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कुंवारी मौसेरी बहन की चूत चुदाई-
#1
कुंवारी मौसेरी बहन की चूत चुदाई-1
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#2
मेरा नाम सिद्धार्थ है, मेरी उम्र 25 साल है।

यह कहानी मेरी और मेरी मौसी की लड़की मीनू की है जिसकी उम्र 23 साल है।
पहले मैं आपको मीनू के बारे में बता देता हूँ. मीनू की हाइट 5 फुट 2 इंच है। उसका रंग बिल्कुल दूध के जैसा गोरा है। उसकी ब्रा का साइज़ 34 और उसकी गांड का साइज़ 38 है।
मीनू शुरु से ही भरे हुए तन की मलिका है। उसको देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता है।

इस घटना से पहले वह बिल्कुल अक्षत यौवना थी। वह बिल्कुल ही शरीफ लड़की है। उसने हरियाणा के एक कॉलेज से नर्सिंग की पढ़ाई कर रखी है। उसने अपने आप को बिल्कुल मेनटेन कर के रखा है। उसने इस घटना से पहले लंड कभी भी नहीं देखा था, ऐसा उसने मुझे बताया। मीनू एक पढ़ाकू किस्म की लड़की है।

मीनू को मैं जब भी गले लगाता था तो उसकी बड़ी बड़ी चूचियां हमेशा करंट पैदा करती थी शरीर में, लेकिन मैं इन बातों को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता था।

लेकिन एक घटना ने मेरा और मीनू का जीवन ही बदल दिया।

एक दिन मेरे पास मेरी मौसी का कॉल आया कि क्या मैं मीनू को एग्जाम दिलवाने के लिए उसकी साथ जा सकता हूँ?
मीनू ने कोई हिमाचल में नर्सिंग के फील्ड का कोई एग्जाम भर रखा था।
किसी काम की वजह से मैंने जाने के लिए मना कर दिया।
लेकिन घर वालों में से से किसी के पास टाइम न होने की वजह से मुझे उसके साथ जाना पड़ा।

मीनू का एग्जाम मनाली में था। लेकिन बाद मैं मुझे पता चला उसने जानबूझ कर वहां का सेण्टर भरा था ताकि पेपर के साथ कहीं पर घूमा भी जा सके।

फिर रात को मेरे पर मीनू का फ़ोन आया- भैया, आप चलने के लिए तैयार रहें।
एग्जाम पिछले साल जनवरी महीने की 15 तारीख को था।

बाद मैं मैंने तय किया कि सर्दी की वजह से हमें एक दिन पहले ही चलना पड़ेगा, क्यूंकि सर्दी की वजह से रास्ते रुक जाते हैं पहाड़ी इलाकों में!
इस पर मीनू चहक पड़ी क्यूंकि वह ज्यादा कहीं बाहर नहीं गयी थी। मीनू ने प्रोग्राम के तहत अपनी पैकिंग पहले से ही कर ली थी।

मेरी मौसी का घर सोनीपत में है इसलिए हमने 13 जनवरी को सुबह चंडीगढ़ के लिए बस पकड़ी. वहीं से हमें मनाली की लिए बस पकड़नी थी।

हम चंडीगढ़ 11 बजे पहुँच गए, उसके बाद हमने बस अड्डे पर घर लाया हुआ खाना खाया। मनाली की हमारी बस 5 बजे शाम को थी।
हमारे पास काफी टाइम था इसलिए मीनू ने कहा- चलो भैया, हम कहीं घूम के आते हैं।
मैंने कहा- ठीक है चलो चलते हैं

हमने वहीं प्राइवेट लोकर रूम में अपना सामान रख दिया और मीनू ने अपने पास एक मफलर रख लिया ताकि अपने सर पर बांध सके।
बाहर निकलते ही हमने ऑटो ले लिया और सेक्टर 17 की तरफ चल पड़े।

वहां पर चंडीगढ़ के सुंदर सुंदर लड़कियों को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया लेकिन मीनू के साथ होने की वजह से मैंने बड़ी मुश्किल से कण्ट्रोल किया।
एक रिक्शा वाले ने तो हम दोनों को प्रेमी और प्रेमिका समझ कर होटल चलने के लिए कहा. जिस पर मीनू ने उसको भगा दिया और हंसने लग गयी.
उसको देख कर मैं भी हंसने लग गया।

