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Thriller जंग, मोहब्बत और धोखा
#1
जंग, मोहब्ब्त और धोखा




धरती पर स्थित इस नर्क में आये हुए एक साल बीत चुका था। शहर के बाहरी इलाकों मे दिन का तापमान साठ डिग्री से उपर पहुँचना एक रोजमर्रा की बात सी हो गयी थी। आज तक मैने यही सुना था की नर्क में पापी आत्माओं को गर्म कड़ाहे मे रख कर भूना जाता था। मै अपने जीवनकाल मे ही इस यातना को भोग रहा था। वैसे तो मुझे मेरे आफिस मे सारी सुख सुविधा उपलब्ध थी लेकिन मेरे काम के कारण मेरा ज्यादा समय बाहर ही निकलता था। आज भी अपनी सुरक्षा चौकियों के निरीक्षण करने के कारण मै अपने आफिस से बाहर निकला हुआ था। मेरी बख्तरबंद जीप एक तवे की भांति धधक रही थी। मेरी युनीफार्म भी अब तक पसीने से बुरी तरह भीग चुकी थी। दूर-दूर तक सिर्फ रेत के टीले ही दिखाई दे रहे थे। …जनाब, अगला पड़ाव आने वाला है। मेरी जीप के उपर लगी हुई मशीनगन पर तैनात मे लाँस नायक सुच्चा सिंह की आवाज मेरे कानों मे पड़ी तो मेरा ध्यान इस नर्क से हट कर अपनी जिम्मेदारी की ओर चला गया। मैने अपने सिर पर लगी हुई नीली कैप को ठीक किया और फिर अपना ध्यान आने वाली चौकी के उपर लगा लिया।

…जनाब, इन लोगों ने जीना दूभर कर रखा है। न तो यह चैन से रहते है और न ही हमें चैन से रहने देते है। मेरे साथ बैठे हुए चालक ने जीप को सड़क से उतार कर रेत पर डालने से पहले फोर-व्हील को लगाते हुए धीरे से कहा। वह शायद अपने-आप से बात कर रहा था लेकिन इस जीप मे बैठे हुए हरेक इंसान की मन की बात बोल रहा था। …हवलदार, हम यहाँ पर है तो इसीलिए शांति है। हम न हो तो यह लोग एक दूसरे को मारने से बाज नहीं आएंगें। अपना ध्यान रेत पर लगाओ वर्ना अगर फँस गये तो पूरी रात यँही पर गुजारनी पड़ेगी। मेरा दिमाग अभी भी अपनी चौकी की ओर लगा हुआ था। पिछ्ली रात को चौकी ने वायरलैस पर सूचना दी थी कि फुजैइराह के बार्डर पर कुछ हथियारबंद लोगों का जमावड़ा देखा गया था। ऐसा लग रहा था कि वह किसी बड़ी घटना को अंजाम देने की कोशिश करने जा रहे है। इसी कारणवश आज मै इस ओर निरीक्षण के लिए आया था। …हवलदार, एक बार फिर से उस चौकी को वायरलैस पर लेने की कोशिश करो। मेरे साथ बैठा हवलदार एक बार फिर से वायरलैस पर जुट गया। आज सुबह से हमने बहुत बार उनके साथ वायरलैस पर बात करने की कोशिश की थी लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिल पाया था। किसी अनहोनी की आशंका ने मेरे जहन को विचलित कर रखा था।

बार्डर पर रोजाना की छुटपुट घटनाओं के कारण वैसे ही पूरा मध्य एशिया युद्ध के कगार पर खड़ा हुआ था। एक ओर आईसिस के आतंकवादी आत्मघाती हमलों से बाज नहीं आ रहे थे और दूसरी ओर इरान की फौज कुछ भी कर गुजरने को सदैव तत्पर थी। सीरिया और यमन मे आग लगी हुई थी जहां अमरीकी और रुसी फौज आये दिन यमन के मासूम लोगों को बचाने के लिए एक दूसरे पर छिप कर वार कर रहे थे। भारी मात्रा मे वहाँ के नागरिक युरोप की ओर पलायन करने मे लगे हुए थे। इन्ही सबके बीच साऊदी अरब अपने पैसों के बल पर इस्लाम धर्म के वहाबी स्वरूप को फैलाने के लिए भाड़े के सैनिकों के द्वारा अपने पड़ौसी देशों मे उथल-पुथल मचाने की कोशिश कर रहा था। एक छोटी सी चिंगारी पूरे मध्य एशिया को युद्ध मे झोंकने के लिए काफी थी। भारतीय सेना को इन सबके बीच मे संयुक्त राष्ट्र संघ की शन्ति सेना की कमान दे कर भेजा गया था। एक अंग्रेज जनरल पीटर मोर्गन यहाँ पर स्थित संयुक्त सेना का चीफ कमांडिंग आफीसर था। उसने संयुक्त सेना को अकारण हथियार न चलाने की हिदायत दे रखी थी। हमारी हालत ऐसी थी कि एक तरफ कुआं था और दूसरी ओर खाई और हमारे सैनिकों को यह समझ नहीं आ रहा था कि हथियारबंद विपक्ष से कैसे शांति के साथ पेश आये।

…जनाब, चौकी आ गयी है। मेरा भटका हुआ ध्यान एक बार के लिए फिर से अपनी अगली कार्यवाही पर केन्द्रित हो गया। हमारी चौकी पचास मीटर की दूरी पर साफ दिख रही थी। रेगिस्तान के एक ऊँचे से टीले पर पत्थरों से बना हुआ छोटा सा कमरा जिसके चारों ओर लोहें के कटीले तारों की बाढ़ लगी हुई थी। चारों ओर शांति छायी हुई थी लेकिन वहाँ पर तैनात एक भी सैनिक मुझे नजर नहीं आ रहा था। सावधानीवश मैनें कहा… यहीं जीप रोक दो। सुच्चा सिंह चौकी पर नजर बनाए रखना। मै अपने दो साथियों के साथ वहाँ के हालात का जायजा लेने के लिए जा रहा हूँ। तब तक फायर मत करना जब तक कोई वहाँ से फायर न करे। इतना कह कर मैने अपनी स्वचलित एम-17 उठाई और जीप से बाहर छलांग लगा कर रेत पर रोल करते हुए अपने आप को सुरक्षित किया। मेरे पीछे-पीछे हवलदार हमीद और गनर मनिक लाल भी आ गये थे। दोपहरी मे तपती हुई रेत पर रेंगते हुए किसी तरह हमने पचास मीटर की दूरी जैसे-तैसे तय की थी कि तभी हम पर चौकी की ओर से मशीनगन से किसी ने फायर कर दिया। मशीनगन की आवाज सुनते ही अपने आप को बचाने के लिए मै रेत पर एक ओर लोट लगा कर बच गया लेकिन मेरे पीछे रेंगते हुए गनर मानिक लाल अपने आप को बचा नहीं सका और वहीं ढेर हो गया। पीली बालू पर उसके बहते हुए खून को देख कर एक पल के लिए मै रुक गया लेकिन मौत सिर पर मंडराती हुई देख कर मै कोहनी के बल पर रेंगते हुए आगे बढ़ गया। सुच्चा सिंह ने पूरी मुस्तैदी से चौकी की दिशा मे जवाबी फायरिंग आरंभ कर दी थी। मैने मुड़ कर हमीद को चौकी के पीछे निकलने का इशारा किया और मै फायरिंग दिशा से बचते हुए आगे बढ़ता चला गया। मेरी मानसिक स्थिति उस समय शांति स्थापना के बजाय अपने साथी की मौत का बदला लेने के लिए बनी हुई थी।

मैने चौकी की खिड़की का निशाना बनाते हुए एक ग्रेनेड उछाल दिया। सटीक निशाना था। एक धमाका हुआ और चौकी की छत हवा मे उड़ गयी। मैने अपनी एम-17 को उठाया और तेजी से अन्दर दाखिल हो गया। अन्दर का नजारा देख कर मेरा दिमाग एक पल के लिए सन्न रह गया था। हमारे आठ सैनिकों की टुकड़ी इस चौकी पर तैनात थी उनमे से चार सैनिकों की क्षतविक्षित लाशें एक कोने पड़ी हुई थी। एक किनारे मे एक सैनिक का कटा हुआ सर राईफल के बेयनेट पर फँसा कर रखा हुआ था। किसी ने बड़ी बर्बर्ता से उसको मौत के घाट उतार दिया था। सिरविहीन उस सैनिक की लाश एक ओर पड़ी हुई थी। वह दृश्य देख कर एक पल के लिए मेरा जिस्म पथरा कर रह गया था। मैने अपनी नजर आसपास दौड़ायी लेकिन लगभग पूरी चौकी तहस-नहस हालत मे पड़ी हुई थी। शायद ग्रेनेड के विस्फोट के कारण अन्दर का नजारा ऐसा हो गया था।

मेरी नजर जमीन पर पड़े धूल और खून से अटे दो इंसानों पर पड़ी जिसमे से एक व्यक्ति कराह रहा था। गौर से देखने पर मुझे आभास हुआ कि एक अरब वेशभूषा मे आदमी धूल मे अटा हुआ एक ओर पड़ा था। उसी से कुछ दूरी पर हिजाब ओढ़े एक औरत खून मे लथपथ मशीनगन के नजदीक पड़ी हुई थी। अपने बचे हुए तीन सैनिक मुझे कहीं भी नजर नहीं आ रहे थे। धूल से अटे हुए माहौल मे चन्द ही मिनट मे पूरी जगह का जायज़ा ले चुका था। तभी मेरी नजर हमीद पर पड़ी जो बेहद सावधानी से चौकी के पिछले हिस्से मे कमरे मे प्रवेश कर रहा था। …आल क्लीयर। मेरी आवाज सुनते ही हमीद तेजी से अन्दर आ गया और मेरा इशारा देखते ही जमीन पर पड़ी हुई औरत को जाँचने मे लग गया। वह शायद अपनी आखिरी साँसे ले रही थी। मै अपने बचे हुए सैनिकों को देखने के लिए चौकी के दूसरे हिस्से की ओर चला गया था।

फुजैईराह बार्डर

उसी समय बार्डर से कुछ मील अन्दर रेगिस्तान मे कुछ कबाईली गहन वार्ता मे डूबे हुए हुए थे। एक वृद्ध सामने एकत्रित जवानों को समझाने की कोशिश कर रहा था। …उनकी चौकी पर आक्रमण करके तुमने अच्छा नहीं किया। अब वह भी चुप नहीं बैठेगें। …अब्बाजान, हम भी तैयार है। यह लड़ाई आज की नहीं है। अमीरात ने हमारी जगह पर नाजायज़ कब्जा कर रखा है। जब अंग्रेज इस जगह को छोड़ कर गये थे तब यह हिस्सा हमारा था। साउदी शाह आलम ने उन अमीरों के साथ संधि करते हुए साफ कहा था कि वह हिस्सा हमारा है। परन्तु अमीरों ने तेल के लालच मे अमरीका की मदद से हमसे हमारा हक छीन लिया और अब वह हमारे तेल के मुनाफे से वहाँ के सात अमीर अपनी ऐयाशियों पर लुटा रहे है। …बेटा तुम सही कह रहे हो। परन्तु हमारी जंग उन सैनिकों से नहीं है। हमारी जंग उन सात अमीरों से है। मुझे साऊदी शाह ने भरोसा दिलाया है कि वह अमीरात के सातों अमीरों के खिलाफ जल्द ही कार्यवाही करेगा। …अब्बाजान आप अपनी सपने की दुनिया से बाहर कब आएँगें। ऐसा कुछ नहीं होने वाला क्योंकि पिछ्ले पचास सालों से साऊदी शेख ने आपको इसी बात का दिलासा दिया है। जब आज तक खाड़ी के देश यहूदियों के कब्जे से फिलीस्तीन को नहीं बना सके तो क्या आप सोचते है कि यह लोग हमारा हक दिलवाएँगें। सारे बैठे हुए लोगों ने उस युवक के तर्क का समर्थन किया।
बहुत देर से एक अंग्रेज सा दिखने वाला व्यक्ति कबाईली वेशभूषा मे उनके बीच चुपचाप सबकी बात सुन रहा था। वह उठ कर खड़ा हुआ तो सारे शान्त हो गये। …बिरादर, अब हमे साउदियों की ओर देखने की कोई जरूरत नहीं है। मेरी सरकार और हमारे मित्र देशों ने अबकी बार इस लड़ाई के लिए पैसों और हथियारों से मदद करने का वायदा किया है। आप अपनी इस मुहिम के लिए भारी संख्या मे युवाओं को एकत्रित किजीए और मै आपको यकीन दिलाता हूँ एक दिन इस जगह पर आपका शासन होगा। जिस दुबई, अबु धाबी, शारजाह व अन्य शहरों के वैभव को देख कर यह अमीर इठलाते है, वह दिन दूर नहीं कि हम उन्ही शहरों को इनकी कब्रगाह मे तब्दील कर देंगें। उनके तेल के कुएँ ही उनकी सबसे बड़ी कमजोरी है। हम उनकी इसी कमजोरी का फायदा उठाऐंगें और देखिएगा कि वह सात चूहे कितनी जल्दी इस जगह को छोड़ कर यहाँ से भाग खड़े होंगें। वह वृद्ध हताश सा हो कर एक ओर बैठ गया। वह समझ चुका था कि अब उसकी कोई बात इन युवाओं के समझ मे नहीं आने वाली थी।

साउदी अरब

उसी समय जेद्दाह की आलीशान इमारत मे कुछ शेखों के बीच कतर के अमीर के खिलाफ एक चर्चा चल रही थी। …कतर का अमीर इबने बशीर उल तवाकुल ने कल ही इरान के साथ एक तेल के उत्पादन पर एक समझौता किया है। वह अब हमे खुले रूप से चुनौती देने पर अमादा है। हमें जल्द से जल्द कुछ करना पड़ेगा वर्ना खाड़ी के अन्दर हमारे खिलाफ आवाज उठनी शुरू हो जाएगी। …जनाब आप ही साऊदी सरकार से बात किजिए और कतर के खिलाफ पाबन्दी लगवाईए। …यह करना इतना आसान नहीं है। कतर भी कुवैत की तरह अमरीका का पिठ्ठू राष्ट्र है। क्या अमरीका इस बात के लिए राजी होगा? …जनाबे आला अगर आप चाहे तो क्या कुछ नहीं हो सकता। अमरीका को बस इतना विश्वास दिलाने की जरूरत है कि कतर के अमीर ने रूस के साथ कोई सैन्य समझौता किया है। उसके बाद अगर साऊदी फौज आगे बढ़ कर कतर पर कब्जा कर लेगी तब भी अमरीका कुछ नहीं बोलेगा। उनमे बैठे हुए एक वृद्ध से शेख ने सबकी बात काटते हुए कहा… आप लोग बहुत समझदार लोग है। लेकिन फिलहाल नये नियुक्त प्रिंस अभी अपनी जगह को मजबूत करने मे लगे हुए है। शाह आलम बिना उसकी मर्जी के कुछ नहीं करने वाले। मेरी राय है कि हमें कुछ दिन शान्त रहना चाहिए। मै सीआईए के डायरेक्टर कोहेन से बात करता हुँ कि वह कोई ऐसी कार्यवाही करने के लिए युक्ति निकाले। अगर अमरीकी राष्ट्रपति अपने शाह आलम पर दबाव बनाता है तो फिर कतर के खिलाफ कार्यवाही करने मे किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। सभी ने मिल कर उस वृद्ध का समर्थन किया और फिर बैठक बर्खास्त हो गयी।

वह वृद्ध शेख और कोई नहीं साऊदी शाह आलम का चीफ आफ इन्टेलीजेन्स अल बक्र उल सुलेमान था। वह शाह आलम की खाला का लड़का था और दूर के रिश्ते से शाह आलम का साला लगता था। उसकी राज घराने मे अच्छी पकड़ थी। अल बक्र ने इमारत के बाहर निकलते ही अपने मोबाईल से किसी का नम्बर मिलाया… जनाब अल बक्र बोल रहा हूँ। आज आपके खिलाफ कुछ मंत्रियों की बैठक हुई है। वह आपके खिलाफ साउद घराने को कार्यवाही करने की पुरजोर कोशिश मे लगे हुए है। शाह आलम के कहने पर मै आज इस बैठक मे सम्मिलित हुआ था। अभी के लिए तो मैने उन्हें टाल दिया है लेकिन लगता है कि नये प्रिंस ने उनको शह दी है। अपने अमरीकी संबंध को तुरन्त मजबूत किजिए। इतना बोल कर उसने अपना फोन काट दिया। अल बक्र जल्दी से सामने खड़ी हुई लम्बी सी काली कार में बैठ गया और जल्द ही अपने गंतव्य दिशा की ओर चल दिया।

एक व्यक्ति जो अभी तक उस आलीशान इमारत के गेट के पास खड़ा हुआ अली बक्र को जाते हुए देख कर अपने मोबाईल से किसी व्यक्ति से संपर्क स्थापित किया… जनाब, अली बक्र निकल चुका है। आज की बैठक मे कतर के खिलाफ कार्यवाही को अली बक्र ने अपने हाथ मे ले लिया है। उसका कहना है कि वह सीआईए की मदद लेकर शाह आलम पर दबाव बनाएगा कि वह कतर के खिलाफ कार्यवाही करे। जनाब, मुझे नहीं लगता कि वह इसके बारे मे कुछ करने वाला है। बाहर निकलते ही उसने किसी को फोन किया था। मेरे लिए कोई नयी हिदायत? दूसरी ओर से किसी ने कहा… अली बक्र पर नजर रखो और मुझे उसके पल-पल की सूचना दो। …जी जनाब। इतना बोल कर दूसरी ओर से उसने लाइन काट दी। वह व्यक्ति तेजी से एक कार जिस पर साऊदी सरकार का शाही चिन्ह लगा हुआ था उसकी ओर बढ़ गया और उसमे बैठ कर अली बक्र की दिशा की ओर चल दिया।

मध्य एशिया का सीआईए स्टेशन चीफ माइक बर्न रियाध स्थित अमरीकन ऐम्बैसी के एक कमरे मे बैठ कर अपने साथियों से बातचीत कर रहा था। …अमीरात से क्या खबर है? …सर, वहाँ का अमीर अपनी सीमाओं को लेकर काफी चिंतित है। साउदी अरब की मदद से वह अभी तक हालात को काबू मे रखे हुए है लेकिन बार्डर पर लगातार हालात खराब होते जा रहे है। माइक बर्न कुछ देर तक उनकी चुपचाप सुनता रहा और फिर एकाएक अपनी मेज थपथपा कर बोला… मेरे पास सूचना आई है कि साउदी प्रिंस किसी बड़े षड्यंत्र को रचने मे लगा हुआ है। उसका टार्गेट कतर लग रहा है। मेरा अनुमान है कि वह सद्दाम हुसैन की भाँति कतर को आगे चल कर अपने कब्जे मे लेने की सोच रहा है। जब से तेल की कीमतों मे गिरावट आयी है तभी से वह कतर के तेल पर अपनी निगाहें जमाए हुए है। कतर के अमीर ने मुझे आज ही इस बात से आगाह किया है। मै चाहता हूँ कि तुम लोग साउद घराने मे अपने पिठ्ठुओं से फौरन संपर्क स्थापित करके इस बात की पुष्टि करवाईए। …लेकिन सर? …फिलहाल के लिए अमीरात को जलने दो क्योंकि जब आग उन अमीरों के घर तक पहुँचेगी तभी वह हमसे मदद की याचना करेंगें। …सर, संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना इस काम मे रोड़े अटकाएगी। माइक बर्न ने एक ठहाका लगाया और फिर मुस्कुरा कर बोला… उनकी चिन्ता छोड़ो। हमारे लिए उनका यहाँ होना बेहद फायदेमंद है। उनके सैनिकों की मौत हमें हमारे लक्ष्य के निकट ला रही है। खबर मिली है कि कल रात एक फिदायीन हमले मे उनके कुछ सैनिक मारे गये है। इस वक्त उनकी सेना का मनोबल टूटता हुआ लग रहा है। हमें बस सही मौके ताक मे लगे रहना चाहिए लेकिन साउदी प्रिंस के उपर अंकुश लगाना भी जरूरी होता जा रहा है। वह अपनी बेवकूफी के कारण हमें इस युद्ध की अग्नि मे न झोंक दे। उसके हर कदम पर नजर रखने की जरूरत है। …सर, खबर आ रही है कि अमीरात के अमीर ने फ्रांस के साथ सैन्य संधि पर हस्ताक्षर करने का मन बना लिया है। …हाँ, इसी कारणवश तो हमारी मदद से उनकी सीमाओं मे अराजकता फैली हुई है। ध्यान रहे कि अभी हमें सिर्फ दूर से उन छोटे-छोटे समूहों की मदद करनी है। माइक बर्न अपनी जगह से एकाएक उठ कर बोला… ठीक है आप सब अपने-अपने कामों मे लग जाईए और वहाँ होने वाली हर घटना पर नजर रखिए। सब लोग धीरे-धीरे उठ कर बाहर निकल गये तब माइक बर्न ने हाट लाइन पर पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट सीआईए के डायरेक्टर कोहेन को देने मे जुट गया।

अबु धाबी     

उसी समय मै अपने कमांडिंग अफसर के कमरे मे खड़ा हुआ था। …उस चौकी पर हमारे आठ सैनिकों की निर्मम हत्या की गयी है। मेरा गनर रेड के दौरान मारा गया। अब हमारे लिए उस क्षेत्र मे बिना सैन्य कार्यवाही के शांति रखना नामुम्किन हो गया है। मारा गया आदमी उज्बेक था और उसके साथ मारी गयी एक फिलीस्तीनी महिला थी। मुझे लगता है कि दो आतंकवादी पूरी चौकी को कब्जे मे नहीं ले सकते थे। आखिरी रिपोर्ट के आधार पर कल रात बार्डर के उस पार काबाईलियों का जमावड़ा देखा गया था। मेरा अनुमान है कि चौकी पर उन्होंने हमला किया होगा और सबको मारने के बाद उन दोनों को चौकी सौंप कर उनके साथी वापिस बार्डर के पार कर चले गये होंगे। जनरल मोर्गन की भाव भंगिमा पर हल्की सी शिकन दिखाई नहीं दे रही थी। वह चुपचाप मेरी बात सुन कर बोले… हम शांति सेना है और कुछ नहीं। सैन्य कार्यवाही की इजाजत नहीं दी जा सकती। जो लोग मारे गये है उनके लिए मुझे अफसोस है लेकिन हम इससे ज्यादा कुछ नहीं जर सकते। मेजर आप खुशकिस्मत हो कि आपके और आपके साथियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी। आपने बिना मुझसे पूछे चौकी पर कब्जा करने की कोशिश क्यों की थी? मेरी ओर देखे बिना उसने कहा… मेजर अब आप जा सकते है। उसका जवाब सुन कर एक पल के लिए मेरे तनबदन मे आग सी लग गयी थी।

…सर मुझे कुछ पूछने की इजाजत दी जाए। जनरल मोर्गन ने मेज पर अपना ध्यान हटा कर अपनी पीठ को कुर्सी का सहारा लेते हुए मेरी ओर देखते हुए कहा… हाँ बोलो मै सुन रहा हूँ। …सर, क्या आपने कभी कोम्बेट आप्रेशन्स मे हिस्सा लिया है? एक पल के लिए वह मुझे घूरता रहा और फिर कड़कती हुई आवाज मे बोला… क्या बकते हो? अचानक उसके चेहरे पर बनी हुई बनावटी सौमय्ता गायब हो चुकी थी और उसकी जगह क्रोध झलक रहा था। …सर, जब अपने साथी बेवजह मारे जाते है तो कुछ ऐसा ही क्रोध मै भी महसूस करता हूँ। यह लड़ाई न मेरी है न आपकी। फिर भी हमारे लोग व्यर्थ मे मारे जा रहे है। मुझे समझ मे नहीं आ रहा कि हम यहाँ पर क्या कर रहे है। पल भर मे ही वही बनावटी सौम्यता उसके चेहरे पर वापिस आ गयी थी। …मै जानता हूँ कि तुम इस वक्त कैसा महसूस कर रहे हो। हम लोग एक ऐसे झंडे के तले काम कर रहे है जिसके उपर 182 राष्ट्र का विश्वास है। यह हमला तुम पर नहीं हुआ है बल्कि उन 182 राष्ट्रों पर किया गया जिसने शांति स्थापित करने के लिए तुम्हे और मुझे यहाँ पर भेजा है। इसीलिए हमारा फर्ज है कि हम उनके विश्वास को बर्करार रखे। मै जाने के लिए मुड़ा ही था कि जनरल मोर्गन अपनी कुर्सी छोड़ कर खड़ा हो गया।

