02-02-2023, 03:04 PM
ससुर बहू की चुदाई
A NEW SERIES
THANKS
.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
Adultery ससुर बहू की चुदाई
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02-02-2023, 03:04 PM
ससुर बहू की चुदाई
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THANKS
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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02-02-2023, 03:37 PM
(This post was last modified: 02-02-2023, 04:08 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
कहानी में पढ़ते हैं कि क्या नैना और उसके ससुर के बीच कुछ हो पाया था या.........
अभी तक मैंने और आपने भी बहू और ससुर के बीच चुदाई की बहुत सी कहानियां पढ़ी होंगी. आज तक मैं इस प्रकार की कहानियों पर ज्यादा यकीन नहीं करती थी क्योंकि ज्यादातर कहानियां मुझे बनावटी ही लगती थीं. अपने जान पहचान में भी मैंने कभी ऐसी घटना के बारे में नहीं सुना था, जिसमें ससुर और बहू के बीच में शारिरिक सम्बन्ध हुए हों. मेरी नजर में ये ऐसा रिश्ता है, जिसमें सेक्स होना बेहद मुश्किल है. लेकिन दोस्तो, मेरा ये नजरिया गलत निकला और अब मैं ये पूरे विश्वास के साथ कह सकती हूं कि हॉट लड़की की वासना, जिस्म की प्यास एक ऐसी प्यास है, जिसे बुझाने के लिए इंसान किसी भी हद तक जा सकता है और वो सारे रिश्ते नाते भूल सकता है. इस घटना ने मुझे पूरी तरह से चौंका दिया था. आज जो कहानी मैं आप लोगों के साथ साझा करने जा रही हूं, यह पूरी तरह से सत्य घटना है और अभी 2020 की ही है. मेरी एक बहुत खास सहेली है, जिसका नाम नैना है. हम दोनों ने 12 वीं तक एक साथ पढ़ाई की थी और उसके बाद दोनों का साथ छूट गया था. हालांकि हम दोनों हमेशा एक दूसरे के संपर्क में रहे, मैं उसकी शादी में भी गई थी. उसके ससुराल चले जाने के बाद से अभी कुछ दिन पहले ही मेरी और उसकी मुलाकात हुई क्योंकि देश में लॉकडाउन के कारण 2 साल वो अपने मायके नहीं आई थी. हम लोग अपनी अपनी जिंदगी के बारे में बातें कर रहे थे और साथ ही अपनी सेक्स लाइफ के बारे में भी बात कर रहे थे. शादी के पहले भी नैना ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स के काफी मजे लिए थे. हम दोनों पक्की सहेलियां थीं इसलिए एक दूसरे से हर चीज खुलकर बता देती थीं. मैंने भी अपने बारे में हर बात उसे बताई और उसने भी शादी के बाद कि सभी बातें मुझे बताईं. जब मैंने उसकी बातें सुनी तो मैं चौंक गई. पहले तो मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हुआ लेकिन उसने मुझे पूरे सबूत के साथ अपनी सच्चाई बताई और अपनी सच्चाई को साबित करने के लिए उसने मेरे सामने ही अपने ससुर से फोन पर बात भी की जिसमें उसने खुलकर अपने ससुर से चूत और लंड की बात की. इसके अलावा भी उसने मुझे कुछ प्राइवेट फ़ोटो भी दिखाए जिसमें नैना और उसके ससुर पूरी तरह से नंगे थे और एक दूसरे को चूम रहे थे. दोस्तो, वो एक बेहद ही गर्म प्रवृत्ति की लड़की है और चुदाई को इतना ज्यादा पसंद करती है कि चुदाई के बिना रह पाना उसके लिए मुश्किल है. जब मुझे यकीन हो गया कि वो जो भी बता रही है, वो सच है … तो मैंने सोचा क्यों न इसकी ये कहानी मैं अन्तर्वासना पर भेज दूँ. इसलिए मैंने उसे सब कुछ बताया कि मैं कहानियां लिखती हूँ और तेरी कहानी को भी मैं वहां भेजना चाहती हूं. इस पर उसने भी अपनी सहमति देते हुए मुझे हर एक बात बताई. छोटी से छोटी जानकारी भी उसने मुझे दी, जिसके आधार पर मैंने आप लोगो के लिए ये कहानी लिखी है. मुझे पूरा विश्वास है कि आपको ये कहानी जरूर पसंद आएगी. मैंने इस कहानी को लिखने में बहुत समय लिया है क्योंकि बीच बीच में मैं नैना से फोन पर जानकारियां हासिल करती रही और उसे कहानी में जोड़ती रही. नैना ने भी कहानी लिखने में मेरी काफी मदद की और मुझे हर वो छोटी से छोटी बात बताई, जिससे कहानी को और ज्यादा कामुक बनाया जा सकता था. अभी मेरी कलम और नैना की जुबान से आपके सामने सेक्स कहानी पेश है. मेरा नाम नैना है और मेरी उम्र 24 साल की है. मेरी शादी को हुए 3 साल हो चुके हैं लेकिन अभी मुझे और मेरे पति को बच्चा नहीं चाहिए … इसलिए हम लोग फैमिली प्लानिंग कर रहे हैं. मैं आपको अपने जिस्म के बारे में बता दूँ. मैं एक खूबसूरत लड़की हूं, बदन भरा हुआ है. मेरा रंग गोरा और फिगर 36-30-38 का है. मेरे जिस्म का मुख्य आकर्षण अंग मेरे बड़े बड़े दूध और बड़ी सी गांड है जिस पर किसी भी मर्द की निगाहें अटक जाना स्वाभाविक है. मेरे ससुराल में मैं, मेरे पति, एक देवर और मेरे ससुर जी ही हैं. मेरी सास का देहांत हुए 12 साल हो चुके हैं और परिवार में हम चार लोग ही रहते हैं. शादी के समय मेरे पति अपना खुद का एक बिजनेस चलाते थे लेकिन उसमें लगातार नुकसान होने के कारण उन्होंने उसे बंद कर दिया और शादी के 9 महीनों बाद ही वो सूरत में जाकर नौकरी करने लगे. वो वहां अकेले रहते हैं और घर पर हम तीन लोग ही रह गए. दोस्तो, जब से मैंने जवानी की दहलीज पर कदम रखा, तब से ही सेक्स मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया था. कॉलेज टाइम से ही मेरा एक बॉयफ्रेंड बन गया था, जिसके साथ मैंने चुदाई की शुरूआत कर दी थी. उसके बाद मेरे ही मोहल्ले में एक लड़के