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Incest मजा ही मजा
#1
साथियों , कालेज के पहले साल मे पता चला  की, पढ़ाई को छोड़कर बाकी सब कुछ करने कॉलेज जाना पड़ता हे, मैरे सब दोस्त अपनी  नई नई गर्ल फ़्रेंड्स के साथ फ़राटा दौड़ लगाते , बाइक पर घुमाते,  कैफै मे बेठते , पब  क्लब ना जाने क्या क्या, लेकिन मुझे पर्सोनली यह सब मे मज़ा नहीं आता, एक दो लड़कियों ने शुरू शुरू मे मुझमे इन्टरिस्ट भी लिया, लेकिन कहते हे ना की अभी भी मेरी वाली मुझे नहीं मिली थी । 
दो महीने खत्म होते होते कॉलेज का क्रैज़ भी खत्म हो गया, अब बस अटेन्डन्स लगाने मन मार कर जाना पड़ता था।   

कॉलेज मे फ्रेशेर पार्टी थी, मेरी चिट खुली की गाना गाओ कोई सा भी, मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुवे दुबली पतली ज़ीरो फिग्यर लड़कियों की तरफ देखते हुवे गाना गया, की कुछ भी नहीं हे आगे तुम्हारे, आज से दिल पर मैरे राज तुम्हारा, और एस गाने पर एतनी हूटिंग हुई की सब लड़किया भाग खड़ी हुई, और एसके बाद सभी दुबली पतली लड़कियों के आगे, लड़के यही गाना गाते। 

यह सब ज़ीरो फिगर वाली लड़किया , आगे से सपाट पीछे से सपाट मेरी पसंद कभी थी ही नहीं, और एस्का सबसे बड़ा कारण मे खुद ही हूँ,  मै शुरू से ही मम्मा बॉय रहा, मम्मी की फ़्रेंड्स, आस पास वाली गठीली आंटिया, परिवार की सभी चाचिया मामिया भुवा माँसी बहने सब के बीच घिरा रहा हूँ, घर परिवार की आस पड़ोस वाली सब की सब बातें मुझे पता थी, कब किसको महिना आया, कब नहीं आया, किसकी लड़की का कोण बॉय फ्रेंड हे, 
किसका किसके साथ चक्कर हे, मतलब की जमाने की फालतू बातें यह सब औरते मैरे सामने कर लेती, काम वाली सभी बाईया मम्मी की पक्की खबरी थी, किसका अपने नौकर के साथ चक्कर हे, कोन  किसके साथ सो रही हे, बाप रे पागल ही हो जाए आदमी।  

सब आंटियो के ब्रा साइज़ मुझे मालूम थे, कितनियों  ने हमारे घर मे मैरे सामने ही अपने ब्लाउस सारी बदली होगी, मम्मी ने खुद कभी मैरे सामने पर्दा नहीं किया, ब्रा पेटीकोट मे तो मम्मी कई बार मैरे सामने आई होगी, बैक लेस ब्लाउस की डोरी तो हमेशा से मम्मी की मैंने ही बांधी हे, मम्मी का खुद का साइज़ 34 डी  हे, लेकिन मम्मी फीट हे, भारी कूल्हे, उन्नत उरोज चिकनी टांगे , गोरी चिट्टी मांसल लेकिन मोटी नहीं। अब आप ही बताओ 
की ऐसी सुन्दर महिला के आगे यह सब आज की छोरिया कहा दम भरेगी, मेरी पसंद लड़किया नहीं आंटिया ही रही हे शुरू से, बस उनका विश्वास जीत लो एक बार फिर वो आपके सामने पूरी तरह खुल जाती हे, मतलब वो आपको अपना सबसे बड़ा हितेशी  मान बठती हे, आप पर पूरा विश्वास करती हे फिर, बस आप भी विश्वास घात  मत करो बस , मतलब पहले अपनी पकड़ मजबूत बनाओ । 

मम्मी की बेस्ट फ्रेंड वंदिता  आंटी थी, रहती तो दूसरे शहर मे थी, लेकिन रोजाना मम्मी और उनकी घंटों बाते होती, आंटी मम्मी की रिश्ते मे वह कज़िन बहन भी थी, लेकिन दोनों की एजुकेशन कॉलेज, शादी लगभग साथ साथ हुवे, मम्मी को मै पैदा हुवा, लेकिन आंटी को कोई बच्चा नहीं हे, उनके पती भी कनाडा मे हे, साल मे एक दो बार आते जाते हे,पैसा बहुत हे, लेकिन उनकी बातों से लगता हे की वो एस सब से खुश नहीं हे, 
मम्मी से उनकी जब भी बात होती हे वह एक बार तो रात अकेले नहीं कटती कह कर रोने लगती हे, मम्मी बोलती हे की तु डिप्रेशन मे मत आ जाना, कई बार आंटी को मम्मी  हमारे घर बुलवा लेती  हे, एक दो दिन घूम फिर कर मिल जुल कर अपना मूड फ्रेश कर आंटी वापिस चली जाती हे, आंटी बड़ी बिंदास हे, जब मस्ती के मूड मे होती हे तो छोटा बड़ा,  कुछ नहीं देखती , डबल मीनिंग मे मम्मी से मैरे सामने ही बाते  करती हे, 
मम्मी उनकी गंदी गंदी बातें सुन शरमा जाती हे, लेकिन आंटी अपना मुंह बंद नहीं करती । आंटी मैरे सामने ब्लाउस पेटीकोट मे कई बार आ चुकी थी,  और वो तो आगे भी कपड़े खोल दे, लेकिन मे खुद ही उनके सामने से चला जाता हूँ, मैरे पीछे भी हाथ धोकर पड़ी रहती हे, छेड़ते हुवे कहती हे बता कैसी लड़की ढूंढ़ऊ तेरे लिए, दुबली पतली या मैरे जैसी मस्त खाई पिए घर वाली । मै बिना जवाब दिए वहा  से भाग लेता। 


