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Adultery रश्मी --- सेक्स मशीन
#1
Bug 
हेलो… रश्मि" मेरे एडिटर की आवाज़ सुनते ही मैं सम्हल गयी.
" हां बोलिए" मैने अपनी ज़ुबान पर मिठास घोलते हुए कहा. मेरा चीफ एडिटर हरीश से मेरा वैसे भी छत्तिस का आँकड़ा था. वो बुरी तरह चिढ़ता था मुझसे.
"तुम्हे जगतपुर जाना है. अभी इसी वक़्त." उसके ऑर्डर करने वाले लहजे को सुन कर दिल मे आया की सामने होता तो दो चार गलियाँ ज़रूर सुनाती. साला अपने आप को मालिक से कम नही समझता.
" क्यों? उसे शायद मुझ से इस तरह के क्वेस्चन की ही उम्मीद थी, आपको मालूम ही है कि मैं कुच्छ दिनो के लिए छुट्टी पर जाना चाहती हूँ. ऐसा कौन सा अर्जेंट काम आ गया जो मेरे सिवा किसी से नही हो सकता?”
" तुम्हे जगतपुर के स्वामी त्रिलोकनंद का इंटरव्यू लेना है. कुच्छ लोक प्रतिनिधियों ने उस आश्रम मे चल रहे कुच्छ गड़बड़ की तरफ इशारा किया है. हम चाहते हैं कि आश्रम मे अगर कुच्छ ग़लत हो रहा है तो हमारे अख़बार मे सबसे पहले छपे." उसके लहजे मे चीनी के दाने के बराबर भी मिठास नही थी. वो मुझे एक जर-खरीद गुलाम की तरह ऑर्डर पर ऑर्डर दिए जा रहा था, “ मैं तो इस काम के लिए रोमीत को लगाना चाहता था मगर मालिकों का हुक्म है तुम्हे लगाने के लिए. पता नही उन को कैसी ग़लत फ़हमी है कि तुम बहुत काम की जर्नलिस्ट हो. हाहाहा…….”
" क्या?.......मैं इस प्रॉजेक्ट के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ." मैं खुशी से उच्छल पड़ी. काफ़ी दिनो से मैं स्वामीजी का इंटरव्यू लेना चाहती थी. बहुत सुन रखा था उनके बारे मे. बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के आदमी है, उनकी वाणी सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं वग़ैरह…वग़ैरह…... जगतपुर जो कि हमारे शहर से कोई 30किमी दूर एक छ्होटा सा गाओं था वहाँ काफ़ी लंबे चौड़े जगह मे उनका आश्रम बना हुआ था.

उनके भक्त पूरे देश मेफैले हुए थे. उनके आश्रम की देश भर मे कई शाखाए, थी. एक आश्रम तो ज़िंबाब्वे मे भी था. बहुत इनफ़्लुएनसियाल आदमी थे. बहुत दूर दूर तक उनकी पहुँच थी. काफ़ी बड़े बड़े लोग, मिन्सटरस, खिलाड़ी इत्यादि उनसे परामर्श लेने जाते थे. लोग उन्हे स्वामी जी के नाम से ही पुकारते थे.

बीच बीच मे दबी ज़ुबान मे कभी कभी उनके रंगीले स्वाभाव के बारे मे भी कई तरह की अफवाह फैल जाती थी. लोगों को कहते सुना था कि कोई औरत उनसे एक बार मिल ले तो फिर उनसे दूर नही रह सकती थी. औरतें उनका समिप्य पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी. उनके साथ एक बार सेक्स का आनंद लेने के लिए वो सब कुच्छ दाँव पर लगा सकती थी. वो जिंदगी भर उनकी छत्र छाया मे रहने को तैयार हो जाती थी. उनके मर्द शिष्यों से ज़्यादा संख्या उनकी महिला शिष्याओं की थी.
"उनके बारे मे डीटेल्ड कवरेज करना है तुम्हे." चीफ एडिटर हरीश ने आगे कहा. "कम से कम चार पाँच वीक का मॅटर हो जिसे हम एवेरी सनडे स्पेशल बुलेटिन मे जगह देंगे. वो जल्दी आदमियों से घुलता मिलता नही है. इसलिए तुम्हे चुना गया है. तुम खूबसूरत और सेक्सी हो साथ ही पूरी टीम मे सबसे समझदार भी हो.” मैं उसे मन ही मन गलियाँ दे रही थी. साले को आज मुझसे काम पड़ा है तो देखो काए तारीफों के पुल बाँधे जा रहा है.

“ये एक दिन का काम नही है. इसके लिए तुम्हे वहाँ कई दिन डिवोट करना होगा. दिस ईज़ अप टू यू वेदर यू स्टे देर ओर विज़िट हिम एवेरी डे. ज़्यादा दूर तो है नही. तुम्हे पेट्रोल का खर्चा मिल जाएगा. बट वी नीड दा होल कवरेज. सुबह से शाम तक. स्वामीजी के बारे मे हर तरह की बातें पता करनी है. कुच्छ प्रवचन भी कवर कर लेना. सुन रही हो ना मेरी बातें? या…." उसने मेरी प्रतिक्रिया देखने के लिए अपनी बात अधूरी ही छ्चोड़ दी.
"यस….यस सर. मैं सुन रही हूँ. मैं आज से ही काम पर लग जाती हूँ."
" आज से ही नही अभी से. युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ." कहकर उसने फोन रख दिया.

ज़रूर बुड्ढ़ा गाली निकाल रहा होगा कि मैने उनको मक्खन नही लगाया. लेकिन मैं तो असल मे काफ़ी दिनो से किसी बड़े प्रॉजेक्ट के लिए तरस रही थी. डेस्क वर्क करते करते बोर हो गयी थी. फील्ड वर्क करने का मज़ा ही कुच्छ अलग होता है.

मुझे खुशी से चहकते देख मेरा पति जीवन ने मुझे बाहों मे भर कर चूम लिया. मैने उन्हे सारी बात बताई. वो भी मेरी खुशी मे सरीक हो गये. उनको मालूम था कि मैं कितनी सफल रिपोर्टर हूँ और इस तरह के किसी प्रॉजेक्ट मे काम करके ही मुझे खुशी मिलती है.

अरे मैं तो अपने बारे मे बताना तो भूल ही गयी. मैं हूँ रश्मि. पूरा नाम रश्मि लाल. मैं 26 साल की, शुरू से ही एक खुले विचारो की महिला हूँ. आप मुझे एक सेक्सी और कामुक महिला भी कह सकते हैं. कॉलेज के दिनो मे क्लास मेट्स मुझे सेक्स बॉम्ब कहते थे. केयी बॉय फ्रेंड्स हर वक़्त मेरे इर्द-गिर्द घूमते नज़र आते थे. उनसे अक्सर लिपटना चूमना चलता ही रहता था. मैने कभी भी उनको इतनी लिफ्ट नही दी की इससे आगे वो सोच भी पाते. मैं सुहाग की सेज तक कुँवारी ही थी.

मैं एक नॉर्मल सीधी साधी और चंचल लड़की थी. हां लड़कों से मेलजोल मे शुरू से ही पसंद करती थी. मगर सेक्स के बारे मे मैने शादी से पहले कोई रूचि नही दिखाई थी. मैं शादी के बाद कैसे एक घरेलू काम काजी महिला से सेक्स मशीन मे बदल गयी ये उसी की कहानी है.

मेरी शादी जीवन लाल से आज से चार साल पहले हुई थी. हम दोनो यहाँ लनोव स्टेशन के पास ही रहते है. शादी से कुच्छ दिन पहले ही मैने जर्नलिस्ट की पढ़ाई पूरी कर एक फेमस अख़बार जाय्न किया था. अब मैं उस न्यूज़ पेपर मे सीनियर रिपोर्टर के पद पर हूँ. हमारे न्यूसपेपर की बहुत अच्छि सर्क्युलेशन है. मैं वैसे तो किसी स्पेशल केस को ही हॅंडल करती हूँ. वरना आजकल एडिटिंग का काम भी देख रही हूँ जो की बड़ा ही बोरिंग काम है. घूमना फिरना और नये नये लोगों से मिलना मेरा शुरू से ही एक फॅवुरेट हॉबी रहा है.
मेरे हज़्बेंड एक प्राइवेट फर्म मे मॅनेजर की पोस्ट पर काम करते हैं. हम दोनो के अलावा हमारे साथ हमारी सास रहती हैं. ससुर जी का देहांत मेरी शादी से पहले ही हो चुक्का था. मेरे पति जीवन लाल काफ़ी खुले विचारों के आदमी हैं. सिर्फ़ वो ही नही उनका पूरा परिवार ही काफ़ी मॉडर्न ख़यालों का है. इसलिए मुझे उनके साथ अड्जस्ट करने मे बिल्कुल भी परेशानी नही हुई. शादी से पहले दूसरी लड़कियों की तरह मेरे भी मन मे एक दर सताता था की शादी शादी के बाद मुझे सारी ब्लाउस मे एक टिपिकल इंडियन हाउस वाइफ बन कर रहना पड़ेगा. रिवीलिंग और मॉडर्न कपड़े नही पहन सकूँगी. मगर मेरी शादी के बाद वैसा कुच्छ भी नही हुआ.

