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Adultery होली में जीजा ने चोली के बटन खोले, नंगी करके मुम्मे पर रंग लगाया //
#1
Bug 
दोस्तों ! नमस्कार !
मैं कई कहानियां literotica dot com (किन्ही कारणों से ) अलग अलग नाम से पोस्ट की थी (जैसे की masterji1970, seksyseema, seemawithravi, raviram69 आदि), जो की मैं इस BIG PLATFORM पर पोस्ट करने जा रहा हूँ //

आपसे सहयोग की उम्मीद से ...

आपका

// सुनील पण्डित //
(suneeellpandit) [Image: horseride.gif] [Image: announce.gif]

// दोस्तों यह कहानी मुझे इटरनेट पर मिली थी / मुझे ये कहानी बहुत पसंद है / इस कहानी का असली श्रेय इसके लेखक को ही मिलता चाहिए //

// दोस्तों ! मैंने कहानी को कुछ ज्यादा सेंसुअल व् सेक्सी बनाने के लिए अपनी तरफ से कुछ edit किया है, ताकि कहानी में कुछ और आनंद को बढाया जा सके / क्योंकि कहानी जितनी ज्यादा विस्तृत होगी, कहानी का मजा उतना ही ज्यादा आयेगा //

// सुनील पण्डित //



//होली में जीजा ने चोली के बटन खोले, नंगी करके मुम्मे पर रंग लगाया //


अध्याय 1


होली का मौसम, गर्मी की शुरुवात और ठंड का अंत, ये मौसम ही बना ही मौज मस्ती के लिए इसीलिए शायद हमारे पूर्वजो ने होली की शुरुवात की, रंगों का त्यौहार, मस्ती का त्यौहार, लेकिन बदलते हुए सालो में और परिस्थितियों ने इस त्यौहार के स्वरूप को ही बदल दिया है, आज होली में दारू पीने वालो, नशे में हुल्लड़ करने वालो और मस्ती के नाम पर सामाजिक मर्यादाओ को भंग करने वालो की जमात ही दिखाई देती है , परिवार के लोग इन सबसे थोड़ा दूर ही रहते है ,लेकिन गांव में नही वहां का मौहोल आज भी उतना ही निर्दोष बना हुआ है,लेकिन इस शराब ने वहां का माहौल भी खराब किये हुए है, फिर भी पारिवारिक लोग भी इसका मजा उठाते है,और खासकर मेरे गांव में तो खूब होली खेली जाती है,

ये कहानी मेरे उस होली की है जिसे मैं कभी भूल नही सकती ,जिसमे एक दीवार गिरी और मैं लड़की से एक औरत बनी……

मेरा नाम सोना है ,अभी अभी मेरी बड़ी दीदी सपना की शादी राज नामक लड़के से हुई जो की पास के ही गांव का रहने वाला है लेकिन शहर में रहकर जॉब करता है,शादी को अभी 5 महीने ही हुए थे की होली ने दस्तक दी ,मेरे जीजा और दीदी बहुत ही अच्छे और मुझे बहुत ही प्यार करने वाले है,मैं अभी कालेज में हु जो की पास के ही कस्बे में पड़ता है,मेरी दीदी ने मुझे आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित किया था ,जबकी मेरे घर वाले लड़की को पढ़ना ठिक ही नही समझते,

घर वालो के इसी रवैये का भुगतान मेरी दीदी ने भी किया था,उन्हें कालेज जाने ही नही दिया गया,लेकिन उन्होंने मेरे लिए बहुत कुछ किया और घर वालो से लड़कर मुझे कालेज भेजा,जीजू भी बहुत ही ओपन माइंड के है ,वो मेरे गांव के पहले दामाद थे जिन्होंने दहेज नही लिया,हमारे परिवार में उनकी इज्जत इसी बजह से बहुत ही ज्यादा होती है,दूसरी ओर हमारे समाज में लड़के वाले हमेशा से ही अपनी मनमानी करते रहे है खासकर दामाद तो जैसे लड़की के घरवालों के लिए भगवान ही होता है,

वो कुछ भी गलत करे सब माफ,यहां तक की मैंने कई लोगो को लड़कियों को मरते ही देखा है और घरवाले लड़की को ही डांट लगा देते है की पति है थोड़ा मार भी दिया तो क्या हो गया,मर्द है किसी दूसरी लड़की के साथ संबंध बना भी लिया तो क्या हो गया...मुझे इन सब चीजो से और ऐसे सोच से घिन सी आती है लेकिन क्या करे समाज में सोच ऐसे घर कर गई है की इसे युही तो मिटाया नही जा सकता इसके लिए लड़कियों को पढ़ना और आत्मनिर्भर  बनना पड़ेगा,

ऐसे इस मामले में जीजू जी का कोई जवाब नही वो दीदी को थोड़ी भी तकलीफ नही देते,बल्कि हमारे घर वालो की मदद को भी तैयार रहते है,और कोई भी नखरा नही दिखाते,सच कहु तो मेरे जीजू सोना है,...

सपना दीदी और मैं दोनो ही बहुत ही गोरी और गांव की भरी हुई लडकिया है,गांव में घूमना और खेतो और घर के काम करना हमे पसंद रहा,गांव वालो की गंदी नजर हमेशा से ही हम पर रही लेकिन सपना दीदी के रहते कोई भी आंख उठाकर देखने की हिम्मत नही करता वो किसी को भी माँ बहन की गली देने से नही चूकती थी ,लेकिन मेरा स्वभाव थोड़ा शांत है और उनके जाने के बाद ही मुझे पता चला की मैं जवान हो गई हु और मर्दो के लिए इतनी आकर्षक हो गई हु ,

मेरे उजोरो की चोटी छुपे नही छुपती और गोल नितम्भ जैसे सब कुछ कहना चाहती हो,गोरा बदन और मदमस्त यौवन की वजह से मेरे पीछे गांव के हर आवारा लड़के पड़े रहते है,यहां तक की अधेड़ और बुड्ढे भी मेरी जवानी को निहारे बिना नही रहते,मेरे रिस्ते के चाचा और ताऊ भी नजर बचा कर मुझे निहार ही लेते है,पहले तो मुझे कुछ समझ नही आता था लेकिन उनका यू देखना या तो मेरे मन में उनके लिए घृणा भर देता या मैं थोड़ी मचल जाती ,

आखिर जवानी का उफान थो मेरे अंदर भी था लेकिन ये कब फूटने वाला था और कैसे फूटने वाला था ये तो मैंने सपने भी नही सोचा था….
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#2
मेरे जीजू राज भी किसी से कम नही थे और किसी से मैं सबसे पहली बार आकर्षित हुई थी तो उनसे ही ,वो सचमे एक गजब की व्यक्तित्व के मालिक थे,हा काले थे लेकिन सच्चे मर्द थे,बलशाली भुजाए,चौड़ा बालो से भरा हुआ सीना ,गजब के आकर्षक,सभी से प्यार से मिलने और बोलने वाले और सबसे बड़ी बात महिलाओं की इज्जत करने वाले,उनका केयर करने वाले ….वाह आई लव माय जीजू…..मेरे सपने में अगर पति की कोई छबि थी तो वो मेरे जीजू ही थे,मैं उस दिन का बेसब्री से इंतजार करने लगी जब वो आएंगे,दीदी से मिलने की बेचैनी से ज्यादा जीजू से मिलने की खुसी मेरे अंदर मचल रही थी ,और मैं जानती थी की वो होली में दीदी के साथ ही घर आने वाले है,दीदी की पहली होली थी तो वो मायके में ही मनाने वाली थी और जीजू उन्हें छोड़कर अपने घर जाते लेकिन फिर शाम तक हमारे घर आने वाले थे,मैं जीजू से मिलने और उनके साथ होली में खूब मस्ती करने के मूड में थी,मेरी बेताबी को देखकर चाची में यहां तक कह दिया की सम्हलकर जीजा और साली का रिश्ता बहुत ही नाजुक होता है,थोड़ी भी चूक हुई तो तू साली से घरवाली बन जाएगी,मेरी माँ और चाची इसपर खूब हँसे थे लेकिन मुझे ये वहां तो अच्छा नही लगा और मैं अपने कमरे में मुह फुला कर आ गई लेकिन चाची की बात को सोचकर पता नही क्यो एक अजीब सी बेचैनी मेरे मन में होने लगी और मेरे होठो में इस बात को सोच सोच कर ही मुस्कुराहट सी आने लगी
// सुनील पंडित // yourock
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बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#3
अध्याय 2

