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Incest मामा की लड़की के साथ
#1
मामा की लड़की के साथ



से
जो घटना मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ ये अभी 15 दिन पहले की ही घटना है। जब मामी ने मुझे नोएडा बुलाया क्योंकि उन्हें 2 दिन के लिए किसी काम से अपने मायके जाना था। जब भी वो कहीं जाती हैं तो मुझे मृणालिनी के पास रहना पड़ता है।

मैं मामा के घर पहुंचा तो मामी मुझे घर के दरवाजे पे ही मिल गई। उन्होंने मुझे बताया कि मृणालिनी नहा रही है तुम बैठो, वो आकर चाय बना देगी।
इतना बोल के मामी चली गई।


मैं अंदर जाकर बाहर वाले कमरे में बैड पर लेट गया। अभी 5 मिनट ही हुए थे कि अंदर वाले कमरे में मुझे मृणालिनी दिखाई दी जो कि सिर्फ एक तौलिया लपेटे थी। मेरे कमरे की लाइट बंद थी पर उसके कमरे में लाइट जल रही थी। उसके बाद जो हुआ, वो मेरी कल्पना से भी परे था।

मृणालिनी ने अचानक से अपने कमसिन बदन से तौलिया हटा दिया. अपनी बहन को पूरी नंगी देखकर मेरी आँखें फटी की फटी रह गई क्योंकि मैंने जीवन में कभी किसी लड़की को ऐसे नग्न हालत में नहीं देखा था।

उसकी लंबाई 5 फिट 6 इंच की है। उसकी फिगर सही तो नहीं बता सकता पर पर उसकी चूचियाँ 32″ की व पेट से वो बहुत पतली सी है. और हाँ उसकी गांड बड़ी जानदार लग रही थी जो लगभग 34 या 36 की होगी।

वो इस बात से अनजान थी कि कोई उसे बिना कपड़ों के देख रहा है। वहीं से मुझे दिखा कि उसकी चूत बड़ी खूबसूरत लग रही थी। देखकर ही पता चल रहा था कि वो अभी उसके बाल साफ करके आई है। मेरा लंड उसकी चूची, गांड व चूत को देखकर बेकाबू हो रहा था। वो शायद अपनी ब्रा व अंडरवियर ढूंढ रही थी।

अभी 2 से 3 मिनट ही हुए थे कि उसे कुछ शक हुआ जैसे घर पे कोई है। मेरे बारे में उसे नहीं पता था। उसने जल्दबाजी में तौलिया लपेटा और उस कमरे में आ गई जिसमें मैं लेटा था।
जैसे ही उसने लाइट का स्विच ऑन किया, वो हैरानी से मुझे देखकर बोली- भैया आप कब आये? और अंदर कैसे आये?
मैंने उसे बताया- जब मामी जी यहीं थी, तब आ गया था। 


उसके बाद उसने दूसरा सवाल पूछा- आपने कुछ देखा तो नहीं?
मैंने अनजान बनते हुए पूछा- कुछ मतलब?
वो घबराती हुई बोली- मैं अंदर कमरे में थी बिना कपड़ों के?
मैंने कहा- हां, वो तो सब देखा मैंने … पर मैं करता भी क्या … क्योंकि एक अप्सरा मेरे सामने इस अवस्था में थी तो चाहकर भी आँखें नहीं हटा सका।


ये सब सुनकर वो घबरा के वहीं सोफे पे बैठ गई। उसके चेहरे को देखकर ही पता चल रहा था कि उसके हृदय की धड़कनें उसके काबू में नहीं थी।
कुछ देर चुपचाप बैठी रही.
तब मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो मेरी बहन बोली- ये सब नहीं होना चाहिए था।
तब मैंने कहा- इसमें ना तुम्हारी गलती ना मेरी। फिर इसमें डरने वाली कौन सी बात है?


फिर पता नहीं उसके दिमाग में क्या आया, उसने अपने दोनों पैर उठाके सामने वाली मेज पर रख दिये। वो ठीक मेरे सामने थी जिसके कारण मुझे उसकी चूत साफ-2 दिखाई दे रही थी।
मैंने उसे कहा- ये क्या कर रही है?
हमारे बीच पहले कभी ऐसी कोई बातचीत भी नहीं हुई थी. इसलिए मैं संभलने की कोशिश कर रहा था।


वो बोली- आपने सब कुछ देख ही लिया फिर छुपाने का क्या फायदा? आप जी भर के देखो।

उसकी गोरी-2 व नंगी जांघ देखकर साथ में चूत देखकर मेरा लंड दुबारा से हरकत में आ गया। मेरी बेचैनी बढ़ने लगी थी, मेरा हाथ अपने आप उसे सहलाने लगा।
ये सब देखकर वो बोली- आप क्या करने लगे?
मैं बोला- जिसके सामने एक अप्सरा आधी नंगी बैठी हो वो कैसे अपने होश संभाले?
तब उसने कहा- ये अप्सरा तो अब पूरी नंगी भी हो सकती है क्योंकि आपने सब देख ही लिया। लेकिन पहले मुझे आपका वो देखना है जिसे आप हाथ से सहला रहे हो।


मुझे और क्या चाहिए था … जल्दी से मैंने अपनी पैंट उतारी, फिर अंडरवियर उतारकर अपना लंड उसके सामने कर दिया। वो उसे देखकर हैरानी से बोली- ये इतना बड़ा होता है क्या?
मैंने कहा- हां, ये इतना ही बड़ा होता है।
वो बोली- क्या मैं इसे छू सकती हूं?


