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Misc. Erotica क्या हुआ जब मैंने पहली बार किया
#1
क्या हुआ  जब मैंने पहली बार किया 







क्या हुआ जब मैंने पहली बार सेक्स किया



मैं 20 साल की हो चुकी थी और अब तक मेरा पहला किस भी नहीं हुआ था। यह मेरे लिए बहुत शर्म की बात थी। मैं चिंतित थी कि समय के साथ जब मैं और बड़ी होती जाऊंगी तो यह और भी अजीब होता जाएगा। जहां मेरे अधिकांश करीबी दोस्त नियमित तौर पर सेक्स करते थे, वहां मुझे सिर्फ महिला मित्रों को नशे की हालत में दिए गए किस के अलावा कोई अनुभव नहीं था।
इन सबके बीच फ्रेंड्स ग्रुप में टिंडर का दौर आया। सभी उस पर सक्रिय थे और मैं भी। हां, मेरे लिए बिना किसी अनुभव के उस रास्ते जाना, थोड़ा डरावना था। वहां ऐसे लोग थे, जो सीधे-सीधे सेक्स करना चाहते थे और मैं उन्हें सचमुच यह कहना चाहती थी कि पहले थोड़ी बातचीत करते हैं और हाई स्कूल के बच्चों की तरह ज़रा धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं।
खैर, अंत में मैं आर से बंगलौर में मिली। खाने के बाद जब हम एक पेड़ के नीचे बैठे तब मैं भांप चुकी थी कि बातचीत तो बस एक बहाना था। दरअसल, वह मुझे किस करने वाला था। हालांकि, मैं उससे उस हद तक जुड़ भी नहीं पाई थी फिर भी मैं तैयार थी। मैं अब अपने पहले किस में और देर नहीं करना चाहती थी।
उसके हाथ मेरे जांघों के बीच चले गए
इसके बाद वह मुझे रेस्तरां से बाहर ले गया और जब हम सड़क पर चल रहे थे तब उसने मुझे कई बार होटल रूम में चलने को कहा लेकिन मैंने हर बार मना किया। तभी उसे एक पार्क दिखा, मैं भी थोड़ा और अनुभव करने को उत्सुक थी इसलिए हम वहां चले गए। उसके हाथ सीधे मेरे जांघों के बीच चले गए।
मैंने उसे रोका लेकिन उसके हाथ फिर मेरे शर्ट पर गए। मैंने उन्हें जाने दिया लेकिन मुझे वह पसंद नहीं आ रहा था। वह मेरे स्तन को बुरे तरीके से दबोच रहा था। जैसे उन्हें खींचकर अलग कर रहा हो। मुझे दर्द हो रहा था और इसमें कुछ भी सेक्सी नहीं था। उसके हाथ फिर से मेरी जांघों के बीच गए और मैंने फिर उसे रोका। बार-बार वह यही करता रहा जबकि मैंने बोलकर भी जाहिर कर दिया था कि मुझे वह सब पसंद नहीं आ रहा था।




 
अब जब मैं 22 साल की हो गई हूं, यह मेरे लिए एक लाल झंडे का संकेत बन गया है कि एक साथी छोटी-छोटी चीज़ों में भी सहमति का महत्व समझने में सक्षम नहीं है। इस सब की राजनीति अगर नज़रअंदाज़ कर दें फिर भी मुझे ऐसी स्थिति परेशान करती है, जहां सहमति का ध्यान ना रखा जाए क्योंकि मैं खुद को उस जगह रखकर देखती हूं।





 जिस चीज़ से मेरे पार्टनर को आनंद ना मिले, मुझे वह करने में प्रसन्नता नहीं होगी। हां, यह एक लाल झंडे वाला इशारा होना चाहिए लेकिन उस समय मैं इतनी समझदार नहीं थी इसलिए मैं दोबारा उससे मिली। मुझे वह पसंद था क्योंकि वह मज़ाकिया था।
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मैं अपना पहला किस भी कर चुकी थी। टिंडर के माध्यम से मैं और पुरुषों से भी मिली लेकिन किस से आगे कभी बात आगे बढ़ी ही नहीं। मुझे लगा कि मैं अब आगे बढ़ना चाहती थी लेकिन मैं यह भी मानती हूं कि इसके पीछे मेरा रवैया अभी भी वैसा ही था। बस अब यह करके देख लेना चाहिए, देख लेना चाहिए कि यह सब होता कैसे है ताकि मैं आगे के लिए तैयार रहूं। मुझे नहीं लगता कि यह पूरी तरह से बेवकूफी वाली सोच थी। कभी-कभी आप इंतज़ार करना चाहते हैं और कभी-कभी बस सीखने-समझने के लिए कुछ चीज़ें कर जाते हैं। यह सब आप पर निर्भर करता है। 
मैं चाहती थी कि सब कुछ धीरे-धीरे हो
मैंने महसूस किया कि इस परीक्षण प्रक्रिया के साथ मैं पूरी तरह से सहज नहीं थी। 




