03-02-2023, 08:25 AM
दिन में सुहागरात-
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Incest दिन में सुहागरात-
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03-02-2023, 08:25 AM
दिन में सुहागरात-
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:27 AM
मेरा नाम सपना कंवर है और मैं राजस्थान के बीकानेर से हूँ. मेरी हाईट 5 फीट 6 इंच है और साइज़ 34-30-34 है. यह कहानी मेरे और जीजा जी के बीच में हुई सच्ची घटना है.
यह कहानी तब की है जब मैं 19 साल की थी. मेरी दीदी मुझसे 6 साल बड़ी है और शादीशुदा है. दीदी के 2 बेटे हैं. जीजा जी मेडीकल लाइन में जॉब करते हैं और दीदी भी साथ में ही रहती है. जीजा जी जब भी हमारे यहां आते थे तो मुझे छेड़ते रहते थे. मौका पाकर वह मेरे बूब्स दबा देते थे. मैं भी गुस्से में कह देती थी- ये सब मेरे साथ मत किया करो. अपनी पत्नी के साथ किया करो. जीजा जी मेरी बात पर कहते थे कि आप मेरी साली हो और साली आधी घरवाली होती है. इसलिए आपके ऊपर मेरा आधा अधिकार है. मैं भी फिर कुछ नहीं बोलती थी. ऐसे ही करते-करते उनका ये सब करना कुछ ज्यादा ही होने लग गया था. वो मुझे फोन पर पॉर्न फिल्म दिखाने लग जाते थे और मेरे गालों को चूमने लग जाते थे. धीरे-धीरे मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा. अब मैं भी जान-बूझकर उनके आस-पास ही मंडराने लगी थी. जीजा जी मुझसे बोले कि आप जब मेरे यहाँ आओगी तो आपके साथ सुहागरात मनाऊँगा. मैं बोली- वो तो आपने दीदी के साथ मना ली है ना! जीजा जी बोले- तो फिर आपके साथ ‘सुहागदिन’ मनाऊंगा. मैंने भी कह दिया- ओके, मना लेना. मैं सोच रही थी कि दिन में कहाँ किसी को मौका मिलता है? अभी मैं जीजा जी के कामुक व्यवहार से इतनी परिचित नहीं थी और सोच रही थी कि जीजा जी को मेरे साथ सुहाग दिन मनाने का मौका शायद ही मिल पायेगा क्योंकि वह तभी मिल सकता था जब मैं दीदी के घर जाऊं और हम दोनों को अकेले में रहने का मौका मिले. ऐसा होने की संभावना न के बराबर थी इसलिए मैं जीजा जी के साथ मजे लेने लग जाती थी और टाइम पास करती रहती थी. जब जीजा जी शुरू में मेरे बदन को छेड़ने लगे थे तो मुझे उनकी हरकतों पर गुस्सा आता था मगर अब मेरा दिल खुद ही करने लगा था कि वह मुझे छेड़ दें. उनके छूने से मेरे बदन में एक सरसरी सी उठ जाती थी. मैं जीजा जी के बारे में ही सोचती रहती थी. जब से उन्होंने वह सुहागदिन की बात कही थी तब से ही मेरे मन में उनके जिस्म को लेकर ख्याल आते रहते थे. मगर मैं अभी अपनी तरफ से कोई भी पहल नहीं करना चाहती थी. मन तो बहुत करता था मगर जीजा जी ने वादा किया था कि वो खुद ही मेरे साथ सुहागदिन मनाएंगे इसलिए मैं बस उस दिन का इंतजार कर रही थी. इस बीच में जब मैं दीदी के घर गई तो मैंने कई बार जीजा जी को तौलिये में देखा था. उनका मर्दाना शरीर देखकर मेरे मन में लहर सी उठती थी. अब मैं उनके लिंग को देखने की ख्वाहिश करने लगी थी. सोचती रहती थी कि किस तरह वो दीदी की चुदाई करते होंगे. फिर दीदी ने उनके लंड से चुद कर बच्चा पैदा कर दिया. मेरे मन में ये सारी बातें एक अलग ही रोमांच पैदा कर रही थीं. शायद मेरी जवानी मुझे यह सब सोचने पर मजबूर कर रही थी. मगर जो भी था बहुत बेचैनी होने लगी थी मुझे आजकल. मैं हर रोज इस बात के इंतजार में रहती थी कि कब जीजा जी को मेरे साथ अकेले में रहने का टाइम मिलेगा. कुछ दिन गुजर जाने के बाद आखिरकार वह दिन भी आ ही गया मेरी जिंदगी में. एक बार की बात है जब दीदी को कहीं शादी में जाना था. मगर बच्चों के एग्जाम होने के कारण दीदी को अकेले ही शादी में जाना पड़ा. दीदी ने मुझे बच्चों की देखभाल के लिए बुला लिया. अगले दिन दीदी शादी में चली गई. जीजा जी की नाइट ड्यूटी थी तो वो लुंगी बाँध कर कूलर के सामने पैर करके सो गए. उन्होंने ऊपर से बनियान भी नहीं पहना हुआ था और उनकी छाती नंगी थी. उनके बाल कूलर की हवा में उड़ रहे थे. मगर बालों के साथ ही नीचे जो लुंगी पहनी हुई थी वह भी बार-बार हवा में उड़ रही थी. फिर अचानक से हवा लगने के कारण उनकी लुंगी ऊपर हो गई और जीजा जी की अंडरवियर दिखने लगी. उनकी लुंगी के नीचे पहने अंडरवियर को देख कर मेरा मन और आंखें वहीं पर अटक गए. मैंने उनकी जांघों को पहली बार देखा. इससे पहले मैंने उनको तौलिया लपेटे हुए ही देखा था और उनका नीचे का भाग नहीं देख पाई थी. उनके अंडवियर में एक शेप बनी हुई थी. मुझे पता था कि वह उनका लिंग है. मेरे मन में वासना सी उठने लगी और मैं वहीं पर खड़ी होकर उनकी उड़ती हुई लुंगी के नीचे अंडरवियर को देखने लगी. पता नहीं मेरी चूत में एक अजीब सी सनसनी सी होने लगी थी उनको इस हालत में देख कर. पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था. मैं कुछ मिनट तक उनको ऐसे ही देखती रही. फिर मैं चुपके से बिना आवाज किये उनके और पास जाकर खड़ी हो गई. अब मेरी नज़र में उनके लिंग की शेप पहले से ज्यादा उभर कर दिखने लगी थी. उनका लिंग एक तरफ पड़ा हुआ था. पास जाकर मेरे मन में मेरी आंखों के सामने अंडरवियर में लेटे हुए जीजा जी के और करीब जाने की इच्छा हुई. मैं चुपके से उनके और करीब चली गई. अब तो लिंग की शेप साफ-साफ दिखाई देने लगी थी. लुंगी हट चुकी थी और उनकी कमर पर ही बंधी रह गई थी. मुझे पहली बार उनका लिंग देखने की इच्छा हुई. मैं उनके पास जाकर पलंग पर बैठ गई. जब मैं बैठ गई तो लिंग और करीब से दिखने लगा. मगर मेरे बैठने के कारण कूलर की हवा जीजा जी तक नहीं पहुंच पा रही थी. इस वजह से जीजा जी को शायद पता लग गया कि हवा आना बंद हो गई है. मगर मैं तो उनके अंडरवियर में छिपे हुए लिंग को देखने में खो गई थी. मैंने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि जीजा जी की आंख भी खुल सकती है. अचानक जीजा जी जग गए और मुझे देखने लगे. मैं तो उनका पेनिस देखने में ही मस्त हो रही थी. जीजा जी ने कुछ देर तो मुझे देखा और बैठ कर मुझे अचानक से ही अपनी बांहों में भर लिया. अचानक से ऐसा करने के कारण मैं सक़ते में आ गई. मैं उनकी बांहों से छुड़ाने की कोशिश करने लगी पर वो और जोर से मुझे अपने पास चिपकाकर मेरे होंठों को चूसने लगे. कुछ देर के बाद मैं भी होंठों को चूसने में उनका साथ देने लगी. जीजा जी ने मुझे बांहों मे लेकर पलंग पर गिरा लिया और मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरी छोटी सी चूत को मसलने लगे. मुझे शर्म और मजा दोनों आ रहे थे. मैं भी आनंद के सागर में उतरने लगी. अब जीजा जी ने मेरी चूत में उंगली का रास्ता बना लिया था. मेरी चूत में उनकी उंगली जा चुकी थी. मैं मस्त होने लगी. धीरे-धीरे जीजा जी एक उँगली अंदर-बाहर आराम से करने लगे तो मैं दर्द और मजे से उछलने लगी. ये देखकर वो उंगली तेज करने लगे और मेरे बूब्स नंगे करके चूसने लगे. मैं तड़पने लगी और साथ में मजा भी आने लगा. जीजा जी की उंगली मेरी चूत में तेजी के साथ चल रही थी. मेरे मुंह से कामुक सिसकारियाँ अपने आप ही बाहर आने लगी थीं. मेरे साथ यह सब कुछ पहली बार हो रहा था इसलिए कुछ ही देर में मेरा पानी निकल गया और मैं निढाल हो कर आँखें बंद करके आराम से लेट गयी. जीजा जी अब दोनों बूब्स काटने-दबाने