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Incest बुआ की बेटी की चुत चुदाई
#1
बुआ की बेटी की चुत चुदाई





c
बात उन दिनों की है जब मैं गुवाहाटी में गया हुआ था. चूंकि पढ़ाई पूरी होने के बाद मुझे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली थी तो मैं अपनी बुआ की बेटी के पास गुवाहाटी चला गया था. मेरी दीदी की शादी हो चुकी है. उसकी उम्र 27 साल है और मेरी 22 साल.
गुवाहाटी में मेरे जीजा जी और बहन रहते हैं. मेरे जीजा जी इंजीनियर हैं.


मैं आपको अपने बारे में बताता हूं. मेरी लम्बाई पांच फीट सात इंच है. मेरा लंड का साइज 6 इंच का है और उसकी मोटाई तीन इंच है. मैंने गुवाहाटी जाने से पहले राजस्थान में रहते हुए भी चुदाई का मजा लिया था लेकिन वो सब कहानियां मैं आपको बाद में बताऊंगा.

मेरी दीदी की लम्बाई पांच फीट और पांच इंच है. उनका फिगर बहुत ही कमाल का है. दीदी को अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था. पहले तो मैं सोचा करता था कि दीदी और जीजा जी चुदाई के मजे लेने के लिए बच्चे पैदा नहीं कर रहे हैं. लेकिन बाद में मुझे सच्चाई का पता चला. असली कहानी यहीं से शुरू होती है.

जब मैं गुवाहाटी पहुंचा तो दीदी ने गले लगा कर मेरा स्वागत किया. लेकिन जब मेरी छाती उनके चूचों से टकराई तो मेरा लौड़ा खड़ा हो गया. दोस्तो मैं अन्तर्वासना की कहानियां काफी समय पहले से पढ़ रहा था इसलिए मैंने अपनी बहन को कभी बहन की नजर से देखा ही नहीं था. मुझे वो बाकी औरतों की तरह चोदने का ही माल नजर आती थी. 

जब दीदी के चूचों का स्पर्श मुझे मिला तो किसी तरह मैंने खुद को रोका. शाम को खाना खाने के बाद मैं मुठ मार कर सो गया. कुछ ही दिन के बाद मेरे जीजा ने मेरी नौकरी एक अच्छी जगह लगवा दी थी. मैं सुबह दस बजे ऑफिस के लिए निकल जाता था और शाम को पांच बजे वापस आता था. 

जब मैं दीदी के यहां पर रहने के लिए आया था तो तब से लेकर अब तक मैंने कभी भी उन दोनों के कमरे से किसी तरह की आवाज नहीं सुनी थी. आप समझ गये होंगे कि मैं किस आवाज की बात कर रहा हूं. रात को मैंने कई बार कोशिश की कि उनकी चुदाई की आवाजें मेरे कानों में आये लेकिन उनके कमरे से कभी कोई ऐसी आवाज नहीं आती थी. 

पहले तो मैं सोचने लगा था कि ये दोनों शायद बहुत ही धीरे से चुदाई करते होंगे. मगर ऐसा नहीं था. 

एक दिन की बात है कि जब मेरी तबियत कुछ ठीक नहीं थी और मैं उस दिन ऑफिस नहीं गया. मैं नाश्ता करके आराम करने के लिए सो गया.

दिन में जब मेरी आंख खुली तो मुझे कुछ आवाजें सुनाई दी. मैंने उठ कर अंदर झांक कर देखा तो मेरी दीदी अपनी कुछ सहेलियों के साथ अपने कमरे में किटी पार्टी कर रही थी. मैं वहीं पर कान लगा कर उन की बातें सुनने लगा.
उसकी सहेलियां बातें कर रही थीं.


एक ने दीदी से पूछा- अगर तेरा भाई यहां पर रहता है तो तुम अपने पति के साथ चुदाई कैसे कर लेती हो?
मेरी दीदी बोली- हमने उसके आने से पहले ही अपने कमरे में कांच बदलवा दिये थे. इसलिए आवाज बाहर नहीं जा पाती है. 


मुझे दीदी की ये बात सुन कर बुरा लगा कि दीदी को मेरी वजह से इस तरह सोचना पड़ रहा है और उनको इस तरह की परेशानी उठानी पड़ रही है.
मैंने इस बारे में दीदी से बात करने की सोची. मैं शाम को जब दीदी से बात करने के लिए गया तो वो रसोई में खाना बना रही थी. मैं दीदी के पास गया और दीदी से सीधा ही बोल दिया- दीदी, अगर आप लोगों को मेरे यहां पर रहने से कोई परेशानी हो रही है तो मैं बाहर किराये पर कमरा ले लेता हूं. 