जीजू …”मैं दौड़कर जीजा जी के गले से लग गई जब दीदी और जीजा जी होली के एक दिन पहले घर आये,एक एक फ्रॉक में थी जिसे मैं सिर्फ घर में ही पहनती थी ,जीजा जी के मजबूत सीने से जैसे ही मेरे बड़े स्तन ठकराये मैं थोड़ा पीछे हटने को हुई लेकिन तब तक तो जीजू ने भी मुझे कस लिया था ,अब तो मेरे स्तन उनके मजबूत सीने में धंस गए थे,और उनके हाथ मेरे पीठ पर थे जो ही उसे हल्के हल्के सहला रहे थे,मैं उसके कंधे में अपना सर रख कर थोड़ी देर तक खड़ी रही लेकिन जीजू ने मुझे थोड़ा दबा कर ही छोड़ दिया,मैं उनसे अलग हुई तो मेरे चहरे में लाली साफ थी मैं थोड़ी सी नर्वस हो गई थी ना जाने क्यो इस वाकये ने मुझे थोड़ा उत्तेजित कर दिया था,मैं अब जवान हो चुकी थी और मचलती हुई जवानी को सम्हालना ऐसे भी थोड़ा मुश्किल ही होता है,


अच्छा पूरा प्यार बस जीजू पर ही उतार दे दीदी के लिए भी कुछ बचा है की नही

सोनिया दीदी ने मुझे छेड़ा 

क्या दीदी आप भी मैं उनके गले से जा लगी,

ओह मेरी बेटी कितनी बड़ी लग रही हैदीदी ने मेरे गालो को खिंचा उन्हें तो अब भी मैं बच्ची ही लगती हु,जबकि वो मुझसे बस 2 साल की ही बड़ी है,

क्या दीदी अभी तो 1 महीने पहले ही देखा था मुझे,”

ये उम्र ही ऐसी है अभी तो इसके बढ़ने के दिन हैजीजू ने थोड़े अजीब अंदाज में कहा ,उनकी नजर मेरे वक्षो को घूर रही थी लेकिन उन्होंने जल्द ही नजर हटा ली,जिसे दीदी ने पकड़ लिया ..

ह्म्म्म आप का इशारा तो मैं समझ रही हु,लेकिन खबरदार ये मेरी प्यारी बहन हैदीदी ने जीजू को आंखे दिखाई जो की हमारे समाज में कम ही होता है खासकर जब घरवाले भी मौजूद हो,

ओह मेडम जी माफ कर दीजिये जीजू ने कान पकड़कर बड़े ही मजाकिया अंदाज में कहा जिससे मैं और दीदी हँस पड़े लेकिन माँ ने दीदी को हल्के से मारा ,

पति से ऐसे बात करते है ,वो भी सब के सामने लेकिन दीदी और जीजू और मैं हंसते रहे वही पापा ,माँ थोड़े नर्वस हो गए,

जीजू दीदी को छोड़ अपने गांव को निकल गए थे उनके जाते ही पापा दीदी के ऊपर भड़क गए ,
तुझे शर्म हया है की नही अपने पति से सबके सामने ऐसे बात करती है ,वो तो सीधा साधा पति मिल गया है तुझे वरना अभी तेरे गालो में दो झापड़ लगा देतापापा मेरी तरफ मुड़े 


और तुझे शर्म हया है की नही ऐसे कपड़े पहन के घूम रही है और कैसे राज से लिपट गई थी,हमारे परिवार में कोई अपने भाई से भी ऐसे लिपटता है क्या वो तेरा जीजा है,कुछ उल्टा सीधा हो गया तो...अब जवान हो गई है और पापा का गुस्सा इतना तेज था की मेरे आंखों में आंसू आ गए लेकिन दीदी पापा के ऊपर ही चढ़ गई ,

आप लोग इस घटिया सोच से कब बाहर आओगे,वो तो मेरी किस्मत है की बिना ज्यादा पढ़े लिखे भी मुझे राज जी जैसे समझदार पति मिल गए वरना आप लोग तो मुझे भी किसी गवार के साथ ही बांध देते जो मुझे आपके सामने भी मारता तो आप लोग चुप चाप देखते और मेरी बहन को गंदी नजरो से देखता छेड़छाड़ करता फिर भी उसकी आवभगत करते

दीदी गुस्से में लाल हो गई थी ,माँ को समझ आ गया की बात ज्यादा बढ़ सकती है उन्होंने दीदी को प्यार से समझने की सोची ,

अरे बेटी हमारा समाज ही ऐसा है की लड़की को झुक कर रहना पड़ता है,अब हम समाज के बनाये हुए नियमो से तो बाहर नही जा सकते

समाज के नियंम हमारी सुविधा के लिए बनाये गए थे माँ,ना की इस लिए की लड़कियों का शोषण किया जाय,लड़कियों को जानवरो जैसे रखा जाय,क्या हम लडकिया बस मर्दो की गुलामी करने के लिए ही बनी है,क्या हम इंसान नही है,समाज के ठेकेदारों ने हमे ऐसा बना दिया है वरना हम भी लड़को से किसी भी मुकाबले में कम नही है,गार्गी,मैत्रियी भी तो लड़की ही थी,लक्ष्मी बाई,आनंदी(इंडिया की पहली महिला डॉक्टर),भी तो ….”

चटाक ….

एक जोरदार आवाज आयी ,पापा ने दीदी के गालो में एक थप्पड़ जड़ दिया था,

शहर क्या चले गई ,अच्छा पति क्या मिल गया हमे ज्ञान दे रही है,”

पापा इतना बोलकर बाहर चले गए,दीदी के आंखों में आंसू आ गए थे,वो बिना कुछ बोले ही अंदर चले गयी……..

रात दीदी अपने कमरे में खामोश बैठी थी,कल ही होली थी और दीदी का मुड़ बहुत ही खराब था,

दीदी क्या हुआ आप तो इन लोगो को जानती हो ना फिर भी …”मैं दीदी के पास पहुची 

ह्म्म्म जानती हु ,लड़की कुछ भी बोले तो उन्हें मार के चुप करा देते है,सच में सोनी आज तक मैंने तेरे जीजा जैसा मर्द नही देखा जो की लड़कियों की इतनी इज्जत करता हो,वो मुझे अपने पलको में बिठाकर रखते है,मेरा बहुत ख्याल रखते हैदीदी का चहरा जीजू के याद में खिल गया,

अच्छा दीदी आप ने जीजू को उस समय क्यो डांट दिया था अब दीदी के चहरे में मुस्कान आ गई 

अच्छा पहले तू बता की तेरा चहरा उस समय लाल क्यो हो गया था

दीदी की बात से मैं शर्म से पानी पानी हो गई,

क्या दीदी आप भी

अरे बता ना दीदी से क्या छुपा रही है

मुझे क्या पता बस कुछ अजीब सा लगा जब जीजू ने मुझे अपने सीने में दबाया

दीदी मेरे गालो को प्यार से सहलाई और मेरे ठोड़ी को पकड़कर मेरा चहरा ऊपर किया जो की अभी शर्म से नीचे हो गया था,

वह मेरी बिटिया अब सचमे बड़ी हो गई है,जीजू के सीने से तेरा ये टकराया ना उन्होंने मेरे उजोरो को जोरो से दबाया 

आह दीदी छि मैं और भी शर्मा गई थी लेकिन सच पूछो तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा 

क्यो बोल ना दीदी ने जोर दिया लेकिन मैं सर नीचे किये ही ना में सर हिलाया 

ओहो ..समझ गई बदमाश सब समझ गई ,तेरे जीजू भी समझ गए थे और इसी लिए तेरे इन कबूतरों को देख रहे थे ,इसलिए उन्हें डांट पड़ी ,”

