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Adultery दोस्त की बहन के साथ( पायल)
#1
पायल
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
(01-02-2023, 05:53 PM)neerathemall Wrote:
पायल

पायल को मैं कई सालों से जानता था पर उससे कभी बात करने का मौका नहीं लगा था। तरुण और मेरी दोस्ती बहुत पुरानी है.
तरुण जयपुर का रहने वाला है। जब भी मैं जयपुर जाता तो तरुण के घर ही रुकता और तभी उसकी चचेरी बहन पायल से आँखें लड़ जाती।
आँखें तो लड़ जाती पर मैं हर बार बस तिलमिला कर रह जाता कि इतने सही माल को जाने कैसे भोग सकूंगा।
फिर एक दिन बातों के दौरान तरुण से पता चला कि पायल की शादी एक आर्मी वाले से तय हो गयी है और अगले महीने उसकी शादी है।
यह सुनकर मैं बहुत उदास हुआ और जैसे मन मार कर रह गया।

पर कर भी क्या सकते थे.
किसी ने बहुत खूब कहा है कि ‘मुँह मांगी तो मौत भी नहीं मिलती इस दुनिया में!’

कुछ महीनों बाद मुझे राजस्थान के बिज़नेस टूर पर जाना था और हमेशा की तरह मैं तरुण से मिलता हुआ ही जाने वाला था।
तरुण ने मेरा प्रोग्राम जान कर पूछा कि अगर मुझे दिक्कत ना हो तो जोधपुर में पायल के लिए कुछ सामान लेता जाऊँ।
आज तो जैसे भगवान् ने मेरी सुन ही ली थी।

तरुण को नहीं पता था कि मेरे मन में पायल को लेकर क्या भावनाएं हैं।
खैर मैंने अगले दिन सुबह उठकर तरुण से पायल का सामान लिया और अपने टूर पर आगे बढ़ गया।
मैं अपना काम निपटाता हुआ दो दिन बाद जोधपुर पंहुचा और मैंने सबसे पहले पायल को फ़ोन करके मेरे जोधपुर पहुंचने की खबर दी.
जिसे सुनकर वो बहुत खुश हुई और उसने मुझे अपने घर की गूगल लोकेशन भी भेज दी जिससे मुझे वहां पहुंचने में ज्यादा दिक्कत ना हो।

मैं शाम में ही तैयार होकर, अच्छा सा परफ्यूम लगा कर पायल के घर पहुंच गया और उसके घर की घंटी बजा दी।
शाम के कोई 7 बजे होंगे और मैं अपने तेज़ धड़कते दिल के साथ पायल के दरवाज़ा खोलने का इंतज़ार कर रहा था।

क्यूंकि पायल की शादी एक आर्मी वाले से हुई थी तो मैं उसके पति के लिए एक इम्पोर्टेड स्कॉच की बोतल भी ले गया था।
कुछ देर बाद जैसे एक हुस्न की परी ने दरवाज़ा खोला।
वो सेक्सी लड़की पायल ही थी।

दूध जैसा गोरा बदन, काली साड़ी में लिपटा ऐसे लग रहा था जैसे कोई अप्सरा धरती पर उतर आयी हो।
पायल ने अपनी साड़ी नाभि से नीचे बाँधी थी और उसकी अंडाकार नाभि मुझे आकर्षित कर रही थी।
उसके बदन से आती मदमस्त करने वाली सुगंध मेरे नथुनों से टकरा रही थी और मुझे पागल कर रही थी।

मैं उसको देखते ही मन्त्र-मुग्ध हो गया और जाने कहाँ खो गया.
कि पायल ने मुझे हिलाते हुए पूछा- यहीं खड़े रहोगे या अंदर भी आओगे?

मैं जैसे किसी निंद्रा से लौटा था और पायल के पीछे पीछे घर के अंदर चल दिया।
पायल के मटकते चूतड़ जैसे मुझसे कह रहे थे कि आओ और हमे भींच दो, रगड़ दो, चोद दो।
पर मेरे पास सिवाए आँखें गर्म करने के और कोई चारा बाकी नहीं था।

पायल मुझे ड्राइंग रूम में ले गयी और मुझे बैठने को कह कर पानी लेने रसोई की तरफ बढ़ गयी।
मैं एकटक उसको जाते हुए देखता रहा।
पायल एक ऐसे जिस्म की मालकिन थी कि एक मुर्दे को भी ज़िंदा कर दे।
अब तक मेरा छोटू भी बगावत करने लगा था पर मैंने उसको हलके से सहला कर आश्वासन दिया कि ये माल तेरी मलाई जरूर चखेगा।

थोड़ी ही देर में पायल वापस आ गयी और मुझे पानी देने लगी।
मेरी नज़र तो सिर्फ उसका हुस्न-पान करने में लगी थी।

उसका झुकना था कि मेरी नज़र उसके ब्लाउज के गहरे गले से अंदर होती हुई उसके चूचों के बीच की कोमल और गहरी नाली पर जा टिकी।
मैं पायल के जिस्म का पूरा लुत्फ़ ले रहा था।
मैंने पायल से उसके पति के बारे में पूछा तो पता चला कि अमित (पायल के पति का नाम) की पोस्टिंग राजस्थान से बाहर है और वो शादी के कुछ दिनों बाद ही वहां शिफ्ट हो गया था।

मुझे समझ आया कि ये एक प्यासी, तड़कती-फड़कती जवानी है और कुछ हो ना हो, लण्ड पाने को बेताब भी जरूर होगी।
मैंने बात आगे बढ़ाई- नयी जगह पर पूरा दिन अकेले बिताना तो बहुत मुश्किल होता होगा?
पायल- अब तो आदत पड़ गयी है। किसी भी तरह से आर्मी का हिस्सा होना बहुत गौरव की बात है पर पति-पत्नी का वियोग बहुत परेशान करता है।

राहुल- समझ सकता हूँ पर शादी के बाद कुछ समय तो नए जोड़े को साथ रहना ही चाहिए। आखिर तुम्हारे भी कुछ अरमान होंगे।

पायल मेरी बात काटते हुए- आप डिनर तो नहीं कर आए? जब आपका फ़ोन आया था तो मैं खुश हो गयी थी कि बहुत दिनों बाद आज अकेले डिनर नहीं करना पड़ेगा।
राहुल- तुम्हारे साथ डिनर जरूर करूँगा। अगर करके आया भी होता तो तुम्हारे साथ दोबारा कर लेता।

पायल मुस्कुराते हुए- ऐसी भी कोई ज़बरदस्ती नहीं है राहुल! मैं आपको राहुल बुलाऊँ तो आपको कोई दिक्कत तो नहीं?
राहुल- जो चाहो, कहकर बुला सकती हो। मैं इतना भी फॉर्मल नहीं। पहले अपना सामान तो देख लो।

पायल जैसे खुश हो गयी।
उसने उठ कर अपना सामान देखा और मेरी नज़र फिर से उसके पूरे शरीर का जैसे x-ray करने में लग गयी।

उसकी नज़र स्कॉच की बोतल पर पड़ी तो उसने कहा- इसकी क्या जरुरत थी?
राहुल- मैंने सोचा आर्मी वाले के लिए इससे अच्छा तोहफा कुछ नहीं हो सकता तो साथ ले आया। सोचा था दो-दो पैग भी लगा लेंगे पर …
पायल- तो अब भी कोई दिक्कत नहीं, आप अपने पैग लगाओ। आपको कोई नहीं रोकेगा।

राहुल- अकेले पीने में वो मज़ा कहाँ पायल! अमित होते तो बात ही कुछ और होती। वैसे भी आर्मी वालों के साथ शराब पीने की बात ही कुछ अलग होती है।
पायल- ऐसी बात है तो आज आर्मी वाले की पत्नी के साथ एक जाम लगा लो। उतना मज़ा ना सही, कुछ कम में ही गुजारा कर लो।
राहुल- नेकी और पूछ पूछ! चलो फिर, इसी से शुरू करते हैं।

इतना कह कर मैं खड़ा होकर पायल की तरफ बढ़ा और उसको ग्लास, बर्फ, सोडा और नमकीन लाने को कहा।
पायल ने भी बिना देर किये, थोड़े ही समय में सब चीज़ों को टेबल पर लगा दिया।

मैंने सब चीज़ों को ठीक से लगाया और अपने मोबाइल पर हलके गाने चला कर थोड़ा समां बाँधने की कोशिश की।
पायल ने भी कमरे की लाइट थोड़ी कम की और एक परफेक्ट समां बना दिया।

कुछ ही देर में मेरे सपनों की परी मेरे सामने (टेबल की दूसरी तरफ), मेरे साथ शराब पीने के लिए तैयार थी।
मन में जाने कैसे कैसे ख्याल आ रहे थे।

