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Incest मां बेटे की चुदाई
#1
.मां बेटे की चुदाई 






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चुदाई की जो कहानियां मैं पढ़ती हूं, उन कहानियों में मुझे रिश्तों में चुदाई की कहानियां मुझे बहुत प्रभावित करती हैं। बाप-बेटी की चुदाई। मां-बेटे की चुदाई। भाई-बहन की चुदाई और दो बहनों के समलिंगी सम्बन्ध।परिवार में चुदाईयों की कहानियां मैं शुद्ध मनोरंजन की खातिर पढ़ती हूं, वरना ये अक्सर ये कहानियां सच्चाई से कोसों दूर होती हैं और केवल उन लोगों के मनोरंजन के लिए लिखी जाती हैं। वैसे मुझसे पूछो तो होना भी यही चाहिए।

इन कहानियों में लंड, चूत, फुद्दी, चूतड़, गांड, चुदाई जैसे शब्दों का प्रयोग खूब होता है और यही पढ़ने वाले को मजा भी देते हैं। कहानियां पढ़ते-पढ़ते लड़के मुट्ठ मार लेते हैं और लड़किया चूत में उंगली कर लेती हैं।

मैं तो खुद भी इन कहानियों को पढ़ते-पढ़ते अपना रबड़ का लंड चूत में डाल कर चालू कर देती हूं और कहानी भी पढ़ती रहती हूं और चूत में लंड का मजा भी लेती रहती हूं। इन कहानियों को पढ़ने का एक कारण और भी है। मैं ये कहानियां इसलिए भी पढ़ती हूं, जिससे मुझे ये मालूम पड़ सके कि कहानी लिखने वालों का इन पारिवारिक संबंधों में चुदाईयों के प्रति क्या नज़रिया है।
वैसे जिस तरीके से कहानियों में रिश्तों में चुदाई का जिक्र होता है वास्तविक जीवन में रिश्तों में चुदाई ऐसे नहीं शुरू होती। एक दिन मैं ऐसी ही कहानी पढ़ रही थी। मां बेटे की चुदाई। बड़ी अजीब सी कहानी लिखी थी लेखक ने। जिस








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Sleepy Sleepy Sleepy


जिस घर की ये कहानी थी, उस कहानी वाले घर में सब कुछ सामान्य चल रहा था।

एक दिन अचानक मां अपने बेटे के कमरे में गयी और उसका लंड चूसने लगी और बोली, “मुझे तेरी रखैल बनना है। चोद मुझे और मुझे रंडी बना दे,भोसड़ा बना दे मेरी इस चूत का। मुझे तेरे बच्चे की मां बनना है वगैरह वगैरह।”

बेटे ने पहले थोड़ी ना-नुकर की, लेकिन मां ने बेटे को चुदाई कि लिए मजबूर कर दिया। बेटे ने भी मां की चूत चूसनी शुरू कर दी और फिर उनमें चुदाई चालू हो गयी।
असल जिंदगी में चुदाई के रिश्ते ऐसे नहीं बनते।



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मैंने ऐसे परिवार चुने जिनमें बाप-बेटी, मां-बेटा, भाई-बहन, दो बहनों में रिश्ते बने और चुदाई तक पहुंच गए। रिश्तों में ऐसी चुदाईयां हुई तो जरूर, मगर अंत में हालात ऐसे बने कि उन्हें मेरे जैसे मनोचिकित्सक की शरण में जाना पड़ा। तो शुरू करते हैं किन्हीं हालातों के चलते मां-बेटे में बने चुदाई के रिश्तों की ऐसी ही एक कहानी से।

ये आगरा के एक अंसारी परिवार की कहानी है जिसमे नसरीन अंसारी और उसके बेटे असलम अंसारी के बीच चुदाई के रिश्ते पनप गए और चार साल तक चले। इस रिश्ते में अंत में हालात ऐसे बन गए कि उन लोगों को मेरी – एक मनोचिकित्सक की जरूरत आन पड़ी।




