वह धीरे से कदम बड़ाते हुए मेरी ओर आते हुए कहा… यह सारा फसाद तेल के लिए हो रहा है। कोई अपने हक के लिए लड़ रहा है और कोई तेल पर अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए लड़ रहा है। कुछ लोग ज्यादा मुनाफे के लिए आग भड़काने पर तुले हुए है और कुछ उस मुनाफे मे अपनी हिस्सदारी के लिए उस आग को हवा दे रहे है। संयुक्त अरब अमीरात सात अमीरातों का समूह है। अबू धाबी, अजमान, दुबई,  फुजाइराह, रस अल-खैमाय, शारजाह और उम्म अल-क्युवैइन मिल कर संयुक्त अरब अमीरात बनाते है। यह क्षेत्र दुनिया मे तेल के भंडार का छ्ठा सबसे बड़ा स्त्रोत है। इस क्षेत्र पर सात अमीरों का साझा कब्जा है लेकिन हर अमीर अपने लालच के चलते दूसरे अमीरों के खिलाफ षड़यंत्र रच रहा है। अपनी जान और माल को बचाने के लिए वह ताकतवर देशों के हाथों की कठपुतली बना हुआ है। जब तक साझा कार्यक्रम उनको मुनाफा मे हिस्सा दे रहा है तब तक वह एक समूह की तरह बने हुए है लेकिन जिस दिन उन्हें लगा कि अलग रह कर वह ज्यादा मुनाफा कमा सकते है उसी दिन वह खुद ही इस समूह का अन्त कर देंगें। दूसरी ओर समूह की वजह से उनके पड़ौसी देशों के सीने पर साँप लोट रहा है क्योंकि मध्य एशिया मे उनकी ताकत समूह की ताकत के सामने कमजोर पड़ती दिखाई दे रही है। इसी लिए वह इस क्षेत्र मे अराजकता फैलाने के लिए वह लोग तत्पर है। अफसोस की बात है कि अंग्रेजी हुकूमत से आजाद होने के बाद भी यह पूरा क्षेत्र फिर से कबाईलियों के हाथ मे चला गया है। वह चाहे कितने ही पैसे वाले बन जाए या कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन अपने डीएनए को तो नहीं बदल सकते। उनका स्वभाव ही ऐसा है कि वह सिर्फ तलवार के जोर पर भरोसा करते है। शायद दुनिया यह बात जानती है और इसीलिए यहाँ पर दुनिया हमारी जरूरत महसूस करती है।

मेरे कन्धे पर पहली बार हाथ मारते हुए जनरल मोर्गन एक पल के लिए भूल गये थे कि वह अपने स्टाफ आफीसर से बात कर रहे थे। …माई बोय, मेरे कन्धों ने न जाने कितने साथियों का बोझ उठाया है। अपने आप को इससे भी बड़ी जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार कर लो। मै उनकी बात सुन कर एक पल के लिए अपनी जगह पर हतप्रभ सा खड़ा रह गया था। …मुझे खबर मिली है कि आईसिस के लोग उम्म अल-क्युवैइन के बार्डर पर कुछ उत्पात मचाने की योजना बना रहे है। अपनी चौकी पर सावधान रहने की खबर कर दो और कल सुबह तुम वहाँ की चौकी का निरीक्षण करने के लिए निकल जाओ। …सर, अगर वहाँ के हालात भी वैसे ही मिले उस स्थिति मे चौकी को अपने कब्जे मे लेना है कि नहीं? मेरा सवाल सुन कर वह एक पल के लिए मुस्कुराये और फिर मेरे कन्धे पर हाथ मार कर बोले… मेजर कोशिश करना कि ग्रेनेड का इस्तेमाल न हो लेकिन अगर लगे कि उसके बिना काम नहीं चल सकता तब उस हालत में वही करना जो तुम ठीक समझते हो। इतना कह कर वह मुझे वहीं छोड़ कर बाहर निकल गये। मै अपने सीने पर अपने खोये हुए साथियों का बोझ उठाये धीमे कदमों से चलता हुआ अपने आफिस की ओर चल दिया।

अगली सुबह अपने आप को कोसते हुए उसी नर्क मे एक बार फिर से झुलसता हुआ उम्म अल-क्युवैइन स्तिथ चौकी के निरीक्षण के लिए निकल गया था। वही रेत के टीले, वही आँखें चुंधिया देने वाली रौशनी और झुलसाती हुई गर्मी मे मेरी नीले रंग की बख्तरबंद जीप सड़क पर दौड़ रही थी। हमेशा की तरह मेरी युनीफार्म पसीने से भीग चुकी थी। यही हाल जीप मे सवार सभी का हो गया था। आज भी सुच्चा सिंह मशीनगन पर पूरी मुस्तैदी के साथ तैनात था लेकिन कुछ नये साथी मेरे पीछे की सीट पर बैठे हुए थे।

 
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#2
pls write more
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#3
1

स्पेन के इबिज़ा शहर के बोटहाउस मे पिछले एक महीने से रह रहा हूँ। समुद्र के किनारे लहरों को अठखेलियाँ करते हुए और कभी वहीं पर सैंकड़ों विचरती हुई अर्धनग्न स्त्रियों की खूबसूरती को देखते हुए मेरा पूरा दिन गुजर जाता है। अगर जीतेजी मैने दो साल नर्क मे बिताये थे तो अल्लाह ने कुछ समय के लिए मुझे जन्न्त मे ला कर छोड़ दिया था। दिन भर समुद्र के किनारे निकालने के बाद शाम होते ही इबिजा शहर की ओर निकल गया था। अंधेरा होते ही यह शहर मानो जाग जाता है। हर कोने मे नाइटकल्ब और उसमे से छन कर आती हुई संगीत की आवाज पूरे शहर को संगीतमय कर देती है। जैसे-जैसे रात जवान होती है वैसे-वैसे हसीन चेहरे अपने चारों ओर दिखायी देने लगते है। पूरी रात शराब पानी की तरह बहती है और यहाँ स्त्री का साथ तो शराब से भी सस्ता है। आज अचानक मन ही मन ख्याल आया कि अगर दुनिया मे कहीं जन्नत है तो यहीं पर, यहीं पर और यहीं पर है।

एक महीने पहले तक मै एक अलंकृत यूएन शांति सेना का वरिष्ठ सैन्य अधिकारी था। परन्तु रस अल-खैमाय के बार्डर पर स्थित चौकी पर अचानक निरीक्षण के दौरान शाम के धुंधलके मे एक आतंकवादी गुट ने हमला बोल दिया था। उस चौकी को अमीरात की सबसे बड़ी तेल की पाइपलाइन की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। ऐसा लग रहा था कि आतंकवादी पाइपलाइन को ध्वस्त करने के इरादे से आये थे। उस पाइपलाइन को बचाने के लिए मुझे तुरन्त सैन्य कार्यवाही करने के निर्देश देने पड़े थे। इस मुठभेड़ मे चौबीस आतंकवादी मारे गये थे। इस सैन्य कार्यवाही मे हमारा कोई भी सैनिक हताहत नहीं हुआ था। स्थानीय गुटों और मिडिया ने मिल कर उन मरे हुए आतंकवादियों को शहीदों का दर्जा देते हुए देश भर मे शांति सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और अल जजीरा के स्थानीय नेटवर्क ने मुझे रात ही रात मे रस अल-खैमाय का कसाई के नाम से प्रताड़ित करना शुरू कर दिया था। इन सब की वजह से रस अल-खैमाय का अमीर इब्ने मुशारत उल मोहम्मद बिन खुम्म ने प्रदर्शनकारियों के दबाव मे आकर शांति सेना को अमीरात से हटाने की मांग कर डाली थी। इसी वजह से मुझे तुरन्त सस्पैन्ड कर दिया गया और मेरी टुकड़ी को भारत वापिस भेज दिया गया था। जनरल मोर्गन ने मेरे कोर्ट मार्शल तक मुझे वापिस जाने की इजाजत नहीं दे कर मुझे वहीं पर रुकने के लिए मजबूर कर दिया था।

उसी शाम को जनरल मोर्गन मुझसे मिलने आये जहाँ मुझको कैदी के तौर पर रखा गया था। वह मेरे पास आकर बोले कि फौजी कोर्ट को बैठने मे एक महीना लगेगा इसीलिए तुम एक महीने के लिए कहीं घूम कर आ जाओ। एक पल के लिए मै उन्हें आवाक सा खड़ा देखता रह गया क्योंकि मै सैन्य कानून से पूरी तरह परिचित था। मुझ पर अकारण सैन्य कार्यवाही करने का आरोप लगाया गया था जिसकी वजह से दो दर्जन निहत्थे नागरिक बेवजह मारे गये थे। जहाँ छोटी-छोटी बात के लिए सौ कोड़े की सजा दी जाती थी वहाँ इतने जघन्य अपराध की सजा सिर्फ मौत ही हो सकती थी। इन हालात मे जनरल मुझे अमीरात के बाहर घूमने की सलाह क्यों दे रहे थे। यह बात मेरी समझ के बाहर थी। …मेजर, तुम एक सैनिक हो जिसको या तो दोस्त दिखायी देता है और या दुश्मन। परन्तु यहाँ तुम सैनिक नहीं बल्कि यहाँ की कूटनीति का एक मोहरा हो। एक अमीर तुम्हारे खिलाफ है लेकिन बाकी छ: अमीर उस पाइपलाइन को बचाने के कारण तुम्हारे पक्ष मे है। मै चुपचाप उनकी बात सुनने और समझने की कोशिश मे लग गया।
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…मेजर, तुम्हारी टुकड़ी को वापिस भेज दिया गया है जिससे रस अल-खैमाय का अमीर शान्त हो कर बैठ जाए लेकिन मै तुम्हें वापिस नहीं भेजना चाहता हूँ। तुम इस जगह के चप्पे-चप्पे से पूरी तरह वाकिफ हो ओर यहाँ की भाषा मे भी पारंगत हो गये हो। तुम यहाँ के हर जायज़ और नाजायज़ गुट को जानते और पहचानते हो। एक पल के लिए जनरल मुस्कुराये और फिर मेरी ओर देख कर बोले… एक खास बात तुम मे मैने देखी है कि तुम सरकारी नियमावली के गुलाम नहीं हो जिसकी वजह से तुम ऐसे हालात मे काम करने के लिए बिलकुल योग्य साबित हुए हो। अगर उस दिन तुम सैन्य कार्यवाही नहीं करते तो अमीरात के छ: अमीरों को कितना नुकसान झेलना पड़ता उसकी तुम कल्पना भी नहीं कर सकते। मेरे समझाने पर संयुक्त अरब अमीरात के समूह के राष्ट्रपति ने तुम्हें बेदाग घोषित करने के लिए एक शर्त रखी है कि तुम अपनी सेना से इस्तीफा दे कर यहाँ के सुरक्षा सलाहकार के पद पर मेरे स्टाफ मे नियुक्त हो जाओ। अब यह तुम्हारे उपर है कि तुम कोर्ट मार्शल का रास्ता चुनते हो या यहाँ पर मेरे सुरक्षा सलाहकार की हैसियत से काम करना चुनते हो। इतना कह कर वह मेरे सामने पड़ी हुई मेज पर बैठ गये।

एक पल में मेरी पूरी जिन्दगी मेरी आँखों के सामने से गुजर गयी थी। मेरा नाम अली मोहम्मद ज़ान्ज़ुआ है। जब मुझे व मेरी टुकड़ी को संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना के रूप मे काम करने का अवसर दिया गया तब मै भारतीय सेना की जाट रेजीमेन्ट मे मेजर के पद पर कार्यरत था। बारह साल की सेना की नौकरी मे मैने लगभग सभी प्रकार की खतरनाक व विष्म परिस्तिथियों मे काम किया था। सिया-चिन सुरक्षा, कश्मीर मे बढ़ती हूई आतंकवाद के खिलाफ सैन्य कार्यवाही, पूर्वी उतर राज्यों मे आतंकवाद के खिलाफ मोर्चे की अगुवाई के अलावा एक बार पंजाब मे आतंकवाद से निबटने के लिए भी मुझे भेजा गया था। मेरा सारा जीवन अब तक ऐसे ही हालातों से जूझने मे निकला था। बहुत बार मै घायल भी हुआ था जिसके निशान मेरे जिस्म पर आज भी चिन्हित थे। आज तक मैने सभी काम एक भारतीय सेना के अधिकारी के रूप मे किये थे। भारतीय सेना की हरे रंग की युनीफार्म ने मुझे वह इज्जत और गौरव का एहसास कराया था जो शायद आज के बाद मै फिर कभी जिन्दगी मे नही कर सकता था। ऐसे कई मौके आये जब मेरे साथी किसी खतरनाक नियुक्ति से बचने के लिए मुझसे आग्रह करते कि मै अपने नाम को आगे रख कर उनको इस मुसीबत से निजात दिलवा दूँ। हर बार मै उनकी परिवारिक जिम्मेदारियों को देख कर अपना नाम आगे बड़ा देता था। परन्तु आज कोई भी मेरी सेना की ओर से मदद करने के लिए आगे नहीं आ सकता था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि एक तरफ निश्चित मौत खड़ी हुई है दूसरी ओर उस गौरवमय हरी वर्दी से हमेशा-हमेशा के लिए अल्विदा करने का समय मुझे ताक रहा था। 
ऐसा भी नहीं था कि मेरा अपना परिवार नहीं था। मेरे अब्बा और अम्मी अलीगड़ ,., युनीवर्सिटी मे प्रोफेसर थे परन्तु वह सेवानिवृत हो कर मेरे बड़े भाई के परिवार के साथ रह रहे थे। मेरा बड़ा भाई अपनी विलक्षण बुद्धि के कारण आईआईटी से इंजीनियरिंग करके अमरीका मे जा कर बस गया था। मैने पढ़ाई मे औसत बुद्धि लेकर जैसे-तैसे प्रथम अंकों से बारवीं की परीक्षा पास की थी। बस अपनी जिन्दगी मे शायद एक जगह मेरे परिवार की ओर से दी गयी मेरी बुद्धि ने मुझे राष्ट्रीय सुरक्षा अकादमी की परीक्षा मे पास करा दिया था। उसके बाद मैने सिर्फ सेना और उसके काम का ही अनुभव प्राप्त किया था। सेना के कारण मै अपने परिवार से कट कर रह गया था। मेरा परिवार जब कभी छुट्टियों मे भारत आता तब मुझे छुट्टियाँ नहीं मिलती थी। सेना के आप्रेशन्स अधिकारी होने के कारण मेरा भी अमरीका जाना लगभग नामुमकिन था। इसीलिए मेरा घर और परिवार भारतीय सेना तक ही सिमित हो कर रह गया था। बहुत बार अपनी छुट्टियों मे अपने सैनिक दोस्तों के साथ ऐयाशी और स्त्री संसर्ग के लिए कभी गोवा और कभी मुम्बई और कभी कोलकता चला जाता था लेकिन फिर भी मेरी ज्यादातर छुट्टियाँ सेना के बेस पर ही गुजरती थी। 
…मेजर, तुम्हारे जवाब का मै इंतजार कर रहा हूँ। अचानक जनरल मोर्गन की आवाज ने मुझे वापिस वहीं ला कर खड़ा कर दिया था जहाँ से मै चला था। …सर, क्या मेरे पास आपकी सलाह मानने के आलावा कोई और विकल्प बचा है? जनरल मोर्गन ने गरदन हिला कर मेरे सवाल का जवाब बड़ी आसानी से दे दिया था। न चाहते हुए भी मैने भी अपनी हामी मे सिर हिला दिया। फिर क्या था तुरत-फुरत मे मेरा इस्तीफा बनाया गया और जनरल मोर्गन ने अपनी ओर से निवेदन करते हुए भारतीय सेना से मेरा इस्तीफा जल्द से जल्द मंजूर करने की सिफारिश कर दी। जब तक मेरा इस्तीफा मंजूर होता तब तक के लिए जनरल मोर्गन ने मुझे सलाह दी कि मै छुट्टियाँ बिताने के लिए अमीरत से बाहर चला जाऊँ। उन्होंने ही मुझे इबिज़ा जाने की सलाह दी थी। उनका मानना था कि मेरे जाने बाद यहाँ का माहौल अपने-आप ही शान्त हो जाएगा। यही सोच कर उनकी सलाह मानते हुए मै इस जन्नतनुमा जगह के दर्शन करने क लिए आ गया था।
आज भी हमेशा की तरह मै रात की रंगीनियों का मजा लेने के लिए शहर मे आ गया था। हर ओर जगमगाती हुई सड़कों के किनारे पर्यटकों की भीड़ लगी हुई थी। नाइट क्ल्बों के बाहर युवक और युवतियों का ताँता लगा हुआ था। कुछ सड़क के किनारे जमीन पर बैठ कर बीयर पी रहे थे और कुछ भड़कीले वस्त्रों मे युवतियाँ ग्राहक तलाश कर रही थी। सड़कों के दोनों ओर वतावरण मे संगीत गूँज रहा था और हर ओर जवानी मदमस्त हो कर झूम रही थी। मेरे कदम अपने आप ही ब्लू नाईटिन्गेल कल्ब की ओर बढ़ते जा रहे थे। यह इज़िबा शहर का सबसे महँगा और एक्सक्लूसिव नाइट कल्ब था। यहाँ पर दुनिया की एक से बड़ी एक हस्ती पहुँचती थी। मेरे लिए अन्दर जाना तो मुम्किन नहीं था लेकिन उसके बाहर स्थित एक रेस्त्राँ में बैठ कर ही वहाँ के मनोरम दृश्य का आनंद लिया करता था। उस रेस्त्राँ का मालिक इमरान शिराज़ी अरब मूल का व्यक्ति था और वहाँ कुछ रोज़ लगातार आने की वजह से उसके साथ मेरी जान पहचान भी हो गयी थी। वह भी कभी-कभी देर रात को मेरे पास बतियाने के लिए बैठ जाता था।  
आज भी नाइटकल्ब के बाहर हुजूम लगा हुआ था। कोई हालीवुड का अभिनेता अपनी दोस्त के साथ आने वाला था। मै सड़क पर टहलते हुए अपने आस-पास का जायज़ा लेते हुए रेस्त्राँ की बढ़ रहा था कि अचानक एक सफेद लम्बी सी लिमोजीन कार मेरे पास से तेजी से गुजरी और नाइटक्ल्ब के द्वार पर जा कर खड़ी हो गयी। हालीवुड का अभिनेता अपनी अर्धनग्न दोस्त की कमर मे हाथ डाल कर भीड़ की ओर हाथ हिलाते हुए कुछ पलों के लिए बाहर रुका तब तक वहाँ खड़े हुए लोगों मे उस अभिनेता को देखने के लिए एक होड़ सी लग गयी थी। भीड़ मे लोग आनन-फानन मे अपने फोन कैमरे से उनकी फोटो खींचने के लिए धक्का-मुक्की मे लग गये थे। मन ही मन उस भीड़ को गाली देते हुए मै रेस्त्राँ के बाहर पड़ी हुई कुर्सी पर जा कर जम गया। मुझे आया देख कर काउन्टर पर बैठा हुआ शिराज़ी अपनी जगह छोड़ कर मेरे पास आ कर बोला… अली भाई, आज आपको अन्दर बैठना पड़ेगा। आज यहाँ पर सारी रात हंगामा रहेगा। कुछ हालीवुड से लोग यहाँ आएंगें और अमीरात से एक अमीर का परिवार भी कुछ देर मे यहाँ आने वाला है। बाहर बैठने से उसके सुरक्षाकर्मी आपको नाहक ही परेशान करेंगें। आप अन्दर आ जाईए। मै आपके लिए बैठने का इंतजाम करवाता हूँ। अभी वह बोल कर चुका ही था कि अचानक पाँच लम्बी काली चमचमाती लीमोजीनों का ताँता सा आकर नाईटक्लब के गेट पर लग गया था।
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एकाएक कार मे से धड़धड़ाते हुए हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मी निकले और सारी भीड़ को धक्का देते हुए पूरे रास्ते पर छा गये थे। पुलिसवाले जो हमेशा अदृश्य रहते थे वह भी न जाने कँहा से निकल आये और सड़क पर खड़े हुए लोगों को हटाने मे लग गये थे। उनको आया देख कर शिराज़ी भी मुझे वहीं छोड़ कर अन्दर चला गया। मै रेस्त्राँ के किनारे दीवार के सहारे खड़ा हो कर वहाँ पर सुरक्षाकर्मीयों की मुस्तैदी का जायज़ा लेने मे लग गया। हाथों मे अत्याधुनिक एम-17 स्वचलित गन को भीड़ की ओर करके सुरक्षाकर्मी बार-बार भीड़ को पीछे रहने के लिए कह रहे थे। जब नाइटकल्ब का पूरा रास्ता साफ हो गया तब कारों के दरवाजे खुले और एक शेख अपनी अरब वेशभूषा मे सबसे पहले कार से निकला और उसके बाद निकलने वालों का ताँता सा लग गया। कुछ बुर्कापोश महिलाएँ निकली और फिर कुछ हिजाब पहने युवतियाँ और उनके पीछे बच्चे और बच्चियाँ एक कतार मे अलग-अलग कार से बाहर आ गये थे। शेख बिना किसी की परवाह किये नाइटक्ल्ब के अन्दर दाखिल हो गया और उसके पीछे-पीछे उसका पूरा काफिला अन्दर चला गया। सारी लीमोजीनें एक-एक करके घूमी और फिर भीड़ को पीछे छोड़ कर पार्किंग की दिशा की ओर चल दी। मै भी रेस्त्राँ के अन्दर जाने के लिए मुड़ा ही था कि तभी मेरी नजर एक लीमोजीन पर पड़ी जो एकाएक लौटते हुए रुक गयी थी।
एक पल के लिए मुझे लगा कि शायद जगह न होने की वजह से रुकी होगी। लेकिन तभी कार का गेट खुला और दो साये उसमे से तेजी से उतरे और दौड़ते हुए सड़क पार करके भीड़ मे शामिल गये थे। वह कार तुरन्त आगे बढ़ गयी। मै बस इतना ही देख पाया था कि तभी शिराज़ी ने आवाज़ दी… अली भाई आ जाईए। एक पल के लिए मै ठिठक कर उन दो व्यक्तियों को देखने के लिए रुका और फिर अपना सिर झटक कर रेस्त्राँ के दरवाजे की ओर चल दिया। मैने कुछ कदम ही बढ़ाये थे कि पीछे से दो नवयुवतियाँ मुझे हल्का सा धक्का दे कर आगे बढ़ गयी। मै कुछ बोलने ही वाला ही था कि एक लड़की मुड़ी और एक प्यारी सी मुस्कान के साथ बोली… सौरी। इतना कह कर वह अपनी दोस्त के साथ आगे बढ़ गयी थी। एक पल के लिए मेरी नजर उसके लय से थिरकते हुए पुष्ट नितंबों पर पड़ी और फिर मुड़ कर मै रेस्त्राँ मे दाखिल हो गया। रेस्त्राँ पूरा भरा हुआ था। शिराज़ी ने शीशे के साथ लगी हुई कोने की एक टेबल की ओर इशारा किया और मै वहाँ पर जा कर जम गया। वहाँ से बाहर का नजारा साफ दिखाई दे रहा था। अभी भी नाइटक्ल्ब के सामने भीड़ जमी हुई थी। मैने अपने खाने का आर्डर दिया और फिर ठँडी बीयर की चुस्कियाँ लेते हुए बाहर का नजारा देखने मे लग गया। 
…अली भाई, आज का खाना मेरी ओर से है। शिराज़ी मेरे पास आ कर बैठ गया। …आपने देख लिया कि जब यह लोग आते है तो यहाँ का क्या हाल होता है। …भाईजान, यह सब पैसे की माया है। इन लोगों ने दुनिया को सिर्फ तेल बेच कर यह पैसा कमाया है जिसको यह इस तरह अपनी ऐयाशियों पर लुटा रहे है। …अली भाई, मगर उस तेल पर वहाँ के लोगों का भी तो हक है। क्या यह अमीर उनके लिए भी कुछ कर रहे है? …हाँ मियाँ, यह लोग उनके खून से अपनी जमीन सींच रहे है। …भाईजान, आपने तो काफी समय अमीरात मे गुजारा है आज कल वहाँ का क्या हाल है? …वहाँ का भी वही हाल है जो सिरीया या यमन का हाल है। बस फर्क इतना है कि यमन और सीरिया पर खुले आम बम और गोले के धमाके होते है और अमीरात मे छिप कर हमले होते है। हम अभी राजनितिक चर्चा मे उलझे हुए थे कि मेरी नजर बाहर चली गयी। चार-पाँच युवकों ने दो लड़कियों को घेर कर उनसे किसी बात मे उलझे हुए थे। आधी रात के बाद यह नजारा तो यहाँ की आम बात थी परन्तु इस वक्त सैलानियों की भीड़ मे वह लड़कियाँ परेशान सी लग रही थी। युवक बार-बार उन्हें छूने की कोशिश कर रहे थे और वह दोनों उनके हाथ झटक रही थी।
पता नहीं उनकी परेशानी देख कर मुझे क्या हुआ कि मै तेजी से अपनी जगह से उठा… इमरान भाई मै अभी आया। इतना कह कर मै रेस्त्राँ से बाहर निकल आया और उनकी ओर तेज कदमों से चलते हुए पहुँच गया। एक युवक उस युवती का हाथ पकड़ कर अंग्रेजी मे कह रहा था… नखरे मत करो। आज की रात हमारे साथ चलो। हम तुम्हें जन्नत की सैर कराएँगें। युवती रुआँसी आवाज मे बोल रही थी… हमें अकेला छोड़ दो वर्ना तुम पर खुदा का कहर टूट पड़ेगा। पता नहीं शराब का नशा था या अपने साथियों के सामने युवती का इंकार कि वह गुस्से मे उसका हाथ छोड़ कर उसे धक्का देते हुए बोला… कैसे नहीं चलेगी। चलो दोस्तों इन दोनों को जबरदस्ती ले कर चलते है। दो युवतियाँ यह सुन कर चीखीं लेकिन तब तक बाकी युवकों ने उन्हें अपनी बाँहों मे उठा लिया। इससे पहले और कुछ होता मैने उनके पीछे से कहा… अगर यह जाना नहीँ चाहती तो इन्हें यहीं छोड़ कर तुम लोग चलते बनो। 
मेरी आवाज सुन कर एक पल के लिए सब लोग सकते मे आ गये थे। उनमे से वही युवक जिसने अपने दोस्तों को युवतियों को उठाने का हुक्म दिया था वह गुस्से मे बोला… ओल्ड मैन, तुम अपनी खैर चाहते हो तो अपना रास्ता नापो। एक नजर उन युवकों पर डाल कर मै धीमे कदमों से चलते हुए उन युवतियों के पास आ कर खड़ा हो गया था। उसकी बात को अनसुना करते हुए सामने खड़े हुए युवक जिसने एक युवती को अपनी बाँहे मे उठा रखा था उसके कँधे की हड्डी पर अपनी उँगलिया गड़ाते हुए कहा… छोड़ दो। वह दर्द से चीखा और तुरन्त वह युवती उसकी बाँहों से निकल कर हड़बड़ा कर मेरे पीछे खड़ी हो गयी और अपनी भाषा मे कुछ बड़बड़ायी। एक पल के लिए अचम्भित हो कर मैने पूछ लिया… अरब। वह भी आश्चर्यचकित होकर अरबी भाषा मे तुरन्त बोली… अरब। प्लीज हमारी मदद किजीए। यह लोग हमे परेशान कर रहे है। …तुम दोनों यहाँ क्या कर रही हो? हमारी अनजान भाषा को सुन कर सारे युवक कुछ पीछे हट गये और अचंभे से मेरी ओर देखने लगे। मैने अंग्रेजी भाषा मे समझाने हेतु कहा… इनको यहीं छोड़ कर चुपचाप यहाँ से दफा हो जाओ। नाइटकल्ब की ओर खड़े हुए सुरक्षाकर्मियों की ओर इशारा करते हुए कहा… अगर उनको हल्कीसी भनक भी लग गयी कि तुम इन लड़कियों के साथ बदतमीजी कर रहे हो तो शायद जिन्दगी मे फिर कभी अपने पाँव पर खड़े न हो सको। उनकी नजरों ने मेरे इशारे का पीछा किया और सामने खड़े हुए सुरक्षाकर्मियों पर नजर डाल कर तुरन्त वह दो कदम पीछे हो गये। तभी वही युवक गुस्से से भिन्नाते हुए बोला… तुम मुझे नहीं जानते। ऐसे लोग मेरे आगे पीछे नौकर की तरह घूमते है। तुम यहाँ से जाते हो कि नहीं? उसके एक साथी ने आगे बढ़ कर उसका हाथ पकड़ कर एक ओर ले गया और उनके पीछे-पीछे उनके बाकी साथी भी चले गये। वह दोनों युवतियाँ मेरे पास खड़ी रह गयी थी। मैने फौरन उनकी भाषा मे कहा… चलो जल्दी यहाँ से निकलो वर्ना कोई नया बखेड़ा खड़ा हो जाएगा। दोनों युवतियाँ एक पल के वहीं हतप्रभ सी खड़ी रही और फिर तेजी से मेरे आगे निकल गयी। उनके जाते ही मै वापिस रेस्त्राँ मे दाखिल हो गया। 
अपनी कुर्सी पर जमते ही शिराज़ी बोला… अली भाई किस पचड़े मे पड़ गये। यह तो रोजाना की बात है। …भाईजान आप सही कह रहे हैं। इसके आगे मै कुछ बोल पाता कि मेरे नजर बाहर चली गयी। वह दोनों युवतियाँ वापिस लौट कर रेस्त्राँ मे प्रवेश कर रही थी। पल भर मे दोनों मेरे सामने आ कर खड़ी हो गयी। उनमे से एक धीरे से बोली… शुक्रान। समय की नज़ाकत को समझते ही शिराज़ी फौरन कुर्सी से उठा और काऊन्टर की ओर चला गया। रेस्त्राँ की मध्यम रौशनी मे मैने पहली बार उन दोनों को ध्यान से देखा था। दोनों मेकअप किए हुए पश्चिमी वेशभूषा मे थी लेकिन शक्ल से दोनों स्कूल जाने वाली लड़कियाँ सी लग रही थी। यह मेरे लिए आश्चर्य की बात थी कि अरब मूल की स्कूली लड़कियाँ इस माहौल मे बिना किसी मर्द की निगरानी मे अकेले यहाँ क्या कर रही थी। जिस लड़की से मैने बात की थी उसकी ओर मुखातिब हो कर मैने पूछा… तुम दोनों यहाँ क्या कर रही थी? …हम घूमने आये हुए है। …बिना हिज़ाब और बिना किसी के साथ? एक बार फिर से मैने उसको उपर से नीचे तक निहारा। 
वह देखने मे बेहद सुन्दर थी। तीखे नयन-नक्श, कन्धें से नीचे तक झूलते हुए काले बाल, कमर से कुछ उँचा ब्लाउज और उसमे से बाहर झाँकते हुए अर्ध-कलश, गले मे सोने की चेन, पतली कमर और उठते हुए नितंबो पर बंधी हुई स्किन-टाईट जीन्स पहने कयामत लग रही थी। अचानक हमारी नजरें मिली और उसने झेंपते हुए निगाहें नीचे कर ली। …अगर आप एक दूसरे को देख चुके तो क्या मै बैठ जाऊँ। खनकती हुई आवाज मेरे कानों मे पड़ी तो मैने झेंपते हुए खड़े होते हुए उसके साथ खड़ी हुई नवयुवती से कहा… हाँ प्लीज बैठिए। एक पल के लिए मेरी नजर उस पर जा टिकी थी। वह उसी की तरह हुबहू दिख रही थी। बस उसके गले मे स्कार्फ था जिसके कारण उसका सीना ढक गया था। दोनों चुपचाप मेरे सामने बैठ गयी। एक बार फिर से मैने कहा… इस वक्त आप दोनों बिना किसी के साथ यहाँ पर क्या कर रही है?  मेरा प्रश्न सुन कर दोनों ने एक दूसरे को देखा जैसे दोनों एक दूसरे से पूछ रही हो कि क्या जवाब दें। मै चुपचाप उनकी ओर देखता रहा। मन ही मन मै सोच रहा था कि उन लड़कों का भी कोई दोष नहीं था। उनको देख कर कोई भी दीवाना हो सकता था। 
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…हम अपने परिवार के साथ यहाँ आये हुए है। आज शाम को घूमने के लिए हम दोनों अपने परिवार से पूछ कर निकले थे। …उन्होनें ऐसे माहौल मे तुम्हें अकेले बाहर जाने दिया? मै नहीं मान सकता लेकिन खैर तुम्हारी मर्जी। मेरी सलाह मानो तुम्हारा इस वक्त यहाँ अकेले घूमना ठीक नहीं है। अगर घूमना है तो दिन मे घूम लिया करो। रात को शराब पी कर कोई भी तुम्हारी जैसी खूबसूरत परियों को देख कर बहक सकता है। मैने मुस्कुरा कर उनको कह कर सामने पड़े हुए अपने ग्लास को उठा कर एक घूँट भरा और शिराज़ी को देखने के लिए अपनी नजरें घुमाई। वह अपने काउन्टर पर जमा हुआ था लेकिन उसकी नजरे मेरी ओर ही लगी हुई थी। …आप भी तो शराब पी रहे है। लेकिन आप तो नहीं बहके। मेरे कानों मे उसकी आवाज पड़ी लेकिन मेरी निगाहें शिराजी की ओर लगी हुई थी क्योंकि वह बाहर की ओर इशारा कर रहा था। 

