26-12-2023, 05:45 PM
सुबह कुडेवाले ने बेल बजाके अनुज की नींद हराम कर दी। परेशान होकर अनुज अपने गोटे खुजाते हुए बेडरूम से निकला जैसे ही उसने डस्टबिन उठाने के लिए आंख खोली तो सामने का नजारा देखकर हक्का बक्का रह गया। अनुजकी सास संगीता उसके सामने खड़ी थी। संगीता नहाकर निकली थी और सिर्फ ब्रा और पैंटी पहने खड़ी थी! अनुज संगीता की गांड़ देखकर चौक गया था! ५४ की उमर में भी संगीता की गांड़ कसी हुई लग रही थी उसे एहसास हुआ कोई पीछे खड़ा है उसने मुड़ कर देखा तो अनुज खड़ा था। दोनो एक दुसरे को देखकर चौक गए पर संगीता हिली नहीं तब firse बेल बजी और अनुज डस्टबिन उठाकर चल दिया। संगीता ने दरवाजा बंद किया और फटाफट कपड़े पहन लिए! संगीता तयार होकर बाहर आई पर अनुज तब तक बेडरूम मे जा चुका था। संगीता हमेशा अपनी बेटी प्रेरणा के घर रहने आती थी! दामाद अनुज काफी सुलझा हुआ और अच्छा लड़का था। सुखी परिवार था। २ बेडरूम के घर में एक रूम अनुज प्रेरणा का था और दूसरे रूम में आए दिन कोई न कोई मेहमान, जो आज संगीता थी। दरसल संगीता ने अचानक आने का प्लान बनाया इसलिए प्रेरणा अनुज को बोलना भूल गई थी। अनुज कल देर रात ही ऑफिस ट्रीप से लौटा था और प्रेरणा से उसकी ठीक से बात नही हुई थी। प्रेरणा सुबह सुबह जुंबा क्लास गई हुई थी तो अनुज बिलकुल ही अंजान था की उसकी सास आई हुई है! अनुज को अजीब सी हलचल हो रही थी! सास की गांड़ का गुब्बारा देख उसका लन्ड तन गया था। यहां संगीता को बेचैनी हो रही थी कि जमाई राजा ने उसे अधनंगा देख लिया वो शर्म से पानी पानी हो रही थी! अनुज अपनी रूम से निकला तो संगीता लिविंग रूम में सोफेपर बैठ अखबार पढ़ रही थी। जैसे ही अनुज आया उसने अखबार रख दिया क्योंकि उसे पता था अनुज की आदत थी अखबार पढ़ने की। संगीता उठी और उसने चाय के लिए अनुज को पूछा अनुजने उसकी तरफ देखे बिना सिर्फ हा बोला और अखबार पढ़ने लगा। संगीता को बहुत अजीब लग रहा था और डर भी लग रहा था की अगर दामाद ने प्रेरणा को बता दिया तो उसकी क्या इज्जत रह जायेगी। संगीतने सोचा दामाद को रिक्वेस्ट कर चुप रहने बोलती हूं। उसने चाय लाकर रखी और खुद चेयर पर बैठ गई। अनुज चाय की चुस्की ले रहा था। उसकी बीवी हमेशा कम चीनी डालकर चाय बनाती थी पर सास चाशनी सी चाय बनाती थी जो उसे पसंद थी। संगीताने बात शुरू करने के बहाने पूछा
संगीता: चाय ठीक बनी है?
अनुज: अरे बढ़िया बनी है चीनी जो डाली है आपने
अनुज हमेशा संगीतासे खुलके बात करता था ! उसका आए दिन आना जाना लगा रहता था तो इतनी बातचीत आम थी। पर आज संगीता को अजीब लग रहा था। अनुजको देखकर पता लग गया की उसकी सास कुछ सोच रही है!
अनुज: क्या हुआ? सब ठीक?
संगीता: हा कुछ नही!
अनुज: आप अचानक आई तो लगा कुछ बात होगी
संगीता: आपको प्रेरणा ने बोला नहीं?
अनुज: मैं कल रात उसे सरप्राईज देने आ गया पर वो सो चुकी थी तो बात नही हुई
संगीता: अच्छा! मुझे भी कुछ बोला नहीं था प्रेरणाने
अनुज: उसे ही पता न था
संगीता को समझ नही आ रहा था कैसे बात करे कि अचानक बेल बज गई। वीडियो बेल में प्रेरणा दिख रही थी संगीता को लगा अब बोल देना चाहिए नही तो प्रोब्लम हो जायेगी वो कुछ बोलती उससे पहले अनुज उठकर दरवाजे तक चला गया। प्रेरणा के अंदर आते ही अनूजने उसकी गांड़ पर हाथ फेरते हुए उसे वेलकम किया। प्रेरणा ने हजारों बार समझाने पर भी अनुज की ये आदत नही छूट रही थी! आते जाते प्रेरणा की गांड़ सहलाना उसे अच्छा लगता था प्रेरणा गुस्सा होने का नाटक करती थी पर उसे भी अच्छा लगता था। संगीता को इस चीज की आदत थी पर आज उसका दिमाग ठीक जगह नही था ! वो सोच रही थी अनुज कुछ बोलना दे। अनुजको संगीता की बेचैनी से पता चल गया था की सासुमा किस बारे में सोच रही है उसने सोचा थोड़े मजे लिए जाए।
अनुज: यार प्रेरणा बोलना चाहिए ना तुम्हारी मम्मी आई हुई है
प्रेरणा: अरे मुझे क्या पता था तुम सरप्राईज दोगे
अनुज: अगली बार ऐसे मत करना सुबह सुबह इन्हे देखकर मैं डर गया
अनुजके मुंह से यह सुनते ही संगीता के हाथ पैर ठंडे पड़ गए उसे अनुज की बोलकर धज्जियां उड़ाने की आदत पता थी। उसे लगा अब तो बेजती होगी। उसने जोर से खास कर बात रोकनी चाही पर अनुज रुका नही
अनुज: पानी पिलाओ उनको सुबह भी ऐसे ही खासकर डरा दिया मुझे मैं नींद से उठकर कूड़ा देने आया तो अचानक किचन से इनके खांसने की आवाज आई
अनुज की बात सुनकर संगीता की जान में जान आई प्रेरणा ने उसे पानी पिलाया । अनुज ने कुछ बोला नहीं ये देखकर संगीता थोड़ी रिलैक्स हो गई। अनुज के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसने सोच लिया था इस बात पे सास की खूब खिंचाई करूंगा। संगीता की गांड़ के नजारे उसे बहका रहे थे। आज वो संगीता को सास नही एक औरत की तरह देख रहा था! संगीता इस बात से अनजान थी पर उसे लगा अनुज को एक बार बोल देना चाहिए कि इस बात को भूल जाते है! प्रेरणा जुंबा क्लास के बाद नहाने गई तो ये दोनो बाहर ही लिविंग रूम मे बैठे थे। संगीता ने सोचा यही मौका है
संगीता: थैंक यू।
अनुज: किस बात का?
संगीता: सुबह वाली बात प्रेरणा को न बताने का
अनुज: कौनसी बात?
अनुज अपनी सास के पूरे मजे लेना चाह रहा था!
संगीता: वही जो आपने छुपाई
अनुज: मेरे पास कुछ नही है छुपाने को वो तो आपको करना था
ऐसा बोलकर अनुज ने हल्का सा हस दिया। संगीता को लगा उसने अब कुछ नही किया तो बात हाथसे निकल जायेगी। उसने थोड़े कड़े स्वर में अनुज को फटकार लगाई
संगीता: आप हद पार नही कर रहे?
