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Incest भाई जान
#1
भाईजान ने चोद ली मेरी चुत














हेलो पाठकों उम्मीद करता हूँ सब खैरियत से होंगे। दोस्तों मेरा नाम फ़िज़ा है मैं एक बहुत बड़े ,., परिवार से हूँ। मेरा घर एक तरह से किसी राजा महाराजा की तरह है। मेरी उम्र 19 साल है। 32 कि चुचियाँ, 26 की कमर और 34 कि गांड किसी को भी मदहोश कर सकती है। हम 9 भाई बहन हैं जिनमे मैं सबसे छोटी हूँ। मेरे 7 भाई बहन विदेश में रहते हैं। और मैं और मेरे भाई जान जो मुझसे 1 साल बड़े हैं और अम्मी और अब्बू साथ रहते हैं। मेरे भाई का नाम सरवर खान है।






ये कहानी मेरे और मेरे भाईजान सरवर के बीच चुदाई की है। दरअसल हमदोनों एक ही क्लास में पढ़ाई करते हैं। हम दोनों बीएससी प्रथम वर्ष में हैं।

ये घटना 1 महीने पहले घटी। हमदोनों भाई बहन एक फ्रेंड की तरह हैं। साथ मे बैठ के पढ़ते हैं।

एक दिन मैं और भाईजान मेरे रूम में ही बिस्तर पर एक साथ पढ़ रहे थे। और पढ़ते पढ़ते भाई को नींद आ गई और भाई वही सो गए। थोड़ी देर में मुझे भी नींद आने लगी तो मैं भी सो गई। AC की वजह से ठंढ लगने लगी तो मैं चादर ओढ़ी और भाई को भी ओढा दी और सो गई।

जब मेरी नींद खुली तो मुझे एहसास हुआ कि मेरी गाउन ऊपर है और मेरी पैंटी मेरे गांड से सरक के जांघो पर है। और मेरे गांड पर कोई गर्म चीज रगड़ खा रही है। फिर मुझे समझते देर नही लगी कि ये भाईजान का लन्ड है।

 

मैं चुपचाप वैसे ही पड़ी रही मुझे लगा शायद भाई नींद में हो और उनका लन्ड खड़ा हो गया हो। लेकिन मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं कि और बिना हिले लेटी रही। उनकी लन्ड बहुत गर्म था। भाई धीरे धीरे अपने लन्ड को मेरी गांड़ पर रगड़ रहे थे। इस कारण मेरे भी बदन में आग दौड़ने लगी। फिर मुझे लगा कि भाई का लन्ड खड़ा हो गया होगा तो वो मेरी गांड पर रगड़ के लन्ड का पानी निकाल के सो जाएंगे।

लेकिन मैं गलत थी अब लगा कि भाई जाग रहे हैं और वो नींद में नहीं बल्कि जानबूझ के ऐसा कर रहे हैं। करीब 5 मिनट बाद भाई का हाथ मेरी चुचियों पर से नीचे जाने लगा और मेरी चुत पर चला गया। मेरी चुत में हल्की बाल थे क्योंकि मैं 3 दिन पहले ही शेव की थी। मुझे चुत को क्लीन शेव रखना पसंद है। इसलिए मैं हफ्ते में एक बार चुत का बाल साफ कर देती हूं। इस वजह से उनकी हाथ मेरी गर्म चुत पर सीधा चली गई। पहले तो वो टोटोले फिर मेरी चुत पर हाथ रगड़ने लगे। अब मेरे बदन में तेजी से आग भड़कने लगी। मैं बमुश्किल अपनी मुँह से निकल रही सिसकारियों को दबा रही थी। भाई मेरी क्लाइटोरिस को मसल रहे थे। उनके छूने से मेरी क्लिटरिस सख्त हो गई थी। मन तो मेरा कर रहा था कि अभी भाई के लन्ड को पकड़ूँ और चुत में डाल दूं। लेकिन मैं बर्दास्त कर रही थी, और देखना चाहती थी कि भाई क्या क्या करते हैं।

अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा था। गांड पर लन्ड और चुत पर हाथ की रगड़ मेरी तो जान निकल रही थी। सच मे मुझे बहुत आनंद आ रहा था। लेकिन अब मुझसे बर्दास्त नहीं हो रहा था। अब मैं भाई का साथ देना चाहती थी लेकिन हिम्मत नही हो रही थी।

मैं नींद में होने का नाटक करते हुए सीधा होकर टांगे फैला दी







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फिर मैं हिली और नींद में होने का नाटक करते हुए सीधा हो गई और दोनों पैरों को फैला दिया। करीब 5 मिनट भाईजान चुप रहे। उन्हें लगा मैं सो रही हूं।  फिर वो अपना लन्ड मेरी कूल्हों और जांघो पर रगड़ने लगे। और अपने हथेलियों से चुत को रगड़ने लगे। मेरी चुत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। और क्लाइटोरिस फूल के और मोटी हो चुकी थी। उनकी हाथों की रगड़ तेज होते जा रही थी। और वो कभी कभी मेरी क्लिटरिस को पकड़ के रबर की तरह खिंचने लगते। आप अंदाजा नही लगा सकते कि मैं कैसे बर्दास्त कर रही थी। करीब 5, 7 मिनट वो तेज तेज मेरी चुत रगड़े और तभी मेरी चुत पानी छोड़ने वाला था और मुझसे रहा नहीं गया तो मैं भाई जान का हाथ पकड़ी और जोर से चुत पर दबाकर रगड़ने लगी। भाईजान शॉक हो गए। फिर मैं झड़ गई।

तो भाईजान बोले कि तुम जग रही हो, तो मैं बोली कि जब इतनी देर तक चुत को कोई रगड़े तो नींद कैसे नहीं खुलेगी।

फिर भाईजान उठे और मेरे ऊपर आकर मुझे किस करने लगे। और मेरे मुँह में अपनी जुबान डाल दिए ये अनुभव बहुत मजेदार था। मैं भी उनके जीभ को सेक्सी अंदाज में चाटने लगी। मेरे होंठो को वह लगातार 7, 8 मिनट तक किस किये इस दौरान वह मेरे चुचियों को भी दबा रहे थे। फिर मेरी गाउन पूरा निकाल दिए। और मेरे गले पर हिला जीभ फिराने लगे। वह मेरे कानों के लोब को दांतों से बाईट कर रहे थे। उनकी मुँह से गर्म सांसे आ रही थी जो मुझे और कामुक बना रही थी।



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फिर वह नीचे हुए और मेरे कड़क गोल बूब्स को मुँह में ले लिए और पीने लगे। और दूसरी हाथ से मेरे एक चूची को जोर जोर से मसलने लगे। मेरे अंदर अब चुदाई का ज्वालामुखी फुट पड़ा था। मैं ना चाहते हुए भी नीचे से कमर हिलाकर उनकी जाँघोंपर अपनी चुत रगड़ने लगी। मेरी गीली चुत भाईजान के जांघो में घर्षण पाकर और रसीली हो गई। फिर भाईजान और नीचे हुए और मेरी नाभि में जीभ को डालने की कोशिश करने लगे और चाटने लगे मै उनकी सर को पकड़ के दबा रही थी। मेरी उंगलिया उनकी बालों में घूम रहे थे। भाईजान को उम्मीद नहीं थी कि मैं इतना अच्छा रिस्पॉन्स दूँगी।

फिर वह और नीचे हुए और मेरे पैरों को चौड़ा कर दिए और मेरी चुत पर मुंह रख दिए। और जोर जोर से चुत को चाटने लगे। जिंदगी में पहली बार किसी की जीभ मेरी चुत को चाट रहा था। हाँ वैसे तो मैं अपने आप से कई बार चुत को चाट चुकी थी लेकिन खुद के अलावा पहली बार मेरे चुत भाईजान चाट रहे थे।



[Image: 35447308_022_73cf.jpg]




