जीवन को मेरे किसी भी काम से कोई इत्तेफ़ाक़ नही रहता है. उल्टा मेरे हज़्बेंड खुद ही शादी के बाद से मुझे एक्सपोषर के लिए ज़ोर देते रहे हैं. मेरी सासू जी ने मेरी शादी के बाद ही साफ साफ कह दिया था.

“हमारे घर मे बहू बेटी की तरह रहती है. यहाँ परदा बिल्कुल भी नही चलेगा. तुम्हारा जिस्म बहुत ही खूबसूरत है. और जो सुंदर चीज़ होती है उसे छिपा कर नही रखना चाहिए. देखने दो दूसरों को. वो देख कर मेरे ही बेटे की किस्मेत पर जलेंगे. ”

मैं उनकी बातें सुन कर अश्चर्य से भर गयी. उन्हों ने तो यहा तक कह दिया, “ किसी स्पेशल अकेशन के बिना ये बुढ्डी औरतों की तरह सारी नही पहनॉगी तुम.”

वो मुझे लेकर एक दिन बाजार गयी और मेरे लिए स्कर्ट/ब्लाउस, डीप गले के और छ्होटे छ्होटे कपड़े ले आई. मेरे लिए झीनी नाइटी. ढेर सारे नेट वाले ब्रा और पॅंटी तक ले आई.

“ये सब पहनॉगी तुम. ये दादी-अम्माओं वाले लिबास नही चल्लेंगे. कुच्छ दिनो की जवानी होती है इसे लोगों से छिपाने का क्या फ़ायदा? खूब दिखाओ और मज़े लो. ये जीवन के लिए गर्व की बात ही होगी की उसकी बीवी इतनी खूबसूरत है कि लोगों की लार टपकती है उसे देख कर.” सासू जी ने कहा.

मैं चुप छाप खड़ी रही तो उन्हों ने एक छ्होटी सी फ्रॉक मुझे दी और उसे पहन कर दिखाने को कहा. मैने उसे पहन कर देखा कि वो फ्रॉक मेरी पॅंटी से जस्ट दो अंगुल नीचे ही ख़तम हो जाती थी. उसमे से मेरे बड़े बड़े बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर छलक रहे थे. कंधो पर वो दो पतली डोरियों पर टिकी हुई थी. पीठ की तरफ से तो वो लगभग कमर तक कटी हुई थी. मुझे उस ड्रेस मे देख कर उनकी आँखें चमक उठी. और उस ड्रेस को पॅक करवा लिया.

मेरे पति जीवन भी मुझे एक्सपोज़ करने के लिए उकसाते थे. उन्हे किसिको मेरे बदन को घूरते हुए देखना बहुत अच्च्छा लगता है. इसके लिए मुझे हमेशा टाइट फिटिंग के कपड़े पहनने के लिए कहते है. वो खुद टेलर के पास मेरे साथ जाकर ब्लाउस का गला और पीठ इतनी गहरी बनवाते है की आधे बूब्स बाहर लोगों को दिखते रहते हैं.

मैं भी उन लोगों के बीच वैसी ही रहने लगी. अक्सर उनके कहने पर सेमी ट्रॅन्स्परेंट कपड़े पहन कर या बिना ब्रा के ब्लाउस पहन कर भी बाहर चली जाती हूँ.

उनकी पार्टीस और महफ़िलों मे मे काफ़ी एक्सपोसिंग कपड़े पहन कर जाती थी. उनके सारे दोस्तों की तो लार टपकती थी मुझे देख कर. मैं उनकी हरकतें जीवन को बाद मे चटखारे लेकर सुनती थी. अगर कभी नही सुना पति तो वो खोद खोद कर मुझसे पूछ्ते थे. उन मे से कुच्छ दोस्तों का घर मे अक्सर आना जाना था. वो बेहिचक मुझसे गंदे गंदे जोक्स करने से भी नही कतराते थे. उनकी बीवियाँ भी हमारी तरह ही खुले विचारों की थी.

उनके दोस्तों मे एक है रोहन. वो अभी कुँवारा ही है. 35 साल की आस पास उम्र होगी. पता नही शादी करेगा भी या नही. इन लोगों का एक दस आदमियों का ग्रूप था. हफ्ते मे दो दिन शाम को सब एक जगह इकट्ठे हो कर एक गेट टुगेदर किया जाता था. बारी बारी से किसी एक के घर पार्टी अरेंज होती थी और सब रात दो तीन बजे तक नाच गाना चलता रहता था. सारे मर्द ड्रिंक्स मे और कार्ड्स मे बैठ जाते थे. महिलाएँ गुपशप मे बिज़ी हो जाती थी. और ये महाशय मिस्टर. रोहन देशपांडे आदमियों से ज़्यादा महिलाओं मे रूचि लेता था. वो सारी महिलाओं से ही फ्लर्ट करता था. मैं नयी शादी शुदा थी इसलिए मुझमे वो कुच्छ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेता था. महिलाएँ भी उसका नाम ले ले कर दबी दबी मस्कराहेट देती थी और आँखों के इशारे करती थी.

अक्सर जब हम सब बातें करती वो आकर मेरी बगल मे मुझसे सॅट कर बैठ जाता. फिर कभी कोल्ड ड्रिंक्स के बहाने या कभी स्नॅक्स उठाने के बहाने अपनी कोहनी से मेरे ब्रेस्ट को प्रेस कर देता. कभी मेरी जांघों पर हाथ फेर देता. बाकी महिलाएँ तो उसकी इस तरह की हरकतों का बुरा नही मानती थी. मगर मेरे लिए ये सब नया अनुभव था. किसी गैर मर्द का इस तरह बदन को छ्छूना या उसे मसलना मुझे अजीब सा लगता था. मर्द लोग तो उसकी हरकतों का कोई बुरा नही मानते थे. अगर कोई कुच्छ शिकायत भी करता तो हँसी मे उड़ा दिया जाता था.
मैने भी एक दो बार जीवन से शिकायत की थी मगर वो उल्टे मुझसे मज़ाक करने लगता. मैं झेंप सी जाती. धीरे धीरे मुझे भी उसकी हरकतों मे मज़ा आने लगा. जब डिन्नर से पहले डॅन्स होता तो वो अक्सर मुझे अपना पार्टनर चुनता और मेरे बदन से डॅन्स की आड़ मे बुरी तरह चिपक जाता. कई बार मेरे उरजों को एवं मेरे पेट मेरे इंतंबों को डॅन्स करते हुए मसल चुक्का था. मगर इससे ज़्यादा कभी उसने आगे बढ़ने की कोशिश नही की.

मैं अपने न्यूज़ पेपर की ओर से दी हुई पार्टीस की तो जान ही रहती थी. उन पार्टीस मे तो अक्सर मैं अकेली ही जाती थी इसलिए जी भर कर एंजाय करती थी. मगर मैने कभी किसी और के साथ शारीरिक संबंध नही बनाए थे.

