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दीदी की चुत में मेरे पति का लंड
#1
दीदी की चुत में मेरे पति का लंड
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#2
प्रियंका की शादी मेरी शादी से 3 साल पहले हो गयी थी. उसका पति यानि मेरे जीजू मेरे पर पहले नज़र से ही फिदा थे. वो मुझे हमेशा छेड़ते रहते थे और उन्होंने मुझे चोदने की कोशिश कई बार की थी.
लेकिन उनके हाथ हमेशा नाकामी ही हाथ लगी थी क्योंकि मैं उनसे चुदना नहीं चाहती थी.

प्रियंका अपने पति के साथ मुम्बई में रहती थी. जैसे ही प्रियंका को मालूम हुई कि हम लोग मुम्बई लैंड करेंगे, तो प्रियंका और जीजू दोनों बहुत जिद करने लगे कि हम लोग उसके यहां आएं. चूंकि वो लोग किसी कारणवश मेरी शादी में नहीं आ पाए थे, इसलिए वो दोनों आने के लिए काफी जिद कर रहे थे.

वे दोनों मेरे से ज्यादा मेरे पति से मिलना चाहते थे. इसलिए मैंने और मेरे पति ने तय किया कि हम लोग कुछ दिनों के लिए मुम्बई में ही रहेंगे. इसलिए हम दोनों ने प्रियंका से हां कर दी.

हम दोनों प्लेन से उतर कर जैसे ही बाहर निकले. प्रियंका और जीजू दोनों हम लोगों का इंतजार कर रहे थे. प्रियंका ने मुझे देख कर मेरी तरफ हाथ हिलाया और हम दोनों उनकी ओर चल दिए. मैं अपनी बहन को देखकर मुस्कुराने लगी. फिर नजदीक आते ही हम दोनों बहनें एक दूसरे से गले मिलीं. इसके ठीक बाद जैसे ही मैंने अपने पति की ओर देखा, तो पाया कि वो मेरी बहन प्रियंका के मम्मों को घूरे जा रहे थे.

मैंने अपने पति को हिलाकर कहा- ओ हैलो जी … क्या देख रहे हो. ये मेरी दीदी है.
मेरे पति ने झेंपते हुए मेरी बहन से हाथ मिलाया. मैंने भी जीजू से हाथ मिलाया और फिर हम लोग उनकी गाड़ी में बैठकर घर के लिए निकल पड़े.

गाड़ी जीजू ड्राइव कर रहे थे और मेरे पति उनके बगल में बैठे थे. हम दोनों बहनें पीछे बैठकर गप्पें लड़ा रहे थे. मेरे पति छुप-छुप कर दीदी को व्यू मिरर में से देखने की कोशिश रहे थे. ये बात मैंने देख ली थी, लेकिन वो दोनों अभी तक इस बात से अनभिज्ञ थे.

मुझे उनका ऐसे देखना कुछ अच्छा नहीं लगी. मगर मैं चुप रही. कुछ देर बात हम लोग घर पहुंच गए. फिर हम फ्रेश हुए और खाना पीना खाकर सब लोग सोफे पर बैठकर बातें करने लगे.

मैं बार बार देख रही थी कि मेरे पति दीदी को घूर रहे थे. दूसरी तरफ जीजू हमेशा की तरह मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहे थे. मतलब दोनों मर्द एक दूसरे के पत्नियों को चोरी छुपे घूर रहे थे.

शाम को हम सब लोग घूमने निकले और डिनर बाहर ही करके घर लौटे. घर आकर हम सभी ने थोड़ी देर बात की और अपने अपने कमरे में सोने के लिए चले गए.

अभी हमारी नई-नई शादी हुई थी. मैं पिछले दो दिनों से किसी मर्द से चुदी भी नहीं थी. इसलिए मेरी चूत में आग लगी हुई थी. मैं हमेशा चुदने के लिए तैयार रहती थी और मेरे से ज्यादा अमित मुझे हमेशा चोदने के लिए तैयार रहता था.

हम लोग जैसे ही कमरे में आए, अमित बिना रूम लॉक किए मेरे ऊपर सवार हो गया. कुछ ही देर में उसका लंड मेरी चुत में था और वो ढंग से मेरी चुदाई करने लगा. आज शायद वो मुझे दीदी समझ कर चोद रहा था. ये बात मैं समझ गयी थी. उस रात अमित ने मेरी चूत और गांड फाड़ कर रख दी थी.

फिर सुबह हम लोगों ने साथ बैठकर नाश्ता किया. अमित मेरी दीदी को और जीजू मुझे फुल लाइन दे रहे थे.

नाश्ता करके जीजू ऑफिस के लिए तैयार होने के लिए अपने रूम में चले गए और दीदी किचन में कुछ काम करने लगी. दीदी के पीछे पीछे मेरे पति चले गए.

तभी जीजू ने दीदी को आवाज़ दी, तो दीदी ने मुझे आवाज दी- मधु जरा जीजू को देख ले … उन्हें क्या चाहिए. मैं कुछ काम कर रही हूँ.

मुझे कुछ दाल में काला लगा कि दीदी मेरे पति के साथ अकेली किचन में क्या काम कर रही है.

तभी जीजू ने फिर दीदी को आवाज़ दी … और मैं बिना कुछ सोचे जीजू के पास चली गई.

जीजू मुझे देखकर बहुत खुश हुए और बोले- वाह क्या बात है.
उन्होंने हंसते हुए कहा- काश रात में भी तुम अपनी दीदी की जगह की आ जातीं.
मैं भी हंसते हुए बोली- अच्छा … तो दीदी क्या मेरे पति के पास चली जाती.
मेरे इतना बोलते ही वो बोले- हां चली जाए … मुझे कोई दिक्कत नहीं है.

तब मुझे एहसास हुआ कि अपनी बीवी भले ही हूर की परी ही क्यों ना हो, लेकिन मर्दों को हमेशा दूसरे की बीवी ही अच्छी लगती है.

इधर जीजू मेरे पर लाइन मार रहे थे और उधर मेरे पति ना जाने दीदी के साथ क्या कर रहे थे.

फिर जीजू बोले- चलो आ गयी हो, तो मेरी टाई थोड़ी सी ठीक कर दो.

मैं उनके गले में टाई बांध ही रही थी कि इतने में जीजू ने मेरे गाल पर एक किस कर दी.
मैं थोड़ी गुस्से में बोली- जीजू ये क्या है. आप बड़े बदतमीज हो गए हो.

भुनभुनाती हुई मैं कमरे से बाहर जाने लगी.
उधर जीजू मुझे मना रहे थे- अरे रुक जाओ रानी … ये कोई नई बात है क्या … जीजा साली में इतना तो चलता है.

मगर मैं बाहर चली गयी. जैसे ही मैं हॉल में पहुंची. तो अमित सोफे पर बैठकर टीवी देख रहा था. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गयी. थोड़ी देर में जीजू ऑफिस चले गए.

उनके जाने के बाद हम तीनों ने मिलकर ढेर सारी बातें की … और पता ही नहीं चला कि कब लंच का टाइम हो गया.

दीदी ने सबके लिए बाहर से खाना आर्डर कर दिया. फिर साथ मिलकर सबने लंच किया … और फिर से बात करने लगे.

बात करते करते पता नहीं मुझे कब नींद आ गयी और मैं वहीं सो गई. लेकिन अमित और दीदी एक दूसरे से बात करने में लगे थे.

अमित दीदी को फुल लाइन दे रहा था और शायद दीदी भी इस चीज को एन्जॉय कर रही थी.

तकरीबन मैं दो घण्टे बाद जागी. तब तक दोनों एक दूसरे के साथ हंस हंस कर बातें ही करने में लगे थे.

थोड़ी देर में जीजू भी आ गए. फिर जीजू और अमित दोनों बाहर चले गए. उनके जाने के बाद हम दोनों बहनें आपस में बात करने लगीं.

बातों बात में दीदी ने पूछा- अमित से तुम्हारा सेक्स रिलेशन कैसा है?
मैं बोली- बहुत बढ़िया है दीदी.

इतने में मैंने दीदी को छेड़ते हुए पूछा- ऐसा क्यों पूछ रही हो … क्या जीजू आपको खुश नहीं कर पाते हैं?
इस पर दीदी बोली- तेरे जीजू तो मुझे बहुत ज्यादा खुश कर देते हैं … पर शायद अमित तुमसे खुश नहीं है.
मैं बोली- नहीं ऐसी बात तो नहीं है दीदी. हम दोनों एक दूसरे से बहुत खुश हैं.

दीदी बोली- मैं एक बात कहूं, तुम बुरा तो नहीं मानोगी ना!
मैं बोली- अरे बोलो न … मैं भला बुरा क्यों मानूंगी.
तो दीदी बोली- जब मैं किचन में थी, तब अमित मेरे पास आया था.

मैं अनजान बनते हुए बोली- कब और क्यों?
दीदी बोली- इसलिए तो पूछ रही हूं ना कि तुम दोनों का सेक्स रिलेशन कैसा है.
मैं बोली- मैंने बताया न दीदी हमारे बीच सब कुछ बहुत अच्छा है, लेकिन आप ये बार-बार क्यों पूछ रही हो?
फिर दीदी बोली- सुबह जब तू जीजू के पास गयी थी न. अमित उससे पहले मेरे पास आया था.

