29-01-2023, 09:51 AM
बेटी ने पकड़ लिया बाप का लण्ड
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
बेटी ने पकड़ लिया बाप का लण्ड
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29-01-2023, 09:51 AM
बेटी ने पकड़ लिया बाप का लण्ड
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
02-03-2023, 05:47 PM
(This post was last modified: 13-03-2024, 10:33 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
Quote:मेरी खाला जान कह रहीं थीं की हुमा के अब्बू का लण्ड इतना बड़ा है की अगर वह किसी भैंस की बुर में घुसेड़ दे तो वह भी बहन चोद गाभिन हो जाएगी। मैंने फूफी जान को भी कहते हुए सुना है की हुमा के अब्बू का लण्ड तो साला इतना बड़ा है की कभी कभी ऐसा लगता है की लण्ड बुर में घुस कर मुंह से निकल आएगा और मोटा तो बिलकुल अज़गर की तरह है। तब तक उसकी बेटी बोली अरे अम्मी जान लण्ड का साइज तो छोड़ो मामू जान तो बहुत बड़ा चोदू है। चोद चोद के ये सबकी बुर पहले खलास कर देता है। इसका लण्ड बहुत देर तक चोदता रहता है और सबसे बाद में खलास होता है। मेरी जितनी सहेलियां हैं ये सबको अपना लण्ड पकड़ा चुका है। सबकी बुर चोद चुका है और अभी भी चोदता रहता है।बेटी ने पकड़ लिया बाप का लण्ड जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
16-01-2024, 10:18 PM
(This post was last modified: 13-03-2024, 10:34 AM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 10:52 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:26 AM
आह.. पापा.. आपका लंड तो बहुत तन गया.. मेरी चुत ने अगर पानी छोड़ दिया तो मेरा पजामा गीला हो जाएगा उफ़ नहीं..
दोनों चुपचाप थे मगर ये चुप्पी ज़्यादा देर नहीं रही जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:30 AM
आखिर बेटी ने पापा से चुदवा ही लिया
,.,
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:31 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:31 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:31 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:31 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:32 AM
(12-03-2024, 11:30 AM)neerathemall Wrote: जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 11:33 AM
(This post was last modified: 13-03-2024, 02:18 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(12-03-2024, 11:30 AM)neerathemall Wrote:मेरा नाम सुगंधा है और में दिल्ली की रहने वाली हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी, पापा और मेरे दादा, दादी है। में मेरे बाप की एक ही औलाद हूँ। मुझे मेरे माँ बाप ने बड़े प्यार से बड़ा किया है। आज मेरी उम्र 21 साल की है, लेकिन मुझे देखकर कोई कह नहीं सकता कि मेरी उम्र इतनी कम होगी, क्योंकि मेरा बदन बिल्कुल एक 24 साल की लड़की की तरह हो चुका है, मेरा फिगर साईज 34-28-36 है और