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Adultery साक्षी : जो तेरी इच्छा वही मेरी इच्छा.
#1
डिस्क्लेमर : यह कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक हे इसका किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई लेना दी नहीं हे इसे सिर्फ मनोरंजन के लिए ही लिखा हे. 
एक नया थ्रेड चालू करने की कोशिश कर रहा हु. मोटे  तौर पे इस कहानी में सेक्स ही सेक्स होगा (हालांकि में बहुत ज्यादा डिस्क्राइब नहीं कर पाता हु. )
लेकिन इस कहानी में एक पुरुष-स्त्री का, पति पत्नी, माँ बेटा, बाप बेटी, ससुर बहु, सास दामाद, नौकर मालकिन, नौकरानी मालिक अनजान लोग सब तरह के सेक्स आएगा यानि की. हस्बैंड वाइफ लव, एडल्ट्री. थ्रीसम, कुकोल्ड, ग्रुप। गैंगबैंग डोमिनेशन वॉयेजर सब आएगा. परन्तु में कब पोस्ट अपलोड करुगा उसका कोई फिक्स नहीं हे. हो सकता हे एक सप्ताह में कभी २-३ पोस्ट भी हो जाये या १५ दिन कोई भी पोस्ट न आये. 
अगर पाठकों ने निचे दिए गए सेम्पल को सराहा तो आगे कहानी शुरू से शुरू करूँगा. नीचे की पोस्ट हे वो स्टोरी में बीच में कहि आएगी. पाठकों की सुविधा हेतु नीचे पोस्ट में जो कैरेक्टर हे उसका परिचय दे देता हु. मुख्य स्टोरी शुरू होगी तब सब जरूरी पत्रों का परिचय दिया जायेगा. 
यस सिन्हा : २५ वर्ष, साक्षी का पति, विदेश से बिज़नेस मैनेजमेंट का अभ्यास करके अपने पापा के साथ मिल के खुद का बिज़नेस करता हे. करोडपति है 
साक्षी सिन्हा (सम्पत ) : २३-२४ वर्ष यस की पत्नी, MBA  अपने पतिको बिज़नेस में हाथ बटाती हे. 
सिन्हा साहब : यस के पिता 
बसीर : फार्म हाउस का टेम्पररी नौकर. जो सिन्हा साहब के फार्म पर कुछ फंक्शन में हेल्प करने के लिए बिहार से बुलाया गया हे.  
xxxxx 
"यस. में बहुत ही गरम हो उठी हु. ४ दिन से मेहमान और फंक्शन में. इसलिए सिंहा अंकल को बोल दिया हे की हम ३-४ दिन यही रुकेंगे."
"साक्षी, जो तेरी इच्छा वो मेरी इच्छा."
"लेकिन मैं किसी से भी..."
"अरे तुजे कोई नहीं ध्यान में हे तो में लेकर आऊंगा। वैसे इतने बरसो से तुजे जनता हु. कामचलाऊ नौकर बसीर हे तेरी नजर में. सिर्फ एक बात पूछनी हे. इन दिनों में मेरा कोई चांस?"
"देखूंगी, फ़िलहाल तो मेरी नजरमे तुम्हारी ड्यूटी सिर्फ नौकर की ही हे यस. तुम्हारे सामने तुम्हारी नाजुक खूबसूरत नयी नवेली दुल्हन एक भद्दे दिखने वाले काले कलूटे नौकर से ३-४ दिन हनीमून मनाएगी और वो मुझे जब चाहे या में जब चाहु स्फूर्ति से और ताकत से चोद  शके इसलिए तुम्हे सवेरे ब्रेकफास्ट रेडी रखना होगा. शराब और बियर कम न पड़े उसका ध्यान रखना और दोपहरके और रात का खाना लेने जाओ. (शहरसे १०-१२ किमी दूर हे फार्म हाउस ) तब साथमे फ्रूट और ड्राई फ्रूट भी लेके आना. जब घर में हाजिर हो तब हमे डिस्ट्रब नहीं करना. और हमारी हर जरूरतों को पूरी करना पड़ेगा. कभी कभी हमारी चुदाई में तुम्हारी सहायता की जरूरत पड़ेगी तो उस वख्त हाजिर रहना पड़ेगा.कर पाओगे यह सब?'