मैने बाहर की ओर देखा तो वहाँ हड़कम्प मचा हुआ था। अरब के शेख के साथ आये हुए सुरक्षाकर्मी बेतहाशा इधर-उधर भाग रहे थे। सड़क पर भगदड़ सी मची हुई थी। अचानक मैने उनकी ओर देखा तो वह दोनों भी बाहर की ओर देख रही थी। अचानक मुझे उन दो सायों की याद आ गयी जो उस लीमोजीन से उतर कर भीड़ मे खो गये थे। …क्या वह लोग तुम्हें ढूँढ रहे है? दोनों ने घबरा कर एक नजर बाहर डाली और फिर मेरी ओर देखा। उनके भययुक्त चेहरे को देख कर मै उनके जवाब सुने बिना ही सारी परिस्थिति को भाँप गया था। …तुम्हारा क्या नाम है? अबकी बार उसने धीरे से कहा… मेरा नाम फ़्रेया और मेरी बहन का नाम ज़ारा है। …टुविन्स? …जी। प्लीज हमारी मदद किजीए। …कैसे। अगर तुम्हारे अब्बा ने तुम्हें यहाँ पर मेरे साथ देख लिया तो सोचो मेरा क्या हश्र होगा। मै जल्दी से अपनी सीट छोड़ कर जाने को हुआ तभी फ्रेया ने आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ लिया… प्लीज। मै एक पल के लिए ठिठक कर रुक गया और फिर जल्दी से कहा… मेरे पीछे आओ। इतना कह कर मै रेस्त्राँ की किचन मे चला गया और वहाँ से निकल कर पीछे के गलियारे से होता हुआ सड़क के चौराहे के पास निकल आया। मेरे पीछे वह दोनों भी चुपचाप सिर झुकाए चल रही थी। 
मैने अपने कदम धीरे करके हुए उनके साथ चलते हुए पूछा… अब क्या सोचा है? फ्रेया और ज़ारा ने एक दूसरे की ओर देखा और फिर घबराये हुए स्वर मे फ्रेया ने कहा… समझ मे नहीं आ रहा कि क्या करें। अब्बा हुज़ूर सुबह होने से पहले हमारी खाल खिंचवा देंगें। दोनों बेहद भयग्रस्त थी। …यह काम क्या पहली बार किया है? ज़ारा ने अबकी बार अपनी बहन को दोष देते हुए कहा… मैने मना किया था लेकिन इसने मेरी एक बात न मानी। यह जिद्द पकड़ कर बैठ गयी कि एक बार हम भी आम पर्यटकों की तरह घूमने के लिए चलते है। मै भी बेकार इसकी बातों मे आ गयी। …ज़ारा, उस माहौल मे दम घुट कर रह गया है। बड़ी मुश्किल से पहली बार बाहर निकले है। आप ही बताईए कि क्या किसी को अपने तरीके से जीना का कोई हक नहीं है? अगर वह लड़के हमारा समय नहीं खराब करते तो हम बड़े आराम से घूम कर इस वक्त नाइटक्ल्ब मे होते और किसी को पता भी नहीं चलता। …लेकिन अब क्या करे? मै चुपचाप उनकी बात सुन रहा था। मै अमीरात के माहौल से परिचित था इसीलिए फ्रेया की बात सुन कर मुझे उनकी कुंठा का आभास हो गया था। …फ्रेया तुम सब किस होटल मे ठहरे हुए हो? …हिल्टन ग्राँड। …अब तुम्हारे बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है कि मै तुम्हें हिल्टन ग्राँड मे छोड़ देता हूँ। कह देना कि एकाएक ज़ारा की तबियत खराब होने के कारण तुम दोनों नाइट्कल्ब से टैक्सी लेकर वापिस होटल आ गयी थी। …और उन्होंनें पूछा कि किसी को क्यों नहीं बताया तो इसका यह क्या जवाब देंगें? …कह देना कि सब खुश थे और हम उनके रंग मे भंग नहीं डालना चाहते थे इसीलिए बिना किसी को बताए हम होटल वापिस आ गये थे। 
मैने जाती हुई टैक्सी को इशारे से रोका और हिल्टन ग्राँड बोल कर सवार हो गया। मेरे पीछे-पीछे दोनों बहने भी टैक्सी मे बैठ गयी। …आप साउदी से है? …नहीं, लेकिन मै काम के सिलसिले मे अमीरात मे रहता हूँ। …वहाँ कहाँ रहते है? …अबू धाबी। फ़्रेया कुछ बोलना चाही लेकिन ज़ारा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे चुप कराते हुए पूछा… अबू धाबी मे कहाँ पर? …यूएनओ कोम्पलेक्स। क्या तुम लोग भी वहीं से आए हो? ज़ारा ने जल्दी से कहा… नहीं, हम दुबई मे रहते है। लेकिन अबू धाबी कभी-कभी घूमने के लिए जाते रहते है। …आपने अपना नाम नहीं बताया? …मेरा नाम अली मोहम्मद है। होटल नजदीक आ रहा था मैने ड्राईवर के हाथ मे कुछ यूरो थमाते हुए कहा… मै यहीं उतर रहा हूँ। इन दोनों को होटल के अन्दर छोड़ कर लौटते हुए यहीं से मुझे ले लेना। मुझे वापिस वहीं जाना है जहाँ से आये थे। उसने टैक्सी को सड़क के किनारे रोक दिया। गेट खोल कर मैने उतरते हुए कहा… पता नहीं फिर कब मिलना होगा लेकिन नसीहत के तौर पर कह रहा हूँ। वक्त बहुत खराब है ऐसे ही किसी राह चलते हुए पर आँख बन्द करके विश्वास मत करना। तुम जैसी खूबसूरत लड़कियों को वैसे भी अकेले नहीं घूमना चाहिए। मै उतर चुका था लेकिन अचानक फ्रेया ने मेरे हाथ पकड़ कर बड़े अधिकार से मुझे रोकते हुए कहा… एक मिनट रुकिए। उसने अपनी गले की चेन खींची और मेरे हाथ मे थमाते हुए कहा… पता नहीं किस्मत मे दोबारा मिलना हो कि नहीं लेकिन यह मेरी निशानी आपको मेरी याद हमेशा दिलाती रहेगी। ज़ारा ने भी जल्दी से अपना स्कार्फ गले से निकाला और मेरी ओर उछालते हुए कहा… यह मेरी याद दिलाएगा। मै कुछ कह पाता उन्होंने जल्दी से गेट बन्द करते हुए ड्राईवर को कहा… चलो।
मै वहीं सड़क के किनारे अपनी मुठ्ठी मे बन्द दोनों चीजों को लिये खड़ा रह गया और जाती हुई टैक्सी की लाल टेल लाइट को काफी देर यूहिं खड़ा देखता रह गया था। चंद घड़ी की मुलाकात मे फ्रेया का चेहरा अभी भी मेरी आँखों के सामने घूम रहा था। दिल के किसी कोने मे एक बार फिर मिलने की चाह उत्पन्न हो गयी थी। टैक्सी को वापिस लौटने मे दस मिनट लग गये थे। उस दौरान मेरा सारा ध्यान बस फ्रेया मे उलझ कर रह गया था। वापिस रेस्त्राँ की ओर लौटते हुए पहली बार मैने अपनी मुठ्ठी को खोल कर चेन पर निगाह डाली थी। सोने की पतली सी चेन थी जिसमे एक गहरे सुर्ख लाल रंग के रूबी का पेन्डेन्ट था। ज़ारा के स्कार्फ से अभी भी उसके सेन्ट की महक आ रही थी। उनके साथ बिताये हुआ कुछ मिनट मेरे जहन मे अब तक घर कर चुके था। ऐसा पहली बार मेरे साथ हुआ था। मन मे हल्की सी ग्लानि भी थी कि मै अपने से आधी उम्र की लड़की के बारे मे इतना विचलित महसूस कर रहा था। अपना सिर झटक सारे ख्यालों को निकाल कर कल रात वाली लड़की पर ध्यान लगाने की कोशिश करने लगा।     
पिछली रात को मुझे सोफिया उसी नाईटकल्ब के बाहर खड़ी हुई मिली थी। वह ईटालियन थी जो अपने दोस्त के साथ युरोप देखने के लिए निकली थी। लेकिन उसका दोस्त एक रात पहले उसके सारे पैसे ले कर उसे यहाँ अकेला छोड़ कर भाग गया था। वह अपनी मुश्किलों से निजात पाने के लिए कल्ब के बाहर खड़ी हुई मिली थी। मै उसकी खूबसूरती पर मोहित हो गया और समय बिताने के लिए उसे अपने साथ लेकर बोट हाउस पर आ गया था। पहले शराब का दौर चला और फिर एक लम्बा दौर रोमान्स और सेक्स का चला। सुबह की पहली किरण निकलने से पहले हम थक कर चूर हो कर नींद के आगोश मे चले गये थे। जब नशे का खुमार उतरा और मेरी आँख खुली तब तक सोफिया जा चुकी थी और उसी के साथ मेरा पर्स भी चला गया था। अपने आप को मन ही मन गाली दे कर समझाया कि शायद पैसे की जरूरत ने उसे इस काम के लिए मजबूर किया होगा वर्ना बातचीत से वह ऐसी नहीं लगी थी। पिछली रात को याद करने के बावजूद भी मै फ्रेया को दिल से बाहर नहीं निकाल पाया था। वह मेरे ज़हन मे बस चुकी थी।
…महाशय नाइटक्लब आ गया है। मै जल्दी से टैक्सी से उतरा और युरो का एक नोट देकर शिराज़ी के रेस्त्राँ की ओर बढ़ गया। सड़क का माहौल अब तक शांत हो चुका था। वही भीड़ चारों ओर घूमती हुई दिखायी दे रही थी। युवक और युवतियाँ अभी भी एक दूसरे को लुभाने के लिए इधर उधर घूमते हुए दिखायी दे रहे थे। आज पहली बार मुझे अकेलापन खल रहा था। समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। पल भर मे सब कुछ बेमानी सा लग रहा था। रेस्त्राँ मे कदम रखते ही शिराज़ी मेरी ओर आ कर बोला… अली भाई, कौन थी वह लड़कियाँ और आप उन्हें कैसे जानते हो? एक साथ ही उसने प्रश्नों की झड़ी सी लगा दी। मुझे कुछ पता होता तो उसे बताता लेकिन मै भी तो उनसे अनजान था। …भाईजान, मै भी नहीं जानता वह दोनों कौन थी। हम और आप जब बात कर रहे थे तो मेरी नजर बाहर चली गयी थी जहाँ चार-पाँच लड़के उनके साथ बदतमीजी कर रहे थे। मै तो बीच-बचाव करने के लिए बाहर निकला था। बस इसके अलावा उनके बारे मे और कुछ नहीं जानता। शिराज़ी ने एक पल के लिए मुझे घूरा और फिर धीरे से बोला… उस शेख के परिवार की लड़कियाँ होंगीं। उस शेख के लोग हरेक दुकान और रेस्त्राँ मे घुस कर शायद उन्हें ही तलाश कर रहे थे। कुछ ही देर मे उन्होंने यहाँ पर हंगामा मचा दिया था। 
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हम दोनों वापिस उसी टेबल पर आ कर बैठ गये। शिराज़ी ने इशारे से पीने के लिए दो बीयर के ग्लास मंगवा लिए और एक बार फिर से हम पीने बैठ गये। …अली भाई, आप गुम सुम से लग रहे हो। क्या बात है? …कुछ नहीं भाईजान। बस आज अपना घर याद आ रहा है। …चलिए भाई आज दिल बहलाने के लिए नाइटकल्ब के अन्दर चलते है। …नहीं यही बैठते है। पता चला कि वह शेख कौन था? …अरे भाईजान हमें क्या मतलब। यहाँ तो हर रोज़ दर्जनों मे ऐसे लोग आते है। अपने पैसे केसिनो और लड़कियों पर लुटा कर यह शेख लोग दो चार दिन मे वापिस चले जाते है। किस-किस के बारे मे जानने की कोशिश करें। सच पूछे तो भाईजान मुझे इन लोगों से खासी चिड़ है। हम काफी देर रात तक साथ बैठ कर बियर पीते हुए जिन्दगी की कहानी एक दूसरे को सुनाते रहे। वह दुबई का रहने वाला था। स्पेन घूमने आया था लेकिन एक स्पेनिश लड़की के चक्कर मे पड़ कर यही का हो कर रह गया था। अब तो साल दो साल मे वह एक बार वह अपने परिवार वालों मिलने जाता है। अपनी सेना की नौकरी के बारे छिपा कर मैने उसे अपने बारे मे भी सब कुछ बता दिया था कि कैसे मेरा पूरा परिवार अमरीका मे जा कर बस गया और मै काम के सिलसिले मे उनसे दूर होता चला गया था। निकाह के बारे मे पूछने पर एक बार फिर से अपने काम की वजह बता कर उसकी बात को टाल गया था। हमने साथ खाना खाया और फिर मै अकेला बोट हाउस की ओर चल दिया।

अंधेरा गहरा हो गया था। सड़क पर भीड़ भी छँट गयी थी। मै टहलते हुए वापिस लौट रहा था कि तभी मेरा सामना उन्हीं युवकों के साथ हो गया जिन्हें मैने फ्रेया के लिये धमकाया था। वह सड़क पर लगी हुई बेंच पर बैठे हुए शराब पी रहे थे। उनके साथ तीन अर्धनग्न विदेशी युवतियाँ भी बैठी हुई थी। …हे ओल्ड मेन। उसी बिगड़े हुए युवक ने मुझे आवाज लगायी। इस वक्त मै किसी बहस मे नहीं पड़ना चाहता था इसीलिए उसको अनसुना करके मै अपनी राह पर बढ़ गया। वह मेरे पीछे-पीछे तेजी से आया और मेरी गरदन पकड़ कर बोला… तुझे सुनाई नहीं देता। रुक तुझे एक सबक सिखाना है। मै कुछ कहता उससे पहले उसके दोस्त भी नजदीक आ गये थे। …देखो मेरी तुम्हारी कोई दुश्मनी नहीं है। उसके हाथ को झटक कर मै आगे बढ़ने के लिए जैसे ही कदम बढ़ाया तभी उसका एक दोस्त मेरे सामने आ गया… ओल्ड मेन, जिम्मी तुमसे कुछ कह रहा है। सभी नशे मे धुत थे और अपने साथ खड़ी हुई युवतियों के लिए इस वक्त मुझे अपने मनोरंजन का साधन बनाने मे लगे हुए थे।
उन युवतियों पर एक सरसरी नजर डाल कर मैने धीरे से कहा… आप लोगों ने बहुत पी रखी है। मेरा रास्ता छोड़ दो तो हम सभी के लिए अच्छा होगा। जाओ और इनके साथ ऐश करो। तभी वह बिगड़ैल युवक एक बार फिर से मेरी गरदन पकड़ कर बोला… ओल्ड मैन, मै आज तुम्हें एक ऐसा सबक दूँगा कि फिर कभी अपनी जिंदगी मे तुम मेरा रास्ता रोकने की कोशिश नहीं करोगे। एकाएक मेरा हाथ हिला और उसकी कलाई पर जकड़ गया। जब तक कोई समझ पाता तब तक उसकी कलाई पकड़े मै अपनी एड़ियों के बल पर घूम चुका था। कुछ टूटने की हल्की सी आवाज हुई और जिम्मी के मुख से एक हृद्यविदारक चीख निकल गयी। वह अपनी कलाई पकड़ दर्द से दोहरा हो कर जमीन पर लोट गया। उसके दोस्तों को तो जैसे साँप सूंघ गया था। वह अपनी जगह पर जड़वत खड़े रहे और जिम्मी सड़क पर दर्द से दोहरा हो रहा था। …अच्छा होगा इसे तुरन्त अस्पताल ले जाओ। इसकी कलाई टूट गयी है। इतना कह कर मै आगे बढ़ा तो उसके दोस्तों को होश आया और मेरी ओर झपटे लेकिन तब तक मै उनके लिए तैयार था। मेरा जूता सबसे नजदीक युवक के टाँगों के जोड़ पर लगा और वह अपना पाँव पकड़ कर सड़क पर बैठ गया। मेरा मुक्का एक युवक के जबड़े पर पड़ा तो वह झूमता हुआ अपने साथी से टकरा गया। तीन युवक जमीन पर पड़े हुए दर्द से कराहते देख कर बाकी बचे हुए युवक मुझे छिटक कर दूर खड़े हो गये थे। मैने धीरे से खड़ी हुई युवतियों से कहा… इन्हें अस्पताल ले जाओ। इतना कह कर मै उन्हें वहीं छोड़ कर आगे बढ़ गया।
पहले मै अपने अकेलेपन के कारण खोया हुआ महसूस कर रहा था लेकिन उन युवकों की वजह से एक बार वापिस मै अपने असली स्वरूप मे आ गया था। मै एक सैनिक था और अब मै जल्दी से जल्दी वापिस काम पर लगना चाहता था। सुबह मै देर से उठा और अपने नित्य कामों से निवृत हो कर मन ही मन एक निश्चय कर चुका था। उसका ख्याल मेरे जहन मे बस कर रह गया था। कुछ भी करके मुझे एक बार फ्रेया से मिलना था। मै तैयार हो कर हिल्टन ग्रांड होटल की जाने के लिये निकला ही था कि मेरे मोबाइल की घंटी बज उठी। …हैलो। …मेजर तुम अगली फ्लाइट पकड़ कर अबू धाबी पहुँचों। …जी सर। इतनी बात करके दूसरी ओर से लाइन कट गयी। एक ही पल मे फ्रेया का ध्यान हवा मे काफुर हो गया और मै जल्दी से अपना जरूरी सामान बाँधने मे जुट गया। कुछ ही देर मे हाउस बोट के मालिक के पास जा कर सारा हिसाब करके मै शिराज़ी से मिलने उसके रेस्त्राँ चला गया। उसने कुछ देर पहले ही अपना रेस्त्राँ खोला था और उसके लोग वहाँ की सफाई मे लगे हुए थे। मुझे देखते ही उसने चहकते हुए अंदाज मे कहा… आओ अली भाई क्या बात है आज इतनी सुबह कैसे? …भाईजान, मुझे यह जगह छोड़ कर आज ही जाना पड़ेगा। आफिसवालों ने मेरी छुट्टी कैंसिल कर दी है और मुझे फौरन लौटने का निर्देश मिला है। जाने से पहले मै आपका शुक्रिया अदा करना चाहता था इसीलिए यहाँ चला आया। 
…आओ जाने से पहले यहाँ की काफी पी लो। आज तक तुमने यहाँ पर सिर्फ बीयर पी है। उसने किसी को इशारा किया और कुछ ही समय मे काफी के दो मग हमारे सामने रखे हुए थे। …क्या तुम्हें पता चला कि आधी रात को किसी शराबी ने यहाँ के बड़े प्रतिष्ठित व्यक्ति मिगुअल करेरा के लड़के की हड्डियाँ तोड़ डाली। उसके साथ घूम रहे दोस्तों को भी बड़ी बेदर्दी से मारा-पीटा गया था। …मुझे पता नहीं। पर यह मिगुअल करेरा कौन है? …वह कोई कोलम्बियन है जिसने कुछ ही सालों मे स्पेन मे अपना करोबार काफी फैला लिया है। कल रात से पुलिस उसी पर्यटक को ढूँढने मे लगी हुई है। मै इतना तो समझ गया था कि वह पर्यटक कौन था लेकिन यह वक्त शिराज़ी को बताने का नहीं था। …उस शेख का कुछ पता चला? …हाँ, वह अमीरात के सात अमीरों मे से एक था। आज के अखबार मे उसकी तस्वीर छपी हुई है। वह रस अल-खैमाय का अमीर इब्ने मुशारत उल मोहम्मद बिन खुम्म है जो अपने परिवार के साथ आजकल स्पेन घूमने आया हुआ है। यह नाम मेरे कानों मे पिघले हुए सीसे समान लग रहा था। मेरी बदलती हुई भावभंगिमा को देख कर शिराज़ी ने कहा… क्यों अचानक उसका नाम सुनने से क्या हुआ?  मैने जल्दी से कहा… कुछ नहीँ, बस वहाँ के नागरिकों के उपर इन अमीरों के जुल्म अचानक याद आ गये। अब मुझे चलना चाहिए। मै अब जल्दी से जल्दी यहाँ से निकलना चाहता था। खुदा हाफिज़ कह कर मै वहाँ से एयरपोर्ट की ओर चल दिया।
एयरपोर्ट पर मुझे कोई खास परेशानी पेश नहीं आयी। यूएन के पासपोर्ट के कारण सब काम आसानी से हो गया था। शाम तक मै एमिरेट्स की फ्लाइट से अबू धाबी की ओर जा रहा था। जिस लड़की को कुछ देर पहले तक मै भुला पाने मे अस्मर्थ पा रहा था अब वह एकाएक दुश्मन लगने लगी थी। वह उसी आदमी की लड़की थी जिसने मुझे कसाई का नाम दिया था। उस आदमी की वजह से मेरे सैन्य जीवन का अन्त हो गया था। वैसे तो मेरा आमना-सामना उस आदमी के साथ कभी नहीं हुआ था लेकिन कल रात को  मैने उस पहली बार देखा था। मुझे जनरल मोर्गन की बात याद आ गयी कि यह सब बेहद लालची लोग है जो अपने लालच के लिए किसी भी हद तक गिर सकते है। इन्ही विचारों के साथ आधी रात को मै अबु धाभी के एयरपोर्ट पर उतरा था। 
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रियाध, साउदी अरब