पापा भी पिछले बहुत दिनों से  टूर पर रहने लगे हे, आठ दस दिन मे लोटते हे और फिर एक दो दिन बाद वापिस जाने का प्रोग्राम बना लेते हे,  पापा के लगातार बाहर रहने से मम्मी भी चिड़चिड़ी सी हो गई हे, वंदिता आंटी को कह रही ती की तु कैसे बिना पती  के रह लेती हे,  मै तो हफ्ते भर नहीं प्यार करू तो बेचेन सी रहने लगती हूँ, सब जगह केवल मुझे सेक्स ही दिखाई पड़ता हे, तब मुझे पता चलआ की मम्मी भले ही 
चालीस साल की हो गई हो लेकिन उन्मे अभी गर्मी बहुत बाकी हे, एक बार पापा टूर से थके हुवे आए थे, मम्मी भी उसी दिन पार्लर जाकर चिकनी होकर आई थी, फेशियल और फूल बॉडी मसाज पूरे शरीर के बाल साफ करवाए थे, लेकिन शायद रात मे पापा जल्दी सो गए, और मम्मी पर ध्यान नहीं दिया, उसके बाद तो जो सुबह सुबह दोनों का युद्धह हुवा, की मम्मी ने सब कुछ आंटशंट   बॅक दिया, उन्हे लगा की मै सो रहा हूँगा, 
लेकिन मै अपने रूम मे जाग कर उनकी सब बाते सुन रहा था, पापा कह रहे थे, यार समझा कर अब मुझसे एतना सब नहीं होता, तु चाहती हे की मै अभी भी शादी के पहले साल वाला परफॉरमेंस दु, लेकिन अब पचास साल के आसपास यह सब संभव नहीं होता। सबसे बड़ी प्रॉब्लेम मम्मी पापा के बीच का एज डिफरेंस हे मम्मी अभी चालीस की हुई हे, और पापा पचास को छूने वाले हे, ऐसा ही सैम आंटी और अंकल का हे, उन्मे भी 
दस बारह साल का एज डिफरेंस हे। 

आमतोर  पर आंटी जब हमारे घर आती हे तो मम्मी के साथ उनके रूम मे सोती हे, दोनों रात भर जाग जाग कर बातें करती  रहती हे, मस्ती धमाल, कई बार तो उन दोनों की हरकते चोरी छिपे देख मुझे लगता हे की यह दोनों कही समलेंगीक तो नहीं, लेकिन फिर मम्मी की पापा के सामने लार टपकाना देख यकीन होता हे की नहीं ऐसा कुछ नहीं ।  लेकिन पिछली बार जब आंटी होली की लंबी छूटियों के कारण हमारे घर आई तो ,
पापा भी घर पर ही थे, एसलिए मम्मी ने आंटी को मैरे रूम मे अडजस्ट कर दिया, मैरे साथ ही आंटी भी बड़ी खुश हो गई, अगले दिन होली थी फिर अगले दो दिन वीकेंड्स थे, यानि कालेज की छुट्टिया थी, रात मे आंटी ने बड़े गले का बड़े बैक का  सूट डाल रखा था, नीचे स्किन टाइट लेगीनगस थी, छोटी लंबाई की कुर्ती के कारण ऑफ व्हाइट लेनगिगस मे उनके हिप्स के साथ साथ उनकी पिंक कलर की छोटी सी पेन्टी साफ दिखाई दे रही थी 
वो बेड पर लेटती तो उनके कुलहे बाहर निकल जाते, मे चोर नज़रों से उनकी पेन्टी को देख रहा था, और वो मेरी निगाहों को पकड़ रही थी, आप मेरी एस बात से सहमत होंगे की आमतोर  पर सभी लेडिज को यह पता चल जाता हे की सामने वाले की निगाह उनके शरीर को कहा से कहा तक घूर रही हे। खेर आउँटी की ब्लैक लैसी ब्रा उनकी पीठ और कंधों से बाहर आ रही थी, आंटी बेड पर अधलेटी हालात मे मम्मी और मुझसे बातें कर रही थी,
लेकिन उनकी निगाहे मेरी निगाहों का पीछा कर रही थी, एसलिए मै जी भर कर उनके अधखुले अंगों का मजा नहीं ले पा रहा था, रात के साढ़े ग्यारह बजे मम्मी सोने चली गई, एसके बाद आंटी ने अपने पैर फैला अपने मांसल बदन का अंदर से दीदार करवाया, उनके मांसल  हिप्स, झनघो के जोड़ , पटे मतलब सब पतली लेगीनगस मे से झलक रही थी, आंटी ने एक बार भी शरम आने का कोई बहाना नहीं बनाया, उनके आधे से ज्यादा 
स्तन कुर्ती से बाहर निकल रहे थे, मैरे साथ उनकी बातों का सार केवल लड़किया थी, बार बार पुचः रही थी की कल होली पर किस लड़की को कहा रंग लगाएगा, लेकिन मुझे होली का त्योहार पसंद नहीं, साला एक घंटे होली खेलों फिर कई घंटों तक अपने शरीर से रंग छुड़वाओ , घर साफ करओ, फालतू का त्योहार हे साला। 

सोने से पहले आंटी वाशरूम गई, लेकिन उन्होंने दरवाजे से ही अपनी कुर्ती ऊंची उठा लि, और अपनी लेगीनगस हिप्स से नीचे करते हुवे अंदर जाने लागि, उनके आधे हिप्स मैरे सामने ही उजागर हो गए थे, एसके बाद उन्होंने बाथरूम का गेट भी बंद नहीं किया, और सीट पर बेठ एतनी जोर से सिटी की आवाज निकलते हुवे पेशाब करी की मुझे बाहर ऐसा लग रहा था मानो मै खुद एस समय बाथरूम मे हूँ । वैसे ही वो लेगीनग चढ़ाते हुवे 
कुर्ती को  अपने दांतों से पकड़ अपना सफेद गोरा पेट दिखाती हुई बाहर निकल आई, आंटी भी मम्मी की टक्कर की बॉडी वाली महिला थी, दोनों ही मेरी पसंद की लिस्ट मे टॉप पर थी, मेरा बेड छोटा नहीं तो बहुत बड़ा भी नहीं हे, मतलब कोई कपल सोये तो आराम से सो सकता हे, लेकिन आंटी और मै ज्यादा पास नहीं सो सकते एसलिए, मै पलंग का एक कोना पकड़ सो गया, आंटी के साथ हल्की फुलकी बातें करते करते मै कब सो 
गया पता ही नहीं चला  । 