में लगे हुए थे. फिर जीजा जी ने अंडरवियर निकाल कर मुझे अपना लिंग मेरे हाथ में पकड़ा दिया. पहली बार मैंने लिंग को हाथ में लिया तो लगा कि कोई गरम लोहे की रॉड पकड़ ली है मैंने. अब जीजा जी मेरे हाथ पर हाथ रखवाकर अपने लिंग को हिलवाने लगे और बूब्स को जोरों से पीने लगे. मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरा हाथ अपने आप लिंग पर चलने लगा. अब जीजाजी ने मुझे नंगा करके मेरी योनि को चाटना-काटना शुरू कर दिया. मुझे आनंद आने लगा और मैं जोर-जोर से उनके लिंग की मुट्ठ मारने लगी. मुझे हाथ में लिंग लेने का पहली बार का अहसास मिला था. मैं तो जीजा जी को वैसे भी पसंद करने लगी थी. इसलिए मेरे हाथ की पकड़ जीजा जी के लिंग पर कसने लगी. जीजा जी मुझे मजा दे रहे थे और मजे में मैं यह नहीं जान सकी कि लिंग को ज्यादा जोर से नहीं मसलना चाहिए. मैं तेजी के साथ उनके लिंग को ऊपर-नीचे करते हुए मुट्ठ मार रही थी. मैंने उनके लिंग को लाल कर दिया. अब जीजा जी ने भी चूत के दाने को काटना और चूसना तेज़ कर दिया. हम दोनों अब पानी छोड़ने वाले थे. देखते ही देखते अचानक मेरा पानी फिर से बह गया. जीजा जी का पानी अभी तक नहीं निकला था. वह मेरे मुँह के पास लिंग को ला कर चूसने को कहने लगे. मुझे चूसने के बारे में नहीं पता और मेरा मन भी नहीं कर रहा था उनके लिंग को अपने मुंह में लेने का मगर वो चाहते थे कि मैं उनके लिंग को मुंह में ले कर चूस लूँ. मैंने लिंग को मुंह में लेने से मना कर दिया. लेकिन वो बोले- देखो, मैं भी तो तुम्हारी योनि को चूस रहा हूँ. उनके कहने पर मैंने भी ऊपर से टोपे को मुँह में लिया और जीभ घुमाने लगी. जैसे ही मेरी जीभ उनके लिंग को टच हुई तो जीजा जी उछल पड़े और मेरी चूत को और जोर से चूसने लगे. अब मैं भी थोड़ा-थोड़ा करके आधा लिंग मुंह में भर कर चूसने लगी. कुछ देर के बाद मैं जीजा के लिंग को पूरा मुंह में लेने लगी थी. अब मुझे भी लिंग को मुंह में लेकर चूसने में मजा आ रहा था. मैं जीजा जी के लिंग को तेजी के साथ चूसने लगी थी. उनका लिंग बहुत ज्यादा टाइट हो गया था. मेरे साथ यह पहली बार था कि मैं किसी के लिंग को मुंह में लेकर चूस रही थी इसलिए मुझे नहीं पता था कि लिंग से कितनी देर में वीर्य निकलता है. मैं तो बस मजे से जीजू के लिंग को चूसने में लगी हुई थी. चार-पांच मिनट में ही जीजा जी का पानी निकल गया मेरे मुँह में. मुझे ऐसा अहसास होने लगा कि जैसे उल्टी होने वाली है. मैं भागकर बाथरूम में गई और मैंने वहाँ पर उनके लिंग से निकला हुआ पानी थूक दिया. वापस आकर मैं कपड़े पहनने लगी तो जीजा जी ने कहा- अभी तो आधा मजा ही लिया है साली साहिबा, रुको थोड़ी देर … फिर आपको असली मजा दूँगा. उसके बाद जीजा जी मेरी चूचियों को फिर से दबाने लगे. 15 मिनट के बाद फिर से उनका लिंग तन कर खड़ा हो गया. मुझे अपने पास बुलाकर बोले- आजा जानम, आज तुम्हें सुहागदिन का मजा देता हूँ. मैंने कहा- मुझे डर लगता है जीजू. वो बोले- चिंता मत कर, मैं आराम से करूँगा. जीजा जी ने मुझे गोद में उठाकर पलंग पर लेटा दिया और मेरे पैरों को ऊपर उठाकर जीभ से मेरी फुद्दी को गीला करने लगे. जब पूरी तरह से मेरी फुद्दी गीली और गर्म होकर फूल गई तो जीजा जी कहने लगे कि जान … थोड़ा सा दर्द हो सकता है पर मैं आराम से डालूँगा. तुम चिंता मत करना. ये बोलकर जैसे ही वो मेरी फुद्दी के ऊपर अपना मूसल लिंग लगाने लगे तो इसी बीच में डोरबेल बज गई. मैं अपने कपड़े समेट कर बाथरूम में भाग गई और जीजा जी ने मन ही मन में गालियाँ देते हुए लुंगी लपेट ली. मेरे बाथरूम में छिप जाने के बाद जीजा जी ने गेट खोला तो सामने हमारी पड़ोसन खड़ी थी. जीजा जी ने पूछा- क्या काम है? तो वो बोली कि उसे मिक्सी चाहिए. वह जीजा जी को ध्यान से देखने लगी. उनकी लुंगी अभी भी ऊपर उठी हुई थी और अंदर से जीजा जी ने अंडरवियर भी नहीं पहनी हुई थी. उनकी लुंगी को उनके तने हुए लिंग ने ऊपर उठा रखा था. जीजा जी थोड़े से घबरा भी गये थे. वे सोच रहे थे कि क्या करें और क्या न करें. मगर पड़ोसन सामने खड़ी होकर उन पर नजर गड़ाए हुए थी. जब कुछ पल तक जीजा जी ने कोई जवाब न दिया तो पड़ोसन ने खांसते हुए फिर से पूछा- मिक्सी कहाँ पर रखी हुई है. वह अभी भी चोर नजरों से जीजा जी के लंड की तरफ ही देख रही थी. जीजा जी को मुश्किल हो रही थी. एक तरफ तो उनका चुदाई करने का मूड बना हुआ था और कहाँ बीच में ये पड़ोसन आकर टपक पड़ी. दूसरी बार पड़ोसन के पूछने पर जीजा जी ने झुंझलाते हुए जवाब दिया. जीजा जी ने कहा- मुझे पता नहीं कि कहाँ पर रखी हुई है. पड़ोसन बोली- आपकी साली जी कहाँ है? उनको शायद पता होगा. वो बोले- वो नहा रही है. इतना सुनने के बाद भी वह पड़ोसन वहीं पर खड़ी रही. जीजा जी ने फिर से पूछा- कुछ और चाहिए क्या आपको? पड़ोसन समझ गई कि जीजा जी उसको वहाँ से जाने के लिए कहना चाहते हैं. वह वापस चली गई और जीजा जी ने दरवाजा बंद कर लिया. उनका लिंग अब तक नीचे बैठ गया था. बड़ी मुश्किल से जीजा जी ने उस पड़ोसन से पीछा छुड़ाया. उसके बाद बच्चों के आने का टाइम भी होने वाला था और जीजा जी का भी मूड खराब हो गया था. जीजा जी उसी दिन मेरी चूत की चुदाई करना चाहते थे मगर उस पड़ोसन ने आकर सारा खेल खराब कर दिया. हम दोनों का ही मूड खराब हो गया था लेकिन किया भी क्या जा सकता था, इसलिए दोनों ने अपने कपड़े पहन लिये. मुझे उनको चिढ़ाने का एक मौका मिल गया और हम दोनों का सुहागदिन अधूरा रह गया. सुहागदिन भले ही अधूरा रह गया था मगर जीजा जी का लिंग देखने की इच्छा पूरी हो गई थी. बल्कि उससे भी ज्यादा मुझे लिंग को चूसना और चूत चटवाना आ गया था. जीजा ने मुझे मजा तो दे दिया था इसलिए अब अगली बार का इंतजार करना मुश्किल हो रहा था. मैं जीजा जी का लिंग अपनी चूत में लेकर उसका अहसास करना चाहती थी. मैं जानना चाहती थी कि योनि में लिंग जाने पर चूत में कैसे मजा आता है. मगर उसके लिए मुझे पता नहीं अब और कितना इंतजार करना था. लेकिन इतना जरूर था कि जीजा जी के साथ मेरी रंगरेलियों की शुरूआत तो यहाँ से हो ही चुकी थी. अब बस चुदाई के दूसरे मौके का इंतजार करना था. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:34 AM
मस्त मस्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:34 AM
मस्त मस्त मस्त मस्त मस्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:34 AM
जीजा ने बुझाई साली की चूत की प्यास
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:35 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:35 AM
(This post was last modified: 03-02-2023, 08:50 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
