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Adultery पूरा परिवार फंसा गुंडों की तंबू में
#1
 ये कहानी सिर्फ और सिर्फ मनरंजन के लिए लिखा गया है किसी भी वास्तिवकता से संगलग्न किसी भी तरह की संबंध नही है । एक कामुक कहानी होगी ये भी उन कामुक कहानी की तरह पर थोड़ा अलग संकल्पना है इसमें । आशा किया जाता हे की कहानी आप सभी पाठकों को मनारंजन करे । 


कहानी शुरू करने से पहले कुछ पात्र का भूमिका दे रहा हूं । 



सबसे पहले में चंद्र मोहन लाल जो मेरी जुबानी कहानी आगे बढ़ेगी । में 21 वर्षीय एक नवाजवान कॉलेज की आखरी सेमीस्टार में हूं । मेरा भविष्य पहले ही ताई किया गया है । जितना पढ़ना है उतना पढ़ने की मुझे आज़ादी है लेकिन पढ़ लिख कर मुझे किसी भी तरह की नौकरी नहीं करना है वरना मेरी खेर नहीं। 




मेरे विशालकाय घर में सिर्फ और सिर्फ मेरे दादाजी विश्वनाथ लाल की हुकूमत चलती है जो की 80 वर्ष का हे । मेरी दादी चर्मीली कुमारी लाल जो 73 साल की हे और दादाजी की लाठी बोल सकते हे क्यों की मेरी दादी बोहोत ही चालाक और कुटिल हे वैसे तो अच्छी ही है सबका भला ही सोचती है लेकिन दुनियारी से आगे चलना तो इनसे सीखे । 



उसके बाद कही जा के मेरे पापा मोहन लाल की हुकूमत चलती है जो 50 वर्षीय का है। और मेरी मां आरती देवी लाल 45 वर्ष की है। और में एक लोटा संतान वो भी बेटा जो लाल खानदान का बारिस बन जाऊंगा पता नही कितने साल बाद । 



उसके बाद आता मेरे चाचा अध्वीर लाल जो 47 वर्ष का हे। और चाची रचना लाल 42 बर्ष की हे। दुख की बात हैं की इनके अभी तक कोई संतान नहीं हैं। और संतान प्राप्ति के लिए वेद चिकित्सा से ले कर एलोपैथी चिकित्सा तक प्रयास्त कर के हार मान चुके हैं। 




और फिर आता है मेरे मामाजी संस्कार मुलसन जो 52 वर्ष के है। इनकी पत्नी यानी मेरी मामी मेघा 47 वर्ष की है । इनकी एक बेटी है शिवानी 25 वर्ष की जिसकी हाल ही में शादी हुई हैं और अपने एनआरआई पति के साथ विदेश चली गई है । मेरे मामा मामी भी मेरे ही घर में रहते हे। वैसे कोई खास कहानी नहीं है इसका बास मेरे नानाजी और मेरे दादाजी परम मित्र थे और मामा भी हमारे खानदानी व्यापार में जुड़ गए और हमारे ही घर रहने लगे जो दादाजी की हुकुम थी मेरे नाना नानी के देहांत होने के बाद । 



खानदानी व्यापार बोला जाए तो मेरे परदादाजी के बोहोत बड़े आश्रम थे जिनमे अतिथि के लिए पनाह दी जाती थी । उनके जाने के बाद दादाजी ने lodge बना दिया और कुछ बर्ष बाद हमारे दो 3 स्टार होटल बन गए । इंपोर्ट एक्सपोर्ट का भी व्यापार शुरू कर दिया गया कोई सारे फैक्टरीया जिनमे हर तरह की स्टील लोहे की फ्रेब्रिकेशन का काम किया जाता है और भी जैसे बड़े मशीनों का गियर बनाया जाता उनका पार्ट्स बनाया जाता है । सीटी बना चुका था और रास्ते के किनारे बोहोत से जमीनें थी जिनमें किराए के दुकान लगा दिया गया वगेरा वगैरा और ये सब मेरे पापा चाचा और मामाजी संभालते थे और दादाजी बने हुए थे अकाऊंटैंट और तिजोरी । हां साबी दादी को बोला जा सकता है ।




ये मुख्य रूपी भूमिका रहेगी और भी आयेंगे जो की खलनायक के रूप में आएंगे और कामुकता बढ़ाएंगे। 
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#2
[Image: ac12105f3de25cb4b8e03fa828b99765.jpg]आरती






[Image: 8fa0dda238fe11f2fdab5a4c795306bb.jpg] रचना




[Image: ac12105f3de25cb4b8e03fa828b99765.jpg] मेघा




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कुछ इस तरह बॉम्ब बॉम्ब जिस्म की मालकिन किसी के मुंह में पानी आ जाय सोएं अरमान जाग जाए
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#3
जुलाई का महीना था छुट्टी का महीना । और हर साल की तरह हम घूमने जाने की प्लान करने लगे । लेकिन इस बार दादाजी नेही जाने वाले थे क्यू की हाल ही में उनके घुटनो का ऑपरेशन हुआ है और उसे चलने फिरने में दिक्कत आ रही थी तो दादीजी भी रुक गई उनकी देख भाल के लिए । तो अब हम बाकी सब जाने वाले थे ।




तारीख ताई हो गई और जगाह भी हो हमारे सिटी से करीब 200 किलोमीटर दूर । जो एक पहाड़ी हील स्टेशन था जिसने देखने को मठ मंदिर हरियाली नेशनल पार्क और भी बोहोत कुछ कुल मिला कर पिकनिक स्पॉट था । हमारे पास एक कैंपपींग बस था जो हर तरह की सुविधा के अनुसार मोडीफाई किया हुआ बस था । बाथरूम से किचेन तक सोने से ले कर बैठने तक विलासिता सुविधा थी ।



तो जुलाई के 4 तारीख को हम निकल पड़े । मैं और मेरे मां पापा, चाचा चाची, मामा मामी और हमारा ड्राइवर मकसूद। सफर 4 से 6 घंटे की होने वाली थी और हम सुबह को 9 बजे निकले थे । में सबसे आगे को ड्राइवर की सीट पर बैठा था क्यू की एक अकेला में ही नजवान लड़का था और में आईपैड ले कर सफर इंजॉय कर रहा था । बस एक मुश्किल थी बीच बीच में कही कही जगह इंटरनेट स्पीड काफी स्लो होते जा रहा था।




पीछे मेरे पापा चाचा और मामाजी व्हिस्की के बॉटल खोल के एंजॉय कर रहे थे और बाकी तीनों औरते टच पत्ते खेल कर सफर का इंजॉय कर रहे थे । हांसी की गूंज गप्पे मारने की गूंज और स्टीरियो पर 90s की गाने बज रहे थे ।





मकसूद से कभी कबार में बात कर लिया करता जब भी मेरा   इंटरनेट नही चलता । मेरा बोहोत मन हो रहा था सेक्स स्टोरीज पढ़ने का लेकिन वो कटाई संभव नहीं था। कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं थी जिसके साथ चैटिंग करते जाऊ।



दोपहर को हमने बस रोक कर धावे पर खाना खा कर हम फिर निकल पड़े । इस बार में पीछे को सीट जो एक तरह से सिंगल बेड था उसपे लेट के जाने लगा ।



एक जगह बस रुकी तो पापा ने मकसूद से पूछा कि क्यूं बस रुकी तो मकसूद ने कहा कि आगे पुलिसवाले बता रहा है की हाइवे जाम हो गया है हम लेफ्ट से जा के आगे की हाईवे पकड़ना पड़ेगा । बस के आगे पुलिसवाले इशारा कर रहे थे । तो पापा ने जवाब दिया की हा ले चलो बस को उसी रास्ते । तो मकसूद ने लेफ्ट की कच्ची रास्ते से ले जाने लगा ।
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#4
तो हम सब एक एक कर के नीचे उतरे । और हम सबका पीछे से हाथ और मुंह बांध दिया । एक आदमी आगे चल रहा था और हम उसके पीछे चलने को बोला गया बाकी दो बंदूक लिए हमारी पीछे । और एक को लीडर से आदेश मिला था की बस को और मकसूद की लाश को ठिकाने लगा दी । 





हम चल रहे थे जंगलों के बीच । आंखे खुले हुए थे पर फिर भी हमे पता नही चल रहा था कि किस रास्ते से कहा हम जा रहे थे दिमाग में तो खोफ था । क्या करेंगे यही ख्याल आ राहा था । ऊंचे घने पेड़ों के बीच झाड़ियों के बीच पता नेही कहा कहा से ले जा रहे थे । करीब दो किलोमीटर जाने के बाद हम एक चोटे छोटे तंबू से बने कैंप मिला । जिसमे ओर भी लोग बंदूक लिए पेहरे दे रहे थे । 



सब लोग हमें देखने लगे । और हमारे पीठ पर धक्का मार कर एक तंबू के अंदर कर दिया और सिर्फ लीडर ही अंदर आ गया और बोला " सरदार ले आया पकड़ के " 



अब तक हम उसे सरदार समझ रहे थे लेकिन अंदर चेयर पर असली सरदार बैठा था । और उसकी पीठ हमारी तरफ थी । वो व्हील चेयर को घुमाते हुए बोला " अरे वाह लाखा इतनी जल्दी ले आया "



लाखा मुस्कुराते हुए बोला " जाल तो आपने बिछाया था हमे तो बस जाल से मछली निकालना था "


लेकिन तभी पापा और चाचा सोक्ड हो कर एक साथ बोले " मनोहर ताऊ " 


ये क्या सामने जो बुद्धा बैठा था उसे पहचानते है पापा और चाचा । ये क्या सीन हे भाई । 



" ओह तो तुम दोनों को में अब भी याद हूं । मुझे लगा 20 साल हो गए तो मुझे भूल गए होंगे । लेकिन भूले नहीं या भूलने नही दे रहा है " और मोनोहोर ठहाका मार के हसने लगा ।



" ताऊ ये सब क्या है हमें इस तरह पकड़ के क्यू ले आया " पापा थोड़े गुस्से में बोले 




मोनोहोर को जैसे पापा की बात कानो में घुसी ही नहीं उसने बड़ी आराम से सिगार जलाया और धूवा उड़ाते हुए मेरे तरफ इशारा कर के बोला " तू विश्वनाथ का एकलौता पोता है ना " 



में बस उसे घूरता ही रेह गया । 

वो फिर बोला " लड़के तू तो अभी अंडे से भी नही निकला है। ये दुनिया बोहोत जालिम है पता है। तेरे दादाजी की और तेरे ये पापा और चाचा की कुकर्म की सजे में तुझे खमाखा खींच ले आया " 


" ये क्या वकवाश कर रहे हो ताऊ " चाचा ने धमकी की तरह कहा 



" लाखा तुझे सबकुछ पता हे। अगर ये दोनो ऊंची आवाज में बोले या फिर एक भी जूठ बोले तो ये तीनों औरतों की एक एक कर खोपड़ी उड़ा देना " मोनोहोर ताऊ ने लाखा को इशारे से बोला ।



और लाखा ने इस बार एक पिस्तौल ले के मां की कनपटी पर तान दी मैने देखा मां दर के मारे कांप रही थी । 


पाप और चाचा के चेहरे पर शिंता के भाव बढ़ रहे थे । 


" क्या नाम है तेरा बच्चा " मोनोहोर ने मेरा नाम पूछा 


तो मे थूक गटक के बोला " चंद्र " 



उसने मेरे तरफ इशारे कर के बोला " चंद्र। हम्म्म तेरे दादाजी ने रखा है ना तेरा नाम । अच्छा है अच्छा छोड़ ये सब तुझे पता है में एक जमाने में तेरे दादाजी का जिगरी दोस्त हुआ करता था । बचपन से ले कर जवानी तक हमने साथ साथ घूमे फिरे बड़े हुए । जान छिड़कते थे हम एक दूसरे के ऊपर । लेकिन तेरा दादाजी वो जहरीला सांप हे जो अपने फायदे के लिए किसी को भी डंस सकता है । मेरे पिताजी और तेरे पिताजी दोनो मिल कर धर्मशाला चलाते थे लेकिन जमाना बदला तो हम दोनों ने मिल कर व्यापार शुरू कर दिया जी तोड़ मेहनत की दोनो ने मिल कर । लेकिन मुझे नही पता था कि वो सिर्फ अपने लिए ही मेहनत कर रहा था । धोखे से मेरा अंगूठा छाप लेता रहा मुझे पढ़ना लिखना नहीं आता था और ये काम तेरे पापा और चाचा से करवा रहा था । और एक धोखे की बात तो मैने माफ कर दी है। वो है तेरी दादी। तेरी दादी और में एक दूसरे से प्यार करते थे लेकिन तेरे दादा ने उसे भी बेहका के उसे अपने जाल में फांसा कर शादी कर ली । दोस्त का घर बच रहा है इसी बात पर मैंने गुस्सा थूक दिया । लेकिन जब तेरे दादाजी ने मुझे व्यापार से धोखे से बेदखल कर दिया तो में मेरी परिवार सड़क पर आ गए और मुझे मजबूर हो कर एक मुजरिम बनना पड़ा जिसमे में 7 साल जेल जा कर आया हूं । अब तू ही बता की मुझे क्या करना चाहिए ।" 



में पापा और चाचा की तरफ देखने लगा और पापा कुछ बोलने ही वाले थे की तभी मोनोहोर बोला " लाखा अगर एक भी जूठ बोला तो त्रिगार दबा देना " 


पापा और चाचा मुंह लटका लिए । और मुझे साफ साफ जवाब मिल रहा था । अब तक तो में भी सीख चुका था की व्यापार में जूठ ना बोलो तो व्यापार धराम से गिरेगा । लेकिन जो सुना मैने वो जूठ नहीं दगा दे बोहोत बड़ी धोका है खट्टा आम मीठा बोल के बेचने वाले चोटी मोती बात नहीं। देखा जाय तो मोनोहोर का गुस्सा सही है । 
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#5
सायेद पापा और चाचा ने स्वीकार कर लिया अपना गुनाह इस लिए चाचा ने बोला " ताऊ आप हम दोनो पकड़ो लेकिन बाकी सबको जाने दो । ये सब ने आपका कुछ नही बिगाड़ा है" 