Idea 

अब तीन दिन पहले नसरीन और असलम कानपुर पहुंच चुके थे, और एक होटल में रुके हुए थे।
मैंने दोनों से अलग-अलग बात करने का फैसला किया और नसरीन को पहले बुलाया ताकि मुझे समझ में आ सके कि आखिर दोनों मां-बेटे में ऐसा क्या हुआ है कि बेटा इस तरह से शादी के लिए इंकार कर रहा है, और हालात धमकी देने तक आ पहुंचे हैं।
नसरीन जब मेरे क्लिनिक में आई तो मुझे पहली नजर में वो निहायत ही शरीफ और एक घरेलू किस्म की औरत लगी। गोरी सुन्दर और तंदरुस्त। हल्के गुलाबी गाल, खड़ी चूचियां, भरे-भरे उभरे हुए चूतड़ और कसे हुए शरीर वाली औरत। खुद को बयालीस साल का बता रही थी मगर देखने में और शरीर के कसावट के कारण बत्तीस-तैंतीस से ज्यादा नहीं लग रही थी।
नसरीन की फाइल के हिसाब से पांच साल पहले दिल का दौरा पड़ने से नसरीन के शौहर बशीर की मौत हो गयी थी। कायदे से नसरीन की चूत में पिछले पांच साल में लंड नहीं गया था। लेकिन नसरीन के चेहरे पर फैले हुए नूर से नहीं लग रहा था कि वो एक विधवा जैसा जीवन जी रही थी, जो चुदाई के लिए तरसती रहती हैं। नसरीन को देखने से ऐसा लग रहा था कि उसे चुदाई में कहीं कोइ कमी नहीं। उसकी चुदाई नियमित भी होती थी और मस्त भी होती थी।
मैंने NGO रोशनी द्वारा भेजी फाइल को ध्यान से पढ़ा और फिरसे पूछा, “नसरीन इस फाइल से जो मैंने समझा है वो ये है कि तुम्हारे शौहर पांच साल पहले गुजर गए। तब तुम सैंतीस साल की थी, और तुम्हारा बेटा असलम उन्नीस साल का था और कालेज में था। ठीक है?”
नसरीन ने कहा “जी हां।”
मैंने बात जारी रखते हुए कहा, “उस बात को पांच साल गुजर चुके हैं और अब जब कि असलम चौबीस साल का है। तुम उसकी शादी करवाना चाहती हो, मगर वो मान नहीं रहा। यही बात है ना?”
नसरीन बोली, “जी हां।”
मैंने पूछा, “क्या कहता है, क्यों शादी नहीं करना चाहता? तुम्हें देखने के बाद मैं ये सोच सकती हूं असलम भी देखने में अच्छा सुन्दर और तंदरुस्त होगा। क्या किसी के साथ – किसी के भी साथ मतलब ‘किसी के भी साथ’ उसका कोइ प्यार-व्यार का चक्कर चल रहा है? या फिर दूर-दराज की रिश्तेदारी में या आस-पड़ोस में किसी लड़की के साथ उसके जिस्मानी रिश्ते बन चुके हैं, जिनके चलते वो शादी नहीं करना चाहता?”
नसरीन ने कहा, “नहीं डाक्टर ऐसा नहीं है, अगर ऐसा होता तो मुझे जरूर पता होता। घर में हम दो जन ही तो हैं, मैं और असलम।”
ये बोल कर नसरीन जरा असहज हुई जैसे कुछ ऐसा कह दिया हो जो नहीं कहना चाहिए था। नसरीन धीरे से बोली, “अगर ऐसी कोइ बात होती, तो मुझे पता होता। असलम मुझसे कोइ बात नहीं छुपाता।”
मैंने पूछा, “अच्छा नसरीन ये बताओ असलम के साथ तुम्हारा रिश्ता कैसा है?”
नसरीन ने कहा, “जी ठीक है, अच्छा है जैसा एक मां बेटे का होता है।”
मैंने नसरीन की आंखों में देखते हुए पूछा, “मां बेटे जैसा या औरत मर्द जैसा?”
नसरीन सकपकाई, और बोली, “जी? मैं समझी नहीं।”
मैंने नसरीन को कहा, “देखो नसरीन, मैं एक मनोचिकित्स्क हूं। लोगों के चेहरे पढ़ना, उनके दिमाग में क्या चल रहा होता है, ये जानना मेरे पेशे का हिस्सा है। तुमने बताया की तुम्हारी उम्र अभी 42 साल की है और पांच साल पहले तुम्हारे शौहर गुजर गए जब तुम 37 की थी। ठीक है?”
