01-02-2023, 07:15 PM
पहली चुदाई का सुख मौसेरी काजल भाभी ने दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
पहली चुदाई का सुख मौसेरी काजल भाभी ने दिया
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01-02-2023, 07:15 PM
पहली चुदाई का सुख मौसेरी काजल भाभी ने दिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 07:18 PM
मेरे मौसी के 4 बेटे हैं. उन सबकी शादी हो चुकी है.
मौसी के दूसरे लड़के सरस और उनकी बीवी काजल को छोड़ कर, बाकी सभी भाई अपने परिवार के साथ कानपुर शहर में रहते हैं. अब मैं आपको मेरी भाभी काजल के बारे में बता दूं. काजल भाभी सांवले रंग की सुडौल शरीर वाली अप्सरा हैं. वह कर्मठ होने की वजह से काफी सेक्सी और भरे हुए बदन की मालकिन हैं. उनका जिस्म 38-34-42 का एक चलता फिरता बम है. उनके शरीर की खुशबू, उनकी नशीली आंखें, उनके रसीले होंठ, उनके गोल सुडौल चूचे, उनकी मटकती हुई विशाल गांड पर तो कई लोग लट्टू हैं. बात उन दिनों की है जब मैं बारहवीं की परीक्षा के बाद अपनी मौसी के पास घूमने गांव आया था. तब मेरी उम्र 19 वर्ष थी. मौसी, भैया और भाभी मेरे आने पर काफी खुश थे. घर पर मेरी खूब खातिरदारी हुई. पहले मुझे अपनी भाभी को लेकर मन में कोई गलत ख्याल नहीं थे परन्तु एक दिन कुछ ऐसा हुआ जिसके बाद से सब बदलने लगा. मौसी के घर में 3 कमरे हैं. जिसमें एक मौसी का कमरा है, एक भैया-भाभी का कमरा है और एक कमरे में मैं रहता था. गर्मी का समय था तो मैं सुबह जल्दी नहाकर आराम से कूलर की हवा में लेटा फ़ोन पर गेम्स खेल रहा था. भैया काम पर निकल गए थे और मौसी पड़ोस में गयी थीं. उस समय घर पर केवल मैं और भाभी थे. भाभी किचन में खाना बना रही थीं. तभी मुझे किचन से किसी के दर्द से कराहने की आवाज़ आयी. मैं भाग कर गया तो मैंने देखा भाभी की उंगली से खून बह रहा है. मैंने तुरंत भाभी को मलहम लगाई और बैठने को कहा. फिर मैंने उनसे पूछा कि ये कैसे हुआ? उन्होंने बताया कि किचन में गर्मी होने की वजह से उन्हें बेहोशी सी आयी और अनजाने में उंगली कट गई. मैंने उन्हें पानी पिलाया और वहीं उनके साथ बैठ गया. तभी लाइट चली गयी और गर्मी और बढ़ने लगी. दिन का समय था और गर्मी ज़ोरों पर थी. उसी पल मैंने एक मनोरम दृश्य देखा. भाभी अपनी साड़ी के पल्लू से खुद पर हवा कर रही थीं और उनके शरीर का पसीना उनके माथे से होकर उनके चूचों की घाटी में जा रहा था. ये सब होता देख कर मैं उत्तेजित हो रहा था. उस पल में भाभी मुझे कितनी सेक्सी लग रही थीं … क्या बताऊं. उनके शरीर का अंग अंग पसीने से चमक रहा था. उनकी कमर और वक्ष के हिस्से में वो पसीने की बूंदें कमाल लग रही थीं. उसी पल से मैं भाभी की जवानी पर फिदा हो गया. फिर जैसे ही लाइट आई, मैंने टॉयलेट जाकर पहली बार उनके नाम की मुठ मारी. उस दिन के बाद से मैं भाभी को पटाने और चोदने के तरीके खोजने लगा परन्तु मुझे क्या पता था कि वो पल मेरी किस्मत में बिना कुछ किए ही मुझे स्वयं प्राप्त हो जाएगा. इस घटना के कुछ दिन बाद एक दोपहर में अपने रूम में लेटा ब्लूफिल्म देख रहा था और चादर के अन्दर से अपने लंड को हिला रहा था. मैंने कानों में हैडफ़ोन लगाया हुआ था और आवाज़ फुल पर थी. मुझे पता नहीं चला कि भाभी मुझे खाना खाने के लिए बुला रही हैं. मेरे उत्तर न देने पर वो मेरे कमरे की ओर आ गईं और उन्होंने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया. वो वहीं खड़ी चुपचाप देखने लगीं और यहां मैं अपनी धुन में मस्त आंखें बंद करके मुट्ठी मार रहा था. मैंने जैसे ही अपनी आंखें खोलीं तो भाभी को वहां खड़ा देखा. मेरी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी. मैं चौंक कर एकदम से बेड से खड़ा हो गया और उन्हें देख कर डरा हुआ सा भूत बन कर खड़ा था. मेरा लंड मेरे पैंट में खड़ा तम्बू सा लग रहा था जिसे भाभी ने देख लिया था. कुछ सेकंड तक किसी ने कुछ नहीं बोला, फिर चुप्पी तोड़ते हुए भाभी बोलीं- अक्की (मेरे घर का नाम) अगर ज्यादा जवानी का जोश चढ़ गया हो, तो तेरी मां को बोलकर तेरी शादी करा दूँ? ये क्या कर रहा था तू … रुक तेरे भैया और मौसी को अभी तेरी करतूत बताती हूँ. ऐसा बोलकर वो जाने लगीं. तभी मैं उनके सामने आ गया और हाथ जोड़ कर सॉरी कहने लगा. मैंने उनसे कहा- भाभी, प्लीज मुझे माफ़ कर दो प्लीज … मैं क्या करूं मेरी ज़िंदगी में कोई लड़की नहीं है … और ना ही मैंने कभी कुछ किया है, तो अपने अन्दर की इस आग को शांत करने का यही एक जरिया था. मैं मानता हूँ कि मुझसे गलती हुई है, प्लीज मुझे छोटा समझ कर माफ कर दो. आप जो बोलेंगी, मैं वो करूंगा. बस ये बात हम दोनों तक ही रहने दो प्लीज. इतना कह कर मैं रोनी सी शक्ल बना कर बैठ गया. भाभी वहां से जाने लगीं और जैसे ही दरवाज़े के पास पहुंची, उनकी हंसी छूट गयी और वो ठहाके मार कर हंसने लगीं. अब भाभी बोलीं- क्यों निकल गयी सारी हवा …. देख कितना डराया तुझे. मुझे पता है तुम्हारी उम्र के लड़के ये सब करते हैं, पर तुझे आज ये करते देख मैं दंग रह गयी क्योंकि तू कॉफ़ी भोला टाइप का है इसलिए. चल, अब मूड मत सड़ा और चलकर खाना खा ले. मुझे थोड़ी राहत मिली. पर अभी भी मुझे डर ये लग रहा था कि कहीं भाभी ये सारी बातें किसी और को न बोल दें वरना बेइज़्ज़ती हो जाएगी. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ बल्कि उस दिन के बाद से भाभी और मैं अच्छे दोस्तों की तरह काफी खुलकर बातें करने लगे. फिर धीरे धीरे हम करीब आने लगे. सब अच्छा चल रहा था लेकिन भाभी मुझे काफी बार थोड़ी उदास दिखती थीं और मेरे पूछने पर हंस कर बात टाल देती थीं. एक दिन भैया भाभी में जबरदस्त लड़ाई हुई और भैया घर से गुस्से में निकल गए. मौसी उस वक़्त कानपुर गयी हुई थीं और मैं और भाभी घर पर अकेले रह गए थे. मैं भाभी के पास गया तो देखा कि भाभी रो रही थीं. तो मैं उनके पास गया और उन्हें चुप कराने लगा. भाभी मेरे सीने से लग कर रोने लगीं. मेरे बहुत पूछने पर उन्होंने बताया कि भैया को शराब की बहुत गन्दी लत है और कल मुझे यह पता चला कि भैया का गांव की किसी और औरत से चक्कर है. यह सुन मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं अनजाने में ये कह गया- भाभी अगर आप उनकी जगह मेरी पत्नी होतीं, तो मैं आपको पलकों पर बिठा कर रखता और रात दिन जो करना होता, वो आपके साथ ही करता. ये सब सुन कर भाभी थोड़ा शांत हुईं और मुझसे अलग होकर कहने लगीं- अगर हमारा बच्चा होता, तो ये ऐसे इधर उधर मुँह नहीं मारते … पर इनकी शराब की वजह से मेरी कोख कभी हरी नहीं हो सकती. यह कहकर वे वहां से चली गयीं और खाना बनाने लगीं. शाम को भैया आए और सीधे कमरे में चले गए. उधर से वो एक बैग लेकर बाहर आए और भाभी से सुबह के लिए माफी मांग कर कहने लगे- मुझे कंपनी के काम से 3 दिन के लिए जयपुर जाना है. यह कहकर वो अपना बैग लेकर निकल गए. अब घर पर सिर्फ मैं और भाभी थे. हम दोनों ने रात का खाना खाया और साथ बैठ कर टीवी देखने लगे. भाभी मेरी गोद में सर रखी हुई लेटी थीं. तभी टीवी में चल रही मूवी में सुहागरात का सीन चलने लगा और मेरे अन्दर उत्तेजना होने लगी. साथ ही भाभी के लेटे होने की वजह से उनके दोनों चूचे आधे दिख रहे थे, जिन्हें देख मेरे लंड में तनाव आने लगा. भाभी के कानों में मेरे लंड का कड़ापन लगने के कारण उन्हें भी आभास हो गया लेकिन उन्होंने हटने की या कुछ कहने की जरा भी कोशिश नहीं की. बल्कि भाभी ने मेरे पूरे लंड पर अपना सर रख लिया और मेरे लंड की गर्मी महसूस करने लगीं. यहां इस सबसे मेरी हालत खराब हो रही थी. कुछ देर ऐसे ही लेटने के बाद भाभी उठ कर कमरे में जाने लगीं और मुझसे बोलीं- अक्की मुझे अकेले सोने में डर लगता है, तो तुम आज रात मेरे कमरे में ही सो जाना. उन्होंने बस इतना कहा ही था कि बिजली चली गयी. तो मुझे भी उनके साथ सोने के लिए जाना पड़ा. रात में ठंडी हवा चल रही थी जो खिड़की से बेडरूम में आ रही थी. इस कारण कमरे में ज्यादा गर्मी नहीं थी. कुछ देर बाद मैं भाभी के बगल में लेट गया था. भाभी ने तब तक अपने कपड़े बदल लिए थे और एक बहुत ही सेक्सी नाइटी पहन ली थी. भाभी मेरी तरफ अपनी गांड करके लेटी हुई थीं. मैं भाभी के सोने का इंतज़ार करने लगा. करीब दो घंटा बाद मैंने ये देखने के लिए भाभी के पैरों पर अपना पैर रखा कि वह सो गयी हैं या नहीं. मेरे पैर रखने से उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, तब मैंने अपना एक हाथ सीधा उनके चूचों पर रख दिया. इस पर भी उनकी तरफ से कोई हलचल नहीं हुई. अब मेरी हिम्मत बढ़ी तो मैंने उनके चूचों पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिया. तभी अचानक से भाभी ने मेरी ओर मुड़ कर देखा और मुझे एक जोरदार तमाचा लगा दिया. मैं सहम गया और दूसरी तरफ करवट लेने लगा कि तभी भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं और उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि ये क्या हुआ और इतना सोचने में ही भाभी की जीभ मेरे मुँह के अन्दर आ गई थी. अभी मैं अपने मुँह में जीभ का अहसास कर ही रहा था था कि भाभी का हाथ मेरे लौड़े पर आ गया था. अब इतना सब कुछ होने के चलते मैं भी मदहोश होने लगा और भाभी को बेतहाशा चूमने लगा. हमारी सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं. तभी अचानक बिजली आ गई और हमारी नज़रें मिल गईं. मैंने भाभी की खूबसूरती को देखा तो उन्होंने लाज से अपनी आंखें बन्द कर लीं. मैं भाभी के कान की तरफ गया और उनके कानों में कहा- भाभी आई लव यू … न जाने कबसे आपके साथ प्यार करने का मन था. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 07:21 PM
भाभी के चूचे काफी नर्म, गोल और किनारों पर सख्त थे, जिसकी वजह से अगर वो ब्रा न पहनें … तब भी उनके स्तनों में उभार रहता था.