"साक्षी  मेने बताया न की जो तेरी इच्छा वो ही मेरी इच्छा." 
"कभी कभी में उसके सामने तुजे ज़लील भी करुँगी. वैसे भी वो इस फार्म हॉउस में टेम्पररी हे. और अपना शहर कोनसा हे वो भी नहीं जनता."
"चलेगा रानी में तुम्हे किसी से चुते देखना चाहता हु बस."
"एक बार की बात अलग होती हे लगातार ४ दिन"
 "जो तेरी मर्जी वो ही मेरी मर्जी. कब शरू कर रही हो मे तो कहता हु अभी बुला लो"
"उसे सिड्यूस करना पड़ेगा। और तुम्हे भी में एक चांस देना चाहती थी इस लिए पूछ लिया. अगर मुझे रोकना चाहते हो और सोचने का टाइम चाहिए तो २ घंटा है तुम्हारे पास. अभी १२ बज रहा हे.  अब जाओ अपना जो काम बाकि हे वो खत्म करो. में तुम्हें २ बजे फोन करुँगी. अगर उस वक्त भी तुम्हारा जवाब अभी वाला होगा तो अपमान सहन करने और बीबी की इज्जत की धज्जियां उड़ती देखने के लिए ६ बजे के बाद घर आना और रातका  खाना कोल्डड्रिंक बियर वगेरे लेते आना. बहोत शौखहै ना अपनी करोड़पति बीबी को एक बदबूदार गंदे नौकर से चुड़ते देखने का."
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#2
Great start 
Waiting for update
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#3
Hot as hell......
Outstanding start....
Superb....
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#4
let see
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#5
करीब करीब १५०० लोगो ने कहानी को देखा. लगता हे लोगो को यह कहानी पढ़नी में दिलचसपि है  तो चलो शरू करते हे साक्षी याने की मेरी कहानी 

साक्षी : जो तेरी इच्छा वो ही मेरी इच्छा. 
सबसे पहले में इस कहानी में आने वाले प्रमुख पात्रों  के बारे में बता देती हु. 
साक्षी (सम्पत) सिन्हा : यानि में उम्र २४ वर्ष रंग गोरा ३६-२४-३६ पोने ६ फुट की हाइट. फिगर ऐसा की.... जाने दो. पानी छूट जायेगा. 
यस सिन्हा : २५ वर्ष मेरे पतिदेव, ६ फुट, ९० किलो वजन, छरहरा बदन, मानो ग्रीक माइथोलॉजी का कोई देवता धरती पर घूम रहा हो. मेरे बचपन का दोस्त. मेरी हर बात मैंने वाला, मेरे कहने पर मरने मरने को तैयार मेरा सच्चा हमसफ़र. 
रंजना : २५ वर्ष, यस की जुड़वाँ बहन, ४  वर्ष से शादी सुदा  मेरी बचपन की पक्की शहेली. घरमे किसीको भी पता न हो एसी बाते मुज़से शेर करने वाली।
विवेक : रंजना का पति. (उनका उल्लेख कहानी में बाद में आएगा.)
सुकेतु सम्पत : ५२ वर्ष मेरे पिताजी, उनका रो मटेरियल सप्लाई का कारोबार है. काफी धनवान है  और वो सिन्हा साहब को रो मटेरियल सप्लाई करते हे. दोनों वर्षों से दोस्त हे. 
सरला सम्पत : ५० वर्ष, है  तो मेरी माँ, लेकिन अपने शरीर को योग और वर्क आउट से संभाला हे की मेरी बड़ी बहन दिखती है.  हाउस वाइफ है. सजने धजने की शौकीन (उनके शोख का उल्लेख कहानी मे आगे आएगा.) 
संग्राम सिंह सिन्हा : ५५ वर्ष, मेरे ससुर जी, और पापा के खास दोस्त. एक्सपोर्ट का बिज़नेस है और पापा से कम से कम १० गुना धनवान है. 
साधना सिन्हा : ५२ वर्ष लेकिन ४० की दिखने वाली (MLF) मेरी सासुमा. हमेशा मुझे अपनी दूसरी बेटी की तरह प्यार  किया हे. शौक़ीन तो वो भी बहुत है. पैसा कैसे उड़ाना कोई उनसे सीखे.  
अमजद : सिन्हा अंकल का बॉडीगार्ड से लेकर बटलर, पिए, ड्राइवर सब कुछ.

