13-02-2024, 05:08 PM
दोस्तो, आप सबको मेरा नमस्कार.
आज मैं आप सबके सामने अपने जीवन की एक घटना पेश करने जा रहा हूँ. इस घटना को पढ़ कर आप सभी को तय करना ही होगा कि सामजिक परिस्थितियाँ किस प्रकार मजबूर करती हैं.
घटना को लिपिबद्ध करने में कामुकता पैदा करना आवश्यक हो जाता है और उद्देश्य भी यही होता है कि लड़कों के लंड से रस टपकने लगे और वे सब मुट्ठ मारे बिना न रह पायें तथा सब लड़कियों की चूत रसीली हो जाए और उनके हाथ भी जबरदस्ती उनकी चूत में घुस जाएँ.
हमारे परिवार में कुल तीन सदस्य हैं, मैं बाईस साल का मेरी बहन 18 साल की और माता जी. मेरे माँ नौकरी करतीं हैं.
हम लोग मम्मी के साथ ही रहते हैं. वे भी अक्सर सरकारी काम से बाहर जाती रहती हैं. मम्मी को एक सरकारी नौकर मिला हुआ है, उसका नाम जुगल है. वो एक दुबला पतला लड़का बुंदेलखंड का रहने वाला था. घर की साफ़-सफाई, और खाना आदि बानाने का काम उसका ही है और वो सर्वेंट क्वार्टर में रहता है.
उसकी इसी साल शादी हुई है. उसकी बीवी मन्जू बड़ी कमाल की चीज है. देखने में उसकी उम्र 18 साल से कम ही लगती है. उसके सारे शरीर के अंग बड़े बारीकी से बने हुए दिखते हैं. देखने में वो किसी अप्सरा से कम नहीं लगती है. उसकी टाँगें केले के तने की तरह, कमर पतली और लहरदार, कटि एकदम क्षीण, भारी नितम्ब, उठावदार चूचियाँ जैसे दो उन्मत्त पर्वत शिखर, जो हमेशा उसके ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने को आतुर हों, सुराही की तरह गला, कोमल से हाथ, लाल गुलाबी होंठ, सुतवां नाक, कमल पंखुरियों से नयन, चौड़ा माथा, घने काले बाल, जिसमें फँस कर कोई भी अपने होश गवां बैठे. उसको देख कर बड़े-बड़ों के होश गुम हो जाएँ.
मैं चोरी-छुपे मन्जू को देखा करता था और मन में बड़ी तमन्ना थी कि बस एक बार वो मेरे लौड़े की सवारी कर ले, पर कामयाबी नहीं मिल रही थी. मैंने न जाने कितनी बार उसको देख देख कर मुट्ठ मारी होगी पर वो मेरे हाथ नहीं आ रही थी.
वो घर में खाना बनाने का काम करती थी तथा अपने पति के काम में हाथ बंटाती थी. मेरी बहन के हम-उम्र होने के कारण वो उससे तो खूब बात करती थी पर मुझसे कोई बात नहीं करती थी.
एक बार मेरी मम्मी किसी काम से बाहर जाना पड़ा. उसी समय अचानक जुगल के किसी रिश्तेदारी में किसी की मृत्यु हो जाने के कारण उसने मम्मी से गाँव जाने की इजाजत मांगी.
मम्मी ने कहा- "ठीक है तुम चले जाओ, पर तुम्हारे पास ट्रेन का रिजर्वेशन भी नहीं है और तुम मन्जू को कैसे ले जाओगे? उसको यहीं रहने दो, वैसे भी घर का खाना आदि का काम भी कैसे हो पायेगा?"
वह मान गया और मन्जू को छोड़ कर चला गया. मेरी बहन सुबह ही कॉलेज चली जाती है और दोपहर तक लौटती है. घर पर सिर्फ में ही अपने खड़े लंड के साथ रह गया था. मैं अपने कमरे में था.
मन्जू ने घर की सफाई करना शुरू की, सभी जगह झाड़ू आदि लगाने के बाद वो मेरे कमरे में आई. मैं उसे चोर नज़रों से देख रहा था. जब वो झुक कर झाड़ू लगा रही थी, तो उसके दोनों संतरे हिल रहे थे.
मेरा तो कलेजा उछल रहा था, मेरा लौड़ा मुझे उकसा रहा था कि इसी समय पटक लो साली को और चोद दो, पर गांड फट रही थी कि कहीं बिदक गई तो हंगामा कर देगी और फिर सब गड़बड़ हो जायेगा.
इसीलिए मैंने अपने लंड को समझया कि बेटा अभी मान जा, अभी पहले इसको पटाना जरूरी है. फिर इसकी चूत का भोग लगाना उचित होगा. पटाने के लिए सबसे पहली जरूरी चीज है कि उससे बातचीत हो, सो मैंने उससे बातचीत करने का निर्णय किया.
मैंने उससे बड़े ही अच्छे ढंग से पूछा- “मन्जू किसकी मौत हुई है?”
शायद वो भी मुझसे बातचीत तो करना चाहती थी पर झिझकती थी, मन्जू बोली- “भैया जी, मेरी दूर की ननद थीं. उनको कैंसर हुआ था और वो बहुत दिनों से अस्पताल में भी भरती थीं”
मैंने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा- “तुम्हारे घर में कौन-कौन हैं?”
वो बैठ गई और बताने लगी- “भैयाजी, हम चार बहनें और दो भाई हैं. मैं सबसे बड़ी थी, सो मेरी ही शादी हुई है अभी”
मैंने पूछा- “तुम्हारी शादी बड़ी जल्दी इतनी कम उम्र में ही हो गई?”
मन्जू बोली- “हाँ भैया जी, हमारे गाँव में शादी जल्दी कम उम्र में ही हो जाती है. पर मेरी शादी तो अठरह पूरे होने पर ही हुई थी”
मैंने पूछा- “तुमने इधर दिल्ली में क्या-क्या घूमा है?”
बोली- “मैं कहीं घूमने गई ही नहीं”
मैंने पूछा- “क्यों?”
मन्जू बोली- “इनको कभी काम से फुरसत ही नहीं मिलती है. मैं कैसे जाऊँ घूमने? जब भी कहो तो कहते हैं कि हजारों काम पड़े हैं और तुम्हें घूमने की पड़ी है”
मैंने उसको एकटक देख रहा था, उसका अंग-अंग मादकता से भरा हुआ था.
मैंने अपने लौड़े पर हाथ फेरते हुए कहा- “जब तुम अपने घर वापिस जाओगी, और कोई तुमसे पूछेगा कि तुमने क्या क्या घूमा? तो तुम क्या जवाब दोगी?”
मन्जू बोली- “सो तो है भैया जी. अब हमने तो देखा है नहीं कि किधर क्या घूमने का है. अकेले कैसे घूमने कैसे जाऊँ?”
मैंने कहा- “अरे चिंता काहे करती हो, मैं तुमको दो दिन सब घुमा दूँगा. बस तुम मेरे साथ चलने को राजी हो जाओ तब तो कुछ बात बने”
वो बोली- “मुझे तो आपसे बात करने में ही डर लगता था कि कहीं आप मुझसे नाराज न हो जाओ”
मैंने अपने लौड़े को और जोर से खुजाते हुए कहा- “अरे मुझसे कैसा डर? मैंने कोई गैर हूँ क्या?”
वो एकटक मेरे लौड़े की देखने लगी.
मैंने फिर उससे पूछा- “तुम्हारा पति तुमको ठीक से रखता तो है या नहीं?”
वो एक दीर्घ श्वास लेकर बोली- “हाँ, रखते तो हैं, और न भी रखें तो क्या कर सकते हैं, माँ-बाप ने जीवन की डोर तो उनसे ही बाँध दी है”
मैंने कहा- “अरे ऐसा क्यों कहती हो क्या जुगल में कोई कमी है? मारता तो नहीं है तुमको?”
TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All