दीदी ने मेरी तरफ देखा. वो हैरान सी लग रही थी मेरी बात से.
दीदी बोली- अचानक से तुझे क्या हो गया? तू ऐसी बात क्यों कह रहा है?
मैंने दीदी से कहा- वो … दीदी, मैंने आपकी सहेलियों की बातें सुन ली थीं. 


दीदी ने जब यह बात सुनी तो पहले वो गुस्से से बोलीं- तूने हमारी बातें ऐसे छुपकर क्यों सुनी?
मैंने कहा- सॉरी दीदी. लेकिन मैं जब अपने कमरे में सो रहा था तो आप लोगों की आवाज सुन कर मेरी नींद खुल गई थी. मैं जब देखने के लिए आया तो मैंने आप लोगों की बातें सुन लीं.
फिर दीदी बोली- ऐसी कोई बात नहीं है जैसा तू सोच रहा है. हमने कोई कांच नहीं लगवाया है. 


मैंने कहा- दीदी, आप झूठ बोल रहे हो. मुझे रात में आप लोगों के कमरे से सच में कोई आवाज नहीं आती.
दीदी गुस्से से बोली- आवाज आने के लिए कुछ करना भी पड़ता है. हम दोनों पति-पत्नी के बीच में कुछ होता ही नहीं तो आवाज कहां से आयेंगी. तू इधर उधर की बातों पर ध्यान मत दे और अपना काम कर, अपनी नौकरी पर ध्यान दे साले. समझा?


मेरी दीदी के पापा यानि मेरे फूफा जी शराब का ठेका चलाते हैं इसलिए दीदी को गाली देने की पुरानी आदत है क्योंकि उनके घर में यह सब चलता रहता है.

उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया. लेकिन आज मुझे इतना पता तो चल गया था कि मेरे जीजा जी मेरी दीदी को चोदते नहीं हैं. मगर क्यों नहीं चोदते हैं इसका कारण मुझे समझ नहीं आ रहा था. 

फिर दो या तीन दिन तक मेरी दीदी से मेरी कोई बात नहीं हुई. एक दिन दीदी मेरे कमरे में आई और बोली- लगता है तू कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है, इसलिए इतना गुस्सा करने लगा है.
मैंने कहा- नहीं दीदी, ऐसी कोई बात नहीं है. आप ने ही तो कहा था कि मैं अपने काम पर ध्यान दूं इसलिए मैंने उसके बाद आप से इस तरह की बात करना ठीक नहीं समझा. 


दीदी ने कहा- मैंने तुझे हमारी सेक्स लाइफ के बारे में बात करने से मना किया था. दूसरी और बात करने से मना नहीं किया था.
मेरे मन में वो जिज्ञासा थी इसलिए मैं उसी के बारे में बात करना चाह रहा था तो मैंने दीदी से कहा- जिस बात के बारे में आपको परेशानी होगी मैं उसी के बारे में तो बात करुंगा न आपसे … 


वो बोली- हमारी सेक्स लाइफ के बारे में क्या बात करेगा तू, जब हमारे बीच में कुछ है ही नहीं तो.
दीदी ने गुस्से में कहा और उठ कर चली गई. 


अब मुझे सब कुछ समझ में आ गया था. मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची और फिर जाकर दीदी से माफी मांग ली. दीदी ने मुझे माफ भी कर दिया. 

उस दिन के बाद दीदी से मेरी बात खुल कर होने लगी थी. मैं अब दीदी को खुश करने की कोशिश करने लगा था. सीधे शब्दों में कहूं तो मैं दीदी पर लाइन मारने की कोशिश करता रहता था. दीदी भी इस बात को जान गयी थी.

एक दिन उन्होंने मुझे इस बारे में टोक ही दिया, दीदी बोली- मैं देख रही हूं कि तू आजकल मुझ पर लाइन मारने की कोशिश कर रहा है. तुझे और कोई लड़की नहीं मिल रही है क्या?
मैंने कहा- जब घर में इतनी सुन्दर लड़की है तो फिर बाहर ढूंढने की क्या जरूरत है?
दीदी बोली- कुत्ते, मैं तेरी बहन हूं.
मैंने कहा- तो क्या हुआ, आप लड़की भी तो हो. 


कुछ देर के लिए दीदी चुप हो गयी और फिर कहने लगी कि मुझ पर लाइन मारने का कोई फायदा नहीं है.
मैंने कहा- एक बार कोशिश करके तो देख लेने दो.
इतना कह कर मैंने दीदी को चूम लिया.


