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भाभी की दीदी को बजाया
#1
भाभी की दीदी को बजाया










!
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C
मैं टाइम-टाइम से भाभी को बढ़िया तरीके से पेल रहा था। तभी सोनिया भाभी की दीदी यानि ज्योति दीदी उनसे मिलने आ गई। मैं ज्योति दीदी से पहले भी मिल चुका था, लेकिन तब सोनिया भाभी के साथ मेरा सेटिंग नहीं हुई थी।

ज्योति दीदी सोनिया भाभी की दीदी है तो स्वभाविक सी बात है कि भाभी की दीदी भी एक नंबर की कसूती माल होगी। ज्योति दीदी लगभग 35 साल की मस्त बिंदास औरत है। दीदी के बोबे लगभग 34″ साइज के है। दीदी की बल खाती हुई चिकनी कमर लगभग 32″ साइज की है।

मस्त चिकनी कमर के नीचे दीदी की सेक्सी गांड लगभग 34″ साइज की है। उनका गोरा चिकना जिस्म, मस्त टाईट बड़े-बड़े बोबे, शानदार सेक्सी गांड किसी को भी लंड मसलने पर मजबूर कर सकता है। वो पके हुए अमरुद की तरह एक-दम से गदराई हुई सी है। यो कह सकते है कि ज्योति दीदी लंड को मज़ा देने वाली बहुत ही शानदार माल है।

अब भाभी की दीदी के आने से मुझे सोनिया भाभी की चूत नहीं मिल पा रही थी। मेरा लंड भाभी की चूत के लिए तरस रहा था। मैं रोजाना भाभी के घर आता जाता था, लेकिन भाभी को चोदने का कोई मौका नहीं मिल रहा था।

तभी मैंने भाभी से कहा, “भाभी कोई जुगाड़ करो ना। ऐसे कैसे काम चलेगा? मेरा लंड आपकी लेने के लिए कुलबुला रहा है।”

“यार रोहित अब मै क्या करूं? मेरे पास कोई मौका नहीं है। बस दो-चार दिन की बात है। फिर दीदी चली जायेगी।”

मेरा लंड भाभी को चोदने के लिए तड़प रहा था। अब मैं भाभी को चोदने के लिए जुगाड़ करने लगा। फिर मैंने मनीषा चाची के घर पर भाभी को चोदने को जुगाड़ कर लिया। मैं मनीषा चाची को पहले ही बजा चूका था। अब मैंने भाभी को सारा प्लान समझा दिया था। लेकिन फिर भी भाभी की गांड फट रही थी।

“यार लेकिन दीदी को पता चल गया तो?”

“अरे यार भाभी, क्या आपकी दीदी चाची के घर देखने आयेगी क्या? जो आपको इतना डर लग रहा है।”

“अरे लेकिन उनका घर सामने ही है। कहीं दीदी को शक हो गया तो?”

“अरे कोई शक नहीं होगा भाभी?”

“यार तू मरवाएगा मुझे।”

अब भाभी मान गई। अब अगले दिन मैं चाची के घर पहुंच गया। अब मैंने तेल लगा कर लंड को अच्छे से तैयार कर लिया। अब मैं भाभी के आने का इंतज़ार करने लगा, लेकिन भाभी आ नहीं रही थी। फिर चाची ने भाभी को कॉल भी किया। लेकिन भाभी में कोई जवाब नहीं दिया। अब मैंने चाची को भाभी के घर भेज दिया।

फिर थोड़ी देर बाद चाची भाभी को लेकर आ गई। तभी भाभी हंसते हुए कहने लगी “क्या यार चाची जी, आप भी मुझे मरवाने में लगी हुई हो।”

“अरे यार तो मै क्या करूं? ये रोहित ही तुझे बजाने के लिए उतालवा हो रहा है।”

“ये भी गजब है। दो चार दिन और इंतज़ार नहीं कर सकता।”

“बस इंतज़ार ही तो नहीं हो रहा भाभी।”

तभी मैंने भाभी को दबोच लिया और रसीले होंठो को जा पकड़ा। अब मैं भाभी को पकड़ कर उनके होंठो को चूस रहा था। फिर मैं भाभी के बोबों को कसने लगा। भाभी कसमसाने लगी।

“ओह आहा सिससस्स आहा उन्ह आहा।”