मैंने जैसे ही हां कहा, वो सोफे से खड़ी हो गई वो तौलिया पूरा निकालकर मेरे पास आकर अपने दोनों हाथों से मेरा औजार पकड़ लिया।
मदहोशी में मेरी आँखें बंद हो गई।


तभी मेरे नाक में एक अजीब सी खुशबू महसूस हुई जो मेरी बहन के नंगे जिस्म की ही महक थी। मृणालिनी मेरे लंड को सहला रही थी. मैंने भी अपना हाथ उसकी कमर पे रखा, फिर धीरे-2 उसे नीचे लाते हुए उसकी गांड पे हाथ फिराया तो ऐसा लगा जैसे मक्खन पे हाथ चल रहा हो।

उसके बाद मैं अपनी जीभ उसकी नंगी जांघ पे फिराने लगा.
वो बोली- भैया रहने दो ना प्लीज़।
मैं कहाँ रुकने वाला था, आगे बढ़ते हुए मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के दाने पे लगा दी।


इतना कुछ वो बर्दाश्त नहीं कर पाई और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। जबकि उसने पहले ऐसा कभी नहीं किया था। वो पास में खड़ी होकर मेरा लंड चूस रही थी जबकि मैं लेटे-2 उसकी चूत को चाट रहा था।

काफी देर तक हम दोनों इसी हालत में एक दूसरे के साथ मजे लेते रहे. तभी मुझे लगा कि मेरी पिचकारी छूटने वाली है तो मैंने उसे बताया पर वो तो ना जाने किस दुनिया में थी।

तभी मेरे लन्ड से लावा फूट पड़ा। कुछ तो उसके मुँह में ही चला गया. फिर उसने जैसे ही अपना मुँह हटाया तो मेरे वीर्य से उसका सारा चेहरा गन्दा हो गया।
वो अजीब से मुँह बनाती हुई बोली- भैया ये क्या है?
मैंने उसे बताया- ये वीर्य है.
तो बोली- आपने पहले क्यों नहीं बताया?
मैंने उसे कहा- बताया था पर तुमने सुना नहीं।


वो बोली- ठीक है, अब आपको मेरा पानी पीना पड़ेगा।
मैंने कहा- नहीं, आज तक मैंने भी नहीं पीया, आज रहने दो, बाद में देखेंगे। 


पहले वो अपना चेहरा धो के आई। जब वो बिल्कुल नंगी बाहर जा रही थी तो उनकी गांड देखकर मेरा लन्ड दुबारा से मस्ती में आने लगा।

अब वो वापिस आकर मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी। यह हम दोनों के ही जीवन का पहला चुम्बन था। मैं उसकी तो वो मेरी जीभ को चूसने लगी।



थोड़ी देर किस करने के बाद मैं उसकी चूचियों पे जीभ फिराने लगा।

बारी-2 से दोनों चूचियों को चाटने के बाद वो उठी और घूम कर दुबारा से मेरे लन्ड को मुँह में ले लिया. अब उसकी गोरी, मोटी गांड व बिना बालों की चूत मेरे मुँह से बस थोड़ी दूर थी. तो मैंने भी लपक कर उसकी चूत को पूरा मुँह में ले लिया।

लगभग 10 मिनट तक दोनों इसी हालत में रहे तो मैंने कहा- इस बार पूरा रस मुँह में ही लेना. मैं भी तुम्हारा रस मुँह में ही ले लूंगा।
वो पहले तो मना करती रही फिर मान गई।


कुछ ही देर में मुझे झटके लगने लगे व उसकी चूत से भी कुछ बहने लगा. दोनों ने एक दूसरे का पानी पिया और अलग हो गये।
मैंने उसे कहा- कोई आ सकता है इसलिए बाकी काम रात में करेंगे।
तो वो मान गई और हम दोनों ने अपना मुँह धोकर कपड़े पहन लिए।


दिन में जब वो किचन में खाना बना रही थी तो मैंने उसके गांड पे अपना लंड लगा दिया.
वो बोली- भैया रहने दो ना, रात में जो मर्जी कर लेना पर अभी काम करने दो।
मैंने एक लिप किस किया और जाकर टीवी देखने लगा।


रात में उसने खाना बनाया और दोनों ने एक साथ बैठकर खाना खाया।

उसके बाद दोनों एक ही बैड पे लेट गये. सर्दियां शुरू हो गई थी इसलिए दोनों ने एक कम्बल ले लिया। लेकिन अचानक से वो उठ कर दूसरे रूम में चली गई. वहां से जब वो वापिस आई तो उसने एक सेक्सी सा लाल रंग का गाउन पहना हुआ था।
मेरी ममेरी बहन मेरे पास लेट गई तो मैंने कहा- आज तो हमारी सुहागरात है.
तो उसने शर्मा के अपना चेहरा अपने हाथों में छिपा लिया।


मैंने उसका गाउन उतारा तो देखा कि उसने काले रंग की जालीदार ब्रा व पैंटी पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत सेक्सी व हॉट लग रही थी।

उसके बाद उसने मेरे कपड़े खुद ही उतार दिए. मैंने नीचे अंडरवियर नहीं पहना था जिसकी वजह से पैंट निकलते ही मैं पूरा नंगा हो गया।

उसने मेरे लंड को सीधा अपने मुँह में ले लिया उसके गुलाबी होठों ने मुझे मदहोश ही कर दिया। मैंने उसकी ब्रा व पैंटी निकालकर फेंक दी और उसे कहा- मेरे ऊपर आओ.
तो हम दोनों 69 में आ गए.