नसरीन बोली कुछ नहीं मगर उसने ने हां में सर हिलाया।
मैंने बात जारी रखते हुए कहा, “नसरीन मैंने रोशनी NGO की तरफ से भेजी तुम्हारी फाइल पढ़ी है। इसने मुताबिक, तुम एक शरीफ घरेलू औरत हो जिसकी दुनिया उसके घर की चार दीवारी के अंदर ही सिमटी रहती है, जिसका घर ही उसकी दुनिया होती है।”
मैंने बात जारी रखते हुए कहा, “लेकिन नसरीन, तुम्हारे चेहरे पर जो चमक और नूर है वो एक ऐसी बात की तरफ इशारा करते हैं कि तुम्हें उस चीज की कोइ कमीं नहीं जो एक विधवा औरत को होती है – चुदाई की कमी। चूत में लंड ना जाने की कमी। ऐसी औरत जो लंड और चुदाई के लिए तरसती रहती है, अक्सर वक़्त से पहले ही बूढ़ी हो जाती है। लेकिन तुम में तो ऐसी कोइ बात नहीं है। तुम तो एक दम कड़क हो और तुम्हारे चेहरे पर भी पूरा निखार है।”
मेरी ये बात सुनते ही नसरीन का चेहरा गुलाबी हो गया। नसरीन मुझसे से नजर चुराने लगी।
मैंने बात जारी रखते हुए नसरीन के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “मैं दावे के साथ कह सकती हूं नसरीन कि तुम्हारी चुदाई मस्त होती है, बढ़िया होती है, बिना किसी रूकावट के और बिना किसी डर के होती है I एक बढ़िया, तुम्हारा मनपसंद का लंड है जो तुम्हारी मनमर्जी की चुदाई करता है और मस्त तुम्हारी चूत का पानी छुड़ाता है और तुम्हें चुदाई का पूरा मजा देता है।”
नसरीन ना कुछ बोल रही थी, ना मुझसे नजरें ही मिला रही थी।
मैंने नसरीन का हाथ दबाते हुए पूछा, “अब बताओ नसरीन, कि असलम के साथ तुम्हारा कैसा रिश्ता है?”
मेरे ये कहते ही नसरीन सुबक-सुबक कर रोने लगी।
मैंने नसरीन को रोने दिया। जब नसरीन चुप हुई तो मैंने प्रभा को बुला कर दो चाय लाने के लिए बोल दिया। प्रभा चाय लेकर आ गयी। मैंने एक कप नसरीन के हाथ में दिया और बोली, “नसरीन मुझे अपने और असलम के बारे में सब कुछ साफ-साफ और तफ्सील से बताओ।
मैंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा, “नसरीन ये तो मैं अमझ चुकी हूं कि अपने बेटे असलम के साथ तुम्हारे जिस्मानी रिश्ते हैं, अब मुझे ये बताओ कि तुम्हारे असलम के साथ जिस्मानी रिश्ते कब और कैसे शुरू हुए, और कहां तक पहुंच गए? इससे मुझे ये समझने में आसानी होगी कि क्या कारण है कि असलम शादी के लिए इस तरह इनकार कर रहा है। कहीं तुम लोगो में पनप चुके ये जिस्मानी रिश्ते – चुदाई के रिश्ते ही तो इसके पीछे नहीं?
इस पर नसरीन कुछ देर चुप-चाप कुछ सोचती रही और फिर बोली, “ठीक है मैडम, मैं सब कुछ शुरू से साफ़-साफ़ बताती हूं।” नसरीन बोलने के लिए तैयार हो गयी।
मैंने नसरीन को कहा, “एक बात और नसरीन, तुम जो भी कहोगी, मैं वो रिकार्ड करूंगी। कई बार समस्या को समझने के लिए पूरी बात बार-बार सुननी पड़ती है। और ये भी हो सकता है कि तुम्हारी बात-चीत की ये टेप पूरी या इसके कुछ अंश मुझे असलम को भी सुनानी पड़े।
लेकिन हां, इस बात का एतबार रक्खो, असलम को मैं टेप का वह हिस्सा नहीं सुनाऊंगी जो मैं समझूंगी उसे, एक बेटे को नहीं सुनना चाहिए। जब तुम्हारी समस्या हल हो जाएगी, तब ये टेप मैं तुम्हें दे दूंगी या तुम्हारे सामने इसे डैमेज कर दूंगी।”