के साथ मेरा सम्बन्ध बना, जिसके साथ भी मेरा काफी समय तक जिस्मानी सम्बन्ध रहा. शादी के पहले ही मैं चुदाई करवाने की आदी हो चुकी थी. उसके बाद मेरी शादी हो गई और मैं अपनी ससुराल आ गई. इसके बाद मेरे पति के अलावा मेरा किसी के साथ कोई सम्बन्ध नहीं था. मेरे पति मुझे हर तरह से संतुष्ट कर देते थे, जिससे मुझे कभी किसी और मर्द की जरूरत नहीं पड़ी. शुरू के 9 महीने तक तो वो साथ में रहे लेकिन उसके बाद वो सूरत चले गए और मैं अपने देवर और ससुर जी के साथ घर पर अकेली रहने लगी. वो छह महीने में एक बार ही आते थे और मुश्किल से एक हफ्ते रुकने के बाद चले जाते थे. मेरी आदत ऐसी थी कि मुझे तो रोज ही चुदाई का सुख चाहिए था लेकिन अब वो मुझे नहीं मिल रहा था. मैं रात में अपने कमरे में अकेली बिस्तर पर लेटी हुई करवट बदलती रहती थी और जब कभी मुझसे सहन नहीं होता था तो अपनी उंगलियों से ही अपने आप को शांत करने की कोशिश करती. लेकिन उससे भी मेरी प्यास नहीं बुझती थी. धीरे धीरे समय आगे बढ़ रहा था और मेरे बदन की प्यास बढ़ती जा रही थी. कई बार मेरे दिमाग में आया कि किसी मर्द को अपना दोस्त बनाया जाए, जिससे मेरी प्यास वैसे ही बुझती रहे जैसे कि शादी से पहले बुझती थी. लेकिन यह बहुत मुश्किल काम था क्योंकि मेरे घर ऐसा कोई आता जाता भी नहीं था और मैं अकेली कहीं भी बाहर जाती नहीं थी जिससे मेरी किसी मर्द के साथ दोस्ती हो सके. दोस्तो, दुनिया में इंसान हर चीज को कंट्रोल कर सकता है लेकिन चुदाई की भूख ऐसी चीज है कि उसे कंट्रोल नहीं किया जा सकता. और ऐसी स्थिति में ही लोग सारे रिश्ते नाते भूल जाते हैं. मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ और मेरी गंदी निगाह मेरे देवर की तरफ जाने लगी. मेरा देवर जो कि मुझसे काफी छोटा है और उसकी उम्र 19 साल की है. वो दिखने में भी पतला दुबला है लेकिन हॉट लड़की की भूख ये सब भूल चुकी थी. मुझे बस वो एक मर्द नजर आ रहा था जिसके पास एक लंड था, जिसकी मुझे जरूरत थी. धीरे धीरे मैं वासना की मारी उसके ऊपर डोरे डालने लगी. देवर भाभी का रिश्ता भी मजाक का होता है जिससे किसी को शक भी नहीं होता था. घर पर मैं गाउन ही पहनती थी और उसे अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अन्दर ब्रा और चड्डी नहीं पहनती थी ताकि मेरा गाउन मेरे जिस्म पर चिपका रहे और मेरे अन्दर के अंग उसके सामने झलकते रहे. मैं जानबूझकर उसके सामने झुककर काम किया करती ताकि मेरे दूध उसे दिखे और उसके बदन में भी गर्मी आ जाए. उसके सामने जब मैं बिस्तर पर या सोफे पर लेटती तो अपने गाउन को घुटनों के ऊपर तक उठा लेती ताकि मेरी गोरी जांघ पर उसकी नजर पड़े. जब कभी भी मैं उसके साथ बाइक पर कहीं जाती तो उससे चिपक कर बैठती और अपने सीने को उसकी पीठ पर दबाती ताकि मेरे दूध का स्पर्श उसे मिले. अब ये मेरा रोज का काम हो गया था. जब भी ससुर जी घर पर नहीं होते तो मैं उसके सामने बार बार जाती और किसी न किसी बहाने से अपना अंग प्रदर्शन करती. लेकिन मेरे ऐसा करने का उस पर किसी भी प्रकार से कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था. वो एक पढ़ाकू किस्म का लड़का है और अपनी पढ़ाई में ही खोया रहता था. मेरे अंग प्रदर्शन करने से उसके अन्दर कुछ होता ही नहीं था. अब मैं सीधा उसका लंड तो पकड़ नहीं सकती थी. बस मुझे उसके द्वारा एक इशारे का इंतजार था लेकिन वो मुझे बिल्कुल भी भाव नहीं दे रहा था. कई महीनों तक मेरे द्वारा ये खेल चलता रहा लेकिन कोई परिणाम नहीं निकलता देख मैंने अब आर या पार करने की सोच ली. अब मैं ऐसा कुछ करना चाहती थी, जिससे कि मेरे देवर का दिमाग हिल जाए और वो मेरा दीवाना हो जाए. इसलिए एक दिन सुबह 10 बजे तक मैंने घर का सारा काम खत्म कर लिया. घर पर मैं और मेरा देवर ही थे और ससुर जी किसी काम से बाजार गए हुए थे. मेरा देवर सोफे पर लेटा हुआ टीवी देख रहा था. उसी समय मैं नहाने के लिए बाथरूम चली गई. करीब 20 मिनट नहाने के बाद मैं चड्डी और ब्रा पहनी और अपनी चड्डी को और ऊपर की ओर सिकोड़ ली, जिससे कि मेरे बड़े बड़े चूतड़ चड्डी के बाहर निकल आए. ऐसे ही ब्रा और चड्डी पहने हुए मैं बाथरूम से बाहर निकल आई. मैंने सोफे पर लेटे हुए अपने देवर को ऐसे अनदेखा किया जैसे कि मैंने उसे देखा ही नहीं था. बिना सोफे की तरफ देखे हुए हाथ में गीला तौलिया लिए मैं सोफे के सामने से गुजरी और थोड़ा आगे जाने के बाद जानबूझकर तौलिया नीचे फर्श पर गिरा दिया. सोफे की तरफ मेरी पीठ थी और मैंने झुककर तौलिया उठाया, उसके बाद मैंने एक उंगली से अपनी चड्डी को ठीक की, जो कि मेरी गांड के दरार पर घुस गई थी. मैं जान रही थी कि मेरे देवर की नज़र गांड से चड्डी ठीक करते हुए मुझ पर पड़ी होगी और उसने मेरी गांड को गौर से देखा होगा. चड्डी ठीक करते हुए मैं धीरे धीरे अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी. फिर मैंने सोचा कि पलटकर अपने देवर को देखूं कि उसका क्या हाल है. मैंने अपने बालों को झटकारते हुए अपना सर पीछे की तरफ किया और पीछे का नजारा देख कर मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरक गई. दोस्तो सोफे पर उस वक्त मेरा देवर नहीं बल्कि मेरे ससुर जी लेटे हुए थे और वो एकटक मुझे घूरे जा रहे थे. मेरी गांड फट गई और मैंने जोर से दौड़ लगाई और अपने कमरे में चली गई. कमरे में पहुंचकर मेरी सांसें तेजी से चल रही थीं, दिल की धड़कन अपने पूरी रफ्तार में थी. मेरे हाथ पैर कांप रहे थे. मेरे दिमाग में बस एक ही बात आई कि ये क्या हो गया. मेरा देवर कहां गया और ससुर जी वहां कब आ गए? मैंने अपना माथा ठोकते हुए खुद से कहा कि मुझसे ये क्या हो गया. ये सब देखकर ससुर जी क्या सोचते होंगे? मैं उनके सामने ब्रा चड्डी में कैसे चली गई और मेरी ऐसी गंदी हरकत देख वो क्या सोच रहे होंगे. मैंने अपने कपड़े पहने और काफी देर तक बिस्तर पर बैठकर इस घटना के बारे में सोचती रही कि अब कैसे बाहर जाऊं, ससुर जी क्या सोचेंगे. इधर खाना बनाने का समय होता जा रहा था और किसी तरह से मैं नजरें नीचे किए हुए बाहर निकली. उस वक्त बाहर कोई नहीं था और मैं जल्दी से किचन में चली गई. खाना बनाने के बाद मैंने नजरें नीचे किए हुए देवर और ससुर को खाना दिया और खाना खाने के बाद अपने कमरे में आ गई. कुछ दिनों तक मैं ऐसी कोई भी हरकत नहीं की क्योंकि मेरे अन्दर काफी डर समा गया था. लेकिन कुछ दिनों बाद मेरे अन्दर वासना का कीड़ा फिर से मचलने लगा. मैंने अपने देवर के सामने अपनी हरकतें फिर से शुरू कर दीं, लेकिन मेरी किसी भी हरकत का उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था. ऐसे ही एक दिन मैं गाउन पहने हुए घर का काम कर रही थी. उस दिन मैंने अन्दर चड्डी नहीं पहनी थी जिससे मेरा गाउन बार बार मेरी गांड की दरार में घुस रहा था. मैं बार बार अपनी गांड से गाउन को बाहर निकाल रही थी. उस वक्त मैं घर पर अकेली ही थी. फिर अचानक से मेरी गांड के छेद में जोरों से खुजली हुई और मैं उंगली से गाउन के ऊपर से ही छेद को जोर जोर से खुजाने लगी. उसी समय मेरे ससुर का आना हुआ और उन्होंने मुझे अपनी गांड खुजाते हुए देख लिया. जैसे ही मेरी नजर उन पर पड़ी, मैं तुरंत वहां से चली गई. मैं सोच में पड़ गई कि ‘हे भगवान … ये सब क्या हो रहा है. मेरी ऐसी हरकत बार बार ससुर जी क्यों देख लेते हैं.’ काफी दिनों तक ऐसा ही सब चलता रहा. फिर एक दिन मुझे पता चला कि मेरा देवर अपनी पढ़ाई के लिए बाहर जाने वाला है. उस दिन मेरी सारी उमीदें टूट गईं और मैं समझ गई कि अब मेरा कुछ नहीं हो सकता. कुछ दिन बाद ही मेरा देवर पढ़ाई के लिए बाहर चला गया और अब मैं और ससुर जी ही घर पर अकेले रह गए. मेरी जिंदगी भी पहले की तरह चलती रही और अभी भी मुझे अपनी उंगलियों का ही सहारा लेना पड़ता था. लेकिन दोस्तो, मैंने कई बार गौर किया कि ससुर जी का नजरिया पहले से बदल गया था. उनका मुझे देखने का तरीका मुझसे बात करने का तरीका, इन सबमें काफी फर्क आ गया था. अब वो हमेशा मेरे लिए कुछ न कुछ खाने के लिए लाने लगे, मेरे लिए साड़ी खरीद कर लाने लगे और यहां तक कि मेरे लिए गाउन भी खरीद लाते थे. इससे पहले वो कभी ऐसा नहीं करते थे इसलिए मुझे उन पर थोड़ा शक होने लगा था. अब जब भी मैं साड़ी पहनती तो उनकी नजर मेरे पेट पर और कमर पर टिक जाती थी. मैं घर का काम करती रहती और उनकी नजर मुझे ही देखती रहती थी. धीरे धीरे ऐसा होना शुरू हो गया कि जब भी मैं उन्हें चाय पानी देने जाती तो वो मेरे हाथों को छूने लगे. उनकी निगाहों में मुझे मेरे प्रति हवस साफ साफ दिखाई दे रही थी. मेरे ससुर की उम्र 54 साल है और वो शरीर से काफी हट्टे-कट्टे मर्द हैं. उनके शरीर पर बुढ़ापे का एक भी असर नहीं दिखाई देता और वो अभी पूरी तरह फिट हैं. लेकिन वो थे तो मेरे ससुर ही … और मैं उनके लिए ऐसी गंदी बात सोच भी नहीं सकती थी. अब कोई मुझे गलत समझे या सही … अपनी वासना से मजबूर होकर मैं भी उनके प्रति झुकने लगी. जिस्म की आग तो मेरे अन्दर भी लगी हुई थी और मैंने भी उनको जलाना शुरू कर दिया और मैं जानबूझकर उनके सामने झुककर काम करने लगी, जिससे मेरे बड़े बड़े गोरे दूध उनको नजर आए. धीरे धीरे मैं उनके साथ वैसा ही करने लगी, जैसा मैं अपने देवर के साथ किया करती थी. मेरे ससुर इस मामले में होशियार थे और वो मेरी इन हरकतों को अच्छे से भांप गए. जल्द ही वो मुझे देख कर मुस्कुरा देते और उन्हें देखकर मेरे चेहरे पर भी हल्की मुस्कुराहट आ जाती. अब हाल ये हो गया था कि दोनों के बदन पर बारूद लगा हुआ था, बस कमी थी उस बारूद में आग लगाने की. लेकिन पहल कोई भी नहीं कर रहा था दोनों के ही मन में एक दूसरे का डर था क्योंकि दोनों का रिश्ता ही ऐसा था और ऊपर से हम दोनों कि उम्र भी एक दूसरे से मेल नहीं खाती थी. मेरे ससुर मुझसे 30 साल के बड़े थे. इधर मैंने भी सोच लिया था कि अगर ससुर जी ने मेरे साथ कुछ करना चाहा, तो मैं उन्हें मना नहीं करूंगी क्योंकि मुझे अपने जिस्म की आग अब बर्दाश्त नहीं हो रही थी. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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02-02-2023, 04:16 PM
हालांकि ये चुदाई केवल दो मिनट की थी लेकिन मुझे यकीन था कि ससुर जी आगे अपना जलवा जरूर दिखाएंगे.
उनके लंड को देखकर ही मुझे अंदाजा लग गया था कि वो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर सकते हैं. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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02-02-2023, 04:20 PM
और ससुर जी एक बार चुदाई करने के बाद बिस्तर पर लेटे हुए थे.