और मैं भाई के सर को पकड कर सहला रही थी। मुझे नहीं पता वो ये सब कहाँ सीखे थे लेकिन ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वो चुदाई के बहुत बड़े खिलाड़ी हों। वह लार टपका रहे किसी कुत्ते की तरह मेरी चुत चाट रहे थे। मैं जोश में आहहहहहहहहह.. ओहहहहहहहहह… ओहहहहहहह हहहहहहह…… आह हहहहहहहहहहहहह….. भाईजान चाटो मेरी चुत। ओहहहहहहहहह…. सससीईईईईईई…  आआआहहहहहहह चाटो जोर से..।  मारो मेरे आप बहुत अच्छे हो भाईजान…. आआहहहहहहहहहहहहहह…….. पूरा जीभ मेरी चुत में डाल दो।… आहहहहहहहहहहहहहहह…… मेरी क्लाइटोरिस को पकड़ कर खींचिए……  ये सब कहाँ से सीख भाई… आप तो माहिर खिलाड़ी हो चाटिए जोर से मेरी चुत ……ओहहहहहहह हहहहहहह…… आह हहहहहहहहहहहहह… जीभ को तेज रगड़िए मेरी चुत के दाने पर…..  भाईजान चाटो.  आआआहहहहहहह बहुत प्यासी है मेरी चुत।  हहहहहहहहहहहहह……… आहहहहहहहहहहहहहहह…तभी मेरी चुत पानी छोड़ने लगी मैं भाई के मुँह को हटाना चाह रही थी लेकिन भाईजान नही माने और मेरी चुत पानी छोड़ दी। और भाईजान चुत से निकला सारा रस पी गए। और मेरी चुत में उँगली करने लगे। वो 3 उंगलियो को एकसाथ डाल रहे थे। थोड़ी देर बाद मेरे से रहा नही गया तो मैं बोली

भाईजान अब मुझसे रहा नहीं जा रहा प्लीज अपना लंड मेरी चुत में डालिए और चोदीए मुझे। लेकिन भाईजान बोले के इतनी भी क्या जल्दी है। फिर वह ऊपर आये मेरे दोनो तरफ पैर करके मेरे चुचियों को समेटे और अपनी लन्ड दोनो चुचियों के दरारों में डालने लगे। वह चुचियों को ऐसे छोड़ रहे थे जैसे चुत में चोद रहे हों। मैं तो ये सब सिर्फ पोर्न मूवी में ही देखी थी। लेकिन आज ये सब मेरे साथ रियल में हो रहा था। मैं जब पोर्न मूवी देखती थी तो कल्पना करती थी कि किस मुझे भी ऐसे कोई चोदता। आज वह विश पूरी हो रही थी।

फिर भाईजान मेरा सर पकड़े और हल्का सा उठाए और अपना लन्ड मेरे मुँह में डाल दिये। भाई का लन्ड बहुत बड़ा नहीं था बल्कि एवरेज से भी छोटा था। लेकिन सही से मेरे मुँह में नहीं जा रहा था तो वो बोले कि चाटो ठीक से। तो मैं बोली कि आप ऊपर से हटो। फिर वो जब हटे मैं उन्हें लेटा दी। और उनके लन्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं अक्सर डिल्डो (नकली लन्ड) से चुदती थी। जो भाई के लन्ड से दुगना से भी बड़ा और मोटा है। भाई का लन्ड मेरी मुँह में तो था लेकिन मेरी गले तक नही जा रहा था। और मैं डिल्डो को गले तक लेने की आदत बना ली थी। भाईजान बोले कि कैसे लगा मेरा लंड? तो मैं झूठी तारीफ की की भाईजान आपका लन्ड बहुत बड़ा और मोटा है ये तो मेरे मुँह में भी बड़ी मुश्किल से जा रहा है।

आप बहुत सेक्सी हो। भाई खुश हो गए और नीचे से कमर हिलाने लगे। और मेरे मुँह को चोदने लगे। तभी भाईजान का शरीर अकड़ने लगा और उनके लन्ड ने मेरे मुंह मे गर्म वीर्य छोड़ दिया। मुझे बहुत अजीब लगा मैं सारा वीर्य उगल दी। ऐसा लगा जैसे मुझे वोमिटिंग हो जाएगी।