मैं बोली- क्यों?
दीदी बोली- जब अमित आया, तो मैं बर्तन धो रही थी. तभी तेरा पति आया और मुझे पीछे से पकड़ कर पीछे से मेरे गालों को किस करने लगा. मेरी चूचियों को दबाने लगा. मैंने सोची कि तेरे जीजू हैं. उनके ऐसा करते ही मैं चौंक कर बोली कि अरे क्या कर रहे हो … छोड़ो मधु आ जाएगी. लेकिन वो बिना बोले मेरी कुर्ती में हाथ डालकर मेरी चूचियों को ब्रा के ऊपर से मसलने लगा.
मैंने आश्चर्य से दीदी से पूछा- फिर?

दीदी- फिर वो जबरदस्ती मेरी ब्रा में हाथ डालने की कोशिश करने लगा और उसने मेरे गालों पर चुम्बन की बौछार कर दी. मुझे ये बात थोड़ी सी अजीब लगी कि तेरे जीजू तो ऐसे नहीं करते. मैंने पीछे मुड़ने की कोशिश की, लेकिन तेरे पति ने मुझे अपनी बांहों में जोर से जकड़ा हुआ था.

इतना कह कर दीदी मुझे देखने लगी. मैंने पूछा- फिर क्या हुआ?
दीदी- फिर वो मेरी ब्रा में हाथ डाल कर बड़ी जोर से मेरी दोनों चुचियों को मसलने लगा … और मेरे गालों और गर्दन को चूसने लगा था.

मैंने दीदी को बड़ी हैरानी से सुन रही थी और दीदी बोले जा रही थी- फिर मैं अपनी पूरी ताकत लगा कर पीछे मुड़ी और देखते ही बिल्कुल अवाक रह गयी … और शर्म से पानी पानी हो गयी. मैं गुस्से से एकदम लाल हो गयी थी.
मैं- आपने कुछ कहा नहीं?
दीदी- हां मैं उससे बोली कि ये तुम क्या कर रहे हो … पागल हो गए हो क्या? मैं अभी मधु को बुलाती हूँ. फिर मैंने आवाज़ लगाने के लिए जैसे ही मुँह खोला, वैसे ही अमित मेरे मुँह को दबाकर मेरे से रिक्वेस्ट करने लगा कि प्लीज दीदी ऐसा मत करो. वो इस दौरान भी अपनी गर्मागर्म सांसें मेरी गर्दन पर छोड़े जा रहा था.

मैं ये सब सुनकर गुस्से में तमतमा रही थी कि आज अमित ने दीदी के साथ इतनी बड़ी हरकत कर दी और मुझे मालूम ही नहीं चला.

दीदी कहे जा रही थी- तू तो जानती ही है मधु कि गर्दन पर कोई सांस छोड़े, तो लड़की कितनी कामुक हो जाती है. अमित की गर्म सांसों मैं भी थोड़ी थोड़ी गर्माने लगी थी … और कसमसाने लगी थी. लेकिन तेरा पति तो मेरे साथ खेल रहा था. देखते ही देखते उसने मेरी चूत में हाथ डाल दिया और मेरी चूत को मसलने लगा. तू तो जानती ही है कि एक मदहोश औरत की चुदाई में चूत सहलाना … मतलब आग में पेट्रोल डालने के बराबर होता है.

अब मैं दीदी की इस गर्म बात को सुनकर और भी हैरान थी. जबकि दीदी अपनी रौ में बोले जा रही थी.

दीदी- फिर मुझे होश आया और मैंने अपने आपको जैसे तैसे अमित से अलग किया. मैं उससे थोड़ी गुस्से में बोली कि अब तुम यहां से बाहर जाओ, नहीं तो मैं मधु को बुलाती हूँ. इस पर अमित बोला कि दीदी आपसे एक रिक्वेस्ट है.

उसके मुँह से रिक्वेस्ट शब्द सुनते ही मैंने सोची कि ये शायद माफी मांगेगा. लेकिन मैं गलत थी. मैं तो उसकी बातों को सुनकर एकदम हैरान हो गयी थी कि कोई इंसान इतना बेशर्म कैसे हो सकता है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
इतनी जल्दी क्यों है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैंने दीदी से पूछा- क्या बोला था उसने?
दीदी बोली- अमित बोला कि दीदी आप बहुत हॉट माल हो. आपका ये तराशा हुआ बदन, ये गदराई जवानी का मैं कायल हो गया हूं. ऐसी गदराई जवानी मैंने आज तक नहीं देखी है. मैं उससे थोड़ी गुस्से में बोली कि क्या अंटशंट बोले जा रहे हो? इतने में अमित बिना हिचकिचाए मेरे गालों पर उंगली फेरते हुए बोला कि मैं आपके कातिल हुस्न का दीवाना हो गया हूँ … और अगर आप अनुमति दो, तो मैं आपकी इस जवानी का रसपान करना चाहता हूँ.

यह सुनकर मेरे मन में अजीब से अनुभूति हुई. और मानो जैसे मेरे तोते उड़ गए थे. मैं कुछ बोलती इससे पहले वो फिर मुझसे गले लगकर किस करने लगा और बोला कि मैं आपको चोदना चाहता हूं. शायद आप भी मेरे लंड का स्वाद लेना चाहती हो. इतने में तेरे आने की आवाज़ आयी. तब अमित ने मेरे होंठों पर जोरदार चुम्मी ली और मेरी गांड को दबा कर वहां से भाग कर बाहर जाकर टीवी देखने लगा.

दीदी की आंखों में ये सब बताते हुए वासना के लाल डोरे तैरने लगे थे. मुझे भी उनके मुँह से ये सब सुनकर अपनी चुत में सनसनी होने लगी थी. मुझे जीजू की वो बात याद आने लगी थी, जिसमें उन्होंने मेरे पति के साथ मेरी दीदी के चुदने पर अपनी अनापत्ति जता दी थी.

फिर मैं हंसते हुए बोली- दीदी ये गलत है … आप मेरे पति के साथ चुदोगी, तो मैं कहां जाऊंगी.
इतना सुनकर दीदी थोड़ी सी इठलाती हुई बोली- मैं कहां चुदना चाहती हूँ. वो तो खुद मेरी जवानी देखकर पागलों की तरह मेरे पीछे पीछे आया और मन्नतें करने लगा.

मैं हंसने लगी.

फिर दीदी भी हंसते हुए बोली- वैसे भी मेरी इस गदराई जवानी को देखकर ना जाने कितनों की नींद खराब हो जाती है … तो तेरे पति किस खेत की मूली है. तुम्हें तो पता ही है कि मैं तेरे जीजू के अलावा और किसी को घास तक नहीं डालती हूँ. वैसे भी हम जैसे सुंदर लड़कियों के ना जाने कितने दीवाने होते हैं. ये तो तुम्हें पता ही होगा. तुम्हारे आगे-पीछे भी तो कितने भंवरे मंडराते होंगे … और तुमने तो न जाने कितनों को मौका भी दे चुकी हो. च … च … च … बेचारा अमित!

मैं दीदी की इस बात से बड़ी चुदासी हो उठी थी कि अब तक मैंने अपनी चुत में न जाने कितने लंड लिए हैं.

दीदी मेरी विचारमग्न आंखों को देख कर हंसते हुए बोली- वो तो तेरा पति था … इसलिए सोची कि थोड़ी सा टेस्ट बदल लूं.
इस पर मैं स्माइल देते हुए दीदी से बोली- अच्छा … तो मैं अपनी इस गर्म जवानी को लेकर कहां जाऊं?

तो दीदी मस्ती से बोली- तू भी मेरे पति से चुद ले न. वैसे भी तेरे जीजू कब से तुझे चोदना चाहते हैं.
मैं अनजान बनते हुए बोली- अच्छा आपको कैसे पता?
दीदी बोली- मेरी रानी … वो तो तुम्हें शादी से पहले से ही चोदना चाहता था … लेकिन उसे मौका ही नहीं मिला. या शायद तुमने उसे घास ही नहीं डाली.

ये सुनकर मैंने मन ही मन सोचा कि मौका मिलने पर सब चौका मारते ही हैं. तो आज मैं भी क्यों पीछे रहूँ. जब मेरे पति मेरी बहन को चोदेंगे, तो मैं भी जीजू से चुद लूंगी.
वैसे भी जब से शादी हुई थी, मैंने अमित के अलावा किसी और का लंड नहीं लिया था. वैसे भी मेरी चूत कब से टेस्ट बदलना चाह रही थी.

फिर मैंने दीदी के गाल को उमेठते हुए कहा- अरे वाह … दीदी मौका मिलते ही आपने तो चौका लगा दिया.
इतने में दीदी बोली- अरे सुन तो, अभी कहां चौका लगाया है. ये तो सिर्फ स्टार्टर था. मेनकोर्स तो अभी बाकी ही है.

मैं बोली- जब मन बना ही लिया है, तो चुद लो न. मैं कहां मना कर रही हूँ.
इतने में दीदी मेरे गाल को ऐंठते हुए बोली- चुद लो से मतलब क्या है. मैं इसमें पीछे रहने वाली हूं क्या?
मैं चौंकते हुए बोली- मतलब!
दीदी बोली- मेरी छुटकी, मैं तेरे पति को टेस्ट कर चुकी हूँ.
अब मैं हैरान होकर बोली- अरे कब?
दीदी बोली- कल शाम में ही … जब तू सोई थी.
मैं बोली- झूठ मत बोलो दीदी!