हम जहां रहते हैं. (MP) के एक बड़े शहर में लेकिन सिटी से थोड़े दूर एक सोसायटी बनाई हुई हे यहाँ  सिर्फ १२ बंगलो'स हे. हमारा और यस  का यानि मेरे ससुरालवालों का बंगलो के बीच में सिर्फ एक दीवार है। (हमने उसे बिच में से तोड़ के एक गेट बनवाया है ) यहाँ सोसायटी बनानेका एक मकसद यह था की सभी बंगलो के मालिक इंडस्ट्रियलिस्ट हे. और इंडस्ट्रियल एरिया यहाँ से नजदीक है. और मुख्य सिटी से दूरी भी सिर्फ १० मिनट की है. वैसे तो यह किसी गवर्मेंट प्रोजेक्ट की जमीन थी. पर कुछ बड़े अधिकारिओ को २ बंगलो बनवा देके यह सोसायटी बनी हे. मुख्य गेट पर २ वॉचमैन बैठते हे. 
 
 तो चलो अब सरु करते हे कहानी आज से लगभग ४ वर्ष पहेलेसे. और दिन था मेरा १८वा बर्थ डे. में बहुत खुश हु. बहुत सरे गिफ्ट मिले हे. बहुत मेहमान हे लेकिन बहुत ही मजेदार चीज जीवन में पहली बार देखने सुनने महसूस करने वाली हु क्या??  
पढ़ेंगे अगली पोस्ट में.  
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#6
Mast introduction ta
Jaldi next update do
Best of luck
Haa apni fantasy ke according likhna
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#7
Absolutely fantastic....
Keep going....
Marvellous.....
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#8
Update
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#9
Waiting for update....
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#10
(सब से पहले तो SORRY बहुत दीनो तक अपडेट न देने के लिए. कुछ पर्सनल प्रॉब्लम में उलझा था. खैर  अब शुरू करते हे मेरे १८ वे बर्थडे से....... 

लगभग रत के १ बजने को आया था में बहोत खुश थी अब में क़ानूनी तौर पे एडल्ट बन चुकी थी. बहुत सारी गिफ्ट मिली थी. कपडे गहने केश जोरदार खाना महेमान लोग ऑलमोस्ट चले गए थे. घर मे सिर्फ मेरा परिवार ( माँ पापा और में) और सिन्हा अंकल का परिवार ( सिन्हा अंकल, आंटी रंजना और यस) इतने ही लोग बचे थे. अंकल आंटी मम्मी पापा एक टेबल पे बैठ के शराब पीते पीते कुछ डिस्कस कर रहे थे. में रंजना और इस एक कोने में बैठ के मेरे नए मोबाइल(जो सिन्हा अंकल  ने गिफ्ट दिया था. लगभग ५० हजार का मोबाईल था. जो यस और रंजना के पास भी नहीं था)  के फीचर्स समाज रहे थे. यस और रंजना के हाथ में भी वोडका मिक्स कोल्डड्रिक की बोतले थी और वो दोनों उसमे से चुस्किया मार  रहे थे. तभी सिन्हा अंकल  जोर से बोले और हमारा तीनो का ध्यान उनकी और आकर्षित हुवा।
"यार सम्पत ये सब तू मेरे पे छोड़ दे में साक्षी से बात करता हु. तुजे मुज पर भरोसा हे की नहीं?"
"पर सिन्हा यार अभी वो..." पापा की बात काटते हुये आंटी बोली "सम्पत, सिन्हा सही कह रहा है. अब वो १८ वर्ष खत्म क्र चुकी हे. अब वो स्वतंत्र जीवन जी सकती हे."
"तुम कुछ नहीं बोलोगी? पापा ने माँ से पूछा. 
"में क्या बोलू. सिन्हा और साधना का कहना भी ठीक है. और आपका मानना भी सही हे की स्वतंत्रता और स्वच्छंद के  फर्क साक्षी को मालूम हे कि नहीं वो पहले सोचना चाहिए."
"देख सम्पत हम चारो की इच्छा है न की साक्षी और यस की शादी हो. तो तुजे तकलीफ कहा हे. वो जैसी होगी हम बहु के रूप में उसे स्वीकारने को तैयार है. शादी अभी ३-४ वर्ष बाद रखेंगे."
