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कलयुग की फातिमा बीबी ......एक छिनाल रंडी
#1
कलयुग की फातिमा बीबी ......एक छिनाल रंडी

लेखक ....फातिमा खान



फ्रेंड्स एक और नई कहानी आपके लिए पढ़िए और मज़े लीजिए 
हेलो दोस्तो,मैं हूँ फातिमा बीबी!!ये मेरी पहली कहानी है लेकिन मेरी कहानी पढ़ने से पहले और अपने लंड को हाथ मे लेने से पहले एक बार सोचे ज़रूर क्योकि हो सकता है आपका कीबोर्ड बाढ़ मे ढह जाए!!

आपका कीमती टाइम वेस्ट नही करते हुए मैं फातिमा बीबी ,आपकी अपनी फातिमा बीबी हाज़िर हूँ अपनी सच्ची आपबीती लेकर आपके सामने!मेरी उम्र 32 साल है,अभी एक महीने पहले ही मेरी शादी हुई है!सास ससुर गाओं मे रहते है,यहाँ मैं अपने पति मोहम्मद बिन अली  के साथ रहती हू…मेरा 22 वर्षीय छोटा भाई रिज़वान और रोहित अपने पढ़ाई के वास्ते हमारे साथ ही रहता है!(रोहित के बारे मे आगे बतायूंगी मै )

वैसे तो मैं हमेशा छरहरी रही हू लेकिन कुछ महीनो से मेरा जिस्म भर जाने के कारण गद्देदार लगती हू…गाल फूलकर टमाटर की तरह लाल और मक्खन की तरह चिकने हो गये हैं!फिलहाल मेरी फिगर 34-30-36 है!बचपन से ही मैं बहुत बिंदास रही हू…मुझे रोक टोक बिल्कुल पसंद नही! निगाह करके आई तो सौाहर मोहम्मद बिन अली ने रोब गाँठने की कोशिस सुरू कर दी…मुझे साड़ी पहनना बहुत पसंद है लेकिन मेरे सौाहर  को ये बात नागवार गुज़रने लगी…कहते “मेडम फातिमा बीबी जी, जब आप साड़ी पहन कर और गले मे सोने का लाकिट लटका के चलती हैं तो आपके ये भारी चूतड़ ऐसे मटकते है की पूरा मुहल्ला आपके मटकते चुतडो की थिरकन देखने रोड पर आ जाता है!और तो और,कितने लोग अपना लंड हाथ मे थाम कर आपके पीछे चल देते हैं”…और मैं सौहर जी से मूह फेर कर चुतडो को थिरका कर आगे बढ़ जाती,

सौाहर अली जी अपनी नूनी हाथ मे लेकर कसमसाते रह जाते! खैर,ये खेल सिर्फ़ 2 हफ्ते चला,उसके बाद तो सौहर जी मोहम्मद बिन अली आपकी इस सेक्सी फातिमा बीबी की चूत का गुलाम हो गया….अब तो सौहर जी आपकी फतिमा बिबि के तलवे चाटने के लिए जीभ लपलपाते रहता है!हर रात सौहर जी आपकी फातिमा बीबी की रसीली चूत का दीदार करने के लिए मेरे पैरो पर गिर के गिडगीडाने लगता है!लेकिन साहेबान,आपकी चुदासी फातिमा बीबी की चूत इतनी सस्ती नही कि किसी भी नमार्द की नूनी से चुद जाए!

पति अली रोज रात को मेरे पैर दबाते है और फिर सलवार निचे करके जैसे ही ज्वालामुखी के दहाने पर अपनी नूनी रखते हैं,गर्मी से उपर ही पिघल जाते है!मैं उस वक़्त तो खिलखिला के हंस देती हूँ लेकिन रात भर चूत मे उंगली डाल के सोने पर गुस्सा भी आता है…

अभी तक आपकी फातिमा बीबी की टाइट चूत को फाड़ने की हिम्मत किसी ने नही कर पाई,मेरी रसीली चूत एक बंपिलास्ट लंड की तलाश मे दर दर भटक रही है!सुना है,हिन्दु लंड बहुत ताकतवर होता है…बचपन मे देखा भी था बगल वाले शर्मा अंकल जब मेरी माम्मी को चोद्ते थे तो अम्मी की चीख पूरी बस्ती मे गूँजती थी और अब्बू बेड के नीचे दुबक कर फ़चफ़च फ़चफ़च की आवाज़ सुनते थे हाथ मे नूनी लेकर . आपकी इस सेक्सी फातिमा बीबी ने कैसे काफिर  जी के प्रचंड लंड से अपनी टाइट चूत की सील तोडवाई,वो भी सौहर अली और भाई के सामने..
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#2
पार्ट 2


सुबह मैं उठी सौहर मोहम्मद बिन अली की आवाज़ से .वो हाथ मे चाइ की ट्रे लेकर खड़े थे.मैं बेड से उठी और तकिये के सहारे लेटकर नाइट गाउन के बटन बंद करते हुए बोली,’क्या आज ,इतनी सुबह सुबह क्यों उठा दिए?’मेरे सौहर की रोज की दिन चर्या थी वो बेड टी ले कर मुझे जगाने आते थे..सौहर बेड के एक कोने मे बैठकर मेरे पैरों को सहलाते हुए बोले;”भूल गयी मेडम जी,आज आपको मायके जाना है,10 बजे ही ट्रेन है आपकी..”

मैने टाइम देखा तो हड़बड़ा गयी,8 बज चुके थे.मैं जल्दी से बेड से उठी और गुसलखाने मे घुस गयी.तैयार होकर स्टेशन पहुचि और दौड़ते दौड़ते एसी 2न्ड टियर मे घुसी.अपने बर्थ पर जाके मैने सुकून की साँस ली.मेरे बगल वाली सीट पे एक 45साल का 6 फिट लंबा अधेड़ आदमी था, कसरती बदन और सावला था देखने मे,शायद हिन्दु था,उसने धोती कुरता पहन रखा था….उसकी नज़रे मेरे गदराए बदन का ऐसे एक्स-रे कर रही थी जैसे आँखों ही आँखों से मुझे चोद डालेगा..

मेरी जाँघो के बीच की राजकुमारी मे चुनचुनी हो गयी.मैने कमर पर से साड़ी पकड़ के हल्का सा उठाई और अपनी
सीट पे गयी .उसने पूछा,’चलो मैं तो अकेला बोर हो गया था,आप आई तो अब सफ़र भी आराम से कट जाएगा,आपका नाम क्या है?’..

’मेरा नाम फातिमा है’ मैने अपनी आँखों को बंद करते हुए कहा.मुझे लग रहा था ये सख्स जबरन मेरे पीछे पड़ जाएगा,फिर भी तकल्लूफ के लिए पूछ दिया,’और आपका नाम?

उसने ज़रा सा मेरी ओर खिसकते हुए कहा,’वैसे तो हमारा पूरा नाम अभिषेक प्रांत दुबे है,ब्राम्हण से ताल्लुक रखते हैं.लेकिन आप मुझे शॉर्ट मे पंडित कह सकती हैं’.पंडित जी के हट्टे कट्टे बदन से हिन्दु इत्र की खुसबू मेरे नथुनो मे चली गयी. मेरी रसीली चूत मे कीड़े रेंगने लगे थे,ध्यान बाँटने के लिए मैं मेगजीन निकाल के पढ़ने लगी….मैं बहुत ही गरम
हो रही थी क्यों कि निगाह के बाद भी बिना चुदाई के रही थी अपने सौहर के लंड के बारे मे सोचते ही मैं ठंढी हो जाती थी….मेगजीन पढ़तेपढ़ते मैं सो गयी तभी रात के 9 बजे होंगे………..

मुझे नींद मे सपना आ रहा था कि मैं शर्मा अंकल चाचा से चुद रही हूँ. पता नही कब
नींद मे ही मेरा हाथ मेरी चूत पे चला गया और मैं अपनी कमसिन चूत को
सहलाने लगी, मैने आज् पिंक कलर की बनारसी साड़ी पहनी थी,निगाह के वक़्त तोहफे मे मिले निगाह का जोड़े को पहनने का मौका इस से पहले नही मिला था.. मैं अपने दोनो पैर फैलाके अपनी चूत को मसल रही थी,(ये साडी की जोड़ा मेरी हिन्दु बेस्ट फ्रंड मुस्कान मौर्या ने दिया था )

कॉमपार्टमेंट मे अंधेरा था. तभी अभिषेक प्रांत दुने जो सो रहे थेउनकी भी नींद खुल गयी और वो बैठ के मुझे देखने लगे, कुछ देर
देखने के बाद वो भी अपना हाथ मेरी चूत पे रख दिए और इस
तरह से सहलाने लगे कि उनका हाथ मेरे हाथो से टच ना हो, सो
काफ़ी देर तक पंडित जी ने मेरी चूत को सहलाया और उसमें उंगली भी करने का
ट्राइ किया साड़ी के ऊपर से ही. फिर अभिषेक प्रांत डूबे ने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे नाज़ुक
हाथो मे दे दिया.

मुझे हाथ मे गर्मी का एहसास हुआ तो मेरी आँख खुल गयी
मैने देखा कि पंडित जी मेरी चूत को सहला रहे है और मेरे हाथ मे उनका
लंड है. मैं जल्दबाज़ी मे कुछ समझ नही पाई तब तक वो मेरी चादर
मे घुस गये और मुझे अपनी बाँहो मे कस के पकड़ लिया. मैं जो कि
पहले से ही गर्म थी इस हरकत के बाद मैं और भी गरम हो गयी और
मेरे ऊपर सेक्स इस तरह से हावी हो गया था कि मैं उनको अपने से दूर
करने के बदले उन्हें और भी अपने पास खीच लिया…पता नही कैसे लेकिन
मेरा दिमाग़ का काम करना एक पल के लिए बंद हो गया था…
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#3
Part 3

.पंडिट जीअब मेरी सीट पे ही थे और उनका लंड अभी भी मेरे हाथ मे था,ऐसा मूसल लंड मैने कभी सोचा भी नही था,
उनका लंड 9″ का था और बहूत मोटा भी था. तभी पंडित जी मुझे अपने से अलग
किया और मेरे एक एक कपड़े निकले. अगले ही मिनिट मे मैं पूरी नंगी हो
गयी. अब वो भी अपने धोती को नीचे सरका के अंडरवेर निकाल दिए.
फिर सामने खिड़की को अच्छे से मिला दिया और अब बाहर से अंदर नही
दिख रहा था……फिर दुबे साहेब मेरे ऊपर चढ़ गये …. मेरी दोनो चूचियाँ पंडित जी की छाती से चिपकी हुई थी, पंडित जी ने अपने होंठ मेरे होंठो पे रख
दिए और चूसने लगे…..मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था मैं
दुबे साहेब के लंड को उपर और नीचे कर रही थी…..फिर पंडित जी ने अपना एक हाथ
मेरी नंगी चूत पे रखा ,मैं तो मचलने लगी.अभी परसो ही तो सौहर अली ने हेर रिमूवर से मेरी चूत साफ की थी. अभिशेक दुबे जी ने अपनी एक उंगली मेरी सफाचट चूत के अंदर डाल दी ….. मेरी चपरगददे की तरह फूली हुई मक्खन जैसी चिकनी चूत गीली हो चुकी थी…

.तभी पंडित जी ने अपना लंड मेरी चूत पे रगड़ना सुरू कर किया……मैं तो ऊह और आह
ही कर रही थी,पहली बार किसी पंडित का लंड अपनी चूत पर रखवाई थी….अचानक पंडित जी ने अपने लंड को मेरी चूत के उपर रखा और उसको भीतर पुश करने लगे… निगाह के बाद भी मैं चुदि नही थी सो मेरी चूत बहुत
टाइट तो थी ही ,उस पर से पहला ही लंड ऐसा फौलादी मिला कि जाने पे मुझे बहुत दर्द हुआ.आपकी इस सील बंद फातिमा की चूत से जैसे खून की नदी बह निकली. पंडित जी ने जो अपनी लूँगी नीचे बिछाई थी,वो आपकी फातिमा की चूत से लाल-लाल हो गयी थी.और पंडित जी का बंपिलाट लंड आपकी इस फातिमा बीबी की चूत के अंदर मुस्तैदी से झंडा फहरा रहा था. अभी तो पंडित जी का सिर्फ़ 3 इंच लंड ही अंदर गया था आपकी कुंवारी फातिमा बीबी की चूत के अंदर.सच कहती हू मेरे चुड़क्कड ,., बहनो, मुझे तो समझ नही आ रहा था कि अगर पूरा 9इंच अंदर गया तो मेरी चूत का
क्या हाल होगा….फिर पंडित जी ने एक कस के धक्का मारा और मेरी आँखो मे
आँसू आ गये बहुत ही दर्द हुआ मुझे……उनको ये बात समझ मे आई
सो वो लंड घुसाने के बाद मुझ से ऐसे ही चिपके रहे और मेरे रसदार होठों
को चूस्ते रहे….जब 3-4 मिनिट के बाद मैं थोड़ी सी नॉर्मल हुई तो
अभिषेक प्रांत दुबे जो ने अपने लंड को अंदर और बाहर करना सुरू किया…..ऐसे कर के
वो मुझे धीरे धीरे चोदने लगे……फिर पंडित जी ने मेरी निपल्स को
चूसना सुरू किया मुझे बहुत ही मज़ा आरहा था …….. ऐसे ही
लगभग 8-10 मिनिट चुदाई के बाद मैं झाड़ गयी. 2-3 मिनिट के
बाद वो भी झाड़ गये और अपने लंड का सारा पानी मेरे अंदर डाल
दिया….वो फिर भी मुझ से चिपके रहे….कुछ देर के बाद हम दोनो
अलग हुए तो मैने किसी तरह से ही अपने कपड़े पहने….पैंटी और ब्रा
तो नही पहन पाई लेकिन बाकी कपड़े मैने पहन लिए…


