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Adultery रिक्शेवाले का मोटा लौड़ा - स्कूल गर्ल की कच्ची चूत // raviram69
#1
Heart 
दोस्तों ! नमस्कार !
मैं कई कहानियां literotica dot com (किन्ही कारणों से ) अलग अलग नाम से पोस्ट की थी (जैसे की masterji1970, seksyseema, seemawithravi, raviram69 आदि), जो की मैं इस BIG PLATFORM पर पोस्ट करने जा रहा हूँ //

आपसे सहयोग की उम्मीद से ...

आपका

// सुनील पण्डित //
(suneeellpandit) [Image: horseride.gif] [Image: announce.gif]

सब रिक्शेवाले कमीने
सब रिक्शेवाले कमीने

प्रेषक : रविराम69 © (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+.
This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
=====================================================
// कैसे एक रिक्शे वाले ने एक लड़की की नयी नयी चूत का बाजा बजाया //
=====================================================

Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

Now Story : अब कहानी:
===========
एक गर्ल्स स्कूल के सामने दो रिक्शेवान खड़े होकर बतिया रहे थे।

"स्कूल में छुट्टी होने वाली है..."-एक रिक्शेवान बोला।

"सुबह से बोहनी नहीं हुई....शायद भाड़ा मिल जाय....."-दूसरा बोला।

"भाड़ा मिले न मिले लौंडिया तो देखने को मिलेगी।...."

"कल तू क्यों नहीं आया था?....एक कन्टास माल मिली थी।....दूध की तरह गोरी-गोरी टाँग.....उसके घर के सामने ही

मूतने के बहाने मूठ मारा था।"

"कल मेरी साली जाने वाली थी तो सोचा क्यों न रगड़ दूँ...."

"तो....रगड़ दिया...."


"सोच तो यही रहा था....लेकिन साली के नखरे बहुत हैं....बोल रही थी मैं किसी रिक्शेवाले को नहीं दूँगी....मन तो कर रहा

था वहीं लिटाकर उसकी गाड़ चोद दूँ लेकिन बीवी थी इसलिये बच गई बहन की लौड़ी...."

"तो....कुछ तो किया ही होगा..."

"ऐसे कैसे छोड़ देता.....चूची इतनी कस के मीजा है कि एक महीना मुझे याद करेगी...."

"जियो शेर.....और नीचे वाले में ऊँगलीबाजी नहीं की..."

"मन तो कर रहा था 5 कि पाँचों घुसा दूँ लेकिन फिर भी 3 तो घुसेड़ कर ही माना......"

"तेरी जगह मैं होता तो लिटाकर चाप दिया होता साली को......वो मर्द ही क्या जो हाथ में आई चूत को छोड़ दे...."

"घर में बीवी नहीं होती तो बचने वाली कहाँ थी......लेकिन शादी से पहले तो बोरी (चूत) में छेद करके ही मानूँगा..."

"ये हुई न मर्दो वाली बात......."

तभी घंटी बजी।

यानि छुट्टी हो गई थी।



नीले चेकदार स्कर्ट और सफेद शर्ट में हाई स्कूल व इंटर की लड़कियाँ निकलने लगीं।

ऐसा लग रहा था जैसे पूरा भेड़ो का झुंड ही भागता चला आ रहा हो।

सारी लड़कियाँ अच्छे घरों की थी इसलिये गोरी, मोटी और चिकनी टांगें देख-देख कर

सारे रिक्शावालों का लौड़ा फन्नाने लगा।

सब कि सब एक से एक कन्टास थी। अगर छाँटने को कहा जाय तो जो भी हाथ में आ जाय वही बेहतर।

"साली क्या खाती हैं ये सब........एक दम दूध मलाई की तरह चिकनी..."

"सब ताजा-ताजा जवान हुई मुर्गियाँ हैं......नरम गोस्त है अभी....पकड़ के दबोच लो तो खून फेंक दें......"

"गाँड़ देख सालियों की.....एकदम चर्बी से लद गई है.......जिसके हत्थे चढ़ेगीं छेदे बिना नहीं छोड़ेगा...."

तभी एक मस्त कुँवारी कच्ची लड़की एक के पास आकर बोली-

"भइया, मिश्रा कालोनी चलने का क्या लोगे?"

लड़की के आते ही दोनों की भाव-भंगिमायें ऐसी हो गई मानों दुनिया के सबसे शरीफ इंसान वही हो।

"जो समझ में आये दे देना अब आप लोगों से क्या माँगें"- शराफ़त से उसने बोला तो लेकिन लड़की की चूचियों का उभार

और उसकी तन्नाई हुई नुकीली चोच देखकर उसका लौड़ा चड्ढी में लिसलिसाने लगा था।

"नहीं पहले भाड़ा बोलो तब बैठूंगी....बाद में आप 10 का 20 मागो तो...."

"अच्छा चलो 15 दे देना......"

लड़की ने दूसरे रिक्शेवाले से पूछा-

"भइया...आप कितना लोगे?"

अभी तक दोनों में बड़ा याराना लग रहा था लेकिन लड़की के सामने आते ही दोनों मानों कटखने कुत्ते की तरह एक दूसरे

को देखने लगे थे।

"अब बेवी जी आप से क्या मोल-तोल करें...10 ही दे दीजियेगा......सुबह से बोहनी नहीं हुई आप के

हाथों से ही बोहनी कर लूँगा......"

लड़की झट से उस रिक्शेवाले के रिक्शे पर बैठ गई।
पहला वाला उसे जलती निगाहों से घूरता रहा।

पर दूसरे वाले की तो बल्ले-बल्ले निकल पड़ी थी।

इधर रास्ते में-

"अच्छा हुआ बेवी जी आप उसके रिक्शे में नहीं बैठी..."

"क्यों?"-लड़की ने पूछा।

"अरे वो बहुत कमीना है......"

"मतलब....."-लड़की की दिलचस्पी कुछ बढ़ी।

"कैसे कहे आपसे?.......आपको बुरा लग सकता है।"

लड़की कुछ देर सोचती रही।

30 मिनट के इस सफर में बोर होने से अच्छा था कि रिक्शेवाले की चटपटी बातें ही सुनी जाए।

"बताओ तो क्या हुआ....."

"अरे वो लड़कियों से बदतमीज़ी करता है..."

"किस तरह की बदतमीज़ी....."

ये वो उमर होती है जब लड़कियों को बदतमीज़ी शब्द सुनकर ही गुदगुदी हो जाती है।"

"अरे वो लड़कियों को लेकर बहुत गंदा-गंदा बोलता है....."

"क्या बोलता है?"

"आप लोगों को देखकर बोलता है क्या माल है यार.......बस एक बार मिल जाय...."

लड़की हल्के से फुसफुसाकर हंस पड़ी।

"मैं सच कह रहा हूँ बेवी जी....भगवान कसम.....इससे भी गंदी-गंदी बातें बोलता है..."

रिक्शेवान को लग रहा था कि लड़की चालू टाइप की है। इसलिये वो जानबूझकर मजा ले रहा था।

"पूरी बात बताओ न क्या-क्या बोलता है?...."

"अब जब आप इतना कह ही रही है तो बोल ही देता हूँ...."-रिक्शेवाले का लौड़ा चड्ढी में फनफनाने लगा-"...बोल रहा था
कि कितनी चिकनी-चिकनी हैं जैसे जवान मुर्गी......"