"में वही समजा रहा हु सिन्हा. इन ३-४ वर्ष में कुछ उच्च नीच हो गयी तो..."
मेरी समझ में कुछ कुछ आ रहा कुछ कुछ नहीं. इधर रंजना और इस मंद मंद मुस्कुरा रहे थे. जैसे उन्हें पहेलेसे ही पता हो की क्या बात हो रही हे. शायद  उसी वजह से वो लोग मुझे अकेले इस कोने में ले के के आये थे.  इतने में सिन्हा अंकल ने आवाज लगाई "साक्षी बेटा जरा इधर आना तो... "
"जी अंकल  कहे के में भाग के उन के पास गयी. मेने स्काईब्लू कलर की घुटनो तक की फ्रॉक फेनी थी सिल्क मटीरियल में बनी वो फ्रॉक थोड़ी टाइट थी. उनके टेबल के पास जाकर मेने  कहा "बोलिये अंकल क्या कह रहे थे आप" मेने  देखा की पापा के चहेरे पे असमंजस के भाव थे. तो माँ निश्चिंत लग रही थी मानो सिन्हा अंकल जो बोल रहेथे या बोलने वाले थे उस बात पे उसका भरोसा हो. आंटी निर्लेप भाव से पापा को देख रहीथी मानो समजा रही हो की 'विश्वास रखो सब सही हो रहा हे' उधर रंजना और यस भी व्हीपे  आ  गए थे उनके कोल्ड ड्रिंक (वोडका वाले) शायद  खत्म हो चुके थे. हम जहा खड़े थे उस टेबल के पास आकर उन्होंने  कोल्डड्रिक की खाली बोतले रखी और मेरे माँ पापा का आधा भरा ग्लास उठाके  आराम से उसमे से शिप मरते हुवे खाली खुर्सी पे बेथ गए. अब सिर्फ में ही खड़ी थी. अंकल उठे और एक खाली खुर्सी खींच के मुझे अपने नजदीक बिठाया और कहा "देख साक्षी  अब आज से तू क़ानूनी तौर  पे एडल्ट हो गयी हे. अब तू जो मर्जी जैसे जीना चाहे जी सकती है. बस बेटा एक बात का ख्याल रखना की तेरे माँ-बाप की जो इज्जत है उसे हानि न पहुंचे. और ऐसा कोई काण्ड मत करना के तेरे होने वाले ससुराल वालो को कोई झटका लगे. में तुजे सीधे सीधे १ सवाल करता हु. तुजे यस जीवनसाथी के रूप में पसंद हे? मुझे मालूम हे कि आज कल के बच्चे १८ वर्ष से पहले ही सेक्स के बारे में बहुत  जानकारी रखते हैं. और तुझे में जितना समझता हु तेरे लिए यस फ्रेंड से ज्यादा बॉयफ्रेंड  हे. " (ओह माय गॉड. क्या  सिन्हा अंकल जादूगर हे. जो बात मेने माँ डेड आंटी अरे मेरी खास सहेली रंजना को नहीं बताई वो बात ये जानते हैं) में अबोल हो के खड़ी रह गयी और कभी माँ डेड को तो कभी यस की और देखने लगी वो मंद मंद मुस्कुराता हुवा आपने खाली ग्लास में स्कॉच डाल रहा था. 
"यस. इक ग्लास साक्षी के लिए भी भरना थोड़ा माइल्ड.आज पहेली बार पीयेगी. और रंजना में सब जनता हु. पार्टी में तूने चोरी छिपे ३ पेग ऑलरेडी मर लीये थे. बादमे कोल्ड ड्रिंक में वाइन  फिर अभी सरला का ग्लास ज्यादा मत पि अभी तेरी केपेसिटी नहीं है."
"सिन्हा इसलिए मैं कह रहा था. जैसे तुझे रंजना की फ़िक्र हे वैसे मुझे साक्षी की." पापा ने कहा. 
"तू चुप बैठ  सम्पत. दोस्त पर भरोसा रखा है तो ज्यादा मगज मत खपा. हां बेटा  साक्षी  तुझे सोचने के लिए वक्त चाहिए तो...."