पर यह ख्याल बहुत ज़ोर मार रहा था कि आज पायल के साथ रास जरूर रचेगा।
मन में यह ख्याल भी आ रहा था कि पायल ने शराब कब से पीनी शुरू की क्योंकि इनके खान-दान में सिवाय तरुण के कोई दारु पीना तो दूर, छूता तक नहीं।
पर जो भी हो, अभी बहुत सी बातें बाकी थी और पूरी रात भी बाकी थी।

मैंने छोटे छोटे से पैग बनाने शुरू किये और चोर निगाहों से पायल को देखता रहा।
पायल की हर सांस के साथ मैं उसके चूचों को ऊपर नीचे झूलते साफ़ देख सकता था। पायल के चूचों में शायद अचानक से वृद्धि हुई थी क्यूंकि शादी से पहले पायल के चूचे कोई 32″ के रहे होंगे जबकि अब वो 36″ या उससे भी कुछ बड़े महसूस हो रहे थे।

होने को तो ये काम अमित का भी हो सकता है पर कुछ ही महीनों में इतने बड़े होना, मेरे लिए अचम्भे की बात थी।
मैंने पैग पायल की तरफ बढ़ाते हुए उसको एक बार फिर आँखें भर कर निहारा और उसको सोडा-पानी खुद डालने को बोला।
पायल- स्कॉच पीने का मज़ा सिर्फ ‘ऑन दी रॉक्स’ आता है मुझे! आप पानी से लेंगे या सोडे से?
राहुल- मैं भी कंपनी पूरी देता हूँ पायल। आप ‘ऑन दी रॉक्स’ हैं तो हम भी आग से कम नहीं।
पायल सवालिया निगाहों से देखते हुए- तो हो जाए ‘बॉटम्स अप’?

हम दोनों ने तक़रीबन एक साथ ही पैग ख़त्म किया पर पायल ने जितना इसको एन्जॉय किया, मैं उतना नहीं कर सका।
मेरा दिमाग तो कहीं और ही चल रहा था।

इससे पहले मैं अगला पैग बनाता, पायल ने बोतल उठा ली और अगला पैग खुद बनाने लगी।
पायल जैसे इस काम में माहिर हो चुकी थी।

उसने पैग भी पूरा बनाया, मेरी तरह छोटा नहीं।
मुझे समझते देर नहीं लगी कि पायल कुछ ही महीनों में पूरी खिलाड़ी हो चुकी थी।

पर अभी मैंने बहुत कुछ जानना था और वैसे भी, किसी के साथ ज्यादा समय बिताना हो तो बातें जरूरी हो जाती हैं।
और मुझे तो पूरी रात इसके साथ ही बितानी थी दोस्तो।

मैंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए पायल से कहा- बुरा ना मानो तो कुछ जान सकता हूँ?
पायल- कहीं ये तो नहीं जानना चाहते कि मैं शराब कब से पी रही हूँ?

राहुल- ये तो बिल्कुल नहीं … पर तुमने जिक्र किया है तो अब बता भी दो।
पायल- आर्मी वालों के यहाँ जो ये सब नहीं करता उसको पिछड़ा हुआ मानते हैं। और अमित इन सब बातों को ज्यादा महत्व नहीं देते। जब भी पीते हैं तो एक पैग मेरा भी साथ ही बनाते हैं। फिर उनके जाने के बाद, समय काटने को एक-एक से शुरू हुआ और आज सब आपके सामने है। पर मेरे घर वालों को ये सब नहीं पता।

राहुल- तुम बेफिक्र रहो, मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा।
पायल- धन्यवाद।

राहुल- तुमने मेरे साथ दारु पी कर मुझे मान ही दिया है और मैं इसका पूरा सम्मान करूँगा।
पायल- आप दारु के साथ खाने में कुछ और लेंगे क्या?
राहुल- जो भी आपने डिनर में बनाया है, वही सब्ज़ी ले आइये। दारु का मज़ा और बढ़ जाएगा।

पायल ने दूसरा पैग भी झट से खींचा और उठ कर रसोई की तरफ बढ़ गयी।
मैं अपने पैग को आराम से पीता हुआ आगे की तैयारी में था कि कैसे बात बढ़ाई जाए।

बंदी तो तक़रीबन तैयार सी ही थी पर अगर मैं गलत सोच रहा हूँ तो … मेरे तो लग जाने थे।
वैसे भी अकेली बंदी के साथ … उसके घर में … और वो भी आर्मी कैंटोनमेंट में … गुरु, अगर कुछ भी उन्नीस इक्कीस हुआ तो बे-भाव की पड़ेगी।
मैं ये सब सोच ही रहा था कि पायल हाथ में सामान लिए कमरे में वापस आ गयी।

उसकी चाल में थोड़ी लहक थी और ये पक्का था कि उसको दारु चढ़ने लगी है।
तब मैंने सोचा, अगर ये एक दो पैग और लगा ले तो मेरी रात तो रंगीन हो जानी है।

मैंने थोड़ी थोड़ी सब्ज़ी कटोरी में करते हुए अगले पैग के लिए बोतल उठायी ही थी कि पायल ने अपना ग्लास खींच लिया और अगले पैग को मना करने लगी। 
राहुल- ये क्या बात हुई? साथ निभाने का कह कर, बीच में ही साथ छोड़ रही हो?
पायल- मेरा हो गया। मैं इतना ही लेती हूँ।
राहुल- वो तो जब अकेली होती हो, तब ना … अमित के साथ भी बस इतनी ही लेती हो क्या?

पायल- अमित के साथ कुछ सोचना नहीं पड़ता। वो होता है तो मैं बेफिक्र होती हूँ।
राहुल- मेरे साथ भी बेफिक्र हो सकती हो। मेरे से क्या डर?

पायल- डरने की कोई बात नहीं। आप कह रहे हो तो एक-एक और हो जाए पर उसके बाद नहीं। फिर बस डिनर करेंगे।
राहुल- जैसे तुम कहो। कहोगी तो यहीं बंद करते हैं।

पायल- ठीक है … बस एक-एक और पर ये मेरा आखिरी होगा। उसके बाद नहीं। तुम पैग बनाओ, मैं अभी आती हूँ। जाने क्यूँ … गर्मी बहुत लग रही है आज!
इतना कह कर पायल अपना ग्लास मेरे तरफ बढ़ा कर उठी और चली गयी.
शायद अपने बेड रूम की तरफ।

मैंने उसके ग्लास को पहले चूमा फिर जहाँ पायल के लिपस्टिक के निशान थे, वहां चाटा और उसके बाद उसका ‘सो-कॉल्ड’ आखिरी पैग बनाने लगा।
मैंने जानबूझ कर इस बार पैग को थोड़ा और दमदार बनाया जिससे पायल को अच्छा नशा हो जाए और मैं मौके का फायदा उठा सकूँ।
कुछ ही देर में पायल के वापस आने की आहट सुन मैंने उसका पैग उसकी तरफ बढ़ाते हुए जो उसकी तरफ देखा तो जैसे मैं सपनों की दुनिया में चला गया।
पायल अपनी साड़ी बदल कर एक भीनी और तंग नाईटी पहने मेरे सामने खड़ी थी।
रंग इसका भी काला ही था पर ये नाईटी पायल के संगेमरमर दूधिया बदन को मेरी प्यासी निगाहों से छुपाने को नाकाफी थी। 

पायल की नाईटी उसके घुटनों से जरा ज्यादा ऊँची थी और उसका गला भी अच्छा बड़ा पर थोड़ा टाइट था।
इस वजह से पायल के चूचे उसकी नाईटी से बाहर को झाँक रहे थे और मुझ पर उसके हुस्न के बाण चला रहे थे।

पायल के चूचों के बीच की घाटी अब पहले जितनी खुली नहीं दिख रही थी पर मेरे को अब पहले से ज्यादा लुभा रही थी।
और नाईटी का कपड़ा कुछ ज्यादा महीन था जिसके कारण मैं थोड़ा गौर से देखने पर पायल के बदन को उस कपड़े के पार भी देख सकता था।
मेरे अंदर जैसे कई काले कुत्ते जागने लगे थे।

मैंने पायल को ‘बॉटम अप’ कहते हुए अपने पैग को झट से गटक लिया और पायल ने भी अपना पैग ख़त्म करने में कोई देर ना करते हुए खाली ग्लास को मेज पर जैसे पटक सा दिया था।
मैंने देर ना करते हुए बात आगे बढ़ाई- चलो बताओ, अमित को मिस करती हो ना बहुत?
पायल- दिन तो जैसे तैसे कट जाता है पर रात नहीं काटी जाती।