फिर दीदी ने पूरी गर्म कहानी सुनाई. जो मैं आज आप लोगों से शेयर कर रही हूँ.

दीदी बोली- तेरा पति बहुत बड़ा चोदू है. तेरी नज़रों से छुप छुपकर वो मुझे पूरे दिन मसलता रहा. मैं भी उसको पूरा प्रोत्साहित करती रही थी. हम लोगों ने मिड नाईट में चुदाई का प्लान बनाया था. जब तू और मेरे पति सो जाएंगे, तब छुपकर दूसरे कमरे में जाकर चुद लेंगे.
मैं बोली- अरे वाह … मुझे भनक तक नहीं पड़ी.

दीदी मेरे गाल को ऐंठते हुए बोली- और तूने तो गहरी नींद में सोकर हम लोगों का काम आसान कर दिया. जब तू सोई थी, तब तेरे पति और मेरे बीच रासलीला शुरू हो गयी थी. जैसे ही तू सोई, तेरे पति ने चुपके से मुझे गोद में उठाया और मेरे बेडरूम में ले गया. उसके बाद तो मज़ा ही आ गया यार.

मैंने बड़ी उत्सुकता से पूछा- फिर क्या हुआ दीदी?
दीदी बोली- हम्म … अपने पति का के कारनामे बड़े मजे लेकर सुन रही है.
मैं बोली- टेंशन मत लो दीदी … मैं बहुत जल्द तुम्हारे पति से चुदूंगी और फिर तुम्हें सुनाऊंगी.
इतने में दीदी मेरी चूत पर हाथ मारते हुए कहा- साली इसकी गर्मी जो न करवाए … कम है.

इतना कहकर हम दोनों बहनें हंसने लगीं. फिर दीदी अपनी चुदाई की कहानी बताने लगी.

(आगे दीदी की ज़ुबानी)

अमित ने मुझे मेरे कमरे में लाते ही मुझे बेड पर धड़ाम से पटक दिया और मेरे ऊपर सवार हो गया. उसने मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बौछार कर दी. मैं भी सब कुछ भूलकर उसका साथ देने लगी.

फिर मैं अमित से बोली- यार जो करना है … जल्दी कर लो. अगर मधु आ गयी तो प्रॉब्लम हो जाएगी.

अमित मेरे ऊपर से उठा और मेरी कुर्ती हड़बड़ा कर उतारने लगा.
मैं बोली- यार ऐसे फट जाएगी, तुम रहने दो. तुम अपने कपड़े उतारो, मैं यह उतार लेती हूं.

लेकिन वो नहीं माना, उसने मुझे बिठा कर जैसे-तैसे मेरी कुर्ती को निकाल ही दिया. फिर एक ही झटके में ब्रा भी उतार फेंकी. मेरी ब्रा उतरते ही मेरी हरी-भरी चूचियां खुली हवा में मानो नाचने लगी थीं.

अमित ने मेरी पहाड़नुमा चूचियों को एक पल ललचाई आंखों से देखा. तो मैंने अपनी छाती उठा कर उसके सामने कर दी. इससे मेरी एक चूची उसके मुँह के सामने आ गयी.

अमित ने आव देखा न ताव … वो पागलों की तरह मेरी दोनों चुचियों को बारी-बारी से पीने और मसलने लगा. वो इतने जोश में था कि मेरी चूचियों को दांत भी काट देता था.

मैं दर्द से कराहते हुए उससे बोली- उन्ह … दांत से मत काटो यार … नहीं तो मेरे पति को पता चल जाएगा.

फिर उसने मेरे मम्मों को काटना बन्द किया … लेकिन अब भी वो बुरी तरह से मेरे दूध चूस रहा था. दूसरे मम्मे को तो वो ऐसे मसल रहा था, जैसे मेरी चूची नहीं कोई बॉल हो. मैं भी उसके दर्द को एन्जॉय कर रही थी. आज तक इतनी मस्ती और बेदर्दी से मेरे पति ने कभी नहीं मसला था. अमित के लिए तो मैं सिर्फ एक मस्त माल थी … इसलिए वो ऐसे मसल रहा था.

उसकी चुदास से मुझे ऐसा लगने लगा था कि आज मेरी बुरी हालत होने वाली है. कुछ देर बाद मैंने अमित को अपने से अलग किया, तब जाकर वो हटा.

मैं बोली- सिर्फ यही करते रहोगे क्या?
अमित वासना से आंखें भर कर बोला- लगता है तेरा पति तुझे बराबर नहीं चोदता है.
मैं बोली- साले, कभी मधु को मेरे पति के साथ सुला कर देख, फिर पता चल जाएगा.
इस पर अमित बोला- फिर इतनी जल्दी क्यों कर रही है.
मैं बोली- साले अगर तेरी बीवी आ गयी और उसने ये सब देख लिया, तो सोच ले, वो तेरा क्या हाल करेगी.

इतना सुनते ही अमित ने मेरी पजामी पेंटी समेत खींच कर अलग कर दी और मेरी चूत निहारने लगा. फिर मुझे पलटकर मेरी गांड को सहलाने लगा.

मेरे चूतड़ों को मसलते हुए अमित बोलने लगा- आह … क्या संगमरमरी हुस्न है. दिल तो कर रहा कि यूं ही मसलता रहूं.
मैं हंस दी और उसने मेरी गांड को चाटना शुरू कर दिया.

मैं तो पहले ही मदहोश थी. उसकी इस हरकत से मैं और भी गर्म हो गयी. वो मुझे पलटकर पागलों की तरह मेरी चूत चाटने लगा. मैंने भी टांगें खोल कर उसके मुँह के सामने चुत खोल दी.

वो मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में लेकर अच्छे से चूस रहा था … जिससे से मैं एक अलग ही दुनिया में खो गयी थी. ऐसा मेरे पति कभी भी नहीं किया था.
तब मुझे इस बात की अहसास हुआ कि कभी कभी दूसरे मर्द का भी टेस्ट ले ही लेना चाहिए. अपना पति तो सिर्फ चूत या गांड मार कर छोड़ देता है. लेकिन दूसरे मर्द शरीर के हर पार्ट की अच्छे से इस्तेमाल करता है … जो चरम सुख का आनन्द देता है.

अमित करीब पांच मिनट तक इसी तरीके से मेरी चुत को कभी चाटता, तो कभी चूसता. मैं इतनी गर्मी बर्दाश्त ना कर सकी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. मधु का पति मेरा सारा रस पी गया. फिर वो मेरी चूत को जीभ से चोदने लगा … जो मेरे लिए ऐसे परम आनन्द की अनुभूति थी … जिसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती.
चुत को जीभ से चोदते समय बीच बीच में उसका दांतों से चुत की फांकों को काटना, मेरी गर्मी मेरी बेकरारी को और बढ़ा रही थी.

मैं अब तक एकदम गर्म हो गयी थी. मैं उसकी जीभ को अपनी चुत में बहुत ज्यादा एन्जॉय भी कर रही थी. मैं तो मानो इस वक्त वासना के दरिया में गोते लगा रही थी. मैं बिल्कुल खो चुकी थी. लेकिन समय की कमी के कारण मुझे अपने आप पर कंट्रोल करना पड़ा.

मैंने अमित को जबरदस्ती हटाया और मादक आवाज़ में उससे बोली- मेरे से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है. जल्दी से मेरी चूत फाड़ दे.

अमित बोला- रानी, तेरी चुत तो पहले ही तेरे पति ने फाड़ रखी है. मैं तो तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊंगा. लेकिन शुरुआत तेरी गांड मारने से करूंगा.
मैं थोड़ी गुस्से से बोली- पागल मत बनो … इस समय आग मेरी चूत में लगी है … और साले तू पानी गांड पर डालेगा. तुम अभी यही हो न … फिर कभी गांड भी मार लेना.

ना चाहते हुए उसे मेरी बात मानना पड़ी.

फिर उसने अपने अंडरवियर को उतारा. उसका लंड एकदम तना हुआ था.

मैं उसके मोटे लंड को देख कर मस्त हो गई. मुझे उसके लंड से लगने लगा था कि बिना चिकनाई के इसका लंड लेना मेरे लिए कष्टकारी हो जाएगा. मैं क्रीम की डिब्बी की तरफ हाथ बढ़ाने लगी. तभी वो मेरे ऊपर सवार हो गया. तब तक मैंने बेड की दराज से क्रीम निकाल ली थी.

उसने क्रीम की डिब्बी देखी तो मेरी तरफ देखने लगा. मैं उसे क्रीम दे दी … और लंड पर लगाने के लिए कहा.

वो अपने लंड पर क्रीम लगाने लगा. उसका लंड मेरे पति के जैसा ही था … मगर मोटा ज्यादा था. उसने लंड पर क्रीम को लगाया और बिना पूछे मेरी चूत में जबरदस्ती पेलने लगा.

मैं दर्द से चिहुंक गयी और बोली- आह … साले आराम से पेल ना.

लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी. अगले ही पल उसने एक जोर का झटका मार दिया और इस बार उसका आधा लंड मेरी चूत की गुफा में प्रवेश कर गया.