"मुझे सोचने के लिए वक्त नहीं चाहिए अंकल. आज तो आप ने मुझे यस के रूपमे सारी दुनिया की खुशियां दे दी हे.पर मेरी एक शर्त है. में कभी आप को ससुरजी या आंटी को सासुमा नहीं कहुगी। औरहै सेक्स के बारे में आज कल के बच्चे १३-१४ वर्ष में ही इंटरनेट की बदौलत सबकुछ जानते हे तो में तो १८ वर्ष पूरा क्र चुकी हु और अब तक में सिर्फ यस को ३-४ बार फ्रेंच किस के आलावा कोई बात आगे नहीं बढ़ी हे. इस बात की बहस हो रही थी क्या पापा से" इतने में यस ने मेरे हाथ में स्कॉच का ग्लास थमा दिया. 
"नहीं बेटी बहस और बात की थी पर अब जब तू हमारी बहु बनने को तैयार है तो तुजसे कुछ नहीं छुपायेगा कोई ये तेरा बाप डरपोक हे. इसलिए घबरा रहा था. 
"पर सिन्हा...."
"चुप सम्पत. बहुत हो गया." सिन्हा अंकल ने अथॉरिटी से कहा और पापा चुप हो गये. और यस को इशारे से अपना ग्लास भरने को कहा उधर रंजना ने अंकल के मना करने पर भी अपने लिए स्कॉच भर ली थी और घूंट मार रही थी.  
"हा तो बेटी अब तुम प्रोटेक्टिव सेक्स क्रर सकती हो. यस  के साथ. और उसको कोई तकलीफ न हो तो किसी कभी साथ. तुजे सब छूट हे जैसे यस और रंजना को हे बीएस अपने जीवनसाथी की भावना और अपने घर  की इज्जत का ख्याल रखना" अंकल के यह शब्द सुन के तो मेरे होश ही उड़ गए. कभी माँ पापा या अंकल आंटी से ऐसी बात होती नहीं है. में अंकल की और देख के हिम्मत जुटाते बोली. "अंकल इस मामले में आप मुझे थोड़ा कंर्वेटिव मान सकते हो मुझे सरम आती हे माँ डेड के सामने यह बात करते हुवे. लेकिन आज उनके सामने उन्होंने और आप सबने मुझे आज़ादी दी हे तो कहती हु की मेरी वर्जिनिटी मेरे होनेवाले हस्बैंड यानिकी यस को मेरी और से गिफ्ट होगी अब चाहे शादी अभी या ५ वर्ष बाद अगर कोई हादसा या अघटित न हुवा तो उसे  में अक्षत मिलूगी. 
"हादसे से क्या मतलब हे." रंजना ने पूछ लिया.  
"बलात्कार रेप बाकि में अपनी मर्जी से कभी अपनी  वर्जिनिटी शादी से पहले नहीं ग्वाउंगी.: कहेके मेने इक ही ज़टके में पूरा स्कॉच पि लिया. यस ने उसमे पानी मिलाया था फिर भी में पहलीबार पि रही थी तो खासी आ गई. 
पर बेटा में यस की ऐसी कोई गेरेंटी नहीं दे सकता। १० दिनों में वो अमरीका जा रहा हे एम् बी ऐ  करने वो वहा २ साल अकेला रहेगा.वहा का माहौल नयी जवानी. मुझे नहीं लगता तुजे ऐसी भीष्म प्रतिज्ञा लेने की कोई जरूरत थी.क्यों यस सच कह रहा हु न में?" कहते हुवे अंकल ने मेरा ग्लास फिर से भर दिया. 
"पापा मुझे कोई एतराज नहीं हे. और साक्षी अगर में वहां बहक गया तो कोई मलाल मत रखना. पहले ही कह देता हु."
"अब वो बात जिस के में तेरे पापा से बहस कर रहा था." अंकल ने कहा और में सुनने को उत्सुक हो गयी पापा और माँ शांति से एक दूसरेको देखते हुवे शराब पि रहे थे. आंटी अपने पर्स मेसे आइना निकलकर अपना मेकअप चेक कर रही थी और रंजना और यस  कोई बात पे हसते हुवे  एक दूसरे को ताली दे रहेथे. 
"तूने इंटरनेट पे कभी स्वेपिंग के बारे में पढ़ा हे?" अंकलने पूछा और मेरा मुँह खुल्ला रह गया.