"अच्छा......सच में बहुत कमीना है..."-लड़की भी मस्त होकर सुन रही थी।

"अरे इतना ही नहीं......कह रहा था इनकी उस पर कितनी चर्बी चढ़ गई है...."

"किस पर?"-लड़की ने जानबूझकर रिक्शेवाले को बढ़ावा दिया।

"अब आपके सामने नाम कैसे ले?"


"तुम बताओ ताकि पता तो चले कि वो कितना कमीना है....."- लड़की की धड़कने बढ़ने लगीं थीं।

न जाने रिक्शावान क्या बोले।

"बात तो सही है आपकी...जब तक आपको बताउंगा नहीं तब तक आप जानेगीं कैसे कि कितना बड़ा कमीना है........बोल

रहा था कि आप लोगों की गाँड़ पर कितनी चर्बी चढ़ गई है।"


लड़की का हँसने का मन कर रहा था लेकिन किसी तरह उसने कंट्रोल किया।

नासमझ बनने का नाटक करती हुई बोली- "ये क्या होता है?"

रिक्शेवाले को लगा की अंग्रेजी पढ़ने वाली लड़कियों को क्या पता की गाँड़ क्या होता है। इसलिये वो मस्ती से बताने लगा-

"अब आप लोग अंग्रेजी में पता नहीं क्या बोलती है लेकिन हम लोग उसे गाँड़ ही बोलते हैं....."

"किसे?" -लड़की ने और बढ़ावा दिया। उसे ये सब सुनकर काफी मजा आ रहा था।

"अरे वहीं जहाँ से आप लोग पादती हैं....."

"शिट....."-लड़की को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रिक्शेवाला इतना खुला-खुला बोल देगा-

"....आप लोग करते होंगे

हम लोग नहीं करते इतना गंदा काम......"

लड़की की बात सुनकर रिक्शेवाले का लौड़ा फनफना गया था। चड्ढी के अंदर एकाध बूँद माल भी चूँ गया था। उसे तो

अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी।

"अब झूठ न बोलिये बेवी जी.......पादती तो आप भी होगी......हमारे सामने कहने से शर्मा रही हैं.....भला गाँड़ है तो पाद

निकलेगी ही....इसमें शर्माने की क्या बात है...."

"ये सब काम गंदे लोग करते हैं........हम लोग नहीं...."

लड़की की गाँड़ डर के मारे सच में चोक लेने लगी कि कहीं वो सच में ही न पाद निकाल बैठे और रिक्शेवान को आवाज

सुनाई दे जाय।

"अब आपका तो पता नहीं बेवी जी लेकिन जब हम अपनी बीवी को रात में गाँड़ में चापते हैं तब वो ज़रूर पाद मारती

है.....हो सकता है शादी के बाद आपके साथ भी हो......अरे मैं भी क्या बात कर रहा हूँ.......आप इतनी सुन्दर है.....आपकी

गाँड़ भी मोटी है.....आपका पति तो पक्का आपकी गाँड़ चोदेगा........और जब चोदेगा तो पाद तो निकलेगी ही...."

रिक्शेवाला अपनी औकात भूल बैठा था। मस्ती का खुमार ऐसा उस पर चढ़ गया था कि वो क्या-क्या बके जा रहा है उसे

पता नहीं चल पा रहा था।


"अच्छा अब चुप करो और चुपचाप रिक्शा चलाओ......"- लड़की ने जब देखा की रिक्शेवाला कुछ ज्यादा ही अंट-शंट बकने

लगा है तो उसने उसे हड़काया।

रिक्शावाले की मस्ती को मानों ब्रेक लगा हो।

"सॉरी बेवी जी......लगता है कुछ ज्यादा ही बोल गया....."
इसके बाद रिक्शे पर कुछ पलों के लिये संनाटा छाया रहा।

रिक्शेवाले की हिम्मत न पड़ी दुबारा कुछ भी बोलने की।

लेकिन अब लड़की को अपने भीतर एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी।

आखिरकार उसने ही बात को फिर से आगे बढ़ाया-

"अच्छा ये बताओ वो और क्या बोल रहा था?...."

"छोड़ो बेवी जी आप गुस्सा हो जाती है....."

रिक्शेवाले को पता चल चुका था कि चिड़िया दाना चुग रही है।

"तुम ज्यादा बोलने लगते हो इसलिये.......तुमको नहीं पता एक लड़की से कैसे बात करते हैं?"

"अब बेवी जी हम ठहरे अनपढ़ लोग....कभी स्कूल-कॉलेज का मुँह तो देखे नहीं.......अब हम लोगों को क्या पता कि क्या

बोलना चाहिये क्या नहीं......."-रिक्शेवाले ने दाना डाला।

"अच्छा ठीक है......तुम्हें जैसे बताना है बताओ......"-लड़की का पूरा शरीर भी रिक्शेवाले की बातें सुनकर गुदगुदाने लगा

था।

अब रिक्शे वाले को मानों हरी झंडी मिल गई। क्या झूठ, क्या सच। एक बार फिर वो मस्ती में गोते खाने लगा।

"अरे बेवी जी वो बहुत बड़ा कमीना है.......बोल रहा था कि आप लोगों के वहाँ पर अभी हल्की-हल्की भूरी-भूरी झाँट आई

होगी...."-रिक्शेवाले का लौड़ा कच्छे में हिनहिना पड़ा।

रिक्शेवाले की बात सुनकर लड़की की भी योनि धुकुर-धुकुर करने लगी। दिमाग तो कह रहा था कि इस तरह की बातें न

सुने लेकिन दिल कि मस्ती दिमाग पर हावी होने लगी।

"ये क्या होता है?"-लड़की नें अंजान बन कर पूछा।

"ओहो.....बेवी जी आपको झाँट का मतलब भी नहीं पता है.....बताना बड़ा मुश्किल है हाँ....अगर आप कहे तो मैं आपको

दिखा सकता हूँ......"

लड़की का दिल जोरों से धड़क उठा। न चाहते हुये भी हकला पड़ी- "क....क...कैसे?"

इस वक्त रिक्शा एक ऐसी जगह से गुजर रहा था जहाँ चारों ओर खेत ही खेत था।

रिक्शे वाले को मानों मौका मिल गया।

"बस एक मिनट रुकिए......"

उसने ब्रेक मारकर रिक्शा एक आम के पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया।

ये मुख्य सड़क से कटी हुई एक सड़क थी जो मिश्रा कालोनी की तरफ जा रही थी।

सड़क के दोनों छोर पे घुमावदार मोड़ था।

अधिकतर ये सड़क सूनसान ही पड़ी रहती थी।

रिक्शेवाला नीचे उतरा और अपना पैजामा खोलकर थोड़ा दूर जाकर मूतने लगा।

लड़की चुपचाप चेहरा नीचे किये उसे मूतता हुआ देख रही थी।

उस वक्त उसका दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगा था।

पता नहीं रिक्शावाला अब क्या करें?

ये सोचकर कक्षी के नीचे उसकी योनि भी धुकुर-धुकुर करने लगी थी।

मूत चुकने के बाद वह खड़ा हुआ और नाड़ा बांधने का बहाना करता हुआ लड़की के पास आया।

उस वक्त उसकी निगाहें दोनों छोर का बार-बार मुआयना कर रहीं थीं। कहीं कोई आ तो नहीं रहा।

लड़की के पास पहुंच कर पैजामें को नीचे सरकाता हुआ वो बोला-

"बेवी जी......इधर देखिये.......ये है झाँट......"