राहुल- मैं तो जब टूर पर होता हूँ, तब एक दो दिन को ही घर से निकलता हूँ। फिर भी मन नहीं लगता। कल भी रात भर बस करवटें बदलता रह।
पायल- तो आप आज यहीं रुक जाओ ना! वैसे भी हमें इतना बड़ा घर मिला हुआ है। सारे कमरे तो खाली ही हैं। मुझे तो बैडरूम और ड्राइंग के अलावा किसी कमरे में गए भी हफ़्तों हो जाते हैं। 

राहुल- मुझे रुकने में कोई दिक्कत नहीं पायल … पर मुझे अकेले नींद नहीं आती। तो मैं चाहे यहाँ रुकूँ या अपने होटल में, मेरे लिए तो एक ही बात हुई ना।
पायल- ऐसा करते हैं, जब तक हो सकेगी बातें करेंगे और फिर मैं सोने अपने कमरे में चली जाउंगी। बाकी जैसा आपको ठीक लगे।

राहुल- क्यूँ ना हम दोनों आज रात इस ड्राइंग रूम में ही बिताएं। तुम दीवान पर सो जाना और मैं सोफे पर सो जाऊँगा। इसी बहाने बातें भी हो जाएंगी … मैं भी एक दो पैग और लगा लूंगा।
पायल उठ कर रसोई से रोटियां भी ले आयी और अपनी प्लेट लगाने लगी।
मैंने भी देर ना करते हुए अपनी प्लेट उठायी और भोजन परोस कर पायल के साथ की कुर्सी पर ही बैठ गया।

पायल के बदन से मदहोश करने वाली खुशबू आ रही थी पर पायल मुझसे ज्यादा मदहोश थी।
शायद शराब अपना काम बखूबी कर रही थी और नसीब भी मेरा दरवाज़ा खटखटा रहा था।

मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने अपनी जांघ को पायल की जांघ से छुआ दिया और निरंतर भोजन करने में व्यस्त रहा जिससे यह पता चले कि इसमें पायल को कोई आपत्ति तो नहीं पर पायल ने कोई आपत्ति नहीं दिखाई।
पायल को खाते खाते थोड़ी धसक सी हुई तो मैंने सीधा पायल की पीठ सहलानी शुरू की।
मैं पायल की ब्रा स्ट्रैप को महसूस कर सकता था।

एकदम पतली सी स्ट्रैप, जैसे कोई डिज़ाइनर ब्रा पहनी हो।
मेरा लण्ड तो इतना महसूस करके ही ऐसे तन गया जैसे फटने को तैयार हो।

पर मंज़िल इतनी भी आसान नहीं थी।
पायल की तरफ बढ़ता मेरा हर कदम मुझे जैसे एक विजेता सा महसूस करा रहा था।

पर इस बार मेरा खड़ा लण्ड पायल की नज़र से बच नहीं सका।
पायल ने मुझे अपनी मदहोश निगाहों से देखा और धन्यवाद देती हुई फिर भोजन करने लगी।
कुछ ही देर में हम दोनों भोजन करके टीवी के सामने बैठ गए बस फ़र्क़ इतना था कि अब हम एक दूसरे के साथ नहीं पर साइड में थे।
मैं अलग सोफे पर और वो अलग सोफे पर लेकिन बिल्कुल बराबर बराबर!
हमारे बैठने का तरीका कुछ यूँ था कि अगर मैं थोड़ा प्रयास करूँ तो आसानी से पायल की टांगों, घुटनों या जांघ को अपने हाथ या पैरों से रगड़ और छू सकता था।

अभी पायल में चेतना बाकी थी और ये मेरे लिए बिल्कुल अच्छा नहीं था।
टीवी चल रहा था और मौसम भी मदहोशी से भरा था।
मैंने एक और पैग बनाया और पायल की तरफ बढ़ा दिया।
पायल पैग को साइड टेबल पर रखती हुई- मैं इतनी भी शराबी नहीं कि एक के बाद एक पैग लगाती जाऊँ।
राहुल- तो कितनी शराबी हो, वही बता दो पायल जान … ओह! मेरा मतलब …

पायल मेरी बात काटते हुए- मैं सारे मतलब समझती हूँ राहुल।
राहुल- नहीं नहीं वो तो बस शराब के नशे में मुँह से निकल गया।
पायल- थोड़ी ही तो पी है आपने और इल्जाम सब शराब पर?

राहुल- तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे तुम्हें शराब का नशा नहीं चढ़ता.
पायल- शराब का नशा चढ़ता तो है पर मुझे तो कंपनी का नशा सुहाता है।

पायल का इतना कहना था कि मेरे पैर खुद-ब-खुद पायल की तरफ हो लिए और कुछ ही पलों में मेरे घुटने पायल के घुटनों और जाँघों को छू रहे थे।
वह भी इस बात से अनजान नहीं थी और उसकी बॉडी लैंग्वेज से पता चलता था कि उसको भी इस सब का भरपूर आनंद आ रहा है।

मैंने सिलसिला आगे बढ़ाया- तो मेरी कंपनी का नशा कैसा लगा तुम्हें?
पायल- अगर अच्छा नहीं लगा होता तो मैं आपको डिनर के बाद यहाँ रुकने नहीं देती।

अब मैंने कोई देर ना करते हुए पायल के घुटने पर हाथ रख दिया और उसको सहलाने लगा।
पायल निर्विरोध थी और मैं धीरे धीरे अपने भाव को जाहिर कर रहा था।

मैं अब सिर्फ उसके घुटनों को ही नहीं पर हल्की जाँघों को भी छूने लगा था और पायल की सांसें तेज़ होती जा रही थी।
पायल की नाईटी तो पहले ही तंग थी और जैसा आप सब जानते हैं कि बैठने पर नाईटी थोड़ी ऊँची सी हो जाती है।

नाईटी भी उसकी जाँघों को मुश्किल से ही ढक पा रही थी और फिर मैं तो आज मतवाला था ही!
अगर ढक भी रही होती तो मुझ पर क्या असर पड़ना था.

मैं पायल की अंदरूनी जाँघों तक पहुंच चुका था और पायल अपनी आँखें बंद किये गहरी सांसें ले रही थी।
पायल की छाती ऊँची – नीची होती देख मुझमें जोश बढ़ता जा रहा था।
वह शराब के नशे में मदहोश थी या मेरे नशे में … यह कहना तो मुश्किल था पर मैं पायल के नशे में पूरा मदहोश था और इसका पता हम दोनों को ही था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#3
पायल ने साइड टेबल पर रखा पैग उठाया और एक झटके में उसको अपने गले से नीचे उतार दिया।

मेरे मर्दाना हाथों का स्पर्श जैसे पायल को मतवाला बना रहा था।
मैं भी पायल की मक्खन सी जाँघों को अब मसलने सा लगा था।

अब पायल का खुद पर काबू नहीं था और पायल उठ कर मेरी गोद में आ बैठी थी।
मैंने भी अपने होठों को पायल के होठों पर रख उनको चूसना शुरू कर दिया था।

अब मेरे हाथ पायल की जाँघों से थोड़ा ऊपर हो चले थे और मैं उसकी गीली पैंटी को महसूस कर सकता था।
पायल भी अब सिसकारी लेने लगी थी और उसका बदन हल्का हल्का काँप रहा था।

पर ये कहना झूठ नहीं होगा कि पायल के हुस्न का जादू मेरे पर अब हावी होने लगा था।
मेरा लण्ड पूरा तना था और पायल की गांड में जैसे कुछ खोदने को बेकरार था।

पायल भी मेरे लण्ड को पूरी तरह से महसूस करने के लिए अपनी गांड को हिला रही थी।

कमरे में मौसम बदल रहा था और माहौल गर्माने लगा था।

मेरे हाथ खुद-ब-खुद पायल के स्तनों की तरफ बढ़ गए थे।

पायल पागलों की तरह मेरे होठों को सिर्फ चूस ही नहीं रही थी बल्कि बुरी तरह से काटने लगी थी।
जैसे किसी भूखी शेरनी को कोई शिकार मिल गया हो।

एक हाथ को पायल के चूचों पर छोड़, दूसरे को मैं पायल की चूत पर ले गया और पायल की चूत को उसकी पैंटी के ऊपर से रगड़ना शुरू कर दिया।
कुछ देर पायल की चूत को रगड़ने के बाद मैंने धीरे धीरे उसकी पैंटी के साइड से जगह बना कर पहली बार तो पायल की चूत को छुआ … अरे ये क्या, पायल तो यूँ काँपने लगी कि क्या बताऊँ।

पायल का पूरा बदन थिरक रहा था।
उसकी सिसकारियाँ जैसे किलकारियों में तब्दील हो गयीं थी और कुछ ही पलों में पायल की चूत ने मेरी उँगलियों को अपने कामरस से भिगोना शुरू कर दिया।