दीदी पीछे हट गई, बोली- कोशिश अच्छी थी लेकिन अभी तेरे जीजा आने वाले हैं इसलिए चुपचाप अपने कमरे में जा, हम फिर किसी दिन देखेंगे. 

उस दिन हल्की सी सही लेकिन शुरूआत तो हो ही गई थी दीदी के साथ. मैं दीदी को गाली देकर चोदना चाह रहा था. उस दिन का इंतजार करने लगा जब मुझे दीदी को चोदने का मौका मिलेगा. दो दिन के बाद मेरा इंतजार खत्म हो गया.



उस दिन जब मैं ऑफिस से आया तो मेरा लौड़ा पहले से ही गर्म था. मगर जीजा जी मुझसे पहले ही घर आ गये थे और अपने कमरे में सो रहे थे. शायद उनके सिर में दर्द था. मैंने उनको देखा और धीरे से कमरे का दरवाजा बंद करके आ गया.

मैं अपने कमरे में चला गया और फ्रेश होकर रसोई में चला गया. तब तक दीदी ने हम दोनों के लिए चाय बना दी थी. किचन दीदी के बेडरूम से थोड़ी दूरी पर था. दीदी के बेडरूम में जीजा जी सो रहे थे.
दीदी ने चाय मेरी तरफ बढ़ाई तो मैंने गुस्से में आकर चाय फेंक दी.
दीदी बोली- साले मादरचोद, चाय क्यों फेंक दी. अब दोबारा चाय क्या तेरी मां आकर बनाएगी रंडी की औलाद?
मैंने कहा- नहीं चाहिए मुझे चाय.


इतना कहकर मैंने अपना पजामा खोल दिया और अपना लंड दीदी को दिखाते हुए कहा- आज मैं इसकी मलाई तुझे पिलाऊंगा साली. चल बहन की लौड़ी. चूस ले इसको …
मेरा लंड खड़ा हुआ था तो मैंने अपने खड़े हुए लंड को दीदी के मुंह में डाल दिया और दीदी के मुंह को चोदने लगा. दीदी भी लंड को चूसने लगी और मैंने अपना माल दीदी के मुंह में गिरा दिया. उस दिन हमने इसके अलावा और कुछ नहीं किया. अब मैं दीदी को चोदने के मौके की तलाश में था. 


फिर तीन-चार दिन के बाद जीजा को कंपनी के काम से बाहर जाना था तो मैंने अपने ऑफिस एक दिन के लिए छुट्टी ले ली. मैंने दीदी से पहले ही इस बारे में बात कर ली थी. 

जीजा जी उस दिन जा चुके थे और जब मैं घर पहुंचा तो दीदी सोफे पर बैठी हुई थी.
मैंने कहा- साली रंडी, यहां क्यूं बैठी हुई है? तुझे चुदना नहीं है क्या? चल साली बेडरूम के अंदर.
दीदी बोली- आ रही हूं भड़वे.


दीदी अंदर बेडरूम में आ गई और आकर बेड पर लेट गई. मैं भी दीदी के ऊपर आकर लेट गया और उसको किस करने लगा. फिर मैं उठा और दीदी को एक थप्पड़ मार कर बोला- चल साली, मेरे कपड़े खोल और मेरा लौड़ा चूस ले. 

दीदी ने उठ कर मेरे कपड़े उतारे और मुझे नंगा कर दिया. उसने मेरे लंड को पकड़ा और अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी. दीदी की चुसाई इतनी तेज थी कि उसने जल्दी ही मेरा माल अपने मुंह में निकलवा दिया.

फिर मैंने दीदी को भी नंगी कर दिया और ऊपर लेट कर दीदी के बोबे चूसने लगा. मैं दीदी के बाबे दबाते हुए उनको काटने लगा. दीदी के चूचे लाल हो गये. 

दीदी बोली- साले चूस क्या रहा है मादरचोद, मैंने तुझे चोदने के लिए कहा था न … चोद मुझे हरामी की औलाद. 

दीदी के कहने पर मैंने नीचे आकर उसकी चिकनी चूत को चाटना शुरू कर दिया. मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में घुसा दी.

काफी देर उसकी चूत को जीभ से चोदते हुए हो गई तो वो फिर से गाली देने लगी- साले मुझे अपने लौड़े से कब चोदेगा हरामी?
मैंने कहा- रंडी, पहले वादा कर कि जितनी औरतों को तू जानती है उन सब की चूत मेरे लंड को दिलवायेगी.
दीदी झट से मान गयी.