उसने अपने लौड़े के चारों तरफ उगी हुई काली-काली झाँटों को हाथ में पकड़कर दिखाया।

लड़की ने धड़कते दिल के साथ जब उसके लौड़े की तरफ देखा तो रोमांच के मारे मानों उसका दिल उसके गले में आकर

अटक गया हो।

रिक्शेवाले का काला-काला मोटा सा 8 इंच का लौड़ा तन्नाया हुआ उसी को देख रहा था। उस वक्त लौड़े से अजीब तरह की

पेशाब की बू आ रही थी लेकिन जिन्दगी में पहली बार किसी जवान आदमी का लौड़ा देखकर मानों उसके होशो हवाश उड़

गये थे।

रिक्शेवान बड़ी पैनी निगाहों से लड़की के हाव-भाव को ताड़ रहा था।

उसे समझते देर नहीं लगी की लौंडिया अभी पूरी तरह से कोरी है।

उसने लौड़े को मुट्ठी में पकड़कर जोर से हिलाया-

"इसको कहते हैं लौड़ा........रोज रात को इसी से अपनी बीवी की गाँड़ चोदता हूँ.....

जब कस के चापता हूँ तो पाद मारती है........"


रिक्शेवान को मस्ती ज़रूर चढ़ी थी लेकिन वो पूरी तरह से चौकन्ना था।

तभी दूर से किसी मोटर साइकिल की आवाज आती हुई महसूस हुई।

रिक्शेवाले की फट पड़ी। तुरन्*त सीट पर आ बैठा और पैडल मारने लगा।

कुछ ही देर में एक मोटर साइकिल उसको क्रास करते हुये आगे निकल गई।

तब जाकर उसकी जान में जान आई।

रास्ते का सन्नाटा एक बार फिर उसके दिमाग में चढ़ने लगा-

"बेवी जी एक बात पूछूं......."

"......"-लड़की की मानों बोलती ही बंद हो गई थी।

पर रिक्शेवाला तो अपनी ही मस्ती में मगन था।

"क्या आपके भी वहाँ पर झाँट हैं?......"

तब एकाएक मानों लड़की को होश आया हो। एक रिक्शेवाला अपनी औकात से कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रहा है।


"तुमसे मतलब.......चुपचाप अपना काम करो...."-लड़की ने रिक्शेवाले को घुड़का।

"ये तो कोई बात नहीं हुई बेवी जी........आपने तो हमारा देख लिया और जब अपनी बारी आई तो गुस्सा दिखा रही हैं। जैसे

की हम रिक्शेवालों की इज्जत कोई इज्जत ही नहीं है।....."- रिक्शेवान अब कहाँ बाज आने वाला था।

"मैंने थोड़ी न कहा था तुमको दिखाने के लिये......."-लड़की ने भी जवाब दिया।

रिक्शेवान की नजर आस-पास उगे खेतों पर बड़ी बारीकी से फिर रहीं थीं।

थोड़ी दूर आगे जाकर हल्का सा सन्नाटा दिखा तो ढीढता पर उतर आया-

"देखिये बेवी जी......जो हो लेकिन आपने मेरा देखा है.....अब आपको भी अपना दिखाना पड़ेगा वरना मैं सब को बता दूँगा

की आपने मेरा लौड़ा देखा है...... आपकी बदनामी हो जायेगी......"

रिक्शेवाले की ऐसी ढीढता देखकर लड़की का दिल जोरों से धड़क उठा।

"त...तुम चाहते क्या हो?"

"कुछ नहीं......भला मैं गरीब आदमी आपसे क्या चाह सकता हूँ.....आज तक मैंने किसी गोरी लड़की की झाँट नहीं

देखी बस एक बार आप दिखा दीजिये सारी बात यहीं कि यहीं खत्म हो जायेगी....."

"नहीं.......तुम किसी को बता दोगे तो..."- लड़की को भी लगा कि बात अगर इतने से खत्म हो रही है तो

क्या फायदा आगे बढ़ाने से। दिखा-विखा कर फुरसत लो।

रिक्शेवान की आंखों में मानों कमीनेपन के हजारों जुगनू चमक उठे।

मुँह में पानी आ गया।

मंझा हुआ खिलाड़ी था शिकार को फाँसना अच्छी तरह से आता था।

"मैं भला किसी को क्यों बताउंगा.......आपने मेरा देखा मैने आपका देखा...हिसाब बराबर....कहानी खतम....

.लेकिन यहाँ नहीं......"

"तो फिर कहाँ...?"-लड़की की योनि इस बात से चुनचुनाने लगी थी कि आज पहली बार कोई आदमी उसे देखने वाला था।

"अंदर...अरहर के खेत में.......यहाँ सड़क पर कोई आ गया तो आपकी भी बदनामी होगी और मेरी भी....."

रिक्शेवाले ने रिक्शे को सड़क के एक किनारे खड़ाकर दिया।

लड़की का दिल डर के मारे जोर-जोर से धड़क रहा था।

"जल्दी से देखना.......फिर मैं चली आउंगी......"

रिक्शेवान भी कहाँ पीछे रहने वाला था-

"तो और क्या यहाँ पर आपका नाच देखूँगा.....पहले तुम जाओ फिर मैं आता हूँ.....खेत में जाते ही ऐसे बैठ जाना जैसे मूत

रही हो ताकि किसी को शक न हो......"

लड़की अपना बैग रिक्शे पर ही छोड़कर अरहर के खेत में घुस गई।

इधर रिक्शेवाले की शैतान खोपड़ी सक्रिय हो गई।

उसने लड़की का बैग सीट के नीचे डाला और वही से तेल की एक शीशी निकालकर पहले गौर

से इधर-उधर देखा और फिर लपक कर खेत में घुस गया।

कुँवारी बोरी जो फाड़नी थी।

अरहर के थोड़ा अंदर जाते ही उसे वो लड़की बैठी हुई नजर आई।

रिक्शेवाले ने पहले आस-पास अरहर के पौधों को तोड़कर एक खुली जगह बनाई फिर अपना पैजामा

और कुर्ता उतारकर वहाँ पर फैला दिया।

"तुम कपड़ा क्यों उतार रहे हो?....."लड़की का दिल और योनि धुकधुकाने लगी।


"इसलिये ताकि तुम आराम से इस पर लेट जाओ और मैं तुम्हारी झाँट को देख सकूँ.....अब खड़ी हो जाओ और कछि नीचे

सरकाकर जैसे मूतने बैठती हो वैसे ही बैठ कर अपनी वो दिखाओ...."

"जल्दी से देखना उसके बाद मैं चली जाउंगी....."

लड़की को हालांकि शरम तो आ रही थी लेकिन बिना दिखाये काम भी नहीं चलने वाला था।

लड़की ने एक बार रिक्शेवान की तरफ देखा जो उसकी गोरी-गोरी टाँगों को घूर-घूर कर देख रहा था। स्कर्ट के अंदर हाथ

डालकर उसने धीरे से कछि की इलास्टिक में ऊंगली फँसाई और धीरे से उसे नीचे सरका कर जल्दी से बैठ गई।रिक्शेवान

के भीतर अब और ज्यादा सब्र नहीं बचा था।

उसने भी अपना चड्ढा उतार दिया और अपने लौड़े को मुट्ठी में पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा।

"ये क्या कर रहे हो?"-लड़की ने उसके तन्नाये लौड़े को देखा तो डर गई।

"मशीन को गरम कर रहा हूँ.......ताकि तेरी बोरी को खोल सकूँ....."

