं तुम्हारी हूं. और तुम अभी समझना कि तुम्हारी एक नहीं दो-दो बीवियां हैं.
मैं भी मजे में उसकी चूची दबाते हुए कहा- अच्छा जी?
उसने कहा- हां.
वो बोली- मेरी चूत की चुदाई अब तुम्हें ही करनी है.
मैंने उसके हाथ को पकड़ा और उसकी आंखों में देखते हुए बोला- ठीक है. हमें जब भी मौका मिलेगा, मैं तुम्हारी चुदाई अवश्य करूंगा. अभी मैं जाता हूं. तुम भी सो जाओ … नहीं तो कहीं शिवानी उठ गई तो तुम जानती हो क्या होगा!
वह बोली- ठीक है.
मैं उठ कर चलने लगा तो मैंने उसे एक बार मुड़ कर देखा तो प्रिया कपड़े पहनने लगी थी. उसके बाद वो अपने रूम का दरवाजा लगा कर सो गई. मैं भी शिवानी के बगल में लेट गया शिवानी को पकड़कर! शिवानी तो जैसे से नींद में बेसुध पड़ी थी. मैंने उसे डिस्टर्ब करना उचित नहीं समझा और सो गया.
इस तरह मेरी पत्नी की बड़ी बहन के साथ मैंने पहली चुदाई की. वह मुझसे संपूर्ण संतुष्ट हो गई थी और थक भी गई थी. मुझे भी उस रात उसकी जुदाई करके भरपूर मजा आया. उसकी बड़ी बड़ी चूची को चूस कर मैंने भरपूर मजा लिया. उसके चेहरे पर संतुष्टि की भाव स्पष्ट दिख रहा था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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उसके कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ कर उसके ऊपर लेट गया, उसके होंठों को चूसने लगा.
उसने कहा- आज शादी के इतने साल बाद मुझे चुदाई में मजा आया.

उसके बाद उस रात हमने दो बार और चुदाई की.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13

बड़ी साली की अतृप्त वासना और चूत चुदाई




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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
बड़ी साली की अतृप्त वासना और चूत चुदाई





दूरियां कब किसे कैसे मिला दें, ये किसी को पता नहीं होता.
मेरे साथ भी कुछ ऐसी ही सच्ची घटना हुई है.

मेरा नाम दीप है, मैं मुज़फ्फरनगर उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.

ये जो घटना है, कुछ चार साल पहले की मेरे और मेरी बड़ी साली मीता के बीच की चुदाई कहानी है.

मैं उस समय अपनी सुसराल में रहकर अपना काम करता था और कभी कभी ही घर जा पाया करता था.

मेरी बड़ी साली अपने पति से किसी बात पर झगड़ा करके अपनी मां के घर आ गयी थी.
उस समय मैं भी वहीं पर रहता था.


कभी भी आज तक उससे कभी भी मेरी कोई ख़ास बात नहीं हुई थी.
लेकिन जब ऊपर वाले को मिलाना होता तो वो कोई ना कोई घटना पैदा कर देता है.




एक दिन में अपने काम से रात को देर से अपनी ससुराल पहुंचा.
रात काफी हो गयी थी इसलिए सब सो गए थे.
लेकिन बड़ी साली साहिब जगी हुई थीं और एक बंद कमरे में थीं.


भूलवश या जानबूझ कर कमरे की कुंडी नहीं लगा रखी थी.
मुझे कुछ नहीं पता था.


मैं स्वभावत: सीधे घुसता चला गया और कमरे में दाखिल हो गया. मैं क्या देखता हूं कि मेरी बड़ी साली साहिबा बिना वस्त्रों के बेड पर लेट कर अपनी चूत में उंगली आगे पीछे कर रही थीं और अपनी मस्ती में मस्त होकर उस पल का मज़ा ले रही थीं.

मेरे कमरे में आने पर भी उनके क्रियाकलाप में कोई फर्क नहीं आया और न ही उन्हें मुझे आया देख कर कुछ शर्म आई.

वो मुझे देखकर बड़ी सरलता से अपनी चूत से उंगली निकाल कर मुँह में लेकर चाटने लगीं और मस्ती से उठ खड़ी हुईं.

वह अपनी नाइटी पहन कर ये कह कर कमरे से बाहर निकल गयी- आप हाथ मुँह धो लो, मैं खाना लगा देती हूं.

मुझे ये सब देखकर बहुत ही आश्चर्य हुआ कि ये किस तरह की बेबाकी थी.

उस रात बात आई गई हो गई.