क्यो मैं पागलो जैसा प्रश्न कर बैठी ,जिसपर दीदी जोरो से हँसी 

क्योकि मेरी रानी उनका हक तेरे नही मेरे कबूतरों पर हैदीदी फिर से खिलखिलाई 

वो मेरे जीजू है देख लिया तो क्या हुआ मैंने थोड़े शांत स्वर में कहा 

अच्छा तो कल इन्हें मसलवा भी लेना अपने जीजू से ,बड़ी आयी जीजू की सालीदीदी ने तोड़े मजाक में ही कहा था लेकिन मुझे ये सोच के ही कुछ अजीब सा लगा की जीजू का हाथ मेरे उजोरो को मसल रहा है,

छि दीदी मैं क्यो मसलवाउ आप ही ऐसा करो दीदी फिर से हँसी 

वो तो मैं रोज ही करवाती हुदीदी ने हंसते हुए कहा ,लेकिन मेरी आंखे बड़ी हो गई 

दीदी आपको दर्द नही होता मैं आश्चर्य में थी 

तू सच में अभी बच्ची ही है,तेरे जीजू को बोलकर तुझे थोड़ा बड़ा करना पड़ेगा नही तो यंहा के कमीने लड़को के ही जाल में फंस जाएगी दीदी के बातो में थोड़ी गंभीरता थी जिसे मैं नही समझ पाई 

तुझे अभी बहुत पढ़ना है बहुत आगे जाना है ,इन लोगो को दिखाना है की एक गांव की लड़की क्या कर सकती है,और इसमें मैं और तेरे जीजू हमेशा तेरे साथ रहेंगेदीदी अब सच में पूरी तरह से गंभीर थी,

लेकिन दीदी पढ़ाई तो मैं कर ही रही हु,फिर मैं क्यो बिगडूंगी

दीदी थोड़ी शांत हो गई 

तुझे नही पता की ये लोग कैसे है,जवान लड़की के पीछे हाथ धोकर पड़ जाते है ,और तेरी तो जवानी झलक रही है,पता नही अगर तुझे सबका चस्का लग गया तो फिर क्या होगा,साले तुझे बदनाम भी करेंगे और तेरा मजा भी उठाएंगे,....नही नही तू मेरे साथ ही रहना ,अब शहर में ही पड़ना ,”

दीदी जैसे अपने आप से ही बाते कर रही थी,जो की मेरे समझ के बाहर थी ,

दीदी ...दीदी मैंने थोड़े जोर से कहा 

ह्म्म्म ओह मैं तो ना जाने कहा खो गई थी,चल जल्दी सो जा कल होली है ना तेरे जीजू भी शाम तक आ जाएंगे …”

मैं तो उनसे बहुत होली खेलूंगी मैं बहुत ही एक्साइटेट थी,

हम्म पता नही होली के अलावा और क्या क्या खेलने वाली है तू दीदी की अजीब बात से मेरा मुह बन गया लेकिन दीदी हँस पड़ी






// सुनील पण्डित //
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#4
अध्याय 3


होली, आज मेरे जीवन की सबसे हसीन होली होने वाली थी ,आज मैं अपने नए जीजू के साथ होली खेलने वाली थी,वो जीजू जिनसे मैं बहुत ही प्यार करने लगी थी ,जाने अनजाने ही उनमे अपना पति और अपनी मोहोब्बत देखने लगी थी,वो ही एक मेरे लिए मर्द थे बाकी के लोगो पर तो मेरी नजर ही नही जाती और कल के वाकये के बाद से ,

और दीदी के मुह से उनकी इतनी तारीफ सुनने के बाद मैं तो उनसे मिलने को पागल ही हो रही थी,पापा के डर से आज मैंने फ्रॉक नही पहनी थी बल्कि एक सफेद सलवार सूट पहन लिया था,मेरे यौवन की आहट को इसमें भी छिपाना मुश्किल ही था,तने हुए उजोर साले सूट में ऐसे कस रहे थे की मैं बेचैन हो जाती थी,ऊपर एक ब्रा भी पहनो ,मैंने थोड़ा ढीला सा सूट पहनना ही उचित समझा ,लेकिन क्या करू ये निगोड़ी जवानी ……

दिन भर सहेलियों और परिवार वालो से होली खेली जो की आम होली की तरह ही थी दोपहर होते होते थककर घर आ गई दीदी भी साथ ही थी,ऐसे भी दोपहर के बाद होली के दिन हमारे गांव में लडकिया बाहर नही निकला करती क्योकि गांव के मर्द दारू के नशे में dj लगाकर झूमने लगते है,गली में घूमते रहते है और महिलाओं खासकर लड़कियों के लिए ऐसे माहौल में जाना उचित नही समझा जाता ,होली की दोपहर सबसे बोरिंग होती है लेकिन आज नही क्योकि आज तो मेरे जीजू आने वाले थे,पापा रात से पहले घर नही आने वाले थे वो भी दारू पीकर कही पड़े होंगे,वही माँ अधिकतर अपनी सहेलियों के घर ही रुक जाती थी

जंहा सभी औरते एक साथ होली खेलती और भांग पीकर मस्त रहती,दीदी को ये सब कभी पसंद नही था इसलिए वो हमेशा मुझे दोपहर को ही घर ले आती थी,मैंने जीजू के स्वागत की तैयारी के लिए घाघरा चोली पहनी मेरी ब्रा मुझे बहुत ही परेशान कर रहा था इसलिए मैंने उसे ना ही पहनने का निर्णय किया,और बाल्टी में रंग घोलकर भी रख लिया,दीदी थक चुकी थी और कमरे में जाकर सो गई थी लेकिन मुझे कहा नींद थी,मैं तो बेचैनी से इधर उधर टहल रही थी,3 बजने को थे की कार के हॉर्न से मैं दरवाजे की तरफ दौड़ी ,दरवाजा खटखटाने की आवाज आयी लेकिन मैं दरवाजे के पास ही खड़ी हुई बस इंतजार कर रही थी,

अरे कौन है दरवाजा तो खोलो

जीजू की आवाज में थोड़ी लड़खड़ाहट थी ,मैंने बाल्टी पास ही रखी और दरवाजा खोलकर उसके पीछे ही छिप गई जीजू अंदर आये और चोरों तरफ देखने लगे,मैंने हल्के से दरवाजा बंद किया , किसी को ना पाकर वो पलटे ही थे की मैंने पूरी बाल्टी ही उनके ऊपर डाल दी 

हैप्पी होली “”मैं भागने ही वाली थी की उन्होंने मेरे हाथो को पकड़ लिया और मुझे अपने से सटा लिए ,वो पूरी तरह से गीले थे और उनके गीले कपड़े के कारण मेरे कपड़े भी गीले हो रहे थे,मेरे उजोर उनके सीने से दबे हुए थे और मैं कसमसा रही थी,

साली जी ऐसे कैसे भगोगी अभी तो हमने आपको भिगोया ही नही है

जीजू छोड़ो ना जीजू के मुह से शराब की थोड़ी बदबू आयी 

अपने शराब पी है

हा और तुम्हारे और तुम्हारी दीदी के लिए भी लाया हु ,लेकिन पहले तुम्हे भिगोने तो दोमैं हंसते हुए छटपटाने लगी जीजू ने मुझे अपने गोद में उठा लिया और सीधे पास ही पड़े एक रंग से भारी बाल्टी के पास ले जाकर उतारा ,मैं समझ गई थी वो क्या करने वाले है लेकिन मैं भाग भी तो नही सकती थी ,सच में जीजू थे तो बड़े ही स्ट्रांग ,उन्होंने मेरे हाथो को एक हाथ से पकड़े रखा और दूसरे से बाल्टी को उठाकर मेरे उपर उढेल दिया ,

अब मैं पूरी तरह से गीली थी और मेरे कपड़े रंगों से सराबोर थे,सबसे ज्यादा शर्म तो मुझे तब आयी जब मेरे स्तन मेरे कपड़े से चिपक गए और ऐसे दिखने लगे जैसे की वो नंगे ही हो ,ब्लाउज़ का कपड़ा थोड़ा पतला था और मेरे मोटे मोटे स्तनों उसमे से झांक रहे रहे,थे ,मैं शर्म से दोहरी हो रही थी लेकिन जीजू उसे घूरे जा रहे थे,उन्होंने मुझे फिर से खीचकर अपने सीने से लगा लिया ,इसबार मेरे लिए एक और तूफान आ गया था उनके कमर के नीचे से मेरे कमर के नीचे कुछ चुभ रहा था ऐसा लगा जैसे कोई लकड़ी चुभो रहा हो.