मेरा एक बच्चा है जो कि अभी एक साल का ही हुआ है. कामकाजी महिला होने के बावजूद मैं जब भी घर पर होती हूँ अपने बच्च्चे को ब्रेस्ट फीड ही कराती हूँ. इससे मैं बहुत एग्ज़ाइट हो जाती हूँ. मेरे निपल्स काफ़ी बड़े और सेन्सिटिव हैं. जब कोई इनसे खेलता है या छेड़ता है तो मेरे पूरे बदन मे आग लग जाती है. और फिर तो आप समझ ही गये होंगे की जीवन साहिब का क्या हाल होता होगा.
मेरे ब्रेस्ट 38 साइज़ के हैं और दूध आने के बाद तो ये 40 के हो गये हैं. दूध भरे होने के बावजूद एकदम तने रहते हैं. मैं अपने इन असेट्स पर गर्व करती हूँ. इनकी एक झलक पाने के लिए कितने ही आशिक़ क़ुरबान हो जाते हैं. कभी कभी टी शर्ट के नीच कुच्छ भी नही पहन कर जब मैं अपनी बाल्कनी मे निकलती हूँ तो आस पास के कुंवारे लड़के किसी ना किसी बहाने से तक झाँक करने लगते हैं. मैं उनके दिल की दशा समझ कर मुस्कुरा कर रह जाती हूँ.

हम दोनो सेक्स के मामले मे भी बहुत तरह के एक्सपेरिमेंट कर चुके हैं. लेकिन सेक्स के मामले मे मैं काफ़ी सेलेक्टिव थी. मैने अपने आप को बहुत ही बचाया मगर शादी के कुच्छ ही महीनो के भीतर मेरी जिंदगी मे ऐसा तूफान आया कि मैं एक कामुक औरत मे तब्दील हो गयी. इस मे किसी की ग़लती भी नही थी. मैं अपने बदन को एक्सपोज़ करके और उनके साथ छेड़ छाड़ कर खुद मौका देती थी कि आओ और मुझे अपने जिस्म की गर्मी से पिघला दो. मर्दों को तो ऐसी ही महिलाओं की खोज रहती है जिसके साथ अपनी जिस्मानी भूख मिटा सके.

लेकिन आज तक मैने जिस से भी जिस्मानी ताल्लुक़ात बनाए वो सब बहुत ही सेलेक्टिव लोग थे. मैने कुच्छ एक लोगों के अलावा आज तक किसी को अपना जिस्म नही सॉन्पा था. वो भी कुच्छ एक मौकों पर ही. लेकिन ये सारे संबंध जीवन से छिप कर बनाए थे. जीवन को मेरे इन संबंधों के बारे मे कोई जानकारी नही थी. मैं मानती हूँ कि वो और उनका परिवार बहुत ही खुले विचारों का है मगर जब किसी पराए मर्द से जिस्मानी ताल्लुक़ात की बात आती है तो मैने अच्छे अच्छे मॉडर्न बनने का दावा करते लोगों के वैवाहिक संबंधों मे दरार आते देखा है.

उनकी नालेज मे मैने अभी तक उनके अलावा किसी और से संभोग नही किया है. वो एक दो बार स्वापिंग के लिए भी कह चुके हैं लेकिन मेरे मना करने पर उन्हों ने आगे कुच्छ नही कहा. हां मैने एक्सपोषर के मामले मे उनका मन रख लिया था.

जो बात मैने अब तक किसी को नही बताई वो आप से शेर करती हूँ. मेरी जिंदगी मे किस तरह एक के बाद एक मर्द आते चले गये उनके बारे मे सब बताती हूँ.

मैं पहले ऐसी नही थी. शादी के पहले सेक्स बॉम्ब हो कर भी शुरू शुरू मे काफ़ी ऑर्तोडॉक्स विचारों की थी. क्योंकि मेरे मैके का महॉल काफ़ी पुराने किस्म का था.

मगर मेरी सारी झिझक मेरे एक असाइनमेंट ने हवा कर दी. मैं किसी भी मर्द के साथ कहीं भी सेक्स करने को तयार रहने लगी.

ये सब तब हुआ जब मेरी शादी हुए अभी मुश्किल से छह महीने ही हुए थे. अचानक एक प्रॉजेक्ट हाथ मे आया. इनाम इतना अट्रॅक्टिव था कि मैं ना नही कर पाई.

आंध्रा प्रदेश के घने जंगल वाले इलाक़े मे वरुण शुक्ला को एक नॅडलाइट के चीफ तंगराजन के बारे मे कवरेज करने भेजा था. तंगराजन की तूती पूरे इलाक़े मे बोलती थी. वो वहाँ का बेताज बादशाह था. उसके नाम से वहाँ की पोलीस भी कांपती थी.

वरुण हमारे अख़बार का एक होनहार जर्नलिस्ट था. वारंगल के पास जंगलों मे घूमते हुए अभी कुच्छ ही दिन हुए थे कि अचानक उसका अफ़रन हो गया और उसके बाद उसकी लाश ही पोलीस को मिली. ये हमारे मालिक के लिए एक तमाचा था. उन्हों ने मुझे वरुण का अधूरा काम देते हुए कहा,

“रश्मि वरुण ने जो कम अधूरा छ्चोड़ा है वो तुम्हे पूरा करना है. तुम अगर इनकार करो तो मुझे किसी दूसरे को ढूँढना पड़ेगा. मगर मुझे मालूम है तुम कितनी साहसी महिला हो. खर्चे की बिल्कुल चिंता मत करना. मगर तंगराजन की तस्वीर और उसके बारे मे एक एक छ्होटी से छ्होटी चीज़ बाहर आनी चाहिए. तुम मनोगी नही पोलीस उसे पिच्छले दस सालो से ढूँढ रही है मगर आज तक उसकी कोई तस्वीर किसी को नही मिली. कोई नही जानता वो दिखने मे कैसा है?”

“मैं आपको निराश नही करूँगी.” मैने कहा.

“देखो रश्मि बेटी. वरुण आदमी था और तुम औरत. औरत होने के नाते पास तुम्हारे रूप और सुंदरता नाम का एक हथियार अधिक होगा. जिसे तुम चाहो तो ज़रूरत के हिसाब से यूज़ कर सकती हो.” कहकर उन्हों ने एक लाख की गॅडी मेरे हाथ मे दी,” ये तुम्हारे लिए हैं.”

मैं उन्हे थॅंक्स कह कर घर चली आए. हज़ारों माइल दूर की यात्रा की तैयारी करनी थी. जीवन ने जब सुना तो वो बहुत खुश हुए. लेकिन उनके मन की हालत तो मैं समझ सकती थी. कोई भी मर्द शादी के छह महीनो मे अपनी वाइफ को हफ्ते दस दिनो के लिए तो दूर पल भर को छ्चोड़ने को राज़ी नही होता है. लेकिन उन्हों ने अपने चेहरे पर कोई शिकन नज़र नही आने दी. सासू जी मेरे इस तरह अकेले ऐसे ख़तरनाक मिशन पर जाने की सुन कर विद्रोह कर उठी मगर. जीवन ने उन्हे समझा बुझा कर चुप कर दिया. मैं अगले दिन फ्लाइट पकड़ कर हयदेराबाद पहुँची वहाँ से ट्रेन और बस से होते हुए उस स्थान पर पहुँची जहाँ से आबादी कम होने लगती थी और जंगल का इलाक़ा शुरू होता था. सैकड़ों किलोमेटेर घना जंगल था. जहाँ पर ख़तरनाक नॅडलाइट्स रहते थे. वहाँ उनका होकुम चलता था. किसी की क्या मज़ाल की कोई उनके आग्या की अवहेलना करे.

लेकिन उन्हों ने कभी किसी का बुरा नही किया. वो गाओं वालो के लिए लड़ते थे और इसलिए कोई गाओं वाला उनके खिलाफ जाने की सोच भी नही सकता था.

मैं कंधे पर एक बॅग लेकर अपने इस अंजान यात्रा पर निकल पड़ी. मैं उनकी भाषा से बिल्कुल अपरिचित थी. इसलिए इशारों के सहारे बात करना पड़ता था. इधर उधर घूम कर मैं तंगराजन के बारे मे जानकारी इकट्ठा करने लगी. लोगों ने चेताया की मैं लड़की हूँ इसलिए मुझे उससे दूर ही रहना चाहिए. क्यों की वो बहुत ही ख़ूँख़ार आदमी है.

अभी मुझे घूमते हुए कुच्छ ही दिन हुए थे कि तभी एक दिन मैं अपने आप को इन डकैतों से घिरे हुए पाया. वो दस आदमी थे. मैं उन्हे देख कर पहले घबरा गयी. लेकिन उनके हाव भाव से पता चला कि वो नॅडलाइट्स थे तो मेरी जान मे जान आइ. इनके हाथों मे बंदूक थी. मैने उनके सामने किसी तरह का विरोध नही किया. मैं भी तो यही चाहती थी. तंगराजन से मिलने का यही एक मात्र तरीका था.

