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Adultery Bhai bhen ka pyar 1
#1
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मेरा नाम रोहन है और मैं दिल्ली में रहता हु ।हमारे घर में मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन ऋतू रहती है ।
मैं आज जल्दी कॉलेज से घर गया ।और अपनी अलमारी का दरवाजा खोल दिया ।जिसमे मैने एक छेद निकाला हुआ था।यह छेद दीवार पार करके मेरी छोटी बहन ऋतु के कमरे में जाता था ।
मैने बड़ी मुश्किल से यह छेद निकाला था ।इसके बारे में मेरे अलावा किसी और को मालूम नही था।
ऋतु अभी स्कूल से आई थी ।और अपने रूम में आकर उसने अपनी शर्ट निकाल दी ।और सीसे में अपने बदन को निहारने लगी।
फिर उसने अपने दोनो हाथ पीछे ले जा कर अपनी ब्रा खोल दी।
ऋतु की ब्रा किसी बेजान पत्ते की तरह लहराती हुई जमीन पे गिर गई।
उसके 32 के बूब्स आईने में साफ दिखने लगे। बिलकुल तने हुए और उन पर 2 गुलाबी छोटे छोटे निप्पल तन कर खड़े हो गए।
मैं ऋतु से 2 साल बड़ा हु लेकिन मेरे अंदर सेक्स के प्रति काफी जिज्ञासा है।
मैं घर पर अपनी जवान बहन को देख के काफी उत्तेजित हो जाता हु।
इसलिए करीब 2 महीने पहले में यह छेद किया था ।
मैने नोट किया की ऋतु स्कूल से आने के बाद सीसे के सामने रोज अपने बदन को निहारती है ।
अपने बूब्स को दबाती है ।अपने निप्पलों को खीचती है। और अपनी चूत में उंगली डाल के सिसकारी भरते हुए मुट्ठ मरती है।
यह सब देखते हुए मैं भी अपना लन्ड पैंट से निकल के मुट्ठ मरता हु।और ध्यान रखता हु की मैं भी तब ही झडू जब ऋतु झड़ टी है।
आज मैं फिर अपनी नंगी बहन को देख रहा था।
ऋतु अपने जिस्म को बड़े गौर से देख रही थी।
और अपने बूब्स को हाथ में लेके जैसे उनका वजन तोल रही थी। और धीरे धीरे अपनी उंगली से अपने निपल को उमेठ रही थी।
ऋतु के बूब्स फूल के ऐसे हो रहे थे मानो कोई अंदर से उनमें हवा भर रहा था।
फिर उसने अपनी जीभ निकाल के अपने दाएं निपल को मुंह में भरने की कोशिश की ।लेकिन उससे हो ना पाया। ऋतु अपने बूब्स को फिर से मसलने लगी।
ऋतु अपने स्कूल पैंट को खोलने लगी ।और पैंट को उतार के एक साइड में रख दिया । उसने अंदर कोई पेन्टी नही पहनी हुई थी।
वो बेड के किनारे अलमारी की तरफ मुंह करके बैठ जी।अपनी टांगे चौड़ी करके फैला दी और अपनी चूत को मसलने लगी।
फिर उसने जो किया उसे देख के में दंग रह गया ।
उसने अपनी चूत से एक काला डिल्डो निकाला।
ऋतु सारा दिन उसे अपनी चूत में डाल के घूम  रही थी।
स्कूल में घर में सब जगह डिल्डो सुबह से ही उसकी चूत में था ।
ऋतु ने उस डिल्डो को चाटना शुरू किया और अपने एक हाथ से चूत को रगड़ने लगी।
कभी वो डिल्डो चूत में डालती अंदर बाहर करती ।और उसके रस को चाट कर साफ करदेती।
मैं जोर जोर से अपने लन्ड को हिलाने लगा .और वही अलमारी पे मेरे लन्ड से पिचकारी निकल गई और मैं झड़ गया।
वही ऋतु की भी स्पीड तेज हो गई।और वो जोर जोर से डिल्डो को अपनी चूत में अंदर बाहर करने लगी।
थोड़ी देर में ऋतु भी झड़ गई और वही बेड पे पसर गई।
अब उसकी चूत में वो काला सा लन्ड अभी भी फसा हुआ था.और साइड में से चूत का रस बाहर रिस रहा था।
फिर वो उठी और लाइट बंद करके नंगी ही अपने बिस्तर में गुश गई।
मैं भी अपने बिस्तर पे जाकर सो गया ।
अगली सुबह हम सब नाश्ता करने बठे थे।
पापा हम सब को हंसाने में लगे हुए थे ।पापा मम्मी साल में एक बार कैंप में जरूर जाते थे।
मैने कॉलेज जाते हुए अपनी बाइक से ऋतु को स्कूल छोड़ा और आगे निकल गया।
रास्ते में मुझे एक तरकीब आने लगी ।क्यों की मुझे और मेरी बहन को बहुत कम जेब खर्च मिलता था।
हमे हमारे दोस्तो की तरह ज्यादा पैसे नहीं मिलते थे।
मैने अपनी बहन के बारे में अपने दोस्तो को नहीं बताया हुआ था।
वो कभी यकीन नही कर सकते थे की ऋतु इतनी कामुक और वासना की आग में जलने वाली लड़की भी हो सकती है।
मैं अपने कॉलेज पोचा और अपने दो करीबी दोस्त रवि और विशाल को कोने में ले जाकर पूछा की ।
क्या तुमने कोई नंगी लड़की देखी है?
वो दोनो दंग रह गए ।
मैने उनसे पूछा की तुम मुझे क्या दोगे अगर माने तुम्हे नंगी लड़की दिखा दी तो।
विशाल:तू मांगे गा वो तुझे दूंगा
मैने कहा :जो मैं कह रहा हु अगर मैने वो कर दिया तो तुम मुझे कितना पैसा दोगे ।
रवि:अगर तुमने मुझे नंगी लडकी दिखाई तो मैं तुझे एक हजार रुपे दूंगा।
विशाल:मैं भी 1000 रुपे दूंगा लेकिन यह सब हमे कितनी देर देखने को मिलेगा ।
मैं:10 मिनट
अबे चुटिया तो नही बना रहा कही कोई गली में घूमती हुई नंगी लड़की दिखा दे।
मैं:नही भाई 19 साल की है गोरी मोटे मोटे बूब्स ।और तुम्हारी किस्मत अच्छी हुई तो क्या पता वो तुम्हे मुठ मरती हुई भी दिख जाए।
रवि :अगर ऐसा है तो यह ले 1000 रूपे  और अगर तू यह नहीं कर पाया तो कल तुझे इसके डबल देने होंगे।
मैं:हा मंजूर है।
रवि को देख के विशाल ने भी पैसे दे दिए और कहा की कब दिखाएगा ।
मैं:कल तुम दोनो अपने घर पे बोल देना की तुम मेरे घर पे ग्रुप स्टडी करोगे और रात को वही रुकोगे।
अगले ही दिन दोनो मेरे साथ कॉलेज से घर आ गए हमने साथ में खाना खाया और पढ़ने बैठ गए
साम तक हमने ऐसे ही टाइम पास किया और जल्दी खाना खा कर मेरे रूम में चले गए।
रवि:अबे कब तक इंतजार करवाएगा कब देखने को मिलेगी हमे नंगी लडकी सुबह से मेरा लन्ड नंगी लड़की के बारे में सोच सोच के खड़ा हुआ है।
विशाल:हा यार अब सब्र नहीं होता कहा है नंगी लड़की।
मैं:यही है
वो दोनो मेरा मुंह ताकने लगे । मैने अलमारी खोली और छेद से देखने लगा
ऋतु अभी अभी अपने रूम में आई थी और अपने कपड़े उतार रही थी।
यह देख मैं मंद मंद मुसकुरा या और रवि से कहा ले आजा देख लें नंगी लड़की।
रवि थोड़ा सोच में पड़ गया लेकिन जब उसने अपनी आंख छेद पे लगाई  तो वो हैरान हो गया ।
रवि: ओ तेरी यह तो तेरी बहन है ऋतु
ऋतु का नाम सुनते ही विशाल रवि को दक्का मारते हुए छेद से देखने लगा
विशाल:यह तो इसकी बहन है ऋतु और यह क्या ये तो अपने कपड़े उतार रही है
विशाल :रोहन तू अपनी बहन के बारे में बात कर रहा था तू तो बड़ा कुत्ता है
विशाल:अबे रवि देख तो साली के बोबे कैसे तने हुए है
विशाल अपना लन्ड मसलते हुए अबे ये तो अपने निप्पल चूस रही है।
रवि:मुझे भी देखने दे
फिर वो बारी बारी छेद पर आंख लगा कर देखने लगे।
विशाल:क्या आइटम छुपा के रखा हुआ है तूने अपने घर पर ...अरे यह क्या इसने तो पेन्टी भी नही पहनी हुई है ओह माय.........उसने एक सिसकारी भरते हुए अपना लन्ड बाहर निकल लिया और हिलाने लगा ।
क्या चूत है हल्के हल्के बाल ..गुलाबी चूत...
ऋतु अपनी चूत में उंगलियां डाल के सिसकरिया ले रही थी और अपना माथा इधर उधर पटक रही थी।
विशाल और रवि पागल हो रहे थे और ऋतु के बारे में गंदी गंदी बाते बोल कर झड़ने लगे थे।
तभी ऋतु झड़ गई और लाइट बंद करके सो गई।
रवि:मुझे तो अभी भी यकीन नही हो रहा की तूने मुठ मरती हुए अपनी बहन को दिखाया।
मैं:चलो अब सो जाते है।
विशाल:यार वो साथ वाले कमरे में नंगी सो रही है यह सोच कर तो आज रात मुझे नींद ही नहीं आयेगी
मैं:अगर तुम्हे ये सब दोबारा देखना हैं तो जल्दी सो जाओ और सुबह देखना ।
सुबह उठ ते ही हम तीनो छेद पर अपनी नजर लगाए बैठ गए
हमे ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा .........रोज की तरह ऋतु उठी ...नंगी बिलकुल
उसने अपने तने हुए बूब्स को प्यार किया  चाटा चूसा और तीन उंगलियों को अपनी चूत में डाल कर गुड मॉर्निंग कहा
विशाल:क्या सीन है यारा सुबह सुबह कितनी हसीन लग रही है तेरी बहन
रवि: अरे ये क्या इसके पास तो एक नकली लन्ड भी है...........अब वो उसको चूस भी रही है.........अपनी ही चूत का रस चाट भी रही है...........बड़ी गर्मी है तेरी बहन में यार
ऋतु डिल्डो को अपनी चूत में डाल कर जोर जोर से डिल्डो को हिलाने लगी
हम तीनो भी अपना लन्ड बाहर निकाल के मुट्ठी मारने लगे
हम सभी एक साथ झड़ने लगे .....ऋतु का भी यही हाल था।
फिर वो उठी और नहाने के लिए बाथ रूम में चली गई
यह तो हफ्ते का दो तीन बार का नियम हो गया ।और मेरे पास भी काफी पैसे आ गए
एक दिन मैं काफी हिम्मत करके ऋतु के रूम में गया ।
ऋतु:आज कैसे अपनी बहन की याद आ गई।काफी दिनों से तुम बिजी लग रहे थे जब देखो अपने रूम में पढ़ाई करने में लगे हुए थे।
मैं:बस ऐसे ही बहुत दिन से तुमसे बात न हो पाई थी ना इसलिए।
ऋतु मुझे तुमसे पैसे के बारे में कुछ बात करनी है।
ऋतु:देखो रोहन मैं तुम्हे अपनी पॉकेट मनी में से कुछ नही देने वाली हु
मैं:एक रास्ता है जिससे हमे पैसे की कोई कमी नही होगी।
ऋतु :क्या
मैं ऋतु से बात करता हुआ खड़ा हुआ और उसकी टेबल के नीचे से डिल्डो निकाल के बेड पे रख दिया।
ऋतु जोर से चिलाते हुए ओह माय गॉड ।और उसका फेस शर्म और गुस्से से लाल हो गया।
उसने अपना फेस हाथो से छुपा लिया और रोने लगी.
ऋतु:तुम्हे इसके बारे में कसे पता चला इट्स नोट पॉसिबल।
मैं:प्लीज रो मत ऋतु ...मैं उसे रोता देख घबरा गया।
ऋतु:तुम मेरे साथ में ऐसा कसे कर सकते हो तुम मम्मी पापा को तो नही बताओगे न।
मैं:मैं तुम्हे किसी परेशानी में नही डालना चाहता हु .बल्कि मैं तो तुम्हारी मदद करना चाहता हु। जिससे हम दोनो को कभी पैसे की कमी नही होगी।
ऋतु:लेकिन पैसे का इन सब से क्या मतलब उसने डिल्डो की तरफ इशारा करते हुए कहा।
मैने डिल्डो को हाथ में उठाया और हाथ में उछलते हुए कहा मैं सब जानता हु की तुम इससे क्या करती हो.
ऋतु:तुमने देखा है यह कसे हो सकता है वो चिला कर बोली।
यहाँ से.........मैं उसकी अलमारी के पास गया और उसे वो छेद दिखाया।
है भगवान यह सब मेरे साथ क्या हो रहा है ......वो रोते हुए बोल रही थी।
मैं:देखो ऋतु मैं बस तुम्हे यहां से देखता हु .और इसमें कोई बुराई भी नही है .और मुझे ये अच्छा भी लगता है।
ऋतु थोड़ी देर के बाद रोना बंद कर दिया ....अच्छा ...तुम मुझसे क्या चाहते हो
मैं:ऋतु मेरे पास में एक आइडिया है जिससे हम दोनो खूब पैसा कमा सकते ही।
अच्छा मैं भी तो सुनी की क्या आइडिया है तुम्हारे पास में।
मैं:तुम्हारी कोई फ्रेंड है क्या जो यह सब जानती है की तुम क्या करती हो मुझे नाम बाटने की जरूरत नही ही सिर्फ हा या ना में बोलो।
हा.........है मेरी एक फ्रेंड जो यह सब जानती है और डिल्डो भी उसी ने मुझे दिया है।
अगर तुम अपनी फ्रेंड को यहां बुला कर यह सब करवा सकती हो तो कई मैं अपने फ्रेंड से ज्यादा चार्ज कर सकता हु और तुम्हारी फ्रेंड को कुछ पता भी नही चलेगा ।
लेकिन मुझे तो मालूम रहेगा न........और वो ही मेरी एक फ्रेंड है जिसके साथ मैं सब कुछ शेर करती हु।.....अपने दिल को बात .....मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती हु।
ऋतु:अगर मैने मना करदिया और यह छेद भी बंद करडिया तो आगे से देखते रहना मेरे सपने।
प्लीज ऋतु यह तो साबित हो गया की तुम काफी उत्तेजना फील करती हु ।और इसी कारण तुम मुट्ठ मारती हो।और डिल्डो से मजे लेती हो ।तुम्हे देख कर मैं भी मुट्ठ मार लेता हु तो क्या गलत है।
और तुम्हे देख कर कोई और भी मुट्ठ मारे तो इसमें बुराई क्या है ।
ऋतु:कोई और भी मतलब विशाल और रवि।
मैं नही वो शायद घर पे तुम्हारे नाम की मुट्ठ मारते होंगे।
ऋतु:और तुम.........तुम भी मुझे देख के मुट्ठ मारते हो
हा मैं भी मारता हु.....मुझे लगता है तुम इस दुनिया की सबसे खुभसूरत लडकी हो।
तुम क्या करते हो?उसकी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।
मैं तुम्हे नंगी मुठ मारते हुए देखता हु...और अपना लन्ड हिलाता हु
ऋतु:क्या तुम्हारा निकलता है क्या जब तुम मुठ मारते हो।
मैं हा निकलता है
ऋतु क्या तुम तयार हो क्या पैसे कमाने के लिए।
ऋतु:मेरी एक शर्ट है ।
मैं कुशी से उल्चते हुए मुझे तुम्हारी सभी शर्त मंजूर है।
ऋतु:तुम मुझे देखते रहे हो ठीक है
मैं:हा तो
ऋतु:मैं भी तुम्हे मुठ मारते हुए देखना चाहती हू।
मैं:नही मैं ये नह कर सकता.....मुझे शर्म आयेगी
ऋतु:तो फिर भूल जाओ
मैं:अगर मैने करा तो तुम्हारी तरफ से हा होगी
ऋतु:हा पक्का....अब तुम जल्दी से अपना लन्ड निकालो और मुठ मारो।
में:अपना पैंट खोलने लगा।
ऋतु:जल्दी सुरु हो जाओ
आगे की कहानी अगले भाग में ।
प्लीज कमेंट samarshamra21;
thanks
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#2
मैं अपनी बहन को नंगी देखा करता था. एक बार मैंने अपने दो दोस्तों से पैसे लेकर उन्हें भी अपनी बहन नंगी दिखा दी. फिर मैंने सोचा कि अपनी बहन से खुल कर बात करने में फ़ायदा है, मैंने बात की और बात बन गई.
अब मेरी बहन ने मुझे उसके सामने मुठ मार कर दिखाने को कहा.