वहां घूमने के बाद हम 4:30 बजे हम बस अड्डे पर आ गए और अपना सामान ले कर बस का इंतजार करने लग गए।

हमारी सीट बस में बिल्कुल लास्ट वाली थी. बस में मीनू को खिड़की वाली सीट मिली थी इसलिए वह खुश थी। मीनू को बैठने में तकलीफ हो रही थी क्योंकि उसने जीन्स की पैंट पहन रखी थी, शायद उसकी फिटिंग सही नहीं थी इसलिए उसको कुछ मुश्किल हो रही थी.

इतने में बस चल पड़ी।

रास्ते भर मीनू अपने कूल्हों को इधर उधर कर रही थी, इस दौरान मेरी नजर उसकी पैंट पर गयी और मुझे उसकी कच्छी के दर्शन हो गए जो पिंक कलर की थी।
कुछ देर बाद मीनू सो गयी और मेरे कंधे पर अपना सर रख लिया.

कुछ देर बाद मैं भी सो गया, जब मेरी आँख खुली तो मीनू का एक हाथ मेरे पैंट पर लंड वाली जगह था और उसकी सूरत बड़ी ही सुंदर लग रही थी.
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसके हाथ को हटाने की कोशिश नहीं की।

तभी ड्राईवर ने ब्रेक लगाया. शायद कोई जानवर बस के सामने आ गया था. झटके के साथ मीनू की आँख खुली और उसने अपने हाथ को मेरे लंड पर से एकदम हटा लिया और मुझसे नजरें चुराने लगी।

सुबह हम मनाली पहुँच गए. वहां पहुँच कर मीनू को बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसको देख कर लग नहीं रहा था कि वह एग्जाम देने के लिए आयी है।

हमने एक होटल में कमरा लेकर उसमें चेक इन किया और दोपहर को अपने सेण्टर की तलाश में निकल गए। एग्जाम सेण्टर शहर से 12 किलोमीटर दूर था। एग्जाम का रिपोर्टिंग टाइम 10 बजे था।
हम वापस होटल में आ गए और मैं कुछ देर बाहर घूमने निकल गया।

जब मैं वापस आया तो मीनू नहाने की तयारी कर रही थी। मीनू बाथरूम में नहाने चली गयी.

कुछ देर बाद मेरा ध्यान वहां रखे उसके कपड़ों पर गया. वहां एक बड़े गले की टीशर्ट, लोअर और उनके बीच में लिपटी हुई थी उसकी काले रंग की कच्छी और बैक स्ट्रिप वाली ब्रा जिसका साइज़ 34 था।
उसके कपड़ों को देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया।

तभी बाथरूम से मीनू की आवाज आई- भैया मेरे कपड़े बाहर ही रह गए हैं. प्लीज मुझे पकड़ा दो मेरे कपड़े।
जैसे ही मैं कपड़े देने के लिए दरवाजे की तरफ गया, तभी मुझसे हड़बड़ाहट में कपड़े नीचे गिर गए.

मैंने कपड़े उठाये और मीनू ने दरवाजा खोल कर अपना हाथ बाहर की तरफ करके कपड़े ले लिए। तभी मुझे मीनू की गांड के दर्शन हो गए … एकदम सफ़ेद गांड थी मेरी बहन मीनू की!
एक बार तो मुझे लगा कि जैसे मैं अभी बाथरूम में घुस कर उसकी चुत का बाजा बजा दूँ!
लेकिन मैंने अपने आप को कण्ट्रोल किया कि ये मैं क्या सोच रहा हूँ अपनी बहन के बारे में।

कुछ देर बाद मीनू अपने कपड़े पहन कर बाहर आ गयी, बड़ा गला होने के कारण उसकी ब्रा साफ साफ दिखाई दे रही थी, जो मेरे लंड को कण्ट्रोल से बाहर कर रही थी।
तभी मैंने कहा- मीनू, अब तुम्हारी शादी करनी पड़ेगी.
मीनू ने कहा- क्यूँ भाई? अभी तो मैं छोटी हूँ. और मुझे अभी और पढ़ना है।