अनुज: आप गुस्सा हो गई मजाक कर रहा था। मुझे लगा आपका सिक्रेट छुपाने का इनाम मिलेगा
संगीता: मजाक करने के लिए आपकी दोस्त नहीं हूं सास हूं याद रखें
अनुज: सॉरी यह बात भी ठीक है सास से तमीज से बात करनी चाहिए और बीवी से कुछ भी छुपाना नही चाहिए। माफ़ कर देना मुझे
ऐसा बोलकर अनुज वहा से उठकर अपने रूम में चला गया। जैसे ही अनुज रूम में आया प्रेरणा नहाकर निकली थी और मॉइश्चराइजर लगा रही थी। उसकी आदत थी नहाकर अपने मुलायम बदन पर क्रीम लगाने की। उसे नंगा देख अनुज को सुबह का नजारा याद आया। प्रेरणा की गांड़ भी संगीता जैसी ही मोटी और गुब्बेदार थी। अनुज ने उसकी गांड़ मसल कर दो करारे चमाट लगाए और प्रेरणा को बेड पर घोड़ी बना दिया। अनुजकी यह आदत प्रेरणा को पता थी इसलिए वो भी बिना कोई नाटक किए गांड़ उठाए तयार हो गई। अनुज के एकाएक चले जाने के वजह से संगीता को टेंशन हो गया कि अनुज कही प्रेरणा को कुछ बता ना दे। उसे रहा नही जा रहा था और वह अनुज और प्रेरणा के रूम की तरफ बढ़ी। रूम का दरवाजा हलकासा खुला हुआ था, संगीताने अंदर झांक कर देखा तो दिन दहाड़े अनुज प्रेरणा को पूरी नंगी करके घोड़ी बनाकर चढ़ रह था। दोनो की पीठ दरवाजेकी तरफ थी संगीता वहा से निकल ही रही थी के उसका ध्यान जमाई राजा के लन्ड पर गया। अनुज का मोटा काला लन्ड प्रेरणाको बेरहमी से ठोक रहा था। अनुज जिस तेजी से ठुकाई कर रहा था वो देखकर संगीता हैरान थी कैसे कसाई से शादी करा दी बेटी की ऐसे सोच रही थी। संगीता अपने सोच में इतनी व्यस्त हो गई के उसे ध्यान नहीं रहा अनुज पीछे मुड़कर उसको देख रहा था। जैसे ही अनुज और संगीता की आंखे मिली संगीता शर्म से झुक कर वहा से निकल गई। अपनी सास की बेशर्मी देख अनुज को जोश चढ़ गया और उसने प्रेरणा की चूत पे हम्ला कर अपना स्पीड बढ़ाया प्रेरणा झड़ने लगी पर आज अनुज रुकने का नाम नही ले रहा था। अनुज का ध्यान संगीता की तरफ था और उसीके बारे में सोचते हुए वो प्रेरणा की चूत मे झड गया। प्रेरणा जल्दी से उठकर फिर से बाथरूम मे चली गई और अनुज बेड पर लेट कर संगीता के बारे में सोच रहा था। उसे पता नही चला कब उसका लन्ड फिर से तन गया। प्रेरणा उसे देख परेशान हो गई और कहने लगी ऑफिस जाना है और नही दूंगी। अनुज सोच रहा था आज तो इसकी मां की गांड़ में डालूंगा। प्रेरणा तयार होकर ऑफिस निकली तो संगीता ने उसे रोकने की कोशिश की पर प्रेरणा की मीटिंग थी और उसे जाना जरूरी था। संगीता परेशान होकर सोच रही थी कि अब अनुज के सामने किस मुंह से जाए और यहा अनुज सोच रहा था प्रेरणा तो चली गई अब संगीता के साथ बिस्तर गर्म करूंगा। उसने ठान ली थी आज कुछ भी हो जाए संगीता को नंगा किए बिना नहीं छोड़ेगा। प्रेरणा के जाने के बाद मेड आई और अपना काम करके चली गई अब संगीता और अनुज के बीच कोई आनेवाला नही था। अनुज तो ताक लगाए बैठा था। जैसे ही मेड गई अनुज हॉल में आके बैठ गया। संगीता टीवी देख रही थी। अनुज आते ही वो उठकर दूसरे रूम मे जाने लगी तो अनुज ने उसे रोक लिया
अनुज: अरे मम्मीजी देखिए टीवी मैं तो ऐसे ही टाइमपास कर रहा हूं
संगीता: हो गया मेरा देखके और नही देखना है
अनुज: हा मैं तो भूल गया असली मूवी तो सुबह ही देखली आपने
संगीता समझ गई अनुज ठुकाई देखने की बात कर रहा है। वो कुछ बिना बोले ही वहा से चली गई। संगीता बेडरूम में जाके बैठ गई और सोचने लगी अब कैसे हैंडल करे इस बात को, सोचते सोचते संगीता सुबह वाली बात याद करने लगी। अनुज का काला मोटा लन्ड उसके आंखों के सामने आने लगा और उसके मन में अजीब सी हलचल पैदा हो गई। संगीता सोचने लगी जिस रफ्तार से अनुज उसकी बेटी की चूत चोद रहा था ऐसे कोई मेरी चूत चोदता तो मेरी जान निकल जाती। ऐसा भद्दा खयाल दिमाग में आते ही संगीता होश में आई और खुदकी बेशर्मी को कोसने लगी। उसका दिमाग उसे याद दिला रहा था वो अपने जमाई और बेटी के बारेमें सोच रही है पर उसका शरीर तो कुछ और ही कर रहा था। आज बहुत सालो बाद उसकी चूत गीली हो गई थी। अपने जमाई के मोटे लन्ड के बारे में सोच कर। संगीता को शर्म भी आ रही थी और अलग तरह की बेचैनी हो रही थी। संगीता को अपने पति से चूदे हुए बहुत वक्त गुजर चुका था। आज अचानक उसकी चूत खुजला रही थी लेकिन जमाई का लिहाज भी करना था। संगीता बहुत कुछ सोच रही थी और अनुज अपने ऑफिस के काम में लगा हुआ था तभी प्रेरणाकी कॉल आई
प्रेरणा: मम्मी अनुज कहा है कबसे फोन कर रही हू उठा नही रहा
संगीता: काम कर रहे होंगे मैं तो अंदर बैठी हू रूम में
प्रेरणा: अच्छा! मम्मी अनुज फ्री होता है तो कॉल करने बोलना मुझे लेट होगा घर आने में वही बताना था।
संगीता: लेट क्यू?
प्रेरणा: काम है मम्मी आप सिर्फ अनुज को बोल दो और उसका लंच लगा देना नही तो काम ही करते रहेगा। चलो बाय रखती हूं।
संगीता: अरे सुन तो ले।
प्रेरणा ने कॉल काट दिया और संगीता अनुज को बताने रूम से बाहर निकली। अनुज के रूम का दरवाजा खुला था और अनुज नहाकर निकला था। अनुजने सिर्फ शॉर्ट्स पहनी थी और टॉपलेस खड़े होकर डीओ लगा रहा था! अनुज रेगुलरली जिम जाता था और ये उसकी बॉडी पे साफ दिख रहा था। जमाई का कसा हुआ बदन और डीओ की खुशबू संगीता के सब्र का इम्तिहान ले रही थी। संगीता की चूत की खुजली फिर से मचलने लगी। अनुज अपने ही धुन में टीशर्ट पहन कर पीछे मुड़ा तो संगीता दरवाजेपे खड़ी थी। पहले दो बार संगीता को अनकंफर्टेबल करके जो गलती की थी अनुज को वो फिर नही करना था। अनुजने अपना तरीका बदल कर ट्राई करने का मन बना लिया था
अनुज: अरे मम्मीजी कुछ काम था?
संगीता: प्रेरणा आपको कॉल कर रही थी उसे लेट हो जाएगा रात को आने में
अनुज: अच्छा ठीक है कॉल कर लूंगा मैं नहा रहा था तो आंसर नही कर पाया कॉल।
संगीता: आप रेडी हो जाओ मैं खाना लगा रही हू।
अनुज: जी बस १० मिनिट पर एक बात बोलनी थी
संगीता ने सोचा अब ये क्या बोलेगा पर वो टाल भी नही सकती थी।
संगीता: क्या हुआ? बताइए
अनुज: वो दीदी (मेड) खाना बहुत ही बकवास बनाती है। आपके यहां से जो पापड़ आए हैं वो फ्राई कर देना प्लीज
अपने खाने की तारीफ सुनते ही संगीता खुश हो गई।
संगीता: मैने अचार भी लाया है खुद बनाकर आप आ जाइए लगा रही हू खाना
पहले ही अनुज को आधा नंगा देख संगीता मचल रही थी और अब तो अनुज उसके खाने की तारीफ कर रहा था। अनुज के आते ही संगीता ने खाना लगाया और अनुज के बोलने पर वो भी खाने बैठ गई। अनुजने अचार और पापड़ मजे से खाए ये देखकर संगीता खुश थी। खाने के बाद अनुज हॉल में बैठ गया तो संगीता उसे सौंफ देने लगी। बात शुरू करने या सही मौका जानकर अनुज शुरू हो गया
अनुज: वाह सौंफ आज तो स्वाद आ गया खाने में
संगीता: अचार ठीक बना है?
