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Adultery यादों के झरोखे से
#1
Heart 
Dosto! Pichali bar yah kahani meri adhuri rah gai thi...

App logo ke feedback, comments and advise ke base par koshish karoonga ki ek umda kahani aap logo ke liye likhoo.
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#2
Start karo
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#3
(21-03-2024, 12:56 AM)sri7869 Wrote: Start karo

Abhi do thread mere chal rahe hai,

Jisme ek holi ke bad khatam kar doonga 
fir aapke liye is thread ko likhoonga.
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#4
होली कब है...... कब है होली
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#5
Heart 
(01-04-2024, 12:56 PM)Vnice Wrote: होली कब है...... कब है होली

ये तो शायद सांभा ही बता पायेगा।[/b][/size][/color] Tongue Tongue
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#6
Heart 
सभी चुदासी बहनों व चुदक्कड भाइयों को आपके अपने सग़ीर ख़ान का प्यार भरा आदाब! 
मैं आज आप सबके लिए फिर से अपनी एक बहुत पुरानी कहानी को लेकर हाज़िर हुआ हूँ "यादों के झरोखे से" जिसे आप सभी लोगों ने बहुत पसंद भी किया था। किन्ही कारणों से वह कहानी मेरी अधूरी छूट गई थी जिसे कई लोगों ने अधूरा ही वहाँ से कॉपी करके अलग अलग साइट्स पर अपने नाम से पोस्ट कर दिया और वह अधूरी कहानी भी हर साइट पर बहुत हिट हुई।

मैं पिछले कई सालों से एक से एक उम्दा कहानियों से आप सभी का मनोरंजन करता आ रहा हूँ। यहाँ इस साइट पर भी मेरी यह दूसरी आई डी है। पिछला यूज़र नेम भूल जाने से में अपनी कहानियाँ डाल कर भी सर्च किया परंतु कुछ नहीं मिला। उसके बाद इस नई आई डी के साथ आप लोगों की सेवा में फिर से हाज़िर हुआ हूँ।

अब मैं उसी पुरानी कहानी को एक नए कलेवर में आप सबके सामने रखने जा रहा हूँ। कहानी वही है परन्तु यह कहानी "जिस्म की भूख" के बाद शुरू होती है। 

जो लोग मेरी  यह कहानी पहली बार पढ़ने जा रहे हैं, उनसे गुज़ारिश है कि वे पहले "जिस्म की भूख" का आनंद लें फिर इस कहानी की शुरूआत करें। इस कहानी में जैसे जैसे पात्र आते जायेंगे वैसे वैसे उनका आपको परिचय करा दिया जाएगा। 

मेरी कहानी "जिस्म की भूख" अब समाप्ति की ओर है, जैसे ही वह कहानी समाप्त होगी आप लोग इस कहानी का लुत्फ़ उठा पाएंगे।

Namaskar Namaskar Namaskar Namaskar
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#7
(02-04-2024, 07:09 PM)KHANSAGEER Wrote: मेरी कहानी "जिस्म की भूख" अब समाप्ति की ओर है, जैसे ही वह कहानी समाप्त होगी आप लोग इस कहानी का लुत्फ़ उठा पाएंगे।[/size][/color][/align]

Intezaar rahega dost...
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#8
(18-04-2024, 07:17 AM)Pentagon Wrote: Intezaar rahega dost...

Jyada intezar nahi karna padega  Namaskar Namaskar

Tab tak "Jism Ki Bhukh" ka maza lijie
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#9
Heart 
यह एक सच्ची एवं मेरी अपनी कहानी है जिसका मेरे और मेरे परिवार व रिश्तेदारों के अलावा किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है परंतु जगह और पात्रों के नाम को सुरक्षा के नज़रिए से बदल दिया गया है।
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#10
Heart 
अपनी पिछली कहानी "जिस्म की भूख" का सन्दर्भ देना यहाँ बहुत ज़रूरी है परंतु मैं बहुत ही संक्षेप में यहाँ लिखूंगा जिससे हमारे पाठकों को वही कहानी फिर से पढ़ कर किसी भी तरह की बोरियत न हो। वैसे चुदाई की कहानियों की यह ख़ासियत होती है कि आप इन्हें मर्ज़ी आए कितनी भी बार पढ़ो, ये कभी पुरानी नहीं होतीं। हर बार पढ़ने पर लॅंड खड़ा और चूत पानी छोड़ने लगती है। इन कहानियों को पढ़ने पर हर बार कुछ नयापन महसूस होता है, हर बार लगता है कि पिछली बार शायद कुछ छूट गया था। आप सभी खवातीन और हज़रात से गुज़ारिश है कि मेरी इस कहानी को शुरू करने से पहले मेरी कहानी "जिस्म की भूख" का आनंद लें फिर इस कहानी का मज़ा दोगुना हो जाएगा।