अब मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उनकी नाइटी खोलने लगा. उन्होंने भी मेरी टी-शर्ट उतार फैंकी. उनकी नाइटी उतारने के बाद का नज़ारा होश उड़ाने वाला था. काले रंग की ब्रा और पैंटी के अलावा उनका पूरा जिस्म मेरे सामने नंगा था. यह सब कुछ देख कर मेरा लंड टाइट होकर लोअर के अन्दर तंबू सा बन गया. मैंने झट से अपना लोअर उतारा और चड्डी में आ गया. मैं भाभी के ऊपर टूट पड़ा. पहले मैंने भाभी के चूचे मसले और दबा कर चूसे. फिर मैंने भाभी की ब्रा उतार दी और उनके दोनों खरबूज आजाद कर दिए. उनके निप्पल और उसके पास का काला भाग देख कर मैं ललचा गया और मैंने दोनों बूब्स को दस मिनट तक खूब दबा कर चूसा. कमरे में पंखा चलने पर भी हम पसीने से तर थे और मैं भाभी के शरीर का पसीना भी चाट रहा था. फिर मैंने अपनी लम्बी जीभ दोनों बूब्स के बीच डाली और दोनों बूब्स दबा कर जीभ आगे पीछे करने लगा जिससे भाभी जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी थीं. उसके बाद मैं धीरे धीरे अपनी जीभ उनकी छाती से पेट पर ले आया और उनकी नाभि में जीभ डालकर चाटने लगा. भाभी पागल होने लगीं और अपने बूब्स दबाते हुए होंठ काटने लगीं. अब मैं धीरे धीरे उनकी पैंटी तक पहुंच गया और मैंने उसे सूँघा, उसमें से मादक खुशबू आ रही थी. भाभी की पूरी पैंटी भीगी हुई थी. कुछ देर बाद भाभी से रहा नहीं गया और उन्होंने मुझसे कहा- अक्की अब और मत तड़पा, जल्दी से चोद दे मुझे, बुझा दे मेरी टपकती चूत की प्यास! उनके मुँह से इतना कामुक सुनकर मैं थोड़ा आश्चर्य में आ गया और उत्तेजित भी हो गया. मैंने अपने मुँह से भाभी की पैंटी की खींच कर निकाल दी और उनकी जाघें चाटने लगा. फिर धीरे धीरे भाभी पुसी की तरफ बढ़ने लगा. जैसे ही मैंने उनकी चूत पर अपना मुँह रखा, भाभी ने मेरा मुँह हटा दिया और बोलीं- ये क्या कर रहे हो, अब इसे भी चाटोगे क्या? मैंने बोला- हां, आप आराम से लेटो और चूत चटाई के मज़े लो. भाभी बोलीं- पर तेरे भैया तो सीधा चढ़ जाते हैं. उन्होंने ये सब कभी नहीं किया. मैंने बोला- भाभी, एक बार करवा के देखो मज़ा न आए, तो कभी नहीं करूंगा. फिर मैं अपना मुँह उनके चूत पर ले जाकर चुत को पूरी शिद्दत से चाटने लगा. भाभी तड़प कर ‘आह उई इस्स …’ जैसी आवाज़ें निकालने लगीं. अभी मैंने थोड़ी देर ही चाटा था कि भाभी ने मेरे बाल पकड़े और मेरा सिर अपनी चूत पर दबाने लगीं. उन्होंने अपनी दोनों जांघों से मेरा सिर कस लिया. मैं भाभी पुसी चाटने में लगा रहा और थोड़ी ही देर में भाभी ‘ऊंह अक्की ऊम्म्म … मर गई … आंह …’ बोलती हुई मेरे मुँह पर झड़ गईं. मैंने उनकी चूत का पानी चाटा और मस्त हो गया. अब भाभी भी मुझे मादक नजरों से देख रही थीं. वो बोलीं- साले, तू तो कह रहा था कि तेरी कोई सैटिंग नहीं है. फिर ये सब किधर से सीखा. मैंने हंस कर कहा- ब्लू फिल्म से सब सीख गया हूँ भाभी. फिर मैंने उन्हें कुतिया बनने को बोला और उन्होंने वैसा ही किया. यहां मैं सभी को बता देना चाहता हूँ कि मुझे औरतों की गांड सूंघना और चाटना बहुत पसंद है. जैसे ही भाभी कुतिया बनी, मैंने उनकी गांड का छिद्र सूँघा, उसमें से इतनी मदहोश करने वाली महक आ रही थी कि मैं एक मिनट तक महक लेता रहा. फिर मैंने उनकी गांड चाटना शुरू कर दिया. भाभी की हालत बिगड़ती जा रही थी. बिना चोदे ही मेरे एक के बाद एक प्रहार से वो पागल हो रही थीं और कामुक आवाजें निकाल रही थीं- आह अक्की … आह ऊम्म्म यस आह आह … ऐसे ही चाटो … मज़े से चाटो खा जाओ मेरी गांड को … उम्म आह लगे रहो अक्की उफ्फ! यह कहते हुए भाभी अपनी गांड मेरे मुँह पर रगड़ रही थीं. कुछ देर के बाद भाभी ने मेरी चड्डी निकाल फैंकी और मेरा लंड हाथ में लेकर हिलाने लगीं. दोस्तो, आप अपने हाथों से कितनी भी मुट्ठ मार लें, किन्तु किसी औरत के हाथ की बात ही कुछ औऱ है. भाभी के मेरे लंड को पकड़ते ही मेरा 6 इंच का गेहुंआ लंड फूल कर झटके मारने लगा. मैं भाभी से बोला- भाभी अब मेरे इस कुंवारे लंड का भोग लगाओ, अपने मुँह से इसे चूस लो. भाभी बोलीं- मैंने आज तक किसी का लंड मुँह में नहीं लिया, लेकिन तूने मुझे अपना इतना दीवाना बना दिया है कि आज से मैं तेरी गुलाम हूँ. अब तू जब जिस चीज़ के लिए कहेगा, मैं करूंगी मेरे जानू. उन्होंने मेरा लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैं उन्हें बताता गया और वो उसी तरह से चूसने लगतीं. कुछ ही देर की लंड चुसाई से मेरे झड़ने का वक़्त करीब आ गया. मैंने भाभी से