फिर मैंने अपने लंड को दीदी की चूत पर रखा और उसको दीदी की चूत पर पटकने लगा.
दीदी तड़प उठी, बोली- सस्स… चोद ना साले क्यूं खेल कर रहा है?


फिर दीदी ने मुझे नीचे पटक दिया और खुद ही मेरे लंड पर आकर बैठने लगी. दीदी ने मेरे लंड को अपने हाथ में ले लिया और अपनी चूत पर रख कर उस पर दबाव बनाती हुई बैठती चली गई.
मेरा सुपारा दीदी की चूत में उतर गया तो दीदी चीख पड़ी- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … मर गई हरामी. बहुत दर्द कर रहा है तेरा लौड़ा. चूत फटने वाली है. बहन के लौड़े तूने मेरी चूत को फाड़ने के लिए मुझे गर्म किया था क्या कुत्ते?
मैंने कहा- डार्लिंग एक बार दर्द होगा, फिर खूब मजा आयेगा।


यह सुन कर मेरी शेरनी बहन ने होंठ भींच कर और दर्द को पीते हुए धीरे धीरे पूरा लौड़ा अपनी चूत में फिट कर लिया और ऊपर नीचे उछल उछल कर घुचके मारने लगी।
मैंने भी अपनी चुदक्कड़ बहन का साथ देते हुए नीचे से घुचके मारने शुरू कर दिए!


पन्द्रह मिनट इस तरह घुचके मारने के बाद वो हांफने लगी। थोड़ी देर के लिए हमने चुदाई को विराम दिया. मेरा लंड अभी भी दीदी की चूत में ही घुसा हुआ था. बहुत गर्म चूत थी मेरी दीदी की. कुछ देर के बाद हम वापस शुरू हो गए।

जब मेरे थोड़ा लंड उसकी चूत में घुसा तो वो मस्त आवाज करती हुई चुदने लगी. उसकी वो आवाजें सुन कर मैंने एक धक्का और मारा जिससे मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. मेरा लंड जैसे ही उसकी चूत में पूरा घुसा तो उसके मुंह से जोरदार दर्द भरी आवाज निकल गयी लेकिन अब की बार उस दर्द के साथ एक मजा भी था. दर्द की वजह से वो मुझसे और कुछ भी नहीं बोल पाई. 

वो दर्द की वजह से पीछे बढ़ रही थी पर मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया और जोरदार धक्के मारने लगा. कुछ ही देर में उसे भी चुदाई का पूरा मज़ा आने लगा और वो मेरे धक्कों के मज़े लेती हुई आ … आ … ऊह … ऊऊऊ … आ हाँ … आआआ… ऊऊऊ.. की सिसकारियां लेने लगी.

मैंने उसकी चूत में धक्कों की स्पीड इतनी तेज कर दी कि कुछ ही देर में उसकी चूत से पानी निकल गया.
मैं अभी तक नहीं झड़ा था. 


फिर मैंने उसकी चूत से लौड़े को निकाल लिया और उसको घोड़ी बना लिया. 


. फिर हम दोनों बिना कपड़ों के ही सो गए.

रात को फिर से मैंने दीदी की चुदाई की. दीदी की चूत को चोद कर मैंने बुआ की बेटी की चुत चुदाई की प्यास को बुझा दिया.
जब तक जीजा जी नहीं लौटे हम दोनों में चुदाई का ये खेल जमकर हुआ. ऑफिस से आते ही मैं दीदी की ठुकाई करता था और फिर रात में सोते टाइम भी उनकी चूत को खूब चोदता था. दीदी भी खुश हो गई थी. फिर जीजा जी आ गये और रोज की चुदाई बंद हो गई लेकिन बीच-बीच में मौका निकाल कर मैं दीदी की चुदाई कर लेता था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
Tyytttt
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
Good story
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#4
Ok  Namaskar Namaskar thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
बुआ की बेटी की उभरती हुई जवानी!




..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
(22-03-2024, 10:09 PM)neerathemall Wrote:
बुआ की बेटी की उभरती हुई जवानी!




..
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#7
बुआ की बेटी की उभरती हुई जवानी!
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#8
(22-03-2024, 10:10 PM)neerathemall Wrote: बुआ की बेटी की उभरती हुई जवानी!

yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
मैं पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गया था और इधर अपनी बुआ के घर रहता था.
फूफा जी बाहर जॉब करते थे तो बुआ जी को भी मेरे आने से एक आसरा हो गया था.
बुआ एक निजी कम्पनी के ऑफिस में काम करती थीं.