उसने तेल की शीशी निकाली और उसे अपने लौड़े पर चुपड़ने लगा।

ये देखकर लड़की की योनि में चुनचुनाहट बढ़ गई।

लौड़े को साटते हुये वो लड़की की स्कर्ट उठाकर नीचे झाँकने लगा।

जैसे ही नीचे नजर पड़ी मानों उसको पागलपन का दौरा पड़ गया हो।

योनि पर रत्ती भर भी बाल नहीं था। एकदम सफ़ाचट चिकनी। मानो आज ही किसी नाई ने उस्तरा मारकर उसे

मुन्डा किया हो। "तेरी बुर तो एकदम चिकनी है......झाँट क्या इस पर तो एक रोवाँ भी नहीं है

.....छूरे से साफ किया था या लौँडिया वाली

बाल सफा क्रीम लगाई थी।...."

रिक्शेवान ने अपनी खुरदुरी उंगली से योनि की चिकनी फाँकों को छुआ।

लड़की को मानों करेन्ट लगा।

उसकी योनि के छेद से बूँद भर लासा चूँ पड़ा।

"सीSSSSSS........क्रीम से"

"किसलिए चिकनी की थी.......चुदने के लिये....."- वो जिस मूतने वाली पोजीशन में बैठी हुई थी उससे उसकी योनि की

फाँकें एकदम भिंच गई थीं। रिक्शेवाले ने अपनी कठोर उंगलियों से योनि की मोटी-मोटी पुत्तियों को चीर कर देखा। कुँवारे

पन का लाल रंग उसे दिखाई पड़ा। उसने नाक लगाकर जोर से सांस खींची। लौड़ियापन की एक अजीब सी बू से उसका

शरीर मस्ता गया।

"बोल न....किसलिए चिकनी कि है.......चुदने के लिये....."

"ऐसे ही......दो दिन बाद मेरी एम.सी आने वाली है इसलिये किया था......."

"वाह.....तब तो मामला एकदम सेफ है..अगर मैं तेरी बुर भी चोद दूँ तब भी तुझे बच्चा नहीं आयेगा......"- रिक्शेवान नीचे

लेट गया और अपनी जीभ घुसाकर बुर के छेद को जीभ से चोदने लगा।

लड़की पिघल गई। लौड़ियापन का मजा जैसे ही मिला वैसे ही उसकी योनि लिंग लेने के लिये सिसकने लगी।

5 मिनट योनि में जीभ की चुदाई से वो एकदम मस्ता गई थी।

रिक्शेवान ने जब देखा कि लौंडिया पूरी तरह से बहक गई है और चूत से लासा टपकने लगा है तो बस लौंडिया को लिटाकर

उसकी कुँवारी चूची धर दबोची। जैसे ही चूची मसली गई की लौँडिया पूरी तरह से रिक्शेवान से लिपट गई।

मौका सही था।

लौड़ा तन्नाया हुआ था। चूत पूरी तरह से गीली थी। लड़की भी मस्ती में आकर पूरी तरह से चुदने के लिये तैयार थी।

फिर क्या था।

'गुच्च'-रिक्शेवान ने अपने लौड़े का नुकीला सिरा लड़की की गीली लेकिन कसी बुर में फसा दिया।

"आईSSS मम्मी......."

एकदम सही मौका देखकर उसने लड़की के लाल-लाल होठों को चभुआ कर अपने होठों के बीच में भर लिया।

'गुच्च'

इस बार पूरी ताकत से लौड़े को बुर के अंदर चाप दिया।

लड़की छटपटा न पाये इसलिये उसे कसकर अपने सीने से चिपका लिया। लड़की की दोनों मोटी-मोटी

गोरी-गोरी चिकनी टांगों को अपने कंधे पर लादकर उसी पर पसरकर हुमकने लगा।

'गुच्च....गुच्च....गुच्च.....'

"आईSSSS.....उईSSS.....मम्मी...... मर गयी."

5 मिनट बाद जब लड़की नीचे से खुद ब खुद कमर उछालने लगी तब रिक्शेवान ने उसे कुतिया बना दिया

और और गाँड़ के छेद में थोड़ा सा तेल लगाकर पहले तो उंगली से उसे चोक-चोक कर नरम बनाया

फिर अपने पेल्हर को कस कर चाप

दिया।

"आई मम्मीSSSSSS........कल्ला रही है........"

"बस मेरी मुर्गी.......हो गया तेरा काम.......अब देख तुझे कैसे चापता हूँ......जब तक तेरी गाँड़ पादेगी नहीं तब तक मेरा

लौड़ा झड़ेगा नहीं....."

उसके बाद तो मानों रिक्शेवान पिल पड़ा।

बस 20-25 ही धक्कों में गाँड़ ढोल की तरह बजने लगी।

पक्क-पक्क की आवाज ऐसे आ रही थी मानों किसी ने सुरंग खोद दी हो।

"अब बोल......पादती है कि नहीं......."

"नहींSSSS आहSSSSS....."

"जब तक नहीं बोलेगी तब तक चोदूंगा......बोल.....पादती है कि नहीं...."

लेकिन ठीक तभी जैसे ही रिक्शेवान ने कस कर धक्का मारा

'पुर्रSSSSSSSSSS......'

लड़की की गाँड़ भी हवा छोड़ बैठी।

बस, मानों रिक्शेवाले को इसी का इंतजार था।

"ले गया मेरा माल तेरी गाँड़ में....."

इधर जैसे ही उसका लौड़ा सिकुड़ कर बाहर आया वैसे ही वो लड़की बोली-

"प्लीज किसी से इस बारे में कुछ मत बताना......."-लड़की अपना कपड़ा पहनते हुये बोली।

"चल एक शर्त पर नहीं बताउंगा........"- रिक्शेवान भी अपना कुर्ता पैजामा पहनने लगा।-"वो जो दूसरा रिक्शेवान

था........वो भी तेरी गाँड़ मारेगा.....बस एक बार मरवा ले फिर किसी से कुछ भी नहीं बताउंगा..."

"तुम तो बोल रहे थे वो बहुत कमीना है......"- लड़की टांगों में अपनी कक्षी पहनते हुये बोली।

"है तो........लेकिन मुझसे बड़ा नहीं।" वो कुटिल भाव से आँख मार कर मुस्कुराया।

आखिर ये बात साबित हो गई थी कि रिक्शेवाले सब कमीने होते हैं।

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 © (मस्तराम - मुसाफिर) / सुनील पण्डित
raviram69 at rediffmail dot com / suneeelpandit at g mail dot com
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#2
Nice story.
But yeh site choti stories k liye nahi hai.
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#3
(09-03-2019, 05:04 PM)yogita99 Wrote: Nice story.
But yeh site choti stories k liye nahi hai.