तो मोनोहोर ने बोला " बिगाड़ा तो मैंने भी कुछ नही और ना मेरे परिवार ने । लेकिन मेरे परिवार ने जो कष्ट जेला है वो कष्ट तेरे परिवार वाले झेलना पड़ेगा । बदला बदला होता हे ईट से मारोगे तो पत्थर से जवाब पाना स्वाभाविक है। है की नही बच्चा"  



मोनोहोर ने मेरे तरफ इशारा कर के बोला । अब भला मे क्या बोलता। 



" लाखा जाओ इन तीनों को दूसरे तम्बू में अच्छे से बांध के रखो । " मोनोहोर ने आदेश दिया ।



लाखा ने बहार आवाज लगाई तो दो आदमी घुस आए और पापा चाचा मामाजी तीनो को घसीट के ले जाने लगे । 


पापा चाचा और मामा चिल्लाते रह गए की क्या करने वाले हो । छोड़ दो इनको । लेकिन उन तीनो को पता नही बाहर कहा ले के गए अब ।


अंदर तंबू में वो बुद्धा मनोहर कुर्सी पर टेक लगाए बैठा और मां में चाची और मामी जो अभी भी हमारे हाथ बंधे हुए है। मनोहर ने लाखा को हमारे हाथ खोलने को बोला । तो लाखा ने हमारे हाथ खोलते हुए धमकी दी " अगर कोई भागने की कोशिश की या फिर कोई भी होशियारी दिखाई तो तुम सब भी अपने ड्राइवर के साथ पोहोच जाओगे "



" अरे लाखा ये लोग कुछ नही कोरेंगे । ये जितना हमारे साथ कॉपरेट करेंगे उतना ही इनलोगो के लिए अच्छा होगा ।" मनोहर बुद्धा बोला ।



और वैसे भी हम कर भी क्या सकते है जो खोफ दिलों दिमाग में छाया था मकसूद के खून से चने लठ पठ लाश को देख के हम होशियारी दिखाने की हालत में नही थे  ।
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#6
मोनोहोर ने फिर बोला लाखा को " लाखा तीनों औरतो दूसरे तंबू में ले जाओ और खातिरदारी करो जब तक में ना काहू सिर्फ पहरेदारी करना " 




में बोला " कहा ले जा रहे हो इन्हे नही जो भी बात करनी है सांमने करो " 


मेरी बात सुनता कौन लाखा जबरदस्ती तीनों औरतों को ले जाने लगा और तीनो औरते दर के मारे रो रही थी । 



मनोहर ने मुझे अपने पास पड़ी कुर्सी पर इशारे से बैठने को कहा लेकिन में दर रहा था पर मनोहर ने एकदम नरमी से बोला " बच्चे डरो मत मेरा तुम किसी कि भी जान लेने का इरादा नहीं है । मुझे बास किसी और तरीके से बदला पूरा करना है। बैठो तुम मेरे पोते जैसे हो बैठो कुछ बातें करते है "



में दर दर के बैठा और मेरी नजर टेबल पर रखी एक फोटो पर पड़ी उस फोटो में बिल्कुल मेरे ही उम्र के लड़के फोटो थी । और मेरी नजर पकड़ कर मनोहर ने फोटो को हाथ में उठा कर एक गम की खायाल से बोला " मेरा पोता हैं। पिछले साल ही सड़क हादसे में मुझे छोड़ कर चला गया "



में समझ नही पा रहा था की में दुख जता के कुछ बोलूं या फिर चुप रहू तो मुझे कुछ समझ नही आया और में चुप ही रहा ।



मनोहर ने मेरे लिए साय बनाई और मेरे साथ जान पेहचान की बाते की क्या पढ़ रहा हूं क्या नेही इन्ही सब बाते पूछा और फिर उसने आचली मुद्दा छेड़ा। 



" बच्चे तुम्हे अपनी मां अच्छी लगती है या चाची या फिर तुम्हारी मामी " उसके लहजे में एक अजीब सा भाव था ।



पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया पर जब समझ में आया तो मेरे दिमाग में ये चल रहा था ठरकी बूढ़ा ये क्या पूछ रहा है । 



मनोहर हसने लगा मेरी चेहरे की भाव देख के । और बोला "  बच्चे तेरे घर ने कुछ ऐसे राज हे जो तुम्हे नही पाता "


में उसके बाते कुछ समझ नहीं पा रहा था और सोच में पड़ गया था की मेरे घर के क्या राज है । 



और मनोहर ने मेरी सोच आचान कर दी । उसने बताया " बच्चे तुम्हे पता हे की तुम्हारे मां चाची और तेरी मामी ये तीनो कभी तेरे पापा की तो कभी तेरे चाचा की तो कभी तेरे मामा की पत्नी बनती है । मतलब साफ तौर पे काहू तो अदला बदली "



में ये सुन के शोक गया । मुझे विश्वास नहीं हो रहा था और सोच रहा की ये बुद्धा उल्टी सीधी बाते कर के मुझे गुमराह करना चाहता है। पर मन के अंदर से एक बात खल रही की अक्सर मां पापा चाचा चाची और मामा मामी घर से बहार जाते रात भर गायब रहते में पूछता तो किसी काम से बाहर या किसी की प्रति अटेंड करने का बोल देता हे । 



" हा हा । तुझे विश्वास नही हो रहा है ना तो ये देखो । अपने आंखों से देखो। " और मनोहर ने अपने लैपटॉप से कुछ एक दो मिनिट की वीडियो क्लिप दिखाई जिसमे मां मामा के साथ और पापा चाची के साथ और चाचा मामी के साथ हमबिस्तर होते हुए ।


ये सब देख कर में सर सकरा गया क्यू की सभी वीडियो क्लिप मुझे ओरिजिनल लगे और हमारी ही होटल रूम का दृश्य था सबके सब । और सबसे बड़ी बात ये लगी की मां मामा के साथ जो सगे भाई बहन थे । में कुछ कहना चाह रहा था पर मेरे मुंह से शब्द फूट नही रहे थे मेरी आंखे जम गई थी लैपटॉप की स्क्रीन पड़। 




" ये है तुम्हारे खानदान के रहैश्य बेटा । तेरे दादाजी के और भी कांड है पर उससे मुझे कोई लेना देना नही ।" मनोहर ने बोला 


फिर भी में बोला " ये ये । सब जूठ है आप ये जूठे वीडियो क्लिप दिखा रहे हो "



" ठीक है तो अभी तेरी मामी चाची और तेरी मां से बुलवाता हूं सच एक दो ही तो थप्पड़ मारना हे " मनोहर ने बोला 



में दर गया " नही नही। ठीक है। पर आप । आपको इससे क्या "


वो हंस पड़ा और बोला " मुझे इससे क्या । मेरा इससे कुछ फर्क नही पड़ता बस तुम्हे सच्चाई बता के तुम्हे सतर्क कर रहा हूं की तुम्हारे रगों में किस गंदे खानदान का खून दौर रहा है ये बता रहा हूं । अच्छा तुम्हे एक बात पता है की तुम्हारे चाचा चाची का कभी कोई बच्चा क्यू नही है "



उसने ऐसा सवाल किया की में समझ गया कि इसमें में भी कोई ना कोई राज है। 


उसने बताया " क्यू की तेरे दादाजी के बीज खत्म हो गए थे तब तक । तेरे दादाजी इच्छा थी कि खानदान की चिरांग तेरे दादाजी के बीज से पैदा हो । मतलब समझा बच्चे। तू अपने बाप का नही तेरे दादाजी ने तेरी मां की कोख भरा तब तू पैदा हुआ हे। और जब तेरी चाची से दूसरा चिराग निकालने की बारी आई तो तेरे दादाजी के लोटे से पानी खतम हो चुका था । "



" क्या " मेरे दिमाग में झटके पे झटके लग रहे थे और पता नही उस वक्त में सब कुछ धीरे धीरे सच मान रहा था । 



मन में खायाल भी आ रहा था की सब बोलते थे की में बिल्कुल दादाजी की तरह दिखता हूं। मेरे रोगों में खून तेजी से दौर रहे दिमाग के नशे उभर आए थे जैसे । क्या सच में मेरा खानदान ऐसा है । पत्नियां अदल बदल करना वो ठीक है आज कल बोहोत ऐसा होता है लेकिन कोई ससुर अपनी बहु की कोख भरना । में उलझन उलझ सा गया था ।



मुझे भी अब बोहोत कुछ जानना था और मनोहर के आगे मेरा थोड़ा दर खतम हो गया था और मैने सीधा पूछा की " आप किस तरह से बदला लेना चाहते हे । क्या करना चाहते ही हमारे साथ अगर हमारी जान नही लेनी है तो । और आपको पता है मेरे दादाजी को अब तक पता चल चुका होगा की हम गायब है और आपको पता ही होगा की मेंरे दादाजी को पोहोच कहा तक है।" मेने भी थोड़ी चालाकी दिखाई ।


पर मनोहर नजाने कब से प्लान कर रखा था वो दो कदम आगे था उसने बोला " तेरे घर पे भी मेरा एक फौज है जो मेरी एक कॉल से तुम्हारे दादाजी और दादीजी की सर पे गोली थोक देगा । तुम्हारे दादाजी और दादीजी अपने ही घर में कैद है। तेरे दादाजी की तड़प मुझे सकून पोहोछा रहा है " 


मेरे पास सवाल करने को कुछ था नही अब । मेरा सर झुक गया अपने आप । 



तो मनोहर ने बोला " बच्चे तेरे पास दो रास्ते है। पेहला तू अगर साथ दे तो बात ज्यादा नही बिगड़ेगी। और दुसरा तुमलोग कही भी मुख दिखाने लायक नही रहोगे "



" आपका साथ मतलब किस काम में " मैने पूछा 


तो उसने बताया " तेरे दादाजी ने तुझे बारिश सुना है जो सारी जयदात आगे जा के तेरे नाम हो जायेगा जब तू व्यापार में शामिल होगा अपने खानदानी व्यापार। उसमे से आधा में लूंगा जिसमे तेरे और तेरे दादाजी की साइन चाहिए होगी और एक महीने तक तेरी मां चाची और तेरी मामि मेरी रखैल बनेगी बोहोत दिनों से बिस्तर की सुख नही लिया है मैंने। और अगर तू साइन देने से मना करता है तो मेरे पास और टेढ़ी उपाय है। जिसमे में तुम्हारे पूरे जयदात हरप लूंगा और तीनों औरतों को किसी कोठे में बेच दूंगा और ब्लू फिल्म बना के पूरी दुनिया को दिखाऊंगा "



में दंग रह गया । 



" बोल तुम्हे मंजूर हे " 



" आप आधी जयदात ले लो चाहे तो उससे ज्यादा ले लो पर मां चाची और मामी को छोड़ दो प्लीज " मैने रहम की गुहार लगाई 


पर मनोहर हंस पड़ा " कोई गुंजाइश ही नहीं " 



में समझ चुका था की में जितना भी गिरगिराऊ ये बुड्ढा मानने वाला है नहीं। में चुप था और उसने मेरी चुप्पी को हां मान लिया । 
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#7
मेरे दादाजी समुंदर में खेल खेलना आता था लेकिन भवर किस रास्ते आता है वो नही पता था चोरी तो की लेकिन बचने के लिए बांध बनाना नही सीखा जिसके वजह से हम आज इस मुसीबत में फांस गए है । 





रात होने तक मनहोर ने मुझे अपने तंबू में रखा और रात के करीब 9 बजे तक मुझे खाना खाने दिया । में भूखा था पर कुछ ज्यादा खा नही पाया  फिर भी मनोहर ने मुझे जबरदस्ती खिला दिया थोड़ा बोहोत। में परेशान था बाकी सबके लिए पता नही बाकी लोगों को किस हाल में रखा है लाखा ने । 




लाखा तम्बू में आया और पूछा " सरदार आपने बुलाया "



मनोहर बोला " इसकी मां को ले आओ "



लाखा की चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान फैल गया और उसने जवाब दिया " 5 मिनिट में ले आता हूं सरदार"



और लाखा चला गया । और मनोहर बोला " अब तेरी मां के साथ जो जो होगा वो सब तू अपने आंखों से देखेगा इस अलमारी में चुप के । अगर छू भी की तो तेरी मां की गला काट दूंगा में ।"



तम्बू के अंदर एक पुराना सा टूटी फूटी लकड़ी की आलमारी थी । में दर गया और एक आखरी बार कशिश की " प्लीज मेरी मां को छोड़ दो अंकल। आप चाहे तो पूरे जयदात ले लो"



" सुहहहह। कोई आवाज नही। में नही सुनने वाला अब और तू सिर्फ देखेगा अब तक 23 मर्डर किए है तेरी मां को 24 नही करना चाहता में हाथो मे खून रंग नही लगाना चाहता में । मजबूर मत कर बच्चे " 


अब तक तो मनोहर की चेहरे पर इतनी कठोरता नही देखा पर अब देख पा रहा हूं । किसी राक्षस जैसे लग रहे थे आंखे लाल चेहरे पर क्रूर भाव ।



मुझे उस आलमारी छुपा दिया और बाहर से लॉक लगा दिया पर जालीदार छेद से में आलमारी से बाहर सबकुच देख पा रहा था ।



मैने देखा लाखा ने मां को कमरे में ले कर आया और चला गया । मेरी खूबसूरत मां काफी घबराई हुई थी और इधर उधर देखते हुए मां दरी सहमी हुई बोली " मेरा बेटा कहा हे" 



तो मनोहर ने बोला " उसे दूसरे तंबू में रखा है "


मां तड़पती हुई बोली " प्लीज मेरे बेटे के पास मुझे ले चलो "