पायल के चेहरे पर एक असीम संतुष्टि साफ़ पढ़ी जा सकती थी। पायल ने अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे यूँ देखा जैसे कोई बच्चा किसी शरारत को करने के बाद देखता है।
मैंने भी सवालिया निगाहों से पायल को देखा और अपनी उँगलियों को एक एक करके चाटना शुरू किया।

पायल मेरा हाथ थामते हुए- ये क्या कर रहे हो राहुल? तुम्हें ऐसा करते देख मुझे कुछ कुछ हो रहा है.
राहुल उँगलियों को चाटते हुए- इतना नशा तो किसी शराब में भी नहीं पायल जान। मैं तेरे शरीर का सारा रस और हर बून्द पी जाना चाहता हूँ। आज मुझे मत रोकना।

पायल- आज अमित को गए 3 महीनों से ज्यादा हो गए और तुम तो समझ सकते हो कि नयी नयी शादी के बाद इतनी लम्बी जुदाई कैसी खटकती है। बस इसलिए मैं खुद को रोक नहीं सकी।

राहुल- शायद मेरी किस्मत में तेरा हुस्न पीना लिखा था आज! इसीलिए अमित और तुम्हारे वियोग के बीच मैं तुमसे मिलने पंहुचा हूँ। तुम्हारे काम-रस की सुगंध मुझे मदहोश कर रही है पायल जान।
पायल- मदहोशी तो मुझ पर भी चढ़ी हुई है आज! पर तुमने शरारत की है मेरे साथ। तुमने जानबूझकर पैग ज्यादा बड़े बना दिए।

राहुल- पैग तो एक भी बड़ा नहीं बनाया पर मेरे हाथों ने जो तुम्हारे पैग बनाये उनमें तुम्हारे हुस्न का नशा जरूर मिला था। ये जादू उस बढ़े नशे का ही है।
पायल मेरे कंधे पर सिर रखते हुए- ये सब सिर्फ मुझे बहलाने को कह रहे हो तुम! मैंने तुम्हें अपनी शादी से पहले भी देखा है … मुझे घूरते हुए!

राहुल पायल के चूचों पर हाथ फेरते हुए- तुम्हारा ये हुस्न है ही इतना कातिल कि शिकारी खुद शिकार हो जाए पायल जान। पर एक बात तो बताओ, शादी से पहले तुम्हारे चूचे कोई 32 के रहे होंगे। इतनी जल्दी ये इतने बड़े कैसे हो गए?
पायल- तुम्हें ये भी पता है कि तब कितने थे और अब कितने हैं? बहुत गुंडे निकले तुम तो?
राहुल- जब जब तुम्हें देखता हूँ, दिल बेईमान हो ही जाता है पायल जान।

और इतना कहते कहते मैंने एक बार फिर पायल के होठों पर अपने होंठ रख दिए।

देखते ही देखते हम दोनों के बीच की दूरियां कम होती गयीं और हम एक दूसरे को चिपक कर चूमते रहे।
मेरे हाथ पायल की गोलाइयों को नाप रहे थे और पायल सिसकारियाँ भर रही थी।

पायल की चूत तो पहले ही पानी छोड़ चुकी थी और उसकी मादक खुशबू अब भी मेरे हाथ में थी।
जब-जब मैं उसके होठों को चूसता, मेरा लण्ड बेताब हुए जाता।

पायल अपने हाथों को मेरे बालों में घुमा रही थी।
मैंने अपने हाथ पायल की पीठ पर ले जाकर उसकी नाईटी की स्ट्रैप खोली जिससे मैं उसके नंगे बदन को हांसिल कर सकूँ।
पायल बिन पानी मछली जैसी तड़पती जा रही थी और मैं धीरे धीरे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा था।

मैंने पायल की गर्दन को चूमना चाटना शुरू किया और हाथों से उसकी पीठ को सहलाता रहा।
पायल से ज्यादा देर रहा ना गया और उसने मेरे लण्ड को जैसे खोजना शुरू किया।

मैंने देर ना करते हुए पायल को अपनी गोद में उठा लिया और उसको दीवान पर लिटा कर पीछे हट गया।
पायल किसी नागिन जैसी कमसिन … दीवान पर पड़ी बेचैन जवानी … कोई हुस्न की देवी लग रही थी।

उसकी छोटी और पारदर्शी नाईटी उसके हुस्न को मेरी आँखों से छुपाने को नाकाफी थी।
यहाँ तक कि अब पायल की नाईटी इतनी तंग सी हो गयी थी कि उसकी पैंटी भी साफ़ नज़र आने लगी थी।
पैंटी भी जानलेवा थी … भीनी, जालीदार, काली पैंटी जिसपर एम्ब्रायडरी से छोटे छोटे फूल बनाये गए थे जिससे सिर्फ चूत छुपी रहे और बाकी सब पारदर्शी कपड़े से आसानी से देखा जा सकता था।

मैं अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए दिल भर के उसके हुस्न को अपनी आँखों से ही पी रहा था।
पायल बेचैन थी और बेइंतहा तड़प रही थी।
उसकी नज़रें मुझे लाचार सी देख रही थीं, जैसे जन्म-जन्मांतर की बातें अभी करना चाहती हों।

उसकी यह तड़प अब मुझसे देखी नहीं जा रही थी।

एक पल गंवाए बिना ही मैं पायल के पैरों के बीच पहुंच गया और उसके पैरों को चूमने लगा।
पायल के पैर भी उसके जिस्म जितने ही सुन्दर थे।

कभी मैं उसके पैर की उँगलियों को चूमता … कभी चाट लेता … तो कभी काट लेता।
मुझे पायल की उत्तेजना बढ़ाने में अत्यंत आनंद आ रहा था और शायद पायल भी इसका भरपूर मज़ा ले रही थी।

पायल बेचैनी से भरी बीच बीच में अपने चूचों और चूत को खुद ही दबा रही थी।

एक तो उसकी अमित से इतनी लम्बी दूरियां और उस पर अब उसको मेरा यूँ तड़पाना शायद उसकी बर्दाश्त से बाहर था।
ऊपर से मैं कभी उसकी चूत को मसोड़ देता तो कभी उसके बम्म मसल देता।

पायल की सिसकारियां तो पहले ही ज़ोरों पर थीं पर अब उसमें एक कशिश – एक दर्द – एक ख़ुशी – एक सुख की सी मिली जुली झलक थी।

कुछ ही देर में मैं पायल के पैरों से ऊपर होता हुआ अब उसकी जाँघों पर चोट कर रहा था।
पायल मेरी हर छुअन पर जैसे तड़प के रह जाती पर मज़ा उसको भी बहुत ज्यादा आ रहा था।

मैंने अपने हाथ से महसूस किया था कि उसकी चूत बीच बीच में थोड़ी बहुत बहती जा रही थी और वो शायद पूर्ण स्खलित ना होकर स्खलित होने में लम्बा समय ले रही थी।
मैं कभी उसकी चूत तो कभी उसके कूल्हों तो कभी उसके चूचों को मसल रहा था।

आज जैसे सालों पुरानी चाहत पूरी हो रही थी और मैं किसी जल्दी में नहीं था।
मैंने पायल की जांघों को चूमना चाटना शुरू किया ही था कि पायल ने अपनी टांगें खोल कर मुझे जैसे खुला निमंत्रण दे दिया।

अब मैं उसकी गीली पैंटी से आ रही मादक खुशबू से मतवाला हुआ उसकी जाँघों को चूमने – चाटने और काटने लगा।

धीरे धीरे पूरे कमरे में वही खुशबू समाती जा रही थी।
पायल पागल और मैं पूरा पागल हो चुका था।

मैं हाथों से पायल के चूचों को मसलता हुआ जो उसकी चूत पर पंहुचा और उसकी चूत को अपनी नाक से सूंघा तो जैसे मैं किसी अलग दुनिया में पहुंच गया।
खुद पर कोई वश नहीं था अब मेरा और मंज़िल मेरे आग़ोश में थी.