मैंने तो चादर ओढ़ रखी थी लेकिन ससुर जी ऐसे ही खुले में नंगे लेटे हुए थे. जल्द ही उनका बड़ा सा लंड सिकुड़ कर बैठ गया. ससुर जी का बदन पसीने से भीग चुका था और वो आंख बंद किए लेटे हुए थे. मैं भी लेटी हुई पहली चुदाई के बारे में सोच रही थी. हम दोनों के बीच आज से एक नए रिश्ते की शुरूआत हो गई थी लेकिन इस रिश्ते को हम दोनों ही किसी के सामने नहीं ला सकते थे. मुझे खुशी इस बात की थी कि अब मुझे अपनी प्यास बुझाने के लिए घर पर ही एक लंड का सहारा मिल गया था. भले ही वो मेरे ससुर हैं और मेरे बाप की उम्र के थे लेकिन हम दोनों ही एक दूसरे की प्यास बुझाने के लिए यह सब कर रहे थे. मुझे इस बात का बिल्कुल भी पछतावा नहीं था क्योंकि अगर मैं बाहर किसी से चुदाई करवाती तो भी बदनामी होनी ही थी. इससे अच्छा है कि घर में ही मुझे अब सब कुछ मिल जाएगा. यही सब सोचते हुए मैं ससुर जी के लंड की तरफ देख रही थी जो कि सिकुड़ गया था और उसका सुपारा बाहर निकला हुआ मेरी तरफ ही था. इतने बड़े सुपारे को मैं पहली बार ही देख रही थी क्योंकि इतना बड़ा लंड और सुपारा न तो मेरे बॉयफ्रेंड का था और न ही मेरे पति का. कुछ देर बाद मेरे ससुर जी ने अपनी आंख खोली और मेरी तरफ देखा. मैंने शर्म से अपनी आंखें बंद कर लीं. उन्होंने मुझसे कहा- नैना, तुम चिंता न करो, ये सब बात कभी किसी को पता नहीं चलेगी हम दोनों ही इस बात को गुप्त रखेंगे. मैंने भी अपना सर हिलाकर सहमति जताई. इसके बाद ससुर जी ने मेरे चादर को एक झटके में हटा दिया और मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर खींच लिया. इसके बाद तो हम दोनों फिर से गुत्थमगुत्था होने लगे. कभी मैं ससुर जी के ऊपर आती, कभी वो मेरे ऊपर आते. इस तरह हम दोनों ही बिस्तर पर पलटते रहे. कुछ देर बाद हम दोनों रुके और मैं ससुर जी के ऊपर थी. मेरे बड़े बड़े दूध उनके सीने पर दबे हुए थे. उन्होंने मेरे सर को नीचे किया और मेरे होंठों को चूमने लगे. मैं भी उनका साथ देने लगी. ससुर जी अपने दोनों हाथों से मेरे उभरे हुए चूतड़ों को सहलाते हुए दबा रहे थे. फिर मेरे चूतड़ को फैलाकर अपनी एक उंगली को गांड के छेद पर रगड़ते हुए नीचे चूत तक ले जाते और उंगली को चूत में डाल देते. उनके बार बार ऐसा करने से मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और मैं अपनी जीभ ससुर जी के मुँह के अन्दर डालने लगी, जिसे वो बड़े प्यार से चूस लेते. मेरे पेट में उनका गर्म गर्म लंड महसूस हो रहा था जो कि अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था और उनका सुपारा मेरी नाभि में घुस रहा था. उनके लंड से निकल रहा चिपचिपा पानी मेरी नाभि को गीला कर चुका था. फिर कुछ देर बाद ससुर जी ने मेरे दोनों निप्पलों को अपने सीने के बगल से बाहर निकाला क्योंकि मेरे दूध उनके सीने में दबे हुए थे. वो मेरे दोनों निप्पल को चुटकी में लेकर मसलने लगे. ऐसा करने से मेरे बदन के अन्दर करंट सा दौड़ने लगा और मैं अपने दूध को उनके सीने पर रगड़ने लगी. उनके सीने पर बहुत बाल थे जिसके कारण जल्द ही मेरे दूध पर कई जगह जलन होने लगी. फिर ससुर जी ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और खुद घुटनों पर बैठ गए. उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किया. मैंने भी अपनी दोनों टांगें फैलाईं और उनकी कमर में टांग डालकर उनके गले में अपनी बांहें डाल दीं. ससुर जी ने नीचे से मेरे चूतड़ को एक हाथ से थामते हुए मुझे सहारा दिया और मुझे चूमने लगे. कभी गाल पर कभी गले पर, कभी होंठ पर कभी सीने पर. वो एक हाथ से मेरी गदराई हुई पीठ को सहलाते जा रहे थे. मैं भी आंख बंद किये उस हसीन पल का मजा ले रही थी. कुछ देर में ही मेरी चूत पानी से भर गई और टप टप करते हुए पानी ससुर जी के हाथ में गिरने लगा. ससुर जी ने उस पानी को मेरी गांड पर लगाने लगे. जल्द ही मेरी गांड पूरी तरह से चिपचिपा गई. अब ससुर जी ने अपने नीचे लगाए हुए हाथ की एक उंगली मेरी चूत में डाल दिया. ‘ऊईईई अम्मा … हाय आह.’ ससुर जी उंगली को अन्दर बाहर करने लगे जिससे कि पोच्च पोच्च की आवाज निकल रही थी. मैंने कहा- ये क्या कर रहे हैं आहह! ससुर जी- यही सब में तो मजा आता है, तू बस मजा लेती रह! कुछ देर तक ऐसे ही मैं उनसे लिपटी रही. फिर उन्होंने अपने लंड को चूत में रगड़ना शुरू कर दिया. वो बोले- ऐसे ही डाल रहा हूँ मजा आएगा. ऐसा बोलते ही उन्होंने लंड अन्दर डाल दिया और मेरी गांड को जोर से अपनी तरफ दबा लिया जिससे उनका पूरा लंड एक बार में ही अन्दर तक समा गया. ससुर जी ने मेरी कमर को थामा और मुझे ऊपर नीचे करने का इशारा किया. मैं अपनी कमर को नागिन की तरह लहराने लगी जिससे लंड अन्दर बाहर होने लगा. ऐसा मैंने कभी नहीं किया था और मुझे इस पोजीशन में काफी मजा आ रहा था. ससुर जी भी दोनों हाथों से मेरी गांड को थामे हुए गांड को आगे पीछे कर रहे थे और उनका लंड मेरी चूत में बिल्कुल अन्दर तक जा रहा था. इसके बाद ससुर जी ने मुझसे कहा- तुम घुटनों पर होकर बैठ जाओ. और मैं वैसे ही हो गई. वो मेरे पीछे आए और मेरी गांड की तरफ से मुझे जकड़ लिया. अब वो लंड चूत में डाल कर हल्के हल्के से मुझे चोदने लगे. इस पोजीशन में भी मुझे काफी मजा मिल रहा था लेकिन मैं चाह रही थी कि ससुर जी मुझे जोर जोर से चोदें जिससे मेरा पानी निकल जाए. कुछ देर ऐसे चोदने के बाद ससुर जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे दोनों पैरों को फैला दिया. एक बार फिर से वो मेरी चूत को चाटने लगे. उन्होंने मेरी चूत को हाथ से फैलाया और मेरे चूत के दाने, जिसे कुछ लोग लहसुन भी कहते हैं, उसे अपने मुँह में भरकर चूसने लगे. मुझे उस वक्त फुल सेक्स का असीम आनन्द मिल रहा था. ‘सीईईई ईई ऊईईई आह आह.’ की आवाज के साथ मैं उस मजे को ले रही थी. कुछ देर बाद ससुर जी मेरे ऊपर आ गए और उन्होंने एक झटके में अपना लंड चूत में पेल दिया. इस बार उनकी रफ्तार शुरू से ही काफी तेज थी और वो दनादन मेरी चुदाई शुरू करने लगे थे. मैंने बिस्तर की चादर को जोर से पकड़ लिया और आंख बंद किए हुई लंड का मजा लेती रही. सारा कमरा मेरी आवाजों से गूंज रहा था. ससुर जी ने मेरे एक हाथ को ऊपर की तरफ उठा लिया और मेरे अंडरआर्म को चाटने लगे. पूरा पलंग उनकी चुदाई से बुरी तरह से हिल रहा था. मेरी चूत पानी से भर गई थी और फच फच की आवाज निकल रही थी. इस पोजीशन में उन्होंने मुझे करीब 10 मिनट तक बुरी तरह से चोदा, जिससे मैं झड़ गई और उनसे लिपट गई. अभी भी ससुर जी मुझे चोदे जा रहे थे और उनका पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा था. कुछ देर बाद ससुर जी ने मुझे बिस्तर से बाहर उतार कर मुझे खड़ी कर दिया और मेरे पीछे आ गए. मेरी कमर को दोनों हाथ से थाम लिया और लंड मेरी गांड की तरफ से चूत में डाल कर जोर जोर से चोदने लगे. मुझे खड़े होते नहीं बन रहा था क्योंकि उनके हर धक्के से मैं आगे की ओर चली जाती थी. उन्होंने मुझे बुरी तरह से जकड़ लिया और अपनी पूरी ताकत से मुझे चोदने में लगे थे. इस बीच मैं दूसरी बार भी झड़ गई और मेरी चूत का पानी फर्श पर गिरने लगा. ससुर जी ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरा एक पैर उठाकर पलंग पर रख दिया और अब सामने से चूत में लंड डाल दिया. मैं उनके गले में बांहें डालकर एक पैर पर खड़ी थी और वो मेरी गांड को थामे हुए जोर जोर से चोदने लगे. बीच बीच में वो मेरी जांघ को सहला रहे थे और अपने सीने से मेरे दूध को दबाये जा रहे थे. ससुर जी को मुझे चोदते हुए अभी तक आधा घंटा हो गया था और मैं दो बार झड़ गई थी लेकिन उनका पानी नहीं निकल रहा था. मैं जानती थी कि ये लंबी रेस के घोड़े हैं और अब वो वैसा ही कर भी रहे थे. उन्होंने इस पोजीशन में चोदते हुए मेरे गदराए जिस्म को निचोड़ लिया था. सारा बदन पसीने से भीग चुका था और मेरी हालत खराब हो गई थी. फिर एकाएक ससुर जी ने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी और मेरे अन्दर ही झड़ गए. उनके गर्म गर्म पानी के कारण मैं भी उसी समय झड़ गई. ये मेरा झड़ने का तीसरा अवसर था. इस धुंआधार चुदाई से हम दोनों ही बेहद बुरी तरह से थक गए थे और जल्द ही दोनों लोग नंगे बदन ही सो गए. सुबह 8 बजे मेरी नींद खुली. उस वक्त भी हम दोनों नंगे एक दूसरे से लपटे हुए सो रहे थे. मैं ससुर जी से अलग हुई और अपने कपड़े लेकर बाथरूम चली गई. नहा धोकर हम दोनों ने चाय नाश्ता किया. जब मैं रसोई में दोपहर का खाना बना रही थी, उस वक्त ससुर जी बाहर कमरे में बैठे हुए मुझे देख रहे थे. मैं उस वक्त केवल गाउन पहने हुई थी. अचानक से ससुर जी रसोई में आए और पीछे से मुझे जकड़ लिया और मेरे गाउन को कमर तक उठा लिया. मैं दोनों हाथ से आटा गूंथ रही थी. मैंने उनसे कहा- अभी नहीं, अभी ऐसा कुछ न कीजिए, पहले मुझे खाना बना लेने दीजिए. बड़ी मिन्नतों के बाद उन्होंने मुझे छोड़ा, नहीं तो वो वहीं मुझे चोद देते. खाना बनाने के बाद जब मैं रसोई से बाहर निकली, ससुर जी सोफे पर बैठे हुए लुंगी के ऊपर से ही अपना लंड सहला रहे थे. उन्होंने मुझे देखा और इशारे से अपने पास बुलाया. मैं समझ गई कि इनका फिर से मुझे चोदने का मन है. मैंने अपने गाउन को पूरी तरह से उतारा और पूरी तरह से नंगी हो गई. ससुर जी ने भी अपनी लुंगी निकाल दी और पूरी तरह से नंगे होकर सोफे पर बैठ गए. मैं उनके पास गई और अपनी दोनों टांगें फैलाकर उनके लंड को चूत पर लगा कर उस पर बैठ गई. फचफचाता हुआ पूरा लंड मेरी चूत में समा गया. मैं उनके गले में अपनी बांहें डालीं और लंड पर कूदने लगी. ससुर जी मेरे एक दूध को मुँह में भर कर चूसने लगे. कुछ देर बाद उन्होंने मुझे सोफे पर ही घोड़ी बना दिया और मेरे पीछे आकर मेरी धुंआधार चुदाई करने लगे. जल्द ही मैं झड़ गई लेकिन वो अभी भी मुझे घोड़ी बनाये चोदे जा रहे थे. फिर उन्होंने लंड बाहर निकाला और मेरी गांड के छेद में लंड डालने लगे लेकिन लंड अन्दर नहीं जा रहा था. मैंने कहा- नहीं नहीं पापा जी, वहां मत डालो, वहां नहीं जाएगा. ‘जाएगा क्यों नहीं … जब छेद है तो पक्का जाएगा, तू बस देखती जा.’ ‘अरे यार अभी नहीं, वहां से बाद में कर लेना न.’ ‘क्यों पीछे से चालू नहीं है क्या?’ मैंने कहा- हां, मगर उधर से ज्यादा नहीं किया है. मैं मना करती रही, पर ससुर जी नहीं माने और अपना थूक छेद में लगाकर लंड डालने लगे. जैसे ही उनका सुपारा अन्दर गया उन्होंने एक बार में ही पूरा लंड अन्दर पेल दिया. मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुआ और मेरी चीख़ निकल गई. उन्होंने मुझे जकड़ लिया और सोफे पर लेटा दिया. कुछ देर में ही उन्होंने मेरी गांड की ज़ोर ज़ोर से चुदाई शुरू कर दी. जल्द ही मुझे भी मजा आने लगा और उन्होंने मुझे फिर से घोड़ी बना दिया. मेरे ससुर ने मेरी गांड की बहुत बुरी तरह से चुदाई की. मैं चुत से फिर से झड़ गई और उन्हें रोकती रही लेकिन वो तब तक नहीं माने जब तक कि अपना पानी मेरी गांड में नहीं डाल दिया. इस बार भी उन्होंने लगभग आधे घंटे तक मुझे चोदा था. उसके बाद तो लगातार चार दिन तक हम दोनों के ऊपर बस चुदाई का भूत सवार था. बिस्तर पर, बाथरूम में, रसोई में, सोफ़े पर. जहां जहां हमारा मन करता, हम लोग चुदाई करते रहे. हम लोग दिन और रात मिलाकर 7 से 8 बार तक चुदाई करने लगे. चार दिन के बाद ये सिलसिला थोड़ा कम हुआ और फिर केवल 2 या 3 बार ही चुदाई होती थी. तीन महीने लॉक डाउन में हम दोनों अकेले रहे और दोनों ने ही फुल सेक्स, चुदाई का भरपूर मजा लिया. उसके बाद मेरे पति और देवर आ गए और वो एक महीने तक साथ रहे. उसके बाद मैं और ससुर जी फिर से अकेले हो गए और अब मैं रात में उनके साथ ही सोती हूँ. लगभग दो सालों में ससुर जी ने मुझे इतना चोदा है कि जितना मेरे पति ने भी नहीं चोदा है. एक बार मैं उनसे प्रग्नेंट भी हो गई थी, तब ससुर जी ने मुझे टेबलेट लाकर दी, जिससे सब ठीक हो गया. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