अगले दिन मुझे कहीं बाहर नहीं जाना था तो मैं सुबह देर से उठा.
तब तक सासु मां किसी रिश्तेदार के घर शाम तक वापस लौटने की कह कर चली गईं.


मेरे पास आज सुनहरा मौका था तो मैंने बड़ी साली से कल रात वाली बात को छेड़ दिया.
साली जी ने मुझे अपनी पूरी कहानी बताई.


मैंने पूछा- जब रात को मैं कमरे में आ गया था तो तुम मुझसे घबराई क्यों नहीं?
इस पर उसने बताया- मैं तुम्हारे बारे में सब जानती हूं कि तुम ही मेरी सभी समस्यों का समाधान कर सकते हो. इसलिए कल रात तुम्हारा इंतजार करते करते बहुत देर हो गयी थी. मेरी आग बढ़ती जा रही थी और तुम आए नहीं थे. उस वक्त मैं अपने बस में नहीं थी, इसलिए उंगली करने लगी थी. अब तुम मेरी प्यास बुझा दो.


मैंने कहा- ये मैं तुम्हारे साथ कैसे कर सकता हूँ. तुम्हारी बहन को पता चल गया तो वो क्या सोचेगी?
उसने कहा- उसे मालूम कैसे पड़ेगा. फिर यदि उसे कुछ पता चल भी गया तो मैं अपनी गलती कह कर तुम्हें सेफ कर दूंगी.
मैंने कहा- वो तो सब ठीक है लेकिन पता नहीं, मेरी बीवी क्या सोचेगी.


उसने कहा- एक दिन इत्तफाक से तुम्हारी और मेरी फोन पर बात हुई तो तुमने कहा था कि अगर किसी की भलाई करने के लिए मुझे किसी से भी लड़ना पड़ेगा, तो मैं पीछे नहीं हटूंगा. उसी बात को लेकर मैं आज यहां तुम्हारे पास आई हूँ. मुझे पता है तुम मुझे मना नहीं करोगे.

उसकी ये बात सुनकर मैंने उससे कुछ समय मांगा.

उन दिनों कुछ ऐसा हुआ कि मेरे पास बाहर जाने का कोई काम ही नहीं निकला और मैं समय से घर आने लगा.

उन दिनों उसका भी मूड बना हुआ था तो वो भी कभी मेरे लंड को टच कर देती तो कभी मेरी पीठ से अपने मम्मे रगड़ देती.
कहने का मतलब ये कि वो मुझसे लिपटी जा रही थी.
फिर मैं भी एक इंसान हूँ, कब तक अपने को संभाल कर रखता.


एक दिन मेरी सास को अपने बड़े बेटे के पास कुछ दिनों के लिए जाना पड़ा.

अब तो मुझे अपनी साली को भोगने का समय मिल गया था.

उनके जाने के बाद अपनी साली से बात की- मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूँगा, पर मेरी एक शर्त है आज की रात तुम एक नई दुल्हन की तरह से तैयार मिलोगी और मुझे कुछ भी करने से नहीं रोकोगी.
उसने मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखा.


वो बोली- जरूर डार्लिंग आज मैं तुमको हर तरह से रेडी मिलूंगी.
मैंने कहा- इस बात को याद रखना जान … कहीं मुकर न जाना.


वो विस्मय से मरी तरफ देखने लगी- इस बात का क्या मतलब हुआ डार्लिंग?
मैंने कहा- कोई ख़ास बात नहीं है जान. बस तुम्हारा यदि मन हो, तो क्या हम दोनों दो दो पैग का मजा ले सकते हैं?
वो हंस दी.


मैंने समझ लिया और जल्द आने का वादा करके जाने लगा.

मैं- मैं अभी कुछ समय के लिए बाहर जा रहा हूँ, समय से पहले आ जाऊंगा. तुम तैयार रहना.

उस दिन मैं पूरे दिन बाहर रहा ताकि उसकी बेचैनी और बढ़ सके.
मैं रात को भी जानबूझ कर देर से आया.


कमरे में जाकर देखा, वो पलकें बिछाए दुल्हन बनकर मेरा इंतज़ार कर रही थी.

मेरे आते ही उसने शिकायत की- दिन भर कहां रहे?
मैंने कहा- अपनी नई दुल्हन के लिए गिफ्ट लेने गया था. अब आते ही कुछ खाना-पीने की भी पूछोगी या सवाल ही करने का मूड है.


वो हंस दी और बोली- मैं अभी खाना लगाती हूँ.
मैंने जेब से एक हाफ निकाला और कहा- वादा भूल गई क्या?
वो हंस दी और गिलास नमकीन ले आई.