तभी उसने कहा- लेकिन आप को ये अचानक मेरी शादी की बात क्या सूझी?
मैंने स्थिति को भांप कर बात को टाल दिया।
फिर हम खाना खाकर सो गए।

अगले दिन हम टाइम से उठ कर नहा धोकर सेण्टर की तरफ चले गए।

पेपर 3 घंटे का था. मैंने इधर उधर घूम कर समय बिताया। जब मीनू पेपर दे कर बाहर आई तो मैंने उससे पूछा- पेपर कैसा हुआ?
तो उसने कहा- पेपर तो अच्छा हुआ है. शायद सिलेक्शन भी हो जायेगा।
फिर हम होटल के लिए निकल पड़े।

रास्ते में उसने मुझसे कहा- अब 2 दिन दिल लगा कर घूमना है.
मैंने कहा- नहीं, हम शाम को निकल जाएंगे घर के लिए!
तो उसने कहा- भाई, क्या हर रोज आया जाता है यहाँ पर! प्लीज कोई बहाना बना कर 2 दिन तक रुकने का प्रोग्राम बनाओ।

फिर उसकी बात मन कर मैंने मौसी को फ़ोन कर दिया- हम दो दिन बाद घर आयेंगे।
मौसी की रजामंदी मिलने पर मीनू ने मुझे गले लगा लिया और मैंने अपनी छाती पर उसकी बड़ी बड़ी चूचियां महसूस की.
लेकिन तभी वो मुझसे अलग हो गई।

उसने बताया कि यहाँ चालीस किलोमीटर दूर एक सुंदर सा गाँव है, जहाँ की वादियाँ बहुत ही मनमोहक हैं. उसकी जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा और हम उस गाँव के लिए निकल पड़े.
रास्ते में मैंने उससे कहा- मुझे कुछ तबियत ठीक नहीं लग रही!
तो उसने रास्ते में एक मेडिकल स्टोर से मेरे लिए कुछ दवाई ले ली.

उसी दुकान पर एक नवविवाहित जोड़ा खड़ा था शायद उनको भी कुछ चाहिए था. मीनू उनको देख कर हंस रही थी और और लेडी भी हंस रही थी.
जब मैंने मीनू से उस बारे में पूछा तो उसने बात को हंस कर टाल दिया. मैंने भी ज्यादा जोर नहीं दिया.

दो घंटे के बाद हम उस गाँव में पहुँच गए. वह गाँव देखने में बहुत ही सुंदर था। हम वहां तीन घंटे तक घूमे और फिर वापस जाने के लिए चले.
तो एक लेडी, जो वहीं की लग रही थी, ने हमको कहा- भाई साहब, यहाँ का सबसे बढ़िया नजारा तो सुबह के वक्त का है. जो भी आता है वो देखता जरूर है. आपको भी देखना चाहिए.

उसकी बात सुन कर मीनू ने वहां रुकने के लिए कहा।
पहले तो मैंने मना किया, फिर उसकी जिद के आगे मुझे झुकना पड़ा और हम वहीं रुकने के लिए तैयार हो गए।

जब मैंने उस लेडी से किसी होटल के बारे में पूछा तो उसने कहा- यहाँ कोई होटल नहीं है, आप को किसी के घर पर रुकना पड़ेगा. और वे आपसे किराया लेंगे और खाना भी बना कर देंगे.
लेकिन इतनी देर होने के कारण अब सभी आप से ज्यादा किराया लेंगे.
मैंने पूछा- कितना?
तो उसने कहा- कम से कम दो हजार!

मीनू ने कहा- ये तो ज्यादा है.
तो उस लेडी ने कहा- मेरा घर थोड़ी ऊपर है. मैं आपको पांच सो रुपये में कमरा दे दूंगी.
उसकी बात मान कर हम उस महिला के साथ चल पड़े.

कोई आधा घंटे चलने के बाद उसका घर आया. महिला घर पर अकेली थी क्योंकि आज घर वाले सभी किसी की शादी में गए हुए थे।

उस महिला ने हमको एक कमरा, जिसमें डबल बैड था, वह दे दिया. और हमारे लिए खाना ले आए.