मेरी पिछली कहानी पर कमेंट्स तो कम आए परंतु किसी ने भी उसमें कमियाँ नहीं निकालीं. यही एक सबसे बड़ा कारण था कि मैं और नई कहानियाँ लेकर यहाँ आप लोगों के सामने रखने की हिम्मत ज़ुटा सका।
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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#11
Heart 
ख्वातीन और हज़रात तो अब वक़्त आ गया है इस सफर को आगे बढ़ाने का ....
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#12
Heart 
उम्मीद है कि आप लोगों ने मेरी पिछली कहानी "जिस्म ही भूख" का पूरा लुत्फ़ उठाया होगा। तो आइए अब आप लोगों को अपनी ज़िंदगी के सफ़र-ए-चुदाई के वाक्यातों से रूबरू कराता हूँ।

मेरी आपी हनी और फरहान के साथ मस्त रातें रंगीन हो रहीं थी, कोई रात ऐसी नहीं जा रही थी जब मेरा लॅंड आपी या हनी की चूत में अपना पानी न निकाल रहा हो। 

हनी और आपी को चोद चोद कर में चुदाई के खेल का इतना बड़ा खिलाड़ी बन चुका था कि यदि इस खेल को ओलंपिक में शामिल कर दिया गया होता तो में पता नहीं कितने मैडल अपने देश को दिला चुका होता।

मैं इन दो चूत में ही इतना मस्त था कि मुझे अपना जीवन अब संपूर्ण लगने लगा था। मेरे अंदर अब किसी तरह की कोई चाहत बाकी नही बची थी। 

रोज़ रात में खुल कर चुदाई का खेल होता था। आपी और हनी का कोई छेद ऐसा नहीं बचा था जिसमे मैने और फरहान ने अपना लॅंड न पेला हो। कसम से पूरा ज़न्नत का लुत्फ़ उठाते हुए हम लोगों की ज़िंदगी गुज़र रही थी। 

एक भी दिन हमारे लण्ड या चूत को आराम नहीं मिल रहा था। दो में से जब भी किसी के पीरियड होते थे तो दूसरी पर दुगुना लोड हो जाता था क्योंकि मैं या फरहान एक बार के पानी निकलने पर शांत होने वालों में से नहीं थे। कभी कभी तो ऐसा होता था कि आपी या हनी की चूत और गाँड दोनों में एक साथ हम लोगों के लण्ड होते थे।

यहाँ में एक बात और बताना चाहूँगा कि जिस तरह एक लॅंड हर समय किसी चूत की चाहत में तड़पता है उसी तरह हर चूत भी किसी न किसी लॅंड को अपने में पिलवाने को बेताब रहती है। आपको सिर्फ अपने आँख और कान खुले रखने है। आपको हर गली, हर मोहल्ले यहाँ तक कि हर घर में चुदासी चूत या चुदक्कड लॅंड आपके अनुसार मिल जायेगा।

CONTD.....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
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#13
Heart 
फाइनल एग्जाम ख़तम हो चुके थे। पढ़ाई से हम सब पूरी तरह से आज़ाद होकर हर समय सिर्फ़ चूत और लण्ड में खोए ज़िंदगी के असली मज़े ले रहे थे।

( दोस्तो! मेरी अम्मी, मामू (जावेद) और खाला (सलमा) का पुश्तैनी गाँव सतियाना है जो लुधियाना पंजाब में लगता है। गाँव के सरपंच ठाकुर शमशेर सिंह राणा के बेटे ठाकुर विक्रम सिंह राणा की नज़र मेरे मामू की बड़ी बेटी और बेगम यानी मेरी मामी पर थी। एक दिन तंग आकर मामू रातों रात लुधियाना शिफ्ट हो गए। सतियाना के सरपंच ठाकुर फैमिली और मेरे मामू के किस्से आप को अपनी दूसरी कहानी "हवस-लीला" में बता दूँगा फिलहाल आप लोगों को मैं अपनी कुछ पुरानी यादों से रूबरू कराता हूँ)