सच कहूं तो भले ही मैं शर्ट और पैंट उतरने के बाद जो चीज़ें होती हैं, उसके लिए तैयार थी लेकिन मेरी इच्छा थी कि सब कुछ धीरे-धीरे आगे बढ़े। कोमलता से एक दूसरे के स्पर्श और शरीर के अन्वेषण में डूबते हुए। जब हम होटल के कमरे में घुसे, उसने बिना देर किए मेरी शर्ट और ब्रा खोल दी।



यह ऐसा जोश था जिससे मैं जुड़ नहीं पा रही थी। वह मेरे लिए नया था। मैंने उससे कितनी बार कहा था कि मैं बिल्कुल धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहती थी। उसने मेरा हाथ पकड़कर कहा भी कि हां, ठीक है। फिर कुछ देर की यौन संलग्नता के बाद वापस वह मेरी पैंटी खोलने लगा। मैंने जब मना किया तो उसने मुंह घुमाकर और नाक-भौं चढ़ाकर कहा, “ओह, मैं शायद बहुत बदसूरत हूं इसलिए तुम अब यह सब और नहीं करना चाहती हो।”








आज मुझे अफसोस होता है कि मैंने उसी समय उसे क्यों नहीं डांटा लेकिन पता नहीं, उस समय मैं इतनी परेशान और घबड़ाई हुई थी कि मैंने एक ऐतिहासिक डायलॉग का सहारा लिया, जो वास्तव में सच था। मैंने कहा, “तुम नहीं, इसकी वजह मैं हूं।” लेकिन उसने अपना नाटक जारी रखा और आखिर में मैंने हार मान ली।


मेरी पैंटी नीचे आ 

 उस समय तक मैं इतनी उलझी और घबराई हुई थी कि मुझे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था। अब यह स्पष्ट था कि यह सब मेरे लिए बिल्कुल सेक्सी नहीं था और अब तक तो उसे भी यह स्पष्ट हो जाना चाहिए था। मैं आज भी शर्मिंदा महसूस करती हूं कि मैंने इतनी आसानी से क्यों हार मान ली लेकिन समय के साथ मैंने खुद को यह सब ना समझ पाने के लिए माफ करने की कोशिश की है।