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दिल्ली में एक कम्पनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हूँ. कुछ समय पश्चात मैंने नोएडा की एक कंपनी में जॉइन कर लिया था। नोएडा में मेरी पत्नी की बड़ी बहन यानि मेरी बड़ी साली भी अपने परिवार के साथ रहती थी. मेरे साढू साहब एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में सुपरवाइजर हैं और उनकी एक 2 साल की बेटी भी है, मैंने उन्हीं की बिल्डिंग में उनके ठीक ऊपर वाले फ्लोर पर शिफ्ट कर लिया. मेरे वहाँ पहुंचने से मेरी पत्नी और उसकी बहन बहुत खुश हो गईं क्योंकि मेरी पत्नी को अपनी बहन का साथ जो मिल गया था. हम लोग खुशी-खुशी वहां रहने लगे। इसी दौरान मेरी पत्नी की तबियत काफी खराब रहने लगी. उसे वहां का मौसम सूट नहीं कर रहा था जिस वजह से उसे मुझे अपने पुराने घर पर छोड़ना पड़ा। पत्नी के जाने के बाद मैं अब बिल्कुल अकेला था इसलिए घर का सारा काम जैसे खाना बनाना, साफ-सफाई करना और यहां तक कि अपने कपड़े भी मुझे खुद ही धोने पड़ते थे. कई बार घर आने में देरी भी हो जाती थी तो खाने की भी समस्या हो जाती थी। मेरी पत्नी की बहन जिन्हें मैं भाभी कहता था वो बहुत ही अच्छे स्वभाव की महिला थी, वो मेरा काफी ख्याल रखती थीं. अक्सर सुबह निकलते समय और शाम को वापस आने के समय वो मेरे लिये चाय बना कर दे जाती थीं, कई बार शाम को देर होने पर मेरे लिए खाना भी बना देती थीं. मैंने उन्हें कई बार संकोचवश मना भी किया लेकिन वो मानती नहीं थीं। इसी बहाने से कई बार हम दोनों का एक साथ बैठना हो जाता था. चूंकि वो मेरा ख्याल रखती थी इसलिए मैं भी उसकी बेटी के लिए कई बार चॉकलेट या आइसक्रीम ले जाता था, जिससे वो बहुत खुश होती थी. अक्सर आफिस से लौट कर कुछ पल उसकी बेटी के साथ थोड़ी देर खेल कर और चाय पीकर मैं अपने रूम में जाता था, इस बहाने हम लोगों में थोड़ी थोड़ी नजदीकियां बढ़ने लगीं। उनके पति हमेशा रात में 10 बजे के बाद ही आते थे और कई बार तो उनकी नाईट ड्यूटी भी होती थी. आफिस से आने के बाद कई दफा हम लोग काफी देर तक साथ बैठ कर बातें करते थे। उनके पति बेहद लापरवाह और अजीब मानसिकता के व्यक्ति थे जिससे वो बहुत परेशान रहती थी. यह बात उसकी पत्नी ने मुझे तब बताई जब हम लोगों की दोस्ती बढ़ने लगी. इस वजह से मैं भाभी का और अधिक ख्याल रखने लगा था जैसे कि उनके बाजार के छोटे-मोटे काम कर देता था. कई बार फोन में बैलेंस रिचार्ज करवाने चला जाता था. उसका भरोसा मुझ पर बढ़ता जा रहा था. एक दिन की बात है जब मैं ऑफिस से लौटा तो वो बुरी तरह बुखार से तप रही थी, उन्होंने अपने पति को कॉल किया तो उन्होंने आने से मना कर दिया. उसकी हालत काफी खराब थी और वो रो रही थी. उसकी हालत मुझसे देखी न गई और मैं उसको डॉक्टर के पास ले गया और दवाई दिलवा कर ले आया. फिर वापस आकर मैंने उनके लिए व उनकी बेटी के लिए खाना तैयार करके दिया। अगले दिन भी उनके पति के जाने के बाद उनके लिए बाजार से फल लाकर दिए. बीच-बीच में कॉल करके मैं भाभी का हाल- चाल भी पूछता रहा. शाम तक वो ठीक हो चुकी थीं. मेरे इस व्यवहार से वो बहुत खुश हुई. उसने मेरे वापस आते ही मुझे चाय पिलाई और मेरे पास बैठ कर काफी देर तक बातें करती रही और उनके पति के बारे में बात करते हुए रोई भी. वो अपने पति की बेदर्दी से काफी दुखी थी. फिर मैंने उनको समझाया तो वो शांत हुई. रात का खाना हम लोगों ने साथ में ही खाया. अगले दिन ऑफिस की छु्ट्टी थी. उस दिन सुबह नाश्ते से लेकर लंच तक हमने साथ ही किया. फिर वो कहने लगी कि उसे कुछ रोज़ की जरूरतों का सामान चाहिए है इसलिए हम लोगों ने बाजार जाने का प्लान किया. हमने साथ में ही शॉपिंग की और फिर गोल गप्पे भी खाये. उसके बाद हम दोनों ने पार्क में साथ बैठ कर काफी सारी बातें भी कीं. उस दिन हमने बाहर खाना भी खाया. वापस घर आकर उसने अपने पति के लिए खाना बना दिया. अगले दिन उनके पति की नाईट शिफ्ट थी इसलिए वो दिन भर घर पर ही रहे. फिर शाम को 8 बजे वो ड्यूटी पर चले गए. जब मैं आफिस से लौटा तो उनकी बेटी को खाना खिलाने के बहाने वहीं रुक गया. उन्होंने फिर मुझे जाने ही नहीं दिया. हमने एक साथ बैठ कर खाना खाया और काफी देर साथ में बैठ कर बातें करते रहे. हम एक दूसरे के साथ बातचीत में काफी खुल गए थे तो बातों ही बातों में मैंने मजाक में उनसे पूछा कि आपके हस्बैंड सुबह 8 बजे चले जाते हैं और रात में 10-11 बजे आते हैं, कई बार नाईट शिफ्ट भी करनी पड़ती है, तो फिर आप लोग ‘वो’ कब करते हैं? पहले तो वो मेरी बात का मतलब नहीं समझ पायीं और बोलीं- वो क्या? इस पर मैंने मुस्कुराते हुए अपने दोनों हाथों की उंगलियों को मिलाते हुए चुम्बन का इशारा किया. मेरे इस इशारे पर वो एकदम से शरमा गयीं और एकदम से बोलीं- हो… ये क्या कह रहे हो आप! मैं तो आप को सीधा साधा समझती थी और आप … ! उनका चेहरा शर्म से बुरी तरह लाल था और हल्की सी मुस्कान फैल गई थी. मैंने भी मजे लेते हुए कहा- क्यों सीधे लोग मजाक नहीं कर सकते क्या? और फिर आप तो …! वो बोली- आप रुक क्यों गये? मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो वो कहने लगी- मैं तो आपसे बड़ी हूँ, मेरे साथ ऐसा मजाक कैसे कर लिया आपने? इस पर मैंने भी तुरन्त कहा- आप तो मेरी भाभी हैं न. फिर मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहा- और आप बड़ी हो तो क्या हुआ, मेरी दोस्त भी तो हो. मेरा तो हक बनता है आपसे मजाक करने का. फिर मैंने थोड़ा सीरियस होकर कहा- आपको बुरा लगा क्या मेरी बात का? वो बोली- नहीं, बुरा तो नहीं लगा लेकिन थोड़ा अजीब लगा क्योंकि मेरे साथ किसी ने ऐसा मजाक किया नहीं था इससे पहले. मैं भी तपाक से बोल पड़ा- मगर मैं तो कर सकता हूं न! मेरे अलावा किसी और की हिम्मत है जो आपके साथ ऐसा मजा कर सके? इस बात पर हम दोनों ही हंस दिये. फिर मैंने दोबारा से पूछा- मगर मुझे अभी भी मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला है? मेरे ऐसा कहने पर उसने मेरे हाथ को नोचते हुए कहा- अभी बताती हूं तुम्हें, बेशर्म कहीं के! बहुत मार पड़ेगी अगर ऐसी बातें की तो मेरे साथ! कहते हुए उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया. अब मैंने भी जिद करते हुए पूछा- मार लो, लेकिन जवाब तो दे दो? वो शर्माते हुए बोली- ये भी कोई बताने की बात है. मैंने कहा- लेकिन दोस्तों को तो बताई ही जा सकती है. मेरी बात सुन कर वो एकदम से शांत हो गई. फिर कुछ सोचकर बोली- आप खुद ही समझ लीजिये. मैंने पूछा- क्या समझ लूं? उसने कहा- जब वो इतने बिजी रहते हैं तो फिर आप खुद ही समझ लीजिये कि कुछ होता होगा या नहीं. मैंने कहा- बिजी रहने का मतलब ये कब से होने लगा कि प्यार भी नहीं किया जायेगा? फिर मैंने दूसरा सवाल किया- अच्छा ये तो बता दो, कितने दिन से नहीं किया है? वो बोली- पिछले एक महीने से. मैंने हैरान होते हुए कहा- सच में? एक महीने से आप लोग कैसे रुके हुए हो? वो बोली- मतलब? मैंने कहा- मतलब ये कि आपका मन तो मचलता ही होगा तो फिर बिना किये कैसे रह लेते हो? मेरी इस बात पर वो बुरी तरह से शरमा गयी और कहने लगी- मेरे बारे में तो सब कुछ पूछ लिया और अपने बारे में कुछ नहीं बता रहे. मैंने कहा- मैं क्या बताऊं, मैं भी बहुत टाइम से बिना (सेक्स) किये रह रहा हूं. ऐसे ही मन को बहला लेता हूं. वो बोली- मन बहलाने का क्या मतलब है? मैंने कहा- बस मोबाइल में कुछ-कुछ देख कर अपने मन को बहला लेता हूं और खुद को संतुष्ट कर लेता हूं. मेरी इस बात पर उसने अन्जान बनते हुए पूछा- मोबाइल में ऐसा क्या देख लेते हो जो संतुष्ट हो जाते हो? अब मैंने भी शर्म छोड़ते हुए अपना मोबाइल फोन निकाला