कुछ देर बाद उस महिला के पास किसी का फ़ोन आया और वो महिला वहां से चली गयी.
उसको लेने के लिए कोई बाईक सवार आया था.
उस महिला ने हमें कहा- आपको डरने की कोई बात नहीं है, मैं कल सुबह तक वापस आ जाऊंगी. मेरी भाभी को बच्चा होने वाला है तो मुझे जाना पड़ेगा।

कुछ देर बाद मीनू अपने वही बड़े गले वाली टीशर्ट पहन कर आ गयी और मेरे पास बैठ गयी.
मैंने उससे कहा- जो मेडिसिन तुम वहां से लेके आई थी, वो मुझे दे दो.
मेडिसिन एक कागज में लिपटी थी.

मीनू ने जैसे ही कागज को खोला, देखा उसमे तीन गोलियां थी. मीनू ने कहा- दुकानदार ने एक गोली ज्यादा दे दी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं, ये भी काम आएगी।
मीनू ने मुझे दो गोली दूध के साथ खाने को दी। फिर मैं और मीनू डबल बैड पर अपनी अपनी साइड पर सो गए.

कोई दस पंद्रह मिनट के बाद मेरे को अजीब सा फील होने लग गया और मेरा लंड भी खड़ा हो गया.
तभी मैंने मीनू से कहा- मुझे बेचैनी हो रही है. तो उसने मुझे वो दूसरी गोली भी दे दी।

उसको खाने के बाद तो मेरी हालत और भी ख़राब हो गयी और मेरा लंड फटने को हो गया.
तभी मैंने मीनू को जगाया और पूछा- वो गोली किस चीज की थी?
तो उसने कहा- वो तो सर दर्द और बैचेनी के लिए थी.
मैंने कहा- ऐसा तो नहीं लगता … तुम देखो एक बार.

उसने तुरंत गोली का रैपर देखा जिसको उसने ओपन करते वक्त नहीं देखा था.
उसे देख कर वो एकदम चौंक गयी और मुझसे पूछा- आपको कुछ और भी हो रहा है?
मैंने कहा- और क्या?

तो उसने मेरे को वो रैपर दिखाया. तो मैं सारा मामला समझ गया. क्यूंकि वो गोलियां वियाग्रा की गोली थी … वो भी दो गोली मैंने खाई थी.
मीनू ने मेरे को कहा- भाई, मैंने शायद गलती से ये वाला पैकट उठा लिया. ये उन कपल का है जो स्टोर पर खड़ा था. वो ये गोलियां ले रहे थे और मैं इसलिए ही हंस रही थी.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#3
उसने मेरे को वो रैपर दिखाया. तो मैं सारा मामला समझ गया. क्यूंकि वो गोलियां वियाग्रा की गोली थी … वो भी दो गोली मैंने खाई थी.
मीनू ने मेरे को कहा- भाई, मैंने शायद गलती से ये वाला पैकट उठा लिया. ये उन कपल का है जो स्टोर पर खड़ा था. वो ये गोलियां ले रहे थे और मैं इसलिए ही हंस रही थी.