अनुज: ठीक? बढ़िया बना है आप २ बोतल भिजवा देना
संगीता: हा जरूर भेजूंगी।
संगीता खुश हो रही थी। अनुज कोई भी उल्टी सीधी बात नही कर रहा था तो उसका भी मन कर रहा था बाते करने का। संगीता अनुज के सामने ही कुर्सी पे बैठ गई। उसको देख कर अनुज समझ गया ये अब कंफर्टेबल हो रहीं है उसने बाते शुरू रखी
अनुज: और बताइए पापाजी कैसे हैं क्या चल रहा है उनका
संगीता: वो ठीक ही है उनका तो समाज कल्याण चलता रहता है अब गए है दिल्ली कुछ काम से
अनुज: अच्छा तो आप अकेली थी इसलिए यहां आ गई बढ़िया किया
संगीता: हा अकेली बोर हो जाती हूं
अनुज: सही बात है और ये भी तो आपका ही घर है।
संगीता सोचने लगी कितना अच्छा जमाई मिला है। वो कुछ बोले इससे पहले ही अनुज ने बोल दिया
अनुज: आपको सॉरी बोलना है सुबह की बात के लिए
संगीता: अरे वो तो गलती से हुआ आप भूल जाइए बात को
अनुज: मैने ऐसे बात नही करनी चाहिए थी आपसे और प्रेरणा को भी सच बता देना चाहिए उससे कोई बात छुपाता हूं तो अच्छा नही लगता।
अनुजकी बात सुनकर संगीता को अच्छा लगा की उसका दामाद बेटी से कुछ नही छुपाता पर सुबह की बात को लेकर संगीता बहुत शर्मिंदा थी और नही चाहती थी प्रेरणा को पता चले और बात आगे बढ़े। अनुज अच्छा बरताव कर रहा था तो संगीताने सोचा इसे अभी चुप रहने को बोलती हू तो बात खतम हो जायेगी।
संगीता: ये अच्छी बात है कि आप दोनो कुछ नही छुपाते पर इस बात को प्रेरणा तक न जाने दे तो सही होगा गलती थी भूल जाते है
अनुज: ठीक है आप बोल रही है तो जाने देते है। पर मैं सच में माफी मांग रहा हूं जिस तरह से बात किया वो गलत था
संगीता: दामादजी भूल जाइए कुछ बोला था मैं भूल चुकी हूं उस बात को
अनुज: थैंक यू! ये तो आपका बढ़ापन है मैने ही गलत सोचा की मेरी सास फ्रेंडली है अच्छा किया मुझे आपने याद दिलाया।
संगीता को अनुज की बाते अच्छी लग रही थी वो अब सुलझी हुई बाते कर रहा था। अनुज का उसे फ्रेंडली मानना भी उसे अच्छा लग रहा था। अनुजने बड़ी होशियारी से उसके दिमाग में यह बात डाल दी के वो फ्रेंडली हो सकता था पर संगीता की फटकार ने उसे रिश्ता याद दिलाया। संगीता को यह सुनकर थोड़ा बुरा लगा उसे लगा की दामाद अगर फ्रेंडली समझ रहा है तो अच्छी बात है।
संगीता: गलत नही है आपकी सोच पर रिश्तों में लिहाज करना पड़ता है! आप तो दामाद हो हमारे।
अनुज: जी याद रखूंगा। और फ्रेंडली नही बनूंगा ज्यादा आगे से।
संगीता: अरे आप एक ही बात लेके बैठ गए फ्रेंडली तो है हम पर आपका लिहाज नही भूल सकते।
अनुज: ठीक है चलो मान लिया आप फ्रेंडली हो
संगीता को अलग सा नशा हो रहा था फ्रेंडली शब्द सुनके वो भी दामाद के मुंह से। अनुज पूरे वक्त संगीता को ऑब्जर्व कर रहा था और उसे अंदेशा हो गया था उसके तीर सही निशाने पर चल रहे है। संगीता की चूत की खुजली और दामाद के मीठे बोल दोनो संगीता के साथ खेल खेल रहे थे। वो सोच रही थी दामाद फ्रेंडली हो रहा है तो थोड़ी बात चीत करने में कोई दिक्कत नही है।
संगीता: फ्रेंडली तो मान लोगे पर फ्रेंड तो हम उमर होते है बुड्ढे नही।
अनुज: क्या मैं बुड्ढा हू?
संगीता: क्यू मजाक कर रहे है आप मुझ बुढिया के साथ
अनुज: आपको किसने बोला की आप बुड्ढी हो?
संगीता: उसमे बोलना क्या है? मुझे नहीं पता मेरी उम्र
अनुज: अरे मम्मीजी एज इस जस्ट अ नंबर। बुढ़ापा तो सोचने की बात है। सोचो तो बुड्ढे है सोचो तो नही।
संगीता: उम्र तो दिख ही जाती है यह सब अंग्रेजी बाते बेकार है
अनुज: आपकी तो नही दिखती
संगीता: क्या नही दिखती?
अनुज: आपकी उम्र नही दिखती चले जाइए प्रेरणा के साथ कही बाहर जो जानता नही वह दीदी समझेगा आपको प्रेरणा की
अनुजसे यह सुनते ही संगीता का दिल झूम उठा उसकी गीली चूत उसके अंदर की सास पे हावी होने लगी थी फिर भी उसका दिमाग उसे याद दिला रहा था। लेकिन एक बार मन मचल गया तो गलती तो होती ही है।
संगीता: आप बिना बात मुझे अच्छा बोल रहे है मैने माफ़ कर दिया है आपको। कोई जरूरत नही है मक्खन लगाने की
अनुज: यह भी ठीक है। आपको तो झूठा लग रहा हू मै
संगीता: ऐसी बात नही है दामादजी बुरा मत मानिएगा
अनुज: मम्मीजी ऐसी बात होगी तो बुरा लगेगा ही मैने कहा था ना गलत लगा मुझे की आप फ्रेंडली हो
संगीता: आप तो जल्दी रूठ जाते हो ठीक है चलो मान ली आपकी बात
अनुज: सिर्फ बात मानी या फ्रेंडशिप भी?