18-01-2024, 03:41 PM
ससुरजी का मोटा लौड़ा लील गयी मेरी चूत
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
18-01-2024, 03:42 PM
(18-01-2024, 03:41 PM)neerathemall Wrote: मेरा नाम रेहाना है, मैं जोधपुर राजस्थान की रहने वाली हूं। मेरे घर में एक छोटी बहन, एक छोटा भाई और मेरे अम्मी अब्बू हैं। अब्बू सरकारी नौकरी में है। अम्मी हाउस वाइफ है। ये तो हुई परिवार की बात … अब मेरे बारे में बता दूँ. मेरा रंग गोरा है, नयन-नक्श भी ठीक ठाक हैं (अपने मुंह मियां मिठ्ठू नहीं बन सकती)। मेरा फिगर साइज 34-36-38 है। दोस्तो, जब मैं जवान होना शुरू ही हुई थी कि तब ही मेरे घर वालों ने मेरे लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था और 2 साल में ही उनकी ये तलाश पूरी भी हो गई. 20 साल की उम्र में मेरी शादी हो गई। मेरे शौहर का नाम आरिफ़ है. वो मुझसे 5 साल बड़े हैं। दिखने में हैंडसम और हट्ट कट्टे हैं। टूर एंड ट्रैवल्स कंपनी में मैनेजर हैं और काम के सिलसिले में उनका राजस्थान से बाहर आना जाना लगा रहता है। मेरे ससुराल में मेरे सास ससुर और मेरी एक ननद है लेकिन ननद की शादी मेरे आने से पहले ही हो गई थी इसलिए वो अपने ससुराल में रहती है. यहां ससुराल में सिर्फ मेरे सास-ससुर आरिफ़ और मैं, हम 4 ही रहते हैं। मेरी पहली चुदाई मेरे शौहर ने ही की थी, वो भी सुहागरात पर। मेरे शौहर का लौड़ा 7 इंच लम्बा है और काफी मोटा भी है। मतलब अच्छी खासी सुहागरात मनी जैसी ज़्यादातर लड़कियों की मनती है. सुहागरात में शौहर से होने वाली मेरी चुदाई में बताने जैसा कुछ खास नहीं है. जो आमतौर पर मियां बीवी में सेक्स होता है वही सब हुआ. इसलिए उसको बताकर मैं समय खराब नहीं करूंगी. अब मैं सीधे अपनी असली बात पर आती हूं। दोस्तो, ये जो घटना मेरे साथ हुई थी जिसमें मैंने अपने ससुर से चुदवाया था, ये मेरी शादी के 8 साल बाद की है. तब तक मेरे 2 बच्चे (एक लड़का और एक लड़की) हो गए थे। उस समय मेरे शौहर को उनकी कंपनी ने एक साल के कॉमर्शियल वीज़ा पर सऊदी भेज दिया था। शौहर के जाने के बाद तो जैसे ज़िन्दगी नर्क बन गई थी मेरी क्यूंकि गैर मुल्क जाने से पहले मेरे शौहर लगभग रोज़ाना मुझे चोदते थे। यूं समझ लीजिए कि जैसे सेक्स की लत लगा दी थी उन्होंने मुझे। उन्हें क्या पता था कि मेरी ये लत मुझे उन्हीं के बाप के नीचे लेटने पर मजबूर कर देगी। तो दोस्तो, उनके जाने के बाद मैं बहुत उदास रहने लगी थी। दिन तो जैसे तैसे घर का काम करते हुए और बच्चों को संभालते हुए कट जाता था लेकिन रात काटना मेरे लिए बहुत मुश्किल होता था। फिर मेरी वासना मेरी आत्मा पर भारी पड़ने लगी और बिना लंड के रह पाना मेरे लिए मुश्किल होता जा रहा था। आखिरकार मैंने चुदने का पक्का मन बना लिया लेकिन अब सवाल ये था कि मैं चुदूं तो किससे चुदूं? तो दिमाग में ससुर का ख्याल आया क्यूंकि मेरे आसपास तो मर्द सिर्फ वही थे। मैं बाहर तो जाती नहीं थी कहीं इसलिए किसी और से चुदने का तो सवाल ही पैदा नहीं हो रहा था। तो मैंने पक्का मन बना लिया कि अब ससुर जी का ही लौड़ा लेना है। मैं आपको मेरे ससुर के बारे में बता दूं कि उनका नाम जावेद खान है। उनकी उम्र 56 साल है लेकिन उन्होंने खुद को काफी मेंटेन करके रखा है और रेगुलर कसरत करते हैं जिसकी वजह से उनकी उम्र 40-45 के आसपास ही लगती है। वो दिखने में भी काफी हट्टे कट्टे और लम्बे चौड़े दिखते हैं। वैसे तो वो बहुत ही अच्छे स्वभाव के व्यक्ति हैं। समाज में इज़्ज़त भी बहुत है उनकी। मैं जानती थी कि उनकी सिर्फ दो ही कमज़ोरी हैं- एक शराब और दूसरी शवाब। वो रोज़ रात को शराब पीते हैं और औरतों के मामले में बहुत ठरकी किस्म के इंसान हैं. ये मैं जानती थी इसलिए उन्हें पटाना मेरे लिए मुश्किल नहीं था। मुझे सिर्फ एक अच्छे मौके की तलाश थी। बस फिर मुझे वो मौका मिला एक महीने बाद जब जयपुर में मेरी सास के भाई का अचानक निधन हो गया. तो उस दिन मेरे सास ससुर दोनों सुबह जल्दी ही कार से जयपुर चले गए। मैं बेटी की पढ़ाई की वजह से जा नहीं पाई थी तो मैंने सासू मां से कहा- मुझे रात में अकेले डर लगता है. तो उन्होंने कहा- बेटी तू फिक्र मत कर, तेरे अब्बू (ससुर जी) मुझे वहीं छोड़ कर रात तक वापस आ जाएंगे। दोस्तो, जैसा मैंने चाहा था बिल्कुल वैसा ही हुआ। वो दोनों चले गए. दिनभर मैं अकेली बस यही सोच रही थी कि अब तो ससुरजी से चुदवाना ही है। रात को 10 बजे ससुर जी वापस आये। फ्रेश होकर उन्होंने खाना खाया. फिर हॉल में बैठ कर शराब पी, जैसा कि उनका रूटीन था. उसके बाद वो अपने रूम में चले गये. सफर की थकान के कारण जल्दी ही उनको नींद आ गई। सुबह चाय नाश्ते से फ्री होने के बाद मैंने ससुर जी से कहा- पापा जी, क्या आप मेरे साथ मार्किट चल सकते हैं? मुझे रसोई का सामान और अपने लिए कुछ कपड़े लेने हैं. तो उन्होंने कहा- “बटी सामान तो ठीक है मगर कपड़े अभी क्यों