 "तू मेरे प्रश्न को समज की नहीं.सेक्स में जैसे नार्मल सेक्स होता हे. एक हस्बैंड वाइफ का या एक प्रेमी जोडे का इस के आलावा होता हे बलात्कार, या फिर  थ्रीसम या ग्रुप या एडल्टरी या स्वेप। इतना तो जानती हे न तू." अपनी भारी आवाज में अंकल ने कहा.
"हा जानती हु." मोम डेड के सामने मेने हिचकिचाते  कहा.
"तो अब ये भी जान ले  की हम लोग बरसो से स्वेप कर रहे हे यानी की में और तेरी माँ और तेरे पापा और तेरी आंटी इस के आलावा कभी कभी कोई स्पे। पार्टी में औरो के साथ भी." अंकल ने  कहा. और साथ में ही पापा ने भारी श्वाश छोड़ी. जो बात वो मुज़से छुपाना चाहते थे वो मेरे होने वाले ससुर ने कह दी थी  वो मुज़से नजर नहीं मिला रहे थे जैसे  मेरे गुनहगार हो माँ कभी मुझे तो कभी पापा को देख रही थी. सायद थोड़ी  नाखुश थी पापा से.की अब में जवान हो गयी हु घर में जो चल रहा हे वो जानना मेरा अधिकार हे. उधर आंटी का मेकप हो चूका था और वः मेरे पापा का हाथ अपने हाथ में लेके दिलासा दे रही थी. 
"देखो बेटी घर में चल रहा हे उसे जानने का तेरा अधिकार हे इस लिए तुझे बता दिया लेकिन एक बात हे. हम चार में से किसी को भी जज करने की कोशिस मत करना वो तेरा अधिकार नहीं हे और एक बात घर की बात घर में ही रहनी चाहिए तू इस बातकी चर्चा हम में से किसी से भी  कभी भी कर सकती हे रंजना और यस के साथ भी. चलो अब हम लोग सोने जा रहे हे. तेरी आंटी और माँ दोनो उतावली हो रहीहे." कह के वो उठे. और माँ का हाथ पकड़के ऊपर मास्टर बेडरूम  की और जाने लगे. तुरंत पापा भी उठे मेरे माथे पे हाथ फिराया जैसे बेटी को विदा करते वख्त बाप हाथ फिरता हे ऐसे. और आंटी का हाथ पकड़ के अंकल के पीछे पीछे दूसरे बेडरूम की और चल दिए. में उन लोगो को ऊपर जाते देखती रही. अचानक पीछे से यस और रंजना का अट्टहास्य  सुनाई दिया. "क्यों जानू  के सी रही. मेने बोलै था न की में आसानी से अपनी शादी के लिए सब को मना लगा. अब शर्त के मूताबिक आज तेरे बूब्स को चुसने देना पड़ेगा." यस बेशर्म होकर  अपनी ट्विन सिस्टर रंजना के सामने मेरे बूब्स चूसने की बात कर रहा था. 
"भैया आप घर आ रहे हो की सुहागरात मना के सुबह आओगे. " हिचकी ले के रंजनाने  कहा और यस की ग्लास में बची हुयी शराब अपने गले में उड़ेल दी. 
"तू जा रंजू. में आधे घंटे में आता हु.  यह हुशंन कि मलिका शर्त हार गयी हे तो इनाम लेलु." कह के यस में मुझे कमर से पकड़ा और अपना मुँह खोल के मेरे होठ दबा दिए. 
'ओके गाय स गुड़ नाइट एन्जॉय" कह के रंजना उठी और दरवाजे की और चल दी. लेकिन अधिक नशे की हालत में लड़खड़ाई और अचानक धम्म से गिर पड़ी  यह आवाज सुन के ऊपर के दोनों बेडरूम के दरवाजे खुले और सिन्हा आंकलकी भारी आवाज सुनाई दी. "अमजद जरा बेबी को उस के बेडरूम में पंहुचा दो बीचवाला गेट खुला हे."
"आया मालिक" कहते हुवे अमजद अपने सर्वेंट क्वार्टर से निकला और बिच वाला गेट खोने लगा. तो इधर रंजना अधिक नशे की वजह से फर्श पे बेहोश सी पड़ी थी. 
अब अमजद आ रहा हे मेरे घर में. बेबी यानि की रंजना को उसके बेडरूम में पहुंचने को. आगे क्या होगा पढ़िए अगले अपलोड में बहुत ही जल्दी. 