उसके अनुसार नसरीन के पति का इंतकाल हुए पांच साल गुजर चुके थे। मगर नसरीन को देख कर मुझे ऐसा नहीं लगा कि नसरीन एक विधवा का जीवन जी रही थी, बिना चूत चुदाई वाला जीवन।

नसरीन के चेहरे का नूर बता रहा था कि नसरीन की मस्त चुदाई होती थी। वो भी बिना रोक-टोक के। जब मैंने अपने मन की ये बात नसरीन को बताई, तो नसरीन फूट-फूट कर रोने लगी। मैंने नसरीन को रोने दिया। जब नसरीन का मन कुछ हल्का हुआ, तो चुप होने के बाद नसरीन अपनी कहानी सुनाने के लिए तैयार हो गयी।

मैंने टेप रिकार्डर में टेप डाली, रिमोर्ट अपने हाथ में ले लिया और नसरीन को कहा, “हां तो नसरीन शुरू हो जाओ।”

क्लिक की आवाज के साथ मैंने टेप रिकार्डर चालू कर दिया।

नसरीन एक बार बोलना शुरू हुई तो बोलती ही गयी। उसकी सारी बातें रिकार्ड हो रही थी। नसरीन की लगभग पचास-पचपन मिनट की आप-बीती ने काफी चीजें मेरे सामने साफ़ कर दी।

— नसरीन अंसारी की कहानी

नसरीन की आवाज थी, “मैं हूं 42 साल की नसरीन अंसारी, आगरा की रहने वाली। हम लोग पुश्तों से आगरा में रहते हैं। 24 साल पहले मेरी शादी हुई थी बशीर अंसारी के साथ जब मैं 18 साल कि थी। बशीर ने भी 22 ही पार किये होंगे। बशीर खिलाडियों की तरह का दिखने वाला तंदरुस्त मर्द था। ऐसा दिलकश मर्द, जैसे मर्द को हर लड़की अपने शौहर के रूप में पाना चाहती है।”

“मेरे पिता आगरा में हकीम थे, और हमारे घर का माहौल कुछ पुराने किस्म का था। लड़कियों की पढ़ाई लिखाई जरूरी नहीं समझी जाती थी। माहवारी आते ही लड़की की शादी के बारे में सोचना शुरू कर दिया जाता था। यही कारण था कि मैंने अभी कालेज जाना शुरू ही किया था कि बशीर के साथ मेरी शादी तय हो गयी।”

“उधर बशीर का परिवार खुले विचारों वाला था। मेरी सास फातिमा बेगम बड़ी ही हंसमुख औरत थी। मेरी सास ने मेरा खुल कर स्वागत किया और पहली चुदाई की रात के लिए अपने हाथों से कमरा सजाया।

“अठारह की मैं और तकरीबन तेईस-चौबीस का बशीर – चुदाई की असली और बढ़िया उम्र यही होती है।”

“पहली रात को बिस्तर पर बैठी मैं बशीर का इंतजार कर रही थी। मुझे तो इतना ही पता था कि पहली रात मर्द औरत की चूत में लंड डाल कर उसे अंदर-बाहर करता है जिसे चुदाई कहते हैं, और इस चुदाई में लड़की को जन्नत का मजा आता है।”