मैं उसके मोटे लंड के दर्द से छटपटाने लगी. इस वक़्त मैं चिल्ला भी नहीं सकती थी. इतने में उस कमीने ने दूसरा झटका दे मारा और पूरा लंड चुत के अन्दर घुसेड़ दिया. इस बार मैं दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकी और मैं जोर से चिल्लाने लगी. इतने में अमित मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक करके स्मूच करने लगा. मैं दर्द से कराह रही थी … उसे ऊपर को धकेल रही थी … लेकिन वो टस से मस नहीं हो रहा था.

वो मेरी चुत में झटके पर झटके दिए जा रहा था और अपने हाथों से मेरी चुचियों को मसल रहा था.

कुछ देर की पीड़ा के बाद अब मुझे भी मज़ा आने लगा था और मैं भी उसका साथ देने लगी थी. अब वो मेरे रसभरे होंठों को छोड़कर मेरी मदमस्त चुचियों को पीने लगा. उसने मेरी एक चूची के निप्पल को मुँह में दबाया और मेरी चुत की धज्जियां उड़ाने में लग गया.

तकरीबन 15-20 मिनट तक वो मुझे ऐसे ही तेज गति से चोदता रहा. मेरे मुँह से भी मादक सिसकारियां निकलने लगी थीं. अब तो मैं खुद अपनी गांड उठा कर उसके हर झटके का का साथ दे रही थी. कुछ ही देर में मेरी चूत लंड की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाई.

मेरे मुँह से अपने आप निकलने लगा- आह साले फाड़ दे मेरी चूत को … उफ्फ भोसड़ा बना दे मेरी चुत का … आह अपनी रंडी बना ले मुझे साले … चोद … आह मेरी चुत के छितरे छितरे उड़ा दे.

ये सब बोलने के साथ ही मेरी चुत ने गर्मागर्म पानी छोड़ दिया. लेकिन अमित अभी भी झटके मार रहा था.

तकरीबन 10 मिनट बाद वो भी झड़ने को आया. वो अति उत्तेजना में बड़बड़ाने लगा- आह साली ले कुतिया … ले रांड … तेरी तो आज चूत ऐसी की आज चटनी बना दूंगा … आह साली छिनाल कहीं की … आज तेरी सारी गर्मी निकाल दूंगा. तुझे तो मैं अपनी रखैल बनाऊंगा..

मैं भी उसका साथ देने लगी और इसी के साथ अमित ने मेरी चुत में मानो बम विस्फोट कर दिया. उसने मेरी चुत को लंड के बारूद से भर दिया और मेरे ऊपर निढाल होकर गिर गया.

हम दोनों वैसे ही तकरीबन 5 मिनट तक लेटे रहे. फिर हम अलग हुए. अभी भी मेरी चूत से लंड की मलाई निकल रही थी. पूरे चादर पर वीर्य फैल चुका था. फिर हम दोनों उठे और कपड़े पहने. मैंने झट से बेड ठीक करके चादर को वाशिंग मशीन में डाल दिया. अमित बाहर चला गया और मैं अपने अपनी बहन मधु के सामने सोफे पर जाकर सो गई.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
दीदी ने अपनी चुदाई की कहानी पूरी बताई, जिससे मेरी चूत के कुलबुलाहट होने लगी थी.

फिर मैं अपनी चुत को सहलाते हुए बोली- दीदी, आपने तो अपनी गर्मी बुझा ली, मगर अब मैं क्या करूं?
दीदी बोलीं- शाम तो हो ही गयी है … कुछ देर बाद तुम अमित से चुद लेना.

इस पर मैं बोली- दीदी ये गलत बात है … ना आपने तो बिना बताए स्वाद बदल लिया और मुझे एक ही टेस्ट वाला खाना खाने को बोल रही हो.
दीदी हंसती हुई बोलीं- तुम साफ साफ क्यों नहीं बोलतीं कि तुझे अपने जीजू के साथ चुदना है?

इतना बोलकर हम दोनों बहनें हंसने लगीं.

मैं भी हंसते हुए बोली- हां दीदी मैं जीजू से चुदना तो चाहती हूँ. अगर आप आज्ञा दो तो.
मेरी दीदी ने इस बात पर मेरी एक चूची को जोर मसला और हंसते हुए बोलीं- जा छोटी जा … बनवा ले अपनी चुत का भोसड़ा और बन जा मेरी सौतन.
मैं भी हंसते हुए बोली- आप तो मेरी सौतन बन ही गयी हो … तो मैं क्यों पीछे रहूं.

हम दोनों बहन हंसने लगीं.

फिर हमने प्लान किया कि कैसे हम दोनों को अलग अलग एक दूसरे के पति से चुदना है. क्योंकि मेरे पति से चुदने के बाद मेरी दीदी की प्यास और भी ज्यादा बढ़ गयी थी.

अभी हम लोग आपस में बात ही कर रहे थे कि तभी दीदी बोलीं- ऐसा करते हैं … परसों रविवार है. उस दिन तेरे जीजू की छुट्टी रहेगी … उस दिन मैं तेरे पति के साथ बाजार चली जाऊंगी … और उसी समय तू अपने जीजू से घर में चुद लेना.

मैंने उनकी इस प्लानिंग पर दीदी की गांड दबाते हुए कहा- बाजार जाओगी या इसकी सर्विसिंग करवाने जाओगी.
तभी दीदी आह करते हुए बोलीं- इतनी जल्दी तो तेरे पति को गांड नहीं मारने दूंगी.
मैं बोली- क्यों दीदी?
दीदी बोलीं- वो सब छोड़ … तू कल चुद लेना … बस अभी इतना ही फाइनल करते हैं.

मैंने भी हामी भर दी.

फिर उस दिन हम दोनों ऐसे ही नॉर्मल रहने लगे … लेकिन हमारे पति लोग नार्मल नहीं थे. उन लोगों को जब भी मौका मिलता, तो एक दूसरे की बीवियों पर टूट पड़ते.

जीजू मेरे पास जब भी आते, मैं उनको अपने से दूर करने की कोशिश करती. लेकिन वो तब भी मेरी चूचियां, गांड दबा ही देते या मुझे किस कर लेते. कभी कभी जब मैं गर्म हो जाती, तो मैं भी उनका साथ दे देती थी … जिससे वो और जोश में आ जाते थे.

जितना भी उनको मौका मिलता, वो पूरा लाभ उठाते थे. उन्हें क्या पता था कि उनकी साली उनके साथ चुदने का प्लान बना चुकी है. मैं तो बस जीजू को तड़पा रही थी.

उधर दूसरी तरफ मेरी दीदी और मेरे पति को जब भी मौक़ा मिलता, तो वो लोग तो एक दूसरे के कपड़ों में हाथ डालकर खेल लेते थे.

दो दिन ऐसे ही चलता रहा.

फिर वो दिन आ गया, जिस दिन मैं जीजू से चुदने वाली थी. जीजू को दीदी ने बता दिया था कि वो अमित के साथ बाजार जाने वाली है.

सुबह सुबह दीदी नाश्ता बना रही थीं और जीजू छत पर मुझे चोदने की प्लानिंग बना रहे थे.

उस समय मेरा पति दीदी के साथ किचन में मजे कर रहा था. मैंने सोची कि मैं भी जीजू के पास ही चली जाती हूँ. मैं अब छत पर चली गयी.

जीजू मुझे देखते ही खुश हो गए और मेरे गले लग गए. मैं उनके इस तरह से गले लगते देख कर अचकचा गई.

मैंने उन्हें जबरदस्ती अपने से अलग किया और बोली- क्या कर रहे हो जीजू … पागल हो गए हो क्या!
जीजू बोले- यार मैं जब भी तुम्हें देखता हूं … तो पूरा पागल हो जाता हूँ.

जीजू ने जबरदस्ती मेरी पप्पी ले ली.

मैं बोली- क्या कर रहे हो … मैं जा रही हूँ.

इतना बोलकर जैसे ही घूमी, जीजू ने मेरी गांड पर चपत मारते हुए बोली- कहां जा रही हो मेरी रानी!
मैं थोड़ी गुस्से में बोली- आज आप सही में पागल हो गए हो.
और मैं जाने लगी.

तभी जीजू ने मुझे पकड़ कर दीवार में चिपका दिया और मुझे किस करने लगे.
मैं कसमसाने लगी- उन्हह … छोड़ो कोई देख लेगा.
जीजू बोले- देखने दो.

मेरी चूचियों को कपड़े के ऊपर से ही जीजू मुँह लगा कर पीने लगे. मुझे तो बहुत मजा आ रहा था … लेकिन मैं जीजू को तड़पाना चाह रही थी.

मैं बोली- छोड़ो … नहीं तो मैं दीदी को आवाज़ देती हूं.
इस पर जीजू थोड़े से शांत हुए और बोले- ठीक है कुछ नहीं करूंगा, लेकिन एक बात सुन लो.
मैं बोली- क्या बात है बोलो?
जीजू बोले- तेरी दीदी और तेरे पति शॉपिंग के लिए जा रहे हैं.
मैं बोली- हां मैं जानती हूँ … मैं भी सोच रही हूँ उनके साथ चली जाऊं.

