मोनिका ने मेरी तरफ इशारा किया तो मैं समझ गया कि हम दोनों सेक्स करेंगे तो कोमल दीदी खुद हमें ज्वाइन कर लेंगी.
मैंने मोनिका को कमर से पकड़ा और ऊपर की तरफ उठा लिया.
अब उसका मुखड़ा मेरे सामने था तो उसने मेरे होंठों पर किस कर दिया और मैं भी उसे बुरी तरह से चूसने चूमने लगा.
कोमल दीदी वहीं गेट पर खड़ी रहीं और हम दोनों को देखती रहीं.
हम दोनों एक दूसरे को बांहों में लेकर अपने शरीर के हर हिस्से को रगड़ रहे थे.
मैंने मोनिका के टॉप को उतरना चाहा तो उसने खुद मेरी हेल्प की और बहुत जल्दी ही हम दोनों बिना कपड़े के बेड पर चढ़ गए.
मैंने मोनिका को नीचे लेटा लिया और उसकी गर्दन को चूमते हुए मैं उसके दोनों चूचे दबाने लगा.
वो ‘आह आह ओह माय गॉड’ की मादक सिसकारियां निकालती रही.
मैंने उसकी गर्दन के बाद गाल को, होंठों को चूमा और उसकी एक चूची पर अपना मुँह रख दिया.
वो अपने पैरों को मेरे पैर से लपेट रही थी और हाथों को मेरी पीठ पर कस रही थी.
मैं बारी बारी से उसकी दोनों चूचियों को मुँह में पकड़ कर खींच कर चूस रहा था.
वो और मैं इतने मदहोश हो गए थे कि हम भूल गए थे कि कोमल दीदी को भी अपनी चुदाई का हिस्सा बनाना है.
मैं बस मोनिका को निचोड़ कर चूसने में लगा हुआ था, उसकी चूचियों को निचोड़ने के बाद में उसकी चूत में लंड डाल कर धक्के लगाने लगा और वो मस्ती से चुदने लगी.
हम काफी देर तक चुदाई करते रहे और झड़ने के बाद जब मैं मोनिका के ऊपर लेट गया तब कोमल दीदी ने आवाज दी.
उन्होंने गुस्से में कहा- मोनिका, अब तुम आ रही हो तो ठीक … वर्ना मैं तो जा रही हूं.
तभी मोनिका ने भी मुझे अपने ऊपर से उठाया और मैं कोमल दीदी को बड़ी उदास नजरों से देखने लगा.
पर क्या फायदा … क्योंकि अब वो दोनों जा रही थीं.
मैं भी कुछ देर बाद दोस्त के घर से अपने घर आ गया.
अब कोमल दीदी की शादी के दिन नजदीक आ रहे थे तो मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी.
मैं किसी भी तरह कोमल दीदी से एक बार मिलना चाहता था.
शायद सेक्स के ही लिए मेरा मन बेचैन था.
मैंने मोनिका को बहुत बार समझाया और उससे कोमल दीदी से बात करने को बोला.
कोमल दीदी की शादी के तीन दिन पहले मैं कॉलेज में गया था तो मोनिका का फोन आया.
उसने मुझे बताया कि कोमल दीदी अभी मिलने को बोल रही हैं.
मैं तो पागल हो गया और बाइक उठाकर भागने लगा.
तभी मेरा फोन बजा, वो मोनिका ने ही किया था.
उसने बताया कि वो दोनों मेरे दोस्त के घर के बाहर हैं, पर वहां लॉक लगा है.
मैंने उन्हें चाबी के बारे में बताया और वहीं रुकने को बोला.
मैं बाइक की स्पीड बढ़ाए जा रहा था पर मुझे न जाने क्यों ऐसा लग रहा था कि मेरी बाइक की गति कम पड़ गई है. मैं एक पल में वहां जाने की कोशिश करने में लगा था.
वहां जाकर देखा तो कोमल दीदी की स्कूटी खड़ी थी.
मैं भी गेट बंद करके अन्दर आ गया.
कोमल दीदी शायद मेरे एक्साइटमेंट को समझ गईं और कमरे में जाते ही मुझे अपने सीने पर चिपका लिया.
मैं भी सालों से बिछड़े हुए प्रेमी की तरह उनके जिस्म से लिपट गया.
हम काफी देर तक एक दूसरे के जिस्म को ऐसे महसूस करते रहे, जैसे हम एक दूसरे से पूरी जिंदगी लिपट कर गुजारने की कोशिश कर रहे हों.