और पॉर्न वीडियो चला कर उसके सामने कर दिया. वो उसे देख कर बुरी तरह शरमा गयी और उसने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया. फिर बोली- आप ये सब भी देखते हो? मैंने तो आपको बहुत ही शरीफ इन्सान समझा था. मैंने कहा- क्यूं? इसको देखने में क्या बुराई है? सीधे सादे लोग मजा नहीं ले सकते क्या? वो मेरी बात सुन कर कुछ नहीं बोली और बस नजर को नीचे झुका कर बैठी रही. फिर कुछ देर तक हम दोनों में कुछ बात नहीं हुई. मैंने उसको गुड नाइट कहा और फिर अपने कमरे में चला गया. अगले दिन सुबह मुझे ऑफिस के लिए निकलना था. मैं सुबह उठ कर ऑफिस के लिए निकल गया और रात के 9 बजे वापस आया. आते हुए भाभी ने मुझे टोकते हुए पूछा- आज इतनी लेट? मैंने कहा- काम थोड़ा ज्यादा था आज. फिर उसने मुझे बैठने के लिए कह दिया और बोली- आ जाओ साथ में बैठ कर चाय पीते हैं. मैं उसके पास चला गया और वो चाय बना कर ले आयी. आज उसकी आवाज में एक अलग ही खनक सी थी और चेहरे पर जैसे एक चमक थी. उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी. चाय लाने के बाद हमने साथ में बैठ कर चाय पी. फिर हम दोनों के बीच में रोज की तरह बातें शुरू हो गई. उसने बताया कि आज रात को भी उसके पति की नाइट शिफ्ट है. वो बोली- तुम हाथ-मुंह धोकर बैठो, मैं तुम्हारे लिये खाना लगा देती हूं. उसकी बातों को सुन कर आज ऐसा लग रहा था जैसे वो मुझ पर अपना हक सा समझने लगी थी. मैं जल्दी से उठ कर अपने रूम में गया और फटाफट चेंज करके वापस आ गया. जब तक मैं वापस आया उसने खाना लगा दिया था. हमने साथ में बैठ कर खाना खाया और कुछ यहां-वहां की बातें करने लगे. बीच-बीच में मैं उसके हाथ के बने हुए खाने की तारीफ भी कर रहा था. वो मेरी बातें सुन कर काफी खुश हो रही थी. उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी दिखाई दे रही थी आज. मैंने कहा- आज तो आप बहुत खूबसूरत लग रही हो. फिर वो मुझे छेड़ने के मकसद से बोली- आज से क्या मतलब है तुम्हारा? बाकी दिन मैं खूबसूरत नहीं लगती हूं क्या? इस पर हम दोनों हंसने लगे. फिर मैंने भी उसको छेड़ने के अंदाज में कहा- खूबसूरत तो आप हो ही लेकिन आज आपका चेहरा कुछ ज्यादा ही चमक रहा है. लगता है कि साढू साहब ने आज आपको दिन में ही खुश कर दिया है. उसने मेरी बात पर शर्माते हुए मेरे हाथ पर चुटकी से काट लिया और हम दोनों साथ में हंसने लगे. वो बोली- आप भी न! पता नहीं क्या-क्या बोलते रहते हो! मैंने कहा- क्यूं, मैंने कुछ गलत कह दिया क्या? मेरी बात पर वो थोड़ी गम्भीर होते हुए कहने लगी- अरे आपके साढू साहब को इतनी फुरसत कहां है! इतना कहते-कहते वो उठ कर किचन की ओर जाने लगी. उसके जाने के बाद मैंने पास में ही रखे हुए उसके मोबाइल को उठा कर देखा. उसकी सर्च हिस्ट्री में कुछ पॉर्न साइट्स के लिंक मुझे दिखाई दे गये. ये देख कर मैंने उसके फोन को चुपचाप वैसे ही रख दिया. फिर मैं बिल्कुल अन्जान बन कर बैठ गया. वो जब वापस आई तो हमने फिर कुछ बातें कीं. कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद मैं उसको फिर से उसी विषय पर ले आया जिस विषय पर उसके जाने के पहले हम लोग बातें कर रहे थे. मैंने उसको दोबारा से छेड़ते हुए कहा- आपने उस बात पर उदास सा चेहरा क्यों बना लिया था? वो बोली- कौन सी बात पर? मैंने कहा- वही साढू साहब के खुश करने वाली बात पर? कुछ देर तक सोचने के बाद वो बोली- नहीं, आपने कुछ गलत नहीं कहा था. बस मैं ऐसे ही कुछ सोचने लगी थी. मैं दोबारा से जोर देकर पूछा- कुछ ऐसी-वैसी बात है क्या? वो कहने लगी- उनके पास मुझे देने के लिए वक्त ही कहां है. मैंने अपनापन जताते हुए कहा- आप ऐसे दुखी मत होइये वरना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा. इस पर वो उदास होकर अपनी सारी व्यथा मुझे बताने लगी, कहने लगी- सच कहूं तो उन्होंने कभी मेरी परवाह की ही नहीं. उनको मेरी खुशी से कुछ लेना-देना नहीं है. मैं समझ गया था कि वो बहुत परेशान है अपने पति की बेरुखी से. इसलिए मैंने दूसरा विषय छेड़ दिया. फिर कुछ यहां-वहां की बातें करने के बाद उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आई. फिर मैंने दोबारा से उसको छेड़ने के इरादे से कहा- मुझे पता चल गया था कि आज आपके चेहरे पर ये चमक कैसे आई आप इतनी खुश क्यों लग रही थीं! वो तपाक से बोली- क्या पता लग गया आपको? जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:35 AM
मस्त है क्या स्थिति है कि आप भी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:35 AM
इतनी जल्दी क्यों है
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:37 AM
अगले दिन सुबह जब मैं ऑफिस के लिए निकला तो देखा कि मेरे साढू साहब आ चुके थे और सो रहे थे. मुझे ऑफिस जाते देख मेरी साली कमरे के बाहर निकली और हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कराये.
फिर वो शरमा कर कमरे में चली गयी और मैं अपने ऑफिस चला गया। शाम को जब लौट कर आया तो उस टाइम भी मेरे साढू साहब घर पर ही थे क्योंकि उनका ऑफ था. इसलिए शाम को भी हमारी मुलाकात नहीं हो पाई। उस रात फिर अकेले बहुत तड़प हुई. मन कर रहा था बस अभी नीचे से उसे बुला लूं और जी भरकर मजे लूं. रात भर मैंने पिछली रात के उन हसीन पलों को याद किया और फिर हस्तमैथुन करके सो गया। अगले दिन मैं ऑफिस के लिए निकला तो मेरे साढू साहब अपने ऑफिस के लिए निकल चुके थे. मैं झट से उसके कमरे में घुसा और उसे अपनी बांहों में भरकर अच्छे से उसके गालों को काटा, उसके होंठों को चूसा और खूब देर तक बांहों में भींचा. वो भी मेरा बेसब्री से इंतजार कर रही थी इसलिए वो बहुत खुश हुई और मुझे जल्दी घर आने के लिए बोला। मेरा भी जाने का बिल्कुल मन नहीं कर रहा था. शाम को जब मैं लौटा तो वो एकदम तैयार होकर मेरे इंतजार में बैठी थी. मेरे कदमों की आहट सुनते ही उसने झट से कमरे का दरवाजा खोल दिया. मैं उसे सामने से मुस्कराता देख तुरन्त उसके कमरे में दाखिल हुआ और फिर उसे अपनी बांहों में भरकर चूम लिया. उसके बाद वो बोली- जल्दी से चेंज कर लो. मैं चाय बनाती हूं. मैं भी झट से चेंज करके नीचे आ गया और फिर हमने साथ में चाय पी और ढेर सारी मीठी मीठी बातें कीं. वो बहुत खुश थी और मैं भी। बातों ही बातों में वो मुझ पर हक जताते हुए बोली- अब आज से तुम्हारा लंच डिनर सब मैं ही तैयार करूंगी. घर का सारा काम देखूंगी. उसने इतने प्यार से कहा कि मैं भी इन्कार नहीं कर पाया. उसके बाद जल्दी से उसने मेरे लिए खाना रेडी किया और मैं उसके पति के आने से पहले खाना खाकर अपने रूम में चला गया। अब हम रोज ऐसे ही रहते. लगता था जैसे मानो हम पति-पत्नी हों। हफ्ते में मेरी दो दिन छुट्टी होती थी और महीने भर के अंदर उसके पति की कम से कम 4-5 नाइट शफ्ट लगती थी. उसके पति की नाइट शिफ्ट और मेरे वीक ऑफ के दौरान ही हम पूरी रात एक साथ समय बिताते थे. एक बार रात में हम एक दूजे की बांहों में थे. जी भर कर मजे लेने के बाद हम बात कर रहे थे कि काश कम से कम 2 से 3 रातें ऐसी हों कि जब हम जी भरकर रात में मस्ती करें. फिर सुबह जल्दी उठने की भी कोई टेंशन न हो। एक दिन ऊपर वाले ने हमारी सुन ही ली. मैं घर आया