मैंने ‘हाँ’ कह दिया तो ऋतु ने मुस्कुराते हुए कहा- तो ठीक है… फिर शुरू हो जाओ.

मैंने शर्माते हुए अपनी जींस उतारी और अपनी चड्डी भी उतार कर साइड में रख दी और अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मन ही मन में बोला… चल बेटा तेरे कारनामे दिखाने का टाइम हो गया… धीरे धीरे मेरे लंड ने विकराल रूप ले लिया और मैं उसे आगे पीछे करने लगा.

मैंने ऋतु की तरफ देखा तो वो आश्चर्य से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी. उसकी आँखों में एक ख़ास चमक आ रही थी.

मैं अपने हाथ तेजी से अपने लंड पर चलाने लगा. ऋतु भी धीरे-धीरे मेरे सामने आ कर बैठ गई, उसका चेहरा मेरे लंड से सिर्फ एक फुट की दूरी पर रह गया.
उसके गाल बिल्कुल लाल हो चुके थे और उसके गुलाबी लरजते होंठ देखकर मेरा बुरा हाल हो गया… वो उन पर जीभ फिरा रही थी और उसकी लाल जीभ अपने गीलेपन से उसके लबों को गीला कर रही थी.

मेरा लंड ये सब देखकर दो मिनट के अन्दर ही अपनी चरम सीमा तक पहुँच गया और उसमें से मेरे वीर्य की पिचकारी निकल कर ऋतु के माथे से टकराई.
वो हड़बड़ा कर पीछे हुई तो दूसरी धार सीधे उसके खुले हुए मुंह में जा गिरी और पीछे होते होते तीसरी और चौथी उसकी ठोड़ी और गले पर जा लगी.