योगिता जी, आपके कीमती विचार के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, परन्तु छोटी छोटी कहानियां भी तो ज़िन्दगी में मायने रखती हैं , जिनके पास ज्यादा समय नहीं होता ख़ास करके उनके लिए /

कृपया सहयोग दें,

आभार
सुनील पण्डित
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#4
Sweet and short
Heart बुुर का दिवानाHeart
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#5
(10-03-2019, 10:33 PM)Sjeet72 Wrote: Sweet and short

आपके प्यारे कमेंट का धन्यवाद दोस्त
सुनील पण्डित
// सुनील पंडित // yourock
मैं तो सिर्फ तेरी दिल की धड़कन महसूस करना चाहता था
बस यही वजह थी तेरे ब्लाउस में मेरा हाथ डालने की…!!!
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#6
very hot story
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#7
bhaut acchaaaa
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#8
Maja aa gya
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#9
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Heart bahut erotic kahani apne school ke din yad aa gaye.... Heart Heart Heart
(09-03-2019, 10:26 AM)suneeellpandit Wrote: दोस्तों ! नमस्कार !
मैं कई कहानियां literotica dot com (किन्ही कारणों से ) अलग अलग नाम से पोस्ट की थी (जैसे की masterji1970, seksyseema, seemawithravi, raviram69 आदि), जो की मैं इस BIG PLATFORM पर पोस्ट करने जा रहा हूँ //

आपसे सहयोग की उम्मीद से ...

आपका

// सुनील पण्डित //
(suneeellpandit) [Image: horseride.gif] [Image: announce.gif]

सब रिक्शेवाले कमीने
सब रिक्शेवाले कमीने

प्रेषक : रविराम69 © (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+.
This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
=====================================================
// कैसे एक रिक्शे वाले ने एक लड़की की नयी नयी चूत का बाजा बजाया //
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Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

Now Story : अब कहानी:
===========
एक गर्ल्स स्कूल के सामने दो रिक्शेवान खड़े होकर बतिया रहे थे।

"स्कूल में छुट्टी होने वाली है..."-एक रिक्शेवान बोला।

"सुबह से बोहनी नहीं हुई....शायद भाड़ा मिल जाय....."-दूसरा बोला।

"भाड़ा मिले न मिले लौंडिया तो देखने को मिलेगी।...."

"कल तू क्यों नहीं आया था?....एक कन्टास माल मिली थी।....दूध की तरह गोरी-गोरी टाँग.....उसके घर के सामने ही

मूतने के बहाने मूठ मारा था।"

"कल मेरी साली जाने वाली थी तो सोचा क्यों न रगड़ दूँ...."

"तो....रगड़ दिया...."


"सोच तो यही रहा था....लेकिन साली के नखरे बहुत हैं....बोल रही थी मैं किसी रिक्शेवाले को नहीं दूँगी....मन तो कर रहा

था वहीं लिटाकर उसकी गाड़ चोद दूँ लेकिन बीवी थी इसलिये बच गई बहन की लौड़ी...."

"तो....कुछ तो किया ही होगा..."

"ऐसे कैसे छोड़ देता.....चूची इतनी कस के मीजा है कि एक महीना मुझे याद करेगी...."

"जियो शेर.....और नीचे वाले में ऊँगलीबाजी नहीं की..."

"मन तो कर रहा था 5 कि पाँचों घुसा दूँ लेकिन फिर भी 3 तो घुसेड़ कर ही माना......"

"तेरी जगह मैं होता तो लिटाकर चाप दिया होता साली को......वो मर्द ही क्या जो हाथ में आई चूत को छोड़ दे...."

"घर में बीवी नहीं होती तो बचने वाली कहाँ थी......लेकिन शादी से पहले तो बोरी (चूत) में छेद करके ही मानूँगा..."

"ये हुई न मर्दो वाली बात......."

तभी घंटी बजी।

यानि छुट्टी हो गई थी।



नीले चेकदार स्कर्ट और सफेद शर्ट में हाई स्कूल व इंटर की लड़कियाँ निकलने लगीं।

ऐसा लग रहा था जैसे पूरा भेड़ो का झुंड ही भागता चला आ रहा हो।

सारी लड़कियाँ अच्छे घरों की थी इसलिये गोरी, मोटी और चिकनी टांगें देख-देख कर

सारे रिक्शावालों का लौड़ा फन्नाने लगा।

सब कि सब एक से एक कन्टास थी। अगर छाँटने को कहा जाय तो जो भी हाथ में आ जाय वही बेहतर।

"साली क्या खाती हैं ये सब........एक दम दूध मलाई की तरह चिकनी..."

"सब ताजा-ताजा जवान हुई मुर्गियाँ हैं......नरम गोस्त है अभी....पकड़ के दबोच लो तो खून फेंक दें......"

"गाँड़ देख सालियों की.....एकदम चर्बी से लद गई है.......जिसके हत्थे चढ़ेगीं छेदे बिना नहीं छोड़ेगा...."

तभी एक मस्त कुँवारी कच्ची लड़की एक के पास आकर बोली-

"भइया, मिश्रा कालोनी चलने का क्या लोगे?"

लड़की के आते ही दोनों की भाव-भंगिमायें ऐसी हो गई मानों दुनिया के सबसे शरीफ इंसान वही हो।

"जो समझ में आये दे देना अब आप लोगों से क्या माँगें"- शराफ़त से उसने बोला तो लेकिन लड़की की चूचियों का उभार

और उसकी तन्नाई हुई नुकीली चोच देखकर उसका लौड़ा चड्ढी में लिसलिसाने लगा था।

"नहीं पहले भाड़ा बोलो तब बैठूंगी....बाद में आप 10 का 20 मागो तो...."

"अच्छा चलो 15 दे देना......"

लड़की ने दूसरे रिक्शेवाले से पूछा-

"भइया...आप कितना लोगे?"

अभी तक दोनों में बड़ा याराना लग रहा था लेकिन लड़की के सामने आते ही दोनों मानों कटखने कुत्ते की तरह एक दूसरे

को देखने लगे थे।

"अब बेवी जी आप से क्या मोल-तोल करें...10 ही दे दीजियेगा......सुबह से बोहनी नहीं हुई आप के

हाथों से ही बोहनी कर लूँगा......"

लड़की झट से उस रिक्शेवाले के रिक्शे पर बैठ गई।
पहला वाला उसे जलती निगाहों से घूरता रहा।

पर दूसरे वाले की तो बल्ले-बल्ले निकल पड़ी थी।

इधर रास्ते में-

"अच्छा हुआ बेवी जी आप उसके रिक्शे में नहीं बैठी..."

"क्यों?"-लड़की ने पूछा।

"अरे वो बहुत कमीना है......"

"मतलब....."-लड़की की दिलचस्पी कुछ बढ़ी।

"कैसे कहे आपसे?.......आपको बुरा लग सकता है।"

लड़की कुछ देर सोचती रही।

30 मिनट के इस सफर में बोर होने से अच्छा था कि रिक्शेवाले की चटपटी बातें ही सुनी जाए।

"बताओ तो क्या हुआ....."

"अरे वो लड़कियों से बदतमीज़ी करता है..."

"किस तरह की बदतमीज़ी....."

ये वो उमर होती है जब लड़कियों को बदतमीज़ी शब्द सुनकर ही गुदगुदी हो जाती है।"

"अरे वो लड़कियों को लेकर बहुत गंदा-गंदा बोलता है....."

"क्या बोलता है?"

"आप लोगों को देखकर बोलता है क्या माल है यार.......बस एक बार मिल जाय...."

लड़की हल्के से फुसफुसाकर हंस पड़ी।

"मैं सच कह रहा हूँ बेवी जी....भगवान कसम.....इससे भी गंदी-गंदी बातें बोलता है..."

रिक्शेवान को लग रहा था कि लड़की चालू टाइप की है। इसलिये वो जानबूझकर मजा ले रहा था।

"पूरी बात बताओ न क्या-क्या बोलता है?...."

"अब जब आप इतना कह ही रही है तो बोल ही देता हूँ...."-रिक्शेवाले का लौड़ा चड्ढी में फनफनाने लगा-"...बोल रहा था
कि कितनी चिकनी-चिकनी हैं जैसे जवान मुर्गी......"