मां की चेहरे पर मेरे लिए फिक्र दिखाई दे रही थी ।


मनहोहोर मेरी मां की हाथ पकड़ के बोला " इतनी भी क्या जल्दी है"


मां हाथ चुरा कर कदम पीछे लेने लगी तो मनहोर मां की तरफ बढ़ रहा था और मां की दोनो बाहें पकड़ कर बोला " रानी समझ ले आज में तेरा ससुर हूं और अपने ससुर की तरह मेरा भी आज बिस्तर गर्म कर दे" 




मां शर्म और गुस्से से मनोहर को धक्का देती है । मुझे भी बोहोत शर्म मेहसूस हो रहा था मेरी ही आंखों के सामने मेरी मां का अपमान हो रहा था और में कुछ नही कर पा रहा था । 



लेकिन तभी मनोहर ने मां को गाल पर थप्पड़ मार दी । बूढ़े हाथो मे भी काफी जान था मां की गुलाबी गाल लाल हो गए  
 । मां दर के मारे रोने लगी । और मनोहर ने एक पिस्टल निकल के मां की माथे पे तान दी । मेरी तो जान हलक में आ गए थे की कही मां को मार ना दे और मेरी सांस अटक सा गया था । 



मां की भी वोही हाल थी । और मनोहोर ने गुस्से से पूछा " बोल तेरी ससुर के साथ बिस्तर का संबंध है की नहीं बोल " 



मां ने कोई जवाब नही दिया तो मनोहर ने पिस्टल की सेफ्टी लॉक हटा के पिस्टल मां की माथे पे रगड़ के बोला " बोल नहीं तो त्रिगार दावा दूंगा " 



मां थरथरा कर कांप उठी और उसके मुंह से बास इतना ही निकला " हा हे"


मां की मूंह से जवाब सुन के मनोहर आलमारी की तरफ यानी मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था । और ये सुन के मेरी दुनिया ही बदल गई मानो । जिस बाप को में बाप मान रहा था आज तक वो तो मेरा बाप ही नही है। देखा जाय तो मेरा बड़ा भाई है । मेरे लिए ये सदमे से कम ना था । खैर मैंने अब बिस्वास कर लिया और मनोहर पर मेरा पूरा एकिंग हो गया था । बस अपनी ही जिंदगी पर एक अफसोस हो रहा था में भी एक नजाएस ही निकला । दुख तो हो रहा था पर कर भी क्या सकता था में । मां पर गुस्सा नही आ रहा था क्यू में मुझे विश्वास था कि मां को दादाजी ने जरूर जबरदस्ती मनाया होगा । 





सामने मेरी मां डरी ही घबराई हुई खड़ी थी उसे अब तक समझ आ चुकी थी की उनके साथ मनोहर क्या करने वाला है ।
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#8
मां अभी भी सुबह की निकली हुई सारी में थी । मां हमेशा सारी ही पहनती थी जो काफी महंगे महंगे सारी पहनना पसंद करती थी । और गेहने भी पहनी हुई रही कलाई में चूड़ियां गले में हार कानो में झुमके और पेड़ो में पायेल। मां सारी थोड़ी खराब दिख रही थी उनकी चेहरे पर आसूओ से भरी दाग फैली हुई काजल बालो का गुच्छा भी बिखर गई है। मां की हाईट 5 फीट 2 इंच थी और ऊंची हिसाब से उनकी गदराया हुआ मांचल भरा हुआ गोरा बदन जो काफी आकर्षक अपनी उम्र से छोटी लगती थी मां को वजन कुछ 65 किलो थी ।और ये बुद्धा आज मेरी ही आखों के सामने मां के साथ दुष्कर्म करने पूरा उतरा था । 




मेरा दिल तहेश नेहेश हो रहा था मजबूर आंखो में देख रहा था । मनोहर जबरदस्ती मेरी मां को बाहों में भर कर मां की उभरी हुई गांड सारी में दावाने की कशिश कर रहा था और मेरी मां उसे धकेलने कि कशिश कर रही थी  । 


तो मनोहर को आया गुस्सा " साली अपने ससुर के साथ तो नखरा नही करती रांड । " और उल्टे सीधे हाथो से मां की गाल पर दो थप्पड़ मार दिए । 


मां बौखला गई और मेरे आंखों से आसू निकल रहे थे । मां फुबक फूबक के रोना शुरू कर दिया । मनोहर ने मां की सारी खींचने लगा मां ने आबरू बचाने की कशिश की पर मां नाकाम रही ।


मां अपनी छीने पर हाथ रख के सर झुकाए शर्म से रोए जा रही थी और मनोहर के हाथो में मां की सारी । और मां की भरा हुआ यौबन देख कर हवास की नज़रों से घूरने लगा जैसे शेर को शिकार मिला । 




तम्बू में ही एक छोटा सा खटिया था और उसमे मां को धकेल के लिटा देता है। मां रेहम की भिंख मांगने लगी " प्लीज मेरे साथ ऐसा मत करो । प्लीज मुझे जाने दो में शरीफ घराने की औरत हूं "


मनोहर हंस के बोला " शरीफ और तू। जो अपने ससुर से बच्चा पैदा करवाती है । ज्यादा भली मत बन तेरी कुंडली पता है मुझे । चुप छाप मेरा साथ दे वरना तेरे बेटे को मार दूंगा "



मां शर्म से पानी हो गई सच्चाई सुन के और मजबूर हो कर सुबक सुबक कर लेटी रही । और मनोहर जो मेरे दादाजी के उम्र का था अपना धोती और कुर्ता खोल के बनियान और कच्चे में आ जाता है और मुंह लालच की पानी चुस्की लेते हुए मां के पेटीकोट धीरे धीरे उठा कर मां की गोरी पिंढीलिया चूमने लगता है और सेहलाते हुए कहता हे " रानी क्या चिकनी टांगे है तेरी आह मजा आ गया "



मुझे भी मां की वैक्सिंग की हुई टांगे दिखाई दे रहा था और शर्म से आंखे घुमा लेता था पर पता नही क्यू देखने की एक तलब सा था की मनोहर क्या करता है मेरी मां के साथ । 


मनोहर मां की पेटीकोट धीरे धीरे ऊपर उठाते हुए मां की टांगे चूम रहा था और मां की मोटी मोटी झांघो को चूम चूम के पेटीकोट की डोरी को गांठ खोल देता है और मां रो रो कर अपनी पेटीकोट कस के पकड़ लेती है पर मनोहर मां की पेटीकोट जबरन उतार फेक देता है । और मां की काली पैंटी के ऊपर से ही मां की चूत को मुंह में भर कर खाने लगता हे चाट चाट कर और मां रो रो कर मनोहर की सर पकड़ कर हटाने की कशिश करती रहती हे ।



बूढ़े में इतना ताकत था की मुझे आचार्य हो रहा था । उसने मां की पेंटी फाड़ दी । मैने देखा की मां की चूत बालों से भरी हुई है । काले घने झांटों से देख लगता है एक देर इंच के बाल थे जो साएड कोई महीनो से साफ नहीं किए होंगे मां ने । और मनोहर ने जी भर के मां की चूत हाथो से खोल के देख रहा था जो मुझे दिखाई नही दे रहा था । मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे अपनी मां को पहली बार नंगा देख रहा था कैसा अजीब सा लग रहा था जो मेरे पास शब्द नहीं है बयान करने के लिए ।



मां टांगे चिपकाने की कशिश करी तो मनोहर ने मां को जांघ पर मार कर और काट कर निशान बैठा दिए मां भी मजबूर हो कर छुप रहना ही भला समझा ।



मनोहर भूखे कुत्ते की तरह मां की झांटों में मुंह घुसा कर मां की चूत की छेद ढूंढ कर चाटने लगा चूसने लगा । मां अब हार मान कर चेहरे पर हाथ रख कर मूह छुपाए सुबक सुबक के रोने लगी । 



और मनोहर मां की रोने पर खुश होता हुआ मां की जिस्म को मसल मसल कर चाट चूस कर भोग रहा था और बोल रहा था " विश्वनाथ तेरे घर की औरतों के अपना रांड बनानूंगा अब तू देखता जा मेरी रानी को तूने चुरा लिया था अब देख तेरी घर में कैसे में छेद करता हूं " 


में समझ गया था और देख पा रहा था कि हमारा सत्यानाश हो रहा है एक एक पाई इतज्जत नीलम होने जा रहा था । एक बार तो खयाल आया कि बाहर निकल के मनोहर को जान से ही मार दू क्या लेकिन अगले ही पल समझादारी का खायाल आया की बहार जो इतने लोग बंदूक लिए पेहरे दे रहे है उन लोगो से कैसे बचूं । सच जानने के बाद ना मेरे पापा से ना मेरे चाचा  ना मेरे मामा से कोई अब खास फिक्र था लेकिन में जानता था ये तीनो औरते निर्दश हे जो मेरा दिल कह रहा था की ये तो बस कटपुतली है इन तीनों की जान की फिक्र मुझे ज्यादा हो रही थी ।
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#9
मनोहोर चूत जी भर के चाटने के बाद मां ही हल्की सर्बी से भरी मखमल पर चाट चाट कर चूसने लगा मां की गहरी नाभी में जीव घुमा घुमा के चाट रहा था । और ये देख कर मुझे अजीब सा लग रहा था । मां के लिए दुख तो हो रहा था लेकिन में पहली बार चुदाई देख रहा था अपनी आंखो से जो अब तक इंटरनेट पर देखते आया था । में भी अभी तक कुंवारा ही था इन मामलों में अभी तक पीछे ही था । 





मनोहर अब मां की चूचियां ब्लाउज के ऊपर से ही दबा रहा था । और उनकी हाथो में मुझे साफ अंदाजा हो रहा था की मां की चूचीया बड़े है मां और रोने लगी । लेकिन मनोहर को कोई फर्क नही पड़ रहा था और बोल रहा था " बच्चे तेरी मां की आम तो काफी रचीले है"



लेकिन मां को इस बात का मतलब कुछ समझ नही आया की मनोहर किसे सुना रहा था । और मैने देखा कि मनोहर मां को हाथ ऊपर कर के पसीने से भीगी बगल सूंघ के चाटने लगा था पता इस हरकत से क्यू मेरी नशो में जैसे खून उबलने लगा था । कुछ अजीब सा मनमोहक कामुक दृश्य लगा जो दिल मान रहा था पर दिमाग नही। 



मनोहर ने मां की दोनो बगल चाट कर मां की ब्लाउज के हुक तोड़ के ब्लाउज ही सर सर कर फाड़ दी । मां पीठ के बल लेती हुई थी फिर उसकी चूचियां तंग ब्रा की कैद से जैसे आजाद होने को फड़फड़ा रही थी । उभरी हुई मां कि छाती दिखाई पड़ रही थी ।



और मां ने मनोहर का मुंह हटाने की कशिश करती हुई बिनती करने लगी " प्लीज ****वान के लिए मुझे छोड़ दो । ऐसा पाप मत करो मेरे साथ "


पर मनोहर कहा सुनने वाला था उल्टा उसने जवाब ऐसा दिया की मां शर्म से लाल पड़ गई उसने बोला " तेरा ससुर मेरा दोस्त हुआ करता था जब तू ससुर से चुदवा सकती है तो ससुर के दोस्त से क्यू नही रांड । नखरे मत कर उम्र मत देख मेरी बोहोत मजा दूंगा "



मनोहर मां की काले रंग की ब्रा भी उतार कर फेंक दिया और अब मां बिल्कुल नंगी थी । मनोहर ने मां की रसीली चूचीया चूचक चुचक कर उम्म उम्म्म कर के किसी बच्चे की तरह चूस चूस कर और मसल मसल कर मां की गोरी चूची पर निशान छाप कर लाल कर दिए । 



और फिर वो मां की ऊपर से उठा और अपना कच्छा निकाला। में दंग रह गया की इस उम्र में ही उसका लन्ड एक दम सख्त हो रखा था । मनोहर गोरे रंग का था और उसका लंड भी गोरा और लाल सुपाड़ा वाला था । 



उसने जबरदस्ती मां की सर पकड़ कर मां की मुंह में लंड घुसा कर मां की मुंह चोदने लगा । मां नाकाम कशिश कर रही थी मुंह हटाने की पर जैसे ही मनोहर ने मां की बाल खींचा तो मां कमजोर पर गई । बुद्धा बोहोत चालाक था सारे खेल जानता था । 



कुछ देर तक मां की मुंह चोद के मां की टांगो के बीच आ गया मां खासती हुई थूक फेक रही थी जमीन पर। मनोहर ने मां की टांगे फैला कर एक झटके में लंड घुसा कर मां की ऊपर लेट गया । मां मुंह फेर कर रोए जा रही थी । 



मनोहर धीर धीरे कमर उछालता हुआ मां की चूत चोदना आरम्भ किया । मेरा अब दिल रो रहा था ये देख की मेरी ही आखों के सामने मेरी जन्म देने वाली का की चूत पर किसी राक्षस का लंड चुदाई कर रहा था घुस घुस कर । जहा मां बेबस हो कर रो रही थी वोही वो राक्षस मजा ले रहा था मां की चूत का । 




कुछ ही देर में मनोहर और खूंखार हो गया और मां को रोने से गुस्सा हो के बोला " चुप कर रांड कितना रोटी है। "



और जोर जोर से धक्का मारता हुआ मां की कांधे पर काट लेता था गालों पर और जबरन मां की होंठ चूस कर मां की होंठ काट लेता । मां दर्द से बिलबिला जाती चीख पड़ती चिल्लाती। लेकिन कोई मां को बचाने वाला नही बल्कि मे भी दुखी हो के मजबूर आखों से सब कुछ देखता रहा। 



साला कमीना बुद्धा इतना जोशीला था की तकरीबन 15 मिनिट तक मां की चूत की धुनाई की तब जा के मां की चूत में झाड़ गया और मां की ऊपर ही पड़ा रहा । 



मनोहर हाफ रहा था और बर्बरा रहा था " आह रानी मजा आ गया क्या राचिली माल हो तुम । "