मैं भाभी के चिकने जिस्म को बुरी तरह से मसल रहा था। इधर मेरा लंड भाभी की चूत में लगातार दबाव बना रहा था। अब भाभी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी।

तभी मैंने भाभी को झट से पलंग पर पटक दिया। अब मैं भाभी जी को दे दना दन चोदने लगा। भाभी से चीखने चिल्लाने लगी।

“आह्ह आह्ह आईएईई ओह रोहित धीरे धीरे चोद यारर्रर्र। आईईईई मम्मी। आईईईई आहह।”

मैं भाभी को चोद-चोद कर बुरी तरह से हिला रहा था। मैं भाभी को जम कर चोद रहा था। आज बड़े इंतज़ार के बाद मुझे भाभी को चोदने का मौका मिला था।

“आईईईई आईईईईई आह्ह आह्ह सिससस्स आह्ह आईईईईई बसस्ससस्स।”

तभी कुछ ही झटकों में भाभी का पानी निकल आया। फिर मैंने भाभी को बहुत देर तक बजाया। अब मेरा लंड तृप्त हो चुका था। फिर मैंने भाभी की चूत को मेरे लंड के पानी से भर दिया।

अब भाभी उठी और उन्होंने झट से चड्डी पहन ली, और ब्लाऊज के हुक लगा लिए।

“चाची जी आपने ही चुदवाया है आज मुझे।”

फिर भाभी तुरंत भाग गई। अब मेरे लंड को ठंडक मिल चुकी थी। भाभी के घर पर मेरा रोजाना आना-जाना लगा रहता था, तभी भाभी की दीदी मेरे लंड को भाने लगी।

भाभी की दीदी के बड़े-बड़े चूचे, मस्त मक्खन जैसा पेट, उठी हुई मस्त सेक्सी गांड, और उनकी मस्त जवानी अब मेरे लंड में आग लगाने लगी थी।

ज्योति दीदी भाभी से भी बढ़ कर एक नंबर की मस्त बिंदास माल थी। अब मैं भाभी की दीदी को चोदने को बारे में सोचने लगा। हालांकि ज्योति दीदी को चोदना इतना आसान भी नहीं था। लेकिन फिर भी मेरा लंड रिस्क लेने को तैयार था।

अब मैं जब भी भाभी के घर जाता, तो ज्योति दीदी पर ज्यादा ध्यान देने लगा। धीरे-धीरे मैं उनके साथ मेरी नजदीकियां बढ़ाने लगा। अब एक दिन मैं दीदी की तारीफ करने लगा।

“दीदी आप सच में बहुत खूबसूरत हो। भाभी से भी ज्यादा।”

तभी दीदी मुस्कुरा दी। “अच्छा!” “हां दीदी।”

“आप की साड़ी भी आपकी तरह बेहद शानदार है।”

“हां मैं हमेशा ही ऐसी साड़ियां पहनती हूं।”

“हां दीदी, ये आप पर बहुत अच्छी लगती है।”

अब मैं दीदी की हर एक चीज़ की तारीफ कर रहा था। दीदी उनकी तारीफ सुन कर मुस्कुरा रही थी। इधर मेरा लंड दीदी की चूत का स्वाद चखने के लिये तड़प रहा था। दीदी हंस-हंस कर मेरे जाल में फंस रही थी। अब एक दिन दीदी मेरे साथ बैठी थी। अब मैंने सोचा “रोहित ये ही मौका है। चेक कर ले दीदी तेरे साथ सेट है या फिर यूं ही स्माइल दे रही हैं।”

तभी मैंने दीदी के हाथ के ऊपर मेरा हाथ रख दिया। दीदी चुप-चाप वीडियो देख रही थी। अब मेरा लंड ज़ोर से फड़कने लगा। तभी मैंने दीदी के हाथ पर से हाथ हटा कर उनकी कमर में हाथ डाल दिया। अब भी दीदी चुप थी। तभी मैं उनकी कमर पर हाथ फेरने लगा। दीदी कुछ नहीं कह रही थी। वो मेरे साथ चिपक कर वीडियो देख रही थी।

अब मैं समझ गया था कि ज्योति दीदी मेरे साथ सेट थी। अब बस इनकी जवानी चखने का इंतज़ाम करना था। भाभी अब सब कुछ समझ चुकी थी। तभी वो मुझे समझाने लगी।