.अभी रात के 11 बज रहे था मैं पंडित जी के सीने पे अपना सिर रख के सोई थी
और उनका एक हाथ मेरी चूचियों का भूगोल नाप रहा था.तभी ट्रेन स्टेशन पर रुक गयी.
….अभिषेक प्रांत डूबे नीचे जाने लगे और मुझे भी
बोले कि तुम भी चलो और कुछ खा लो मैने कहा कि मैं ऑलरेडी खा
चुकी हूँ…..फिर वो ज़िद करने लगे तो मैने भी सोचा कि अब इस.से
क्या ख़तरा ऑलरेडी ये मुझे चोद तो चुका ही है सो अब क्यों नखरे
करना और मैं नीचे उतर गयी. वहाँ सामने एक रेस्टोरेंट था. उधर ही एक
साइड के टेबल पे हम दोनो बैठ गये और खाना खाए.खाना खा के वो बुकस्टॉल पर चले गये.
मैं ट्रेन मे आकर अपने सीट पे चादर ओढ़
के सो गयी. तभी कुछ देर मे पंडित जी पीछे से आए और मेरी दोनो मदमस्त चूचियों को ब्लाउस के उपर से ही पकड़ कर मसल दिए.मेरी ओवरसाइज़ चूचियाँ अभिषेक दुबे जी की हथेली मे दबकर सीत्कार उठी.मैं धोती के ऊपर से पंडित जी के बड़े लंड को सहलाते हुए सीसीयाई,’उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़,मेरी चूचियों को आटे की तरह गुंथने का इरादा है क्या दुबे साहेब??’
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#4
Part -/4

पंडित जी का लंड फूफ्कार मारने लगा.दोनो हाथो को ब्लाउस के अंदर घुसा कर पंडित जी ने फिर से मेरी नंगी चूचियों को मसल दिया और मेरे मक्खन दार गालो पर एक ज़ोर की पप्पी लेते हुए कहा,’फतिमा डार्लिंग,मुझे तुम्हारी चूचियों का दूध पीना था,क्यो,बहुत दर्द हुआ क्या?’. पंडित जी के खुर्दरे हाथो से अपनी मस्तानी चूचियों को मसलवा के मैं फिर चुदाई के लिए तड़पने लगी थी उपर से ऐसी बाते सुनकर मेरी चूत फिर फुदकने लगी.पंडित जी के लंड को और झटके देने के लिए मैने उनकी ओर देखकर आँख मारी और पंडित जी के मूसल लंड पर एक प्यार भरी चपत लगाते हुए कहा,पंडित जी,लेकिन दूध निकलेगा कैसे मेरी चूचियों से,अभी तक तो मैं कुँवारी शादी शुदा थी.पंडित जी ने दोनो चूचियों की घुंडी को चुटकी मे दबा के मसल दिया और मेरे फूले हुई गालो पे चुम्मि लेते हुए कहा,’घबराओ मत फातिमा डार्लिन्,अभिषेक दुबे तुम्हे बच्चा भी देगा और चूचियों मे दूध भी,ये पंडित का ये वादा है फातिमा कि तुम्हारी चूत से एक दर्ज़न से भि जायदा बच्चे निकालूँगा.’ पंडित जी की बात सुनकर मैं शर्मा गयी

अभिषेक राम दुबे ने मुझे सीधा किया और मुझे फिर से
नंगी कर दिया तब तक ट्रेन खुल चुकी थी….मैं चादर के अंदर पूरी
नंगी थी और वो भी मेरे चादर मे आगये और अपना लंड मेरी चूत मे
डाल कर मुझे चोदने लगे………मुझे तो
बहुत ही मज़ा आ रहा था….फिर मेरी चूत ने पानी छोड़ा और वो भी
झाड़ गये. उसी चादर मे हम दोनों सो गये….थोड़ा अच्छा नही लग रहा था लेकिन अब क्या
फ़ायदा मैं तो चुड चुकी थी ………. मैने यही सोचा कि एक रात मे
मैं लड़की से औरत बनी थी और आज एक ही रात मे मैं औरत से रंडी
बन गयी वो भो गौर महज़बि अंकल से (काफिर से) …..सुबह स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो हम दोनो नीचे उतरने के लिए बढ़ गये.पंडित जी ट्रेन से उतर गये लेकिन मैं साड़ी पहने थी ,सो दिक्कत हो रही थी.पंडोत जी देख कर मुस्कुराए और आगे बढ़ कर मेरी कमर पर अपने हाथ रख दिए,फिर फिसला कर दोनो हाथ साड़ी के उपर ही मेरी मदमस्त चूतडो पर जमा दिए.मैं पंडित जी की छाती से चिपकी नीचे पहुँच गयी.लोगो को हमारी तरफ ही देखते देख कर मैने शर्म से नज़रे झुका ली.अचानक पंडित जी ने मेरे चूतडो पर चुटकी काटी तो मैं चिहुनक कर उनकी तरफ देखने लगी.वो मुझसे अड्रेस माँग रहे थे.अड्रेस दे कर मैं अपने अम्मी के घर आ गयी.1 हफ्ते बाद वापस सौहर के पास भी चली गयी लेकिन इस बार किसी अभिषेक राम दुबे अंकल से मुलाकात नही हुई,मन मसोस कर रह गयी………………….


मायके से मैं घर लौटी तो सौहर स्टेशन पर फूलों का गुलदस्ता लिए खड़े थे…आज से हमारा रमज़ान सुरु हो गया था मतलब रोजा रखी थी,इस लिए मैं जल्दी से घर पहुच कर नवाज़ पढ़ना चाहती थी….मैने येल्लो कलर की कमीज और सलवार पहन रखी थी,गले मे सोने का हार था और माथे पर् भि एक् गहना पहनी थी …बाहर निकले तो सौहर ने कार का गेट खोला और मैं पीछे बैठ गयी…..सौहर ड्राइवर की सीट पर जा बैठे…रास्ते मे एक दुकान पर अभिषेक राम डुबे को देखकर मैं चौंक पड़ी….मेरी चूत मे चुनचुनी हो गयी…ट्रेन के सारे नज़ारे आँखो के सामने घूमते चले गये….मैं वो हादसा याद करके सिहर गयी जिस वक़्त मेरी चूत से खून की नदियाँ बह निकली थी….मुझे लगा अभिषेक राम तो मेरी सील तोड़ चुके हैं लेकिन निशानी के तौर पर वो मेरी चूत के खून से भींगी लूँगी साथ लेते चले गये…मुझे वो माँग लेनी चाहिए…

मैने सौहर को गाड़ी रोकने को कहा और दुकान की ओर चल पड़ी…और अभिषेक राम के पास जा के कहा ‘हाई’.अभिषेक राम जी मुझे देखकर उछल पड़े खुशी से… हम दुकान से बाहर आए तो देखा सौहर एक निहायत ही खूबसूरत लड़की को सीटी बजा कर छेड़ रहे हैं ….लड़की की आँखो और चेहरे तो बिंदी ही बयान हो रहा था कि वो कितनी खूबसूरत होगी …शायद सौहर उसका हुस्न देखकर अपने होश मे नही रह गये थे…वो लड़की जिसका नाम शायद तनु था,ने सौहर के पास आते ही उनके गालो पे थप्पड़ लगा दिया..तुमने हिम्मत कैसी की तनु को छेड़ने की…सौहर् हैरान थे कि जिसे वो अभी तक नाज़नीन समझ रहे थे,अचानक डाइनमाइट कैसे बन गयी थी…भीड़ जमा हो गयी थी वहाँ ,सौहर अपने गाल सहला रहे थे और तनु अपनी आँखो से शोले बरसाते हुए चीख रही थी:हम सब जानते हैं तुम जैसे लोगो को,घर मे तो बीबी को चोद नही पाते हो और बाहर जैसे ही किसी खूबसूरत देखते हो कि फिसल जाते हो…

सौहर तनु के पैरो पर गिर पड़े:मुझे माफ़ कर दीजिए मोहतार्मा,आज से वादा करता हूँ कि किसी भी हिन्दु लड़की की तरफ ग़लत नज़र से नही देखूँगा,देखूँगा तो इज़्ज़त की नज़र से.

तनु :हरामज़ादे,तूने मेरा पैर क्यो छुआ.तुम सारे लोग लातों के भूत हो ऐसे नही मनोगे,आज तो मैं तुझे ऐसा सबक सिखाउन्गि कि ज़िंदगी भर हिन्दु लड़कियो से दूर भागोगे
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#5
पार्ट 5

कहते हुए तनु ने अपने पैरो से सॅंडल निकाला और सौहर के सर पर बरसाते चली गयी…बीच रोड तनु सौहर मोहम्मद बिन अली की ठुकाइ कर रही थी और लोग सोच रहे थे कैसा नमार्द आदमी है जो एक मामूली सी हिन्दु लड़की के हाथो कुत्ते की तरह पिट रहा है….फिर तनु ने भीड़ की तरफ मुखातिब हो कर कहा…भाई लोग,आप लोग अपनी अपनी चप्पले उतार के दे…सबसे चप्पल कलेक्ट कर तनु ने एक चप्पलो का हार बनाया और मोहम्मद बिन अली के गले मे लटका दिया…

तनु ने सौहर की बेल्ट निकाली और उन्ही के गले मे कुत्ते के पट्टे की तरह लटका दी…जैसे सौहर कुत्ते हो और तनु गले का पट्टा ले के आगे आगे चल रही थी…अचानक सौहर अली शर्म से झुक कर रुक गये तो तनु गुस्से मे पलट गयी और सौहर अली के चेहरे पर आके थूक दिया…फिर ज़मीन पर थूक के बोली:चलो चाटो मेरे भैया…सौहर् अली थूक पर ऐसे झपट पड़े जैसे कुत्ता कटोरी मे रखे बकरा पर झपट ता है और तनु का थूक चाटने लगे….


अचानक वो आदमी जिसका नाम सुमित था और तनु का पति था आया और बोला:क्या हुआ तनु,क्यो मार रही हो बेचारे को.शौहर को सामने देखकर तनु ने बोला की सिटी मार रह था ,और तनु बला की खूबसूरत थी वो,ज़िस्म भरा भरा जीता जागता कयामत था तनु.उसने ग्रीन कलर का एक टाइट सलवार सूट पहन रखा था,उसकी चूचियाँ बहुत बड़ी बड़ी और चूतड़ कसे कसे .

सौहर की जाँघो के बीच पैरो से किक लगाते हुए तनु बोल पड़ी:देखिए ना,ये मुझे छेड़ रहा था…फिर नीचे बैठ ते हुए सौहर अली के चेहरे को उपर उठाई,आँखो के सामने सलवार कमीज मे कसी बड़ी बड़ी चूचिया देखकर सौहर के लंड ने झटका ज़रूर खाया होगा लेकिन शायद पिटने के डर से तुरंत वो अपना चेहरा झुका लिए….तनु खिलखिला के हंस पड़ी और सौहर अली के कानो मे फुसफुसा के बोली:भैया,मेरे पति सुमित का लंड बहुत बड़ा है…अगली बार किसी हिन्दु लड़की को छेड़ने की कोशिश ना करना तो तेरी गान्ड मार लेंगे और घर मे घुस कर तेरी अम्मी-अप्पि-बेगम सबको चोद डालेंगे..कहते हुए तनु एक् हाथ मार कर और ज़ुल्फो को लहराते हुए अपने पति की ओर चल पड़ी…चलते वक़्त ऐसा बिल्कुल नही लग रहा था कि अभी अभी ये आरडीएक्स बनी हुई थी…चलते वक़्त तनु की कमर मे बहुत हसीन लचक थी और टाइट सलवार सूट मे तनु के चूतड़ बहुत सेक्सी अंदाज़ मे मटक रहे थे.