फिर मैं उठी और अपने रूम के अटैच बाथरूम में जाकर मुँह साफ की। और आईने में अपनी चुत को देखा। मेरी चुत से पानी टपक रहा था। फिर मैं आई और भाईजान के सिकुड़ चुके लन्ड को चूसने लगी। धीरे धीरे भाई का लन्ड फिर खड़ा होने लगा। मैं देखना चाहती थी कि भाई का लन्ड कितना खड़ा होता है। लेकिन मेरे उम्मीद से भी कम हुआ। फिर भाई जान अब पूरे जोश में आ गए तो वो मजूझे नीचे बिस्तर पर पटक दिए और फिर भाई ने बिना देर किए मेरे गांड के नीचे तकिया लगाए जिससे मेरी चुत ऊपर हो गई और मैं दोनो टांगो को फैला दी।

भाईजान अपने लन्ड को मेरे चुत पर रखे और रगड़ने लगे। उनका लन्ड मेरे बड़ी सी क्लाइटोरिस को  ही पूरा रगड़ नही पा रही थी। लेकिन मैं उनका हौसला बढ़ाने के लिए ओहहहहहहहहह… ओहहहहहहह हहहहहहह…… आह हहहहहहहहहहहहह….. भाईजान । ओहहहहहहहहह…. सससीईईईईईई…  आआआहहहहहहह कर रही थी। फिर भाई अपने लन्ड को मेरी चुत के छेद पर रखे और धक्का मारे। भाईजान का लन्ड बहुत छोटा था। तो आसानी से चला गया। क्योंकि मैं तो रोज नकली लन्ड (डिल्डो) से अपने चुत को चोदती थी।

फिर भाई चोदने लगे मुझे मजा तो आ रहा था लेकिन मुझे और मोटे लन्ड की चाहत थी लेकिन तब भी मैं मजे ले रही थी। भाई जोर जोर से चोदे जा रहे थे। अब मेरे मुँह से आवाज आने लगी। ओहहहहहहह हहहहहहह……भाईजान चोदो मुझे, अपनी बहन की चुत को फाड़ दो।  आह हहहहहहहहहहहहह….. बहुत मजा आ रहा है चोदीए मेरी चुत।…  आआआहहहहहहह मारो धक्के जोर से..।  मारो मेरे भाई हहहहहहहहहहहहह…….. पूरा लन्ड मेरी चुत में डाल दो।… आहहहहहहहहहहहहहहह…… भाईजान कितना अच्छा चुत चोदते हो आप ……ओहहहहहहह हहहहहहह…… आह हहहहहहहहहहहहह….. भाई चोदो  आआआहहहहहहह बहुत प्यासी है मेरी चुत।  ओह भाई..  हहहहहहहहहहहहह…….. जोर से झटके मारो… आहहहहहहहहहहहहहहह…  चोदते हुए 10 मिनट हो गए थे मैं एक बार झड़ चुकी थी। तभी भाई जान का लन्ड मेरी चुत में ही रस उगलने लगा।

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और भाईजान हाँफते हुए मेरे ऊपर लोट गए। लेकिन मेरी चुत अभी भी प्यासी थी। मैं एक बार और चुदना
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
yourock thanks Cool
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#3
टी

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#4
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#5
(16-01-2024, 11:46 AM)neerathemall Wrote:
टी

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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#6
Sarvar and
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
Good story
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#8
yourock Angry congrats
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#9
next story
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
(07-03-2024, 02:46 PM)neerathemall Wrote: next story

Namaskar
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#11
(07-03-2024, 02:46 PM)neerathemall Wrote: next story

रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#12
रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई








!!!!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#13
(07-03-2024, 02:47 PM)neerathemall Wrote:
रिश्तेदार की शादी में बहन की चुदाई