“देख रोहित मैं तेरे इरादे सब समझ रही हूं। लेकिन तू ये सब करने की कोशिश मत कर यार।”

“तो आप क्यों परेशान हो रही हो भाभी। चूत आपकी दीदी की है और लंड मेरा है। अगर वो चुदना चाहती है तो चोदने दो ना।”

“वो नहीं चुदना चाहती। तू ही उनको ललचा रहा है।”

“तो वो कोई छोटी बच्ची नहीं है जो मैं उन्हें ललचा रहा हूं। उनकी चूत में आग लगी है तभी तो वो मेरा लंड लेने के लिए तैयार हो रही है।”
“अरे यार तू मरवाएगा मुझे भी…
……………….An aage
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
Good start
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#3
अब मैंने भाभी की दीदी को चोदने का प्लान किया। उस दिन मेरे घर पर कोई नहीं था। अब मैंने दीदी से मेरे घर पर चाय के लिए चलने के लिए कहा। तभी दीदी ना नुकुर करने के बाद तैयार हो गई। हमारा घर साइड में था, तो दीदी कोई ज्यादा रिस्क नहीं लगी। अब मैं ज्योति दीदी को लेकर मेरे घर पर आ गया। तभी मैं दीदी को मेरे कमरे में ले गया, और उनकी गांड पर हाथ फेरने लगा।

“बहुत ही मस्त गांड है दीदी।”

तभी दीदी मुस्कुराने लगी। अब मैंने तुरंत दीदी को मेरी बाहों में भर लिया, और उनके रसीले होंठो पर ज़ोरदार हमला कर दिया। मैं दीदी की गांड को पकड़ कर उनके रसीले गुलाबी होंठो पर टूट पड़ा। दीदी भी भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठो को खा रही थी। दोनों जिस्मों में बराबर आग लगी थी।तभी मैं दीदी की कसी हुई गांड कसने लगा।

“आह्ह बहुत ही सेक्सी बिंदास गांड थी दीदी की।”

मैं दीदी के होंठो को चूसते हुए उनकी गांड को मसल रहा था। दीदी मेरे होंठों के साथ बंधी हुई थी। मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। तभी मैंने दीदी के बूब्स बुरी तरह से मसल दिए। अब गांड, बोबे, और होंठ रगड़ाई से दीदी बहुत ज्यादा गर्म हो चुकी थी। अब दीदी को पलंग की सख्त जरूरत महसूस हो रही थी। तभी मैंने दीदी को उठा कर पलंग पर पटक दिया। अब मैंने दीदी की चड्डी खोली, और उनकी झांटों से भरी चूत में लंड लगा दिया। अब मैं दीदी को बजाने लगा। तभी दीदी मेरे लंड के तूफान में उड़ने लगी।

“आईईईईई मम्मी। मर्रर्रर्रर्र गईईईई। आईईईईई आईईईईईए ओह रोहित बहुत दर्द हो रहा है। आईईईईई।”

“ओह्ह्ह दीदी, आहा।”

“आह आहा आईईईई आईईईई उन्ह्ह्ह सिस्सस्स आहा आहा।”

“ओह्ह्ह दीदी बहुत प्यासी है आपकी चूत तो आह।”

मेरा लंड दीदी की चूत की गहराई में जाकर बैठ रहा था। दीदी को मेरा मोटा तगड़ा लंड बहुत भारी पड़ रहा था।

“आह आह आह आईईईई उन्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रोहित। आहा आहा आईईईई सिसस्सस्सस।”


मेरा मोटा तगड़ा लंड दीदी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था। दीदी भयंकर दर्द से चिल्ला रही थी।

“आईईईई आई आईईईई ओह रोहित मत चोद आईईईईई।”

“चोदने दो दीदी। आपको मोटे तगड़े लंड की बहुत ज्यादा ज़रूरत है।”

“आह आह उन्ह्ह्ह्ह आईईईई सिस्सस्स।”

मुझे तो दीदी को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैं दीदी की दोनों टांगे फैला कर उन्हें बुरी तरह से चोद रहा था। मेरा लंड दीदी की चूत में तगड़ा घमासान मचा रहा था। दर्द के मारे दीदी की गांड फट रही थी।

“आईईईईई आईईईई आईईईई बहुत तगड़ा लंड है रोहित तेरा तो। ओह बहुत दर्द हो रहा है लेकिन मज़ा भी आ रहा है चुदाने में।”

“क्या कभी आप इतने बड़े लंड से नहीं चुदी हो क्या दीदी?”