"अच्छा......सच में बहुत कमीना है..."-लड़की भी मस्त होकर सुन रही थी।

"अरे इतना ही नहीं......कह रहा था इनकी उस पर कितनी चर्बी चढ़ गई है...."

"किस पर?"-लड़की ने जानबूझकर रिक्शेवाले को बढ़ावा दिया।

"अब आपके सामने नाम कैसे ले?"


"तुम बताओ ताकि पता तो चले कि वो कितना कमीना है....."- लड़की की धड़कने बढ़ने लगीं थीं।

न जाने रिक्शावान क्या बोले।

"बात तो सही है आपकी...जब तक आपको बताउंगा नहीं तब तक आप जानेगीं कैसे कि कितना बड़ा कमीना है........बोल

रहा था कि आप लोगों की गाँड़ पर कितनी चर्बी चढ़ गई है।"


लड़की का हँसने का मन कर रहा था लेकिन किसी तरह उसने कंट्रोल किया।

नासमझ बनने का नाटक करती हुई बोली- "ये क्या होता है?"

रिक्शेवाले को लगा की अंग्रेजी पढ़ने वाली लड़कियों को क्या पता की गाँड़ क्या होता है। इसलिये वो मस्ती से बताने लगा-

"अब आप लोग अंग्रेजी में पता नहीं क्या बोलती है लेकिन हम लोग उसे गाँड़ ही बोलते हैं....."

"किसे?" -लड़की ने और बढ़ावा दिया। उसे ये सब सुनकर काफी मजा आ रहा था।

"अरे वहीं जहाँ से आप लोग पादती हैं....."

"शिट....."-लड़की को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रिक्शेवाला इतना खुला-खुला बोल देगा-

"....आप लोग करते होंगे

हम लोग नहीं करते इतना गंदा काम......"

लड़की की बात सुनकर रिक्शेवाले का लौड़ा फनफना गया था। चड्ढी के अंदर एकाध बूँद माल भी चूँ गया था। उसे तो

अजीब सी मस्ती चढ़ रही थी।

"अब झूठ न बोलिये बेवी जी.......पादती तो आप भी होगी......हमारे सामने कहने से शर्मा रही हैं.....भला गाँड़ है तो पाद

निकलेगी ही....इसमें शर्माने की क्या बात है...."

"ये सब काम गंदे लोग करते हैं........हम लोग नहीं...."

लड़की की गाँड़ डर के मारे सच में चोक लेने लगी कि कहीं वो सच में ही न पाद निकाल बैठे और रिक्शेवान को आवाज

सुनाई दे जाय।

"अब आपका तो पता नहीं बेवी जी लेकिन जब हम अपनी बीवी को रात में गाँड़ में चापते हैं तब वो ज़रूर पाद मारती

है.....हो सकता है शादी के बाद आपके साथ भी हो......अरे मैं भी क्या बात कर रहा हूँ.......आप इतनी सुन्दर है.....आपकी

गाँड़ भी मोटी है.....आपका पति तो पक्का आपकी गाँड़ चोदेगा........और जब चोदेगा तो पाद तो निकलेगी ही...."

रिक्शेवाला अपनी औकात भूल बैठा था। मस्ती का खुमार ऐसा उस पर चढ़ गया था कि वो क्या-क्या बके जा रहा है उसे

पता नहीं चल पा रहा था।


"अच्छा अब चुप करो और चुपचाप रिक्शा चलाओ......"- लड़की ने जब देखा की रिक्शेवाला कुछ ज्यादा ही अंट-शंट बकने

लगा है तो उसने उसे हड़काया।

रिक्शावाले की मस्ती को मानों ब्रेक लगा हो।

"सॉरी बेवी जी......लगता है कुछ ज्यादा ही बोल गया....."
इसके बाद रिक्शे पर कुछ पलों के लिये संनाटा छाया रहा।

रिक्शेवाले की हिम्मत न पड़ी दुबारा कुछ भी बोलने की।

लेकिन अब लड़की को अपने भीतर एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी।

आखिरकार उसने ही बात को फिर से आगे बढ़ाया-

"अच्छा ये बताओ वो और क्या बोल रहा था?...."

"छोड़ो बेवी जी आप गुस्सा हो जाती है....."

रिक्शेवाले को पता चल चुका था कि चिड़िया दाना चुग रही है।

"तुम ज्यादा बोलने लगते हो इसलिये.......तुमको नहीं पता एक लड़की से कैसे बात करते हैं?"

"अब बेवी जी हम ठहरे अनपढ़ लोग....कभी स्कूल-कॉलेज का मुँह तो देखे नहीं.......अब हम लोगों को क्या पता कि क्या

बोलना चाहिये क्या नहीं......."-रिक्शेवाले ने दाना डाला।

"अच्छा ठीक है......तुम्हें जैसे बताना है बताओ......"-लड़की का पूरा शरीर भी रिक्शेवाले की बातें सुनकर गुदगुदाने लगा

था।

अब रिक्शे वाले को मानों हरी झंडी मिल गई। क्या झूठ, क्या सच। एक बार फिर वो मस्ती में गोते खाने लगा।

"अरे बेवी जी वो बहुत बड़ा कमीना है.......बोल रहा था कि आप लोगों के वहाँ पर अभी हल्की-हल्की भूरी-भूरी झाँट आई

होगी...."-रिक्शेवाले का लौड़ा कच्छे में हिनहिना पड़ा।

रिक्शेवाले की बात सुनकर लड़की की भी योनि धुकुर-धुकुर करने लगी। दिमाग तो कह रहा था कि इस तरह की बातें न

सुने लेकिन दिल कि मस्ती दिमाग पर हावी होने लगी।

"ये क्या होता है?"-लड़की नें अंजान बन कर पूछा।

"ओहो.....बेवी जी आपको झाँट का मतलब भी नहीं पता है.....बताना बड़ा मुश्किल है हाँ....अगर आप कहे तो मैं आपको

दिखा सकता हूँ......"

लड़की का दिल जोरों से धड़क उठा। न चाहते हुये भी हकला पड़ी- "क....क...कैसे?"

इस वक्त रिक्शा एक ऐसी जगह से गुजर रहा था जहाँ चारों ओर खेत ही खेत था।

रिक्शे वाले को मानों मौका मिल गया।

"बस एक मिनट रुकिए......"

उसने ब्रेक मारकर रिक्शा एक आम के पेड़ के नीचे खड़ा कर दिया।

ये मुख्य सड़क से कटी हुई एक सड़क थी जो मिश्रा कालोनी की तरफ जा रही थी।

सड़क के दोनों छोर पे घुमावदार मोड़ था।

अधिकतर ये सड़क सूनसान ही पड़ी रहती थी।

रिक्शेवाला नीचे उतरा और अपना पैजामा खोलकर थोड़ा दूर जाकर मूतने लगा।

लड़की चुपचाप चेहरा नीचे किये उसे मूतता हुआ देख रही थी।

उस वक्त उसका दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगा था।

पता नहीं रिक्शावाला अब क्या करें?

ये सोचकर कक्षी के नीचे उसकी योनि भी धुकुर-धुकुर करने लगी थी।

मूत चुकने के बाद वह खड़ा हुआ और नाड़ा बांधने का बहाना करता हुआ लड़की के पास आया।

उस वक्त उसकी निगाहें दोनों छोर का बार-बार मुआयना कर रहीं थीं। कहीं कोई आ तो नहीं रहा।

लड़की के पास पहुंच कर पैजामें को नीचे सरकाता हुआ वो बोला-

"बेवी जी......इधर देखिये.......ये है झाँट......"

