04-12-2024, 03:24 AM
(This post was last modified: 20-12-2024, 10:12 AM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
भाभी की चुदाई के चक्कर में चचेरी बहन को पकड़ लिया
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मैं डेढ़ महीने से ज्यादा गाँव में रहा और रेखा भाभी के साथ काफी मजा किया। मेरी छुट्टियाँ समाप्त हो गई थी इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया।
मैं घर आया तब तक मेरे भैया छुट्टियाँ समाप्त करके अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे इसलिये अब मैं अपनी पायल भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगा और मेरे व भाभी के शारीरिक सम्बन्ध बनने फिर से चालू हो गये।
मुझे गाँव से आये हुए अभी दस दिन ही हुए थे कि एक दिन शाम को जब मैं क्रिकेट खेलकर घर आया तो देखा कि ड्राईंगरूम में रामेसर चाचाजी बैठे हुए थे। उनको देखकर मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको मेरे और रेखा भाभी के बारे में पता तो नहीं चल गया और वो उसी की शिकायत करने के लिये यहाँ आये हों?
खैर मैं उनके चरण स्पर्श करके सीधा अन्दर चला गया और जब अन्दर गया तो देखा की सुमन (रामेसर चाचा जी की बेटी) भी आई हुई थी, बाद में मुझे पता चला कि सुमन को नौकरी के लिये कोई परीक्षा देनी है, उसी के लिये रामेसर चाचाजी सुमन को शहर लेकर आये हैं।
सुमन की परीक्षा अगले दिन थी इसलिये वो दोनों उस रात हमारे घर पर ही रहे। अगले दिन परीक्षा के बाद वो जाना चाहते थे मगर मेरे मम्मी पापा सुमन को हमारे घर कुछ दिन रुकने के लिये कहने लगे।
वैसे तो सुमन की छुट्टियाँ ही चल रही थी मगर वो अपने कपड़े लेकर नहीं आई थी इसलिए वो मना करने लगी।Sesh bhag आह्वान
मैं घर आया तब तक मेरे भैया छुट्टियाँ समाप्त करके अपनी ड्यूटी पर जा चुके थे इसलिये अब मैं अपनी पायल भाभी के साथ उनके कमरे में सोने लगा और मेरे व भाभी के शारीरिक सम्बन्ध बनने फिर से चालू हो गये।
मुझे गाँव से आये हुए अभी दस दिन ही हुए थे कि एक दिन शाम को जब मैं क्रिकेट खेलकर घर आया तो देखा कि ड्राईंगरूम में रामेसर चाचाजी बैठे हुए थे। उनको देखकर मैं थोड़ा सा डर गया कि कहीं उनको मेरे और रेखा भाभी के बारे में पता तो नहीं चल गया और वो उसी की शिकायत करने के लिये यहाँ आये हों?
खैर मैं उनके चरण स्पर्श करके सीधा अन्दर चला गया और जब अन्दर गया तो देखा की सुमन (रामेसर चाचा जी की बेटी) भी आई हुई थी, बाद में मुझे पता चला कि सुमन को नौकरी के लिये कोई परीक्षा देनी है, उसी के लिये रामेसर चाचाजी सुमन को शहर लेकर आये हैं।
सुमन की परीक्षा अगले दिन थी इसलिये वो दोनों उस रात हमारे घर पर ही रहे। अगले दिन परीक्षा के बाद वो जाना चाहते थे मगर मेरे मम्मी पापा सुमन को हमारे घर कुछ दिन रुकने के लिये कहने लगे।
वैसे तो सुमन की छुट्टियाँ ही चल रही थी मगर वो अपने कपड़े लेकर नहीं आई थी इसलिए वो मना करने लगी।Sesh bhag आह्वान
आगे
B
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.