जीजू ये क्या चुभ रहा हैमैं

थोड़ी मचली लेकिन जीजू ने मेरे कमर के नीचे मेरे नितम्भो में हाथ फेरा और उसे अपनी ओर खिंच लिया जिससे वो लकड़ी जैसा कुछ मेरे जांघो के बीच पहुच गया और वही पर रगड़ खाने लगा,आज जीवन में पहली बार मुझे ऐसी उत्तेजना का अहसास हुआ था,मैं उनसे दूर होने को छटपटाने लगी थी,लेकिन वो अपने लकड़ी को मेरे जांघो के बीच रगड़े ही जा रहे थे,मुझे लगा जैसे की मेरे योनि से कुछ रिसाव सा हो रहा है,मुझे जोरो की पेशाब की लगने लगी थी,मैंने खुदको थोड़ा सम्हाला

जीजू प्लीज छोड़ो ना अजीब लग रहा है,”

मैं थोड़ी शांत हो गई थी लेकिन मैं सच में छूटना चाहती थी

अच्छा लेकिन एक शर्त में ,मुझे रंग लगाने दे

भिगो तो चुके हो मैं थोड़ी शरारत भरे लहजे में कहने लगी

अरे मेरी साली जी अभी तो आपको असली पिचकारी से भिगोना बाकी है लेकिन तब तक रंग ही लगाने दो

जीजू की बात मुझे समझ तो नही आयी लेकिन मैंने पिंड छुड़ाने के लिए हामी भर दी ,जीजू जेब से रंग निकाले और मेरे चहरे से लगाना शुरू कीया उन्होंने लाल रंग का गुलाल निकाल कर मेरे गालो पर मलना शुरू किया ऐसी मालिस तो किसी ने आज तक नही की थी वो बहुत ही आराम और इत्मीनान से मेरे गालो में अपने हाथ चला रहे थे,

मेरे फुले हुए गोर गालो में उनके सख्त हाथो के स्पर्श ने मेरे होठो में एक अनजानी सी मुस्कान खिला दी ,वो थोड़े नीचे होते हुए मेरे गले में रंग लगाने लगे,मैंने केयर किया की उनकी सांसे थोड़ी तेज हो रही थी,उन्होंने मेरे ब्लाउज के ऊपर से ही मेरे उरोजों को पकड़ा मैं मचली,

जीजू नही

इस बार मेरी आवाज में एक सिहरन भी थी,मैं मादकता में डूबती जा रही थी,जीजू का ऐसा करना मुझे बहुत सुकून दे रहा था लेकिन फिर भी मुझे बहुत ही शर्म आ रही थी ,जीजू ने मुझे पलटा और मेरी पीठ को अपने सीने से लगा लिया ,मैं मचलती हुई हल्के हल्के नही नही बोल रही थी जबकि मेरे मन में बस हा ही हा थी ,वो मेरे उजोरो को हल्के हल्के दबाने लगे मेरी आंखे भी बंद हो गई थी ,ना जाने जीजू ये कैसी होली खेल रहे थे,लेकिन मुझे बहुत ही मजा आ रहा था और मेरे होठो से बस सिसकिया ही निकल रही थी,

आह जीजू

उनके हाथो का अहसास मेरे वक्षो पर ऐसे हो रहा था जैसे मैंने कपड़े पहने ही ना हो ,वैसे भी मैंने जो पहना था उसका कोई मतलब नही रह गया था,जीजू के हाथ मेरे पीछे आये और उन्होंने मेरे ब्लाउज़ के पीछे लगे चैन को खोल दिया ,उनके सामने अब मेरी नंगी पीठ थी जिसे पर वो हाथो से नही अपने होठो से अपने थूक को लगा रहे थे ,

नके कमर के बीच की वो लड़की जिसे लिंग कहते है तन कर सच में किसी रॉड की तरह हो चुका था और मेरे नितम्भो को धीरे धीरे से ठोकर लगा रहा था ,वो थोड़े उत्तेजित होने लगे थे उन्होंने मेरी कमर को अपने कमर से सटा लिया और अपने लिंग को मारे गद्देदार नितम्भो में रगड़ना शुरू कर दिया,मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था,थोड़ी शर्म और बहुत सा मजा ,

मैं पागल हुए जा रही थी ,मुझे लगने लगा की मैं सच में जवान हो गई हु और कई ऐसी चीज है जो मुझे अभी सीखना है,वो अपने होठो से मेरे पीठ के कोने कोने को चूम रहे थे और उनके होठ गीले होकर अपने लार छोड़ रहे थे,मैं मचल रही थी जीजू मचल रहे थे ,और सबसे ज्यादा उनके जांघो के बीच वो रॉड मचल रहा था ………

उन्होंने रंग से मेरी पीठ को रंग दिया और उनके हाथ मेरे बांहो से होते हुए मेरी नंगी पीठ पर चलते हुए मेरे उरोजों तक पहुच गए,मेरे नंगे उरोजों को वो इतने प्यार सहला रहे थे की मैं पागल ही हो गई,मेरे निप्पल कड़े हो चुके थे और वो उन्हें अपनी उंगलियों से सहला रहे थे,उन्होंने फिर के रंग लिया और मेरे उरोजों में मलने लगे,मेरे योनि का गीलापन भी बढ़ रहा था उससे ज्यादा उसमे एक अजीब सी खुजली का अहसास हो रहा था,जो मुझे और भी बेचैन कर रही थी,

मैं अपने दोनो जांघो को आपस में रगड़ने लगी ,जीजू बहुत ही ज्यादा समझदार निकले उन्होंने एक हाथ मेरे उरोजों से हटाया और मेरे जांघो के बीच लाकर रख दिया मेरे घाघरे के ऊपर से ही उन्होंने मेरे योनि को सहलाना शुरू किया 

आह जीजू क्या कर रहे हो ,मर जाऊंगी ओह माँ ,नही

लेकिन वो कहा मानते एक हाथ से मेरे स्तनों की हालत बुरी कर रखी थी तो दूसरे से मेरे योनि को मसलने लगे थे ,उनका मन अब भी नही भरा उन्होंने मेरे घाघरे का नाडा ही खोल दिया वो सरक कर जमीन में ही गिर जाता अगर मैं अपने हाथो से उसे नही पकड़ती मैं सर उठाकर जीजू को देखने या उन्हें रोकने की हालत में ही नही थी,उन्होंने ढीले घाघरे के अंदर से अपना हाथ घुसा दिया ,मैं अगर उन्हें रोकने को अपना हाथ उठाती तो घाघरा जमीन में ही गिर जाता मैं मचलती हुई खड़ी रही मुझे अजीब सी गुदगुदी हो रही थी ,

जीजू प्लीज् ना नही

मेरी जान होली के दिन जीजू को कभी भी नही नही बोलतेउन्होंने मेरे गालो को भरकर चूमा और मेरे पेंटी के इलास्टिक को थोड़ा सरका कर मेरे नग्न योनि में अपने उंगलियों को ठिका दिया,वो अपनी उंगलियों से उसे नापने को हुए लेकिन योनि का मुह अभी पूरी तरह से बंद था वो ऊपर की त्वचा को ही सहलाने लगे ,मेरा गीलापन उनकी उंगलियों को भिगोने लगा ,

मेरे लिए ये सब सहन करना ही मुश्किल था और मैं ऐसे झड़ी जैसे कोई बांध टूट गया हो,जैसे जोरो से पेशाब कर दी हो.,तो अब खड़े नही हो पा रही थी मेरे पाव लड़खड़ाने लगे ,उन्होंने मुझे सम्हाला और अपने हाथो को निकालकर मेरे कमर को पकड़ लिया मुझे अपनी ओर किया ,मैं उसके बांहो में खुद को छोड़ चुकी थी जैसे मैं बेहोश ही हो गई हु,उन्होंने मेरे गिरे हुए सर को उठाया और मेरे होठो को अपने होठो में मिला कर चूसने लगे,मैं इतनी भी शक्ति नही जुटा पाई की अपने प्यारे जीजू का साथ दे सकू ,