!!!!
हमारा पूरा परिवार गांव में एक शादी में शामिल होने के लिए गया था. वहां पर मेरी खाला (मां की बहन) के परिवार के लोग भी आए हुए थे. उनके साथ में उनकी लड़की जोकि मेरी ही उम्र की है, वो भी आयी थी. उसका नाम शबनम (बदला हुआ) था.
शबनम दिखने में कोई बहुत ज्यादा खूबसूरत तो नहीं थी, पर उसका बदन बड़ा ही खूबसूरत और मादक था.
जब मैंने उसे पहली बार देखा, तो मुझे उसके चेहरे को देख कर तो कुछ भी नहीं हुआ. मैं बस यूं ही खाला से बात करने लगा. शबनम पास में ही खड़ी थी.
तभी उसका दुपट्टा सरक गया और उसी पल मेरी निगाहें उसके मम्मों पर चली गईं. उसके चूचे वास्तव में बड़े मस्त थे. शबनम ने जो सूट पहना हुआ था, उसकी कुर्ती का गला कुछ ज्यादा ही गहरा था. जिस वजह से मुझे उसके भरे हुए मम्मों की दरार दिख गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
उसने मेरी नजरें अपने मम्मों को देखते हुए देखीं, उसने झट से अपना दुपट्टा सही कर लिया. मैंने भी उनकी चूचियों से निगाहें हटा लीं.

हालांकि मैंने तो अब तक ये सोचा ही नहीं था कि इसे चोद पाऊंगा. पर उस दिन मेरी किस्मत में शायद यही लिखा था.

उस दिन शबनम ने जो दुपट्टा गिराया था, वो कोई संयोग से गिरा था या उसकी ही मर्जी से दुपट्टा उसके मम्मों से हटा था, ये मैं समझ नहीं पा रहा था.

इस घटना के बाद से मैं उसको कुछ ज्यादा ही घूरने लगा था और वो भी मेरे साथ बात करने का एक भी मौक़ा नहीं छोड़ रही थी. शायद उसे मुझसे कुछ मिलने की उम्मीद हो गई थी.

शादी में हम सभी ने बहुत मस्ती की. शादी में जब हम लोग डांस कर रहे थे, तब मेरी बहन शबनम, मुझसे बहुत ही चिपक रही थी. मैंने उसे ज्यादा भाव नहीं दिया और शादी में अपनी मस्ती में लगा रहा.

देर रात में शादी के बाद दुल्हन को विदा किया गया. विदाई के बाद हम सब घर पर आ गए. रात काफी हो चुकी थी, तो मैं एक कमरे में आया. उधर कोई नहीं था. मैं सीधा बिस्तर पर लेट गया.
कुछ ही मिनट हुए होंगे कि उधर मेरी बहन शबनम भी आ गई. मुझे लेटा देख कर वो मेरे बगल में बैठ गई.
थोड़ी देर शांत रहने के बाद मैंने ही उससे पूछा- कैसी रही शादी?

उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्यों तुम शादी में नहीं थे क्या? जो मुझसे पूछ रहे हो?
मैंने कहा- मैं था तो … पर मेरा ध्यान कहीं और था.
शबनम- अच्छा … कहां ध्यान था तुम्हारा? कहीं किसी को पटाने के चक्कर में तो नहीं थे न!
‌मैं- नहीं यार … पटाता किसे … तुमसे ज्यादा खूबसूरत कोई लगी ही नहीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
शबनम- अच्छा जी … अब कोई और मिला नहीं क्या … जो मुझ पर डोरे डाल रहे हो?
मैं- मिला होता, तो अभी उसके साथ होता … तुम्हारे साथ नहीं.
शबनम- अच्छा..! क्या करते उसके साथ रह कर?
‌मैं- वही, जो आज शादी की रात को होने वाला है. दोनों पति पत्नी के बीच में..
‌शबनम- अच्छा मतलब तुम्हें पता है … क्या होता है शादी की पहली रात को?
‌मैं- हां … क्यों तुम्हें नहीं पता है क्या … कहो तो बता देता हूं.
‌शबनम- अच्छा जी, अब अपनी बहन को ही सिखाओगे.
मैं- मैं तुम्हें क्या सिखा सकता हूँ … तुम्हारी बात से लग रहा है कि तुम सीखी सिखाई हो.