ले रही हो? अभी तो न कोई शादी है ना त्यौहार है. मैंने शर्माने की एक्टिंग करते हुए कहा- पापाजी अंदर के कपड़े लेने हैं. ये सुन कर वो भी शर्मा गए और बोले- ठीक है, तुम तैयार हो जाओ फिर चलते हैं। घर के कामों से फ्री होने के बाद तैयार होकर हम मार्केट के लिए निकल रहे थे। मैं आपको बता दूं कि हमारे यहाँ लडकियां बुर्के के बिना बाहर नहीं निकलतीं तो मैंने उसी का फायदा उठाया और बुर्के के नीचे सिर्फ एक टाइट पजामी पहनी. ऊपर का हिस्सा अंदर से बिल्कुल नंगा था. मैंने नंगे बूब्स को एक पतले से काले बुर्के से ढक लिया जिसमें से मेरी बूब्स की घुंडियां साफ नजर आ रही थी. जब मैं बाहर आई और ससुर जी की नज़र बूब्स पर पड़ी तो वो देखते ही रह गए। मैंने कहा- चलिए पापा जी! तब उनको होश आया और बोले- हाँ चलो। ससुर जी कार निकाल रहे थे तो मैंने कहा- पापाजी मार्केट में भीड़ ज़्यादा होगी तो कार में प्रॉब्लम होगी. फिर वहाँ पार्किंग की भी समस्या रहेगी, इसलिए बाइक ले लो. मैंने बाइक के लिए इसलिए कहा क्योंकि बाइक पर ब्रेकर और गड्ढों में उनसे चिपकने का मौका मिलेगा. वो मेरी बात से सहमत हो गए और हम बाइक से मार्केट के लिए रवाना हुए. रास्ते में मैंने अपनी हरकतें शुरू कर दीं। ससुर जी जैसे ही ब्रेक लगाते तो मैं अपने बोबे उनकी कमर में गड़ा देती। उत्तेजना के कारण मेरी घुंडियां खड़ी हो गई थी. उनकी चुभन ससुर जी अपनी कमर पर महसूस कर रहे थे। उन्हें भी मज़ा आ रहा था. इसका पता मुझे इस बात से चला कि ज़्यादा ज़रूरत न होने पर भी वो तेज़ तेज़ ब्रेक लगा रहे थे और जानबूझ कर गड्ढों में गाड़ी उतार रहे थे. मतलब पूरे रास्ते मेरे बूब्स उनकी कमर से चिपके हुए थे. जब हम मार्केट पहुंचे और बाइक से उतरे तो मैंने देखा कि उनका लंड पूरा खड़ा था और पजामा फाड़कर बाहर आने को बेताब था। जब उन्होंने मुझे उनके लंड को घूरते हुए देखा तो उन्होंने शर्माते हुए अपने हाथों से उसको छुपाने की नाकाम कोशिश की। तो मैंने कटाक्ष करते हुए कहा- एक अंडरवियर आप भी ले लो पापाजी। वो भी ठरकी थे, उन्होंने कहा- तू ही पसंद कर के दिला देना. मैंने कहा- ठीक है। फिर हमने पहले रसोई का सामान लिया. फिर एक लेडीज़ एंड जेंट्स अंडर गारमेंट्स की शॉप में गये। अब तक हम दोनों के बीच पचास प्रतिशत तक तो शर्म तो खत्म हो गई थी। मुझे महसूस हुआ कि पापाजी मेरे मन की बात को शायद समझ भी गए हों कि मैं क्या चाहती हूं। वहां पर मैंने उनसे कहा कि इस बार मैं आपकी पसंद की ब्रा पैंटी पहनूँगी। उन्होंने मेरे लिए ब्रा पैंटी के 5-6 सेट पसन्द किये जो बहुत सेक्सी थे। मुझे भी वो बहुत पसंद आये. मैंने वो सारे ले लिए। मैंने उनसे पूछा- आपको मेरा साइज कैसे पता चला? इस पर उन्होंने मेरे बूब्स को घूरते हुए कहा- देख कर अंदाज़ लगा लिया. उसके बाद उन्होंने कहा- अब तू मेरे लिए पसन्द कर! फिर मैंने भी उनके लिए वी-शेप के 4 अंडरवियर पसन्द किये और उनसे कहा कि आरिफ भी यही पहनते हैं और बहुत सेक्सी लगते हैं इसमें. मेरे मुंह से ‘सेक्सी’ शब्द सुन कर तो जैसे उनके मुंह से लार टपकने लगी। उन्होंने खुश होकर वो चारों अंडरवियर ले लिए और पेमेंट कर दिया. फिर हम घर के लिए निकल गए. पूरे रास्ते मैं उनसे चिपके हुए बैठी रही। हम घर पहुंच गए। बाइक से उतर कर जब मैंने उनके लंड की तरफ देखा तो वो पूरा टाइट था और पजामा आगे से गीला हो गया था जिसका हल्का सा गीलापन कुर्ते पर भी महसूस हो रहा था। ये देख कर मैंने फिर से कटाक्ष किया- मम्मी जी की याद में आंसू बहा रहा है आपका ये! उन्होंने पूछा- ‘ये’ मतलब क्या? मैंने कोई जवाब नहीं दिया और एक सेक्सी मुस्कान देकर अंदर चली गई। जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
18-01-2024, 03:45 PM
फिर दिनभर कुछ खास बात नहीं हुई। रात का खाना हमने साथ में खाया.
उसके बाद मैंने दोनों बच्चों को सुला दिया और एक गहरे गले का लाल रंग का नाईट गाउन पहन लिया जो मेरे घुटनों तक आता था. उसके नीचे मैंने वही ब्रा पहन ली जो आज ससुर जी ने दिलवाई थी। गाउन का गला इतना बड़ा था कि उसमें से ब्रा आसानी से दिख रही थी. फिर मैं हॉल में ससुर जी के बगल में आकर बैठ गई जहां वो दारू पी रहे थे। उन्होंने सिर्फ लुंगी और बनियान पहना हुआ था और लुंगी जांघों तक चढ़ा रखी थी। उनकी टाँगें और छाती घने बालों से भरी हुई थी जो किसी भी महिला को आकर्षित करने के लिए काफी थी। ससुर जी ने मुझे आज पहली बार इस रूप में देखा था। मुझे देख कर उनकी लार टपकने लगी और मैंने देखा कि उनकी लुंगी के नीचे बैठा हुआ नाग अब हरकत करने लगा था। मेरे लिए उनकी आंखों में वासना साफ नजर आ रही थी। शराब के नशे और मुझे चोदने की हवस के चलते मेरी जांघ पर अपना हाथ रखकर वो सहलाने लगे। मैंने भी इसका बिल्कुल विरोध नहीं किया। उनके सख्त मज़बूत हाथ मेरी नाज़ुक गोरी जांघों का मुआयना कर रहे थे। 