आई लव यू साली जी

उन्होंने बड़े ही प्यार से कहा 

लब यू जीजू मैं इतना ही बोल पाई मेरे होठो में मुस्कान खिल गई थी मुझे आज मेरे जीजू का इतना प्यार जो मिला था मुझे लगने लगा जैसे मैं उनके ही लिए हु ,मेरा सब कुछ उनका ही है,मैं थोड़ी संहली तो उनसे नजर ही नही मिला पाई ,मैं अंदर जाने को हुई उन्होंने फिर से मुझे अपनी ओर खिंच लिया और मेरे होठो में अपने होठो को भर लिया ,

मैं एक हाथ से घाघरे का नाडा लगा रही थी उसे कसकर मैंने अपना हाथ उसके सर पर रख दिया हम दोनो बहुत देर तक एक दूसरे के होठो को चूसते रहे मेरे लिए ये सब पहली बार था लेकिन अब कोई भी डर मेरे अंदर नही था ना ही कोई संकोच ही बचा था,मुझे समझ आ गया था की मेरे जीजू मुझे कितना प्यार करते है और मुझे कितनी खुशिया दे सकते है,शायद इसी लिए दीदी इनकी इतनी दीवानी थी ,जब हमारा चुम्मन टूटा मैं शर्मा कर अपना सर उनके मजबूत कंधों पर ठिका दिया ,उन्होंने मेरे मांसल नितम्भो को सहलाया ,

मजा आया

मैंने ना में सर हिलाया जो की बिल्कुल ही गलत था

अच्छा तब तो तुम्हे पूरा मजा देना पड़ेगा

मैं सर उठाकर उन्हें आश्चर्य से देखने लगी 

कैसे मैंने मासूमियत भरा प्रश्न किया 

अपने इस लकड़ी को तुम्हारे छेद में घुसकर जीजू जोर से हँसे 

लेकिन मैं बुरी तरह से शर्मा गई ,बचपन से ही मुझे सिखाया गया था की इस छेद को किसी को नही दिखाना और मर्दो को तो बिल्कुल भी नही ,ये गंदी जगह होती है,

छि जीजू आप कैसी बाते करते है

अरे मेरी जान जब तक मैं अपनी इस पिचकारी से तुम्हे भिगोउंगा नही तब तक तो साली और जीजा की होली अधूरी ही रहेगी

नही खेलनी ऐसी होली ,अब छोड़ो ना देखो कहा कहा रंग लगा दिए हो ,दीदी देखेगी तो डाटेंगी मैं नहाने जा रही हु आप भी नहा लो

मैंने उनसे खुद को छुड़वाया 

नहाऊंगा पहले तेरी दीदी को तो भिगो दु अपने इस पिचकारी से उन्होंने अपने खड़े हुए लिंग की तरफ इशारा किया ,मैं शर्माते हुए भाग गई और वो दीदी के कमरे की तरफ चले गए……...




// सुनील पण्डित //

// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#5
अध्याय 4

जीजू तो अंदर चले गए और मैं बस उनके बारे में ही सोचती रही ना जाने आज वो दीदी को कौन सी पिचकारी से नहलाने वाले थे,ऐसे मुझे कुछ कुछ तो पता था लेकिन फिर भी मुझे इसके बारे में उतना ज्ञान नही था मुझे तो बस लिंग और योनि के बारे में पता था जिसे मेरे घर वाले गंदा मानते थे,

जीजू को दीदी के कमरे में गए अभी 15 मिनट ही हुए थे मैं नहाकर नए कपड़े पहन कर निकली थी ,और दीदी के कमरे के पास से गुजर रही थी मुझे थोड़ी उत्सुकता हुई की देखु दोनो क्या कर रहे है ,दरवाजा भी उन्होंने खुला ही छोड़ दिया था,लेकिन मैं नही चाहती थी की वो मुझे ये सब देखते हुए देखे,

आह जान ओह दीदी की सिसकिया कमरे में गूंज रही थी ऐसा क्या कर रहे थे जीजू ,

आह पागल धीरे से नही कर सकते पूरी ताकत लगा देते हो ओह आराम से ,नही आह आह ओह आराम से बोला ..आह दीदी लगातार चिल्ला रही थी ,

साली तेरी बहन ने पागल बना दिया है,आधा काम ही हुआ मेरा मैं पूरा भरा हुआ हु जल्दी से खाली कर

बिस्तर की चरमराहट ,दीदी की आहे और तेज धक्कों के कारण निकलने वाली पच पच की आवाज के अलावा जीजू की आवाज ने मेरा ध्यान अपनी ओर खिंच लिया ,

यानी दीदी को सब बता दिया इन्होंने ,छि जीजू कितने गंदे है ,मेरे होठो में एक मुस्कान फैल गई ,साथ ही ये डर भी लगा की दीदी क्या बोलेगी,लेकिन दीदी ने कुछ भी नही कहा ,शायद इसलिए क्योकि वो मुझसे बहुत ही प्यार करती है,आवाजे धीरे धीरे बढ़ने लगी और साथ साथ ही मेरे दिल की बेताबी भी ,मेरे हाथ ना जाने क्यो अपने ही आप मेरी सलवार के ऊपर चले गए,

ये पापी चुद की दीवारों ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया था,मैं मचलने लगी और उसे मसलने लगी,उधर दीदी और जीजा दोनो ही जोरो इस चीख कर शांत हो गए थे,और मैं अब भी आंखे बंद किये हुए अपनी योनि को मसल रही थी,अचानक ही मुझे एक झटका लगा,ये तो जीजा जी थे,उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने से सटा लिया था वो पूरे नंगे थे ,

उनके छाती के बाल पसीने से भीगे हुए थे और उसकी खुसबू मुझे मदहोश कर रही थी मैं डर और अजीब से खुसी से काँपने लगी थी,मेरे पैर थरथरा रहे थे,एक अजीब सी चुभन मेरे दिल में हो रही थी,मैं गर्म होते जा रही थी,जीजू के चहरे में एक अजीब सी मुस्कुराहट थी ,तभी दीदी की आवाज आयी ,

अरे छोड़िए मेरी बहन को क्यो परेशान कर रहे है,और तू क्या कर रही थी दरवाजे के पीछे दिदि चादर के अंदर थी लेकिन मुझे पता था की वो भी नंगी ही थी ,

मैं वो दिदि वो ..

ठिक है ठीक है जाओ चलो जाकर 3 ग्लास ले आ और कुछ खाने के लिए और हा पानी और बर्फ भी ले आना

जी दिदि जीजा जी अब भी मुझे जकड़े हुए थे ,उन्होंने जैसे ही मुझे छोड़ा मैं पूरी तेजी से भागते हुए बाहर गई ,दिदि ने शराब पीने वाले सभी समान मुझसे मंगाए थे,पिता जी जब शराब पिया करते थे तो ऐसे ही समान की फरमाइस करते थे,मैंने फ्रिज में देखा ,थोड़ा चिकन भी रखा हुआ था,

मैंने तुरंत ही उसे रोस्ट किए और सभी समान के साथ दिदि के कमरे में पहुची ,दिदि एक नाइटी में थी जिससे उनका जिस्म पूरी तरह से दिख रहा था,वो तो शहर जाकर पूरी तरह से बेशर्म हो गई थी ,आज शराब भी पीने वाली थी और मुझे भी पिलाने वाली थी ,हाय दैया मैं अब क्या करूँगी,मैं थोड़े सोच में पड़ी थी लेकिन अगर जीजू पिलाये तो,मैं शर्म से पानी पानी हो गई,अपने ही सोच से मुझे शर्म आने लगी थी….