सौहर तनु के बलखाते चूतड़ को हवा मे लहराते हुए तब तक देखते रहे जब तक वो सुमित के पास नही पहुच गये.सुमित ने तनु की चूतड़ पर हाथ रख के सहला दिया और तनु ने सौहर अली की ओर मुड़कर आँख मार दी और उंगली हिलाते हुए बोली:बाइ बाइ भैया

हम और अभिषेक राम खड़े खड़े ये तमाशा देख रहे थे…लेट हो रहा था इसलिए मैने अभिषेक राम से कहा प्लीज़,मुझे वो ट्रेन वाली लूँगी दे दीजिए ,एक ,., औरत के लिए उसकी चूत के खून से बड़ा कुछ नही होता.अभिषेक राम पंडित चूत की बात सुनकर भूल गये कि हम बीच बाज़ार खड़े हैं और लोग हमे देख रहे हैं. अभिषेक राम ने मुझे आगोश मे कस लिया और गालो पे पप्पी ले ली.मैं शर्म से लाल लाल हो गयी ये सोच कर कि आज रोजा के दिन कोई गैर मर्द बीच बाज़ार मेरे गालो की पप्पी ले रहा है…मैने ठुनक्ते हुए कहा:छोड़िए ना पंडित जी ,लोग देख रहे हैं.


अभिषेक राम ने शरारत से मेरे चूतड़ पर हाथ रख दिया और चिकोटी काट ली.मैं चिहुनक उठी:उफफफफफ्फ़ पंडित जी आप बड़े बदमाश हैं….

अभिषेक राम ने हंसते हुए मेरे गाल पे पप्पी ले ली और कहा: फातिमा डार्लिंग,अब जब मैं तुम्हारी चूत फाड़ ही चुका हू तो लोगो को भी देखने दो कि किस मूसल लंड से तुम चुदती हो.और रही बात लूँगी की तो तुम्हारी चूत तो तुम्हारे पास है,मेरे पास अपनी चूत की निशानी तो रहने दो.वैसे मैने अभी अभी उसे सुखने के लिए ना दी है. मेरी चूत और गाल दोनो शर्म से लाल लाल हो गये.
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#6
पार्ट 6

मैने अभिषेक राम डुबे को गले मे लटकी हार की ओर इशारा करते हुए कहा: पंडित जी ,आज रोजा है,मुझे पड़ने  के लिए घर चलती हूँ…लेकिन अभिषेक राम दुबे मेरा हार कहाँ देख रहे थे ,वो तो मेरे गले बड़ा हार के दोनो तरफ तनी तनी चूचियो पर नज़र टिकाए हुए थे.अभिषेक राम  ने चूतड़ पर हाथ फिराते हुए फिर से मेरे गालो पे पप्पी ले ली और कहा:फातिमा डार्लिंग,कितने दिनो बाद तो मिली हो,आते ही नवाज़ नवाज़ ,पहले चुद तो लो.मेरी चूत के होंठो पे लाली आ गयी रोज़ा मे किसी गैरमर्द से चुदने की बात सुनकर…इस से पहले कि मैं इनकार करती, अभिषेक राम ने मेरे गले मे हाथ डाल दिया और मुझे लेकर चल पड़े.मेरी चूचियो के सामने उनका हाथ झूल रहा था जिसे लोगो की नज़रो से बचाकर वो मसल देते थे…सामने लटका मेरा हार चूचियों की मीस्साई मे दिक्कत कर रहा था…मैने उसे दूसरी चूची के ब्लाउस मे डाल कर अंदर कर दिया….पता नही कौन से खंडहर मे ले जाके अभिषेक राम ने मेरी दो बार चुदाई की…चुदाई के बाद मेरी चूत और गालो दोनो मे रंगत आ गयी थी….फिर मैं खंडहर से निकल कर मस्जिद गयी और नवाज़ करके वापस घर आ गयी.


सारे मुसल-मान भाइयो और हिंदू भाइयो को फिर से फातिमा।बीबी  की तरफ से राम राम ….आप सोच रहे होंगे कि मैं राम राम क्यो बोल रही हूँ…..तो जब से मैं ट्रेन। मे पंडित जी  से चुद्कर आई हू,मेरे मन मे हिन्दुओं तहज़ीबों के सीखने की ललक आ गयी है.( हलन्कि मेरि अम्मि क चक्कर एक हिन्दु अंकल से चला था फिर उनसे शादी भी कर ली थी धर्म बदल कर पर 3 साल बाद फिर से अंकल ने अम्मी को छोड़कर चले गये पर उनका बेटा रोहित हो गया था वो एक अंकल एक नौाकर था पर अम्मी ने ज़िद्द कर के कोर्ट से रोहित की कास्टडी ले ली इस लिए अम्मी और मै हिन्दु धर्म भी मानने लगे थे पर मै नही) दिन हो गये थे पंडित जी से मिले हुए लेकिन रोज रात को सपने मे आकर मुझ पर चढ़ जाते थे.सौहर से पैर और तलवे चटवा कर थक चुकी थी,अब चाहती थी कि कमीज फाड़ कर बाहर आने को बेताब चूचियों को दाब कर अंदर करे.

खैर अब मैं उस हसीन हादसे के बारे मे बात करूँ जिसने मेरी ज़िंदगी मे ख़ुसीयों की किल्कारी ला दी.उस दिन रक्षाबन्धन था.(मेरे घर मे छोटे से हि अम्मी रक्षाबंधन मानती थी ,., होकर भी) मैं सुबह सुबह नाहकर तैयार हुई मस्जिद जाने के लिए,वापस आकर मुझे अपने भाई रिज़वान और  रोहित को राखी बांधी (रोहित मेरे रिज़वान से छोटा है पर मै हु तो बहन हि उसकी तो मै हि बांधती हु उसे और उसी बहाने रिज़वान को भो) को राखी बांधनी थी.मैने ब्लॅक कलर की सिफ्फोन की सलवार कमीज पहनी थी.बाल खुले हुए थे और कमर तक आ रहे थे.बदन गदरा जाने के कारण बॉडी से चिपक सी गयी थी और एक एक उतार चढ़ाव बयान कर रही थी.हाथ मे चादर को लेकर मैं आगे बढ़ी तो कमीज की क़ैद मे फँसे मेरे मतवाले चूतड़ सिहर गये और आपस मे लड़ गये.मेरे चूतड़ के दोनो पाट एक दूसरे को थप्पड़ मारते हुए आगे बढ़े तो हाथ मे चादर  भी थरथरा गयी.नीचे सड़क पर आई तो महसूस किया कि जो जहाँ है, वहीं से मेरे मदमस्त चूतडो के डॅन्स का मज़ा ले रहा है.हो भी क्यों ना जबकि इन्ही चूतडो की बस कुछ थिरकन देख कर सौहर अपनी नूनी लिए हाथ मे ही झाड़ जाते थे.

कुछ दूर आगे बढ़ी तो एक मंदिर के पास से गुज़र रही थी,अचानक मैने मंदिर की दीवार पर देखा तो चौंक गयी…वहाँ वोही अभिषेक राम पंडित वाली जैसी कोई लूँगी सूखने के लिए पसारी हुई थी,मेरी चूत मे एक हुक सी उठी.मन हुआ कि जा के देखु कि ये वोही लूँगी है या नही.लेकिन कोई देख लेगा ये सोच कर नही गयी और सोचा कि अब जब पंडित जी  मेरी चूत फाड़ ही चुके हैं तो ये फाडी हुई लूँगी ले कर मैं करूँगी भी क्या…
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#7
पार्ट -7




चादर की थाली मे देखा की गर्दा लग चुका थी.मैने सोचा लेट ना हो जाउ,सो तेज़ी से आगे बढ़ गयी.मस्जिद की पहली सीढ़ी पर पाँव रखते ही मेरे पैर लड़खड़ा गये.मैं गिर ही जाती अगर किसी ने पीछे से आकर मेरी कमर को थाम ना लिया होता..उसकी हाथों के दम पर मेरे चूतड़ और मैं अटकी हुई थी.देखा तो अभिषेक राम दुबे थे.अपने चूतडो को पंडित जी के पंजो से छुड़ाते हुए मैं चादर की थाल लेने आगे बढ़ी जो नीचे गिर गयी थी.चादर की थाल उठा कर मैं पीछे मूडी तो पंडित जी के हाथ मे वोही खूनी लूँगी थी..पाँव थोड़ा मुचक जाने के कारण मैं ठीक से चल नही पा रही थी..अभिषेक जी ने लूँगी बाए हाथ मे लेकर दाए हाथ से मुझे सहारा दिया.

मैने एक हाथ मे चादर की थाल ले ली और दूसरा हाथ पंडित जी के कंधे पर रखा और पंडित जी ने मेरी कमर पर हाथ रख दिया..हम मस्जिद की सीढ़ियाँ चढ़ने लगे और पंडित जी का हाथ फिसल कर मेरे मदमस्त चूतडो पर आ गया था.एक तो कमीज और सलवार इतनी पतली और मेरा गदराया हुआ ज़िस्म उसपर कमीज इतनी टाइट.लग रही थी जैसे दुबे साहेब मेरे नंगे चूतडो को दबा रहे हैं.मेरी चूत मे खलबली मच गयी और इधर पंडित जी इतने शैतान कि जैसे मस्जिद मे ही मेरी चूतडो की मालिश कर देंगे. दुबे जी मेरे चूतडो को दरगाह के सामने आने के बाद ही पंजे से आज़ाद किए और फिर पीछे जाकर खड़े हो गये.मैं चादर की थाल लेकर नीचे झुकी और चादर चढ़ाने लगी और पीछे मूडी तो देखा पंडित जी की नज़रे बदस्तूर मेरे चूतडो पर थी…मैं चादर की थाल लेकर आगे बढ़ी तो मेरी कमीज़ का रुप्पटा नीचे लहरा गया और दोनो बड़ी बड़ी चूचियाँ कारगिल पर तैनात सिपाही की तरह तन गयी.अभिषेक राम जी ने मेरा रुप्पटा उठाया और मेरी चूचियों को हाथ से रगड़ते हुए रुप्पटा मेरे कंधे पर रख दिया. शैतान इतने पंडित जी कि हाथ को लौटते वक़्त मेरी चूचियों को ज़ोर से मसलना नही भूले.मैं सिसकी तो दुबे जी ने सहारा देते हुए मेरे चूतडो पर हाथ रख दिया और हम मस्जिदों से बाहर की तरफ निकले. पंडित साहेब जाना चाहते थे,लेकिन मैने ज़िद्द करके कहा,नही भाईजान,आज से आप मेरे भाई हैं बिना राखी बाँधे मैं आपको जाने नही दूँगी.घर आने तक रास्ते भर पंडित जी ने मेरी चूतडो की मालिश की.बीच बीच मे वो मेरे चूतडो पर ऐसी चपत लगा देते कि चादर की थाली डोलने लगती.
पंडित जी ने बोला तु भी रक्षाबन्धन मानती हो क्या फातिमा डार्लिंग।
मै बोली हा बच्चपन से हि ।
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#8
पार्ट -8

पंडित जी और हम घर पहुचे और बेल बजा दी….दरवाज़ा सौहर ने खोला,उनके हाथ मे एक पानी भरी थाल थी.मैने सौाहर से कहा दो थाल लेकर आइए और फिर हम सोफे पर जा कर बैठ गये.सौाहर अली दो थाल लेकर आए और आकर हमारे पैरो के पास नीचे बैठ गये.मेरा एक पाँव थाली मे डालते हुए सौाहर अली मेरे तलवे धोने लगे और पूछा; (ये सब मै हिन्दु धर्म से प्रेरित होकर करवा रही थी अपने सौाहर मोहम्मद बिन अली से)
सौाहर अली-मेडम जी,ये साहब कौन हैं???इनको तो पहले कभी नही देखा.

मैं(फातिमा)-अरे,आपको बताया तो था,ट्रेन मे एक पंडित भाईजान मिले थे,मेरी बहूत मदद की थी.

सौाहर -ओह्ह्ह….तब तो मेरे लिए ये अल्लाह के भेजे गये एक अच्छे सौदात हैं
कहकर सौाहर अली मेरा पाँव धोना बंद कर दिए और पंडित जी की तरफ मुड़कर हाथ जोड़कर खड़े हो गये और कहा

सौाहर जी- पंडित जी ,किस मूह से शुक्रिया अदा करूँ,ये मेरी बेगम ही नही , मेरी अल्लाह की अलीज चीज है ,मैं अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करता हूँ इनके लिए हि नवाज़ करता हूँ मैं इनकी,इनको खरॉच भी आने के ख़याल से मैं कांप जाता हूँ,आपने इनकी मदद करके मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है. कहकर सौाहर मेरे पैरों पर हाथ रखकर रोने लगे.इतने मे सौहर अली ने पंडित जी के भी पाँव धो दिए थे. और बोले मै अल्लाह के बाद सिर्फ पंडित लोगो का हि सम्मन् करता हु पटा नही अल्लाह ने कैसे मेरे घर मे एक पंडित भेज दिया ।।।मै आपका और अपने अल्लाह का कर्ज दर हो गया ।
और मै आपका धन्यवाद करता हु ।


मैने पंडित जी को मुस्कुरा के आँख मारी तो पंडित जी ने वही खूनी लूँगी निकाल के झटका और पास मे ही फैला दिया.मैने सौाहर अली के आँसू पोंछे और दिलासा देते हुए कहा;

मैं(फातिमा बीबी)-क्यों घबराते हो जी,मैं तुम्हे छोड़कर कही नही जाने वाली

सौाहर अली-आप नही जानती मेडम जी,आपके बिना मेरा समय कैसे कटता है

मैं(फातिमा बीबी)–अच्छा चलिए अब अच्छे बच्चे बनिये और मेरे भाई को भेज दीजिए,मुझे राखी बांधनी है रिज़वान और रोहित को भेज दो

उधर सौहर सरपट भागे और इधर पंडित जी मेरे पीछे आकर प्यार से ज़ोर का तमाचा मेरी चूतडो पर जड़ दिए,मेरे चूतड़ थरथरा गये…तभी रिज़वान,मेरे छोटे भाई ने दरवाज़े पे कदम रखा और बोला;

रिज़वान-फतिमा अप्पी ,ये कैसी आवाज़ थी?