“नहीं चुदी हूं यार। आईईईई आईईईईई सिसस्ससस्स।”

“तो फिर आज तबियत से ही चुद लो दीदी। भूल जाओ दर्द को।”

मैं झमाझम दीदी को बजा रहा था। अब धीरे-धीरे दीदी का दर्द कम होने लगा था। अब उनके मुंह से मादक सिस्कारियां निकलने लगी थी। तभी दीदी पसीने से भीगने लगी, और कुछ ही देर में दीदी की चूत में उबाल आ गया। फिर कुछ पलों में ही दीदी का पानी निकल गया। दीदी बुरी तरह से झड़ चुकी थी। उनकी चूत बुरी तरह से पानी-पानी हो चुकी थी। अब मैं झट से नीचे आया, और उनकी गरमा गर्म चूत पर मुंह रख दिया।अब मैं भाभी की दीदी की चूत चाटने लगा।तभी दीदी सिरसिराने लगी।

“ओह्ह्ह्ह आहह, बहुत प्यासी हूं मैं। उन्ह्ह्ह्ह खूब चाट मेरी चूत को। उन्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह रोहित। आहा बहुत मजा आ रहा है, आहा।”

मैं दीदी की चूत को कस कर चाट रहा था।

“ओह रोहित, उन्ह सिससस्स ओह आराम से, उन्ह्ह्ह्ह सिस्सस्स।”

अब दीदी को खुद को कंट्रोल करना ही मुश्किल हो रहा था।

“ओह रोहित उन्ह सिसस्ससस्स।”

तभी दीदी ने मेरे मुंह को उनकी चूत पर दबा दिया, और उनकी चूत में उबाल आ गया। अब मैं दीदी के पानी को चाट रहा था। दीदी के पानी को चाटने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

“ओह रोहित आह्ह सिससस्स।”

अब दीदी मेरे बालों को पकड़े हुए उनकी चूत चटवा रही थी। फिर मैंने दीदी की चूत चाट डाली।

अब मैंने दीदी की साड़ी और पेटीकोट खोल फेंका, और उनको नीचे से नंगी कर दिया। अब मैंने दीदी की चूत में लंड टिकाया, और उन्हें जम कर चोदने लगा।

“ओह्ह्ह्ह ज्योति, आहा।”

“आह आहा आईईईई सिस्सस्स आहा।”

अब मैंने दीदी को फोल्ड कर दिया। अब मैं पलंग पर खड़ा होकर दीदी की चूत में झमाझम लंड पेलने लगा।

“आह्ह आह्ह सिससस्स आहा ओह रोहित बहुत मज़ा आ रहा है। आह जम कर चोद मुझे। फाड़ दे मेरी चूत को। आह सिससस्स उन्ह।”

“हां ज्योति तेरी चूत को आज फाड़ ही दूंगा।”

“आहा आह आईईईई आहा आहा उह्ह्ह्ह मम्मी सिसासस्स आहाहहा।”

“ओह दीदी आह्ह बहुत मस्त माल हो आप। आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है आपको बजाने में, आह्ह।”

“ओह रोहित मेरी चूत की गर्मी शांत कर दे। आह्ह और ज़ोर-ज़ोर से चोद मुझे।”

“हां दीदी, ये लो।”

मेरा मोटा तगड़ा लंड दीदी की चूत में अंतिम छोर तक दस्तक दे रहा था। मैं दीदी की चूत में ज़ोर-ज़ोर से झटके मार रहा था।दीदी की दोनो टांगे फोल्ड होकर पीछे हो चुकी थी।

“ओह सिससस्स आह्ह आह्ह आईईईईई आहाहाह ओह उन्ह ओह सिसस्ससस्स। ओह बससस्स ऐसे ही चोदे जा। आह्ह आहा।”

अब दीदी को चुदाने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। वो चूत खोल कर मस्ती से लंड ठुकवा रही थी। मैं भी दीदी को जम कर पेल रहा था। दीदी आज उनकी प्यास बुझाना चाहती थी।