( यह अपलोड थोड़ा लम्बा हो गया हे. शायद बोरिंग भी लगे पर पात्रों का मनो:स्थिति समजने के लिए जरूरी था.)  
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#11
Superb.....
Keep rocking bro....
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#12
(23-01-2023, 03:25 PM)abcturbine Wrote: Superb.....
Keep rocking bro....

Thank You. Koy Suzav he to Bhi batana
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#13
 अपडेट ४ 

लगभग ६०० फुट का कमरा था दाहिनी और डायनिंग टेबल जहा अभी कुछ देर पहले माँ डेड अंकल आंटी बैठे थे. उस के बराबर सामने घर का प्रवेश द्वार, बायीं और में और यस खड़े थे और हमसे ४ कदम आगे रंजना अर्ध बेहोशी के होल मे फर्श पर पड़ी थी यसने उसकी और ध्यान दिए बगैर मुज साइड मे रहे एक कमरे की और धकेला. 
"पर रंजू बेहोश पड़ी है  हमे उसे संभालना चाहिए." मेने यस को कहा 
"सम्भल जाएगी खुद. और होश नहीं रहता तो पीती क्यों है इतना. तुमने देखा न पप्पा ने भी मना किया फिर भी नहीं मानी." इतने में अमजद ने बीच के रस्ते से मेरे घर में प्रवेश किया. उस  से करीब २० कदम दूर रंजना बेहोश पड़ी थी ६ फिट का अधेड़ परन्तु हट्टाकट्टा ५५ वर्षीय सिन्हा अंकल का खास नौकर,+ ड्राइवर + बॉडीगार्ड ने एक भूखी नजर मुज पे मारी. मानो निगाहो से ही चोद देता अगर ऐसा हो सकता तो. में यस की बाँहों में थी यस की पीठ उसकी और थी मेरा चेहरा उस के चेहरे के सामने. अचानक उस ने मुझे आँख मार दी. में चौक गयी. मेने यस को कहा "यस"
"हा बेबी अमजद रंजू को उठा के लेके जाए बाद में हम कमरे में चलते हैं." बोलके उसने पीछे मुड़े बिना ही अमजद के लिए आदेशात्मक चुटकी बजायी और कहा "कविक"
"यस छोटे बाबू" बोल के अमजद ज़ुका और अपना दाया हाथ रंजूकी कमर में डालके उसको झटका देके खड़ा किया. कुछ बुदबुदाती रंजू ने उस के चहेरे को देखा. थोड़ा मुस्कुराई और फिर अपनी आखे बांध कर दी. "एन्जॉय छोटे बाबू" बोलके अमजदने लगभग घसीटते हुए रंजना को उसके बेडरूम में पहुंचाने का कार्य प्रारंभ किया. मेने जो आखिर में देखा वो ये था की अमजद के दायें हाथ की मोटी उंगलियों के बीच में रंजना का दाहिना स्तन फसा हुवा था और वो किसी हॉर्न की भांति उसे दबा रहा था.  
xxxx 
करीब ४० मिनिट बाद यस और में अलग हुवे मेरी सिल्की फ्रॉक उपरसे खुली हुयी थी ब्रा किधर कमरे के कोण में पड़ी हुयी थी और दोनों बूब्स पुरे लाल होचुके थे कमीने यस ने उसे काट काट के लाल कर दिए थे.  निप्पल भी तन के करीब १ इंच की हो चुकी थी और यस का हाथ मेरे पानी से भीग गया था. उसके कहने के बावजूद मेने उस को मेरी पेंटी नहीं उतारने दी थी.
"पर साक्षी अब क्या प्रॉब्लम है हम जवान हे. अपनी मर्जी से जी सकते हे. उसने ज़ूज़लाकर मुझे पूछा था. 

"यस, अभी हमारी शादी की रजामंदी हुयी हे. शादी नहीं. सब्र रखो. मेरा शीलभंग तुम ही करोगे."