दिदि ने सभी समान जमीन पर रखा,

अरे वाह चिकन रोस्ट ,देखा मेरी साली मेरा कितना ख्याल रखती है ,”जीजू की इस बात से मैं शर्मा गई
हा आ तो साली की ही तारीफ करोगे तुम दिदि ने मुस्कुराते हुए कहा ,


सोना आओ चलो बैठो

लेकिन दिदि

अरे मेरी साली साहिबा मेरे हाथो से भी नही पियोगी क्या ,और आज तो होली है आज सब कुछ माफ है..जीजू ने मेरे हाथो को पकड़ कर बैठा लिया था,जीजू पेग बना रहे थे,उन्होंने पता नही कौन सी शराब लायी थी वो उसे वोदका वोदका बोल रहे थे,जिसके बोलत में एक हरे रंग के सेब का चित्र बना था ,उसकी सुगंध भी सेब की तरह ही थी (आप लोग तो समझ ही गए होंगे) पहले तो बहुत ही कड़वा सा लगा लेकिन जब दिदि और जीजू ने ही बार में सीधे गटक लिया तो मुझे भी थोड़ी हिम्मत आयी ,

जीजू मेरे जांघो में अपने हाथो को फेरने लगे ,

अरे पी भी लो क्यो डर रही हो उनका हाथ पड़ते ही ना जाने कहा से इतनी ताकत आ गई की एक ही घुट में मैंने पूरा ग्लास खाली कर दिया ,

ओओ मुझे उल्टी जैसा लगा लेकिन जीजू ने मेरे पीठ को मारा ,एक ही पेग में मेरा सर घूमने लगा था,लेकिन ये क्या जीजू ने दूसरा भी बना दिया और उसे भी मैंने एक ही सांस में अंदर कर लिया ,
जीजू और दिदि दोनो ही हँसने लगे ,लेकिन आंखे तो दोनो ही ही आधी खुली हुई थी ,नशे में तो दोनो ही थे,तीसरा पेग और मुझे अपना भी होशं नही रहा मैं बेताबी के कुछ कुछ बोलने लगी ना जाने कब मैं नींद में चली गई मुझे पता भी नई चला …….


सुबह उठी तो देखा की जीजू और दिदि अपना समान बांध रहे थे,मेरे सर में तेज दर्द था ,मैं अब भी उनके ही कमरे में सोई थी,बाहर देखने और कमरे की गर्मी से पता चल रहा था की दोपहर का वक्त होगा,मैं जब उठने को हुई तो मेरी सांसे ही रुक गई,चादर के अंदर मैं पूरी तरह से नंगी थी,जीजू और दिदि ने मुझे देखा उन दोनो के ही होठो में मुस्कान थी,...आखिर क्या हुआ था कल रात मेरे साथ ,दिदि ने आकर मुझे एक टॉवेल दिया 

चल जल्दी से नहा कर तैयार हो जा ,तू हमारे साथ शहर जा रही है अब से वही पढ़ाई करेगी ..
मैं आश्चर्य से भर गई 


पापा मान गए

हा मान गए दिदि के चहरे की मुस्कान और भी फैल गई थी ,पता नही दिदि ने पापा को कैसे मना लिया था,मैं जीजू से नजर ही नही मिला पा रही थी ,मैं टॉवेल को लपेटे हुए जब बाथरूम की ओर जा रही थी तो जीजू ने मेरे कूल्हों पर एक चपड़ मार दी ,

जीजू क्या आप भी मैं शर्माते हुए भागी,लेकिन ये क्या मुझे मेरे जांघो के बीच दर्द का अहसास हुआ ,मैं बिना कुछ कहे ही बाथरूम के अंदर चले गई,जाकर देखा तो पेशाब करना भी मुश्किल हो गया था,मेरी योनि अंदर से छिल गई थी ,ये क्या था और किसने किया था,....

शायद ये कारनामा जीजा जी का ही था,रात को मैं तो पूरे नशे में चूर होई गई थी लेकिन जीजा जी ने मुझसे बहुत मजे लिए थे,मैं शर्मा गयी थोड़ी घबरा भी गई और थोड़ी गुस्से में भी थी..

जब तैयार होकर बाहर आयी तो देखा की माँ रो रही है दिदि और जीजू कमरे से बाहर समान के साथ निकल चुके है,जिसमे मेरा समान भी था,कोई कुछ भी नही बोल रहा था मुझे ये सब बड़ा ही अजीब लगा,पिता जी का चहरा गुस्से से लाल दिख रहा था लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे की किसी मजबूरी ने उन्हें चुप करा रखा है,मैंने दिदि को देखा उन्होंने आंखों ही आंखों से इशारा किया की सब कुछ ठीक है,जब मैं माँ के पैर छुई तो वो और भी जोरो से रोने लगी मुझे लगा की शायद मेरे जाने के गम में रो रही है ,

जब मैंने पिता जी के पैर छुवे तो थोड़े पीछे हो गए ,मुझे समझ ही नही आया की वो मुझसे क्यो गुस्से में है , दिदि ने मेरा हाथ पकड़ा और कार में ले जाकर बिठा दिया…..मैं अब भी सोच रही थी की आखिर रात को ऐसा क्या हो गया था...





// सुनील पण्डित //
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मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#6
अध्याय 5



जीजू का घर 2 BHK का था ,मुझे एकरूम दिया गया ,जीजू के साथ कल की होली को याद कर कर के ही मैं पनिया रही थी लेकिन दिमाग में एक ही सवाल बार बार आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हुआ था की मुझे सुबह दर्द हो रहा था और माँ इतना रो रही थी ,पिता जी मुह फुलाये बैठे थे

आते ही जीजू अपने काम में निकल गए दिदि अभी घर को साफ करने में लगी हुई थी और मैंने थोड़ी हिम्मत दिखाई,




दिदि कल रात को क्या हुआ था

दिदि के चहरे में मुस्कान आया गई ,



तुझे कुछ भी याद नही

याद होता तो आपसे क्यो पूछती ,और पापा इतने गुस्से में क्यो थे




भूल जाओ अब पापा को ,उनके दिल में हम लड़कियों की कोई इज्जत नही है,तू जानती है ना उस दिन मेरा और उनका बहस हो गया था,तेरे जीजू इतने अच्छे है इसलिए इन्हें कोई भी कदर नही है,अब समझ आएगा की जब जमाई अपने हरामी पन में उतरता है तो क्या होता है,हमे दबाने की तो कोसिस करते है लेकिन जमाई जब कुछ गलती करे तो सब कुछ स्वीकार है इन्हें …”




दीदी को तो बस समाज से लड़ने का शौक है,



लेकिन कल हुआ क्या था



दिदि का चहरा फिर से मुस्कुराने लगा



अरे मेरी रानी कल तू लड़की से औरत बन गई



मैं बुरी तरह से शरमाई



म म मतलब



मतलब की तेरे जीजू ने कल अपनी पिचकारी से तुझे भिगो दीया और रात में जब माँ बाबुजी आये तो उन्हें भी ये पता चल गया लेकिन किसी ने एक लब्ज भी उन्हें नही कहा दिदि हँसने लगी,



लेकिन इसका क्या मतलब हुआ



मैं फिर से थोड़ी कन्फ्यूज़ हो गई थी ,



ओहो तू भी ना अभी तक बच्ची ही है,चल आज रात को तेरे जीजू को फिर से तुझे भिगोने बोलती हु,कल तो सील टूट ही गया तो आज तुझे भी ज्यादा दर्द नही देगा



मैं फिर से उन्हें अजीब निगाहों से देख रही थी



अरे तू फिक्र क्यो कर रही है,शाम को अच्छे से नहा कर तैयार रहना ,और वो जो स्कर्ट है ना तेरी वो पहन लेना,आज तुझे सब कुछ समझ आ जाएगा की कैसे तेरे जीजू ने तुझे अपनी पिचकारी से भिगोया था…..



मैं शाम का इंतजार करने लगी ,दिल में इतनी बेचैनी कभी नही थी,जीजू के आने के बाद दिदि ने उन्हें जल्दी खाना खाने को कहा और मुझे भी नहा कर तैयार होने का हुक्म दे दिया,आज फिर से मैं अपने जीजू के साथ होली खेलने जा रही थी लेकिन इस बार पूरे होशोहवास के साथ…..