इसकी वजह में खुद ही हूँ, जो 18 साल की उम्र से ही सेक्स की तरफ ज़्यादा ध्यान देने लगी थी और लगभग तब से में चूत में उंगली करने लग गयी थी। मेरे घर में 5 रूम है, एक में मेरे मम्मी पापा और दूसरे में मेरे दादा दादी, जो अब 60 से ज्यादा उम्र के है और ज़्यादातर अपने कमरे में ही लेटे रहते है और तीसरे में में खुद रहती हूँ और बाकि के दो कमरे हम अलग-अलग कामों के लिए उपयोग में लेते है। मेरे पापा की उम्र 38 साल की है। मेरी माँ वैसे तो बहुत खूबसूरत है, लेकिन बहुत ही पुराने विचारो वाली एक साधारण औरत है, जो अपना ज़्यादातर वक़्त पूजा पाठ या अपने सास ससुर की सेवा में और घर के काम काज में गुजारती है। मेरे पापा जो एक बिजनसमैन है और अपना खुद का बिजनेस चलाते है। हम बहुत अमीर तो नहीं है, लेकिन हमारे घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं है। मेरे पापा भी बहुत हैंडसम है, लेकिन मेरी माँ तो उन्हें टाईम ही नहीं दे पाती है, सिर्फ़ रात में जब उनके सोने का वक़्त होता है जब ही उनके पास जाती है। यह बात तब की है, जब मेरी उम्र 18 साल की थी। एक रात हम सब खाना खाकर सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये थे कि तभी अचानक से मुझे लगा कि मेरे मम्मी पापा के रूम से लड़ने की आवाज़े आ रही है। मम्मी पापा का रूम मेरे रूम से ही लगा हुआ था, मुझे ज़िंदगी में पहली बार लगा था कि मम्मी पापा की लड़ाई हो रही है इसलिए में यह जानना चाहती थी कि वो लड़ क्यों रहे है? तो पहले तो मैंने सोचा कि में मम्मी से जाकर पूंछू, लेकिन फिर बाद में सोचा कि वो लोग मेरे सामने शर्मिंदा हो जाएगे इसलिए मैंने पूछना उचित नहीं समझा, लेकिन फिर भी मेरे मन में वजह जानने की इच्छा तेज होती गयी और जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैंने उठकर देखने की कोशिश की। मेरे रूम में एक खिड़की थी, जो उनके कमरे में खुलती थी, वो खिड़की बहुत पुरानी तो नहीं थी, लेकिन उसमें 2-3 जगह छेद थे। फिर मैंने अपने रूम की लाईट ऑफ की और उस छेद में आँख लगा दी। अब अंदर का नज़ारा देखकर मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया था। अब मेरी मम्मी जो कि सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोट में थी और बेड पर बैठी थी और मेरे पापा सिर्फ़ अपनी वी-शेप अंडरवेयर में खड़े थे और बार-बार मम्मी को अपनी ब्रा उतारने के लिए कह रहे थे और मेरी मम्मी उन्हें बार-बार मना कर रही थी। फिर मैंने देखा कि मेरे पापा की टाँगों के बीच में जहाँ मेरी पेशाब करने की जगह है, वहाँ कुछ फूला हुआ है। अब मेरी नजर तो बस वही टिक गयी थी और में चाहकर भी अपनी नजर हटा नहीं पा रही थी। अब वो लोग कुछ बात कर रहे थे, लेकिन मेरा ध्यान तो सिर्फ पापा की टाँगों के बीच में ही था और उनकी बातें सुनने का ध्यान भी नहीं था। अब मेरा दिल ज़ोर- ज़ोर से धड़क रहा था और मेरा बदन बिल्कुल अकड़ गया था और इसके साथ ही मुझ पर एक और बिजली गिरी और फिर मेरे पापा ने झटके