संगीता शर्माकर बोली फ्रेंडशिप भी
अनुज: यह हुई ना बात! अब हम फ्रेंड्स है तो एक बात बोलूं
संगीता: बोलिए
अनुज: आप मुझे दामादजी बोलना बंद कीजिए और अनुज बोलिए
संगीता: हाय राम कैसी बात कर रहे हो दामाद को ऐसे नाम से नही बुलाते
अनुज: मेरे फ्रेंड्स तो अनुज ही बोलते है फिर तो आप सासुमा ही ठीक हो।
अनुज की यह बात अगर संगीता मान ले तो कहानी खत्म। अनुज को पता था उसने रिस्क लिया है पर उसे लग रहा था अब और खींचने का मतलब नही है अगर नही बात बनी तो बेटी की हो चोदकर मजे लेना सही है बिना बात शादी टूट जाएगी। एक और अनुज ऐसे सोच रहा था और दूसरी तरफ संगीता को फ्रेंड ही बने रहना था पर अनुज जो बोल रहा था वो उसके लिए मुश्किल था।
संगीता: आप तो बात बात पे रूठ जाते हो बच्चे की तरह
अनुज: आपको इतना हट्टा कट्टा ६ फुट का आदमी बच्चा लग रहा है
अनुज एकदम से खड़ा हो गया संगीता सामने ही बैठी थी। अनुज सच में काफी हट्टा कट्टा था और संगीता को सुबह देखा हुआ मोटा लन्ड भी याद आ गया। यह तो बिलकुल बच्चा नही है ऐसे सोचकर उसने अनुज की तरफ देखा और उसका ध्यान अनुज के बॉक्सर पर गया। सास की गांड़ में उंगली करने के खयाल से उसका लन्ड उठ रहा था। संगीता चुपके से देखकर खुश हो रही थी।
संगीता: आप बच्चे नही हो पर हरकते वैसे ही है अनुज जी।
संगीता भी मजे ले रही थी। दामाद को उसके नाम से बुलाते ही उसकी शरीर में करंट दौड़ गया। चूत की खुजली के साथ पेट मे तितलियां दौड़ने लगी। अनुज भी खुश हो गया क्युकी उसे अब पता था अगर सही दाव खेला तो सास की टांगे फैला कर कंधे पे रख सकता है।
अनुज: यह हुई ना बात।
संगीता: पर ये सबके सामने नही बोल सकती मैं
अनुज: उतनी छूट तो दे ही सकते है नई दोस्त को
संगीता: आपको सच में बुड्ढी दोस्त चाहिए थी। ही ही ही
संगीता हस रही थी पर उसे पता नही था उसकी हसी उसे कहा ले जायेगी।
अनुज: यह गलत बात है मेरी खूबसूरत दोस्त को बुड्ढी क्यू बोल रही हो आप।
अनुजके मुंह से अपने लिए खूबसूरत सुनकर संगीता के पेट की तितलियां बाहर आना चाह रही थी। अनुज अपने दाव खेल रहा था और संगीता पुरी तरह उसकी जाल में फंसे जा रही थी।
संगीता: अब तो आप हद कर रहे हो बुड्ढी नही हुई तक ठीक था
अनुज: मैं दोस्तों से झूठ नही बोलता। मुझे आप खूबसूरत लगती हो तो बोल दिया।
अनुजने फटाक से बोल दिया पर उसे लगा शायद यह गलत पड़ सकता है वो सोच रहा था क्या बोले तब तक संगीता ने कहा
संगीता: थैंक यू अनुज जी!
संगीता के थैंक्स बोलते ही अनुज का कॉन्फिडेंस दुगना हो गया। उसने बाते शुरू रखी
अनुज: वेलकम मम्मीजी। अच्छा है आपने यह बात तो मानी
संगीता: सिर्फ नए दोस्त का दिल रखने के लिए नही तो आयना है मेरे पास खूबसूरती देखने के लिए
अनुज: आप बिल्कुल बात नही मानती है चलो आपको एक डेमो देता हु फिर मानेंगी?
संगीता: कैसा डेमो?
अनुज: आपकी खूबसूरती का डेमो।
संगीता: साफ साफ कहेंगे?
अनुज: आप प्रोमिस कीजिए गुस्सा नही होंगी
संगीता: आप सीधे सीधे बताए
अनुज: आप को लग रहा है आप खूबसूरत नही हो
संगीता: हा मुझे पता है उम्र हो चुकी है मेरी
अनुज: चलिए तो एक काम करते हैं आप प्रेरणा की कोई भी साड़ी पहन ले और थोड़ा सा मेकअप कीजिए फिर देखते है
संगीता: कैसी बात कर रहे हो आप मेरी उम्र का तो सोचिए
अनुज: आप उम्र छोड़ीये और ट्राई कीजिए। आपको भी पता चलेगा मैं झूठा नही हु और साड़ी ही पहनेका बोला क्युकी आप उसीमे कंफर्टेबल भी होंगी और अच्छी भी लगेंगी। अनुज की मीठी मीठी बातों ने संगीता को सोचने पे मजबूर किया। अनुज ने ठान ली थी आज तो कुछ न कुछ होगा। उसने संगीता को ज्यादा सोचने का मौका नही दिया।
अनुज: चलिए आइए मैं बताता हु आपको कौनसी साड़ी पहननी है।
दामाद के पसंद की साड़ी पहनना यह सोचकर संगीता फुले नहीं समा रही थी। वो तुरंत उठ गई। सास का उछलना देख अनुज समझ गया अब तो यह लन्ड पर उछलेगी वो भी नंगी। अनुज संगीता को अपने रूम में ले गया और ३ –४ पार्टी वेयर साडिया संगीता के सामने रख दी। प्रेरणा हमेशा ऐसे ही साडिया पहनती थी और संगीता उसे हमेशा टोकती थी क्युकी इन साडियो में उसकी गांड़ उभर कर नजर आती थी। अनुज के सामने ऐसे जाना उसे सही नहीं लग रहा था।
संगीता: अनुज जी आपका मन रखने के लिए साड़ी पहन लूंगी पर मेरी ही साड़ी पहनूंगी
अनुज: आपको जैसे ठीक लगे। मैं ये वाली साडिया ट्राय करने बोल रहा हूं क्युकी आपकी उम्र की जो बात हो रही है वो उम्र आपके पहनावे से झलकती है। मुझे लगा एक बार कुछ मॉडर्न ट्राई करेंगी तो आपको भी पता चलेगा। पर आपको अच्छा लगना ही नही है तो ठीक है।
अनुज मुंह फुलाकर बात करके चला गया। अनुज का उतरा हुआ मुंह देखकर संगीता को अच्छा नही लगा बहुत दिनो बाद कोई उसकी तारीफ कर रहा था और ऐसे मौके पर उसे ही नाराज करना सही नहीं लग रहा था। संगीता ने सारी साडिया देखी पर उसे ब्लाउज पसंद नही आ रहा था! सारे ब्लाउज का बैक बहुत डीप था और अगर संगीता वो पहन ले तो उसकी ब्रा स्ट्रैप्स बाहर दिखेंगी और ब्रा ना पहने तो उसके मम्मे लटक जायेंगे और अनुज को शायद अच्छा न लगे! हाय राम ये क्या सोच रही है संगीता अपने ही दामाद के चूचियां अच्छी दिखाना क्यू चाह रही है। संगीता सोच में पड़ गई। अनुज बाहर इंतजार कर रहा था पर उसे लगा उसकी मेहनत बेकार रही। प्रेरणा तो लेट आने वाली थी उसने सोचा जाके बीयर ले आता हूं मूड खराब हो गया है नींद तो निकल लेगा। अनुज संगीता को कुछ बिना बोले ही निकल गया। संगीता ने सोचा एक बार अनुज को सॉरी बोल के उसका मूड अच्छा करने का ट्राई करती हूं। संगीता बाहर आई तो अनुज कही दिखा नही। संगीता का दिल बैठ गया। इतने सालो बाद किसने दिल से तारीफ करी थी और अपनी ही घिसी पीठी सोच से उस आदमी को नाराज कर दिया। संगीतने सोचा जाने देती हूं दमादसे ज्यादा फ्रेंडली होना भी सहज नही है पर उसका दिल नही मान रहा था। उसे रहा नही गया तो उसने अनुज को कॉल किया। अनुज का दिमाग खराब हो चुका था पर उसे लगा पंगे लेना सही नही होगा न चाहते हुए भी उसने कॉल उठा लिया
संगीता: दामादजी आप कुछ काम के लिए निकल गए हो क्या?
अनुज: जी सासुमा बाहर आया हु थोड़ा
संगीता: टाइम लगेगा आपको?