तो उसने ख़ुश हो कर बताया कि उसका पति 4 से 5 दिन के लिए काम के सिलसिले में बाहर गया है. ये सुन कर तो मेरी खुशी का ठिकाना न था। मेरा भी दो दिन बाद वीक ऑफ था तो मैंने कहा- मैं दो दिन की छुट्टी ले लेता हूँ और हम कहीं बाहर घूमने चलते हैं। वो भी ये सुनकर उत्साहित हो गयी. मैंने तुरन्त आफिस में छुट्टी के लिए मेल डाल दी और अर्जेंट में नैनीताल का प्रोग्राम सेट कर लिया. मैंने तुरंत वॉल्वो बस में रात की दो नैनीताल की टिकट बुक करवाई और नैनीताल में ऑनलाइन होटल भी बुक करवा दिया. झट से हम सुबह तक नैनीताल पहुँच गए। सुबह नैनीताल में होटल में चेक इन करने के बाद फ्रेश हो कर हमने 3 से 4 घण्टे आराम किया. फिर दोपहर 3 बजे हम लोग पैदल घूमने निकल गये. झील के किनारे घूमने के बाद शाम को हम होटल वापस पहुँचे और जल्दी से खाना खाकर उसने अपनी बेटी को सुला दिया. फिर हमने मस्ती शुरू की। मैंने उसे अपनी गोद में बिठा कर उसकी कमर और स्तनों को धीरे धीरे कपड़ों के ऊपर से ही सहलाते हुए उसके फूले फूले गालों को अच्छे से चूमा और धीरे धीरे अपने दाँतों से काटा. साथ में वो भी मुझे चूम रही थी. अपने हाथों से मेरे गाल और बालों को सहला रही थी. अपने होंठ उसके गालों पर फिराते हुए मैंने धीरे से उसकी गर्दन और कानों पर भी होंठ फिरा दिए. इससे उसे एकदम गुदगुदाहट हुई और वो एकदम मचल गयी. उसकी सांसें एकदम भांप की तरह गर्म हो चुकी थीं। फिर वो जल्दी से मेरी तरफ घूम गयी. अब मैंने उसे जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया. मेरे हाथ उसकी पीठ और कमर को सहला रहे थे और हमारे होंठ एक दूसरे के होंठों में जैसे सिल गये. मैंने उसके नाजुक होंठों को अपने होंठों से दबा कर बारी बारी से ऊपर और नीचे चूसा. बीच बीच में एक दूसरे के होंठों को अपने दांतों से काटा. उसकी जीभ को अपनी जीभ से टकराते हुए अपने होंठों और दांतों से दबाते हुए खूब चूसा. लगभग 20 मिनट तक लगातार बिना सांस लिए हमारे होंठ एक दूसरे के होठों में ऐसे ही फंसे रहे. हमारी सांसें एक दूसरे की साँसों में उलझी रहीं। भयंकर ठंड में बिना रूम हीटर के ही हम दोनों ही लोग पसीने से लथपथ थे। मैंने उसे लिपलॉक करने के बाद अपनी गोद में उठा लिया और उसे बाथरूम में ले गया. वहां बाथटब में गुनगुना पानी भर कर उसमें सोप का ढेर सारा झाग भर दिया. उस झाग वाले पानी की भीनी भीनी खुशबू हमारी मादकता को और बढ़ा रही थी. उसे बांहों में भर कर मैंने फिर ढेर सारे किस किये और धीरे धीरे एक एक करके उसके सारे कपड़े निकाल दिये और उसने मेरे। हम एक साथ बाथ टब में बैठ गए और फिर हमने पानी में मस्ती शुरू की. इस तरह से बाथटब में हमारा ये पहला अनुभव था. हम दोनों की उत्तेजना अपने चरम पर थी। हमारे गीले बदन आपस में रगड़ कर मानो पानी में आग लगा रहे थे. वो मेरी गोद में बैठी हुई थी. मैं अपने हाथों से उसके गदराए गीले बदन को मसल रहा था. दोनों हाथों से उसके गीले गीले स्तनों को मसल रहा था और मेरे होंठ उसके गीले गालों पर रेंग रहे थे. उसके मुंह से सिसकारियां निकल रहीं थीं. फिर मैं एक हाथ से उसके मखमली स्तनों को दबा रहा था और दूसरे हाथ से उसकी कमर को सहलाते हुए हाथ को उसकी चूत पर फिराने लगा. साली की चूत को सहलाते हुए मैंने एक उंगली उसकी चूत के अंदर डाल दी. उंगली अंदर जाते ही वो एकदम से बहुत ही मादक आवाज में चिल्लाई- हाय दैयाआआ… आहहहह… आग लगा दी। मैंने तुरन्त उसके भीगे होंठों को अपने होंठों में फंसा लिया और जोर जोर से चूसने लगा. अब उसके होंठ मेरे होंठों में कैद थे और उसके भीगे भीगे मखमली स्तन मेरे हाथों में कैद थे. मेरी उंगली उसकी गर्मा गर्म चूत के अंदर हलचल मचा रही थी. इसी अवस्था में हम कम से कम 10 से 15 मिनट बने रहे और पानी में लगभग हमने 30 मिनट तक मज़ा लिया। इसके बाद हम लोग टब के बाहर निकल आये. वो मुझसे जोर से लिपट गयी. फिर हमने एक ही तौलिया अपने तन पर लपेट लिया और धीरे धीरे एक दूजे को चूमते चाटते हुए एक दूसरे के शरीर को पोंछा। इसके बाद मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया. गोद में लेकर मैंने उसके माथे और गालों पर चूमा. फिर मैंने अपने चेहरे से उसके मखमली स्तनों को मसलते हुए उसके साथ अठखेलियां करते हुए मैं उसे बिस्तर में ले गया। बिस्तर में मैंने उसे अपने ऊपर लिटा कर उसको अपने सीने से चिपका लिया. थोड़ी देर ऐसे ही चिपके रहने के बाद उसने मेरे सीने पर जोर से काटा और वो अपने होंठों में मेरे सीने की घुंडियों को दबा कर चूसने लगी. उसकी इस हरकत से मानो जैसे मेरे पूरे तन बदन में आग सी भड़क उठी. मैं उसके बालों को और पीठ को सहला रहा था. बारी बारी से मेरे दोनों निप्पलों को चूसने के बाद उसने बिना कहे मेरा लंड सहलाते हुए अपने मुंह में ले लिया और अच्छे से चूसने लगी. अब तो मैं जैसे पागल हो गया. मैं उसके बालों को सहलाते हुए जोर जोर से सिसकारियां लेने लगा। थोड़ी देर चुसवाने के बाद मैंने उसके मुँह से लण्ड को बाहर निकाल कर उसे अपने नीचे लिटा लिया और उसके गालों को चूमते हुए उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से खूब अच्छे से चूसा. वो पूरी तरह पागल हो गयी। उसके बाद उसकी नाभि को चूमते हुए मैंने उसकी गोरी गोरी जांघों को अच्छे से चाटा और फिर उसकी चूत को ऊपर से चाटते हुए अपनी जीभ उसकी चूत के होंठों के बीच में डाल दी. वो एकदम चिहुँक उठी. उसने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए. मैं अपनी जीभ से उसकी रसीली चूत का रस अच्छे से चाट रहा था। थोड़ी देर चाटने के बाद उसने जबरदस्ती अपने हाथों से मेरा मुंह अपनी चूत से अलग कर दिया. वो एकदम मदहोशी में बदहवास हो चुकी थी। मैंने उसे अपने नीचे दबा लिया और अपने शरीर को उसके नंगे बदन से रगड़ने लगा. हमारे तन से अंगारे बरस रहे थे. मैं उसके गुलाबी गालों को चूम रहा था और अपने लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ रहा था। वो एकदम नशीली आवाज में इठलाती हुई बोली- क्या मार ही डालोगे आज? जल्दी से समा जाओ ना! मैं उसे चूमते हुए बोला- कैसे? वो मेरे गाल पर काटते हुए बोली- जल्दी करो ना! मैं उसे छेड़ते हुए बोला- क्या करूँ? वो बोली- तुम्हें नहीं पता कि क्या करना है? मैं बोला- नहीं तो … तुम बताओ … मुझे क्या करना है? तुम जब अपने मुँह से बताती हो तो मेरा जोश दोगुना हो जाता है, बताओ ना? फिर मैं अच्छे से करूँगा. वो शरमाते हुए एकदम नशीली आवाज में धीरे से बोली- चोदो ना! मैं बोला- फिर से कहो! वो फिर से उसी अंदाज में बोली- मुझे चोदो ना प्लीज! मैंने तुरंत कॉन्डोम का पाउच उसे पकड़ा दिया. उसने मुस्कराते हुए कॉन्डोम निकाल कर मेरे लण्ड पर पहना दिया। मैंने अपना बायां हाथ उसके सिर के नीचे और दायां हाथ उसकी पीठ के नीचे लगाकर उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया. उसके माथे और गालों को चूमते हुए अपना लण्ड धीरे धीरे उसकी गीली गीली चूत पर रगड़ते हुए एक झटके में उसकी चूत में डाल दिया। मेरा लण्ड अंदर जाते ही वो बुरी तरह से उछल गयी और उसके मुंह से जोर की चीख निकल गई. वो मेरी पीठ को अपने हाथों से जोर जोर से सहलाते हुए नोंचने लगी. उसके मुँह से भांप जैसी गर्म