‘अरे वाह… मुझे इसका बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था.’ ऋतु ने चुप्पी तोड़ी.
‘मतलब तुमने आज तक ये… मेरा मतलब असली लंड नहीं देखा?’ मैंने पूछा तो उसने ना में गर्दन हिला दी.

ऋतु ने अपने मुंह में आये वीर्य को निगलते हुए चटखारा लिया और मुझसे बोली- और मुझे इस बात का भी अंदाज़ा नहीं था कि ये पिचकारी मारकर अपना रस निकालता है.
मैंने पूछा- मैंने भी तुम्हें डिल्डो को अपनी योनि में डालने के बाद चाटते हुए देखा है… क्या इसका स्वाद तुम्हारे रस से अलग है?
ऋतु ने कहा- हाँ… थोड़ा बहुत… तुम्हारा थोड़ा नमकीन है… पर मुझे अच्छा लगा.

ऋतु ने मुझसे पूछा- मेरा इतना गाढ़ा नहीं है पर थोड़ा खट्टा-मीठा स्वाद आता है… क्या तुम टेस्ट करना चाहोगे?
मैंने कहा- हाँ… बिल्कुल… क्यों नहीं… पर कैसे?
ऋतु मुस्कुराती हुई धीरे धीरे अपने बेड तक गई और अपना डिल्डो निकालकर उसको मुंह में डाला और मेरी तरफ हिला कर फिर से पूछा- क्या तुम सच में मेरा रस चखना चाहोगे?
मैंने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई.

उसको डिल्डो चूसते देखकर मेरे मुरझाये हुए लंड ने एक चटका मारा… जो ऋतु की नजरों से नहीं बच सका.
फिर उसने आहिस्ता से अपनी जींस के बटन खोले और उसको उतार दिया. हमेशा की तरह उसने पेंटी नहीं पहनी थी. उसकी बुर मेरी आँखों के सामने थी. मैंने पहली बार इतनी पास से उसकी बुर देखी थी.

उसमें से रस की एक धार बह कर उसकी जींस को गीला कर चुकी थी और वो काफी उत्तेजित थी. फिर वो अपनी टाँगे चौड़ी करके बेड के किनारे पर बैठ गई और डिल्डो अपनी बुर में डाल कर अंदर बाहर करने लगी.
मैं ये सब देखकर हैरान रह गया.
वो आँखें बंद किये मेरे सामने अपनी बुर में डिल्डो डाल रही थी. जब डिल्डो उसके अन्दर जाता तो उसकी बुर के गुलाबी होंठ अन्दर की तरफ मुड़ जाते और बाहर निकालते ही उसकी बुर के अन्दर की बनावट मुझे साफ़ दिखा देते.

मैं तो उसके अंदर के गुलाबीपन को देखकर और रस से भीगे डिल्डो को अन्दर बाहर जाते देखकर पागल ही हो गया.
मैं मुंह फाड़े उसके सामने बैठा था.

उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और आखिर में वो भी जल्दी ही झड़ने लगी. फिर उसने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और अपनी बुर में से भीगा हुआ डिल्डो मेरे सामने करके बोली- लो चाटो इसे… घबराओ मत… तुम्हें अच्छा लगेगा… चाटो.

मैंने कांपते हाथों से उससे डिल्डो लिया और उसके सिरे को अपनी जीभ से छुआ. मुझे उसका स्वाद थोड़ा अजीब लगा पर फिर एक दो बार चाटने के बाद वही स्वाद काफी मादक लगने लगा और मैं उसे चाट चाटकर साफ़ करने लगा.
यह देखकर ऋतु मुस्कराई और बोली- कैसा लगा?

मैंने कहा- टेस्टी है ऋतु…



ऋतु ने डिल्डो मेरे हाथ से लेकर वापस अपनी बुर में डाला और खुद ही चूसने लगी और बोली- मज़ा आया?
मैंने कहा- हाँ!
फिर ऋतु बोली- मुझे भी मज़ा आता है अपने रस को चाटने मैं… कई बार तो मैं सोचती हूँ कि काश मैं अपनी बुर को खुद ही चाट सकती!

ऋतु ने मुझसे पूछा- क्या तुमने कभी अपना रस चखा है?
मैंने कहा- नहीं… क्यों?
ऋतु बोली- ऐसे ही… एक बार ट्राई करना!
फिर उसने कहा- आज रात सब के सोने के बाद तुम मेरे लिए एक बार फिर से मुठ मारोगे और अपना रस भी चाट कर देखोगे!

मैंने पूछा- मैं अपना वीर्य चाटूं… पर क्यों?
ऋतु ने अपना फैसला सुनाया- क्योंकि मैं चाहती हूँ और अगर तुमने ये किया तभी मैं तुम्हें अपना जवाब दूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
ऋतु- अब तुम जल्दी से यहाँ से जाओ, मुझे अपना होमवर्क भी पूरा करना है.

मैंने जल्दी से अपनी चड्डी और जींस पहनी लेकिन मेरे खड़े हुए लंड को अन्दर डालने में जब मुझे परेशानी हो रही थी तो वो खिलखिलाकर हंस रही थी और उसके हाथ में वो काला डिल्डो लहरा रहा था.
मैं जल्दी से वहाँ से निकल कर अपने रूम में आ गया. अपने रूम में आने के बाद मैंने छेद से देखा तो ऋतु भी अपनी जींस पहन कर पढ़ाई कर रही थी.

रात को सबके सोने के बाद मैंने देखा कि ऋतु के रूम की लाइट बंद हो चुकी है. थोड़ी ही देर मैं मैंने अपने दरवाजे पर हल्की दस्तक सुनी. मैंने वो पहले से ही खुला छोड़ दिया था तो ऋतु दरवाजा खोलकर अन्दर आ गई उसने गाउन पहन रखा था.
अंदर आते ही ऋतु बोली- चलो शुरू हो जाओ.

मैं चुपचाप उठा और अपना पायजामा उतार कर खड़ा हो गया और अपने लंड के ऊपर हाथ रखकर आगे पीछे करने लगा. ऋतु मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी. इस बार वो और ज्यादा करीब से देख रही थी.
उसके होठों से निकलती हुई गर्म हवा मेरे लंड तक आ रही थी.

मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया, तभी ऋतु बोली- अपना वीर्य अपने हाथ में इकट्ठा करो.

मैंने ऐसा ही किया… मेरे लंड के पिचकारी मारते ही मैंने अपनी मुठ से अपने लंड का मुंह बंद कर दिया और सारा माल मेरी हथेली में जमा हो गया.

फिर ऋतु बोली- वाह… मजा आ गया, तुम्हें मुठ मारते देखकर सच में मुझे अच्छा लगा… अब तुम इस रस को चख कर देखो.
मैंने झिझकते हुए अपने हाथ में लगे वीर्य को अपनी जीभ से चखा.
ऋतु ने पूछा- कैसा लगा?
मैंने जवाब दिया- तुम्हारे रस से थोड़ा अलग है.
ऋतु- कैसे?
मैं- शायद इसमें मादकता कम है.

ऋतु मुस्कुराते हुए बोली- चलो मुझे भी चखाओ.
मैं- ये लो…
और मैंने अपना हाथ ऋतु की तरफ बढ़ा दिया. वो अपनी गर्म जीभ से धीरे धीरे उसे चाटने लगी फिर अचानक वो मेरा पूरा हाथ साफ़ करने के बाद बोली- यम्मी… मुझे तुम्हारा रस बहुत स्वाद लगा और काफी मीठा भी… क्या तुम मेरे रस के साथ अपने रस को चखना चाहोगे?
मैं- हाँ हाँ… क्यों नहीं!

फिर वो थोड़ा पीछे हठी और उसने अपना गाउन आगे से खोल दिया… मैं देख कर हैरान रह गया… वो अन्दर से पूरी तरह नंगी थी. उसकी 34 बी साइज़ की सफ़ेद रंग की चूचियाँ तन कर खड़ी थी और उन स्तनों की शोभा बढ़ाते दो छोटे निप्पल किसी हीरे की तरह चमक रहे थे.

उसने अपने हाथ अपनी जांघों के बीच में घुसाए और अपनी बुर में से वो काला डिल्डो निकाला. वो पूरी तरह से गीला था… उसका रस डिल्डो से बहता हुआ ऋतु की उंगलियों तक जा रहा था.
मैंने उसके हाथ से डिल्डो लिया और उसको चाटने लगा.
उसका रस एकदम गर्म और ताज़ा था. मैं जल्द ही उसे पूरी तरह से चाट गया और वो ये देखकर खुश हो गई.

मैं- मुझे भी तुम्हारा रस अच्छा लगा.
ऋतु बोली- अब मुझे भी तुम्हारा थोड़ा रस और चखना है… तुम अपना लंड अपने हाथ में पकड़ो.

मेरे लंड के हाथ में पकड़ते ही वो झुकी और मेरे लंड के चारों तरफ अपने होंठों का फंदा बना कर उसमें बची हुई आखिरी बूँद को झट से चूस गई.
मैं तो सीधा स्वर्ग में ही पहुँच गया… मैंने कहा- ये तो और भी अच्छा है.
ऋतु बोली- तुम्हारा लंड भी इस नकली से लाख गुना अच्छा है.

मैंने शर्माते हुए ऋतु से पूछा- क्या मैं भी टेस्ट कर सकता हूँ?
ऋतु बोली- तुम्हारा मतलब है… जैसे मैंने किया… क्यों नहीं… ये लो!
और इतना कहकर वो मेरे बेड पर अपनी कोहनी के बल लेट गई और अपनी टाँगें चौड़ी कर के मोड़ ली.

