Thread Rating:
  • 1 Vote(s) - 5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery अपना-अपना प्रारब्ध (सम्पूर्ण)
#1
Heart 
“निशा जल्दी करो, स्कूल के लिए देर हो रही है !” कहते हुये किशन अपने किरायेदार राजेन्द्र सिंह की बहन के कमरे में दाखिल हुआ, निशा उस समय स्कूल ड्रेस पहन कर झुकी अपने जूते पहन रही थी।

झुकी हुई निशा के स्कूल शर्ट से बाहर आने को बेताब उसकी मुसम्मियों के उभार और झुके होने से घुटने के ऊपर तक के स्कर्ट से झांकती उसकी गोरी सुडोउल नंगी टाँगों को देख किशन के अंदर एक अजीब सी कसमसाहट हुई। किशन बहुत दिनों से निशा को भोगने की ताक में था।

27 साल का किशन एक जवान युवक था और राजेन्द्र की बीवी सविता और राजेंद्र की छोटी बहन निशा को अपने मकान में किरायेदार के रूप में रखे हुये था। किशन के परिवार में सिर्फ उसकी माँ ही रहती थी और किशन एक सरकारी नौकरी करता था। घर में खाना की दिक्कत थी तो उसने राजेंद्र को इसी शर्त पर अपने घर में रखा हुआ था कि उसकी बीबी सविता ही उसके और उसकी माँ के लिये खाना बनाएगी और बदले में वो उनसे किराया नहीं लेगा।

राजेन्द्र की नौकरी पक्की नहीं थी और वो एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता था और उसको कम्पनी के काम से कई कई दिन बाहर टूर पर रहना पड़ता था, तो उसको यह शर्त सहर्ष मंजूर भी हो गई थी और राजेन्द्र को दारु पीने की लत भी थी, किशन अपने पैसे से उसको दारु पिला कर उसकी इस तलब को पूरी करता था।
निशा पढ़ाई के लिए शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी, वो एक कमसिन और खूबसूरत 18 साल की किशोरी थी जो गाँव में रहने के कारण अभी बारहवीं में पढ़ रही थी। जवानी में कदम रखती वो लड़की दिखने में ग़ज़ब की सुंदर तो थी ही, उस पर उसके अल्लहड़पन, शोखी और चंचलता ने उसको और भी खूबसूरत बना दिया था।

स्कूल की ड्रेस में उसकी चूचियों के बड़े उभार साफ दिखाई देते थे और उसके ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखती गोरी-गोरी चिकनी टाँगें किशन को पागल बना देती थी।
किशन जानता था कि सविता भाभी की ननद को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर वो वासना के अधीन हो चुका था और उसकी जवानी का रस लेने के लिए बेताब था पर कोई सही मौका हाथ नहीं लग रहा था। एक बात और थी कि वो अपनी सविता भाभी से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि उसको डर था कि कहीं उसकी भाभी सविता गुस्सा हो जाए।

सविता जैसी हरामी और चुड़क्कड़ औरत उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रंडियों जैसे अंदाज़ से शादी के 3 माह के अंदर ही उसने अपने मकान मालिक किशन को अपना चोदू बना लिया था और उसका पति भी बेबस होकर कुछ नहीं बोलता था क्योंकि साला नपुंसक था, सविता की गांड और चूत की खुजली मिटाने में असफल रहता था।

चूंकि किशन दौलतमंद भी था सो सविता के पति को दारु भी मिल जाती थी और वो भी कुछ नहीं बोलता था और इस तरह किशन को सविता ने अपना दीवाना बना लिया था। किशन को डर था कि सविता को यह बात पता चल गई कि उसकी निगाह निशा की कमसिन जवानी पर है तो ना जाने वो गुस्से में क्या कर बैठे।