उसने अपने लौड़े के चारों तरफ उगी हुई काली-काली झाँटों को हाथ में पकड़कर दिखाया।

लड़की ने धड़कते दिल के साथ जब उसके लौड़े की तरफ देखा तो रोमांच के मारे मानों उसका दिल उसके गले में आकर

अटक गया हो।

रिक्शेवाले का काला-काला मोटा सा 8 इंच का लौड़ा तन्नाया हुआ उसी को देख रहा था। उस वक्त लौड़े से अजीब तरह की

पेशाब की बू आ रही थी लेकिन जिन्दगी में पहली बार किसी जवान आदमी का लौड़ा देखकर मानों उसके होशो हवाश उड़

गये थे।

रिक्शेवान बड़ी पैनी निगाहों से लड़की के हाव-भाव को ताड़ रहा था।

उसे समझते देर नहीं लगी की लौंडिया अभी पूरी तरह से कोरी है।

उसने लौड़े को मुट्ठी में पकड़कर जोर से हिलाया-

"इसको कहते हैं लौड़ा........रोज रात को इसी से अपनी बीवी की गाँड़ चोदता हूँ.....

जब कस के चापता हूँ तो पाद मारती है........"


रिक्शेवान को मस्ती ज़रूर चढ़ी थी लेकिन वो पूरी तरह से चौकन्ना था।

तभी दूर से किसी मोटर साइकिल की आवाज आती हुई महसूस हुई।

रिक्शेवाले की फट पड़ी। तुरन्*त सीट पर आ बैठा और पैडल मारने लगा।

कुछ ही देर में एक मोटर साइकिल उसको क्रास करते हुये आगे निकल गई।

तब जाकर उसकी जान में जान आई।

रास्ते का सन्नाटा एक बार फिर उसके दिमाग में चढ़ने लगा-

"बेवी जी एक बात पूछूं......."

"......"-लड़की की मानों बोलती ही बंद हो गई थी।

पर रिक्शेवाला तो अपनी ही मस्ती में मगन था।

"क्या आपके भी वहाँ पर झाँट हैं?......"

तब एकाएक मानों लड़की को होश आया हो। एक रिक्शेवाला अपनी औकात से कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ रहा है।


"तुमसे मतलब.......चुपचाप अपना काम करो...."-लड़की ने रिक्शेवाले को घुड़का।

"ये तो कोई बात नहीं हुई बेवी जी........आपने तो हमारा देख लिया और जब अपनी बारी आई तो गुस्सा दिखा रही हैं। जैसे

की हम रिक्शेवालों की इज्जत कोई इज्जत ही नहीं है।....."- रिक्शेवान अब कहाँ बाज आने वाला था।

"मैंने थोड़ी न कहा था तुमको दिखाने के लिये......."-लड़की ने भी जवाब दिया।

रिक्शेवान की नजर आस-पास उगे खेतों पर बड़ी बारीकी से फिर रहीं थीं।

थोड़ी दूर आगे जाकर हल्का सा सन्नाटा दिखा तो ढीढता पर उतर आया-

"देखिये बेवी जी......जो हो लेकिन आपने मेरा देखा है.....अब आपको भी अपना दिखाना पड़ेगा वरना मैं सब को बता दूँगा

की आपने मेरा लौड़ा देखा है...... आपकी बदनामी हो जायेगी......"

रिक्शेवाले की ऐसी ढीढता देखकर लड़की का दिल जोरों से धड़क उठा।

"त...तुम चाहते क्या हो?"

"कुछ नहीं......भला मैं गरीब आदमी आपसे क्या चाह सकता हूँ.....आज तक मैंने किसी गोरी लड़की की झाँट नहीं

देखी बस एक बार आप दिखा दीजिये सारी बात यहीं कि यहीं खत्म हो जायेगी....."

"नहीं.......तुम किसी को बता दोगे तो..."- लड़की को भी लगा कि बात अगर इतने से खत्म हो रही है तो

क्या फायदा आगे बढ़ाने से। दिखा-विखा कर फुरसत लो।

रिक्शेवान की आंखों में मानों कमीनेपन के हजारों जुगनू चमक उठे।

मुँह में पानी आ गया।

मंझा हुआ खिलाड़ी था शिकार को फाँसना अच्छी तरह से आता था।

"मैं भला किसी को क्यों बताउंगा.......आपने मेरा देखा मैने आपका देखा...हिसाब बराबर....कहानी खतम....

.लेकिन यहाँ नहीं......"

"तो फिर कहाँ...?"-लड़की की योनि इस बात से चुनचुनाने लगी थी कि आज पहली बार कोई आदमी उसे देखने वाला था।

"अंदर...अरहर के खेत में.......यहाँ सड़क पर कोई आ गया तो आपकी भी बदनामी होगी और मेरी भी....."

रिक्शेवाले ने रिक्शे को सड़क के एक किनारे खड़ाकर दिया।

लड़की का दिल डर के मारे जोर-जोर से धड़क रहा था।

"जल्दी से देखना.......फिर मैं चली आउंगी......"

रिक्शेवान भी कहाँ पीछे रहने वाला था-

"तो और क्या यहाँ पर आपका नाच देखूँगा.....पहले तुम जाओ फिर मैं आता हूँ.....खेत में जाते ही ऐसे बैठ जाना जैसे मूत

रही हो ताकि किसी को शक न हो......"

लड़की अपना बैग रिक्शे पर ही छोड़कर अरहर के खेत में घुस गई।

इधर रिक्शेवाले की शैतान खोपड़ी सक्रिय हो गई।

उसने लड़की का बैग सीट के नीचे डाला और वही से तेल की एक शीशी निकालकर पहले गौर

से इधर-उधर देखा और फिर लपक कर खेत में घुस गया।

कुँवारी बोरी जो फाड़नी थी।

अरहर के थोड़ा अंदर जाते ही उसे वो लड़की बैठी हुई नजर आई।

रिक्शेवाले ने पहले आस-पास अरहर के पौधों को तोड़कर एक खुली जगह बनाई फिर अपना पैजामा

और कुर्ता उतारकर वहाँ पर फैला दिया।

"तुम कपड़ा क्यों उतार रहे हो?....."लड़की का दिल और योनि धुकधुकाने लगी।


"इसलिये ताकि तुम आराम से इस पर लेट जाओ और मैं तुम्हारी झाँट को देख सकूँ.....अब खड़ी हो जाओ और कछि नीचे

सरकाकर जैसे मूतने बैठती हो वैसे ही बैठ कर अपनी वो दिखाओ...."

"जल्दी से देखना उसके बाद मैं चली जाउंगी....."

लड़की को हालांकि शरम तो आ रही थी लेकिन बिना दिखाये काम भी नहीं चलने वाला था।

लड़की ने एक बार रिक्शेवान की तरफ देखा जो उसकी गोरी-गोरी टाँगों को घूर-घूर कर देख रहा था। स्कर्ट के अंदर हाथ

डालकर उसने धीरे से कछि की इलास्टिक में ऊंगली फँसाई और धीरे से उसे नीचे सरका कर जल्दी से बैठ गई।रिक्शेवान

के भीतर अब और ज्यादा सब्र नहीं बचा था।

उसने भी अपना चड्ढा उतार दिया और अपने लौड़े को मुट्ठी में पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा।

"ये क्या कर रहे हो?"-लड़की ने उसके तन्नाये लौड़े को देखा तो डर गई।

"मशीन को गरम कर रहा हूँ.......ताकि तेरी बोरी को खोल सकूँ....."