उसकी चूत से एक अजीब सी महक आ रही थी जो मुझे और भी पागल कर रही थी। काफी देर तक इसी हालत में रहने के बाद मृणालिनी को उठने को कहा और उसे अपने लन्ड पर बैठने को कहा। वो मेरे पेट पर लेट गई। मेरा लन्ड उसकी चूत को छू कर मस्ती से झूम रहा था। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिये और हम दोनों एक दूसरे को होठों को व जीभ को चूसने लगे।

4 से 5 मिनट के बाद मैंने उसे उठाया और कहा- नीचे आओ, आज तुम्हारी नन्ही सी चूत का उदघाटन करूँगा।
मेरी बहन नीचे बिस्तर पर लेट गई। मृणालिनी डरी हुई थी, बोल रही थी- भाई, मैंने सुना है कि जब पहली बार चुदाई होती है तो बहुत दर्द होता है.
तो मैंने उसे दिलासा दी- मैं आराम से करूँगा, तू जाकर कोई क्रीम ले आ।


उसके बाद मृणालिनी ने बहुत सारी क्रीम मेरे लन्ड पे लगाई मैंने उसकी चूत पे लगाई। उसे लिटाकर मैं ऊपर आ गया और मृणालिनी को कहा- दर्द होगा पर बर्दाश्त कर लेना, प्लीज़ चिल्लाना मत।
अब मैंने उसकी एक टांग उठा के अपना लन्ड उसकी चूत पे सेट किया। पहला धक्का मारा तो वो अंदर नहीं गया साइड में फिसल गया। कई बार की कोशिश के बाद आखिर में लौड़े का आगे वाला भाग अंदर चला गया पर मृणालिनी दर्द से बिलबिला उठी।


मैं रुक गया क्योंकि वो बहुत नाजुक सी लड़की है। कुछ आराम मिला तो एक धक्का और मारा तो मेरा आधा लन्ड उसकी चूत को चीरता हुई अंदर समा गया पर इस झटके को बर्दाश्त नहीं कर सकी और चिल्ला कर रोने लगी।
फिर वो बोली- उम्म्ह … अहह … हय … ओह … भैया, प्लीज़ बाहर निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है, बाकी कल कर लेना।


मैं रुक गया और उसकी चूचियों को बारी बारी से मुँह में लेकर चूसने लगा। जिसमें ध्यान बटने के कारण उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब मैंने एक आखिरी धक्का मारा तो मेरा पूरा लन्ड उसकी छोटी से चूत में समा गया. पर वो तो जैसे बेहोश सी हो गई। जिसके बाद मैं डर गया।

पर जल्दी ही वो होश में आ गई और मुझे धक्का देकर अपने ऊपर से हटाने लगी। मैं कहाँ मानने वाला था, मैं कभी उसके होंठ चूसता कभी उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ चूसता।
लगभग 5 मिनट के बाद मुझे लगा कि वो अपनी गांड हिला रही है. मैं समझ गया कि अब मृणालिनी को दर्द नहीं हो रहा।


मैंने धीरे-2 धक्के मारने शुरू किए तो वो भी मेरे साथ मस्ती में झूमने लगी। काफी देर तक चुदाई करने के बाद जब मुझे लगा कि छूटने वाला है तो उसकी चूत से निकालकर उसकी मुँह में दे दिया. तभी मेरा पानी छूट गया जिसे उसने पूरा पी लिया।
अब उसकी बारी थी वो भी उठकर मेरे मुँह के ऊपर बैठ गई। मैं उसकी भावनाओं को समझ गया औऱ उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी इतने में ही वो भी अकड़कर ढीली हो गई।


उस रात हमने अपनी सुहागरात में 3 बार चुदाई की। एक बार तो मैं मृणालिनी की गांड में लन्ड देना चाहता था पर वो नहीं मानी बोली- भाई आज चूत का दर्द झेल लूं, अगली बार गांड का ही उदघाटन करवा लूंगी आप से ही।
उसके बाद हम दोनों सो गये।


























समाप्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
इसके बाद बुआ की बेटी भी चुद गई! अगली कहानी में


























?
कैसे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
(29-01-2024, 10:39 AM)neerathemall Wrote: समझदार  Dodgy

धन्यवाद
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
(29-01-2024, 10:39 AM)neerathemall Wrote: समझदार  Dodgy

सम्पादित लघुकथा की
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
मस्त रसीली चुत में अपना लंड गुसा दिया – फिर जबरजस्त चुदाई की
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#6
(29-01-2024, 10:40 AM)neerathemall Wrote:
मस्त रसीली चुत में अपना लंड घुसा दिया – फिर जबरजस्त चुदाई की

बुआ की बेटी

















yourock
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
(29-01-2024, 10:40 AM)neerathemall Wrote:
मस्त रसीली चुत में अपना लंड गुसा दिया – फिर जबरजस्त चुदाई की