अनुज: नही आ जाऊंगा २० मिनिट में
संगीता: ठीक है। वो आप नही है घर पे और आपकी गाड़ी की चाबी भी यही है तो लगा दूर नही गए होंगे
अनुज सोच रहा था ये औरत अब क्यू टाइम वेस्ट कर रही है। इससे पहले वो कुछ उल्टा सीधा बोल दे उसने बहाना बना दिया।
अनुज: मुझे ऑफिस की कॉल आ रही है २० मिनिट में आ जाऊंगा।
अनुज ने कॉल कट किया और २ बीयर लेकर घर की तरफ चल दिया। चलते चलते उसे याद आया अगर गाड़ी की चाबी घर पे है तो घर की चाबी भी रह गई। बीयर हाथ में लिए अब उसे सास के सामने जाना पड़ेगा। फिर उसने सोचा अब क्या ही इंप्रेशन रखना है। अनुज के कॉल काटने पर संगीता के बहुत बुरा लग रहा था! अनुजने उसे दमादजी बोलने पर न संगीता को टोका न उसकी आवाज में कोई मिठास थी जो कुछ देर पहले तक संगीता को अच्छी लग रही थी। संगीता खुद को कोसने लगी। क्या होता अगर साड़ी पहन लेती दामाद का मन रखना तो तेरा फर्ज है और वो भी ऐसे दामाद का जो इतना प्यार से बात करता है दोस्ती करना चाह रहा था। अपनी गलती सुधारने का मौका मिल जाए तो अच्छा होगा ऐसे सोच रही थी। तभी उसे एक आइडिया आया। संगीता ने अपना बैग लाया और मैचिंग ब्लाउज ढूंढने लगी। एक ब्लाउज ठीक जा रहा था वोही साड़ी उठाके पहनने का सोचकर संगीताने अपनी साड़ी उतार दी और पेटीकोट भी खोल दिया। जैसे ही पेटीकोट नीचे गिरा संगीता ने आईने में खुद को देखा तो वो शर्म से लाल हो गई। उसकी चड्डी पे बहुत बड़ा गीला पैच दिख रहा था और ये पैच उसके
जमाई राजा के लिए था। दामाद को खुश करने के चक्कर में संगीता बेशर्म होकर सोच रही थी अगर इतने दिनो बाद कोई प्यार से तारीफ करेगा तो यह तो होना ही है।
संगीता: चाय ठीक बनी है?
अनुज: अरे बढ़िया बनी है चीनी जो डाली है आपने
अनुज हमेशा संगीतासे खुलके बात करता था ! उसका आए दिन आना जाना लगा रहता था तो इतनी बातचीत आम थी। पर आज संगीता को अजीब लग रहा था। अनुजको देखकर पता लग गया की उसकी सास कुछ सोच रही है!
अनुज: क्या हुआ? सब ठीक?
संगीता: हा कुछ नही!
अनुज: आप अचानक आई तो लगा कुछ बात होगी
संगीता: आपको प्रेरणा ने बोला नहीं?
अनुज: मैं कल रात उसे सरप्राईज देने आ गया पर वो सो चुकी थी तो बात नही हुई
संगीता: अच्छा! मुझे भी कुछ बोला नहीं था प्रेरणाने
अनुज: उसे ही पता न था
संगीता को समझ नही आ रहा था कैसे बात करे कि अचानक बेल बज गई। वीडियो बेल में प्रेरणा दिख रही थी संगीता को लगा अब बोल देना चाहिए नही तो प्रोब्लम हो जायेगी वो कुछ बोलती उससे पहले अनुज उठकर दरवाजे तक चला गया। प्रेरणा के अंदर आते ही अनूजने उसकी गांड़ पर हाथ फेरते हुए उसे वेलकम किया। प्रेरणा ने हजारों बार समझाने पर भी अनुज की ये आदत नही छूट रही थी! आते जाते प्रेरणा की गांड़ सहलाना उसे अच्छा लगता था प्रेरणा गुस्सा होने का नाटक करती थी पर उसे भी अच्छा लगता था। संगीता को इस चीज की आदत थी पर आज उसका दिमाग ठीक जगह नही था ! वो सोच रही थी अनुज कुछ बोलना दे। अनुजको संगीता की बेचैनी से पता चल गया था की सासुमा किस बारे में सोच रही है उसने सोचा थोड़े मजे लिए जाए।
अनुज: यार प्रेरणा बोलना चाहिए ना तुम्हारी मम्मी आई हुई है
प्रेरणा: अरे मुझे क्या पता था तुम सरप्राईज दोगे
अनुज: अगली बार ऐसे मत करना सुबह सुबह इन्हे देखकर मैं डर गया
अनुजके मुंह से यह सुनते ही संगीता के हाथ पैर ठंडे पड़ गए उसे अनुज की बोलकर धज्जियां उड़ाने की आदत पता थी। उसे लगा अब तो बेजती होगी। उसने जोर से खास कर बात रोकनी चाही पर अनुज रुका नही
अनुज: पानी पिलाओ उनको सुबह भी ऐसे ही खासकर डरा दिया मुझे मैं नींद से उठकर कूड़ा देने आया तो अचानक किचन से इनके खांसने की आवाज आई
अनुज की बात सुनकर संगीता की जान में जान आई प्रेरणा ने उसे पानी पिलाया । अनुज ने कुछ बोला नहीं ये देखकर संगीता थोड़ी रिलैक्स हो गई। अनुज के मन में कुछ और ही चल रहा था। उसने सोच लिया था इस बात पे सास की खूब खिंचाई करूंगा। संगीता की गांड़ के नजारे उसे बहका रहे थे। आज वो संगीता को सास नही एक औरत की तरह देख रहा था! संगीता इस बात से अनजान थी पर उसे लगा अनुज को एक बार बोल देना चाहिए कि इस बात को भूल जाते है! प्रेरणा जुंबा क्लास के बाद नहाने गई तो ये दोनो बाहर ही लिविंग रूम मे बैठे थे। संगीता ने सोचा यही मौका है
संगीता: थैंक यू।
अनुज: किस बात का?
संगीता: सुबह वाली बात प्रेरणा को न बताने का
अनुज: कौनसी बात?
अनुज अपनी सास के पूरे मजे लेना चाह रहा था!
संगीता: वही जो आपने छुपाई
अनुज: मेरे पास कुछ नही है छुपाने को वो तो आपको करना था
ऐसा बोलकर अनुज ने हल्का सा हस दिया। संगीता को लगा उसने अब कुछ नही किया तो बात हाथसे निकल जायेगी। उसने थोड़े कड़े स्वर में अनुज को फटकार लगाई
संगीता: आप हद पार नही कर रहे?