मैं(फातिमा)-कुछ नही भाई,अभिषेक भाईजान ने मच्छर मारा था,चलो अब जल्दी से राखी बँधवा लो.

रिज़वान- फातिमा अप्पी ,जानता हू,इस त्योहार मे हर भाई अपनी अप्पी का पहरेदार बना रहता है मैं भी तुम्हारी ख़ुसी के लिए ज़िंदगी भर आगे रहूँगा. और अभी रोहित आता हि होगा
तभी रोहित आ गया और उसने मेरा पाव छुवा
और

मैने जब तक रिज़वान और रोहित को सोफे पर बैठके उसके हाथ मे राखी बँधी तब तक वो पास पड़ी हुई लूँगी को छू छू के देखता रहा और फिर मेरा भाई ट्यूशन के लिए चला गया और् रोहित मुझको 500 रु देकर् चला गया …तब मैने पंडित जी को सोफे पर लाके बैठा दिया और पूजा की थाली लेने चली गयी… पंडित जी मेरे मदमस्त चूतडो की मतवाली चाल का मज़ा तब तक लेते रहे जब तक मैं ओझल ना हो गयी…पूजा की थाल लेकर मैं अभिषेक जी के पास पहुचि और हाथ पकड़ के खड़ा कर दिया उनको,फिर मैने नीचे बैठे हुए कहा
पंडित जी...तुमको हिन्दु रिवाज बहुत पता है


मैं(फातिमा)-पंडित जी… वो सब छोड़ो आज से आप मेरे अफीशियल भाई हैं और पहले रक्षाबन्धन मे आपकी ये ,., बेहन इस रेशम की डोर को बाँधने के अलावा और कुछ नही कर सकती…चलिए अपने धोती खोलिए

अभिषेक-लेकिन क्यों??????

मैं(फातिमा)–आप खोलिए तो भाईजान

अभिषेक-मैं नही खोलता,काम तुम्हारा है,तुम ही खोलो

मैंने हाथ बढ़ाकर उनके धोती खींच दिया और नीचे गिरा दिया,हाफ कट अंडरवेर मे अभिषेक जी का 9 इंच लंबा लंड चिंघाड़ रहा था.मैने आगे बढ़कर जैसे ही उनकी अंडरवेर नीचे की,अभिषेक जी का फौलादी लंड मेरे होठों पर दस्तक देने लगा …एकबारगी तो मेरी चूत ही सिहर उठी पंडित जी का लंबा और मोटा लंड देख कर..उस रात मैने इसको हाथ और चूत मे तो लिया था लेकिन देखने का सौभाग्य नही मिला था
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#9
Part - 9

से मैने पूजा की थाल उठाई और उसमे से चंदन निकाल कर अभिषेक राम डूबे जी के खड़े लंड पर टीका लगा दिया,,अभिषेक राम जी का लंड घोड़े की तरह हिनहिनाने लगा…मैने वहि पर चादर बिछा कर नवाज़ पड़ने लगी और बार बार मै पंडित जी का लैंड को देख देख कर पड़ रही और पंडित जी मन्त्र पढ़ते हुए बोले चल सब कर रही है तो मेरी लैंड की आरती भी कर दे मै तुरंत वाही राखी वाला थाली को लंड को आरती दिखाने लगी…फिर फूलों की एक छोटी सी माला लेकर पंडित जी के लंड को पहना दी और खड़ी हो गई. पंडित जी ठगे से देखते रहे फिर बोले

पंडित जी-लेकिन फातिमा बेहन,मै गिफ्ट मे क्या दु

मैं(फातिमा बीबी)-अभिषेक भाईजान,आपने तो गिफ्ट दे दिया कि आप हिन्दु भाई अपनी ,., बहनो की रक्षा के लिए कैसे कैसे मिज़ाइल रखते हैं,अब मैं बताती हूँ कि हम ,., बहनें अपने हिन्दु भाइयों के लिए कौन सा गिफ्ट दु मक्खन
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#10
पार्ट 10

अभिषेक जी के ठीक सामने पहुच गयी और उनके दोनो हाथ पकड़कर अपनी कमीज के उपर चूचियों पर रख दिया.फिर कहा,दुबे साहेब,ये है आपका गिफ्ट और इन ही से आपको मसल। कर आपको पीना है.अभिषेक राम जी ने मेरी कमीज मे क़ैद कबूतरों को इतनी ज़ोर से मसल दिया जैसे पूरा पाकिस्तान उनकी मुट्ठी मे आ गया हो.मैं दर्द से चीख उठी और छिटक कर अलग खड़ी हो गयी.

खाना खाकर हम अपने डेलक्स रूम मे आ गये….सौहर चटाए को लेने चले गये,हर जुम्मे को सौहर मेरी इबारत करते थे रात मे और फिर रात भर मेरे पैरो तले बैठ कर मसाज करते थे कि शायद किसी दिन मेरा दिल उन पर रहम खाए और मैं अपने बदन के उतार चढ़ाव को छूने दूं…सौहर् अली की बदक़िस्मती कि मैने रात भर तड़पने के डर से कभी हाथ भी ना लगाने दिया.

पंडितजी रूम मे पहुच के हनुमान चालीसा पढ़ने लगे.मैने भी सोचा अब तो मैं भी हिन्दु ही हो चुकी हूँ सो उनके बगल मे बैठ कर मैं भी हनुमान चालीसा पढ़ने लगी…ख़त्म हुआ तो देखा मोहम्मद बिन अली बगल मे चटाए को लेकर खड़े हैं… पंडित जी मेरी चूत के खून से भींगी अपनी लूँगी बिछा कर हनुमान चालीसा पढ़ रहे थे…मैने सौहर से कहा,आप नीचे बैठ जाइए,नवाज़ कुछ देर बाद सुरू होगी,पहले मुझे अभिषेक भाई जान की खिदमत करनी है….बिना जवाब सुने मैं अपने भारी चूतड़ अभिषेक के सामने लहराते हुए पंडित जी के पास चली गयी जो अभी अभी हनुमान चालीसा पढ़ कर उठे थे.सौहर का नूनी और चेहरा दोनो झुक गये. अभिषेक डुबे ने पास आते ही मेरे मदमस्त चूतडो पर हाथ रखके उठा लिया और मेरे गालो पर एक ज़ोर की पप्प्प्पी जड़ दी…मैने अभिषेक भाई जान के लिए स्पेशल मेकप किया था खाने के बाद,और सोने की एक नथनी भी पहन ली थी…एक तो मेरे गाल ऐसे माखन की तरह चिकने उस पर पाउडर ने उसे पेरिस की सड़कों की तरह चिकना कर दिया था.. अभिषेक दुबे लगातार मेरे गालो पे पप्प्पी लिए जा रहे थे,लेकिन मुझे लग रहा था जैसे वो मेरी चूत पे पप्प्पी ले रहे हैं…अचानक वो मेरे होंठो को चूसने लगे…मैं मचलने लगी तो जी ने मुझे नीचे उतार दिया और कहा;

अभिषेक- फातिमा डार्लिंग,अब तो मेरा गिफ्ट दे दो,मुझे भी पीना है

मैने इतराते हुए भौं मटकाई और कमर को झटका देते हुए चूतड़ मटकाए और कहा;

मैं(फातिमा)- दुबे जी,ये गिफ्ट तो ज़िंदगी भर आपका है,जब चाहे तब डब्बे से निकाल के खा सकते हैं

सुनते ही अभिषेक जी का लंड हिनहिनाने लगा..वो तुर्रंत आगे बढ़े और कंधे से मेरी कमीज से रुप्पटा नीचे गिरा दिया…मेरी चूचियाँ इतनी ओवरसाइज़ हैं कि कमीज मे कसी हुई थी ,मेरी चूचियों का बहुत सा पार्ट बाहर झाँक रहा था,साँस के उतार चढ़ाव के साथ मेरी चूचियाँ भी अप-डाउन हो रही थी,लग रहा था जैसे मदीना का हज है जो सीना ताने खड़े हैं और उनकी साफ चिटकनी इतनी नोकिली जैसे किसी ने वहाँ परचम गाढ दिया हो.अभिषेक दुबे ने मेरे पीछे आकर दोनो हाथो से मेरी चूचियों को गिरफ़्त मे लिया और ऐसे मसल्ने लगे जैसे संतरा मसल रहे हो…मेरी चूत सनसना गयी..मैं अलग हुई तो वो अपने धोती को खोलते हुए सारे कपड़े उतार दिए…अब अभिषेक जी मेरे सामने जन्मजात खड़े थे और उनका खूटे जैसा तना हुआ लंड सलामी दे रहा था…मैने अपने होंठो पर ज़ुबान फेरी तो अभिषेक जी हाथ पीछे कर के मेरे कमीज को उतार दिये .नीचे मैने ग्रीन कलर की ब्रा पहनी थी..अभिषेक दुबे ने मेरी ब्रा का हुक तोड़ दिया…लगा जैसे किसी पिंजड़े का दरवाज़ा तोड़ दिया हो.घंटो क़ैद मे फँसे मेरे दोनो कबूतर फर्फरा के उड़ना चाहे लेकिन पंडित जी के हाथों मे फँस गये…मेरी नंगी चूचियों को छूते ही दुबे साहेब जोश मे आ गये..बाई चूची के निपल को चुटकी मे दबा कर सहलाते रहे और दाई चूची को ज़ोर से मसल दिए,

मेरी चूत मे जैसे करेंट लगा…मेरी हालत देखकर अभिषेक डुबे जी ने बाई निपल को भी पकड़ कर ज़ोर से मसल दिया….मैं सिसक उठी,’उईईईईई मुंम्मी’मेरी चूची से दूध की एक मोटी धार निकल के ज़मीन पर गिर पड़ी…मैं ख़ुसी से पागल हो उठी,पंडित जी ने महज़ 10 दिनो मे कमाल कर दिखाया था..मैने अपनी चूचियों को अभिषेक जी के हाथो मे फ्री छोड़ दिया.फिर तो दुबे जी ने मेरी चूचियों का मंथन ही करना सुरू कर दिया..अभिषेक दुबे से अपनी चूचियाँ मसलवा कर मेरी जाँघो के बीच की सहेली गीली हो गयी थी.
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#11
Part 11

अभिषेक जी ने मेरे मन की बात समझते हुए मेरी चूचियो को आज़ाद किया और मेरा सलवार पकड़ कर खिच लिया जिससे उसका नाडा तोड़ दिये … और सलवार नीचे गिर गयी थी और मैं अब सिर्फ़ पिंक कलर की नक्कासीदार पैंटी मे अभिषेक जी के सामने खड़ी थी…अपनी जाँघो के बीच ही अभिषेक जी को देखते हुए मैं शरम से पानी-पानी हो गयी..हाला कि वो मुझे चोद चुके थे लेकिन कभी मेरा बदन नही देखा था,सो मेरी नज़रे झुक गयी.अभिषेक दुबे जी पैंटी के उपर से ही मेरी चूत सहला दिए और गालो पे चुम्मि ले ली..