 सुबह चार बजे बाहर मोहल्ले के चौराहे से थोड़ी अवाजों के कारण मेरी नींद खुली,  शायद होलिका दहन हुवा होगा, जब मै बाथरूम से वापिस आया तो जैसे ही  रोशनी आंटी पर पड़ी, लेकिन मै चौक गया, आंटी ने नींद मे अपनी लेगीनगस थोड़ी नीची कर रखी थी,  और उनका एक हाथ पेन्टी के अंदर था, उनके महीन रोए दार झांटों के ऊपरी  बाल साफ दिखाई दे रहे थे, गौर से देखने पर पता चला की आंटी ने अपनी दो उँगलिया 
अपनी चुत मे फसा रखी थी, शायद उन्होंने नींद मे चुत मे उंगली की होगी, या मूठ मारी होगी,  आंटी बेहोश की माफिक सो रही थी, मै वापस आकार अपनी जगह सो गया, लेकिन साला मन बड़ा हरामी होता हे,  मान नहीं रहा था, एसलिए बड़ी हिम्मत कर के आंटी की लेगीनग नीचे करनी शुरू कर दी, किस्मत अछि थी लेगीनग पुरानी थी शायद एसलिए उसका रबर लूज था, ज्यादा कोशिश किए बिना ही आंटी की लेगीनग सरकने लागि, 
और आंटी की पेन्टी आगे से साफ दिखाई देने लगी उनकी लेगीनग अभी भी पीछे हिप्स पर चड़ी हुई  थी केवल आगे से ही सरकी थी, लेकिन मैरे लिए  तो बस एतना नजारा ही काफी था, अब साफ हो गया की आंटी अपनी चुत मे दो उँगलिया फसा कर सो गई थी। शायद खुजली मची होगी रात मे, क्योंक आंटी कई बार मम्मी से मज़ाक मे बोलती हे की उंगली कर लिया कर । 

अगली सुबह होली थी, सब बिना नहाए  भर पेट नाश्ता करके बेठे  थे, मुझे दोस्तों की टोली के आने का डर  था, साले चेहरे को छोड़ कपड़ों के अंदर पक्का वाला  रंग लगाते  हे, अगले आठ दिन तक नाजुक अंगों से रंग साफ नहीं होता, और फिर वही हुवा, जैसे ही दोस्त आए, मैंने मम्मी से कहलवा दिया की मै घर से निकल गया हूँ दूसरे दोस्तों के साथ लेकिन आंटी ने सब गुड गोबर कर दिया, उन्होंने मैरे दोस्तों को एशारा कर के बता दिया 
की मैं घर मे ही छुपा हूँ, और फिर मेरी ज्यादा वाली मत्तीपलित हुई, चेहरे पर एक बूँद रंग नहीं लगाया, लेकिन कपड़ों के अंदर हाथ घुसा घुसा कर रंग लगाया, एसके बाद तो पूरे घर मे होली मच गई, क्या मम्मी पापा आंटी, सब रंग मे सराबोर हो गए, थोड़ी देर मे मोहल्ले की टोली भी आ गई, सबने सबको रंग लगाया, एसके बाद मम्मी पापा तो मोहल्ले वाली टोली के साथ निकल गए, क्योंकि बाद मे मम्मी पापा को दोस्तों के घर भी जाना था। 
जब दो घंटे बाद होली का जोर खत्म हुवा तो मैंने घर साफ करना शुरू किया, अच्छी  बात यह थी की केवल आँगन ही सूखे रंगों से  गंदा हुआ था, जल्दी ही साफ हो गया, एसके बाद मै कीचन के पीछे वाश एरिया मे नहाने गया, क्योंकि रूम वाले बाथरूम रंग से बहुत गंदे हो जाते हे, मैंने आंटी को बोला आप बाथरूम मे नहा लो, मै हमेशा की तरह ही पीछे नहा लूँगा, एसके बाद मै जैसे ही नहाने गया, आंटी वहा आ गई,  मैंने घर को बाहर से बंद 
कर दिया था, किसी के आने की कोई  आशंका नहीं थी, मम्मी पापा शाम से पहले आने वाले नहीं थे, आंटी ने वही मैरे पास अपनी बाल्टी भर लि और बोली मुझे रंग छुड़वाने मे तेरी हेल्प लगेगी, और बोलते हुवे उन्होंने अपनी कुर्ती उतार दी, उनके बड़े बड़े गोरे स्तन आधे से ज्यादा रंग मे लाल पीले नीले हो रहे थे, मोहल्ले की आउँटीयों की उनगलियों के निशान साफ दिख रहे थे, मै थोड़ा नर्वस फ़ील करने लगा क्योंकि मे केवल अन्डरवेयर मे था, 
मैंने अपना सर झुका कर सबसे पहले सर का रंग बहा लिया, मेरा चेहरा तो लगभग साफ ही था, लेकिन मैंन तो मुझे चड्डी के अंदर का रंग निकालना था, लेकिन आंटी के वहा होने के कारण मै अपनी चड्डी मे साबुन लगा कर हाथ से रगड़ नहीं पा रहा था, एधर आंटी ने सबसे पहले अपने सर पर पानी डाला, जिससे पाउडर वाला पका रंग से उनका पूरा गोरा बदन लाल हो गया, बालों के कारण पीठ लाल चट हो गई, मुजसे बोली मेरी पीठ रगड़ कर
 रंग उतारने मे मदद कर दे, मै शुरू हो गया, उनकी पीठ कंधे सब पर साबुन मल कर रंग उतारने लगा तब तक आंटी ने अपना सर धो लिया उन्होंने वही रात वाली काली लेसी ब्रा पहन राखी थी नीचे सफेद लेगीनगस थी जो की रंग मे भीग कर लाल और पिंक रंग की हो चुकी थी, लेकिन भिहने के कारण आंटी के हिप्स और पिंक पेन्टी साफ दिखाई दे रहे थे, मै उनकी कंधों को साफ करते करते उनकी ब्रा की स्ट्रपस को कंधों से नीचे कर दिया, 
एसके बाद आंटी मेरी तरफ मुंह कर के आगे सिने क रंग निकालने लागि, दो तीन बार उनकी काली काली निपपलों के आधे अधूरे दर्शन भी हो गए, जब आंटी का ऊपर के बदन का रंग बहुत कुछ निकल गया तो उन्होंने अपनी लेगीनग उतार फेकी अब वो केवल ब्रा पेन्टी मे थी, पेन्टी बहुत छोटी थी उनके मांसल चूतड़ों मे कहा गूम हो गई दिखायि ही नहीं दे रही थी पीछे से तो, उन्होंने अपनी केले के तने के समान चिकनी झनघो को फेला 
कर खूब रगड़ा, पहले तो मै अपनी गीली चड्डी मे था ऊपर से आंटी का यह हुस्न देख मै बोरा सा गया, साला कडक लिंग सर उठाए ही जा रहा था, आंटी लगातार मारे लिंग को देख मंद मंद मुस्कुरा रही थी, दूसरा चड्डी के अंदर रंग डले  होने से पानी के साथ रंग मेरी झनघो पर बह रहा था, आंटी बार बार कह रही थी, अंदर बहुत रंग हे साबुन मल कर निकाल ले नही तो रंगों से ऐलर्जी हो जाएगी । 