से अपना अंडरवेयर भी उतार दिया। ओह गॉड मेरी तो जैसे साँसे ही रुक गयी थी। मेरे पापा की टाँगों के बीच में एक लकड़ी के डंडे की तरह कोई चीज लटकी हुई थी, जो कि मेरे हिसाब से 8 इंच लंबी और 3 इंच मोटी थी, उस चीज को क्या कहते है? मुझे उस वक़्त पता नहीं था। फिर मेरी मम्मी उस चीज को देखकर पहले तो गुस्सा हुई और फिर शर्म से अपनी नजरे झुका ली। अब उन्हें भी मस्ती आने लगी थी और फिर उन्होंने इशारे से पापा को अपने पास बुलाया और उनके उस हथियार को प्यार से सहलाने लगी थी। फिर मम्मी ने अपनी ब्रा उतारी और अपने पेटीकोट का नाड़ा खोला और फिर बिल्कुल नंगी होकर सीधी लेट गयी और अपनी टांगे खोलकर पापा को अपनी चूत दिखाई और इशारे से उन्हें पास बुलाने लगी थी। फिर मेरे पापा कुछ देर तक तो गुस्से में सोचते रहे और फिर जैसे अपना मन मारकर उनके ऊपर उल्टे लेट गये और अपने एक हाथ से अपना लंड पकड़कर मम्मी की चूत में डाला और हिलते हुए मम्मी को किस करने लगे थे और फिर लगभग 10 मिनट तक हिलने के बाद वो शांत हो गये और ऐसे ही पड़े रहे। फिर थोड़ी देर के बाद मम्मी ने उन्हें अपने ऊपर से हटाया और अपने कपड़े पहने और लाईट बंद करके सोने के लिए लेट गयी। अब कमरे में बिल्कुल अंधेरा होने की वजह से मुझे कुछ नहीं दिख रहा था, तो तब मैंने भी जाकर लेटने की सोची और फिर में भी अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी, लेकिन अब मेरी आँखों के सामने तो मम्मी पापा की पिक्चर चल रही थी और पापा का वो भयानक हथियार पता नहीं मुझे क्यों बहुत अच्छा लग रहा था? अब मेरा दिल कर रहा था कि में भी उनके हथियार अपने हाथ में लेकर देखूं। उस रात मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी। फिर मैंने उस रात पहली बार हस्तमैथुन किया। अब मेरे ख्यालों में और कोई नहीं बल्कि मेरे पापा ही थे। फिर जब मेरी चूत का रस निकला, तो तब में इतनी थक चुकी थी कि कब मेरी आँख लग गयी? मुझे पता ही नहीं चला। फिर सुबह मम्मी ने जब आवाज लगाई तो मेरी आँख खुली। फिर मम्मी बोली कि बेटा सुबह के 7 बज रहे है, कॉलेज नहीं जाना है क्या? तो तब में उठकर सीधी बाथरूम में गयी और नहाने के लिए अपने कपड़े उतारे। फिर तब मैंने देखा कि मेरी पेंटी पर मेरी चूत के रस का धब्बा अलग ही दिख रहा है। अब मेरी आँखों के सामने फिर से वही नज़ारा आ गया था। अब मुझे फिर से मस्ती आने लगी थी तो मैंने फिर से अपनी चूत में उंगली करनी चालू कर दी और तब तक करती रही जब तक कि में झड़ नहीं गयी। दोस्तों मुझे इतना मज़ा आया था कि में यह सोचने लगी कि जब उंगली करने में ही इतना मज़ा आता है तो सेक्स में कितना मज़ा आता होगा? और फिर में अपने पापा के साथ ही यह मज़ा लेने की सोचने लगी और सोचने लगी कि कैसे पापा के साथ मज़ा लिया जाए? खैर जैसे तैसे करके में कॉलेज जाने के लिए तैयार हुई और ड्रेस पहनकर बाहर आई तो नाश्ते की टेबल पर मेरा पापा से सामना हुआ, में रोज सुबह पापा को गुड मॉर्निंग किस करके विश करती थी। तो तब मैंने उस