जब मैंने हाल ही में एक लड़की द्वारा अजीज़ अंसारी के साथ उसके सबसे बुरे डेट की कहानी पढ़ी, तो रो पड़ी। मैं रोई जब उसने उस समय का वर्णन किया जहां अजीज़ उसे धकेलकर अपने शिश्न तक ले जाता था। मैं इस बात पर रोई कि ना चाहते हुए भी उसे मुख मैथुन देना पड़ा था। इन सब के बाद मैंने अपनी दोस्त को मैसेज भेजा, “मुझे पुरुषों से नफरत है।”
ऐसा इसलिए क्योंकि आर. के साथ मुझे भी ऐसा ही महसूस होता था। मैं इसमें कुछ हद तक शामिल ज़रूर थी लेकिन ऐसा लगता था कि उसके लिए सेक्स ही ज़रूरी था। उसे कोई मतलब नहीं था कि मैं कैसा महसूस करती हूं। रातभर वह मेरे हाथ अपने शिश्न की ओर खींचता रहता था। भले ही उसे छूने का मेरा मन ना हो। मेरे सिर को धक्का देकर नीचे ले जाता था, जबकि मैं वहां नहीं जाना चाहती थी। मैं गीली नहीं होती थी तो वह चिकनाई का इस्तेमाल करता था और मेरे दर्द को नज़रअंदाज़ करते हुए मेरे अंदर घुस जाता था।
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उस रात के बाद मैं किसी पुरुष से नहीं मिलना चाहती थी। सेक्स की जो तस्वीर मेरे मन में बन चुकी थी, वह मुझे पसंद नहीं आ रही थी। मैं मानती हूं कि कुछ समय के लिए मुझे खुद से ही घृणा हो गई थी। खासकर जैसे-जैसे मैंने महसूस किया कि कैसे वह मुझे सेक्स के लिए मजबूर करता था, मुझे लगा कि अगर मेरी जगह मेरे दोस्त होते तो जब पहली बार यह कहते हुए उसने रोना-धोना शुरू किया था,“ओह, तुम आगे नहीं बढ़ना चाहती क्योंकि मैं बदसूरत हूं।” तभी उसे छोड़कर निकल पड़ते। इस अनुभव से मुझे यह सीख मिली कि आप कितना क्या चाहते हैं, उसके बारे में ज़रूरत से ज़्यादा स्पष्ट होना ही बेहतर है।
ऑनलाइन डेटिंग के युग में आकस्मिक संबंधों के प्रति खुले रहने का एक दबाव है। मुझे लगता है कि आकस्मिक रिश्तों की परिभाषा, जो कि ज़्यादातर टिंडर के माध्यम से मिले पुरुष समझ पाते हैं, वह लगभग भावनाहीन है और मुझे इससे परेशानी होती है। इस संदर्भ में किसी भी तरह का स्नेह दर्शाना भयानक माना जाता है लेकिन पता है, मुझे एहसास हो चुका है कि इस तरह के आकस्मिक रिश्ते मैं नहीं बना सकती हूं। मैं बस किसी को अपना बॉयफ्रेंड बुलाने के लिए रिश्ता नहीं बनाती हूं। मुझे देखभाल और स्नेह की खोज रहती है और मैं यह सच मानने में कोई शर्म नहीं महसूस करती हूं।
अब एक छोटी सी सकारात्मक कहानी के साथ मैं यह टॉपिक बंद करूंगी। मुझे किसी और से मिलने में 2 साल लगे। इस बीच मेरे कुछ छोटे-मोटे अफेयर हुए मगर मैं उन्हें लेकर कभी बिस्तर तक नहीं गई लेकिन इस व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध भी दैविक था।





यह ऐसा अनुभव था जिसे बयान करने के लिए शब्द कम पड़ रहे थे। मैं उसे मेरे हाथ और मेरे मुंह से हर जगह छूना चाहती थी। कभी-कभी दरवाज़ा बंद होने के साथ ही मैं चाहती हूं कि मिनटों में वह मेरे कपड़े उतार दे। मुझे उसका शिश्न छूना और उसे मुख मैथुन देना, दोनों ही पसंद हैं।
हालांकि आर. के दो साल बाद तक मुझे लगा था कि मुझे इस चीज़ से हमेशा नफरत ही रहेगी लेकिन मुझे उसका हर जगह छूना भी पसंद है। बिस्तर में सब कुछ एक अन्वेषण सा लगता था। एक दूसरे के शरीर के रहस्य कि कहां किसे गुदगुदी होती है, कहां तिल है, कहां जन्म चिन्ह है और गर्दन के किस भाग को चूसने से सबसे ज़्यादा आनंद आता है आदि।





मुझे लगता है कि बिस्तर में मुझे हमेशा से इसी चीज़ की तलाश रही है और रहेगी। एक सह-अन्वेषण जहां आमोद-प्रमोद से यह पता चले कि उसके छूने से या खुद को खुद ही छूने से क्या हो सकता है। अब सेक्स का मतलब तो मेरे लिए यही है। मुझे अफसोस नहीं है कि मैंने आर आर. के साथ वह सब हो जाने दिया।
मुझे उस अनुभव से काफी कुछ सीखने के लिए मिला। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि अब मुझे अच्छे से पता है मुझे क्या चाहिए। मैंने जाना है कि वास्तव में मुझे सेक्स की परवाह नहीं है, अगर सामने वाला व्यक्ति मुझे बस मुख मैथुन देने की मशीन समझे। उन्माद के पलों से ज़्यादा मेरे लिए वह महत्वपूर्ण है, जिससे मैं उत्तेजित हो सकूं। हम एक दूसरे को जान सकें, सहयोग दे सकें और समझ सकें।

Quote:हमने सेक्स की प्रक्रिया शुरू कर दी, जैसा कि हम हर बार मिलने पर करते हैं। पता नहीं मेरे दिमाग में क्या आया और अचानक ही मुझे उसे यह बताने कि तीव्र इच्छा हुई कि मैं उसे कितना प्यार करती हूं।



जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
क्या हुआ दोस्त के साथ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
(11-10-2023, 10:00 AM)neerathemall Wrote: fight क्या हुआ दोस्त के साथ
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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