उन्हों ने मेरे हाथों को पीठ की ओर करके रस्से से बाँधा. मेरे मुँह मे एक कपड़ा ठूंस कर उसे भी कस कर बाँध दिया. अब मैं कोई आवाज़ निकल सकती थीं ना ही मैं अपने हाथों से अपना बचाव कर सकती थी. मुझे एक घोड़े पर बिठा कर जंगल की दिशा मे दौड़ते चले गये. काफ़ी देर चलने के बाद जिस जगह पर जाकर वो रुके वो जगह एक पहाड़ियों से घिरी हुई जगह थी. पास ही एक झरना बह रहा था और काफ़ी लंबे चौड़े एक घास के मैदान के एक ओर काफ़ी सारे टेंट लगा रखे थे. उनमे से एक मकान बाँस से बना हुआ था. बाकी सब कपड़े से बने हुए टेंट्स थे.

मुझे लगभग खींचते हुए दो आदमी एक टेंट मे ले गये. वहाँ मुझे ज़मीन पर पटक दिया गया. मेरे दोनो हाथ पीछे की ओर बँधे हुए थे. मुझे दो आदमी हाथों मे बंदूक लिए हुए कवर कर रहे थे. तभी एक आदमी टेंट के अंदर आया. वो काफ़ी हॅटा कॅटा आदमी था. पूरा बदन किसी नीग्रो की तरह काला था. पहले उसने मेरे समान की अच्छि तरह तलाशी ली. एक एक समान को उलट पलट कर देखा. फिर सारा समान वहीं ज़मीन पर बिखेर कर वो मेरी तरफ घूमा. मैं समझ गयी की अब मेरी तलाशी होनी है. वो भी एक मर्द के द्वारा. मैं उसकी नज़र का आशय समझ कर अपने आप मे सिमट गयी. मगर इससे कोई बच थोड़ी सकता है.

उस दिन मैने एक शर्ट और घाघरा पहने थे. वो मेरी तरफ बढ़ा मैं उसे आगे बढ़ते देख पीछे सरकने लगी. हँसने से उसके दाँत रात अंधेरे मे चमकते सितारों से लग रहे थे. उसने मुझे बालों से पकड़ कर एक झटका दिया. मुझे लगा मेरे बाल सिर से उखड़ जाएँगे. मैं उसके सामने आ गिरी. उसने बिना किसी सूचना के एक दम से मेरी दोनो चूचियो को शर्ट के उपर से मसल दिया. मैं दर्द से कराह उठी.

उसने अपने दोनो खुरदुरे हाथ मेरे गिरहबान से मेरी ब्रा के अंदर डाल दिए और मेरे स्तनो को बड़े ही बेरहमी से मसल्ने लगा. उसने दोनो निपल्स को बुरी तरह नोच डाला. दोनो स्तनो को खींच कर ब्रा के बाहर निकाल लिया. शर्ट के उपर के दो बटन्स खोल कर उन दोनो दूध के डिब्बों की अच्छि तरह से जाँच पड़ताल की. जब पूरी तरह तसल्ली हो गयी कि मेरे दोनो उँचे उँचे गोले कोई हथियार नही मेरे नरम नरम बूब्स हैं तब जा कर उसने अपने हाथ बाहर निकाले.

उसने मेरे पूरे बदन पर अच्छि तरह से हाथ फिरा कर मुआयना किया. फिर उसने मेरे घाघरे को खींच कर उतार दिया. नीचे मैं सिर्फ़ एक पॅंटी पहने थी. उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर अलग किया और बिना किसी रहम के मेरी पॅंटी के निचले जोड़ को एक ओर हटा कर अपनी तीन मोटी मोटी उंगलियाँ एक झटके मे मेरी योनि मे डाल दी. मैं एक दम से उच्छल पड़ी.इस हमले के लिए मैं पहले से तैयार नही थी. वो कुच्छ देर तक अपनी मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि के अंदर यहाँ वहाँ घुमाता रहा. वो इस तरह की अमानुषी हरकतें बिना मेरी इजाज़त के कर रहा था. अगर हाथ खुले होते तो सही जवाब देती उसे मैं. मगर मेरा बदन मेरे दिमाग़ की बातें नही मान रहा था और उसकी इन हरकतों पर मेरी योनि गीली होने लगी. मुझे अपने आप से इतनी शर्म आइ कि क्या बताऊ. कुच्छ देर तक मेरे बदन को मसल मसल कर चेक करने के बाद वो उठा और बाहर चला गया.

उसके जाने के कुच्छ देर बाद एक दूसरा आदमी अंदर आया. जो कि उसका सीनियर लग रहा था. उसके साथ दो और आदमी भी अंदर आए. उन्हों ने मेरे मुँह पर से कपड़ा हटा दिया. मेरे जबड़े दुखने लगे थे. मेरे लंबे बालों को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर मेरे सिर को एक झटके से उठाया और कुच्छ देसी भाषा मे बोला जो मेरी समझ से परे था.

तभी उनका सीनियर ने मेरे पास आकर पूछा, “ यू नो इंग्लीश? या हिन्दी समझता है?”

“दोनो मे मुझे कोई परेशानी नही है.” मैने उसे घूरते हुए कहा.

“मुझे इस तरह बाँध कर लाने का मतलब? मैं कोई मुखबिर या पोलीस वाली तो हूँ नही.” मैने उससे कहा.

“वही तो हम जानना चाहते है की तू है कौन?” उसने टूटी फूटी भाषा मे पूछा.

“मैं एक रिपोर्टर हूँ और मैं तंगराजन जी का इंटरव्यू लेना चाहती हूँ. मुझे ग़लत मत समझो मुझे आपके ग्रूप से कुच्छ भी लेना देना नही है.”

इतना कहना था कि एक ज़ोर दार तमाचा मेरे गाल्लों पर पड़ा और मैं फर्श पर गिर पड़ी. इतना जोरदार झापड़ था कि मुझे दिन मे तारे नज़र आ गये. मुझे लगा कि मेरा जबड़ा टूट कर बाहर ना आ जाए. मेरा निचला होंठ फट गया था और खून चॉक आया था.

“रंडी वो चीज़ बता जो हमे पहले से नही मालूम हो.” उस आदमी ने अपनी लाल लाल आँखों से मुझे घूरते हुए पूछा “किस के लिए काम कर रही है. किसने तुझे भेजा है. बता नही तो तेरे जिस्म के छ्होटे छ्होटे टुकड़े करके फेंक देंगे.”

उसका दूसरा हाथ पड़ते ही मेरी आँखें छलक आईं. मैं सुबकने लगी और सुबक्ते हुए कहा,” मुझे मार डालो लेकिन जो सच है वही सच रहेगा. मुझे इससे ज़्यादा कुच्छ नही मालूम”

उस आदमी ने अपने पास खड़े दोनो आदमियों को इशारा किया.

“चल इसको नंगी कर दे…साली ऐसे नही मानेगी.” उसने गुर्राते हुए कहा.

दोनो मुझ पर झपट पड़े पहले मुझे खड़ा करके मेरे सारे बंधन खोल दिए फिर मेरे एक एक कपड़े को बदन से उतार कर कोने मे उच्छलते चले गये. दो मिनिट के भीतर मैं उन मर्दों के बीच बिल्कुल नंगी खड़ी थी. सब मुझे सकुचाते शरमाते देख कर हो हो करके हंस रहे थे. मैं ने शरमाते हुए अपने गुप्तांगों को अपनी हथेली से छिपाना चाहा तो उस आदमी ने मेरे हाथ को झटक कर अलग कर दिया.

“फिर से ऐसी हरकत कर के देख तेरे बाजुओं को जिस्म से अलग कर दूँगा. साली टाँगें फैला कर अपने हाथों को सर के उपर उठा कर खड़ी हो देखें कैसी माल है तू.”