शबनम एकदम से मुझे मारने को हुई. मैं हंसता हुआ एक तरफ सरक गया और वो मेरे पहलू में गिर गई.
वो आधी उठते हुए बोली- तुम्हें मालूम भी है कि आज क्या होता है?
‌मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है कि आज रात में क्या होता है. तुम तो सीखी हो ही ना.
‌शबनम मुस्कुराते हुए बोली- हां मुझे पता तो है … पर सीखी से क्या मतलब है … मैंने कभी कुछ किया ही नहीं है.
मैं- तो करना है? यदि करना हो तो बताओ … तुम्हारी वो इच्छा भी पूरी कर सकता हूँ.

‌शबनम ने मेरे पहलू में लेटते हुए कहा- करने का मन तो है … पर मैंने सुना है … उसमें बहुत दर्द होता है.
‌मैंने उसे अपनी तरफ आने की जगह देते हुए कहा- तुम फ़िक्र मत करो, मैं बहुत आराम से करूँगा.

शबनम ने मेरे चेहरे पर अपनी एक उंगली फिराते हुए कहा- पर किसी को पता चल गया तो?
‌मैंने भी उसकी बांह को सहलाते हुए कहा- क्यों तुम किसी को बताने वाली हो क्या?
‌शबनम- मेरे चेहरे पर अपनी गरम सांस छोड़ते हुए बोली- ना जी ना … मैं क्यों किसी को बताने जाउंगी … मरना है क्या मुझे.

मैंने उसे थामा और कुछ इस तरह से मसला कि उसकी कसक महसूस होने लगी. मैंने कहा- तो फिर बाहर देख कर आओ … सब सो गए क्या … या नहीं … और आते समय कुण्डी लगा कर आना.
वो बिना कुछ बोले उठी और सीधा बाहर निकल गई. तकरीबन 5 मिनट में पूरे घर का चक्कर लगा कर वापस आ गई.
कमरे में आते ही उसने दरवाजा बंद कर दिया और मेरे साथ बिस्तर पर आ गई.
मैं- क्या हुआ? कोई जाग रहा है क्या?
‌शबनम- नहीं शादी में सब काफी थक चुके थे, तो सब सो गए हैं.
‌मैं- तो देर किस बात की है … शुरू करें?


मेरे इतना कहते ही शबनम मेरे गले से लग गई और मुझे चूमने लगी. उसके पतले होंठ मुझे बहुत ही मुलायम लग रहे थे. कुछ देर चूमने के बाद मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराने लगा.
असल में मैंने कभी सेक्स नहीं किया था. उसकी गांड पर हाथ लगाते ही वो मुझसे दूर हो गई और मेरी आंख में देख कर मुस्कुरा दी. मैंने उसे आंख मारी तो वो मुझे फिर से चूमने लगी. मेरी शर्ट के बटन खोलने लगी.
उसने लहंगा चोली पहनी थी. मैंने भी धीरे से उसकी चोली की डोरी खोल दी और उसे अपने नीचे लिटा कर उसका ब्लाउज उतार दिया. चोली हटते ही उसकी ब्रा में कैद उसके दोनों मम्मे मेरी निगाहों से खेलने लगे. मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी.
उसके उभरे हुआ स्तनों को देख कर मेरे तो होश उड़ गए. इतने सख्त और गोल थे कि मानो दूध से भरे हुए हों. उसके मम्मों के ऊपर डार्क काले कड़क निप्पल उन पर चार चांद लगा रहे थे. मैंने कड़क निप्पल देखते ही एक को अपने मुँह में भर लिया और दूसरा निप्पल मय चूचे के हाथ से मसलने लगा.
मुँह से निप्पल लगाते ही उसके मुँह से एक लंबी ‘अहह’ निकल गई. दो मिनट निप्पल चूसने के बाद मैं उठा और सीधा उसके लहंगे का नाड़ा खोल कर खींचते हुए निकाल दिया. उसकी चिकनी टांगों के बीच में त्रिभुज जैसे छोटी सी पैंटी के अन्दर उसकी फूली सी चुत छिपी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#16
[Image: 98021705_003_ab35.jpg]


Namaskar

मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ लगाया, तो उसने अपनी कमर उठा दी और गर्दन टेड़ी करके एक और आह. … भरी और उसकी सांसें तेज होने लगीं. उसकी ये हालत देख कर में मैंने उसकी बुर से हाथ हटा लिया.
चुत से हाथ हटाते ही उसने मेरी तरफ देखा और कहा- मुझे तो नंगी कर दिया … अब अपने भी कपड़े उतारो न.
मैंने हंसते हुए उसकी चूची को मसला और कहा- साफ़ क्यों नहीं कहती मेरी जान कि लंड दिखाओ.
वो मेरे सीने पर मुक्का मारने लगी और हंसते हुए उसने हामी भर दी.