जबकि वास्तव में उसका यह डर सिर्फ़ एक डर ही था क्योंकि सविता किशन की इच्छा को बहुत अच्छे से पहचान गई थी। निशा को घूरते हुये किशन के चेहरे पर झलकती वासना उसने तो कब की पहचान ली थी, सच तो यह था कि वो खुद इतनी कामुक थी कि किशन से हर रात चुद कर भी उसकी कामुकता को तृप्ति नहीं मिलती थी और ऊपर से वो अपने पति की बहन को भी बिगाड़ कर उसे अपने वश में करना चाहती थी क्योंकि शादी से पहले सविता एक लेस्बियन लड़की थी और उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ टीचर्स और ख़ास सहेलियों के साथ संबंध बना रखे थे। उसको लेस्बियन सेक्स में काफ़ी आनन्द आता था।

रात की चुदाई के बाद दोपहर तक उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगती थी, वासना से उद्दीप्त योनि की अग्नि पर किसी कमसिन कन्या या खाई खेली औरत की जीभ की ठण्डक पाने के लिए उसकी निगाह भी निशा पर थी लेकिन फिलहाल उसे हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करनी पड़ती थी।

शादी के बाद वो किसी और मर्द से संबंध नहीं रखना चाहती थी लेकिन क्योंकि राजेन्द्र जैसे नपुंसक से उसकी शादी और घर में ही मजबूत काठी का किशन और उसकी मस्त जवानी और मज़बूत लंड उसके पुरुष सुख के लिए पर्याप्त था। वो भूखी तो थी ही पर उसकी पहली पसंद तो लेस्बियन सेक्स ही थी। अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदक्कड़ लड़की या औरत मिल जाए तो मज़ा जाए।

पिछले दो माह में वो भी निशा की उभरती जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। अब सविता मौका ढूँढ रही थी कि निशा को कैसे अपनी चंगुल में फंसाया जाए। किशन के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया।

एक दिन उसने जब किशन को स्कूल के ड्रेस ठीक करती निशा को वासना भरी नज़रों से घूरते देखा तो निशा के स्कूल जाने के बाद किशन को ताना मारते हुये बोली- "क्यों लाला, मुझसे मन भर गया क्या? जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो, और वो भी अपने दोस्त की सग़ी छोटी बहन को?"

किशन के चेहरे से हवाइयाँ उड़ने लगी कि आख़िर उसकी चोरी पकड़ी गई, वो कुछ ना बोल पाया। तब सविता ने उसको एक दो और बातें सुनाई, फिर खिलखिला कर हंस पड़ी और किशन के होंठो को चूमते हुए कहा- "मैं भी इस कमसिन गुड़िया की दीवानी हूँ, इसके बदन से खेलना चाहती हूँ और इससे अपनी फ़ुद्दी की आग ठण्डी करवाना चाहती हूँ"

तो किशन खुशी से उछल पड़ा।
सविता ने किशन से कहा- "तुम तो ऑफीस चले जाते हो दोपहर को, इधर अपनी वासना शांत करने में मुझे बड़ी तकलीफ़ होती है, मैं उंगली से ही अपनी मार मार कर परेशान हो जाती हूँ। इस चूत की आग बुझती ही नहीं, तुम बताओ मैं क्या करूँ?"

और उसने अपनी शादी के पहले की अपनी सारी समलैंगिक प्रेम-वासना-कथाएँ किशन को बता दी।

किशन उसको चूमते हुये बोला- "पर डार्लिंग, मैं तो हर रात तुमको चोदता हूँ"

सविता उसे दिलासा देते हुये बोली- "तुम तो लाखों में एक हो जानू, इतना मस्त लंड तो किस्मत वालियों को ही मिलता है। पर मैं ही ज़्यादा गर्म हूँ और मुझे लेस्बीयन सेक्स की आदत पड़ गई है, मुझे भी किसी लड़की की चूत चाटने और चूसने का दिल करता है। निशा पर मेरी नज़र बहुत दिनों से है, क्या रसीली छोकरी है। दोपहर को ये मेरी मस्त ननद मेरी बाहों में जाए तो मेरी किस्मत ही खुल जाए"

किशन फ़ौरन ही मान गया और उसने सविता से कहा- "अभी तो तूने मेरे लौड़े को ही खड़ा कर दिया है रानी, अब जरा जल्दी से मेरे लौड़े को बैठाने का इंतजाम कर दे !"