आंटी की बात तो सही थी, लेकिन मेरा ध्यान उनके गोरे मांसल चूतड़ों पर से हट ही नहीं रहा था , आंटी ने पूछा की मेरी पीठ का रंग निकल गया क्या, तो मै जान बुझ कर झुठ बोला की नहीं कमर और हिप्स पर बहुत रंग हे, तब आंटी बोली प्लीज रंग छुड़वाने मे मैरी मदद कर दे, मै तुरंत साबुन लेकर आंटी की कमर पर घिसने लगा, आंटी खड़ी थी, वह अपने सिने का रंग साफ कर रही थी, मै जान बुझ कर उनकी पेन्टी के रबर को नीचे धकेल रहा था, 
जिससे उनकी गोरी मांसल चूतड़ की फाक दिखाई दे रही थी, साबुन बह कर उनकी गाँड की फाक मे जा रहा था, तभी आंटी बोली  हिप्स पर भी साबुन मल दे, मै तुरंत अपनी हथेलियों को उनकी हिप्स पर ले आया और उनकी गूँदाज़ गाँड को रगड़ने लगा, आंटी ने बैलन्स बनाने के लिए सामने दीवार पकड़ लि थी, और थोड़ा आगे की और झुक सी गई थी, उन्होंने अपनी टांगे भी थोड़ी फेला रखी थी, ताकि बैलन्स बना रहे, पीछे से मे पूरे जोश मे 
उनकी गाँड और कमर के साथ साथ झनघो तक अपना हाथ रगड़ रहा था, अब जब ऊपर से बहता हुवा साबुन उनकी झाँगहों पर आया तो सफेद चिकनी टांगे लाल दिखने लगी , मैंने आंटी को घुमा कर अपनी और कर लिया, और खुद उनके सामने घुटनों के बाल बैठ गया, अब उनकी पेन्टी ठीक मेरी निगाह के सामने थी, मैंने उनकी झनघे साफ करने के बहाने उनकी टांगे चौड़ी करवा दी, और उनका कोई विरोध ना देख अपनी उँगलिया उनके
 झनघो के जोड़ों तक ले जाने लगा, आंटी मुझे पूरा सपोर्ट कर रही थी, आंटी की गीली पेन्टी उनकी चुत मे घुस चुकी थी, और उनकी पाव रोटी जैसी चुत पर  पेन्टी केमल टों बना रही थी, अब तक आंटी के बदन का सारा रंग बह चुका था, एसलिए अब उन्होंने मेरी पीठ और कमर पर लगा रंग साफ करना शुरू कर दिया, मैंने भी आगे से  साबुन अपनी चड्डी मे ग़ुस्सा कर रंग हटाना शुरू कर दिया, लेकिन जैसे ही बाबूराओ को छुवा वो तन कर 
खड़ा हो गया, आंटी पीछे से कमर पर हाथ फेरते हुवे मेरे पेट पर भी ले आई, और फिर मेरी चड्डी के रबर के अंदर तक अपनी पतली पतली उँगलिया घुसाने लगी , मैंने तुरंत उनका हाथ पकड़ लिया लेकिन तब तक उन्होंने अपना हाथ मेरी चड्डी मे घुसा ही दिया, और मैरे झांटों पर उँगलिया फेरने लगी , एस बीच आंटी  पीछे से मुझ से पूरी तरह चिपक गई थी, मुझे उनका पूरा बदन महसूस हो रहा था, उनके बूब्स मेरी पीठ पर गर्माहट पेदा कर रहे थे, 
बड़ी मुश्किल से आंटी का हाथ अपनी चड्डी से बाहर निकालने के बाद हम दोनों ने फाइनल बाथ लिया, मै तो पहले से ही अपना तौलिया साथ लाया था, लेकिन आंटी के पास कुछ नहीं था, मैंने जैसे ही अपनी चड्डी खोल अपना  तौलिया लपेटा, आंटी उसे मस्ती मे खिचने लगी , बोली यह तौलीया मुझे चाहिए, और आखिर कार मुझे नंगा कर मेरा तौलिया झपट ही  लिया, मै तुरंत दीवार की और मुंह कर के खड़ा हो गया, और अपने हाथों से अपने बाबूराव 
को छुपाने लगा, ईधर यह जेन्ट्स तौलिया भी आंटी के बदन के लिए ना काफी था, उन्होंने उसे अपने सिने से बांधा तो नीचे से  उनके हिप्स बाहर आ रहे थे, एक हाथ से उन्होंने अपनी चुत ढ़ाक रखी थी, अब वो आगे आगे चलते हुवे मैरे रूम तक गई, और मै  उनके पीछे पीछे अपना उत्तेजित लिंग छुपाते, संभालते रूम मे आया  । 