मैने वैसा ही किया जैसा उसने
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#2
(03-09-2023, 04:34 PM)Tharki boy Wrote: हेलो… रश्मि" मेरे एडिटर की आवाज़ सुनते ही मैं सम्हल गयी.
" हां बोलिए" मैने अपनी ज़ुबान पर मिठास घोलते हुए कहा. मेरा चीफ एडिटर हरीश से मेरा वैसे भी छत्तिस का आँकड़ा था. वो बुरी तरह चिढ़ता था मुझसे.
"तुम्हे जगतपुर जाना है. अभी इसी वक़्त." उसके ऑर्डर करने वाले लहजे को सुन कर दिल मे आया की सामने होता तो दो चार गलियाँ ज़रूर सुनाती. साला अपने आप को मालिक से कम नही समझता.
" क्यों? उसे शायद मुझ से इस तरह के क्वेस्चन की ही उम्मीद थी, आपको मालूम ही है कि मैं कुच्छ दिनो के लिए छुट्टी पर जाना चाहती हूँ. ऐसा कौन सा अर्जेंट काम आ गया जो मेरे सिवा किसी से नही हो सकता?”
" तुम्हे जगतपुर के स्वामी त्रिलोकनंद का इंटरव्यू लेना है. कुच्छ लोक प्रतिनिधियों ने उस आश्रम मे चल रहे कुच्छ गड़बड़ की तरफ इशारा किया है. हम चाहते हैं कि आश्रम मे अगर कुच्छ ग़लत हो रहा है तो हमारे अख़बार मे सबसे पहले छपे." उसके लहजे मे चीनी के दाने के बराबर भी मिठास नही थी. वो मुझे एक जर-खरीद गुलाम की तरह ऑर्डर पर ऑर्डर दिए जा रहा था, “ मैं तो इस काम के लिए रोमीत को लगाना चाहता था मगर मालिकों का हुक्म है तुम्हे लगाने के लिए. पता नही उन को कैसी ग़लत फ़हमी है कि तुम बहुत काम की जर्नलिस्ट हो. हाहाहा…….”
" क्या?.......मैं इस प्रॉजेक्ट के लिए पूरी तरह से तैयार हूँ." मैं खुशी से उच्छल पड़ी. काफ़ी दिनो से मैं स्वामीजी का इंटरव्यू लेना चाहती थी. बहुत सुन रखा था उनके बारे मे. बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व के आदमी है, उनकी वाणी सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं वग़ैरह…वग़ैरह…... जगतपुर जो कि हमारे शहर से कोई 30किमी दूर एक छ्होटा सा गाओं था वहाँ काफ़ी लंबे चौड़े जगह मे उनका आश्रम बना हुआ था.

उनके भक्त पूरे देश मेफैले हुए थे. उनके आश्रम की देश भर मे कई शाखाए, थी. एक आश्रम तो ज़िंबाब्वे मे भी था. बहुत इनफ़्लुएनसियाल आदमी थे. बहुत दूर दूर तक उनकी पहुँच थी. काफ़ी बड़े बड़े लोग, मिन्सटरस, खिलाड़ी इत्यादि उनसे परामर्श लेने जाते थे. लोग उन्हे स्वामी जी के नाम से ही पुकारते थे.

बीच बीच मे दबी ज़ुबान मे कभी कभी उनके रंगीले स्वाभाव के बारे मे भी कई तरह की अफवाह फैल जाती थी. लोगों को कहते सुना था कि कोई औरत उनसे एक बार मिल ले तो फिर उनसे दूर नही रह सकती थी. औरतें उनका समिप्य पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती थी. उनके साथ एक बार सेक्स का आनंद लेने के लिए वो सब कुच्छ दाँव पर लगा सकती थी. वो जिंदगी भर उनकी छत्र छाया मे रहने को तैयार हो जाती थी. उनके मर्द शिष्यों से ज़्यादा संख्या उनकी महिला शिष्याओं की थी.
"उनके बारे मे डीटेल्ड कवरेज करना है तुम्हे." चीफ एडिटर हरीश ने आगे कहा. "कम से कम चार पाँच वीक का मॅटर हो जिसे हम एवेरी सनडे स्पेशल बुलेटिन मे जगह देंगे. वो जल्दी आदमियों से घुलता मिलता नही है. इसलिए तुम्हे चुना गया है. तुम खूबसूरत और सेक्सी हो साथ ही पूरी टीम मे सबसे समझदार भी हो.” मैं उसे मन ही मन गलियाँ दे रही थी. साले को आज मुझसे काम पड़ा है तो देखो काए तारीफों के पुल बाँधे जा रहा है.

“ये एक दिन का काम नही है. इसके लिए तुम्हे वहाँ कई दिन डिवोट करना होगा. दिस ईज़ अप टू यू वेदर यू स्टे देर ओर विज़िट हिम एवेरी डे. ज़्यादा दूर तो है नही. तुम्हे पेट्रोल का खर्चा मिल जाएगा. बट वी नीड दा होल कवरेज. सुबह से शाम तक. स्वामीजी के बारे मे हर तरह की बातें पता करनी है. कुच्छ प्रवचन भी कवर कर लेना. सुन रही हो ना मेरी बातें? या…." उसने मेरी प्रतिक्रिया देखने के लिए अपनी बात अधूरी ही छ्चोड़ दी.
"यस….यस सर. मैं सुन रही हूँ. मैं आज से ही काम पर लग जाती हूँ."
" आज से ही नही अभी से. युवर टाइम स्टार्ट्स नाउ." कहकर उसने फोन रख दिया.

ज़रूर बुड्ढ़ा गाली निकाल रहा होगा कि मैने उनको मक्खन नही लगाया. लेकिन मैं तो असल मे काफ़ी दिनो से किसी बड़े प्रॉजेक्ट के लिए तरस रही थी. डेस्क वर्क करते करते बोर हो गयी थी. फील्ड वर्क करने का मज़ा ही कुच्छ अलग होता है.

मुझे खुशी से चहकते देख मेरा पति जीवन ने मुझे बाहों मे भर कर चूम लिया. मैने उन्हे सारी बात बताई. वो भी मेरी खुशी मे सरीक हो गये. उनको मालूम था कि मैं कितनी सफल रिपोर्टर हूँ और इस तरह के किसी प्रॉजेक्ट मे काम करके ही मुझे खुशी मिलती है.

अरे मैं तो अपने बारे मे बताना तो भूल ही गयी. मैं हूँ रश्मि. पूरा नाम रश्मि लाल. मैं 26 साल की, शुरू से ही एक खुले विचारो की महिला हूँ. आप मुझे एक सेक्सी और कामुक महिला भी कह सकते हैं. कॉलेज के दिनो मे क्लास मेट्स मुझे सेक्स बॉम्ब कहते थे. केयी बॉय फ्रेंड्स हर वक़्त मेरे इर्द-गिर्द घूमते नज़र आते थे. उनसे अक्सर लिपटना चूमना चलता ही रहता था. मैने कभी भी उनको इतनी लिफ्ट नही दी की इससे आगे वो सोच भी पाते. मैं सुहाग की सेज तक कुँवारी ही थी.

मैं एक नॉर्मल सीधी साधी और चंचल लड़की थी. हां लड़कों से मेलजोल मे शुरू से ही पसंद करती थी. मगर सेक्स के बारे मे मैने शादी से पहले कोई रूचि नही दिखाई थी. मैं शादी के बाद कैसे एक घरेलू काम काजी महिला से सेक्स मशीन मे बदल गयी ये उसी की कहानी है.

मेरी शादी जीवन लाल से आज से चार साल पहले हुई थी. हम दोनो यहाँ लनोव स्टेशन के पास ही रहते है. शादी से कुच्छ दिन पहले ही मैने जर्नलिस्ट की पढ़ाई पूरी कर एक फेमस अख़बार जाय्न किया था. अब मैं उस न्यूज़ पेपर मे सीनियर रिपोर्टर के पद पर हूँ. हमारे न्यूसपेपर की बहुत अच्छि सर्क्युलेशन है. मैं वैसे तो किसी स्पेशल केस को ही हॅंडल करती हूँ. वरना आजकल एडिटिंग का काम भी देख रही हूँ जो की बड़ा ही बोरिंग काम है. घूमना फिरना और नये नये लोगों से मिलना मेरा शुरू से ही एक फॅवुरेट हॉबी रहा है.
मेरे हज़्बेंड एक प्राइवेट फर्म मे मॅनेजर की पोस्ट पर काम करते हैं. हम दोनो के अलावा हमारे साथ हमारी सास रहती हैं. ससुर जी का देहांत मेरी शादी से पहले ही हो चुक्का था. मेरे पति जीवन लाल काफ़ी खुले विचारों के आदमी हैं. सिर्फ़ वो ही नही उनका पूरा परिवार ही काफ़ी मॉडर्न ख़यालों का है. इसलिए मुझे उनके साथ अड्जस्ट करने मे बिल्कुल भी परेशानी नही हुई. शादी से पहले दूसरी लड़कियों की तरह मेरे भी मन मे एक दर सताता था की शादी शादी के बाद मुझे सारी ब्लाउस मे एक टिपिकल इंडियन हाउस वाइफ बन कर रहना पड़ेगा. रिवीलिंग और मॉडर्न कपड़े नही पहन सकूँगी. मगर मेरी शादी के बाद वैसा कुच्छ भी नही हुआ.