मैं नहा कर तैयार हुए और एक सफेद ड्रेश पहन कर तैयार हों गई

जीजू तो मुह फाडे मुझे देख रहे थे ,मुझे बहुत शर्म आ रही थी और मैं उनसे नजर बचा रही थी लेकिन क्या करू कभी कभी तिरछी नजरो से मैं उन्हें देख ही लेती,उन्होंने कपड़े चेंज कर एक शार्ट और टी-शर्ट पहन लिया था,सबकुछ तो नार्मल ही था लेकिन पता नही क्यो मेरा ध्यान बार बार उनके मजबूत डोलो की तरफ ही जाता था,

उनकी छाती के बाल जो के थोड़ी सी जगह से भी बाहर आ रही थे,और उनकी विशाल चौड़ी छाती,देखकर ही पता नही नीचे कुछ अजीब सा होने लगा था ,मैं चाहती थी की वो मुझे कसकर जकड़ ले,खाना खत्म करके हम बाते करने लगे उन्होंने बताया की उन्होंने एक अच्छे कालेज में मेरा एड्मिसन करवा दिया है
वो अपने बेडरूम में चले गए थे मैं अब भी हाल में ही दिदि के साथ बैठी थी मुझे दिदि से कुछ पूछने की हिम्मत तो नही हो रही थी लेकिन मेरा दिल भरा जा रहा था,मैं जीजू के पास जाना चाहती थी लेकिन दिदि से कहती तो भी तो कैसे


आखिर दिदि ने ही कह दिया ,

ये दूध का ग्लास ले और जीजू को पिला दे ,और हा मैं काम करके आज बहुत थक गई हु आज तेरे ही कमरे में सो जाती हु ,तू अपने जीजू के साथ सो जाना,....कोई प्रॉब्लम तो नही है ना

नही नही दिदि कोई प्रॉब्लम नही हैमैंने इतनी जल्दी में कहा की दिदि के चहरे में एक मुस्कान तैर गई और मैं अपने किये पर शर्मा गई…..

मैं दूध का ग्लास लेकर जीजू के कमरे में गई जीजअपने मोबाइल में कुछ कर रहे थे ,मुझे देखते ही उनके चहरे की मुस्कान कुछ ज्यादा ही बढ़ गई थी,

जीजू दूध

हम्म अच्छा है

उन्होंने मुझे देखते हुए कहा

अपने तो पिया ही नही है

वो तो देखकर ही पता चल रहा है की तेरे दूध अच्छे है पी भी लूंगा थोड़ी देर में

मैं बुरी तरह से शर्मा गई 

छि कितने गंदे हो आप मैं सर झुका के खड़ी रही जब तक जीजू ने दूध खत्म करके मेरे हाथो को पकड़ कर मुझे बिस्तर में पटक नही दिया ,

आउच जीजू मैं सीधे बिस्तर में गिरी,जीजू का चहरा मेरे चहरे के पास था,उनकी सांसो का अहसास मैं अपने चहरे में कर सकती थी उनकी सांसे बड़ी हुई थी वही हाल तो मेरा भी था,

उन्होंने मेरे चहरे को ध्यान से देखा और बड़े ही प्यार से एक किस मेरे माथे में किया मैं शर्म से पानी पानी हो रही थी वही मेरी चुद भी पानी पानी हो रही थी,मैं नजाकत से मुस्कुराई और जीजू मेरे गोल गोल गुलाबी गालो को अपने दांतो से कुरेदना शुरू किया ,

जीजू ,आह मजे की एक लहर मेरे शरीर में दौड़ गई थी जैसे मेरे शरीर में कोई हल्का सा करेंट दौड़ गया हो ,मैं कसमसाई और अपने बांहो को जीजू के गले से लपेट लिया,,मेरे मुलायम गालो पर जीजू की दाढ़ी चुभ रही थी और वो मेरे गालो को किसी फल की तरफ चाट और काट रहे थे,उनकी ये अदा मेरे लिए और भी कातिल साबित हो रही थी,उन्होंने मेरे कमर पर अपना हाथ टिकाया और खुद मेरे ऊपर हो गए,मेरी स्कर्ट थोड़ी ऊपर हो चुकी थी उन्होंने मेरी जांघो को सहलाना शुरू किया ,

मैं मादक सीसीकीया ले रही थी,उनके हाथो का आभास मुझे पागल बना दे रहा था मुझे गुदगुदी सी हो रही थी जिसके कारण मैं मचल रही थी ,मेरे शरीर से एक अजीब सी गंध उड़ रही थी वही जीजू के शरीर की महक ने मुझे पागल बना दिया था,वो एक असली मर्द की खुसबू थी,उन्होंने अपने शर्ट को निकाल फेका उनका नंगा सीना किसी भी लड़की के लिए जानलेवा था,वो बालो के भरा हुआ था वही चौड़ी छाती उनके कसरती होने का सुबूत दे रही थिजब उनके छाती के बाल मेरे मेरे शरीर के ठकराये तो मैं गनगना गई ,मैं पागल ही हो रही थी,और वो बड़े ही आराम से मुझे लूट रहे थे,

मैं उनकी गुलाम सी बन गई थी,वो जैसे चाहते मुझसे खेल रहे थे,उनके शार्ट से उनका बड़ा लिंग मेरे जांघो को चोट कर रहा था,कितना बड़ा था वो ,और इतना मजबूत ,मैं तो सोच के ही शर्मा गई..हमारी आंखे मिली तो मेरा चहरा लाल था और जीजू के होठो में एक मुस्कुराहट..

क्यो मेरी रानी आज पूरे होशोहवास में खेलोगी ना मेरे साथ होली,”जीजू ने बड़े ही शरारती ढंग से पूछा
लेकिन जीजू रंग कहा है


मेरी रानी आज सफेद रंग से नहलाऊंगा तुझे ,वो भी काले पिचकारी से

मैं कुछ समझ नही पाई लेकिन मैं शर्मा गई मेरी ये अदा शायद जीजू को बहुत पसंद आ गई उन्होंने मेरे होठो को अपने होठो में भर लिया ,मैंने खुद को उनके हवाले ही सौप दिया था,वो मेरे होठो को चूसे जा रहे थे,हमारे होठ आपस में मिल रही थी और हम दोनो ही सुख के सागर में गोते लगा रहे थे..उनके हाथ मेरे उरोजों पर पहुच गए थे वो उसे हल्के हल्के से लेकर जोरो से मसलने लगे थे,

बेताबी की इंतहा हो रही थी,उन्होंने अपने हाथो को मेरे स्कर्ट के नीचे घुसा दिया और मेरी योनि के द्वार को अपनी उंगलियों से मसलने लगे,मुझे बहुत मजा आ रहा था,मेरे मुह से बस आह आह की आवाजे ही निकल रही थी,

मैं बेताबी में अपना सर इधर उधर पटकने लगी थी लेकिन जीजू मेरे होठो के पीछे ही पागल थे,उन्होंने अपना हाथ पीछे ले जाकर मेरी स्कर्ट की जीप खोल दी ,और उसे उतारने लगे ,मैं अब जीजू के सामने बस ब्रा पेंटी में लेटी हुई थी,वो उठाकर मेरी नाजुक योनि को घूरने लगे जिससे मुझे बहुत ही शर्म आयी और मैंने अपने चहरे को अपने हाथो से ढक लिया,वो मुस्कुराते हुए मेरे 

योनि के पास अपना चहरा लाये,वो जगह पूरी तरह से गीली थी,उनकी सांसो का अहसास मुझे और भी गिला कर रहा था,वो बस हल्के से फूक मारे ,मेरा तो रोवा रोवा ही फड़क उठा था….

वो मेरे ऊपर आ गए और मरी ब्रा को एक ही झटके में उतार दिया अभी भी मेरी पेंटी मेरी लाज बचा रही थी लेकिन ना जाने कब तक ,मैं पूरी तरह से जीजू की गुलाम बन गई थी,वो जैसा करते मैं उनका साथ देती,वो मेरे कानो के पास अपने होठो को ले आये ,

अपने जीजू की पिचकारी देखेगी?