मेरे मामू के तीन बेटियां है। वैसे तो तीनो एक से बढ कर एक खूबसूरत है परन्तु मंझली वाली का ज़बाब नहीं है। बड़ी वाली की शादी जम्मू में एक डॉक्टर के साथ हुई है। अब मामू के दो बेटियां शादी के लिए बचीं है। मंझली वाली मुझसे 11 महीने उमर में बड़ी है और इतनी खूबसूरत है कि आपको बता नहीं सकता। 36/24/36 वाली बिल्कुल परफेक्ट फिगर है उसकी। उसकी बड़े बड़े संतरे जैसी चुचियों को देख कर मेरा लंड अक्सर टायट होने लगता था और मै हमेशा उसकी मस्त चूत की कल्पना करता था। छोटी वाली भी बला की खूबसूरत है और मुझसे उमर में डेढ साल छोटी है। दोनों ही भरपूर जवान है।

पिछली बार बड़ी आपी के निकाह में मामू अपने पूरी फेमिली के साथ आए थे। उस वक्त मेरी मंझली दीदी से अच्छी ट्यूनिंग बन गई थी। वो अक्सर मेरे गाल पर किस करतीं या मौका मिलते ही मुझे कस कर हग कर लेतीं थीं, उस वक्त मुझे अच्छा तो बहुत लगता था पर मैं चूत और लण्ड के खेल से वाक़िफ़ नहीं था। अब इस खेल का चैम्पियन बन जाने के बाद मेरा लण्ड उन सब बातों को सोच कर ही टाइट हो जाता था।

एक दिन सुबह नाश्ते के वक़्त अम्मी बोलीं- "अजी सुनते हो! ३-४ साल हो गए जावेद और उसके बच्चों से मिले, बहुत दिल कर रहा है उन सबसे मिलने का"

अब्बू बोले- "यार मुझे तो छुट्टी नहीं मिल सकती, तुम सग़ीर के साथ जावेद के यहाँ चली जाओ। मै तुम दोनों का ट्रेन रिसर्वेशन करवा देता हूँ। मेरे खाने पीने का इंतज़ाम रूही देख लेगी"

अब्बू की बात सुनकर मेरे लॅंड ने तुरंत अपनी गर्दन उठा दी। मैं मंझली दीदी की मस्त चूत और रसीली चूचियों के सपने देखने लगा। मुझे पता था कि आपी को जैसे ही पता चलेगा वो तुरंत समझ जाएँगी क्योंकि वो मेरी फ़ितरत से अच्छी तरह से वाक़िफ़ थी।

और वही हुआ, रात में जैसे ही आपी कमरे में आई उस वक़्त मैं हनी को चोद रहा था और फरहान उसके एक मम्मे को मसलते हुए दूसरे मम्मे को बड़ी बेदर्दी से चूस रहा था। हनी के मुँह से 'उउह...आह....आ....' की कामुक आवाज़े निकल रहीं थीं।

आपी ने आते ही अपनी कुर्ती निकाल फेंकी तब मैने देखा कि उन्होने तो ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। इतनी शर्मो हया वाली और सर से पाँव तक अपने को ढक कर रखने वाली आपी आजकल ब्रा पेंटी सब पहनना छोड़ दी थी।

कपड़े उतार कर आपी ने हनी के ऊपर से मुझे खींच कर मेरे होठों से अपने होंठ लगा दिए।

कुछ देर कस कर किसिंग करने के बाद वो मुझसे भारी आवाज़ में बोलीं, "अब तो बहुत खुश होगे तुम, वहाँ दो दो सील पैक चूत जो मिलेंगी चोदने को..." उनकी आँखों में हल्के से आँसू आ गए थे।

मैने उनके चेहरे को अपनी हथेलिओं में लेकर कहा, "कैसी बात करती हो आपी? आपके लिए तो मैं ज़न्नत की हूर भी ठुकरा दूं, मामू की बेटियाँ क्या चीज़ हैं, प्लीज़ रोना मत, मैं अब्बू के कहने से जा रहा हूँ वरना मैं तुम्हें छोड़ कर एक पल को भी जुदा नहीं हो सकता, यदि आप नहीं चाहतीं तो मैं अभी जाकर अब्बू को मना किए देता हूँ" मैने अंधेरे में एक तीर छोड़ा।