2 महीने बाद पहली बार मुझे किसी मर्द ने इस तरह छुआ था और वो मर्द मेरे ससुर हैं ये सोच कर मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। फिर उनका हाथ जांघों से होता हुआ चूत की तरफ बढ़ा। मैंने पैंटी नहीं पहनी थी। ससुर जी ने मेरी चूत पर उंगलियां फिरानी शुरू कर दीं. अब मैं और ज़्यादा तड़पने लगी। मैंने अपना हाथ लुंगी के ऊपर से ही उनके लंड पर रखा और लंड को पकड़कर दबाने लगी। इधर उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल कर मुझे और ज़्यादा बेचैन कर दिया। उनका दूसरा हाथ मेरे बूब्स पर था. फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए. मुझे बिल्कुल नंगी कर दिया और खुद भी पूरे नंगे हो गए। फिर मैंने उनसे कहा- अपने बेटे की बीवी को यहीं ज़मीन पर पटक कर चोदोगे क्या? तो उन्होंने मुझे गोद में उठाया और अपने कमरे में ले जाकर बेड पर पटक दिया। मेरी नज़र उनके लंड पर पड़ी तो एक बार तो मेरी गांड फट गई। उनका लंड किसी गधे के लंड जैसा लंबा और मोटा था। रंडियों की भी चीखें निकलवा दे ऐसा लंड था उनका। मैंने उनसे कहा- आपका तो बहुत मोटा है. मुझे नहीं चुदवाना! उन्होंने मुझे गाली देकर कहा- बहन की लौड़ी रंडी … पहले मुझे उकसाती है और अब लौड़ा देख कर नखरे करती है? आज मैं तेरी अम्मी चोद दूंगा. मैं उनके मुँह से गाली सुनकर और ज़्यादा उत्तेजित हो गई। पहली बार खुद के लिए रंडी शब्द सुन कर अलग ही फीलिंग आ रही थी। उन्होंने अपना मोटा तगड़ा लंड मेरे मुँह में दे दिया। मैंने पहली बार लौड़ा मुँह में लिया था क्योंकि मेरे शौहर ने क़भी भी मेरे मुँह में नहीं डाला था। पहली बार चूसने के कारण थोड़ी घिन भी आ रही थी लेकिन ससुर जी ने मेरे बाल पकड़ कर ज़बरदस्ती अपना आधा लंड मेरे मुँह में दे दिया और मुझे उसको चूसना पड़ा। 5 मिनट इस तरह चूसने के बाद हम 69 की पोजीशन में आ गए। अब वे मेरी चूत चाट रहे थे और मैं उनका लंड चूस रही थी. चूत चटवाना भी मेरा पहला अनुभव था। मेरे शौहर ने कभी मेरी चूत भी नहीं चाटी थी। आज से पहले मैं मेरे शौहर को और उनके सेक्स को अच्छा समझती थी लेकिन आज उसके बाप से पता चला कि बाप आखिर में बाप ही होता है। मेरा शौहर एक फुद्दु इंसान था. उसको सिर्फ फुद्दी मारना आता था। जो मज़ा उसका बाप बिना चोदे अपनी ज़बान से मुझे दे रहा था उतना मज़ा तो क़भी उससे चुदने पर भी नहीं आया मुझे। ससुर जी ने मेरी चूत को चाट चाट कर लाल कर दिया था। उनके चूत चाटने के हुनर ने मुझे उनकी दासी बना दिया। अब तो मैं खुशी खुशी और मज़े लेकर उनके लंड को चूस रही थी। फिर अचानक से उन्होंने पूरी ज़बान मेरी चूत में अंदर तक डाल दी और ज़ोर ज़ोर से चलाने लगे. उनकी इस हरकत से मेरी चूत ने एक मिनट में ही बहुत सारा पानी छोड़ दिया। मैंने आज पहली बार इतना पानी छोड़ा था। मेरे झड़ते ही मुझे महसूस हुआ कि मेरे मुँह में ससुर जी का लंड और ज़्यादा अकड़ने लगा। मैं कुछ सोच पाती इससे पहले उन्होंने ढेर सारा माल मेरे मुँह में छोड़ दिया। मैंने उनका सारा वीर्य निगल लिया। उनके वीर्य में एक अलग ही खुशबू थी। आश्चर्यजनक बात ये थी कि वीर्य निकलने के बाद भी उनका लंड सिर्फ हल्का सा ढीला हुआ. उन्होंने मुझे चूसते रहने के लिए बोला तो मैंने चूसना जारी रखा। 10 मिनट चूसने के बाद वो फिर पहले की तरह सख्त हो गया। इस दौरान उन्होंने मेरी चूत चाट चाटकर एक बार और पानी निकलवा दिया। अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने उनसे कहा- प्लीज पापाजी, अब रहा नहीं जा रहा. अपना लंड डाल दो मेरी चूत में. उन्होंने कहा- बहन की लौड़ी. मैं तेरा पापाजी नहीं हूं. तेरा मालिक हूं और तू रंडी है मेरी, मेरी रखैल बन कर रहेगी तू आज से, तुझे मैं मेरे दोस्तों से भी चुदवाऊंगा. मैंने कहा- आप ही मेरे स्वामी हो, मेरे मालिक हो. मैं आपकी रंडी और रखैल बन कर रहूंगी ज़िन्दगी भर। आप जिससे बोलोगे उसी से चुदूँगी! फिर उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और अपना लम्बा मूसल लौड़ा मेरी चूत के मुँह पर रख कर एक हल्का सा झटका दिया। ऐसा लगा मुझे जैसे आज मेरी सुहागरात है। मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मैंने बर्दाश्त कर लिया। फिर उन्होंने एक ओर झटका दिया जिससे आधा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। इस झटके ने मुझे दिन में तारे दिखा दिए थे. ऐसा लग रहा था जैसे कोई गर्म मोटा लोहा मेरी चूत में डाल दिया हो। मेरी चीख निकल गई- आआ आआह! मैं सिर्फ चीख रही थी, कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी मैं. अभी इस झटके से सम्भली भी नहीं थी कि उन्होंने एक झटका और देकर पूरा लंड अंदर डाल दिया. इस बार तो मुझे चक्कर आ गए और बेहोशी जैसी हालत हो गई मेरी। ससुर जी चोदने के साथ साथ मेरे बूब्स भी दबा रहे थे और गर्दन और गालों पर किस भी कर रहे थे जिससे मुझे कुछ आराम मिला. वाकई ससुरजी बहुत माहिर थे किसी भी औरत को चोदने में। फिर धीरे धीरे मेरा दर्द कुछ कम होने लगा तो उन्होंने चोदने की रफ़्तार भी बढ़ा दी। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था लेकिन इतनी देर घोड़ी बनने की वजह से मेरी टाँगें काँपने लगी थी। मैंने ससुरजी को बताया तो उन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर आ गए और अपना लंड एक ही झटके में अंदर डाल दिया. इस बार मुझे हल्का सा दर्द हुआ लेकिन मैंने झेल लिया. इस पोजीशन में उन्होंने मुझे 25 या 30 मिनट तक चोदा। इस बीच मैं 3 बार झड़ चुकी थी। अब वो मुझे बहुत तेज़ गति से चोद रहे थे। तभी उनके झटके तेज़ हो गए. मैं समझ गई कि इनका पानी निकलने वाला है। मैंने कहा- मेरे स्वामी, अपना बीज मेरी बच्चेदानी में गिराइए, मैं आपके जैसा ताकतवर बच्चा चाहती हूं। इसके बाद 3 या 4 ज़ोरदार झटकों के साथ उनके लंड ने पिचकारी मारना शुरू किया और मेरी चूत को अपने माल से लबालब कर दिया और हाँफते हुए मेरे ऊपर गिर गए। उस एक ही रात में ससुर बहु सेक्स 3 बार हुआ! सुबह तक मेरी हालत खराब हो गई। ये ससुर जी के साथ मेरी पहली चुदाई थी जिसके बाद मैं दो दिन तक ठीक से चल भी नहीं पाई थी। ससुर जी रोज़ मेरी चुदाई करते थे. ह धन्यवाद जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
11-06-2024, 07:25 AM
Nice story
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