मां मनोहर को हटाने की कशिश करने लगी और मनोहर उठा भी । उसने दो पेग बनाया और गटागट पी गया । मां कपरे समेत के पहने की कशिश करने लगी । में भी समझ रहा था कि अब खेल खत्म पर ऐसा नही था ।
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#10
मनोहर ने मां की हाथो से कपड़े सीन लिए । तब मां गुस्से मे बोली "अब क्या चाहिए । अब तो जाने दो "




मनोहर ने एक थप्पड़ से मां को बिस्तर पर गिरा दिया और बोला " रांड तेरी तो रात भर चुदाई होगी । चूत बोहोत टाइट है इसे आज भोसड़ा बनाना है" 



मां रो रो कर हाथ जोर के भीख मांगने लगी " प्लीज जाने दो मुझे प्लीज" 


पर मनोहर मां की ऊपर चढ़ कर फिर मां को चूमने चाटने लगा । मां को उल्टा लिटा कर मां की चिकनी गोरी पीठ चाटने लगा और नीचे चड़कते हुए मां की उभरी हुई गोल गोल गांड पर मुंह धंस कर सायेद मां कि गांड की छेद चाट रहा था । जो मुझे दिखाई नही पड़ रहा था एंगल से । 




मां अब रोने के अलावा कर भी क्या सकती थी । मां की बेबसी पर बड़ा दुख हो रहा था मुझे पर मे क्या करू मेरे आंखों से भी अब आसूं सुख चुके थे । सहन सकती खत्म हो कर मैंने एक बार आलमारी से निकलने के लिए भी सोचा पर निकल नही पाऊंगा क्यू की बहार से लॉक था अगर जरा भी आवाज की तो साएद मुसीबत ही हो जाए और हो सकता है मां को शर्म आ जाय जो वो बर्दास्त ना कर पाए। 



मैने देखा मनोहर का अब खड़ा नहीं हो रहा है लुड़क चुका था उसका लंड और वो मां की टांगे फैला कर मां की चूत को चाट रहा था जीव पूरा बाहर निकाल कर चाट रहा था । 


मैने ध्यान दिया की वो करीब 15 मिनिट से मां की चूत चाट रहा है और अब उंगली कर के मां की चूत की दाने जीव से चाटने लगा । धीरे धीरे मां का रोना अब कम होने लगा और कुछ 15 मिनिट के बाद एक दम चुप चाप लेटी रही मूंह अपने हाथो से धक कर वो भी कितना रोटी आसू भी एक वक्त पर सुख ही जाते है। 



लेकिन तब भी मनोहर चूसे जा रहा था और तब जा के उसके लंड पर तनाव आना चुरू हुआ और वो मां की टांगे पकड़ के मां की चूत पर अपना लंड रगड़ के लंड खड़ा करने लगा और मां थक हार कर बेजान हो कर पड़ी रही । उसे समझ आ गई थी की मनोहर को रोक के कोई फायदा नही उल्टा मार ही खाना है।



और जब मनोहर का लंड खड़ा हुआ तो उसने धीरे से मां की चुत में लंड डाल कर धीरे धीरे चोदने लगा इस बार मां की दोनो टांगे पकड़ के घूतने मोड़ के बैठे बैठे चोदने लगा । वो इस बार अलग तरह से लुफ्त उठा रहा था आंखे बंद कर के आनंद ले रहा था । और इस बार ज्यादा देर टिका भी नही 5 मिनिट में झाड़ गया ।



और तभी लाखा आ गया । मां तो हैरान हो गई सो अलग में भी हैरान रह गया । की ये क्यू यहा। लेकिन और हैरान कर देने वाली बात थी की वो खाली बदन था सिर्फ पेंट पहना हुआ । उसके काले सख्त बदन पर बाल ही बाल मूचे तो थे ही बड़े बड़े । भले ही मसल नही था पर लंबा और सख्त बलिस्थ शरीर का साइड 30 के आस पास की उम्र का था ।



मां शर्म से अपने आपको ढकने की कशिश करने लगी । 



" ओह लाखा सही समय पर आया तू। ले संभाल रांड को मजे कर बोहोत गर्म माल हे । " ऐसा बोल कर मोनोहोर उठ गया 


में ये सुन के हैरान रह गया की ये कमीना अब मां को चोदने वाला है ये जंगली जानवर काला भद्दा इंसान जो पसीने से गंदा हो रखा है। 



मां बिलख बिलख के रो रो कर बोली " नही नही मुझे इस हैवान के साथ मत चोपो प्लीज" मां मनोहर के आगे हाथ जोड़ने लगी । 



मनोहर ने मां को थप्पड़ मार कर बोला " चुप रांड। " 



और लाखा ने भी मां को बिस्तर पर पटक कर मां की जिस्म को भूखे भेड़िए की तरह मसलते हुए चूसने लगा । और जोर जोर से मां की चूचियां दोनो हाथों से दबच के चूसने लगा । उसके चूसने की आवाज गूंज उठी थी जैसे गुब्बारे को  चूस रहा है और मां तड़प तड़प कर हाथ पेड़ मार रही थी रो रही थी । 


" प्लीज मत करो ऐसा हाथ जोड़ती हूं । क्या नाम है आपका जी सुनिए जी प्लीज इसे बचाइए मुझे प्लीज" मां मनोहर से मदद मांग रही थी ।



पर मनोहर कच्चे में ही सिगार पीते हुए बाहर निकल गया और लाखा मां की बदन चूम चाट कर बोल रहा था " साली ऐसी गोरी चिकनी माल जिंदगी में नही सखा । आज तो मजा आयेगा रात भर चोदूंगा रे रानी तुझे " 




चाहे मां कितना भी हाथ पाओ मारे लाखा के ताकत के आगे मां कुछ नही कर पा रही थी । मैने देखा मां की चूचियां बुरी तरह से निशान पड़ गए है दातों के उंगलियों के निशान । लाखा काफी उतावला हो रहा था उसने अपना खाकी पेंट उतर दिया। लाखा पूरी तैयारी के साथ आया था उसने अंदर कच्चा नही पहना था । पर उसका लहराता हुआ फंफनते हुए लंड को देख कर मेरी हवा निकल गई साएद मां भी दर गई होगी। 



किसी पोर्न मूवी की तरह काले निग्रो की तरह घोड़े जैसे काले लंड थे उसके । और उसने आओ देखा ना ताओ उसने मां की टांगे कंधे पर रखी और लंड पकड़ के मां की चूत पर निशाना साधा और एक झटके में अपना मोटा हद से ज्यादा लंबा लंड एक झटके में घुसा दिया ।




मां बिलबिला उठी सर ऊपर कर पटकने लगी पर जरा भी आवाज नही की । लाखा अपना लंड पूरा निकाल लेता अपने सुपाड़े तक और खटिए पर हाथ रख कर जोर से झटका मारता खींच कर एक पल रुकता फिर झटका मारता दात पिछते हुए । वो मां को ज्यादा से ज्यादा दर्द देने की कशिश कर रहा था ।

पर मां भी कम नही थी एक चींख तक नही निकाली पर मां जो दात पिच के आंखे भींच कर सर पटक रही थी और लाखा की छाती पर हाथ रख कर धकेलने की कशिश कर रही थी उससे पता चल रहा था की मां को बोहोत तकलीफ हो रही हे। 



लाखा हर झटके पे मां से पूछता


" सुना है तू बोहोत बड़ी रांड है" 


" कभी लिया है ऐसा हलवाई लौड़ा हेन्हह"


" ले साली ले । चूत तो बोहोत गर्म है तेरी " 


" अपने ही ससुर से मरवाती है रांड ।"


" ले ये ले साली ले मेरा लौड़ा "


मां तड़प रही थी और कट्टर धुवाधार चुदाई देख कर मेरा दिल फटा जा रहा था में उपलब्ध कर पा रहा था मां को कितना तकलीफ हो रहा है  




कुछ 10 मिनिट तक लाखा मां से गंदी गंदी बाते गाली दे कर मां की चूत में बेदर्दी से चोदा जो एक एक पल रुक कर सांस खींच कर झटके दिए । और फिर मां टांगे अपने कंधे से उतारे और अपना लंड भी निकाला और ढेर सारा थूक मां की चूत पर लगाया । अब मां हाफ रही थी और चैन की सांस ले रही थी । 
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#11
पर फिर लाखा ने मां की टांगे फैलाई और लंड घुसा के मां के ऊपर लेट गया मां की बगल से हाथ घुसा कर मां को बाहों में भर कर दोनो हाथ से नीचे से मां की सर को उठा के कमर हिलाने लगा लेकिन इस बार ना ज्यादा तेजी से और ना ही धीरे से एक मध्यम रफ्तार से मां को चोदने लगा । मां कमजोर पर चुकी थी अपनी हाथ सर के ऊपर रख दी थी बेजान । 





लाखा ना की होंठ चूसने की कशिश कर रहा था पर ना मुंह घुमा रही थी तो लाखा ने मां की गाल और कान की लॉ चाटने लगा चूमने लगा और बीच बीच में वो तेज़ तेज़ कमर हिला कर धक्के लगा धीमा पड़ जाता और बार बार पूछता मां से " मजा आ रहा है रांड"



कुछ ही देर में मैंने मां की चेहरे पर ध्यान दिया जो पाया की मां की चेहरे पर एक शांति थी अब । चेहरा लाल पड़ चुके थे आंखों की गहरी काजल गालों पर फैले हुए थे । मैने गौर किया कि मां की होंठ खुले हुए हे। 



में थोड़ा हैरान हो गया क्या मां को आनंद आ रहा है । सच में खुद से अजीब सा सवाल किया और बड़ा अजीब लग रहा था । मैने गौर से ध्यान दिया की मां हूं हूं हूं कर के बोहोत तेज सांस ले रही है । 



मां की चेहरे पे पसीने की बूंदे और लाखा तो पूरे पसीने से नहा रहे थे । उसके चेहरे की पसीने मां की चेहरे पर टपक रहा था जो मुझे बोहोत गंदा लग रहा रहा था । 



और मैने देखा लाखा रुक गया है और थोड़ा ऊपर उठ कर मां की चूचियां एक साथ जोर कर मां अंगूर जैसा काला निपल चूसने लगा । और जैसे ही लाखा ने मां की चूची पर मुंह दिया मां चिचुक उठी एक दम से " इच्छ्छ आह्ह्ह्ह उफ्फ" 



मां खुद लाखा की सर के बाल पकड़ कर अपनी चूची पर लाखा के सर का दाबा रही थी । और मुंह से जो कामुक आहे भर रही थी में हैरान रह गया ।



खुद ही सोचने लगा । अब तक जो रो रही थी भिंख मांग रही थी और आधे पोने घंटे में एकदम से पलट गए । लाखा जैसे हलवाई लोड़े से दो चार धक्के क्या खाए चुदाई की मूड में आ गई मां । क्या इतनी आग है मेरी मां की चूत में । मुझे हैरानी से ज्यादा थोड़ा थोड़ा कर के गुस्सा आने लगा था ।




लाखा लापालोप लोलोलीपोप की चूस रहा था । में और हैरान था की मां ने दो बार गोल गोल कमर हिलाया । क्या ये एक इशारा था  । 


और लाखा ने तो इशारा ही समझा वो जोश में आ गए " साली बोहोत आग है ना अभी बुझाता हूं रुक " 



और लाखा मां की सर पकड़ कर मां की होंठ जबरदस्ती चूसता हुआ तेज तेज धक्के मारने लगे । और मुझे बिस्वास ना होने की कोई वजह नहीं देखी क्यू की मां ने खुद अपनी टांगे मोड़ ली और हवा में उठा के अपनी टांगे दोनो हाथो से पकड़ के उम्मम्म उम्मम्म उम्मम्म उम्मम्म कर के आवाज करने लगी ।



लाखा तेज तेज धक्का मारता हुआ मां से पूछने लगा " मजा आ रहा है हांन्हहह "


मां ने एक बार आंखे खोल के लाखा की आंखों में देखा और बापच आंखे बंद कर के अपनी टांगे बिस्तर पर रख कर लाखा हिलती सख्त गांड पर दोनो हाथो से दबोचती हुई सिसकारियां मारने लगी " ओंहहह । आह्ह्ह। उन्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह। उह्ह्ह्ह । ओहो आह्ह्ह्ह।" 



मां की मुंह से जो काकुक सिसकारियां आ रही रही  में हैरान था की मां इस तरह से भी किसी गैर से चुदते हुए मजा लेगा । और लाखा ने तेज तेज झटके मार के एक दम से उठ कर मां की चूत के दाना रगड़ दिया तो मां ने पिचकारी मारी । 



मां थिरक थिरक कर झड़ गई और हाफने लगी । 




लाखा हंस के बोला " मजा आया " 


तो मां शर्म से उल्टी लेट गई पेट के बल और लाखा ने मां की कमर पकड़ के ऊपर उठाया और मां को घोड़ी बनाया और जैसे ही मां की चूत में उसने लंड अंदर डाला । मां मोधोसी से एक लंबी सिसकारी ली " आह्ह्हहहह" कर के और होंठ का कोना दातों में दबा ली।



पहली बार मेरी संस्कारी मासूम भोली भाली दिखने वाली मां को इतने कामुक अंदाज में देख रहा था अजीब अजीब सा मेहसूस हो रहा था । लाखा धक्के लगाने चालू किए तो मां आगे को झटका खाती और उसकी दोनो चूचियां पेंडुलम की तरह हिलने लगे । 


मां बोहोत उत्तेजित दिख रही थी और आह्ह्ह्ह ओहहह। उम्मम्म्म उह्ह्ह। याआह्ह । उह्ह्ह्ह । करती हुई मेरी ही तरफ नशीली आंखों से देख रही थी यानी आलमारी की तरफ । 
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#12
लाखा आगे झुक कर मां की नीचे से दोनो हाथो से चूचियां पकड़ के दबाते हुए चोदने लगता है और मां ओर मजे में जैसे आहे भरने लगी ।