सांसें और सीत्कार निकल रही थी. जोर जोर से निकलती उसकी आहें पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं। मैं उसके फूले फूले गुलाबी गालों को अच्छे से चूमते हुए धीरे धीरे उसकी चूत में झटके लगा रहा था. मेरा साथ देते हुए वो भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुद रही थी. उसने अपनी टांगों में मेरी कमर को जकड़ लिया. इससे पता नहीं क्यों मुझे और तेज उत्तेजना महसूस हुई. मैंने झटकों की गति तेज कर दी. अब तो वो जैसे पागल हो गयी. उसकी सिसकारियां पूरे कमरे में बहुत तेज़ गूँजने लगीं- ऊंहह … ऊंहह … हम्म … आह्ह … वाह्ह … आहाह … हाय … स्स्स … ऊई मा … आह्ह ओह्ह … फाड़ दी मेरी। उसने मेरे गाल को जोर से काट लिया. इतनी तेज सिसकारियां लेते हुए मैंने उसे आज पहली बार देखा था. वो चुदाई के नशे में एकदम चूर थी। इसी पोज में करीब 7 से 8 मिनट तक चुदाई करने के बाद मैंने उसको अपनी गोद में बिठा लिया और फिर गोद में बिठा कर झटके लगाए. हमारी जांघों के आपस में टकराने से जोर जोर से पट-पट की आवाजें आ रहीं थी. वो पूरी तरह बदहवास हो चुकी थी. इसके बाद उसने मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया और मेरे लंड को अपनी चूत में डाल लिया. अब वो मेरे ऊपर बैठ कर जोर जोर से झटके लगाते हुए मेरे लण्ड पर कूदने लगी. मैं उसकी कमर और चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से सहलाने लगा. अब तो वो और भी ज्यादा जोश में आ गयी. वो मेरे सीने पर अपने दोंनों हाथ टिका कर झटके लगाने लगी और नशीली आवाज में बोली- आज खुश कर दिया… तुमने एक सीधी सादी लड़की को बिगाड़ दिया. बहुत गंदे हो तुम…। यह बोलते हुए वो खिलखिला कर हँसी. लंड से चुदते हुए उसके चेहरे पर आनंद के भावों के साथ एक तृप्ति के भाव वाली मुस्कान तैर रही थी. ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे जन्नत का मजा मिल रहा है. वो अपने निचले होंठ को अपने दांतों से चबा रही थी. मैं नीचे से लेटा हुआ जोर जोर से झटके लगा रहा था। इसी बीच वो थक गई और मेरे ऊपर झुक कर मेरे सीने से लिपट कर लेट गयी. मैंने उसकी पीठ को सहलाते हुए उसे चूमा और करवट लेकर उसे फिर से नीचे कर लिया. हम दोनों की ही उत्तेजना अपने चरम पर थी. मैंने झटकों की गति बढ़ा दी. दो मिनट की चुदाई के बाद ही थोड़ी देर में उसकी चूत से पानी की धार निकल पड़ी और चूत ढीली पड़ गयी. एक मिनट बाद मैं भी झड़ गया. हम दोनों के बदन पसीने से लथपथ पड़े थे. ऐसा लग रहा था कि शरीर में जान ही न बची हो. मैंने उसे अपने सीने से चिपका कर अपने ऊपर लिटा लिया. 5 मिनट तक हम एकदम शांत ऐसे ही लेटे रहे. थोड़ी देर बाद जब हम नॉर्मल हुए तब वो मेरे ऊपर से खिसक कर मेरी तरफ करवट लेकर लेट गयी. हम दोंनो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये और फिर थोड़ी देर तक एक दूसरे को चूमते रहे. उसके बाद मैंने उससे पूछा- कैसा लगा? इस पर वो मुझे चूमते हुए बड़ी खुशी से बोली- बहुत अच्छा, सचमुच मुझे आज पहली बार अहसास हुआ कि ये इतना मजेदार होता है. आज पहली बार इतना अद्भुत और रोमांचक अहसास हुआ है सेक्स में। मैंने उसकी बात काटते हुए उसे छेड़ते हुए कहा- मतलब आज से पहले तुम्हें मेरे साथ कभी मज़ा नहीं आया? इस पर वो थोड़ा गम्भीर हो कर बोली- नहीं, मेरा ये मतलब नहीं था. तुम्हारे साथ तो मुझे हमेशा बहुत मजा आया लेकिन आज बहुत अलग अहसास हुआ. घर पर हमेशा डर लगता था कि कहीं कमरे के बाहर आवाज न चली जाए, कहीं कोई आ न जाये, और तुम्हें भी जल्दी से अपने रूम में पहुँचना होता था, लेकिन आज कोई बंदिश नहीं थी. आज मैंने पहली बार इतना खुल कर मजा लिया, सच में आज तुमने मुझे बहुत खुश कर दिया. उसके ऊपर आज तुमने ये पानी वाला एक्सपेरिमेंट करके तो सचमुच बिल्कुल आग लगा दी. उसके चेहरे पर गज़ब की मुस्कान थी. मैंने उसे चूमते हुए कहा- सच में … पानी में तो मुझे भी बहुत मज़ा आया. मैंने भी पहली बार पानी में मजा लिया. वो बोली- तुमने सोनम के साथ कभी पानी वाला ट्राई नहीं किया? मैंने कहा- नहीं। उसके साथ कभी मौका नहीं मिला. हाँ लेकिन शॉवर के नीचे हमने जरूर किया है. हम दोनों मुस्करा दिये. मैंने उसे छेड़ने वाले अंदाज़ में पूछा- आपके पति ने कभी आपके साथ ये ट्राई नहीं किया? ये सुनते ही उसके चेहरे के हाव भाव बदल गए. वो गंभीर हो कर बोली- मेरे पति? उनको तो बस रहने दो, उस आदमी ने आज तक सिर्फ मेरे कपड़े खराब करने के अलावा मेरे साथ कुछ नहीं किया. उसे ना ही प्यार की समझ है और ना ही सेक्स की. इस पर मैंने उससे पूछा- ऐसा भी क्या हो गया आपके साथ? वो और ज्यादा गम्भीर होकर बोली- उसने कभी ये समझा ही नहीं कि मैं क्या चाहती हूं. मैं मरूं-जियूँ, उससे उसे कोई लेना-देना नहीं. बस जब खुद का मन हुआ तो कपड़े उतार कर चढ़ गया मेरे ऊपर। इसके अलावा मैं सन्तुष्ट हुई कि नहीं उससे उसे कोई मतलब नहीं. बस अपना लंड खाली किया और मुँह फेर कर सो गया. सच तो ये है कि जब तक मैं गर्म होती थी वो उससे पहले ठंडा हो जाता था. फिर पूरी रात आग में मैं तड़पती थी. पहली बार अपनी सेक्स लाइफ में मैं तुम्हारे साथ ही झड़ी हूँ. ये सब बातें बताते हुए वो उदास हो गई थी. वो भावुक होकर बोली- सच में … तुम मेरी जिंदगी में नया बदलाव लेकर आये हो. तुमने ही मुझे जिंदगी में पति का प्यार और बिस्तर में मजा दिया है. तुमने ही मुझे वासना और प्यार का मतलब समझाया है. सही मायने में तुम ही मेरे असली पति हो. मैंने उसे चूमते हुए अपने ऊपर लिटा कर अपने सीने से चिपका लिया. कुछ देर में मुझे सीने पर गीलापन महसूस हुआ. मैंने देखा कि उसकी आँखों से आंसू बह रहे थे. मैंने उसके आँसू पोंछते हुए उससे कारण पूछा तो वो बोली- मुझे बहुत डर लगता है कि कहीं तुम मुझे छोड़ न दो. वो बोली- फिर तुम मेरी बहन के पति हो, इसलिए ये भी लगता है कि कहीं मेरी वजह से मेरी बहन का घर बर्बाद ना हो जाये. भले ही तुम मुझे रंडी समझना या अपनी रखैल बनाकर रखना लेकिन बस मुझसे दूर मत जाना. मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ. मैं उसे रोकते हुए बोला- कैसी बात कर रही हो? तुमने ऐसा कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा? मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ. बल्कि मैं तुम दोनों से ही प्यार करता हूं. अगर तुम मुझे पहले मिल गयी होती और दो पत्नियां रखने की इजाजत होती तो मैं तुमसे शादी कर लेता. उसे चूमते हुए मैंने कहा- तुम समाज की नजर में भले ही मेरी पत्नी न हो लेकिन मैं तुम्हें दिल से अपनी पत्नी ही मानता हूं और हमेशा तुम्हारा ऐसे ही ख्याल रखूंगा. फिर हमने एक दूसरे को अच्छे से किस किया. रात बहुत हो गयी थी. हम वॉशरूम जाकर एक दूसरे को धोकर वापस बाहर आ गये और नंगे बदन ही एक दूसरे से लिपट कर सो गये। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:38 AM
माही की शक्ति
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
03-02-2023, 08:40 AM
उस रात फिर हम दोनों लोग बिना कपड़ों के ही एक दूसरे से लिपट कर सो गए. सुबह उसकी बेटी के रोने की आवाज सुनकर हमारी आंख खुली. वो जल्दी से शॉल लपेट कर वाशरूम में गयी और कपड़े पहन कर आयी.