अनुज: आप गुस्सा हो गई मजाक कर रहा था। मुझे लगा आपका सिक्रेट छुपाने का इनाम मिलेगा
संगीता: मजाक करने के लिए आपकी दोस्त नहीं हूं सास हूं याद रखें
अनुज: सॉरी यह बात भी ठीक है सास से तमीज से बात करनी चाहिए और बीवी से कुछ भी छुपाना नही चाहिए। माफ़ कर देना मुझे
ऐसा बोलकर अनुज वहा से उठकर अपने रूम में चला गया। जैसे ही अनुज रूम में आया प्रेरणा नहाकर निकली थी और मॉइश्चराइजर लगा रही थी। उसकी आदत थी नहाकर अपने मुलायम बदन पर क्रीम लगाने की। उसे नंगा देख अनुज को सुबह का नजारा याद आया। प्रेरणा की गांड़ भी संगीता जैसी ही मोटी और गुब्बेदार थी। अनुज ने उसकी गांड़ मसल कर दो करारे चमाट लगाए और प्रेरणा को बेड पर घोड़ी बना दिया। अनुजकी यह आदत प्रेरणा को पता थी इसलिए वो भी बिना कोई नाटक किए गांड़ उठाए तयार हो गई। अनुज के एकाएक चले जाने के वजह से संगीता को टेंशन हो गया कि अनुज कही प्रेरणा को कुछ बता ना दे। उसे रहा नही जा रहा था और वह अनुज और प्रेरणा के रूम की तरफ बढ़ी। रूम का दरवाजा हलकासा खुला हुआ था, संगीताने अंदर झांक कर देखा तो दिन दहाड़े अनुज प्रेरणा को पूरी नंगी करके घोड़ी बनाकर चढ़ रह था। दोनो की पीठ दरवाजेकी तरफ थी संगीता वहा से निकल ही रही थी के उसका ध्यान जमाई राजा के लन्ड पर गया। अनुज का मोटा काला लन्ड प्रेरणाको बेरहमी से ठोक रहा था। अनुज जिस तेजी से ठुकाई कर रहा था वो देखकर संगीता हैरान थी कैसे कसाई से शादी करा दी बेटी की ऐसे सोच रही थी। संगीता अपने सोच में इतनी व्यस्त हो गई के उसे ध्यान नहीं रहा अनुज पीछे मुड़कर उसको देख रहा था। जैसे ही अनुज और संगीता की आंखे मिली संगीता शर्म से झुक कर वहा से निकल गई। अपनी सास की बेशर्मी देख अनुज को जोश चढ़ गया और उसने प्रेरणा की चूत पे हम्ला कर अपना स्पीड बढ़ाया प्रेरणा झड़ने लगी पर आज अनुज रुकने का नाम नही ले रहा था। अनुज का ध्यान संगीता की तरफ था और उसीके बारे में सोचते हुए वो प्रेरणा की चूत मे झड गया। प्रेरणा जल्दी से उठकर फिर से बाथरूम मे चली गई और अनुज बेड पर लेट कर संगीता के बारे में सोच रहा था। उसे पता नही चला कब उसका लन्ड फिर से तन गया। प्रेरणा उसे देख परेशान हो गई और कहने लगी ऑफिस जाना है और नही दूंगी। अनुज सोच रहा था आज तो इसकी मां की गांड़ में डालूंगा। प्रेरणा तयार होकर ऑफिस निकली तो संगीता ने उसे रोकने की कोशिश की पर प्रेरणा की मीटिंग थी और उसे जाना जरूरी था। संगीता परेशान होकर सोच रही थी कि अब अनुज के सामने किस मुंह से जाए और यहा अनुज सोच रहा था प्रेरणा तो चली गई अब संगीता के साथ बिस्तर गर्म करूंगा। उसने ठान ली थी आज कुछ भी हो जाए संगीता को नंगा किए बिना नहीं छोड़ेगा। प्रेरणा के जाने के बाद मेड आई और अपना काम करके चली गई अब संगीता और अनुज के बीच कोई आनेवाला नही था। अनुज तो ताक लगाए बैठा था। जैसे ही मेड गई अनुज हॉल में आके बैठ गया। संगीता टीवी देख रही थी। अनुज आते ही वो उठकर दूसरे रूम मे जाने लगी तो अनुज ने उसे रोक लिया
अनुज: अरे मम्मीजी देखिए टीवी मैं तो ऐसे ही टाइमपास कर रहा हूं
संगीता: हो गया मेरा देखके और नही देखना है
अनुज: हा मैं तो भूल गया असली मूवी तो सुबह ही देखली आपने
संगीता समझ गई अनुज ठुकाई देखने की बात कर रहा है। वो कुछ बिना बोले ही वहा से चली गई। संगीता बेडरूम में जाके बैठ गई और सोचने लगी अब कैसे हैंडल करे इस बात को, सोचते सोचते संगीता सुबह वाली बात याद करने लगी। अनुज का काला मोटा लन्ड उसके आंखों के सामने आने लगा और उसके मन में अजीब सी हलचल पैदा हो गई। संगीता सोचने लगी जिस रफ्तार से अनुज उसकी बेटी की चूत चोद रहा था ऐसे कोई मेरी चूत चोदता तो मेरी जान निकल जाती। ऐसा भद्दा खयाल दिमाग में आते ही संगीता होश में आई और खुदकी बेशर्मी को कोसने लगी। उसका दिमाग उसे याद दिला रहा था वो अपने जमाई और बेटी के बारेमें सोच रही है पर उसका शरीर तो कुछ और ही कर रहा था। आज बहुत सालो बाद उसकी चूत गीली हो गई थी। अपने जमाई के मोटे लन्ड के बारे में सोच कर। संगीता को शर्म भी आ रही थी और अलग तरह की बेचैनी हो रही थी। संगीता को अपने पति से चूदे हुए बहुत वक्त गुजर चुका था। आज अचानक उसकी चूत खुजला रही थी लेकिन जमाई का लिहाज भी करना था। संगीता बहुत कुछ सोच रही थी और अनुज अपने ऑफिस के काम में लगा हुआ था तभी प्रेरणाकी कॉल आई
प्रेरणा: मम्मी अनुज कहा है कबसे फोन कर रही हू उठा नही रहा
संगीता: काम कर रहे होंगे मैं तो अंदर बैठी हू रूम में
प्रेरणा: अच्छा! मम्मी अनुज फ्री होता है तो कॉल करने बोलना मुझे लेट होगा घर आने में वही बताना था।
संगीता: लेट क्यू?
प्रेरणा: काम है मम्मी आप सिर्फ अनुज को बोल दो और उसका लंच लगा देना नही तो काम ही करते रहेगा। चलो बाय रखती हूं।
संगीता: अरे सुन तो ले।
प्रेरणा ने कॉल काट दिया और संगीता अनुज को बताने रूम से बाहर निकली। अनुज के रूम का दरवाजा खुला था और अनुज नहाकर निकला था। अनुजने सिर्फ शॉर्ट्स पहनी थी और टॉपलेस खड़े होकर डीओ लगा रहा था! अनुज रेगुलरली जिम जाता था और ये उसकी बॉडी पे साफ दिख रहा था। जमाई का कसा हुआ बदन और डीओ की खुशबू संगीता के सब्र का इम्तिहान ले रही थी। संगीता की चूत की खुजली फिर से मचलने लगी। अनुज अपने ही धुन में टीशर्ट पहन कर पीछे मुड़ा तो संगीता दरवाजेपे खड़ी थी। पहले दो बार संगीता को अनकंफर्टेबल करके जो गलती की थी अनुज को वो फिर नही करना था। अनुजने अपना तरीका बदल कर ट्राई करने का मन बना लिया था
अनुज: अरे मम्मीजी कुछ काम था?
संगीता: प्रेरणा आपको कॉल कर रही थी उसे लेट हो जाएगा रात को आने में
अनुज: अच्छा ठीक है कॉल कर लूंगा मैं नहा रहा था तो आंसर नही कर पाया कॉल।
संगीता: आप रेडी हो जाओ मैं खाना लगा रही हू।
अनुज: जी बस १० मिनिट पर एक बात बोलनी थी
संगीता ने सोचा अब ये क्या बोलेगा पर वो टाल भी नही सकती थी।
संगीता: क्या हुआ? बताइए
अनुज: वो दीदी (मेड) खाना बहुत ही बकवास बनाती है। आपके यहां से जो पापड़ आए हैं वो फ्राई कर देना प्लीज
अपने खाने की तारीफ सुनते ही संगीता खुश हो गई।
संगीता: मैने अचार भी लाया है खुद बनाकर आप आ जाइए लगा रही हू खाना
पहले ही अनुज को आधा नंगा देख संगीता मचल रही थी और अब तो अनुज उसके खाने की तारीफ कर रहा था। अनुज के आते ही संगीता ने खाना लगाया और अनुज के बोलने पर वो भी खाने बैठ गई। अनुजने अचार और पापड़ मजे से खाए ये देखकर संगीता खुश थी। खाने के बाद अनुज हॉल में बैठ गया तो संगीता उसे सौंफ देने लगी। बात शुरू करने या सही मौका जानकर अनुज शुरू हो गया
अनुज: वाह सौंफ आज तो स्वाद आ गया खाने में
संगीता: अचार ठीक बना है?