हम दोनों ने दो दो पैग खींचे और उसके बाद उसने खाना लगा दिया.
फिर हम दोनों ने पहले कुछ पेट पूजा की और अब उसे चोदने कि बारी आ गई थी.


मैं उसे अपनी गोद में उठा कर कमरे में ले गया.

उसे बिस्तर पर बिठा कर मैंने पहले उसे कुछ बातें की, उसका दिल बहलाया.
इसके बाद मैं सबसे पहले उसको मुँह दिखाई में एक गोल्ड चैन दी.
जिसे पाकर उसने मेरे चेहरे पर चुम्मियों की बौछार कर दी.


हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए.
हमारी ये किस काफी लंबी चली.


इसी बीच में मैंने उसकी साड़ी ब्लाउज पेटीकोट सब उतार कर उसे पूर्ण नग्न कर दिया.
साथ में मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए और सिर्फ अंडरवियर में रह गया.


अपनी साली के होंठों का रसपान करते हुए मैं धीरे धीरे नीचे आता गया.

गर्दन के नीचे आया तो मैंने उसकी 36 इंच की मस्त चूचियों के निप्पलों को पीना शुरू कर दिया.

वो इस्स इस्स करके मुझे अपने दूध चुसवा रही थी.

मैंने बारी बारी से उसके दोनों चूचों के रस को निचोड़ कर मजा लिया.

फिर नीचे आते हुए उसकी नाभि में जीभ चलाकर उसकी बेचैनी इतनी ज्यादा बढ़ा दी कि उसने अपने हाथ को मेरे लंड पर रख दिया.

वो मेरे लंड को अंडरवियर से निकाल कर सहलाने लगी जिससे मेरी भी आह निकल गयी.
फिर धीरे धीरे नीचे होते हुए उसकी रसदार चूत पर अभी जीभ फिरा दी.


वो एकदम से उछल गई और मैं चूत को ऊपर ही चाटने लगा.
इतने में ही उसकी चूत ने अमृत की धारा बहा दी.

फिर मैं उसकी टांगों के बीच में आ गया और टांगों को फैलाकर अपनी जीभ से उसकी चूत की फांकों को खोलकर उसमें अन्दर बाहर करने लगा.
वो एकदम से कसमसा उठी और मेरे सिर को अपनी चूत में दबाने लगी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
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कुछ ही पलों में वो अपनी गांड उठा कर दोबारा से अमृत धारा छोड़ने लगी.
मैंने चाट चाट कर उसकी चूत के पानी को पीकर साफ कर दिया और उठ कर उसके होंठों को चूसने लगा.

उसके होंठों से होंठ लगाकर मैंने उसे उसकी चूत के अमृत का रस पिलाया.
वो अपनी चूत का रस पीकर मस्त हो गयी.

अब मैंने अपने लंड को उसके सामने कर दिया और उसे लंड चूसने के लिए तैयार किया.

थोड़ी देर तो ना नुकुर करती रही मगर फिर मान गई.

जब उसने मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया तो मैं जनन्त में पहुंच गया.
अब मेरा लौड़ा अपने शवाब पर था.

मैंने बिना बताए अपना वीर्य उसके मुँह में भर दिया, जब तक उसके गले में नहीं उतरा, तब तक मैंने लौड़े को उसके मुँह में डाला रखा.
उसने इस बात पर बहुत गुस्सा किया लेकिन मेरे समझाने पर वो मान गयी.

दोनों का एक एक बार झड़ जाने के बाद मैं उसको अपनी बांहों में भर कर लेट गया और उसके होंठों का रसपान करने लगा.
उसकी चुचियों के निप्पलों को मरोड़ने लगा. कुछ ही देर में वो दोबारा से तैयार होने लगी.

मैं एक हाथ से दूध मसल रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूत के दाने को मसलने लगा.
वो और पागल सी होकर अपने हाथों से मेरे लंड को सहलाने लगी, जिससे लंड पहले से और ज्यादा कड़क हो गया.

फिर मैंने देर करना उचित नहीं समझा, उसे बिस्तर में बीच में लाकर उसकी गांड के नीचे तकिया लगाकर चुदाई की पोजीशन बना ली.
मैंने उसकी टांगों को फ़ैलाया और उसके बीच में आ गया. अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर बार बार रगड़ कर उसे बेचैन करने लगा.

वो लंड के स्पर्श से आनन्द में आ गई थी.
तभी मैंने बिना बताए एक करारा धक्का लगाकर पूरा लंड एक बार में उसके भीतर पेल दिया.

लंड उसकी बच्चेदानी से टकरा गई; उसकी एक तेज कामुक चीख निकल गई.
अगर उस समय घर पर कोई होता तो वो चीख सुनकर पक्का कमरे में आ जाता.