"उसकी अब कोई ज़रूरत नहीं, लेकिन खबरदार जो वहाँ दो दिन से ज़्यादा रुके तो, तेरा लॅंड काट कर कुत्तों को खिला दूँगी"

मुझे आपी के साथ मशरूफ देख कर, फरहान बड़ा फुर्ती से उठ कर आया और अपना लॅंड हनी की चूत पर टिका कर एक झटके में जड़ तक ठांस दिया। इस एकाएक हमले के लिए हनी तैयार नहीं थी तो उसके मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गयी।

आपी ने पलट कर देखा और गुस्से से बोली, "इस बहनचोद को पता नहीं कितनी जल्दी रहती है, वो कहीं भागी जा रही है क्या? आराम से नहीं चोद सकता तू?"

फरहान डर कर हनी को धीरे धीरे चोदने लगा।आपी ने मेरे लॅंड को कस कर पकड़ा हुआ था, ऐसा लग रहा था कि उन्हें डर हो कि छोड़ देने से ये कहीं भाग ना जाए।

"सलवार उतारो मेरी" -मेरे होठों को चूसते हुए व लॅंड को कस कर सहलाते हुए आपी ने फरमान ज़ारी किया।

मैने आपी की सलवार घुटनो के नीचे कर दी जिसे उन्होने खुद ही पैरों में फँसा कर निकाल दिया फिर मुझे बेड पर गिरा कर मेरे लॅंड को अपनी चूत पर टिका कर एक झटके में बैठ गईं, मेरा लॅंड सूख चुका था और चूत भी पूरी तरह से गीली नहीं थी सो मेरा लॅंड आपी की चूत में चरचराता हुआ जड़ तक घुसता चला गया, इस हमले से हम दोनों के ही मुँह से एक 'आह....' निकल गई।

थोड़ी देर रुक कर आपी ने मेरे लॅंड पर कूदना शुरू कर दिया, आपी बहुत तेज़ी से शॉट लगा रहीं थीं, मुश्किल से २०-२५ शॉट मारते ही आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया और 'फच्च...फच्च' की आवाज़ के साथ आपी मेरे सीने पर गिर कर हाँफने लगीं परन्तु मेरा अभी भी नहीं हुआ था, 

मैने आपी की चूत में अपने लॅंड को फँसाए हुए ही पलटी मार दी, अब आपी मेरे नीचे थीं, मैनें बिना समय बर्बाद किए आपी की चूत में अपना लॅंड सटासट पेलना शुरू कर दिया। मैं इतनी तेज़ी से आपी को चोद रहा था कि उनकी आँखें बाहर को निकलीं पड़ रहीं थीं परंतु मुझे इस बात से कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था, मैं पूरी गाँड़ तक की ताक़त लगा कर आपी को चोदे जा रहा था.

ज़नाना शरीर एक बांसुरी की तरह होता है जिसमें तीन खूबसूरत छेद होते हैं। वैसे बजाने में छेद तो सभी प्रयोग किए जाते हैं परन्तु कब कौन से छेद को छेड़ना है यह एक मजबूत आदमी को ज़रूर पता होता है, वह बारी बारी से उन तीनों छेदों को छेड़ कर जब उस बांसुरी को बजाता है और सही समय पर सही छेद का उपयोग करता है तो आवाज अद्भुत होती है ....उह...आह… ओह... उम्म्म... आउच...

अचानक मेरे मुँह से आवाज़ निकली, “आह...तेरी...माँ...को...चोदूँ...बहन...चोद... मैं .... गया....."

आपी ने मुझे कस कर भींच कर मुस्कुराते हुए कहा, "बड़ा कमीना है, मुझे पता है कि मौका लगे तो तू छोड़ेगा अम्मी को भी नहीं"

मैं बिना कोई जवाब दिए अपना सारा माल आपी की चूत में ही निकाल कर उनके बाज़ू में लेट गया, फरहान हनी को चो द कर अपना मुरझाया लॅंड लिए आँख बंद किए पड़ा था, हनी टाँगे फैलाए पड़ी थी, उसकी चूत से फरहान का जूस अभी तक रिस रहा था।

CONTD....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

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