ये सुनकर जीजू हड़बड़ाते हुए बोले- क्या बात कर रही हो यार … कितनी मुश्किल से तो मौका मिला है … और तुम हो कि सब काम खराब करने में लगी हो.
मैंने भोलेपन से पूछा- कैसा काम खराब हो जाएगा!
जीजू बोले- यार मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ.
मैं बोली- हां तो साफ साफ बोलो ना … क्या बोलना है … जब से घुमा रहे हो.

जीजू बोले- यार तुम्हें तो पता ही है कि शादी से पहले से ही मैं तुम्हारा कितना बड़ा दीवाना हूँ.
ये सुनते ही मैं इतराते हुए बोली- मेरे दीवाने तो वैसे भी बहुत हैं … और जीजू वो सब पुरानी बात है. अब मेरी शादी हो गयी है.
जीजू बोले- तो मैं कहां कुछ कह रहा हूँ. मेरी तो बस एक ख्वाहिश है … और उस ख्वाहिश को पूरा करने के लिए अभी मुनासिब समय भी है.
मैं बोली- क्या बोल रहे हो जीजू … मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है … आप साफ साफ बोलो, घुमाओ मत.
जीजू ने भी मेरी आंखों में देखा और बिना सोचे बिना रुके बोले- मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ.

मुझे तो जीजू से यही सुनना था.

मैं एक्टिंग करते हुए बोली- आप सचमुच पागल हो गए हो. हटो मुझे जाने दो.
इतना बोलकर मैं जाने लगी.

जीजू ने मुझे फिर से जबरदस्ती पकड़ लिया और मेरी कुर्ती में हाथ डालकर मेरी चुचियों को मसलने लगे.
मैं कसमसाने लगी और अपने आपको छुड़ा कर भागने लगी.

जीजू पीछे से बोले- मेरी रानी अभी भाग जाओ … लेकिन आज तो तुझे पक्का चोद कर रहूँगा … फिर चाहे तेरी मर्जी के खिलाफ ही क्यों न मुझे तेरी चुदाई करनी पड़े.

ये सुनकर मैं पीछे मुड़ी और जीजू को जीभ चिढ़ा कर भाग गई.

जैसे ही नीचे आयी, मेरे आने की आहट सुनकर दीदी और मेरे पति जल्दी जल्दी हड़बड़ाहट में अलग हो गए. मेरे पति सोफे पर बैठ गए और उन्होंने अपने खड़े लंड पर कुशन रख लिया. मगर मैं ये सब देख चुकी थी.

जैसे ही अमित ने मुझे देखा, तो बोला- कहां गई थी?
मैं बोली- छत पर गयी थी.

मैं दीदी के पास गई, तो देखा कि दीदी का चेहरा एकदम लाल था.

मैंने दीदी से धीरे से कहा- एक भी मौका नहीं छोड़ती. मेरे पति को अकेले देखी नहीं कि अय्याशी शुरू कर दी.
इतने में दीदी बोलीं- अच्छा तो तू ऊपर में मेरे पति के साथ सत्संग कर रही थी क्या?
मैं बोली- आपके पति तो मेरी पूजा करने के लिए तैयार थे … लेकिन मैं ही भाग आयी.

इतने में दीदी बोलीं- तेरा पति तो मेरी पूजा कर भी चुका है … और प्रसाद भी खा चुका है. वैसे भी तेरा पति अभी भी मेरी चुत का भोग ही लगा रहा था कि तू आ गयी.
मैं बोली- अगर मैं नहीं आती तो आज आपके पति मेरा भी भोग लगा ही देते.
इतने में दीदी बोलीं- तो क्यों नहीं लगवा लिया?
मैं बोली- इतनी जल्दी किस बात की है … तड़पने तो दो थोड़ा, वैसे भी सब्र का फल मीठा होता है.

इस पर दोनों बहनें हंसने लगीं.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे के पति से चुदने का फायनल प्लान बनाया.
इस प्लान के अनुसार दीदी और मेरे पति को 2 बजे बाजार जाना था.

मैं बोली- आओगी कब तक?
तो दीदी बोलीं- तू ही बता … तू कितने देर तक चुदेगी?
मैं बोली- जब आपका और अमित का हो जाए, तो आ जाना.
दीदी बोलीं- तो तूने मेरे आने की पूछी क्यों … तू तो आराम से चुदना, हम लोग 8 बजे के बाद ही घर आएंगे.

मैं हंसते हुए बोली- मतलब आज आपकी गांड की बैंड बजने वाली है.
दीदी बोलीं- मेरी छिनाल बहन आज तो तेरी भी सारी गर्मी मेरे पति तेरी गांड से निकाल देंगे.

ये कहकर दीदी ने मेरी गांड पर चपत लगा दी और हंसने लगीं.

मैं बोली- आप बहुत बेशर्म होती जा रही हो दीदी.
दीदी बोलीं- अच्छा तू तो बड़ी सती सावित्री है.

इस बात पर हम दोनों बहनें ठहाका मार कर हंसने लगीं. इसके बाद हम सबने मिलकर नाश्ता किया और बातचीत करते करते न जाने समय कैसे बीत गया.

दीदी और मेरे पति बाजार जाने को तैयार थे. सब एकदम खुश थे. खुश हो भी क्यों ना … सबका टेस्ट बदलने वाला था.

दस मिनट बाद मेरे पति और दीदी निकलने के लिए तैयार थे. मेरी दीदी ने अमित के हाथ से गाड़ी की चाबी ले ली और बोलीं- गाड़ी मैं चलाऊंगी.

मेरे पति ने हामी भर दी और वे दोनों निकल गए.

उन दोनों के जाते ही जीजू ने गेट को लॉक कर दिया. मैं उस वक़्त सोफे पर बैठी थी. उस दिन मैंने स्किन टाईट जींस और टॉप पहनी हुई थी. आप लोग इमेजिन सकते हैं कि मैं इस ड्रेस में कितनी कयामत लग रही होऊंगी.

तब भी मैं आप लोगों के लिए थोड़ी सी डिटेल बता देती हूँ.
उस दिन मैंने जानबूझ कर ब्रा नहीं पहनी थी, जिसके कारण मेरी चूचियों के निप्पल साफ़ झलक रहे थे. या यूं कहूं कि जीजू को मेरी तनी हुई चूचियां और उठी हुई गांड चोदने का निमंत्रण दे रही थी कि आपकी साली की चुत भोग लगवाने के लिए तैयार है. बस आप आकर अपने लंड से इस भोग को अच्छे से लगाइए और लंड को भर भरके घुसेड़ कर मुझे मस्त चोद दीजिए … और ऐसी चुदाई कीजिए कि हम दोनों तृप्त हो जाएं.

इतने में जीजू मेरे मम्मों को घूरते हुए मेरे नजदीक आए और मेरे बगल में बैठ गए. मैंने उनकी तरफ देखा तो जीजू ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर मुझे अपनी ओर खींच कर चिपका लिया.

फिर मैं बोली- जीजू आप अपनी आदत से बाज नहीं आओगे ना … दीदी गयी नहीं और आप शुरू हो गए.
इतने में जीजू बेशर्मी से बोले- अरे मेरी रानी … अगर तू बोल तो तेरी दीदी के सामने तुझे पटक कर चोद दूं.
फिर मैं थोड़ी सी इठलाते हुए बोली- जीजू आप कितने गंदे हो … मुझसे कैसी बेशर्मी भरी बातें करते हो.
जीजू मेरे गाल पर पप्पी करते हुए बोले- आज इन सारी बातों को तुझे प्रेक्टिकल करके दिखाउंगा.

मैं भी तो यही चाह रही थी कि जीजू अपने मोटे लंड से मुझे ढंग से फाड़ कर रख दें.

फिर मैं वहां से उठी और जानबूझ कर गांड मटकाते हुए सामने हो गयी और जीजू को चिढ़ाते हुए बोली- ये सब प्रेक्टिकल बीवी के साथ किया जाता है … साली के साथ नहीं.
मैं जीजू को जीभ चिढ़ाते हुए कमरे में भाग गई.

जीजू भी कहां पीछे रहने वाले थे. वो भी मेरे पीछे दौड़ पड़े और मैं दीदी के बेडरूम में चली गयी.

तभी जीजू भी आ धमके और दरवाजा बंद करते हुए बोले- अब कहां जाओगी मेरी हॉट साली साहिबा.
मैं बोली- जीजू ये सब गलत है, मुझे जाने दो.
तभी जीजू खा जाने वाले इरादे से बोले- नहीं मेरी साली साहिबा … आज मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगा … कितने सालों से मैं तुम्हें चोदना चाहता था. आज बड़ी मुश्किल से मौका मिला है. इस मौके को मैं यूं ही नहीं जाने दूंगा.
मैं इठलाते हुए बोली- जाने दो … नहीं तो मैं चिल्लाऊंगी.
तभी जीजू बोले- चिल्लाना है तो चिल्लाओ … लेकिन आज तो मैं तुम्हें चोद कर ही रहूँगा … फिर चाहे मुझे आज तुम्हारी मर्जी के खिलाफ ही क्यों न चुदाई करना पड़े.

जीजू के इस जोश को देखकर मैं तो जीजू की दीवानी हो गयी थी. मेरी चुत भी पनिया रही थी. तभी जीजू मेरी तरफ दौड़े और मैं झट से पलंग पर चढ़ गई.