और जब लाखा ने मां की बालों की चोटी पकड़ के जैसे थाप थाप कर के मां की गांड में अपना जांघें टकराते हुए तगड़े धक्के लगाने लगे तो मां हिनहिना उठी हिरण की तरह उसे बोहोत ज्यादा मजा आ रहा होगा तभी तो जोर जोर चीख रही थी सुनने वाले को लग रहा होगा बाहर की मां को दर्द हो रहा है पर में देख पा रहा था की मां की चेहरे पे कितनी मस्ती थी । और लाखा कूछी देर में झाड़ कर हाफने लगता है । मां भी धड़ाम से बिस्तर पर गिर कर आराम करने लगी ।



लाखा पेंट पहन कर मां की ठुंडी उठा कर पीले दात दिखा कर कहता है " रानी अगली बार तेरी गांड मारूंगा। चल अब कपड़े पहन तुझे उन दोनो के पास ले चलता हूं । और उन दोनो को बताना मेंरे लौड़े में कितना मजा आता है जैसे तूने मजा लिया कमर हिला हिला के रानी "



मां उसे घृणा की नजर से उसका हाथ झटक देती है और अपने फटे फूटे कपरे पहनने लगी । जब मां कपरे पहन कर तैयार हुई तो लाखा उसे अपने साथ ले गया।



और कुछ देर बाद मनोहर  आया और अलमारी के लोक खोल दिया । में बाहर निकला और गुस्से में बोला " ये सब क्या हरकत हे। आप मेरी मां के साथ इतना नीच काम कैसे कर सकते है। "




" वाह उसका ससुर तेरी मां के साथ नीच काम करे तो कुछ नही में करू तो तुझे गुस्सा आ रहा है । " और फिर हास के बोला " ओह उसका ससुर ही तो तेरा बाप हे। बोला था ना साथ से वरना तू सोच भी नही सकता क्या क्या हो सकता है । जरा सोच जब दुनिया को पता चलेगा कि तू अपने ही दादाजी का बेटा तो क्या होगा । वीडियो कैमरे में तेरी मां से सच उगलना मेरी छोटी उंगली जितनी है। कही का नही रहेगा। तेरे खानदान की दौलत शोहरत सब एक झटके में चला जायेगा । समझे बच्चे । तू बस अपनी आंखो से देख जो जो होता है अपने किस्मत पे छोड़ दे । मुंह बंद रख समझा "।



में समझ गया था उसकी आंखो मे जुनून था । और ये भी समझ गया था कि हम किस तरह जाल में फांस चुके थे । और में फिर भी बिनती की " आप चाहे तो मुझे दादाजी और पापा उनलोगो से जो बदला लेना हे ले लो लेकिन औरतों को छोड़ दो । और सारे जयदात ले लो आप ।"




मनोहर हंस पड़ा और मेरा बाजू पकड़ के बोला " अरे तीनों औरते रांड है। बस फर्क इतना है कि अपने चार दिवारी में अपनी रंडीपना छुपा के रखा है और में बस बाहर निकलूंगा । देखा नही कैसे लाखा के लौड़े पे पानी फेक रही थी कैसे मजे से चिल्ला रही थी । देखा नही क्या मजा नही आया क्या अपनी मां की चुदाई देख कर हाहाहा।"





मेरी नज़रे शर्म से झुक गई बोलने को था नही अब और में सर पकड़ कर चेयर पर बैठ गया । मनोहर बोला " यही बिस्तर पर सो जा । तुझे खुला छोड़ रहा हूं लेकिन ये मत समझना तुझपे नजर नही रहेगी ।"



मनोहर शराब की बॉटल खोल के बैठ गया और मोबाइल में कोई पुराना फिल्म देखने लगा । में क्या करता खाली सुन्यों को निहार रहा था । बैठे बैठे काफी रात हो गई थी लेकिन मुझे नींद कहा आने वाली थी ।





दूसरे सुबह और भी बुरा हुआ । नजाने किस पापो की फल हमे मिल रहा था । दूसरे दिन मां चाची और मामी तीनो के साथ बोहोत अत्याचार हुआ बोहोत ब्याभिचार हुआ । मनोहर ने मुझे तंबू से बहार ले गया था । और मुझे पता लगा किस तम्बू के अंदर तीनों औरतों रखा है। लेकिन मैने देखा उस तंबू के अंदर पांच छे आमदी घुसता और तीनों ।औरतों की दर्द भरी चीखे सुनाई देने लगा बाहर तक । ये सिलसिला तकरीबन तीन चार घंटे तक चला था और उस तीन चार घंटे में तम्बू के अंदर 15 आदमी का आना जाना हुआ । में मनोहर से पेड़ पकड़ के बिनती कर रहा था पर वो मेरी विनती पर मजाक उड़ाते हुए हास रहा था ।




दूसरा दिन भी निकल गया । मनोहर ने मुझे कहा " अब दो दिन तक तीनों औरतों को आराम दिया जायेगा । तू शिंता मत कर हम उनका पूरा खयाल रखेंगे ।"



" मुझे उनसे मिलना है। प्लीज मिलने दो " मैंने अनुरोध किया


" आज नही दो दिन बाद ।"


मोनोहोर ने मुझे तंबू के अंदर ले गया लेकिन इस बार मुझे कुर्सी पर बांध कर कही चले गए वो और रात तक बापच लोटे और में दिन भर भूखा रहा ।
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#13
दो दिन के बाद यानी तीसरे दिन । रात को मेहफील जमाया एक बड़ा तंबू लगाया गया और सजाया गया । उस तम्बू में लखा और मोनोहोर था । मुझे दो आदमी आ के उस तंबू के अंदर ले गया । 




" आओ बच्चे आओ । " मोनोहोर ने मुझे अपने पास गद्दे पर बैठाया वो तकिए पे एक लगा के बैठा हुआ था 



" मुझे येहा क्यू ले कर आए " मैंने पूछा ।



" चुप मदरचोद सरदार से सवाल करता है " लाखा ने मेरे सर पर मार कर बोला ।



मनोहर ने लाखा को इशारा किया और एक जोड़ी कपड़े दी और एक पॉलिथिन भी । " ले ये पहन चुप छाप"



मैने देखा की उन लोगो की तरह ही खाकी वर्दी थी टोपी थी और नकली दारी मूसे जो काफी भद्दा था । में वर्दी को देख कर सोचने लगा ये सब क्या अब और क्या करने वाले है। पर में जानता था ना तो नही कर सकता इसलिए पहन लिया और एक तरफ चुप चाप बैठ गया।



और थोड़ी ही देर बाद दो आदमी आए । सूट बूट पहना हुआ लेकिन पगड़ी देख कर ही पता चल गया था की दोनो आदमी सरदार थे । 



मनोहर ने आओ भोगोट स्वगोत करी उन दोनों आदमी की 
। और शराब की पार्टी शुरू हो गई । वो लोग बाते कर रहे थे कोड वार्ड में लेकिन फिर भी में समझ गया थोड़ा बोहोत की दोनो सरदार बिजनेस मैन है और उनका 80 करोड़ रुपए कही फंसा है जो मनोहर से मदद मांगने आए है। और मनोहर ने भी 20 % बदले में मांग लिया और दोनो बिजनेस मैन मान भी गए ।




थोड़ी देर में लाखा ने मां चाची और मामी को तंबू के अंदर ले आया । में देख के हैरान रह गया । तीनो मा
मादारजात नंगी पर गहने से अलंकित। मेकअप से लाल लिपस्टिक से पोत रखा था । मेरा दिल दहल गया अब इन तीनों से क्या करवाने वाले है ये लोग । 


चाची और मामी को पहली बार नंगा देख रहा था में । तीनों की हाइट एक समान थी पर मामी थोड़ा ज्यादा भाड़ी जिस्म की थी उसके बाद मां भारी थी और फिर चाची। तीनों देख के सबके आंखो में चमक आ गई । 


मनोहर के इशारे से गाना लगाया लाखा ने तीनों नंगी औरतों को नाचने को बोला । तीनों औरते शर्म से बेबस मुंह लटकाए खड़ी थी और लाखा ने साबूक से तीनों औरतों की गांड पर बरसा के लाल कर दिए तो तीनो औरते नाचने लगे बेबसी से । में देख पा रहा था तीनों औरतों की आंखों में आसूं। बेबस हो कर नाच रही है । जब भी वो तीनों ढीली पड़ जाती तो लाखा साबुक से बार करते और तीनो औरते कमर मटका के ठुमके लगाने लगती । उनकी दर्द देख कर मुझे बोहोत दुख हो रहा था जब भी थास कर के मार पड़ती उनकी गांड पर तो मेरा शरीर कांप उठता ये मेहसूस कर के की उनको कितना दर्द हो रहा है ।




धीरे धीरे मेहफील जमती गई। पर तीनों औरते ने मुझे नही पहचाना मैने टोपी नीचे कर के चेहरे पर अंधेरा कर लिया था और दारी मूचे थी । कूची देर में मनोहर तीनों औरते के साथ नाचने लगा और उन्हें देख कर दोनो सरदार भी नाचने लगा और तीनों औरतों के बदन सेहला कर लुफ्त उठाने लगे नशे में । तीनों औरते बेबस हो कर अपना शर्म बचाने की नाकाम कशिश कर रही थी ।
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#14
नाचते नाचते ही दोनो सरदार ने मनोहर से इशारा किया और मोनोहोर समझ गए और वो बोला " जिसको चाहे ले सकते है एक । दो बुकिंग हे"



एक सरदार बोला " चलेगा"


और उसने मेरी मामी का हाथ पकड़ के बोला " ये माल ज्यादा गर्म है " 




तो मोनोहोर और लाखा ने मां और चाची को तंबू से बाहर ले गया । और जाते जाते मनोहर मेरी तरफ इशारा कर के बोला " हमारा ये आदमी यही रहेगा कुछ नही करेगा बस पेहरा देगा " 



मेरे वाहा होने से दोनो सरदारों को कोई दिक्कत नही थी 
। तंबू के अंदर गाना अब भी बज रहा था । मामी उनके पेड़ो में गिर के रोटी हुई बोली " दया करो मुझेपे। में अच्छी घर की औरत हूं । इनलोगो ने हमे बंदी बना के रखा है । प्लीज हमारी मदद करो आपलोग भले आदमी लग रहे हो " 



पर उस जगह पर उस माहौल पर कोई भी हवसी होता । एक सरदार हास के बोला " तो हमे क्या । कभी कबर बाहर की मूली भी खानी चाहिए पति का मुली खा के बोर नहीं हुई  क्या तू " 
 



दोनो सरदार हवस की ऊंचाई में नशे में होश खो कर जोश में थे । दोनो सरदार ने कपड़े उतार के नंगे हो गए । में हैरान आचार्य था की किसी का इतना बड़ा लंड भी होता है। 


 

एक सरदार ने मामी की बाल कस के पकड़ा और घुटनों पे बैठ कर अपना बड़ा लंड मामि की मुंह में ठूंस के चुसवाने लगा और दूसरा नीचे बैठ कर मामी की बड़े बड़े चूसे दोनो हाथो से मसलते हुए मामी की गोरी पीठ कंधा चाटने लगा और बोला " सुखी पाजी माल बोहोत तगड़ा है। दो क्या दस ले सकती है पूरा हैवी माल है"


लंड चुसवाता हुआ सरदार बोला " इसलिए तो इसे सेलेक्ट किया बीरू पाजी। गांड देख रांड की मसल दाल ऐसा माल लाखो दे के भी नही मिलता। फ्री में मिला है आज तो लगता है बड़े घर की है। मजा आयेगा "




राजेश नाम का सरदार मामी के मुंह में जबरदस्ती लंड ठूस ठूस के चुसवा रहा था और मामी के मुंह से लार टपक रही थी आंखो में तकलीफ चेहरा लाल पड़ गया था । कुछ देर जबरदस्ती उसने लंड चुसवा के मामी को घोड़ी बनाया और पीछे से मामी की चूत पे लंड डाल के चोदने लगा और वीरू मामी के मुंह के नीचे बैठ कर मामी का सर पकड़ कर लंड चुसवाने लगा । मामी की आंखो से आसूं बेहटे जा रही थी । 



एक बार राजेश जोर से धक्का मार के मामी की गांड पर थप्पर मार के बोला " साली मक्खन हे एक दम । बोहोत गर्म है" 



मामी दर्द से कराह उठी और मुंह से लंड निकाल कर सांस लेने के लिए थोड़ा सर ऊपर उठाई तो वीरू ने मामी के गाल पर थप्पड़ मार कर बोला " साली चूस वरना फाड़ देंगे " 



मामी दर गई उसके धमकी से और बेबस हो कर उसका लंड चूसने लगी । में बैठा बैठा देख रहा था और मामी के लिए दुख अनुभव करने के अलावा कुछ नही सोच पा रहा था । 



कुछ देर बाद वीरू बोला " पाजी लोहरिया बना "



राजेश हट गया और मामी की बालों से खींचते हुए वीरू के लंड पर बैठने को कहा " चल बैठ "



मामी दर्द से मजबूर हो कर वीरू का मोटा लंड पकड़ के अपनी रसीली फूली हुई चूत पर टिका के बैठ गई लेकिन इस बार मामी के मुंह से हल्की आह निकली तो वीरू हस के बोला " क्या मजा आया तेरे पति का ऐसा है । "


मामी मुंह फेर लेती है । और राजेश मामी की बड़ी गांड पर थप्पड़ मकर के बोला " चल आगे झुक साली "



वीरू ने मामी को अपने ऊपर खींच लिया और वीरू पीछे से पोजिशन ले कर मामी की गांड के छेद पर थूक लगाने लगा । मामी खोफज्तादा हो कर चिल्लाने लगी " नही नही वाहा नही। प्लीज हाथ जोड़ती हूं वहा नही प्लीज "