आह हम्म्म्म मेरे होठो से बड़ी ही मुश्किल से निकल पाया मैं उनके नीचे दबी हुई थी मेरी नाजुक जिस्म इतना भार कैसे उठा पा रही थी ये तो मुझे भी समझ नही आ रहा था,


उन्होंने खड़े होकर अपनी शार्ट निकाल फेंकी और उनका लिंग पूरे शबाब में मेरे सामने झूलने लगा,मैं तो उसे देखकर ही कांप गई ,वो तो काले मोटे रॉड जैसा था,और पूरी तरह से चमकदार ,उन्होंने उसे मेरे मुह के पास लाया,मैं अभी भी उसे आश्चर्य से घूर रही थी,वो मेरे होठो से टकराने लगा,उन्होंने मेरे गालो को पकड़कर दबाया जिससे मेरा मुह थोड़ा खुल गया,वो मेरे होठो में उसे रगड़ने लगे,

इसे प्यार दे मेरी जान ये तुझे बहुत मजे देगा ,”

उन्होंने थोड़ा और दबाव डाला ,

चूस इसे

मेरे होठ खुल गए मुझे नही पता था की इसे कैसे चूसना है लेकिन मैं उसे अपने मुह में भर जाने दिया और मेरे थूक से उसे सन जाने दिया,लेकिन जीजू पर जैसे शैतान चढ़ गया ,उन्होंने मेरे बालो को पकड़कर मेरे सर को अपनी कमर पर जोर जोर से दबाने लगे,उनका लिंग मेरे गले में फंस रहा था जिससे मुझे उल्टी होने लगी थी,सांसे रुकने लगी मैं छटपटा रही थी लेकिन जीजू में मुझपर कोई भी रहम नही दिखाया और जोरो से अंदर बाहर करने लगे ,

मुझे लगा जैसे की मर ही जाऊंगी,तभी उन्होंने मुझे छोड़ा मैं जैसे उल्टी ही करने लगी ,मैं जोरो से सांसे ले रही थी,मैंने जीजू को देखा तो वो मुस्कुरा रहे थे,जबकि मेरी आंखों में आंसू आ गए थे,

आप शैतान हो क्या,ये क्या था.

मैं लगभग रोते हुए बोली,

अरे मेरी जान फिक्र मत करो पहली बार है ना बाद में आदत पड़ जाएगी ,”

वो मेरे गालो को सहलाने लगे ,और मुझे लिटा कर मेरे ऊपर आ गये,वो मेर जिस्म के हर हिस्से को चाटने लगे,जिससे मैं फिर से गर्म हो गई थी,उन्होंने मेरी पेंटी को निकाल फेका और मैं सहमी हुई आंखे बंद किये हुए जीजू के होठो का आनद ले रही थी,

लेकिन इस बार उनके होठ नही थे इस बार तो उनका वो काला नाग था जो मेरी योनि में दस्तक दे रहा था,मैंने उन्हें कस लिया,मैं तडफ रही थी,ना जाने क्यो मेरी योनि इतनी खुजला रही थी ,मन करता था की कुछ अंदर ही डाल लू और कुछ नही जीजू का वो रॉड,मैं उसे अपने अंदर चाहती थी,वो उस रॉड को मेरे योनि के पानी से गिला कर रहे थे शायद अब थोड़ी ही देर में वो मेरे अंदर जाने वाला था,उन्होंने धीरे से उसे अंदर सरकाया,

आह जीजू ,आह लव यू जीजू ,ओह

वो रॉड मुझे अंदर जाता हुआ महसूस हुआ दर्द और मजे की एक तेज लहर मेरे शरीर में दौड़ी और ऐसा लगा जैसे की मैं अब जीजू की गुलाम ही बन गई,वो समर्पण का भाव मेरे मन में उठा और मेरे आंखों से पानी की कुछ बूंदे टपक पड़ी,जीजू रुक गए थे और उन्होंने मेरी आंखों में देखा,

वो गीली थी लेकिन मेरे होठो में एक मुस्कान सी आ गई,मैं अपने मन का सारा प्यार अपनी आंखों में ले आई,मैं जीजू को ऐसे देख रही थी की अब मैं उनकी ही हु,वो मुझे देखकर बहुत ही भावुक हो गए और मेरे होठो को चूमने लगे,हम दोनो ही एक दूसरे के होठो को पागलो की तरह छुमने लगे थे वही जीजू की कमर ने हरकत शुरू की शुरवाती झटकों का दर्द मैं पीती गई ,

जीजू ने मुझे मजबूती से जकड़ रखा था,और धीरे धीरे मेरे अंदर आनंद ही आनंद बचा मुझे लग रहा था की ये कभी खत्म ना हो,मैं जीजू को अपनी गहराइयों तक महसूस कर पा रही थी,मैं उन्हें चूमना भी भूल गई थी मेरी आंखे बंद हो गई थी और मैं आनंद के सागर में हिचकोले लगा रही थी,एक तेज झटके से मेरा पूरा शरीर अकड़ाने लगा और मैं झड़ी ,तेजी से झड़ी,ऐसे झड़ी जैसे जीवन ही खत्म हो गया हो,

मेरा शरीर बिस्तर से ऊपर उठ गया था,एक उछाल जिसे जीजू के मजबूत बांहो ने सम्हाला,और मैं मुर्दो की तरह बिस्तर में गिर पड़ी,पता नही फिर क्या हुआ,लेकिन जब थोड़ी देर बाद मुझे होश आया तो जीजू मुझे प्यार से चूम रहे थे,सहला रहे थे और उनका वो लिंग मेरे योनि ने अब भी भरा हुआ था जो की मेरे पानी से सना हुआ था और आराम से अंदर बाहर हो रहा था,जीजू ने मेरी आंखों में देखा मेरी आंखों में उनके लिए बस आभार था,मैं उनकी दीवानी हो गई थी,मैं उन्हें धन्यवाद देना चाहती थी,

क्यो साली जी मजा आया उन्होंने मुकुराते हुए कहा,अब मैं उन्हें कैसे बताती की मुझे क्या मजा आया,उन्हें क्या बताती की आज से मैं आपकी हो गई हु,मेरा सब कुछ आपके नाम लिख दिया है,मैं तो बस उनके सर को पकड़ कर उनके होठो में अपने होठो को भर दिया,...एक लंबी किस के बाद फिर से जीजू ने स्पीड पकड़ी और फिर के मैं उनके प्यार के लहरों में गोते लगाने लगी,

इस बार जीजू भी मेरे साथ ही झरे और मुझे भर दिया,आज उन्होंने अपने वादे के अनुसार मुझे मुझे अपनी पिचकारी से नहला दिया था,लेकिन बस इतना ही नही हुआ था,मुझे मेरे पूर्ण होने का अहसास हुआ था,हम दोनो ही पसीने से भीगे हुए थे और एक दूसरे से ऐसे लिपटे थे जैसे कभी अलग नही होने वाले.तन के साथ साथ हमारा मन भी मिल गया था…………….

इसके बाद के दिनों में मुझे पता चला की दिदि असल में IAS बनने के लिए तैयारी कर रही है,मैं अपनी कालेज के साथ साथ जीजू की हर ख्वाहिस को पूरा करती थी,दिदि और जीजू महीने में एक या दो दिन ही एक दूसरे के साथ सोते थे,बाकी दिनों में मैं जीजू का और जीजू मेरा ख्याल रखते,उन्होंने मुझे प्रैग्नेंट भी कर दिया लेकिन दिदि ने उन्हें बहुत डाँटा ,लेकिन उन्हें इसमें मजा आता था और मैं तो थी ही उनकी गुलाम जो वो बोलते मेरे लिए वो पत्थर की लकीर हो जाती थी,

उन्होंने अभी तक मुझे 15 बार प्रैग्नेंट किया ,हर बार तो मैंने बच्चा गिरा लिया ,लेकिन आखिर में डॉ ने भी कह दिया की अब अबॉर्शन करवाना ठीक नही होगा,तुम कभी माँ नही बन पाओगी...जीजू बात को समझ गए,मैं आज 27 साल की हु,दिदि एक IAS बन चुकी है,लेकिन उन्होंने कोई बच्चा अभी तक नही किया है,मेरी शादी को 2 साल हो गए है और जीजू की इच्छा के अनुसार मैं 15 वी बार उनके बच्चे की माँ बनी लेकिन इस बार गिराया नही ,कल ही मैंने एक लड़के को जन्म दिया,वो बिल्कुल जीजू जैसे ही दिखता है,ये मेरे और जीजू के प्यार की निशानी है,मेरे जीवन की सबसे हसीन सौगात ……….

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समाप्त *********

 
 






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