सविता भी गर्म हो गई थी, उसने भी किशन के कपड़े उतार कर फेंक दिये, जल्दी से अपनी साड़ी ब्लॉउज उतार कर सिर्फ ब्रा-पैंटी में अपने भरपूर मस्त और गुन्दाज बदन को किशन के सामने पेश कर दिया और एक मादक अंगड़ाई लेकर बोली- "लो लाला, लगाओ भोग तेरी जवान भौजी तैयार खड़ी है चुदने को…"
किशन का मूसल सा लंड तनतना कर आसमान की तरफ देखने लगा, जल्दी से उसने सविता की ब्रा पैंटी को भी उतार फैंका और उसके रूप के सागर में गोते लगाने लगाधचाधच फ़चाफ़च चुदाई से माहौल गर्म हो गया, करीब 20 मिनट की मस्त चुदाई लीला के बाद किशन ने अपना माल सविता की चूत में छोड़ दिया।
चुदाई के बाद किशन ने सविता से एक सिगरेट सुलगाने के लिये कहा। सविता ने किशन की पैंट में से सिगरेट निकाल कर बड़ी अदा से सिगरेट अपने होंटों से लगा कर माचिस से सुलगाई और खुद ही एक जोरदार सुट्टा लगा कर किशन की तरफ सिगरेट बढ़ा दी।
फिर दोनों सोचने लगे कि निशा को कैसे पटरी पर लाया जाये, शुरूआत कैसे की जाए।
तभी सविता ने कहा- "कल मैं किसी भी बहाने निशा को स्कूल नहीं जाने दूँगी और अपने बेडरूम के तकिये के नीचे नंगी तस्वीरों वाली पत्रिका रख कर उसको कमरे की साफ सफाई के काम में लगा कर वो कुछ घंटों के लिए मार्केट चली जाऊँगी। निशा जब बिस्तर की चादर ठीक करेगी तब उस किताब को ज़रूर पढ़ेगी और यही वक्त होगा जब तुम वहाँ पहुँचोगे, और फिर प्यार से, उसकी मर्जी से उसको चोदकर फिर ऑफ़िस के लिए निकल जाना। फिर मैं आकर दर्द से रोती उस मासूम छोकरी को पूछने और सहलाने के बहाने खुद भी भोगूँगी"

उस रात निशा की मस्त जवानी को चोदने के ख्याल से किशन को नींद भी नहीं आई और उसकी जुगाड़ सविता भी उस रात उससे चुदने नहीं आई।
सुबह किशन ने नहा धोकर ऑफ़िस में फोन किया कि वो आज लेट आएगा और उधर रात को किशन के साथ सम्भोग करने के कारण सविता भी निशा के साथ देर तक जागती रही और उससे बातें करके उसे भी जगाये रही। इससे हुआ यह कि निशा सुबह स्कूल जाने के लिये समय पर ही नहीं उठी और सविता ने निशा को जगाया ही नहीं जिसके कारण उसका स्कूल टाइम निकल गया।
continued .........
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 1 user Likes KHANSAGEER's post
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.
#2
Heart 
और अब कुछ देर सुबह की दिनचर्या समाप्त होने के बाद सविता ने नाश्ते में सविता ने हलवा बनाया और उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला कर निशा को बड़े प्यार से हलवा खिलाया, फ़िर अपने बिस्तर के तकिये के नीचे चुदाई की कहानियों और तस्वीरों वाली किताब रखकर निशा से बोली- “निशा, मुझको बाजार जाना है, काफ़ी खरीददारी करनी है, इसलिए देर हो जाएगी, जरा मेरा कमरा ठीक कर देना, चादर, तकिया कवर भी बदल देना, उधर अलमारी में सब रखा है, मुझे आने में कुछ देर हो जायेगी”