पर राजेश मामी की गांड के छेद पर लंड टीका के धक्का मरा । मैं देख नही पा रहा था मामी के गांड पर कितना लंड घुसा ही पर मामी बकरी की तरह चिल्ला उठी " आह्घ्ह नही निकालो " 



वीरू जबरदस्ती मामी की होंठ चूसने लगा चेहरा पकड़ के और राजेश मामी की कमर पकड़ कर चोदने लगा और बोल रहा था " साली घर का ही पीयर माल हे टाईट है साली । मजा आ गया "



मामी को तकलीफ हो रही थी मुट्ठी कस रही थी । लेकिन मामी की भाड़ी बदन से दबने के कारण वीरू हिल भी नहीं पा रहा था तो वो मामी की जांघ पर मार के बोला " चल थोड़ा घुटने ऊपर कर "


मामी रोटी हुई कहती है " प्लीज निकालो ना । प्लीज " पर मामी घुटने मोड़ के थोड़ी वीरू को धक्के मारने के लिए सुविधा कर देती है ।


" चुप कर रांड " वीरू ऐसा बोल के नीचे से धक्के लगाने शुरू कर देता है ।



राजेश तो मामी की मुंह से दर्द भरी कराह सुन के अपनी मर्दानगी की अहेंगकार में जोर जोर से झटके मार रहा  । 




कुछ दस मिनिट बाद वीरू बोला " राजेश पाजी तू नीचे आ । " 




राजेश हाट जाता है और किसी कटपुतली की तरह मामी को उठा कर राजेश नीचे और वीरू ऊपर से चूत और गांड दोनों एक साथ चोदने लगता है । 


मैने देखा मामी कराहते कराहते राजेश की कंधे पर सर रख देती है और " आआह्ह । आन्ह्ह्ह । ओहहह । उई माहहह । आईयाहह्ह । ओह " करती रहती है दोनो सरदार के हर धक्के के साथ । 



" अब मजा आ रहा है रांड को । चोद साली को पाजी पेल दे । कहा था ना बोहोत गर्म माल है । रेखा कैसे अब मजे ले रही है " वीरू बोला 


राजेश मामी की बाल पकड़ कर सर ऊपर उठता है और मामी से पूछता ही " क्यू रे मजा आ रहा है रांड । अभी तक चीख रही थी । साली बोल दो दो ले के मजा आ रहा है "



मामी कोई जवाब नही देती और आंख बंद कर के सिसकरिया लेती रहती है । और ऐसे ही कुछ देर के बाद दोनो फिर पोजिशन चेंज करता है । 



मामी की सांसें फूल रही थी उसके चेहरे की कामुकता और कामुक आहे से साफ पता चल रहा था की मामी सरदारों की आगे पीछे से चुदाई करवा के मस्ती में झूल रही है । मुझे अब गुस्सा आने लगा था । मनोहर की कही बात दिमाग में घूमने लगा " तीनों रांड है बास फर्क इतना है कि चार दिवारी के अंदर रंदीपना दिखाती है । " पहले मां और अब मामी । 



में सोच सोच के पागल हो रहा था कि सच में इतनी आग है क्या । अपने पति क्या एक दूसरे की पति से भी चुदवाती ही हे । जब चाहे मजे तो करती ही होगी फिर भी । हां अगर कोई महीनों से नही किया है तो बेहैकने को मजबुर होना लाजमी है । 




अब तक दोनो सरदार आधे घंटे से लगे । राजेश बोला " रुको मैं थोड़ा आराम करता हूं " 



राजेश नीचे से निकल गया लेकिन वीरू अब पीछे से घुटनों पर खड़े हो के मामी की गांड से लंड निकाल कर चूत मे डाल कर चोदने लगा । 



और वीरू मामी की चूचियों के नीचे मुंह घुसा दिया और दोनों चूचियां दोनो हाथो से पकड़ा " साला क्या बड़े बड़े हे " और चूसने लगा । 



मामी मस्ती में तरप उठी " उफ्फ ऊऊऊऊ ।" 


" मजा आ रहा है रांड " राजेश ने पूछा 


मामी कोई जवाब नही देती तो राजेश जोर से झटका मार के पूछता हे " साली बोल " 

और ठीक उसी समय वीरू भी मामी की निपल जोर से काट लेता है और मामी बिलबिला के चिल्लाती है " आहहहहहह हाहन्हह आ रहा है " 



वीरू फिर आराम से मजे ले कर चूसते रेहता है और राजेश भी मस्त आनंद ले कर चूत मार रहा होता है और फिर पूछता है " चूत बोहोत गीली हो गई है पोट्टी । जोर से मारू क्या " 



मामी झट से राजेश की तरफ गार्डन घुमा के कहती है " नही " 


वीरू मुंह से निपल निकाल के पूछा मामी से " क्यू । इतनी भी टाईट नेही हे तेरी कुंवारी लड़की की तरह जोर से तुझे भी मजा आयेगा । कहो तो चूत में एकसाथ दो डाल दूं "


मामी सिसकारियां मारती रहती है पर जवाब नही देती । तो वीरू फिर बोला " बोल नही तो तेरी चूची की अंगूर दातों से काट के तोड़ दूंगा " 


मामी दर गई और बोली " नही धीरे धीरे करो फट जायेगा " 


मामी मासूमियत से नर्मी से बोली तो दोनो हसने लगे 
 । राजेश बोला " फटने के लिए ही तो बना है " और जोर जोर से तेज़ी से चोदने लगा 



मामी भी तेजी से आहे भरने लगी । और राजेश मामी की चूत में झड़ गया । राजेश कुछ पल रुक कर शांति ले कर बोला " आह मजा आ गया "



वीरू चेयर पर बैठ कर मामी को बुलाया " चल बैठ आजा "



मामी खड़ी हुई और पहली बार मेरी तरफ देखा और में सर झुका लिया दर सा लगा की कही पहचान ना ले ।
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#15
awesome writing .. bohot din baat badhiya story aai lag rahi is forum pe
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#16
मामी मटकती हुई गई और बिना ना नुकुर किए वीरू के लंड पर चूत में ले कर बैठ गई तो वीरू बोला " गांड में डाल "




मामी नखरा दिखा के बोली " नही वाहा दर्द होता है प्लीज"


" चुप बात मान नही मनवाने के तरीके हजार है " वीरू धमकी देता है 



मामी चिढ़ कर ऊपर हो कर वीरू का लंड पकड़ कर गांड की छेद में टीका के धीरे धीरे बैठती हुई " आहहह प्लीज धीरे धीरे " कहती है 



वीरू हंस के बोला " धीरे तेज तू ही करेगी में थोरी करूंगा " 



मामी शर्मा के मुंह नीचे कर के वीरू के गले मे बाहें डाल के थोड़ा थोड़ा कर ऊपर नीचे होने लगी और वीरू मामी की फैली हुई गांड दोनो हाथो से पकड़ कर साहारा देने लगा और मसलने भी लगा ।



मामी आहे भरते हुए कुछ बरबराती है और वीरू पूछता है " क्या बोला ठीक से बोल " 

मामी कुछ जवाब नही देती तो वीरू मामी की बालों पीछे से खींचते हुए बोला " बोल क्या बोल रही थी ",


मामी दर्द से कहती है " बोहोत अंदर तक गया है । इतना अंदर कभी नही गया " 


वीरू मुस्कुराता हुआ पूछता है " क्यू तेरी पति का नही जाता ।बोल कितना बड़ा है तेरे पति का "


मामी मजबूर हो कर बोलती है " आपसे छोटा है " 


वीरू हा हा हस्ते हुए मामी का बाल छोड़ कर मामी की गर्दन चूमने लगा मामी भी काफी उत्तेजित थी और वो भी वीरू के सर को पकड़ कर आहे भरती है और कमर गोल गोल घुमाती है । 



वीरू मामी को गोद में उठा के गद्दे पर लिटा के मामी की चूची पर उनका घुटना दबा के पेर अपने कंधे पर ले कर एक करारा झटका मारता है और लंड बाहर निकाल लेता है और सांस खींच कर फिर झटका मारता हे । मामी की चूत में उसका मोटा लंबा लंड पूरा चला जाता है । चूत बोहोत गीली होने की वजह से आवाज भी गूंजती है और मामी दात पिचती हुई चीखती हे । 



वीरू वैसे कुछ झटका मार के पूछा " मजा आया ।" 


मामी शर्म हया छोड़ के बोलती है " आहा बोहोत गेहरा जाता है । मीठा दर्द होता है "



वीरू हंस पड़ता है " मीठा दर्द होता है "।।।


मामी को अपनी कही हुई बात पर शर्म आती है लेकिन उसकी भी हल्की सी मुस्कान निकल जाती है । 



वीरू बोला " ऐसे ही चोदू या नॉर्मली चोदते जाऊ"


मामी थोड़ा देर से जवाब देती है धीरे से कहती है " कुछ देर ऐसे करो फिर वैसे "



वीरू के चेहरे पर एक हिंश्रो भाव आता हे और पूरे ताकत से   झटके मारता है खींच खींच के । मामी  हर झटके पर चिलाती है और एक झटके पर कहती है " आह्ह्ह फट गई मेरी छूट । आह्ह्ह " 



वीरू तब कंधे से मामी के पैर उतर के मामी को बाहों में भर के तेजी से चोदने लगा । और कूची लम्हों में उसने अपना वीर्य छोड़ देता है । मामी भी हाफती हुई आंख बंद कर के चैन लेती है । 



वीरू उतरते ही राजेश मामी के ऊपर चढ़ जाता है और मामी उसे गेले लगा के पेर फैला के आहे भरती है । राजेश मामी की चेहरे को चूम के बोला " चल मुझे गाली दे " 

मामी आहे भर के कहती है " आह्ह्ह।मुझे गाली नही आती उन्ह्ह्ह।"


तो राजेश कमर उछाल उछाल के बोला " बोल मुझे चोदो " 



मामी को शर्म आती हे और शर्माती हुई बोलती है " हांह चोदो " 


" ऐसे नही फील कर के बेशर्म हो कर कहो " राजेश बोल कर तेजी से चोदने लगता है 



और मामी की भी मस्ती बढ़ जाती है और इस बार कामुकता की स्वर में बोलती है " आन्ह्ह्ह चोदो मुझे चोदो " 


" हां ऐसे । मेरा लन्ड पसंद आया तुझे " राजेश ने पूछा 


" हा । उन्ह्ह्ह आपके जैसा बड़ा किसको पसंद नही आयेगा " मामी खुल कर जवाब देती है ।


" पहले तो नखरा कर रही थी । अच्छी घर की हूं वगेरा वगैरा अब क्या हुआ " राजेश मामी की आंखों में देख कर जोर से धक्का दे कर लंड दबा के रखता है ।



मामी आंखे बंद कर लेती है ।



" बोल शर्मा क्यू रहा है । अब क्या फायदा शर्मा के तुझे भी मजा आ रहा है तो अच्छे से मजा ले ना " राजेश बोला 



" रुको मत " मामी धीरे से जवाब देती है 


राजेश चोदना चालू कर देता है । और कहता है " पति ऐसा मजा देता है । " 



मामी जवाब ना के राजेश को जोर से अपने बाहों में भींच लेती है । राजेश भी महारथी थी उसने मामी को जज़्बात में बेहकाया । उसने मामी के चेहरे को प्यार से चूम चूम के प्यार झटाया और होंठ भी प्यार से चूसा और कान हल्के काट के प्यार से बोला " बोलो ना मेरी रानी पहले तो नखरा कर रही थी । तेरा पति तुझे ठीक से शांत नही कर पता है ना । " 



मामी भी जज़्बात में बेहेक गई और राजेश के कंधे पर मुंह छुपा के दिल की बाते बोल दी " उम्म्ह्ह्ह्ह । मेरी जैसी खेली खाई उम्र की औरतों को आप जैसे बड़े लंड की बोहोत जरूरत है । मेरी ख्वाब थी बड़े लंड की और आज आह्ह्ह । आप दोनो की । उह्ह्ह्ह बोहोत मजा आया । आह्ह्ह्ह चोदो रात भर मुझे उन्ह्ह्ह। अब कुछ नही बोलूंगी । आह्ह्ह आपका चूसूंगी भी । पीछे भी करते दूंगी । चाहो तो दोनों छेद ही फाड़ दो । उन्ह्ह्ह में पागल हो जाऊंगी कसमसे इतना मजा कभी नही आया । आह्ह्ह्ह ।" 



राजेश वीरू की तरफ देखता है और दोनो आंखों से इशारे बाजी करता है । वीरू अपना लंड ले कर मामी के पास आता है और मामी खुद वीरू का लंड चूस कर खड़ा कर दिया । 



और वीरू लेट गया उसने मामी को ऊपर बिठाया । मामी को लगा राजेश अब उसकी गांड मारेगा पर राजेश भी चूत में घुसाने लगा । मामी की आंखे बड़ी हो जाती है पर कुछ कहती नही ।


राजेश का लंड घुस नही रहा था उसने जबरदस्ती दबा के थोड़ा घुसा दिया मामी दर्द से सर झटकने लगी । राजेश धक्का दे के और अंदर लंड घुसा देता है और दोनो ने मामी को बीच में बाहों में भर कर चोदने लगता है चूत में दो लंड घुसा के ।



मामी की आंखों 7से आसूं निकल आती है चिल्लाती है पर मामी भी कम नही थी चिल्ला चिल्ला के बोली " आईआईए। ओह। सच में फट गई । उह्ह्ह्ह्ह। ठीक है चोदो चोदो । ओह फाड़ दो । मुझे भी मजा आ रहा है । उन्ग्घ । ओह दर्द हो रहा है । पर मजा भी हे । ठीक है चोदो । कोई बात नई । आह्ह्ह्ह चोदो । हा चोदो ।"




मामी की चूत भी गीली थी थोरी ही देर में उसे आनंद आने लगी । और वैसे ही कुछ देर बाद वीरू और राजेश उसकी चूत में झड़ कर दम लिया ।