जिस समय मेरा हवाईजाहज अबुधाबी की धरती पर उतर रहा था उसी समय रियाध मे स्थित एक आलीशान कक्ष मे सात लोग बैठ कर किसी गहन मुद्दे पर चर्चा मे उलझे हुए थे। एक अलग सोफे पर हाल ही मे नियुक्त साउदी अरब की गद्दी का वारिस मोहम्मद सलमान बिन साउद बैठ कर उनकी बातें सुन रहा था। वह परेशान और थका सा लग रहा था। इस मीटिंग को चलते हुए पाँच घंटे से ज्यादा हो चुके थे लेकिन वह सात लोग किसी भी नतीजे तक नहीं पहुँच पा रहे थे। एकाएक वह गुस्से से बिफरते हुए बोला… बहुत हो गया। मैने आपकी बात सुन ली है और मै अब इस नतीजे पर पहुँचा हूँ कि आप सबका कार्यक्षेत्र अलग-अलग होगा लेकिन आप सभी मेरे द्वारा तय किए मक्सद को पूरा करेंगें। इसके लिए मै एक सिंडिकेट का गठन कर रहा हूँ। अगले कुछ दिनों मे मेरी सम्पति का कुछ भाग इसी सिंडिकेट के अकाऊन्ट मे जमा हो जाएगी। लगभग दो बिलियन पाउन्ड स्टर्लिंग इसके अकाउन्ट मे होगे जिसको आप जैसे मर्जी खर्च कर सकते है। अब से यह अल बश्र सिंडिकेट के नाम से जाना जाएगा। आपको मेरे मक्सद को पूरा करने के लिए काम करना है। सातों व्यक्ति उसका तमतमाया हुआ चेहरा देख रहे थे। कुछ देर के बाद एक व्यक्ति बड़े अदब से बोला… हाईनेस आपके मक्सद को कामयाब करने के लिए पहले हमे मध्य-पूर्वी एशिया से अमरीका को हटाना की युक्ति खोजनी होगी। जब तक अमरीका यहाँ बैठा हुआ है तब तक हम अपने मक्सद मे कामयाब नहीं हो सकते। साउदी प्रिंस मोहम्मद सलमान बिन साउद अपनी जगह से उठते हुए बोला… जो करना है वह करो लेकिन बस ख्याल रहे कि हमारे मक्सद को हर हाल मे पूरा होना है। उसके खड़े होते ही सभी खड़े हो गये थे। शायद यह उनके लिए मीटिंग समाप्त होने का एक इशारा था। एक-एक करके सभी साउदी प्रिंस का हाथ चूम कर कक्ष से बाहर निकल गये। आखिर मे जिसे संचालन का काम सौंपा गया था वह व्यक्ति जैसे ही विदा लेने के लिए आगे बढ़ा प्रिंस ने उसको रोकते हुए कहा… तुम पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी डाली है। याद रहे कि उसके लिए कुछ भी करना पड़े तो करो लेकिन हमारा मक्सद पूरा होना चाहिए। बस ख्याल रहे कि इसकी खबर किसी को भी नहीं होनी चाहिए।…हुजूर आप बेफिक्र रहे। उसने झुक कर साउदी प्रिंस का हाथ चूमा और कक्ष से बाहर निकल गया।

युएन शांति सेना के मध्य-पूर्वी एशिया के मुख्यालय पहुँच कर मै सीधे जनरल मोर्गन के आफिस मे हाजिरी लगाने के लिए पहुँच गया था। जनरल मोर्गन की सेक्रेटरी सूजन हैलीवाल ने मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया… हैलो मेजर, जनरल आपका इंतजार कर रहे है। …सूजी, अब से एक्स-मेजर। मै एक सिविलियन हूँ। इतना बोल कर मै कमाडिंग आफीसर के कमरे मे चला गया। सेना की आदत आसानी से नहीं जाती। इसलिए घुसते ही मेरा हाथ सैल्यूट मारने के लिए खुद-ब-खुद उठ गया था। जनरल मोर्गन ने मुस्कुरा कर सैल्युट का जवाब दिया और फिर अपने पुराने अंदाज मे बोले… विश्राम मेजर। यह आदत अपने समय से जाएगी। अब तुम मेरे स्टाफ आफीसर नही बल्कि मेरे सुरक्षा सलाहकार हो। 
जनरल की मेज एक फुट्बाल फ़ील्ड लग रही थी। ओकवुड की गहरे कत्थई रंग की मेज पर दो फोन सजे हुए थे। उनकी मेज के एक किनारे पर कुछ कागज और फाइले करीने से रखी हुई थी। उनकी कुर्सी के पीछे दीवार पर कुछ तस्वीरे और उनके रेजीमेन्ट का झंडा लगा हुआ था। मै इस कमरे मे पहले भी बहुत बार आ चुका था इसीलिए मै वहां पर पड़ी हुई हर चीज से वाकिफ था। जनरल मोर्गन ने बज़र देकर सूजन को इन्टरकाम पर कहा… मेजर की फाईल ले कर आओ। कुछ ही देर मे फाइल अपने हाथ मे लिए सूजन ने कमरे मे प्रवेश किया। …सारे पेपर्स तैयार है? …सर, कल ही सारे पेपर्स तैयार कर दिये गये थे। मेजर को पेपर्स पर सिर्फ साइन करने है। उसने वह फाइल मेरे सामने रख दी और मैने जल्दी से हर पेपर पर साइन करने आरंभ कर दिये। यह सब मैने पहले भी किया था। यह एक औपचारिकता थी जिसे सभी को नौकरी आरंभ करने से पहले पूरी करनी पड़ती है। 
औपचारिकता समाप्त होने के बाद जनरल मोर्गन ने कहा… मेजर तुम्हारा पहला काम है कि सबसे पहले अमीरात के सातों प्रान्तों मे सबसे संवेदनशील जगहों की निशानदेही करो। उन अराजकवादी गुटों के बारे मे पूरी जानकारी एकत्रित करो जो इन हिस्सों मे कार्यरत है और हमारी शांति सेना के लिए आगे चल कर खतरनाक सबित हो सकते है। इन गुटों मे अपना नेटवर्क तैयार करो जिससे समय रहते ही हमे उनके हमले की जानकारी हो सके। यह काम इतना आसान नहीं है लेकिन मुझे तुम पर पूरा विश्वास है कि तुम इस काम को जरूर पूरा कर सकोगे। मै चुपचाप उनकी बाते सुनता रहा। …सर, इसका सारा खर्च कौन उठाएगा? जनरल मोर्गन एक पल के लिए चुप हो गये और मेरी ओर ध्यान से देख कर बोले… मै जानता था कि तुम मुझसे पहला प्रश्न यही करोगे। एक पल रुक कर फिर से बोले… मेजर इस काम के लिए अमीरात की सरकार ने अलग से बजट दिया है। तुम्हें जो सुविधा चाहिए वह मिलेगी लेकिन ध्यान रहे कि अब तुम सेना मे नहीं हो। इसीलिए तुम अपने पास हथियार नहीं रख सकते। अपनी सुरक्षा के लिए तुम सिर्फ एक पिस्तौल रख सकते हो परन्तु तुम्हारा सुरक्षा स्टाफ शांति सेना से होगा तो वह अत्याधुनिक हथियारों से लैस होंगें। अब कब से काम शुरू करने की सोच रहे हो? …सर, मै तो अभी से ही अपना काम शुरू करना चाहता हूँ। …गुड लक मेजर। मैने जल्दी से उठ कर एक बार फिर से कड़क सैल्युट मारा और अपनी एड़ियों पर खड़े हुए घूमा और बाहर निकल गया।
सूजन अपने आफिस मे मेरा इंतजार कर रही थी। …मेजर आपको उसी कमरे मे बैठना है जहाँ आप पहले बैठते थे। मै आपकी सेक्रेटरी से आपको यहीं मिला देती हूँ। सूजन ने इन्टरकाम पर किसी से कहा… आज मेजर ने रिपोर्ट किया है। मेरे कमरे मे आईए। इतना बोल कर उसने लाइन काट कर कहा… मेजर, आपके रहने के लिए एक नये फ्लेट का इंतजाम कर दिया गया है। आपकी सुरक्षा टीम कुछ ही देर मे आपको रिपोर्ट करेगी। वह कुछ और बोलने जा रही थी कि किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी। …कम इन। दरवाजा धीरे से खुला और एक युवती ने प्रवेश किया। वह पश्चिमी वेशभूषा मे थी लेकिन फिर भी देखने मे बेहद संजीदा लग रही थी। …यह अन्टोनियो क्लारा है। आप इसे टोनी बुला सकते है। यह मेजर अली है। …हैलो टोनी। मै एक्स-मेजर हूँ। मेरा नाम अली मोहम्मद जान्जुआ है। आप मुझे अली के नाम से बुला सकती है। …कल से इसने आपके आफिस का चार्ज संभाल लिया है। मेजर आपको जिस चीज की जरूरत हो इसे बता दिजीएगा। …सूजन अब मै चलता हूँ। …मेजर, आपके लिए जनरल की ओर से निर्देश है कि आप रोज शाम को छ: बजे उनको ब्रीफ करेंगें। …ओके ब्युटीफुल, क्या मै अपने आफिस मे अब लौट सकता हूँ। मेरी बात सुन कर सूजन के चेहरे पर एक मुस्कान तैर गयी और फिर उसने जनरल की नकल के अंदाज मे कहा… मेजर, अब आप जा सकते है। मै और टोनी अपने आफिस की ओर चल दिये।
…सर, आपकी सुरक्षा टीम कुछ ही देर मे आपको रिपोर्ट करेगी। वह आपका इंतजार कर रहे है। मै उन्हें खबर कर देती हूँ। मेरा कमरा यथावत जैसा छोड़ कर गया था उसी हालात मे था। टोनी ने चार्ज लेते ही उसकी सफाई करा दी थी। मेरी मेज बिल्कुल साफ रखी हुई थी। मेरी कुर्सी के पीछे संयुक्त अरब अमीरात का बड़ा सा नक्शा दीवार पर लगा हुआ था। आते से ही टोनी अपने काम मे लग गयी और मै कुर्सी घुमा कर दीवार पर लगे हुए नक्शे का जायज़ा लेने मे वयस्त हो गया। मेरी निगाहें उन संवेदनशील हिस्सों को ढूँढने मे लगी हुई थी जहाँ भी आज तक छुट-पुट घटना घटी थी। …टोनी यहाँ आओ। पल भर मे वह मेरे सामने खड़ी हुई थी। …टोनी, संयुक्त अरब अमीरात के कुछ नक्शे चाहिए। उसका प्रबन्ध करो। रेकार्ड रूम से मुझे पिछले दो साल के सेना के आप्रेशन्स की लिस्ट और उसकी विस्तृत जानकारी ला कर दो। टोनी जल्दी-जल्दी मेरे निर्देश एक कागज पर नोट करने मे लग गयी थी। …मुझे एक बड़े स्क्रीन और प्रोजेक्टर की भी आवश्यकता है। इसका फौरन स्टोर के पास इन्डेन्ट भेज दो। मै अभी निर्देश दे रहा था कि तभी किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी। टोनी फौरन दरवाजा खोल कर बोली… अन्दर आ जाईए।
…सर, यह आपकी सुरक्षा के लिए रिपोर्ट कर रहे है। एक-एक करके शांति सेना की युनीफार्म मे पाँच लोग मेरे कमरे मे एक लाइन बना कर सावधान खड़े हो गये। एक महिला और चार पुरुष थे। महिला को छोड़ कर सभी छ: फुट से उपर थे और चौड़ाई मे रगबी टीम के खिलाड़ी के भाँति लग रहे थे। …विश्राम। मेरा नाम अली मोहम्मद ज़ान्जुआ है। आप मुझे अली के नाम से बुला सकते है। सेना के अन्दांज़ मे सबसे पहले महिला सावधान की मुद्रा मे आयी और एक कदम आगे बढ़ कर बोली… जुलिआ फौनतेन, कारपोरल, मोटर ट्रान्सपोर्ट विन्ग। फ्रेन्च लिजन, सर। वह एक कदम पीछे हटी और एक बार फिर लाईन मे विश्राम हो कर खड़ी हो गयी। उसके साथ खड़ा हुआ दैत्य सा दिखने वाले ने वही किया और बोला… हेनरी पिनोशे, सार्जेन्ट, फ्रेन्च लीजन। 
…टिमोथी मारीसन, सैनिक, फ्रेन्च लीजन। 
…सेमुअल नगोलो, सैनिक, फ्रेन्च लीजन।
… इब्राहीम किन्ग, सैनिक, फ्रेन्च लीजन।
एक बार फिर से सभी एक लाइन मे विश्राम की मुद्रा मे खड़े हो गये थे। एक महिला, दो अश्वेत और दो श्वेत। सभी फ्राँस की सेना से आये थे। भारतीय सेना के पद अनुसार मेरी सुरक्षा मे एक हवलदार, एक लाँस नायक और तीन सैनिक थे। …बैठ जाईए। सभी सामने पड़ी हुई कुर्सियों पर सावधानी से बैठ गये। मैने टोनी को इशारा किया कि वह भी बैठ जाए। …आप लोग यहाँ मेरी सुरक्षा के लिए नियुक्त किए गये है परन्तु अबसे आप मेरे स्टाफ के सदस्य है। इसी लिए हम एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ ले और अपने काम से पूरी तरह परिचित हो जाए। सभी चुप हो कर पूरी तन्मयता से मेरी बात सुनने मे लग गये। उनके साथ मैने तीन घंटे बिताए और उन्हें उनके काम के बारे मे जानकारी दी। मै तो चाहता था कि वह सादे कपड़ो मे मेरे साथ काम करे लेकिन मुझे सेना के नियमों का पता था कि वह इसकी इजाजत नहीं देते थे लेकिन उनके नामों को छोटा करने मे सफल हो गया था। जूली, हेनरी, टिम, सैम, किन्ग और टोनी मेरी टीम के पूरी तरह सदस्य बन चुके थे। …कल से रोज सवेरे आप लोग मेरे साथ वाले कमरे मे बैठेंगें। आप अपने हथियार वगैराह अपने कमरे मे रखने का इंतजाम कर ले। जूली आप एक हैवी मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप का इन्डेन्ट मेरे नाम से मोटर ट्राँसपोर्ट युनिट को कर दिजिए। इतना कह कर मैने उन्हे वापिस भेज दिया और टोनी को इशारा किया कि वह साथ वाला कमरा साफ करा कर  इन पाँचो के बैठने का इंतजाम कर दे। अगले एक घंटे टोनी मेरे बताए हुए सामान के इंतजाम करने मे लग गयी और मै सामने दीवार पर लगे हुए नक्शे को देखने मे वयस्त हो गया था। 
मेरी जानकारी के अनुसार वह सारी जगह जहाँ हमारी छोटी से छोटी मुठभेड़ अराजक तत्वों से हुई थी उन जगहों की निशानदेही सामने लगे हुए नक्शे पर करने बैठ गया। संयुक्त अरब अमीरात सात प्रान्तों का समूह है जिसमे अबू धाबी, अजमान, दुबई,  फुजाईराह, रस अल-खैमाय, शारजाह और उम्म अल-क्युवैइन मुख्य प्रान्त है। अबू धाबी उनमे सबसे बड़ा प्रान्त है जो लगभग अमीरात का 70 प्रतिशत हिस्सा है।। उत्तर मे फारस की खाड़ी है, दक्षिण मे उसकी सीमा साउदी अरब और ओमान से जुड़ी हुई है। पूर्व में दुबई और पश्चिम मे कतार है। इसी कारण अबू धाबी मे शाँति सेना का मुख्यालय बनाया गया था। दुबई के पूर्व मे शारजाह और फिर अजमान प्रान्त एक दूसरे से जुड़े हुए है। इन प्रान्तों के दक्षिण मे फुजाईराह प्रान्त है जिसकी सीमा ओमान से लगी हुई है। इन दोंनों प्रान्तों के साथ जुड़ा हुआ उम्म अल-क्युवैइन प्रान्त है। रस अल-खैमाय पूर्व मे सबसे आखिरी प्रान्त है। अबू धाबी को छोड़ कर बाकी सभी प्रांतों की समस्या प्रशासनिक सीमाओं से आरम्भ होती है और उसी पर समाप्त होती है। इन प्रान्तों के अमीरों ने एक दूसरे के हिस्से को जोर जबरदस्ती से अपने कब्जे मे लिए बैठे हुए है। फुजाईराह की प्रांतीय सरकार दो अलग-अलग हिस्सों पर काबिज है। प्रशासनिक दृष्टि से शारजाह तीन अलग-अलग हिस्सों मे बँटा हुआ है। इन सबके बीच मे अन्य दो अमीरों का शासन है जो सारी खींचतान का कारण है। मैने सातों प्रान्तों मे बनी हुई चौकियों का निरीक्षण किया था जिसकी वजह से मै वहाँ के चप्पे-चप्पे से वाकिफ था। 
साउदी अरब के साथ जुड़ी हुई अबू धाबी की सीमा पर हमारी दस चौकियाँ थी। यहाँ की चौकियाँ सिर्फ तेल की रिफाईनरी और तेल के कुँओं की सुरक्षा के लिए बनायी गयी थी। परन्तु अल कैदा के कारण पूरी सीमा एक टाइम बम्ब के भाँति सुलग रही थी। इस प्रान्त का सबसे संवेदनशील इलाका साउदी और कतार की सीमा के नजदीक रेतीले इलाके मे था। यहाँ पिछले एक साल से मध्य-पूर्वी एशिया से पलायन किये हुए शरणार्थी अस सीला नाम की जगह से कुछ मील दूर आ कर बस गये थे। यहाँ कुर्द, इराक़ी, इरानी, यमनी, सीरीयाई और न जाने और कितने देशों के लोगों ने अपने-अपने कैंम्प रेगिस्तान मे बना डाले थे। अबू धाबी की सरकार चाहते हुए भी इनका कुछ नहीं कर पा रही थी। अन्तरराष्टीय मानव अधिकार संस्था इनके बचाव मे सरकार के खिलाफ उतरा हुआ था। वैसे तो वहाँ पर सभी बेहाल जीवन जी रहे थे लेकिन पता नहीं इनके पास अत्याधुनिक हथियार कौन पहुँचा रहा था। आये दिन यहाँ पर कोई नया फसाद होता रहता था। कभी दो गुटों मे किसी छोटी सी बात पर मारामारी हो जाती थी या फिर सरकार के खिलाफ नया मोर्चा खुल जाता था। यहाँ के रहने वालों के लिए अपना गुस्सा निकालने के लिए बस दो ही साधन थे। वह कभी तेल की पाइपलाईन को बम्ब से उड़ाने की कोशिश करते या फिर रिफाईनरी मे आगजनी करने की कोशिश करते थे। अबू धाबी की सबसे महत्वपूर्ण रिफाईनरी रुवाई मे स्थित थी। यह रिफाईनरी उन कैम्पों के नजदीक थी इसीलिए वहाँ स्थित शांति सेना की चौकियाँ हमेशा रेड अलर्ट पर रहा करती थी। कैंप मे अराजकता की घटनाओं के कारण अबू धाबी की पुलिस भी इन कैम्पों की ओर जाने मे झिझकने लगी थी।
लगभग आठ महीने पहले यहाँ पर आईसिस नाम की दुर्दांत संस्था ने अपने पाँव जमाने शुरू कर दिये थे। मोसुल से आये हुए इराकी लोगों के कैम्प मे मेरे सैनिकों ने एक सर्च आप्रेशन मे चार कुख्यात आतंकवदियों को सीआईए की निशानदेही पर पकड़ा था। लगभग ऐसा ही मुझे इरानी कैंप के बारे मे पता चला था। वहाँ पर ईरान फ्रीडम पार्टी के कार्यकर्ता अपने लोगों मे धीरे-धीरे पाँव जमाने मे लगे हुए थे। जब तक मै रहा था तब तक उन्होंने किसी बड़े काम को अंजाम नहीं दिया था। अभी तक सिर्फ सुनने मे आया था कि वह आईसिस के खिलाफ गतिविधियों मे जरूर लिप्त थे। सबसे ज्यादा हमला पाइपलाइन पर करने वालों मे सिर्फ अल कैदा-अमीरात के नाम से काफी प्रचिलित था। इस संस्था से जुड़े हुए लोग सभी कैंम्पों मे रह रहे थे। पूरे इलाके मे इस गुट के साथ हमारे सैनिकों की आये दिन मुठभेड़ हुआ करती थी। ऐसे ही दर्जनों छोटे-छोटे गुट भी पिछले कुछ महीनों मे इस इलाके मे सक्रिय हो गये थे। कुछ महीने पहले मेरा सामना पहली बार अल नुसरा फ़्रंट के आतंकियों के साथ हुआ था। यह बाद मे पता चला था कि वह इस इलाके का जायज़ा लेने के लिए सर्च पार्टी के तौर पर आये थे परन्तु शांति सेना की नजरों से नहीं बच पाये थे।
मेरे सामने पश्चिमी अमीरात का नक्शा रखा हुआ था। मै अपने ध्यान मे डूबा हुआ था कि जब टोनी ने आ कर मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्शित करते हुए कहा… सर, कल तक सारे रिकार्ड्स और मुठ्भेड़ की जानकारी मिल जाएगी। बाकी सामान के लिए इन्डेन्ट कर दिया है। इतना बोल के वह चुप हो गयी। मैने उसकी ओर देखा तो वह कुछ बोलने से झिझक रही थी। …कुछ और कहना है? …सर, पाँच बज गये है। मैने जल्दी से अपनी कलाई पर बँधी हुई घड़ी पर नजर डाली तो शाम के पाँच बज रहे थे। …अरे समय का पता ही नहीं चला। टोनी तुम जा सकती हो। मै अभी कुछ देर यहाँ बैठ कर काम करूँगा। टोनी ने कुछ नहीं कहा और चुपचाप वापिस कमरे से बाहर निकल गयी। मै एक बार फिर से नक्शे पर निगाहें जमा कर बैठ गया। दूसरा संवेदनशील इलाका दक्षिण दिशा मे था। मेरी नजर अपनी चौकी को ढूँढने मे जुट गयी थी। ओमान और साउदी अरब के जोड़ और अमीरात की सीमा पर लीवा पानी के स्त्रोत और उल्म अज़-ज़ुमुल के बीच का क्षेत्र सेना के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द था। यहाँ बनी हुई चौकी हमेशा बाहरी लोगों के निशाने पर बनी रहती थी। इस इलाके मे हिज्बोल्लाह और हमस नाम के आतंकी संस्थाओं का बोलबाला था। वैसे तो हिज्बोल्लाह मूल रूप से लेबानान का आतंकी संगठन था लेकिन इस रेगिस्तानी क्षेत्र मे उन्होंने अपने ट्रेनिंग कैम्प जगह-जगह लगा रखे थे। फीलीस्तीन के आतंकवादी संगठन हमस ने भी इस क्षेत्र मे अपना दबदबा बना रखा था। अन्य जगहों पर आतंकी वारदात करके साउदी सीमा पार करके अमीरात मे घुस जाते थे। अमीरात के किसी भी प्रान्त मे वारदात करके ओमान का रुख कर लेते थे। इन्टेलीजेन्स को शक था कि अमीरात के गुटों को यही दोनो गुट हथियार पहुँचा रहे थे। तीन देशों की सीमा के कारण सबके उपर नजर रखना इतना आसान भी नहीं था। 
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अंधेरा हो चुका था। अबू धाबी शहर रात की रौनक मे जगमगाता हुआ दिख रहा था। मै अपने आफिस को बंद करके मेन गेट की ओर चल दिया। मै जानता था कि आज की रात भी मुझे होटल मे गुजारनी पड़ेगी इसीलिए मै अपना सामान साथ नहीं लाया था। वैसे भी मेरे पास सामान की दृष्टि से बस कुछ कपड़े ही थे। मै धीमे कदमों से चलते हुए कोम्पलेक्स के बाहर निकल आया। रात मे खाड़ी के कारण हवा भी ठंडी चल रही थी। मै बाहर खड़ी हुई टैक्सी मे बैठा और अपने होटल का पता बता कर अपनी आगे आने वाली मुश्किलों को गिनने बैठ गया। मेरी सबसे बड़ी मुश्किल इन गुटों मे अपने आदमियों का नेटवर्क बनाने की नज़र आ रही थी। मेरा दिमाग इस समस्या मे उलझ कर रह गया था। अपने होटल के डाईनिंग रूम मे अकेले बैठ कर खाना खाया और फिर कमरे मे सोने चला गया।