“ठीक है !” निशा ने हलवा खाते हुए सहमति में सर हिलाया- “जी भाभी, आप जाओ, मैं सब ठीक से कर लूँगी”

सविता घर से बाहर चली गई और निशा कमरे में जाकर अपने काम में जुट गई। दवा का असर निशा के ऊपर होने लगा था उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक उसके हाथ उसकी मुसम्मियों को क्यों सहलाने लगे हैं।
जब निशा अंदर चली गई तब सविता ने घर के बाहर खड़े किशन से कहा- “जाओ डार्लिंग, मज़े करो आज अपनी धर्म बहन को चोद लो। वो रोए चिल्लाये पर तुम उसकी परवाह मत करना। किशन को आँख मारकर वो दरवाज़ा बंद कर के चली गई”
दस मिनट बाद किशन ने अपने पूरे कपड़े उतार दिये और अपने फनफनाते लौड़े को अपने हाथ से सहलाया और बुदबुदाया- “चल आज तुझे जबरदस्त चूत मिलने वाली है !”
और उसने अपनी कमर से सिर्फ एक लुंगी बाँध ली और उसे भी नीचे से उठा कर लौड़े के ऊपर दोहरा बाँध लिया ताकि उसके लंड का उभार आसानी से न दिखे और फिर धीरे से अंदर जा कर देखा तो निशा बिस्तर पर बैठ कर नंगी चुदाई की तस्वीरों वाली देख अपनी गोरी टाँगों को आपस में रग़ड रही थी। उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था।
किशन उसके पास पहुँचा और बोला- “देखूँ तो मेरी बहना क्या पढ़ रही है?”
निशा सकपका कर किताब छुपाने लगी, तब किशन ने किताब उसके हाथ से ले ली जिसमें एक औरत को तीन पुरुष चूत, गांड और मुँह में चोद रहे थे।
किशन ने निशा को एक थप्पड़ मारा और चिल्लाया- “तो तू आजकल ऐसी किताबे पढ़ती है? बेशरम लड़की, तब ही ऐसे ही चुदवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई? देख आज मैं तेरा क्या हाल करता हूँ”
निशा रोने लगी और उसने कहा- “यह किताब मुझको तकिये के नीचे से मिली है, मैंने आज पहली बार ऐसी किताब देखी है"
लेकिन किशन ने उसकी नहीं सुनी और उसको अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके कपड़े निकाल दिए। किशन उसकी गोल गोल, कड़ी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा। कामोत्तेजक दवा के असर के कारण थोड़ी देर में निशा को भी मज़ा आने लगा और उसने अपने आप को अपने भाई के हवाले कर दिया।
तभी किशन ने उसकी चूची को बहुत ज़ोर से मसल दिया। निशा चीख पड़ी- “भैया, यह तुम्हारी बहन की ही चूची है, ज़रा धीरे से दबाओ ना”
किशन इतना सुनकर और भी पागल हो गया और अपनी लुंगी भी उतार दी, निशा उसके हल्लबी लंड को देख सहम गई और बोली- “भैया इतने बड़े लंड से तो मेरी चूत तो फट जाएगी, प्लीज़ मुझे मत चोदो ! मैं अपने हाथ से आपकी मुट्ठ मार देती हूँ”
तब किशन ने कहा- “मेरी बहना रानी, बहुत प्यार से तेरी चूत की सील तोडूंगा, तू चिंता मत कर..”
और उसने अपना मुँह निशा की चूत की फांकों पर लगा दिया।
निशा मदहोश होने लगी। धीरे धीरे निशा के मुँह से रुलाई की जगह मादक सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी चूत पसीजने लगी और उसका कुंआरा बदन मस्ती के कारण कंपकपाने लगा। उसने अपने भाई का सर पकड़ अपनी बुर पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार लेकर बोली- “भैया, मेरी बुर को और ज़ोर से चूसो, जीभ डाल दो मेरी चूत के अंदर !”