तो उसने मेरे को वो रैपर दिखाया. तो मैं सारा मामला समझ गया. क्यूंकि वो गोलियां वियाग्रा की गोली थी … वो भी दो गोली मैंने खाई थी.
मीनू ने मेरे को कहा- भाई, मैंने शायद गलती से ये वाला पैकट उठा लिया. ये उन कपल का है जो स्टोर पर खड़ा था. वो ये गोलियां ले रहे थे और मैं इसलिए ही हंस रही थी.< मैंने कहा- अब क्या होगा? तभी मीनू ने अपनी किसी नर्सिंग वाली दोस्त तरुणा को फ़ोन करके सारा मामला बताया. तरुणा ने कहा- साली कुतिया ... तुमने देखा नहीं किस चीज की गोलियां हैं. अब उनकी वजह से तेरे भाई को लंड दो तीन घंटे तक खड़ा रहेगा और लंड में तब तक दर्द रहेगा जब तक लंड से वीर्य नहीं निकलता. ब्लड प्रेशर बहुत हाई हो जाता है. जिसके कारण कुछ भी हो सकता है. अपने भाई को जल्दी से अपने हाथ से मुट्ठी मरने के लिए बोल. मीनू ने बहुत ही शर्माते हुए मेरी तरफ देखा और मुझसे कहा- भाई, प्लीज आप हाथ से कर लो. नहीं तो आपको बहुत प्रॉब्लम हो सकती है. मैंने कहा- पागल है क्या? मैंने तो आज तक हाथ से नहीं किया. मीनू ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा- भाई, आज आपको अपना लंड हिलाना ही पड़ेगा. मेरी गलती की वजह से! मैंने मीनू के मुख से मैंने पहली बार लंड सुना था. लेकिन मेरा लंड फटा जा रहा था. उस कमरे मैं कोई बाथरूम भी नहीं था और जब हमने बाहर चेक किया तो वहां बाथरूम को लॉक लगा हुआ था. मैं वापिस अन्दर आ गया. मीनू ने मुझ से पूछा- क्या हुआ भाई? मैंने कहा- बाथरूम बंद है. तभी उसकी नजर मेरे लोअर पर गई जिसमें से मेरा आठ इंच का लंड साफ नजर आ रहा था. फिर उसने कहा- अब क्या होगा? तो मैंने कहा- मेरे को अब यहीं पर सब कुछ करना पड़ेगा. उसने भी कह दिया- हाँ भैया, आप यही कर लो. बाहर तो बहुत सर्दी है. मैं दूसरी तरफ मुंह कर लूंगी. मैंने कहा- ठीक है. मैंने अपना लंड बाहर निकला और मुठ मारने लग गया. मेरे मुख से आवाज निकल ने लगी- आह ... आ ... ह ... लंड ... आह ... आ ... ह ... हा ... हा ... हा ... अह ... हा ... अह ... हाय ... लंड लंड ... आह ... लंड ... लंड ... लंड ... हा ... हा ... हाहा ... हा ... हा..आ ... ह! और साथ में हाथ के घर्षण के करना मेरा लंड भी शुष्क हो गया और मुझ तकलीफ होने लगी. तो मैंने मीनू को आवाज दी. तो उसने मेरी तरफ देखा और कहा- क्या भाई? मेरे लंड को देख कर वो घबरा गई. मैंने कहा- तेरे पास तेल है न ... मेरे को जल्दी दे. उसने तेल की शीशी मेरे पास आकर दी तो नजदीक से मेरे लंड को देखा ... जो एकदम कुतुबमीनार की तरह खड़ा था. तीस मिनट बाद मेरे दोनों हाथ दुखने लगे तो मैंने कहा- अब मुझ से नहीं हो रहा ... मेरा लंड फटने को हो रहा है. तभी मैंने मेरी बहन को कहा- मीनू प्लीज ... हेल्प कर! उसने कहा- कैसे? तो मैंने कहा- अब तुझे तेरे हाथ से करना पड़ेगा. उसने एक बार तो मना किया. फिर मेरे स्थिति को देखा और मेरे पास आ गयी। मैं एकदम नग्न था. फिर मीनू ने अपने कोमल हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और उसे मुठियाने लगी. उसकी नजर नीचे थी और अपना हाथ मेरे लंड पर चला रही थी. बीस मिनट के बाद भी मेरे लंड ने वीर्य नहीं छोड़ा और उसके भी कोमल हाथ दुखने लगे. तभी उसकी सहेली का फ़ोन आया और अबकी बार फ़ोन मीनू ने स्पीकर मोड में कर दिया और उसका दूसरा हाथ मेरे लंड पर चल रहा था. "मीनू ... हुआ तेरे भाई का लंड शांत?" मीनू ने कहा- चालीस मिनट हो गए, नहीं हो रहा ... भाई के हाथ दुखने लगे और मेरे भी! तरुणा- क्या तू अपने भाई के लंड को मुठिया रही है? मीनू