पर पिक्चर अभी बाकी थी मेरे दोस्त …

मैंने किसी भूखे शेर की तरह पायल की चूत पर अपना मुँह पूरा खोल कर रख दिया जैसे उसकी चूत को खाना चाहता हूँ।

पायल के पास सिवाय तड़पने के कोई चारा बचा नहीं था; उसने मेरे सिर पर हाथ रख मुझे अपने अंदर धकेलना शुरू किया।

क्यूंकि मैंने पायल की ब्रा को अभी तक उसके बदन से अलग नहीं किया था, मेरे हाथ उसके चूचों की घुंडियों को ब्रा के ऊपर से ही बेदर्दी से मसल रहे थे और पायल अब सिसकारियों की जगह जैसे कराहने लगी थी।

उसके पैर चौड़े खुले हवा में उठे थे जिससे मुझे उसकी चूत में समा जाने को भरपूर जगह मिल रही थी।

मैंने पायल की चूत से उसकी पैंटी को अलग करने के लिए एक तरफ से उसकी इलास्टिक को अपने दांतों से पकड़ा ही था कि पायल ने अपनी गांड उठा दी।
बिना एक पल गवाएं मैंने पायल की पैंटी को उसकी चूत से अलग कर दिया पर अभी उसके जिस्म से अलग नहीं किया था।

अब पायल की चूत और मेरी जीभ के दरमियान कुछ नहीं था और मुझे उसकी मादकता अपना गुलाम बनाये जैसे हुक्म दे रही हो कि ‘ऐ गुलाम, आ और मुझे पी जा!’

इतनी प्यारी और कोमल सी चूत … होने को तो पायल शादीशुदा थी पर उसने अपने पति के साथ बहुत सारा समय नहीं बिताया था और इसलिए उसकी चूत एकदम कसी थी।

तो दोस्तो, जो होता है आज भी वही हुआ …
मैंने पायल की चूत की ताबड़तोड़ चुसाई शुरू कर दी।

थोड़ी देर चूसने के बाद जो मैंने उसकी चूत में उंगली करनी चाही तो पायल जैसे सिहर सी गयी।
जैसे पहली बार किसी कुंवारी लड़की की चूत में उंगली हुई हो।

वैसे भी पायल की शादी को कुछ ही महीने हुए थे और उसमें भी पिछले 3 महीनों से वो अपने पति से दूर थी तो आज तो मेरी चांदी ही चांदी थी।

थोड़ी मेहनत करने पर मेरी उंगली ने पायल की चूत में अपने लिए जगह भी बना ली थी।
अब कभी मैं उसकी चूत में उंगली करता तो कभी जीभ अंदर तक उतार देता।

जब भी मैं पायल की चूत में उंगली या जीभ डालता, पायल हर बार सिहर के रह जाती।

कभी मैं उसकी चूत के होंठों को चूसता तो कभी उनको काट लेता!
पर मेरा मन था कि माउथ सेक्स विद हॉट गर्ल से भरने का नाम ही नहीं ले रहा था।

अब मैंने पायल की चूत में 2 उँगलियाँ डालनी शुरू की और साथ में उसकी चूत से बाहर आती खाल को चूसने लगा।

पायल के मुँह से आती आवाज़ें रात के साथ बढ़ती ही जा रही थी।
मैं चाहता था कि पायल की चूत मेरे मोटे लण्ड के लिए तैयार हो जाए।

कुछ ही पलों में पायल की चूत से अमृत की वो धारा बहने लगी जिसके लिए मैं कितने सालों से तरस रहा था।
पायल ने एक ज़ोरदार चीख के साथ अपना बाँध तोड़ दिया और उसकी सांसें उखड़ी उखड़ी सी हो गयी।

मैंने पायल की चूत से बहते रस को पीना शुरू कर दिया पर उंगली को बाहर नहीं निकाला जिससे मैं हल्का घर्षण करता रहूं और पायल के शरीर में गर्मी बनी रहे।

जो दोस्त और भाभियाँ मेरी पुरानी कहानियां पढ़ चुके हैं, वे जानते हैं कि पायल की चूत से पहले भी मैंने कई चूतों का पानी पीया है पर पायल के पानी में एक अलग ही बात थी।
उसका स्वाद बहुत अलग था क्यूंकि पायल ना तो कुंवारी थी और ना ही पायल की गिनती शुमार चुदी हुई लड़कियों या भाभियों में की जा सकती थी।

और फिर नयी दुल्हन की चूत तो वैसे भी दुल्हन सी ही होती है यारो …

मैंने भी पायल की चूत से एक एक बून्द को माउथ सेक्स के दौरान स्वाद ले कर चाटा और यह भी सुनिश्चित किया कि पायल मेरी हर चुसकी पर तड़पे।
जब मेरी जीभ पायल की चूत को छूती तो जैसे पायल के बदन में आग सी लग जाती थी।

मैंने ऐसा गर्म माल पहली बार हासिल किया था और मुझे इस बात पर गर्व हो रहा था।
मैं भी बीच-बीच में पायल की चूत को सपाट करके उस पर 2-4 थप्पड़ लगा देता जिससे माहौल में उत्तेजना, थोड़ा जंगलीपन और थोड़ी सख्ती बनी रहे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
मैंने पायल की चूत से एक एक बून्द को स्वाद ले कर चाटा और यह भी सुनिश्चित किया कि पायल मेरी हर चुसकी पर तड़पे।
जब मेरी जीभ पायल की चूत को छूती तो जैसे पायल के बदन में आग सी लग जाती थी।

मैंने ऐसा गर्म माल पहली बार हासिल किया था और मुझे इस बात पर गर्व हो रहा था।
मैं भी बीच-बीच में पायल की चूत को सपाट करके उस पर 2-4 थप्पड़ लगा देता जिससे माहौल में उत्तेजना, थोड़ा जंगलीपन और थोड़ी सख्ती बनी रहे।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
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#5
पायल अपनी साँसों को संवारती हुई, अपने जोश को इकठ्ठा करती हुई एक झटके के साथ पलट गयी।
तो मैं समझ गया कि अब पायल कमान को अपने हाथ में लेना चाहती है।

मैं भी थोड़ा मौज करने के मूड में था तो सीधा होकर लेट गया और पायल को खुली छूट दे दी।

पायल ने मेरे पूरे शरीर का जायज़ा लिया और थोड़े गुस्से से मुझे देखा।
मेरे बदन के कपड़े अभी जैसे के तैसे ही थे क्यूंकि अभी तक शिकारी तो मैं ही था।
पर अब मेरा शिकार होने का नंबर था।

पायल ने बड़े प्यार से पहले मेरी कमीज खोली, फिर बेल्ट खोली, फिर जीन्स … धीरे से मेरी जीन्स को मेरे बदन से अलग करते हुए पायल मुझे सवालिया निगाह से देखने लगी।
मैं भी बेशरम सा लेटा रहा क्यूंकि मैं जानता था कि मैं पूरी तरह से पायल के जज्बात भड़का चुका था और यह भी कि अब पायल बहुत देर तक इंतज़ार नहीं कर सकती थी।

हुआ भी ऐसा ही … पायल बहुत देर इंतज़ार नहीं कर सकी और उसने झटके से मेरी कमीज़ मेरे बदन से अलग करने की कोशिश की।

थोड़ी ही देर में मैं पायल के सामने निर्वस्त्र पड़ा था और वो मुझे ललचाती नज़रों से ऐसे देख रही थी कि एक बार को तो मुझे ये सोच कर डर लग गया, जाने ये भूखी शेरनी अब क्या करेगी!

अगर मेरे बदन पर कुछ बचा था तो वो थी मेरी फ्रेंची और पायल की ललचाती नज़र!

पायल ने कोई समय व्यर्थ ना करते हुए सीधे मेरे होंठों से शुरुआत की और उसके हाथ मेरे बदन को एक कोने से दूसरे कोने तक नापने का काम कर रहे थे।
कुछ ही देर में पायल के हाथ मेरे लण्ड पर थे और होंठ मेरी गर्दन से होते हुए मेरी छाती को गीला और लाल कर रहे थे।

पायल बहुत कामुक हो चुकी थी और बेदर्दी से मेरे लण्ड से खेल रही थी।
उसके दांत भी मेरे शरीर पर जगह जगह काटते हुए निशान छोड़ते जा रहे थे।
पायल ने मुझे बेइंतहा लव बाईट दी थीं और वो इतनी गर्म थी कि रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी।

नीचे जाते हुए पायल ने मेरी नाभि को तबीयत से चूमा-चाटा और फिर वो मेरे लण्ड पर पहुंच कर रुक गयी जो अब भी मेरी फ्रेंची में कैद था।

मेरा लण्ड अपने विकराल रूप में था और पायल की आँखों में उसका वहशीपन मैं साफ़ देख सकता था।

इससे पहले मैं कुछ करता, पायल ने मेरी फ्रेंची को दोनों हाथों से पकड़ कर खींचा।
पायल का झटकना इतना तेज़ था कि उससे मेरी फ्रेंची कुछ फट भी गयी।

मैंने उसको उतारने की कोशिश की पर पायल तो जैसे पागलपन के आगोश में थी।

उसने मेरी एक ना सुनी और वो मेरी फ्रेंची को फाड़ कर मेरे बदन से अलग करने की कोशिश करती रही … जब तक कि वो मेरे बदन से अलग नहीं हो गयी।