रूम मे आने के बाद मै जल्दी से खुद के नंगे बदन को छुपाने के लिए, कोई कपड़ा ढूंढ रहा था,  लेकिन आंटी बोली, बहुत शर्मिला हे, चल तेरे साथ मै भी नंगी हो जाती हूँ फिर तो नहीं शरमाएगा ना, कहते हुवे उन्होंने भी अपना तौलिया अपने बदन से निकालते हुवे, सर के गीले बालों मे लपेट लिया, अब हम दोनों ही रूम मे मादर जात नंगे थे, लेकिन अब तक शरम और थोड़ी झिझक के कारण मेरा उत्तेजित लिंग थोड़ा नरम पड गया था, आंटी ने मुझसे 
बॉडी लोशन मांगा मैंने उन्हे दिया तो बोली इसे मेरी पीठ पर तु ही लगा दे, अब मै आंटी के मांसल नंगी पीठ पर बॉडी लोशन लगाने लगा, आंटी ने भी अपने हाथों मे लोशन लेकर अपनी बाहों, और पैरों पर लगाया, जब वो पलंग पर एक पैर  रख झुक कर अपने घुटनों के नीचे लोशन लगाने झुकी तो उनकी गाँड़ का भाग खुल गया, मै तुरंत उनके समीप आकर अपना उत्तेजित लँड़ को उनकी गाँड  पर छुवाने लगा, आंटी तुरंत समझ गई, और अपनी गांड़ को 
हल्के हल्के हिलाते हुवे मैरे लिंग को छेड़ने लगी,  तभी  आंटी सीधी खड़ी हुई,  मुझे पीछे से अपने पास खिचा और मैरी हथेलियों को पकड़ कर अपने सिने पर रख दिया, बोली यहा भी लगा दे लोशन, मैंने तुरंत अपने हाथ मे बॉडी लोशन लिया और आंटी के मोटे  मोटे  पपीतों पर मालिश शुरू कर दी, आंटी की निपपलेस  टन कर अंगूर के बड़े लंबे दाने जैसी हो गई, मैंने उन्हे जी भर कर सहलाया, दबाया निचोड़ा , मैरा उत्तेजित लिंग अब आंटी की दोनों 
झनघो के बीच रगड़ रहा था, जिसकी रगड़ से आंटी की गरम नंगी  चुत पनिया रही थी, मैंने उन्हे ड्रेसिंग टेबल के कांच के सामने की और किया, और अपना एक हाथ उनके सिने से नीचे लाकर उनकी चुत पर फेरना शुरू कर दिया, आंटी खुद को नंगी सामने कांच मे बेशर्मों की तरह देख रही थी, जब आंटी को खुद पर काबू नहीं रहा तो उन्होंने मुझे खिचते हुवे बेड पर गिरा लिया, बेड पर गिरते ही आंटी ने मेरा चेहरा पकड़ मेरे होंठों को चूमने चाटने चूसने लगी, 
यह सब मैरे लिए पहला अनुभव था, मुझे नीचे लिटा आंटी ने मेरे उत्तेजित लिंग पर अपनी चिकनी चुत को रगड़ना शुरू कर दिया, मेरे होंठ चूसते हुवे वह अपने मुंह से लार निकाल रही थी, और अजीब सी कामुक आवाज़े करते हुवे, मैरे हाथों को अपने साइन पर रख अपने बूब्स भी दबवा रही थी । 

आंटी की सेक्स की तलब एतनी थी, की मानो वो एक पल मे ही मुझे खा जाएगी, लेकिन वो अपनी कमर को लगातार हिलाते हुवे अपनी चुत को मैरे उत्तेजित लिंग पर रगड़ रही थी, और वही हुवा, जिसका मुझे उम्मीद नहीं  था, आंटी मैरे उत्तेजित लिंग पर ढेर हो गई, उनकी चुत से निकले चिकने गरम पानी से मेरा उत्तेजित लिंग सराबोर हो गया, मुझे कुछ अच्छा  फ़ील नहीं हुवा, लेकिन आंटी मुश्किल से दो मिनट बाद वापिस फार्म मे आ गई, एस बार उन्होंने 
अपना सीना मैरे चेहरे पर झुलाया, और अपने उत्तेजित चूचक मैरे मुंह मे दे दिए, अब मै उनकी गाँड को पकड़ उनके बूब्स चूस रहा था, आंटी खुद ही बारी बारी से अपने मोटे ताजे मांसल स्तन बदल बदल कर मैरे मुंह मे दे रही थी, मेरी बरसों की कामना पूरी हो गई , एसके बाद आंटी उछल कर मैरे मुंह पर बेठ गई, और अपनी चिकनी चुत को मेरे मुंह पर रगड़ने लगी , मैंने भी बिना देर किए अपनी जीभ को उनकी चुत मे अंदर तक घुसा दिया, आंटी अपने 
घुटनों के बल मैरे चेहरे पर बेठी थी, उनकी चुत चाटने मे मेरी नाक भी उनकी चुत मे घुसी जा रही थी, क्योंकि वो खुद ही अपनी चुत को अपने  हाथों से फेला कर मैरे मुंह मे परोस रही थी, मै उनकी गाँड को पीछे से दबोच रहा था, आंटी की चुत अंदर से पिंक कलर की थी, उसमे से बड़ा ही अजीब स्वाद का कुछ खट्टा कुछ खारा स्वाद आ रहा था लेकिन जो भी था , था बड़ा मस्त । और फिर एक बार आंटी ने धोखा दे दिया, एस बार उनकी चुत को
 मैरे मुंह पर ही बहा दिया, लेकिन मै भी उनके काम रस की आखिरी बुनद तक चाट गया, आंटी मैरे उत्तेजित लिंग को पकड़ कर सहलाही रही थी की तभी  बाहर से आँगन मे मम्मी पापा की आवाज आने लगी, आंटी तुरंत दौड़ती हुई कपड़े उठा बाथरूम मे घुस गई, मैंने भी  तुरंत अपने बदन पर लोअर टीशर्ट डाल बाहर आकार गेट खोल दिया, मम्मी पापा तो रंग मे पूरे भूत बने  हुवे थे । 