“मेरी भाभी ने मेरी चूत पर उगे झांटों के छोटे-छोटे बाल साफ कर दिए थे। मेरी चूत एक-दम चिकनी हुई पड़ी थी।”

“बशीर आया और मेरे पास बैठ गया। पहले मेरे हाथ को अपने हाथ में लिया और चूमने लगा। फिर मेरी चूचियों पर हाथ फेरे। इतने में ही मेरी चूत में झनझनाहट होने लगी। मेरी पहली बार चुदाई होनी थी। अब तक मैंने किसी मर्द का खड़ा लंड भी नहीं देखा था। मैं तो बस यही सोच रही थी कि बशीर का लंड कैसा होगा, जब बशीर का लंड मेरी चूत में जाएगा तो मुझे कैसा लगेगा।”

“बशीर ने कमरे की लाइट बंद कर दी, बस एक छोटा रात वाला बल्ब जल रहा था। बशीर ने धीरे-धीरे मेरे सारे कपड़े उतार दिए और खुद भी नंगा हो गया। बशीर मेरी चूचियां चूस रहा था। मुझे मजा सा आने लग गया।”

“तभी बशीर उठा और मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रख कर मेरे चूतड़ उठा दिए। मैंने सोचा क्या अब बशीर क्या करेगा? चूत में लंड डालेगा?”

“मगर बशीर ने मेरी टांगें खोली और मेरी चूत चाटने लगा। ये मेरे लिए नई बात थी। बशीर मेरी चूत के दाने को चूस रहा था और मुझे बड़ा मजा आ रहा था। चूत गीली होती जा रही थी। मुझे किसी ने नहीं बताया था कि मर्द औरत की चूत चाटते भी हैं। जैसे जोर-जोर से बशीर मेरी चूत को चूस रहा था।”

“जिस तरह से बशीर मेरी चूत चाट रहा था, लग रहा था उसे इसमें बड़ा मजा आ रहा था। उधर मैं सोच रही थी, चूत चूसने चाटने में भी भला क्या मजा?”

“अभी मैं सोच ही रही थी कि अब बशीर क्या करेगा – बशीर ने मेरे चूतड़ उठा कर खोल दिए और अपनी ज़ुबान मेरी गांड के छेद पर फेरने लगा।”

“कहां तो मैं सोच रही थी कि क्या मर्द औरत की चूत भी चूसते चाटते हैं, और यहां तो बशीर मेरी गांड के छेद पर जुबान फेर रहा था। जो भी था, मुझे इन सब में मजा बड़ा आ रहा था।”

“अब तक तो मैं यही समझती थी कि चूत चुदवाने के लिए होती है और लंड चोदने के लिए – और फिर इन चुदाईयों के दौरान ही औरत को बच्चा ठहर जाता है और फिर इस चूत में से औलाद पैदा होती है।”

“तभी बशीर उठा और लंड मेरे हाथ में पकड़ा दिया। बशीर का खड़ा मोटा गरम लंड – मेरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गयी। मैं लंड को हल्का-हल्का दबा रही थी कि बशीर ने लंड मेरे होंठों से लगा लिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या करना है।”

“बशीर ने बड़े ही धीरे से कहा, “नसरीन मुंह में लो।”

लंड? मुंह में? ऐसा भी करते हैं लोग? मगर हमें तो बचपन से ही सिखाया गया था कि शौहर जो भी कहे उसे मानना ही है।”

“बशीर ने जैसे ही कहा नसरीन मुंह में लो – मैंने लंड मुंह में ले लया। बशीर के मोटे लंड से मेरा मुंह भर गया। जाने क्या हुआ, मैंने बशीर का लंड चूसना शुरू कर दिया। बशीर के लंड में कुछ खट्टा नमकीन लेसदार सा कुछ निकल रहा था, जिसे मैं चाटती जा रही थी।”

“उधर मेरी चूत फर्रर-फर्रर करके पानी छोड़ रही थी। बशीर का लंड बांस की तरह सख्त हो चुका था।”