मेरी बुआ की बेटी का नाम दीपिका था.

एक दिन दीपिका नहा कर निकली. उस समय घर पर कोई नहीं था. बुआ ऑफिस गई हुई थीं.

उस दिन घर मैं अपने रूम में ही था.

जिस समय दीपिका नहा कर बाहर निकली, उसी समय अचानक से मैं अपने कमरे से पानी पीने के लिए बाहर निकला.

मैंने देखा कि दीपिका एकदम नंगी ही बाथरूम से निकली और अपने कमरे की तरफ जाने लगी.
उसे इस अवस्था में देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मेरे हाथ से पानी का गिलास था तो वो गिर गया.
गिलास गिरने की आवाज से उसका ध्यान मेरी तरफ चला गया और वो जल्दी से भाग कर अपने कमरे में चली गयी.
मैं भी अपने कमरे में आ गया.

इस समय मेरी खोपड़ी में दीपिका की मदमस्त जवानी ही घूम रही थी.
मैं उसके बारे में सोच कर लंड सहलाने लगा.

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने अपना लंड पैंट से बाहर निकाला और मुठ मारने लगा.

उस दिन मुझे मुठ मारने में इतना मजा आया कि बता नहीं सकता.

शाम को उसकी मॉम आईं तो उन्होंने मुझे बुलाने दीपिका को मेरे कमरे में भेजा.
मैं उस टाइम भी उसके बारे में ही सोच कर लंड हिला रहा था.

उसने कमरे का दरवाजा बजाया और आवाज देकर बोली- भैया, मॉम ने आपको खाने के लिए बुलाया है.

मैं लंड अन्दर करके खाना खाने बाहर आ गया.

बाहर मेज पर वो भी खाना खा रही थी. उसकी नजरें झुकी हुई थीं.
मैं उसे ही देखता रहा.
वो मुझे अब बस नंगी ही दिख रही थी.

खाना खाने के बाद दीपिका अपने कमरे में चली गयी. उसने मेरी तरफ देखा ही नहीं.
मगर मैं समझ गया था कि वो मुझसे झेम्प रही है.

कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा.

मैं बस अब ये ही सोच रहा था कि कैसे भी करके दीपिका की चुत चोदने को मिल जाए.
उसके चक्कर में मेरा मन पढ़ाई में भी नहीं लगता था.

फिर एक दिन वो अपने कमरे में कपड़े बदल रही थी तो मैं चुपके से उसे देखने लगा.
उसने अपने सारे कपड़े उतारे और अपनी चुत सहलाने लगी.
कुछ देर तक वह अपने मम्मों से भी खेला और अपने कपड़े पहन कर लेट गई.

मैं उसी के दरवाजे के बाहर उसे देख कर मुठ मारने लगा.

तभी अचानक से उसने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया.
वो उधर से चिल्ला कर बोली- ये तुम क्या कर रहे हो … शर्म नहीं आती?

मैं कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चला गया.
मुझे डर लग रहा था कि कहीं वो ये सब बुआ से ना कह दे.

बुआ शाम को घर आईं और दीपिका से मुझे बुलाने को बोलीं.

दीपिका मेरे कमरे में आई और अजीब सी आवाज में बोली- मॉम बुला रही हैं … चलो.

उसकी इस तरह की टोन से मैं डर सा गया और सोचने लगा कि इसने पक्के में बुआ से कह दिया होगा.

मैं डरते हुए गया और बुआ से बोला- जी बुआ जी … क्या हुआ!
उन्होंने पूछा- क्या हुआ का क्या मतलब है? खाना नहीं खाना है क्या … चलो बैठो खाना खा लो.

मैंने राहत की सांस ली और खाना खाने बैठ गया.
मेरे सामने दीपिका बैठी थी.
मैंने उसकी तरफ देखा तो वो सर झुका कर मंद मंद मुस्कुरा रही थी.

मैं समझ गया कि दीपिका ने उस दिन की झेम्प मिटाने का बदला लिया है.

इस सबमें एक बात साफ़ हो गई थी कि जवानी आग उसे भी लगी थी और मुझे भी लगी थी.
हम दोनों एक दूसरे की आग को समझ चुके थे.

इसी बीच मैंने एक हरकत करना शुरू कर दी थी.
मैं दीपिका की पैंटी में मुठ मार कर अपना रस छोड़ देता था.
मगर इस बात को भी दीपिका ने बुआ से नहीं कही.