दिन भी पापा को किस करके ही विश किया, लेकिन इस बार मैंने कुछ ज़्यादा ही गहरा किस किया और थोड़ा अपनी जीभ से उनके गाल को थोड़ा चाट लिया, जिससे मेरे पापा पर कुछ असर तो हुआ, लेकिन उन्होंने मेरे सामने ज़ाहिर नहीं किया था अब में उनके ठीक सामने जाकर कुर्सी पर बैठकर नाश्ता करने लगी थी और फिर नाश्ता करने के बाद में कॉलेज की बस पकड़ने के लिए बाहर जाने लगी, लेकिन मेरा मन पापा को छोड़कर जाने का नहीं हो रहा था, तो तब में बाहर तो गयी, लेकिन कुछ देर के बाद वापस आकर मैंने बहाना बनाया की मेरी बस निकल चुकी है। अब ऐसी स्थिति में पापा मुझे कॉलेज छोड़कर आया करते थे, तो तब मम्मी बोली कि जा पापा से कह दे, वो तुझे कॉलेज छोड़ आएँगे। फिर में खुशी-खुशी पापा के कमरे में गयी। अब पापा सिर्फ़ अपने पजामे में थे। फिर मैंने पापा से कहा तो वो मुझे कॉलेज छोड़ने के लिए राज़ी हो गये। अब पापा अपनी पेंट पहनने लगे थे। फिर मैंने उनके हाथ से पेंट लेते हुए कहा कि पापा पजामा ही रहने दीजिए, में लेट हो रही हूँ। तो तब पापा बोले कि ठीक है, में टी-शर्ट तो पहन लूँ, तू मेरा बाहर इन्तजार कर, तो में बाहर आकर इन्तजार करने लगी पापा मुझे ज़्यादातर कॉलेज कार में ही छोड़ते थे, लेकिन उस दिन मेरे कहने पर उन्होंने मुझे हमारी एक्टिवा स्कूटर पर कॉलेज छोड़ने के लिए गये। दोस्तों यहाँ तक तो मेरा प्लान सफल रहा था, लेकिन आगे के प्लान में थोड़ा खतरा था और मुझे यकीन नहीं था कि वो सफल हो जाएगा। फिर में उनके पीछे बैठ गयी और फिर हम कॉलेज की तरफ चल दिए। मेरा कॉलेज घर से लगभग 10 किलोमीटर दूर था, रास्ता लंबा था और सुबह का वक़्त था, तो रोड सुनसान थी। फिर जब हम घर से 2 किलोमीटर दूर आ गये, तो तब मैंने पापा से कहा कि गाड़ी में चलाऊँगी। तो तब पापा बोले कि बेटी तुझसे गाड़ी नहीं चलेगी, तो में तो ज़िद्द करने लगी। तो तब पापा परेशान होकर बोले कि ठीक है, लेकिन हैंडल में ही पकडूँगा। अब मुझे मेरा प्लान कामयाब होता दिख रहा था , जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 02:19 PM
(12-03-2024, 11:26 AM)neerathemall Wrote: आह.. पापा.. आपका लंड तो बहुत तन गया.. मेरी चुत ने अगर पानी छोड़ दिया तो मेरा पजामा गीला हो जाएगा उफ़ नहीं.. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
12-03-2024, 10:16 PM
Good start
13-03-2024, 10:31 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-03-2024, 10:37 AM
फिर तब मैंने कहा कि ठीक है और पापा ने गाड़ी साईड में रोककर मुझे अपने आगे बैठाया और मेरी बगल में से अपने दोनों हाथ डालकर हैंडल पकड़ा और धीरे-धीरे चलाने लगे। लेकिन अब गाड़ी चलाने में किसका ध्यान था? अब मेरा ध्यान तो पापा के पजामे में लटके उनके लंड पर था। तो तभी गाड़ी जैसे ही खड्डे में गयी, तो मैंने हिलने का बहाना करके उनका लंड ठीक मेरी गांड के नीचे दबा लिया। अब पापा कुछ अच्छा महसूस नहीं कर रहे थे। अब में अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी थी। अब गर्मी पाकर उनका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था, जिससे मुझे भी मस्ती आने लगी थी। अब पापा को भी मज़ा आ रहा था और फिर इस तरह मस्ती करते हुए में कॉलेज पहुँच गयी। फिर पापा को जाते वक़्त मैंने एक बार फिर से किस किया। अब पापा शायद मुझे लेकर कुछ परेशान हो गये थे और में मेरी तो पूछो मत, मेरी हालत तो इतना करने में ही बहुत खराब हो गयी थी और मेरी पेंटी इतनी गीली हो चुकी थी कि मुझे लग रहा था मेरी स्कर्ट खराब ना हो जाए।
फिर पूरे दिन कॉलेज में मेरे दिमाग में पापा का लंड ही घूमता रहा और अब मेरा दिल कर रहा था कि में पापा के लंड पर ही बैठी रहूँ। अब पता नहीं मुझे क्या हो गया था? ऐसा कौन सा वासना का तूफान मेरे अंदर था कि में पापा से चुदने के लिए ही सोचने लगी थी। खैर आगे बढ़ते है, फिर में चुदाई की इच्छा और गीली पेंटी लेकर घर पहुँची। अब उस वक़्त लगभग 3 बज रहे थे। अब घर में दादा, दादी के अलावा कोई नहीं था, मम्मी कहीं गयी हुई थी और पापा अपने ऑफिस में थे। ख़ैर फिर में बाथरूम में गयी और गंदे कपड़ो में से पापा की अंडरवेयर ढूंढकर अपनी चूत पर रगड़ते हुए हस्तमैथुन किया। अब मुझे बहुत मज़ा आया था और फिर में सो गयी। फिर मेरी आँख खुली तो शाम के 5 बज रहे थे। फिर मैंने नहा धोकर कपड़े पहने और मैंने कपड़े भी उस दिन कुछ सेक्सी दिखने वाले पहने थे, मैंने एक शॉर्ट स्कर्ट और फिटिंग टी-शर्ट पहनी थी। अब पापा के आने का टाईम हो गया था, लेकिन मम्मी का कोई पता नहीं था। फिर शाम के 6 बजे पापा ने घंटी बजाई तो में दौड़ती हुई गयी और दरवाजा खोला। फिर पापा मुझे देखकर थोड़े मुस्कुराए और मुझे गले लगाकर मेरे गालों पर किस करते हुए बोले कि बेटा आज तो बहुत स्मार्ट लग रही हो। अब मुझे इतनी खुशी हुई थी कि में पापा को फंसाने में धीरे-धीरे सफल होती जा रही थी। फिर अंदर आकर पापा ने चाय का ऑर्डर कर दिया तो में किचन में जाकर चाय बनाने लगी। फिर पापा भी फ्रेश होकर किचन में आ गये और इधर उधर की बातें करने लगे थे। फिर थोड़ी देर में पापा मेरी गोरी जांघो देखकर गर्म हो गये और मेरे पीछे खड़े होकर अपना लंड मेरी गांड से सटाने की कोशिश करने लगे थे। तब में भी अपनी गांड को उनके लंड पर रगड़ने लगी। अब मुझे तो ऐसा लग रहा था कि जैसे में जन्नत में हूँ और बस ऐसे ही खड़ी रहूँ। ख़ैर अब चाय बन चुकी थी और फिर मैंने पापा से डाइनिंग रूम में जाकर बैठने को कहा और चाय वहाँ सर्व करके बाथरूम में जाकर फिर से उंगली करने लगी थी। फिर में झड़ने के बाद बाहर आई, तो तब तक मम्मी भी आ चुकी थी। मुझे मम्मी पर बहुत गुस्सा आया, क्योंकि मुझे पापा से अभी और मज़ा लेना था और मम्मी के सामने में कुछ नहीं कर सकती थी। अब पापा भी मम्मी के आने से थोड़े दुखी हो गये थे, क्योंकि ना तो वो कुछ करती थी और ना ही उन्हें कुछ करने देती थी। अब पापा मुझे देखकर बार-बार अपना लंड पजामे के ऊपर से ही सहला रहे थे और मुझे भी उन्हें सताने में बहुत मज़ा मिल रहा था। अब