"पर आज क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी जगह रंजू होती और मेरी जगह उसका यार तो अब तक वो उसकी योनि में डाल चूका होता. तुजे क्यों सती सावित्री बनने का शौख हे समाज में नहीं आता हे. मैंने किस हठीली से प्यार किया है"  
"शादी की रात को जो मर्जी कर लेना. मैं नहीं रोकूंगी." मेने निश्चयात्मक आवाज में कहा. तो उसने अपना हाथ मेरी योनि से हटा लिया और कहा. "ठीक है  में इंतजार करूँगा. जो तेरी इच्छा वो ही मेरी इच्छा. पर एक बात याद रखना शादी की रात तेरी गांड मारूंगा. वो जो आज तुमने मुझे रोका है उसकी पनिशमेंट होगी. रेप ही हॉग तेरी गांड पे.. देखेंगे की तुझे कौन बचाता है उस दिन. और हां. तेरा बदन तेरा अधिकार पर में कोई वादा नहीं करता हु एसा. अपनी शादी तक में जब चाहु जिसे चाहु चोद सकता हु तुम्हारे सिवा समजी?" बोल के वो चला गया. में भी अपनी ब्रा उठाई और मेर बेडरूम मे जा के सो गयी. 
xxxx 
दूसरे दिन में करीब ११ बजे उठी. कॉलेज में मैंने छुट्टी ली थी. आखिर मेरा बर्थ दे जो था. वैसे भी लास्ट यर था. और पढ़ने में में काफी होशियार थी मतलब की में यस और रंजना ३नो काफी होशियार थे. यस अमेरिका में MBA  करने जा रहा था. रंजनाने आगे पढ़ाई करने से इंकार कर दिया था. में १ साल बाद पैदा हुई थी तो मेरा लास्ट यर चालू था. में अपने बेडरूम से बहार आयी और देखा तो हॉल में कोई नहीं था.  मेने कामवाली कमलाबाई से पूछा "सब कहां  है?"
"साहब तो ऑफिस चले गए और मेडम अपने बेडरूम में तैयार हो रही हे. आज किटी  अपने घर पर हे. आपकी बर्थडे है  न इस लिए. आपका चाय नाश्ता लगा दू?" उस ने कहा, 
"नहीं में पहले नहा लेती हु. बाद में" कहे के में नहाने चली गई. आदमकद आईने मे अपने अनावृत बदन को देख के में खुद अपने प्यार में पद गई. "यार ऐसा बदन देख के यस तो क्या कोई बूठउ भी पागल हो जाये. और साथ ही साथ में मुझे अमजद की वो नजर भी याद आ गई. कल रात में वो जरूर नजरो से मुझे चोदा  होगा और मेरे नाम की २-३ बार मुठ मारी होगी. क्योकि उस की औरत तो गांव में थी. पर में गलत थी उसने मेरे नाम की मुठ नहीं मारी थी. है मुझे याद जरूर किया था. 
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में नहा के नास्ता कर रही थी तभी मेरे मोबाईल में रिंग बजी मेने खाते खाते फोन उठाया और देखा की सामने रंजना थी. मेने ख़ुशी से खा "हेलो रंजू. क्या कर रही हो?"
"बोर हो रही हु. तू क्या कर रही है ?"
"नास्ता."

"फटाफट खा के बहार मिल हम लोग शॉपिंग के लिए जा रहे है। "
"नहीं यार, मुझे कंटाला आ रहा है  वैसे भी अगले विक से टेस्ट शरू हो रहे हे कॉलेज में. में नहीं आ रही."
"पागल लड़की ५ मिनिट में बहार आ. अगर तुजे जानना हो की मेरी सील कल रात में कैसे टूटी। यस आई एम् नॉट वर्जिन नाउ. में गाड़ी बहार निकलती हु जल्दी आ." कहेके उसने फोन काट दिया. मेरा मुँह खुला का खुला ही रह गया मुँह में रहा सेंडविच का टुकड़ा मुज पर हस रहा था.     
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अत्यंत व्यस्तता के कारण में इस स्टोरी को आगे नहीं लिख पा रहा हु.. कीसी भी पाठक को यह स्टोरी आगे बढ़ानी हे. तो बढ़ा शकते हे।  (में एक नॉवेलिस्ट हु. और रीज़नल लेंवेज में काफी लोकप्रिय हु. मेरी ३ नावेल पब्लिश होचुकी हे. यहाँ में शोख से लिखता था.)


अगर आप यह स्टोरी आगेबढ़ना चाहते हे तो प्रायवेट मेसेज बॉक्स में संपर्क करे मेरे दिमागमे स्टोरी कैसे आगे बढ़ानी हे वो आइडिया हे वो में उन्हें बता दुगा. 
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