फिर कुछ दिन बाद बुआ मुझसे बोलीं- मुझे कुछ दिन के लिए काम से बाहर जाना है, तो घर का और अपनी बहन का ख्याल रखना.
मैंने पूछा- आपको कब जाना है?

बुआ बोलीं- कल जाना है … दो हफ्ते के लिए, ऑफिस का बहुत ज़रूरी काम है. वैसे तो मैं दीपिका को भी साथ ले जाती, पर उसके एग्जाम चल रहे हैं और एक पेपर बचा है.
मैंने कहा- ओके बुआ कोई बात नहीं मैं हूँ ना … सब संभाल लूंगा.

बुआ अपनी तैयारी करने में लग गईं. फिर सुबह 6 बजे वाली ट्रेन से चली गईं.

अब मैं और दीपिका ही घर में अकेले रह गए थे.
वो आठ बजे अपना पेपर देने चली गई.

जब स्कूल से वापस आई तो मैंने पूछा- तुम्हारा लास्ट पेपर कैसा हुआ?
वो हंस कर बोली- मस्त.

दीपिका बहुत खुश नजर आ रही थी.
उसकी कुछ दिन की स्कूल की छुट्टी भी हो गयी थी.

मैंने उससे कहा- आज शाम को मैं बाहर से खाना ले आऊंगा तुम बनाना मत.
वो बोली- ठीक है.

शाम को मैं होटल से खाना लेकर आया और हम दोनों ने साथ में खाना खाया.

फिर हम दोनों टीवी देखने लगे और बात करने लगे.

उसने अचानक से पूछा- तुम्हारी कोई जीएफ है क्या?
मैंने बोला- नहीं.

उसने कहा- क्यों?
मैंने बात पलटते हुए पूछा- तुम्हारा है कोई?

उसने कहा- नहीं है.
मैंने कहा- मेरी भी नहीं है.

उस समय हम दोनों एक हॉरर मूवी देख रहे थे.
तभी एक डरावना सीन आया, वो डरने लगी और मेरे से चिपक कर बैठ गयी.
उसके चुचे मेरे सीने से टच हो रहे थे.

मैं लोवर पहने हुए था तो मेरा लंड खड़ा होने लगा. मैंने पिलो से लंड दबा लिया.

उसने देख लिया और बोली- क्या दबा रहे हो?
ये मैंने कहा- कुछ नहीं.

उसने कहा- कुछ तो दबा रहे हो, मुझे देखने दो.
मैंने कहा- अरे यार कुछ नहीं है.

उसने झटके से पिलो खींच लिया तो मेरा लंड लोवर में से साफ़ दिख रहा था.

वो मेरा खड़ा लंड देख कर शर्मा गयी. मैं उठ गया और अपने रूम में आ गया.

मैं कमरे की लाइट बंद करके लेट गया.

कुछ देर बाद मुझे नींद आ गई.

करीब दो बजे मुझे लगा कि मेरे पास कोई है.
मैंने देखा तो दीपिका मेरे बाजू में लेटी हुई थी.

मैं पानी के लिए उठा तो वो जाग गयी और बोली- कहां जा रहे हो?
मैंने उसे बोला- पानी लेने जा रहा हूँ मगर तुम यहां कैसे?

वो बोली- मुझे अकेले डर लग रहा था.
मैंने कहा- कोई बात नहीं सो जाओ.

कुछ देर वो सो गयी और अब मेरे को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि वो शॉर्ट्स में मेरे बगल लेटी थी.

उसकी टांगों पर एक भी बाल नहीं था. उसकी चिकनी टांगें देख कर मुझसे रहा नहीं जा रहा था.

कुछ देर बाद मैंने उसकी जांघ पर हाथ रख दिया और फेरने लगा.
उसकी तरफ से कुछ भी रिएक्श्न नहीं हुआ तो धीरे धीरे मैंने उसके बूब्स पर हाथ रख दिया और दबाने लगा.

वो उठ गयी और मेरी तरफ देखने लगी. मैंने आंखें बंद कर लीं.
उसने भी कुछ नहीं बोला.

मेरा हाथ अब भी उसके मम्मों पर ही था और मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

उस टाइम मैं अंडरवियर में ही था.
वो मेरी तरफ मुँह करके लेट गई तो मेरा खड़ा लंड उसकी टांगों से टच होने लगा.

थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई.
सुबह मैं उठा तो देखा कि वो मेरे बाजू में नहीं थी.

तभी वो मेरे कमरे के बाथरूम से बाहर निकली. इस समय वो केवल एक तौलिया में थी.