उस दिन के बाद से मैं पापा से सेक्स करने का प्लान बनाने लगी थी। मैं घर मे जान के छोटे कपड़े पहना करती थी। पापा के सामने जाके झुक जाती जिससे मेरी चुचिया उनको दिख जये। तो कभी अपने रूम का गेट खोल के स्कर्ट ऊपर कर के सो जाती थी। ये सब कभी न क़भी मेरे पापा देख लेते थे। मैंने ध्यन दिया कि उनकी मेरे ऊपर नज़र रह रही है। अब पापा भी मेरी ओर आकर्षित हो रहे थे। लेकिन कुछ होना तबतक मुमकिन नही था जबतक की मम्मी घर मे थी। अब आगे की कहानी मैं आपको थर्ड पर्सन में बताती हूँ| रात को खाने के बाद जयशंकर जी बैठे कुछ हिसाब लगा रहे थे और मम्मी किचन में बिज़ी थी. सुगंधा अच्छी तरह जानती थी कि उसकी माँ किचन से एक घंटे पहले बाहर नहीं आने वाली. वो सारा काम निपटा कर ही बाहर आएंगी और सीधे सोने जाएंगी. तब सुगंधा ने सोचा कि अभी कुछ करना चाहिए. वो धीरे से जयशंकर जी के पास आकर बैठ गई. वो एक पतली सी टी-शर्ट और पजामे में थी. उसके अन्दर उसने कुछ नहीं पहना हुआ था. जयशंकर- तुम्हें कुछ चाहिए क्या सुगंधा? सुगंधा- क्यों.. कुछ चाहिए होगा.. तभी आपके पास आऊंगी क्या? ऐसे नहीं बैठ सकती? जयशंकर- अरे बेटी, तू तो मेरी जान है.. तुझे बैठने से कौन रोक सकता है? सुगंधा- पापा पहले आप मुझे गोद में बिठा कर मेरे सर की मालिश करते थे ना.. बहुत अच्छा लगता था. मगर अब तो आप इतने बिज़ी हो गए हो कि मुझ पर ध्यान ही नहीं देते. बस सारा दिन काम काम करते हो. जयशंकर- अरे तब तू छोटी थी.. इसलिए गोद में बैठा लेता था. अब तू बड़ी हो गई है. सुगंधा- क्या पापा मैं कहाँ बड़ी हुई हूँ. वैसी ही तो हूँ.. आप बस बहाना कर रहे हो. साफ-साफ बोल दो ना कि आप मुझे प्यार नहीं करते. जयशंकर- अरे ऐसा कुछ नहीं है बेटी.. तुम तो मेरी जान हो. मैं तुमसे प्यार कैसे नहीं करूँगा.. ऐसा हो सकता है क्या? सुगंधा- अच्छा ये बात है... तो चलो ये काम को करो साइड में और मुझे पहले की तरह अपनी गोद में बिठा कर मेरी मालिश करो. जयशंकर जी रात को सिर्फ़ लुंगी पहनते थे.. अन्दर कुछ नहीं और आज तो सुगंधा ने भी कुछ नहीं पहना था. अब जयशंकर जी उसे कुछ कह पाते, तब तक वो उनकी गोद में बैठ गई. जयशंकर जी का लंड सीधा सुगंधा की मुलायम गांड के नीचे दब गया. जयशंकर जी कुछ समझ पाते, तब तक सुगंधा ने दूसरा पासा फेंक दिया- चलो पापा, अब मेरी गर्दन के पीछे से दबाओ, सर की मसाज करो.. जैसे आप पहले करते थे. सुगंधा की गांड का स्पर्श पाकर लंड हरकत में आ गया. उसमें धीरे-धीरे तनाव आने लगा क्योंकि लंड और गांड के बीच बस जयशंकर जी की लुंगी और सुगंधा का पतला पजामा ही था. जयशंकर जी का लंड अकड़ रहा था, जिसे सुगंधा ने भी महसूस किया मगर वो तो अनजान बन कर बस अपने पापा को सिड्यूस कर रही थी. सुगंधा- अब करो ना पापा.. क्या सोचने लगे? जयशंकर जी की तो हालत देखने लायक थी मगर उन्होंने कुछ ग़लत नहीं सोचा और सुगंधा की गर्दन पर धीरे-धीरे दबाने लगे.. जैसे पहले करते थे. सुगंधा अब किसी ना किसी बहाने हिल रही थी, जिससे गांड का दबाव लंड पे