उसकी गीली बुर मेरे बिल्कुल सामने थी. मैं अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसकी जांघों को पकड़ कर अपनी जीभ उसकी बुर में डाल दी.
वो सिसक पड़ी और अपना सर पीछे की तरफ गिरा दिया.

उसकी मादक खुशबू मेरे नथुनों में भर गई.
फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से अपनी बहन की बुर किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा.
ऋतु का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे नियंत्रित करने लगी. मेरी जीभ और होंठ उसकी बुर में रगड़ कर एक घर्षण पैदा कर रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं किसी गर्म मखमल के गीले कपड़े पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ.

मेरी बहन की सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थी.

और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी बुर में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा. मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा तो ऋतु का शरीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अधखुली आँखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हल्की रोशनी में गजब का लग रहा था.

मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था. वो हंसी और बोली- मुझे विश्वास नहीं होता कि आज मुझमें से इतना रस निकला… ऐसा लग रहा था कि आज तो मैं मर ही गई.

मैंने पूछा- तो तुम्हारा जवाब क्या है?
वो हँसते हुए बोली- हाँ बाबा हाँ, मैं तैयार हूँ.
वो आगे बोली- लेकिन वो भी पहली बार सिर्फ तुम्हारे लिए… तब तुम अपने दोस्तों को नहीं बुलाओगे… फिर बाद में हम तय करेंगे कि आगे क्या करना है.
मैंने कहा- ठीक है, मुझे मंजूर है.

मैंने उसे खड़ा किया और उसे नंगी ही गले से लगा लिया और उसे कहा- तुम्हें ये सब करना काफी अच्छा लगेगा.
ऋतु कसमसाई और बोली- देखेंगे!

अपना गाउन पहन कर उसने अपने डिल्डो को अंदर छुपा लिया और बोली- मुझे भी अपनी बुर पर तुम्हारे होंठों का स्पर्श काफी अच्छा लगा… ये अहसास बिल्कुल अलग है… और मुझे इस बात की भी ख़ुशी है कि मेरा अब कोई सिक्रेट भी नहीं है.
मैंने कहा- हम दोनों मिलकर बहुत सारे पैसे कमाएंगे और बहुत मज़ा भी करेंगे.

फिर मैंने बोला- गुड नाईट.
तो ऋतु भी ‘गुड नाईट’ कहकर वो अपने रूम में चली गई.

मैं भी ऋतु के बारे में और आने वाले समय के बारे में सोचता हुआ अपनी आगे की योजनायें बनाने लगा.
thanks
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#3
भाई बहन की चुदाई के सफर की शुरुआ
अगले दिन जब मैं उठा तो कल रात की बातें सोचकर मुस्कुराने लगा, फिर कुछ सोचकर झटके से उठा और छेद में देखने लगा. पहले तो मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया पर जब गौर से देखा तो हैरान रह गया क्योंकि ऋतु की बुर मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी. वो छेद के पास खड़ी हुई अपनी बुर में डिल्डो अन्दर बाहर कर रही थी… बिल्कुल नंगी.

मैं तो यह देखकर पागल ही हो गया, मैंने झट से अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसे तेजी से आगे पीछे करने लगा. मेरा मन कर रहा था कि मैं अपनी जीभ छेद में डाल कर अपनी बहन की बुर में डाल दूँ और उसे पूरा चाट डालूं.
मैं ये सोचते-2 जल्दी ही झड़ने लगा.

तभी छेद में से ऋतु को अपनी तरफ देखते हुए मैं पास गया तो उसने पूछा- क्या तुम्हारा हो गया?
मैंने जवाब दिया- हाँ और तुम्हारा?
वो मुस्कुरा कर बोली- हाँ मेरा भी!
मैंने कहा- मुझे तो बड़ा ही मजा आया!
ऋतु बोली- मुझे भी… चलो अब नीचे नाश्ते पर मिलते हैं!
और यह कह कर वो अपनी गांड मटकती हुई बाथरूम में चली गई.

आज मेरे दिल में एक अजीब सी ख़ुशी मचल रही थी. जिंदगी के ये नए रंग मुझे सचमुच अच्छे लग रहे थे. हालांकि भाई बहन के बीच ये सब पाप की नजर से देखा जाता है पर ना जाने क्यों ये पाप करना मुझे अच्छा लग रहा था.

मैं नाश्ता करके अपनी बाइक पर ऋतु को स्कूल छोड़ने चल दिया. रास्ते भर हम अपने इस नए ‘बिज़नेस’ के बारे में बातें करते रहे कि कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ. अगर हफ्ते में दो बार हम दो लोगों को या फिर चार लोगों को ये ‘स्पेशल शो’ दिखाएँ तो कितने पैसे मिलेंगे… और इस हिसाब से पैसे हमेशा बढ़ते जा रहे थे.
यह देखकर ऋतु काफी खुश हो रही थी.

उसी रात डिनर के टाइम ऋतु ने मम्मी पापा से कहा कि उसकी सहेली पूजा कल रात यहीं पर रहेगी क्योंकि उनकी परीक्षाएं आ रही है और वो उसकी तैयारी करना चाहती हैं.

पूजा का नाम सुनते ही मैं चौंक गया. मैंने कई बार पूजा को अपने घर पर ऋतु के साथ देखा है. वो एक पंजाबी लड़की है… थोड़ी सांवली जैसे पुराने जमाने की एक्ट्रेस रेखा हुआ करती थी.
पर उसके मम्मे और गांड ग़जब की है, एकदम टाइट और फैली हुई गांड और तने हुए छोटे खरबूजे जैसे मम्मे… मैंने उनके बारे में सोचकर कई बार मुठ भी मारी थी.
पूजा ही वो लड़की है जिसने ऋतु को डिल्डो दिया था. तब तो वो काफी एडवांस होगी और मुझे भी काफी मौज करने को मिलेगी.

मैं यह सोचकर हल्के मुस्कुराने लगा. मुझे मुस्कुराते देखकर ऋतु भी रहस्यमयी हंसी हंस दी.

अपने कमरे में आने के बाद मैंने छेद में से झाँकने की कोशिश की पर वहाँ तो बिलकुल अँधेरा था. ऋतु ने लाइट बंद कर दी थी और वो अपने बिस्तर पर सो रही थी. मैं भी अपने बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश करने लगा.

क़रीब एक घंटे के बाद मुझे अपने दरवाजे पर हलचल महसूस हुई और मैंने देखा कि ऋतु चुपके से मेरे कमरे मैं दाखिल हो रही है, उसने कल वाला ही गाउन पहन रखा था.
मैंने पूछा- क्या हुआ ..इतनी रात को तुम्हें क्या चाहिए?
ऋतु ने कहा- क्या तुम फिर से मेरी बुर चाट सकते हो जैसे कल चाटी थी. मुझे सच में बड़ा मजा आया था.
मुझे तो खुद पर विश्वास ही नहीं हुआ तो मैंने कहा- क्या सच में?
ऋतु भी बोली- हाँ… और अगर तुम चाहो तो बदले में मैं तुम्हारा लंड चूस दूंगी क्योंकि मेरे डिल्डो में से रस नहीं निकलता.
मैंने कहा- ठीक है, मैं तैयार हूँ.

फिर ऋतु ने एक झटके से अपना गाउन उतार फेंका… उसने कल की तरह अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था, एकदम नंगी… मैंने अपने बेड के साइड का बल्ब जला दिया. सफेद रोशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा, वो आकर मेरे बेड पर अपनी टाँगें फैला कर लेट गई.

मैंने भी अपना मुंह उसकी बुर पर टिका दिया और उसके निचले अधरों का रसपान करने लगा. आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी. उसकी गीली बुर में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था. वो लम्बी-2 सिसकारियाँ ले रही थी और बड़बड़ा रही थी ‘आआ… आआह… रोहन…म्म्म्म म्म्म…’

मैंने उसके दाने को अपने दांत में लेकर काटना शुरू कर दिया तो ऋतु पागल ही हो गई. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया, उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी बुर पर टिका दिया और बोली- बसस्स्स थोड़ा आआआआ और… म्म्मम्म्म.. चूसो मेरी बुर को… पी जाओ मेरा रस… माआआ…

फिर तो जैसे एक सैलाब आया और मैं दीवानों की तरह उसकी बुर में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया. अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया.
अंत में वह बोली- बस करो रोहन, वरना मैं मर जाऊँगी… बस करो.

मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था.

मैंने कहा- मुझे तो तुम्हारी बुर का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गई है.
ऋतु उठी और बोली- लाओ अब मैं तुम्हारा लंड चूस देती हूँ!

मैं तेजी से उठा और अपना पायजामा चड्डी सहित उतार दिया और बेड के किनारे पर लेट गया. वो मेरे सामने बैठी और बोली- मेरे पास डिल्डो सिर्फ एक वजह से है क्योंकि मेरे पास ये चीज असली में नहीं है.
उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मसलने लगी. नर्म हाथों में आते ही मेरा लंड अपनी औकात पर आ गया और फूल कर कुप्पा हो गया.

ऋतु बोली- ये कितना नर्म और गर्म है.
फिर उसने मेरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया. जल्दी ही मेरे लंड के सिरे पर वीर्य की बूँद चमकने लगी. वो थोड़ा झुकी और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चाट गई और फिर धीरे धीरे अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिराने लगी.

मैं कोहनियों के बल बैठा आँखें फाड़े ये सब देख रहा था.