तभी अचानक से न जाने क्या हुआ कि उसका तौलिया गेट के हैंडल से फंस कर खुल गया और वो एकदम नंगी हो गई.

मैं उसे देखने लगा.
इस वक्त वो क़यामत लग रही थी.
उसकी नजरें मेरी नजरों से टकराईं लेकिन वो अपनी तौलिया ठीक करने की जगह मुस्कुराने लगी.

मैं उसे ही एकटक देख रहा था.
उसके चूचे बड़े ही मस्त लग रहे थे, दोनों टांगों के बीच चिकनी चुत पानी से भीगने के कारण बड़ी ही कामुक लग रही थी.

वो एक बार भी नहीं शर्माई बल्कि इठला कर मुझसे पूछने लगी- ऐसे क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस तुम्हें ही देख रहा हूँ.

वो नंगी ही चल कर मेरे पास आई और होंठों पर अपने होंठ रख कर किस करने लगी.

उसके नंगे बदन की समीपता और चुम्बन से मैं एकदम से शॉक्ड रह गया.

वो बोली- रात को तो बहुत खड़ा हो रहा था … अब क्यों नहीं हो रहा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#10
वो बोली- रात को तो बहुत खड़ा हो रहा था … अब क्यों नहीं हो रहा.

ये कह कर उसने हाथ में पकड़ी हुई तौलिया को बड़ी नजाकत से मेरे सामने अपने जिस्म पर लपेटी और गांड हिलाती हुई अपने रूम में चली गयी.

मैं अपनी सुधबुध खो चुका था और मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूं.

मैं सर झटकता हुआ उठा और नहाने के लिए बाथरूम में आ गया.
उधर मैंने दीपिका की नंगी जवानी को याद करके लंड हिलाया और फारिग होकर अपने कॉलेज चला गया.

उस रात को मैं थोड़ा लेट आया क्योंकि मैंने कॉलेज के बाद शाम को चार पैग व्हिस्की के लगा लिए थे.

दारू पीते समय मैं दीपिका के बारे में ही सोच रहा था.
मुझे समझ आ गया था कि आज दीपिका मेरे लंड से चुदने को रेडी है.

बस ये सोचा तो मैंने दो पैकेट कंडोम के खरीद लिए और घर आ गया.

मुझे मालूम हो गया था कि अब उस पर भी कंट्रोल नहीं हो रहा है.

रात में खाना खाकर हम दोनों टीवी देख रहे थे.

मैंने बात शुरू की- तुम सुबह क्या चाह रही थीं?
वो बोली- कुछ नहीं.

मैंने कहा- फिर किस क्यों किया था?
वो बोली- वो तो ऐसे ही, पर तुमको तो अच्छा ही लगा होगा न!

मैंने बोला- हां अच्छा तो लगा था मगर तुमको शर्म नहीं आई?
वो हंसी और बोली- शर्म कैसी, तुम भी तो छिप छिप कर मुझे नंगी देखते थे और कई बार मुझे वो सब करते हुए भी देख भी चुके हो.

मैंने कहा- ये तुमको कैसे मालूम है?
वो बोली- जब तुम मुझे देख कर मुठ मारते थे और मेरी पैंटी में पानी निकाल देते थे, तो क्या मैं इतनी नासमझ हूँ कि ये बात समझ ही न पाऊं … घर में तुम्हारे अलावा कोई और तो है नहीं, जो ये सब मेरी पैंटी के साथ करता हो. फिर कल रात में जब तुम मेरे बूब्स दबा रहे थे, तो क्या मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था?

मैंने तभी उसके हाथ को टच किया और उसे अपने पास खींच कर उसके गाल पर किस कर लिया.

वो बोली- ये क्या है?
मैंने बोला- किस.

वो बोली- तुमको किस करना नहीं आता है.
मैंने पूछा- तुमको तो आता है न!

वो बोली- मॉर्निग में किया तो था. अब तुम वैसे ही करके बताओ.
मैंने उसको होंठों पर होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा.

करीब 15 -20 मिनट हम दोनों एक दूसरे से चिपक गए और वासना के वशीभूत होकर चूमाचाटी करने लगे.

मैंने उसके कपड़े उतार दिए और उसने मेरे!
अब हम दोनों नंगे थे.

मैंने उसको बेड पर लिटाया और उसके मम्मों को दबाने लगा. साथ ही मैंने अपनी एक उंगली उसकी चुत में डाल दी.

वो गर्मा गई और सीत्कार करने लगी.