यह बात उन दिनों की है जब मैं 19 साल का था और मेरी बुआ की तबीयत ज़्यादा खराब हो गई और हम सभी वहाँ पर चले गए। फिर 10 दिनों के बाद बुआ की तबीयत में थोड़ा सुधार आया तो मम्मी पापा आ गए.. लेकिन में वहीं पर रुक गया छुट्टियाँ मनाने के लिए और मेरे फूफा जी बाहर नौकरी करते थे। जिस कारण से वो घर पर नहीं आ पाते थे.. मेरी बुआ की 2 लड़कियां है। एक 21 साल की ऋतु और एक 18 की अर्चना। लेकिन अर्चना का शरीर बहुत गदराया हुआ सा हो गया था। उसका फिगर 36-34-36 था। इतनी सी उम्र में इतनी अच्छा फिगर। उसे पहली बार देखकर में तो हैरान ही हो गया था। वो मिनी स्कर्ट में स्कूल जाया करती थी.. जिसमे वो और भी ज़्यादा खूबसूरत लगती थी।
उसकी चिकनी चिकनी टाँगे बड़ी ही मस्त थी तो अपनी जांघो तक की स्कर्ट पहनती थी और मैंने अपनी कज़िन होने के कारण अपने मन को बहला लिया और उसके बारे में ना सोचने की कोशिश करने लगा.. लेकिन मेरा लंड नहीं मानता था.. क्योंकि मैंने बहुत दिनों से चुदाई नहीं की थी। में उसके जिस्म को याद कर करके मूठ मारने लगा। फिर 5-6 दिनों तक ऐसा ही चला एक दिन में जब ऋतु को हिंदी पड़ा रहा था तो उसके पास डस्टर नहीं था। तभी मैंने अर्चना के बेग में ढूंडा.. मुझे डस्टर तो नहीं मिला लेकिन एक चीज़ मिली.. एक सीडी जिस पर A7 बना हुआ था। मैंने बहुत ब्लू फिल्म देखी है तो मुझे पता था कि यह A7 एक इंग्लीश ब्लू फिल्म है। मैंने उसे वापस रख दिया और रात को में उसी बारे में सोचने लगा और बाहर आकर पानी पीने लगा। में वापस जा रहा.. लेकिन मैंने सोचा कि एक बार क्यों ना अर्चना के कमरे में जाकर देखूं वो बंद था।
तभी मैंने दरवाजे पर अपने कान लगाए तो मुझे हल्की हल्की आवाज़े सुनाई दी और मैंने जब गोर से सुना तो वो आह्ह्ह उुउउहह ईएआआह हाँ ओह्ह्ह बेबी चोदो मुझे की जैसी आवाज़े लगी। तभी में समझ गया कि यह ज़रूर वो ब्लूफिल्म वाली सीडी देख रही है और में कुछ ना करते हुए वापस कमरे में गया और एक और बार मूठ मार कर सो गया। फिर जब सुबह उठा तो अर्चना तैयार होकर जा रही थी। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी आँखो में एक अजीब सी हवस दिखी वो मुझे देखकर हंसी मुझे थोड़ा सा अजीब लगा.. क्योंकि मैंने उसे आज तक इतना गौर से कभी भी नहीं देखा था और ऐसा लगभग 2-4 दिनों तक चलता रहा.. अब मेरा नज़रिया बदल चुका था और अब में उसे हवस भरी निगाहों से उसके पूरे बदन को देखता था। वो भी बहुत हवस में आ गई थी लगता है ब्लूफिल्म की वजह से। 







?
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#8
तभी एक दिन में उसके बारे में सोच रहा था तो मेरा लंड खड़ा हो गया और मुझे मूठ मारने का मन किया तो में अपना लोवर नीचे करके नंगा हो गया और मूठ मारने लग गया। में मूठ मारने में इतना मग्न हो गया कि पता ही नहीं चला कि मैंने गेट खुला छोड़ दिया है और ना जाने अचानक वो कहाँ से आ गई और सहमी सी खड़ी मुझे देखती रही थी। में अब झड़ने ही वाला था तो में उठा और बाथरूम में झड़ने के लिए जाने लगा.. लेकिन अचानक सामने उसे देख मेरी फट गई। वो मेरे लंड को देखे जा रही थी जैसे अभी खा जाएगी। अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा और मैंने फर्श पर ही झाड़ दिया। यह सब देख वो मुस्कुराई और मेरे पास आकर कहने लगी कि भैया आप तो बड़े छुपे रुस्तम निकले.. यह सब क्या है? और उसने मेरे गालो पर किस किया..

मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया.. उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और कहा कि भैया आज रात को आप मेरे कमरे में आ जाना.. आपको कुछ दिखना है। तभी मैंने कहा कि क्या? तो उसने कहा कि सर्प्राइज़ है और फिर वो मेरे लंड की और देखकर बोली कि आपके लंड के लिए। तभी मैंने कहा कि मैंने फर्श पर ही झाड़ दिया यह सब देखकर क्या तुम्हे अजीब सा नहीं लगा? फिर उसने कहा कि नहीं भैया.. बल्कि मुझे तो बड़ा मज़ा आया और यह कहकर उसने झड़ा हुआ माल फर्श से चाटकर साफ किया और रात को आने को कह कर चली गई और में रात होने का इंतजार कर रहा था।

फिर रात होते ही जब सब सो गए तो में उसके कमरे में गया दरवाजा खुला था और में अंदर चला गया और मैंने अंदर जाकर दरवाजा बंद कर दिया। तभी मैंने उसे देखा तो वो एक पारदर्शी नाईटी में बेड पर लेटी हुई ब्लूफिल्म देख रही थी और में बहुत हैरान था मैंने उसे आवाज़ लगाई।