ने कहा- और क्या करूं? भाई की हालत खरब हो रही है. तब तरुणा ने कहा- मैं चाहती तो नहीं पर अब एक ही रास्ता है ... देख ... एक लड़के का लंड ... किसी भी लड़की के शरीर को देख कर जल्दी झड़ जाता है. और हाँ ... अगर तुझे अपने भाई से चूत भी मरवानी पड़े तो मरवा लेना. नहीं तो कुछ अभी हो सकता है. इसके बाद फ़ोन कट हो गया. मैंने ये सब सुन लिया था. अब मीनू ने मेरी खातिर अपने कपड़े निकाले और एकदम नंगी हो गई अपने भाई के सामने. उसकी चूत और चूची देख कर मेरा लंड झटके मरने लग गया. फिर मीनू ने मेरे को एक चेयर पर बैठने के लिए कहा और खुद बैड के साइड में बैठ गयी और मेरे लंड पर तेल लगा कर मुठ मारने लग गई. मेरे मुख से सिसकारियां निकलने लग गयी- हाह ... अहा ... हाहा ... अह ... अहह ... अआह ... हा ... आह ... अह ... अह ... अहहा ... अह ... हा ... हा ... हा ... हा ... अह! उधर मीनू के सांसें भी तेज हो गयी थी और उसकी चूचियां, जो काफी बड़ी थी, बड़ी जोर से हिल रही थी. तभी मेरे मुख से निकला- लंड ... चूत ... लंड ... चूत! और मैंने अपनी जवान बहन की चूचियों को पकड़ लिया. मेरी बहन सिहर उठी. लेकिन मेरी हालत को देख कर कुछ नहीं बोली. उसके कोमल हाथ मेरे लंड पर सरपट चल रहे थे. मैं जोर जोर से उसकी चूचियां दबाने लग गया ताकि मेरा वीर्य निकल जाए. मीनू बोली- भाई आराम से दबाओ. तभी मेरे नज़र मेरी बहन की चूत पर गई जिसको मैंने अभी तक ठीक से देखा नहीं था. मेरी बहन की चूत बिल्कुल दो छोटी छोटी फांकों की तरह लग रही थी. चूत को देख कर मैंने अंदाजा लगा लिया था कि अभी तक इसने लंड नहीं लिया है किसी का. मेरी बहन की चूत अब पानी छोड़ रही थी. मीनू अब गर्म हो गई थी. मुझे पता था कि अब उसको सिर्फ चुदाई चाहिए.\ तभी मैंने अपनी बहन को लंड मुंह में लेने के लिए बोला. और उसने जल्दी से मेरा लंड मुंह में ले लिया. 'गप ... गप ... गप ... गप्प ... गप्पा ... गप ... उंह उंह उंह ... उंह ... उंह ... उंह' मीनू लंड को किसी रंडी की तरह अपने मुंह में ले रही थी. तभी मीनू ने लंड को छोड़ कर बैड पर लेट गयी और कहा- भाई, बस अब आखरी रास्ता यही बचा है कि ... आप ... मेरी चूत में लंड डाल ... अपना वीर्य निकालो. लेकिन भाई ... आपकी ... बहन ने आज तक किसी का लंड लेना तो दूर ... किसी का देखा भी नहीं था ... लेकिन ... आज मैं अपनी सील पैक चूत आपको दे रही हूँ ताकि आपका लंड शांत हो सके. प्लीज ... आप न चूत ... आराम से मारना ... आपका लंड बहुत बड़ा है ... शायद मेरी चूत बर्दाश्त न कर सके. मीनू बैड पर लेट गई और मुझे अपने ऊपर आने के लिए कहा. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे कभी अपनी ही बहन की चूत मारनी पड़ेगी. लेकिन हम दोनों की मज़बूरी थी ... मीनू की चुदने की ... और मेरी अपनी बहन की चूत मारने की. कुछ देर तक मैंने अपनी बहन की चूची दबाई. फिर मेरी बहन बोली- भाई ... जल्दी लंड डाल चूत ... में ... अब तो मेरी चूत भी लंड मांग रही है. मेरी आँखें एकदम लाल हो चुकी थी. मैंने मीनू की टांगें चौड़ी की तो मुझे उसकी चूत से पानी निकलता नजर आया. मेरी बहन की चूत लंड के लिए तरस रही थी और मेरा लंड चूत के लिए. मैंने जैसे ही लंड चूत पर रखा तो वो अंदर नहीं जा रहा था. मीनू की चूत बहुत टाइट थी. मैंने अपनी बहन की तरफ देखा तो उसने कहा- मैं समझ गई कि आप क्या कहना चाहते हो. प्लीज आप मेरे टेंशन मत लो और अपना लंड मेरी चूत में डालो ... जल्दी! तभी मीनू ने अपने हाथ से लंड को चूत के मुंह पर लगाया. मैंने कहा- क्या तुम