“ओह रोहित उन्ह बहुत मस्त चोदता है तू। आह्ह आह बससस्स पेले जा मुझे।”

“हां दीदी पेल रहा हूं।”

दोस्तों अगर औरत की चूत लंड लेने के लिए फड़क रही हो, और उसे सही जगह मौका मिल जाये, तो फिर औरत जम कर चुदती है। और ये ही दीदी कर रही थी। वो जम कर लंड ले रही थी।

तभी ताबड़-तोड़ ठुकाई से दीदी का पानी निकल गया। फिर मैंने बहुत देर तक दीदी को फोल्ड कर बजाया।

अब मैंने दीदी को पलंग पर पटका, और दीदी के ब्लाऊज के हुक खोल उनके ब्लाऊज को खोल फेंका। अब दीदी के बड़े-बड़े टाईट बोबे मेरे सामने नंगे हो चुके थे। दीदी के मस्त खजाने को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया। तभी मैं दीदी के बोबों पर टूट पड़ा और उन्हें मुट्ठियों में भरकर बुरी तरह से भींचने लगा।

“आह्ह सिससस्स आहा उन्ह ओह ।”

“ओह दीदी आपकी बहिन से भी मस्त चूचे है आपके आह्ह। आज तो मेरी किस्मत खुल गई।”

“ओह रोहित धीरे-धीरे दबा यार। दर्द हो रहा है, आह्ह, सिससस्स।”

“ओह दबाने दो दीदी। मना मत करो।”

तभी दीदी चुप हो गई। मैं दीदी के बोबों को बुरी तरह से तोड़-मरोड़ रहा था। दीदी दर्द के मारे हाथ पैरों को इधर-उधर पटक रही थी।

“ओह आह सिससस्स आह्ह उन्ह।”

फिर मैंने दीदी के बोबों को मसल-मसल कर लाल कर दिया। अब मैंने दीदी के बोबों को मुंह में लिया और फिर दीदी के बोबों को चूसने लग गया। आह्ह! क्या जबरदस्त टेस्ट था दीदी के बोबों में। आह्ह मैं तो पागल हो रहा था यारों।”

मैं झटके दे देकर दीदी के बोबों को चूस रहा था। इधर अब दीदी मुझे उनके बोबों पर दबा रही थी। मैं दे दना दन दीदी के बोबों को लूट रहा था।

“उन्ह आह्ह, बहुत मज़ा आ रहा है दीदी आह्ह।”

“ओह रोहित खूब रगड़ कर चूस आह्ह। बहुत रस भरा है इनमें, आह्ह।”

“हां दीदी पूरा रस पी जाऊंगा आज इनका।”

मैं ज़ोर-ज़ोर से झटके मार-मार कर दीदी के बोबे चूस रहा था। दीदी के बड़े-बड़े बोबे चूसने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। दीदी उनके बोबों को लुटा रही थी। मैं दीदी के बोबों की जम कर लंका लूट रहा था।

“ओह दीदी उन्ह सिसस्ससस्स।”

मैं दीदी के बोबों को रगड़े जा रहा था। फिर मैंने दीदी के खजाने को निचोड़ डाला।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#4
आहा आह आह उन्ह्ह्ह्ह सिसससस आह आहा ओह्ह्ह्ह रोहित। आह बहुत मजा आ रहा है। आह आह उन्ह्ह्ह्ह।”

“आप जैसी माल को चोदने में मुझे भी बहुत मजा आ रहा है, आहा।”

“आह आहा आईईईई उन्ह्ह्ह्ह आईईईई मेरी चूत, आ आहा आईईईई।”

तभी दीदी फिर से पानी-पानी हो गई। अब मेरा पानी निकलने वाला था। तभी मैंने लंड की स्पीड को बढ़ा दिया और दीदी की ज़ोरदार ठुकाई करने लगा।

“आईईईई आईईईईई आह आह्ह आईईईई आह्ह ओह रोहित आह्ह आईईईईई।”

अब मैंने दीदी को कस लिया और फिर मेरे लंड ने दीदी की चूत को गरमा गरम माल से भर दिया। अब मैं पसीने से लथ-पथ होकर दीदी से लिपट गया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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