मेरी चुत की चुदाई की नॉन वेज कहानी मेरे जीजू के लंड से होने वाली है, ये सोच कर मेरे मन में गुदगुदी होने लगी थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
अब जीजू मुझे चारों तरफ से पकड़ने की कोशिश कर रहे थे और मैं इधर उधर हो रही थी.

तभी जीजू पलंग पर चढ़ गए … तो मैं उतरने लगी.
लेकिन जीजू ने मुझे पकड़ लिया और मुझे पलंग पर एक झटके में गिरा दिया.

मैं जैसे ही उठने लगी, जीजू मेरे ऊपर सवार हो गए और बोले- अब कहां जाओगी साली साहिबा!
तो मैं बोली- जीजू छोड़ो ये सब गलत है.
वो बोले- कुछ गलत नहीं है. आज तो मैं साली से घरवाली का सुख लेकर ही रहूँगा.

बस इतना बोलते ही जीजू मेरी चुचियों को दबाने लगे. मैं कसमसाने लगी.

साथ ही मैं थोड़ी सी एक्टिंग करते हुए चिल्लाने लगी- उन्नह … छोड़ दो जीजू … ये गलत है.
लेकिन वो आज मानने वाले नहीं थे. वो आज पूरे मूड में थे और मैं भी पूरी मूड में थी. लेकिन थोड़े नखरे कर रही थी.

वो मेरी चुचियों को अपने दोनों हाथों से मसले जा रहे थे. अब तो वो मेरे टॉप में बार बार हाथ डालने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन मैं बार बार उनका हाथ हटा देती थी.

ये बात अब जीजू को बर्दाश्त नहीं हुयी. वो मेरी चुचियों को देखने के लिए इतने व्याकुल हो गए कि उन्होंने मेरे टॉप को को जोर से खींचना चालू कर दिया.

मैं अपने आपको झूठ मूठ की बचा रही थी.

अब जीजू से रहा नहीं गया और उन्होंने मेरे टॉप को खींचते हुए फाड़ दिया. मैं यह देखकर काफी खुश थी कि जीजू में जोश बहुत है.
आज बहुत दिनों के बाद मेरी चुत को कोई ढंग का दूसरा लंड मिलेगा.

मैं नाटक करते हुए बोली- जीजू आपने ये क्या कर दिया … छोड़ो मुझे, आप सचमुच पागल हो गए हो.

लेकिन वो मेरी बातों को सुन ही कहां रहे थे. वो मेरे दोनों हाथों को ऊपर करके पकड़े हुए थे और मेरी चुचियों को पके हुए आम की तरह पिये जा रहे थे.

अब मुझे भी उनका ऐसे दूध चूसना बहुत पसंद आने लगा था. लेकिन मैं थोड़ी नखरे करते हुए कसमसा रही थी. मगर उन पर इस बात का कोई असर नहीं था. वो खुले सांड की तरह मेरी चुचियों को पिये जा रहे थे.

मैं तो पहले से गर्म थी, अब और गर्म होने लगी थी. जिसके कारण मैंने विरोध छोड़ शरीर ढीला छोड़ दिया. इससे जीजू मेरी चुचियों को अब और भी ज्यादा बेदर्दी से मसलने लगे थे और ऐसे चूस रहे थे, जैसे वे आज मेरे आमों से सारी मिठास पी जाएंगे. वो तो जैसे मेरी चुचियो में खो गए थे.

जीजू इस तरह से मेरी चुचियों के साथ खेल रहे थे, जिसकी वजह से मैं और भी गर्म हो गयी थी. मुझे बहुत मजा आने लगा था. इसलिए मैं अपने नखरों को छोड़कर अपने आपको जीजू को समपर्ण कर दिया और उनका साथ देने लगी.

मैं अब उनको बराबरी से साथ देने लगी थी. मैंने भी जीजू के गालों पर पप्पी करना शुरू कर दिया था. जीजू अभी भी मेरी चुचियों को बेदर्दी से मसलते हुए पी रहे थे.

वे जोश जोश में या जानबूझ कर बार बार अपने दांत मेरे मम्मों पर चुभो रहे थे … जिससे मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन एक नए लंड की ख्वाहिश ने इस मीठे दर्द से मुझे मज़ा दिलाना शुरू कर दिया था और मैं मीठी मादक सीत्कारें भरते हुए जीजू का साथ दे रही थी.
हालांकि मुझे कुछ डर भी लग रहा था कि अगर मेरे बदन पर एक भी दांत का निशान पड़ गया तो मैं अपने पति अमित को क्या बोलूंगी.

इसलिए मैं जीजू से बोली- ये क्या कर रहे हो यार जीजू … मेरी चुचियों पर निशान पड़ जाएंगे.
इस पर जीजू स्माइल करते हुए बोले- पड़ने दो जान … आज तो मैं तुम्हें इतने लव बाइट दूंगा कि जब भी तुम आईने के सामने खड़ी होगी, मुझे पक्का याद करोगी.

मैं भी स्माइल पास करते हुए बोली- ठीक है जीजू … दे दो निशान, फिर मैं अमित और दीदी को बोल दूंगी कि तुमने मेरे साथ जबरदस्ती की है … और सबूत के तौर पर तुम्हारे दिए लव बाईट दिखा दूंगी.

ये सुनकर जीजू थोड़े से ठंडे हुए और बोले- यार, कभी सोचा नहीं था कि तुम्हारी चूचियों के साथ ऐसे खेल पाऊंगा. मैं न जाने कब से तुम्हारे साथ ये सब करना चाहता था, लेकिन तुम लाइन ही नहीं देती थी.
मैं बोली- आज तो आपकी मुराद पूरी हो गयी ना!

अब जीजू मेरे होंठों पर पप्पी करते हुए बोले- अभी कहां मेरी रानी, मुराद तो अब पूरी करूंगा.
मैं बिंदास बोली- ठीक है, कर लो मनमानी … लेकिन आराम से करो और जल्दी करो.
जीजू बोले- आज जल्दी किस बात की है मेरी बेबी … बहुत दिनों बाद तो ऐसा मौका मिला है. मेरी रानी आज तो तेरे हर छेद को अपने लंड से फाड़ दूंगा.

इस पर मैं थोड़ी गुस्से में बोली- इतनी गर्मी भरी है … दीदी को नहीं चोदते क्या?
जीजू बोले- उसे चोदता तो हूँ मेरी रानी … लेकिन तेरे जैसी कसक उसमें कहां है.

उनकी ये बात सुनकर मैंने सोची कि लोग सही कहते हैं, मर्द जात कुत्ता होता है. अपनी बीवी कितनी ही हॉट क्यों ना हो … उसे दूसरी की बीवी हमेशा अच्छी लगती है. इसका उदहारण आप लोग देख ही रहे हैं.

उधर मेरे पति ना जाने कहां किस पोज़ में मेरी दीदी को चोद रहे होंगे … और इधर क्या हो रहा है, ये तो आप लोग के सामने ही है.

जीजू अब मेरी चुचियों को अपने दोनों हाथों से मसल रहे थे … और मेरे गालों पर होंठों पर चुम्मियों की बरसात किए जा रहे थे.

मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी. वो मेरी गर्दन पर पप्पी करने लगे थे … इससे मैं एकदम से गरमा गई. अब मैं अपने जीजू के लंड से चुदने के लिए बिल्कुल तैयार थी. इसका सिग्नल मेरी चुत कब से दे रही थी. ये बात जीजू समझ गए थे.

तभी जीजू एक हाथ नीचे ले गए और जींस के ऊपर से मेरी चुत मसलने लगे. इससे मैं एकदम से चिहुंक गयी और मैंने कमर उछाल दी.

जीजू ने इस बात को भांप लिया कि मेरी चुत लंड मांग रही है.

उन्होंने अपने हाथ को मेरी जींस के अन्दर घुसेड़ दिया और चुत मसलने लगे.

इस बार उनके हाथों के स्पर्श से तो मेरी चुत में आग सी लग गयी थी.

मेरे मुँह से अपने आप निकल गया- इतना मत तड़पाओ जीजू … आह … मैं गर्म हो गई हूँ … अब जल्दी से फाड़ दो इस चुत को.
जीजू बोले- क्या बात है मेरी रानी … तूने आज पहली बार मेरे से कुछ मांगा है. तू टेंशन मत ले, आज तेरी चुत की ऐसी कुटाई करके चोदूंगा कि तू अपने पति को भूलकर मेरी दीवानी हो जाएगी.

इतना बोलकर उन्होंने मेरी चूचियों पर बड़ी जोर से दांत चुभो दिए. मैं इतनी गर्म हो गयी थी कि मैं उस दर्द को एन्जॉय कर रही थी. मैं सब कुछ भूल गयी थी कि मेरी चुचियों पर निशान न हो जाएं.
मर्दों को तो वैसे भी शायद तड़पाना अच्छा लगता है. इसलिए वो ये सब हरकत करते हैं. मैं भी तड़फ के साथ एन्जॉय कर रही थी.

तभी जीजू उठे और मेरी जींस के पास आकर जींस के बटन खोलकर उतारने लगे. चूंकि मेरी जींस टाइट थी … इसलिए जीजू को उतारने में आसानी नहीं हो रही थी. पर वो मानने वाले कहां थे. उन्होंने जैसे तैसे करके मेरी जींस और पेंटी उतार दी … और खड़े होकर मेरी चुत निहारने लगे.