मोनिका भी आकर हम दोनों से लिपट गई, तब हमें समझ आया कि हम दोनों काफी देर से एक दूसरे से लिपटे हुए हैं.
मैंने अपना हाथ कोमल दीदी की कमर से निकाल कर मोनिका की कमर पर रखा तो मोनिका ने मेरे होंठों पर किस किया.
कोमल दीदी ने भी मुझे किस किया.
मुझे मेरे पुराने दिन की याद ताजा हो गई.
मैंने कोमल दीदी से कहा- अब सेक्स करते हैं … बहुत दिन से आपकी चूत नहीं देखी.
तो वो हंसने लगीं.
मैंने अपने कपड़े उतारने में देर नहीं लगाई पर कोमल दीदी ने अभी अपनी प्लाजो ही उतारी थी.
वो अब भी ब्रा और पैंटी पहनी हुई थीं.
मैंने कोमल दीदी को बेड के किनारे पर लेटा कर उनके पैर उठाए और उनकी पैंटी उतार दी.
उनकी चूत बिल्कुल साफ और चिकनी थी.
मैंने तो बस मदहोश होकर कोमल दीदी की जांघों के बीच में चेहरा रख दिया और अपने होंठों से उनकी कोमल जांघों को चूमने लगा.
आह क्या मस्ती थी.
मैं धीरे धीरे करके उनकी जांघों को चूमता रहा. फिर उनकी चूत के ऊपर वाले हिस्से को चूमने लगा, जहां बाल होते हैं.
कोमल दीदी भी अब मजा लेने लगीं और अपने दोनों हाथ मेरे सर पर रख दिए, जैसे वो चूत में चाटने को बोल रही हों.
मैं फिर से उनकी चूत को चूमने लगा. कोमल दीदी अपनी जांघों को दबाने लगीं. मैं भी अब होंठों के बजाय जीभ से उनकी चूत के अन्दर वाले हिस्से को रगड़ने लगा.
वो कामुक सिसकारियां भरने लगीं, मैं पूरी जीभ को अन्दर तक डाल कर घुमाने लगा.
कुछ ही पलों में कोमल दीदी ने अपना पानी छोड़ दिया जो मेरी जीभ पर आ लगा.
मैं चुत के रस को चाटता रहा.
फिर दीदी शांत हो गईं तो मैंने दीदी को बैठा कर उनकी ब्रा खोल दी.
दीदी के दोनों चूचे बाहर आ गए.
मैं उनसे खेलने लगा और चूमने लगा.
तब दीदी ने अपने हाथ से मेरा तना हुआ लंड पकड़ा और हिलाने लगीं.
मैंने दीदी से बोला- अन्दर डाल दूं?
तो दीदी ने हां में गर्दन हिला दी.
मैं तो दीदी के ऊपर टूट पड़ा और उनके ऊपर लेट कर लंड अन्दर डाल दिया.
दीदी ने भी मेरी कमर पर अपने दोनों हाथ बांध दिए और मैं दीदी की चूत में धक्के लगाने लगा.
कोमल दीदी वैसे तो ज्यादा आवाज नहीं करती थीं पर आज उनकी मादक सिसकारियां मुझे पागल बना रही थीं.
मैं उनकी आवाजों का जवाब तेज तेज धक्के लगा कर देने लगा और दीदी मेरे धक्के का जवाब सिसकारी भर कर.
ताबड़तोड़ चुदाई का दौर पन्द्रह मिनट तक चला.
अब हम दोनों अपने जिस्मों को एक दूसरे में समा कर झड़ने लगे और सांसों को काबू करते हुए शांत हो गए.
कोमल दीदी मेरी पीठ पर हाथ फेर कर प्यार से बात करने लगीं.
मोनिका ने हमारी बात काटते हुए कहा- दीदी, शिव आज भी अन्दर ही निकल गया … आप ध्यान रखना.
कोमल दीदी बोलीं- अब कोई फर्क नहीं पड़ता … वैसे भी सुहागरात में पति भी तो अन्दर ही निकालेगा. अब बच्चा होगा तो किसी का भी हो जाए, नो प्रॉब्लम.
उनके ये बोलने के बाद हम सब मुस्कुरा दिए और अगले दो दिन तक हम तीनों सेक्स करते रहे जो शायद कोमल दीदी के साथ आखिरी सेक्स था.
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