“बशीर ने लंड मुंह में से निकाला और मेरी चूत की तरफ चला गया। बशीर ने मेरी टांगें चौड़ी की और अपना अंगूठा मेरी चूत के दाने पर फेरा। मेरे चूतड़ अपने आप ही थोड़े से हिले।”

“बशीर ने मेरी चूत के पानी से चिकनी हुई चूत में थोड़ी थूक डाली, लंड मेरी चूत के छेद पर रख दिया। मेरी जिंदगी का वो पल आने वाला था जिसका हर लड़की बेसब्री से इंतजार करती है। मेरे शौहर का लंड मेरी चूत में जाने वाला था। मैं चुदने वाली थी। मेरी चुदाई होने वाली थी। मेरे जिंदगी की पहली चुदाई।”

“यही सोच रही थी कि कैसी होगी ये चुदाई कि बशीर ने एक झटके से लंड चूत में डाल दिया। मेरे मुंह से जो की चीख निकली “आह मर गयी मां।” मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी चूत में गरम-गरम लोहा डाल दिया हो। मुझे बड़ी दर्द हो रही थी।”

“बशीर ने मुझे पकड़ लिया और मेरी चुदाई करने लगा। मैंने तो सुना था कि चुदाई में बड़ा मजा आता है। मगर यहां तो मजे नाम की चीज ही नहीं थी, बस चूत के अंदर जलन ही जलन हो रही थी।”

“मैं मुंह दबा कर दर्द के कारण चीख रही थी, मगर इन सब से बेखबर बशीर मुझे ऐसे चोद रहा था जैसे पहली बार चूत चोदने को मिली हो। ऐसा हो भी सकता था। जब मेरी पहली चुदाई हो रही थी, तो हो सकता है बशीर की भी पहली चुदाई हो।”

“पता नहीं कितनी देर चोदा मुझे बशीर ने। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल था। बशीर अब कुछ श-कुछ बोल रहा था, “आह मेरी जान नसरीन, मजा आ रहा है, क्या टाइट चूत है। लगता है नसरीन चूत का पर्दा फट गया है। आआह… आअह… और फिर एक जोरदार आअह… “निकल गया मेरे लंड का पानी नसरीन… निकल गया तेरी चूत में” के साथ बशीर के लंड में से कुछ गरम-गरम निकला और मेरी चूत उससे भर गयी।”

“बशीर कुछ देर ऐसे ही लेटा रहा और फिर उठ कर बाहर चला गया। शायद गुसलखाने चला गया। तब कमरों के साथ जुड़े बाथरूम तो होते नहीं थे। मैं उठी, मेरी चूत में बड़ा दर्द और जलन हो रही थी। मैंने कपड़े पहने और बिस्तर पर ही बैठ गयी – लाइट भी नहीं जलाई।”

“तभी मेरी सास, फातिमा बेगम, अंदर आयी और लाइट जला कर मेरे पास बैठ गयी और मेरे सर पर हाथ फेरने लगी। फिर मेरी सास ने मुझे उठाया और बिस्तर की चद्दर देखी। चूत वाली जगह पर बहुत बड़ा खून का धब्बा था।”

“मेरी चूत का पर्दा फट गया था। अब मैं कुंवारी नहीं थी।”

“मेरी सास ने मुझे बाहों में ले लिया, जैसे कह रही हो, “बड़ा किस्मत वाला है बशीर जिसे ऐसी बिना चुदी चूत मिली।”

“मेरी सास ने मुझे कहा, “नसरीन जाओ कपड़े बदल लो मैं गरम पानी की बोतल लाती हूं – सिकाई के लिए। ये कहते हुए मेरी सास ने बिस्तर की चद्दर उठा ली और दूसरी चद्दर बिछा दी। मेरी सास गयी और तब बशीर भी आ गया।

बिस्तर पर बिछी दूसरी चद्दर देख कर मुझसे पूछा, “नसरीन ज्यादा दुःख रहा है?”