होटल के कमरे मे पहुँच कर मै अपने कपड़े बदल रहा था की मेरी नजर ज़ारा के स्कार्फ पर पड़ी। एकाएक फ्रेया का चेहरा न चाहते हुए भी मेरी आँखों के सामने एक बार फिर आ गया। मैने जेब से उसकी चेन निकाली और एक बार उस पर नजर डाल कर मेज पर रख दी। सुबह से एक बार भी उसका नाम मेरे जहन मे नहीं आया था लेकिन इस वक्त एक बार फिर होटल के खाली कमरे का अकेलापन मुझे विचलित कर रहा था। मैने टीवी चला दिया और अल जज़ीरा का स्थानीय चैनल देखने के लिए बैठ गया। चैनल पर कोई ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी। मैने जल्दी से उसकी आवाज बढ़ा दी और सुनने के लिए बैठ गया। रुवाई मे स्थित अबू धाबी आयल रिफाईनरी मे शाम को बम्ब फटने के कारण जान और माल का काफी नुकसान हो गया था। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली थी लेकिन पुलिस सूत्रों का कहना था कि अल नुसरा फ्रंट का इस धमाके मे हाथ था। मैने मन ही मन कहा… मेरा शक बिल्कुल सही था। मै ध्यान से खबर सुनने के लिए बैठ गया।
शिफ्ट खत्म होने के टाइम पर जब वहाँ पर बहुत से लोग बाहर होते थे तब सी-विंग मे एक विस्फोट हुआ और उसके कारण गैस टैंक मे आग लग गयी जिसकी वजह से भरे हुए गैस के सिलेंडरों ने आग पकड़ ली और एक-एक करके फटने लगे जिसकी वजह से पूरा सी-विंग नष्ट हो गया था। गैस के सिलेंडरों के फटने की वजह से वहाँ पर काम करने वाले और अगली शिफ्ट के लोग जो सी-विंग के बाहर इंतजार कर रहे थे वह भी विस्फोट की चपेट मे आ गये थे। आखिरी खबर के अनुसार 128 लोग मारे गये और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे जो आस-पास के अस्पतालों मे इलाज के लिए भेज दिए गये थे। मेरा ध्यान खबरों मे लगा हुआ था कि मेरे मोबाईल की घंटी बज उठी। मेरी नजर सबसे पहले घड़ी की ओर गयी। रात के ग्यारह बज रहे थे। इस वक्त मुझे कौन फोन कर सकता है? मैने जल्दी से फोन उठा कर बोला… हैलो। …मेजर, तुमने आज शाम की खबर तो देख ली होगी। जनरल मोर्गन की आवाज दूसरी ओर से सुन कर मैने तुरन्त कहा… यस सर। …तुम कहाँ ठहरे हुए हो? …होटल होलीडे इन। …ठीक है तैयार हो कर नीचे पोर्च मे मेरा इंतजार करो। हमे अभी किसी से मिलना है। …इस वक्त? लेकिन तब तक फोन कट चुका था। मैने जल्दी से कपड़े बदले और तेजी से होटल के रिसेप्शन एरिये की ओर चल दिया।
दस मिनट के बाद जनरल की कार होटल के पोर्टिको मे आ कर रुकी। मै तेजी से शीशे के गेट को खोल कर उस कार की ओर झपटा और दरवाजा खोल अन्दर की ओर झाँका तो जनरल मोर्गन मुझे बैठे हुए दिखायी दे गये। …कम आन मेजर। हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। मै जल्दी से उनके साथ बैठ गया… सर इस वक्त हम कहाँ जा रहे है? …राष्ट्रपति ने अपने सलाहकारों की मीटींग फौरन तलब की है। हम उसमे जा रहे है। मै चुपचाप बैठ गया। …तुम्हें किसी पर शक है? …सर आप जानते है कि मै जब तक उस जगह की पूरी रिपोर्ट न देख लूँ तब तक मै किसी को भी दोषी नहीं कह सकता। यह जगह हमारी चौकी की ज्युरिस्डिकशन मे आती है। इसकी जाँच हम क्यों नहीं कर रहे है? टीवी से पता चला है पुलिस का कहना है कि इसके पीछे अल नुसरा फ्रंट का हाथ है। पर मै यकीन से कह सकता हूँ कि यह गुट इस तरह का काम अंजाम नहीं दे सकता। जनरल ने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला ही था कि हमारी कार राष्ट्रपति निवास मे प्रवेश कर गयी थी। हम दोनों जल्दी से रिसेप्शन की ओर चले गये और उन्होंने हमे एक बड़े से मीटींग रूम मे ले जा कर बिठा दिया। कुछ लोग तो पहले से ही वहाँ बैठे हुए थे। सब लोग जनरल मोर्गन से परिचित थे। सभी ने हाथ हिला कर जनरल का अभिवदन किया और फिर अपनी बातों मे लग गये।
…मेजर, क्या तुम इन लोगों को जानते हो? …नहीं सर। कौन है यह लोग? …कुछ सरकारी मंत्री है और कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी। जनरल मोर्गन और मुझको छोड़ कर सभी अरब वेशभूषा मे थे। अगले दस मिनट मे पूरा मीटींग रूम भर गया था। अचानक सामने का दरवाजा खुला। पहले राष्ट्र्पति के गार्डस ने कमरे मे कदम रखा और फिर उनमे से एक ने तेज आवाज मे कहा… राष्ट्रपति पधार रहे है। सभी अपनी-अपनी जगह पर उठ कर सावधान मुद्रा मे खड़े हो गये। कुछ ही देर मे राष्ट्रपति का अगमन हो गया। अपने चिरपरिचित अंदाज मे उन्होंने सभी का अभिवादन किया और फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गये। खड़े हुए सारे लोग उनका इशारा पाते ही अपनी-अपनी जगह पर चुप हो कर बैठ गये। मै चुपचाप जनरल मोर्गन के पीछे रखी हुई कुर्सी पर बैठ गया। 
राष्ट्रपति ने बिना कोई औपचारिकता निभाए सीधे मुद्दे की बात करके मीटींग की कार्यवाही आरंभ की… आपने रुवाई की खबर तो अब तक सुन ली होगी। आपको इसलिए इतने कम समय मे इकठ्ठा होने के लिए कहा गया है कि इसका क्या उपाय किया जाए? यहाँ स्थित सभी आतंकी संगठन अब निर्भीक होते जा रहे है। पहले गृह मंत्री कुछ देर बोले और उसके बाद दो मंत्रियों ने अपना पक्ष सबके सामने रखा। पहली बार मै इतनी महत्वपूर्ण मीटींग को इतने नजदीक से देख रहा था। काफी देर के बाद राष्ट्रपति के कहने पर जनरल मोर्गन ने अपनी बात रखी। उनका कहना था कि यह सब अन्दरुनी लोगों की शह पर हो रहा है। अचानक जनरल मोर्गन की बात सुन कर मै चौंक गया क्योंकि वह कह रहे थे कि मेरे सुरक्षा सलाहकार की सोच आज की वारदात के बारे मे आपसे भिन्न है। इतना कह कर वह बोले… मेजर। एकाएक सबकी नजरें मेरी ओर चली गयी। पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मै सिकुड़ कर रह गया था।
मै अपनी जगह पर खड़ा हो गया और सावधान की मुद्रा लिए बोला… संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना पिछले दो सालों से आपकी सरकार को ऐसी ही किसी घटना से आगाह कर रही थी। वह शरणार्थी कैंम्प अब एक नया आतंकी स्वरूप ले चुके है। मध्य-पूर्वी एशिया का कोई ऐसा आतंकी गुट नही है जिसकी यहाँ पर शाखा न हो। आज की घटना के पीछे भी अल नुसरा फ्रंट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। परन्तु इसमे उनका क्या फायदा है? मेरा मानना है कि आप ही के कुछ लोगों ने अल नुसरा फ्रंट का नाम उछाल कर आपको भटकाने की चेष्टा की है। अगर आप अल नुसरा फ्रंट के पिछले कुछ मध्य-पूर्वी एशिया के हमलों को देखने की कोशिश करे तो आप उनको आज की वारदात के लिए सिरे से खारिज कर सकते है। परन्तु मै आपका ध्यान एक ओर खींचना चाहता हूँ कि विस्फोट शिफ्ट बदलने के समय पर और सिर्फ सी-विंग मे ही क्यों हुआ? मुझे लगता है कि यह एक बहुत सोची और समझी हुई योजना का हिस्सा है। मेरे पास आपकी सभी बातों का जवाब है लेकिन इस बात का नहीं है कि अल नुसरा फ्रंट को इस विस्फोट से क्या हासिल होगा। इतना कह कर मै चुप हो गया। 
कमरे मे सब चुप बैठे हुए थे। किसी ने मेरी बात का विरोध नहीं किया। जनरल मोर्गन सबसे पहले बोले… एक्सीलैन्सी, मेरी गुजारिश है कि इस विस्फोट की जाँच के लिए शांति सेना को आज्ञा दी जाए क्योंकि यह जगह हमारी चौकी की हद मे आती है। राष्ट्रपति ने एक बार अपने ग्रह मंत्री की ओर देखा और फिर रुक कर कहा… जनरल, आप संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना है। यह हमारा अन्द्रूनी मामला है और हम किसी भी हाल मे शांति सेना को इस जाँच मे शामिल नहीं कर सकते। इतना कह कर वह पल भर के लिए चुप हो गये और फिर कुछ सोच कर बोले… हाँ, हम इतना जरूर कर सकते है कि हमारी जाँच एजेन्सी आपके सुरक्षा सलाहकार से कुछ जरूरी मसलों पर सलाह जरूर ले सकती है। इतना बोल कर राष्ट्रपति ने अपने मंत्रियों को रोक कर बाकी सब को जाने की आज्ञा दे दी। कुछ ही देर के बाद जनरल मोर्गन और मै वापिस लौट रहे थे। 
…माई बोय, मै बहुत खुश हूँ। मै उनकी बात समझ नहीं पाया था इसीलिए मैने पूछ लिया… सर, राष्ट्रपति ने आपके प्रोपोजल को ठुकरा दिया तो इसमे कौनसी खुशी की बात है? …मेजर, वह बेहद शातिर इंसान है। उसने सबके सामने यह दिखा दिया कि वह हमारी कोई मदद लेना नहीं चाहता लेकिन उसने तुम्हें अपनी जाँच मे शामिल जरूर कर लिया है। मै यही चाहता था कि इस जाँच मे हमारा कोई आदमी जरूर होना चाहिए। कम से कम तुम अगर उनके साथ होगे तो यह तो पता चल सकेगा कि इस विस्फोट के पीछे असलियत मे किस अमीर का हाथ था। मेरा होटल आ गया था। मैने उनसे विदा ली और अपने रूम की ओर चल दिया। बिस्तर पर लेटने के बाद पूरे वाक्ये के बारे मे सोच कर मुझे ऐसा लगने लगा था कि जनरल मोर्गन ने मुझे मोहरे के रूप मे यहाँ की राजनीतिक शतरंज की बिसात पर एक चाल के स्वरूप मे आगे बढ़ाया था। अब देखना था कि उनका प्यादा विपक्ष के किस मोहरे को अपना निशाना बनाता है। यह विचार आते ही मेरे दिमाग मे बत्ती जली जिसने मुझे सावधान रहने की चेतावनी दी। यही सोचते हुए जल्दी ही मै अपने सपनों की दुनिया मे खो गया।
अगली सुबह हैवी मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप मेरे होटल के बाहर मुझे लेने के लिए आयी हुई थी। मैने होटल से चेक आउट किया और अपना किट पीछे फेँकते हुए जीप मे सवार हो गया। …कल शाम की खबर सुन ली? मैने अपने पाँचोँ साथियों से मुखातिब हुआ। …यस सर। होटल से यूएन कोम्पलेक्स का रास्ता मुश्किल से बीस मिनट का था लेकिन उस रोज़ हमें एक घंटे से ज्यादा लगे थे। पता करने पर मालूम हुआ कि सुबह तड़के ही अमीरात सेना की मूवमेन्ट के कारण मेन हाईवे बन्द कर दिया गया था जिसकी वजह से सारा ट्राफिक शहर के अन्दर से हो कर निकल रहा था। बड़ा अजीब सा दृश्य था कि एक से एक महंगी गाड़ियों के बीचोंबीच एक नीली मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप फँसी हुई नजर आ रही थी। मुझे अपने साथी किन्ग के उपर दया आ रही थी जो मशीनगन पर पूरी मुस्तैदी से तैनात था। कारों बैठे हुए बच्चे उसकी ओर देखते हुए इशारे करते और वह एक पत्थर की मूर्ति की तरह अपने काम मे लगा हुआ था। अन्दर बैठे हुए उसके साथी उस पर छींटाकशी करने से बाज नहीं आ रहे थे। मुझे भी सुच्चा सिंह की याद आ गयी क्यों कि हम भी कभी-कभी उसको चिड़ाने के लिए कह देते थे कि सरदारजी बच्चों से कोई खतरा नहीं है तो कभी हँस भी लिया करो। वह भी जब मशीन गन पर तैनात होता तो एक सजग फौजी की तरह अपने चेहेरे पर एक मुस्कुराहट भी नहीं आने देता था। 
मै अपने आफिस पहुँच कर सबसे पहले अपनी पाँचों की टीम को इकठ्ठा किया और फिर उनके सामने अबू धाबी के नक्शे को फैला कर एक-एक संवेदनशील इलाके को इंकित करते हुए समझाना शुरू कर दिया। टोनी को भी वहीं बिठा लिया जिससे उसे भी हमारे काम के बारे मे पूरी जानकारी हो सके। दोपहर तक ब्रीफिन्ग का दौर जारी रहा। करीब तीन बजे मेरे पास पिछले तीन साल की मुठभेड़ों की फेहरिस्त रिकार्ड रूम से आ गयी थी। मैने वह फेहरिस्त उनके हवाले करते हुए कहा… अब आप समझ गये होंगें कि आपको क्या करना है। आप लोग इस नक्शे पर उन सभी जगह निशान लगा दिजिए जहाँ पर हमारी सेना की किसी भी कारणवश सैन्य कार्यवाही हुई है। इतना कह कर उन पाँचों को साथ वाले कमरे मे भेज कर मै टोनी को ले कर अपने नये फ्लैट को देखने के लिए चला गया। तीन कमरो का फुली फरनिश्ड फ्लैट था। सभी आराम की चीजें उसमे उपलब्ध थी। …टोनी, यह फ्लैट ठीक है। लौट कर जूली से कहना कि वह मेरा किट बैग यहाँ पर ला कर छोड़ दे। बस इतना कह कर हम वापिस लौट कर आ गये और मै अपने काम मे लग गया।
लगभग पाँच बजे टोनी ने आ कर सूचना दी कि कुछ लोग अमीरात सरकार के आंतरिक मंत्रालय से मिलने आये हुए है। मैने उनको अन्दर बुला लिया। तीन लोग थे। उन्होंने अपने आपको जाँच कमेटी का सदस्य बताते हुए कहा… हम कल के हमले के बारे मे आपसे बात करना चाहते है। …बोलिए मुझसे क्या चाहते है? उनमे सबसे वरिष्ठ दिखने वाले आदमी ने कहा… मेरा नाम कर्नल इमरान उल-बशीर है। मै काऊन्टर इन्टेलीजेन्स से हूँ। मेजर अली कल के हादसे के बारे मे जो भी आप की सोच है वह हमे बताईए। मैने उसे टोकते हुए कहा… मै सेवा निवृत एक्स-मेजर हूँ। आप मुझे अली के नाम से बुलाईए। एक पल के लिए वह चुप हो गया और फिर मुस्कुरा कर बोला… वैसे तो वन्स अ मेजर इज आलवेज़ अ मेजर। लेकिन ठीक है मिस्टर अली बताईए कि आप किस दिशा की ओर सोच रहे है? …कर्नल मेरे विचार से यह एक बहुत सोची हुई साजिश है। विस्फोट का समय और जगह इस बात की ओर मेरा ध्यान खींचते है कि विस्फोटकारी की मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की नहीं थी परन्तु उसके वितरण को अस्त-वयस्त करने की रही होगी। अगर उसकी मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की होती तो यह विस्फोट प्रोसेसिंग सेन्टर मे हुआ होता जिससे पूरी रिफाईनरी एक विस्फोट मे पूरी धवस्त हो जाती और दोबारा तेल के उत्पादन मे लगभग छ: महीने से एक साल तक का समय लग सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अब यह आपको सोचना है कि उसने ऐसा क्यों किया? मेरी बात सुन कर कर्नल बशीर और उसके साथ आए हुए लोग काफी देर तक मुझसे सवाल जवाब करते रहे। आखिर मे मैने कहा… जब तक मै उस जगह जा कर देख नहीं लेता तब तक मै कोई बात यकीन से नहीं कह सकता।
…मिस्टर अली यह नहीं हो सकेगा। आप हमे बताईए कि हम किस चीज पर ध्यान दें जिससे हमलावर के बारे मे हमे कोई सुराग मिल सके। …कर्नल बशीर आप मुझसे अंधेरे मे तीर चलाने की कह रहे है। मुझे इसकी आदत नहीं है। इस से ज्यादा मै आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। हाँ इतना जरूर कह सकता हूँ कि क्या आपकी रिफाईनरी कम्पनी बाग है जिसमे जब भी और जो कोई भी आना चाहे तो क्या वह आ सकता है। …क्या मतलब है आपका? कर्नल बशीर ने एकाएक अपने रुख को कड़ा करते हुए कहा। …मेरा मतलब साफ है कि विस्फोट करने का साधन आपके स्टोर मे तो उपलब्ध नहीं हो सकता। तो इसका मतलब है कि वह रिफाईनरी के बाहर से आया होगा। उसको वहाँ कौन लाया होगा? अगर इसका आपको जवाब मिल जाए तो आपको हमलावर का सुराग भी मिल जाएगा। खैर कर्नल मै आपकी इससे ज्यादा मदद नहीं कर सकता। वह कुछ पूछना चाहता था लेकिन मैने कहा… कर्नल सात बज रहे है। मेरा स्टाफ अभी भी आपकी वजह से बैठा हुआ है। अगर आपको मुझे मिलना हो तो कृपया जल्दी आने की कोशिश किजीए। मेरे ख्याल से आज के लिए इतना काफी है। अब जनरल मोर्गन से मिलने का समय हो गया है, मुझे जाना है। इतना कह कर मै खड़ा हो गया। तीनों आये हुए लोग एक पल के लिए भौचक्के हो कर मेरी ओर देखते रहे फिर कर्नल बशीर उठ कर खड़ा हो गया और बोला… आपके समय के लिए शुक्रिया। वह तीनों चुपचाप बाहर निकल गये और उनके पीछे टोनी ने अन्दर आ कर कहा… जनरल मोर्गन के आफिस से काल आयी थी। …टोनी तुम जा सकती हो। उन पाँचो को भी जाने को कह दो। मै जल्दी से जनरल के आफिस की ओर चला गया। 
अब तक एक बात मुझे समझ मे आ चुकी थी कि जनरल को इस मीटिंग के बारे मे पहले से ही पता था। अब मेरे सामने सवाल था कि जनरल को उनके आने का कैसे पता चला? क्या कोई मेरा आदमी उनके पास खबर दे रहा है या फिर जनरल मोर्गन सरकार के किसी अति विशिष्ट व्यक्ति के लिए काम कर रहा है। मुझे इन दो विकल्पों के अलावा और कुछ भी नहीं सूझ रहा था। सूजन के दरवाजे को खोल कर अन्दर झाँकते हुए पूछा… कोई इस वक्त जनरल के साथ है? वह जल्दी से बोली… तुम्हारा इंतजार कर रहे है। मै तेजी जनरल के दरवाजे पर दस्तक दे कर अन्दर घुस गया। जनरल मोर्गन अपनी यथावत जगह पर बैठ कर सिगरेट के कश लगा रहे थे। मुझे देखते ही बोले… मेजर क्या खबर है? …सर हम अपने काम मे लग गये है। जल्दी ही आपको मै रिपोर्ट देनी शुरू करूँगा। बस एक चीज जानना चाहता था कि क्या आपको हरेक प्रान्त की संवेदनशील जगहों की एक रिपोर्ट चाहिए या  हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए? जनरल ने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा… जो टीम आयी थी उससे क्या बात हुई?
…सर मैने उनको साफ कह दिया कि अंधेरे मे तीर चलाने की मेरी आदत नहीं है। कुछ भी बोलने से पहले मै एक बार रिफाईनरी का दौरा करना चाहूँगा अन्यथा वहाँ से उपलब्ध सारी जानकारी की रिपोर्ट देखना चाहूँगा। …मेजर यह कर्नल बशीर बेहद चालाक लोमड़ी है। इस से सावधान रहने की जरूरत है। इसने पूरे अमीरात मे अपना नेटवर्क फैला रखा है। इसको अमीरात मे होने वाली हर घटना की सूचना रहती है। इस बार इससे चूक हो गयी जिसकी वजह से यह पागल कुते की तरह सूँघता फिर रहा है। जिस काम पर मैने तुम्हें लगाया है उसकी हल्की सी भनक इस इंसान नहीं होनी चाहिए। मै चुपचाप सामने बैठे हुए जनरल को समझने की कोशिश मे लगा हुआ था कि उनके दिमाग मे क्या चल रहा है। वह पल भर के लिए चुप हो गए और फिर बोले… मुझे हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए। …सर एक बात और है जो मुझे परेशान कर रही है। हमे अपना नेटवर्क इन गुटों मे बनाने की क्या जरूरत है? जहाँ तक जानकारी रखने की बात है वह तो सरकार का काम है। मुझे लगता है कि अपना नेटवर्क बनाने मे समय और पैसा काफी लगेगा। …मेजर आतंक के फ्रंट पर हमारी सेना बैठी हुई है। हमारे हाथ बाँध कर हमसे उम्मीद की जा रही है कि हम यहाँ के नागरिकों सुरक्षा प्रदान करे। यह काम बिना नेटवर्क के नहीं हो सकेगा। जहाँ तक समय और पैसे की बात है तो तुम्हारे पास समय भी है और अमीरात सरकार का दिया हुआ अपना बजट भी है। इसलिए तुम अपने नेटवर्क को जमाने की बात सोचना शुरू कर दो। इतना कह कर जनरल अपनी सीट से खड़े हो गये और बोले… और कुछ? मै समझ गया कि अब मुझे चलना चाहिए इसीलिए मै भी खड़ा हो कर बोला… कुछ नहीं सर। अब मै भी चलता हूँ। इतना कह कर मै भी उनके साथ कमरे से बाहर निकल आया।
अंधेरा हो चुका था। आफिस कोम्पलेक्स अंधकार मे डूबा हुआ था। पैदल चलता हुआ मै अपने फ्लैट की ओर बढ़ रहा था कि मेरे मोबाईल की घंटी ने मेरा ध्यान तोड़ दिया। मैने जल्दी से फोन को जेब से निकाला लेकिन तब तक लाइन कट चुकी थी। अपने फ्लैट पर पहुँच कर मैने अपने किट बैग से सामान निकाला और अलमारी मे रखने मे लग गया। मै अपने रात के खाने का इंतजाम करने मे लग गया था। सब काम समेट कर जैसे ही मै आराम करने के बेड पर लेटा ही था कि फिर से मोबाइल फोन की घंटी बज उठी। अबकी बार मैने झपट कर फोन उठाया और दूसरी ओर की आवाज सुनने के लिए इंतजार करने लगा। कुछ पल इंतजार के बाद दूसरी ओर से किसी ने कहा… हैलो। मर्दानी आवाज थी। मैने जल्दी से फोन पर कहा… अली मोहम्मद बोल रहा हूँ। आप कौन बोल रहे है। दूसरी ओर से उसने कहा… मै आपसे मिलना चाहता हूँ। परन्तु आपके आफिस के बजाय किसी सार्वजनिक स्थान पर मिले तो अच्छा होगा। …मुझसे क्यों मिलना चाहते हो? …यह मै मिल कर ही बता सकता हूँ। …ठीक है, कल हम ग्यारह बजे एमजीएम माल मे मिलते है। इतना कह कर मैने फोन काट दिया। सारी बात स्थानीय भाषा मे हुई थी इसी लिए यह तो पक्की बात थी कि कोई अरब ही मुझसे मिलने के लिए इच्छुक था। मै भी इस फोन से ज्यादा बात नहीं करना चाहता था। मन मे एक शक था कि कहीं मेरा फोन कोई टैप तो नहीं कर रहा है? यह फोन मुझे आफिस की ओर से मिला था। शाम को जनरल से बात करने के बाद मैने निश्चय कर लिया था कि अबसे बेहद सावधानी के साथ काम करूँगा।
टीवी पर न्यूज लगा कर मै अपने काम मे लग गया। आज कोई खास खबर नहीं थी सिवाय कल के विस्फोट पर तरह-तरह के लोगों को बुला कर उनसे बात की जा रही थी। अपने सारे काम भुगता कर जब बिस्तर पर लेटा तो थकान से बोझिल आँखे तुरन्त बन्द हो गयी थी। परन्तु जब दिमाग मे खतरा मंडरा रहा होता है तो शांति से नींद भी नहीं आती है। उस रात चौंक कर न जाने कितनी बार मै जाग गया था। सुबह जल्दी से तैयार हो कर मै अपने आफिस की ओर निकल गया था। 
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अंधेरा हो चुका था। अबू धाबी शहर रात की रौनक मे जगमगाता हुआ दिख रहा था। मै अपने आफिस को बंद करके मेन गेट की ओर चल दिया। मै जानता था कि आज की रात भी मुझे होटल मे गुजारनी पड़ेगी इसीलिए मै अपना सामान साथ नहीं लाया था। वैसे भी मेरे पास सामान की दृष्टि से बस कुछ कपड़े ही थे। मै धीमे कदमों से चलते हुए कोम्पलेक्स के बाहर निकल आया। रात मे खाड़ी के कारण हवा भी ठंडी चल रही थी। मै बाहर खड़ी हुई टैक्सी मे बैठा और अपने होटल का पता बता कर अपनी आगे आने वाली मुश्किलों को गिनने बैठ गया। मेरी सबसे बड़ी मुश्किल इन गुटों मे अपने आदमियों का नेटवर्क बनाने की नज़र आ रही थी। मेरा दिमाग इस समस्या मे उलझ कर रह गया था। अपने होटल के डाईनिंग रूम मे अकेले बैठ कर खाना खाया और फिर कमरे मे सोने चला गया।