पूछा कि क्या मैं आपके मुँह में अपना वीर्य झाड़ दूँ. उन्होंने आंख मारते हुए हां का इशारा किया और मैं 4-5 झटके मार कर लंड को उनके गले में फंसा दिया. मैंने अपने लंड का पूरा माल उनके गले और मुँह में झाड़ दिया. वो भी मेरा पूरा माल बिना उफ़ के पी गयीं. अब हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए और 5 मिनट तक एक दूसरे को दोबारा गर्म करने लगे. अब मैंने भाभी को छेड़ने के लिए लंड को उनकी चूत पर घुमाया पर अन्दर नहीं डाला. भाभी समझ गईं और बोलीं- अक्की, बहुत दिन से नहीं चुदी हूँ और तू मुझे इतनी देर से तड़पा रहा है. अब बस कर … जल्दी से पहले एक बार चोद दे मुझे! मैंने भी देर न करते हुए भाभी की दोनों टांगें अपने कंधों पर रख लीं और चूत के छेद में लंड डालने लगा. लंड का टोपा चूत के अन्दर गया तो ऐसा लगा, जैसे मैंने किसी आग की भट्टी में लंड डाल दिया हो. उनकी चूत काफी महीनों से न चुदी होने के कारण टाइट थी, इसलिए चुदाई का आनन्द ही कुछ और था. लेकिन मेरा ये पहली बार होने के कारण मैं 30-35 धक्कों में ही झड़ गया. भाभी इस बात को जानती थीं तो उन्होंने मेरे लंड को चूस चूस कर फिर से खड़ा कर दिया. एक बार फिर से मैंने भाभी की चूत में लंड डाला. इस बार लंड सीधा अन्दर चला गया और मैंने धीरे धीरे चुदाई का खेल शुरू कर दिया. फिर मैं अपनी स्पीड बढ़ाता गया. भाभी को भी चुदने में मज़ा आने लगा और वो गांड उछाल उछाल कर मुझसे चुदने लगीं. भाभी ‘उफ्फ यस आह आह आह उम्म अक्की या आह …’ करती हुई चुद रही थीं. पूरे कमरे में फच्च फच्च फच्च की आवाज़ आ रही थी. भाभी को इस चरम सुख ने इतना मदहोश कर दिया था कि वो मेरे लंड से चुदते चुदते एक बार झड़ गईं. इससे भाभी की चुत रसीली हो गई थी और मेरा लंड सटासट चलने लगा था. पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद मैंने भाभी को कुतिया बनने को कहा. उनके कुतिया बनने पर मैंने उनकी गांड पर थप्पड़ बजाते हुए पीछे से उनकी चूत में लंड पेला और धक्के लगाने चालू कर दिए. भाभी हर झटके के साथ मस्ती से चिल्ला रही थीं- उफ्फ हां ऐसे ही चोदो अक्की … मजा आ रहा है. उनकी इन आवाजों से मेरा जोश और बढ़ता गया. मैं भी स्पीड बढ़ाता गया. मेरे धक्कों के गांड पर लगने से पूरे कमरे में चट्ट चट्ट की आवाज़ आने लगी. अचानक मुझे मस्ती सूझी. मैंने उनकी गांड के छेद पर थूक टपकाया और चुत चोदते-चोदते उनकी गांड में अपना अंगूठा डालने लगा. ये अचानक आए मज़े से भाभी की ‘औईई …’ निकल गयी और उन्हें बेहद मज़ा आने लगा. वो मदहोशी में सराबोर होकर चिल्लाने लगीं- आंह अक्की तेरे नामर्द भैया से कुछ नहीं होता … बस वो लंड डाल कर हिलाकर सो जाता है और एक तू है जो बिना मुझे चोदे एक बार और चोदने पर अब तक दूसरी बार झड़वाने जा रहा है. आह आह अह अक्की ऐसे ही आह हां मेरा निकलने वाला है यआ आह. ये सब कहती हुई भाभी ज़ोर से आह निकाल कर मेरे लंड पर झड़ गईं. उनके इस तरह झड़ने से मेरा लंड और आसानी से फिसलने लगा. मैंने अपना लंड निकाल कर भाभी के मुँह में डाल दिया और भाभी अपना चूत रस चाट गईं. फिर मैंने उनकी चूत में लंड डालकर बिना रुके कम से कम 20 धक्के और मारे. अब मेरा वीर्य निकलने को हुआ तो मैंने भाभी से पूछा कि कहां निकालू? उन्होंने कहा- मुझे तेरा बीज चाहिए, मैं मां बनना चाहती हूँ प्लीज अपना माल मेरी चूत में ही झाड़ना. मैंने वैसे ही किया और स्पीड बढ़ाते हुए उनकी चूत को अपने माल से भर दिया. लंड झाड़ कर मैं निढाल हो गया और उन पर ही गिर पड़ा. हम दोनों ने कुछ पल रुक कर अपनी सांसें बटोरीं. फिर मैंने भाभी का चेहरा देखा, उनकी आंखों का काजल फैल गया था और उनकी आंखों में आंसू थे. इससे पहले मैं कुछ बोलता, उन्होंने मुझे गले से लगा लिया और मेरे माथे को चूमा. भाभी बोलीं- अक्की तू मेरी ज़िंदगी में पहले क्यों नहीं आया, तू छोटा है पर बहुत समझदार है. तूने आज अनजाने में ही सही लेकिन मुझे औरत होने का सुख दिया. थैंक्यू सो मच एंड आई लव यू. मुझे भी बहुत खुशी हुई और मैंने भी उनको आई लव यू टू बोला, उनको एक स्मूच दी. उस रात हमने एक और बार चुदाई की और सुबह तक नंगे एक दूसरे की बांहों में सोते रहे. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 07:33 PM
रेखा भाभी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 07:37 PM
जब भी मैं कहीं मोटी चूची वाली लड़की महिला या भाभी को देखता हूं तो मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता है.