तबतक मुझे याद आया,सौहर मेरी नवाज़ पड़ने के लिए बैठे हैं…मैने सौहर को बुलाया ,सौहर को जैसे सब पता था, क्या करना है.चटाए नीचे रख कर सौाहर ने मेरी पैंटी उतारी और मुझे बेड पर बैठा के खुद नीचे बैठ गये… और पानी लाकर मेरी चूत पर गिरा दिए और पानी डाल कर ऐसे साफ करने लगे कि मेरी चूत साफ हो बुरखा की बदौलत और उनकी उंगलियाँ भी टच ना हो…फिर आँख बंद कर के हाथ फैला लिए.मैं बेड से उठकर खड़ी हो गयी और मेरे सामने हाथ फैलाये नीचे बैठे तो(नवाज पड रहे थे).मेरी चूत सौहर के सामने थी और चूतड़ अभिषेक डुबे की तरफ जो सोफे पर बैठे थे…मेरे नंगे चूतडो को देखते ही अभिषेक डुबे बर्दस्त से बाहर हो गये..एक तो मेरे मलाई जैसे चिकने चूतड़,उस पर डनलॉप के गद्दे की तरह फूले हुए…..कमर पर दोनो हाथ रखे हुए मैं हौले हौले हिल रही थी तो मेरे मदमस्त चूतडो मे कंपन हो रहा था..अभिषेक दुबे ने ना तो मेरे नंगे चूतडो को देखा था और ना ही दबाया था.अचानक ना जाने क्या हुआ कि पंडित जी पीछे से आए और मुझे थोड़ा झुका दिए,अभी मैं कारण सोच ही रही थी कि अभिषेक जी ने अपना हाथ हवा मे पीछे लहराया और मेरी नंगी चूतडो पर ज़ोर का थप्पड़ लगा दिया..मैं आह भर उठी,जहा अभिषेक जी का हाथ पड़ा था,वहाँ उनके पंजो का निशान पड़ गया था और मेरी चूतड़ लाल हो गयी थी.थप्पड़ की आवाज़ से सौहर की आँखे भी खुल गयी थी,सौहर ने जल्दी से उठकर मेरी चूत की तरफ देख कर फिर माथा टेक लिया और फिर चटाए लेकर बहार चले गये
सौाहर अली के जाते ही पंडित जी ने मुझे गोद मे उठा लिया और बेड पर पेट के बल पटक दिया….फिर ड्रेसिंग टेबल से बॉडी लोशन उठा कर आए,क्रीम निकाल कर मेरी चूतडो पर लगा दिए और हौले हौले मसाज करने लगे…मेरी मदमस्त चूतड़ अब और भी चमकीली हो गयी थी..बीच बीच मे अभिषेक राम दुबे मेरी चूतडो पर थपकी भी लगा देते.फिर अभिषेक जी मुझे सीधा लेटा कर मुझ पर चढ़ गये और गालों पर पप्प्पी लेने लगे….तब तक सौहर भी आ गये.मुझे इस हालत मे देखते ही वो रो पड़े और बेड के कोने मे बैठकर मेरे पैर दबाने लगे..अभिषेक अभी भी मेरी चुम्मि लिए जा रहे थे,सो मैं अपने होश मे नही थी…सौहर् बड़े चालबाज़ थे,तलवो से धीरे धीरे वो मेरी जाँघो पर आ गये थे .सौहर अली मेरी चूत छू ही लेते अगर मैं तुरंत उनके सीने पर लात मार के ना गिरा देती.मैं बेड से उठी तो सौहर मोहम्मद बिन अली नीचे गिरे पड़े थे…मैने पैर मे सॅंडल पहन रखी थी,मैं गयी और उनके जाँघो के बीच एक ज़ोर की किक लगा दी, सौाहर अपना नूनी हाथ मे पकड़े दर्द से बिलबिला रहे थे.मेरे गाल गुस्से से लाल हो गये थे,कह ही उठी मैं

मैं(फातिमा बीबी)-तुमने हिमाकत कैसे की मेरे सामान को हाथ लगाने की मेरी मर्ज़ी के बिना

सौहर मोहम्मद (दर्द से कराहते हुए)-प्लीज़ बेगम जी ,एक बार ,सिर्फ़ एक बार अपनी चूत छू लेने दीजिए,मैं आपके हाथ जोड़ता हूँ,पैर पकड़ता हू,मुझे माफ़ कर दीजिए लेकिन प्लीज़, प्लीज़,प्लीज़ मुझे अपनी चूत छू लेने दीजिए

मैं सौाहर के गालो पर थप्पड़ जड़ने ही जा रही थी कि मन मे एक ख़याल आया और मेरे होठों पर कातिलाना मुस्कुराहट आ गयी…सौहर् ने सोचा कि काम बन गया.मैने सौहर के सर पर हाथ फेरते हुए कहा

मैं(फातिमा बीबी)-ठीक है लेकिन एक शर्त पर….जब तुम मुझे खुश कर दोगे,मेरा हर हुक्म मुस्तैदी से पूरा करोगे

सौाहर मोहम्मद ने नीचे मूह झुका कर मेरे पैरों को चूमा और कही मैं इरादा ना बदल दू ,इसी डर से पूछ बैठे;
सौाहर मोहम्मद -जल्दी बोलिए बेगम जी,क्या करना है मुझे??

मैं(फातिमा बीबी)-मैं तुम्हे अपनी चूत तभी छूने दूँगी जब तुम मेरी गान्ड चाटोगे
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#12
Part -12


मैने अपने मक्खन दार चूतड़ ,जो कीम की वजह से शाइन कर रहे थे; सौाहर मोहम्मद की लप्लपाति जीभ के सामने कर दिए, सौाहर मोहम्मद ने दोनो हाथों से मेरे चूतड़ पकड़ के जैसे ही जीभ आगे बधाई,मेरे चूतड़ गुस्से से पागल हो गये.मैने सौहर मोहम्मद के गालो पर ज़ोर का तमाचा लगाया तो उनकी आँखो मे आँसू आ गये,शायद वो सोच रहे थे कि क्या ग़लती की है?मैने उनके बाल पकड़ के कहा
मैं(फातिमा बीबी)-नही सौहर मोहम्मद जी,छूना नही है ,सिर्फ़ चाटना है

अभिषेक जी शायद मेरे सौाहर की परेशानी समझ गये…पास आकर अभिषेक राम दुबे मेरे चूतडो को थाम लिए तो मैने मुस्कुरा के उनको आँख मार दी.अभिषेक जी मेरे चूतडो को फैला के खड़े थे और मोहम्मद सौाहर अपनी जीभ मेरी गान्ड के सामने कुत्ते की तरह फैला के खड़े थे…सौहर् मेरे अशोल पे जीव रख कर चाटने लगे लेकिन होल इतनी टाइट थी कि जीभ अंदर घुस नही रही थी….पंडित ने मेरे सौाहर के सर को मेरे चूतड़ से दूर करते हुए मुझे झुका दिया….फिर नीचे बैठ कर मेरे चूतड़ के दोनो पाट पर जोरदार तमाचे लगाते चले गये,कभी इस हाथ से तो कभी उस हाथ से…मेरे चूतड़ कराह रहे थे लेकिन खुश हुई कि मेरा आस होल अब थोड़ा ढीला हो गया,अब मैं आराम से सौहर मोहम्मद से अपनी गान्ड चटवा सकती थी…..और सच मे,उसके बाद सौहर ने मेरे अशोल मे अंदर तक जीभ घुसा के सफाई की,तब तक सामने से अभिषेक जी मेरी चूचियों की मिसाई करते रहे…..अशोल चटवा के मैं मस्त हो गयी थी लेकिन पेशाब लग गयी थी….मैने सोचा टाइम वेस्ट हो जाएगा सो सौहर मोहम्मद को मूह खोलने के लिए कहा…और अपनी चूत सामने करते हुए उनके सर को पकड़ लिया…….मेरी चूत से पेशाब की एक मोटी धार निकली और सौहर उसे सीवाया की तरह पीते चले गये….मेरा पिशाब पी लेने के बाद सौहर ने अपने होठों को ऐसे पोन्छा जैसे लस्सी पी हो.

इस वाकये मे मैं बहुत थक चुकी थी ,सो सौहर को अपने पैर दबाने के लिए कहा कि घुटने से उपर नही बढ़ना है…सौहर् बहुत देर तक मेरे पैरो की मालिश करते रहे….तब तक ,अभिषेक जी कमरे से निकल कर पता नही,कहाँ चले गये थे…..

पता नही, अभिषेक जी कहाँ गये थे लेकिन जब आए तो शैतानी से बाज़ नही आए और आते ही मेरे चूतडो पर थप्पड़ लगा दिए…..फिर मुट्ठी खोल के दिखाए तो उसमे एक सोने की रिंग थी जिसके बीच मे जाड़ा हुआ डाइमंड दूर से ही चमक रहा था,उसमे एक छोटा सा घुँगरू भी था..मैने पूछ ही लिया;

मैं(फातिमा बीबी)-ये क्या है पंडित जी?

पंडित(मेरी नथुनि पर हाथ फेरते हुए)-फातिमा डार्लिंग,हम पंडित हैं,जब भी किसी की सील तोड़ते हैं तो कुछ तोहफा ज़रूर देते हैं…उस दिन मैने ट्रेन मे तुम्हारी नथ तो उतार दी थी लेकिन उस वक़्त मेरे पास कुछ तोहफा नही था,इसे तो अब मैं अपने हाथों से तुम्हारी चूत मे पहनाउन्गा
मैं चिहुनक उठी;
मैं(फातिमा बीबी)-उउईईईईई दैयाआअ ,चूत मे?????????

अभिषेक-हां फातिमा डार्लिंग,जब तक तुम्हारी चूत मे ये घूँघरू बजता रहेगा,तब तक तुम्हे याद रहेगा कि तुम्हारी चूत की सील अभिषेक राम दुबे पंडित जी ने तोड़ी है.

फिर दुबे जी ने चुटकी से मेरी चूत को फैलाते हुए चूत मे रिंग गाँठ दिया…कलाकार ऐसे की चूत मे रिंग पहनते हुए मुझे सिर्फ़ हल्का सा दर्द हुआ….मेरी चूत पर सोने की रिंग ऐसी फॅब रही थी जैसे कान की छेद.

देखकर पंडित जी का लंड हाथी की तरह चिंघाड़ने लगा…अभिशेक् जी ने मेरे दोनो पैर कंधे पर रखते हुए चूत के मुहाने पर अपना मूसल रगड़ दिया……मेरी चूत हाई हाई करने लगी थी…अभिशेक् जी ने मेरी चूत मे धीरे से लंड घुसाया तो फिर से बहुत दर्द हुआ .हाला कि पंडितजी मेरी चूत की झिल्ली ट्रेन मे ही फाड़ चुके थे,फिर भी मेरी चूत इतनी टाइट थी कि उंगली भी मुस्किल से घुसती,पंडित जी का लंड तो फिर भी बंपिलाट था,9इंच लंबा और बेलन जितना मोटा…..मुझे लगा आज मेरी उस खूबसूरत चूत की धज्जियाँ उड़ जाएगी,जिस पर मुझे बड़ा नाज़ था…..लेकिन पंडित जी तो दूसरे ही मूड मे थे…ऐसा धक्का मारा मेरी चूत मे कि मेरी चूत ककड़ी की तरह फट ती चली गयी और पंडित जी तो ऐसे गुस्से मे थे
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#13
update - 13

जैसे इंडिया गेट फाड़ के अंदर घुश आए हो.मैं दर्द से बिलबिला रही थी लेकिन अभिषेक राम दुबे पर कोई असर नही….वो मेरी कोमल कोमल चूचियों को बेरहमी से मसल्ते जा रहे थे…चूचियों को मसलवा कर थोड़ी मस्त तो हुई लेकिन अगले ही पल ऐसा शॉट मारे मेरी चूत पर कि पंडित जी का पूरा का पूरा लंड आपकी फातिमा बीबी की चूत के अंदर…मेरी चूत मे पानी भर आया था …मेरे रोने की आवाज़ सुनकर सौहर मोहम्मद बिन अली बेड के नीचे दुबक गये थे….अभिषेक दुबे जी ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर खिचा और रिंग पर दो तीन बार रगड़ के फिर से मेरी चूत मे घुसा दिया…इस बार एक ही बार मे वो अपना पूरा लंड चूत की जड़ तक पहुचा दिए….उनका बंपिलाट लंड मेरी चूत मे शान से चहलकदमी कर रहा था जैसे ताज़ होटेल मे घूम रहे हो…..अब तो अभिषेक दुबे अपना लंड चूत के मुहाने तक खिचते और ऐसा धक्का मारते की लंड सीधे बच्चेदानी से टकराता…..मेरे मूह से हाई हाई निकल्ने लगी थी….अभिषेक राम दुबे जी रुके तो मैने उनको नीचे करते हुए लंड पकड़ा और अपनी चूत मे घुस्सा लिया……उईईईईई अम्मी,पंडित जी पूरे कसाई थे…….मैने अपने बालो को एक हाथ से पकड़ के जुड़ा बना लिया और दूसरे हाथ को होठों के बीच दबाकर चुदाने लगी……… अभिषेक राम दुबे नीचे से जोरदार ठप पे ठप दिए जा रहे थे और मेरे चीखने की आवाज़ पूरे कमरे मे गूँज रही थी,मेरे नामार्द सौहर हाथ मे नूनी लिए हुए मेरी चीख सुनते रहे और फिर हाथ मे ही झाड़ गये…..मैं बहुत थक गयी थी चुद्ते चुद्ते,धक्को का जवाब नही देती तो अभिषेक राम दुबे मेरे चूतडो पर थप्पड़ लगा देते और फिर मजबूरी मे मेरी कमर चलने लगती.अचानक अभिषेक राम दुबे ने मुझे नीचे लेटा कर सुपर फास्ट एक्सप्रेस बना दिया,मुझे अब बर्दास्त नही हो रहा था,सो मैं दौड़ के कमरे से बाहर भागी….अभिषेक राम पंडित भी पीछे लपक लिए…..बाहर मेरा भाई रिज़वान खड़ा था,शायद मेरी चीख सुनकर दौड़ता आया था…देखते ही उसने अभिषेक राम पंडित को रोकने की कोशिश की लेकिन पंडित जी ने उसे एक थप्पड़ मारा तो ज़मीन चाटने लगा. पंडित जी ने हंसते हुए कहा, रिज़वान,”तेरी फातिमा अप्पी की चूत बहूत मस्तानी है,लेकिन चूत बहुत टाइट है….इसलिए मेरा लंड बर्दास्त नही कर पा रही.चुदने से तो तू आज अपनी फातिमा अप्पी को बचा नही सकता…हां,थोड़ा तेल लाएगा तो फातिमा डार्लिंग को चुदने मे दर्द नही होगा”
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#14
Part - 14


रिज़वान फ़ौरन किचन से तेल ले आया और पहले अभिषेक राम पंडित  के मूसल पर चुपड के नहला दिया…फिर जिस हाथ मे मैने राखी बाँधी थी उसी हाथ से मेरी चूत पर भी तेल लगा के मालिश करने लगा…चूत के बहुत अंदर तक मेरे भाई ने तेल लगाया ताकि मुझे दर्द ना हो….राखी का फ़र्ज़ पूरा कर दिया था उसने…उसके हाथ पर राखी चमक रही थी और मेरी चूत पर रिंग….