मैंने बड़ी मुश्किल से अपने बाबूराव को समझाया और उसे नॉर्मल किया, आंटी तो दो बार की खाली हो चुकी थी, लेकिन मै अभी भी भरा बैठा था, किसी तरह रात होने का एनतेजार था, दिन भर की थकान के बाद आज सभी जल्दी ही सोने चले गए, रात मे आंटी ने नॉर्मल व्यवहार रखा, जैसे आम लोग रहते हे , फिर जब वह कन्फर्म हो गई की मम्मी पापा दोनों सो गए हे, तब मुजसे चिपक कर सोने लगी आंटी ने अभी मम्मी का लोअर टी शर्ट पहना था, जो 
दोनों उन्हे थोड़े टाइट थे, आंटी ने टी शर्ट मे ब्रा नहीं पहनी  थी, उनके नर्म मुलायम स्तन  मुझे महसूस हो रहे थे, आंटी ने मेरे लोअर मे हाथ डाल कर मैरे लिंग को सहलाया और बोली बता सारा रंग निकला की नहीं, और मेरी कुछ रिएक्शन के पहले ही मेरा लिंग लोअर से बाहर निकाल लिया, और उसे चूसने लगी, उन्हे लिंग चूसने मे मास्टरी थी, किसी लॉलीपॉप की तरह मैरे उत्तेजित लिंग को अपने मुंह मे अंदर तक ठूस लिया, मेरा लिंग उनके गले के अंदर तक 
 से टकराने की वजह से उनकी आँखों से पानी निकाल रहा था लेकिन वो उसे बड़ी मस्ती मे चूसे जा रही थी, वो मुझे छोड़ ही नहीं रही थी । अब जब मुझे लगा की  अब मै खालि हो जाऊंगा तो मैंने आंटी का लोअर नीचे खिच उनकी चुत मे अपनी दो उँगलिया फेरना शुरू कर दी , आंटी ने  पेन्टी भी नहीं पहनी  थी, मैंने उन्हे 69 की  पज़िशन मे लिया, और उनकी चुत को अपनी लप लपाती  जीभ से खोदना शुरू कर दिया, एसके बाद उन्हे नीचे बेड पर पटक कर 
उन पर चढ़ गया, उन्होंने खुद भी सहयोग किया, और मेरा पहला सेक्स करने मे साथ दिया, आंटी जैसी अनुभवी महिला के साथ सेक्स करने का अनुभव वह भी मैरे जीवन का पहला सेक्स बहुत रोमांचक और यादगार था । 

उन्होंने बताया की अंकल के अलावा  जीवन मे पहली बार किसी दूसरे  के साथ सेक्स किया हे उन्होंने, और वह भी एसलिए क्योंकि उन्हे मुजसे कोई रिस्क नहीं लगी । क्या मालूम मुझे रंग से भीगा देख वो खुद पर काबू ही नहीं रख पाई, एसके बाद हमने रात मे एक बार फिर धमाकेदार चुदाई करी । जब मैंने उन्हे बोला की अब आप कब मिलोगे, मे बिना सेक्स के कैसे रहूँगा तो बोली की हम जल्दी ही मिलेंगे, और तब तक तेरी मम्मी को फसा, वो भी भरी बेठी हे,
बस एक चिंगारी की आवश्यकता हे,  खुद ही तेरे निचे आ जाएगी, और तु तो है ही एतना जानदार शानदार की मैरे और तेरी मम्मी की जैसी ना जाने कितनों को ठंडा कर सकता हे । मै बोला मम्मी के साथ मतलब कैसे, तो वो बोली उसकी चिंता तु मत कर  मै उसे अपनी बातों के जाल मे फसा कर उसे तेरे साथ आने के लिए राजी कर लूँगी, तु बस तय्यार रहना, कभी कोई मौका मत छोड़ना । 