उस वक्त मैं सोचने लगता हूँ कि किसी तरह इस मोटी चूची वाली की चूत चोदने मिल जाए तो मैं इसको अच्छी तरह से चोद दूं. हमारे पड़ोस में एक लड़के की नई नई शादी हुई थी. शादी के कुछ दिन बाद मैंने घर से बाहर निकलते समय उस नई भाभी को देखा, तो मैं देखता ही रह गया. भाभी की मोटी मोटी चूची और मोटी उठी हुई गांड को देख कर मैं एकदम से उत्तेजित हो उठा और मैं तभी सोचने लगा कि यार इसकी चूत एक बार चोदने को मिल जाए, तो मजा आ जाए. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
01-02-2023, 07:41 PM
उसके पति का नाम अभिषेक था. मैं सोचने लगा कि साले अभिषेक की क्या किस्मत है, भैन के लौड़े को कितनी हॉट माल मिली है.
भाभी का साइज 36-32-40 का था और उसका नाम रेखा था. अब मैं उधर से जब भी निकलता और उस वक्त यदि वो मुझे दिख जाती,तो उसकी मोटी मोटी चूचियों को देखकर मेरा तो लौड़ा ही खड़ा हो जाता था. मैं बस उसको चोदने का सपना देखने लगता था. जब रहा न गया तो मैंने भाभी को पटाने की सोची कि किसी तरह से मैं इस हॉट भाभी को पटाकर इसकी चूत का स्वाद ले लूं. अब मैं भाभी को पटाने में लग गया. कभी कभी भाभी के सामने बोलने का मौका मिलता था तो मैं भाभी को इंप्रेस करने के लिए अच्छी मीठी मीठी बातें करता था. भाभी नई थी तो एकदम से तो मैं उससे बोल नहीं सकता था. और कभी अकेले में बोलने का टाइम नहीं मिलता था. आप तो जानते ही हैं कि जब किसी की नई नई शादी होती है तो कोई भी नई बहू को घर में अकेली नहीं छोड़ता. भाभी के घर के पास मेरे ताऊ जी का घर था. मैं ताऊ जी के घर पर आते जाते भाभी को देखता था. एक दिन मैं ताऊ जी के घर के पास खड़ा होकर भाभी के सामने में किसी से बात कर रहा था और भाभी अन्दर से मेरी बात सुन रही थी. मैं इस तरीके से बात कर रहा था कि भाभी को मेरी बातें अच्छी लग रही थीं. मुझको तो पता ही था कि भाभी मेरी सारी बातें सुन रही हैं. मेरी बातें सुनकर वो मेरी तरफ थोड़ी आकर्षित हुईं लेकिन मैं अभी भी भाभी से सीधे सीधे कैसे बोलता, ये बात समझ नहीं आ रही थी. साथ ही मेरी गांड भी फट रही थी और भाभी को देखकर मेरा लौड़ा भी मेरे पैंट के अन्दर लकड़ी की तरह टाईट होकर मेरी पैंट फाड़कर बाहर निकल कर आना चाहता था. चुदाई का मूड एकदम बढ़ता जा रहा था. मेरा भाभी को पटाने का प्रयास जारी था. मैं भाभी को पटाने के लिए अपने फार्मूले का इस्तेमाल करने लगा. मेरा फार्मूला यह था कि जब भी मैं भाभी की तरफ को जाता था तो मैं भाभी की तरफ को जरूर देखता था. मेरा देखना कुछ इस तरह से होता था कि भाभी की नजर मुझ पर सीधी पड़ती. वो मुझको देख कर झट से पल्ला कर लेती थी. लेकिन उसी बीच मुझे उसकी नजरें देख कर समझ आ जाता था कि ये भी मुझे पसंद करती है. ऐसा काफी दिन तक चलता रहा पर मैंने एक दो बार ऐसा होने पर भाभी का मुँह देख लिया. भाभी देखने में काफी सुंदर थी और गोरी भी. एक दिन जब मैंने भाभी को पल्लू करते देखा, तो उसका मुँह के साथ साथ भाभी के गोरे गोरे बूब्स देख लिए. उस दिन भाभी ने लाल रंग का ब्लाउज पहना हुआ था. लाल रंग में भाभी की मोटी मोटी और गोरी चूचियां देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. इस बार भाभी का गोरा बदन और गोरी गोरी चूचियां देख कर रहा नहीं गया और मैंने ताऊ जी के यहां पर ऊपर जाकर भाभी को देखते हुए मुठ मार दी. ऐसा काफी दिन तक चलता रहा. एक दिन जब मैं ताऊ जी के घर गया तो मैंने भाभी को पहले ही देख लिया था कि भाभी बैठी हुई है. अब मैं भाभी की तरफ बिना देखे ही जाता था ताकि वो अपना पल्लू डालकर अपना सुंदर मुखड़ा न छिपा ले. फिर मैं भाभी को छुप कर देखता. उस दिन मैंने देखा कि भाभी मेरी तरफ को थी और मुझे ही देख रही थी. नजरें मिलते ही वो हंस दी. मैं समझ गया कि भाभी पट सकती है. वो मेरा वापस आने का इंतजार कर रही थी कि मैं कब ताऊ जी के यहां से वापस आऊं और वो मुझे देखे, फिर से मुझे नजरें चुरा कर पल्ला कर सके. मुझे खुद भाभी को पटाना था इसलिए मैं जब वापस गया तो मैंने भाभी की तरफ नहीं देखा और सीधा आने लगा. मैं रास्ते में खड़ा हो गया और भाभी को सुनाते हुए फोन पर झूठ मूठ की बात करने लगा. मैंने आह भरते हुए कहा- सच में यार … तुम मुझे समझ ही नहीं रही हो. एक बार मुझे मिलने का मौका तो दो, खुश न कर दूँ तो कहना! इसके बाद मैं भाभी की तरफ देखा तो वो समझ गई कि ये मैं उसी से कह रहा था. मैंने भी कुछ ऐसी तिरछी नजर करके भाभी को देखा कि उसका खूबसूरत मुखड़ा दिख जाए. वो हंसती हुई मुड़ गई और मैं अपना दिल सम्भालते हुए वापस आ गया. मैंने दाना डाल दिया था, जो भाभी ने चुग लिया था. इस बार भाभी ने मुँह नहीं ढका था. वो इसलिए क्योंकि मैं अब भाभी की तरफ को बिना देखे आने जाने लगा था. अब मेरे मन में सिर्फ एक ही बात चल रही थी कि भाभी को किस तरह से चोदूं. मैंने एक दिन देखा कि भाभी के पास एक लड़की जाती है, उसका नाम कोमल था. तो मैंने सोचा क्यों ना कोमल के जरिए अपनी बात भाभी के पास तक पहुंचा दी जाए. दोस्तो, अच्छी बात यह थी कि कोमल मेरी क्लासमेट थी. अब मैंने कोमल के पास भी जाना शुरू कर दिया. जब भी मैं कोमल के पास जाता तो मैं भाभी की बात शुरू कर देता और भाभी की तारीफ भी खूब करता. भाभी की मोटी मोटी चूची और उठी हुई मोटी गांड देखकर दिन पर दिन मेरी तो उत्तेजना बढ़ती ही जा रही थी. मैंने एक दिन कोमल से कहा- कोमल, रेखा भाभी मुझे बहुत पसंद है. तू भाभी से मेरी बात करा दे. मुझे रात को नींद भी नहीं आती है और भूख भी नहीं लगती है. मेरा बहुत बुरा हाल है. कोमल बोली- अंकित, तू क्या कह रहा है तू पागल तो नहीं है, उसकी अभी शादी हुई है. तू मुझे मरवाएगा क्या. देख मैं उससे कुछ नहीं कहने वाली. मैं उदास होकर वहां से आ गया और सोचने लगा कि ये ही तो एक तरीका था भाभी को चोदने का, ये मौका भी गया. अब मैं जब भी कोमल के पास जाता, तो उदास चेहरा लेकर जाता. कोमल मुझसे पूछती- क्या हुआ? और मैं कुछ नहीं कह कर जवाब देता. कोलम को सब पता था कि मैं उदास क्यों हूं. फिर एक दिन रेखा भाभी का फोन आया. उस समय में कॉलेज में था. जैसे ही मैंने कॉल उठाया, उधर से रेखा भाभी की हैलो कहने की आवाज आई. रेखा भाभी की आवाज सुनकर तो मेरे रौंगटे खड़े हो गए, सारे शरीर में सनसनी सी होने लगी. मैं आपको बता दूँ कि मैं रेखा भाभी की आवाज पहले ही सुन चुका था. जिस नंबर से ये कॉल आई थी, वो नंबर मेरे फोन में पहले से ही सेव था तो मुझे लग ही रहा था कि कहीं फोन पर भाभी तो नहीं हैं. भाभी के हैलो कहते ही मेरा लंड तो अंगड़ाई लेने लगा और मेरी पैंट के अन्दर लंड तंबू बनाता जा रहा था. मैं मन ही मन में खुश हो रहा था कि अब भाभी को चोदने को मिल जाएगा. मैंने भी कहा- हैलो जी कौन? भाभी हंस कर बोलीं- आपको नहीं पता है क्या? मैं- नहीं, वैसे कौन बोल रही हो? भाभी- पहचानो, कौन बोल रही हूं? मैं- आप रेखा भाभी बोल रही हो ना! भाभी- हां, मैं ही बोल रही हूं लेकिन अपने मुझे पहचाना कैसे? मैं- जिसकी याद रात दिन आती हो, उसे कैसे नहीं पहचान सकता. भाभी- कहां हो? मैं- अभी कॉलेज में हूं. भाभी- ठीक है, कॉलेज से आ जाओ … फिर बात करते हैं. मैं- ठीक है. मैं घर आया और आते ही जैसे भाभी को देखा, तो भाभी साड़ी बांध कर मस्त लग रही थीं. भाभी की पतली कमर देखकर मेरा लंड उफान मार रहा था और भाभी के बड़े बड़े गोल स्तनों को देखते ही लंड में भाभी को चोदने की बेचैनी हो रही थी. तभी मैंने भाभी को इशारा किया और फोन करने को कहा. भाभी मेरा इशारा देखकर फोन लेकर अन्दर को चली गई. भाभी को मानो फोन का ही इंतजार था. जैसे ही भाभी अन्दर गई, मैंने तुरंत कॉल मिला दी. भाभी फोन के पास पहुंची ही होगी कि मेरे फोन की घंटी बज उठी. भाभी कॉल उठकर बोली- हां बोलो. मैं- और सुनाओ कैसी हो? भाभी बोली- देखा नहीं क्या अभी कि कैसी थी? मैं- देखा तो था, बड़ी कातिल लग रही हो, किसी का कत्ल करोगी क्या? भाभी हंस कर बोली- कत्ल मतलब कैसे? मैं- आप एकदम सेक्सी लग रही हो. भाभी बोली- अच्छा जी, ये बताओ कि तुम कोमल से क्या कह रहे थे? मैंने भी देर ना करते हुए कहा- भाभी, तुम्हें बहुत पसंद करता हूं, तुमको देखे बिना मन नहीं लगता है. मैं तुमसे बस एक बार मिलना चाहता हूँ. भाभी- मैं एक शादीशुदा हूं. मैं- मैं नहीं जानता, बस एक बार मिलना चाहता हूँ. भाभी- एक