इतने पर भी पायल रुकी नहीं, उसने सीधा मेरे लण्ड पर निशाना लगाया और अगले ही पल वो मेरे लण्ड और गेंदों को बेदर्दी से को मसल रही थी; कभी उसको चाट लेती तो कभी चूसने लगती।
ब्लोजॉब सेक्स के बीच बीच में पायल मेरे टट्टों को भी अपने हाथों में भर लेती जिससे मुझे दर्द भी होता पर वो कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी।

मैंने उसको रोकने की कोशिश भी की तो वो सिर्फ इतना कहती- राहुल, आज मत रोकना। मैं बहुत समय से अधूरी हूँ। मुझे पूरा कर दो आज!
पायल ने मेरा लण्ड चूसा, मेरे टट्टे भी चूसे, यहाँ तक कि पायल ने अपनी जीभ को मेरे लण्ड से लेकर मेरी गांड तक फिराया।

उसने मेरे पैरों को ऊपर उठाते हुए मेरे घुटनों को मेरे सीने से लगा दिया जिससे मेरी गांड खुल कर पायल के सामने आ गयी।

आप सभी मेरी पोजीशन को अपने जेहन में सोच सकते हैं कि कैसे पायल ने मुझे एक गुलाम की तरह हासिल कर रखा था।
अब पायल ने अपनी जीभ को मेरी गांड पे फेरना शुरू कर दिया और बीच बीच में वो मेरी गांड में अपनी जीभ को थोड़ा नुकीली करके अंदर को भी धकेलने लगी।

उसने मेरी गांड पर अपने दांत भी जमाने चाहे पर ऐसा करने में उसको कोई खासी सफलता नहीं मिली।

मैंने उसकी गिरफ्त से छूटने की नाकाम कोशिश भी की पर पायल ने मेरे घुटनों को ढंग से पकड़ रखा था जिससे उसको अपने मन की करने देने के अलावा मैं कुछ भी नहीं कर सका।

पायल ने मेरी गांड को बहुत देर तक चाटा और फिर ये मेरे लिए एक नया अनुभव था क्यूंकि कभी किसी ने मेरी गांड को नहीं चाटा था।
जब भी वो मेरी गांड पर अपनी जीभ फेरती, मेरी सांसें तो जैसे रुक ही जाती।

पायल ने मेरी टांगों को हवा में उठा कर मेरी गांड पर पूरा स्वामित्व जमा लिया और अपनी जीभ मेरी गांड में खूब फेरी।

पायल कभी मेरी गांड चूसती तो कभी लण्ड को चूसती तो कभी टट्टों को चाट लेती।

वो बीच बीच में मेरी जाँघों पर भी जीभ फेर देती तो कभी जाँघों पर काट लेती।
पायल के साथ ये अनुभव अपने आप में एक नया अनुभव था।

जितना मैंने पायल को तड़पाया था, उससे कुछ ज्यादा ही वो मुझे तड़पा रही थी … पर मुझे मज़ा भी बहुत आ रहा था।

पर सबसे ज्यादा खौफ तो मेरे मन में इस बात का था कि कहीं वो मेरी गांड में अपनी उंगली या अंगूठा ना घुसेड़ दे।
मैंने अपनी गांड आज तक सबसे बचा कर रखी थी.

लण्ड तो वो कुछ ऐसे चूस रही थी जैसे मेरे लण्ड से ही मेरे प्राण निकाल लेगी चूसते चूसते!
पायल मेरी गांड को छोड़ने को तैयार नहीं थी और मुझे इस मुद्रा में अब थोड़ी तकलीफ महसूस हो रही थी।

उसकी पकड़ से छूटने के मेरे अब तक के सभी प्रयास विफल हो चुके थे।
तो मैंने पायल के सिर को अपनी गांड में दबाना शुरू किया।

शुरू में तो उसको कोई दिक्कत नहीं हुई पर मैंने थोड़ा जोर लगाया जिससे उसका दम घुटने लगा और पायल ने मेरे घुटने छोड़ पहले खुद को संभाला।
मैं पायल की पकड़ से आज़ाद हुआ और समझ गया कि इस भूखी शेरनी को ऐसा मौका दोबारा नहीं देना है।

मैंने अभी तक पायल के चूचे नहीं चूसे थे और मेरा मन उनको चूसने को मतवाला हुआ जा रहा था।
यहाँ तक कि अब तक पायल की ब्रा भी मैंने खोली नहीं थी।

यूँ तो पायल की ब्रा उसके बड़े खरबूजे जैसे चूचों को छुपाने में असमर्थ थी पर उसकी चूचियां नंगी किये बिना कहाँ समां बनता।
जैसा आप जानते हो कि मुझे स्खलित होने को चूत की गर्मी या हाथों की फुर्ती, दोनों में से एक तो चाहिए … इसलिए, पायल के कितने भी प्रयासों से मैंने झड़ना तो था ही नहीं।

तो मैंने पायल को अपने लण्ड और गांड से अलग करने के बाद लेटने को कहा और उसके ऊपर आकर मैंने अगला वार सीधा पायल के चूचों पर किया।
एक चूचे को एक हाथ से मसलता तो दूसरे को मुँह में भर कर ज़ोर से चूसता और काट लेता।

उसके चूचों को चूस – चूस कर मैंने उसकी ब्रा को यूँ गीला कर दिया था जैसे उसने गीली ब्रा ही पहनी हो।

पायल ने थक कर मुझसे पूछा- क्या तुम मेरे बूब्स नंगे नहीं देखना चाहते राहुल?
उसका इतना कहना था कि मैंने पायल की ब्रा को उसके बदन से अलग करने में एक पल की भी देरी नहीं की.

और मेरे होश तब उड़ गए जब मैंने देखा कि उसकी निप्पल हल्के भूरे थे पर उसके निप्पल का सिक्का एकदम गुलाबी।
इतना गुलाबी कि गौर से देखने पर ही वो नज़र आ रहा था।

आज मैंने इन गुलाबी सिक्कों को लाल करके ही छोड़ना था।
और अभी तो जो उसने मेरे साथ किया था, उसका परिणाम भी पायल को भुगतना ही था।

मैंने आव देखा ना ताव, सीधा पायल के निप्पल पर होंठ रख दिए और उनको बेदर्दी से चूसने और काटने लगा।
पायल भी जैसे हवा में उड़ रही थी पर उसने अभी तक किसी चीज़ को ना नहीं कहा था।

कुछ ही देर में मैंने पायल के दोनों चूचों को चूस चूस कर कहीं लाल तो कहीं गुलाबी कर दिया था।

बीच बीच में रहकर मैं पायल के चूचों पर एक दो चांटे भी लगा देता जिससे वो दर्द से तड़प कर रह जाती।

जब मैं उसके चूचों को ज़ोरों से दबा कर चूसता तो उसके निप्पल से हल्का सा पानी भी बाहर आता जिसका स्वाद जरा खट्टा सा था।
पर मुझे तो हर चीज़ अमृत जैसा ही स्वाद दे रही थी तो मैंने भी बिना कुछ सोचे समझे आज इसके सारे बदन का स्वाद चख लेना था।

आखिर मैं कई सालों से इसको भोगने को तरस जो रहा था।
और अभी तो पायल को मुझे इतने सालों तक सताने की सज़ा भी मिलनी बाकी थी।

मैं पायल के चूचे चूसते हुए कभी कभी उसकी चूत में भी उंगली कर रहा था और अब तक उसकी चूत मेरी उंगली के लिए अभ्यस्त भी हो चुकी थी।

पायल आसानी से मेरी पूरी उंगली अपनी चूत में ले रही थी और अपनी गांड उठा उठा कर मुझे इशारा भी कर रही थी कि अब और नहीं सहा जाता … आओ और काम पूरा करो।

मैंने पायल के ऊपर खुद को कुछ यूँ पोजीशन किया कि मैं जब चाहूँ पायल की चूत में अपना लण्ड पेल सकूँ।

बीच बीच में पायल की चूत पर लण्ड से टक्कर भी मार देता पर इंतज़ार उस पल का था जब पायल का ध्यान मेरे लण्ड पर ना हो और मैं उसकी चूत में प्रहार कर सकूँ।

मैंने पायल के चूचों से चूत की तरफ रुख किया, उसकी चूत को चूमा और वापस चूचों पर आकर जो उसके निप्पल पर अपने दांत जमाये … उसका ध्यान मेरे काटने से होने वाले दर्द की तरफ हुआ … पायल थोड़ी पगलाई और मुझे उसकी चूत में लण्ड पेलने का मौका मिल गया.
मैंने एक ज़ोरदार धक्के के साथ अपना लण्ड पायल की चूत में समां दिया।

पायल की चूत इतनी टाइट थी कि इतने ज़ोरदार धक्के के बाद भी मेरा पूरा लण्ड उसके अंदर नहीं घुस पाया।
वह इसके लिए तैयार नहीं थी और उसकी इतनी ज़ोर की चीख निकली कि मैं यह सोच कर डर गया कहीं कोई अड़ोसी पड़ोसी उसकी चीख सुनकर आ ना जायें।

पर आप सब जानते हो कि चोदने की अगन के आगे सब बेकार है।
पकड़े जाने के डर पर पायल की चूत को भोगने की ललक ज्यादा हावी रही.