होटल के कमरे मे पहुँच कर मै अपने कपड़े बदल रहा था की मेरी नजर ज़ारा के स्कार्फ पर पड़ी। एकाएक फ्रेया का चेहरा न चाहते हुए भी मेरी आँखों के सामने एक बार फिर आ गया। मैने जेब से उसकी चेन निकाली और एक बार उस पर नजर डाल कर मेज पर रख दी। सुबह से एक बार भी उसका नाम मेरे जहन मे नहीं आया था लेकिन इस वक्त एक बार फिर होटल के खाली कमरे का अकेलापन मुझे विचलित कर रहा था। मैने टीवी चला दिया और अल जज़ीरा का स्थानीय चैनल देखने के लिए बैठ गया। चैनल पर कोई ब्रेकिंग न्यूज चल रही थी। मैने जल्दी से उसकी आवाज बढ़ा दी और सुनने के लिए बैठ गया। रुवाई मे स्थित अबू धाबी आयल रिफाईनरी मे शाम को बम्ब फटने के कारण जान और माल का काफी नुकसान हो गया था। अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इस धमाके की जिम्मेदारी नहीं ली थी लेकिन पुलिस सूत्रों का कहना था कि अल नुसरा फ्रंट का इस धमाके मे हाथ था। मैने मन ही मन कहा… मेरा शक बिल्कुल सही था। मै ध्यान से खबर सुनने के लिए बैठ गया।
शिफ्ट खत्म होने के टाइम पर जब वहाँ पर बहुत से लोग बाहर होते थे तब सी-विंग मे एक विस्फोट हुआ और उसके कारण गैस टैंक मे आग लग गयी जिसकी वजह से भरे हुए गैस के सिलेंडरों ने आग पकड़ ली और एक-एक करके फटने लगे जिसकी वजह से पूरा सी-विंग नष्ट हो गया था। गैस के सिलेंडरों के फटने की वजह से वहाँ पर काम करने वाले और अगली शिफ्ट के लोग जो सी-विंग के बाहर इंतजार कर रहे थे वह भी विस्फोट की चपेट मे आ गये थे। आखिरी खबर के अनुसार 128 लोग मारे गये और 200 से ज्यादा लोग घायल हो गये थे जो आस-पास के अस्पतालों मे इलाज के लिए भेज दिए गये थे। मेरा ध्यान खबरों मे लगा हुआ था कि मेरे मोबाईल की घंटी बज उठी। मेरी नजर सबसे पहले घड़ी की ओर गयी। रात के ग्यारह बज रहे थे। इस वक्त मुझे कौन फोन कर सकता है? मैने जल्दी से फोन उठा कर बोला… हैलो। …मेजर, तुमने आज शाम की खबर तो देख ली होगी। जनरल मोर्गन की आवाज दूसरी ओर से सुन कर मैने तुरन्त कहा… यस सर। …तुम कहाँ ठहरे हुए हो? …होटल होलीडे इन। …ठीक है तैयार हो कर नीचे पोर्च मे मेरा इंतजार करो। हमे अभी किसी से मिलना है। …इस वक्त? लेकिन तब तक फोन कट चुका था। मैने जल्दी से कपड़े बदले और तेजी से होटल के रिसेप्शन एरिये की ओर चल दिया।
दस मिनट के बाद जनरल की कार होटल के पोर्टिको मे आ कर रुकी। मै तेजी से शीशे के गेट को खोल कर उस कार की ओर झपटा और दरवाजा खोल अन्दर की ओर झाँका तो जनरल मोर्गन मुझे बैठे हुए दिखायी दे गये। …कम आन मेजर। हमारे पास ज्यादा समय नहीं है। मै जल्दी से उनके साथ बैठ गया… सर इस वक्त हम कहाँ जा रहे है? …राष्ट्रपति ने अपने सलाहकारों की मीटींग फौरन तलब की है। हम उसमे जा रहे है। मै चुपचाप बैठ गया। …तुम्हें किसी पर शक है? …सर आप जानते है कि मै जब तक उस जगह की पूरी रिपोर्ट न देख लूँ तब तक मै किसी को भी दोषी नहीं कह सकता। यह जगह हमारी चौकी की ज्युरिस्डिकशन मे आती है। इसकी जाँच हम क्यों नहीं कर रहे है? टीवी से पता चला है पुलिस का कहना है कि इसके पीछे अल नुसरा फ्रंट का हाथ है। पर मै यकीन से कह सकता हूँ कि यह गुट इस तरह का काम अंजाम नहीं दे सकता। जनरल ने कुछ बोलने के लिए मुँह खोला ही था कि हमारी कार राष्ट्रपति निवास मे प्रवेश कर गयी थी। हम दोनों जल्दी से रिसेप्शन की ओर चले गये और उन्होंने हमे एक बड़े से मीटींग रूम मे ले जा कर बिठा दिया। कुछ लोग तो पहले से ही वहाँ बैठे हुए थे। सब लोग जनरल मोर्गन से परिचित थे। सभी ने हाथ हिला कर जनरल का अभिवदन किया और फिर अपनी बातों मे लग गये।
…मेजर, क्या तुम इन लोगों को जानते हो? …नहीं सर। कौन है यह लोग? …कुछ सरकारी मंत्री है और कुछ वरिष्ठ सरकारी अधिकारी। जनरल मोर्गन और मुझको छोड़ कर सभी अरब वेशभूषा मे थे। अगले दस मिनट मे पूरा मीटींग रूम भर गया था। अचानक सामने का दरवाजा खुला। पहले राष्ट्र्पति के गार्डस ने कमरे मे कदम रखा और फिर उनमे से एक ने तेज आवाज मे कहा… राष्ट्रपति पधार रहे है। सभी अपनी-अपनी जगह पर उठ कर सावधान मुद्रा मे खड़े हो गये। कुछ ही देर मे राष्ट्रपति का अगमन हो गया। अपने चिरपरिचित अंदाज मे उन्होंने सभी का अभिवादन किया और फिर अपनी कुर्सी पर बैठ गये। खड़े हुए सारे लोग उनका इशारा पाते ही अपनी-अपनी जगह पर चुप हो कर बैठ गये। मै चुपचाप जनरल मोर्गन के पीछे रखी हुई कुर्सी पर बैठ गया। 
राष्ट्रपति ने बिना कोई औपचारिकता निभाए सीधे मुद्दे की बात करके मीटींग की कार्यवाही आरंभ की… आपने रुवाई की खबर तो अब तक सुन ली होगी। आपको इसलिए इतने कम समय मे इकठ्ठा होने के लिए कहा गया है कि इसका क्या उपाय किया जाए? यहाँ स्थित सभी आतंकी संगठन अब निर्भीक होते जा रहे है। पहले गृह मंत्री कुछ देर बोले और उसके बाद दो मंत्रियों ने अपना पक्ष सबके सामने रखा। पहली बार मै इतनी महत्वपूर्ण मीटींग को इतने नजदीक से देख रहा था। काफी देर के बाद राष्ट्रपति के कहने पर जनरल मोर्गन ने अपनी बात रखी। उनका कहना था कि यह सब अन्दरुनी लोगों की शह पर हो रहा है। अचानक जनरल मोर्गन की बात सुन कर मै चौंक गया क्योंकि वह कह रहे थे कि मेरे सुरक्षा सलाहकार की सोच आज की वारदात के बारे मे आपसे भिन्न है। इतना कह कर वह बोले… मेजर। एकाएक सबकी नजरें मेरी ओर चली गयी। पहली बार मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मै सिकुड़ कर रह गया था।
मै अपनी जगह पर खड़ा हो गया और सावधान की मुद्रा लिए बोला… संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना पिछले दो सालों से आपकी सरकार को ऐसी ही किसी घटना से आगाह कर रही थी। वह शरणार्थी कैंम्प अब एक नया आतंकी स्वरूप ले चुके है। मध्य-पूर्वी एशिया का कोई ऐसा आतंकी गुट नही है जिसकी यहाँ पर शाखा न हो। आज की घटना के पीछे भी अल नुसरा फ्रंट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। परन्तु इसमे उनका क्या फायदा है? मेरा मानना है कि आप ही के कुछ लोगों ने अल नुसरा फ्रंट का नाम उछाल कर आपको भटकाने की चेष्टा की है। अगर आप अल नुसरा फ्रंट के पिछले कुछ मध्य-पूर्वी एशिया के हमलों को देखने की कोशिश करे तो आप उनको आज की वारदात के लिए सिरे से खारिज कर सकते है। परन्तु मै आपका ध्यान एक ओर खींचना चाहता हूँ कि विस्फोट शिफ्ट बदलने के समय पर और सिर्फ सी-विंग मे ही क्यों हुआ? मुझे लगता है कि यह एक बहुत सोची और समझी हुई योजना का हिस्सा है। मेरे पास आपकी सभी बातों का जवाब है लेकिन इस बात का नहीं है कि अल नुसरा फ्रंट को इस विस्फोट से क्या हासिल होगा। इतना कह कर मै चुप हो गया। 
कमरे मे सब चुप बैठे हुए थे। किसी ने मेरी बात का विरोध नहीं किया। जनरल मोर्गन सबसे पहले बोले… एक्सीलैन्सी, मेरी गुजारिश है कि इस विस्फोट की जाँच के लिए शांति सेना को आज्ञा दी जाए क्योंकि यह जगह हमारी चौकी की हद मे आती है। राष्ट्रपति ने एक बार अपने ग्रह मंत्री की ओर देखा और फिर रुक कर कहा… जनरल, आप संयुक्त राष्ट्र संघ की शांति सेना है। यह हमारा अन्द्रूनी मामला है और हम किसी भी हाल मे शांति सेना को इस जाँच मे शामिल नहीं कर सकते। इतना कह कर वह पल भर के लिए चुप हो गये और फिर कुछ सोच कर बोले… हाँ, हम इतना जरूर कर सकते है कि हमारी जाँच एजेन्सी आपके सुरक्षा सलाहकार से कुछ जरूरी मसलों पर सलाह जरूर ले सकती है। इतना बोल कर राष्ट्रपति ने अपने मंत्रियों को रोक कर बाकी सब को जाने की आज्ञा दे दी। कुछ ही देर के बाद जनरल मोर्गन और मै वापिस लौट रहे थे। 
…माई बोय, मै बहुत खुश हूँ। मै उनकी बात समझ नहीं पाया था इसीलिए मैने पूछ लिया… सर, राष्ट्रपति ने आपके प्रोपोजल को ठुकरा दिया तो इसमे कौनसी खुशी की बात है? …मेजर, वह बेहद शातिर इंसान है। उसने सबके सामने यह दिखा दिया कि वह हमारी कोई मदद लेना नहीं चाहता लेकिन उसने तुम्हें अपनी जाँच मे शामिल जरूर कर लिया है। मै यही चाहता था कि इस जाँच मे हमारा कोई आदमी जरूर होना चाहिए। कम से कम तुम अगर उनके साथ होगे तो यह तो पता चल सकेगा कि इस विस्फोट के पीछे असलियत मे किस अमीर का हाथ था। मेरा होटल आ गया था। मैने उनसे विदा ली और अपने रूम की ओर चल दिया। बिस्तर पर लेटने के बाद पूरे वाक्ये के बारे मे सोच कर मुझे ऐसा लगने लगा था कि जनरल मोर्गन ने मुझे मोहरे के रूप मे यहाँ की राजनीतिक शतरंज की बिसात पर एक चाल के स्वरूप मे आगे बढ़ाया था। अब देखना था कि उनका प्यादा विपक्ष के किस मोहरे को अपना निशाना बनाता है। यह विचार आते ही मेरे दिमाग मे बत्ती जली जिसने मुझे सावधान रहने की चेतावनी दी। यही सोचते हुए जल्दी ही मै अपने सपनों की दुनिया मे खो गया।
अगली सुबह हैवी मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप मेरे होटल के बाहर मुझे लेने के लिए आयी हुई थी। मैने होटल से चेक आउट किया और अपना किट पीछे फेँकते हुए जीप मे सवार हो गया। …कल शाम की खबर सुन ली? मैने अपने पाँचोँ साथियों से मुखातिब हुआ। …यस सर। होटल से यूएन कोम्पलेक्स का रास्ता मुश्किल से बीस मिनट का था लेकिन उस रोज़ हमें एक घंटे से ज्यादा लगे थे। पता करने पर मालूम हुआ कि सुबह तड़के ही अमीरात सेना की मूवमेन्ट के कारण मेन हाईवे बन्द कर दिया गया था जिसकी वजह से सारा ट्राफिक शहर के अन्दर से हो कर निकल रहा था। बड़ा अजीब सा दृश्य था कि एक से एक महंगी गाड़ियों के बीचोंबीच एक नीली मशीनगन से लैस बख्तरबंद जीप फँसी हुई नजर आ रही थी। मुझे अपने साथी किन्ग के उपर दया आ रही थी जो मशीनगन पर पूरी मुस्तैदी से तैनात था। कारों बैठे हुए बच्चे उसकी ओर देखते हुए इशारे करते और वह एक पत्थर की मूर्ति की तरह अपने काम मे लगा हुआ था। अन्दर बैठे हुए उसके साथी उस पर छींटाकशी करने से बाज नहीं आ रहे थे। मुझे भी सुच्चा सिंह की याद आ गयी क्यों कि हम भी कभी-कभी उसको चिड़ाने के लिए कह देते थे कि सरदारजी बच्चों से कोई खतरा नहीं है तो कभी हँस भी लिया करो। वह भी जब मशीन गन पर तैनात होता तो एक सजग फौजी की तरह अपने चेहेरे पर एक मुस्कुराहट भी नहीं आने देता था। 
मै अपने आफिस पहुँच कर सबसे पहले अपनी पाँचों की टीम को इकठ्ठा किया और फिर उनके सामने अबू धाबी के नक्शे को फैला कर एक-एक संवेदनशील इलाके को इंकित करते हुए समझाना शुरू कर दिया। टोनी को भी वहीं बिठा लिया जिससे उसे भी हमारे काम के बारे मे पूरी जानकारी हो सके। दोपहर तक ब्रीफिन्ग का दौर जारी रहा। करीब तीन बजे मेरे पास पिछले तीन साल की मुठभेड़ों की फेहरिस्त रिकार्ड रूम से आ गयी थी। मैने वह फेहरिस्त उनके हवाले करते हुए कहा… अब आप समझ गये होंगें कि आपको क्या करना है। आप लोग इस नक्शे पर उन सभी जगह निशान लगा दिजिए जहाँ पर हमारी सेना की किसी भी कारणवश सैन्य कार्यवाही हुई है। इतना कह कर उन पाँचों को साथ वाले कमरे मे भेज कर मै टोनी को ले कर अपने नये फ्लैट को देखने के लिए चला गया। तीन कमरो का फुली फरनिश्ड फ्लैट था। सभी आराम की चीजें उसमे उपलब्ध थी। …टोनी, यह फ्लैट ठीक है। लौट कर जूली से कहना कि वह मेरा किट बैग यहाँ पर ला कर छोड़ दे। बस इतना कह कर हम वापिस लौट कर आ गये और मै अपने काम मे लग गया।
लगभग पाँच बजे टोनी ने आ कर सूचना दी कि कुछ लोग अमीरात सरकार के आंतरिक मंत्रालय से मिलने आये हुए है। मैने उनको अन्दर बुला लिया। तीन लोग थे। उन्होंने अपने आपको जाँच कमेटी का सदस्य बताते हुए कहा… हम कल के हमले के बारे मे आपसे बात करना चाहते है। …बोलिए मुझसे क्या चाहते है? उनमे सबसे वरिष्ठ दिखने वाले आदमी ने कहा… मेरा नाम कर्नल इमरान उल-बशीर है। मै काऊन्टर इन्टेलीजेन्स से हूँ। मेजर अली कल के हादसे के बारे मे जो भी आप की सोच है वह हमे बताईए। मैने उसे टोकते हुए कहा… मै सेवा निवृत एक्स-मेजर हूँ। आप मुझे अली के नाम से बुलाईए। एक पल के लिए वह चुप हो गया और फिर मुस्कुरा कर बोला… वैसे तो वन्स अ मेजर इज आलवेज़ अ मेजर। लेकिन ठीक है मिस्टर अली बताईए कि आप किस दिशा की ओर सोच रहे है? …कर्नल मेरे विचार से यह एक बहुत सोची हुई साजिश है। विस्फोट का समय और जगह इस बात की ओर मेरा ध्यान खींचते है कि विस्फोटकारी की मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की नहीं थी परन्तु उसके वितरण को अस्त-वयस्त करने की रही होगी। अगर उसकी मंशा रिफाईनरी को नष्ट करने की होती तो यह विस्फोट प्रोसेसिंग सेन्टर मे हुआ होता जिससे पूरी रिफाईनरी एक विस्फोट मे पूरी धवस्त हो जाती और दोबारा तेल के उत्पादन मे लगभग छ: महीने से एक साल तक का समय लग सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। अब यह आपको सोचना है कि उसने ऐसा क्यों किया? मेरी बात सुन कर कर्नल बशीर और उसके साथ आए हुए लोग काफी देर तक मुझसे सवाल जवाब करते रहे। आखिर मे मैने कहा… जब तक मै उस जगह जा कर देख नहीं लेता तब तक मै कोई बात यकीन से नहीं कह सकता।
…मिस्टर अली यह नहीं हो सकेगा। आप हमे बताईए कि हम किस चीज पर ध्यान दें जिससे हमलावर के बारे मे हमे कोई सुराग मिल सके। …कर्नल बशीर आप मुझसे अंधेरे मे तीर चलाने की कह रहे है। मुझे इसकी आदत नहीं है। इस से ज्यादा मै आपकी कोई मदद नहीं कर सकता। हाँ इतना जरूर कह सकता हूँ कि क्या आपकी रिफाईनरी कम्पनी बाग है जिसमे जब भी और जो कोई भी आना चाहे तो क्या वह आ सकता है। …क्या मतलब है आपका? कर्नल बशीर ने एकाएक अपने रुख को कड़ा करते हुए कहा। …मेरा मतलब साफ है कि विस्फोट करने का साधन आपके स्टोर मे तो उपलब्ध नहीं हो सकता। तो इसका मतलब है कि वह रिफाईनरी के बाहर से आया होगा। उसको वहाँ कौन लाया होगा? अगर इसका आपको जवाब मिल जाए तो आपको हमलावर का सुराग भी मिल जाएगा। खैर कर्नल मै आपकी इससे ज्यादा मदद नहीं कर सकता। वह कुछ पूछना चाहता था लेकिन मैने कहा… कर्नल सात बज रहे है। मेरा स्टाफ अभी भी आपकी वजह से बैठा हुआ है। अगर आपको मुझे मिलना हो तो कृपया जल्दी आने की कोशिश किजीए। मेरे ख्याल से आज के लिए इतना काफी है। अब जनरल मोर्गन से मिलने का समय हो गया है, मुझे जाना है। इतना कह कर मै खड़ा हो गया। तीनों आये हुए लोग एक पल के लिए भौचक्के हो कर मेरी ओर देखते रहे फिर कर्नल बशीर उठ कर खड़ा हो गया और बोला… आपके समय के लिए शुक्रिया। वह तीनों चुपचाप बाहर निकल गये और उनके पीछे टोनी ने अन्दर आ कर कहा… जनरल मोर्गन के आफिस से काल आयी थी। …टोनी तुम जा सकती हो। उन पाँचो को भी जाने को कह दो। मै जल्दी से जनरल के आफिस की ओर चला गया। 
अब तक एक बात मुझे समझ मे आ चुकी थी कि जनरल को इस मीटिंग के बारे मे पहले से ही पता था। अब मेरे सामने सवाल था कि जनरल को उनके आने का कैसे पता चला? क्या कोई मेरा आदमी उनके पास खबर दे रहा है या फिर जनरल मोर्गन सरकार के किसी अति विशिष्ट व्यक्ति के लिए काम कर रहा है। मुझे इन दो विकल्पों के अलावा और कुछ भी नहीं सूझ रहा था। सूजन के दरवाजे को खोल कर अन्दर झाँकते हुए पूछा… कोई इस वक्त जनरल के साथ है? वह जल्दी से बोली… तुम्हारा इंतजार कर रहे है। मै तेजी जनरल के दरवाजे पर दस्तक दे कर अन्दर घुस गया। जनरल मोर्गन अपनी यथावत जगह पर बैठ कर सिगरेट के कश लगा रहे थे। मुझे देखते ही बोले… मेजर क्या खबर है? …सर हम अपने काम मे लग गये है। जल्दी ही आपको मै रिपोर्ट देनी शुरू करूँगा। बस एक चीज जानना चाहता था कि क्या आपको हरेक प्रान्त की संवेदनशील जगहों की एक रिपोर्ट चाहिए या  हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए? जनरल ने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा… जो टीम आयी थी उससे क्या बात हुई?
…सर मैने उनको साफ कह दिया कि अंधेरे मे तीर चलाने की मेरी आदत नहीं है। कुछ भी बोलने से पहले मै एक बार रिफाईनरी का दौरा करना चाहूँगा अन्यथा वहाँ से उपलब्ध सारी जानकारी की रिपोर्ट देखना चाहूँगा। …मेजर यह कर्नल बशीर बेहद चालाक लोमड़ी है। इस से सावधान रहने की जरूरत है। इसने पूरे अमीरात मे अपना नेटवर्क फैला रखा है। इसको अमीरात मे होने वाली हर घटना की सूचना रहती है। इस बार इससे चूक हो गयी जिसकी वजह से यह पागल कुते की तरह सूँघता फिर रहा है। जिस काम पर मैने तुम्हें लगाया है उसकी हल्की सी भनक इस इंसान नहीं होनी चाहिए। मै चुपचाप सामने बैठे हुए जनरल को समझने की कोशिश मे लगा हुआ था कि उनके दिमाग मे क्या चल रहा है। वह पल भर के लिए चुप हो गए और फिर बोले… मुझे हर प्रान्त की अलग रिपोर्ट चाहिए। …सर एक बात और है जो मुझे परेशान कर रही है। हमे अपना नेटवर्क इन गुटों मे बनाने की क्या जरूरत है? जहाँ तक जानकारी रखने की बात है वह तो सरकार का काम है। मुझे लगता है कि अपना नेटवर्क बनाने मे समय और पैसा काफी लगेगा। …मेजर आतंक के फ्रंट पर हमारी सेना बैठी हुई है। हमारे हाथ बाँध कर हमसे उम्मीद की जा रही है कि हम यहाँ के नागरिकों सुरक्षा प्रदान करे। यह काम बिना नेटवर्क के नहीं हो सकेगा। जहाँ तक समय और पैसे की बात है तो तुम्हारे पास समय भी है और अमीरात सरकार का दिया हुआ अपना बजट भी है। इसलिए तुम अपने नेटवर्क को जमाने की बात सोचना शुरू कर दो। इतना कह कर जनरल अपनी सीट से खड़े हो गये और बोले… और कुछ? मै समझ गया कि अब मुझे चलना चाहिए इसीलिए मै भी खड़ा हो कर बोला… कुछ नहीं सर। अब मै भी चलता हूँ। इतना कह कर मै भी उनके साथ कमरे से बाहर निकल आया।
अंधेरा हो चुका था। आफिस कोम्पलेक्स अंधकार मे डूबा हुआ था। पैदल चलता हुआ मै अपने फ्लैट की ओर बढ़ रहा था कि मेरे मोबाईल की घंटी ने मेरा ध्यान तोड़ दिया। मैने जल्दी से फोन को जेब से निकाला लेकिन तब तक लाइन कट चुकी थी। अपने फ्लैट पर पहुँच कर मैने अपने किट बैग से सामान निकाला और अलमारी मे रखने मे लग गया। मै अपने रात के खाने का इंतजाम करने मे लग गया था। सब काम समेट कर जैसे ही मै आराम करने के बेड पर लेटा ही था कि फिर से मोबाइल फोन की घंटी बज उठी। अबकी बार मैने झपट कर फोन उठाया और दूसरी ओर की आवाज सुनने के लिए इंतजार करने लगा। कुछ पल इंतजार के बाद दूसरी ओर से किसी ने कहा… हैलो। मर्दानी आवाज थी। मैने जल्दी से फोन पर कहा… अली मोहम्मद बोल रहा हूँ। आप कौन बोल रहे है। दूसरी ओर से उसने कहा… मै आपसे मिलना चाहता हूँ। परन्तु आपके आफिस के बजाय किसी सार्वजनिक स्थान पर मिले तो अच्छा होगा। …मुझसे क्यों मिलना चाहते हो? …यह मै मिल कर ही बता सकता हूँ। …ठीक है, कल हम ग्यारह बजे एमजीएम माल मे मिलते है। इतना कह कर मैने फोन काट दिया। सारी बात स्थानीय भाषा मे हुई थी इसी लिए यह तो पक्की बात थी कि कोई अरब ही मुझसे मिलने के लिए इच्छुक था। मै भी इस फोन से ज्यादा बात नहीं करना चाहता था। मन मे एक शक था कि कहीं मेरा फोन कोई टैप तो नहीं कर रहा है? यह फोन मुझे आफिस की ओर से मिला था। शाम को जनरल से बात करने के बाद मैने निश्चय कर लिया था कि अबसे बेहद सावधानी के साथ काम करूँगा।
टीवी पर न्यूज लगा कर मै अपने काम मे लग गया। आज कोई खास खबर नहीं थी सिवाय कल के विस्फोट पर तरह-तरह के लोगों को बुला कर उनसे बात की जा रही थी। अपने सारे काम भुगता कर जब बिस्तर पर लेटा तो थकान से बोझिल आँखे तुरन्त बन्द हो गयी थी। परन्तु जब दिमाग मे खतरा मंडरा रहा होता है तो शांति से नींद भी नहीं आती है। उस रात चौंक कर न जाने कितनी बार मै जाग गया था। सुबह जल्दी से तैयार हो कर मै अपने आफिस की ओर निकल गया था। 
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sahi ja rahe ho. bahut badhiya.
pls update more..
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जब मै आफिस पहुँचा तब तक वहाँ कोई नहीं आया था। मै अपने कमरे मे बैठ कर उस अनजान व्यक्ति से मिलने की तैयारी मे जुट गया। कागज पर युँहि लकीरे खींचते हुए मै अपने दिमाग मे उससे मिलने की योजना बना रहा था। ठीक नौ बजे टोनी ने आ कर मुझसे कहा… आप आज जल्दी आ गये। आपकी टीम आपके घर के बाहर आपका इंतजार कर रही है। …टोनी उन्हें बुला लो। मुझे अभी थोड़ी देर मे बाहर जाना है। उन्हें फोन करने के लिए वह तुरन्त बाहर निकल गयी। मेरी टीम के आते ही वह अपने बताए हुए काम मे दोबारा जुट गयी थी। ठीक दस बजे मैने टोनी को बुलाया… मै आफिस के बाहर जा रहा हूँ। इन्हें काम करने दो। मैने जाने के लिए टैक्सी बुलाई हुई है। बस जल्दी से इतना करो कि अपने व उन पाँचों के आईडेन्टिटी कार्ड की फोटोकापी करके ले आओ। टोनी फोटोकापी कराने के लिए अपने आफिस की ओर चली गयी और मै अपनी योजना को अमल मे लाने की तैयारी मे जुट गया। दस मिनट के बाद छ: आईडेन्टिटी कार्डस की कापी मेरे सामने रखी हुई थी। मैने जल्दी से उसे अपनी जेब मे रखा और आफिस के बाहर निकल गया। मैने टैक्सी को गेट के बाहर खड़ी रहने का निर्देश दिया था। 