“दर्द तो मुझे हो ही रहा था। लेकिन मैं क्या बोलती? मैं चुप रही।”

“तभी मेरी सास गरम पानी की बोतल लाई और मेरे हाथ में दे कर बिना बशीर की तरफ देखे बशीर से बस इतना ही कहा, “ध्यान से बशीर।” इतना कह कर मेरी सास अपने कमरे में चली गयी।”

“अगले चार-पांच दिन बशीर ने बस मुझे चूमा, चाटा, मेरी चूत चूसी, गांड चाटी, लंड चुसवाया, मगर चुदाई नहीं की। पांच दिन बाद मेरी चूत अब ठीक थी, और बशीर का लंड मांग रही थी।”

“उस रात जब बशीर ने लंड मेरी मुंह में डाला तो मैंने लंड जोर-जोर से चूसना शुरू कर दिया और साथ ही नीचे चूतड़ हिलाने लगी। बशीर समझ गया मेरा चुदने का मन हो रहा है।”

“कुछ देर की चुम्मा चाटी के बाद जब बशीर ने मेरी चूतड़ों के नीचे तकिया रखा, तो मैंने खुद ही टांगें चौड़ी कर दी। बशीर ने फिर से मेरी चूत चूसी अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के दाने पर रगड़ा, और मेरी चूत ने फिर से फर्र-फर्र कर पानी छोड़ दिया। मुझे अब लंड चाहिए था। शर्म का पर्दा तो पहली चुदाई के बाद से ही हट गया था।”

“मैंने बस इतना ही कहा, “बशीर।”

“बशीर समझ गया मैं लंड मांग रही थी।”

“नई-नई बीवी को बशीर ने पांच दिनों से नहीं चोदा था। मेरे बशीर कहते ही बशीर ने लंड चूत पर रक्खा और एक झटका लगाया। चिकने पानी से भरी चूत में लंड रगड़ खाता हुआ अंदर बैठ गया। मुझे थोड़ी दर्द हुई, मगर दर्द से ज्यादा मजा आया।”

बशीर ने मुझे बाहों में ले किया और चुदाई चालू कर दी। दस मिनट की चुदाई के बाद मेरी चूत पूरी तरह गरम हो गयी और पानी छोड़ने को तैयार हो गयी।”

चुदाई करते-करते बोल रहा था, “मेरी नसरीन मेरी जान आआह आअह मजा आ गया। मेरी मुंह से भी हल्की मजे के सिसकारियां निकल रहीं थी आह…. बशीर… आअह… बशीर.. आआह… और तभी अपने आप मेरे चूतड़ जोर से घूमे और मेरा पानी छूट गया।”

“चुदाई का पहला असली मजा आ गया। मजा क्या था जन्नत थी। बशीर वैसे ही मेरी ऊपर लेटा रहा।”

“तभी मुझे लगा, मेरी चूत अभी भी किसी चीज से भरी हुई है। फिर मुझे समझ आया बशीर का लंड अभी भी खड़ा ही है और मेरी चूत के अंदर ही है”।

“बशीर कुछ देर लंड को चूत में हिलाता रहा। मुझे लगा मेरी चूत में फिर से कुछ हो रहा है। मेरी चूत फिर झनझनाने लगी। मेरा मन करने लगा की बशीर फिर से पहले की तरह लंड अंदर बाहर करे – मेरी चुदाई करे। मजे के मारे मैं फिर चूतड़ हिलाने लगी।”

बशीर ने मेरी कान में धीरे से कहा, “नसरीन एक बार और करूं?”

“मन तो चूत चुदवाने का मेरा कर ही रहा था। मेरा मैंने भी धीरे से “हूं” कर दिया – मतलब हां करो।”

“फिर बशीर ने मुझे कस कर अपने बाहों में जकड़ लिया और मेरी एक चुदाई शुरू कर दी।”

“इस बार की मस्त चुदाई में हम इक्ट्ठे झड़े और मुझे जो मजा आया वो जन्नत का मजा था।”

“फिर तो अगले कुछ महीने रोज हम दो बार तीन बार चुदाई करते – बस मेरी माहवारी वाले चार दिन ही छूटते थे। उन चार दिनों में भी मैं बशीर का लंड जरूर चूसती थी। बशीर थोड़ी देर की लंड चुसाई के बाद मुझ से लंड की मुट्ठ मरवा कर अपना पानी छुड़ा लेता था। लंड चुसाई में भी मुझे मजा आने लग गया था।”