मैंने भी कम्बल के अंदर ही कपड़े पहने और फिर उसने अपनी बेटी को दूध पिलाया और हम लोग बारी बारी से वाशरूम जा कर रेडी हुए. ब्रेकफास्ट हॉटेल में ही करने के बाद हम नैनीताल घूमने निकले। हमने एक कैब हायर की और फिर पूरे दिन हम सभी टूरिस्ट प्लेसेस पर घूमे. दिन भर साथ में खूब मस्ती की. हमने साथ में शॉपिंग की, उसके और उसकी बेटी के लिए मैंने कपड़े खरीदे. सारा दिन मस्ती करने के बाद हम दोनों रात में 8 बजे होटल वापस पहुँचे. होटल में पहुँच कर हमने जल्दी से चेंज किया और अपने अपने घर पर बात की. उसने अपनी बेटी को दूध पिला कर सुला दिया. दिन में घूमते हुए हमने हर जगह कुछ न कुछ हल्का-फुल्का खा लिया था. पेट भरा हुआ था इसलिए रात का खाना खाने का मन नहीं कर रहा था. हम दोनों बेड पर बैठे हुए थे. फिर वो मेरी गोद में आकर बैठ गयी. मेरे सीने के दोनों ओर उसने मुझे अपनी बांहों से घेर लिया. मैंने उसके बालों को सहलाते हुए उसको कई चुम्बन दिये. उसके बाद हम दोनों पिछली रात के बारे में बातें करने लगे. वो बोली- कल तो यार सच में तुमने पागल ही कर दिया था. पहली बार मैंने इतना एन्जॉय किया वरना मेरे पति तो चार झटके लगा कर मुँह ढक कर सो जाते थे. मतलब इसके आगे भी कुछ होता है ये तो मुझे तुम्हारे साथ ही करने के बाद पता चला. अब तो पिछले एक साल से तो चार झटके भी कभी महीने में एक या दो बार ही नसीब होते थे. मैं उसकी इस बात पर ठहाके से हंस पड़ा और फिर हम दोनों ही हंस पड़े. मैंने उसे छेड़ते हुए कहा- और कल तो एक मिनट के लिए भी तुम्हारी आवाजें बन्द नहीं हुईं. इस पर वो बोली- हाँ यार, सच में … कल मैं बहुत चीखी, क्या करती, कंट्रोल ही नहीं हो रहा था. लग रहा था जैसे पूरे शरीर में अंदर बिजली का करंट दौड़ रहा हो. अंदर बहुत तेज झनझनाहट हो रही थी. तुम न मिलते तो मैं सच में जान ही न पाती कि सेक्स इतना मज़ेदार होता है? अभी तक तो ये एक सजा के जैसा लगता था क्योंकि हर बार में मैं बस या तो दर्द से कराहती थी, या फिर उसके झड़ने के बाद प्यास से सारी रात छटपटाती थी लेकिन संतुष्ट कभी नहीं होती थी. तुमने ही सच में मुझे फोरप्ले और ऑर्गेज़्म का मतलब समझाया है. मुझे उसकी बात सुन कर थोड़ा अजीब लगा. मैंने उससे पूछा- तो क्या वो कभी तुम्हारे साथ फोरप्ले भी नहीं करते? वो बोली- कुछ नहीं करते वो, बस सीधा कपड़े निकाले और बस डाल दिया. उसी दो चार मिनट के बीच में ही एक-दो किस कर लिए या सीने को मसल दिया बस! चार झटके मार कर अपना माल खाली किया और मुंह घुमा कर सो गए. ‘खैर जाने दो उसे, कल तुमने यार वो पानी वाला एक्सपेरिमेंट बड़ा मस्त किया. सच्ची यार मज़ा आ गया. इसीलिये मेरी बहन इतना मरती है तुम पर।’ मैंने कहा- लेकिन आपकी बहन आपके जितना मज़ा नहीं देती. इस पर वो चौंकते हुए बोली- ऐसा क्यों? मैंने बताया- आपकी बहन शर्माती बहुत ज्यादा है और मुंह में तो मेरा (लंड) कभी नहीं लेती। अब तो बहुत मुश्किल से उसे मैं लाइन पर लाया हूँ, वरना शुरू में तो उसका बिल्कुल मन ही नहीं करता था. इस पर वो बहुत तेज हँसी और बोली- पागल है वो एक नम्बर की. चूसने में तो सच में कितना मज़ा आता है. हाँ मगर, पहली बार जब तुमने मुँह में डाला था तो मुझे भी बहुत अजीब लगा था लेकिन बाद में बहुत मज़ा आने लगा. मिलने दो इस बार उसको, तब उसे अच्छी तरह समझाऊंगी कि ऐसे किसी मर्द के साथ कैसे पेश आते हैं. इस पर हम दोनों खूब हँसे. वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोली- आज का क्या प्लान है, आज क्या नया करोगे डार्लिंग? उसके इस अंदाज से मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया. मैंने उसके गालों को चूमते हुए उसके सुर्ख लाल होठों को अपने होठों में दबा लिया. उसकी कमर को अच्छे से सहलाते हुए उसके होंठों को अच्छे से चूसा. थोड़ी देर लिपलॉक करने के बाद मैंने उसके गालों पर धीरे से काटते हुए उससे कहा- आओ मेरी जान … आज फिर कुछ नया ट्राई करते हैं. यह कहते हुए मैंने अपनी जैकेट की पॉकेट से वोडका की बोतल निकाली और पास में रखे गिलास उठाये. बोतल देख कर वो चौंकते हुए बोली- ये क्या है? मैंने मुस्कुराते हुए कहा- कुछ नहीं, सॉफ्ट ड्रिंक है. वो बोली- कौन सी सॉफ्ट ड्रिंक? सीधे सीधे बताओ क्या है ये? मैंने उसे बताया कि ये वोडका है. उसने मेरे हाथ से बोतल छीन ली और ध्यान से देख कर एक दम से चौंकते हुए बोली- शराब!! मैंने मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिलाया. वो एक दम से बोली- हाय दैया! मुझे शराब पिलाओगे? मतलब कितना और बिगाड़ोगे मुझे? मैंने उसे बांहों में जकड़ लिया और उसे छेड़ते हुए कहा- मज़ा तो बिगड़ने में ही है मेरी जान … और फिर तुम ही तो कह रही थी कुछ नया करने के लिए! इस पर वो थोड़ा झुंझलाते हुए बोली- नहीं ये नहीं, नये का मतलब ये नहीं था कि तुम शराब पिला दोगे! मैं शराब नहीं पी सकती. मैंने उसे प्यार से मनाते हुए कहा- अरे मेरी जान, ये कोई वैसी शराब नहीं है, ये बिल्कुल कोल्ड ड्रिंक जैसी है. इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं है, ट्राई करके देखो, बहुत मज़ा आएगा. वो फिर भी मना करती रही. मगर मैंने उसके गालों पर मीठी मीठी किस देते हुए, उसकी चूचियों को हल्के हल्के दबाते हुए उसे ड्रिंक करने के लिए मना ही लिया. फिर मैंने एक गिलास में वोडका निकाल कर उसे चूमते हुए गिलास उसके होंठों से लगाया. उसने पहले होंठ नहीं खोले. मैंने धीरे से उसके गालों को चूमते हुए उसके स्तनों को धीरे से एक साथ में जैसे ही मसला वैसे ही उसने अपने होंठों को खोल दिया. मैंने तुरन्त उसके होंठों में गिलास अंदर करके उसे एक सिप करवा दी. पहली सिप में वो थोड़ी असहज हो गयी. उसको दारू का स्वाद अच्छा नहीं लगा. इतने में ही मैंने एक सिप और करवा दी. उसके बाद उसे चूमते हुए बाकी बची हुई पैग मैंने पी ली। मैंने उससे पूछा- कैसा लगा? इस पर वो धीरे से मुस्कराई. हम एक दूसरे को चूमने लगे. धीरे धीरे उस पर खुमारी चढ़ने लगी। मैंने उसके स्तनों को धीरे से मसलते हुए उसकी गर्दन पर काटा और धीरे धीरे उसके ब्लाउज के हुक खोल कर उसका ब्लाउज उतार दिया. अब उसकी सांसें गर्म होने लगी थीं. मैंने धीरे से उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी टाँगें सहलाते हुए उसकी गोरी गोरी जांघों पर हाथ फेरते हुए उसकी साड़ी निकाल दी. धीरे से उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे भी निकाल दिया. मेरी साली अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। उसने मुझे चूमते हुए मेरे सारे कपड़े एक एक करके निकाल दिए और मुझसे लिपट गई. मैंने उसकी पीठ सहलाते हुए उसकी ब्रा के हुक खोल दिये. धीरे से उसकी ब्रा को उतार कर अलग रख दिया. अब मेरे हाथ उसकी पैंटी की ओर चले तो उसके हाथ मेरी कमर पर मेरे अंडरवियर की ओर बढ़े. मैंने उसकी पैंटी खींची और तभी उसने मेरे अंडरवियर को भी खींच दिया. हम दोनों नीचे से भी नंगे हो गये. मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया. गोद में बिठा कर मैंने अपने दोनों हाथों से उसके स्तनों को मसलते हुए उसके गुलाबी गालों को किस किया. वो एकदम गर्म हो चुकी थी। मैंने फिर से गिलास में पैग बना कर फिर से उसके होंठों से लगाया. उसने थोड़ी पीने के बाद अपने हाथों से मुझे पिलाई. इस तरह हम दोनों ने पूरी बोतल एक साथ खाली कर दी। अब दोनों पर शराब की खुमारी अच्छे से चढ़ गई। मैंने उसके गालों को चूमते हुए और उसके स्तनों को मसलते हुए एक हाथ से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया. धीरे से मैंने मेरी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी. मेरी उंगली अंदर जाते ही वो जोर से चीखी- आह … ओह्ह! मैं धीरे धीरे अपनी उंगली अंदर बाहर करने लगा. वो बेचैन होकर और भी तेज तेज सिसकारियां लेने लगी. फिर एक दम नशीली आवाज में बोली- ओह्ह … आह … तुमने आज मुझे शराबी बना दिया. एकदम से पूरी तरह बिगाड़ दिया मुझे. मैं उसके गाल काटते हुए बोला- बिगड़ जाओ मेरी जान … बिगड़ने में ही तो मजा है. फिर उसने अपने हाथ से मेरी उंगली अपनी चूत से बाहर निकाल कर मुझे धक्का मार कर नीचे