और इससे पहले कि पायल अपनी सांस संभालती, मैंने एक और ज़ोरदार झटका उसकी चूत में लगा दिया।
इतने पर भी मेरा लण्ड अभी उसकी चूत से थोड़ा बाहर ही था … पूरा अंदर नहीं पंहुचा था.

मगर पायल की हालत यूँ हो गयी जैसे उसका दम ही घुट के रह गया हो।
शायद वो इसके लिए तैयार ही नहीं थी।
उसने सोचा होगा कि जैसे उसका पति उसके साथ प्यार से सम्भोग करता है, वैसे ही ये आशिक़ भी करेगा।
पर वो नहीं जानती थी कि मेरे अंदर की आग उसके लिए कई सालों से हिलौरें मार रही थी और पहली चुदाई होनी ही ताबड़तोड़ थी।

फिर जैसे उसने थोड़ी देर पहले मुझे तड़पाया था, उसका हिसाब भी तो मैंने सूद समेत करना ही था।

मैंने पायल को देखा, उसकी गर्दन दीवान से नीचे को झूल गयी थी … चेहरा लाल हो चुका था … आँखें आधी बंद थीं और आधी खुली … आँखों के कोनों से छोटे छोटे भी आंसू बह रहे थे … मुँह से एक कराह निकल रही थी … उसने चादर को मुट्ठी में भींच लिया जैसे उस पर बहुत ज़ोर पड़ रहा हो … चेहरे पर संतुष्टि थी.

पायल जैसे थोड़ी काँप रही थी पर उसकी चूत में गर्मी बढ़ती जा रही थी।
ये तपिश मेरे लण्ड को पिघलाने को काफी से भी ज्यादा थी।

पायल की कराहटें तेज़ थीं तो मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करने की सोची।

मेरे लण्ड को उसकी चूत में समाने के लिए एक आखरी धक्के की जरूरत थी और मैं शायद अपने आपे में नहीं था।
पायल की हालत देख कर भी मुझे उस पर कोई तरस नहीं आया … दिमाग में कुछ था तो सिर्फ और सिर्फ अपने लण्ड को उसकी चूत में पूरा पेलने का इरादा।

मैंने अपने होंठ पायल के होंठों पर रखे और आखरी प्रहार कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6


































































मेरे लण्ड को उसकी चूत में समाने के लिए एक आखरी धक्के की जरूरत थी और मैं शायद अपने आपे में नहीं था।
पायल की हालत देख कर भी मुझे उस पर कोई तरस नहीं आया … दिमाग में कुछ था तो सिर्फ और सिर्फ अपने लण्ड को उसकी चूत में पूरा पेलने का इरादा।


मैंने अपने होंठ पायल के होंठों पर रखे और आखरी प्रहार कर दिया।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#7
पायल की आवाज़ मेरे मुँह में जैसे घुट कर रह गयी।
उसने अपने हाथ पैरों से एक नाकाम कोशिश की मेरी गिरफ्त से बाहर आने की पर सब बेकार था।

उसकी टाइट चूत के लिए मेरे लण्ड के प्रहार बहुत ज्यादा थे शायद और अब तो लण्ड भी उसकी चूत में पूरा समा चुका था।
मुझे मन ही मन एक असीम ख़ुशी सी मिल रही थी पर अब मैं थोड़ा चिंतित था पायल की हालत को देखते हुए।

तो मैंने पायल के चेहरे को सहलाते हुए धीरे धीरे उसकी चूत में अपने लण्ड को आगे पीछे करना शुरू किया जिससे उसका दर्द थोड़ा कम हो जाए।

मुझे भी लण्ड को आगे पीछे करने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी।
पायल की चूत किसी कुंवारी लड़की जैसी टाइट ही थी और मुझे उसे चोदने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी थी।

कुछ देर बाद अब पायल की आँखें भी थोड़ी खुलने लगी थी।
वो कुछ बेहतर लग रही थी मगर उसके चेहरे पर दर्द के भाव अब भी थे।

थोड़े और समय में पायल अपने पूरे होश में थी पर उसकी आँखों में ढेरों सवाल थे जैसे वो मुझसे इस बेदर्दी का कारण पूछ रही थी।

इस सबके बावजूद पायल का बदन मेरी ठापों का पूरा जवाब दे रहा था।
मेरे हर धक्के पर उसकी चूत पलट वार कर रही थी और उसके चूचे तो मौज ले रहे थे जैसे सागर की लहरें!
सवालों के बीच ही पायल की आँखों में संतुष्टि भी दिख रही थी और पायल किसी भी पल पानी छोड़ने को थी।

मेरा लण्ड भी पायल की चूत की गर्मी से तक़रीबन चरम तक पहुंच चूका था और उसको भी एक बहाना चाहिए था कि वो पायल की चूत को हरा कर सके।

मैं पायल को बेतहाशा चूम रहा था और उसके साथ इन पलों का ऐसे आनंद ले रहा था जिसका यहाँ उल्लेख करना संभव नहीं।
मैंने पायल के दोनों हाथ पकड़े और उनको उसके सिर के ऊपर ले जाकर कस कर पकड़ लिया।
इससे मुझे ऐसी अनुभूति हो रही थी जैसे मैं उसको जबर दस्ती चोद रहा हूँ।

मेरा खून बहुत तेज़ी से दौड़ रहा था और मैंने अपनी रफ़्तार को गति देनी शुरू की।
पायल भी भरपूर आनंद लेते हुए मेरी पूरा साथ दे रही थी और मेरी रफ़्तार के जैसे ही उसकी आवाज़ें भी बढ़ती जा रही थी।
उसके मुँह से जाने क्या क्या निकल रहा था- ओह राहुल … मेरी जान … आज मेरी सारी प्यास बुझा दे … मैं जाने कब से प्यासी हूँ … अमित के बिना ये ज़िन्दगी कैसे कट रही है बस मैं जानती हूँ … और उसपर ये बेदर्द जवानी … चोद दे राहुल … ज़ोर लगा … और ज़ोर लगा … आज मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दे हरामी … अपने दोस्त की बहन को चोदता है … साले बहनचोद … और ज़ोर लगा कुत्ते!

मैं पायल के मुँह से ये सब सुनकर हैरान था।
मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये वही पायल है.

पर उसकी ऐसी बातें सुनकर मैं और ज्यादा जोश में आ गया.

इस सबका परिणाम ये हुआ कि मैं भी पायल से इसी तरह से बात करने लगा और मैंने भी पायल को पलट जवाब में ढेर सारी गालियां चिपका डाली- साली कुत्ती … तुझे कब से चोदने की सोच रहा था … तू अब जाकर हाथ आयी।
पायल- ओह राहुल और ज़ोर लगा.

राहुल- आज मैंने तुझे इतना चोदना है कि तू जब भी चुदेगी, इस चुदाई को याद करेगी।
पायल कांपती हुई- ज्यादा बातें ना चोद … आज तूने सिर्फ मुझे चोदना है और बातों को नहीं! चल अब चोद मादरचोद!

मैं समझ गया था कि पायल किसी भी समय झड़ने वाली है।
साथ ही उसकी चूत मेरे लण्ड के लिए अभ्यस्त हो चुकी थी तो मैं जानता था कि अब मेरी ठापों से उसको कोई ख़ास जोश नहीं चढ़ रहा था।

तो मैंने पायल के कंधे पर अपने दांत गड़ा दिए और काटने लगा।
पायल को दर्द हुआ तो उसने अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश की पर मैंने उसके हाथों को कस कर पकड़े रखा।

इस सबसे पायल को जोश तो चढ़ ही रहा था पर दर्द भी हो रहा था।
लिहाजा उसने फिर से गालियां देनी शुरू की- साले कुत्ते! इतनी बेदर्दी क्यों दिखा रहा है … हराम … खोर … बहन … चोद … पर कह कुछ भी, मज़ा बहुत दे रहा है तू हरामी … तू लगा रह मेरी जान … ताबड़…तोड़ चोद मुझे!

इस सबके दौरान, पायल का पूरा जिस्म कांपने लगा था और उसकी बोली भी लड़खड़ाने लगी थी।

थोड़ा और जोश चढ़ाने को मैंने पायल के हाथों को मसलते हुए धक्के लगाने जारी रखा और पायल ने एक जोरदार चीख के साथ उसके सब्र का बाँध आख़िरकार तोड़ दिया.
और पायल की चूत का झरना ऐसे छूटा जैसे वो कभी नहीं रुकेगा.