में : कहाँ हो तुम अर्चना।

अर्चना : अरे भैया आ गए आप.. बड़ी देर कर दी आपने आने में.. आ जाओ बैठ जाओ बेड पर।

तभी में बेड पर बैठ गया उसने मुझे ब्लूफिल्म देखने को कहा.. में थोड़ा हैरान था। फिर उसने कहा कि क्या हुआ भैया? तभी मैंने कहा कि कुछ नहीं। उसने कहा कि तो देखो ना और हम दोनों देखने लगे। मैंने उसकी तरफ देखा तो वो बहुत गरम लग रही थी और में भी बहुत गरम था। उसने तभी टीवी बंद किया और मुझसे पूछने लगी कि में आज किस को याद करके मूठ मार रहा था। तभी उसके मुहं से ऐसी बातें सुनकर मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा और उसने कहा कि बताओ ना भैया.. क्या आप अपनी बहन को नहीं बताओगे? तभी मैंने पूछा कि तुझे ये सब कैसे पता तो उसने कहा कि इस उम्र में इतना तो चल ही जाता। फिर मैंने कहा कि तुझे याद करके तो वो थोड़ा शरमाते हुए मुस्कुराई और कहा कि क्या भैया आप भी ना.. में तो यहीं पर हूँ आपके साथ ही तो मुझे याद करके मुठ क्यों मारा करते हो? तभी मैंने कहा कि मुझे तेरा जिस्म बहुत पसंद है। फिर उसने कहा कि अगर ऐसा था तो कहा क्यों नहीं?
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#9
तभी मैंने कहा कि मुझे डर था कि कहीं तू नाराज़ होकर घर में सभी को ना बता दे इसलिए। फिर अर्चना ने कहा कि ओहो भैया आप भी ना.. इतना क्यों डरते थे? फिर मैंने कहा कि अर्चना तू मुझे बहुत पसंद है और में तुझे प्यार करना चाहता हूँ। तभी उसने कहा कि भैया तो करते क्यों नहीं हो? में भी तो कब से यही चाहती थी और उसके ग्रीन सिग्नल मिलने के साथ ही मैंने उसे बेड पर लेटाया और उसके लाल होठों को चूमना शुरू कर दिया। वो भी मेरा साथ दे रही थी। उसके होंठ एकदम गुलाब की पंखुड़ियों की तरह लग रहे थे और में उसे चूमे जा रहा और उसकी जीभ को चूस रहा था।
वो भी यह सब करके मेरा साथ दे रही थी और फिर मेरा लंड खड़ा होकर मेरे पाजामे में टेंट बन चुका था। फिर मैंने धीरे धीरे उसके कपड़े खोलने शुरू किए और उसके बूब्स को उसकी ब्रा से आजाद किया और उन्हें पकड़ कर सहलाने लगा और चूमने लगा क्या मस्त बूब्स थे उसके.. एकदम सेक्सी बड़े बड़े.. फिर में धीरे धीरे उसकी पेंटी तक पहुंचा और मैंने उसे भी खोलकर दूर हटा दिया और उसकी चूत को देखने लगा। तभी वो बोली कि क्या देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी? और फिर में अपने मुहं को उसकी चूत के पास ले जाकर मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया और जीभ से चोदने लगा।
तभी करीब दस मिनट बाद मैंने उसके दोनों पैरो को फैलाकर अपना लंड चूत पर सेट किया और अचानक से एक जोर का धक्का दिया और फिर वो जोर से चीख पड़ी। तभी मैंने अपना लंड उसकी चूत में डालकर धीरे धीरे चोदने लगा.. लेकिन वो दर्द से अपनी आंखे बंद करके मुझे जोर से पकड़कर चुपचाप पड़ी रही और कहने लगी कि भैया और जोर से चोदो मुझे.. कर दो आज मुझे पूरा.. दो मुझे आज चुदाई का पूरा मजा.. लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी और चूत से खून भी निकलने लगा था.. क्योंकि वो अभी तक वर्जिन थी। तभी में उसे स्पीड बड़ा कर चोदे जा रहा था और उसे जबरदस्त धक्को के साथ चोदने लगा और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद में उसकी चूत में झड़ गया और अपना पूरा वीर्य चूत में छोड़कर उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसके बूब्स को चूसने लगा।
फिर वो मुझे अपनी बाहों में लेकर कहने लगी कि भैया थेंक्स। आज आपने मुझे चुदना सिखा दिया.. वरना में तो बस ब्लूफिल्म देखकर ही मजे लेती रहती और फिर उसने मेरा लंड अपने मुहं में लिया और बड़े मजे से चूसने लगी। फिर उसने चूसकर पूरा लंड साफ किया और अपने कपड़े पहनने लगी। उसके बाद मैंने उसे बहुत बार चोदा और उसकी चूत के मजे लिए और उसे भी चुदाई का सही मतलब सिखा दिया ।
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भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#10
समाप्त 
















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#11
बहन के साथ बिस्तर गरम
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#12
(30-01-2024, 12:40 PM)neerathemall Wrote:
बहन के साथ बिस्तर गरम

मेरी एक बड़ी बहन कविता (मौसी की लड़की) है,. 
वो और मैं बहुत अच्छे दोस्त हैं. मेरी सारी निजी बातें उनको पता थीं और मुझे उनकी सारी बातें मालूम थीं. हम अपनी बातें हमेशा शेयर करते थे. उस वक्त मैं 18 साल का था और वो 20 साल की थीं. हम दोनों में अंडरस्टैंडिंग बहुत ही अच्छी थी. अगर मुझे कोई तकलीफ होती तो उनको तुरंत पता चल जाता था और उन्हें कुछ हो तो मुझे खबर मिल जाती थी.