अगले दिन संडे शाम आंटी चली गई, मेरा जीवन फिर से सामान्य  हो गया, पापा फिर टूर पर जाने लग गए, मम्मी रोजाना आंटी से बात करती , लगभग पंद्रह दिन बाद मैंने कॉलेज से आंटी को फोन लगाया, हाल चाल पूछने के बाद मैंने उनसे पुचः की मम्मी से आपकी कोई बात नहीं हुई क्या ?  मम्मी ने तो कोई ग्रीन सिग्नल नहीं दिया, तो आंटी बोली बेटा आराम से थोड़ा ठंडी करके खाना  पड़ेगी, एतना आसान नहीं हे किसी औरत को उसके बेटे के सामने 
खुलना, वोह तो फिर भी तेरे सामने कपड़े बदल लेती हे, वरना दूसरी औरते तो रूम से ही बाहर कर देती  हे, थोड़ा समय लगेगा, लेकिन सब हो जाएगा, तु चिंता ना कर । फिर तेरे लिए मै हु तो सही, जब भी ज्यादा मन करे बोलना मै आ जाऊँगी या तुझे किसी बहाने से मेरे पास बुलवा लूँगी ।
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#2
Good start
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#3
एसके कुछ दिन बाद मैंने गोर किया की मम्मी आज कल मैरे सामने कुछ ज्यादा ही खुल गई हे, कई बार नहाने के बाद केवल तौलिया लपेट कर पूरे घर मे घूम घूम कर काम करती रहती हे, एक दो बार रात मे बेडरूम मे पहने वाली छोटी सी ट्रैन्स्पैरन्ट नायटी पहन मैरे रूम मे आ गई, हालाकी उसमे उन्होंने ब्रा पेन्टी पहनी थी, लेकिन एसके पहले मैंने उन्हे कभी भी एस ड्रेस मे नहीं देखा था, मै कुछ समझ नहीं पा रहा था, की क्या कैसे शुरुवात होगी,
लेकिन आंटी बोली थी की थोड़ा समय लगेगा, एसलिए मै भी नॉर्मल ही रह रहा था ।

अगले महीने मम्मी के कजीन भाई की शादी होने वाली थी, वेन्यू शहर के बाहर डेस्टिनेशन वेडिंग का था, तीन चार दिन की धींगा मस्ती होनी थी, हर दिन अलग कार्यक्रम था, सब दिनों के अलग अलग कपड़े, जेवर, मैकअप कीट , रात के अलग दिन के अलग, सोने के कपड़े अलग, फिर मेचीनग के जूते चप्पल, ब्रा पेन्टी हैन्ड बेग आदि आदि । अरे बाप रे, मेरा तो दिमाग ही खराब हो गया, मम्मी और आंटी की बात अब घूम फिर कर बस एसी शादी
की त्यारीयों मे लग गई, मम्मी हर दूसरे दिन मुझे अपने साथ बाजार ले जाती, खूब खरीद डायरी हो रही थी, एक तो मम्मी के मायके की यह आखरी शादी थी, दूसरा डेस्टिनेशन वेडिंग के कारण सभी लोग आने वाले थे, ससे बरसों बाद मिलना जुलना होना था, अपनी अपनी सच्ची झूठी शान बघारना थी, और आउनटुय और मम्मी दोनों एन सबमे कहा पीछे रहने वाली थी । लहंगे चुन्नी सिलवाए गए, बैक लेस ब्लाउस नेट के , चनिया चोली , पलाजों,
गरारे शरारे और भी ना जाने क्या क्या ? आंटी की खरीददारी भी मम्मी ही कर रही थी, उन दोनों की पसंद एक समान हे, मम्मी ने अपनी सारी ईच्छाये एसी शादी मे पूरी करनी थी, खूब नाचने गाने की प्रैक्टिस होने लगी । दोनों विडिओ काल पर डांस प्रैक्टिस करती ।


और जब लास्ट मे सब कपड़े फाइनल बन कर आ गए तो, आंटी और मम्मी उन्हे पहन पहन कर उन्हे फाइनल करने लगी , लेकिन आंटी ने यहा गेम कर दिया, मम्मी को बोला की मुझे मोबाईल दे कर विडिओ बनाए, ताकि सही से वह सब कुछ देख समझ सके, अब मम्मी ने मजबूरी मे मेरी मदद ली , मै मम्मी का कैमरामेन बन कर शूट करता, उधर से आंटी अपनी एक्सपर्ट कमेन्ट करती , मम्मी मैरे सामने ही कपड़े चेंज कर कर के उन्हे बताती,
और आंटी मुझे वही पास खड़े होने का कहती, जब महंगे वाले बैकलेस ब्लाउस का ट्रायल चला तो आंटी ने मम्मी को फ़ोम वाली पेड़ेड बिना स्ट्रैप वाली ब्रा पहनने को बोला, अगले दिन हम दिन भर उसी तरह की ब्रा पेन्टी ढूंढ कर लाए, फिर शाम मे मम्मी ने उसे मैरे सामने ही पहन कर आंटी को दिखाया, अब तक मम्मी मैरे सामने कई बार ब्रा पेन्टी मे आ चुकी थी, मैरे तो मजे थे ।


आखिर वह दिन भी आ गया, जब हमे शादी के लिए निकलना था, पापा ने हमेशा की तरह नहीं जाने का बहाना बनाया, लेकिन मम्मी की जिद को देख आखरी दिन वही पर आकार शामिल होने का प्लान बनाया, हम रात भर के सफर के बाद सुबह पहुचने वाले थे, जबकि आंटी उसी देर रात मे आने वाली थी, हमे एक ही कमरा अलाट हुवा था, सुबह हमे लेने स्टेशन गाड़ी आ गई, रूम मे दो बेड थे, एक बड़ा और एक छोटा था । हम तीन और आंटी, चार
लोगों के लिए बढ़िया था, सुबह खाने पीने के बाद दोपहर मे मेहंदी लगाने की व्यवस्था थी हाल मे, उसके बाद शाम को कुछ खास प्रोग्राम नहीं था, अभी सभी मेहमान ही नहीं पहुचे थे, शाम तक मम्मी के दोनों हाथ मेहंदी मे भरे हुवे थे, उन्हे वक्ष रूम जाना था, लेकिन उनको कोई नहीं मिला जो उन्हे बाथरूम करवा दे, क्योंकि उनके दोनों हथेलिया मेहंदी मे भरी थी, एसलिए उनका लहंगा उठाना पेन्टी खोलना बहुत काम थे, गर्मी के कारण सब अपने अपने
कमरों मे ऐसी चालू कर सो रहे थे, मै खुद भी रूम मे अकेला बेठे बेठे मैच देख रहा था, मम्मी ने बाहर से गेट नाक किया, जैसे ही मैंने गेट खोला तो बोली देख किसी लेडिज को लाकर जल्दी से बुला मुझे बहुत जोर की पेशाब लगी हे, मै बोला उसमे कोई लेडिज क्या करेगी, पेशाब आपको ही करना पड़ेगी ना, तब मम्मी बोली पागल मैरे दोनों हाथ मेहंदी मे भरे पड़े हे, मै केसे लहंगा उठाऊँगी, पेन्टी खोलूँगी, तु नहीं समझेगा ।