“एक दिन मुझे माहवारी आई हुई थी और मैं बशीर का लंड चूस रही थी। बशीर का पानी छूटने वाला था, बशीर ने लंड मुंह से निकलना चाहा जिससे वो मुट्ठ मार कर लंड का पानी निकाल ले, मगर ना जाने क्या हुआ, मैंने बशीर को रोक दिया। मुझे लंड चूसने में इतना मजा आ रहा था कि मन कर रहा था की लंड चूसती ही जाऊं चूसती ही जाऊं।”

“तभी बशीर ने एक जोर की हुंकार ली… आआह… नसरीन निकल गया… और बशीर के लंड के पानी से मेरा मुंह भर गया।”

“बशीर ने लंड मुंह में से निकाला। मैंने भी सारा पानी मुंह से निकाल कर कपड़े से मुंह साफ़ किया और बाहर बाथरूम चली गयी।”

“पहली बार बशीर के लंड का पानी मुंह में छूटा था। मैंने बशीर का लेसदार हल्का नमकीन गरम पानी निगला तो नहीं, मगर मुझे उसमें से हल्की-हल्की मस्त कर देने वाली महक जरूर आ रही थी।”

“ये भी शादी के बाद का एक नया तजुर्बा था। पता नहीं ऐसे और कितने तजुर्बे होने बाकी थे।”

अब हम चुदाई करते वक़्त बोलने की बेशर्मी की सब हदें पार कर चुके थे। मुझे चोदते वक़्त बशीर बोला करते थे, “आआआह… मेरी जान नसरीन… ले मेरा लौड़ा… मेरी जान… ले मेरा लंड गया तेरी फुद्दी के अंदर… जड़ तक बैठ गया तेरी चूत में… ले… और ले, और ले, ले… आज तो चोद-चोद कर तेरी चूत में से झाग निकाल दूंगा।”

उधर मैं भी बोलती, “आअह… बशीर… मेरे राजा… और चोदो… और जोर से चोदो… बशीर घुस जाओ मेरी चूत में… और दबा कर चोदो बशीर… डालो पूरा लंड मेरी चूत में… निकाल ही दो आज मेरी फुद्दी में से झाग… और दबा कर चोदो मेरी चूत… आआह।”

“चुदाई ऐसे ही चलती रही और साल बाद असलम पैदा हो गया। चालीस दिन तक तो मेरी सास मेरी साथ सोती थी। चुदाई तो दूर की बार थी, इन चालीस दिनों में बशीर का मेरे पास आना भी मना था।”

“चालीस दिन के बाद मेरी सास अपने कमरे में सोने गयी और बशीर फिर से हमारे कमरे में सोने आ गया। असलम को मैंने अपने बेड के पास ही एक पालने में सुला दिया।”

“चालीस दिनों के बाद उस रात जो हम दोनों में चुदाई हुई वो शानदार मस्त चुदाई थी। चूत चुदाई का प्यासा बशीर, और उतनी ही लंड की प्यासी मैं। उस रात हम दोनों की शानदार चुदाई हुई। एक बार नहीं, दो बार नहीं, तीन बार। हर बार हम दोनों इकट्ठे झड़े।

“जब असलम एक साल का हुआ तो मेरी सास यानी असलम की दादी असलम को अपने कमरे में अपने साथ सुलाने लगी। इससे तो मेरी और बशीर की चुदाई और भी खुल कर होने लगी।”

“सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था – जिंदगी की गाड़ी हंसी खुशी चल रही थी।”

यहां नसरीन एक पल के लिए चुप हुई और फिर बोली, “मालिनी जी मैं बशीर के काम के बारे में बताना ही भूल गयी। वो भी मैं भी बता दूं। मेरी जिंदगी मैं जो भी हुआ जैसा भी हुआ वो इसी काम के कारण हुआ।”
मैंने भी हाँ में सर हिला दिया।
 
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
Good story
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