मामी गद्दे पर बेहाल पड़ी रही थी और दोनों सरदार कपड़े पहन कर चले गए एक बार भी नही पूछा मामी से की वो ठीक है की नही । 



कुछ देर बाद लाखा आया और मामी को ले गया और फिर मनोहर मुझे अपने तंबू में ले जाता है । पूरी रात मेरे दिमाग में मामी की चुदाई घूम रही थी ।
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#17
दूसरे दिन मुझे तीनों औरतों से मिलने दिया गया । तीनों औरते एक तंबू में थे । और उनको कपड़े दिए गए थे तीनों सारी में थे लेकिन तीनों तम्बू की गर्मी में तप रहे थे । एक छोटा सा तंबू जिसमे एक लोग के लिए मुश्किल और ऊपर से महल जैसे एसी के कमरे में रहने वाली औरते आज इस हालत में हे की किसी तरह बस सांस ले रही है ।




जैसे तीनों औरते ने मुझे देखा और मुझे गले से लगा लिया " ओह लल्ला तू ठीक तो है ना । कहा रखा था तुझे और तुन्हारे पापा चचा मामा वो सब कहा है । तुझे मारा तो नही ना " 




मैने तीनो शांत करवाया और विश्वास दिलाया कि में सही सलामत हूं । मैने तीनों की आंखों में देखा और मुझे मेहसूस हुआ तीनों कितनी तकलीफ में है । चाची और मामी मुझे अपने बेटे से ही मानती थी । मुझे देख कर तीनों थोड़ा सकूंह राहत मिली । 



मैने तीनों की हाथ पकड़ के बोला " पापा उन लोगो को कहा रखा है मुझे नहीं पाता। बस बताया कि वो लोग भी ठीक है " 




" लल्ला ये लोग हमसे क्या चाहते है। क्यू हमे ऐसे बंदी बना के रखा है क्या तेरे दादाजी से पैसा चाहिए इनलोगो को " मां बोली ।



मेरा मुंह लटक गया क्या जवाब देता । और चाची मेरा मुंह पकड़ के ऊपर उठा के पूछा " लल्ला क्या हुआ क्या बात है बोलो हमे।" 



वो लोग भाप लिए कुछ बुरा ही चाहते हे हमसे । 


ना बता के भी क्या फायदा और बता के भी क्या फायदा तो मैने बताने लगा " वो जो बुद्धा हे मनोहर एक समय में दादाजी का बोहोत जिगड़ी दोस्त हुआ करता था । पता नही पर मनोहर ने बताया कि दादाजी और वो बिजनेस पार्टनर थे लेकिन दादाजी ने उन्हें धोखे से उससे हिस्से की प्रॉपर्टी अथॉरिटी सब कुछ छीन लिया और इसमें पापा और चाचा का हाथ भी है उसने ऐसा बोला । इसलिए वो हमसे बदला लेना चाहते है " 



चाची हैरानी से मुझे देखने लगे जबकि मां और मामी सर झुकाए बैठी थी जैसे वो लोग पहले से ही जानते हो । मैने मां से पूछा " मां बताओ क्या ये सच है । मनोहर ने कोई सारे सबूत दिखाए है मुझे " हाला की के बनी बनाई जूठ बोल रहा था मुझे भी यही लगता था और लगा की मां जानती है।




और मेरा अंदाजा सही था पर कुछ और ही जानने को मिला । मामी और मां एक दूसरे को देखने लगी और आखों इशारों में कुछ बात हुई उन दोनो की ।



मामी एक गहरी सांस ले कर बोली " लल्ला तुझे अब सच जानना चाहिए। अब वक्त आ गया है । हां ये सच है पर सायेद मनोहर को भी पूरी सच्चाई नहीं पता है। में बताती हूं । बात उन दिनों की है बोहोत साल पहले तब तो तुम्हारी मां की भी शादी नही हुई थी तुम्हारे पापा से । मेरी नई नई शादी हुई थी तब तेरे मामा से । तुम्हारे नाना भले ही तुम्हारे दादाजी के दोस्त हुआ करते थे पर तुम्हारे दादाजी के अंदर काम किया करते थे और तुम्हारे दादाजी और मनोहर तब पार्टनर्स थे । कहानी बोहोत है पर शॉर्ट में बता देती हूं तुझे । लालच में तुम्हारे दादाजी ने मनोहर को धोखा देने का प्लान बनाया और इस प्लान में तुम्हारे पापा चाचा और तुम्हारे मामा और तो और तुम्हारे नाना भी शामिल हो गए । बदले में तुम्हारे दादाजी ने तुम्हारे नाना और मामा को एक मील उनके नाम कर दिया था और मनोहर को धोखा दे कर बेसहारा छोड़ दिया था । बोहोत गलत किया था उनके साथ ।" 



मामी बोलते बोलते चुप हो गई । चाची को अब गुस्सा आने लगा " अब उनकी पापों का फल हम भुगत रहे है । " 



कुछ पल शांति साह गया किसी के मुंह से कुछ शब्द नही निकला । और चाची ने कुछ याद कर के बोला " लल्ला तुमने बताया नही की वो लोग क्या बदला चाहते हे ।" 



" वो । वो मनोहर अपनी हिस्से का आधी जयदात चाहता है और । और वो " में उसके आगे बोल नही पाया ।



" लल्ला और क्या । और क्या चाहता हे " मां ने पूछा


में बोला " वो जब तक यहां रखेंगे तब तक आप तीनों के साथ गलत काम करेगा " 



तीनों औरते समझ गए । तीनों की होंठ चील गए नजरे शर्म से झुक गई । 


मे आगे कुछ बोलने से शर्मा रहा था और वो तीनो भी । और फिर कुछ देर शांति चाह गया और फिर चाची बोली " फिर हमे छोड़ देंगे "

 

में सर हिला के बताया " मुझे ऐसा ही बोला " 



मां मुझे गले लगा लिए और आसूं बहा के बोली " माफ करना बेटा तेरी रक्षा नही कर पाई में ।" 


में बोला " नही मां । रक्षा तो मुझे करनी चाहिए आप तीनों की"



चाची मेरा माथा सहला के बोला " हमारा लल्ला अब बड़ा हो गया है " 



" लल्ला और भी कुछ बताया है क्या " मामी ने पूछा लेकिन उसकी बातो की जिज्ञासा में समझ गया 



और में भी बोल दिया " हां । आप लोगों की वीडियो । वो जब हमारे होटल में आप लोग जाते हो । और वो । आप लोग जो अदला बदली करते हो । उसका वीडियो बनाया है मनोहर ने । और और बोला हे की मेरा । मेरे असली असली बायोलॉजिकल फादर मेरे दादाजी हे ।" 



तीनो की आंखे ऐसे बड़े हो गई की पलके झपकाना ही भूल गई । मां की आंखों में आसूं थे एक दर एक खोफ थी । और मां कुछ आगे बोले तो में ही बोला " मां में आपसे कभी इस बात से गुस्सा नही होऊंगा । आप शिंता मत करो । में अच्छे से जानता हू  की आप तीनों औरते कितनी मजबूर और लाचार है । जो भी आपके साथ हुए हे दादाजी चाचा पापा या मामा जिसने भी हो । मुझे विश्वास है आपकी नादानी और औरत होने का फायदा उठाया है । एक तरह से आप तीनों शोकेस ही हो उन लोगो के लिए । महंगे से महंगे सारी खर्चा पानी देते तो है लेकिन इतज्जत नही। उठ बोलो तो उठो बैठ बोलो तो बैठो। आप लोग ये मत सोचिए की मुझे किसी बात से बुरा लगेगा या गुस्सा होगा और ना ही आप तीनों से में नफरत करूंगा । आप तीनों से में हमेशा में प्यार और इतज्जत करूंगा । मुझे दिल से बिस्वास है की आप तीनों कभी गलत नही थे और ना होंगे " 



मेरी बाते सुन के तीनो मुझे गले लगा लेती है। और में कुछ घंटे उन तीनों के साथ रहा और फिर मुझे अलग किया गया । 
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#18
पूरे 15 दिन हो गए थे । और इन 15 दिनों में मनोहर ने कुछ दस्ताबेस में मेरा साइन लिया । और मैने देखा कि उसमे मेरे दादाजी पापा चाचा और मामा का भी साइन है। में समझ गया कि मनोहर ने किसी न किसी तरह अपनी मकसद पूरा कर लिया । तो मैंने उससे बिनती की अब हमे जाने दो तो उसने बोला की रांडियो को अभी प्रोफेशनल बनाने में वक्त है। कुछ दिन लगेंगे और । 





में सच रहा था की अब और कितने दिन । पता नही ये लोग हमे छोड़ भी देंगे या नही। और हर दिन कुछ ना कुछ होता ही जा रहा था । तीनो औरते के साथ कोई भी अपनी मन मर्जी करता था । कोई प्यार से तो कोई अपनी जानवर जैसे पेश आता था । 


एक दिन मुझे पापा चाचा और मामा से मिला जो बड़ी मिन्नतों के बाद मुझे मनोहर ने मिलने दिया। में उसने  मिला मैंने पाया कि वो लोग अब भी उसी कपड़े में बंदी है हालत ठीक नहीं थे उनलोगो की मुझे बोहोत दुख हुआ । 



कुछ देर बाते कर पाया में उन लोगो से । और वो लोग अपनी अपनी पत्नी से मिलने को बेताब थे तो मैंने फिर मनोहर से रिक्वेस्ट की तो फिर मनोहर मान गया । 


तीनो पतियों को अपनी पत्नियों से मिलने दिया गया में तम्बू के बाहर खड़ा था । अंदर एक दूसरे से मिलने की खुशी का थोड़ा बोहोत माहोल चला । लेकिन अगले ही पल कुछ ऐसा हुआ की मुझे बोहोत गुस्सा आने लगा । 




अंदर मिलने की बेताबी दूर हो रही थी पर तीनों औरतों ने सिर्फ इतना कहा की " आप लोगो को ऐसा नही करना चाहिए । देखो आप लोगो की किए पर हम लोग भी बेवजह तकलीफ झेल रहे है हमारे लल्ला भी खमखा झेल रहे है। आप लोग उससे माफी मांग लीजिए क्या पता वो आप लोगो को माफ कर दे और हमें खुशी खुशी ही जाने दे"



लेकिन तीनों मर्द अपनी गलती मानने की वजाय उल्टा अपनी पत्नियों पर ही भड़क गए । तो कहा सुनी में पत्नियों ने भी कह डाली कुछ करवी बाते । लेकिन तीनों पता नही किस मर्दानगी पर इतना अहंकार करते थे की अपनी ही पत्नियों पर ही हाथ उठा दिया । 




मुझे बोहोत गुस्सा आ रहा था । और खुन्नस में आ के मेरे दिल ने कुछ फैसला किया और में मनोहर से जब तम्बू में मिला तो उनसे कुछ बाते की ।




मनोहर कुछ काम में व्यस्त थे । 


"  मुझे आपसे कुछ मदद चाहिए । " मैने बोला 



मनोहर हस्ते हुए अपनी पिस्टल टेबल पर रखा और बोला " क्या मदद चाहिए" 


मैने थोड़ा सोचा कि बोलूं की ना बोलूं फिर सोचा कि बोल के देखता हूं एक बार " आप मेरे पापा मामा चाचा या दादाजी और दादाजी के साथ जो करना है करिए पर मेरे मामी चाची  मां और मुझे जाने दीजिए । में उन तीनो को ले कर अकेला कही चला जाऊंगा । मुझे भी दादाजी या पापा के साथ नही रहना हे" 


मनोहर हंसा " क्यू। क्या हो गया बच्चे । इतनी नफरत क्यू" 


में बोला " क्यू की वो लोग आपसे भी बड़ा हरामी है। इसलिए और बदले में आप सारे जयदात ले लो बस मुझे कुछ पैसे दे दो ताकि में कही जा कर झोपड़ी ही सही सर ढकने के लिए कही रह पाऊं और अपनी मामी चाची और मां को कुछ कामा पाल चाकू कोई छोटा मोटा काम या ब्यापार कर लूंगा "



मनोहर कुछ सोचा और बोला " ठीक है इसमें में तेरी मदद करूंगा क्यू की इसमें मेरा ही फायदा है। तेरे दादाजी को तुझपे बड़ा नाज है घमंड है क्यू तू आगे उसकी वंश आगे बढ़ाएगा नाम बना के रखेगा और ये सब जब वो अपनी आखों से सीसे की तरह टूटता देखेगा तो जीते जी मर जायेगा । यही तो में चाहता हूं । ठीक हे में तुझे वादा करता हूं । लेकिन और 15 से 20 दिन बाद । और हा आज रात तेरी चाची तेरे चाचा के आंखो के सामने चुदने वाली है " 



ये कह कर मनोहर तंबू से बाहर चला गया । में बैठा रह गया ।




 
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#19
रात करीब 10 बज रहे थे । मनोहर बोला जा तीसरे तंबू की छेद से देख अपनी हसीन चाची की सुहागरात । 



" आप मुझे ये सब क्यू दिखाते है" मैने सवाल किया 


पर मनोहर हंसा और मुझे इशारे से जाने को बोला । में बाहर निकला और पहली बार मेरे दिमाग में खयाल आया की क्या में यहां से तीनो औरतों को ले कर भाग सकता हूं । पर सारों और देखा हर तंबू में दो पहरेदार बंदूक लिए और पूरे एरिया को घेरा बना के 20 - 25 आदमी बंदूक लिए । किसी किले से कम नही था ।



में तीसरे तंबू की पीछे की खिड़की से देखने लगा । तंबू के अंदर लाइट जली हुई थी । नीचे गद्दा बिछा हुआ था और फूलों से साझा हुआ एक अच्छी महक आ रही थी । 



अंदर चाची थी जो लाल सारी ब्लाउज में थी । और एक आदमी था दरासल वो एक गोरा चिट्ठा लंबा चौड़ा काफी हैंडसम लड़का था । मुझे वो इन्ही में से कोई गुंडे नही लगे पता नही कोन था । 