मेरे लंड ने भीतर जाने के बाद उसके दर्द को बहुत बढ़ा दिया था.
उसके दर्द को खत्म करने के लिए मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया और उसके चूचियों के निप्पल को मसलने लगा.

कुछ ही देर में उसका दर्द सिसकियों में बदल गया. अब मैं धीरे धीरे चूत में लंड के धक्के लगाने लगा.
जब उसने गांड उठा कर खुद धक्के लगाने का अहसास दिखाया.

फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार तेज कर दी जिससे लंड के धक्कों से उसकी सिसकारियां चीखों में बदल गयी.
लगातार 20 मिनट तक ताबड़तोड़ चोद कर उसके झड़ने की बेला आई तो उसने मुझे अपनी भुजाओं में एक बहुत मजबूती से जकड़ लिया और अपनी चूत की धारा से मेरे लंड को भिगोती हुई निहाल हो गयी.

उसके कुछ देर बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ कर उसके ऊपर लेट गया, उसके होंठों को चूसने लगा.
उसने कहा- आज शादी के इतने साल बाद मुझे चुदाई में मजा आया.

उसके बाद उस रात हमने दो बार और चुदाई की.
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#16
55amandandisI
Thanks for your valuable time andcomfortable with
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#17
पति के मौत के 3 साल बाद जम कर चुदी अपने भाई से





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कई बार ज़िंदगी में निराशा के बाद अचानक से खुशियां लौट आती है। कल रात मुझे वो ख़ुशी मिली जो शायद मुझे अपने पति के साथ भी नहीं मिली थी मेरा भाई मुझे खुश कर दिया। मेरी चूत में ठंढक पड़ गयी थी पर कल रात अपने भाई के लंड के द्वारा फिर से आग लग गयी। कल रात मुझे मेरा भाई खूब चोदा जब तक मैंने नहीं कहा की भैया अब मुझे छोड़ दो अब बस भी करो मेरी चूत सूज गयी है कमर में दर्द होने लगा है। तब जाकर मेरा भाई मुझे छोड़ा हां मैं इतना ही कहूँगी की मेरी ज़िंदगी में फिर से बहार आ गया। अब मैं जीना चाहती हूँ कुछ करना चाहती हूँ। जीने का वजह मिल गया है मुझे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
मेरा नाम पायल है मैं अभी 26 साल की हूँ। मेरा पति गुजर गया है बाइक एक्सीडेंट में। शादी के तीन साल बाद ही मेरा पति मुझे छोड़ गया। मैं अकेली रही गई मेरी शादी 20 की उम्र में हो गई थी और 23 की उम्र में विधवा हो गई। जब औरत को लंड चाहिए जब जवानी भरपूर हिलोरे मार रही हो और पति की मौत हो जाये। सोचकर ही कलेजा फट जाता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ मेरे माँ बाप ने मेरे लिए खूबसूरत लड़का देखा शादी हुई ज़िंदगी बहुत अच्छी चल रही थी तभी दुःख हो गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
मैं खूबसूरत पढ़ी लिखी औरत हूँ। मैं बिंदास लड़की हूँ। मुझे दोस्त बनाना रील बनाना बहुत ही अच्छा लगता है। तीन साल मेरी ज़िंदगी नर्क हो गयी थी। एक साल तो मैं दुःख में रही फिर अपने आप को संभालते हुए अपनी ज़िंदगी शुरू की। पर विधवा का ठप्पा था मेरे माथे पर इसलिए मैं अपने ससुराल से मायके आ गयी। माँ और पापा बोले तुम्हारी शादी करा देंगे। मुझे भी लगा की ज़िंदगी फिर से शुरू करने चाहिए। पर इस बार मैंने प्रण किया की अब मैं अपने पैर पर खड़ी होकर ही शादी करुँगी। क्यों की दुबारा शादी में डर भी रहता है।
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#20
मेरा भाई जो एक इंजीनियर है नॉएडा में रहता है अभी उसकी शादी नहीं हुई। पापा मम्मी बोले की तुम अजित के पास ही चली जाओ, अजित भैया मेरे से मात्र एक साल बड़े है. मैं अपनी माँ बाप की बातों को मानकर नोएडा अपने भैया के पास चली गई। दो दिन के बाद मैंने और भैया ने डिसाइड किया की मुझे नर्सिंग का कोर्स करने चाहिए और मैं नर्सिंग में एडमिशन करवा ली। सब कुछ नार्मल होने लगा था मैं खुश रहने लगी थी और मुझे ख़ुशी देने वाला मेरा भाई था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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