11-12-2022, 01:33 PM
ये कहानी सिर्फ और सिर्फ मनरंजन के लिए लिखा गया है किसी भी वास्तिवकता से संगलग्न किसी भी तरह की संबंध नही है । एक कामुक कहानी होगी ये भी उन कामुक कहानी की तरह पर थोड़ा अलग संकल्पना है इसमें । आशा किया जाता हे की कहानी आप सभी पाठकों को मनारंजन करे ।
कहानी शुरू करने से पहले कुछ पात्र का भूमिका दे रहा हूं ।
सबसे पहले में चंद्र मोहन लाल जो मेरी जुबानी कहानी आगे बढ़ेगी । में 21 वर्षीय एक नवाजवान कॉलेज की आखरी सेमीस्टार में हूं । मेरा भविष्य पहले ही ताई किया गया है । जितना पढ़ना है उतना पढ़ने की मुझे आज़ादी है लेकिन पढ़ लिख कर मुझे किसी भी तरह की नौकरी नहीं करना है वरना मेरी खेर नहीं।
मेरे विशालकाय घर में सिर्फ और सिर्फ मेरे दादाजी विश्वनाथ लाल की हुकूमत चलती है जो की 80 वर्ष का हे । मेरी दादी चर्मीली कुमारी लाल जो 73 साल की हे और दादाजी की लाठी बोल सकते हे क्यों की मेरी दादी बोहोत ही चालाक और कुटिल हे वैसे तो अच्छी ही है सबका भला ही सोचती है लेकिन दुनियारी से आगे चलना तो इनसे सीखे ।
उसके बाद कही जा के मेरे पापा मोहन लाल की हुकूमत चलती है जो 50 वर्षीय का है। और मेरी मां आरती देवी लाल 45 वर्ष की है। और में एक लोटा संतान वो भी बेटा जो लाल खानदान का बारिस बन जाऊंगा पता नही कितने साल बाद ।
उसके बाद आता मेरे चाचा अध्वीर लाल जो 47 वर्ष का हे। और चाची रचना लाल 42 बर्ष की हे। दुख की बात हैं की इनके अभी तक कोई संतान नहीं हैं। और संतान प्राप्ति के लिए वेद चिकित्सा से ले कर एलोपैथी चिकित्सा तक प्रयास्त कर के हार मान चुके हैं।
और फिर आता है मेरे मामाजी संस्कार मुलसन जो 52 वर्ष के है। इनकी पत्नी यानी मेरी मामी मेघा 47 वर्ष की है । इनकी एक बेटी है शिवानी 25 वर्ष की जिसकी हाल ही में शादी हुई हैं और अपने एनआरआई पति के साथ विदेश चली गई है । मेरे मामा मामी भी मेरे ही घर में रहते हे। वैसे कोई खास कहानी नहीं है इसका बास मेरे नानाजी और मेरे दादाजी परम मित्र थे और मामा भी हमारे खानदानी व्यापार में जुड़ गए और हमारे ही घर रहने लगे जो दादाजी की हुकुम थी मेरे नाना नानी के देहांत होने के बाद ।
खानदानी व्यापार बोला जाए तो मेरे परदादाजी के बोहोत बड़े आश्रम थे जिनमे अतिथि के लिए पनाह दी जाती थी । उनके जाने के बाद दादाजी ने lodge बना दिया और कुछ बर्ष बाद हमारे दो 3 स्टार होटल बन गए । इंपोर्ट एक्सपोर्ट का भी व्यापार शुरू कर दिया गया कोई सारे फैक्टरीया जिनमे हर तरह की स्टील लोहे की फ्रेब्रिकेशन का काम किया जाता है और भी जैसे बड़े मशीनों का गियर बनाया जाता उनका पार्ट्स बनाया जाता है । सीटी बना चुका था और रास्ते के किनारे बोहोत से जमीनें थी जिनमें किराए के दुकान लगा दिया गया वगेरा वगैरा और ये सब मेरे पापा चाचा और मामाजी संभालते थे और दादाजी बने हुए थे अकाऊंटैंट और तिजोरी । हां साबी दादी को बोला जा सकता है ।
ये मुख्य रूपी भूमिका रहेगी और भी आयेंगे जो की खलनायक के रूप में आएंगे और कामुकता बढ़ाएंगे।