जीवन को मेरे किसी भी काम से कोई इत्तेफ़ाक़ नही रहता है. उल्टा मेरे हज़्बेंड खुद ही शादी के बाद से मुझे एक्सपोषर के लिए ज़ोर देते रहे हैं. मेरी सासू जी ने मेरी शादी के बाद ही साफ साफ कह दिया था.

“हमारे घर मे बहू बेटी की तरह रहती है. यहाँ परदा बिल्कुल भी नही चलेगा. तुम्हारा जिस्म बहुत ही खूबसूरत है. और जो सुंदर चीज़ होती है उसे छिपा कर नही रखना चाहिए. देखने दो दूसरों को. वो देख कर मेरे ही बेटे की किस्मेत पर जलेंगे. ”

मैं उनकी बातें सुन कर अश्चर्य से भर गयी. उन्हों ने तो यहा तक कह दिया, “ किसी स्पेशल अकेशन के बिना ये बुढ्डी औरतों की तरह सारी नही पहनॉगी तुम.”

वो मुझे लेकर एक दिन बाजार गयी और मेरे लिए स्कर्ट/ब्लाउस, डीप गले के और छ्होटे छ्होटे कपड़े ले आई. मेरे लिए झीनी नाइटी. ढेर सारे नेट वाले ब्रा और पॅंटी तक ले आई.

“ये सब पहनॉगी तुम. ये दादी-अम्माओं वाले लिबास नही चल्लेंगे. कुच्छ दिनो की जवानी होती है इसे लोगों से छिपाने का क्या फ़ायदा? खूब दिखाओ और मज़े लो. ये जीवन के लिए गर्व की बात ही होगी की उसकी बीवी इतनी खूबसूरत है कि लोगों की लार टपकती है उसे देख कर.” सासू जी ने कहा.

मैं चुप छाप खड़ी रही तो उन्हों ने एक छ्होटी सी फ्रॉक मुझे दी और उसे पहन कर दिखाने को कहा. मैने उसे पहन कर देखा कि वो फ्रॉक मेरी पॅंटी से जस्ट दो अंगुल नीचे ही ख़तम हो जाती थी. उसमे से मेरे बड़े बड़े बूब्स आधे से ज़्यादा बाहर छलक रहे थे. कंधो पर वो दो पतली डोरियों पर टिकी हुई थी. पीठ की तरफ से तो वो लगभग कमर तक कटी हुई थी. मुझे उस ड्रेस मे देख कर उनकी आँखें चमक उठी. और उस ड्रेस को पॅक करवा लिया.

मेरे पति जीवन भी मुझे एक्सपोज़ करने के लिए उकसाते थे. उन्हे किसिको मेरे बदन को घूरते हुए देखना बहुत अच्च्छा लगता है. इसके लिए मुझे हमेशा टाइट फिटिंग के कपड़े पहनने के लिए कहते है. वो खुद टेलर के पास मेरे साथ जाकर ब्लाउस का गला और पीठ इतनी गहरी बनवाते है की आधे बूब्स बाहर लोगों को दिखते रहते हैं.

मैं भी उन लोगों के बीच वैसी ही रहने लगी. अक्सर उनके कहने पर सेमी ट्रॅन्स्परेंट कपड़े पहन कर या बिना ब्रा के ब्लाउस पहन कर भी बाहर चली जाती हूँ.

उनकी पार्टीस और महफ़िलों मे मे काफ़ी एक्सपोसिंग कपड़े पहन कर जाती थी. उनके सारे दोस्तों की तो लार टपकती थी मुझे देख कर. मैं उनकी हरकतें जीवन को बाद मे चटखारे लेकर सुनती थी. अगर कभी नही सुना पति तो वो खोद खोद कर मुझसे पूछ्ते थे. उन मे से कुच्छ दोस्तों का घर मे अक्सर आना जाना था. वो बेहिचक मुझसे गंदे गंदे जोक्स करने से भी नही कतराते थे. उनकी बीवियाँ भी हमारी तरह ही खुले विचारों की थी.

उनके दोस्तों मे एक है रोहन. वो अभी कुँवारा ही है. 35 साल की आस पास उम्र होगी. पता नही शादी करेगा भी या नही. इन लोगों का एक दस आदमियों का ग्रूप था. हफ्ते मे दो दिन शाम को सब एक जगह इकट्ठे हो कर एक गेट टुगेदर किया जाता था. बारी बारी से किसी एक के घर पार्टी अरेंज होती थी और सब रात दो तीन बजे तक नाच गाना चलता रहता था. सारे मर्द ड्रिंक्स मे और कार्ड्स मे बैठ जाते थे. महिलाएँ गुपशप मे बिज़ी हो जाती थी. और ये महाशय मिस्टर. रोहन देशपांडे आदमियों से ज़्यादा महिलाओं मे रूचि लेता था. वो सारी महिलाओं से ही फ्लर्ट करता था. मैं नयी शादी शुदा थी इसलिए मुझमे वो कुच्छ ज़्यादा ही इंटेरेस्ट लेता था. महिलाएँ भी उसका नाम ले ले कर दबी दबी मस्कराहेट देती थी और आँखों के इशारे करती थी.

अक्सर जब हम सब बातें करती वो आकर मेरी बगल मे मुझसे सॅट कर बैठ जाता. फिर कभी कोल्ड ड्रिंक्स के बहाने या कभी स्नॅक्स उठाने के बहाने अपनी कोहनी से मेरे ब्रेस्ट को प्रेस कर देता. कभी मेरी जांघों पर हाथ फेर देता. बाकी महिलाएँ तो उसकी इस तरह की हरकतों का बुरा नही मानती थी. मगर मेरे लिए ये सब नया अनुभव था. किसी गैर मर्द का इस तरह बदन को छ्छूना या उसे मसलना मुझे अजीब सा लगता था. मर्द लोग तो उसकी हरकतों का कोई बुरा नही मानते थे. अगर कोई कुच्छ शिकायत भी करता तो हँसी मे उड़ा दिया जाता था.
मैने भी एक दो बार जीवन से शिकायत की थी मगर वो उल्टे मुझसे मज़ाक करने लगता. मैं झेंप सी जाती. धीरे धीरे मुझे भी उसकी हरकतों मे मज़ा आने लगा. जब डिन्नर से पहले डॅन्स होता तो वो अक्सर मुझे अपना पार्टनर चुनता और मेरे बदन से डॅन्स की आड़ मे बुरी तरह चिपक जाता. कई बार मेरे उरजों को एवं मेरे पेट मेरे इंतंबों को डॅन्स करते हुए मसल चुक्का था. मगर इससे ज़्यादा कभी उसने आगे बढ़ने की कोशिश नही की.

मैं अपने न्यूज़ पेपर की ओर से दी हुई पार्टीस की तो जान ही रहती थी. उन पार्टीस मे तो अक्सर मैं अकेली ही जाती थी इसलिए जी भर कर एंजाय करती थी. मगर मैने कभी किसी और के साथ शारीरिक संबंध नही बनाए थे.