एक दिन मैं उनसे फोन पर बात कर रहा था तो मुझे लगा कुछ गड़बड़ है, मैंने पूछा- दीदी क्या हुआ?
उन्होंने बताया कि मेरे भैया ने मुझे और मेरे ब्वॉयफ्रेंड को एक साथ में देख लिया. इसके बाद भैया ने उस लड़के की बहुत पिटाई की.
मैंने बोला- आपका प्यार सच्चा है क्या?
उन्होंने बोला- हां, और मैं उससे मिलना चाहती हूँ.

मैंने बोला- तो मिल लो.
दीदी बोलीं- कैसे..? भैया ने कहीं भी आने जाने को मना किया है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#13
मैंने उनसे बोला- आप नागपुर आ जाओ. फिर एक दिन उसे भी नागपुर बुला लेंगे. आप यहां पर मिल लेना, पर कुछ ही घंटे मिलने मिल पाएगा.
दीदी बोलीं- ठीक है.

फिर योजना के अनुसार दीदी नागपुर आ गईं. उन्हें देखते ही मेरे चेहरे पर एक अलग ही चमक आ गई. हालांकि मैं कभी भी उन्हें बुरी नज़र से नहीं देखता था, वो मेरी सबसे अच्छी बहन थी. वो माँ पिताजी से मिलीं और सीधा मेरे कमरे में आ गईं.
वो बोलीं- लो मैं ला गई, आगे क्या सोचा है?
मैंने बोला- वो कब आ रहा है?
दीदी ने बोला- वो कल ही आ जाएगा.
मैं- अच्छा.. और आप कितने दिन के लिए आई हो?
वो बोलीं- सात दिन के लिए.
मैं बोला- बढ़िया है.. बहुत मस्ती करेंगे.

अब हम यहां वहां की बातें करने लगे. फिर रात को खाना खा कर सोने चले गए. जैसे कि हम बचपन से ही साथ में सोते हैं, वैसे ही आज भी हम साथ में लेट गए. मैंने उनके हाथ को अपने गालों के नीचे रखा और सो गया.
दूसरे दिन योजना के हिसाब से हम घर से निकले और उसके ब्वॉयफ्रेंड को मिलने चले गए. दीदी मेरी साथ गई थीं, इसलिए कोई संदेह भी नहीं कर सकता था. वो एक गार्डन में मिले, मैंने कुछ देर उन दोनों को अकेला छोड़ दिया.
मैं दीदी से बोला- मैं बाद में आता हूँ.
मैं चार घंटे बाद गया, तब भी उनकी बातें खत्म नहीं हुई थीं. मैं बोला- अब चलो.
फिर हम दोनों घर आ गए.

आज वो बहुत खुश थीं, उन्होंने मुझको बहुत बार थैंक्स बोला.
मैं बोला- अब खुश तो हो.
दीदी बोली- बहुत..

वो ख़ुशी से कूदने लगीं, तब पहली बार मेरी नज़र उनके मचलते मम्मों पे पड़ी. वो हिल ही ऐसे रहे थे. दीदी की हाइट कुछ 5 फुट 2 इंच थी, साइज़ लगभग 34-28-30 का रहा होगा. उभरे हुए चूचे और पतली कमर गोरा रंग. मैं साढ़े पांच फुट की हाइट थी और तब जिम जाता था, तो मेरी बॉडी भी ठीक ही थी.
रात को खाना खाने के बाद हम हमेशा की तरह सोने की तैयारी करने लगे. मैंने बरमूडा और टी-शर्ट पहन लिया और दीदी ने नॉर्मली रेड सूट पहन लिया था. हम दोनों बिस्तर पर लेट गए. बहुत देर तक दीदी और मैं बातें करते रहे. बाद में हम दोनों सो गए, पर पता नहीं उसे रात मुझे क्या हुआ. उस रात मुझे कुछ अलग ही सेक्सी सपने आ रहे थे और बहुत में बेचैन हो रहा था. पर जैसे तैसे मुझे नींद लग गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#14
पर जब रात को मेरी नींद खुली तो मेरा हाथ दीदी के चूचे पे था. मैं थोड़ा सा डर गया, पर न जाने क्यों मैंने दीदी के मम्मों से हाथ नहीं हटाया. मैंने सोचा अगर एकदम से हाथ हटा लूँ, तो शायद दीदी जाग जाएंगी. मैं उन्हें वैसे ही देखता रहा, दीदी बहुत ही खूबसूरत लग रही थीं. उनका गोरा बदन उस पर रेड कलर का सूट.. और कमरे की डिम लाइट.. हाय.. क्या बताऊं क्या मस्त माल लग रही थीं, मेरी कामवासना मुझे दीदी की चुदाई के लिए कह रही थी.