फिर ऋतु ने अपने होंठ खोले और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया. वो तब तक नहीं रुकी जब तक मेरा सात इंच का लंड उसके गले से नहीं टकरा गया. फिर उसने अपने लब बंद कर लिए और अन्दर ही अन्दर अपनी जीभ मेरे लंड के चारों तरफ फिराने लगी.

मेरा तो बुरा हाल हो गया. उसके मुंह के अन्दर जाते ही वो कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा हो गया था. मैं अपने लंड की नसें चमकते हुए देख सकता था.

फिर उसने धीरे-2 लंड को बाहर निकाला और बोली- ये तो बहुत टेस्टी है.
और यह कह कर दुगने जोश के साथ ऋतु मेरे लंड को फिर मुंह में लेकर चूसने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरे टट्टों को भी मसल रही थी.

मैं जल्दी ही झड़ने के कगार पर पहुँच गया और जोर-2 से साँसें लेने लगा. वो समझ गई और जोर से मेरा लंड चूसने लगी.
तभी मेरे लंड ने पिचकारी मार दी जो सीधे उसके गले के अन्दर टकराई पर वो रुकी नहीं और हर पिचकारी को अपने पेट में समाती चली गई और अंत में जब कुछ नहीं बचा तभी उसने मेरा लंड छोड़ा.

ऋतु बोली- मजा आ गया… लंड चूसने में तो मजा है ही… रस पीने का मजा भी अलग ही है.
मैंने उखड़ी सांसों से कहा- मुझे भी बहुत मजा आया.

ऋतु बोली- चलो… गुड नाईट.
और उठते हुए मेरे लंड पर एक किस दे दी. फिर वो अपना गाउन पहन कर चुपके से अपने रूम में चली गई और मैं कल के बारे में सोचकर रंगीन सपने बुनने लगा.

अगले दिन ऋतु को स्कूल छोड़कर जब मैं कॉलेज गया तो मेरा मन पढ़ाई में नहीं लगा. सारा दिन मैं होने वाली रात के बारे में सोचता रहा.
जब सन्नी और विकास ने भी मुझसे बात करने की कोशिश की तो उन्हें भी मैंने कहा- बाद में बात करेंगे.
वो दरअसल अगले ‘शो’ के बारे में जानना चाहते थे.

शाम को जब मैं घर पहुंचा तो मुझे ऋतु का इन्तजार था. थोड़ी देर में ही दरवाजे की बेल बजी और मैं भाग कर गया, दरवाजा खोला तो ऋतु अपनी सहेली पूजा के साथ खड़ी थी.

मुझे देखते ही ऋतु ने मुझे आँख मारी और बोली- भाई, दरवाजे पर ही खड़े रहोगे या हमें अन्दर भी आने दोगे?
और ये कह कर वो पूजा की तरफ देख कर जोर से हंस दी.

पूजा ने अन्दर जाते हुए मुझे मुस्कुराकर धीरे से ‘हैल्लो’ बोला. मैं तो उसकी सफेद शर्ट में फंसी हुई चूचियाँ ही देखता रह गया जो शर्ट फाड़ कर बाहर आने को तैयार थी. मैंने मन में सोचा ये लड़कियाँ इतना भार अपने सीने पर संभालती कैसे हैं?

अन्दर जाकर दोनों ने कपड़े बदल लिए और डिनर के टाइम पर दोनों आपस में बातें करती रही, फिर दोनों अपने रूम में चली गई.
मैंने जल्दी से जाकर छेद से देखा तो दोनों बेड पर बैठकर पढ़ाई कर रही थी.

मैं वापिस आकर लेट गया.
उसके बाद कई बार चेक किया पर हर बार उन्हें पढ़ते हुए ही पाया.

एक घंटे बाद मम्मी पापा ने सबको गुड नाईट बोला और अपने कमरे में सोने चले गए.

मैंने फिर से छेद में झाँका तो देखा कि दोनों अपनी किताबें समेट रही हैं. फिर थोड़ी देर बैठकर बातें करने के बाद ऋतु ने धीरे से अपना गाउन खोल दिया लेकिन आज उसने अन्दर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी.

फिर पूजा ने भी अपनी टी शर्ट और केप्री उतार दी. उसने अन्दर ब्लैक कलर का सेट पहन रखा था. फिर दोनों ने बारी बारी से बाकी बचे कपड़े भी उतार दिए.

मेरी नजर अब सिर्फ पूजा पर ही थी. क्या ग़जब के चूचे थे उसके… एकदम गोल और तने हुए… ऐसा लग रहा था जैसे कोई ताकत उन्हें ऊपर खींच रही है और वो तन कर खड़े हुए हैं. उसके निप्पस डार्क ब्लैक कलर के थे, पेट एकदम सपाट, नाभि अन्दर की ओर घुसी हुई, बुर पर काले रंग के बाल थे, मोटी टाँगें और कसी हुई पिंडलियाँ!
वो पलटी तो उसकी गांड देखकर ऐसा लगा कि शायद उसने अपनी गांड में गद्दा लगा रखा है.

तभी ऋतु ने बेड के नीचे से अपना काला डिल्डो निकाला और मुंह में चूस कर पूजा को दिखाया… फिर दोनों हंसने लगी.
ऋतु बेड पर लेट गई और अपनी उंगलियों से अपनी बुर मसलने लगी. फिर पूजा लेटी और वो भी अपनी उंगलियाँ अपनी बुर में डालकर आँखें बंद करके मजे लेने लगी.
दोनों सिसकारियाँ ले लेकर अपनी उंगलियाँ अपनी बुर में डाल रही थी.

फिर ऋतु ने डिल्डो उठाया और अपनी बुर में डालकर तेजी से अन्दर बाहर करने लगी. पूजा अभी भी अपनी उंगलियों से मजे ले रही थी.
थोड़ी देर बाद ऋतु अपकी बुर रस से भीगा हुआ डिल्डो पूजा की बुर पर रगड़ने लगी.

पूजा ने आँखें खोली और साँस रोककर ऋतु की तरफ देखा. ऋतु आगे बढ़ी और अपने होंठ पूजा के खुले हुए लबों पर रख दिए. दोनों के होंठ एकदम गीले थे.
फिर ऋतु ने एक ही झटके में पूरा डिल्डो पूजा की नाजुक बुर में उतार दिया.
पूजा झटपटाने लगी पर ऋतु ने उसके होंठ जकड़े हुए थे तो उसकी सिर्फ गूऊऊओ… गूऊऊऊऊ… की आवाज ही सुनाई दी.

मैंने भी अपना लंड बाहर निकाला और जोर जोर से मुठ मारने लगा.

फिर ऋतु ने उसके होंठ छोड़ दिए. वो एकदम लाल हो चुके थे. उसके खुले मुंह से एक लार निकल कर पूजा के चूचे पर गिर गई. ऋतु थोड़ा झुकी और लार के साथ साथ उसके चूचे भी चाटने लगी. बड़ा ही कामुक दृश्य था.
पूजा अपने निप्पल पर हुए इस हमले से मचलने लगी. उसके निप्पल एकदम सख्त हो चुके थे और लगभग एक इंच बाहर नजर आ रहे थे.

फिर ऋतु ने अपना पूरा ध्यान पूजा की बुर में लगा दिया, वो तेजी से डिल्डो अन्दर बाहर करने लगी. थोड़ी ही देर में एक आनंदमयी सीत्कार के साथ पूजा झड़ने लगी. उसका शरीर कांपते हुए बुर के जरिये अपना अनमोल रस छोड़ने लगा.

पूजा ने ऋतु का हाथ पकड़कर उसे रोक दिया. डिल्डो अभी भी पूजा की बुर में धंसा हुआ था और पूजा का रस बुर में से रिस रहा था. ऋतु ने उसे निकाला और उस पर लिपटा हुआ जूस चाटने लगी.
फिर वही डिल्डो अपनी बुर में डालकर पूजा के मुंह के आगे कर दिया.
पूजा भी उसे चाटने लगी.

तब तक ऋतु बेड पर लेट गई.
अब पूजा ने धीरे-2 पूरा डिल्डो ऋतु की बुर में उतार दिया. वो भी उसके मजे लेने लगी, वो पहले से ही उत्तेजित थी तो झड़ने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा.

झड़ते ही ऋतु ने झटके से पूजा की गर्दन पकड़ी और एक गहरा चुम्बन उसके होंठों पर जड़ दिया. पूजा ने डिल्डो निकाल कर उसे चाटना शुरू कर दिया.
रस खत्म होने के बाद फिर से उसने बुर में डिल्डो घुसाया और निकाल कर फिर चाटने लगी.

थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनों बेड पर लेट गई और एक दूसरी की बुर पर हाथ रखकर उन्हें मसलने लगी. दोनों की आँखें बंद थी.

फिर ऋतु धीरे से उठी और सीधे पूजा की बुर पर अपना मुंह लगा दिया. उसने पूजा की दोनों जांघें पकड़ रखी थी. पूजा ने ऋतु के बालों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी और बेड पर जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी.

ऋतु उसकी बुर नीचे से ऊपर तक चाट रही थी और फिर अपनी जीभ से उसकी बुर कुरेदने लगी.
पूजा अपने कूल्हे हवा में उठा कर सिसकारी ले रही थी ‘आआआअ… रीईईइतूऊऊउ… मैं माआआर गईईई… आआआ आआह्ह्ह… जऊऊर सीईईई… अह्हह्ह… हाआआआन हाआआन चाआआटो मेरीईई चूऊत… आआआह…’ और फिर वो झड़ने लगी.