मैं नीचे को आया और उसकी चुत चाटने लगा.
वो कामुक सिसकारियां लेने लगी और मुँह से ‘आह भाई मर गई आह और चाटो आह मेरी चुत खा जाओ.’ की आवाज निकालने लगी.

मैंने एक उंगली उसकी चुत में अन्दर तक डाली तो वो थोड़ा चिल्लाने लगी.

कुछ देर बाद वो झड़ गई तो मैंने उसकी चुत को चाटकर साफ़ कर दिया.

मैंने कहा- अब तुम मेरा मुँह में लो.
वो बोली- नहीं.

मैंने कहा- क्यों … प्लीज़ ले लो, मुझे अच्छा लगेगा.

फिर वो मान गयी और मेरा लंड चूसने लगी.
पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसके मुँह से लंड निकाला और उसे चित लिटा दिया.

वो समझ गई कि अब चुत चुदने वाली है.

मैंने उसकी चुत पर तेल लगा दिया और कुछ अपने लंड पर भी.
क्योंकि ये उसका फर्स्ट टाइम था लेकिन जैसे वो लंड के लिए मचल रही थी, उससे लग नहीं रहा था कि इसकी सील साबुत बची होगी.

फिर मैंने उसकी दोनों टांगों को ऊपर लिया और उसकी चुत के मुँह पर अपना लंड सैट कर दिया.
वो गांड उठाने लगी तो मैंने एक जोर से धक्का लगा दिया.

मेरा आधा लंड चुत के अन्दर घुस गया.
वो उसी पल जोर से चिल्ला उठी.

मैंने उसका मुँह दबाया और बाजू में पड़ी उसकी ब्रा को उसके मुँह में घुसेड़ दी.

उसकी आवाज बंद हुई तो मैंने फिर से एक और जोर का धक्का दे दिया.
इस बार मैंने पूरे लंड को चुत की जड़ तक अन्दर घुसा दिया.

उसकी आंखों से पानी आने लगा. साथ ही उसकी चुत से खून की लकीर बिस्तर को रंगने लगी.

मैं रुक गया और उसे सहलाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने उसकी चुत से लंड निकाला और उसके ब्लड को साफ कर दिया.

वो बोली- अब नहीं करो.
मैंने बोला- तुम ही तो चाहती थी.

वो बोली- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा.
मैं बोला- जितना होना था वो हो चुका अब नहीं होगा.

वो कुछ नहीं बोली.

मैंने उसकी चुत में लंड घुसेड़ा और आराम आराम से अन्दर तक पेलता गया.

मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया और वो कसमसाती रही लेकिन इस बार उसने आवाज नहीं निकाली.

मैं धीरे धीरे लंड चुत में आगे पीछे करने लगा.

थोड़ी देर तक बाद उसे भी मज़ा आने लगा.
अब मैं तेज तेज चुदाई करने लगा.

उसके मुँह से मस्ती भरी आवाजों ने निकलना शुरू कर दिया था- आह आह और तेज!

इससे मेरा जोश और बढ़ गया और मैं तेजी से लंड अन्दर बाहर करने लगा.

करीब 15 मिनट बाद मेरा पानी निकलने को हो गया. मैंने लंड चुत से निकाला और सारा पानी उसकी चुचियों पर निकाल दिया.

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूस चूस कर फिर से खड़ा कर दिया.
इस बार मैंने उसे घोड़ी बनाया और उसकी गांड पर थोड़ा सा तेल लगा दिया.

उसने कहा- ये किधर डाल रहे हो?
मैंने कहा- इधर तुमको पहले से भी ज्यादा मज़ा आएगा.

वो कुछ नहीं बोली.

मैंने उसकी गांड पर लंड रखा और एक जोर से धक्का मारते हुए पूरा लंड अन्दर कर दिया.

वो एकदम से छटपटा उठी और गाली देने लगी- उई मम्मी रे … मर गई निकाल ले मादरचोद … बहुत तेज दर्द हो रहा है … जल्दी निकाल माँ के लौड़े!

मैंने उसकी एक नहीं सुनी और गांड मारनी चालू कर दी.

कोई पांच मिनट गांड में लंड चला तो उसे भी मजा आने लगा.
वो मस्ती से गांड मरवाने लगी.

कुछ देर बाद मैंने उसकी गांड से लंड निकाला और चुत में पेल दिया.
वो खुश हो गई.

ऐसे ही मैंने उस रात में कई बार सिस्टर की चुदाई की और नंगे ही चिपक कर सो गए.

उसके बाद हम दोनों रोज चुदाई करने लगे.
अब वो मेरे साथ फुल न्यूड रहने लगी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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