रिज़वान ने मेरी चूत की दीवारो को फैला कर अभिषेक राम पंडित के मूसल लंड को घुसने को रास्ता दिया..बस फिर क्या था , पंडित जी ने अपना लंड मेरी चूत मे घुसाते हुए ही मेरे पैर अपनी कमर मे फँसा लिए और दौड़ते दौड़ते ही बेरहमी से चोदने लगा..पूरे घर मे फॅक-फॅक की आवाज़ गूँज रही थी….लेकिन मैं अधमरी हो चुकी थी….एक बार फिर मुझे मौका मिला और मैं पंडित जी  के पंजो से निकलते हुई भागी…सामने एक दूसरा कमरा था जिसमे हम नवाज़ रोज़ पढ़ते  थी…मैं कमरे मे घुसी तो पंडित जी ने भी दौड़ते चले आए .मैं बचने के लिए बेड पर डुबकी तो अभिषेक राम पंडित ने मेरी ज़ुल्फो को बेरहमी से पकड़ कर सीधा किया,. पंडित जी ने मेरा एक पैर उठा कर बेड पे रख दिया और पीछे आकर एक ही बार मे अपना समुचा लंड मेरी चूत मे घुसा दिया,

अभिषेक का लंड मेरी चूत मे परचम की तरह लहरा रहा था….मैं बेड पर हाथ का सहारा लिए तब तक चुदती रही जब तक बेहोश ना हो गयी…होश आया तो कुछ देर मे दर्द ख़त्म हो गया…. रात भर मैं पंडित जी से चुदती रही ,10 बार चोदा था अभिषेक ने उस रात मुझे और सौाहर मोहम्मद बिन अली सारी रात जाग कर फॅक फॅक की आवाज़ सुनते रहे……खैर उस रात के बाद मुझे चुदने मे तकलीफ़ नही होती, अभिषेक जी ने मेरी चूत का पूर्जा पूर्जा ढीला कर दिया था…अब वो जब भी हनुमान चालीसा पढ़ने मंदिर आते तो घर आकर मेरी चुदाई ज़रूर करते.मैने बहुत मिन्नतें की लेकिन पंडित जी ने मुझे बेगम का दर्ज़ा देने से इनकार कर दिया,अब मैं उनकी रखैल बन गयी हूँ और उनका जब मन होता है,मेरी चुदाई कर देते हैं….मैने सौहर मोह्हमद बिन अली को छोड़ दिया,आज भी सौहर अपनी नूनी लेकर मेरी तलाश मे दर-दर भटकते हैं…पूरे 9 महीने बाद मैने मैने जूनियर अभिषेक को जन्म दिया…उसका नाम रखा है मैने चोदुल,पसंद आया????


पर मैने इस कहानी को आगे बढ़ाया है लेकिन जिनको भी अम्मी और बेटी की स्टोरी नापसन्द हो वो आगे नही पढ़े और जो पढ़े अगर उनका लुल्ला दहकने लगे तो फातिमा बीबी का सुक्रिया अदा करना भी ना भूले…ये सारी मेरी सिर्फ़ फॅंटसीस हैं..लफ़ज़ो का जमाव सिर्फ़ एंटरटेनमेंट के लिए किया गया है….

अभिषेक की रखैल बन ने के बाद मेरा भाई रिज़वान अम्मी अब्बू के साथ रहने लगा था,मेरे अम्मी अब्बू दोनो डॉक्टर थे( वो डाइवर को छोड़ने के बाद अम्मी ने फिर से अब्बू से हि निगाह कर लिया था हलाला के बाद)  ….एक दिन मुझे फोन आया कि अब्बू ने सुसाइड कर ली है…मैं अपने साथ अपने बेटे चोदुल पंडित को लेकर मायके निकल पड़ी…वहाँ जा के पता चला कि अब्बू को अम्मी और रमाकांत शर्मा के रिलेशन्स के बारे मे पता चल गया था और मुहल्ले के लोग उन पर फबती कसते थे,ये उनसे बर्दास्त ना हुआ और जान दे दी.मेरी अम्मी का नाम डॉक्टर. आयेशा अंसारी है . देखने में वो बहुत ही सुंदर है,मेरी अम्मी नही, जैसे बड़ी अप्पी लगती है. उनकी उम्र 42 है लेकिन फिगर बहुत ही हॉट है..अम्मी घर मे नाइटी या साड़ी पहेन्ति है और बाहर जाती है तो सलवार सूट और हिजाब पहेन्ति है, … अम्मी का सलवार सूट बहुत ही टाइट है..पता चला जब भी अम्मी बाहर जाती है तो सारे अंकल उन्हे घूर घूर कर देखते रहते है, उनकी सलवार से उनकी पैंटी की शेप दिखती रहती है.. मेरे मुहल्ले के सारे लड़के मेरी अम्मी के बारे में गंदी गंदी बाते करते रहते है…मैने अपने भाई रिज़वान से पूरी बात सुनाने को कहा क्यूंकि रोहित हॉस्टल से पड़ता है उसको अब्बू पसंद नही करते थे और मेरा भाई रिज़वान भी और मै भी पर धीरे धीरे मै और रिज़वान पसंद करने लगे क्यून भी हो पर रोहित था तो मेरे अम्मी आयेशा का हि बेटा सो

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Ammi aayesha ansari aur mai app sab ki randi fatima bibi

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Ye mai hu fatima bibi
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#15
Part 15


रिज़वान: फातिमा अप्पी,बहुत लंबी कहानी है…

मैने कहा:क्या हुआ भाई,एक एक घटना बताओ.

रिज़वान:तो सुनो अप्पि…उसने जो सुनाया तो मेरा दिल दहलते चला गया…आप भी सुन ले,मेरे भाई की कहानी भाई की ही ज़ुबानी…

रिज़वान: फातिमा अप्पी,तुम्हारे अभिषेक राम पंडित की रखैल बन ने के बाद मैं यहाँ आ गया था…सुरू मे तो मुझे कुछ नही पता था,लेकिन हफ्ते भर बाद ही सब पता चलने लगा.एक बार मुझे याद है मैं दुकान पर समान खरीदने गया हुआ था वहाँ बगल मे कुछ लड़के थे जो सिगरेट पी रहे थे उनमे से एक का नाम अभय था उसने मेरी तरफ अपने दोस्तो को दिखा कर कहा पता है इसकी अम्मी बहुत गरम है इतनी टाइट सलवार पहेन्ति है कि मन करता है उसकी सलवार यही फाड़ दूं और उसको चोद डालु.साली की क्या मस्त गद्देदार गंद है कितनी उभरी हुई है. मुझे डर लग रहा था कहीं वो लोग मुझे मारे ना,सो मैने कुछ नही कहा.


दो तीन दिन तक ऐसा ही चलता रहा. एक दिन मैने अम्मी से ये बात बताई अम्मी ने मुझसे कहा कि तुम उनकी बाते मत सुना करो वो लोग गंदे है मैने कहा ठीक है अम्मी लेकिन वो लड़के हमेशा मुझे देख कर मुझसे कहते थे घर मे तेरी अम्मी अकेली है क्या या शर्मा जी चढ़े हुए है?? अगर मैं कहता था हाँ अकेले है तो वो लोग मुझसे कहते थे अपनी अम्मी को बोलो,हमे भी बुलाए चुदवाने के लिए हम भी कुछ कम नही शर्मा अंकल से देखना तेरी अम्मी को हम भी पूरी तरह रगड़ रगड़ कर चोदेगे. 

.मुझे बहुत बुरा लगता था. एक दिन एक लड़का मुझे मेरी अम्मी के बारे मे चिड़ा रहा था और मैने उसे पलट के गाली दे दी वो मुझे मारने लगा कहने लगा साले तेरी अम्मी है ही रंडी इसी लिए तेरी अम्मी के बारे मे गंदी बाते बोलता हू और मुझे मारने लगा फिर अचानक से वो आदमी जिसका नाम प्रदीप शर्मा था वो आया उसने उस लड़के को रोक कर मुझे बचाया…पता चला वो की ही शर्मा जी का औलाद है.उसने कहा तू मेरे भाई जैसा ही हुआ ना जब मेरे पापा तेरी अम्मी को चोदते है 

तो!मैने सोचा कोई तो मिला जो मुझे इस बस्ती मे बचा सके …हमारी अच्छी दोस्ती हो गयी फिर हम रोज़ मिलते थे और बाते करते थे एक दिन मैं और वो छत पर खड़े हो कर बाते कर रहे थे कि सामने मेरे घर की छत पर अम्मी नज़र आई. प्रदीप अम्मी के तरफ ही देख रहा था.उसने मुझसे कहा,पता है तुझे मैं इस वक़्त यहाँ क्यों बैठता हूँ रोज?यही नज़ारा देखने के लिए..पापा ऐसे ही नही फिदा हो गये तेरी अम्मी पर,तेरी अम्मी साड़ी ऐसी पहनती है कि पीछे से उनकी कमर सॉफ दिखती है .. नाभि तो देखो कितनी गहरी है. हमेशा नाभि के नीचे साड़ी बाँधती है तेरी अम्मी .वो जब कपड़े पसारती है तो अपनी साड़ी को छोटा कर के अपने पेट पर अटका देती है जिससे उनकी चूची ब्लाउस के अंदर बड़ी बड़ी सॉफ दिखती हैं. वो जब भी नहा कर आती है तो बाल्कनी में अपने बाल सुखाती है उनके गीले बदन में से उनकी चूची बहुत ही मस्त लगती है. मैं जब यहाँ रहता हूँ तो मेरी नज़र उनके बदन पर ही होती है.सच मे ,तेरी अम्मी पटाखा माल है,पापा जब तेरी अम्मी को चोदते होंगे तो ज़न्नत मे सैर करते होंगे..मैं झेप गया.
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#16
Update -16.1

अगले दिन मेरी अम्मी  मस्जिद गयी थी मैने उसे कॉल किया और बोला आजा फिर वो मेरे घर आया हम बैठ कर बाते करने लगे. उसने मुझसे कहा रिज़वान क्या तुम चाहते हो कि आज से वो लड़के तुम्हे नही चिडाए मैने कहा हां क्या ये हो सकता है उसने कहा हां हो सकता है पर तू मेरी कुछ बाते मान ले मैने कहा हां बोलिए मैं आपकी हर बात मानूँगा उसने कहा रिज़वान तू मुझे दिखा ना तेरी अम्मी कैसी पैंटी पहेन्ति थी मैने कहा ठीक है और मैं गया और अम्मी जितनी पैंटी ब्रा पहेन्ति थी ले आया…प्रदीप् शर्मा ने कहा,पता है तुझे मैं इस पैंटी का क्या करूँगा,इसको मैं उन सारे लड़को मे बाँट दूँगा जो तेरी अम्मी के बारे मे तुझे चिड़ाते है.उन्हे सिर्फ़ इस बात का मलाल है कि तेरी अम्मी सिर्फ़ मेरे पापा से क्यों चुदती है,कुछ दिन तो कम से कम वो पैंटी ब्रा मे मूठ मारेंगे और उनकी भडास निकल जाएगी,फिर तुझे नही चिढ़ाएँगे..मुझे प्रदीप का आइडिया जॅंच गया…..लेकिन इसका मैं क्या करता जो फिर तीसरे दिन हो गया.उस दिन मैं नीचे कुछ समान खरीद रहा था कि कुछ दूसरे लड़को ने मुझ पे फबती कसी , यार हम ,मे क्या कमी थी जो तेरी अम्मी रामकांत शर्मा का बिस्तर गरम करने लगी उन्होने कहा चल तू एक काम कर अपनी अम्मी से कह जैसे उसका बिस्तर गरम करती है हमारा भी कर दे और बोलना पैसे भी देंगे हम. मुझे बहुत गुस्सा आया

इतना कह कर रिज़वान रोने लगा और कहा अब तुम ही बताओ फातिबा अप्पी,ऐसे हालात मे अब्बू सुसाइड नही करते तो और क्या करते??? अब्बू के साथ भी तो यही होता होगा..मुझे रमाकांत शर्मा पर बहुत गुस्सा आ रहा था,ये सारा कुछ शर्मा जी के कारण ही तो हो रहा था…पता नही शर्मा जी ने अम्मी मे क्या देखा था जो आज मोहल्ले की रंडी बन गयी है…हमारे मोहल्ले की मंदिर का मामूली सा पुजारी ही तो है जो अम्मी उसकी रखैल बन गयी हैं जबकि मेरे अम्मी अब्बू दोनो डॉक्टर थे……मैने दिमाग़ को झटका दिया,टाइम देखा तो रात के 9 बज चुके थे,मैं भाई के साथ खाना खाने आ गयी 