ऋतु ने सारा रस ऐसे पिया जैसे जूस पी रही हो और फिर वो खड़ी हो गई… उसका पूरा चेहरा भीगा हुआ था.
पूजा का चेहरा एकदम लाल सुर्ख हो गया था. आँखें नशे में डूबी हुई लग रही थी और वो हौले से मुस्कुरा रही थी. फिर उसने ऋतु को धक्का देकर बेड पर लिटाया. पूजा अब ऋतु के सामने आकर लेट गई.

ऋतु की फूली हुई बुर देखकर पूजा के मुंह में पानी आ रहा था. वो थोड़ा झुकी और ऋतु की बुर के चारों तरफ अपनी जीभ फिराने लगी. पर ऋतु की वासना की आग इतनी भड़की हुई थी कि उसने उसका मुंह पकड़ कर सीधे अपनी बुर पर लगा दिया.

पूजा भी समझ गई और अपनी जीभ ऋतु की बुर में डाल कर उसे चूसने लगी. ऋतु के मुंह से ‘आआआअह… आआआह…’ की आवाजें निकल रही थी. उसका एक हाथ पूजा के सर के ऊपर और दूसरा अपनी चूचियों को मसलने में लगा था.

जब ऋतु झड़ने को हुई तो ‘आआआह… माआआर दाआआआ… और तेज… और तेज… हाँ चाआअट मेरीईईई चूऊउत…’ और वो तेजी से झड़ने लगी.
पूजा को काफी रस पीने को मिला.

मेरे मुंह में भी पानी आने लगा… और लंड में भी… मैं जल्दी से अपने लंड को झटके देने लगा और आखिर मैंने भी कुछ लम्बी धार अपनी अलमारी के अन्दर मार दी.

फिर थोड़ी देर बाद दोनों नंगी ही चादर के अन्दर घुस गई और अपनी लाइट बंद कर दी. मैं थोड़ी देर वही खड़ा रहा पर जब लगा कि अब कुछ और नहीं होगा तो अपने बेड पर आकर लेट गया
thanks
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#4
अत्यंत  पुरानी  कहानी है!शुक्रिया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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#5
अगले दिन सुबह दोनों को नाश्ते पर देखकर ऐसा नहीं लगा कि दोनों इस तरह की हैं.
दोनों ने नाश्ता किया और स्कूल चली गई. मैं भी कॉलेज गया और सारा दिन दोनों के बारे में सोचता रहा.

शाम को घर पहुंच कर ऋतु का इंतज़ार करने लगा.
वो स्कूल से आते ही सीधे मेरे रूम में घुसी और मुझसे लिपट गई और मुझसे पूछा- तुमने देखा… कैसा लगा… मजा आया या नहीं… बोलो?
मैंने कहा- अरे हाँ, मैंने देखा और बहुत मजा आया.

ऋतु बोली- हाय… मैं तुम्हें क्या बताऊँ पूजा की चूत का रस इतना मीठा था कि बस मजा आ गया.
और फिर मेरे लंड पर हाथ रखकर बोली- पर इसका कोई मुकाबला नहीं है.

फिर ऋतु ने पूछा- क्या तुम्हें देखने में अच्छा लगा?
मैंने कहा- हाँ, मेरा मन तो कर रहा था कि काश मैं तुम्हारे रूम में होता तुम्हारे साथ!
ऋतु ने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा- शायद एक दिन तुम भी वहाँ पर होगे… हम दोनों के साथ!

मैंने पूछा- तो क्या मैं सन्नी और विकास को बुला लूं… तुम दोनों का शो देखने के लिए, तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है न?
ऋतु- तुम कितना चार्ज करोगे उनसे?
मैं- एक हजार एक बन्दे से यानी टोटल दो हजार रूपए पर शो!
ऋतु- पर अब हम दो लड़कियाँ हैं क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें ज्यादा चार्ज करना चाहिए?
मैं- हाँ, बात तो सही है कितने बोलू उनको… पंद्रह सौ ठीक है क्या?
ऋतु- हाँ ठीक है.
मैं- तो ठीक है, अगला शो कब का रखें, पूजा कब आ सकती है दुबारा तुम्हारे साथ रात को रुकने के लिए?
ऋतु- उसको जो मजे कल रात मिले है.. मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ वो रोज रात मेरे साथ बिताने के लिए तैयार होगी.
और वो हंसने लगी.

ऋतु- मुझे भी एक आईडिया आया है जिससे हम और ज्यादा पैसे कम सकते हैं.
मैं- कैसे?
ऋतु- अगर मैं भी अपनी सहेलियों को अपने रूम में बुलाकर तुम्हें मुठ मारते हुए दिखाऊं तो?
मैं- मुझे मुठ मारते हुए… इसमें कौन रूचि लेगी?
ऋतु- जैसे तुम लड़के लड़कियों को नंगा देखने के लिए मचलते रहते हो वैसे ही हम लड़कियां भी लड़कों के लंड के बारे में सोचती हैं और उत्तेजित होती हैं, अगर कोई लड़की तुम्हें मुठ मारते हुए देखे तो इसमें तुम्हें क्या आपत्ति है.
मैं- लेकिन ये तुम करोगी कैसे?

ऋतु- मैं कल पूजा को अपने साथ लेकर चार बजे घर ले आऊँगी और तुम उससे पहले ही आ जाते हो. तुम ठीक चार बजे मुठ मारनी चालू कर देना. मैं उसको बोलूंगी कि मेरा भाई रोज इसी समय बजे अपने रूम में मुठ मारता है और मैं इस छेद से रोज उसको देखती हूँ. मुझे विश्वास है कि वो भी तुम्हें देखने की जिद करेगी, तब मैं उससे पैसों के बारे में बात करके तुम्हें मुठ मारते हुए दिखा दूँगी.

मैं- वाह, मैं तो तुम्हारी अक्ल का कायल हो गया… तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो.
ऋतु- आखिर बहन किसकी हूँ.
मैं- और तुम उससे कितना चार्ज करोगी?
ऋतु- वो ही… एक हजार रूपए… ठीक है ना?
मैं- ठीक है.

ऋतु- और फिर रात को सन्नी और विकास भी आ सकते हैं और वो दोनों हम दोनों को देखने के तीन हजार रूपए अलग से तुम्हें देंगे… तो हम एक दिन में चार हजार रूपए कमा सकते हैं.
ऋतु- वैसे एक बात बताऊँ… मुझे काफी उत्तेजना हो रही थी कि कल तुम मुझे छेद से वो सब करते हुए देख रहे हो… काफी मजा आ रहा था.
मैं- मुझे भी काफी मजा आ रहा था. मेरा लंड तो अभी भी कल की बातें सोचकर खड़ा हुआ है.
ऋतु- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ.
मैं- अभी… मम्मी पापा आने वाले हैं, तुम मरवाओगी.
ऋतु- अरे इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा… अपना लंड निकालो… जल्दी!

मैंने जल्दी से अपनी पैंट नीचे उतारी और ऋतु झट से मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गई. ऋतु ने मेरी चड्डी एक झटके में नीचे करके मेरे फड़कते हुए लंड को अपने नर्म हाथों में लेकर ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया और फिर उसे चूसने लग गई.

ऋतु के होंठ लगते ही उत्तेजित होकर एक मिनट में ही मैंने एक के बाद एक कई पिचकारी उसके मुंह में उतार डाली. वो उठी और अपना मुंह साफ़ करते हुए बोली- मुझे तो तुम्हारे वीर्य ने अपना दीवाना ही बना दिया है… और फिर मेरे लंड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर अपनी गरम साँसें छोड़ती हुई बोली- आगे से तुम इसे कभी व्यर्थ नहीं करोगे… समझे ना!
मैंने हाँ में गर्दन हिलाई.

मैंने धीरे से कहा- अगर तुम चाहो तो बाद में मैं भी तुम्हारी चूत चूस सकता हूँ.
ऋतु- तुमने तो मेरे दिल की बात छीन ली… मैं रात होने का इन्तजार करुँगी.
मैं- मैं भी रात होने का इन्तजार करूँगा.

फिर वो अपने रूम में चली गई और रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गए.

मैं अपने बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था कि पिछले कुछ दिनों से मैं और ऋतु एक दूसरे से कितना खुल गए हैं… लंड-चूत की बातें करते हैं… मुठ मारना… एक दूसरे को नंगा देखना और छूना.. कितना आसान हो गया है… मैं अपनी इस लाइफ से बड़ा खुश था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मसलना शुरू कर दिया. मुझे ऋतु का इन्तजार था.

मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा, करीब पंद्रह मिनट में ही वो धीरे से मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गई और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देखकर चहक कर बोली- वाह.. तुम तो पहले से ही तैयार हो, लाओ मैं तुम्हारी मदद कर देती हूँ.

मैं- पर मैं तुम्हारी चूत चुसना चाहता हूँ!
ऋतु- कोई बात नहीं तुम मेरी चूत चूसो और मैं तुम्हारा लंड… हम 69 की पोजीशन ले लेते हैं.



ऋतु ने जल्दी से अपना गाउन खोला, हमेशा की तरह आज भी वो अन्दर से पूरी तरह से नंगी थी, उसके भरे हुए मम्मे और तने हुए निप्पल देखकर मेरे लंड ने एक-दो झटके मारे और मैंने नोट किया कि आज उसकी चूत एकदम साफ़ और चिकनी थी. शायद उसने आज अपनी चूत के बाल साफ़ किये थे… मेरे तो मुंह में पानी आ गया.