निशा की चूत पर हल्के हल्के झांटों के रेशे थे जो बहुत ही रेशमी और मुलायम थे, वासना की आग में जल रहे किशन को निशा की झांटों में अपनी जीभ फिराने में बहुत मजा आ रहा था, उसके दायें हाथ में निशा की एक गोल गोल चूची थी जिसको किशन बड़े ही मजे से हॉर्न जैसे मसक रहा था, उसको ऐसा लग रहा था जैसे निशा का दुद्दू दबाने से ही उसकी बुर में से नमकीन पानी छूट रहा हो जितना दुद्दू को मसलो, उतना अधिक रस निशा की चूत से निकलेगा।
कामवासना से सिसकते वो अपने भाई का मुँह चोदने लगी। किशन ने देखा कि उसकी छोटी धर्म बहन की चूत से मादक सुगंध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है। उस शहद को वो प्यार से चाटने लगा। उसकी जीभ जब निशा के कड़े लाल कली जैसे क्लाइटॉरिस पर से गुज़रती तो निशा मस्ती में अपनी जांघें अपने भाई के सर को दोनों बाहों से जकड़ कर अपनी गांड उछालने लगती।
कुछ ही देर में निशा एक मीठी चीख के साथ झड़ गई। उसकी चूत से नमकीन शहद की नदी बहने लगी जिसे किशन बड़ी बेताबी से चाटने लगा। उसको अपनी बहन के चूत का पानी इतना अच्छा लगा कि वो निशा की चूत को वैसे ही बहुत देर तक चाटता रहा और निशा जल्दी ही फिर से वासना के खुमार में मस्त हो गई।
अब निशा पूरी तरह से किशन के काबू में आ चुकी थी, उसके मन से किशन का भय निकल चुका था, उसने मद भरी आवाज में किशन से कहा- “भैया अब मैं तो झड़ गई हूँ ! अब तुम क्या करोगे? लाओ, मैं अपने हाथ से आपके लौड़े का पानी निकाल देती हूँ”
किशन बोला- “नहीं रे, मेरी छुटकी अभी देखना तेरी चूत फिर से गर्म कर दूँगा मैं, जैसे रोज रात को तेरी भाभी को कई कई बार चोदता हूँ न ! मैं उसी तरह तुझको भी आज पूरा मजा दूंगा”
निशा मुस्कुरा उठी, बोली- “मुझे मालूम है, और मैंने खिड़की से कई बार आप दोनों की चुदाईलीला भी देखी है”
अब किशन निशा को चोदने के लिए बेताब था। वो फ्रिज से मक्खन उठा लाया और अपने सुपाड़े पर लगाने लगा। निशा उसके सूजे हुये कड़े लंड को देख फिर से डरने लगी क्योंकि उसको पता था कि अब उसका भाई उसकी नाज़ुक चूत का बुरा हाल बनाएगा। लेकिन उसको अब चुदाई से मिलने वाले आनंद को भी महसूस करने का मन था। इस आनंद के बारे में उसने अपनी सहेलियों से सुना था, और किताबों में पढ़ा और देखा भी था।
किशन ने सुपाड़े पर मक्खन लगाने के बाद निशा को पकड़ उसकी चाटने से लाल हो चुकी चूत पर भी मक्खन मला और उसकी नाज़ुक कमसिन चूत की फांकों को एक हाथ फैलाया और अपने अपनी एक उंगली को उसकी बुर में मक्खन के साथ घुसेड़ दिया उसकी एक ऊँगली सट से अंदर चली गई अब किशन ने निशा को सीधा लेटा कर उसके पैरों को चौड़ा किया और उसकी चूत के मुहाने पर अपना मूसल जैसा लंड रख दिया, निशा की तरफ देखा और उससे कहा- “जरा सा दर्द होगा बेबी तुमको, फिर देखना कितना मजा आएगा… ठीक है?”
और यह कहते हुये किशन ने अपने लौड़े को जरा सा धक्का दिया मक्खन से सराबोर उसका लंड और चूत के खूनी मिलन का आगाज हो गया !!!