बार मिलना चाहते हो या चोदना चाहते हो? मैं भाभी की इतनी बेबाक बात से एकदम डर सा गया कि भाभी तो एकदम लाइन पर आ गई. अब तो मैं भी भाभी से खुलकर बात करने लगा. मैं- हां, कुछ भी समझ लो. भाभी- क्या समझ लूं. साफ़ साफ कहो न? मैं- सुनो यार मैं सच्ची बताऊं, तो तुमको देखकर तुम्हें चोदने का मन करता है. भाभी- कैसे चोदोगे, क्या फोन से ही चोद दोगे? मैं- नहीं यार तुम्हारे ऊपर चढ़कर चोदूंगा. भाभी- तो देर किस बात की है … आ जाओ रात में! मैंने कहा- मैं अभी आ जाता हूँ. भाभी- अभी कैसे आओगे, वो यहीं पास में कहीं काम कर रहे हैं. कभी भी आ सकते हैं. मैं- एक बार आने तो दो यार! भाभी- नहीं, अभी रहने दो, फिर कभी. मैं बात करते करते भाभी के घर पहुंच गया. वहां कोई नहीं था. भाभी किचन में खड़ी होकर मुझसे फोन पर बात कर रही थी. मैंने धीरे से दरवाजा लगाया और किचन में चला गया. भाभी की नंगी कमर को देखकर मैं मचल गया और अब तो मेरा लंड भी बाहर आना चाह रहा था. मैंने पीछे से भाभी की कोली भर ली. भाभी एकदम से डर गई और पलट कर मुझे देख कर बोली- अरे तुम इतनी जल्दी यहां भी आ गए. अभी नहीं, रात में आना, हटो कोई आ जाएगा, अभी तुम जाओ. वे मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी. तभी मैंने भाभी की गर्दन चूमते हुए कहा- मैंने दरवाजा लगा दिया है, कोई नहीं आ सकता है. ये सुनकर भाभी थोड़ी ढीली पड़ गई. अब मैंने भाभी की पीछे से मोटी सी गांड की दरार में अपना लंबा लंड लगा दिया और भाभी के मोटे मोटे मम्मे दबाने लगा. मैं भाभी को पकड़ कर उसके होंठ चूसने चूमने लगा. कुछ ही पलों में भाभी भी धीरे धीरे मेरा साथ देने लग गई थी. मैंने भाभी का साड़ी का पल्लू नीचे गिराया और उसकी पहाड़ जैसे चूचियों पर टूट पड़ा. जल्दी ही भाभी गर्म होने लगी. भाभी ने मेरी गर्दन पकड़कर अपने पहाड़ जैसे चूचों में दबाने लगी. मैंने अपने दोनों हाथ भाभी की गांड पर रखकर उसकी गांड को भींचने लगा. फिर मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया. अन्दर भाभी ने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी. मैंने ब्रा के हुक को खोल दिया. जैसे ही हुक खुला, तो भाभी के मोटे मम्मे एकदम से बाहर आ गए. आह सच में देखने लायक जलवा था. भाभी की चूचियां एकदम गोल और आपस में चिपकी हुई तनी थीं, थोड़ी सी भी नीचे को नहीं गिर रही थीं. सीन देख कर मेरा जोश और बढ़ गया. मैंने भाभी को ऊपर उठाया और किचन की स्लैब पर बैठा दिया. अगले ही पल मैंने भाभी के दोनों पैरों को खोल दिया और टांगों के बीच में खड़ा हो गया. मैं भाभी के बड़े बड़े मम्मों से खेलने लगा. एक को चूसने लगा, दूसरे को मसलने लगा. भाभी अपनी गर्दन पीछे को लटकाकर ‘आह आह उह उह …’ करने लगी. नीचे से भी मेरा लंड भाभी की चूत पर टच हो रहा था. शायद भाभी भी मेरा लंड लेने को बेताब थी. मैंने ब्लाउज और ब्रा को उतार दिया और भाभी की कमर पकड़ कर अपनी जीभ को दोनों चुचियों के बीच फेरता हुआ भाभी के पेट पर फेरने लगा. इससे भाभी मछली की तरह फड़फड़ाने लगी थी. भाभी भी अपने एक हाथ को मेरे लंड पर फेरने लगी थी. फिर भाभी ने मेरे लंड को पकड़ लिया. मेरा टाइट और गर्म लंड को भाभी ने कस कर अपने मुठ्ठी में भर लिया था. मैं समझ गया था कि भाभी का मन करने लगा है कि वो मेरे लंड को अपनी चूत में घुसवा ले. भाभी को मैंने उठाया और कमरे में आकर बिस्तर पर लिटा दिया. मैंने उसकी साड़ी उतार कर अलग कर दी. अगले ही पल मैंने भाभी का पेटीकोट खींचा और चड्डी उतार कर उसको बिल्कुल नंगी कर दिया. भाभी का गोरा बदन मोती सा चमक रहा था और भाभी अपने गुलाबी होंठों को मींजती हुई काट रही थी. ऐसा लग रहा था, जैसे भाभी बरसों की प्यासी थी. आज मैं भाभी को चरम सीमा तक पहुंचाने वाला था. मैंने भाभी के एक पैर को पकड़ कर उसे उलटा कर दिया और नंगा होकर भाभी की कमर से लग गया. मैं भाभी से चिपक गया और बड़े बड़े स्तनों को दबाने लगा. साथ ही मैं भाभी की कमर पर अपनी जीभ फेरने लगा. भाभी अपनी कमर को हिलाने लगी. मैंने भाभी के सारे बदन को अपनी जीभ से चाट रहा था. कभी पेट चाट रहा था, कभी भाभी के बड़े