ऋतु झुकी और अपने गीले मुंह में मेरा लंड ले लिया और अपनी टाँगें उठा कर घुमाते हुए बेड पर फैलाई और उसकी चूत सीधे मेरे खुले हुए मुंह पर फिक्स हो गई.
उसके मुंह में मेरा लंड था पर फिर भी उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गई. उसकी चूत जल रही थी… एकदम गर्म, लाल, गीली, रस छोड़ती हुई…

मैं तो अपने काम में लग गया. उसकी चूत के लिप्स को अपनी उंगलियों से पकड़ के मैंने अन्दर की बनावट देखी तो मुझे उबड़ खाबड़ पहाड़ियां नजर आई और उन पहाड़ियों से बहता हुआ उसका जल…
मैंने अपनी लम्बी जीभ निकाली और पहाड़ियाँ साफ़ करने में लग गया, पर जैसे ही साफ़ करता और पानी आ जाता… मैं लगा रहा… लगा रहा… साथ ही साथ मैं अपनी एक उंगली से उसकी क्लिट भी रगड़ रहा था.

मेरे लंड का भी बुरा हाल था. ऋतु उसको आज ऐसे चूस रही थी जैसे कुल्फी हो… अन्दर तक ले जाती, जीभ से चारों तरफ चाटती और फिर बाहर निकालते हुए हल्के से दांतों का भी इस्तेमाल करती… वो लंड चूसने में परफेक्ट हो चुकी थी.

मैंने अब उसकी चूत के मुंह पर अपने दोनों होंठ लगा दिए और बिना जीभ का इस्तेमाल किये बिना चूसना शुरू कर दिया. वो तो बिफर ही गई मेरे इस हमले से… और उसकी चूत में से ढेर सारा रस निकलने लगा और वो झड़ने लगी.

मैं भी अब कगार पर था, मेरे लंड ने भी विराट रूप ले लिया और ऋतु ने जैसे ही मेरे टट्टों को अपने हाथ में लेकर मसलना शुरू किया… मैं झड़ गया और वो मेरा पूरा माल पी गई.

फिर हम दोनों उठे और एक दूसरे की तरफ देखा. हम दोनो के चेहरे गीले थे और हम ये देखकर हंसने लगे.

ऋतु- तुमने तो मुझे अपने वीर्य की लत लगा दी है… कितना मजा आता है तुम्हारा लंड चूसने में और तुम्हारा वीर्य पीने में!
मैं- मैं भी तुम्हारे मीठे रस का शौकीन हो चुका हूँ… जी करता है सारा दिन तुम्हारी चूत चूसता रहूँ.

मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था वो मेरे साथ लेट गई. उसके मोटे चूचे मेरे सीने से लग कर दब गए. उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे ऊपर नीचे करने लगी. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और मजे लेने लगा. उसकी गर्म साँसें मेरे कानों पर पड़ रही थी. ऋतु की एक टांग मेरे ऊपर थी और वो उसको रगड़ रही थी जिससे ऋतु की गीली चूत मेरी जांघ से रगड़ खा रही थी.

ऋतु- तुम्हारा तो अभी भी खड़ा हुआ है… मेरी चूत के अन्दर भी कुछ कुछ हो रहा है…
और फिर उसने जो किया, मैं स्तब्ध रह गया.

ऋतु उठी और अपनी दोनों टाँगें फैला कर मेरे ऊपर आ गई. उसकी दोनों बाहें मेरे सर के दोनों तरफ थी और ऋतु के दोनों मोटे मोटे मम्मे मेरी आँखों के सामने झूल रहे थे और मेरी बहन की रसीली चूत मेरे खड़े हुए लंड को छू रही थी.

फिर ऋतु थोड़ा झुकी और मेरे होंठों को चूसने लगी. उसके मुंह में से मेरे वीर्य की गंध आ रही थी.
मैंने भी उसके नर्म होंठों को चूसना और चाटना शुरू कर दिया. फिर जब उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाली तो मैं उसकी मचलती जीभ को पकड़ने की नाकाम कोशिश करते हुए जोर जोर से उसे चूसने लगा.

मेरे हाथ अपने आप उसकी छाती पर जा चिपके और मेरी उंगलियाँ उसके निप्पल को सहलाने लगी. लटकने की वजह से उसके मम्मे काफी बड़े लग रहे थे और मेरी हथेली में भी नहीं आ रहे थे.
ऋतु धीरे धीरे अपनी चूत की बाहरी दीवारों पर मेरे खड़े हुए लंड को रगड़ रही थी और उसकी चूत की गर्म हवाओं से मेरा लंड झुलस रहा था.
मैंने भी अपनी जीभ अब उसके मुंह में डाल दी. वो उसे ऐसे चूस रही थी जैसे मेरा लंड हो… पूरी तरह से वो मुझे पीना चाहती थी.

दूसरी तरफ मेरा लंड अब उसकी चूत की दरार में फंस गया था. ऋतु ने अपनी आँखें खोली और मेरी तरफ नशीली आँखों से देखा और मुझसे कहा- आई लव यू… रोहण!

मैं कुछ समझ पाता इससे पहले उसने अपनी गांड का दबाव मेरे ऊपर डाल दिया और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समाता चला गया.
ऋतु के मुंह से एक कराह निकल गई ‘आआआईईई… .म्म्मम्म्म्म… माआआअर.. ग्ईईईईई.. आआआअहहह!’

मैं तो भौचक्का रह गया. मुझे इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी पर जब मैंने ऋतु का तृप्ति भरा चेहरा देखा तब उसकी बंद आँखें और हलकी मुस्कराहट से भरा चेहरा देखा तो मुझे एक सुखद अहसास हुआ और मैं भी पूरे जोश के साथ अपने लंड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.
ऋतु ने अपनी बाहों से मेरी गर्दन के चारों तरफ फंदा बना डाला जिसकी वजह से उसके मम्मे मेरे चेहरे पर रगड़ खा रहे थे.

मैंने अपने हाथ उसकी चौड़ी गांड पर रखे और उन्हें दबाते हुए नीचे से धक्के मारने लगा. उसके होंठ मेरे कान के बिल्कुल पास थे और वो मीठे दर्द से हल्के हल्के चिल्ला रही थी ‘आआआ आआअहहह… रोहण… आई लव यू… फ़क मी… आई लव यौर बिग… कॉक… तुम्हारा मोटा लंड… उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआआ… मेरी चूत में अन्दर तक डाआआअलो… और जोर से… और जोर से… आआआअह्ह्ह… मेरी चूत तुम्हारी है… मारो मेरी चूत… चोदो मुझे..’

ऋतु अब गन्दी गन्दी गालियाँ भी देने लगी थी ‘बहनचोद… चोद न… आआआअह… चोद अपनी कुँवारी… कमसिन… बहन को… अपने लम्बे लंड से… पूरा ले लूंगी… आआअईईई… हरामखोर… चोद मुझे… फाड़ दे अपनी बहन की चूऊऊत… आआआह…..माआआ आआआऐन तो गईई ईईई… आआअह…’

थोड़ी देर की चुदाई के बाद वो झड़ने लगी. मैंने अपने लंड पर उसका लावा महसूस किया. वो गहरी गहरी साँसें लेकर ढीली पड़ गई… फिर मैंने उसे बेड पर धक्का दिया और उसे घोड़ी बना कर उसकी चूत में पीछे से अपना लंड डाल दिया.

ऋतु की फैली हुई गांड काफी दिलकश लग रही थी. मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ा और अपनी गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी. उसके मुंह से ‘ओह्ह्हह्ह… ओफ्फ फ्फ्फ… आआहह…’ की आवाजें दोबारा आने लगी. मैं भी अब झड़ने के करीब पहुँच गया.

मैंने ऋतु से कहा- ऋतु मैं आया…
और अपना लण्ड उसकी चूत से निकालकर अपने हाथों में ले लिया.
वो जल्दी से पलटी और मेरे लंड पर अपना मुंह लगा दिया… मेरे लिए ये काफी था. मैंने उसका मुंह उसकी मनपसंद मिठाई से भर दिया और वो सारी रसमलाई खा गई.

फिर ऋतु उठी और ‘आई लव यू’ कहकर मेरे सीने से लग गई. मैं भी उसके कोमल से शरीर को सहलाते हुए ‘आई लव यू टू… आई लव यू टू…’ कहने लगा.

हाँफते हुए ऋतु ने अपनी नजर मुझसे मिलाई और मुस्कुराकर बोली- मुझे तुम्हारा लंड पसंद आया… ये अन्दर जाकर तो बहुत ही मजे देता है. डिल्डो को अन्दर ले लेकर मैं थक गई थी. ये कितना मुलायम, गर्म, और मजेदार है.
मैंने कहा- तुम्हारी चूत भी बहुत मजेदार है. मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा है. कितना आनन्द आ रहा था तुम्हारी रेशम जैसी चूत में अपना लंड डालने में. मैंने कभी इस आनन्द की तो कल्पना भी नहीं की थी.

ऋतु ने बेड पर से उठते हुए कहा- अब तुम कल मुझे सुबह उठाने के लिए आ जाना मेरे रूम में!
मैं- उठाने के लिए… पर किसलिए?
ऋतु- क्योंकि मुझे और मजे चाहिए इसलिए… कल से रोज सुबह तुम मेरी चूत चाटोगे और फिर अपने इस खूबसूरत लंड से मेरी चूत मारोगे… और अब तो हम बिज़नस पार्टनर हैं… हैं ना!
मैंने खुश होते हुए कहा- हाँ हाँ… बिल्कुल हैं.