पायल हाँफती हुई- ओह राहुल … ओह … ओह … ओह … तूने तो कमाल ही कर दिया आज। मैंने आज तक ऐसा कुछ महसूस नहीं किया।
राहुल पायल को काटते हुए- मैंने भी ऐसी जंगली जवानी नहीं चखी आज तक!

और इसके साथ ही मेरा भी लण्ड पिघल गया और मैंने गुर्राते हुए अपना सारा रस पायल की रसीली और टाइट चूत में छोड दिया.

पायल अपने पैरों को मेरी कमर पे बांधते हुए- राहुल … बस ऐसे ही … बस ऐसे ही … थोड़ी देर अंदर ही रह जान!
राहुल पायल को चूमते हुए- जैसे कहोगी वैसे ही रहेंगे जानेमन … आज का दिन तेरे नाम है.

पायल मुझे अपने अंदर समाते हुए- ओह राहुल … आई लव यू जान.
राहुल पायल के चूचों को सहलाते हुए- आई लव यू पायल जान!

पायल सांसों को इकट्ठा करते हुए- जंगली तो तू हो रहा था यार!
राहुल- तू चीज़ ही ऐसी है कि मैं खुद पर काबू नहीं रख पाया.

पायल- पर ऐसे भी कोई चोदता है क्या?
राहुल- मैं चोदता हूँ ना … पर अब तुझे किसी और की जरूरत नहीं पड़ेगी.

यूँ ही हम दोनों एक दूसरे से बातें बनाते रहे और मैं पायल के ऊपर ही लेटा रहा.

हम दोनों के रस आपस में मिलकर पायल की चूत से बाहर टपक रहे थे और मुझे इसका अहसास हो रहा था।

पायल की चूत मेरे लण्ड को जैसे उसकी हर बून्द के लिए निचोड़ रही थी।
हम करीब एक घंटे से भी ज्यादा तक काम-क्रीड़ा करते रहे थे।

पायल को इस सबकी आदत बिल्कुल नहीं थी और वो बुरी तरह थक चुकी थी।
उसकी सांसें भी बहुत तेज़ चल रही थी और उसमें हिलने तक की भी हिम्मत शेष नहीं थी।

मुझे भी बहुत टाइट चूत मिली थी और मैंने जो बेसब्रों की तरह अपना लण्ड ठोका था, उससे मेरा लण्ड छिल चूका था और मुझे भी हल्का मीठा दर्द हो रहा था।
और उस पर थकान अलग!

फिर भी पायल मुझे और मैं सेक्सी हॉट गर्ल पायल के पूरे बदन को सहला रहा था।

इसी सबके चलते ना जाने कब हम दोनों ऐसे ही एक दूजे से चिपटे हुए सो गए।
मुझमें इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि मैं अपना लण्ड भी पायल की चूत से बहार निकाल सकता।
और पायल ने भी ऐसी कोई कोशिश नहीं की।

मैंने सोने से पहले दीवार पर लगी घड़ी की तरफ देखा था तो समय कोई 1 के आस पास हुआ था।

जब मेरी आँख खुली तो मैंने खुद को पायल के बगल में लेटा पाया पर पायल अभी तक बेसुध पड़ी सो रही थी।
सूरज बहुत ज्यादा चढ़ा नहीं था क्यूंकि खिड़कियों से आती रौशनी बहुत तेज़ नहीं थी।

मेरी नज़र पायल के सुन्दर चेहरे पर पड़ी और दूसरी घडी पर जो 5:30 का समय दिखा रही थी।
पायल गहरी नींद में सो रही थी।

मैंने इत्मीनान से पायल को जी भर के देखा और फिर उसके होंठों पर हल्के से अपनी उँगलियाँ फेरीं।
पर पायल ने कोई हरकत नहीं की।

मैंने अपने हाथ को हल्के से पायल के चूचे पर रखा और उसको सहलाने लगा।

मैं थोड़ी देर ही पायल के चूचे और निप्पल से खेला था कि पायल के चेहरे पे एक मुस्कराहट फूट पड़ी।
तब मैंने पायल के निप्पल को चूमा और अपने हाथ को उसकी चूत की तरफ बढ़ाते हुए उसके निप्पल को हल्का सा पिया।

मैंने सिर्फ पायल की चूत को छुआ ही था कि वो जैसे डर कर उठ बैठी हुई।

राहुल- कोई नहीं है पायल जान … मैं हूँ, तुम्हारा राहुल.
पायल- ओह मैं तो डर ही गयी थी। अकेले रहने की आदत सी जो हो गयी है … वैसे तुम्हें इतनी हार्ड कोर …
राहुल पायल की चूत को सहलाते हुए- हाँ … हाँ … क्या हार्ड कोर??

पायल हल्के दर्द के साथ मुस्कुराती हुई- मेरा मतलब, हार्ड कोर मेहनत के बाद भी नींद नहीं आयी क्या?

राहुल पायल की सूजी चूत को एक नज़र देखते हुए- बस तेरी इसी अदा ने तो मुझे दीवाना बना दिया है जानेमन.

पायल मेरा हाथ अपनी चूत से झटकते हुए- कोई दीवाने नहीं हुए हो तुम! तुमको सिर्फ मुझे ठोकना था और अब जब तुम वो कर चुके हो तो ये दीवानापन भी बहुत समय तक नहीं रहेगा।
राहुल उठ कर पायल की चूत का मुआयना करते हुए- मुझ जैसे तुम्हें सारी दुनिया में नहीं मिलेगा पायल जान … यारों का यार हूँ मैं!

पायल शरमाती हुई- वैसे, कितनों के यार हैं आप?

उसकी चूत सूजी पड़ी थी और थोड़ा खून भी चादर पर था जिससे मैं समझ गया कि बहुत समय के बाद हुई चुदाई के कारण पायल की चूत ने एक कुंवारी चूत जैसा आनंद दिया है।
पायल ने मुझे रोकना चाहा पर मैं कहाँ सुन रहा था।

मैंने पायल की चूत की कोमल पंखुड़ियों को अलग करके उसकी चूत में झाँका तो मैं मतवाला ही हो गया।
उसकी चूत अंदर से एकदम गुलाबी थी और अभी भी इतनी टाइट दिख रही थी कि दोबारा लण्ड डालने पर भी पायल की चीखें निकलना पक्का था।

मैंने एक पल नहीं लगाया और पायल की चूत पर एक बार फिर से अपना प्यासा मुँह रख दिया जिसको पायल ने हटाने की एक अधूरी और नाकाम कोशिश सी की।

पायल- पागल हो क्या? दिन निकल आया है। हटो और मुझे थोड़ा आराम और करने दो। पूरा बदन दुःख रहा है मेरा तो!
राहुल- ऐसी भी क्या बात है। एक राउंड तो और बनता है। इतने सालों से तड़प रहा था मैं तेरे लिए!

पायल- मुझे बहुत दर्द हो रहा है जान! अच्छा थोड़ी देर तो रुक सकते हो?
राहुल- थोड़ी देर तो शुरू होने में भी लगेगी। अब यूँ भी ना करो जैसे तुम्हें मज़ा ही नहीं आया।

पायल- मज़ा तो इतना आया कि मैं क्या बताऊँ! शायद इतना मज़ा मुझे अमित ने भी कभी नहीं दिया।
राहुल- तो मैं समझूँ कि तुम बिस्तर में ज़िन्दगी भर मेरी गुलाम रहोगी।

पायल- ऐसी ठुकाई करोगे तो कोई भी तुम्हारी गुलाम बनने को तैयार हो जायेगी जानू!
राहुल- तो एक राउंड मालिक और गुलाम की तरह हो जाए?

पायल चौंकती हुई- वो कैसे होता है?
राहुल इठलाते हुए- समय के साथ सब पता चल जाएगा बस ये समझो कि तुम्हें खूब गालियां पड़ने वाली हैं और थोड़ी मार भी!
पायल आँख मारते हुए- गालियां तो तुमने अब भी कम नहीं दी मुझे! और रही बात मार की, तो आज मेरी चूत को तो ऐसी मार पड़ी है कि मैं इस ज़िन्दगी में तो नहीं भूलने वाली।

मेरे प्यारे दोस्तो और मदमस्त भाभियों, इस भाग में सिर्फ इतना ही।

आशा करता हूँ कि आप सबने इस घटना को पढ़ते हुए अपना पानी जरूर गिरा दिया होगा और कुछ ने तो 1 से ज्यादा बार भी गिराया होगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#8
(01-02-2023, 05:53 PM)neerathemall Wrote:
पायल

thanks thanks thanks
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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