ये सोचते सोचते ही पता ही नहीं चला कि मेरे हाथों ने उनके मम्मों को कब धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया. मुझे भी अच्छा लग रहा था. पर कुछ देर बाद मैंने अपने हाथ को वापस खींच लिया.

मैं बहुत देर तक दीदी के बारे में सोचता रहा. फिर मैंने सोचा केवल दबा ही तो रहा था, वैसे भी दीदी को कुछ पता नहीं चला.
मैंने फिर से दीदी के तरफ मुड़ा और थोड़ी हिम्मत करके फिर से दीदी के मम्मों पर एक हाथ रख कर धीरे धीरे दबाना शुरू कर दिया.

दीदी नहीं उठीं तो मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई. मैंने धीरे से उनके होंठों को हाथ लगाया. बड़े ही कोमल होंठ थे. मैंने फिर से दीदी के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. एकदम से दीदी मेरी तरफ पलटीं मैं डर गया, मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो जाग गई हों. पर उन्होंने केवल करवट ली और सो गईं.

मैंने फिर से मम्मों को दबाना शुरू कर दिया और अपने चेहरे को उनके चेहरे के पास ले जाकर उनके होंठों को धीरे से चूम लिया.
दीदी फिर भी सोती रहीं.

मेरी हिम्मत और अधिक बढ़ गई. मैंने धीरे धीरे उनके पूरे बदन पे हाथ फेरा, अब मेरी नींद पूरी तरह से उड़ गई और मुझे बहुत मजा आ रहा था.
अब तक तो मैं ये भी भूल गया था कि ये मेरे दीदी हैं.

मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा था. मैंने धीरे से दीदी के सूट के अन्दर हाथ डाला और उनके मम्मों को दबाना शुरू कर दिया. फिर अपने हाथ को उनके पीछे ले गया और उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. फिर मैं अपने हाथों को आगे लाकर उनके मम्मों को दबाने लगा.
बहुत देर तक दूध दबाने के बाद भी दीदी नहीं उठीं, तो मेरी हिम्मत पूरी तरह से खुल गई. मैं अपने हाथ दीदी के नीचे ले ही जा रहा था कि अचानक दीदी ने मेरे हाथों को पकड़ लिया. मुझे लगा दीदी उठ गईं, मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और सोने का नाटक करने लगा. पर मैं बहुत डर गया था, इसलिए मैं सो गया.

अगले दिन सुबह जब हम दोनों उठे, तो दीदी ने मुझे हमेशा की तरह एक हल्की सी मुस्कान दी और चली गईं. पर मैं दीदी से नज़र नहीं मिला पा रहा था. मुझे लगा दीदी को पता ही नहीं चला. क्योंकि वो हर राज की तरह ही मुझसे बात कर रही थीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#15
फिर दूसरी रात को हम कल की तरह सो गए. मेरी नींद फिर से खुल गई. मैंने फिर से हिम्मत की और पहले दिन की तरह हाथ से बढ़ा कर उनके अन्दर डाला, दूध दबाए.. पर आज मैंने हाथ नीचे नहीं ले गया. थोड़ा सा करीब हो कर उनके पजामे का नाड़ा खोल दिया. जब दीदी बेसुध पड़ी रहीं तो धीरे से अपने हाथों को पजामे से बाहर निकाल लिया.
फिर मैंने धीरे से उनका शर्ट ऊपर करना शुरू किया. उनका शर्ट मम्मों तक ऊपर लाने के बाद मैंने दीदी के हाथ पकड़ को अपने बरमूडे में डाल दिया और दीदी के पजामे को धीरे से नीचे करना शुरू किया.
तभी मैंने महसूस किया कि दीदी का हाथ मेरा लिंग को हल्का हल्का दबा रहा है. मैंने सोचा दीदी जानबूझ कर दबा रही हैं.

इसके बाद मेरी और हिम्मत बढ़ गई. मैंने धीरे से दीदी का पजामा और अंडरवियर उतार दिया. इस सब में मुझे पूरा आधा घंटा लग गया. मैंने दीदी की योनि देखी, तो देखता ही रह गया. क्योंकि आज तक मैंने केवल टीवी पे ब्लू फिल्म में ही योनि देखी थी.
अब मैंने अपना बरमूडा भी उतार दिया और दीदी के हाथों में अपना लिंग पकड़ा दिया. अपने हाथों से दीदी को अपनी ओर खींचा और उन्हें धीरे धीरे चूमना शुरू कर दिया.
मैंने महसूस किया कि चूमने में भी दीदी मेरा साथ दे रही थीं और देखते ही देखते हम एक दूसरे में डूब गए. हम एक दूसरे को जोर जोर के चूमने लगे.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#16

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#17
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#18
करीब 20 मिनट हम लोग तक चूमते रहे. अब मैं खुल कर दीदी के मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा. दीदी भी मादक सिसकारियां ले रही थीं. दरअसल हम दोनों की जवानी उफान मार रही थी. दीदी भी मुझे जोर के जकड़ लिया था.
फिर मैंने दीदी की योनि में हाथ लगाया और सहलाना शुरू किया.. तो एकदम से दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोलीं- राहुल नहीं.. बस इतना ही.. और आगे नहीं.
पर तब तक तो मेरे अन्दर हवस भर चुकी थी, मैंने दीदी से कहा- दीदी प्यार अलग है और शरीर की जरूरत अलग बात है.
फिर उसने मुझसे बोला- पर तू मेरा छोटा भाई है.
मैंने उनसे बोला- दीदी जिस्म की आग के सामने क्या बड़ा और क्या छोटा, क्या भाई और क्या बहन, क्या बाप और क्या माँ, क्या बेटा और क्या बेटी, क्या ब्वॉयफ्रेंड और क्या पति, क्या जीएफ और क्या पत्नी.. ये सब बेकार की बातें हैं. बस जिस्म तो जिस्म को ही जानता है.