अनुज: ठीक? बढ़िया बना है आप २ बोतल भिजवा देना
संगीता: हा जरूर भेजूंगी।
संगीता खुश हो रही थी। अनुज कोई भी उल्टी सीधी बात नही कर रहा था तो उसका भी मन कर रहा था बाते करने का। संगीता अनुज के सामने ही कुर्सी पे बैठ गई। उसको देख कर अनुज समझ गया ये अब कंफर्टेबल हो रहीं है उसने बाते शुरू रखी
अनुज: और बताइए पापाजी कैसे हैं क्या चल रहा है उनका
संगीता: वो ठीक ही है उनका तो समाज कल्याण चलता रहता है अब गए है दिल्ली कुछ काम से
अनुज: अच्छा तो आप अकेली थी इसलिए यहां आ गई बढ़िया किया
संगीता: हा अकेली बोर हो जाती हूं
अनुज: सही बात है और ये भी तो आपका ही घर है।
संगीता सोचने लगी कितना अच्छा जमाई मिला है। वो कुछ बोले इससे पहले ही अनुज ने बोल दिया
अनुज: आपको सॉरी बोलना है सुबह की बात के लिए
संगीता: अरे वो तो गलती से हुआ आप भूल जाइए बात को
अनुज: मैने ऐसे बात नही करनी चाहिए थी आपसे और प्रेरणा को भी सच बता देना चाहिए उससे कोई बात छुपाता हूं तो अच्छा नही लगता।
अनुजकी बात सुनकर संगीता को अच्छा लगा की उसका दामाद बेटी से कुछ नही छुपाता पर सुबह की बात को लेकर संगीता बहुत शर्मिंदा थी और नही चाहती थी प्रेरणा को पता चले और बात आगे बढ़े। अनुज अच्छा बरताव कर रहा था तो संगीताने सोचा इसे अभी चुप रहने को बोलती हू तो बात खतम हो जायेगी।
संगीता: ये अच्छी बात है कि आप दोनो कुछ नही छुपाते पर इस बात को प्रेरणा तक न जाने दे तो सही होगा गलती थी भूल जाते है
अनुज: ठीक है आप बोल रही है तो जाने देते है। पर मैं सच में माफी मांग रहा हूं जिस तरह से बात किया वो गलत था
संगीता: दामादजी भूल जाइए कुछ बोला था मैं भूल चुकी हूं उस बात को
अनुज: थैंक यू! ये तो आपका बढ़ापन है मैने ही गलत सोचा की मेरी सास फ्रेंडली है अच्छा किया मुझे आपने याद दिलाया।
संगीता को अनुज की बाते अच्छी लग रही थी वो अब सुलझी हुई बाते कर रहा था। अनुज का उसे फ्रेंडली मानना भी उसे अच्छा लग रहा था। अनुजने बड़ी होशियारी से उसके दिमाग में यह बात डाल दी के वो फ्रेंडली हो सकता था पर संगीता की फटकार ने उसे रिश्ता याद दिलाया। संगीता को यह सुनकर थोड़ा बुरा लगा उसे लगा की दामाद अगर फ्रेंडली समझ रहा है तो अच्छी बात है।
संगीता: गलत नही है आपकी सोच पर रिश्तों में लिहाज करना पड़ता है! आप तो दामाद हो हमारे।
अनुज: जी याद रखूंगा। और फ्रेंडली नही बनूंगा ज्यादा आगे से।
संगीता: अरे आप एक ही बात लेके बैठ गए फ्रेंडली तो है हम पर आपका लिहाज नही भूल सकते।
अनुज: ठीक है चलो मान लिया आप फ्रेंडली हो
संगीता को अलग सा नशा हो रहा था फ्रेंडली शब्द सुनके वो भी दामाद के मुंह से। अनुज पूरे वक्त संगीता को ऑब्जर्व कर रहा था और उसे अंदेशा हो गया था उसके तीर सही निशाने पर चल रहे है। संगीता की चूत की खुजली और दामाद के मीठे बोल दोनो संगीता के साथ खेल खेल रहे थे। वो सोच रही थी दामाद फ्रेंडली हो रहा है तो थोड़ी बात चीत करने में कोई दिक्कत नही है।
संगीता: फ्रेंडली तो मान लोगे पर फ्रेंड तो हम उमर होते है बुड्ढे नही।
अनुज: क्या मैं बुड्ढा हू?
संगीता: क्यू मजाक कर रहे है आप मुझ बुढिया के साथ
अनुज: आपको किसने बोला की आप बुड्ढी हो?
संगीता: उसमे बोलना क्या है? मुझे नहीं पता मेरी उम्र
अनुज: अरे मम्मीजी एज इस जस्ट अ नंबर। बुढ़ापा तो सोचने की बात है। सोचो तो बुड्ढे है सोचो तो नही।
संगीता: उम्र तो दिख ही जाती है यह सब अंग्रेजी बाते बेकार है
अनुज: आपकी तो नही दिखती
संगीता: क्या नही दिखती?
अनुज: आपकी उम्र नही दिखती चले जाइए प्रेरणा के साथ कही बाहर जो जानता नही वह दीदी समझेगा आपको प्रेरणा की
अनुजसे यह सुनते ही संगीता का दिल झूम उठा उसकी गीली चूत उसके अंदर की सास पे हावी होने लगी थी फिर भी उसका दिमाग उसे याद दिला रहा था। लेकिन एक बार मन मचल गया तो गलती तो होती ही है।
संगीता: आप बिना बात मुझे अच्छा बोल रहे है मैने माफ़ कर दिया है आपको। कोई जरूरत नही है मक्खन लगाने की
अनुज: यह भी ठीक है। आपको तो झूठा लग रहा हू मै
संगीता: ऐसी बात नही है दामादजी बुरा मत मानिएगा
अनुज: मम्मीजी ऐसी बात होगी तो बुरा लगेगा ही मैने कहा था ना गलत लगा मुझे की आप फ्रेंडली हो
संगीता: आप तो जल्दी रूठ जाते हो ठीक है चलो मान ली आपकी बात
अनुज: सिर्फ बात मानी या फ्रेंडशिप भी?
संगीता शर्माकर बोली फ्रेंडशिप भी
अनुज: यह हुई ना बात! अब हम फ्रेंड्स है तो एक बात बोलूं
संगीता: बोलिए
अनुज: आप मुझे दामादजी बोलना बंद कीजिए और अनुज बोलिए
संगीता: हाय राम कैसी बात कर रहे हो दामाद को ऐसे नाम से नही बुलाते
अनुज: मेरे फ्रेंड्स तो अनुज ही बोलते है फिर तो आप सासुमा ही ठीक हो।
अनुज की यह बात अगर संगीता मान ले तो कहानी खत्म। अनुज को पता था उसने रिस्क लिया है पर उसे लग रहा था अब और खींचने का मतलब नही है अगर नही बात बनी तो बेटी की हो चोदकर मजे लेना सही है बिना बात शादी टूट जाएगी। एक और अनुज ऐसे सोच रहा था और दूसरी तरफ संगीता को फ्रेंड ही बने रहना था पर अनुज जो बोल रहा था वो उसके लिए मुश्किल था।
संगीता: आप तो बात बात पे रूठ जाते हो बच्चे की तरह
अनुज: आपको इतना हट्टा कट्टा ६ फुट का आदमी बच्चा लग रहा है
अनुज एकदम से खड़ा हो गया संगीता सामने ही बैठी थी। अनुज सच में काफी हट्टा कट्टा था और संगीता को सुबह देखा हुआ मोटा लन्ड भी याद आ गया। यह तो बिलकुल बच्चा नही है ऐसे सोचकर उसने अनुज की तरफ देखा और उसका ध्यान अनुज के बॉक्सर पर गया। सास की गांड़ में उंगली करने के खयाल से उसका लन्ड उठ रहा था। संगीता चुपके से देखकर खुश हो रही थी।
संगीता: आप बच्चे नही हो पर हरकते वैसे ही है अनुज जी।
संगीता भी मजे ले रही थी। दामाद को उसके नाम से बुलाते ही उसकी शरीर में करंट दौड़ गया। चूत की खुजली के साथ पेट मे तितलियां दौड़ने लगी। अनुज भी खुश हो गया क्युकी उसे अब पता था अगर सही दाव खेला तो सास की टांगे फैला कर कंधे पे रख सकता है।
अनुज: यह हुई ना बात।
संगीता: पर ये सबके सामने नही बोल सकती मैं
अनुज: उतनी छूट तो दे ही सकते है नई दोस्त को
संगीता: आपको सच में बुड्ढी दोस्त चाहिए थी। ही ही ही
संगीता हस रही थी पर उसे पता नही था उसकी हसी उसे कहा ले जायेगी।
अनुज: यह गलत बात है मेरी खूबसूरत दोस्त को बुड्ढी क्यू बोल रही हो आप।
अनुजके मुंह से अपने लिए खूबसूरत सुनकर संगीता के पेट की तितलियां बाहर आना चाह रही थी। अनुज अपने दाव खेल रहा था और संगीता पुरी तरह उसकी जाल में फंसे जा रही थी।
संगीता: अब तो आप हद कर रहे हो बुड्ढी नही हुई तक ठीक था
अनुज: मैं दोस्तों से झूठ नही बोलता। मुझे आप खूबसूरत लगती हो तो बोल दिया।
अनुजने फटाक से बोल दिया पर उसे लगा शायद यह गलत पड़ सकता है वो सोच रहा था क्या बोले तब तक संगीता ने कहा
संगीता: थैंक यू अनुज जी!