पड़ता और जयशंकर जी बस हल्की आह.. करके रह जाते. सुगंधा- उफ़ पापा मेरी पीठ पे खुजली हो रही है.. प्लीज़ खुज़ला दो ना आप. जयशंकर जी ने टी-शर्ट के ऊपर से खुज़ाया तो सुगंधा ने कहा- ऐसे नहीं.. आप मेरी टी-शर्ट ऊपर करके खुजाओ ना. जयशंकर जी ने टी-शर्ट थोड़ी ऊपर की तो सुगंधा आगे की ओर झुक गई- पापा थोड़ा ऊपर करो ना प्लीज़. जयशंकर- अरे कहाँ.. तू ठीक से बता ना? सुगंधा- जहाँ आप कर रहे हो.. उससे थोड़ा ऊपर करो. वहीं खुजली हो रही है. जयशंकर जी का हाथ सुगंधा की नंगी पीठ पर था.. जब उन्होंने टी-शर्ट और ऊपर की तो वो समझ गए कि सुगंधा ने ब्रा नहीं पहनी है. सुगंधा- आह.. पापा यहीं.. हाँ अच्छे से करो ना. जयशंकर जी का हाथ वहां था, जहाँ ब्रा के स्ट्रीप होते हैं. अब एक बाप के अन्दर धीरे-धीरे शैतान जाग रहा था, वो सोच रहे थे कि सुगंधा नादान है, इसे क्या पता चलेगा.. थोड़ा मज़ा ले लेना चाहिए. जयशंकर जी ने खुजाते हुए एक उंगली थोड़ी आगे की तरफ़ निकाली. वो शायद सुगंधा के मम्मों को टच करना चाहते थे मगर बाप और बेटी के बीच इतनी जल्दी ये सब होना बहुत मुश्किल होता है. वो थोड़ा डर भी रहे थे तो बस उन्होंने एक बार कोशिश की, उसके पापा ने थोड़ा हॉंसला करके फिर अपना हाथ आगे बढ़ाया और फिर डरते डरते धीरे से अपनी एक उंगली अपनी बेटी के मुम्मों पर फेरी. दोनो के मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. जयशंकर का लंड तो इतना टाइट हो गया था की जैसे फट जाएगा. उन्होने धीरे से फिर दुबारा से अपनी उंगली अपनी बेटी के मुम्मों पर फेरी. जब उन्हे अपनी बेटी से कोई भी नाराज़गी जैसा ना लगा तो फिर धीरे से उन्होने अपनी उंगली फिर बेटी के निपल पर फेर दी. सुगंधा की तो साँस बहुत तेज चलने लगी थी. और उसकी चूत में तो जैसे पानी का झरना ही बहने लगा था. बाप बेटी दोनो बहुत गर्म हो गये थे. सुगंधा को लग रहा था की यदि ऐसा ही चलता रहा तो वो जल्दी ही अपने पापा से चुड़वाने में कामयाब हो जाएगी इसलिए वो चुपचाप बैठी अपने सखत हो चुके निप्पेल पर अपने पापा की उंगली का मज़ा लेती रही. इतने में अचानक किचन से उसकी मुम्मी के बाहर आने की आवाज़ आई तो जाई जी ने जल्दी से अपने हाथ अपनी बेटी के सख़्त मुम्मों पर से हटा लिए और फिर जल्दी से टी-शर्ट नीचे कर दी. जयशंकर- बस हो गई ठीक.. चल अब उठ मुझे काम भी करना है. सुगंधा- अरे अभी दो मिनट भी नहीं हुए पापा.. प्लीज़ गर्दन पे करो ना.. आप बहुत अच्छा करते हो, जिससे नींद बहुत अच्छी आती है. सुगंधा धीरे-धीरे गांड को हिला रही थी.. जिससे लंड अब बेकाबू हो गया और ऊपर से जयशंकर जी ये जान गए कि सुगंधा ने ब्रा नहीं पहनी और गांड की रगड़ से उनको समझने में देर नहीं लगी कि पैंटी भी नहीं है. अब तो उनका लंड एकदम टाइट हो गया और उसमें दर्द भी होने लगा. जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
13-03-2024, 11:14 AM
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
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