दीदी की हवस भी जागने लगी थी.
मैं अपनी रौ में कहे जा रहा था- अभी हम दोनों को केवल एक शरीर की जरूरत है. मुझे एक लड़की की और आपको एक लड़के की.
उनकी हवस जागने के बावजूद भी वो समझ नहीं पा रही थीं, वो बोलीं- पर राहुल..
मैंने दीदी को रोकते हुए बोला- दीदी प्लीज़ और कुछ मत कहो.
मैं उनको जबरदस्त चूमने लगा.

कुछ देर बाद दीदी भी मुझे चूमने लगीं. मैंने धीरे से दीदी का हाथ पकड़ कर अपना लंड थमा दिया. दीदी ने भी लंड पकड़ लिया और लंड को दबाना भी शुरू कर दिया.
मैं समझ गया कि दीदी के ऊपर भी प्यार का नशा चढ़ने लगा है, मैं भी दीदी की योनि को सहलाने लगा.

अब मैंने दीदी के सूट को ऊपर से खींच कर निकाल दिया और अपने भी पूरे कपड़े उतार लिए. अब हम दोनों बिना कपड़े के थे. पर अब फिर से दीदी ने आँखें खोलीं और फिर बोलीं- राहुल ये सही नहीं है.
मैं उठा और कमरे की नाइट लाइट भी बुझा आया. मैं दीदी के कान में बोला- कविता.. मैं सौरभ हूँ.. तुम कैसी हो.

सौरभ दीदी के ब्वॉयफ्रेंड का नाम था.
दीदी बोलीं- पर तू तो राहुल है ना?
मैंने बोला- आपको मेरा चेहरा दिख रहा है क्या?
वो बोलीं- नहीं..
मैंने उनसे कहा- तो आप मुझे सौरभ ही समझ लो.

वो अचानक मुझसे लिपट गईं और भूखी शेरनी की तरह मुझे चूमने लगीं. मैंने भी पूरा पूरा साथ दिया और अपने हाथों से उनके मम्मों को खूब दबाया और योनि पर हाथ भी रगड़ने लगा. फिर धीरे से उनके गालों को किस किया.. गले पे चूमा.
दीदी कामुक सिसकारियां भर रही थीं. फिर दीदी ने मुझे नीचे किया और वो चूमने लगीं. मुझे चूमते चूमते वो नीचे की ओर आने लगीं. दीदी ने मेरे लिंग को पकड़ लिया और हल्के से किस किया. मैं झनझना गया. दीदी ने मुझे फिर से किस किया और वो ऐसा करते करते मेरे ऊपर की तरफ आ गईं. मैं भी उनको किस करने लगा और किस करते करते मैं नीचे की तरफ आ गया.
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#19


















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#20
कविता दीदी तड़पने लगीं और जोर जोर से सिसकारियां भरने लगीं. मैं उनकी योनि के पास तक पहुँचता, इससे पहले कविता दीदी ने मुझे ऊपर की तरफ खींचा और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
दीदी मुझसे बोलने लगीं- प्लीज़ करो ना.

मैंने मेरे लिंग को उनकी योनि पे रखा और डालने की कोशिश की, पर उन्हें बहुत दर्द हो रहा था.
वो वापस उठ गईं और बोलीं- सौरभ, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने उनसे कहा- डार्लिंग, थोड़ा तो दर्द होता ही है.

शायद ये उनका भी पहली बार था.. मेरा तो था ही पहली बार. मैंने उसे नीचे किया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया.
मैंने अपने लिंग को उनकी योनि पे रखा और अपने हाथों से उनके पैरों को ऊपर की तरफ खींचा. उनके हाथों को अपनी पीठ पर रखवा दिए और कहा- अगर थोड़ा भी दर्द हुआ, तो मुझे जोर से पकड़ लेना.
अब मैंने धीरे से अपने लिंग को प्रेस किया, उन्हें थोड़ा दर्द हुआ और वो बोलने लगीं- आह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ मत करो ना.
मैंने लिंग को थोड़ा बाहर निकाला और फिर से जोर से अन्दर डाला. तब भी पूरा नहीं गया. दीदी थोड़ा चिल्लाईं और मैंने जल्दी से एक बार फिर जल्दी से लिंग बाहर निकाल कर उतनी तेजी से वापस अन्दर पेल दिया.
इस बार दीदी की आँखों से आंसू निकल आए.
वो जोर से चिल्ला उठीं- आहह.. आआअहह.. सौरभ बहुत दर्द हो रहा है.

दीदी ने अपने पैने नाखून मुझे गड़ा दिए. मैं और भी जोश में आ गया. फिर मैं उन्हें झटके देने लगा.
कुछ देर बाद दीदी की चुत का दर्द खत्म हो गया और वो चिल्लाने लगीं ऊऊ.. ओहोहो.. ऊऊह.. सौरभ और करो.. तेज करो.. और तेज करो.
मैं और ज़्यादा तेज चुदाई करने लगा.

फिर
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