खाना खा के हम सो गये…रात मे मुझे पेशाब लगी तो मैं बाथरूम गयी,अचानक मुझे अम्मी के रूम से उनके खिलखिलाने की आवाज़ सुनाई दी…मैं दौड़ के वहाँ गयी और की होल आँख सटा दी..जो कुछ मैने देखा,उसके बाद मेरा दिमाग़ ही घूम गया.मैने देखा कि अम्मी ने एक लाल रंग की सलवार सूट पहन रखी है,सलवार सूट बहुत ही टाइट थी और अम्मी रमाकांत  शर्मा सोफे पर बैठ कर बाते कर रहे थे . रमाकांत शर्मा का हाथ मेरी अम्मी की जाँघो पर था और सहला रहा था उसने मेरी अम्मी के गोरे गोरे गालो पे पप्पी लेते हुए कहा आयेशा डार्लिंग, सच मे तुम बहुत मदमस्त माल हो जब भी तुम्हे देखता हू मन करता है पटक के चोद डालु. अम्मी शरमा के लाल लाल हो रही थी और अपने बालो को बार बार ठीक कर रही थी…फिर अम्मी ने बालो का मोड़ कर जुड़ा बना लिया. इस वक़्त अम्मी इतनी सेक्सी लग रही थी किसी भी मर्द का ईमान डोल जाए.होंठो पे डीप रेड लिपस्टिक,नाक मे नथ्नि ,कान मे बड़े बड़े झुमके. और.अचानक अम्मी ने कहा मुझे सूसू आई है,चलो ना.
रमाकांत शर्मा ने अम्मी के गालो पर एक ज़ोर की चुम्मि ली और बोला ठीक है,चलो…
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#17
Part 16 .2

 उठ कर अटॅच्ड बाथरूम की तरफ बढ़ गये.. शर्मा का हाथ मेरी अम्मी के गोल गोल चूतडो पर था..उईईईईईईईईई अम्मी,अम्मी के चूतड़ इतने मस्ताने थे कि किसी भी मर्द का हाथ सहलाने के लिए तड़प उठे.चूतड़ तो वैसे मेरे भी बहुत भारी है लेकिन अम्मी मुझसे थोड़ी हेल्ती है,इसलिए अम्मी के चूतड़ कुछ ज़्यादा ही गद्देदार है मुझसे. शर्मा जी मेरी मम्मी के चूतडो को सहलाते सहलाते बीच मे थपकी भी लगा देता था…और अम्मी,

अम्मी तो और चूतड़ लहरा के चल देती थी.
पेशाब करके दोनो वापस आए तो शर्मा जी ने अम्मी को गोद मे उठा कर बेड पे पटक दिया और उनपर चढ़ गया.फिर शर्मा जी ने अम्मी की एक चूची को पकड़ के मसल दिया और गालो पर एक ज़ोर की पप्पी ले ली..अम्मी ने सीसीया के अपने दोनो पैर फैला दिए…रमकान्त् शर्मा जी पुजारी  थे,सो उनकी मूँझ बड़ी थी जो शायद अम्मी को गढ़ रही थी…अम्मी ने अपने गाल फेर लिए .उसे शायद ये पसंद नही आया रमाकांत शर्मा ने तुरंत दूसरे गाल पर भी पप्पी ले ली और और दूसरी चूची को इतनी ज़ोर से मसल दिया कि अम्मी चीख के अपने दोनो पैर हवा मे उठा दी जैसे कह रही हो आओ पुजारी जी फाड़ डालो मेरी चूत. रामकांत शर्मा मेरी अम्मी की चूत को उनकी सलवार के उपर से सहला रहा था और अम्मी आआआआआः,आआआः कर रही थी.जोश मे आकर रमाकांत शर्मा ने अपने कपड़े उतार दिए. मुझे उसका लंड दिख रहा था ,

बहुत लंबा और मोटा था,9 इंच का बिल्कुल अभिषेक राम दुबे पंडित की तरह.अब समझ मे आया था मुझे कि हम ,., औरतें हिन्दु लंड की दीवानी क्यो रहती हैं और डॉक्टर होने के बाद भी मेरी अम्मी पुजारी से क्यों चुदती है. अम्मी ने रमाकांत शर्मा का मोटा लंड अपने हाथ मे ले लिया और सहलाने लगी… अम्मी की चूड़ियो की खनक मेरे कानो मे आ रही थी .मुझे बहुत अजीब लग रहा था थोड़ी देर तक अम्मी ने उसके लंड पर अपना हाथ उपर से नीचे तक सहलाया….फिर रमाकांत शर्मा के खड़े लंड पर अम्मी ने ज़ोर से चुम्मि ले ली और अपने लिपस्टिक लगे होंठो मे घुसा कर चूसने लगी .वो बार बार आआआआआः आआआः करते हुए अम्मी की चूचियों को मसल रहा था.

रमाकांत शर्मा का लुल्ला दहक के लाल हो गया था अब. वो एक हाथ से अम्मी की सलवार का ज़ारबंद तोड़ दिया और फिर अम्मी की सलवार सूट का कुर्ता सीने के पास पकड़ के खिचता चला गया . अम्मी की कुरती चर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ के साथ फट ती चली गयी….अम्मी ने इस वक़्त ना तो ब्रा और ना ही पैंटी पहनी था,शायद वो चुदने की तैयारी पहले ही कर चुकी थी. अम्मी की दोनो चूचियाँ छलक के बाहर आ गयी थी. रमाकांत शर्मा से बर्दास्त नही हुआ और वो अम्मी के दोनो निपल को चुटकी मे दबा कर मसल दिया.

अम्मी ने सिसकारी ली तो शर्मा जी ने तुरंत नीचे आकर अम्मी की नंगी चूत पर चुम्मि ले ली…अम्मी ने आआआआआः कह के अपने गोरे गोरे मक्खनदार चूतड़ उभारे ही थे कि रमाकांत शर्मा ने पूरा हाथ हवा मे लहरा के अम्मी के चूतड़ पर तमाचा लगा दिया और फिर रुके भी नही….शर्मा जी लगातार अम्मी के गद्देदार चूतडो पर तमाचे लगाते चले गये…ऐसा लग रहा था जैसे वो अम्मी के चूतडो से वोलीबॉल्ल खेल रहे हो……अम्मी के गोरे गोरे गाल और चूतड़ दोनो लाल हो गये थे….मैं सोच मे पड़ गयी,ये हिन्दु लोग हम ,., औरतो के चूतड़ पर थपकी मारने के इतने सौकीन क्यो होते हैं, अभिषेक राम दुबे पंडित भी तो तमाचे मार मार के मेरे चूतड़ लाल कर देते हैं

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#18
Part.17

शर्मा जि शायद मेरी अम्मी का दर्द समझ गये …..उस ने अम्मी की नंगी चूत पर चुम्मि ले कर चेहरा हटाया तो पहली बार मैने अम्मी की चूत देखी ,सच कहूँ ,मैं सन्न रह गयी थी…अम्मी की चूत भी मेरी तरह चिकनी थी और उस पर एक वैसा ही सोने का रिंग भी था जैसा अभिषेक राम पंडित ने मेरी चूत मे पहनाया था…हां डाइमंड उसमे ज़रूर नही था और घूँघरू थोड़ा बड़ा था..अब समझ मे आया था मुझे कि अम्मी जब चलती है तो झन्न् झन्न् की आवाज़ क्यों होती है…मैं सोच मे पड़ गयी थी अम्मी की चूत पर रिंग देखकर… अभिषेक राम डूबे पंडित की बात याद आ गयी..तो क्या अम्मी के चूत की सील भी रमाकांत शर्मा जी ने ही तोड़ी है???अचानक मैं चौंक उठी शर्मा जी की आवाज़ से.. आयेशा डार्लिंग, फातिमा तो एक बच्चे की अम्मी बन ने के बाद और गदरा गयी है,उसकी मचलती जवानी का मज़ा हमे भी तो लेने दो…मेरी तो चूत ही सनसना उठी.

अम्मी ने गुस्सा दिखाते हुए मूह बिचकाया तो शर्मा जी ने अपना लंड मेरी अम्मी की चूत पर रख दिया और धक्का मार के चूत के अंदर घुस्सा दिया .वो धीरे धीरे चोदने लगे उनका पूरा लंड मेरी अम्मी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और अम्मी आआआआ औहह इउईई ओफफफफ्फ़ माआ माआआआआ औहह कर रही थी. शर्मा जी धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा कर मेरी अम्मी को चोद रहे थे. अम्मी दर्द से सिसकारिया ले रही थी और रमाकांत शर्मा अम्मी को चोदते हुए कह रहे थे आयेशा  डार्लिंग तू बहुत चोदास माल है,ऐसे ही तुझे सारे मुहल्ले के लड़के तुझे अपने बिस्तर पे ले जाना नही चाहते हैं

.अम्मी शायद ये सुनकर इठला उठी और शर्मा जी को नीचे कर चुदने लगी…. शर्मा जी  अम्मी की दूधारू चूचियो को मसल्ते हुए नीचे से जोरदार थप पे ठप लगाए जा रहे थे….इस वक़्त कमरे मे 3 आवाज़े सुनाऐ दे रही थी…अम्मी की चीखे, फ़चफ़च-फ़चफ़च-फ़चफ़च और मम्मी की चूत पर बँधे घूंघुरुओं की झनझाँ झन्झन…चीख से लग रहा था जैसे कोई सील बंद लड़की की चूत फटी हो,फ़चफ़च फ़चफ़च से लग रहा था जैसे कोई सूपरफास्ट ट्रेन चल रही हो और घूंघुरुओं की झन्झन से लग रहा था जैसे को रंडी मुज़रा कर रही हो.इतनी चुदाई के बाद अम्मी झाड़ चुकी थी लेकिन शर्मा जी का लंड अभी भी अम्मी की चूत को गोल गप्पे खिला रहा था…

अचानक शर्मा ने अम्मी को पलट के डॉग्गी पोज़िशन मे कर दिया,पीछे आए और एक ही बार मे अपना पूरा 9 इंच का लंड अम्मी की चूत मे पेल दिया…अम्मी चीखी उई माआआआ,चिथड़ा उड़ा दिया पुजारी ने….मुझे अम्मी की हालत देख कर रहम आने लगा…मन हुआ कि मैं भी तेल लेकर जाउ और अम्मी की चूत मे लगा डू..आख़िर मेरे भाई ने भी तो मेरी चूत मे तेल लगाया था जब मैं अभिषेक राम दुबे पंडित से चुदि थी,तेल से मुझे बड़ी राहत मिली थी चुदने मे……….फिर सोचा ना अल्लाह ना कही अम्मी के साथ मैं भी ना चुद जाउ शर्मा जी से……

देखा तो अम्मी के मक्खनदार चूतड़ उभरे हुए है और रमाकांत शर्मा अम्मी के चूतडो पर तमाचे लगाते हुए बेरहमी से चोद रहे हैं…..कुछ ही देर मे रमाकांत शर्मा जी झाड़ के अम्मी से लिपट गये ….लिपट ते हुए शर्मा जी ने अम्मी के गाल पर पप्पी ले ली
सारी रात शर्मा जी मेरी अम्मी को चोदते रहे और अम्मी की चीखे गूँजती रही….इन्ही चीखो की आवाज़ सुनकर पूरा मोहल्ला मेरी अम्मी को शायद रंडी कहता था…सारी रात मैं अभिषेक राम पंडित जी की याद मे तड़पति रही,पता ही नही चला कब नींद आ गयी.

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Ammi aayesha kutiya ban kar shrma ji ka land lete huye chila chiila  kar
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#19
Part ..18

सुबह उठी तो शर्मा जी धोती पहनते हुए निकले…मैने ग्रीन कलर की एक टाइट सलवार सूट पहन रखी थी….दुपट्टा जाने कहाँ छूट गया था…उनकी नज़रे मेरी उठान वाली चूचियों पर ही थी.. मैं पाँव छूने के लिए झुकी तो महसूस किया शर्मा चाचा मेरे गले मे ही झाँक रहे हैं,मैं शर्म से लाल हो गयी थी.फिर वो बाहर चले गये….मैं किचन चली गयी खाना बनाने, अभिषेक राम पंडित आने वाले थे आज…..तब तक अम्मी बाथरूम चली गयी नहाने….मैं दरवाज़े पर खड़ी पंडित जी का वेट कर रही थी तभी अम्मी बाथरूम से टवल पहन कर निकली और पंडित जी भी गेट से अंदर घुसे…दोनो आमने सामने थे और पता नही अम्मी का टवल कैसे गिर पड़ा और अम्मी आयेशा नंगी हो गयी….