उनका ऐसी निगाहें मुझे शर्मसार कर रही थीं. मैंने अपने हाथों से चुत ढक ली. फिर उन्होंने मेरे हाथों को पकड़कर हटा दिया और बोले- इस खजाने को मत ढको यार.

मैं बोली- जीजू मुझे शर्म आ रही है.
फिर उन्होंने बोला- अब कैसा शर्माना मेरी रानी … मुझे आज जी भर कर देख लेने दो. आज तक मैंने ऐसी चुत नहीं देखी है.
ये कहते हुए उन्होंने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए बोला- आज तो इस चुत का कचूमर निकलने में बड़ा मजा आएगा.

फिर जीजू अपने उंगलियों को मेरी चूत पर बड़े प्यार से फिराने लगे … जिससे मेरी चूत में गुदगुदी सी हो रही थी.

जीजू के ऐसा बार बार करने से मैं तड़पने लगी थी. मैं इतनी अधिक मदहोश हो गयी थी कि बेकरारी से छटपटा रही थी.

इसी दौरान जीजू ने मेरी चूत में उंगली कर दी, जिससे मैं चिहुंक उठी और बड़बड़ाने लगी- ऐसे मत तड़पाओ यार … जल्दी से इस चूत को फाड़ दो.
लेकिन जीजू तो मेरी बेकरारी बढ़ाने में लगे थे.

फिर जीजू ने एकदम से मेरी चूत को अपने मुँह में भर ली. मैं इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थी. जैसे ही जीजू ने अपने मुँह में मेरी चूत को भरा, मेरी चुत गर्मी बर्दाश्त नहीं कर सकी और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. जीजू ने पूरा पानी चपर चपर कर पी लिया.

बीच बीच में वो मेरी चुत में दांत चुभो देते थे, जिससे मैं और बेकरार हो जाती थी.

जीजू तो जैसे मेरी नंगी जवानी को देखकर पागल ही हो गए थे. जीजू क्या अगर कोई भी मुझे इस रूप में देख लेता तो उसका पागल होना निश्चित ही था.

ऐसी कातिल जवानी देने के लिए मैं ऊपर वाले का हमेशा शुक्रिया अदा करती हूं. ऊपरवाले ने मुझे ऐसा कातिल हुस्न छिपा कर रखने के लिए तो नहीं दिया है. इसलिए मैं इस हुस्न का पूरा और अच्छे ढंग से इस्तेमाल करती हूं.

अब जीजू पूरा जोश में आ गए थे और उन्होंने अपने कपड़ों को तुरन्त निकाल दिया. कपड़े उतरते ही उनका लंड तमतमा कर बाहर निकला.

आह … बिल्कुल मोटा तगड़ा भूरे रंग का लंड … एकदम मक्खन मलाई खाया पिया लंड देख कर मेरी तो मानो बांछें खिल गईं.
जीजू का लंड करीब 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा रहा होगा.

उसे देखकर मेरी चूत पनिया गई और मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी. मैं मन ही मन सोचने लगी कि आज बहुत दिनों बाद कोई दमदार लंड मेरी चुत को चोदेगा.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
5

मेरी मुस्कान को देखकर जीजू बोले- क्यों हंस रही हो मेरी रानी?
अब मैं ये तो बोल नहीं सकती थी कि आपका लंड बहुत अच्छा है इसलिए मैंने बात घुमा दी.

बात घुमाते हुए मैं बोली- मैं सोच रही थी कि आप मेरे साथ ये सब कर रहे हो … और कहीं दीदी वहां अमित के साथ यही सब ना कर रही हों.
यह सुनते ही जीजू बोले- यार, ऐसी हूर के लिए अगर मुझे मेरी बीवी तो क्या … अगर मेरी बहन को भी किसी के साथ शेयर भी करना पड़े, तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है.

अब मुझे समझ आ गया कि सारे मर्द एक जैसे ही होते हैं. अगर मस्त माल मिले, तो ये लोग कुछ भी कर सकते हैं.

अब तक जीजू पूरे जोश में आ गए थे. उनको समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या कर रहे हैं. कभी वो मेरी चुत चाटते तो कभी मेरी जांघ, तो कभी मेरी चूची मरोड़ते, तो कभी मेरे गालों को चाटते और बीच बीच में वो दांत से भी काट लेते थे.

मैं भी इस पल को पूरा एंजॉय कर रही थी. मैं सब कुछ भूलकर जीजू का पूरा साथ दे रही थी. उन्होंने मेरी चूचियों और चूत को अपने दांतों से काफी खरोंच दिया था और निशान बना दिए थे.

मैं उस समय तो बहुत एन्जॉय करके यह सब करवा रही थी और बिल्कुल भूल चुकी थी कि इसके बाद मैं अपने पति को क्या बोलूँगी.

खैर … वो अलग सेक्स कहानी बनी थी, उसे मैं फिर कभी बताऊंगी.

जीजू अब मेरी चूत की फांकों में अपने लंड को आगे पीछे करने लगे थे … जिससे मैं सब कुछ भूल कर उनके लंड से चुत की रगड़ाई का मजा उठा रही थी. उनके मोटे लंड से चुत घिसवाने के कारण मेरे मुँह से अपने आप सिसकारियां निकलने लगी थीं.

मेरे से अब ये चुदाई बर्दाश्त से बाहर हो रही थी. मेरे मुँह से अपने आप आवाज निकल रही थी- ओन्ह्ह … जीजू मत तड़पाओ यार … अब फाड़ भी दो मेरी चूत को … आह … अब मैं और नहीं सह सकती.
जीजू बोले- हां हां क्यों नहीं मेरी रानी … ये ले मेरी जान … आज तो तेरी चुत को भोसड़ा बना कर ही रहूँगा.

इतना बोलकर जीजू अपने लंड को मेरी चूत पर टिकाने लगे.

मैं बोली- ये क्या कर रहे हो … इस पर कुछ चिकनाई तो लगा लो … क्या मुझे मारोगे?

लेकिन वो नहीं माने और जबरदस्ती लंड चुत में डालने लगे. तभी मैंने उन्हें धक्का देकर हटाया और बोली- ऐसे नहीं यार … आपका बहुत मोटा है, मेरी फट जाएगी.

जीजू फिर उठे और क्रीम ढूंढने लगे … लेकिन उन्हें मिल नहीं रही थी. वो इधर उधर पूरे में ढूंढ चुके, लेकिन क्रीम नहीं मिली.

फिर वो बोले- यार तेरी दीदी ने न जाने क्रीम कहां रख दी है … मिल ही नहीं रही है.
मैं स्माइल करते हुए बोली- दीदी को फोन करके पूछ लो.
जीजू थोड़े गुस्से में बोले- अच्छा और फोन करके क्या बोलूं कि तेरी बहन की चूत क्रीम लगाकर मारनी है … क्रीम किधर रखी है!

जीजू एकदम से झल्ला गए थे और तभी वो बोले- याद आया … मैं फ्रिज में देखता हूँ … वहां जरूर होगी.

वो गए और कुछ ही सेकेंड के अन्दर आ गए. मैंने लंड के इन्तजार में अपने दोनों हाथ पीछे की ओर कर रखे थे और मैं बेड पर बिल्कुल बेशर्मों की तरह नंगी लेटी थी.

मैं जीजू को थोड़ी सी छेड़ते हुए बोली- क्या हुआ राजा … क्रीम मिली या नहीं!
जीजू मेरी खुली हुई चुत देखते हुए बोले- मेरी रानी क्रीम तो नहीं मिली … लेकिन तुम्हें चोदने के लिए बहुत अच्छी चीज मिल गयी है.
मैं चौंकते हुए बोली- क्या ले आए?

जीजू ने अपना हाथ आगे की ओर किया … जिसे देखकर मैं दंग रह गयी कि इससे कैसे चुदाई होगी. आज तक तो मैंने खुद कभी सोची भी नहीं थी कि मैं कभी ऐसे भी चुदूंगी. फिर मैंने सोची कि चलो कोई बात नहीं, आज कुछ नए तरीके से ही चुद लूंगी.

मुझे आज तक ये बात समझ नहीं आई कि लोग मुझे अलग अलग चीजों से क्यों चोदते हैं.

मगर मैं थोड़ी सी एक्टिंग करते हुए बोली- यार जीजू, आइसक्रीम से कैसे चुदूंगी?
जीजू बोले- यार क्रीम मिल ही नहीं रही है … तो मैंने सोचा आइसक्रीम से ही क्यों ना चोदूं … मजा भी आएगा.
मैं बोली- हम्म … इससे बढ़िया दाल चावल ही ले आते.
फिर जीजू हंसते हुए बोले- उससे अगली बार ट्राइ करेंगे.

जीजू मेरी चुत पर आइसक्रीम लगाने लगे. चूत पर आइसक्रीम लगते ही जैसे मेरी चुत में आग सी लग गयी और मैं जोर से तपड़ उठी. ऐसी अनुभूति आजतक मैंने नहीं ली थी. इसलिए मैं शब्दों में इसे बयां नहीं कर सकती. लेकिन आपलोगों को एक बात जरूर कहूंगी कि इसे आप लोग एक बार जरूर ट्राय करें.