एसके बाद मैंने बाहर जाकर किसी अपने वाली परिचित लेडिज को ढूँढने लगा, लेकिन होटल के कॉरीडोर के सभी रूम अंदर से बंद थे, कोन किस कमरे मे था पता ही नहीं चला, जब मै खालि हाथ वापिस आया तो मम्मी आंटी से स्पीकर फोन पर बात कर रही थी, और आंटी मम्मी को बोल रही थी, की तेरा बेटा हे ना उसे बोल सब करेगा, अपनी मा की मदद नहीं करेगा तो फिर किसकी मदद करेगा, मम्मी बोली अरे यार उसे अपनी पेन्टी खोलने का केसे बोलू,
तो आंटी बोली तु उसे बस नॉर्मल बोल उसे कैसे क्या करना हे यह उस पर छोड़ दे, यह बात मैंने रूम मे घुसने से पहले ही सुन लि थी, मै रूम मे गया और गेट बंद कर बोला बाहर कोई भी नहीं हे, अब आप खुद ही निपटो एस सबसे, तब मम्मी मुझे बोली तु हे ना चल मेरी मदद कर और मुझे एशारे से बाथरूम की तरफ बुलाया, मै भी किसी आज्ञाकारी बच्चे की तरह उनके पीछे पीछे बाथरूम मे गया, मम्मी ने सबसे पहले बाहर ही अपना दुपट्टा हटा दिया था,
मुझे बोली मेरा लहंगा उठा, मैंने उनका नेट का बड़ा सा लहंगा उठाया अंदर वह तीन चार अस्तर वाला था, लेकिन कोमोड की सीट पर मम्मी उसे पहन बेठ नहीं सकती थी, ऊपर से उन्हे पेशाब का प्रेशर बहुत जोर से लगा था, उन्होंने लगभग झुँझलाते हुवे, मुजसे बाहर आकार कहा एस्की डोर खोल दे, लहंगा उतार दे, मैंने बिना देर किए उनके लहनगे की नाड़ी खोल दी, लहंगा बड़ा वजनदार था, एक झटके मे नीचे आ गया, मम्मी अब केवल पेन्टी और
बैकलेस ब्लाउस मे थी, दौड़ कर कोमॉड के पास जाकर मुझे बुलाया, और अपने मेहंदी से भरे हाथों को ऊंचा उठाया कर बोली मेरी पेन्टी भी खोल, मै एक सेकंड रुका और मम्मी की और देखा तो बोली, क्या देख रहा हे, जल्दी कर, मैंने उनकी पेन्टी कमर से पकड़ कर घुटनों तक कर दी, और मम्मी ने बिना देर किए कोमोड पर बेठ पेशाब की धार शुरू कर दी, मुझे हटने का समय भी नहीं मिला, मम्मी की पेशाब की धार की आवाज के साथ साथ सिटी
बजने जेसी आवाज भी आ रही थी, मै रोमांचित हो उन्हे बिना पलके झपकाए देख रहा था, उन्होंने बड़े गले का फ़ोम वाला डिजाइनर ब्लाउस पहना था जिसमे उन्होंने ब्रा भी नहीं पाहणी थी, एस कारण उनके बड़े बड़े बूब्स साफ दिखाई दे रहे थे, जब मम्मी ने पेशाब कर लि तो मुझे बोली बेटा जेट से पानी से साफ भी कर दे, मैंने कहा की क्या, पोती भी कर लि क्या ? तब मम्मी जोर से हास कर बोली, अरे नहीं बुद्धू पोती नहीं, हम लेडिज को पेशाब के बाद अपनी योनि धोनी पड़ती हे, मै बोला तो आज रहने दो, कल सुबह फ्रेश होने जाओ तो अच्छे से धो लेना , लेकिन मम्मी नहीं मानी बोली नहीं मुझे खुजली हो जाएगी, तु पानी डाल दे, तब मैंने जेट उठाकर आगे से उनकी चुत पर पानी डाला, लेकिन मम्मी बोली ऐसे नहीं हाथ से भी साफ कर, अब चोंकने की बारी मेरी थी, लेकिन मम्मी की निगाहों को देख मै चुप चाप उनके आदेश का पालन करने लगा, मैंने अपनी चार उँगलिया कोमोड मे थोड़ा अंदर कर उनकी चुत पर फिराई, मम्मी ने भी बिना झिझक अपनी झनघे फेला दी, मुझे दिखाई तो कुछ भी नहीं दे रहा था, लेकिन जब मैंने मम्मी की चिकनी मुनिया को छुवा तो मुझे करंट सा आभास हुवा, एसके बाद मम्मी खड़ी हुई, लेकिन मैंने पहले उनकी पेन्टी घुटनों तक कर दी थी तो उन के खड़े होते ही वह उनके पेरो से फिसल जमीन पर आ गिरी, मम्मी ने अपने पैर उसमे से निकाल लिए, और मुझे बोली टिशू पेपर से उनकी गीली योनि पोंछ दूँ, मै फिर सकते मे था, वही पास मे बेसिन के पास टिशू पेपर का बॉक्स था, मैंने जैसे ही टिशू निकाला मम्मी रूम मे आ गई, मै उनकी पेन्टी हाथ मे लेकर रूम मे आया तब तक मम्मी बेड पर बेठ चुकी थी, मुझे टिशू से अपनी चिकनी चुत पोंछने का बोल अपने पैर चोंड़े कर दिए, मैंने भी बिना देर किए नीचे घुटनों के बाल बेठ उनकी चुत को बड़े प्यार से पोंछना शुरू कर दिया ।
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