मैंने- हामी भरने से काम नहीं चलेगा. मुँह से कहना पड़ेगा.
उसने कहा हां देखना है.
मैंने कहा- क्या देखना है.
वो मुँह ढकते हुए बोली- लंड देखना है.

मैं एकदम से खड़ा हो गया और जल्दी जल्दी अपने सारे कपड़े निकाल कर सिर्फ चड्डी में उसके सामने बैठ गया.
उसने कहा- ये क्या? अपनी चड्डी तो उतारो?
मैंने कहा- तुम्हीं उतार दो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#17
इतना सुनना था कि उसने मेरी चड्डी पर हाथ रख कर कहा- हाय … आज तो मेरी चूत फटने वाली लगती है.

[Image: 52661780_025_3d6f.jpg]
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#18
ये कहते हुए उसने मेरी चड्डी उतार दी. मेरा 7 इंच लंबा … और 2 इंच मोटा लंड देख कर बोली- मां कसम … यार इतना बड़ा … मुझे लगा था कि 5 इंच होगा … पर तुम्हारा तो बहुत बड़ा है.
मैंने कहा- हां ये मेरा ही लंड है किसी घोड़े का नहीं है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#19
अब सीधी लेट जा, मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है. मुझे चूत चोदने दे.
वो भी गर्म थी … झट से सीधी लेट गई और टांगें चौड़ी करते हुए बोली- प्लीज़ भाई धीरे करना … वरना दर्द बहुत होगा.[Image: 52661780_020_8349.jpg]
मैंने उसकी बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसकी पेंटी उतार दी.
मैंने जब उसकी चूत देखी, तो वो बहुत ही काली थी और उस पर काफी बाल थे.
मैंने इस सबसे दिमाग लगाना छोड़ा और अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसकी चूत पर सुपारा रख दिया. उसने सुपारे की गर्मी को महसूस किया, तो एक मादक सिसकारी भरी.
मैंने एक पल के लिए उसके चेहरे की ओर देखा, तो वो आंख बंद किए हुए बस लंड का इंतज़ार कर रही थी.

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक जोरदार झटका दे मारा. मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतरता चला गया. उसकी आंखों में दर्द से आंसू निकल आए, वो चीखना चाहती थी. मगर मैंने होंठ दबा रखे थे, इस वजह से वो चिल्ला ही नहीं पाई. लेकिन उसकी कसमसाहट इतनी अधिक थी कि यदि मैं उसको जकड़े हुए न होता, तो वो मुझसे छूट जाती.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#20
मैंने अपना आधा लंड कुछ मिनट तक उसकी चूत में रोके रखा. उसके बाद देखा कि वो कोई तरह की प्रक्रिया नहीं कर रही है … तो मैंने धीरे से अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की.
उसने फिर से एक आह भरी.

मैं रुक गया और दुबारा से एक धक्का दे मारा. मेरा 6 इंच लंड उसकी चूत में घुस गया था. उसने गूं गूं करते हुए इशारे से कहा- बस … और इससे ज्यादा नहीं वरना मर जाउंगी.

मैंने कुछ नहीं कहा … बस लंड अन्दर बाहर करने लगा. इस बीच मेरे होंठ उसके मुँह से हट गए थे और उसकी दर्द भरी कराहें निकलना शुरू हो गई थीं.

वो मुझसे धीरे करने की कहे जा रही थी. मगर मैं अपनी मस्ती में उसकी कुंवारी बुर फाड़ने में लगा हुआ था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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