मेरा एक बच्चा है जो कि अभी एक साल का ही हुआ है. कामकाजी महिला होने के बावजूद मैं जब भी घर पर होती हूँ अपने बच्च्चे को ब्रेस्ट फीड ही कराती हूँ. इससे मैं बहुत एग्ज़ाइट हो जाती हूँ. मेरे निपल्स काफ़ी बड़े और सेन्सिटिव हैं. जब कोई इनसे खेलता है या छेड़ता है तो मेरे पूरे बदन मे आग लग जाती है. और फिर तो आप समझ ही गये होंगे की जीवन साहिब का क्या हाल होता होगा.
मेरे ब्रेस्ट 38 साइज़ के हैं और दूध आने के बाद तो ये 40 के हो गये हैं. दूध भरे होने के बावजूद एकदम तने रहते हैं. मैं अपने इन असेट्स पर गर्व करती हूँ. इनकी एक झलक पाने के लिए कितने ही आशिक़ क़ुरबान हो जाते हैं. कभी कभी टी शर्ट के नीच कुच्छ भी नही पहन कर जब मैं अपनी बाल्कनी मे निकलती हूँ तो आस पास के कुंवारे लड़के किसी ना किसी बहाने से तक झाँक करने लगते हैं. मैं उनके दिल की दशा समझ कर मुस्कुरा कर रह जाती हूँ.

हम दोनो सेक्स के मामले मे भी बहुत तरह के एक्सपेरिमेंट कर चुके हैं. लेकिन सेक्स के मामले मे मैं काफ़ी सेलेक्टिव थी. मैने अपने आप को बहुत ही बचाया मगर शादी के कुच्छ ही महीनो के भीतर मेरी जिंदगी मे ऐसा तूफान आया कि मैं एक कामुक औरत मे तब्दील हो गयी. इस मे किसी की ग़लती भी नही थी. मैं अपने बदन को एक्सपोज़ करके और उनके साथ छेड़ छाड़ कर खुद मौका देती थी कि आओ और मुझे अपने जिस्म की गर्मी से पिघला दो. मर्दों को तो ऐसी ही महिलाओं की खोज रहती है जिसके साथ अपनी जिस्मानी भूख मिटा सके.

लेकिन आज तक मैने जिस से भी जिस्मानी ताल्लुक़ात बनाए वो सब बहुत ही सेलेक्टिव लोग थे. मैने कुच्छ एक लोगों के अलावा आज तक किसी को अपना जिस्म नही सॉन्पा था. वो भी कुच्छ एक मौकों पर ही. लेकिन ये सारे संबंध जीवन से छिप कर बनाए थे. जीवन को मेरे इन संबंधों के बारे मे कोई जानकारी नही थी. मैं मानती हूँ कि वो और उनका परिवार बहुत ही खुले विचारों का है मगर जब किसी पराए मर्द से जिस्मानी ताल्लुक़ात की बात आती है तो मैने अच्छे अच्छे मॉडर्न बनने का दावा करते लोगों के वैवाहिक संबंधों मे दरार आते देखा है.

उनकी नालेज मे मैने अभी तक उनके अलावा किसी और से संभोग नही किया है. वो एक दो बार स्वापिंग के लिए भी कह चुके हैं लेकिन मेरे मना करने पर उन्हों ने आगे कुच्छ नही कहा. हां मैने एक्सपोषर के मामले मे उनका मन रख लिया था.

जो बात मैने अब तक किसी को नही बताई वो आप से शेर करती हूँ. मेरी जिंदगी मे किस तरह एक के बाद एक मर्द आते चले गये उनके बारे मे सब बताती हूँ.

मैं पहले ऐसी नही थी. शादी के पहले सेक्स बॉम्ब हो कर भी शुरू शुरू मे काफ़ी ऑर्तोडॉक्स विचारों की थी. क्योंकि मेरे मैके का महॉल काफ़ी पुराने किस्म का था.

मगर मेरी सारी झिझक मेरे एक असाइनमेंट ने हवा कर दी. मैं किसी भी मर्द के साथ कहीं भी सेक्स करने को तयार रहने लगी.

ये सब तब हुआ जब मेरी शादी हुए अभी मुश्किल से छह महीने ही हुए थे. अचानक एक प्रॉजेक्ट हाथ मे आया. इनाम इतना अट्रॅक्टिव था कि मैं ना नही कर पाई.

आंध्रा प्रदेश के घने जंगल वाले इलाक़े मे वरुण शुक्ला को एक नॅडलाइट के चीफ तंगराजन के बारे मे कवरेज करने भेजा था. तंगराजन की तूती पूरे इलाक़े मे बोलती थी. वो वहाँ का बेताज बादशाह था. उसके नाम से वहाँ की पोलीस भी कांपती थी.

वरुण हमारे अख़बार का एक होनहार जर्नलिस्ट था. वारंगल के पास जंगलों मे घूमते हुए अभी कुच्छ ही दिन हुए थे कि अचानक उसका अफ़रन हो गया और उसके बाद उसकी लाश ही पोलीस को मिली. ये हमारे मालिक के लिए एक तमाचा था. उन्हों ने मुझे वरुण का अधूरा काम देते हुए कहा,

“रश्मि वरुण ने जो कम अधूरा छ्चोड़ा है वो तुम्हे पूरा करना है. तुम अगर इनकार करो तो मुझे किसी दूसरे को ढूँढना पड़ेगा. मगर मुझे मालूम है तुम कितनी साहसी महिला हो. खर्चे की बिल्कुल चिंता मत करना. मगर तंगराजन की तस्वीर और उसके बारे मे एक एक छ्होटी से छ्होटी चीज़ बाहर आनी चाहिए. तुम मनोगी नही पोलीस उसे पिच्छले दस सालो से ढूँढ रही है मगर आज तक उसकी कोई तस्वीर किसी को नही मिली. कोई नही जानता वो दिखने मे कैसा है?”

“मैं आपको निराश नही करूँगी.” मैने कहा.

“देखो रश्मि बेटी. वरुण आदमी था और तुम औरत. औरत होने के नाते पास तुम्हारे रूप और सुंदरता नाम का एक हथियार अधिक होगा. जिसे तुम चाहो तो ज़रूरत के हिसाब से यूज़ कर सकती हो.” कहकर उन्हों ने एक लाख की गॅडी मेरे हाथ मे दी,” ये तुम्हारे लिए हैं.”

मैं उन्हे थॅंक्स कह कर घर चली आए. हज़ारों माइल दूर की यात्रा की तैयारी करनी थी. जीवन ने जब सुना तो वो बहुत खुश हुए. लेकिन उनके मन की हालत तो मैं समझ सकती थी. कोई भी मर्द शादी के छह महीनो मे अपनी वाइफ को हफ्ते दस दिनो के लिए तो दूर पल भर को छ्चोड़ने को राज़ी नही होता है. लेकिन उन्हों ने अपने चेहरे पर कोई शिकन नज़र नही आने दी. सासू जी मेरे इस तरह अकेले ऐसे ख़तरनाक मिशन पर जाने की सुन कर विद्रोह कर उठी मगर. जीवन ने उन्हे समझा बुझा कर चुप कर दिया. मैं अगले दिन फ्लाइट पकड़ कर हयदेराबाद पहुँची वहाँ से ट्रेन और बस से होते हुए उस स्थान पर पहुँची जहाँ से आबादी कम होने लगती थी और जंगल का इलाक़ा शुरू होता था. सैकड़ों किलोमेटेर घना जंगल था. जहाँ पर ख़तरनाक नॅडलाइट्स रहते थे. वहाँ उनका होकुम चलता था. किसी की क्या मज़ाल की कोई उनके आग्या की अवहेलना करे.

लेकिन उन्हों ने कभी किसी का बुरा नही किया. वो गाओं वालो के लिए लड़ते थे और इसलिए कोई गाओं वाला उनके खिलाफ जाने की सोच भी नही सकता था.

मैं कंधे पर एक बॅग लेकर अपने इस अंजान यात्रा पर निकल पड़ी. मैं उनकी भाषा से बिल्कुल अपरिचित थी. इसलिए इशारों के सहारे बात करना पड़ता था. इधर उधर घूम कर मैं तंगराजन के बारे मे जानकारी इकट्ठा करने लगी. लोगों ने चेताया की मैं लड़की हूँ इसलिए मुझे उससे दूर ही रहना चाहिए. क्यों की वो बहुत ही ख़ूँख़ार आदमी है.

अभी मुझे घूमते हुए कुच्छ ही दिन हुए थे कि तभी एक दिन मैं अपने आप को इन डकैतों से घिरे हुए पाया. वो दस आदमी थे. मैं उन्हे देख कर पहले घबरा गयी. लेकिन उनके हाव भाव से पता चला कि वो नॅडलाइट्स थे तो मेरी जान मे जान आइ. इनके हाथों मे बंदूक थी. मैने उनके सामने किसी तरह का विरोध नही किया. मैं भी तो यही चाहती थी. तंगराजन से मिलने का यही एक मात्र तरीका था.