लिटा दिया. फिर अपने हाथ में मेरा लण्ड पकड़ कर जोर से सहलाने लगी. मेरी भी सिसकारी निकलने लगी. अगले ही पल मेरी चुदासी हो चुकी साली ने मेरे लंड को मुंह में भर लिया. वो मेरे लंड को जोर जोर से चूसने लगी. थोड़ी देर चूसने के बाद वो मेरे ऊपर आ गयी. मेरे सीने पर काटते हुए मुझसे लिपट गयी. मैं अपने हाथों से उसके चूतड़ों को मसलने लगा. थोड़ी देर मुझसे लिपटे रहने के बाद वो मेरे सीने को चूमने लगी. मेरे पूरे शरीर में आग लग गयी. मैंने उसे करवट लेकर अपने नीचे कर लिया. अपने शरीर को उसके शरीर से रगड़ते हुए एक एक करके उसके स्तनों को चूसने लगा. वो अब जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी और नशीली आवाज में एक दम देहाती अंदाज में बोली- हाय दैया… आग लगाय दई. मैंने उसके गाल चूमते हुए पूछा- कहाँ लगी है आग? वो मेरे चूतड़ों पर नाखूनों से नोंचते हुए बोली- ऊंहह … दैया रे दैया … मेरी चूत में लगी है आग। मेरी चूत की आग मुझे पागल कर देगी. अब वो पूरी तरह दारू और हवस के नशे में थी. उसकी बातों से मेरा नशा दोगुना हो गया था। मैंने उसके स्तनों को चूसने के बाद उसकी नाभि को चाटते हुए उसकी चूत पर किस किये और उसकी टाँगें चौड़ी करके उसकी चूत के होंठों में अपनी जीभ डाल दी. वो एकदम चिहुँक कर बोली- उईई दैया … चाट ले मेरी चूत … आह्ह … चाटे ले इसको … ऊईई अम्मा … आह्ह मेरी चूत। उसके इस पागलपन को देख कर मैं भी उसकी चूत में मजा देते हुए उसकी चूत को अच्छे से चाटने लगा. वो अपने हाथों से मेरे सिर को सहलाने लगी. उसके बाद उसने अपने हाथों से मेरा मुँह अलग कर मुझे ऊपर आने को कहा. मैं उसके ऊपर आ गया और उसे चूमने लगा. वो नशे में बोली- जल्दी करो, तड़पाओ मत। मैंने पूछा- क्या करूं? वो पहली बार एकदम बिंदास अंदाज में बोली- चोद दो मुझे … स्स्स .. आआहह … मेरी चूत में अपना लिंग दे दो … मेरी चूत को चोद चोद कर फाड़ दो. उसके इस बेहद कामुक डायलॉग से मेरे तन बदन में आग लग गई. मैंने जल्दी से उसे कॉन्डोम पकड़ाया. उसने मेरे लण्ड को चूमते हुए मुझे पहनाया और जोर से सिसकारते हुए बोली- डालो जल्दी … जल्दी घुसाओ मेरी चूत में इसे। मैंने जल्दी से एक झटके में अपना लण्ड उसकी रसीली चूत में डाल दिया. वो एकदम चीख कर बोली- आह … हाय दैया. आह्ह मजा आ गया. मैंने अपना एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे और दूसरा उसकी पीठ के नीचे लगा कर उसे बांहों में फंसा लिया. उसके गुलाबी गालों को चूमते हुए उसकी मखमली चूत में धीरे धीरे मैं अपने लंड के धक्के लगाने लगा. मैं चूत में लंड जाने का आनंद लेते हुए मस्त झटके लगा रहा था. वो भी मेरे गालों को चूमते हुए मेरी पीठ को अपने दोनों हाथों से सहला रही थी. साथ ही अपने चूतड़ उछाल उछाल कर बराबर मेरा साथ दे रही थी। अब उस पर शराब का नशा बुरी तरह चढ़ चुका था. एक तो शराब का नशा और दूसरा सेक्स का नशा. दोनों ही अपने चरम पर थे. उसे अपने तन बदन का बिल्कुल होश नहीं था. वो बराबर जोर जोर से सिसकारियां ले रही थी और बराबर कुछ न कुछ बड़बड़ा रही थी. आज पहली बार मैंने उसका ये रूप देखा था. उसके बिंदास अंदाज से मुझे भी बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था. मेरी चुदासी तड़पती साली के मुंह से निकली एक एक सिसकारी और एक एक शब्द मेरे अंदर मानो चिंगारी भड़का रहे थे। उसने मुझसे पोज चेंज करने को कहा तो मैंने उसे अपनी गोद में बैठा लिया. गोद में आते ही वो एक दम से मेरी पीठ नोंचते हुए चीखी- आह … आह … हाय दैया … स्स्स … चोद दो मुझे … फाड़ दो मेरी … आह्ह फाड़ दो। ये कहते हुए उसने मेरे होंठों में अपने होंठ फंसा लिये. अब मैं उसके होंठों को चूसते हुए और उसकी कमर को सहलाते हुए उसकी चूत में लम्बे लम्बे झटके लगा रहा था। थोड़ी देर ऐसे ही करने के बाद मैंने उसे पोजीशन बदलने के लिए कहा. मैंने उसे घोड़ी बनने के लिए कहा. वो मुस्कराई और घोड़ी वाली पोजीशन में आ गयी. मैंने उसकी कमर में हाथ फंसा कर पीछे से धीरे धीरे उसकी चूत में झटके देने शुरू किए. वो एकदम मचल गयी. एकदम से बोली- आह … आज तो तुमने मुझे कुतिया बना दिया … आह … हाय दैया … कुतिया हूँ मैं तुम्हारी … मुझे अपनी कुतिया बना कर चोदो … चोद डालो मुझे। चोद चोद कर मेरा रस निचोड़ दो. मैं उसे कुत्ते की तरह तेज तेज कमर चलाते हुए चोदने लगा. वो बदहवास सी होने लगी. थोड़ी देर के बाद उसने मुझे ऊपर आने के लिए कहा। मैं नीचे लेटा गया और वो मेरे लंड के ऊपर बैठ कर झटके लगाने लगी और मुस्करा कर बोली- मुझे इस पोज में बहुत मजा आता है क्योंकि ऐसा लगता है जैसे मैं तुम्हें चोद रही हूं. उसकी इस बात पर हम दोनों एक साथ हँसे मगर एक चुदास भी बढ़ गयी. औरत का इस तरह से मर्द को चोदने की बात कहना अपने आप में ही बहुत कामुक लगता है. फिर उसने अपने दोनों हाथ मेरे सीने पर टिका दिये और मैं अपने दोनों हाथों में उसके स्तनों को लेकर मसलने लगा और वो चुदती रही. थोड़ी देर बाद वो मेरे ऊपर झुक कर मेरे सीने से लिपट गयी. फिर मैंने एक नई पोजीशन ट्राई करने के लिए कहा. मैं उसे गोद में लेकर खड़ा हो गया और मैंने अपने दोनों हाथ उसकी जांघों के नीचे फंसा कर उसे ट्री पोजीशन में चोदना शुरू किया. अब तो वो बुरी तरह चीख कर बोली- ओह्ह… आज तो तुमने मेरी चूत का चिथड़ा बना दिया. थोड़ी देर ऐसे ही चुदने के बाद वो बोली- जल्दी से बिस्तर में लेटो, वरना मर जाऊंगी मैं! हाय दैया स्स्स … आह्ह जल्दी करो। फिर मैंने उसे बिस्तर में लिटा कर शुरूआत वाली पोजीशन में ही चोदना दोबारा से शुरू किया. हम दोनों में से कोई भी झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था. दोनों लोग जम कर मजा ले रहे थे. हम दोनों के जिस्म पसीने में लथपथ हो चुके थे. मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी. मैं अब लम्बे लम्बे धक्के देने लगा. मेरा लंड उसकी चूत में पूरी गरहाई तक टकराने लगा. वो मजे से अपने टाँगें मेरी कमर में लपेट कर सिसकारियां लेती रही. फिर मैंने उसे गालियाँ बकने को कहा. वो बोली- नहीं, मैं तुम्हें गालियां नहीं बक सकती. मैंने पूछा- क्यों? वो बोली- क्योंकि तुम बहुत स्वीट हो. मैंने कहा- नहीं, प्लीज़ मुझे गालियां दो, मुझे बहुत मजा आएगा. इस पर वो थोड़ी देर मनाने के बाद एकदम से बोली- बहनचोद। अचानक उसके मुंह से निकली इस गाली पर हम दोनों खिलखिला कर हँस पड़े. उसके मुँह से गाली सुनकर तो मेरा नशा और बढ़ गया. फिर मैंने उसे और गाली देने को कहा. अब तो वो एकदम बिंदास हो कर बोली- भोसड़ी के … चोद मुझे … मादरचोद … चोद डाल … आह … आह … चोद दे मुझे बहनचोद। उसके मुँह से गालियाँ सुनकर मैंने और तेज झटके लगाने शुरू कर दिए. अब वो मुझसे गालियां देने को बोली. मैं बोला- साली रण्डी … साली बहनचोद … मेरी कुतिया. मेरे मुंह से गालियां सुनकर वो जोर से हँसी और मेरा साथ देते हुए बोली- और बुलाओ … मुझे ऐसे ही और बुलाओ … बहुत मजा आ रहा है. मैं रण्डी हूँ तुम्हारी। हम दोनों अब क्लाइमेक्स पर पहुँचने ही वाले थे. मैं बोला- साली रण्डी, मैं तेरी मां चोद दूँगा. इस गाली पर वो मेरे सीने पर जोर से नोंचते हुए बोली- बहुत गंदे हो तुम … हम दोनों बहनों को चोद कर मन नहीं भरा जो मेरी माँ भी चोदोगे? इस पर हम दोनों जोर से हँसे. मैंने मन ही मन में सोचा- तुम्हारी माँ तो में पहले ही चोद चुका हूँ. इसके बाद मैंने एक और जोरदार झटका लगाया. वो एकदम चीखी- हाय दैया रे … फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए। हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कराये और एक दूसरे को किस करके हम नंगे बदन लिपट कर सो गए। इस तरह से उस रात मैंने अपनी साली को दारू पिला कर चोदा. दोनों को ही इस नशे में चुदाई करने में बहुत मजा आया. अब मेरी साली मेरे साथ चुदाई करने में भी खुलने लगी थी. धीरे धीरे वो एक चुदक्कड़ औरत बनने की ओर कदम बढ़ा रही थी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
17-01-2024, 06:50 PM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-03-2024, 03:48 PM
Good story
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