ऋतु- ठीक है फिर… गुड नाईट…

और उसने झुक कर मेरे लंड को चूम लिया और बाहर निकल गई
thanks
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#6
Antarvasna



पिछले भाग में आपने पढ़ा कि कैसे मैंने अपनी बहन को चोदा पहली बार और मेरी बहन अगली सुबह जल्दी उठ कर चुदाई करने को कह गई.

अगले दिन सुबह मेरी नींद जल्दी ही खुल गई और मैंने जब छेद से ऋतु के रूम में देखा तो वहाँ अँधेरा था. मैं दबे पांव उसके रूम में गया और उसके बेड के किनारे जाकर खड़ा हो गया. थोड़ी देर बाद अँधेरे में अपनी आँखें जमाने के बाद मैंने देखा कि ऋतु अपनी चादर से बाहर निकल कर सो रही थी. मेरी बहन एकदम नंगी थी, उसकी दोनों टांगें फैली हुई थी जिसकी वजह से मेरी बहन की चूत अलग ही चमक रही थी.
मेरा लंड यह नजारा देख कर फुफकारने लगा. मैंने फुर्ती में अपने कपड़े उतारे और उसकी खुली हुई टांगों के बीच कूद गया.

मैंने अपना मुंह जैसे ही उसकी चूत पर टिकाया, उसके शरीर में एक सिहरन सी हुई और उसकी नींद खुल गई.
जब उसने मुझे अपनी चूत चाटते हुए देखा तो वो सब समझ गई और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी. ऋतु सिसकारती हुई बोली- म्म्म्म म्म्म… आआ आआआह आआ… गुड मोर्निंग.. रोहन!

मैंने उसकी रसीली चूत से अपना मुंह ऊपर उठाया और बोला- गुड मोर्निंग!

हमेशा की तरह उसकी चूत में से ढेर सारा रस बहने लगा और मैं चटखारे लेकर उसे पीने लगा. ऋतु ने मेरे बाल पकड़ लिए और मुझे ऊपर की तरफ खींचने लगी. मैं ऊपर खिसकते हुए उसकी नाभि, पेट और फिर मोटे-मोटे चूचों पर किस करता चला गया और अंत में उसके होठों ने मुझे ऐसे जकड़ा कि मेरे मुंह से भी आह निकल गई.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसका चेहरा पकड़ लिया और चूम चूमकर उसे गीला कर दिया. उसने अपना हाथ हम दोनों के बीच डाला और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत के मुहाने पर रख दिया. बाकी काम मैं जानता था और एक तेज धक्के से मैंने अपना सात इंच लम्बा लंड उसकी गर्म चूत में डाल दिया. उसकी आँखें उबल कर बाहर आने को होने लगी पर फिर कुछ झटकों के बाद वही आँखें मदहोश होने लगी और उसके मुंह से तरह तरह की आवाजें आने लगी- आअअ अअहह… चोदो… मुझए… मुझे तुम्हारा लंड रोज चाहिए…. आअहहह… जोर से और जोऊर से!

मैंने अपना मुंह ऋतु के मुंह से जोड़ दिया और उसकी जीभ चूसने लगा. कुछ देर बाद मैं झड़ने के करीब था. मेरे मुंह से एक भारी हुंकार निकली, ऋतु समझ गई और उसने हमारी किस तोड़ते हुए मेरा लंड बाहर निकाला और बेड के किनारे पर लेट कर मेरा गीला लंड अपने मुंह में ले लिया.
मैं अब तेजी से अपना लंड उसके मुंह में आगे पीछे करने लगा और अब मैं उसका मुंह चोद रहा था.

वो भी मेरे लंड को अन्दर तक ले जा रही थी जो उसके गले के अंत तक जाकर उसकी दीवारों से टकरा रहा था. मैंने जल्दी ही झड़ना शुरू कर दिया और अपने गर्म वीर्य की धारें ऋतु के गले में छोड़ने लगा.
वो मेरे वीर्य की हर बूँद चटखारे लेकर पी गई.

फिर ऋतु ने मुझे धक्का दिया और मेरे मुंह के ऊपर आकर बैठ गई. उसकी चूत ने मेरे होंठों को ढक लिया. मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाली और उसे चूसना शुरू कर दिया और जल्दी ही उसका रस बहकर मेरे मुंह में आने लगा और वो हल्के से चिल्ला कर झड़ने लगी.



झड़ने के बाद ऋतु उठी और फिर हम दोनों ने काफी देर तक एक दूसरे की किस ली. फिर उसने किस तोड़ी और बोली- अब तुम जल्दी से अपने रूम में जाओ. इससे पहले कि मम्मी पापा उठ जाएँ… और कॉलेज भी तो जाना है ना तुम्हें, मुझे भी स्कूल के लिए तैयार होना है.
मैं- ओह्ह मैं तो भूल ही गया था… मुझे तो बस आज रात का इन्तजार है.
ऋतु- मुझे भी!

फिर मैंने अपने कपड़े पहने और रूम में जाकर तैयार हुआ.

नाश्ता करते हुए ऋतु ने सबको बता दिया कि आज रात उसकी फ्रेंड पूजा रात को यहीं रुकेगी.

कॉलेज जाकर मेरा मन सारा दिन कहीं नहीं लगा, मुझे तो बस शाम का इन्तजार था.
मैं कॉलेज से जल्दी घर आ गया. घड़ी देखी तो तीन बजने वाले थे और ऋतु साढ़े तीन बजे तक स्कूल से आती थी. मैं अपने रूम में जाकर उसका इन्तजार करने लगा.

कुछ देर बाद ऋतु और पूजा घर आ गई. मैंने छेद से देखा तो दोनों अपने रूम में बैठकर बातें कर रही थी. वो पूजा को बता रही थी कि कैसे वो रोज मुझे छेद के जरिये मुठ मारते हुए देखती है और अगर वो भी देखना चाहती है तो उसे एक हजार रूपए देने होंगे.

पैसों का नाम सुनकर पूजा ऋतु को हैरानी से देखने लगी.
पर जब ऋतु बोली- अगर तुम्हें लगे कि यह ‘शो’ अच्छा नहीं हैं तो तुम पैसे मत देना.
कुछ सोचने के बाद वो मान गई क्योंकि उसने भी आज तक कोई असली लंड नहीं देखा था.

मैंने घड़ी की तरफ देखा तो चार बजने वाले थे. मैं अपने बेड पर आकर बैठ गया और संकुचाते हुए अपनी जींस और चड्डी को उतार दिया और मुठ मारना शुरू किया.

दूसरे रूम में से जब ऋतु ने देखा कि मैंने अपनी जींस उतार दी है और मुठ मारना चालू कर दिया है तो उसने पूजा को बुलाया और उसे छेद में से देखने को कहा.
छेद से झाँकने के बाद पूजा ने धीरे से कहा- वाव… ऋतु, तुम्हारे भाई का लंड तो काफी बड़ा है और सुन्दर भी!
ऋतु- हाँ शायद… क्योंकि मैंने कभी और किसी का लंड तो देखा नहीं है… ले दे के सिर्फ अपना डिल्डो ही है जिससे हम भाई के लंड को तौल सकते हैं.
और दोनों हंसने लगी.

मुझे इस बात का आभास हो गया था कि छेद से मेरी बहन और और उसकी सहेली बारी-बारी से मुझे देख रही हैं.

पूजा ने गहरी सांस लेते हुए कहा- ये सच में डिल्डो के मुकाबले कुछ ज्यादा ही है और इसे देखने में भी कितना मजा आ रहा है. लंड के ऊपर की नसें कैसे चमक रही हैं. सच में यह बहुत सुंदर है.

मैं भी अपने रूम में बैठा उत्तेजित होता जा रहा था यह सोच कर कि पूजा और ऋतु मुझे दूसरे रूम से देख रही हैं. मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जब मैं झड़ने वाला था तो थोड़ा सा घूम कर अलमारी की तरफ हो गया और खड़े होकर अपनी धारें मारनी शुरू कर दी.

यह देखकर दूसरे रूम में पूजा आश्चर्यचकित रह गई और वो बोली- हाय… वो तो खड़ा हो गया है और अब उसका लंड मेरे बिल्कुल सामने है… वाव… अब उसके लंड में से रस निकल रहा है… कितना सुन्दर दृश्य है… मजा आ गया.

मैंने गहरी साँसें लेते हुए झड़ना बंद किया और बेड पर लेट गया और सोचने लगा ‘काश पूजा मेरे सामने होती तो मैं उसके चेहरे के भाव देख सकता!’

दूसरे रूम में पूजा ने उछलते हुए ऋतु को गले से लगा लिया और उसके होंठों को चूम लिया और बोली- मैंने इससे ज्यादा सुन्दर चीज आज तक नहीं देखी, मेरी तो चूत से पानी निकलने लगा है, निप्पल खड़े हो गए हैं… ये देख!
और उसने ऋतु का एक हाथ अपनी चूची पर और दूसरा सीधे अपनी चूत पर टिका दिया।

ऋतु दोनों चीजें अपने हाथ में लेकर दबाने लगी और पूजा से पूछा- मतलब तुम मानती हो न कि यह शो एक हजार रूपए का था.
पूजा कुछ नहीं बोली और सीधे अपने पर्स में से एक हजार रूपए निकाल कर ऋतु को दे दिए और बोली- बिल्कुल था… ये लो!
और आगे बोली- काश! ये सब मुझे बिल्कुल मेरे सामने देखने को मिल जाए तो मजा ही आ जाए.
thanks
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