उन्हों ने मेरे हाथों को पीठ की ओर करके रस्से से बाँधा. मेरे मुँह मे एक कपड़ा ठूंस कर उसे भी कस कर बाँध दिया. अब मैं कोई आवाज़ निकल सकती थीं ना ही मैं अपने हाथों से अपना बचाव कर सकती थी. मुझे एक घोड़े पर बिठा कर जंगल की दिशा मे दौड़ते चले गये. काफ़ी देर चलने के बाद जिस जगह पर जाकर वो रुके वो जगह एक पहाड़ियों से घिरी हुई जगह थी. पास ही एक झरना बह रहा था और काफ़ी लंबे चौड़े एक घास के मैदान के एक ओर काफ़ी सारे टेंट लगा रखे थे. उनमे से एक मकान बाँस से बना हुआ था. बाकी सब कपड़े से बने हुए टेंट्स थे.

मुझे लगभग खींचते हुए दो आदमी एक टेंट मे ले गये. वहाँ मुझे ज़मीन पर पटक दिया गया. मेरे दोनो हाथ पीछे की ओर बँधे हुए थे. मुझे दो आदमी हाथों मे बंदूक लिए हुए कवर कर रहे थे. तभी एक आदमी टेंट के अंदर आया. वो काफ़ी हॅटा कॅटा आदमी था. पूरा बदन किसी नीग्रो की तरह काला था. पहले उसने मेरे समान की अच्छि तरह तलाशी ली. एक एक समान को उलट पलट कर देखा. फिर सारा समान वहीं ज़मीन पर बिखेर कर वो मेरी तरफ घूमा. मैं समझ गयी की अब मेरी तलाशी होनी है. वो भी एक मर्द के द्वारा. मैं उसकी नज़र का आशय समझ कर अपने आप मे सिमट गयी. मगर इससे कोई बच थोड़ी सकता है.

उस दिन मैने एक शर्ट और घाघरा पहने थे. वो मेरी तरफ बढ़ा मैं उसे आगे बढ़ते देख पीछे सरकने लगी. हँसने से उसके दाँत रात अंधेरे मे चमकते सितारों से लग रहे थे. उसने मुझे बालों से पकड़ कर एक झटका दिया. मुझे लगा मेरे बाल सिर से उखड़ जाएँगे. मैं उसके सामने आ गिरी. उसने बिना किसी सूचना के एक दम से मेरी दोनो चूचियो को शर्ट के उपर से मसल दिया. मैं दर्द से कराह उठी.

उसने अपने दोनो खुरदुरे हाथ मेरे गिरहबान से मेरी ब्रा के अंदर डाल दिए और मेरे स्तनो को बड़े ही बेरहमी से मसल्ने लगा. उसने दोनो निपल्स को बुरी तरह नोच डाला. दोनो स्तनो को खींच कर ब्रा के बाहर निकाल लिया. शर्ट के उपर के दो बटन्स खोल कर उन दोनो दूध के डिब्बों की अच्छि तरह से जाँच पड़ताल की. जब पूरी तरह तसल्ली हो गयी कि मेरे दोनो उँचे उँचे गोले कोई हथियार नही मेरे नरम नरम बूब्स हैं तब जा कर उसने अपने हाथ बाहर निकाले.

उसने मेरे पूरे बदन पर अच्छि तरह से हाथ फिरा कर मुआयना किया. फिर उसने मेरे घाघरे को खींच कर उतार दिया. नीचे मैं सिर्फ़ एक पॅंटी पहने थी. उसने मेरी टाँगों को पकड़ कर अलग किया और बिना किसी रहम के मेरी पॅंटी के निचले जोड़ को एक ओर हटा कर अपनी तीन मोटी मोटी उंगलियाँ एक झटके मे मेरी योनि मे डाल दी. मैं एक दम से उच्छल पड़ी.इस हमले के लिए मैं पहले से तैयार नही थी. वो कुच्छ देर तक अपनी मोटी मोटी उंगलियाँ मेरी योनि के अंदर यहाँ वहाँ घुमाता रहा. वो इस तरह की अमानुषी हरकतें बिना मेरी इजाज़त के कर रहा था. अगर हाथ खुले होते तो सही जवाब देती उसे मैं. मगर मेरा बदन मेरे दिमाग़ की बातें नही मान रहा था और उसकी इन हरकतों पर मेरी योनि गीली होने लगी. मुझे अपने आप से इतनी शर्म आइ कि क्या बताऊ. कुच्छ देर तक मेरे बदन को मसल मसल कर चेक करने के बाद वो उठा और बाहर चला गया.

उसके जाने के कुच्छ देर बाद एक दूसरा आदमी अंदर आया. जो कि उसका सीनियर लग रहा था. उसके साथ दो और आदमी भी अंदर आए. उन्हों ने मेरे मुँह पर से कपड़ा हटा दिया. मेरे जबड़े दुखने लगे थे. मेरे लंबे बालों को अपनी मुट्ठी मे पकड़ कर मेरे सिर को एक झटके से उठाया और कुच्छ देसी भाषा मे बोला जो मेरी समझ से परे था.

तभी उनका सीनियर ने मेरे पास आकर पूछा, “ यू नो इंग्लीश? या हिन्दी समझता है?”

“दोनो मे मुझे कोई परेशानी नही है.” मैने उसे घूरते हुए कहा.

“मुझे इस तरह बाँध कर लाने का मतलब? मैं कोई मुखबिर या पोलीस वाली तो हूँ नही.” मैने उससे कहा.

“वही तो हम जानना चाहते है की तू है कौन?” उसने टूटी फूटी भाषा मे पूछा.

“मैं एक रिपोर्टर हूँ और मैं तंगराजन जी का इंटरव्यू लेना चाहती हूँ. मुझे ग़लत मत समझो मुझे आपके ग्रूप से कुच्छ भी लेना देना नही है.”

इतना कहना था कि एक ज़ोर दार तमाचा मेरे गाल्लों पर पड़ा और मैं फर्श पर गिर पड़ी. इतना जोरदार झापड़ था कि मुझे दिन मे तारे नज़र आ गये. मुझे लगा कि मेरा जबड़ा टूट कर बाहर ना आ जाए. मेरा निचला होंठ फट गया था और खून चॉक आया था.

“रंडी वो चीज़ बता जो हमे पहले से नही मालूम हो.” उस आदमी ने अपनी लाल लाल आँखों से मुझे घूरते हुए पूछा “किस के लिए काम कर रही है. किसने तुझे भेजा है. बता नही तो तेरे जिस्म के छ्होटे छ्होटे टुकड़े करके फेंक देंगे.”

उसका दूसरा हाथ पड़ते ही मेरी आँखें छलक आईं. मैं सुबकने लगी और सुबक्ते हुए कहा,” मुझे मार डालो लेकिन जो सच है वही सच रहेगा. मुझे इससे ज़्यादा कुच्छ नही मालूम”

उस आदमी ने अपने पास खड़े दोनो आदमियों को इशारा किया.

“चल इसको नंगी कर दे…साली ऐसे नही मानेगी.” उसने गुर्राते हुए कहा.

दोनो मुझ पर झपट पड़े पहले मुझे खड़ा करके मेरे सारे बंधन खोल दिए फिर मेरे एक एक कपड़े को बदन से उतार कर कोने मे उच्छलते चले गये. दो मिनिट के भीतर मैं उन मर्दों के बीच बिल्कुल नंगी खड़ी थी. सब मुझे सकुचाते शरमाते देख कर हो हो करके हंस रहे थे. मैं ने शरमाते हुए अपने गुप्तांगों को अपनी हथेली से छिपाना चाहा तो उस आदमी ने मेरे हाथ को झटक कर अलग कर दिया.

“फिर से ऐसी हरकत कर के देख तेरे बाजुओं को जिस्म से अलग कर दूँगा. साली टाँगें फैला कर अपने हाथों को सर के उपर उठा कर खड़ी हो देखें कैसी माल है तू.”

मैने वैसा ही किया जैसा उसने

Update plz
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#3
Nice update Bhai... waiting more
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#4
badhiya  clps  clps
[Image: Polish-20231010-103001576.jpg]
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#5
Nice Update
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