संगीता के थैंक्स बोलते ही अनुज का कॉन्फिडेंस दुगना हो गया। उसने बाते शुरू रखी
अनुज: वेलकम मम्मीजी। अच्छा है आपने यह बात तो मानी
संगीता: सिर्फ नए दोस्त का दिल रखने के लिए नही तो आयना है मेरे पास खूबसूरती देखने के लिए
अनुज: आप बिल्कुल बात नही मानती है चलो आपको एक डेमो देता हु फिर मानेंगी?
संगीता: कैसा डेमो?
अनुज: आपकी खूबसूरती का डेमो।
संगीता: साफ साफ कहेंगे?
अनुज: आप प्रोमिस कीजिए गुस्सा नही होंगी
संगीता: आप सीधे सीधे बताए
अनुज: आप को लग रहा है आप खूबसूरत नही हो
संगीता: हा मुझे पता है उम्र हो चुकी है मेरी
अनुज: चलिए तो एक काम करते हैं आप प्रेरणा की कोई भी साड़ी पहन ले और थोड़ा सा मेकअप कीजिए फिर देखते है
संगीता: कैसी बात कर रहे हो आप मेरी उम्र का तो सोचिए
अनुज: आप उम्र छोड़ीये और ट्राई कीजिए। आपको भी पता चलेगा मैं झूठा नही हु और साड़ी ही पहनेका बोला क्युकी आप उसीमे कंफर्टेबल भी होंगी और अच्छी भी लगेंगी। अनुज की मीठी मीठी बातों ने संगीता को सोचने पे मजबूर किया। अनुज ने ठान ली थी आज तो कुछ न कुछ होगा। उसने संगीता को ज्यादा सोचने का मौका नही दिया।
अनुज: चलिए आइए मैं बताता हु आपको कौनसी साड़ी पहननी है।
दामाद के पसंद की साड़ी पहनना यह सोचकर संगीता फुले नहीं समा रही थी। वो तुरंत उठ गई। सास का उछलना देख अनुज समझ गया अब तो यह लन्ड पर उछलेगी वो भी नंगी। अनुज संगीता को अपने रूम में ले गया और ३ –४ पार्टी वेयर साडिया संगीता के सामने रख दी। प्रेरणा हमेशा ऐसे ही साडिया पहनती थी और संगीता उसे हमेशा टोकती थी क्युकी इन साडियो में उसकी गांड़ उभर कर नजर आती थी। अनुज के सामने ऐसे जाना उसे सही नहीं लग रहा था।
संगीता: अनुज जी आपका मन रखने के लिए साड़ी पहन लूंगी पर मेरी ही साड़ी पहनूंगी
अनुज: आपको जैसे ठीक लगे। मैं ये वाली साडिया ट्राय करने बोल रहा हूं क्युकी आपकी उम्र की जो बात हो रही है वो उम्र आपके पहनावे से झलकती है। मुझे लगा एक बार कुछ मॉडर्न ट्राई करेंगी तो आपको भी पता चलेगा। पर आपको अच्छा लगना ही नही है तो ठीक है।
अनुज मुंह फुलाकर बात करके चला गया। अनुज का उतरा हुआ मुंह देखकर संगीता को अच्छा नही लगा बहुत दिनो बाद कोई उसकी तारीफ कर रहा था और ऐसे मौके पर उसे ही नाराज करना सही नहीं लग रहा था। संगीता ने सारी साडिया देखी पर उसे ब्लाउज पसंद नही आ रहा था! सारे ब्लाउज का बैक बहुत डीप था और अगर संगीता वो पहन ले तो उसकी ब्रा स्ट्रैप्स बाहर दिखेंगी और ब्रा ना पहने तो उसके मम्मे लटक जायेंगे और अनुज को शायद अच्छा न लगे! हाय राम ये क्या सोच रही है संगीता अपने ही दामाद के चूचियां अच्छी दिखाना क्यू चाह रही है। संगीता सोच में पड़ गई। अनुज बाहर इंतजार कर रहा था पर उसे लगा उसकी मेहनत बेकार रही। प्रेरणा तो लेट आने वाली थी उसने सोचा जाके बीयर ले आता हूं मूड खराब हो गया है नींद तो निकल लेगा। अनुज संगीता को कुछ बिना बोले ही निकल गया। संगीता ने सोचा एक बार अनुज को सॉरी बोल के उसका मूड अच्छा करने का ट्राई करती हूं। संगीता बाहर आई तो अनुज कही दिखा नही। संगीता का दिल बैठ गया। इतने सालो बाद किसने दिल से तारीफ करी थी और अपनी ही घिसी पीठी सोच से उस आदमी को नाराज कर दिया। संगीतने सोचा जाने देती हूं दमादसे ज्यादा फ्रेंडली होना भी सहज नही है पर उसका दिल नही मान रहा था। उसे रहा नही गया तो उसने अनुज को कॉल किया। अनुज का दिमाग खराब हो चुका था पर उसे लगा पंगे लेना सही नही होगा न चाहते हुए भी उसने कॉल उठा लिया
संगीता: दामादजी आप कुछ काम के लिए निकल गए हो क्या?
अनुज: जी सासुमा बाहर आया हु थोड़ा
संगीता: टाइम लगेगा आपको?
अनुज: नही आ जाऊंगा २० मिनिट में
संगीता: ठीक है। वो आप नही है घर पे और आपकी गाड़ी की चाबी भी यही है तो लगा दूर नही गए होंगे
अनुज सोच रहा था ये औरत अब क्यू टाइम वेस्ट कर रही है। इससे पहले वो कुछ उल्टा सीधा बोल दे उसने बहाना बना दिया।
अनुज: मुझे ऑफिस की कॉल आ रही है २० मिनिट में आ जाऊंगा।
अनुज ने कॉल कट किया और २ बीयर लेकर घर की तरफ चल दिया। चलते चलते उसे याद आया अगर गाड़ी की चाबी घर पे है तो घर की चाबी भी रह गई। बीयर हाथ में लिए अब उसे सास के सामने जाना पड़ेगा। फिर उसने सोचा अब क्या ही इंप्रेशन रखना है। अनुज के कॉल काटने पर संगीता के बहुत बुरा लग रहा था! अनुजने उसे दमादजी बोलने पर न संगीता को टोका न उसकी आवाज में कोई मिठास थी जो कुछ देर पहले तक संगीता को अच्छी लग रही थी। संगीता खुद को कोसने लगी। क्या होता अगर साड़ी पहन लेती दामाद का मन रखना तो तेरा फर्ज है और वो भी ऐसे दामाद का जो इतना प्यार से बात करता है दोस्ती करना चाह रहा था। अपनी गलती सुधारने का मौका मिल जाए तो अच्छा होगा ऐसे सोच रही थी। तभी उसे एक आइडिया आया। संगीता ने अपना बैग लाया और मैचिंग ब्लाउज ढूंढने लगी। एक ब्लाउज ठीक जा रहा था वोही साड़ी उठाके पहनने का सोचकर संगीताने अपनी साड़ी उतार दी और पेटीकोट भी खोल दिया। जैसे ही पेटीकोट नीचे गिरा संगीता ने आईने में खुद को देखा तो वो शर्म से लाल हो गई। उसकी चड्डी पे बहुत बड़ा गीला पैच दिख रहा था और ये पैच उसके
जमाई राजा के लिए था। दामाद को खुश करने के चक्कर में संगीता बेशर्म होकर सोच रही थी अगर इतने दिनो बाद कोई प्यार से तारीफ करेगा तो यह तो होना ही है।