मै बाहर निकला तो एक टैक्सी मेन गेट से कुछ दूरी पर खड़ी हुई थी। मै उसमे बैठा और अपने गंतव्य स्थान की ओर चल दिया। एमजीएम माल अबू धाबी शहर के बीचोंबीच एक जानी पहचानी जगह है। मै वक्त से पहले पहुँच कर एक बार माल का जायज़ा लेना चाहता था। टैक्सी ने मुझे गेट पर छोड़ दिया था। माल मे प्रवेश करते ही मै एक टेलीफोन कम्पनी के शोरूम मे चला गया। मैने साधारण से छह मोबाईल फोन खरीदे और फिर प्री-पेड सिम कार्ड बेचने वाली दुकान की तलाश में निकल गया। माल के हर कोने मे सिम कार्ड बेचने वालों की दुकाने लगी हुई थी। मैने तीन अलग कम्पनियों के दो-दो प्री-पेड सिम कार्ड अपने छ: साथियों के नाम पर खरीद लिये और कुछ ही देर मे मेरे पास छ: नये कनेक्शन सहित फोन आ गये थे। इन सब काम करने मे समय का पता ही नहीं चला। मेरी घड़ी सवा ग्यारह दिखा रही थी। मैने स्टारबक्स से एक काफी ली और आराम से चलते हुए माल के बीचोंबीच जा कर खड़ा हो गया। यहाँ से मुख्य द्वार पर नजर आसानी से रखी जा सकती थी। मै जानना चाहता था कि क्या वह अनजान व्यक्ति मुझे शक्ल से पहचानता है कि नहीं। काफी पीते हुए मेरी नजर आने जाने वाले लोगों पर लगी हुई थी।
इस वक्त भी माल मे काफी लोग घूम रहे थे। पर्यटक अपनी खरीदारी मे लगे हुए थे। कुछ परिवार अपने बच्चों के साथ माल मे घूमने आये हुए थे। युवक और युवतियों के झुन्ड इधर-उधर घूम रहे थे। कुछ अकेले लोग भी घूमते हुए दिख रहे थे लेकिन उनमे से कोई भी मुझे ऐसा नहीं लगा जिसका मै इंतजार कर रहा था। मेरी काफी खत्म हो गयी थी लेकिन न तो मुझे किसी ने काल किया और न ही कोई मेरे पास आया था। मुझे वहाँ पर खड़े हुए दो घंटे से ज्यादा समय हो गया था। मैने एक बार अपनी घड़ी पर नजर डाली और फिर तेजी से माल के बाहर निकल गया और उसी तेजी के साथ एक किनारे मे पेड़ की आढ़ ले कर खड़ा हो गया। मै देखना चाहता था कि कोई मेरे पीछे-पीछे माल से तो बाहर नहीं निकला था। मै कुछ देर वहाँ खड़ा रहा लेकिन बाहर निकलने वालो मे से कोई ऐसा नहीं दिखा जिस पर शक किया जा सके। कुछ और देर रुक कर मैने किनारे खड़ी हुई टैक्सी को युएन कोम्पलेक्स चलने के लिए कहा और पीठ टिका कर उस व्यक्ति के बारे मे सोचने लगा जिससे मै यहाँ मिलने आया था।
…जनाब। टैक्सी ड्राईवर की आवाज मेरे कानों मे पड़ी तो मेरा ध्यान उसकी ओर आकर्षित हो गया। …आप जिसका माल मे इंतजार कर रहे थे वह मै ही हूँ। कल रात को मैने ही आपको फोन किया था। एक पल के लिए मै कुछ बोल नहीं पाया फिर संभलते हुए बोला… अगर मुझसे ऐसे ही मिलना था तो फोन करके मुझे बता देते। मै इतना समय वहाँ खड़े-खड़े  खराब तो नहीं करता। खैर सीधे काम की बात पर आ जाओ। मुझसे क्यों मिलना चाहते थे? …तुम्हारा शुक्रिया अदा करना चाहता हूँ। एक पल के लिए मै चकरा कर रह गया था। …शुक्रिया किस के लिए मियाँ? उसने एक खाली जगह देख कर टैक्सी किनारे मे रोक कर मेरी ओर घूम कर देखा और फिर धीरे से बोला… जनाब हमारे उपर लगे हुए झूठे आरोप को खारिज करने के लिए। मेरे दिमाग मे एकाएक घंटी बजी… क्या तुम अल नुसरा फ्रंट से हो? वह एक पल के लिए चुप हो गया और फिर कुछ सोच कर बोला… मै फ्रंट का आदमी नहीं हूँ लेकिन उनकी तरफ से एक मेसेज देना है। सलाहुद्दीन जनाब तुमसे मिलना चाहते है। …पर मै उनसे क्यों मिलूँ। मेरी बात सुन कर वह अचकचा कर बोला… आखिर तुम चाहते क्या हो? …बस इतना कि उस ब्लास्ट के पीछे किसका हाथ था। अगर वह मुझे इसके बारे मे कोई जानकारी दे सकते है तभी मै उनसे मिल सकता हूँ। मैने अपनी जेब से एक नया फोन निकाला और उसपर लिखे हुए नम्बर को उसे देते हुए कहा… अपने सलाहुद्दीन जनाब को यह नम्बर दे देना और याद रहे कि आज के बाद मेरे आफिशियल फोन पर भूल कर भी काल मत करना। अब चुपचाप मुझे वापिस युएन कोम्पलेक्स पर छोड़ दो। उसने वैसा ही किया जैसा उसे कहा गया था।
वह मुझे आफिस के सामने छोड़ कर वापिस चला गया था लेकिन मेरे लिए बहुत सी बातें सोचने के लिए छोड़ गया था। अपने आफिस की ओर जाते हुए एक बात मुझे बार-बार खटक रही थी कि वह मुझे कैसे पहचानता था? इसका जवाब मेरे पास नहीं था। दूसरी बात जिसकी वजह से मैने सलाहुद्दीन से मिलने की शर्त रखी थी वह सिर्फ एक थी कि अल नुसरा फ्रंट के लोगों को कैसे पता चला कि मैने उस मीटींग मे उन पर लगे आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। यह सिर्फ वो ही इंसान बता सकता था जो उस मीटींग मे शामिल था या फिर जनरल मोर्गन। यही सोच कर मैने उससे खुल कर बात नहीं की थी। मैने जानबूझ कर उसे अपना प्राईवेट नम्बर दिया था कि वह सच बोल रहा होगा तो सलाहुद्दीन मुझसे बात करेगा लेकिन अगर वह किसी चाल का हिस्सा था तो मेरा सिर्फ एक फोन ही उनकी भेंट चड़ गया था। यही सोचते हुए मै अपनी कुर्सी पर जा कर जम गया और अगले कदम की योजना बनाने मे लग गया। मेरे बैठते ही टोनी ने सूचना दी कि पिछले दो घंटे मे तीन बार कर्नल बशीर ने फोन कर चुके है। मैने उसकी बात को अनसुनी करते हुए कहा… ठीक है जब अगली बार वह फोन करे तो मेरी बात करा देना। टोनी वापिस अपने आफिस मे चली गयी और मै एक बार फिर से अपनी व्युहरचना मे जुट गया।
जनरल मोर्गन अब मुझे एक पहेली की भाँति लग रहे थे। मेरा दिमाग मुझे बार-बार उनसे सावधान रहने के इशारे कर रहा था। कुछ भी करने से पहले मुझे जनरल मोर्गन नाम की पहेली सुलझानी जरूरी थी। अभी तक होने वाली सभी घटना कहीं न कहीं जनरल मोर्गन से जुड़ी हुई थी। मै दो साल से अमीरत मे उनका स्टाफ आफीसर रहा था। वैसे मै उनके बारे मे ज्यादा कुछ नहीं जानता था सिवाय उसके जो आफिशियल रिकार्ड दिखाते थे। जनरल मोर्गन ब्रिटिश सेना से सेवानिवृत हो कर युएन शांति सेना के कमांडर का पदभार तीन साल पहले संभाला था। वह ब्रिटिश सेना के अलंकृत सेना अधिकारी थे। उस दिन की मीटिंग के बाद यह भी साफ हो गया था कि उनके संबंध अमीरात सरकार के साथ बेहद अच्छे है। इतना सब कुछ जानने के बाद भी न जाने क्यों मेरी शक की सुई बार-बार जनरल मोर्गन की दिशा मे इंकित कर रही थी। 
मै अपनी उलझन को सुलझाने मे लगा हुआ था कि मेरी मेज पर लगा हुआ फोन बज उठा। …हैलो। …सर, कर्नल बशीर लाइन पर है। …मेरी बात कराओ। एक पल के लिए लाइन शान्त रही फिर कर्नल बशीर की रोबीली आवाज सुनाई दी… हैलो मेजर। …एक्स-मेजर। बताईए कर्नल मै आपके लिए क्या कर सकता हूँ। मिस्टर अली मै आपसे मिलना चाहता हूँ लेकिन मै आपके आफिस इस वक्त नहीं आ सकता। क्या यह मुम्किन है कि आप मेरे आफिस आ जाईए? एक पल के लिए मै कुछ बोलने से पहले रुक गया लेकिन फिर मैने जल्दी से कहा… कब मिलना चाहते है? …क्या आप अभी आ सकते है? …कर्नल मै कोशिश जरूर कर सकता हूँ। आप अपना पता बताईए। …मेजर ओह सौरी मिस्टर अली आपको मेरा आफिस ढूँढना पड़ेगा। मै अपनी कार आपके आफिस भेज देता हूँ वह आपको यहाँ ले आयेगी और काम खत्म होने के बाद वह आपको वापिस आफिस भी छोड़ देगी। …ठीक है कर्नल। आप अपनी कार भेज दिजीए। …ओके खुदा हाफिज़। इतना कह कर उसने फोन काट दिया। मैने टोनी को बुला कर कह दिया कि मुझे एक बार फिर किसी काम से बाहर जाना है। कोई फोन आये तो बस इतना कहना कि मै आफिस मे नहीं हूँ। हाँ एक कार मुझे लेने के लिए आ रही है। जैसे ही कार आए मुझे फौरन बता देना। टोनी ने चुपचाप सुना और फिर मुड़ कर वापिस अपने कमरे की ओर चली गयी।
मैने जल्दी से अपनी मेज की ड्रावर मे स्विच आफ करके पाँच फोन रख कर ताला लगा दिया और एक फोन अपने आफिशियल फोन के साथ अपनी जेब मे डाल लिया। मुश्किल से बीस मिनट गुजरे होंगें की टोनी ने आ कर मुझे बताया कि कार आ गयी है। मैने चलते हुए कहा… अगर मै पाँच बजे तक नहीं लौटता तो मेरा आफिस बन्द करके चली जाना। मै जल्दी से आफिस कोम्पलेक्स मे बाहर खड़ी हुई सफेद कार की ओर चल दिया जिस पर अमीरात सरकार का चिन्ह बना हुआ था। ड्राइवर ने मुझे आता देख कर कार का गेट खोल दिया और मेरे बैठते ही उसने गेट बन्द करके बड़ी फुर्ती से अपनी सीट पर आ कर बैठ गया। मुश्किल से बीस मिनट मे वह कार एक आलीशान शीशे की बनी हुई इमारत के सामने खड़ी हुई थी। ड्राईवर जल्दी से बाहर निकला और गेट खोल कर बोला… जनाब आईए। कार को वही छोड़ कर वह मेरे साथ चल दिया। आधुनिक हथियारों से लैस सेनाकर्मी पूरी इमारत की सुरक्षा मे  लगे हुए थे। कर्नल के आफिस पहुँचने मे मुझे दस मिनट लगे। कर्नल बशीर मेरा इन्तजार कर रहा था। उसने बड़ी गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया और आलीशान आफिस के एक कोने मे रखे हुए सोफे पर बैठने का इशारा करते हुए कहा… मिस्टर अली प्लीज तशरीफ रखिए।  मै सोफे पर बैठ गया और वह मेरे सामने रखे हुए सोफे पर बैठ कर बोला… शुक्रिया कि आपने इतने शार्ट नोटिस पर भी कुछ समय निकाल सके।  
…कर्नल बताईए आप किसलिए मिलना चाहते थे? …मेजर शब्द से लगता है आपको चिड़ है और मिस्टर अली काफी फोर्मल लगता है। मै इस पेशोपश मे हूँ कि आपको क्या कहूँ। पहली बार उसके सामने मुस्कुराते हुए मैने कहा… कर्नल, मुझे मेजर शब्द से कोई चिढ़ नही है। यह तो मेरे लिए फक्र की बात है। बस जब मै किसी अपने से उँची रैंक के आदमी से मिलता हूँ तब मै पहले ही साफ कर देना चाहता हूँ कि अब मै उसके मातहत नहीं हूँ। आप मुझे अली कह सकते है। वह बहुत जोर से खुल कर हँसा और फिर वह बोला… मै ऐसी गुस्ताखी बिल्कुल नहीं कर सकता। मेजर शब्द से मुझे अपनापन लगता है। लेकिन मेरे लिए अली भाई भी ठीक है। लेकिन फिर मै चाहूँगा कि आप मुझे बशीर भाई से सम्बोधित किजीए। मुझे अचानक जनरल मोर्गन की चेतावनी याद आ गयी कि कर्नल बशीर निहायत ही चालाक व्यक्ति है। मैने बात को संभालते हुए कहा… जैसी आपकी इच्छा। मै कुछ बोलने वाला था कि उसके आफिस के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
कर्नल बशीर एकाएक सतर्क हो गया। जब तक वह खड़ा होता तब तक दरवाजा खुला और दो व्यक्तियों ने कमरे मे प्रवेश किया। दोनो ही शाही अरब वेषभूशा मे थे। कर्नल बशीर फौरन खड़ा हो गया। उसको देखा-देखी मै भी खड़ा हो गया। …यह अबू धाबी प्रान्त के उत्तराधिकारी प्रिंस फैज़ल है और उनके साथ अमीरात के आंतरिक मंत्री है। मैने फौरन करारा सा मिलीट्री सैल्युट किया और सावधान की मुद्रा मे कर्नल के साथ खड़ा हो गया। प्रिंस फैज़ल बैठते ही बोले… मिस्टर अली बैठिए। कर्नल बशीर आप भी बैठिए। हम दोनों उनके सामने बैठ गये। …हम आपसे मिलना चाहते थे लेकिन हमने कुछ सोच कर मिलने के लिए कर्नल बशीर का आफिस चुना था। हम इस मीटींग को गुप्त रखना चाहते है। हम उम्मीद करते है कि आप भी इस बात को गुप्त रखेंगें। रिफाईनरी मे हुए ब्लास्ट के बारे मे जो कुछ भी आपकी बात कर्नल बशीर से हुई थी हम भी आपके के विचारों से सहमत है। हम चाहते है कि आप हमारी इस जाँच मे मदद करें और जल्दी से जल्दी उन लोगों का पता लगाईए जो इस ब्लास्ट के पीछे है। लेकिन हमारी एक मजबूरी है कि हम खुले तौर पर आपके जनरल मोर्गन से इसके लिए कह नहीं सकते। क्या आप बिना अपने आफिस को जानकारी दिये इस काम मे हमारी मदद कर सकते है? मै अजीब सी उलझन मे फँस गया था। इनको न बोलने का दुःसाहस तो जनरल मोर्गन भी नहीं कर सकता था लेकिन बिना जनरल मोर्गन की जानकारी के बिना यह काम करना तो नामुम्किन था।
…किस सोच मे पड़ गये मिस्टर अली? …एक्सीलैन्सी मुझे समझ नहीं आ रहा कि मै आपसे क्या कहूँ। मै तो एक छोटा अधिकारी हूँ। आपकी बात को न कहने की मै कैसे गुस्ताखी कर सकता हूँ। बस मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि बिना जनरल मोर्गन को बताए मै यह कार्य कैसे कर सकता हूँ। इस बार आंतरिक मंत्री बोले… मिस्टर अली आप छुट्टी पर चले जाईए। प्रिंस फैज़ल ने उसकी बात को सिरे से खारिज करते हुए कहा… यह मुमकिन नहीं है। जाँच के लिए मिस्टर अली का यहाँ होना जरूरी है। अबकी बार मैने संभलते हुए कहा… एक्सीलैन्सी यह तब ही मुमकिन हो सकता है कि जब कर्नल बशीर मेरे साथ मिल कर काम करे। यह आगे रहे और मै पीछे से इनकी मदद करूँ। मै जानता हूँ कि इनका नेटवर्क बेजोड़ है और पूरे अमीरात मे फैला हुआ है। अगर हम एक साथ इस काम को करते है तो यकीनन हम जल्द ही इस साजिश से पर्दा उठाने मे कामयाब हो जाएँगें परन्तु सारे काम कर्नल बशीर को आगे रह कर करने पड़ेंगें और मै पीछे से इनकी मदद करूँगा। मै सिर्फ इनके संपर्क मे रहूँगा और मै किसी और से इस मामले मे बात नहीं करूँगा। हाँ बस इस बात का वादा करता हूँ कि इस जाँच का जो कुछ भी परिणाम निकलेगा वह मेरे सीने मे ही दफ़्न हो कर रह जाएगा। प्रिंस फैज़ल ने कर्नल बशीर की ओर देखा और फिर आंतरिक मंत्री से कहा… कर्नल बशीर को तुरन्त इस काम पर लगा दिजीए। इतना कह कर प्रिंस फैज़ल उठ कर खड़े हो गये। हम सभी उनके साथ खड़े हो गये। प्रिंस मुड़े और कर्नल बशीर की ओर मुखातिब हो कर बोले… कर्नल जल्दी से जल्दी इस काम को पूरा करके सिर्फ मुझे रिपोर्ट किजीए। जो भी बात इस कमरे मे हुई है वह बस इस चारदीवारी मे ही रहनी चाहिए। इतना कह कर प्रिंस कमरे के बाहर निकल गये और उनके पीछे आंतरिक मंत्री भी चले गये। कमरे मे सिर्फ मै और कर्नल बशीर रह गये थे। अभी भी मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मै अबू धाबी के सिरमौर से मिल कर चुका था।


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कुछ देर के बाद मेरी आवाज निकली… कर्नल बशीर क्या आप इस मीटींग की जानकारी मुझे पहले नहीं दे सकते थे। मै पहले से कुछ तैयारी करके आता। कर्नल बशीर की हालत मुझसे ज्यादा बेहतर नहीं थी। वह भी घबराया हुआ सा दिख रहा था। …अली भाई मै आज से आपका कर्जदार हो गया। अल्लाह गवाह है कि अगर आपको कभी मेरी जरूरत पड़ी तो अपनी जान दे कर भी इस कर्ज को चुकाऊँगा। वह अचानक बहुत भावुक हो गया था। कुछ देर के बाद वह बोला… अब बताईए कि आप कैसे आगे बढ़ने की सोच रहे है। मैने अपना नया मोबाइल निकाला और उसके पीछे चिपकी हुई स्लिप पर लिखे हुए नम्बर को नोट करवाने के बाद बोला… कर्नल आप भी एक नया फोन और प्री-पेड सिम कार्ड खरीद लिजीए लेकिन ख्याल रहे कि वह सिम कार्ड आपके नाम का न हो। जब भी आप मुझसे बात करना चाहे तो बस उसी फोन का इस्तेमाल किजिएगा। यह नम्बर भी मैने इसी प्रकार प्राप्त किया है। इससे हमारा नम्बर कोई आसानी से ट्रेक नहीं कर सकेगा। आप कोई ऐसी जगह तलाश कर लिजीए जिधर हम बिना किसी की नजर मे आये आराम से मिल सकते है। 