वो चाची के बिल्कुल करीब बैठा था और चाची के बदन को सेहला रहा था । तो चाची खिचक रही थी और बोल रही थी " प्लीज मुझे आराम चाहिए मेरा शरीर बोहोत दर्द कर रहा है । प्लीज काल । प्लीज" 



मेरी ही उम्र का लड़का दिख रहा था और वो मुस्कुराता हुआ चाची के करीब आ रहा था और चाची की गुलाबी गालों में उंगलियां फिरा रहा था । लेकिन वो प्यार से चाची को माना रहा था " फिक्र मत करो में तुम्हे जरा भी दर्द नही दूंगा । बिलकुल आराम से करूंगा तुम्हे भी मजा आयेगा " 


तो चाची रूवानी सी हो कर बोली " तुम दिखने में भले और अच्छे लग रहे हो कोन हो तुम । तुम इनमे से तो नही हो । प्लीज समझो ना मेरी बात को । मेरी ना अंदर बोहोत दर्द है । प्लीज काल । काल में माना नही करूंगी । अब तो बस यही काम रह गया है सबको खुश करना । प्लीज काल तुम्हे खुश कर दूंगी प्लीज आज नही।" 



लड़का बोला " में मनोहर दादाजी का पोता हूं । सगा वाला नही हूं मेरे दादाजी मनोहर दादाजी के छोटे भाई है। यार तुम भी मुझे समझो ना मुझे तुम्हे देखते ही तुमपे दिल आ गया है। में कह रहा हूं ना में तुम्हे जरा भी दर्द नही दूंगा। ये देखो मेरे पास लुब है उससे तुम्हे जरा भी दर्द नही होगा ।" 


उसने जेब से एक लुब्रिकेंट निकाल के दिखाया। और तभी लाखा तंबू के अंदर आ गया लेकिन उसके साथ चाचा भी थे जो बंधे हुए और उनका मुंह भी बंधा हुआ था । और लाखा ने चाचा को वोही पे एक कुर्सी पर बांध दिया । और बोला " देख वे भवड़े। बड़ा सोक है ना घर के बीवीया अदला बदली करने का। अब देख अपनी आंखों से अपनी बीवी की गैर मर्दों से चुदाई करवाते हुए । बड़ी मस्त है तेरी बीवी आज दोपहर को ही पेला था अब भी मेरा पानी तेरी बीवी की चूत की गहराई में होगी । " 



लाखा बाहर चला गया । चाचा के आंखों में बेबसी और गुस्सा था चटपटा रहा था । और चाची अपने ही पति को सामने देख कर शर्म से कमजोर पड़ गई । और इसका फायदा इस लड़के ने उठाया उसने चाची के ऊपर चढ़ के चाची को चूमने लगा । चाची कमजोर हो कर हार मान ली शर्म से आंखे बंद कर ली। 


और वो लड़का चाची की रसीली गुलाबी होंठ जो लाल लिपस्टिक से मिचिरि की तरह लग रही थी चूस चूस के रस निचोड़ने लगा । बड़े ही प्यार से चाची की होंठ चूस रहा था वो और चाची की जुल्फों से खेल रहा था । 


और फिर चाची को बिठाया को चाची शर्म से आंखे खोल नही पा रही थी । लड़के ने चाची की गहने उतारने लगे । 


एक एक कर के गहने उतारने के बाद चाची को पेट के बल उल्टा लेटा दिया । गर्मी के कारण चाची की ब्लाउज बगल से नेही पीठ पर कुछ हिस्सा गीले हो चुके थे पसीने से । पीठ पर पसीने की बूंदे थी जो चाची की बदन और मादक लग रही थी । लड़का चाची की बदन से महक सूघने लगा और चाचा की तरफ देखते हुए बोला " रानी तेरी महक कामाल की है। सेक्सी एकदम । "


चाचा गुस्से से चटपटा रहे थे । 


लड़का झुक कर चाची के पीठ चाटने लगा और दात भी हल्के हल्के से गढ़ाने लगा । और चूम चूम के चाची की मादक हल्के सर्वी से आकर्षक कमर की पसीने की बूंदे भी चाट गया । और चाची की सारी उतार कर पेटीकोट भी उतार दिया । चाची अंदर पेंटी नहीं पहनी थी । उसकी झांघे और टांगे इतनी चिकनी थी की चमक रही थी और उभरी चूत भी चिकनी थी एक बाल नही थी । 


लड़के ने चाचा की तरफ देखते हुए चाची की टांगे कंधे पर ले कर चाची की चूत चाटने लगा । चाची आंखे बंद किए पड़ी रही । लड़का बोहोत देर तक चाची की चूत चाट कर चूत के बीच से जीव फिराते हुए चाची की मखमली पेट पर आ कर चाची की पेट चाटने लगा और दोनो हाथ ऊपर कर के चाची की मुलायम चूचियां मसलने लगा । 
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#20
और कुछ देर बाद लड़के ने अपना टी -शर्ट उतार और फिर पेंट उतार कर पूरा ही नंगा हो गया । लड़का हैंडसम के साथ सिक्स पैक वाला स्लिम फीट था । चाची भी एक नजर उठा कर उसे देखा । 



लड़के ने अपने गोरे सख्त लंड पर ढेर सारा लूब लगाया और चाची की चूत में भी । चाची एक नजर चाचा की तरफ देख कर नजरे झट से गिरा के लड़के की तरफ देखने लगा । 




लड़का अपना लंड पकड़ कर चाची की टांगे फैला के चूत पर लंड टीका के हल्के से सुपाड़ा अंदर किया तो चाची कराह उठी और कसमसाती हुई घूम कर करवात में अपनी टांगे चिपका के कराहती हुई बोली " ऑफ़ बोहोत दर्द हो रहा है बोहोत" 



" बस थोड़ा सा बर्दास्त कर ले थोड़ी देर में दर्द खत्म ही हो जायेगा । थोड़ा सा । " लड़के ने फिर चाची की चूत में लंड घुसा के चाची के ऊपर चढ़ गया चाची भी लड़के को बाहों में जकड़ के कराहने लगी " उफ्फ उफ्फ बोहोत जलन हो रही है । उफ्फ आअह्ह्ह। " 



लड़का बिना हिले डुले चाची की होंठो को पीने लगा इस बार चाची भी लड़के के सर पकड़ कर चूमने लगी । कुछ देर दोनो गीले होंठो की रस पी कर एक दूसरे को देखने लगते हे  । 


लड़का चाची की आंखों में देख कर बोला " अभी भी दर्द हो रहा है "


तो चाची लड़के की आंखों में देखती हुई हां में सर हिलाती है तो लड़का पूछा " क्यू इतना दर्द हो रहा है मैने तो प्यारा से डाला इतना चिकना किया फिर भी " 



चाची कुछ पल तक लड़की की आंखों में देखनी रही फिर अचानक लड़के की होंठ चूम कर लड़के के पीठ पर हाथ सहलाते हुए चाचा की तरफ देख कर बोली " दोपहर को 5 लोगो ने किया था एक साथ । आगे से ना दो दो दिया था उफ्फ में दर्द से मरी गई थी । किसी का पतला था किसी का लंबा किसी का मोटा मोटा काला काला । जब से यहां आई हूं तब से हर कोई फ्री का माल समझ के चोद के जाता है । "



चाची से जान बुझ कर चाचा को जलाया गुस्सा दिलाया और चाचा की आंखों में गुस्सा साफ दिख रहा था वो कितना अपमान  हो रहा था । मुझे भी अच्छा ही लगा यही सलूक करना चाहिए चाचा जैसे लोगो के साथ । 



लड़का अब धीरे धीरे चाची को चोदना चालू किया । वो चाची को होंठ चूसते गर्दन चूमता । चाची भी साथ दे रही थी  लेकिन उन्हें तकलीफ हो रही थी । 




लड़का चोदते हुए पूछता है " मजा आ रहा है" 



चाची कराहती हुई जवाब देती है " उफ्फफफ । आह। हा। लेकिन जलन फिर भी है ओह" 



लड़का फिर बोला " थोड़ा दर्द और मजा इसी में तो मजा है। मैने सुना है तेरी जैसी 40 - 45 की औरतों को थोड़ा दर्द और जोरदार ही अच्छा लगता है "




" अच्छा ऐसा है क्या उह्ह्ह् " और चाची चाचा की तरफ देखती है और अपनी होंठ दातों में दबा के बोली " कोई भी मर्द औरतों को थप्पड़ मार कर मर्दानगी दिखा सकता है लेकिन असली मर्द तो वो होता हे उह्ह्ह जो अपने लंड से औरत की चूत दर्द से बेहाल कर दे । जो हर कोई ऐसा कर नही पता और बड़ा मर्द दिखाता है हुन्ह्ह्ह " 



लड़का चाची की पसीने से गीली बगल से हाथ घुसा के चाची को भींच लेता है और जोर से एक बार झटका मार के पूछता है " पानी निकाल दूं आंटी "


" आह्ह्ह्ह। उह्ह्ह्ह लगता है आज चिल दोगे मेरी छूट । उफ्फ निकाल पाओगे बेटा आंटी की पानी " चाची कराह उठी 



" ललकार रही हो आंटी । अभी दिखाता हूं " लड़के जोश में आया और चाचा की तरफ देख के बोला " देख साले देख और सिख मेरे से " बोल कर लड़का तेजी से एक्सप्रेस ट्रेन की तरह चाची की चुदाई करने लगा । 




तंबू में तेज तेज थाप थाप की आवाज गूंज उठी और साथ ही चाची की चिंखे जो कह रही थी चाची " उह्ह्ह। उह्ह्ह्ह । आह्ह्हह्ह । नेही। उह्ह्ह्ह । दुख रहा है । आअह्ह्ह । आह्ह्ह्ह। आन्न्ह्ह। उफफूफू। उह्ह्ह्ह । नही। " 


चाची लड़के के कमर में टांगे बांध लेती है और सर पटक पटक के चिल्लाती है लेकिन लड़के ने कर दिखाया दो मिनिट में ही चाची कांपने लगी और लड़के होंठ पे होंठ चिपका के उम्मम्म उम्मम्म करती हुई झाड़ गई ।



लड़का रुक गया " हेन्ह्ह निकला पानी मजा आया " 



चाची संतुष्ट हो कर लड़के के चेहरे को चूम चूम के प्यार से कहती है " हां निकाल दी मेरी पानी उफ्फ। मान गई तुम्हे। क्या नाम है तुम्हारा " 


चाचा अपनी पत्नी को किसी और से खुशी खुशी चुदवाते हुए पानी निकलते हुए देख कर बोहोत गुस्से में और शर्मिंदा हो रहा होगा । लेकिन कर भी तो कुछ नही कर सकता था 


" कुमार। कुमार नाम है मेरा " लड़का मुस्कुराता हुआ गर्व से बोला 



" ओह कुमार। तुम बोहोत हैंडसम हो । एक दम कमसिन लड़के हो पहली बार तुम्हारे जैसा कोई खूबसूरत जवान मिला है उह्ह्ह्ह । अच्छा लगा मुझे तुम सच में असली मर्द हो उफ्फ। " चाची भी लड़के से आकर्षित हो गई थी और लड़के को चूमने लगी । 



" थोड़ा चूसो ना " लड़का बोला 



" लाओ चूस देती हूं " चाची सीधा मान जाती है ।




कुमार उठ कर खड़ा हो गया और चाची घुटनो पर खड़े हो कर लड़के का लंड पकड़ लेती है और टटोलते हुए बोली " उम्मम्म काफी बड़ा है मेरे पति से " और चाचा की तरफ देख के जलाया " बोहोत सुंदर है गोरा लाल लाल । उफ्फ नशे कितने फूली हुई है"


और मुंह में ले कर चूसने लगी । चूसते हुए चाचा की तरफ देखने लगी । चाचा की आंखे गुस्से में लाल हो गई थी । 

चाची चिढ़ाती हुई मुंह से लंड निकाल के बोली " बोहोत टेस्टी है मन कर रहा है खा जाऊं" 




कुमार चाचा को गंदे गंदे इशारे से चिढ़ाने लगा । कुछ मिनिट  कुमार चाची से लंड चुसवा के चाची को उठाया और चाचा को गोदी में बिठा के टांगे फैला दिया चाची की । चाचा गुस्से में छटपटाने लगे । चाची भी हदें पार कर दी और एक हाथ चाचा के गाल सहला के, कामुक अंदाज में बोली " क्या हुआ जानू । तुम्हे बुरा लग रहा है की कोई तुम्हारी बीवी तुम्हारी गोदी में चोदेगा इसलिए । तो क्या हुआ चोदने दो ना क्या जाएगा तुम्हारा " 



कुमार चाची चूत पर लंड टिका के चाची की दोनो जांघो पकड़ के लंड पूरा धीरे धीरे कर के अंदर कर दिया । चाची गर्दन उठा के " इच्छच्छ । उफ्फ कितना अंदर गया ही । ओह कुमार तुम चोदो । मेरे पति को दिखाओ की पत्नी की चूत मे कैसे गहराई तक उतर के चोदा जाता है । " 



कुमार चाचा के गाल पर हल्के थप्पड़ मार कर बोला " देख कैसे सेक्स के लिए तड़प रही है । ठीक से खुश नहीं करता हे ना इसलिए रांड बन गई है । " 


चाचा चाची की आंखों में देखता है तो चाची कामुक अंदाज में होंठो पर जीव फिरा के बोली " ओह जानू बोहोत बड़ा है इसका । बोहोत मजा आ रहा है उफफफ्फ । देखो ना कैसे पकड़ के तुम्हारी गोदी में तुम्हारी बीवी को चोद रहा है आह्ह्ह"




कुमार चोदता गया और चाची आहे भरति गई । चाची को भी मजा आ रहा था और वो अब बेशर्मी से खुलेपन से आनंद ले रही थी । 



कुछ देर बाद कुमार चाची को कुतिया बना के चोदा और झाड़ गया । चाची काफी थक गई थी । 

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