निशा दर्द से चीख पड़ी लेकिन किशन का लंड धीरे धीरे उसकी चूत में जगह बनाता हुआ घुसता रहा। उसको ऐसी नाज़ुक चूत चोदने में इतना मज़ा आ रहा था कि उससे रहा नहीं गया और उसने एक तेज धक्का लगा दिया। निशा को दर्द से छटपटा उठी लेकिन किशन ने उसके मुहँ पर अपने होंठों को जमा दिया और उसके होंठों को चूसते हुये हौले हौले धक्के लगाने लगा।
ज़्यादा आनन्द सहन ना हो पाने के कारण किशन को लगा कि वो झड़ जाएगा तब वो अपनी पूरी इच्छा शक्ति लगा कर रुक गया और निशा के होंठ चूसने लगा। कुछ देर में संभालने के बाद फिर से अपने धक्के शुरु कर दिये और निशा को भी तब तक अपनी चूत में दर्द कम हो कर मस्ती का एहसास होने लगा था, आख़िर वो भी एक जवान और चुदाई की प्यासी लड़की थी।
उसको मज़ा आने लगा और जब उसने अपनी आँखों को बंद करके किताब में चुदाई करवाती हुई औरत को याद किया तो एक अज़ीब सी सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी जिससे किशन को उसकी बुर को चोदने में और भी आसानी होने लगी।
निशा ने अब अपनी बाहों को किशन के गले में डाल अपनी टाँगों को खोल उसको जकड़ लिया, उसको बेतहाशा चूमने लगी और अपनी कमर को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी – “आअहह भैया और ज़ोर से चोदो, फक मी हार्ड…”
और निशा ना जाने कितनी बार उस चुदाई की आँधी में झड़ गई…
लेकिन किशन उसको लगातार चोदता ही रहा.. किशन के जबरदस्त धक्के वो बर्दास्त ना कर पाई और लगभग बेहोश सी हो गई… आखिरकर किशन भी अंत में कुछ ज़ोरदार धक्के मार कर झटके लेते हुए उसके ऊपर निढाल हो गया। झड़ जाने बाद किशन निशा के लगभग बेहोश पड़े शरीर पर लेटे हुये उसकी चूचियों से मज़ा लेता रहा फिर उठ कर नंगा ही बाहर चला गया।
बाहर सविता उसका इंतज़ार कर रही थी। किशन की तृप्त आँखों में देख वो समझ गई कि चुदाई मस्त हुई है।
“चोद आए मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को?”
किशन खुशी से उसको चूमता हुआ बोला- “हाँ मेरी जान, चोद दिया साली को, बहुत रो रही थी”
सविता वासना के जोश में घुटने के बल किशन के सामने बैठ गई और उसका रसभरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। लंड पर निशा की चूत का पानी और किशन के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था, जिसको पूरा साफ कर के ही उठी।
किशन कपड़े पहन कर ऑफीस जाने के लिए तैयार हुआ, फिर अपनी कामुक जुगाड़ सविता से पूछा- “अब तुम क्या करोगी?”
सविता बोली- “पहले उसकी चूत चुसूंगी जिसमें तुम्हारा यह मस्त रस भरा हुआ है, फिर उससे अपनी चुसवाऊँगी। हम लड़कियों के पास मज़ा लेने के लिए बहुत से प्यारे प्यारे अंग हैं, आज ही सब सिखा दूँगी उसको !”
निशा होश में आ गई थी और बेड पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी। चुदवाने की प्यास ख़त्म हो जाने पर अब उसकी चुदी हुई चूत में बहुत दर्द हो रहा था।
सविता उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी- “क्या हुआ मेरी निशा रानी को? तू नंगी क्यों पड़ी है और तेरी टाँगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?”
निशा शर्म से रो दी- “भाभी, किशन भैया ने आज मुझे चोद डाला”