मेरी चूत पर लगी आइसक्रीम मेरी चुत की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पायी और पिघलने लगी. वो पिघली हुई आइसक्रीम मेरी चुत के अन्दर प्रवेश करने लगी. मैं जोर जोर से चिहुंक रही थी. आइसक्रीम की ठंडक मेरी चुत को और जला रही थी.

मेरे मुँह से मस्त सिसकारियां निकल रही थीं- आंह उन्ह … अब मत तड़पाओ यार … फाड़ दो इस चूत को … इसका भोसड़ा बना दो.

तभी जीजू अपने जीभ से मेरी चुत की आइसक्रीम चाटने लगे, जिससे मैं बिल्कुल पागल हो गयी और जीजू को धक्का दे दिया.

फिर जीजू उठे और अपनी उंगली को मेरी चुत में आगे पीछे करने लगे, जिससे मेरी चुत में ठंडी ठंडी आइसक्रीम का समावेश होने लगा. ये मेरे बर्दाश्त से बाहर होने लगा था.

मुझे ये देखकर बहुत चिढ़ आ गयी और बोली- अब चोदो भी यार … मुझे बावला किये पड़े हो. तब से नाटक कर रहे हो. नहीं चोदना हो तो हटो मैं किसी खीरे से ही अपनी आग शांत कर लूंगी.

मैं खड़ी होने लगी.
ऐसा नहीं था कि मुझे मजा नहीं आ रहा था. मैं मजा तो सातवें आसमान का ले रही थी … लेकिन मेरी चुदास इतनी ज्यादा बढ़ गयी थी कि और सह पाना मेरे वश में नहीं रह गया था.

तभी जीजू ने मुझे लिटाया और बोले- इतनी जल्दी कैसे चोद दूं साली साहिबा. … लगता है बहुत दिनों की खुजली है. शायद तुम्हें तुम्हारे पति खुश नहीं कर पाते हैं.

इस पर मैं झल्ला कर बोली- कभी दीदी को मेरे पति के साथ सुला कर देखो … आपसे चुदना न भूल गयी, तो कहना. वो तो आप जबरदस्ती कर रहे हो इसलिए मुझे अपनी टांगें खोलनी पड़ीं … नहीं तो मेरे पति में इतनी गर्मी है कि मैं ही उनको शांत नहीं कर पाती हूँ.

ये बात सुनकर जीजू थोड़े चिढ़ गए और उन्होंने बिना बताए मेरी चुत पर लंड टिकाकर एक जोरदार झटका दे मारा.

मैं इसके लिए अभी तैयार ही नहीं थी.
जीजू का लंड चूत में लेते ही मुझे बहुत तेज दर्द हुआ और मैं जोर से चिल्ला कर छटपटाने लगी.

मैं दर्द के मारे जोर जोर से चिल्ला रही थी- आंह … फाड़ दी मेरी … छोड़ दो मुझे!

मुझे इतनी ज्यादा पीड़ा हो रही थी कि मेरे मुँह से गाली निकलने लगी- साले कुते हरामजादे छोड़ दे मुझे!
जीजू ने भी शायद कभी नहीं सोचा होगा कि मैं उन्हें कभी ऐसी गाली दूंगी.

इतने में जीजू ने दूसरा झटका मारा और उनका मोटा लंड पूरा का पूरा मेरी चुत में समा गया.

अब दर्द बर्दाश्त कर पाना मेरे वश की बात नहीं थी. मैं जीजू को धकेल रही थी और उनकी छाती पर मुक्के भी मार रही थी. लेकिन उनको कोई फर्क नहीं पड़ रहा था. वो मुझे बिल्कुल जकड़े हुए थे.

एक दो पल रुकने के बाद जीजू अपने लंड को मेरी चुत में आगे पीछे करने लगे. लंड चुत में घुसा हुआ ऐसे चल रहा था, जैसे इंजन में बिना तेल के पिस्टन चल रहा हो. चुत की चमड़ी छिलने लगी थी.

मैं जीजू को जोर जोर से गालियां दे रही थी- आंह छोड़ दे कमीने … साले कुते बहनचोद छोड़ मुझे … हरामी ने मेरी चुत फाड़ दी साले ने … अपनी बहन को क्यों नहीं चोदता साले!

लेकिन जीजू मेरी चिल्लपौं को नजरअंदाज करते हुए धक्के पर धक्के लगाए जा रहे थे. मैं दर्द से चिल्ला रही थी और जीजू को गाली दे रही थी.

तकरीबन 5 मिनट तक वो ऐसे ही चोदते रहे. तब जाकर दर्द में थोड़ी सी राहत हुई और मुझे मजा आने लगा. अब मैं भी नीचे से कमर उचका उचका कर चुदवाने लगी. मैं उनके हर धक्के को एन्जॉय कर रही थी और बराबर से उनका साथ दे रही थी.

जीजू भी फुल स्पीड में मेरी चुत चुदाई कर रहे थे. पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ गूंज रही थी.

हम दोनों एक दूसरे के हर अंगों को चूम रहे थे और वासना में खोए हुए थे. ऐसे ही हमारी चुदाई चल रही थी.

तकरीबन 15-20 मिनट बाद मैं झड़ने को आयी और मेरा शरीर अकड़ने लगा. मेरी चूत अब पानी छोड़ने वाली थी.

इत्तफाक से तभी जीजू भी झड़ने को आये और उन्होंने अपनी गति बढ़ा दी. मैं भी फुल स्पीड में गांड उचकाने लगी थी.

मेरे मुँह से फिर गाली निकलने लगी थी- आंह फाड़ दो … मेरी चुत को भोसड़ा बना दो जीजू … क्या मस्त चोदते हो.
अब जीजू भी फुल जोश में थे और वो भी गाली का जवाब गाली से देने लगे- साली कमीनी रांड … आज तेरी चुत को ऐसे फाडूंगा कि तू मेरी लंड की दीवानी हो जाएगी.

बस जीजू ने अपनी चुदाई की स्पीड शाद्ब्दी एक्सप्रेस की तरह बढ़ा दी और बिना रुके उनके लंड ने मेरी चुत में समझो तूफ़ान ला दिया.

मैं भी उतनी ही तेजी से गांड उठा उठा कर लंड की चोटों का जबाव दे रही थी. मैं बोली- आंह चोद … बहन के लंड चोद मादरचोद.
वो भी बोले- हां मेरी रंडी साली … ले मां की लौड़ी लंड ले … साली आज तेरी चुत का भोसड़ा बना कर रहूँगा.

हम दोनों की गति बढ़ती ही जा रही थी. मेरे मुँह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं- आह जीजू साले और तेज चोद साले मादरचोद.
जीजू भी हांफते हुए बोल रहे थे- आह मेरी रंडी ले लंड ले कमीनी … आज तेरी चूत के छितरे छितरे उड़ा दूंगा … तुझे अपनी रखैल बनाऊंगा.
मैं भी उनका साथ दे रही थी- आंह रखैल तो तेरी बन ही गयी हूँ साले हरामी.

जीजू घचाघच मेरी चूत फाड़े जा रहे थे. मैं भी पूरा साथ दे रही थी.

तभी मेरी चूत ने सिग्नल दे दिया और मेरी गांड तेजी में उचकने लगी.

मैं और जोर जोर से चिल्लाने लगी- आह गई मैं … और तेज पेल दे मेरी जान … और तेज … फाड़ दे मां के लौड़े … मेरी चूत को और तेजी से चोद दे.
इसके साथ ही मेरी चुत ने पानी छोड़ दिया और मैं निढाल हो गयी.

लेकिन जीजू अभी भी गाली देते हुए लंड चला रहे थे- साली कुतिया कहां थी रंडी अब तक … तू पहले मिली होती, तो कब का तेरी चुत का भोसड़ा बना दिया होता. जैसे तेरी बहन की चुत को चौड़ी बना दी है वैसे ही तेरी कर देता … आह ले.

बस जीजू अपनी गति बढ़ाते चरम पर आ गए और चिल्लाने लगे- ऊन्नंह … ले साली रंडी … त..तेरी चूत फाड़ दूंगा … आंह … त..तेरी बहन को चोदूं साली … ले माल पी ले.

और ना जाने जीजू ने क्या क्या गालियां दीं … जो सब मैं यहां नहीं लिख सकती. उन्होंने मेरे मम्मी पापा तक को नहीं बख्शा था. एक तेज आवाज के साथ ही जीजू ने मेरी चुत में वीर्य की नदी बहा दी और मेरे ऊपर ही ढेर हो गए.

जीजू मुझे चोदने के बाद कुत्ते की तरह हांफ रहे थे और बोल रहे थे- आंह … मजा आ गया यार … क्या मस्त चुत देती हो.

कोई दस मिनट बाद हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर लेट गए और कुछ देर बाद फिर से चुदाई का खेल हुआ.

इसके बाद हम दोनों ने बहुत बार चुदाई का मजा लिया. जीजू ने मेरी गांड भी मारी. अब जीजू से मेरी कम मुलाकात होती है … और अगर होती भी है, तो सीधे बिस्तर पर ही होती है.

आप लोगों को एक बात बता दूं कि मेरे बच्चे में जीजू के स्पर्म का ही योगदान था.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#8
माही की शक्ति प्रदान करे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#9
thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#10
(03-02-2023, 09:05 AM)neerathemall Wrote:
दीदी की चुत में मेरे पति का लंड

yourock yourock fight thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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