तैयार हो? तो मीनू ने कहा- हाँ. और मैंने जोर लगा कर एक धक्का मारा और उसी के साथ उसकी चीख निकल गई- आई ... माँ ... आई ... माँ ... मर गई ... उई ई ... इइ ... उई ... उई ... आई ... माँ! तभी मैंने उसके ऊपर लेटकर उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया और जोर से दो तीन धक्के मारे. उसके मुंह से गूंह गूंह ... गूंह ... उंह ... उंह ... उंह ... की आवाज निकल रही थी. जब मैंने अपने लंड की तरफ देखा तो वो बिल्कुल लाल हो गया था खून से सन कर! मीनू की चूत की सील टूट गई थी. अब वो जोर जोर से रोने लगी, बोलने लगी- भाई ... जल्दी जल्दी ... लंड को अन्दर बाहर करो ... मुझसे आप को लंड बर्दाश्त नहीं हो रहा. मैं अभी अब जोर जोर से बहन की चूत में धक्के मारने लगा. हर धक्के के साथ मीनू बोल रही थी- आई ... माँ ... आई ... माँ ... मेरी चूत ... उई ... उई ... माँ ... मेरी चूत फट गई ... भाई तुमने अपनी बहन की चूत फाड़ दी ... और जोर से ... लंड ... डालो ... लंड ... लंड ... लंड ... लं ... ड ... चूत ... चोदो अपनी बहन की चूत को ... मुझे अपनी रखैल बना लो ... मुझे अपने बच्चे के माँ बना दो ... लंड डालो लंड. मैं जोर जोर से बहन की चूत में लंड डाल रहा था. अब मैंने उसकी दोनों टांगों को अपने कन्धों पर रखा और लंड को पिस्टन की तरह उसकी चूत में डालता रहा. 'गच ... घप ... घप ... घप ... घप ... घप ... पट पट ... पट ... पट ... गच गच ... गच' की आवाज से कमरा गूंज उठा. अगले पचास मिनट तक गोलियों का असर रहा. तब तक मैंने मीनू को कभी पीछे से ... तो कभी लंड के ऊपर बैठाया. इस दौरान मीनू की चूत पांच बार अपना पानी छोड़ चुकी थी. अब मैंने मीनू को सीधा लिटाया और उसकी टांगों को अपने कन्धों पर रखा और घस्से मारने लगा. मीनू चीख रही थी. तभी मैंने कहा- मीनू ... मेरा ... छुटने वाला है. मीनू ने कहा- भाई ... चूत में मत छुटना ... नहीं तो आप ... पापा और मामा दोनों ... बन जाओगे. प्लीज भाई ... मेरी ... चूत ... में ... नही! और वो मुझे धक्का देने लगी. लेकिन सब बेकार ... आखरी धक्के में मैंने अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और ... और ... मेरे ... लंड से ... वीर्य ... की पिचकारियाँ निकलने लगी. दस पिचकारियाँ मैंने मीनू की चूत में मारी ... मेरे वीर्य से उसकी चूत भर गई और मैं एकदम उसके ऊपर गिर गया. मैं तक़रीबन बेहोश हो गया. मीनू बोल रही थी- भाई ... उठ जाओ. जब मैं अपँव बहन के नंगे बदन के ऊपर से हटा तो मीनू खड़ी हुई. तो वीर्य उसकी चूत से निकल कर उसकी खूबसूरत टांगों पर चलने लगा. मीनू ने जैसे ही चलना चाहां, उससे चला नहीं गया. जब उसने अपनी चूत को देखा तो चूत की दोनों फाकों के बीच दो उँगलियों का गैप हो चुका था. जैसे किसी के होंठ काफी सूज गए हों. फिर मीनू ने कहा- भाई, आपने मेरी चूत बिल्कुल ऐसी कर दी जैसी कुत्ते कुतिया की चूत कर देते हैं. और अपनी टाँगें चौड़ी करके चलने लगी. फिर सुबह तक मैं मीनू को दो बार और बजाया. अगले दो दिनों तक उसको मैंने कपड़े नहीं पहनने नहीं दिए.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#4
yourock thanks Y
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#5
(29-01-2023, 12:52 AM)Aseww neerathemall Wrote: fight
कुंवारी मौसेरी बहन की चूत चुदाई-1
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



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#6
Nice story
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