.अम्मी उईइ दैयाआआअ कहते हुए रूम की तरफ भागी और पंडित अभिषेक राम दुबे उनके मटकते चूतडो को देखते रहे.फिर आके मुझे गोद मे उठा लिया और गालो पे पप्पी ले ली…..और बेडरूम मे आकर पटक दिए..शायद वो अम्मी की चूची देख कर गरम हो गये थे…सीधे मेरी चूत मे लंड घुसा दिए और चोदने लगे. 

.अम्मी क्लिनिक चली गयी थी…दोपहर मे आई और फिर खाना खाकर बेडरूम चली गयी…मैने और अभिषेक राम पंडित ने अम्मी से कुछ बाते करने की सोची…उनके बेडरूम पहुचे तो अम्मी ने कपड़े चेंज करके एक सेमी ट्रॅन्स्परेंट गाउन पहन रखा था….अभिषेक राम पंडित को सामने देखते ही अम्मी के गालो पे हया की लाली आ गयी…और अभिषेक दुबे जी मम्मी को ऐसे निहार रहे थे जैसे अभी घोड़ी बना के चोद डालेंगे…अम्मी ऐसे घबरा गयी कि उनका पैर फिसल गया और वो और अभिषेक राम पंडित दोनो गिर पड़े.अम्मी की चूचियाँ पंडित जी के सीने से रगड़ खा रही थी…अम्मी शर्मा के उठी और कपड़े बदलने को वॉर्डरॉब की तरफ चल पड़ी……

नीचे लेटे अभिषेक पंडित जी अम्मी के मटकते चूतडो को देखते ही रह गये….आपको तो पता ही है कि अभिषेक राम पंडित चूतड़ के कितने रसिया हैं,भला ऐसे मदमस्त चूतड़ देखकर होश मे रहने वाले थे…अम्मी वॉर्डरॉब से कपड़े निकाल ही रहे थे कि अभिषेक राम पंडित उठे और अम्मी के चूतड़ पर अपना फॅवुरेट तमाचा जड़ दिया..अम्मी अपनी चूतड़ सहलाते हुए चीखी क्या बदतमीज़ी है.. अभिषेक राम पंडित ने फिर से तमाचा लगा दिया और कहा साली, शर्मा जी से चुदती है और मेरे लंड मे क्या काँटे उगे हुए हैं???आज तो मैं तेरी चूत का भोंसड़ा बना के ही रहूँगा…

मैं समझ चुकी थी कि आज अम्मी की चूत की धज्जियाँ उड़ने से कोई नही बचा सकता… पंडित अभिषेक जी ने सीधे अम्मी के मूह मे लंड डाल दिया और ऐसे चोदने लगे जैसे अम्मी की चूत हो….फिर वो अम्मी को बेड पर ला के पटक दिए और उनके सारे कपड़े फाड़ दिए…अम्मी रेज़िस्ट करने से हार गयी थी,उसने खुद को फ्री छोड़ दिया… अभिषेक पंडित जी ने अम्मी की चूचियों को हॉर्न की तरह दबा रहे थे…कभी निपल मसल देते तो कभी चूसने लगते….अब मैं अम्मी के मुखड़े पर भी चुदाई की मस्ती देख रही थी… अभिषेक ने अपना लंड अम्मी की चूत पर रखा और एक ही बार मे आधा घुस्सा दिया..अम्मी चीखी हे फाड़ दिया रे फाड़ दिया,मेरी बेटी का चूत तो फाड़ ही दिया है,अब उसकी अम्मी की चूत को भी होल से हॉल बना देगा…


अचानक शर्मा जी की आवाज़ वहाँ गूँजी,साली मुझसे भी चुदती है और अभिषेक जी से भी चुदती है….पूरी रंडी है तू…जब अभिषेक तुझे चोद ही रहा है तो मैं भी फातिमा बीबी की चूत फाड़ ही डालूँगा.. शर्मा जी का लंड याद आते ही मेरी चूत सहम गयी.. शर्मा चाचा ने मुझे भी बेड पर पटक के कपड़े खोल दिए और कही अभिषेक पंडित जी से पीछे ना रह जाए,इसीलिए सीधे अपना लंड मेरी चूत मे घुसेड दिया और फॅक फॅक की आवाज़ गूंजने लगी..मैने अम्मी की तरफ देखा तो अम्मी चूतड़ उछाल उछाल के अभिषेक राम पंडित से चुद रही थी . अभिषेक राम डूबे के हाथो मे अम्मी की चूचियाँ हैं और वो अम्मी के गालो की पप्पी लेते हुए कह रहे थे…तेरी चूत तो फातिमा से भी मस्त है,अब तो मैं तुझे भी रोज चोदुन्गा…दोनो पंडितो जोश मे आकर अपनी स्पीड बढ़ा दिए थे,कमरे मे हमारी चीखें गूँज रही थी…अम्मी का तो नही पता लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था….आँखें घुमाई तो देखा दरवाज़े पर मेरा भाई रिज़वान प्रदीप के साथ खड़ा है…देखते ही मैं चिल्लाई,खड़ा खड़ा क्या देख रहा है,जल्दी से तेल लेकर आ. रिज़वान दौड़ा दौड़ा तेल लेकर आया तो अभिषेक राम पंडित ने अपना लंड अम्मी की चूत से खीच लिया… रिज़वान ने अभिषेक के लंड और अम्मी की चूत दोनो पर तेल चुपड दिया…

फिर अम्मी की चूत का दरवाज़ा दोनो हाथो से पकड़ के खोल दिया.. अभिषेक ने एक ही बार मे अम्मी की चूत मे झंडा फहरा दिया…..मैं चीखी जल्दी कर तो रिज़वान ने मेरी चूत मे तेल लगा दिया…अब मुझे और अम्मी दोनो को मज़ा आ रहा था..मस्ती मे चूतड़ उठाते हुए मैं चीख रही थी फाड़ डालो शर्मा चाचा,फाड़ डालो..आज फातिमा की चूत का मुरब्बा बना डालो..थोड़ी ही देर मे दोनो पंडितो ने हम दोनो को घिरनी बना दिया और झाड़ गये…अम्मी की चूत सूज गयी थी…बाथरूम जाने के लिए अम्मी उठी तो लंगड़ा रही थी. रिज़वान ने सहारा देकर अम्मी को बाथरूम पहुचाया और वापस भी ले आया.

तब तक प्रदीप की बात सुनकर मैं चौंक गयी…वो शर्मा चाचा से कह रहा था पापा मैं भी चोदुन्गा इन सालियों को

रमाकांत शर्मा जी बोले बेटा किसे चोदना चाहता है??

प्रदीप शर्मा : फातिमा दीदी को तो मैं बाद मे भी चोद लूँगा लेकिन बड़े दिनो से मेरी नज़रे उनकी अम्मी पर है.

शर्मा जी :जा बेटा जा,चढ़ जा उस पर और कर ले अपनी मुराद पूरी.

[Image: IMG-20230521-064101.jpg]
Ammi aayesha mere ashiq abhishek ram pandit se chudti huyi
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#20
Part...19

प्रदीप मेरी अम्मी की तरफ बढ़ा और अम्मी के गालो पर ज़ोर की पप्पी ले ली….अम्मी के गाल शर्म से लाल हो गये तो प्रदीप अम्मी की चूतड़ पर चिकोटी काट कर बोला मुझे बच्चा मत समझो आयेशा आंटी,चोदुन्गा तो दिन मे तारे दिखने लगेंगे और फिर प्रदीप भी अम्मी पर चढ़ गया..रात भर मैं और अम्मी बदल बदल के  रमाकांत, प्रदीप और अभिषेक राम पंडित से चुदते रहे और मेरा भाई तेल लेकर खड़ा चूत के घूंघुरुओं की आवाज़ सुनता रहा….


सुबह मैं और अम्मी नाहकार चाय पी रहे थे कि शर्मा और दुबे जी पीछे से आए और सलवार ना नाड़ा खोलकर हमारी चूत मे लंड घुसा दिए और कहा.. चाय बाद मे . रॅंडियो,पहले चुद तो लो..फिर दोनो हमे बेड पर ला के पटक के डॉग्गी पोज़िशन मे कर दिया..मैने देखा रमाकांत जी अम्मी की गान्ड मार रहे थे और अम्मी उनका लंड अपनी गान्ड मे ऐसे ले रही थी जैसे आदत हो….अचानक मैने भी महसूस किया कि अभिषेक राम दुबे ने मेरी आस होल पर अपना लंड रखा है…मैं सिहर गयी और चीखी नहियीईईईईईईईईईईईईईईईई, अभिषेक ने मेरी चूतड़ पर तमाचा रसीद कर दिया साली,तेरी चूत अब ढीली हो गयी है,पहले जितना मज़ा नही आता..और फिर मैं चीखती रही और अभिषेक जी मेरी गान्ड मारते रहे…फिर रमाकांत और अभिषेक दोनो झाड़ गये..

अभिषेक राम पंडित ने मेरे गालो पे पप्पी लेते हुए कहा फातिमा डार्लिंग….विदेश से मेरे कुछ दोस्त आ रहे हैं, ब्राम्हण हि हैं,उनके हाथ मे मेरा कांट्रॅक्ट है….उन्हे खुश कर दो डार्लिंग…तुम्हे नही कहता लेकिन वो रंडी नही चोदना चाहते ..मेरे मन मे आया कह दूं मैं भी तो रंडी बन गयी हूँ,फिर सोचा बोलूँगी तो ये मेरी चूत फाड़ देंगे…मैं अभी सोच ही रही थी कि रमाकांत जी की आवाज़ कानो मे टकराई,क्या आयेशा डार्लिंग,क्या रखा है डॉक्टरिंग करने मे…..क्लिनिक मे ही रंडीखाना खोल लो या फिर घर मे,ज़्यादा इनकम होगा,मैं भेजूँगा कस्टमर तुम्हारे पास, बहुत सारे पंडित लोग तुम्हारी चूत पर फिदा हैं.


और सच मे उस दिन से मेरी और मेरी अम्मी की हालत खराब रहने लगी….अभिषेक, शर्मा चाचा और प्रदीप जिसका जब दिल चाहे आकर हमारे उपर चढ़ जाता….अभिषेक से चुदने के बाद मैं हिन्दुओ के लंड की शौकीन तो हो गयी थी लेकिन कभी मैने ये नही चाहा था कि इतने लंड मिले,मैं घुट घुट कर जी रही थी….बर्दास्त की हद तब पार गयी जब वो हमे अपने दोस्तों के पास भी भेजने लगे…. वो बहारी पंडितों के ऐसे अज़ीब अज़ीब शौक भी थे कि मेरी ज़ान निकल जाती…अम्मी तो कम ही परेशान थी क्योकि मुझ जैसी ज़वान लड़की के होते हुए कोई अम्मी को चोदना क्यों चाहता…खामियाज़ा मुझे भुगतना पड़ता था..


मेरी हालत देखकर अम्मी ने मुझे वहाँ से दूर कही दूसरे सहर मे चले जाने के लिए कहा…बाकी उनको वो संभाल लेगी….फिर एक दिन मौका देखकर अम्मी ने मुझे कुछ पैसे दिए और ट्रेन मे रवाना कर दिया कोलकाता के लिए…उनके किसी दोस्त पन्नलाल तिवारी की कंपनी थी वहाँ जिसमे जॉब के लिए सिफारिश कर दी थी उन्होने.

एक पिंजरे से आज़ाद होकर मैं चल पड़ी फिर से एक अंज़ान सफ़र पर…स्टेशन से उतर कर मैं सीधे पन्नालाल चाचा के ऑफीस पहुँची….मुझसे मिलकर उन्हे बहुत खुशी हुई….वो 40 के लपेटे के शक्स थे लेकिन इस उम्र मे भी बॉडी मेनटेन की हुई….देखने से ही लगता था कि उन्हे रोज जिम जाने की आदत थी…लंबा तगड़ा कसरती बदन और इतने सिंपल की ऑफीस मे भी धोती कुर्ता और माथे पर टिका लगाए  थे…उन्होने मुझे अपनी पर्सनल सीक्रेटरी अपायंट कर लिया था…..लेकिन मेरे हैरत की सीमा ना रही जब उन्होने अपने मातहत को बुलाया मुझे काम समझने को….वो मातहत कोई और नही,मेरे सौहर मोहम्मद बिन अली थे….


मुझसे मिलकर वो बिलख पड़े,’’ फतिमा….कहाँ चली गयी थी तुम???तुम्हारे पीछे मेरा क्या हाल हुआ,पता है तुम्हे??

मैं:’’क्या हुआ राजा??’’

सौाहर:’’तुम्हारे जाने के बाद मैं पागल हो गया था…..नौकरी भी सिन्सियर्ली नही करता था….बॉस ने मुझे निकाल दिया….मुझे कही नौकरी नही मिल रही थी,ऐसे मे पन्नालाल भाई ने मुझे सहारा दिया.’’

मुझे सौाहर पर तराश आ रहा था….कुछ भी हो वो अभिषेक की तरह हैवान नही थे…मुझसे बेइंतहा प्यार करते थे,ये अलग बात है कि उनका प्यार बाहर ही झाड़ जाता था.

मुझे सोचते हुए देखकर सौाहर बोल पड़े,’’अब चलो घर चलो…अब मुझे छोड़ के मत जाना.’’
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