…जाँच कहाँ से शुरू करनी चाहिए? …सबसे पहले तो आपको पुलिस रिपोर्ट की कापी मंगा ले। उसके बाद आप खुद एक बार रिफाईनरी का निरीक्षण कर लिजीए। मै अगले हफ्ते रिफाईनरी के पास की चौकी का निरीक्षण करने की सोच रहा था। अगर आप भी उसी वक्त वहाँ होंगें तो मै शायद आपकी कुछ मदद जाँच के काम मे भी कर सकूँगा। लेकिन सबसे पहले मै पुलिस रिपोर्ट देखना चाहूँगा। मै जानना चाहता हूँ कि कौनसी विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल हुआ है। एक बार उसका पता चल गया तो फिर उनके सोर्स का पता करना पड़ेगा। आप अपने नेटवर्क के द्वारा दो बातों की पता लगाने की कोशिश किजीए कि वह कौन था जो रिफाईनरी के अन्दर विस्फोटक ले कर गया और दूसरा वह विस्फोटक सामग्री कहाँ से आई थी। आपके पास अभी तीन दिन है आप उस इलाके मे अपने नेटवर्क तुरन्त एक्टिवेट किजीए। 
हम कुछ और देर तक जाँच की रूप-रेखा बनाते रहे। जब चलने का ख्याल आया तब तक रात हो चुकी थी। मैने घड़ी पर नजर डाली तो आठ बज रहे थे। …अली भाई मेरी कार आपको छोड़ देगी। …नहीं, अब आज के बाद हमारे बीच मे कोई संबन्ध नही है। मै पैदल रास्ता तय करूँगा और टैक्सी से वापिस लौटूँगा। अब हमारी बात बस फोन पर होगी और अगर मिलना जरूरी हुआ तो रात के अंधेरे मे किसी सुरक्षित जगह पर ही मिल पाएँगें। अगर मै सही दिशा मे सोच रहा हूँ तो कर्नल तो हमारे संबन्ध को गोपनीय रखना बेहद जरूरी हो गया है। इसलिए आपको सावधान रहने की ज्यादा जरूरत है। इतना कह कर मैने कर्नल से विदा ली और उसे वहीं छोड़ कर बाहर निकल गया। इमारत से बाहर निकलने मे मुझे कुछ खास मुश्किल पेश नही आयी थी।
पैदल चलते हुए मै सोच रहा था कि इस ब्लास्ट मे शाही खानदान की इतनी दिलचस्पी लेने का क्या कारण हो सकता है। टैक्सी पकड़ने से पहले मैने सड़क किनारे बने हुए छोटे से रेस्त्राँ मे खाना खाया और फिर कुछ समय अबू धाबी की जगमगाती हुई रोशनी का नजारा लिया। जब इस बात का विश्वास हो गया कि कोई मेरा पीछा नहीं कर रहा तब मैने जाती हुई टैक्सी को हाथ दे कर रोका और वापिस यूएन कोम्पलेक्स की ओर चल दिया। मेरा दिमाग इस वक्त इस गुत्थी को सुलझाने मे लगा हुआ था कि जनरल मोर्गन के बारे मे अबू धाबी के प्रिंस की राय वह नहीं थी जैसी मैने सोची थी। इसका मतलब था कि जनरल मोर्गन जरूर किसी और शाही अमीर के ज्यादा निकट थे। यह पता लगाना अब मेरे लिए और भी ज्यादा जरूरी हो गया था कि आखिर वह कौनसा छ: अमीरों मे से था जिसके विश्वासपात्र जनरल मोर्गन थे।
अगली सुबह अपने रोजमर्रा की तरह नौ बजे अपने आफिस मे दाखिल हो गया था। टोनी आ चुकी थी और मेरी टीम अपने काम मे व्यस्त थी। मै उठ कर उनके पास चला गया। …तो हम कहाँ तक पहुँच गये। हेनरी ने मेरे सामने अबू धाबी का नक्शा रख दिया जिस पर बहुत सारे लाल रंग के निशान लगे हुए थे। …सर कल शाम को हमने अबू धाबी प्रान्त के वह सभी इलाके पर निशान लगा दिये है जहाँ पर शांति सेना की मुठभेड़ हुई थी। ध्यान से नक्शे पर लगे हुए लाल निशान देखने से साफ था कि ऐसे इलाके सबसे ज्यादा साउदी अरब और अबू धाबी की सीमा के नजदीक थे। ओमान की सीमा के पास दो इलाके थे लेकिन जहाँ तीन देशों की सीमाएँ मिल रही थी वह जगह तो लाल निशानों से भरी हुई थी। कुल मिला कर बत्तीस जगह पर लाल निशान लगे हुए थे। बहुत हद तक संवेदनशील क्षेत्र के मामले मे मेरा अनुमान सही साबित हुआ था। आज शाम के लिए जनरल मोर्गन को दिखाने के लिए मेरे पास काफी सामग्री इकठ्ठी हो गयी थी।
टिम और सैम शारजाह और दुबई के नक्शों पर निशान लगाने मे जुटे हुए थे। जूली और किन्ग फुजाईराह और रस अल-खैमाय के नक्शे खोल कर बैठे हुए थे। कुछ देर मैने उनसे बात की और फिर टोनी के पास चला गया। वह अपने काम मे व्यस्त थी। मुझे देख कर वह अपनी जगह से उठ कर खड़ी हो गयी… सर मुझे बुला लिया होता। मै उसके पास पहुँच कर बोला… कल मेरे जाने के बाद किसी ने मेरे बारे पूछा था। वह तुरन्त बोली… बस सूजन ने एक बार फोन पर आपके बारे मे पूछा था। मैने उससे पूछा भी क्या कोई मेसेज देना है लेकिन उसने मना कर दिया। वह आपसे बात करना चाहती और कोई खास काम नहीं था। मै समझ गया कि उस सरकारी कार के सिलसिले मे उसने फोन करके मालूम करने की कोशिश की होगी कि वह कार किसके लिए आयी थी। मैने टोनी के कन्धे को धीरे से थपथपाते हुए कहा… कोई बात नहीं। अबकी बार फोन करे तो बता देना कि आज मै आफिस मे हूँ। दो काफी के मग ले कर मेरे आफिस मे आओ। मै जो जानना चाहता था वह जान गया था। मै वापिस अपने कमरे मे आ गया और पाँव फैला कर अपनी अगले कदम के बारे मे सोचने के लिए बैठ गया।
कुछ देर के बाद टोनी दो काफी के मग लेकर मेरे कमरे मे आयी और मेरी ओर एक कप रख कर झिझकते हुए बोली… सर दूसरा कप किसके लिए? …यह तुम्हारे लिए है। मै बोर हो रहा था इसी लिए मैने सोचा कि आज तुम्हारे साथ काफी पी जाए। टोनी मेरे सामने बैठ कर काफी पीने लगी। …टोनी यहाँ पर काम करते हुए कितना समय हो गया है? …दो साल। मै समझ गया कि यह मेरे बारे मे सब कुछ जानती होगी। …मै भी तो इसी आफिस मे था। लेकिन मैने तुम्हें पहले यहाँ काम करते हुए कभी नहीं देखा। …सर यहाँ आने से पहले मै स्टोर रूम मे काम किया करती थी। मैने काफी का सिप लेते हुए अपना सिर हिलाया… हाँ तभी मैने पहले तुम्हें नहीं देखा था। एक पल रुक कर मैने पूछा… तुम यहाँ पर कहाँ रह रही हो? …सर, इसी कोम्पलेक्स मे हम दो लड़कियों को एक फ्लैट मे रखा हुआ है। …टोनी तुम अरब मूल की नही हो तो तुम यहाँ कैसे पहुँच गयी? वह एक पल के लिए खामोश हो गयी थी। …अगर तुम नहीं बताना चाहती तो कोई बात नहीं। …नही सर, ऐसी कोई बात नहीं। मै जन्म से ईटालियन हूँ लेकिन पिता यूएन के विएना स्थित आफिस मे काम करते थे। शांति सेना के आने से पूर्व मेरे पिता एक यूएन मिशन को ले कर यहाँ आये थे लेकिन एक आतंकवादी हमले मे उनकी जान चली गयी थी। जब शांति सेना यहाँ भेजी गयी तो उन्होंने मुझे यहाँ नौकरी पर रख लिया। बस तभी से मै यहाँ पर काम कर रही हूँ। …और कोई तुम्हारा भाई या बहन नहीं है? …एक छोटा भाई है जो विएना मे पढ़ रहा है। बस और कोई नहीं है। …टोनी अगर तुम मेरे को गलत न समझो तो एक बात पूछना चाहता हूँ। एक पल के लिए रुक गया और फिर पूछ लिया… तुम्हारा कोई बोय फ्रेंड है? उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से मेरी ओर पल भर के लिए देखा और फिर बोली… मै यहाँ से बाहर कभी-कभी ही निकलती हूँ। इसीलिए मेरे फ्रेंड तो इसी कोम्पलेक्स मे काफी है लेकिन मेरा कोई स्थायी बोय फ्रेंड नहीं है। 
…टोनी यह मैने इसलिए पूछा था कि अब से काफी संवेदनशील और गोपनीय काम मेरे आफिस मे होगा। यह तो तुम जानती हो कि अब से हमारा आफिस यहाँ पर होने वाले आतंकी संगठनों पर काम करेगा इसलिए इस आफिस की गोपनीयता रखना निहायत जरूरी है। मेरे पास काम करने वाला व्यक्ति बहुत सी बातें जैसे मैने किससे और कब फोन पर बात की, मुझसे मिलने कौन आया, मै कहाँ जा रहा हूँ या मैं कहाँ पर हूँ इत्यादि विषयों की सिर्फ तुम्हारे पास जानकारी रहेगी। अगर यह खबर हमारे आफिस की चारदीवारी के बाहर चली गयी तो हो सकता है कि जो तुम्हारे पिता के साथ हुआ वह हमारी पूरी टीम के साथ हो सकता है। इसीलिए तुम पर काफी हद तक यहाँ होने वाले कार्यों की गोपनीयता बनाए रखने की जिम्मेदारी है। तुम भूल कर भी अपने किसी दोस्त या अन्य स्टाफ से इस बारे मे बात नहीं कर सकोगी। अगर तुम इस जिम्मेदारी को लेने के लिए तैयार हो तो हमारी टीम मे हो अन्यथा तुम यहाँ से ट्राँसफर ले लो क्योंकि यहाँ पर काम करने वालों को जान का ही जोखिम नहीं है बल्कि नौकरी जाने का भी खतरा हो सकता है। वह अचरज भरी हुई आँखों से मेरी ओर ताक रही थी। …मेरी सेक्रेटरी होने के कारण तुम पर बड़े से बड़े अधिकारी जैसे जनरल मोर्गन दबाव डालेंगें कि यहाँ क्या चल रहा है परन्तु उन्हें किसी भी प्रकार की जानकारी तब तक नहीं देनी जब तक मै न कहूँ। तो क्या यह जिम्मेदारी तुम निबाह सकोगी? इतना कह कर मै चुप हो गया।
वह कुछ देर तक गुम-सुम बैठी रही। मै उसके चेहरे पर आते हुए बदलते भावों को पढ़ने की कोशिश मे लग गया। …सर, मै सूजन के साथ कमरा शेयर कर रही हूँ। ऐसा कई बार हुआ है कि शाम को रूम मे वह इसी बात की चर्चा करती है कि यहाँ क्या चल रहा है। एक बार तो वह आपके बारे मे यह भी पूछ रही थी कि क्या आपने मेरे साथ फ्लर्ट करने की कोशिश की है। सेक्रेटरी पूल मे ऐसी बातें करना तो आम बात है। पर आपने अब आगाह कर दिया है तो मै इसका ख्याल रखूँगी। सर, अगर आप उन लोगों के खिलाफ मुहिम छेड़ रहे है जिनकी वजह से मेरे पिता की मौत हुई तो मै उस टीम का हिस्सा बनना जरूर चाहूँगी। आप मुझ पर विश्वास रखिए कि मै यहाँ की एक बात भी बाहर नहीं जाने दूँगी। मै उठ कर उसके पास आया और उसकी पीठ थपथपाते हुए कहा… वेलकम टु माई टीम। अब अगर तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक आ कर मुझसे कहना। टोनी खड़ी हो गयी और मेरा हाथ थाम कर बोली… सर बस जब भी बाहर जाईएगा तो एक पीस मे वापिस लौट आईएगा। इतना कह कर वह मेरे कमरे से बाहर निकल गयी। 
कल रात से बहुत सोचने के बाद मै इसी नतीजे पर पहुँचा था कि टोनी को विश्वास मे लेना पड़ेगा। कर्नल बशीर के लिए मुझे एक ऐसे आदमी की जरूरत थी जो मेरी अनुपस्थिति का राज अपने तक ही सिमित रखे। टोनी के अलावा यह काम कोई और नहीं कर सकता था। यही सोच कर मैने उससे बात करके उसे आगाह कर दिया था। अगर वह काम करने को राजी हो गयी तो ठीक है अन्यथा उसको किसी और के पास ट्रांसफर करके जूली या अपने टिम को अपने आफिस का चार्ज थमा दूँगा जिससे मेरे आफिस की सारी बातें जनरल मोर्गन तक नहीं पहुँच सके। मेरे काम की गोपनीयता बनाए रखने मे मुझे सबसे बड़ा खतरा सूजन से लग रहा था। मै सूजन को पिछले दो साल से जानता था। उसके पास यहाँ पर स्थित पूरे यूएन आफिस की छोटी से छोटी खबर होती थी। बहुत बार जनरल मोर्गन ने मुझसे कहा था कि इसकी जानकारी के लिए सूजन से कह दो वह यह काम कर देगी। उसकी जनरल मोर्गन के प्रति स्वामिभक्ति का मै भी कायल था। टोनी और सूजन की बातचीत मेरे लिए घातक थी जिसकी वजह से मैने उसे साफतौर पर सूजन से सावधान करना चाहता था।
शाम तक मै अबू धाबी के नक्शे और उस पर लगे हुए लाल निशानों को सोचने और समझने मे लगा रहा। शाम को पाँच बजे मै टोनी को बता कर जनरल मोर्गन से मिलने के लिए चला गया। मैने सूजन के आफिस मे झाँक कर देखा तो वह वहाँ पर नहीं थी। मै कुछ देर बाहर टहलता रहा और फिर सूजन के कमरे मे जा कर बैठ गया। उसकी मेज पर बहुत से कागज फैले हुए पड़े थे इसका मतलब वह यहीं कहीं थी। पन्द्रह मिनट के बाद सूजन ने अपने आफिस मे कदम रखा तो मुझे बैठे हुए देख कर चौंक कर बोली… मेजर आपको यहाँ आये हुए कितनी देर हो गयी? …एक्स-मेजर। मै अभी आया था। क्यों क्या हुआ? …नहीं अभी जनरल ने आपके बारे मे पूछ्ने के लिए कहा है। मै यहाँ आपको फोन करने लिए ही आयी थी। …क्या मै अभी जनरल से मिल सकता हूँ? …हाँ क्यों नहीं। मै तो आपको बुलाने ही जा रही थी। मै उठ कर खड़ा हुआ और उसके साथ जनरल के कमरे की ओर बढ़ गया।
वही कमरा और वही नजारे ने मेरा स्वागत किया। जनरल अपनी कुर्सी पर बैठे हुए थे और उनकी उंगलियों के बीच जलती हुई सिगरेट दबी हुई थी। मुझे देखते ही वह बोले… आओ मेजर। क्या खबर है? अबू धाबी प्रान्त के नक्शे को उनकी मेज पर फैलाते हुए मैने कहा… सर मेरी ओर से इस प्रान्त के सभी संवेदनशील क्षेत्रों पर लाल पेन से निशान लगा रखे है। सूजन की ओर देख कर जनरल ने कहा… देखो कि कोई हमें डिस्टर्ब न करे। सूजन वापिस चली गयी और जनरल मोर्गन अपनी सीट छोड़ कर नक्शे को देखने मे लग गये। …यह कौन सी जगह है? …यह चौकी अल सिला की रिफाईनरी से कुछ दूर है। सर इसी क्षेत्र मे वही रिफाईनरी आती है जहाँ ब्लास्ट हुआ था। मैने नक्शे पर उँगली से इंकित करते हुए कहा… सर, यहाँ पर शरणार्थी कैंम्प बने हुए है। साउदी सीमा से अराजकता फैलाने वाले इसी रूट का इस्तेमाल करते है। वह अलग-अलग जगहों पर उँगली लगा कर सवाल पूछते गये और मै उनके हर सवाल का जवाब देता चला गया। काफी देर के बाद वह अपनी कुर्सी पर बैठ कर बोले… अब मुझे इन सब जगह पर बड़े और छोटे सक्रिय आतंकी गुटों के नाम चाहिए। …सर, उसके लिए हमें यहाँ से बाहर निकलना पड़ेगा। आये दिन कुछ गुट नये बन रहे है और कुछ एक दूसरे मे विलय हो रहे है। आपको सिर्फ गुटों के नाम नहीं चाहिए बल्कि उन गुटों के सरगना कौन है यह भी जानना जरूरी है। इसके लिए हमें उन सभी जगहों का दौरा करना पड़ेगा जिससे हम आज की स्थिति का सही आंकलन कर सकें। …तो इसमें क्या परेशानी है? कुछ नहीं सर। बस मै तो आपको बताने की चेष्टा कर रहा हूँ कि अगले हफ्ते से अपनी चौकियों के दौरे पर निकलना है। अब यहाँ पर किसने मेरी जगह ली है? …क्यों? …सर चौकियों पर जाने से पहले मै एक बार उससे मिलना चाहता हूँ।
जनरल एक पल के लिए चुप हो गये और फिर कुछ सोच कर बोले… फिलहाल तो उसकी कमांड मेरे पास ही है लेकिन इन चौकियों पर फ्रेंच सेना तैनात है। अच्छा रहेगा कि तुम कर्नल जोन पियरे से मिल लो। वही फ्रेंच सेना की कमान यहाँ पर संभाल रहे है। अचानक वह एक पल के लिए चुप हो गये और फिर एकाएक बोले… कल कर्नल बशीर से मिलने गये थे? मै समझ नहीं पाया कि वह मुझसे पूछ रहे है या मुझे बता रहे है। इसी कारण मै पल भर के लिए चुप रहा लेकिन वह मेरी ओर ही एकटक ही देखते रहे। …आपको मालूम है तो फिर मुझसे क्यों पूछ रहे है? हाँ कल दोपहर को कर्नल बशीर ने मुझे अपने आफिस उस विस्फोट के सिलसिले मे बुलाया था। इतना कह कर मै चुप हो गया। कुछ देर इंतजार करने के बाद वह बोले… तो फिर? …सर मेरा स्टेन्ड मै पहले से ही उसे बता चुका था कि बिना वहाँ पर जाए मै किसी निर्णय नहीं पहुँच सकता। मैने वही स्टेन्ड उसके आफिस एक बार फिर से दोहरा दिया था। वह लोग चाहते है कि मै यहाँ बैठ कर उनके द्वारा इकठ्ठी सूचनाओं के आधार पर अपनी राय दूँ लेकिन मैने उनसे साफ कह दिया था कि मुझे ऐसे काम करने की आदत नहीं है। …मेजर तुम्हें उससे अब सावधान रहने की जरूरत है। कोई और भी था वहाँ पर उसके साथ? …हाँ, वह तीन लोग थे। लेकिन कर्नल बशीर ने मेरा उनसे परिचय नहीं कराया था। …फिर कल की मीटींग का क्या नतीजा निकला? …कोई खास नहीं। कर्नल बशीर रिफाईनरी के दौरे के बाद मुझसे फिर मिलेंगें। अबकी बार मैने पूछ लिया… सर जब वह हमसे कोई मदद नहीं लेना चाह रहे है तो आपने क्या सोच कर मुझे इसमें फँसा दिया। …मेजर जो भी करो बस मेरी जानकारी मे डाल देना। वह बहुत शातिर इंसान है। कहीं तुम उसकी किसी चाल मे न फँस जाना। मैने गरदन हिलाते हुए कहा… आपने मुझे फँसाया है तो आप ही मुझे उसमे से निकालिए।   
जनरल मोर्गन एक बार मुस्कुराए और फिर मेरी ओर देख कर बोले… फिलहाल तो तुम दौरे पर जा रहे हो। इसी लिए कर्नल बशीर का किस्सा तो अब यहीं खत्म हो जाएगा। जल्दी से जल्दी सारी जानकारी गुटों के बारे मे इकठ्ठी करके मुझे रिपोर्ट दो। …सर क्या आप कर्नल जोन पियरे को मेरे बारे मे एक बार बोल देंगें। जनरल ने अपनी कुर्सी को छोड़ते हुए कहा… तुम सूजन को बता देना तो वह मेरी कर्नल से बात करा देगी। अच्छा अब मै जा रहा हूँ। इतना कह कर वह अपने आफिस के बाहर निकल गये। मै भी उनके पीछे-पीछे निकल कर सूजन के कमरे की ओर चला गया। …सूजन कल सुबह तुम जनरल मोर्गन की बात कर्नल जोन पियरे से करानी है। जनरल ने मुझे कहा था कि तुम्हें नोट करा दूँ। सूजन ने जल्दी से अपने नोटपेड पर लिख लिया और फिर मेरी ओर देख कर बोली… मेजर, कैसी लगी टोनी? मैने भी उसी के लहजे मे जवाब दिया… अच्छी है, लेकिन क्यों क्या हुआ? वह बड़ी अदा से बोली… कुछ नहीं बेचारी अकेली है। उसे एक साथी की तलाश है जो उसका अकेलापन दूर कर सके। मैने हँसते हुए कहा… अब आफिस टाइम के बाद मैच मेकिंग का काम शुरू कर दिया। इतना कह कर मै सूजन के कमरे से बाहर निकल गया।   
जब तक मै वापिस लौटा टोनी और मेरा स्टाफ मेरी इंतजार मे बैठा हुआ था। मैने नक्शा और बाकी कागज हेनरी की ओर बढ़ाते हुए कहा… अगले हफ्ते हमें आफिस छोड़ कर बाहर निकलना होगा। टोनी आफिस का काम संभालेगी और हम लोग अल सिला की ओर जाएँगें। इसीलिए जूली और हेनरी आप दोनों चलने की तैयारी मे कल से लग जाईए। बाकी लोग निकलने से पहले अपना काम पूरा करने की कोशिश किजीए। सब ने सिर हिला दिया। …अब आप जा सकते है। मै अभी कुछ देर और बैठूँगा। सब एक-एक करके बाहर चले गये। कुछ देर तक मै आफिस मे बैठ कर कर्नल बशीर के बारे मे सोचने बैठ गया। चलने से पहले मैने अपनी ड्रावर से सारे मोबाईल निकाल कर अपनी जेब के हवाले किया और अपना आफिस बंद करके अपने फ्लैट की ओर चल दिया। शाम की ठंडी हवा के झोंकों ने दिन भर की थकान को पल भर मे गायब कर दिया था। धीमे कदमों से चलते हुए मै अपने फ्लैट पर पहुँच गया था। फ्लैट मे प्रवेश करते ही मेरे नये मोबाइल की घंटी बज उठी। मैने जल्दी से कहा… हैलो। …अस्लाम-वाले-कुम सलाहुद्दीन बोल रहा हूँ। पल भर के लिए मेरा सारा जिस्म ठंडा हो गया था।
सलाहुद्दीन कोई छोटा आदमी नहीं था। वह अल नुसरा फ्रँट का कनवीनर था। उसके पास 5000 से ज्यादा लड़ाकू थे और सिर पर अमरीका की सीआईए का हाथ था। …वाले-कुम मियाँ बताईए क्या कहना चाहते है? …मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है। अब बताईए कब और कहाँ मिल सकते है? …जनाब आप बताईए। मै तो आपसे जल्दी से जल्दी मिलना चाहता हूँ। …मेजर मै अबू धाबी नहीं आ सकता। कर्नल बशीर के कुत्ते मेरे पीछे लगे हुए है। …जनाब मै आपकी बताई हुई जगह पर पहुँच जाऊँगा। बोलिए कब और कहाँ? …क्या तुम कल शारजाह आ सकते हो? …क्यों नहीं। मै कल शारजाह पहुँच जाऊँगा। …ठीक है। मै कल दोपहर की फ्लाईट से पेरिस जा रहा हूँ। शारजाह एयरपोर्ट के काफी शाप मे ठीक एक बजे तुमसे मिलूँगा। तुम समय से वहाँ पहुँच जाना। तुमसे जरूरी बात करनी है। इतना कह कर उसने फोन काट दिया। मै इसी फोन का सुबह से इंतजार कर रहा था। मैने जल्दी से शारजाह के लिए फ्लाईट को चेक किया और फिर आने-जाने की एक टिकिट बुक कर ली। मेरी यह मीटींग अगर सफल रही तो बहुत सारे राज उजागर हो जाएँगें।
कुछ देर के बाद मेरे मोबाइल की घंटी दोबारा बजी। …हैलो अली भाई। यह मेरा पर्सनल नम्बर है। नोट कर लो। …कर्नल अब से हमारे बीच इसी नम्बर से ही बात होगी। …अली भाई, उस ब्लास्ट की पुलिस रिपोर्ट और फ़ारेन्सिक रिपोर्ट मिल गयी है। रिफाईनरी मे भारी मात्रा मे आरडीएक्स का इस्तेमाल हुआ था। …कर्नल, आरडीएक्स जैसे विस्फोटक का इस्तेमाल अमूमन अल कैदा किया करता है। अपने नेटवर्क को अल कैदा-अमीरात के सक्रिय सदस्यों के पीछे लगा दो। मुझे विश्वास है कि जल्द ही कोई सुराग हमारे हाथ लगेगा। …अली भाई आप कब तक रिफाईनरी की ओर निकल रहे है? …आज मैने जनरल मोर्गन को बता दिया है कि मै अल सिला की चौकी पर अगले हफ्ते जा रहा हूँ। मै पहुँचते ही काल करूँगा। अगर इसी बीच कुछ पता चले तो फौरन मुझे उसकी सूचना देना। कर्नल भारी मात्रा मे आरडीएक्स का रिफाईनरी के अन्दर दाखिल होना यह सिद्ध करता है कि कोई अन्दर का आदमी है जिसने यह किया है। वहाँ पहुँचते ही आपको उसके बारे मे पता लगाना है। गेट के अन्दर जाने वाला रिकार्ड ध्यान से चेक कर लेना। मुझे यकीन है कि वही आपको उस व्यक्ति तक पहुँचाएगा। …शुक्रिया अली भाई। …एक बात और है कर्नल। क्या आप सलाहूद्दीन के बारे मे कुछ जानते है? …वही जो पहले इस्लामिक रिप्बलीकन लीग मे था और अब उनसे टूट कर अल नुसरा फ्रंट का कन्वीनर है। …हाँ वही। …अली भाई, उसके पीछे मै काफी दिनों से लगा हुआ हूँ। परन्तु वह आज तक मेरे हाथ नहीं आया क्योंकि अजमान के अमीर ने उसे शरण दी हुई है। …ठीक है कर्नल, क्या आपके पास उसका कोई फोटो है? …हाँ जरूर। …प्लीज आप उसकी फोटो इस मोबाइल पर भेज दिजिए। कर्नल बशीर उससे पहले कोई सलाहुद्दीन के बारे मे सवाल पूछ्ता मैने जल्दी से कहा… मै फोटो का इंतजार करूँगा। खुदा हाफिज़। इतना कह कर मैने फोन काट दिया। 
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