उसने तेल की शीशी निकाली और उसे अपने लौड़े पर चुपड़ने लगा।

ये देखकर लड़की की योनि में चुनचुनाहट बढ़ गई।

लौड़े को साटते हुये वो लड़की की स्कर्ट उठाकर नीचे झाँकने लगा।

जैसे ही नीचे नजर पड़ी मानों उसको पागलपन का दौरा पड़ गया हो।

योनि पर रत्ती भर भी बाल नहीं था। एकदम सफ़ाचट चिकनी। मानो आज ही किसी नाई ने उस्तरा मारकर उसे

मुन्डा किया हो। "तेरी बुर तो एकदम चिकनी है......झाँट क्या इस पर तो एक रोवाँ भी नहीं है

.....छूरे से साफ किया था या लौँडिया वाली

बाल सफा क्रीम लगाई थी।...."

रिक्शेवान ने अपनी खुरदुरी उंगली से योनि की चिकनी फाँकों को छुआ।

लड़की को मानों करेन्ट लगा।

उसकी योनि के छेद से बूँद भर लासा चूँ पड़ा।

"सीSSSSSS........क्रीम से"

"किसलिए चिकनी की थी.......चुदने के लिये....."- वो जिस मूतने वाली पोजीशन में बैठी हुई थी उससे उसकी योनि की

फाँकें एकदम भिंच गई थीं। रिक्शेवाले ने अपनी कठोर उंगलियों से योनि की मोटी-मोटी पुत्तियों को चीर कर देखा। कुँवारे

पन का लाल रंग उसे दिखाई पड़ा। उसने नाक लगाकर जोर से सांस खींची। लौड़ियापन की एक अजीब सी बू से उसका

शरीर मस्ता गया।

"बोल न....किसलिए चिकनी कि है.......चुदने के लिये....."

"ऐसे ही......दो दिन बाद मेरी एम.सी आने वाली है इसलिये किया था......."

"वाह.....तब तो मामला एकदम सेफ है..अगर मैं तेरी बुर भी चोद दूँ तब भी तुझे बच्चा नहीं आयेगा......"- रिक्शेवान नीचे

लेट गया और अपनी जीभ घुसाकर बुर के छेद को जीभ से चोदने लगा।

लड़की पिघल गई। लौड़ियापन का मजा जैसे ही मिला वैसे ही उसकी योनि लिंग लेने के लिये सिसकने लगी।

5 मिनट योनि में जीभ की चुदाई से वो एकदम मस्ता गई थी।

रिक्शेवान ने जब देखा कि लौंडिया पूरी तरह से बहक गई है और चूत से लासा टपकने लगा है तो बस लौंडिया को लिटाकर

उसकी कुँवारी चूची धर दबोची। जैसे ही चूची मसली गई की लौँडिया पूरी तरह से रिक्शेवान से लिपट गई।

मौका सही था।

लौड़ा तन्नाया हुआ था। चूत पूरी तरह से गीली थी। लड़की भी मस्ती में आकर पूरी तरह से चुदने के लिये तैयार थी।

फिर क्या था।

'गुच्च'-रिक्शेवान ने अपने लौड़े का नुकीला सिरा लड़की की गीली लेकिन कसी बुर में फसा दिया।

"आईSSS मम्मी......."

एकदम सही मौका देखकर उसने लड़की के लाल-लाल होठों को चभुआ कर अपने होठों के बीच में भर लिया।

'गुच्च'

इस बार पूरी ताकत से लौड़े को बुर के अंदर चाप दिया।

लड़की छटपटा न पाये इसलिये उसे कसकर अपने सीने से चिपका लिया। लड़की की दोनों मोटी-मोटी

गोरी-गोरी चिकनी टांगों को अपने कंधे पर लादकर उसी पर पसरकर हुमकने लगा।

'गुच्च....गुच्च....गुच्च.....'

"आईSSSS.....उईSSS.....मम्मी...... मर गयी."

5 मिनट बाद जब लड़की नीचे से खुद ब खुद कमर उछालने लगी तब रिक्शेवान ने उसे कुतिया बना दिया

और और गाँड़ के छेद में थोड़ा सा तेल लगाकर पहले तो उंगली से उसे चोक-चोक कर नरम बनाया

फिर अपने पेल्हर को कस कर चाप

दिया।

"आई मम्मीSSSSSS........कल्ला रही है........"

"बस मेरी मुर्गी.......हो गया तेरा काम.......अब देख तुझे कैसे चापता हूँ......जब तक तेरी गाँड़ पादेगी नहीं तब तक मेरा

लौड़ा झड़ेगा नहीं....."

उसके बाद तो मानों रिक्शेवान पिल पड़ा।

बस 20-25 ही धक्कों में गाँड़ ढोल की तरह बजने लगी।

पक्क-पक्क की आवाज ऐसे आ रही थी मानों किसी ने सुरंग खोद दी हो।

"अब बोल......पादती है कि नहीं......."

"नहींSSSS आहSSSSS....."

"जब तक नहीं बोलेगी तब तक चोदूंगा......बोल.....पादती है कि नहीं...."

लेकिन ठीक तभी जैसे ही रिक्शेवान ने कस कर धक्का मारा

'पुर्रSSSSSSSSSS......'

लड़की की गाँड़ भी हवा छोड़ बैठी।

बस, मानों रिक्शेवाले को इसी का इंतजार था।

"ले गया मेरा माल तेरी गाँड़ में....."

इधर जैसे ही उसका लौड़ा सिकुड़ कर बाहर आया वैसे ही वो लड़की बोली-

"प्लीज किसी से इस बारे में कुछ मत बताना......."-लड़की अपना कपड़ा पहनते हुये बोली।

"चल एक शर्त पर नहीं बताउंगा........"- रिक्शेवान भी अपना कुर्ता पैजामा पहनने लगा।-"वो जो दूसरा रिक्शेवान

था........वो भी तेरी गाँड़ मारेगा.....बस एक बार मरवा ले फिर किसी से कुछ भी नहीं बताउंगा..."

"तुम तो बोल रहे थे वो बहुत कमीना है......"- लड़की टांगों में अपनी कक्षी पहनते हुये बोली।

"है तो........लेकिन मुझसे बड़ा नहीं।" वो कुटिल भाव से आँख मार कर मुस्कुराया।

आखिर ये बात साबित हो गई थी कि रिक्शेवाले सब कमीने होते हैं।

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 © (मस्तराम - मुसाफिर) / सुनील पण्डित
raviram69 at rediffmail dot com / suneeelpandit at g mail dot com
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#10
(19-03-2022, 11:26 PM)amisssa38 Wrote: Heart bahut erotic kahani apne school ke din yad aa gaye.... Heart Heart Heart

ऐसा क्या किया था स्कूल में जो वो दिन याद गए  Tongue
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#11
Very Nice Story.

Short and well written Story.   clps clps clps clps 


स्कूली जीवन में मस्तराम की ऐसी ही कहानियाँ पढ़ा करता था.  एकबार फिर से याद ताज़ा हो गई. banana banana
My Stories:
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The Naughty "Office" Thing!




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#12
Good story
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#13
आगे की कहानी भी लिखो
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