मम्मे को मुँह में भर लेता, तो कभी गर्दन को चाटने लगता. अब भाभी पूरी तरह से बेचैन हो गई थी और उसे रहा नहीं जा रहा था. उसके मुँह से मादक आवाजें निकल रही थीं- आई आई अहा उह उह ईई … पागल ही कर दिया तुमने … आह मैं बहुत प्यासी हूँ. मेरी आग बुझा दो … अब मारोगे क्या … बस मुझसे और रुका नहीं जा रहा है. मैंने भाभी की टांगों को खोला और भाभी के ऊपर चढ़ गया. मैं अपने लंड का सुपारा भाभी की चूत पर फेरने लगा. भाभी अब अपनी मस्ती में होकर मछली की तरह फड़फड़ाने लगी थी. मैंने भाभी की चूत को खोलकर उसके बीच में अपने लंड के सुपारे को रख दिया और घुसाने लगा. भाभी की चूत पानी छोड़ने लगी थी. चुत के पानी से सुपारा चमचम करने लगा था. मुझे गर्म चुत का अहसास बड़ा अच्छा लग रहा था. मैं चुत में लंड नीचे से ऊपर को फेरने लगा. भाभी बिस्तर से ऊपर को खिसकने लगी. तभी मैंने अपना लंड भाभी के चूत के छेद पर ले जाकर अड़ा दिया और भाभी के ऊपर झुक कर उसके गुलाबी होंठों को चूसने लगा. वो भी मेरे होंठों का मजा लेने लगी और गर्म सांसें छोड़ने लगी. मैं अपनी छाती से भाभी की चूचियों को दबाने लगा. भाभी अपने दोनों हाथ मेरी कमर पर फेरती हुई मेरे पिछवाड़े पर फेरने लगी और मेरे पिछवाड़े को पकड़कर अपनी तरफ को खींच कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी. मैंने भी हल्का सा दाब दे दिया. जैसे ही चूत में लंड घुसा तो भाभी की सारी मस्ती काफूर हो गई और उसकी चीख निकलने को हो गई. मगर होंठों पर मेरे होंठों का ढक्कन लगा था तो आवाज बाहर न निकल सकी. फिर मैंने भाभी की चूत में लंड को दबाना शुरू किया. धीरे से आधा लंड चुत में पेवस्त हो गया. वो कुछ शांत हुई तो मैं जोर जोर से धक्के देने लगा. वो भी आह उन्ह करके लंड से चुदने का मजा लेने लगी. कुछ ही मिनट में उसकी आंखों में तृप्ति के भाव आने लगे थे और बदन ऐंठने लगा था. मैं समझ गया था कि ये जाने वाली है. मैंने धक्के देता गया और तभी भाभी की चूत से थोड़ा थोड़ा पानी बाहर निकलने लगा था. मैं भी अपने कठोर लंड को भाभी की चूत के रस में भिगोकर चूत चोदता जा रहा था. सारे कमरे में पच पच की आवाज सुनाई दे रही थी. अब भाभी का पानी निकलने वाला था. वो एकदम से ऐंठ कर मुझे अपनी बांहों में जकड़ने लगी थी. उस वक्त भाभी की वासना चरम पर आ गई थी. उसने अपनी जांघों को और ज्यादा खोल दिया था और अपनी चूत को मेरे लंड में घुसाने लगी थी. वो जोर जोर से सिसकारियां निकालने लगी थी- आह चोदो … आह मजा आ रहा है आह चोदो आंह … मैं भाभी का ये रूप देख कर मस्त हो गया और उसकी चूत में और जोर जोर से धक्का देने लगा. मैं उस समय अपनी पूरी जान लगाकर भाभी की चूत में धक्के लगा रहा था. तभी मेरे दमदार धक्कों को झेलती हुई भाभी ने अपनी चूत का पानी बाहर निकाल दिया. जैसे ही भाभी की चूत से लंड बाहर निकाला, तो मैंने देखा कि भाभी की चूत से लावा बाहर निकलकर बिस्तर पर टपकने लगा था. पर मेरा लंड अभी भी खड़ा था. भाभी ने एक दो पल बाद आंखें खोलीं और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई. मैंने लंड हिलाया तो बोली- अभी झड़ा नहीं ये? तो मैंने कहा- मेरी जान, ये तेरे देवर का हथियार है. इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं है. अब तुम जल्दी से घोड़ी बन जाओ. भाभी जैसे ही घोड़ी बनी, मैंने अपना लंड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और ताबड़तोड़ चोदने लगा. मेरे तेज तेज धक्कों से भाभी की चीख निकल पड़ी थी. कुछ देर बाद मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था, तो मैंने उससे पूछा- किधर लोगी? वो बोली- अन्दर ही आ जाओ देवर जी. बस मैं मानो पिल पड़ा. मैंने 6-7 धक्के मारे तो मेरा भी पानी निकल गया. फिर मैंने भाभी की चूत से अपना लंड बाहर निकाला और भाभी के मुँह के तरफ देखा तो भाभी की आंखों से आंसू निकल आए थे. भाभी की आंखों में मेरे लिए प्यार उमड़ आया था और ये ख़ुशी के आंसू थे. अभिषेक के लंड में जान ही नहीं थी जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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