सविता ने नाटक करते हुए कहा- “ओह ! ज़रा देखूँ तो” और वो निशा की चूत को झुक कर देखने लगी। उसकी चुदी हुई चूत को देखकर सविता की चूत भी गीली होने लगी, सविता बोली- “चिंता मत कर तेरी चूत फटी नहीं, बस थोड़ी खूल गई है, पर क्या तू पहले भी किसी से चुद चुकी है? तुझको खून क्यों नहीं निकला?”
निशा बोली- “नहीं भाभी, वो तो स्कूल में मैं जिम्नास्टिक करती हूँ तो उसी में मेरी झिल्ली फट चुकी थी”
सविता बोली- “अच्छा इसी कारण तुझको खून नहीं निकला ! खैर तुझे दर्द और जलन हो रही होगी, मैं अभी ठीक कर देती हूँ’
ऐसा कहकर उसने निशा की चूत पर अपना हाथ फेरना शुरू किया तो निशा को फिर से अच्छा लगने लगा और उसने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया अब सविता को समझ में आ गया कि इसकी चूत को मेरा हाथ फिराना अच्छा लग रहा है, सो वो उसको चूमने लगी। फिर उसको जीभ से दो तीन बार चाटा, ख़ासकर लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फेरी। निशा चहक उठी- “भाभी, यह क्या कर रही हो?”
“कुछ नहीं, बस, तेरा दर्द कम कर रही हूँ, तुझे अच्छा नहीं लग रहा?” सविता ने उसकी चिकनी जाँघों को सहलाते हुये कहा।
“बहुत अच्छा लग रहा है भाभी, और करो ना !”
सविता ने झुक कर उसको चूत को चाटना और चूसना शुरू कर दिया। निशा काफ़ी गर्म हो गई और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी चूत सविता के मुँह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी। सविता ने उसकी चूत को फैला कर बीच में अपनी जीभ डाल कर तेज़ी से उसकी चूत चोदने लगी तो निशा इस आनन्द को बर्दाश्त नहीं कर पाई और झड़ गई।
फिर सविता ने अपने कपड़े उतार कर उसको भी अपनी चूत चाटने को बोला। निशा वैसे भी ऐसा करना चाहती थी क्योंकि उसकी एक सहेली लेस्बीयन थी जो अपनी कहानी अक्सर बताया करती थी। तभी से निशा की भी इच्छा थी कि वो भी कभी किसी सखी-सहेली या अपनी भाभी के साथ यह खेल खेले।
निशा ने अपनी पूरी मस्ती से सविता के साथ इस लेस्बियन सुख के तालाब में गोते लगाये और सविता को खुल कर यह भी बता दिया- “भाभी, मुझको किशन भैया और तुम्हारे सम्बन्धों के बारे सब कुछ मालूम है और मैं खुद आपके साथ किशन का लौड़ा अपनी चूत में पिलवाना चाहती थी ! यह तो सब आपकी मेहरबानी से आराम से हो गया नहीं तो वो खुद ही रोज किशन के सामने झुक कर अपने दुद्दुओं का नजारा दिखा कर उसके लौड़े को अपने काबू में करना चाहती थी”
तो दोस्तो, उस पूरी दोपहर ननद और भाभी एक दूसरे की चूचियाँ और चूत दबाती और मसलती रही और एक दूसरे को संतुष्ट करती रही। और जब रात हुई तो एक बार फिर से सेक्स का मस्त खेल किशन, सविता और निशा तीनों के बीच चला। अब तो उनकी यह नियमित दिनचर्या का एक अंग बन गया है।
अब इस कहानी से विदा लेता हूँ, पर मुझे आपके कमेंट्स का बड़ी बेसब्री से इन्तजार रहेगा...
THE END
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
[+] 2 users Like KHANSAGEER's post
Like Reply
#3
Nice story
[+] 1 user Likes sri7869's post
Like Reply
#4
Short but exciting story!
[+] 1 user Likes Pentagon's post
Like Reply




Users browsing this thread: 1 Guest(s)